दुनिया के कई हिस्सों में प्रिंट मीडिया खत्म होने के कगार पर है। इसके बावजूद भारत में...
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
निशांत सक्सेना ।।
दुनिया
के कई हिस्सों में प्रिंट मीडिया खत्म होने के कगार पर है। इसके बावजूद भारत में
अखबार न सिर्फ खुद को बचाने में कामयाब रहे हैं बल्कि इनमें बढ़ोतरी भी हुई है। लेकिन हाल ही में अखबारी कागजों (newsprint) की
कीमतों में हुई वृद्धि से हालात बहुत अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में कुछ
लोगों का यह भी मानना है कि इससे इंडस्ट्री डूबने की कगार पर पहुंच सकती है।
अखबारी कागजों की कीमतों में वृद्धि से देश में प्रिंट इंडस्ट्री पर 4600 करोड़ रुपए
से ज्यादा का वार्षिक बोझ पड़ेगा।
आखिर क्यों
बने ऐसे हालात? (Why the Situation?)
कच्चे
माल की कीमतों में वृद्धि के साथ ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए का कमजोर होना
और चीन में रद्दी कागज के आयात पर प्रतिबंध लगने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में
अखबारी कागज के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं। ऐसे में इंडस्ट्री के लिए चिंतित होना
स्वाभाविक है। क्योंकि, प्रिंट मीडिया में करीब 30-40 प्रतिशत खर्चा
तो अखबारी कागज पर ही हो जाता है। ऐसे में अब इसकी कीमतों में 50 प्रतिशत से अधिक
बढ़ोतरी होने से प्रिंट मीडिया प्रतिष्ठानों की चिंता बढ़ गई हैं।
यदि
पिछले साल की बात करें तो इन दिनों में अमेरिकी डॉलर की कीमत जहां 64.16 रुपए थी, वह अब बढ़कर 68.62 रुपए हो गई है। पिछले साल न्यूजप्रिंट की कीमतें जहां
36000 रुपए प्रति टन थीं, वह अब बढ़कर 55000 रुपए प्रति टन
हो गई हैं। भारत में सालाना रूप से न्यूजप्रिंट की मांग 2.6 मिलियन टन है। ऐसे
में न्यूजप्रिंट की कीमतों में लगभग 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने से इंडस्ट्री को
वार्षिक रूप से 4600 करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान की आशंका है।
कोच्चि
से प्रकाशित होने वाले मलयालम भाषा के अखबार 'मेट्रो
वार्ता' (Metro Vaartha) के जनरल मैनेजर पॉली ने बताया,
'पहले न्यूजप्रिंट के दाम लगभग 36-37 रुपए प्रति किलो थे, लेकिन अब ये बढ़कर लगभग 55-56 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुके है। अगस्त
2017 में 35000 रुपए प्रति टन के हिसाब से न्यूजप्रिंट का आयात किया गया था लेकिन
अब यह बढ़कर 55,000-56,000 हजार रुपए प्रति टन तक हो गया है।' प्रिंट इंडस्ट्री की इस स्थिति के बारे में ‘सकाल’ और 'लोकमत पब्लिकेशंस' के
पूर्व सीईओ ज्वलंत स्वरूप ने कहा कि डॉलर महंगा होने के कारण ज्यादा विदेश न्यूजप्रिंट
इस्तेमाल करने वालों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा, अंग्रेजी
अखबार ज्यादा प्रभावित होंगे।
न्यूजप्रिंट
की कीमतों में हुई बेतहाशा वृद्धि का असर 'एचटी
मीडिया' (HT Media) के वित्तीय वर्ष 2019 की प्रथम तिमाही (Q1FY19) के नतीजों पर देखा जा सकता है, जिसमें कुल
लाभ में करीब 86 प्रतिशत की कमी देखने को मिली थी। 'एचटी
मीडिया लिमिटेड' (HT Media Ltd) और 'हिन्दुस्तान
मीडिया वेंचर्स लिमिटेड' (Hindustan Media Ventures Ltd) की
चेयरपर्सन और एडिटोरियल डायरेक्टर शोभना भरतिया का कहना था, 'न्यूजप्रिंट की ज्यादा कीमतों के कारण हमारी ऑपरेटिंग परफॉर्मेंस भी
काफी प्रभावित हुई।'
न्यूजप्रिंट
की कीमतों में हुई वृद्धि के अलावा देश में न्यूजप्रिंट के वास्तविक खरीदारों को
लेकर भी स्थिति स्पष्ट न होने के कारण यह मसला गहराता जा रहा है। 'इंडियन न्यूजप्रिंट मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन' (INMA) के एक सदस्य के अनुसार, 'पहले सिर्फ पंजीकृत मिल्स
और पब्लिशर्स को ही रियायती टैक्स का लाभ मिला करता था। लेकिन जब से जीएसटी लागू
हुआ है, अन्य पार्टियां भी न्यूजप्रिंट खरीद रही हैं जबकि
पहले ऐसा नहीं था और उन्हें इसे दूसरे ग्रेड पेपर की तरह बेचा जाता था।'
इस अस्प्ष्टता
के कारण जीएसटी की दरों में काफी छेड़छाड़ हो रही है। (पहले न्यूजप्रिंट पर पांच
प्रतिशत जीएसटी था जबकि अन्य ग्रेड पेपर पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता था।) अन्य
पार्टियों द्वारा न्यूजप्रिंट की खरीद किए जाने से पब्लिशर्स के सामने आपूर्ति का
संकट हो गया है।
इंडस्ट्री
पर प्रभाव (Impact on Industry)
'सकाल मीडिया
ग्रुप' के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर प्रदीप द्विवेदी के
अनुसार, 'जहां तक न्यूजप्रिंट की कीमतों की बात है तो इस
साल इसने लगभग सभी को प्रभावित किया है। न्यूजप्रिंट का ऑर्डर छह से नौ महीने
पहले एडवांस में दिया जाता है। ऐसे में कई लोगों की गणित गड़बड़ा गई है। ऐसे में
कुछ लोग तो सिर्फ न्यूजप्रिंट की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ही घाटे में जा सकते
हैं। इंडस्ट्री की यही सच्चाई है।' इनपुट कॉस्ट में 50
प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी होने और क्षतिपूर्ति के लिए कोई निश्चित उपाय न
होने के कारण इंडस्ट्री को एक साल में करीब 4600 करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है।
अखबारों
की बात करें तो हिंदी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबारों में से एक 'दैनिक जागरण' (Dainik Jagran) सालाना करीब 1,80,000
टन न्यूजप्रिंट खरीदता है। ऐसे में न्यूजप्रिंट की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण
अखबार को करीब 290 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा है। (इसमें लगभग पांच
प्रतिशत रद्दी कागज वापस आया है।)
इस
अखबार की वर्ष 2016-17 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, 'कुल
खर्चे में न्यूजप्रिंट पर 39 प्रतिशत से ज्यादा खर्च किया गया है और लगभग 75 प्रतिशत
न्यूजप्रिंट घरेलू मार्केट से लिया गया है। ऐसे में लगभग 20-25 प्रतिशत आयात किया
गया है।'
'दैनिक
जागरण' से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'वर्ष 2017 में हमने जो न्यूजप्रिंट 550 डॉलर प्रति टन के हिसाब से खरीदा
था अब उसकी कीमत 750-780 डॉलर प्रति टन हो गई है। हम अखबार की कीमत बढ़ा नहीं सकते
हैं। इसके अलावा विज्ञापन की दरों में भी वृद्धि नहीं की गई है। ऐसे में हमें कहीं
से भी राहत मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है। इस कारण हमारे अखबार को हर साल
लगभग 250 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। ऐसे में बड़े अखबार जैसे 'टाइम्स ऑफ इंडिया' (Times of India) और 'हिन्दुस्तान टाइम्स' (Hindustan Times) जो
अधिकांश न्यूजप्रिंट आयात करते हैं, उन्हें ज्यादा नुकसान
होगा।'
पॉली का
कहना है, 'न्यूजप्रिंट की कीमतें बढ़ने के कारण हमें
प्रत्येक माह लगभग 40 लाख रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं लेकिन हम कभी भी
अपना सर्कुलेशन कम नहीं करेंगे क्योंकि इससे हमारी छवि प्रभावित होगी।'
नाम न
छापने की शर्त पर दक्षिण भारत के एक बड़े अखबार से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'न्यूजप्रिंट की कीमतों में 50-60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो चुकी है। भारतीय रुपए
के अवमूल्यन की बात करें तो यह काफी मुश्किल समय है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि
विज्ञापन नहीं बढ़ रहा है।' इसके साथ ही उनका कहना है कि
कीमतों में बढ़ोतरी के कारण प्रकाशकों को हर साल 80-90 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च
करना पड़ेगा।
इंडस्ट्री
से जुड़े एक अन्य वरिष्ठ व्यक्ति ने बताया, 'हम लागत
में कमी के बारे में सोच रहे हैं। इसके अलावा हमने अखबार की कीमत में एक रुपए की
वृद्धि की है। इससे भी कुछ राहत मिलेगी, ज्यादा नहीं। अखबार
की कीमत बढ़ने से इस बढ़ोतरी में केवल 35-40 प्रतिशत तक ही राहत मिल सकती है।'
वहीं, इस स्थिति के बारे में 'दिल्ली प्रेस' (Delhi
Press) के पब्लिशर परेश नाथ का नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है।
हालांकि परेश नाथ ने माना कि स्थिति नाजुक है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी
कहा कि यदि प्रकाशक अखबार की कीमतें सही रखें और कंटेंट को मुफ्त में देना बंद कर
दें तो इससे भी इतना बड़ा संकट नहीं होगा। उनका कहना है कि न्यूजप्रिंट की कीमतें
बढ़ने के बावजूद अखबार की कीमतें बढ़ नहीं रही हैं। इनमें बढ़ोतरी होनी चाहिए और
हमें रीडर को मुफ्त में कंटेंट नहीं देना चाहिए।
यह पूछे
जाने पर कि क्या ‘डायरेक्टरेट ऑफ एडवर्टाइजिंग एंड विजुअल
पब्लिसिटी’ (DAVP) विज्ञापनों की कीमतों के द्वारा क्या
इस स्थिति को सही कर सकता है, उन्होंने कहा, 'किसी भी अखबार के लिए एक पेज का सरकारी विज्ञापन न्यूजप्रिंट के पांच पेज
खरीदने के लिए काफी है। डीएवीपी के सिर्फ पांच-सात विज्ञापन हैं। अन्य विभागों से
करीब 70-80 विज्ञापन आते हैं। ये डीएवीपी के विज्ञापन नहीं हैं लेकिन इन्हें
डीएवीपी की दर से दिया जाता है। ऐसे में डीएवीपी कुल विज्ञापन खर्च का पांच
प्रतिशत से भी कम खर्च करता है। इंडस्ट्री द्वारा विज्ञापनों के बारे में जानबूझकर
लोगों को गुमराह किया गया है।'
क्या
किया जा सकता है ? (What Can Be Done)
'सकाल'
मीडिया ग्रुप के सीईओ द्विवेदी का कहना है, 'विज्ञापन
पर होने वाला खर्च उतना नहीं बढ़ रहा है, जितना हम चाहते
हैं। इसके अलावा कीमतों में बढ़ोतरी, खासकर न्यूजप्रिंट की
बात करें तो इससे इंडस्ट्री के सभी लोगों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।' द्विवेदी ने प्रिंट के सीमित विज्ञापन रेवेन्यू की ओर ध्यान दिलाते हुए
यह भी कहा कि इसमें सिर्फ पांच से सात प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने
कहा कि इस साल की पहली तिमाही की बात करें तो सूचीबद्ध कंपनियों के आंकड़ों के
बारे में तो सभी को पता है लेकिन कुछ गैरसूचीबद्ध कंपनियों की ग्रोथ या तो नहीं
बढ़ी है अथवा यह शीर्ष स्तर पर सिर्फ सिंगल डिजिट (single
digit) बढ़ी है।
उन्होंने
कहा, 'त्योहारी सीजन के आने वाले तीन महीने काफी
महत्वपूर्ण होंगे। सभी यह उम्मीद कर रहे हैं कि इस समय में विज्ञापन पर खर्च में
काफी बढ़ोतरी होगी और यह समय उनके लिए काफी अच्छा रहेगा। यदि रेवेन्यू बढ़ता है
तो लागत को झेलने की क्षमता भी बढ़ जाती है। ऐसे में हम ज्यादा पैसा आने की उम्मीद
कर रहे हैं। रेवेन्यू जुटाने के लिए प्रिंट कंपनियां डिजिटल के साथ ही ईवेंट सॉल्यूशंस
पर भी ध्यान केंद्रित कर रही हैं।'
इंडस्ट्री
से जुड़े एक अन्य दिग्गज ने कहा, 'ऐडवर्टाइजिंग
इंडस्ट्री के हमारे पार्टनर्स को न्यूजपेपर इंडस्ट्री के साथ सहानुभूति रखनी
चाहिए। लेकिन वे रेट के मुद्दे पर बात नहीं करते हैं। पिछले चार-पांच साल से
विज्ञापन की दरों में बदलाव नहीं हुआ है। इंडस्ट्री की इनपुट कॉस्ट लगभग 60
प्रतिशत बढ़ने के बावजूद ऐडवर्टाइजर्स अभी भी कीमतें कम रखना चाहते हैं।'
' हैप्पीनेसइनफिनाइट
सॉल्यूशंस' (Happinessinfinite Solutions) के सीईओ ज्वलंत
स्वरूप का मानना है कि न्यूजप्रिंट की कीमतों के बढ़ते दबाव से राहत पाने का
आसान उपाय पेजों की संख्या घटाना है। इसके साथ ही ब्रॉडशीट के स्थान पर इसे
कॉपेक्ट करने का विकल्प भी है। अखबार की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ ही विज्ञापन
की दरों के बारे में भी गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर
दिया कि ये उपाय तभी कारगर साबित हो सकते हैं, जब पूरी इंडस्ट्री
एकजुट हो जाए। प्रतिस्पर्धा के इस माहौल में कोई भी पब्लिशर अकेले इस तरह का
निर्णय नहीं ले सकता है।
करीब नौ साल से ‘प्रभात खबर’ की कमान संभाल रहे आशुतोष चतुर्वेदी 15 दिसंबर से अपना नया कार्यभार संभालेंगे।
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Samachar4media Bureau
वरिष्ठ पत्रकार और ‘प्रभात खबर’ (Prabhat Khabar) के एडिटर-इन-चीफ आशुतोष चतुर्वेदी को केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है। वह 15 दिसंबर से अपना कार्यभार संभालेंगे।
करीब नौ साल से ‘प्रभात खबर’ की कमान संभाल रहे आशुतोष चतुर्वेदी को पत्रकारिता के क्षेत्र में करीब 40 साल का अनुभव है। ‘प्रभात खबर’ से पहले वह ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) के एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर रह चुके हैं।
आशुतोष चतुर्वेदी ने ‘बीबीसी लंदन’ में तीन साल और फिर पांच साल ‘बीबीसी दिल्ली’ में कार्य किया है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ‘माया’ में ट्रेनी के रूप में की थी। उसके बाद ‘इंडिया टुडे’, ‘संडे आब्जर्वर’, ‘दैनिक जागरण’, ‘बीबीसी लंदन’ और ‘दिल्ली’ व फिर ‘अमर उजाला’ होते हुए ‘प्रभात खबर’ पहुंचे।
वह अमर उजाला के दिल्ली ब्यूरो चीफ भी रह चुके हैं। उन्हें रिपोर्टिंग, अखबार के प्रोडक्शन और बेवसाइट तीनों का व्यापक अनुभव हैं। उन्होंने देश के राष्ट्रपति और कई वरिष्ठ पदों पर आसीन शख्सियतों के साथ कई विदेश यात्राएं भी की है। उन्होंने ‘बीबीसी हिंदी’ की वेबसाइट लांच करने में अहम भूमिका निभाई।
समाचार4मीडिया की ओर से आशुतोष चतुर्वेदी को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।
एक्सचेंज4मीडिया समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' पत्रकारिता जगत से जुड़े 40 प्रतिभाशाली युवाओं ‘40 अंडर 40’ (40 Under 40) की लिस्ट एक बार फिर तैयार करने जा रही है। इ
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Samachar4media Bureau
एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) पत्रकारिता जगत से जुड़े 40 प्रतिभाशाली युवाओं ‘40 अंडर 40’ (40 Under 40) की लिस्ट एक बार फिर तैयार करने जा रही है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 14 दिसंबर है। इसके बाद किसी की भी एंट्री मान्य नहीं होगी।
बता दें कि यह इस कार्यक्रम का चौथा एडिशन है। पिछले तीन एडिशंस की तरह इस बार भी इस लिस्ट में मीडिया जगत से जुड़े 40 साल से कम उम्र वाले ऐसे 40 पत्रकारों को शामिल किया जाएगा, जिन्होंने अपने काम के जरिये इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई है और शिखर पर पहुंचे हैं। इसमें प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकारों को शामिल किया जाएगा।
इन पत्रकारों का चुनाव एक प्रतिष्ठित जूरी के द्वारा किया जाएगा, जिसकी तारीफ जल्द ही घोषित कर दी जाएगी। जूरी में समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित नाम शामिल होंगे, जो विभिन्न कसौटियों पर एंट्रीज का आकलन करेंगे और विजेताओं का चयन उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके नेतृत्व कौशल और इंडस्ट्री में उनके योगदान आदि मानदंडों के आधार पर करेंगे।
पिछले तीनों संस्करणों की तरह ‘हिन्दुस्तान’ के एडिटर-इन-चीफ शशि शेखर इस बार भी इस कार्यक्रम में जूरी चेयर होंगे। जूरी में ‘बिजनेसवर्ल्ड ग्रुप’ और ‘एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप’ में चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा; ‘बीएजी नेटवर्क’ की सीएमडी और ‘न्यूज24’ की एडिटर-इन-चीफ श्रीमती अनुराधा प्रसाद; ‘प्रभात खबर’ के एडिटर-इन-चीफ आशुतोष चतुर्वेदी; ‘आजतक’, ‘गुड न्यूज टुडे’ व ‘इंडिया टुडे’ के न्यूज डायरेक्टर सुप्रिय प्रसाद; ‘अमर उजाला’ (डिजिटल) में संपादक जयदीप कर्णिक; ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ में डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) के.जी सुरेश; ‘एबीपी नेटवर्क’ में वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज एंड ऑपरेशंस) रजनीश आहूजा; बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (BCCL) में कॉरपोरेट अफेयर्स हेड राहुल महाजन; ‘जी न्यूज’ में मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा; ‘इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी’ के पूर्व प्रेजिडेंट राकेश शर्मा शामिल हैं।
इनके अलावा जूरी में वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत; वरिष्ठ पत्रकार संत प्रसाद राय; ‘Loud India TV’ के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ संतोष भारतीय; वरिष्ठ पत्रकार सतीश के सिंह; ‘नेटवर्क18 समूह’ में सलाहकार संपादक शमशेर सिंह; वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी; वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी; वरिष्ठ पत्रकार वाशिंद्र मिश्र; ‘अमर उजाला’ में सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री; और ‘दैनिक जागरण’ में कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी भी शामिल हैं।
इस कार्यक्रम के बारे में ज्यादा जानकारी व रजिस्ट्रेशन के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
नोट: समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40अंडर40 अवॉर्ड के पूर्व विजेता कृपया रजिस्ट्रेशन न करें। उन्हें इस कार्यक्रम में बतौर प्रतिभागी शामिल नहीं किया जाएगा।
तमिलनाडु सरकार ने पत्रकारों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। राज्य सरकार ने बताया कि पत्रकार पेंशन योजना के तहत 42 जरूरतमंद और बुजुर्ग पत्रकारों को हर महीने 12,000 रुपये पेंशन दी जाएगी।
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Samachar4media Bureau
तमिलनाडु सरकार ने पत्रकारों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। राज्य सरकार ने बताया कि पत्रकार पेंशन योजना के तहत 42 जरूरतमंद और बुजुर्ग पत्रकारों को हर महीने 12,000 रुपये पेंशन दी जाएगी। इसके लिए सरकार ने 27 नवंबर को आदेश जारी किया था।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने सोमवार को सचिवालय में आयोजित कार्यक्रम में 10 पत्रकारों को प्रतीकात्मक रूप से पेंशन आदेश पत्र भी सौंपे। बाकी पत्रकारों को भी जल्द ही पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी।
सरकार ने कहा कि पत्रकार जनता और सरकार के बीच पुल की तरह काम करते हैं—चाहे बारिश हो, बाढ़ हो, तूफान हो या कोई बड़ा हादसा। मुश्किल समय में भी वे दिन-रात बिना रुके काम करते हैं ताकि लोग सच्ची खबरें पा सकें। इसी योगदान को देखते हुए पत्रकारों के लिए कई कल्याण योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
पत्रकारों के लिए सरकार की अन्य महत्वपूर्ण पहलें:
2023 में पत्रकार पेंशन को 10,000 से बढ़ाकर 12,000 रुपये किया गया।
पत्रकारों के परिवार को मिलने वाली फैमिली पेंशन को 5,000 से बढ़ाकर 6,000 रुपये किया गया।
2021 के बाद से अब तक 125 पत्रकारों को मासिक पेंशन दी गई है।
27 पत्रकारों के परिवारों को फैमिली पेंशन दी गई है।
59 पत्रकार परिवारों को सरकार ने 2.09 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी है।
पत्रकारों को चिकित्सा सहायता भी 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दी गई है।
काम के दौरान निधन होने पर परिवार को मिलने वाली मदद को लगभग दो गुना बढ़ाया गया है (राशि 1.25 लाख से 10 लाख तक बढ़ी)।
सरकार ने बताया कि पत्रकार कल्याण बोर्ड 2021 में बनाया गया था और अब तक 3,674 पत्रकार इसके सदस्य बन चुके हैं। इसमें शिक्षा, शादी, मातृत्व, इलाज और अंतिम संस्कार तक की मदद दी जा रही है।
कार्यक्रम में सूचना और जनसंपर्क मंत्री एम.पी. सामीनाथन, मुख्य सचिव एन. मुरुगानंदम और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
आज जनरेटिव एआई टूल्स हर किसी की पहुँच में हैं। तस्वीरें गढ़ी जा सकती हैं, आवाज़ें बनावटी बनाई जा सकती हैं, वीडियो नकली हो सकते हैं और ख़बरें पल भर में फैल सकती हैं।
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Samachar4media Bureau
अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार।
भारतीय मीडिया के इतिहास में 2025 को उस वर्ष के रूप में याद किया जाएगा, जब न्यूज़रूम ने पारंपरिक ब्रॉडकास्ट दौर से निकलकर एल्गोरिदम आधारित युग में निर्णायक प्रवेश किया। वर्षों से जिस कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को भविष्य की तकनीक कहा जा रहा था, वह अब वर्तमान की सच्चाई बन चुकी है। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन न्यूज़रूम अब एआई की शक्ति और प्रभाव को स्वीकार कर रहे हैं।
तकनीक का उपयोग प्रगति का संकेत है, लेकिन यह भी उतना ही ज़रूरी है कि तकनीक पत्रकारिता की आत्मा सत्य, संवेदनशीलता और नैतिकता पर भारी न पड़ जाए। आज जनरेटिव एआई टूल्स हर किसी की पहुँच में हैं। तस्वीरें गढ़ी जा सकती हैं, आवाज़ें बनावटी बनाई जा सकती हैं, वीडियो नकली हो सकते हैं और ख़बरें पल भर में फैल सकती हैं।
सच और झूठ के बीच की रेखा पहले से कहीं ज़्यादा धुँधली हो चुकी है। ऐसे दौर में मीडिया की भूमिका केवल सूचना देने की नहीं, बल्कि सच और भ्रम के बीच फर्क करने की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी की बन जाती है। समाज आज भी उसी उम्मीद से मीडिया की ओर देखता है कि वह 'दूध और पानी' को अलग करके रखे।यही वजह है कि 2026 की सबसे बड़ी चुनौती खबर जुटाना नहीं, बल्कि खबर पर जनता का भरोसा बनाए रखना होगी।
आज खबरें हर तरफ हैं, लेकिन भरोसा दुर्लभ होता जा रहा है। दर्शक, पाठक और श्रोता अब हर सूचना पर सवाल उठा रहे हैं और यह सवाल उठाना गलत भी नहीं है। भरोसे की यह कमी मीडिया संस्थानों के लिए सबसे बड़ा संकट बनकर उभर रही है। इस भरोसे की एक बड़ी कसौटी रफ़्तार और सच के बीच संतुलन होगा। सबसे पहले ख़बर देने की होड़ में अगर सच पीछे छूट जाए, तो जीत भी हार में बदल जाती है।
हाल के समय में हमने देखा कि कैसे जल्दबाज़ी में अभिनेता धर्मेन्द्र के निधन की झूठी खबर वायरल हो गई। डिजिटल और टीवी मीडिया के कई बड़े मंच इस गलती का हिस्सा बने। कुछ ही मिनटों में खंडन आ गया, लेकिन उन कुछ मिनटों ने मीडिया की साख को गहरी चोट पहुँचा दी। 2026 में चुनौती यह होगी कि खबर सबसे पहले देने की नहीं, बल्कि सही देने की हो।
रफ्तार और सत्य दोनों को साथ लेकर चलने की परीक्षा होगी। अगर मीडिया इस दौड़ में संयम खो बैठा, तो पहले से उठ रहे सवाल और भी तीखे हो जाएंगे। इसी के साथ एक और गहरी चुनौती एल्गोरिदम से जुड़ी है। एल्गोरिदम ने समाज को ईको चैंबर में कैद कर दिया है। हर व्यक्ति वही देख रहा है, वही सुन रहा है, जो उसकी पसंद, उसकी सोच और उसके पूर्वग्रहों के अनुकूल है। उसे वह नहीं दिख रहा, जो जानना उसके लिए ज़रूरी है। विचारों की विविधता सिमट रही है, संवाद की जगह टकराव बढ़ रहा है।
ऐसे माहौल में ज़िम्मेदार मीडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि वह इस ईको चैंबर को कैसे तोड़े और सच को उस व्यक्ति तक कैसे पहुँचाए, जो सच सुनना नहीं, केवल वही सुनना चाहता है जो उसे अच्छा लगता है। 2026 में मीडिया की सबसे बड़ी पूँजी रफ्तार नहीं, भरोसा होगा। वही मीडिया टिकेगा, जिसे लोग संकट के समय याद करेंगे, जिसके शब्दों पर लोग विश्वास करेंगे, और जिसकी खबरों को लोग साझा करने से पहले संदेह की नज़र से नहीं देखेंगे।
हम ब्रॉडकास्ट से अब नैरोकास्ट के दौर में प्रवेश कर चुके हैं। पहले एक ही सिग्नल करोड़ों लोगों तक जाता था। अब एल्गोरिदम हर व्यक्ति के लिए अलग सिग्नल बना रहा है। अब चुनौती यह नहीं कि आवाज़ कितनी दूर जाए, बल्कि यह है कि जो आवाज़ जाए, वह कितनी सच्ची, कितनी निष्पक्ष और कितनी विश्वसनीय हो।2026 दरअसल भारतीय मीडिया के लिए तकनीक की नहीं, चरित्र की परीक्षा का साल होगा। भरोसा ही वह धुरी बनेगा, जिस पर मीडिया का भविष्य टिका रहेगा।
( यह लेखक के निजी विचार हैं )
दिल्ली के ताज पैलेस में शुरू हुए ‘एजेंडा आजतक’ के मंच से इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इंटरव्यू से जुड़े अनुभव साझा किए।
by
Samachar4media Bureau
राजधानी दिल्ली के ताज पैलेस होटल में शुरू हुए देश के सबसे बड़े न्यूज समिट ‘एजेंडा आजतक’ का उद्घाटन इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और कार्यकारी संपादक कली पुरी ने किया। अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुए ऐतिहासिक इंटरव्यू की पूरी कहानी साझा की।
उन्होंने कहा कि यह इंटरव्यू सिर्फ एक चैनल की उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए सम्मान की बात है। कली पुरी ने बताया कि रूस की टीम ने कई महीनों तक तमाम वैश्विक मीडिया संस्थानों का डेटा, भरोसा, प्रभाव और दर्शक वर्ग का अध्ययन किया। इन सब मानकों पर आजतक खरा उतरने के बाद ही रूस ने भारतीय चैनल को यह मौका दिया।
उन्होंने कहा कि भारत की एक छोटी टीम ने क्रेमलिन में इंटरव्यू के दौरान सेट, रोशनी और प्रस्तुति को लेकर बहुत बारीक सुझाव दिए, जिसे देखकर रूसी अधिकारी भी हैरान रह गए। इंटरव्यू के दौरान अंजना ओम कश्यप और गीता मोहन के सवालों की तैयारी और तालमेल ने रूसी टीम को बेहद प्रभावित किया। यही कारण रहा कि तय समय से ज्यादा देर तक राष्ट्रपति पुतिन ने बातचीत की और यह इंटरव्यू और भी खास बन गया।
कली पुरी ने बताया कि इस संवाद के बाद दुनिया के कई बड़े मीडिया संस्थानों ने इस इंटरव्यू को प्रमुखता से जगह दी। इससे यह साबित हुआ कि भारतीय पत्रकारिता अब सिर्फ घरेलू नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर भी अपनी मजबूत पहचान बना चुकी है।
उन्होंने कहा कि आजतक ने उन विषयों पर भी सवाल पूछे, जिन पर बाकी विदेशी मीडिया खामोश था। उन्होंने अपने संबोधन के अंत में दर्शकों का आभार जताते हुए कहा कि दर्शकों का भरोसा ही आजतक को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाता है और यही विश्वास आगे भी बड़ी उपलब्धियों की ताकत बनेगा।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का मुख्यालय नई दिल्ली के रफी मार्ग स्थित आईएनएस भवन में है। यह घोषणा मीडिया जगत में उत्साह का विषय बनी हुई है, जहां अनुभवी नामों का समावेश देखा जा रहा है।
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Samachar4media Bureau
भारतीय पत्रकारिता के प्रमुख संगठन एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने 2025-26 के कार्यकाल के लिए अपनी एग्जिक्यूटिव कमिटी के सदस्यों की घोषणा कर दी है। इस कमिटी में 23 प्रमुख पत्रकारों और संपादकों को शामिल किया गया है, जो मीडिया इंडस्ट्री की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। गिल्ड के कार्यालय सहयोगियों ने इसकी आधिकारिक सूचना जारी की है।
कमिटी में वरिष्ठ पत्रकार अयाज़ मेमन, आलोक मेहता (पूर्व मुख्य संपादक, आउटलुक हिंदी), आशुतोष (सत्य हिंदी के सह-संस्थापक और संपादक), जयंत मामेन मैथ्यू (मलयाला मनोरमा के कार्यकारी संपादक), कुमकुम चड्ढा (हिन्दुस्तान टाइम्स की वरिष्ठ पत्रकार), कविता देवी (खबर लहरिया की मुख्य संपादक), केएन हरि कुमार (पूर्व मुख्य संपादक, डेक्कन हेराल्ड और प्रजा वाणी), माधव नलपत (आईटीवी नेटवर्क के संपादकीय निदेशक), ओम थानवी (पूर्व संपादक, जनसत्ता), प्रकाश दुबे (दैनिक भास्कर के ग्रुप संपादक), रश्मि कोटी (अंडोलन की प्रबंध संपादक) राघव बहल (द क्विंट के मुख्य संपादक), राज चेंगप्पा (टीवी टुडे नेटवर्क के परामर्शी संपादक), राजदीप सरदेसाई (इंडिया टुडे के परामर्शी संपादक), रवि एन (द हिंदू के पूर्व मुख्य संपादक), सुगता श्रीनिवासराजू (वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और कॉलमिस्ट), शेखर गुप्ता (दप्रिंट के मुख्य संपादक और चेयरमैन), सीमा मुस्तफा (द सिटिजन की मुख्य संपादक), अनंत नाथ (द कारवां के संपादक), टीएन नीनन (बिजनेस स्टैंडर्ड के चेयरमैन), विजय नायक (सकल मीडिया ग्रुप के दिल्ली परामर्शी संपादक), भारत भूषण (वरिष्ठ पत्रकार और कॉलमिस्ट) तथा श्रेणिक राव (मद्रास कूरियर के मुख्य संपादक) शामिल हैं।
इसके अलावा, विशेष आमंत्रित सदस्यों के रूप में जॉन डेयल (इंडियन करेंट्स के परामर्शी संपादक) और हरिश खरे (द ट्रिब्यून के पूर्व मुख्य संपादक) को शामिल किया गया है। गिल्ड के अध्यक्ष संजय कपूर, महासचिव राघवन श्रीनिवासन और कोषाध्यक्ष टेरेसा रहमान ने संयुक्त रूप से इस घोषणा पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा, 'यह कमिटी भारतीय पत्रकारिता की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और विविधता को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगी।'
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का मुख्यालय नई दिल्ली के रफी मार्ग स्थित आईएनएस भवन में है। यह घोषणा मीडिया जगत में उत्साह का विषय बनी हुई है, जहां विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी नामों का समावेश देखा जा रहा है।
सिनर्जी एडवांस्ड मेटल्स (Synergy Advanced Metals) ने अपूर्व चंद्रा को अपना नया इंडिपेंडेंट डायरेक्टर नियुक्त किया है।
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Samachar4media Bureau
सिनर्जी एडवांस्ड मेटल्स (Synergy Advanced Metals) ने अपूर्व चंद्रा को अपना नया इंडिपेंडेंट डायरेक्टर नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति 15 अक्टूबर 2025 से लागू हो गई है।
अपूर्व चंद्रा के पास 32 साल से ज्यादा का अनुभव है। वह भारत सरकार के कई बड़े मंत्रालयों में काम कर चुके हैं, जिनमें स्वास्थ्य मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, श्रम और रोजगार मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय शामिल हैं।
कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर अनुभव कथूरिया ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि अपूर्व चंद्रा के जुड़ने से कंपनी के फैसले और गवर्नेंस और मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि उनकी नीतिगत समझ और प्रशासनिक अनुभव कंपनी के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा।
इससे पहले कंपनी ने नीलकमल दरबारी और अरुंधति कर को भी स्वतंत्र निदेशक के तौर पर अपने बोर्ड में शामिल किया था।
शेमारू एंटरटेनमेंट (Shemaroo Entertainment Limited) को CGST & Central Excise, मुंबई के ऑफिस से 28 नवंबर 2025 का एक आदेश मिला है
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Vikas Saxena
शेमारू एंटरटेनमेंट (Shemaroo Entertainment Limited) को CGST & Central Excise, मुंबई के ऑफिस से 28 नवंबर 2025 का एक आदेश मिला है, जिसे कंपनी को 8 दिसंबर 2025 को प्राप्त हुआ। यह आदेश कंपनी द्वारा फरवरी 2025 में दायर अपील के जवाब में जारी किया गया है।
कंपनी का कहना है कि आदेश में लगाई गई कर मांग और जुर्माना (Input Tax Credit सहित) कानूनन सही नहीं है। कंपनी इस आदेश को चुनौती देने के लिए सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग करेगी और आवश्यक समयसीमा में आगे की कार्यवाही करेगी।
आदेश में कंपनी पर कुल 70.26 करोड़ रुपये के ITC (इनपुट टैक्स क्रेडिट) की रिकवरी, लागू ब्याज और जुर्माने का दावा किया गया है। इसके अलावा, CGST और IGST एक्ट के तहत 63.35 करोड़ रुपये का अतिरिक्त जुर्माना और कंपनी के Joint Managing Director, CEO और CFO पर 133.61 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
कंपनी ने कहा कि उनके आकलन के अनुसार यह मांग कानूनी रूप से सही नहीं है, और कंपनी इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायिक फोरम में अगली अपील दायर करने की प्रक्रिया में है।
बता दें कि इससे पहले शेमारू एंटरटेनमेंट को हाल ही में मुंबई के डिप्टी कमिश्नर ऑफ स्टेट टैक्स कार्यालय से नोटिस मिला। यह नोटिस CGST/MGST एक्ट 2017, IGST एक्ट 2017 और Goods and Services Tax (Compensation to States) Act, 2017 के तहत GST ऑडिट (अप्रैल 2021 – मार्च 2022) के दौरान जारी किया गया। नोटिस की राशि लगभग ₹30.61 लाख बताई गई।
इस नोटिस के खिलाफ भी कंपनी अपील दायर करने की प्रक्रिया में है और उनका मानना है कि यह मांग सही नहीं है।
शेमारू एंटरटेनमेंट देश की एक प्रमुख कंटेंट क्रिएटर, एग्रीगेटर और डिस्ट्रीब्यूटर कंपनी है, जो मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम करती है। कंपनी की शुरुआत 1962 में बुद्धिचंद मारू ने शेमारू नाम से एक बुक-सर्कुलेटिंग लाइब्रेरी के रूप में की थी। इसके बाद 1979 में शेमारू ने भारत का पहला वीडियो रेंटल बिजनेस भी शुरू किया।
आज कंपनी किताबों से लेकर फिल्मों, वीडियो और डिजिटल कंटेंट तक की एक लंबी और विकसित यात्रा तय कर चुकी है और भारतीय मीडिया इंडस्ट्री में एक भरोसेमंद नाम बन चुकी है।
कल्चर-ड्राइवेन स्टोरीटेलिंग और मॉडर्न ब्रैंड-बिल्डिंग के लिए जानी जाने वाली पब्लिक रिलेशंस एजेंसी Sorta Famous ने आधिकारिक रूप से भारत में अपनी शुरुआत कर दी है।
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Samachar4media Bureau
कल्चर-ड्रिवेन स्टोरीटेलिंग और मॉडर्न ब्रैंड-बिल्डिंग के लिए जानी जाने वाली पब्लिक रिलेशंस एजेंसी Sorta Famous ने आधिकारिक रूप से भारत में अपनी शुरुआत कर दी है। कंपनी का मकसद है कि ब्रैंड्स को इस बदलती मीडिया की दुनिया में सही मायने में पहचान और असर दिलाया जा सके।
इस एजेंसी की स्थापना कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजिस्ट नंदिनी महांत ने की है। Sorta Famous का फोकस पारंपरिक पीआर और आज के कल्चर-आधारित कम्युनिकेशन के बीच की खाई को पाटने पर है। एजेंसी ब्रैंड कम्युनिकेशन, मीडिया रिलेशंस, डिजिटल पीआर, थॉट लीडरशिप, क्रिएटर पार्टनरशिप, रेप्युटेशन मैनेजमेंट और नए व पुराने ब्रैंड्स के लिए लॉन्च स्ट्रेटजी जैसी कई सेवाएं देगी।
नंदिनी महांत ने कहा, “भारत में कम्युनिकेशन का तरीका बहुत तेजी से बदल रहा है। आज ब्रैंड्स को सिर्फ पुराने पीआर की नहीं, बल्कि कल्चरल इंटेलिजेंस की भी जरूरत है। Sorta Famous की कोशिश है कि ब्रैंड्स लोगों तक ऐसे तरीके से पहुंचे जो असली लगे, समझ में आए और लोगों को जोड़कर रखे। हम सिर्फ हेडलाइंस के पीछे नहीं भागते, हम ऐसे नैरेटिव बनाते हैं जिनसे लोग सच में कनेक्ट करें।”
उन्होंने आगे कहा, “हमारा तरीका तीन बातों पर चलता है- स्पष्टता, क्रिएटिविटी और भरोसा। चाहे ब्रैंड आइडेंटिटी बनानी हो, किसी की आवाज को जोर से पहुंचाना हो या मजबूत पहचान बनानी हो, हमारा फोकस लंबे समय तक असर छोड़ने पर है, न कि सिर्फ थोड़े समय के शोर पर।”
भारत में लॉन्च के साथ, Sorta Famous हाई-ग्रोथ स्टार्टअप्स, कंज्यूमर ब्रैंड्स, क्रिएटर्स और लीडर्स के साथ मिलकर काम करना चाहती है, जो सही स्टोरीटेलिंग के जरिए अपनी ब्रैंड वैल्यू बढ़ाना चाहते हैं।
एजेंसी फिलहाल पूरे भारत में रिमोट तरीके से काम करेगी और आने वाले समय में बड़े मेट्रो शहरों में अपनी टीमों को जमीन पर उतारने की योजना है।
BAG Convergence ने तनवीर आजम को चीफ कंटेंट ऑफिसर (CCO) और इवेंट्स हेड नियुक्त किया है।
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BAG Convergence ने तनवीर आजम को चीफ कंटेंट ऑफिसर (CCO) और इवेंट्स हेड नियुक्त किया है। इस महत्वपूर्ण लीडरशिप रोल में वे कंपनी की पूरी कंटेंट विजन और इवेंट स्ट्रैटेजी को दिशा देंगे। वे न्यूज24 (News24) और E24 समेत संगठन के सभी न्यूज और एंटरटेनमेंट ब्रैंड्स और डिजिटल-फर्स्ट प्लेटफॉर्म्स पर काम करेंगे।
तनवीर ने 2006 में अपने करियर की शुरुआत की थी और उन्हें पत्रकारिता, डिजिटल कंटेंट लीडरशिप और ब्रैंड डेवलपमेंट में 20 साल का अनुभव है। वे Zee Media, India.com, DNA और Microsoft जैसी बड़ी कंपनियों के साथ काम कर चुके हैं। इन संस्थानों में उन्होंने डिजिटल ग्रोथ, कंटेंट इनोवेशन और ऑडियंस एंगेजमेंट बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी एडिटोरियल विशेषज्ञता इंफोटेनमेंट, लाइफस्टाइल, टेक, एंटरटेनमेंट और फीचर स्टोरीटेलिंग तक फैली हुई है, जिसमें SEO, डेटा-ड्रिवन स्ट्रैटेजी और यूजर-सेंट्रिक कंटेंट पर खास ध्यान शामिल है।
Zee Media और India.com में तनवीर ने इंफोटेनमेंट और एंटरटेनमेंट वर्टिकल्स को मजबूत बनाया और ऐसी टीमों का नेतृत्व किया, जिनके कंटेंट ने लगातार उच्च ट्रैफिक और बेहतर इम्पैक्ट हासिल किया। DNA में उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी- दोनों प्लेटफॉर्म्स को संभाला और तेज-तर्रार डिजिटल न्यूज माहौल के हिसाब से कंटेंट डेप्थ और स्पीड का संतुलन बनाए रखा। माइक्रोसॉफ्ट में उनके अनुभव ने उन्हें कंटेंट थिंकिंग में प्रॉडक्ट और टेक्नोलॉजी का बेहतर नजरिया दिया, जिससे वे प्लेटफॉर्म बिहेवियर, एनालिटिक्स और UX को एडिटोरियल और ब्रैंड स्ट्रैटेजी में जोड़ सके।
BAG Convergence में अपनी नई भूमिका में तनवीर का फोकस कंटेंट, प्रोडक्ट और इवेंट्स को एक संयुक्त रणनीति के तहत जोड़ने पर होगा। वे IPs, स्पेशल सीरीज और बड़े पैमाने के इवेंट्स तैयार करेंगे, जो कंपनी की पहचान को एक प्रमुख डिजिटल मीडिया और कंटेंट इनोवेशन ब्रैंड के रूप में और मजबूत करेंगे। इसके साथ ही वे एडिटोरियल और बिजनेस टीमों के साथ मिलकर टेक्स्ट, वीडियो, ऑडियो और सोशल- हर फॉर्मेट में मल्टी-फॉर्मेट स्टोरीटेलिंग को और बेहतर बनाएंगे, ताकि समूह के सभी प्लेटफॉर्म्स पर विश्वसनीय, आकर्षक और इनसाइटफुल पत्रकारिता जारी रहे।