राष्ट्रवादी पत्रकारों पर अभिसार शर्मा का करारा वार, मोदी सरकार को भी दिखाया आइना...

हिंदी टीवी मीडिया के मशूहर नाम अभिसार शर्मा जो वर्तमान में एबीपी न्यूज चैनल में कार्यरत है, ने शब्दांकन डॉट कॉम पर देश के कुछ राष्ट्रवादी पत्रकारों को लेकर एक लेख लिखा है, जिसमें उन्हें और मोदी सरकार से कुछ सवाल पूछे गए हैं। हम उनका ब्लॉग आपके साथ शेयर कर रहे हैं... मोदीजी की विरासत — अभिसार  

Last Modified:
Friday, 29 July, 2016
abhisar


हिंदी टीवी मीडिया के मशूहर नाम अभिसार शर्मा जो वर्तमान में एबीपी न्यूज चैनल में कार्यरत है, ने शब्दांकन डॉट कॉम पर देश के कुछ राष्ट्रवादी पत्रकारों को लेकर एक लेख लिखा है, जिसमें उन्हें और मोदी सरकार से कुछ सवाल पूछे गए हैं। हम उनका ब्लॉग आपके साथ शेयर कर रहे हैं... मोदीजी की विरासत — अभिसार  उस राष्ट्रवादी पत्रकार ने अंग्रेजी में दहाड़ते हुए कहा, "तो कहिये दोस्तों ऐसे पाकिस्तान प्रेमियों, आईएसआई परस्तों के साथ क्या सुलूक किया जाए ? क्या वक़्त नहीं आ गया है के उन्हें एक एक करके एक्सपोस किया जाए ?"  मैंने सोचा के वाकई, क्या किया जाए ? क्या इन तमाम छद्म उदारवादियों को चौराहे पे लटका दिया जाए ? क्या उन्हें और उनके परिवारों को चिन्हित करके शर्मसार किया जाए ? क्या? कुछ दिनों पहले एक अन्य चैनल ने एक प्रोपेगंडा चलाया था जिसे "अफ़ज़ल प्रेमी गैंग" का नाम दिया गया। इन्हें देश विरोधी बताया गया। इन तथाकथित अफ़ज़ल प्रेमियो में से एक वैज्ञानिक गौहर रज़ा की मानें तो इसके ठीक बाद उन्हें धमकियाँ भी मिलने लगी। तब मुझे याद आया के सत्ता पे तो एक राष्ट्रवादी सरकार आसीन है. क्यों न इन आईएसआई फंडेड उदारवादियों और पत्रकार को देश द्रोह के आरोप में जेल भेजा जाए। बिलकुल वैसे, जैसे JNU में "भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी" नारा लगाने वाले, मुँह छिपाये, कश्मीरी लहजे में बोलने वाले लोग जेल में हैं। नहीं हैं न ? अरे ? मुझे तो लगा के के सत्ता में आसीन ताक़तवर सरकार के मज़बूत बाज़ुओं से कोई बच नहीं सकता। फिर मेरे देश को गाली देने वाले वह लोग आज़ाद क्यों घूम रहे हैं ? खैर छोड़िये, हमारे राष्ट्रवादी पत्रकार ये मुद्दे नहीं उठाएंगे। उन्हें कुछ और मुद्दों से भी परहेज़ है। मसलन, जबसे कश्मीर में नए सिरे से अराजकता का आग़ाज़ हुआ है, तबसे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी, एक बार भी, कश्मीर पे कोई टिपण्णी नहीं की। सोनिया गांधी के अंदाज़ में, उनके दुःख और अफ़सोस की खबरें हम गृह मंत्री राजनाथ सिंह से तो सुनते रहते हैं, मगर लोगों से संपर्क साधने के धनी मोदीजी ने एक बार भी कश्मीर में मारे गए लोगों या सुरक्षाकर्मियों पे वक्तव्य नहीं दिया। मान लिया कश्मीर में इस वक़्त चुनाव नहीं हैं, मगरगुजरात में दलितों पे शर्मनाक हमला भी आपको झकझोर नहीं पाया ? म्युनिक पे हुए हमले पे आपकी व्यथा को पूरे देश ने महसूस किया, मगर कश्मीर और दलितों पे आये दिन हमले आपको विचलित नहीं कर पाए? और सबसे बड़ी बात। .. क्या इन राष्ट्रवाद से ओतप्रोत पत्रकारों ने एक बार भी मोदीजी की ख़ामोशी का मुद्दा उठाया ? एक बार भी? क्या मोदीजी को बोलने से कोई रोक रहा है? कौन कर रहा है ये साज़िश? और किसने हमारे गौरवशाली पत्रकारों का ध्यान इस ओर नहीं खींचा? आये दिन देश के उदारवादियों और धर्मनिरपेक्ष लोगों के खिलाफ चैनल्स पर मुहीम देखने को मिलती रहती है। एक और ट्रेंड से परिचय हुआ। #PROPAKDOVES यानी पाक समर्थित परिंदे। कभी एक आध बार इन न्यूज़ शोज को देखने का मौका मिलता है तो देशभक्ति की ऐसी गज़ब की ऊर्जा का संचार होने लगता है के पूछो मत। लगता है के बस, उठाओ बन्दूक और दौड़ पड़ो LOC की तरफ। आखिर देश के दुश्मन पाकिस्तान की सरपरस्ती कौन कर सकता है और उससे भी बुरी बात, हमारी राष्ट्रवादी सरकार खामोश क्यों है ? आखिर क्यों देशप्रेम के जज़्बे में डूबे जा रहे इन भक्त पत्रकारों की आवाज़ को अनसुना किया जा रहा है ? फिर मुझे कुछ याद आया। बात दरसल उस वक़्त की है जब मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे। तब UPA की सरकार ने दो चीज़ें की थी. पहला पाकिस्तान के साथ साझा टेरर मैकेनिज्म बनाया और दूसरा, पहली बार किसी साझा बयान में बलोचिस्तान को स्थान मिला। और ये शर्मनाक काम हुआ था शर्म अल शेख में। बतौर पत्रकार मैंने और मेरी तरह बाक़ी सभी राष्ट्रवादी पत्रकारों ने इसके आलोचना की थी। मेरा मानना था के जो देश भारत में आतंक फैला रहा है, उसके साथ साझा आतंकी सहयोग कैसे? आखिर क्यों भारत ने एक साझा बयान में बलोचिस्तान को जगह दे दी, जो एक करारी शिकस्त है? खैर नयी सरकार आयी। मोदीजी के नेतृत्व में ये स्पष्ट किया गया के अगर पाकिस्तान पृथकतावादियों के साथ बात करेगा, तो हमसे बात न करे। देश को आखिरकार एक ऐसे प्रधानमंत्री मिल गया जिसके ज़ेहन में पाकिस्तान नीति बिलकुल स्पष्ट थी। मोदीजी ने एक लक्ष्मण रेखा खींच दी थी, और खबरदार जो किसी ने इसे पार किया। मगर फिर अचानक, पठानकोट हुआ। इसमें सरकार की किस तरह से छीछालेदर हुई वह चर्चा का अलग विषय है। मगर फिर जो हुआ वह कल्पना से भी विचित्र है। एक ऐसी संस्था को हमने पठानकोट में आमन्त्रित किया जिसके घोषणा पत्र में भारत को सौ घाव देकर काट देने का ज़िक्र है। वह संस्था जो निर्विवाद रूप से देश में सभी आतंकी समस्याओं की जड़ है। आईएसआई। जी हाँ। ये वही आईएसआई, जो इस देश के कुछ पत्रकारों और #PROPAKDOVES को "फण्ड" कर रही है। कितना खौला था हमारे राष्ट्रवादी पत्रकारों का खून इसकी मिसालें सामने हैं। या नहीं हैं ? और फिर हम कैसे भूल सकते हैं के विदेश मंत्रालय को ताक पर रखकर प्रधानमंत्री पाकिस्तान पहुँच गए। और वो भी नवाज़ शरिफ पारिवारिक समारोह में। मैंने खुद इसे मास्टरस्ट्रोक बताया था। मगर मैं तो मान लिया जाए देशद्रोही हूँ, मगर हमारे राष्ट्रवादी पत्रकार ? इस अपमान के घूँट को कैसे पी गए ? सच तो ये है मोदी की विदेश नीति में असमंजस झलकता है । मगर इस असमंजस की समीक्षा को न्यूज़ चैनल्स में जगह नहीं मिलती। जनरल बक्शी और अन्य जांबाज़ विशेषज्ञ जिन्हें आप सावरकर की तारीफ करते तो सुन सकते हैं, यहाँ उनकी खामोशी चौंकाने वाली है। प्रधानमंत्री की कश्मीर और दलितों पे खामोशी और पाकिस्तान पे बेतुके तजुर्बे चिंतित वाले हैं, मगर हम इस पर खामोश रहेंगे।  पत्रकारों को गाली देने वाले, ज़रा छत्तीसगढ़ के पत्रकार संतोष यादव की पत्नी से भी मिलकर आएं।जब मैं बस्तर गया था, तब उन्होंने मुझसे कहा था के मेरे पति एक अच्छा काम कर रहे हैं और मैं चाहूंगी के वह पत्रकार बने रहें। वो शब्द मैं कभी नहीं भूलूंगा। मगर वो शख्स अब भी जेल में बंद है और अब खबर ये है के उसकी जान पे बन आयी है। बेल भाटिया अकेले एक गाँव के छोटे से घर में रहती हैं। बगैर किसी सुरक्षा के। मगर यह राष्ट्रवादी ऐसे लोगों को नक्ससली समर्थक, देशद्रोही बताते हैं। बस्तर सुपरकॉप कल्लूरी के काम करने के तरीकों से खुद प्रशासन असहज है, मगर ऐसे बेकाबू लोगों पे कोई सवाल नहीं उठाता। ये देशभक्त हैं. राष्ट्र की धरोहर हैं। इन्हें मोदीजी का पूरा समर्थन हासिल है और ये आधिकारिक है। कश्मीर पे अगर कुछ पत्रकार सवाल उठा रहे हैं, तो उसका ताल्लुक उन बच्चों से है, जो सुरक्षा बालों के पेलेट्स का शिकार हो रहे हैं और चूंकि कश्मीर देश का अभिन्न अंग है, लिहाज़ा उसके बच्चे भी मेरे बहन-भाई हैं। क्या उनकी बात करना देश द्रोह है? अच्छा लगा था जब प्रधानमंत्री ने दिवाली श्रीनगर में बिताई थी, मगर सच तो ये है के अब सब कुछ एक "जुमला" सा लगने लगा है। उस कश्मीर की व्यथा पे आपकी खामोशी चौंकाने वाली है। और मैं जानता हूँ के किसी भी तरह की टिपण्णी करने में आपको असुविधा हो सकती है। क्योंकि चुनाव सर पर हैं। उत्तर प्रदेश के चुनाव। जहाँ सामजिक भाईचारे की मिसाल आपकी पार्टी के होनहार संगीत सोम पेश कर ही रहे हैं।  इस लेख को लिखते समय मेरी निगाह ट्विटर पर एक सरकारी हैंडल पर गयी है, जिसका ताल्लुक मेक इन इंडिया। इस हैंडल ने दो ऐसे ट्वीट्स को रिट्वीट किया जिसमे पत्रकारों को मौत देने का इशारा किया गया था। मुझे हैरत नहीं है अगर यही मेक इन इंडिया का स्वरुप है। क्योंकि हाल में एक और राष्ट्रवादी पत्रकार के ट्विटर हैंडल पे मैंने पत्रकारों को मौत देने की वकालत करने वाला ट्वीट देखा। हम उस काल में जी रहे हैं जब एक आतंकवादी की बात पर हम अपने देश की एक पत्रकार के खिलाफ गन्दा प्रोपेगंडा चलाते हैं, फिर मौत की वकालत करना तो आम बात है। भक्तगण ये भूल गए कि बोलने वाला शख्स एक आतंकवादी तो था ही, उसे इंटरव्यू करने वाला अहमद कुरैशी भी घोर भारत विरोधी था। उनका मक़सद साफ़ था, जिसे कामयाब बनाने में कुछ देशभक्तों ने पूरी मदद की. well done मित्रों! हम ये भूल रहे हैं के हम बार-बार उत्तेजना का एक माहौल पैदा कर रहे हैं, जिसका खामियाज़ा आज नहीं तो कल हमें भुगतना पड़ेगा। अपनी ही बात करता हूँ। पिछले एक साल में मुझे दो बार सुरक्षा लेनी पड़ी है। पहला जब मैंने सनातन संस्था पर एक शो किया था जिसमे हिन्दू सेना के एक अति उत्साही ने मुझे मारने की धमकी दी थी और दूसरा बिहार से मेरी एक रिपोर्ट, ज्सिके वजह से 67 साल बाद, पहली बा 10 गाँव के लोग वोट दे पाए थे। इस रिपोर्ट में दिक्कत ये थी के यहां एनडीए द्वारा समर्थित प्रत्याशी राहुल शर्मा के नाजायज़ वर्चस्व को चुनौती दे रहा था। और नतीजा भी सुख हुआ जब पहली बार, इस रिपोर्ट के चलते राहुल शर्मा को हार का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनके पिता जगदीश शर्मा यहाँ के बेताज बादशाह थे। इस रिपोर्ट की वजह से मुझे और मेरे परिवार को जितनी धमकियाँ और गंदे फ़ोन कॉल्स हुए, उससे मेरे दोस्त वाकिफ हैं। मेरी पत्नी ने मुझे मॉर्निंग वाक करने से रोक दिया है, क्योंकि ज़हन में आशंका है। क्या करें। मैं सोचता हूँ कि मोदीजी जब 5, 10 या 15 साल बाद देश के प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे तो उनकी विरासत क्या होगी? देशभक्ति, विकास, "सबका साथ" सबका विकास के साथ साथ, दो और शब्द ज़ेहन में आते हैं।कायरता और डर। कायरता मेरी बिरादरी के कुछ पत्रकारों की, जो सुविधावादी पत्रकारिता कर रहे हैं और डर। डर तो बनाया जा रहा है कि तुम्हे आलोचना करने का कोई अधिकार नहीं है। वरना! खामोश तो आप रहते ही हैं और जब आप ऐसे लोगों का अनुमोदन करते हैं मोदीजी, जो नफरत फैलाते हैं, तब आप नफरत और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। और इसमें हम सब भागीदार हैं। आये दिन न्यूज़ चैनल्स पर किसी कट्टर मुसलमान की स्पेशल रिपोर्ट्स देखने को मिलती हैं। ..ज़ाकिर नाइक का ड्रामा देख ही रहे हैं आप. अभी कुछ हुआ भी नहीं है, मगर नाइक को आतंक के सरगना और डॉक्टर टेरर जैसे जुमलों से नवाज़ जाने लगा है। क्यों? मैं ये कहने का साहस करना चाहता हूँ के क्या इस वक़्त यानी उत्तर प्रदेश के चुनावों से ठीक पहले ध्रुवीकरण का प्रयास है? या मुसलमान को नए सिरे से खलनायक पेश करने की कोशिश है? क्या मक़सद पश्चिमी उत्तर प्रदेश है? उसकी कोशिश तो भक्त पत्रकारों को करनी भी नहीं चाहिए। क्योंकि भक्त सेना का बस चले सभी मुसलमान और छद्म उदारवादियों को पाकिस्तान छोड़ कर आएंगे। ये एक संकट काल है। मुझे ये कहने में कोई असमंजस नहीं है। हम सब जानते हैं के परदे के पीछे किस तरह से कुछ पत्रकारों और बुद्दिजीवियों को निशाना बनाया जा रहा है। कैसे दावा किया जाता है के मैंने तो उस पत्रकार को ठिकाने लगा दिया। और मैं ये भी जानता हूँ के आप और विवरण चाहते हैं। मेरा मक़सद ये है भी नहीं। इशारा ही करना था सिर्फ।.और आप लोग तो समझदार हैं। क्यों? साभार: शब्दांकन डॉट कॉम
TAGS media
न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

रजत उप्पल ने ‘इंडिया टुडे’ समूह में अपनी पारी को दिया विराम

वह इस समूह के कंज्यूमर इवेंट्स वर्टिकल ‘स्टेज आज तक’ (Stage AajTak) का नेतृत्व कर रहे थे। रजत उप्पल का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 04 September, 2025
Last Modified:
Thursday, 04 September, 2025
Rajat Uppal

मीडिया और मार्केटिंग जगत के अनुभवी प्रोफेशनल रजत उप्पल ने ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह इस समूह के कंज्यूमर इवेंट्स वर्टिकल ‘स्टेज आज तक’ (Stage AajTak) का नेतृत्व कर रहे थे। इस वर्टिकल की शुरुआत इसी साल जनवरी में हुई थी। इससे पहले वह इस समूह के रेडियो नेटवर्क 104.8 इश्क एफएम (Ishq FM) में नेशनल मार्केटिंग और प्रोग्रामिंग हेड के पद पर कार्यरत थे।

उप्पल दिसंबर 2020 में ‘इश्क एफएम’ से जुड़े थे। रजत के पास मीडिया, मार्केटिंग और ब्रैंड लीडरशिप में दो दशक से अधिक का अनुभव है। ‘इश्क एफएम’ में रहते हुए उन्होंने ब्रैंड को नई दिशा दी और उसे एफएम स्पेस में अलग पहचान दिलाई। उन्होंने म्यूजिक, लाइफस्टाइल नई पहलों और विभिन्न इंडस्ट्री के साथ क्रॉस-कोलैबोरेशन के जरिये चैनल की मौजूदगी को मजबूत किया।

‘इश्क एफएम’ के बाद उप्पल ने ‘स्टेज आज तक’ की लॉन्चिंग में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इसे ‘मिलियनेयर टूर विद यो यो हनी सिंह’ से शुरू किया। कहा जाता है कि यह भारत में अब तक किसी कलाकार का सबसे बड़ा ‘कमबैक टूर’ साबित हुआ

‘इश्क एफएम’ से पहले उप्पल ‘एचटी मीडिया’ (HT Media), ‘रिलांयस ब्रॉडकास्ट’ (Reliance Broadcast) और ‘रेड एफएम’ (RED FM) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में लीडरशिप भूमिकाएं निभा चुके हैं। यहां उन्होंने ब्रैंड बिल्डिंग, एक्सपीरिएंशल मार्केटिंग और इवेंट आईपी (Intellectual Property) निर्माण में विशेषज्ञता हासिल की।

रजत उप्पल का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है। इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के अनुसार, रजत संभवतः किसी ऐसे संस्थान के साथ अपना नया सफर शुरू कर सकते हैं, जहां वह इवेंट्स आईपी क्षेत्र में कुछ नया करेंगे।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

प्रसार भारती ने जारी किया कंटेंट सिंडिकेशन पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट, मांगे सुझाव

प्रसार भारती ने आकाशवाणी और दूरदर्शन के कार्यक्रमों को टीवी, रेडियो और ओटीटी जैसी डिजिटल सेवाओं पर उपलब्ध कराने के लिए कंटेंट सिंडिकेशन पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 04 September, 2025
Last Modified:
Thursday, 04 September, 2025
PrasarBharati745

प्रसार भारती ने आकाशवाणी और दूरदर्शन के कार्यक्रमों को टीवी, रेडियो और ओटीटी जैसी डिजिटल सेवाओं पर उपलब्ध कराने के लिए कंटेंट सिंडिकेशन पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है।

इसके तहत प्रसार भारती ने मीडिया उद्योग से जुड़े अलग-अलग पक्षों से सुझाव मांगे हैं। इनमें टीवी चैनल, ओटीटी प्लेटफॉर्म, डीटीएच कंपनियां, टेलीकॉम ऑपरेटर, रेडियो नेटवर्क और कंटेंट एग्रीगेटर शामिल हैं।

इस पॉलिसी का मकसद प्रसार भारती के कंटेंट को भारत और विदेश में अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर साझा करने और उससे कमाई करने का एक ढांचा तैयार करना है। इसके लिए ड्राफ्ट और परामर्श नोट उद्योग के साथ साझा किए गए हैं।

प्रसार भारती ने कमाई के कई मॉडल सुझाए हैं, जैसे फ्लैट फीस पर लाइसेंस, राजस्व में हिस्सेदारी, न्यूनतम गारंटी के साथ राजस्व शेयर और बार्टर यानी विनिमय आधारित व्यवस्था।

सुझावों में यह भी पूछा गया है कि टीवी, ओटीटी और रेडियो जैसे अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर राजस्व को किस तरह बांटा जा सकता है। हितधारकों से कहा गया है कि वे अपने सुझाव 21 सितंबर तक ईमेल के जरिए भेजें।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

‘PTI’ में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर बनीं अनुभा वर्मा

अनुभा वर्मा इससे पहले ‘PTI’ में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 03 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 03 September, 2025
Anubha Verma

देश की प्रमुख न्यूज एजेंसियों में शुमार ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) ने अनुभा वर्मा को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) के पद पर नियुक्त किया है।

यह जानकारी अनुभा ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लिंक्डइन’ (LinkedIn) पर शेयर की है।

अनुभा इससे पहले ‘PTI’ में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। इसके अलावा वह यहां चीफ मार्केटिंग ऑफिसर भी रह चुकी हैं।  

‘पीटीआई’ से पहले अनुभा ‘एएफपी’ (AFP) में सेल्स और मार्केटिंग डायरेक्टर (साउथ एशिया) के पद पर अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।

इसके अलावा पूर्व में वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (Times of India) समूह में सीनियर मैनेजर (Times Syndication Service) भी रह चुकी हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

RICE Adamas Group ने ओमन थॉमस को बनाया CEO

‘एबीपी ग्रुप’ (ABP Group) में नेशनल हेड (Ad Sales) के पद से रिटायर थॉमस अब पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े शिक्षा समूहों में से एक की कमान संभाल रहे हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 02 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 02 September, 2025
OOMMEN THOMAS

कोलकाता स्थित ‘RICE Adamas Group’ ने ओमन थॉमस (Oommen Thomas) को अपना ग्रुप सीईओ नियुक्त किया है।

‘एबीपी ग्रुप’ (ABP Group) में नेशनल हेड (Ad Sales) के पद से रिटायर होने के बाद थॉमस अब पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े शिक्षा समूहों में से एक की कमान संभाल रहे हैं।

इस ग्रुप की स्थापना वर्ष 1985 में प्रोफेसर (डॉ.) समित रे ने की थी। आज शिक्षा के क्षेत्र में इसकी मजबूत मौजूदगी है। ग्रुप के तहत Adamas University और RICE Education काम कर रहे हैं। खासतौर पर RICE Education प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए काफी मशहूर है।

इतने वर्षों में ग्रुप ने अपने कामकाज का विस्तार भी किया है। Adamas Tech Consulting के जरिये यह भारत सहित सऊदी अरब, दुबई, इंग्लैंड और अमेरिका तक आईटी और डिजिटल सॉल्यूशंस प्रदान कर रहा है। आने वाले समय में इसकी योजना कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में भी विस्तार करने की है।

यह समूह स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय है और Adamas International, Adamas World School और Adamas Kids जैसे स्कूल संचालित करता है। साथ ही खेल, कौशल विकास और सामाजिक सेवा (फिलांथ्रॉपी) से जुड़ी पहलों में भी निवेश करता है।

ओमन थॉमस की नियुक्ति ग्रुप के लिए अहम बदलाव मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इस कदम से यह समूह अपनी शिक्षा और टेक्नोलॉजी से जुड़ी गतिविधियों को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

क्रिएटिव एजेंसीज को ऑनलाइन गेमिंग कानून में संशोधन की उम्मीद, IT मंत्री ने दिया भरोसा

मौजूदा कानून की तीन-स्तरीय श्रेणी प्रणाली (प्रतिबंधित ऑनलाइन मनी गेम्स, कौशल-आधारित गेम्स और ईस्पोर्ट्स) ने एजेंसीज के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 02 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 02 September, 2025
AshwiniVaishnav7845

गेमिंग क्लाइंट्स के साथ काम करने वाली क्रिएटिव एजेंसीज को अब राहत की उम्मीद जगी है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को स्टेकहोल्डर्स को आश्वासन दिया कि यदि स्पष्टता की समस्या बनी रहती है तो सरकार ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेगुलेशन) अधिनियम, 2025 (PROGA) में संशोधन पर विचार करेगी। यह आश्वासन विज्ञापन जगत के लिए एक राहत की तरह आया है, जो अब तक असमंजस में थे और ब्रैंड मैनेजर्स यह समझने में संघर्ष कर रहे थे कि उनके कैंपेन किन गेमिंग फॉर्मेट्स पर आधारित हो सकते हैं।

एजेंसीज के लिए चुनौती बने रेगुलेटरी ग्रे एरिया

मौजूदा कानून की तीन-स्तरीय श्रेणी प्रणाली (प्रतिबंधित ऑनलाइन मनी गेम्स, कौशल-आधारित गेम्स और ईस्पोर्ट्स) ने एजेंसीज के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। कई गेमिंग फॉर्मेट इन तय श्रेणियों में ठीक से फिट नहीं बैठते, जिसके कारण इंडी स्टूडियो और कम्युनिटी संचालित गेमिंग प्लेटफॉर्म्स रेगुलेटरी अनिश्चितता में फंसे हुए हैं।

क्रिएटिव डायरेक्टर्स के लिए यह उलझन और भी गंभीर रही है, क्योंकि वे नए कैंपेन बनाते समय लगातार इस डर से जूझते रहे कि कहीं इनोवेटिव गेमिंग फॉर्मेट्स गलती से नियामकीय सीमा का उल्लंघन न कर दें। इसी कारण कई एजेंसीज ने वेट-एंड-वॉच रणनीति अपनाई और कई गेमिंग ब्रैंड कैंपेन को रोक दिया।

एजेंसीज का कहना है कि उन्हें ऐसी रेगुलेटरी स्पष्टता चाहिए, जो रेड टेप (अनावश्यक कागजी अड़चनों) में न बदल जाए। उनका मानना है कि अत्यधिक अनुपालन की शर्तें छोटे गेमिंग क्लाइंट्स के लिए क्रिएटिव पार्टनरशिप को असंभव बना सकती हैं।

पेमेंट गेटवे ने बढ़ाई मुश्किलें

समानांतर बैठकों में रेजरपे, फोनपे और स्ट्राइप जैसी पेमेंट कंपनियों की मौजूदगी ने क्रिएटिव इंडस्ट्री की एक और बड़ी चुनौती को उजागर किया। गेमिंग ब्रैंड्स के कैंपेन का क्रियान्वयन कठिन हो गया है, क्योंकि पेमेंट चैनल यह तय करने में संघर्ष कर रहे हैं कि कौन-से गेम्स अनुमत हैं और कौन-से प्रतिबंधित।

इस अनिश्चितता ने एजेंसीज की मीडिया बाइंग रणनीतियों को जटिल बना दिया है। डिजिटल कैंपेन में बार-बार बाधाएं आ रही हैं, क्योंकि पेमेंट प्रोसेसर एहतियात बरतते हुए सुरक्षित रास्ता चुन लेते हैं। शुक्रवार को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर की बैंकों और पेमेंट कंपनियों के साथ बैठक में भागीदारी से संकेत मिलता है कि जल्द ही स्पष्ट परिचालन दिशानिर्देश सामने आ सकते हैं।

कानूनी चुनौती से बढ़ी अनिश्चितता

हेड डिजिटल वर्क्स, जो RMG प्लेटफॉर्म A23 की पेरेंट कंपनी है, ने PROGA की संवैधानिकता को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी है। केंद्र सरकार को इस पर 8 सितंबर तक जवाब देना है।

हालांकि, वैष्णव ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत को वैश्विक ईस्पोर्ट्स लीडर बनाना सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन साथ ही जुए पर कड़ी सीमाएं भी लागू रहेंगी। इस दिशा ने क्रिएटिव रणनीतियों को कुछ स्पष्टता प्रदान की है।

पूरी तरह लागू होने से पहले और अधिक परामर्श बैठकों का वादा यह दर्शाता है कि क्रिएटिव समुदाय की ब्रैंड सेफ्टी गाइडलाइंस को लेकर चिंताओं को अब नीतिगत हलकों में सुना जा रहा है। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

NBDA ने GST पर उठाई चिंता, वित्त मंत्री को लिखा पत्र

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने संगठन के सदस्यों की ओर से वित्त मंत्री व GST परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण को एक औपचारिक पत्र भेजा है

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 02 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 02 September, 2025
NBDA7845

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने संगठन के सदस्यों की ओर से वित्त मंत्री व GST परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण को एक औपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें मौजूदा GST व्यवस्था से जुड़े दो महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया गया है, जिनका न्यूज ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री की वित्तीय स्थिति और परिचालन दक्षता पर असर पड़ रहा है।

दिनांक 28.08.2025 को लिखे अपने पत्र में, NBDA ने सम्मानपूर्वक अनुरोध किया है कि टीवी और डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री के लिए ऐडवर्टाइजिंग स्पेस, विशेष रूप से सरकारी एजेंसियों जैसे डीएवीपी (DAVP), PSUs और राज्य सरकारों को किए जाने वाले विज्ञापन में, GST के लिए करारोपण का बिंदु (point of taxation) चालान (Section 13, Central GST Act, 2017 के अंतर्गत) से बदलकर भुगतान प्राप्ति/संग्रह पर कर दिया जाए।

इसके अतिरिक्त, NBDA ने यह भी अनुरोध किया है कि कुछ खर्चों- जैसे वाहनों का किराया, भोजन एवं पेय/आउटडोर कैटरिंग, ब्यूटी ट्रीटमेंट और कर्मचारियों के लिए बीमा कवरेज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की अनुमति दी जाए, जिसे वर्तमान में सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 की धारा 17(5) के अंतर्गत प्रतिबंधित किया गया है। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

‘Viacom18’ में इस बड़े पद से रितम चक्रवर्ती ने दिया इस्तीफा

वह यहां करीब दस साल से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। वह अक्टूबर 2015 में कंपनी से जुड़े थे।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 01 September, 2025
Last Modified:
Monday, 01 September, 2025
Ritam Chakrabarty

‘वायकॉम18’ (Viacom 18) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) को विश्वसनीय सूत्रों से मिली इस खबर के मुताबिक रितम चक्रवर्ती ने यहां अपनी करीब दस साल लंबी पारी को विराम दे दिया है।

वह ‘वायकॉम18’ में सीनियर डायरेक्टर (Communications, Corporate Marketing & Sustainability) के पद पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह अक्टूबर 2015 में कंपनी से जुड़े थे।

इससे पहले चक्रवर्ती ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) और ‘ओएबी स्टूडियोज’ (OAB Studios) के साथ भी काम कर चुके हैं।

इसके अलावा, उन्होंने ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) में भी अपनी सेवाएं दी हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

डाबर रेड ने जगाया स्वदेशी गर्व, वैश्विक टूथपेस्ट ब्रांड्स को दी सीधी चुनौती

डाबर का यह कदम साफ दर्शाता है कि अब भारतीय एफएमसीजी और पर्सनल केयर ब्रांड्स अपने स्थानीय मूल और विरासत को मजबूत आधार बनाकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने की रणनीति पर चल रहे हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 01 September, 2025
Last Modified:
Monday, 01 September, 2025
daburred

देश की अग्रणी एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने द टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने प्रमुख उत्पाद डाबर रेड टूथपेस्ट के लिए एक पूरे पन्ने का विज्ञापन प्रकाशित कर हलचल मचा दी है। विज्ञापन में टूथपेस्ट को 'The Swadeshi Choice' (स्वदेशी पसंद) के रूप में पेश करते हुए इसे भारतीय उपभोक्ताओं के लिए बना एक शुद्ध भारतीय उत्पाद बताया गया है।

इस विज्ञापन में डाबर रेड की आयुर्वेदिक विशेषताओं और 10 क्लीनिकली प्रूव्ड लाभों का उल्लेख किया गया है। खास बात यह है कि इसमें सीधे किसी ब्रांड का नाम न लेते हुए 'अमेरिकी टूथपेस्ट ब्रांड्स' पर कटाक्ष करते हुए कहा गया है – 'Born there, not here' यानी वहां पैदा हुए, यहां नहीं।

यह संदेश मौजूदा समय की उस भावना को सीधा छूता है, जिसमें उपभोक्ता विदेशी ब्रांड्स की बजाय घरेलू और स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। सरकार की 'वोकल फॉर लोकल' अपील के बीच डाबर ने यह जाहिर किया है कि वह सिर्फ टूथपेस्ट ही नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा और आयुर्वेद की धरोहर भी है।

टूथपेस्ट कैटेगरी में अब तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा रहा है। ऐसे में डाबर रेड का यह साहसिक और प्रतिस्पर्धी अंदाज उपभोक्ता राष्ट्रवाद की भावना पर सीधा असर डाल सकता है। विज्ञापन में न सिर्फ ब्रांड की भारतीय जड़ों को रेखांकित किया गया है, बल्कि इसे 'Made in India, For Indians' कहकर गर्व की भावना भी जगाई गई है।

इसके साथ ही कंपनी ने उपभोक्ताओं को हेल्पलाइन नंबर और QR कोड के जरिए जुड़ने का मौका देकर इस संवाद को सिर्फ विज्ञापन तक सीमित न रखकर इंटरएक्टिव कैंपेन का रूप भी दिया है। डाबर का यह कदम साफ दर्शाता है कि अब भारतीय एफएमसीजी और पर्सनल केयर ब्रांड्स अपने स्थानीय मूल और विरासत को मजबूत आधार बनाकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने की रणनीति पर चल रहे हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

Zee मीडिया ने इन दो निदेशकों की पुनर्नियुक्ति को दी मंजूरी

जी मीडिया (Z Media) ने शनिवार को पोस्टल बैलेट प्रक्रिया के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कंपनी के सदस्यों ने दो महत्वपूर्ण पुनर्नियुक्तियों को मंजूरी दी है।

Vikas Saxena by
Published - Monday, 01 September, 2025
Last Modified:
Monday, 01 September, 2025
ZMedia78451

जी मीडिया (Z Media) ने शनिवार को पोस्टल बैलेट प्रक्रिया के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कंपनी के सदस्यों ने दो महत्वपूर्ण पुनर्नियुक्तियों को मंजूरी दी है।

नियामकीय प्रावधानों के तहत मिली जानकारी के अनुसार, कंपनी ने स्वतंत्र निदेशक सुशांत कुमार पांडा को दूसरे कार्यकाल के लिए पुनर्नियुक्त किया है। उनका नया कार्यकाल 1 सितंबर 2025 से 31 अगस्त 2030 तक पांच वर्षों का होगा। इसके साथ ही, दिनेश कुमार गर्ग को कंपनी का पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त किया गया है, जिनका कार्यकाल 20 सितंबर 2025 से 19 सितंबर 2028 तक तीन वर्षों का रहेगा।

सुशांत कुमार पांडा -   

सुशांत कुमार पांडा 1982 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कस्टम्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स विभाग में 37 वर्षों तक सेवाएं दी और अप्रैल 2019 में सेवानिवृत्त हुए। अपने लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने वित्त मंत्रालय और राजस्व विभाग में कई वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। वे केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के सदस्य भी रहे, जो अप्रत्यक्ष कर नीति बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। इसके अलावा, उन्होंने भारत सरकार में विशेष सचिव का पद भी संभाला।

अपने करियर में श्री पांडा ने तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्यों, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय में विशेष निदेशक के रूप में विदेशी मुद्रा कानून और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून से जुड़े मामलों की जाँच की। साथ ही, उन्होंने दिल्ली स्थित केंद्रीय उत्पाद शुल्क, कस्टम्स और सेवा कर अपीलीय अधिकरण (CESTAT) में आयुक्त तथा पूर्वी जोन में मुख्य आयुक्त के रूप में भी सेवाएँ दीं। वे राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और विधि स्नातक हैं।

दिनेश कुमार गर्ग -

दिनेश गर्ग एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और वित्तीय क्षेत्र में उन्हें 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्हें वित्तीय नियंत्रण और रिपोर्टिंग, कॉरपोरेट पुनर्गठन, फंड जुटाने, आंतरिक व प्रबंधन ऑडिट और कानूनी मामलों में गहन विशेषज्ञता हासिल है।

जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड की वृद्धि में वे कंपनी की कोर टीम का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने अन्य संगठनों में भी वरिष्ठ प्रबंधन स्तर की जिम्मेदारियां निभाई हैं।

कंपनी ने कहा कि दोनों ही नियुक्तियां सभी आवश्यक नियामकीय और सांविधिक अनुमोदनों के बाद प्रभावी होंगी। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

हैप्पी बर्थडे रक्तिम दास: आप हैं रचनात्मकता और रणनीति के अनूठे शिल्पकार

आज का दिन मीडिया जगत की एक ऐसी शख्सियत को समर्पित है, जिनकी पहचान परंपरा और नवाचार के बीच अद्भुत संतुलन बनाने की क्षमता से होती है। आज रक्तिम दास का जन्मदिन है।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 01 September, 2025
Last Modified:
Monday, 01 September, 2025
RaktimDas7845

आज का दिन मीडिया जगत की एक ऐसी शख्सियत को समर्पित है, जिनकी पहचान परंपरा और नवाचार के बीच अद्भुत संतुलन बनाने की क्षमता से होती है। आज रक्तिम दास का जन्मदिन है। एक ऐसे दिग्गज, जिन्होंने भारत के मीडिया परिदृश्य को अपनी सोच, दृष्टि और नेतृत्व से नई दिशा दी है। 

पिछले दो दशकों में उन्होंने देश के कई प्रभावशाली मीडिया संस्थानों में अपनी छाप छोड़ी है। कभी उनकी रचनात्मक दृष्टि ने कहानियों और कंटेंट को नया आयाम दिया, तो कभी उनकी रणनीतियों ने व्यवसायिक सफलता की राह दिखाई। उनके सफर की यही खासियत है कि वे हर जगह सिर्फ योगदान नहीं देते, बल्कि उस संस्था की आत्मा में अपनी पहचान भी जोड़ जाते हैं।

यह दिन सिर्फ उनके जन्म का नहीं, बल्कि उस यात्रा का भी उत्सव है, जिसने भारतीय मीडिया जगत को और अधिक समृद्ध, सशक्त और प्रगतिशील बनाया।

रक्तिम दास ने अपनी यात्रा इंडिया टुडे ग्रुप से शुरू की, जहां उन्होंने ब्रैंडेड कंटेंट को एक गंभीर व्यावसायिक प्रैक्टिस के रूप में विकसित करने में मदद की- बहुत पहले, जब यह इंडस्ट्री मानक बनी। उन्होंने बिजनेस टुडे इंडिया को एक शीर्ष स्तरीय बिजनेस मैगजीन बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और बाद में जी बिजनेस को उसकी वृद्धि के एक महत्वपूर्ण चरण में पुनर्जीवित करने की दिशा में अग्रसर किया। जी के साथ अपने दूसरे कार्यकाल में, उन्होंने जी इनोवेशन स्टूडियो की स्थापना की- एक ऐसा केंद्र जो प्रयोग और नए विचारों का घर बना और जिसने कंपनी के रचनात्मक विस्तार को बढ़ाया।

आज, टीवी9 नेटवर्क में ब्रॉडकास्ट और डिजिटल के चीफ ग्रोथ ऑफिसर के रूप में, दास टेलीविजन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर वृद्धि का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां कंटेंट स्ट्रैटेजी, ऐड सेल्स, ब्रैंडेड कंटेंट और नए IP क्रिएशन को एक दृष्टि के तहत जोड़ा गया है। उनका नेतृत्व इंडस्ट्री-फस्ट इनीशिएटिव्स को बनाने, अवॉर्ड-विनिंग प्रॉपर्टीज तैयार करने और इस बात को फिर से परिभाषित करने में केंद्रीय रहा है कि दर्शक और ब्रैंड मीडिया के साथ कैसे जुड़ते हैं।

वे टीवी9 नेटवर्क में डिजिटल बिजनेस की P&L (लाभ और हानि) जिम्मेदारी संभालते हैं। अपने करियर की शुरुआत में ही, उन्हें 2008–10 के दौरान जी बिजनेस की टर्नअराउंड सफलता की कहानी लिखने और उसका नेतृत्व करने का श्रेय जाता है। बाद में, जी में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, उन्हें जी इनोवेशन स्टूडियो को अपने कार्यकाल में उद्योग का सर्वश्रेष्ठ बनाने का श्रेय मिला।

उनके करियर में वैश्विक ब्रैंडों को भारतीय पाठकों और दर्शकों तक लाने की उपलब्धि भी शामिल है। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू साउथ एशिया और टाइम मैगजीन से लेकर साइंटिफिक अमेरिकन और मेंस हेल्थ तक, रक्ति‍म ने भारत में अंतरराष्ट्रीय मीडिया टाइटल्स को लॉन्च करने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहाx वैश्विक मानकों को स्थानीय संवेदनशीलताओं के साथ मिलाया गया।

इस दिन, हम न केवल उनके प्रोफेशनल्स उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं, बल्कि एक ऐसे नवोन्मेषक की भूमिका का भी, जिन्होंने हमेशा दूसरों से पहले मीडिया का भविष्य देखा है। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए