राजनीति के चढ़ते पारे के साथ सियासी रिश्तों में घुलती नफरत के बीच ‘आजतक’ ने...
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
राजनीति के चढ़ते पारे के साथ सियासी रिश्तों में घुलती नफरत के बीच ‘आजतक’ ने हास्य से लोटपोट एक अनोखी शुरुआत की है। अनोखी इस लिहाज से कि मौजूदा वक़्त में ऐसा कुछ कहीं नज़र नहीं आ रहा, हालांकि इस शुरुआत में 90 के दशक की एक झलक ज़रूर देखने को मिलती है। खास बात ये है कि इस शो को कोई न्यूज़ एंकर या मंझा हुआ पत्रकार नहीं बल्कि कवि के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाकर राजनीति के समंदर में डुबकी लगाने वाले कुमार विश्वास होस्ट कर रहे हैं। शो का नाम भी कुमार विश्वास के नाम पर ‘KV सम्मेलन’ रखा गया है। इस मनहर मंच पर कुमार राजनीति, खेल से लेकर सामाजिक मुद्दों और फिल्मों पर अलग अंदाज़ में अपनी बात रखते हैं और नामी-गिरामी हस्तियों को भी शो पर आमंत्रित किया जाता है।
‘KV सम्मेलन’ में हास्य है, व्यंग्य है, मसालेदार न्यूज का पंच है। बॉलिवुड से लेकर सियासी हस्तियों का, खेल के धुरंधरों से लेकर न्यूज मेकर्स का निराले अंदाज में इंटरव्यू है। राजनीति के दांव-पेंचों को हंसी, ठहाकों और मनोरंजन के माध्यम से जनता को समझाने की कोशिश है। ‘KV सम्मेलन’ न सिर्फ दर्शकों को गुदगुदाता है बल्कि पत्रकारिता की व्यंग्य विधा को जिंदा रखता है। ये शो मौजूदा राजनीतिक हालात पर तंज भी कसता है। कुमार विश्वास की एंकरिंग दर्शकों को रोमांच से भर देती है और कविताएं मंत्रमुग्ध कर देती हैं। कुल मिलाकर ‘KV सम्मेलन’ एक ऐसा मंच है, जहां न्यूज है, म्यूजिक है, मस्ती है, हास्य है, परिहास है, ठहाकों की गूंज है और है राजनीति पर कटाक्ष। जैसा कि कुमार कहते हैं 'जब तक मस्ती ज़िंदा है, तब तक हस्ती ज़िंदा है।', वो ही इस शो की थीम भी लगती है।
‘KV सम्मेलन’ एक बार फिर दर्शकों को 90 के दशक के सुपरहिट शो ‘मूवर्स एंड शेकर्स’ की याद दिलाता है, जिसे नए कलेवर, नए रंग में एक नए मंच पर पेश किया जा रहा है। ‘KV सम्मेलन’ का एक बड़ा पॉजिटिव पॉइंट यह भी है कि मूवर्स एंड शेकर्स को समाप्त हुए एक ज़माना हो चुका है, इसलिए ज़्यादातर यूथ शायद उससे इसको रिलेट न भी कर पाएं।
1997 से 2001 तक सोनी टेलीविज़न पर प्रसारित होने वाले मूवर्स एंड शेकर्स को शेखर सुमन होस्ट करते थे। उस दौर में सियासी हलचल और सामाजिक मुद्दों पर सटीक चोट करने के लिए इस शो को पहचाना जाता था। कुमार विश्वास की अपनी एक अलग शख्सियत ज़रूर है, लेकिन लगता है कि उन्होंने शेखर सुमन को काफी अच्छी तरह से स्टडी किया है। उनका खड़े होने, बोलने का अंदाज़ और बीच-बीच में संगीत मंडली की ओर देखकर कमेंट पास करना अपने आप शेखर सुमन की याद दिला देता है। शेखर न केवल माहिर अभिनेता और होस्ट रहे हैं, बल्कि इस तरह के शो में उन्हें महारत हासिल है। लिहाजा, ये देखने वाली बात होगी कि उनके पदचिन्हों पर चलते हुए क्या कुमार विश्वास उनके जैसी कामयाबी हासिल कर सकते हैं? फ़िलहाल, तो ‘KV सम्मेलन’ का पहला एपिसोड काफी धमाकेदार गया। यहां प्रॉडक्शन टीम भी तारीफ की हक़दार है, जिसने लगभग एक जैसे कंटेंट को नए अंदाज़ में परोसने के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। स्वेता सिंह के नेतृत्व वाली ये टीम इस उम्दा प्रॉडक्शन और स्क्रिप्टिंग के लिए बधाई की पात्र है।
इस शो
के बारे में ‘आजतक’ के न्यूज डायरेक्टर सुप्रिय
प्रसाद कहते हैं कि ये तो पहला शो था, अभी आगे-आगे देखिए
कितने मजेदार एपिसोड तैयार हो रहे हैं। पीएम मोदी पर इतना करारा व्यंग्य करने के
साहस पर वे तपाक से जवाब देते हैं कि पीएम ने स्वयं ही कई बार कहा है कि वे व्यंग्य
पसंद करते हैं, ऐसे में कहीं कोई दवाब या साहस का सवाल ही
नहीं उठता है। अगले शनिवार आप हमारे शो में राहुल गांधी पर भी वैसे ही करारे
व्यंग्य पाएंगे। शो की टाइमिंग पर सुप्रिय प्रसाद का कहना है कि चूंकि ये इलेक्शन ईयर है, ऐसे में पॉलिटिकल सटायर शो के प्रति दर्शकों की रुचि रहती है। सटायर शो
की स्क्रिप्टिंग बहुत कठिन मानी जाती है, ऐसे में आप ये
रिस्क क्यों लेते हैं, पर सुप्रिय ने जवाब दिया कि स्वेता
सिंह की दमदार टीम इसे प्रड्यूस कर रही है और यही हमारे समूह की ताकत है कि हम
चुनौतियों को पूरी शिद्दत से स्वीकारते हैं। शेखर सुमन के मूवर्स ऐंड शेकर्स की
तुलना पर वे कहते है कि हमने तो पिछली बार शेखर सुमन के साथ ही शो किया था,
इस बार कुमार विश्वास हमारे साथ हैं।
29 सितम्बर को ऑन-एयर हुए पहले एपिसोड की शुरुआत कुमार विश्वास ने अपनी उसी शायरी के साथ की, जिसने उन्हें असल मायनों में प्रसिद्धि दिलाई यानी ‘कोई दीवाना कहता है...कोई पागल समझता है’। इसके बाद उन्होंने देश-दुनिया की कुछ ख़बरों को हास्य का तड़का लगाते हुए पेश किया। विश्वास को भी कहीं न कहीं इस बात का इल्म है कि शायद उनका शो लोगों को ‘मूवर्स एंड शेकर्स’ की झलक दे जाएगा, इसलिए उन्होंने शुरुआत में ही साफ़ कर दिया कि नक़ल के दौर में असल की उम्मीद करना ही बेमानी है। शो के आगाज़ को विस्फोटक बनाने के लिए नोटबंदी, जीएसटी और रुपए की कमजोरी जैसे ज्वलंत मुद्दों को उठाया गया। आम आदमी और विपक्ष की यही शिकायत रहती है कि प्रधानमंत्री ऐसे मुद्दों पर मौन रहते हैं, लेकिन इस शो में उन्हें जवाब मिले। हालांकि ये बात अलग है कि जवाब सीधे पीएम की तरफ से नहीं बल्कि उनके गेटअप में मौजूद कलाकार सिराज खान की ओर से आए। विश्वास के सवालों पर खान ने जिस अंदाज़ में जवाब दिए, उसने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। इसके अलावा, मोदी की विदेश यात्राओं और वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी से उनके संबंधों पर भी चुटकी ली गई।
यहां देखें विडियो-
लगभग 45 मिनट
के ‘KV सम्मेलन’ को तीन भागों में विभाजित किया गया है। इसके दूसरे भाग में कवि वेद
प्रकाश, कवयित्री मुमताज़ नसीम और कवि शंभू शिखर को
आमंत्रित किया गया। जिन्होंने कश्मीर के वर्तमान हालात के साथ-साथ राफेल डील जैसे
भारी-भरकम और पेचीदा मुद्दों को बेहद सुलझे और व्यंग्यात्मक तरीके से सबके सामने
रखा। शो के तीसरे और आखिरी भाग में उदासी के पर्वत पर हथौड़ा चलाने के लिए उस शख्स
को बुलाया गया, जिसे ‘माउंटेन मैन’ कहा
जाता है यानी अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी। इस पूरे शो के दौरान कुमार विश्वास आम
आदमी पार्टी पर भी निशाना साधते नज़र आए। कुल मिलाकर कहा जाए तो कुमार और ‘KV सम्मेलन’ के लिए शुरुआत अच्छी रही, लेकिन अमूमन देखा गया है कि एक जैसी स्क्रिप्ट ज्यादा लंबे समय तक
दर्शकों को बांधे नहीं रख पाती।
कुमार को कविता पठन के अलावा अपनी ऑरिजिनल छवि भी विकसित करनी होगी। शेखर के पास लंबा अनुभव था, राजनीतिक कटाक्ष की धार कितनी तेज़ या कुंद रहेगी, वो बेहतर समझते थे, जबकि विश्वास के लिए यह बिल्कुल नया मंच है, लिहाजा कॉपी करने के फेर में वह खुद को और चैनल को नुकसान पहुंचा बैठेंगे। वैसे, इन बातों का फैसला तो वक़्त ही करेगा, लेकिन यदि आप टीवी चैनलों पर बहस के नाम पर होने वाली बेहूदा हरकतों से आजिज़ आ चुके हैं तो ‘KV सम्मेलन’ कुछ वक़्त के लिए ही सही, मगर आपका हाजमा दुरुस्त कर देगा।
हर शनिवार रात 8 बजे और रविवार दोपहर 1 बजे देश के नंबर-1 न्यूज चैनल आजतक पर ‘KV सम्मेलन’ का प्रसारण होता है।
समाचार4मीडिया की ओर से कुमार विश्वास और आजतक को शुभकामनाएं।
दिनेश गौतम के इस कदम से तमाम लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि कामकाज के साथ-साथ मैनेजमेंट से तालमेल तक टाइम्स में उनके लिए सबकुछ बढ़िया चल रहा था, आखिर वह क्यों और कहां जा रहे हैं।
वरिष्ठ टीवी पत्रकार दिनेश गौतम से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, दिनेश गौतम अब ‘टाइम्स नेटवर्क’ (Times Network) को विदा कह रहे हैं। हाल ही में सहयोगियों ने उन्हें भावुक विदाई दी है। बता दें कि दिनेश गौतम ने करीब ढाई साल पहले इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘टाइम्स नाउ नवभारत‘ (Times Now Navbharat) में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया था।
टाइम्स में अपनी इस पारी के दौरान उन्होंने कई फ्लैगशिप शो एंकर किए। बिग एंड बोल्ड, प्रतिशोध और धर्मसंकट को उनकी एंकरिंग की खास शैली के चलते खूब पसंद किया गया। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनकी जज्बे से भरे तरीके ने सबका ध्यान खींचा है।
ऐसे में तमाम लोगों के मन में एक सवाल जरूर उठ रहा है कि कामकाज के साथ-साथ मैनेजमेंट से तालमेल तक टाइम्स में दिनेश के लिए सबकुछ बढ़िया चल रहा था, ऐसे में वह क्यों और कहां जा रहे हैं। समाचार4मीडिया से बातचीत में दिनेश गौतम ने इस बारे में खुलकर कुछ नहीं कहा। हालांकि, अपनी नई पारी के बारे में उनका कहना था कि जल्द ही वह जॉइन कर तब उसके बारे में बताएंगे।
‘टाइम्स’ से पहले दिनेश गौतम ‘टीवी9’ (TV9) नेटवर्क के हिंदी न्यूज चैनल ‘टीवी9 भारतवर्ष‘ (TV9 Bharatvarsh) में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। ‘टीवी9’ में ‘अड़ी’ की उनकी धारदार प्रस्तुति खास तौर पर राजनीत और रणनीतिक मामलों में उनकी पकड़ को लोग आज भी याद करते हैं। इससे पहले वह ‘आईटीवी नेटवर्क’ के रीजनल चैनल ‘इंडिया न्यूज’ एमपी/छतीसगढ़ की कमान संभाल रहे थे। वह इस समूह के नेशनल चैनल ‘इंडिया न्यूज’ के रात नौ बजे के प्राइम टाइम शो की एंकरिंग भी करते थे।
‘इंडिया न्यूज‘ से पहले दिनेश गौतम हैदराबाद में ‘ईटीवी भारत‘ से जुड़े हुए थे। वह ‘ईटीवी भारत‘ की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा रहे हैं। करीब नौ महीने के कार्यकाल के बाद उन्होंने वहां से इस्तीफा दे दिया था। उन्हें वहां पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार और झारखंड) का न्यूज एडिटर बनाया गया था, लेकिन वह दिल्ली लौटना चाहते थे।
दिनेश गौतम को टीवी न्यूज इंडस्ट्री में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह ‘24x7 News’, ‘लाइव इंडिया’, ‘जी न्यूज’ और ‘सहारा न्यूज नेटवर्क’ में भी वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं।
दिनेश ‘Moon Light Theaters’ के साथ बतौर क्रिएटिव हेड भी जुड़े रहे हैं और कई नाटकों का लेखन और निर्देशन भी कर चुके हैं। फिल्म ‘अब दिल्ली दूर नहीं’ और ‘मार्कशीट’ का लेखन कर चुके दिनेश ‘ऑल इंडिया रेडियो’ (AIR) के साथ भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह IGNFA, IIFM और कई प्रमुख मास कम्युनिकेशन संस्थानों में गेस्ट फैकल्टी भी रह चुके हैं।
मध्य प्रदेश के मूल निवासी दिनेश गौतम विज्ञान में परास्नातक हैं और उन्होंने दिल्ली स्थित ’भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। समाचार4मीडिया की ओर से दिनेश गौतम को उनके नए सफर के लिए अग्रिम रूप से ढेरों शुभकामनाएं।
एसआईटी प्रमुख पुलिस उपाधीक्षक जनक सिंह पंवार के अनुसार, 18 सितंबर की रात राजीव ने अपने मित्र हेड कांस्टेबल सोहन सिंह और कैमरामैन मनबीर कलूड़ा के साथ शराब पी।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में दिल्ली-उत्तराखंड लाइव चैनल के प्रमुख पत्रकार राजीव प्रताप सिंह की संदिग्ध मौत का मामला सुलझ गया है। विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि यह हत्या नहीं, बल्कि सड़क दुर्घटना थी।
एसआईटी प्रमुख पुलिस उपाधीक्षक जनक सिंह पंवार के अनुसार, 18 सितंबर की रात राजीव ने अपने मित्र हेड कांस्टेबल सोहन सिंह और कैमरामैन मनबीर कलूड़ा के साथ शराब पी। नशे की हालत में वे गंगोरी पुल के पास गलत दिशा से कार चला रहे थे, जिससे हादसा हो गया।
सीसीटीवी फुटेज और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हुआ कि राजीव की छाती व पेट पर चोटें स्टीयरिंग से टकराने के कारण लगीं। कोई हमले या मारपीट के सबूत नहीं मिले। परिवार ने पहले हत्या का शक जताया था, लेकिन जांच में यह दुर्घटना साबित हुई।
डीजीपी द्वारा गठित एसआईटी ने कॉल डिटेल्स, वीडियो और घटनास्थल का मुआयना कर निष्कर्ष निकाला। पुलिस ने अपील की कि शराब पीकर वाहन न चलाएं, वरना जान पर बन सकती है। यह घटना पत्रकार बिरादरी में शोक की लहर ला रही है।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ‘ऑनलाइन गेमिंग नियमावली, 2025’ का ड्राफ्ट जारी किया है।
इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ‘ऑनलाइन गेमिंग नियमावली, 2025’ का ड्राफ्ट जारी किया है। इसे ‘ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025’ की धारा 19 के तहत अधिसूचित किया जाएगा। इस ड्राफ्ट में भारत की नई व्यवस्था के लिए ऑपरेटिंग प्लेबुक तय की गई है, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी ऑफ इंडिया (OGAI) की स्थापना, ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स की पहचान और रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और रजिस्ट्रेशन की वैधता, निलंबन और रद्द करने के नियम शामिल हैं। ये नियम स्टेकहोल्डर्स की प्रतिक्रिया मिलने के बाद अधिसूचित तारीख से लागू होंगे।
ड्राफ्ट में एक महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि पूरे ऑनलाइन गेमिंग ढांचे की निगरानी एक ही जगह से नहीं, बल्कि अलग-अलग मंत्रालयों के बीच बांटने का है। ई-स्पोर्ट्स के प्रमोशन और मान्यता की जिम्मेदारी युवा कार्य एवं खेल मंत्रालय को दी जाएगी, जबकि ऑनलाइन सोशल गेम्स के प्रमोशन की जिम्मेदारी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के पास होगी। बाकी ढांचे के लिए MeitY नोडल मंत्रालय रहेगा। ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि MIB को सोशल गेम्स को उद्देश्य और आयु-उपयुक्तता के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए कोड ऑफ प्रैक्टिस/गाइडलाइंस जारी करने का अधिकार होगा।
नियमों के तहत OGAI को एक कॉरपोरेट बॉडी के रूप में स्थापित किया जाएगा, जिसका मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में होगा। यह अथॉरिटी डिजिटल ऑफिस के तौर पर काम करेगी और तकनीकी-लीगल उपाय अपनाएगी, ताकि फिजिकल उपस्थिति की जरूरत न पड़े। अथॉरिटी की संरचना में MeitY के एक चेयरपर्सन (एडिशनल सेक्रेटरी/जॉइंट सेक्रेटरी स्तर), सूचना एवं प्रसारण, खेल और वित्तीय सेवाओं से तीन एक्स-ऑफिसियो जॉइंट सेक्रेटरी और दो अतिरिक्त एक्स-ऑफिसियो सदस्य (कम से कम एक विधिक विशेषज्ञ) शामिल होंगे। ड्राफ्ट में कोरम, वोटिंग, हितों के टकराव और आपातकालीन निर्णय लेने की प्रक्रिया का भी जिक्र है।
बाजार संचालन के मामले में, ड्राफ्ट में OGAI को आवेदन मिलने के बाद 90 दिनों के भीतर किसी ऑनलाइन सोशल गेम या ई-स्पोर्ट को पंजीकृत करने का समय तय किया गया है (यदि वह पात्र पाया जाए)। एक बार मिलने के बाद सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन अधिकतम पांच साल तक वैध होगा (यह अवधि प्रदाता आवेदन के समय चुन सकता है)। बिना वैध सर्टिफिकेट के किसी गेम को “रजिस्टर्ड” बताकर प्रस्तुत या विज्ञापित नहीं किया जा सकेगा। OGAI सभी पंजीकृत टाइटल्स का नेशनल ऑनलाइन सोशल गेम्स और ई-स्पोर्ट्स रजिस्ट्री बनाएगी और उन गेम्स की इंडेक्स भी रखेगी जिन्हें अधिनियम के तहत ऑनलाइन मनी गेम माना गया है।
ड्राफ्ट में “मैटेरियल चेंज” की परिभाषा भी दी गई है (जैसे फीचर या रेवेन्यू मॉडल में बदलाव, जिससे कोई सोशल गेम या ई-स्पोर्ट ऑनलाइन मनी गेम में बदल सकता है)। OGAI को ऐसे मामलों में पंजीकरण निलंबित या रद्द करने का अधिकार होगा। अगर कोई टाइटल प्रतिबंधित ऑनलाइन मनी गेम की श्रेणी में चला जाता है या अधिनियम/अन्य कानूनों का उल्लंघन करता है, तो प्रदाता सरकार की ओर से मिलने वाले प्रमोशन/सपोर्ट के लिए अयोग्य हो जाएगा और उसके खिलाफ सेक्टोरल कानूनों के तहत कार्रवाई हो सकती है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि ड्राफ्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन सोशल गेम बिना रजिस्ट्रेशन के भी पेश किया जा सकता है (भाग IV के तहत यानी संचालन के लिए रजिस्ट्रेशन पूर्व-शर्त नहीं है)। साथ ही सरकार सुरक्षित और आयु-उपयुक्त कंटेंट वर्गीकरण के लिए कोड्स और रजिस्ट्री तैयार कर रही है। अंतिम अधिसूचना की समय-सीमा स्टेकहोल्डर्स की टिप्पणियों के आधार पर तय होगी।
पब्लिसिस ग्रुप ने दीप्ति वेलुरी को ग्लोबल प्रॉडक्शन की सीईओ नियुक्त किया है।
पब्लिसिस ग्रुप ने दीप्ति वेलुरी को ग्लोबल प्रॉडक्शन की सीईओ नियुक्त किया है। वैसे कंपनी में यह एक नया बनाया गया पद है, जिसका उद्देश्य कंपनी के वैश्विक कंटेंट और प्रॉडक्शन इकोसिस्टम को मजबूत करना है।
अपने नए पद पर वेलुरी ग्रुप की एंड-टू-एंड प्रॉडक्शन क्षमताओं की जिम्मेदारी संभालेंगी। इसमें ग्लोबल कंटेंट स्टूडियो, कंपनी के खुद के एआई टेक्नॉलजी प्लेटफॉर्म, जेनएआई पार्टनरशिप्स और ग्लोबल प्रॉडक्शन हब शामिल होंगे। उनका फोकस क्लाइंट्स के लिए अलग-अलग दर्शकों और चैनलों तक पर्सनलाइज्ड और स्केलेबल कंटेंट पहुंचाने पर होगा, जिसमें प्रेडिक्टिव परफॉर्मेंस और मेजरेबल रिजल्ट्स को अहमियत दी जाएगी।
वेलुरी अपनी पहचान-आधारित डेटा सॉल्यूशंस की विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए पब्लिसिस प्रॉडक्शन की सेवाओं को और बेहतर बनाएंगी और इसके वैश्विक नेटवर्क में इनोवेशन की रफ्तार बढ़ाएंगी।
पब्लिसिस ग्रुप के चेयरमैन और सीईओ आर्थर सादून ने कहा, “जैसे-जैसे एआई पारंपरिक प्रॉडक्शन के नियम बदल रहा है, आज हर क्लाइंट को कंटेंट तक तेजी से, सस्ते और बेहतर तरीके से पहुंच मिल सकती है। लेकिन यदि वे असली बिजनेस रिजल्ट चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा कंटेंट चाहिए जो सभी प्लेटफॉर्म्स पर एक जैसा हो, ब्रैंड वैल्यूज का सम्मान करता हो, बेहद पर्सनलाइज्ड हो, तुरंत स्केलेबल हो और पूरी तरह से मेजरेबल हो।”
तीन दशक से अधिक लंबे करियर में उन्होंने ‘IPAN’, ‘Microsoft’ और ‘Google’ जैसी दिग्गज कंपनियों के साथ काम किया है।
कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस के क्षेत्र में जाना-माना नाम मीनू हांडा ने ‘गूगल’ (Google) में अपनी करीब एक दशक पुरानी पारी को विराम दे दिया है। वह यहां बतौर वाइस प्रेजिडेंट (कम्युनिकेशंस) अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। हांडा वर्ष 2016 में ‘गूगल’ से जुड़ी थीं, जहां उन्होंने डायरेक्टर (कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस) के रूप में शुरुआत की थी।
हांडा एक स्ट्रैटेजिक बिजनेस लीडर और C-suite की भरोसेमंद सलाहकार रही हैं। उन्हें कम्युनिकेशंस, पब्लिक अफेयर्स और क्राइसिस मैनेजमेंट का काफी अनुभव है। उन्होंने एक अक्टूबर 1990 को ‘IPAN’ से कम्युनिकेशन के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत की थी। तीन दशक से अधिक लंबे करियर में उन्होंने ‘IPAN’, ‘Microsoft’ और ‘Google’ जैसी दिग्गज कंपनियों के साथ काम किया है।
‘गूगल’ से विदाई लेते हुए मीनू हांडा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लिंक्डइन’ (Linkedin) पर एक भावुक पोस्ट शेयर की। इस पोस्ट में उन्होंने अपने 35 साल के सफर को याद करते हुए लिखा, ‘आज, ठीक 35 साल बाद मैं अपनी जिंदगी की रफ्तार बदल रही हूं। इन वर्षों को पीछे मुड़कर देखती हूं तो गहरी संतुष्टि और आभार से भर जाती हूं। आभार उन अवसरों के लिए जो मुझे मिले, उन कंपनियों के लिए जहां मैंने काम किया, उन शानदार टीमों के लिए जिनके साथ मैंने काम किया और दुनिया के बेहतरीन लीडर्स व फाउंडर्स का मुझ पर जताया भरोसा। मैं यहां से ऐसे अनुभवों के साथ जा रही हूं, जिनकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अपने नए सफर के बारे में हांडा का कहना था, ‘लोग पूछते हैं- अब क्या करोगी? आगे की योजना क्या है? और मेरा जवाब है—यही योजना है कि कोई योजना नहीं है।’
ब्रजेश कहते हैं, सच्चाई की आवाज को प्लेटफॉर्म देना ही मेरा मकसद है। राजनीतिक पॉडकास्टिंग में नया दौर शुरू हो चुका है, जहां लखनऊ की धड़कन दिल्ली को चुनौती दे रही है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी से निकलने वाला ब्रजेश मिश्रा का पॉडकास्ट शो राजनीतिक गलियारों में तूफान ला रहा है। पॉडकास्ट की दुनिया में कदम रखते ही उनकी चर्चा शुरू हो गई है। उनकी खासियत यही है कि जो काम वे हाथ में लेते हैं, वहां कोई मुकाबला टिक नहीं पाता।
बड़े-बड़े नेताओं के साथ घंटों लंबे, गहन संवाद वो बड़ी आसानी से कर जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, शिवपाल यादव के साथ का पॉडकास्ट पौने तीन घंटे का था, जिसमें समाजवादी पार्टी के आंतरिक कलह से लेकर यूपी की सियासी साजिशों तक के चौंकाने वाले खुलासे हुए।
वहीं, अन्य एपिसोड एक घंटे के होते हैं, लेकिन हर बार दमदार। ब्रजेश मिश्रा की पत्रकारिता का जादू यह है कि वे सवालों से नेताओं की परतें उघाड़ देते हैं, जो टीवी डिबेट्स में कभी नहीं दिखता। लखनऊ के एक छोटे स्टूडियो से शुरू यह सफर अब राष्ट्रीय स्तर पर छा गया है।
श्रोताओं की संख्या में उछाल आया है, और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे क्लिप्स ने इन्हे स्टार बना दिया है। इस हफ्ते का इंतजार सबसे रोमांचक है। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी मेहमान बन रही हैं। क्या वे अमेठी हार, बीजेपी की रणनीति या महिलाओं की राजनीति पर खुलकर बात करेंगी?
ब्रजेश के सवालों का तीर हमेशा निशाने पर लगता है। पॉडकास्ट प्रेमियों के लिए यह एपिसोड मिस न करने वाला है। ब्रजेश कहते हैं, सच्चाई की आवाज को प्लेटफॉर्म देना ही मेरा मकसद है। राजनीतिक पॉडकास्टिंग में नया दौर शुरू हो चुका है, जहां लखनऊ की धड़कन दिल्ली को चुनौती दे रही है।
मनोज सिंह एक मीडिया एग्जिक्यूटिव हैं और उनके पास 27 साल से ज्यादा का अनुभव है।
मनोज सिंह ने मैडिसन मीडिया (Madison Media) में अपने वाइस प्रेजिडेंट के पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि की है।
मनोज सिंह एक मीडिया एग्जिक्यूटिव हैं और उनके पास 27 साल से ज्यादा का अनुभव है। वैसे बता दें कि वह आठ साल से भी अधिक समय तक इस पद पर अपना योगदान देते रहे।
मनोज सिंह ने Madison के Print और Radio निवेश वर्टिकल्स का राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व किया। उनके काम में FMCG, BFSI, Auto, Corporate Retail और Real Estate जैसी कैटेगरीज के लिए मीडिया प्लानिंग और बाइंग शामिल थी।
मनोज सिंह ने अपने करियर में कई प्रमुख मीडिया एजेंसियों में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने Madison में शामिल होने से पहले Carat India (Oct 2014–Apr 2017) में वरिष्ठ पदों पर काम किया। इसके अलावा, वह Platinum (Nov 2006–Oct 2014) से भी जुड़े रहे, जहां उन्होंने मीडिया प्लानिंग और निवेश में अपनी विशेषज्ञता को और मजबूत किया।
मनोज सिंह के करियर की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में भारतीय जनता पार्टी की 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में राष्ट्रीय प्रिंट मीडिया अभियानों में उनकी अहम भूमिका शामिल है। उन्होंने कई राज्य स्तर की राजनीतिक अभियान भी संभाली हैं।
पारंपरिक मीडिया में उनके मजबूत अनुभव और जटिल अभियानों को संचालित करने की क्षमता के साथ, Singh को उच्च-मूल्य मीडिया पोर्टफोलियो प्रबंधित करने में भी दक्षता के लिए जाना जाता है।
काम के अलावा, मनोज सिंह को खेल, यात्रा और संगीत में गहरा रुचि है। उनकी अगला कदम क्या होगा, अभी जानकारी नहीं मिल पायी है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने PVR INOX के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह आदेश फिल्म एंड टेलीविजन प्रॉड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की शिकायत के बाद आया है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने PVR INOX के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोप है कि कंपनी घरेलू फिल्म प्रॉड्यूसर्स से डिजिटल सिनेमा उपकरण के लिए अनुचित तरीके से शुल्क वसूल रही है।
यह आदेश फिल्म एंड टेलीविजन प्रॉड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की शिकायत के बाद आया है। गिल्ड का कहना है कि प्रॉड्यूसर्स, खासकर छोटे स्तर पर काम करने वालों को भी वर्चुअल डिजिटल फीस (VDF) चुकाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि एनालॉग से डिजिटल प्रोजेक्शन में बदलाव कई साल पहले ही पूरा हो चुका है।
गिल्ड ने यह भी बताया है कि हॉलीवुड ने इस प्रथा को बदलाव के लगभग एक दशक बाद खत्म कर दिया था, लेकिन भारतीय प्रॉड्यूसर्स को अब भी इसका बोझ उठाना पड़ रहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, CCI ने 30 सितंबर के अपने आदेश में कहा है कि PVR INOX द्वारा प्रतिस्पर्धा कानून का prima facie उल्लंघन किया गया है। इसके साथ ही CCI ने अपने महानिदेशक को मामले की जांच कर 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
सीनियर मीडिया प्रोफेशनल अविनाश पांडेय एक अक्टूबर 2025 से IBDF के महासचिव के रूप में पदभार संभालेंगे। वे सिद्धार्थ जैन का स्थान लेंगे, जिनका इस पद पर कार्यकाल 30 सितंबर 2025 को समाप्त हो रहा है।
देश में टेलिविजन ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधित्व वाले प्रमुख संगठन ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन‘ (IBDF) की कमान एक बार फिर 'जियोस्टार' (JioStar) के एंटरटेनमेंट बिजनेस (टीवी और डिजिटल) के सीईओ केविन वज के हाथों में आ गई है।
सोमवार को ‘IBDF’ ने नई दिल्ली में अपनी 26वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) आयोजित की। केविन वज का अध्यक्षता में हुई इस बैठक में इंडस्ट्री के कई प्रमुख लीडर्स ने हिस्सा लिया और सेक्टर के प्रदर्शन की समीक्षा के साथ भविष्य की रणनीति पर चर्चा की।
बैठक को संबोधित करते हुए केविन वज ने लीनियर टीवी की मजबूत स्थिति पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘भले ही वैश्विक और आर्थिक चुनौतियां हों, लीनियर टीवी की बुनियादी ताकतें अभी भी मजबूत हैं। यह भारत में कंटेंट क्रिएशन और ब्रैंड बिल्डिंग का आधार बना हुआ है।’ उन्होंने आंकड़े शेयर करते हुए बताया कि वर्ष 2024 में भारत में बने लगभग 2 लाख घंटे के मूल कंटेंट का 97 प्रतिशत हिस्सा लीनियर टीवी के लिए तैयार किया गया। इसके माध्यम से 190 मिलियन स्क्रीन पर करीब 46 ट्रिलियन मिनट की वार्षिक व्यूइंग होती है, जो यूजर-जनरेटेड वीडियो से कहीं अधिक है। उन्होंने यह भी कहा कि परिवार के साथ टीवी देखने का अनुभव इसे भारतीय घरों और संस्कृति के केंद्र में बनाए रखता है।
भविष्य की संभावनाओं पर वज ने कहा, ‘विज्ञापन राजस्व में तेजी आने की उम्मीद है, खासकर त्योहारों के मौसम और हाल ही में लागू हुए जीएसटी सुधारों से दीर्घकालिक विकास का आधार मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि टेलीविजन अब डिजिटल क्षमताओं के साथ अपने व्यापक पहुंच और विश्वास को और बढ़ाते हुए आगे बढ़ेगा। IBDF के माध्यम से एक स्थिर और भविष्य उन्मुख नियामक वातावरण सुनिश्चित करने के लिए काम जारी रहेगा।’
बैठक में केविन वज ने नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा की। सीनियर मीडिया प्रोफेशनल अविनाश पांडेय एक अक्टूबर 2025 से IBDF के महासचिव के रूप में पदभार संभालेंगे। वे सिद्धार्थ जैन का स्थान लेंगे, जिनका इस पद पर कार्यकाल 30 सितंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। बोर्ड ने जैन को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया और पांडेय का स्वागत किया।
इस मौके पर अविनाश पांडेय ने कहा, ‘मैं इस महत्वपूर्ण भूमिका को संभालने के लिए सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मेरा फोकस सरकार के साथ सकारात्मक संवाद को मजबूत करना, नियामक चुनौतियों का सामना करना और फाउंडेशन की भूमिका को इंडस्ट्री के लिए एक संयुक्त आवाज के रूप में और मजबूत करना होगा।’ बैठक में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) के सचिव संजय जाजू और अतिरिक्त सचिव प्रभात विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए।
बता दें कि समाचार4मीडिया ने विश्वनीय सूत्रों के हवाले से कुछ दिनों पहले ही खबर दी थी कि अविनाश पांडेय जल्द ही 'IBDF' में सेक्रेट्री जनरल का पद संभाल सकते हैं।
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बोर्ड के सदस्यों का चुनाव और नई नियुक्तियां
वार्षिक आम बैठक में गौरव बनर्जी (Culver Max) और आर. महेश कुमार (Sun Network) को बोर्ड में दोबारा चुना गया। इसके अलावा अनिल कुमार सिंघवी (Zee Media) को नए बोर्ड सदस्य के रूप में चुना गया।
वार्षिक आम बैठक में चुने गए पदाधिकारी
प्रेजिडेंट: केविन वज (JioStar)
वाइस प्रेजिडेंट: रजत शर्मा (India TV), गौरव बनर्जी (Culver Max), आर. महेश कुमार (Sun Network)
कोषाध्यक्ष: आई. वेंकट (Eenadu TV)
बोर्ड में अन्य सदस्यों में अरुण पुरी (TV Today Network), गौरव द्विवेदी (Prasar Bharati), जयंत मैथ्यू (MMTV), पुनीत गोयनका (Zee Entertainment) भी शामिल हैं। इसके साथ ही सुमंता बोस (JioStar), जॉन ब्रिटास (Kairali TV), नचिकेत पंतवैद्य (Culver Max) को भी शामिल किया गया।
1995 बैच की इंडियन इन्फॉर्मेशन सर्विस (IIS) अधिकारी मनीषा वर्मा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की नई प्रेस सेक्रेटरी के रूप में कार्यभार संभाल लिया है।
1995 बैच की इंडियन इन्फॉर्मेशन सर्विस (IIS) अधिकारी मनीषा वर्मा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की नई प्रेस सेक्रेटरी के रूप में कार्यभार संभाल लिया है। उन्होंने अजय सिंह का स्थान लिया है, जिनका कार्यकाल 26 सितंबर को खत्म हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मनीषा वर्मा ने शुक्रवार को अपना नया पदभार संभाला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की अपॉइंटमेंट्स कमेटी (ACC) ने 25 सितंबर को इस नियुक्ति को मंजूरी दी थी। मनीषा वर्मा की नियुक्ति के साथ ही राष्ट्रपति की प्रेस सेक्रेटरी का पद एक दशक बाद फिर से IIS कैडर को मिला है। आदेश के अनुसार, उनका कार्यकाल राष्ट्रपति मुर्मू के कार्यकाल के साथ समाप्त होगा, या फिर अगला आदेश आने तक चलेगा।
वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह का कार्यकाल पिछले साल 26 सितंबर को ACC ने एक साल के लिए बढ़ा दिया था। उन्होंने पिछले हफ्ते छह साल तक राष्ट्रपति भवन में सेवा देने के बाद पद छोड़ा। उन्हें सितंबर 2019 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के प्रेस सेक्रेटरी के रूप में एक साल के लिए नियुक्त किया गया था। 2020 में उनका कार्यकाल कोविंद के कार्यकाल के साथ खत्म होने तक बढ़ा दिया गया था और बाद में इसे फिर से बढ़ाकर राष्ट्रपति मुर्मू के अधीन सेवा जारी रखने का अवसर दिया गया।
राष्ट्रपति की प्रेस सेक्रेटरी को है 30 साल का अनुभव
मनीषा वर्मा के पास सरकारी संचार में लगभग तीन दशकों का अनुभव है। हाल ही में उन्होंने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में काम किया, जहां वह 12 साल तक मंत्रालय की मीडिया अधिकारी रहीं और कोविड-19 महामारी के दौरान संचार का जिम्मा संभाला।
राष्ट्रपति कार्यालय में काम करने वाली पिछली IIS अधिकारी अर्चना दत्ता थीं, जिन्होंने 2007 से 2012 तक राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अधीन अधिकारी ऑन स्पेशल ड्यूटी (पब्लिक रिलेशंस) के रूप में काम किया। उनसे पहले सीबीआई के लंबे समय तक मीडिया अधिकारी रहे एस. एम. खान को राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने अपना प्रेस सेक्रेटरी चुना था। यह पहली बार था जब किसी IIS अधिकारी को इस पद पर नियुक्त किया गया था।
पारंपरिक रूप से, राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी का पद भारतीय विदेश सेवा (IFS) के अधिकारियों के पास रहा है। दरअसल, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 1990 के दशक में राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के प्रेस सेक्रेटरी और स्पीच राइटर के तौर पर काम किया था।
कलाम ने इस परंपरा को तोड़ते हुए IIS कैडर के एस. एम. खान को शामिल किया। हालांकि, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2012 से 2017 तक प्रेस सेक्रेटरी के रूप में IFS अधिकारी वीनू राजामोनी को चुना। वहीं, कोविंद ने वरिष्ठ पत्रकार अशोक मलिक को प्रेस सेक्रेटरी नियुक्त किया, जो इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले निजी व्यक्ति बने। उनके बाद अजय सिंह ने यह जिम्मेदारी संभाली।