‘सच कहता हूं भाभी कि मैं जिस दिन अपने दुश्मन का भी बुरा सोचूं, वही दिन...
डॉ. उपेंद्र अयोध्या
चीफ न्यूज को-आर्डिनेटर/नेशनल ब्यूरो चीफ,
दैनिक ट्रिब्यून ।।
‘सच कहता हूं भाभी कि मैं जिस दिन अपने दुश्मन का भी बुरा सोचूं, वही दिन मेरे जीवन का आखिरी दिन हो’, मैं चुपचाप देख रहा था 'दैनिक जागरण' लखनऊ के क्राइम रिपोर्टर-उपसंपादक अजय शुक्ल से लेकर ‘इंडिया न्यूज’ चैनल और ‘आज समाज’ के चीफ एडिटर अजय शुक्ल के व्यक्तित्व में आए परिवर्तनों को। हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और चंडीगढ़ की महामहिम हस्तियों में शुमार अजय शुक्ल भले ही यह कहते हैं कि मैं परमपिता परमेश्वर से यही कामना करता हूं कि मेरे हाथों कभी किसी का बुरा न हो। लेकिन, सच तो यह है कि ‘इंडिया न्यूज’ की खबरों, उनके डायरेक्ट एक्शन सरीखे टीवी प्रोग्राम ‘सामना सवालों का’ का निशाना बनने वाली राजनीतिक-सामाजिक हस्तियों, बीते दो साल पहले तक बतौर दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ आगरा-अलीगढ़ के संपादक अजय की न्यूज ड्रिल्स और ड्राइव्स का शिकार होने वाले लोगों को तो अजय शुक्ल नामक यह प्राणी किसी मूडी और जुनूनी शहंशाह से कम नहीं लगता। मित्र और परिचितों को भी यह कहने में कोई गुरेज नहीं होगा कि अजय शुक्ल में जबर्दस्त जुनून भी है और जिस खबर या मामले के पीछे वह पड़ जाएं, उसे पूरा करने के लिए हद तक चले जाने की जिद भी।
पिछले साल की वो दोपहर अभी भी याद है, जब आंगन में कटहल और लीची के पेड़ों से छन-छनकर बालकनी की बाउंड्री पर लैब्राडॉर पप्पी की तरह उछलती-ठुमकती गुलाबी धूप सुकुल जी के सुर्खलाल चेहरे पर मानो रूज पाउडर का मेकअप लगा रही थी। गोरे-गोरे गालों पर बालसुलभ मुस्कान, लग ही नहीं रहा था कि यही हैं चंडीगढ़ के क्लोज जर्नलिस्टिक सर्किल के ‘सुकुल जी महाराज’ जो आज पूरे 46 बरस के हो गए। कभी पत्रकार हुआ करते थे, अब टीवी के स्टार हो गए, पर कुदरत का करिश्मा कहिए या आराध्य भोले बाबा की मस्ती का रंग, ‘इंडिया न्यूज’ के लोकप्रिय प्रोग्राम ‘सामना सवालों का’ के लिए चीफ एडिटर (मल्टीमीडिया) अजय शुक्ल को तैयार करने में उनके मेकअप आर्टिस्टों को जरा भी मशक्कत नहीं करनी पड़ती।
1994 की 16 मार्च को मेरा बर्थडे मनाने ‘दैनिक जागरण’ लखनऊ के साथी पत्रकारों की जो मंडली जुटी, उसमें सबसे यंग और बच्चों जैसे तन-बदन और मन वाले ट्रेनी अजय शुक्ल ने मेरी श्रीमती जी पर न जाने कौन सा जादू कर दिया कि उस दिन से आज तक बीते 28 बरसों के दौरान अजय अपनी भाभी के सर्वाधिक प्रिय देवर बने हुए हैं। इतने अनौपचारिक कि आज लंच टाइम के ठीक पहले घर आ धमके और कहा कि भाभी जरा चाय पिलाइए और आशीर्वाद दीजिए। चाय की चुस्कियों के बीच किसी का फोन आया तो सहसा अजय शुक्ल का संपादकत्व जाग उठा और वह जोर-जोर से किसी सज्जन को सज्जनता का पाठ पढ़ाने लगे। श्रीमती जी ने टोका, ‘जाने भी दो, भैया, इतना गुस्सा क्यूं करते हो किसी पर? गले में पड़ी मोतियों की माला का कुछ असर नहीं पड़ रहा क्या?’ शर्माते हुए अजय का चेहरा बालमुकुंद की किरणों सा अरुणाभ हो उठा और कुर्सी से आधा उठकर मेरी श्रीमती जी से मुखातिब हुए और उत्तेजना में सुर्खलाल चेहरे के साथ बोल पड़े कि प्रोफेशनली वह ना काहू से दोस्ती और ना काहू से बैर की अवधारणा पर चलते हैं, किंतु बुरा किसी बुरे का भी नहीं चाहते।
दरअसल, नरम-गरम अजय शुक्ल पर भोले शंकर की कृपा भी है और छाया भी। प्रसन्न हो गए तो अवघट दानी, कुपित हो गए तो तांडव। श्रीमती जी याद करती हैं कि शादी के बाद दुनिया पत्नी के साथ हनीमून पर रोमांटिक पर्यटन स्थलों का रुख करती है, लेकिन अजय अमिता को शादी के बाद लेकर पहुंच गए काशी विश्वनाथ के दर्शन करने और दशाश्वमेध घाट पर गंगाचमन कर अपनी भाभी के हाथों की ठंडी लस्सी के गिलास पर जमती पिघलती बर्फ को ही मान लिया स्नोफॉल।
अजय से मेरा सीधा संपादकीय रिश्ता तब कायम हुआ जब मैं ‘दैनिक जागरण’ फैजाबाद का ब्यूरो चीफ हुआ करता था। यह बात है 1994 की, तब मोबाइल का जमाना नहीं था और जागरण समूह में उस दौरान दो टेलिफोन हॉटलाइन हुआ करती थीं। एक हॉटलाइन जागरण मुख्यालय कानपुर से राजधानी स्थित लखनऊ कार्यालय के बीच और दूसरी लखनऊ से फैजाबाद ब्यूरो के बीच। अजय लखनऊ मुख्यालय में फैजाबाद एडिशन की डेस्क देख रहे थे और मैं था फैजाबाद ब्यूरो चीफ। हम दोनों के बीच अक्सर हॉटलाइन पर लंबी नोकझोंक होती रहती थी। मेरी प्राथमिकता थी लेटेस्ट खबरें लगवा लेने की, अजय की जिम्मेदारी थी समय पर एडिशन छोड़ने की। इसी दायित्व निर्वहन के द्वंद्व में कई बार गरमागरमी भी हुई। अजय यहां तक कह दिया करते कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं कल से ड्यूटी पर ही नहीं आऊंगा। आप लोग संभालिए अखबार। हालांकि यह बात दूसरी है कि अजय तो जागरण में ही बने रहे और मैं 1996 में अखबार की दुनिया छोड़कर निकल लिया राकफेलर फाउंडेशन की फेलोशिप के तहत रिसर्च करने। यह बात और है कि विदाई की घड़ी में सबसे रुंधा गला दो ही लोगों का रहा। एक अजय शुक्ल और दूसरे रमाशरण अवस्थी, जो आज भी जागरण के फैजाबाद ब्यूरी चीफ हैं।
अजय के साथ दूसरी पारी रही दैनिक ‘कुबेर टाइम्स’ में। ‘दैनिक जागरण’ के समाचार संपादक रहे तड़ित दादा (तड़ित कुमार) के नेतृत्व में जागरण की जो टीम टूटकर उनके साथ चली आई और हाईफाई संपादक घनश्याम पंकज व तड़ित दादा के बीच सैंडविच होने के बावजूद कमाल का परफॉर्मेंस दिखा गई, अजय उस टीम के क्राइम रिपोर्टर थे और मैं मेट्रो एडिटर। अजय के दुस्साहसिक कारनामे यूपी के पत्रकारीय जगत ने उसी दौर में देखे, जब मर्डर होने के मिनटों के भीतर खबर ‘कुबेर टाइम्स’ के न्यूज रूम में लैंड कर चुकी होती थी, बल्कि कई बार तो मुझे यह भी लगा कि अजय को मर्डर होने के पहले से ही इसकी भनक थी। ‘टाइम्स फिल्म’ में तो बहुत बाद में यह दृश्य फिल्मी परदे पर देखने को मिला, जिसे देखते हुए यही लगा कि अजय शुक्ल ही इस फिल्म का दुस्साहसिक हीरो है।
‘कुबेर टाइम्स’ को ताला लगा तो अजय हमारे पीछे ‘अमर उजाला’ चंडीगढ भी पहुंच गए। साल था 1999 का, किंतु क्राइम शिरोमणि अजय को धर्मनगरी अमृतसर बहुत दिन बांध नहीं पाई और उन्हें मोटर साइकिल पर अमृतसर से लखनऊ व लखनऊ से रांची ‘हिन्दुस्तान’ क्रास कंट्री दौड़ लगाते भी हमने देखा। फिर अजय का नया रूप देखने को मिला 2004 में, जब मैं ‘हिन्दुस्तान’ वाराणसी पहुंच गया था और अजय आधी रात को बरसते पानी में अपनी मारुति वैन लेकर केवल भोले शंकर का दर्शन करने वाराणसी पहुंच जाते और दर्शन करके फौरन लौट जाते।
अजय शुक्ल के कदम बढ़ते गए, शहर बदलते गए, किंतु विधि को हम दो भाइयों की दूरी ज्यादा बर्दाश्त नहीं होती, या यूं कह लें कि अजय के फक्कड़पन और फकीरी को ब्रेक लगाने को 'गणपति बप्पा' मुझे उनके आसपास ही रखते रहे, वह गणपति बप्पा जिसका दरबार हर साल अजय शुक्ल के घर में सजता है और वह अजय शुक्ल जो जब भी मूड आ जाए, साल-साल भर तक बगैर अन्न खाए दुग्धाहार पर तपस्या करते हुए अपना पत्रकारीय जुनून को जीवंत बनाए रखते हैं। ऐसा है इंडिया न्यूज समूह का संपादकीय चेहरा अजय शुक्ल।
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आलोक नायर पूर्व में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘नेटवर्क18’ और ‘ब्लूमबर्ग’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया ब्रैंड्स में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
म्यूजिक टेलिविजन नेटवर्क ‘9एक्स मीडिया’ (9X Media) ने आलोक नायर को चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया है। वह पवन जेलखानी के स्थान पर यह जिम्मेदारी संभालेंगे, जिन्होंने पिछले दिनों अपनी एंटरप्रिन्योरशिप पारी शुरू करने के लिए यहां से इस्तीफा दे दिया है। आलोक नायर ‘9एक्स मीडिया’ के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप गुहा को रिपोर्ट करेंगे। नेटवर्क को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए आलोक नायर ‘9एक्स मीडिया’ की एग्जिक्यूटिव टीम और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ मिलकर काम करेंगे।
आलोक को मीडिया और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने का काफी अनुभव है। पूर्व में वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘नेटवर्क18’ और ‘ब्लूमबर्ग’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया ब्रैंड्स में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
आलोक नायर की नियुक्ति के बारे में प्रदीप गुहा का कहना है, ‘महामारी के कारण तमाम उद्धोग धंधे प्रभावित हुए हैं। 9X मीडिया में हमने नई वास्तविकता को अपनाने और प्रतिकूलताओं के ढेर में छिपे अवसरों को तलाश करने के लिए कमर कस ली है। आलोक की नियुक्ति इसी स्ट्रैटेजी का हिस्सा है और कंपनी को उनके अनुभवों का काफी लाभ मिलेगा।’
वहीं, आलोक नायर का कहना है, ‘9X मीडिया की युवा और प्रतिभाशाली टीम में शामिल होने पर मैं बहुत खुश हूं। मैं प्रदीप गुहा के साथ काम करने को लेकर काफी उत्सुक हूं और पवन जेलखानी को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।’
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उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में आरएलडी नेता जयंत चौधरी की किसान महापंचायत को कवर करने पहुंचे ‘एबीपी न्यूज’ के सीनियर कॉरेस्पोंडेंट रक्षित सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने भरे मंच से अपने इस्तीफे का ऐलान किया।
इस्तीफे का ऐलान करते हुए रक्षित ने कहा कि यह पत्रकारिता इसलिए चुनी, क्योंकि उन्हें सच दिखाना था, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करने दिया जा रहा है।
अपने इस्तीफे के बाद रक्षित ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक के बाद एक तीन वीडियो भी पोस्ट किए। इस वीडियों में पत्रकार रक्षित कहते है, ‘मैं 15 सालों से पत्रकारिता में हूं। हमेशा सच्चाई के साथ काम किया है। कई संस्थानों में काम किया, लेकिन मेरे खिलाफ एक भी पैसे का आरोप नहीं है। इतना मुश्किल फैसला इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें किसान आंदोलन का सच दिखाने से रोका जा रहा है। इसलिए नौकरी छोड़ रहा हूं।’
साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा समय आ गया है जब कई मीडिया संस्थानों के पत्रकारों को अपनी आईडी त्यागकर रिपोर्टिंग करनी होगी। मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता था। इसलिए मैंने इस्तीफा दे दिया।
वहीं इस मामले पर एबीपी न्यूज की ओर से भी एक बयान जारी किया गया है। चैनल के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम एबीपी नेटवर्क में नैतिक पत्रकारिता के उच्चतम स्तर पर विश्वास करते हैं और ऐसी कठोर नीतियां हैं जिनके कारण हमारे संवाददाता निष्पक्षता, स्वतंत्रता, पत्रकारिता नैतिकता और संपादकीय सिद्धांत का पालन करते है। तथ्य आधारित रिपोर्टिंग हमेशा हमारी संपादकीय नीति के लिए केंद्रीय रही है। हम यह देखकर हैरान और दुखी हैं कि हमारे एक पत्रकार ने निजी उद्देश्यों से हमारे ब्रैंड का दुरुपयोग किया है और नेटवर्क के संबंध में गलत टिप्पणी की है।
बता दें कि रक्षित एबीपी न्यूज के साथ पिछले करीब आठ वर्षों से जुड़े हुए थे और बैंकिंग और फाइनेंस की रिपोर्टिंग कर रहे थे। रक्षित एबीपी न्यूज से पहले ‘बिजनेस भास्कर’ के साथ कार्यरत थे। वे यहां साल 2008 से 2013 तक रहे और सीनियर कॉरेस्पोंडेंट के तौर पर उन्होंने टेलिकॉम, ऑटोमोबाइल्स के साथ-साथ मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर भी कवर किया।
देहरादून के डीएवी कॉलेज से मास कम्युनिकेशन व जर्नलिज्म की पढ़ाई करने वाले रक्षित ने राजस्थान पत्रिका के साथ भी सब एडिटर के तौर पर काम किया है।
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अंग्रेजी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में अमेरिकी प्रशासन ने बड़ा खुलासा किया है। दरअसल, अमेरिकी खुफिया विभाग की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने ही निर्वासन में रह रहे सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या की मंज़ूरी दी थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बाइडन प्रशासन ने शुक्रवार को जारी एक खुफिया रिपोर्ट में कहा है कि सऊदी युवराज ने उस योजना को अपनी सहमति दी थी, जिसके तहत अमेरिका में रह रहे खशोगी को या तो जिंदा पकड़ने या मारने का फैसला किया गया था। यह पहला मौका है जब अमेरिका ने खशोगी की हत्या के लिए सीधे पर तौर सऊदी क्राउन प्रिंस का नाम लिया है, हालांकि सऊदी युवराज इनकार करते रहे हैं कि उन्होंने खशोगी की हत्या के आदेश दिए थे।
वहीं, सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को लेकर बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है, 'सऊदी की सरकार जमाल खशोगी के मामले में अपमानजनक और गलत निष्कर्ष तक पहुंचने वाली अमेरिकी रिपोर्ट को सिरे से खारिज करती है। हम इस रिपोर्ट को अस्वीकार करते हैं। इस रिपोर्ट में गलत निष्कर्ष निकाला गया है।'
गौरतलब है कि सऊदी अरब के शहजादे के आलोचक रहे खशोगी की दो अक्टूबर 2018 में उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह अपनी मंगेतर से शादी रचाने के लिए आवश्यक कागजात लेने इस्तांबुल में अपने देश के वाणिज्य दूतावास में गए थे। इसके बाद से वह लापता हो गए थे। शुरू में उनके लापता होने पर रहस्य बन गया था। तुर्की के अधिकारियों ने सऊदी अरब पर उनकी हत्या करने और उनके शव को ठिकाने लगा देने का आरोप लगाया था। हालांकि सऊदी अरब ने बाद में यह माना कि खशोगी की हत्या की गई, लेकिन उनकी हत्या में खुद की किसी संलिप्तता से इनकार किया था।
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‘सोनी म्यूजिक इंडिया’ (SMI) ने संगीता अय्यर को डायरेक्टर (प्रमोशंस) के पद पर नियुक्त करने की घोषणा की है। अपनी इस भूमिका में संगीता अय्यर मीडिया चैनल्स में ‘सोनी म्यूजिक इंडिया’ की प्रमोशन स्ट्रैटेजी और एक्टिविटीज का नेतृत्व करेंगी। वह ‘सोनी म्यूजिक इंडिया’ के मैनेजिंग डायरेक्टर रजत कक्कड़ को रिपोर्ट करेंगी।
इस बारे में रजत कक्कड़ का कहना है, ‘कंपनी में संगीता के शामिल होने पर हम बहुत उत्साहित हैं। संगीता को देश के उभरते हुए मीडिया परिदृश्य की गहरी समझ है और कंपनी को उनके अनुभवों का काफी लाभ मिलेगा।’
वहीं, संगीता अय्यर का कहना है, ‘सोनी म्यूजिक इंडिया और इसकी बेहतरीन टीम में शामिल होने पर मैं बहुत खुश हूं। सोनी म्यूजिक के नेतृत्व में भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री एक नए युग का निर्माण करने में जुटी है। यह देश भर में तमाम शैलियों और भाषाओं में गहरी भागीदारी प्रदान करने के साथ ही कलाकारों और प्रशंसकों के लिए आकर्षक कंटेंट प्रदान करती है।’
करीब दो दशक के अपने करियर में संगीता रेडियो, रिटेल और एडवर्टाइजिंग के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखा चुकी हैं। पूर्व में वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘रिलायंस मीडिया नेटवर्क’ और ‘स्टार नेटवर्क’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ काम कर चुकी हैं।
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केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स के लिए गुरुवार को गाइडलाइंस जारी कर दी हैं। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार की दोपहर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की। नई गाइडलाइंस के दायरे में फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और नेटफ्लिकस, अमेजॉन प्राइम और हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आएंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मौके पर केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना था, 'सरकार का मानना है कि मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए एक लेवल-प्लेइंग फील्ड होना चाहिए इसलिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ेगा। लोगों की मांग भी बहुत थी।' प्रकाश जावड़ेकर ने कहा जिस तरह फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड हैं, टीवी के लिए अलग काउंसिल बना है उसी तरह ओटीटी के लिए भी नियम लाए जा रहे हैं। लगातार मिल रही शिकायतों के बाद सरकार ने नए नियम लागू करने पर विचार किया है। उनका कहना था कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के पास किसी तरह का कोई बंधन नहीं है। इसलिए तमाम आपत्तिजनक सामाग्रियां बिना किसी रोकटोक के दिखाई जाती हैं। इसी के मद्दे नजर सरकार को ये लगता है कि सभी लोगों को कुछ नियमों का पालन करना होगा।
We have decided to have 3 tier mechanism for OTT platforms;
— PIB India (@PIB_India) February 25, 2021
▪️OTT and Digital news media have to disclosed their details
▪️Grievance redressal system for Digital and OTT platforms
▪️Self regulatory body headed by retired SC or HC judge
Union Minister @PrakashJavdekar pic.twitter.com/6QdCK44yxA
वहीं, रविशंकर प्रसाद का कहना था, ‘सोशल मीडिया कंपनियों का भारत में कारोबार करने के लिए स्वागत है। इसकी हम तारीफ करते हैं। व्यापार करें और पैसे कमांए। सरकार असहमति के अधिकार का सम्मान करती है लेकिन यह बेहद जरूरी है कि यूजर्स को सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर सवाल उठाने के लिए फोरम दिया जाए।’ प्रसाद ने कहा, ’हमारे पास कई शिकायतें आईं कि सोशल मीडिया पर मार्फ्ड तस्वीरें शेयर की जा रही हैं। आतंकी गतिविधियों के लिए इनका इस्तेमाल हो रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग का मसला सिविल सोसायटी से लेकर संसद और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।’
Guidelines for Social Media Platforms
— PIB India (@PIB_India) February 25, 2021
A Grievance redressal mechanism should be developed and there should be a Grievance Redressal Officer
Should be registered within 24 hours and disposed in 15 days: Union Minister @rsprasad#ResponsibleFreedom #OTTGuideline pic.twitter.com/8A0DQycQqe
सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस
- इसमें दो तरह की कैटिगरी हैं: सोशल मीडिया इंटरमीडियरी और सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडियरी।
- सबको शिकायत निवारण व्यवस्था (ग्रीवांस रीड्रेसल मैकेनिज्म) बनानी पड़ेगी। 24 घंटे में शिकायत दर्ज करनी होगी और 14 दिन में निपटाना होगा।
- अगर यूजर्स खासकर महिलाओं के सम्मान से खिलवाड़ की शिकायत हुई तो 24 घंटें में कंटेंट हटाना होगा।
- सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया को चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर रखना होगा जो भारत का निवासी होगा।
- एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन रखना होगा जो कानूनी एजेंसियों के चौबीसों घंटे संपर्क में रहेगा।
- मंथली कम्प्लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी।
- सोशल मीडिया पर कोई खुराफात सबसे पहले किसने की, इसके बारे में सोशल मीडिया कंपनी को बताना पड़ेगा।
- हर सोशल मीडिया कंपनी का भारत में एक पता होना चाहिए।
- हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास यूजर्स वेरिफिकेशन की व्यवस्था होनी चाहिए।
- सोशल मीडिया के लिए नियम आज से ही लागू हो जाएंगे। सिग्निफिकेंड सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को तीन महीने का वक्त मिलेगा।
ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए गाइडलाइंस
- ओटीटी और डिजिटल न्यूज मीडिया को अपने बारे में विस्तृत जानकारी देनी होगी। रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है।
- दोनों को ग्रीवांस रीड्रेसल सिस्टम लागू करना होगा। अगर गलती पाई गई तो खुद से रेगुलेट करना होगा।
- ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को सेल्फ रेगुलेशन बॉडी बनानी होगी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या कोई नामी हस्ती हेड करेगी।
- सेंसर बोर्ड की तरह ओटीटी पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन की व्यवस्था हो। एथिक्स कोड टीवी, सिनेमा जैसा ही रहेगा।
- डिजिटल मीडिया पोर्टल्स को अफवाह और झूठ फैलाने का कोई अधिकार नहीं है।
गौरतलब है कि लंबे समय से नेटफ्लिक्स और अमेजॉन प्राइम जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने पर बहस चल रही थी। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर केंद्र सरकार से अब तक की गई कार्रवाइयों पर जवाब दाखिल करने को कहा था।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि वह ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित करने के मुद्दे पर कुछ कदम उठाने पर विचार कर रही है।
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पुलिस ने मध्य प्रदेश के दतिया जिले में एक फर्जी पत्रकार को गिरफ्तार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पकड़ा गया फर्जी पत्रकार कई बड़े न्यूज चैनल्स और अखबारों के फर्जी आईडी बनवाकर क्षेत्र में अवैध रूप से वसूली कर रहा था।
आरोपी ने अपना एक होर्डिंग भी छपवाकर दतिया व्यापार मेले के बाहर लगा दिया था, जिसमें उसने खुद को मीडिया पार्टनर बताया था। अन्य पत्रकारों ने जब अपने चैनलों का नाम और फर्जी पत्रकार का नाम देखा तो कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने करीब 21 वर्षीय इस फर्जी पत्रकार को उसके घर से कई दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार कर लिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार देर रात स्थानीय पत्रकार ने राजघाट कॉलोनी महावीर वाटिका निवासी अनुज पुत्र अनिल गुप्ता पर फर्जी पत्रकार बनकर लोगों से अवैध वसूली करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एसपी अमन सिंह राठौड़ के निर्देश पर सोमवार को पुलिस ने आरोपी के घर दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ करने पर अनुज के पास कई चैनलों और अखबारों के साथ पीआरओ का लेटर फ्रेम में जड़ा हुआ मिला। कई युवक-युवतियों को पत्रकार बनाने संबंधी दस्तावेज व नियुक्ति पत्र भी आरोपी के घर से जब्त किए गए। पुलिस अनुज से पूछताछ कर रही है।
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डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म thequint.com के स्वामित्व वाली और संचालक कंपनी ‘क्विंट डिजिटल मीडिया’ (Quint Digital Media) को कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर रितु कपूर को पुन: नामित (re-designate) किए जाने के प्रस्ताव को शेयरहोल्डर्स (Shareholders) की मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही कंपनी को वंदना मलिक को नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को भी शेयरहोल्डर्स से मंजूरी मिल गई है। यह नियुक्ति पांच साल के लिए होगी।
‘क्विंट डिजिटल मीडिया’ ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को इस बारे में जानकारी दी है। बताया जाता है कि 20 जनवरी को एक मीटिंग में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने रितु कपूर को कंपनी के एमडी और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर पद पर नियुक्त किए जाने को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी थी। इस निर्णय पर शेयरधारकों की मुहर लगनी बाकी थी।
बता दें कि कंपनी ने 30 दिसंबर 2020 को जानकारी दी थी कि राघव बहल ने कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी का कहना था कि 29 दिसंबर 2020 के बाद मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से राघव बहल का इस्तीफा प्रभावी हो गया है। हालांकि, बहल कंपनी के बोर्ड में नॉन-एग्जिक्यूटिव प्रमोटर डायरेक्टर के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे। 29 दिसंबर को कंपनी के एमडी राघव बहल के इस्तीफे के बाद क्विंट डिजिटल मीडिया की सीईओ रितु कपूर को एमडी का अतिरिक्त पद सौंपा गया था।
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चीन ने पिछले साल गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में मारे गए अपने सैनिकों की संख्या पर सवाल उठाने वाले अपने ही तीन पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन के अधिकारियों का कहना है कि तीनों को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तार किए गए पत्रकारों में इकनॉमिक ऑब्जर्वर के साथ काम कर चुके 38 वर्षीय किउ जिमिंग भी शामिल हैं। किउ के अलावा एक ब्लॉगर को बीजिंग से अरेस्ट किया गया है, वहीं 25 वर्ष के एक ब्लॉगर यांग को दक्षिण पश्चिमी सूबे सिचुआन से अरेस्ट किया गया है। किउ पर आरोप है कि उन्होंने आंकड़ों पर सवाल उठाकर सेना की शहादत का अपमान किया है। तीनों को समाज में गलत प्रभाव डालने वाली जानकारी देने के आरोप में अरेस्ट किया गया है।
दरअसल, कुछ दिनों पूर्व ही चीनी सेना ने आधिकारिक तौर पर बताया था कि पिछले साल 15 जून को भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प में उसके चार सैनिकों की मौत हुई थी और एक सैनिक की मौत बाद में हुई थी। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे।
उस वक्त चीनी सेना ने कोई आंकड़ा जारी नहीं किया था, लेकिन तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में 40 से 50 सैनिकों की मौत की बात कही गई थी। हालांकि चीन ने अब करीब आठ महीने बाद अपने सैनिकों की मौत की बात तो स्वीकारी, लेकिन आंकड़ा सिर्फ चार का ही दिया। चीन सरकार के इसी आंकड़े पर किउ ने सवाल उठाया था। उन्होंने यह आंकड़ा कुछ ज्यादा होने की बात कही थी। इसके साथ ही किउ ने चीन सरकार की ओर आठ महीनों के बाद आंकड़ा जारी करने पर भी सवाल उठाया था।
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‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण’ (TRAI) ने समयबद्ध फैसले के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से न्यू टैरिफ ऑर्डर-2.0 (NTO 2.0) के मामले को तत्काल सूचीबद्ध (Listing) करने की गुजारिश की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘ट्राई’ ने न्यू टैरिफ ऑर्डर-2.0 के मामले को इसी महीने सूचीबद्ध करने के लिए कहा है, ताकि इस पर फैसला आ सके। रिपोर्ट के अनुसार, ‘ट्राई’ के चेयरमैन पीडी वाघेला उपभोक्ताओं के हितों को मद्देनजर नए टैरिफ ऑर्डर को जल्द से जल्द लागू कराना चाहते हैं।
बता दें कि पिछले साल जनवरी में ट्राई ने नए न्यू टैरिफ ऑर्डर (NTO 2.0) को लागू करने का आदेश दिया था, जिसके बाद ब्रॉडकास्टर्स के ग्रुप ने बॉम्बे हाई कोर्ट में ट्राई के आदेश को चुनौती दी थी। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
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अर्जेंटीना (Argentina) में कोराना वायरस टीकाकरण (Corona Vaccination) को लेकर प्राथमिकता समूह से बाहर के लोगों को टीका दिए जाने पर विवाद इस कदर गहरा गया कि यहां के स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा तक देना पड़ गया। दरअसल, विवाद के बीच अर्जेंटीना (Argentina) के राष्ट्रपति अल्बर्टों फर्नांडीज ने स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देने को कहा दिया था, जिसके बाद उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
स्वास्थ्य मंत्री पर आरोप लगा है कि उन्होंने टीकाकरण के लिए प्राथमिकता समूह में नाम न होने के बावजूद एक मशहूर स्थानीय पत्रकार को टीका दिए जाने की सिफारिश की।
राष्ट्रपति ने अपने ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ से स्वास्थ्य मंत्री गिनीज गोंजालेज गार्सिया को तुरंत इस्तीफा देने का आदेश देने को कहा, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कोरोना वायरस से निपटने को लेकर गार्सिया प्रभार संभाल रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकार होरासिओ वेरबिट्सकी ने मंत्री गार्सिया से टीकाकरण का अनुरोध किया था और मंत्री ने उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय बुलाया था। वहां शुक्रवार को उन्हें स्पूतनिक वी के टीके की खुराक दी गई थी।
वैसे यहां ऐसे कई मामले आए हैं जब मेयर, सांसदों, कार्यकर्ताओं, सत्ता के करीबी लोगों को टीके दिए गए, जबकि प्राथमिकता समूह में उनका नाम नहीं था। हालांकि प्राथमिकता के तहत देश में सबसे पहले डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्गों को टीके दिए जाने हैं। अर्जेंटीना में कोविड-19 से 20 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और 50,857 लोगों की मौत हुई है।
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