पत्रकारों को अक्सर आगे कुआं, पीछे खाई वाली स्थिति से गुज़रना...
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
पत्रकारों को अक्सर आगे कुआं, पीछे खाई वाली स्थिति से गुज़रना पड़ता है। वो सवाल पूछते हैं, तो सवाल खड़े किए जाते हैं। सवाल नहीं पूछते हैं तो भी सवाल खड़े किए जाते हैं।
सबसे ताज़ा उदाहरण नए साल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू लेने वालीं न्यूज़ एजेंसी ‘एएनआई’ की संपादक स्मिता प्रकाश का है। स्मिता ने पीएम से कई सवाल पूछे। इनमें कुछ चुभने वाले सवाल भी थे, इसके बावजूद उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्मिता पर पक्षपात का आरोप लगाया है। लगभग 95 मिनट तक चले इंटरव्यू में नोटबंदी, कालाधन और पांच राज्यों में मिली हार से जुड़े सवालों को भी शामिल किया गया था।
खासकर नोटबंदी और कालेधन का मुद्दा भाजपा नेतृत्व को शुरू से असहज करता रहा है। कई मौकों पर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी इनका सीधा जवाब देने से कतराते रहे हैं। ऐसे में सवालों का रूप देकर इन तीखे मुद्दों को उठाना कोई आसान काम नहीं था, क्योंकि सामने कोई और नहीं, बल्कि देश के प्रधानमंत्री थे। वैसे भी, मोदी और शाह की जोड़ी के लिए ये कहा जाता है कि अहसज करने वाले सवाल उनका मिजाज बिगाड़ देते हैं। ये बात सही है कि आमतौर पर इतने बड़े स्तर पर होने वाले इंटरव्यू के सवालों से पहले ही जवाब देने वाले को परिचित करा दिया जाता है, लेकिन सवाल किस लहजे में पूछना है, ये पत्रकार पर निर्भर करता है।
पत्रकार चाहे तो अपने अंदाज़ से नीरस से लगने वाले इंटरव्यू को रोचक बना सकता है, उसके शब्दों का तीखापन सुनने वाले को निष्पक्षता और निडरता का अहसास कराता है। स्मिता प्रकाश ने भले ही ज्यादा तीखे शब्दों का इस्तेमाल न किया हो, लेकिन उन्होंने चाशनी में लपेटकर भी सवाल नहीं पूछे। उन्होंने कई मौकों पर प्रधानमंत्री की बात काटी और एक नया सवाल उनके सामने रख दिया। जैसे, ‘पांच राज्यों में भाजपा चुनाव हारी है और आप एनडीए के प्रधानमंत्री हैं, तो क्या आप इसे एक असफलता नहीं मानते?, आपने 2013 से कई बार कांग्रेस मुक्त भारत की बात कही है, लेकिन जिस तरह के नतीजे आ रहे हैं उनके अनुसार लोग कांग्रेस को विकल्प मान रहे हैं, तो कांग्रेस मुक्त भारत का आपका लक्ष्य साकार नहीं हो पा रहा?, 2017 तक मोदी-शाह फैक्टर के बारे में कहा जाता था कि कोई इसे हरा नहीं सकता, लेकिन अब ऐसा नहीं है, तो क्या नेतृत्व को हार की ज़िम्मेदारी नहीं लेनी चाहिए?, क्या नोटबंदी की ज़रूरत थी, उसके उद्देश्य पूरे हुए?’ क्या इसे पक्षपात कहा जा सकता है?
नरेंद्र मोदी से यह पूछना कि क्या मोदी लहर ख़त्म हो गई है, कोई आसान काम नहीं, लेकिन स्मिता प्रकाश ने यह सवाल भी बेहिचक दागा। इसमें कोई दोराय नहीं कि इंटरव्यू हद से ज्यादा लंबा हो गया था और इसके चलते लोग उसे बीच में छोड़ने को मजबूर हो गए, मगर इसकी वजह कुछ और नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री के व्याख्यात्मक जवाब थे।
इस इंटरव्यू के बाद राहुल गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री के साथ-साथ स्मिता प्रकाश पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा ‘पीएम मोदी में आपके सामने बैठने की हिम्मत नहीं है और मैं यहां आता हूं... आप मुझसे कोई भी प्रश्न पूछ सकते हैं... मैं हर सात-दस दिनों में यहां आता हूं। आपने कल प्रधानमंत्री का साक्षात्कार देखा... मतलब दब्बू पत्रकार, वो सवाल भी कर रही थीं और जवाब भी खुद दे रही थीं’।
राहुल के इस वार का स्मिता ने भी करारा जवाब दिया। उन्होंने ट्वीट करके कहा ‘डियर मिस्टर राहुल गांधी, आपने प्रेस कांफ्रेंस में मुझ पर हमला किया है। मैं सवाल पूछ रही थी, जवाब नहीं दे रही थी। अगर आप पीएम मोदी पर हमला करना चाहते हैं तो आगे बढ़ें, लेकिन मेरा उपहास करना बेतुका है। देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के अध्यक्ष से ऐसी उम्मीद नहीं है’।
स्मिता को अपने इस जवाबी हमले के लिए सोशल मीडिया यूजर्स का समर्थन मिला है।
Dear Mr Rahul Gandhi, cheap shot at your press conference to attack me. I was asking questions not answering. You want to attack Mr Modi, go ahead but downright absurd to ridicule me. Not expected of a president of the oldest political party in the country.
— Smita Prakash (@smitaprakash) January 2, 2019
'आजतक' के एंकर रोहित सरदाना ने स्मिता का समर्थन करते हुए लिखा है ‘राहुल गांधी कह रहे हैं प्रधानमंत्री के इंटरव्यू में सवाल करने वाली ही जवाब भी दे रही थी। हैरानी है कि ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ और पत्रकारिता का दम भरने वाले एक भी ‘पत्रकार’ ने उन्हें टोका नहीं। डीडी न्यूज के एंकर अशोक श्रीवास्तव ने भी राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए स्मिता के पक्ष में ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि बीते कुछ सालों से कुछ पत्रकार देश में मीडिया की "आज़ादी" के "स्वयम्भू-सिपाही" बने हुए हैं और मीडिया पर "हमले" के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। कल #राहुल_गाँधी ने एक महिला पत्रकार @smitaprakash पर निजी हमला किया। देश का एक भी "बाल-वीर" पत्रकार न सड़क पर उतरा न सोशल मीडिया पर !
राहुल गांधी कह रहे हैं प्रधानमंत्री के इंटरव्यू में सवाल करने वाली ही जवाब भी दे रही थी. हैरानी है कि ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ और पत्रकारिता का दम भरने वाले एक भी ‘पत्रकार’ ने उन्हें टोका नहीं.
— रोहित सरदाना (@sardanarohit) January 2, 2019
बीते कुछ सालों से कुछ पत्रकार देश में मीडिया की "आज़ादी" के "स्वयम्भू-सिपाही" बने हुए हैं और मीडिया पर "हमले" के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
— Ashok Shrivastav (@ashokshrivasta6) January 3, 2019
कल #राहुल_गाँधी ने एक महिला पत्रकार @smitaprakash पर निजी हमला किया। देश का एक भी "बाल-वीर" पत्रकार न सड़क पर उतरा न सोशल मीडिया पर !
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बार्क (BARC) के पूर्व सीईओ पार्थो दास गुप्ता की तबीयत शुक्रवार को अचानक बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
बार्क (BARC) के पूर्व सीईओ पार्थो दास गुप्ता की तबीयत शुक्रवार को अचानक बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया। बता दें कि उनका ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल कम हो गया था, जिसके बाद तंजोला जेल प्रशासन ने उन्हें शुक्रवार दोपहर एक बजे अस्पताल में शिफ्ट किया था।
उनकी पत्नी सम्राज्नी दासगुप्ता (Samrajni Dasgupta) के मुताबिक, डॉक्टर्स की देखरेख में आज सुबह उन्हें आईसीयू (Intensive Care Unit) में शिफ्ट किया गया। उन्होंने बताया, ‘पार्थो किसी भी वॉयस कमांड का जवाब नहीं दे पा रहे हैं और न ही कुछ बोल पा रहे हैं। वह ब्लड शुगर के मरीज हैं और उनका ब्लड प्रेशर भी घट-बढ़ रहा है। हमें आज सुबह ही उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी गई थी। उनकी हालत नाजुक है।’
बता दें कि टीआरपी घोटाले मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में मुंबई पुलिस ने दिसंबर के आखिरी हफ्ते में उन्हें गिरफ्तार किया था। वे 31 दिसंबर, 2020 तक पुलिस हिरासत में थे, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
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प्रख्यात फिल्म समीक्षक राजीव मसंद ने फिलहाल पत्रकारिता से दूरी बना ली है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब उन्होंने बतौर चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर यानी COO टैलेंट मैनेजमेंट फर्म धर्मा कॉर्नरस्टोन एजेंसी (DCA) जॉइन कर लिया है। कंपनी में चलने वाले ऑपरेशन्स की जिम्मेदारी अब राजीव मसंद के कंधो पर होगी।
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में फिल्म निर्माता करण जौहर ने बंटी सजदेह के साथ अपनी इस टैलेंट मैनेजमेंट फर्म की घोषणा की थी। सजदेह की कंपनी कॉर्नरस्टोन की स्थापना 2008 में हुई थी। कंपनी विराट कोहली, विनेश फोगाट, के एल राहुल, सानिया मिर्जा और युवराज सिंह जैसे खिलाड़ियों का कामकाज देखती है।
बता दें कि 41 वर्षीय मसंद दो दशक से अधिक समय तक पत्रकार और मनोरंजन उद्योग के समीक्षक के तौर पर काम कर चुके हैं। राजीव मसंद ने 16 साल की उम्र में पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा था, उसके बाद वे कई मीडिया ग्रुप्स के साथ काम कर चुके हैं। वो हमेशा के लिए पत्रकारिता छोड़ चुके हैं या नहीं, इस पर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
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कोरोना महामारी ने अपनों को खोने का बहुत से लोगों को दर्द दिया है और वो सारे रस्म और दस्तूर बदल डाले जो हमारे जीवन का हिस्सा थे। इस महामारी के सामने हमारी सारी परम्पराओं ने एक पल में घुटने टेंक दिए। कोरोना से हुई मौतों से उबर पाना हरगिज आसान नहीं है। इस महामारी से दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश अमेरिका में अब लोगों का धैर्य टूटने लगा है। सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जो इस तरह लोगों के मौत से होने वाली तकलीफ को बयां कर रहा है।
दरअसल, पिछले सप्ताह सीएनएन की एक रिपोर्टर सारा सिडनर लॉस एंजिलिस से लाइव रिपोर्टिंग के दौरान इस कदर भावुक हुईं कि फूट-फूटकर रो पड़ीं। उनका वीडियो पूरी दुनिया में तेजी से वायरल हो गया। वह कोरोना के कारण 12 जनवरी को अपने माता और सौतेले पिता दोनों को खो चुकीं एक महिला की व्यथा कवर रही थीं। सारा ने इस लाइव रिपोर्टिंग के दौरान कहा कि वह रिपोर्टिंग के लिए लगातार 10 अस्पतालों में गईं, जहां उन्होंने कोरोना से पीड़ित मरीजों व उनके परिवार के लोगों को जिस तरह से अस्पताल में रहते हुए देखा, इससे उन्हें बेहद दु:ख हुआ।
लाइव रिपोर्टिंग के दौरान सिडनर ने रोते हुए कहा कि कोरोना वायरस सभी समुदायों के लोगों को ‘असम्मानजनक’ रूप से मार रहा है। वे इसका खामियाजा उठा रहे हैं। उन लोगों में से कई ऐसे लोग हैं, जिन पर हम अपना दैनिक जीवन जीने के लिए भरोसा करते हैं।
सारा ने कहा कि यह सब होने के बाद इन परिवारों के लिए जीवन जीना कितना कठिन है और इनके दिल में कितना दर्द है, इस बात को समझ पाना वास्तव में काफी कठिन है।
सिडनर के कहा कि मुझे गुस्से में रोना आया। गुस्सा उन लोगों पर, जिन्होंने बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया और सच्चाई के खिलाफ लड़ते रहे। ऐसे लोगों ने अन्य लोगों की जान जोखिम में डाली। सिडनर ने इस दौरान आंसुओं से सराबोर रहीं।
यही नहीं कार्यक्रम में दौरान भावुक होने के बाद रिपोर्टर ने एंकर से माफी भी मांगी। इसके बाद एंकर ने अपनी सहकर्मी को बार-बार आश्वासन देते हुए कहा कि कोई माफी की जरूरत नहीं है। साथ ही एंकर ने कहा कि उसके सहयोगियों और दर्शकों ने आपके दिल से किए गए इस उत्कृष्ट रिपोर्टिंग की सराहना की है।
इस वीडियो को साझा करते हुए सारा ने लिखा कि रिपोर्टर के तौर पर मैं अपने काम को भले ही अच्छे से नहीं कर पाई लेकिन अब वापस उस समय को नहीं लाया जा सकता है।
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— Faith Abubéy (@ReporterFaith) January 12, 2021
दि ग्रोथ स्कूल के एसोसिएट पार्टनर के रूप में समाचार4मीडिया पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के इच्छुक लोगों के लिए कार्यशाला शुरू करने जा रहा है।
इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना ने सारे संसार को घुटनों पर ला दिया। कई व्यवसाय बंद हो गए, नौकरियां खत्म हुईं और वेतन घट गए। इस महामारी से मीडिया उद्योग भी अछूता नहीं रहा और बहुत से मीडिया घरानों के शटर गिर गए। कई अखबारों के अलाभप्रद संस्करण बंद हो गए। पत्रकारों और मीडिया उद्योग से जुड़े बहुत से कर्मियों का बड़ा वर्ग सड़क पर आ गया। जब तक लोग नौकरी में थे, सुखी थे, कंफर्ट जोन में थे, कुछ और सोचने की जरूरत ही नहीं थी। बेरोजगार हुए तो बहुत से लोगों ने विकल्पों के बारे में सोचना शुरू किया और कुछ लोगों ने अलग-अलग छोटी-मोटी नौकरियां पकड़ लीं, पर कुछ लोगों ने उद्यम की राह पकड़ी। इतिहास गवाह है कि जब-जब भी मंदी आती है या नौकरियों का अकाल पड़ता है तो उद्यम सबसे ज्यादा अच्छा विकल्प बनकर उभरता है और ज्यादा से ज्यादा लोग उद्यमी बनने के रास्ते तलाशते हैं।
मीडिया उद्योग में पिछले कई सालों से यह हो रहा है कि रिटायर होने के बाद, नौकरी से इस्तीफा देने के बाद या नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद बहुत से पत्रकारों ने न्यूज पोर्टल बना लिए। पत्रकार रह चुकने के कारण उन्हें शायद यह सबसे आसान विकल्प लगा। दिक्कत यह है कि ऐसे बहुत से लोग बहुत छोटे से दायरे में सिमटकर रह गए और लॉकडाउन के समय उनकी दिक्कतें और बढ़ गईं,क्योंकि आय के साधन नहीं बचे। अब सवाल यह है कि जब नौकरियों का अकाल हो और व्यवसाय का आसान विकल्प भी न रह गया हो तो क्या किया जाए।
इस सारी स्थिति के मद्देनज़र दि ग्रोथ स्कूल के एसोसिएट पार्टनर के रूप में समाचार4मीडिया ने एक अनूठी पहल करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के इच्छुक लोगों के लिए वेबिनार शुरू किये हैं। इस विशिष्ट कार्यशाला में पत्रकारिता, खासकर हिंदी पत्रकारिता का ज्ञान रखने वाले लोगों को नौकरी के अलावा उद्यमी बनने के नए विकल्पों की जानकारी भी दी जाएगी, ताकि पत्रकारिता का ज्ञान रखने वाले लोग सिर्फ नौकरी के ही मोहताज न रहें। मीडिया जगत इस समय गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है, इस दौर में आत्मनिर्भरता का यह प्रयास समय की आवश्यकता है।।
समाचार4मीडिया के पूर्व संपादक, प्रसिद्ध लेखक, स्तंभकार और मोटिवेशनल स्पीकर पी.के. खुराना इस ऑनलाइन शिविर का संचालन करेंगे, जो 30 और 31 जनवरी 2021 को दोनों दिन प्रात:10 बजे से दोपहर एक बजे तक और फिर अपराह्न तीन बजे से शाम छह बजे तक चलेगा।
पी.के खुराना ने दैनिक भास्कर और पंजाब केसरी सहित कई मीडिया घरानों और प्रेस क्लबों के लिए पत्रकारिता कार्यशालाओं का सफल संचालन किया है। व्यावहारिक गतिविधियों से भरपूर उनकी कार्यशालाएं सदैव एक आनंददायक अनुभव होती हैं। अपने चुटीले अंदाज में वे प्रतिभागियों को सफलता की राह पर ले चलते हैं। यानी, वे सिर्फ पत्रकारिता के क्षेत्र में सफल होना ही नहीं सिखाते, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि तनावरहित जीवन जीते हुए खुश कैसे रहा जाए।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।जसविंदर सिंह पूर्व में विजक्राफ्ट (Wizcraft) और जागरण सॉल्यूशंस (Jagran Solutions) आदि संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘टीवी9 नेटवर्क’ (TV9 Network) ने जसविंदर सिंह (Jaswinder Singh) को वाइस प्रेजिडेंट (स्पेशल प्रोजेक्ट्स और इवेंट्स) के पद पर नियुक्त किया है। अपनी नई भूमिका में वह रेवेन्यू आधारित तमाम पहलों का नेतृत्व करेंगे।
जसविंदर सिंह को इंडस्ट्री में काम करने का 18 साल से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह विजक्राफ्ट (Wizcraft) और जागरण सॉल्यूशंस (Jagran Solutions) आदि संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। टीवी9 नेटवर्क’ को जॉइन करने से पहले वह ‘जी मीडिया’ (Zee Media) की इनोवेशन सैल (Innovation cel) का हिस्सा थे।
इस बारे में टीवी9 स्टूडियो के सीओओ (डिजिटल और ब्रॉडकास्टिंग) रक्तिम दास ने कहा, ‘हम नेटवर्क में जसविंदर सिंह की नियुक्ति का स्वागत करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमें उनके अनुभवों का काफी लाभ मिलेगा और हम इंडस्ट्री में नए बेंचमार्क स्थापित करेंगे।’
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यू-ट्यूब ने अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चैनल को अस्थाई तौर पर निलंबित कर दिया है। अब इस चैनल पर अब सात दिन तक कोई नया वीडियो अपलोड नहीं किया जा सकेगा। साथ ही अपलोड किए गये उनके नए वीडियो को भी हटा दिया है।
'भड़काने वाले बयान बर्दाश्त नहीं' यू-ट्यूब ने अपने बयान में कहा है कि यू-ट्यूब हिंसा भड़काने या लोगों को उकसाने वाले कंटेट को लेकर संवेदनशील है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नया वीडियो यू-ट्यूब की नीतियों का उल्लंघन करता है, लिहाजा राष्ट्रपति ट्रंप का नया वीडियो यू-ट्यूब से हटा दिया गया है। इसके साथ ही यू-ट्यूब ने राष्ट्रपति ट्रंप के चैनल पर स्ट्राइक भी किया है, जिसका मतलब ये है कि अब राष्ट्रपति ट्रंप अगले एक हफ्ते तक अपने यू-ट्यूब चैनल पर ना तो नया वीडियो अपलोड कर सकते हैं और ना ही लाइव स्ट्रीमिंग ही कर सकते हैं।
'ट्रंप के चैनल पर भड़काने वाले कंटेंट' यू-ट्यूब ने अपने बयान में कहा है कि राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के चैनल पर जो वीडियो पोस्ट किया गया था उसकी सावधानीपूर्वक समीक्षा की गई है, जिसके बाद वीडियो के कंटेट में हमने हिंसा भड़काने वाले कंटेंट को पाया है, जो हमारी नीतियों का उल्लंघन करता है, लिहाजा ट्रंप के चैनल से नए वीडियो को हटाते हुए उनके चैनल को एक हफ्ते के लिए बैन कर दिया गया है।'
इससे पहले भी यू-ट्यूब ट्रंप के चैनल पर आने वाले कॉमेंट पर हिंसा भड़काने का हवाला देते हुए पाबंदी लगा चुका है। 6 जनवरी को कैपिटल हिल दंगे के बाद पूरी दुनिया में राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना हो रही है। हेट स्पीच, दंगा भड़काने और समर्थको को उकसाने के आरोप में ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट को स्थायी तौर पर बंद कर दिया था। वहीं अमेरिकी सिविल राइट ग्रुप ने यू-ट्यूब से ट्रंप के चैनल को बंद करने की मांग करते हुए कहा था कि यदि गूगल यू-ट्यूब से डोनाल्ड ट्रंप के चैनल को नहीं हटाता है, तो फिर यू-ट्यूब पर आने वाले विज्ञापनों का बहिष्कार किया जाएगा।
मंगलवार को दिए गये इस बयान के बाद बुधवार को ही यू-ट्यूब ने ट्रंप के चैनल को एक हफ्ते के लिए बैन कर दिया है। ट्रंप पर 'सोशल' पाबंदियां यू-ट्यूब से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ट्विटर, फेसबुक और स्नैप इंक स्थायी तौर पर बैन कर चुका है। डोनाल्ड ट्रंप के यू-ट्यूब चैनल को 2.76 मीलियन लोगों ने सब्सक्राइब किया हुआ है। आरोप था कि अभी भी डोनाल्ड ट्रंप अपने यू-ट्यूब चैनल के जरिए लोगों को हिंसा के लिए भड़का रहे हैं।
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पार्थो दासगुप्ता को अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने मामले को 15 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है
टीआरपी (TRP) से छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) पार्थो दासगुप्ता ने सोमवार को मुंबई की सेशंस कोर्ट से जमानत मांगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिवक्ता शार्दुल सिंह ने दासगुप्ता की जमानत के लिए कोर्ट के समक्ष तमाम तर्क दिए। इसके साथ ही उन्होंने मुंबई पुलिस के उन आरोपों का खंडन किया कि टीआरपी में हेरफेर के लिए दासगुप्ता ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया। शार्दुल सिंह ने तर्क दिया कि डाटा को हंसा रिसर्च कंपनी द्वारा एकत्रित व आपूर्ति किया गया और दासगुप्ता का इस पर बहुत कम नियंत्रण था।
शार्दुल सिंह का कहना था कि ऐसे कोई भी सबूत नहीं है कि दासगुप्ता की ओर से बेईमानी की गई। धोखाधड़ी अथवा भरोसे को तोड़े जाने के मामले में कोई शिकायतकर्ता होना चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है।
शार्दुल सिंह ने तर्क दिया कि कथित टीआरपी घोटाले से प्रभावित लोग मीडिया संस्थान और विज्ञापनदाता हैं, जो शिकायतकर्ता के रूप में आगे नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने ऐसा नहीं किया है, क्योंकि कोई भी विज्ञापनकर्ता धोखा नहीं दे रहा है।
शार्दुल सिंह का कहना था कि दासगुप्ता को जेल में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि BARC के सीईओ के पद पर रहते हुए दासगुप्ता द्वारा इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स पुलिस द्वारा जब्त किए जा चुके हैं।
शार्दुल सिंह ने BARC इंडिया के पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) रोमिल रामगढ़िया का उदाहरण भी दिया, जिन्हें इस मामले में जमानत पर छोड़ दिया गया था। इसके साथ ही शार्दुल सिंह ने जोर देकर कहा कि दासगुप्ता डायबिटीज के मरीज हैं।
तमाम तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने दासगुप्ता को अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए मामले को 15 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया और कहा कि इसके बाद कोई और स्थगन नहीं दिया जाएगा।
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टीआरपी (TRP) से छेड़छाड़ के मामले में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा (Crime Branch) ने ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) पार्थो दासगुप्ता, BARC इंडिया के पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) रोमिल रामगढ़िया और ‘रिपब्लिक टीवी’ (Republic TV) के सीईओ विकास खनचंदानी के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने सोमवार को मुंबई की मजिस्ट्रेट कोर्ट में 3600 पेज की यह सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है। इस मामले में दासगुप्ता और रामगढ़िया फिलहाल जेल में हैं, जबकि खनचंदानी जमानत पर बाहर हैं।
बता दें कि मुंबई पुलिस ने 13 दिसंबर को विकास खनचंदानी को गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में 16 दिसंबर को कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। वहीं, पार्थो दासगुप्ता को पुलिस ने 24 दिसंबर को गिरफ्तार किया था, जबकि इससे पहले 17 दिसंबर को रोमिल रामगढ़िया को गिरफ्तार किया गया था।
गौरतलब है कि टीआरपी से छेड़छाड़ का मामला अक्टूबर में तब सामने आया था, जब ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा देश में टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए घरेलू पैनल के प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी ‘हंसा रिसर्च’ (Hansa Research) के अधिकारी नितिन देवकर ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया था जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं, उन घरों को भुगतान करके कुछ टीवी चैनल्स दर्शकों की संख्या में हेरफेर कर रहे हैं।
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कृषि कानून के मसले पर दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन को लगभग 50 दिन के पूरे होने को हैं। लेकिन आंदोलन के दौरान कई बार पत्रकारों के साथ मारपीट या उन्हें रिपोर्टिंग करने से रोकने की खबरें भी सामने आईं। लेकिन इस बार जो खबर सामने आई वो हैरान करने वाली है। दरअसल इंडिया टुडे की एडिटर प्रीति चौधरी ने दावा किया है कि प्रदर्शनस्थल पर मौजूद ‘कुछ प्रदर्शनकारी’ महिला रिपोर्टर्स का यौन उत्पीड़न भी करने लगे हैं, वहीं वहां मौजूद अन्य लोग ये सब होने दे रहे हैं।
प्रीति चौधरी ने दावा किया कि ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए उनकी खुद की टीम के पास कई ऐसे वाक्ये हैं, जब रिपोर्टर को यौन उत्पीड़न झेलना पड़ा।
Our farmers have already etched themselves in world history..but they would be doing themselves the biggest disfavour by letting a sizeable chunk of depraves to sexually harass reporters..our own team has enough incidents to report ..those in solidarity need to call this out too!
— Preeti Choudhry (@PreetiChoudhry) January 8, 2021
उनके इस दावे के बाद भारत किसान यूनियन के सदस्य भूपेंद्र चौधरी ने अपनी प्रतिक्रिया दी और यौन उत्पीड़न को जस्टिफाई करने के लिए उन रिपोर्टर्स को खबरों का भूखा कहा है, जो ‘बलपूर्वक’ खबरों को लेने का प्रयास करते हैं। उनका कहना है कि ऐसे रिपोर्टरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
हालांकि उनका ये तर्क किसी के लिए भी समझ से परे है कि किसी रिपोर्टर के साथ हुए यौन उत्पीड़न को महज इस तर्क से कैसे सही ठहराया जा सकता है कि उसने ‘बल’ का इस्तेमाल किया। फिर भले ही रिपोर्टर ने किसी की बाइट लेने के लिए एक सीमा को भी पार क्यों न किया हो। प्रीति चौधरी उनके इस तर्क पर जवाब देती हैं, ‘यदि बाइट देना नहीं चाहते, तो मत दो, लेकिन कम से कम उसके पीछे चुटकी तो मत काटो।’
Don’t want to give a ‘bite’ don’t give it .. but refrain from pinching her bottom..Amazing that we choose to hide behind whataboutery.. https://t.co/kVFkQkzRgH
— Preeti Choudhry (@PreetiChoudhry) January 8, 2021
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जी मीडिया ग्रुप के इंटरनेशनल न्यूज चैनल वियॉन (WION) के पॉलिटिकल एडिटर कार्तिकेय शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
जी मीडिया ग्रुप के अंतरराष्ट्रीय न्यूज चैनल 'विऑन' (WION) के पॉलिटिकल एडिटर कार्तिकेय शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे अब न्यूज एजेंसी आईएएनएस (IANS) के साथ जुड़ गए हैं। आईएएनएस ने उन्हें अपना मैनैजिंग एडिटर बनाया है।
शर्मा विऑन के साथ पिछले चार सालों से भी अधिक समय से जुड़े हुए थे। विऑन से पहले उन्होंने NewsX में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर और इंडिया टुडे ग्रुप में पॉलिटिकल एडिटर काम किया है। इसके अलावा वे एनडीटीवी, द वीक और द एशियन एज के साथ भी काम कर चुके हैं।
मीडिया के क्षेत्र में शर्मा को दो दशकों का अनुभव है। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से सोशियोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है।
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