दीपिका यादव इससे पहले ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat) में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं, जहां से उन्होंने पिछले दिनों इस्तीफा दे दिया था।
टीवी पत्रकार दीपिका यादव ने हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ (India TV) के साथ मीडिया में अपने नए सफर की शुरुआत की है। उन्होंने यहां पर बतौर एंकर कम सीनियर करेसपॉन्डेंट जॉइन किया है।
बता दें कि दीपिका यादव इससे पहले ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat) में करीब साढ़े तीन साल से सीनियर करेसपॉन्डेंट के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं और सुबह सात बजे का प्राइम टाइम शो होस्ट करती थीं। उन्होंने पिछले दिनों ही यहां से इस्तीफा दे दिया था।
मूल रूप से गुजरात की रहने वाली दीपिका को मीडिया में काम करने का करीब पांच साल का अनुभव है। अपनी पढ़ाई-लिखाई गुजरात से करने के बाद उन्होंने ‘नेटवर्क18’ (हैदराबाद) से मीडिया में अपने करियर की शुरुआत की थी। दीपिका पूर्व में ‘एबीपी न्यूज’ और ‘जी न्यूज’ जैसे प्रतिष्ठित न्यूज चैनल्स में भी काम कर चुकी हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से दीपिका यादव को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
मौजूदा कानून की तीन-स्तरीय श्रेणी प्रणाली (प्रतिबंधित ऑनलाइन मनी गेम्स, कौशल-आधारित गेम्स और ईस्पोर्ट्स) ने एजेंसीज के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
गेमिंग क्लाइंट्स के साथ काम करने वाली क्रिएटिव एजेंसीज को अब राहत की उम्मीद जगी है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को स्टेकहोल्डर्स को आश्वासन दिया कि यदि स्पष्टता की समस्या बनी रहती है तो सरकार ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेगुलेशन) अधिनियम, 2025 (PROGA) में संशोधन पर विचार करेगी। यह आश्वासन विज्ञापन जगत के लिए एक राहत की तरह आया है, जो अब तक असमंजस में थे और ब्रैंड मैनेजर्स यह समझने में संघर्ष कर रहे थे कि उनके कैंपेन किन गेमिंग फॉर्मेट्स पर आधारित हो सकते हैं।
मौजूदा कानून की तीन-स्तरीय श्रेणी प्रणाली (प्रतिबंधित ऑनलाइन मनी गेम्स, कौशल-आधारित गेम्स और ईस्पोर्ट्स) ने एजेंसीज के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। कई गेमिंग फॉर्मेट इन तय श्रेणियों में ठीक से फिट नहीं बैठते, जिसके कारण इंडी स्टूडियो और कम्युनिटी संचालित गेमिंग प्लेटफॉर्म्स रेगुलेटरी अनिश्चितता में फंसे हुए हैं।
क्रिएटिव डायरेक्टर्स के लिए यह उलझन और भी गंभीर रही है, क्योंकि वे नए कैंपेन बनाते समय लगातार इस डर से जूझते रहे कि कहीं इनोवेटिव गेमिंग फॉर्मेट्स गलती से नियामकीय सीमा का उल्लंघन न कर दें। इसी कारण कई एजेंसीज ने वेट-एंड-वॉच रणनीति अपनाई और कई गेमिंग ब्रैंड कैंपेन को रोक दिया।
एजेंसीज का कहना है कि उन्हें ऐसी रेगुलेटरी स्पष्टता चाहिए, जो रेड टेप (अनावश्यक कागजी अड़चनों) में न बदल जाए। उनका मानना है कि अत्यधिक अनुपालन की शर्तें छोटे गेमिंग क्लाइंट्स के लिए क्रिएटिव पार्टनरशिप को असंभव बना सकती हैं।
समानांतर बैठकों में रेजरपे, फोनपे और स्ट्राइप जैसी पेमेंट कंपनियों की मौजूदगी ने क्रिएटिव इंडस्ट्री की एक और बड़ी चुनौती को उजागर किया। गेमिंग ब्रैंड्स के कैंपेन का क्रियान्वयन कठिन हो गया है, क्योंकि पेमेंट चैनल यह तय करने में संघर्ष कर रहे हैं कि कौन-से गेम्स अनुमत हैं और कौन-से प्रतिबंधित।
इस अनिश्चितता ने एजेंसीज की मीडिया बाइंग रणनीतियों को जटिल बना दिया है। डिजिटल कैंपेन में बार-बार बाधाएं आ रही हैं, क्योंकि पेमेंट प्रोसेसर एहतियात बरतते हुए सुरक्षित रास्ता चुन लेते हैं। शुक्रवार को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर की बैंकों और पेमेंट कंपनियों के साथ बैठक में भागीदारी से संकेत मिलता है कि जल्द ही स्पष्ट परिचालन दिशानिर्देश सामने आ सकते हैं।
हेड डिजिटल वर्क्स, जो RMG प्लेटफॉर्म A23 की पेरेंट कंपनी है, ने PROGA की संवैधानिकता को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी है। केंद्र सरकार को इस पर 8 सितंबर तक जवाब देना है।
हालांकि, वैष्णव ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत को वैश्विक ईस्पोर्ट्स लीडर बनाना सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन साथ ही जुए पर कड़ी सीमाएं भी लागू रहेंगी। इस दिशा ने क्रिएटिव रणनीतियों को कुछ स्पष्टता प्रदान की है।
पूरी तरह लागू होने से पहले और अधिक परामर्श बैठकों का वादा यह दर्शाता है कि क्रिएटिव समुदाय की ब्रैंड सेफ्टी गाइडलाइंस को लेकर चिंताओं को अब नीतिगत हलकों में सुना जा रहा है।
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने संगठन के सदस्यों की ओर से वित्त मंत्री व GST परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण को एक औपचारिक पत्र भेजा है
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने संगठन के सदस्यों की ओर से वित्त मंत्री व GST परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण को एक औपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें मौजूदा GST व्यवस्था से जुड़े दो महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया गया है, जिनका न्यूज ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री की वित्तीय स्थिति और परिचालन दक्षता पर असर पड़ रहा है।
दिनांक 28.08.2025 को लिखे अपने पत्र में, NBDA ने सम्मानपूर्वक अनुरोध किया है कि टीवी और डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री के लिए ऐडवर्टाइजिंग स्पेस, विशेष रूप से सरकारी एजेंसियों जैसे डीएवीपी (DAVP), PSUs और राज्य सरकारों को किए जाने वाले विज्ञापन में, GST के लिए करारोपण का बिंदु (point of taxation) चालान (Section 13, Central GST Act, 2017 के अंतर्गत) से बदलकर भुगतान प्राप्ति/संग्रह पर कर दिया जाए।
इसके अतिरिक्त, NBDA ने यह भी अनुरोध किया है कि कुछ खर्चों- जैसे वाहनों का किराया, भोजन एवं पेय/आउटडोर कैटरिंग, ब्यूटी ट्रीटमेंट और कर्मचारियों के लिए बीमा कवरेज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की अनुमति दी जाए, जिसे वर्तमान में सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 की धारा 17(5) के अंतर्गत प्रतिबंधित किया गया है।
वह यहां करीब दस साल से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। वह अक्टूबर 2015 में कंपनी से जुड़े थे।
‘वायकॉम18’ (Viacom 18) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) को विश्वसनीय सूत्रों से मिली इस खबर के मुताबिक रितम चक्रवर्ती ने यहां अपनी करीब दस साल लंबी पारी को विराम दे दिया है।
वह ‘वायकॉम18’ में सीनियर डायरेक्टर (Communications, Corporate Marketing & Sustainability) के पद पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह अक्टूबर 2015 में कंपनी से जुड़े थे।
इससे पहले चक्रवर्ती ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) और ‘ओएबी स्टूडियोज’ (OAB Studios) के साथ भी काम कर चुके हैं।
इसके अलावा, उन्होंने ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
डाबर का यह कदम साफ दर्शाता है कि अब भारतीय एफएमसीजी और पर्सनल केयर ब्रांड्स अपने स्थानीय मूल और विरासत को मजबूत आधार बनाकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने की रणनीति पर चल रहे हैं।
देश की अग्रणी एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने द टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने प्रमुख उत्पाद डाबर रेड टूथपेस्ट के लिए एक पूरे पन्ने का विज्ञापन प्रकाशित कर हलचल मचा दी है। विज्ञापन में टूथपेस्ट को 'The Swadeshi Choice' (स्वदेशी पसंद) के रूप में पेश करते हुए इसे भारतीय उपभोक्ताओं के लिए बना एक शुद्ध भारतीय उत्पाद बताया गया है।
इस विज्ञापन में डाबर रेड की आयुर्वेदिक विशेषताओं और 10 क्लीनिकली प्रूव्ड लाभों का उल्लेख किया गया है। खास बात यह है कि इसमें सीधे किसी ब्रांड का नाम न लेते हुए 'अमेरिकी टूथपेस्ट ब्रांड्स' पर कटाक्ष करते हुए कहा गया है – 'Born there, not here' यानी वहां पैदा हुए, यहां नहीं।
यह संदेश मौजूदा समय की उस भावना को सीधा छूता है, जिसमें उपभोक्ता विदेशी ब्रांड्स की बजाय घरेलू और स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। सरकार की 'वोकल फॉर लोकल' अपील के बीच डाबर ने यह जाहिर किया है कि वह सिर्फ टूथपेस्ट ही नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा और आयुर्वेद की धरोहर भी है।
टूथपेस्ट कैटेगरी में अब तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा रहा है। ऐसे में डाबर रेड का यह साहसिक और प्रतिस्पर्धी अंदाज उपभोक्ता राष्ट्रवाद की भावना पर सीधा असर डाल सकता है। विज्ञापन में न सिर्फ ब्रांड की भारतीय जड़ों को रेखांकित किया गया है, बल्कि इसे 'Made in India, For Indians' कहकर गर्व की भावना भी जगाई गई है।
इसके साथ ही कंपनी ने उपभोक्ताओं को हेल्पलाइन नंबर और QR कोड के जरिए जुड़ने का मौका देकर इस संवाद को सिर्फ विज्ञापन तक सीमित न रखकर इंटरएक्टिव कैंपेन का रूप भी दिया है। डाबर का यह कदम साफ दर्शाता है कि अब भारतीय एफएमसीजी और पर्सनल केयर ब्रांड्स अपने स्थानीय मूल और विरासत को मजबूत आधार बनाकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने की रणनीति पर चल रहे हैं।
जी मीडिया (Z Media) ने शनिवार को पोस्टल बैलेट प्रक्रिया के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कंपनी के सदस्यों ने दो महत्वपूर्ण पुनर्नियुक्तियों को मंजूरी दी है।
जी मीडिया (Z Media) ने शनिवार को पोस्टल बैलेट प्रक्रिया के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कंपनी के सदस्यों ने दो महत्वपूर्ण पुनर्नियुक्तियों को मंजूरी दी है।
नियामकीय प्रावधानों के तहत मिली जानकारी के अनुसार, कंपनी ने स्वतंत्र निदेशक सुशांत कुमार पांडा को दूसरे कार्यकाल के लिए पुनर्नियुक्त किया है। उनका नया कार्यकाल 1 सितंबर 2025 से 31 अगस्त 2030 तक पांच वर्षों का होगा। इसके साथ ही, दिनेश कुमार गर्ग को कंपनी का पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त किया गया है, जिनका कार्यकाल 20 सितंबर 2025 से 19 सितंबर 2028 तक तीन वर्षों का रहेगा।
सुशांत कुमार पांडा -
सुशांत कुमार पांडा 1982 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कस्टम्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स विभाग में 37 वर्षों तक सेवाएं दी और अप्रैल 2019 में सेवानिवृत्त हुए। अपने लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने वित्त मंत्रालय और राजस्व विभाग में कई वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। वे केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के सदस्य भी रहे, जो अप्रत्यक्ष कर नीति बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। इसके अलावा, उन्होंने भारत सरकार में विशेष सचिव का पद भी संभाला।
अपने करियर में श्री पांडा ने तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्यों, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय में विशेष निदेशक के रूप में विदेशी मुद्रा कानून और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून से जुड़े मामलों की जाँच की। साथ ही, उन्होंने दिल्ली स्थित केंद्रीय उत्पाद शुल्क, कस्टम्स और सेवा कर अपीलीय अधिकरण (CESTAT) में आयुक्त तथा पूर्वी जोन में मुख्य आयुक्त के रूप में भी सेवाएँ दीं। वे राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और विधि स्नातक हैं।
दिनेश कुमार गर्ग -
दिनेश गर्ग एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और वित्तीय क्षेत्र में उन्हें 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्हें वित्तीय नियंत्रण और रिपोर्टिंग, कॉरपोरेट पुनर्गठन, फंड जुटाने, आंतरिक व प्रबंधन ऑडिट और कानूनी मामलों में गहन विशेषज्ञता हासिल है।
जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड की वृद्धि में वे कंपनी की कोर टीम का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने अन्य संगठनों में भी वरिष्ठ प्रबंधन स्तर की जिम्मेदारियां निभाई हैं।
कंपनी ने कहा कि दोनों ही नियुक्तियां सभी आवश्यक नियामकीय और सांविधिक अनुमोदनों के बाद प्रभावी होंगी।
आज का दिन मीडिया जगत की एक ऐसी शख्सियत को समर्पित है, जिनकी पहचान परंपरा और नवाचार के बीच अद्भुत संतुलन बनाने की क्षमता से होती है। आज रक्तिम दास का जन्मदिन है।
आज का दिन मीडिया जगत की एक ऐसी शख्सियत को समर्पित है, जिनकी पहचान परंपरा और नवाचार के बीच अद्भुत संतुलन बनाने की क्षमता से होती है। आज रक्तिम दास का जन्मदिन है। एक ऐसे दिग्गज, जिन्होंने भारत के मीडिया परिदृश्य को अपनी सोच, दृष्टि और नेतृत्व से नई दिशा दी है।
पिछले दो दशकों में उन्होंने देश के कई प्रभावशाली मीडिया संस्थानों में अपनी छाप छोड़ी है। कभी उनकी रचनात्मक दृष्टि ने कहानियों और कंटेंट को नया आयाम दिया, तो कभी उनकी रणनीतियों ने व्यवसायिक सफलता की राह दिखाई। उनके सफर की यही खासियत है कि वे हर जगह सिर्फ योगदान नहीं देते, बल्कि उस संस्था की आत्मा में अपनी पहचान भी जोड़ जाते हैं।
यह दिन सिर्फ उनके जन्म का नहीं, बल्कि उस यात्रा का भी उत्सव है, जिसने भारतीय मीडिया जगत को और अधिक समृद्ध, सशक्त और प्रगतिशील बनाया।
रक्तिम दास ने अपनी यात्रा इंडिया टुडे ग्रुप से शुरू की, जहां उन्होंने ब्रैंडेड कंटेंट को एक गंभीर व्यावसायिक प्रैक्टिस के रूप में विकसित करने में मदद की- बहुत पहले, जब यह इंडस्ट्री मानक बनी। उन्होंने बिजनेस टुडे इंडिया को एक शीर्ष स्तरीय बिजनेस मैगजीन बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और बाद में जी बिजनेस को उसकी वृद्धि के एक महत्वपूर्ण चरण में पुनर्जीवित करने की दिशा में अग्रसर किया। जी के साथ अपने दूसरे कार्यकाल में, उन्होंने जी इनोवेशन स्टूडियो की स्थापना की- एक ऐसा केंद्र जो प्रयोग और नए विचारों का घर बना और जिसने कंपनी के रचनात्मक विस्तार को बढ़ाया।
आज, टीवी9 नेटवर्क में ब्रॉडकास्ट और डिजिटल के चीफ ग्रोथ ऑफिसर के रूप में, दास टेलीविजन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर वृद्धि का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां कंटेंट स्ट्रैटेजी, ऐड सेल्स, ब्रैंडेड कंटेंट और नए IP क्रिएशन को एक दृष्टि के तहत जोड़ा गया है। उनका नेतृत्व इंडस्ट्री-फस्ट इनीशिएटिव्स को बनाने, अवॉर्ड-विनिंग प्रॉपर्टीज तैयार करने और इस बात को फिर से परिभाषित करने में केंद्रीय रहा है कि दर्शक और ब्रैंड मीडिया के साथ कैसे जुड़ते हैं।
वे टीवी9 नेटवर्क में डिजिटल बिजनेस की P&L (लाभ और हानि) जिम्मेदारी संभालते हैं। अपने करियर की शुरुआत में ही, उन्हें 2008–10 के दौरान जी बिजनेस की टर्नअराउंड सफलता की कहानी लिखने और उसका नेतृत्व करने का श्रेय जाता है। बाद में, जी में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, उन्हें जी इनोवेशन स्टूडियो को अपने कार्यकाल में उद्योग का सर्वश्रेष्ठ बनाने का श्रेय मिला।
उनके करियर में वैश्विक ब्रैंडों को भारतीय पाठकों और दर्शकों तक लाने की उपलब्धि भी शामिल है। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू साउथ एशिया और टाइम मैगजीन से लेकर साइंटिफिक अमेरिकन और मेंस हेल्थ तक, रक्तिम ने भारत में अंतरराष्ट्रीय मीडिया टाइटल्स को लॉन्च करने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहाx वैश्विक मानकों को स्थानीय संवेदनशीलताओं के साथ मिलाया गया।
इस दिन, हम न केवल उनके प्रोफेशनल्स उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं, बल्कि एक ऐसे नवोन्मेषक की भूमिका का भी, जिन्होंने हमेशा दूसरों से पहले मीडिया का भविष्य देखा है।
सिद्धार्थ जैन ने इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) के महासचिव (सेक्रेट्री जनरल) पद से इस्तीफा दे दिया है
सिद्धार्थ जैन ने इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) के महासचिव (सेक्रेट्री जनरल) पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे देश के इस शीर्ष निकाय के लिए एक ऐसे कार्यकाल का समापन हुआ है, जिसने ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व करते हुए एक अहम संक्रमण चरण की निगरानी की।
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि एक्सचेंज4मीडिया से की है।
सिद्धार्थ जैन ने 2021 में IBDF का कार्यभार संभाला था, उस समय जब संगठन अपना दायरा टेलीविजन से आगे बढ़ाकर तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल इकोसिस्टम को भी शामिल कर रहा था। उनके नेतृत्व में, IBDF ने इंडस्ट्री की आवाज के रूप में अपनी भूमिका और गहरी की, ब्रॉडकास्टर्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स दोनों का प्रतिनिधित्व किया और साथ ही आत्म-नियमन और इंडस्ट्री सहयोग के तंत्रों को मजबूत किया।
यह फाउंडेशन स्वयं 1999 में स्थापित हुआ था और पहले इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन के नाम से जाना जाता था। यह जनरल एंटरटेनमेंट, न्यूज, स्पोर्ट, मूवी, म्यूजिक और इन्फोटेनमेंट सहित विभिन्न जॉनर में प्रमुख टेलीविजन ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है। इसके सदस्य मिलकर 400 से अधिक चैनल्स और भारत में लगभग 90 प्रतिशत टेलीविजन दर्शकों की संख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं।
डिजिटल कंटेंट के तेजी से उभार के साथ, सिद्धार्थ के नेतृत्व में IBDF ने अपना दायरा बढ़ाकर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए भी प्रतिनिधित्व और गवर्नेंस सुनिश्चित किया, जिससे यह उन कुछ इंडस्ट्री निकायों में शामिल हो गया जो पारंपरिक और डिजिटल प्रसारण दोनों को जोड़ते हैं।
सिद्धार्थ के कार्यकाल में देखी गई प्रमुख इनिशिएटिव्स में से एक थी इंडियन डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री फाउंडेशन (IDMIF) का गठन, जिसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को एक संरचित इंडस्ट्री आवाज देने के लिए एक सहायक संगठन के रूप में बनाया गया। वे डिजिटल मीडिया कंटेंट रेगुलेटरी काउंसिल (डीएमसीआरसी) की स्थापना में भी अहम रहे, जो डिजिटल सामग्री के लिए एक आत्म-नियामक अपील निकाय है और जिसका मॉडल ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल (बीसीसीसी) पर आधारित है, जो अब भी गैर-समाचार टेलीविजन मनोरंजन चैनलों की सामग्री को नियंत्रित करता है।
रणनीतिक और परिचालन नेतृत्व के लिए व्यापक रूप से सराहे जाने वाले जैन ने IBDF में अपना गहन अनुभव लाया, जिसमें टर्नर इंटरनेशनल इंडिया में प्रबंध निदेशक (दक्षिण एशिया) के रूप में उनकी वरिष्ठ भूमिकाएं शामिल थीं। IBDF में उनके कार्य ने नीति-समर्थन को संस्थान-निर्माण के साथ जोड़ा, यह सुनिश्चित करते हुए कि दर्शकों की बदलती आदतों और नियामक चुनौतियों के युग में फाउंडेशन प्रासंगिक बना रहे।
अविनाश पांडेय को ब्रॉडकास्टिंग और मीडिया मैनेजमेंट में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है।
सीनियर मीडिया प्रोफेशनल अविनाश पांडेय देश में टेलिविजन ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधित्व वाले प्रमुख संगठन ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन‘ (IBDF) में जल्द ही सेक्रेट्री जनरल का पदभार संभाल सकते हैं।
इंडस्ट्री से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) को बताया कि इस पद पर उनकी नियुक्ति तय हो चुकी है।
अविनाश पांडेय को प्रसारण और डिजिटल मीडिया में 26 वर्षों से अधिक का नेतृत्व अनुभव है। वह ABP नेटवर्क में CEO और COO जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं, जहां उन्होंने स्टार न्यूज को एक डिजिटल रूप से सक्षम समाचार नेटवर्क में तब्दील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय (इतिहास) और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र अविनाश पांडेय, कई प्रभावशाली पदों पर रह चुके हैं। वह इंटरनेशनल एडवरटाइजिंग एसोसिएशन (IAA) के इंडिया चैप्टर के अध्यक्ष और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
इसके अलावा, उन्होंने FICCI, ASSOCHAM और सूचना-प्रसारण मंत्रालय की कई अहम कमेटियों में भी योगदान दिया है, जहां मीडिया गवर्नेंस और पॉलिसीज के निर्माण में उनकी सक्रिय भूमिका रही है।
अविनाश पांडेय को इसी साल जुलाई में लक्ष्य मीडिया ग्रुप (Laqshya Media Group) ने अपने बोर्ड में डायरेक्टर के रूप में शामिल किया है। यह नियुक्ति ग्रुप की आउट-ऑफ-होम (OOH) और इंटीग्रेटेड मीडिया सर्विसेज को लेकर उसकी रणनीतिक यात्रा को और मजबूत बनाती है।
Laqshya में अपने नए पद के साथ-साथ, अविनाश पांडेय हाल ही में Primus Partners से भी जुड़े हैं, जहां वे मीडिया प्रैक्टिसेज के लिए सीनियर एडवाइजर की भूमिका निभा रहे हैं। इस भूमिका के जरिए वह कंसल्टेंसी और मीडिया एडवोकेसी दोनों क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक पहुंच और प्रभाव का विस्तार कर रहे हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक. के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित समाधान विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त उद्यम (जॉइंट वेंचर) की घोषणा की है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक. के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित समाधान विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त उद्यम (जॉइंट वेंचर) की घोषणा की है। यह हाल के वर्षों में दोनों कंपनियों के बीच सबसे महत्वपूर्ण सहयोगों में से एक है।
स्टॉक एक्सचेंज को दिए गए खुलासे में, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि उसके बोर्ड ने रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड नामक एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के गठन को मंजूरी दे दी है, जिसकी शुरुआती चुकता पूंजी ₹1 करोड़ होगी। यह सहायक कंपनी मेटा के साथ संयुक्त उद्यम समझौते को लागू करेगी।
जॉइंट वेंचर की शर्तों के तहत, एक नई इकाई का गठन होगा जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज (अपनी सहायक कंपनी के माध्यम से) 70% हिस्सेदारी रखेगी, जबकि मेटा के पास 30% हिस्सेदारी होगी। दोनों कंपनियों ने मिलकर लगभग ₹855 करोड़ (करीब 100 मिलियन डॉलर) का शुरुआती निवेश करने का संकल्प लिया है।
यह नया संयुक्त उद्यम विभिन्न क्षेत्रों में एंटरप्राइज एआई सेवाओं के विकास, विपणन और वितरण पर केंद्रित होगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े उपक्रमों, जिनमें निवेश, अधिग्रहण और साझेदारियां शामिल हैं, को भी आगे बढ़ाएगी।
कंपनी ने स्पष्ट किया, “मेटा के साथ यह लेनदेन संबंधित पक्ष लेनदेन (related-party transaction) नहीं है, क्योंकि कंपनी के प्रमोटर ग्रुप का इसमें कोई हित नहीं है।”
यह सौदा नियामकीय और अन्य आवश्यक स्वीकृतियों के अधीन है और उम्मीद है कि कैलेंडर वर्ष 2025 की चौथी तिमाही तक पूरा हो जाएगा। यह घोषणा रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कंपनी की वार्षिक आम बैठक में बोर्ड की बैठक के तुरंत बाद की।
मेटा के उन्नत ओपन-सोर्स Llama मॉडल्स द्वारा संचालित, जॉइंट वेंचर निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करेगा:
एंटरप्राइज एआई प्लेटफॉर्म-एज-ए-सर्विस: संगठनों के लिए एक सुरक्षित, फुल-स्टैक वातावरण, जहां वे विशिष्ट उपयोग मामलों के लिए जेनरेटिव एआई मॉडल्स को कस्टमाइज, लागू और नियंत्रित कर सकेंगे। यह बिक्री और विपणन, सूचना प्रौद्योगिकी विकास और संचालन, ग्राहक सेवा, वित्त और अन्य एंटरप्राइज वर्कफ्लोज में काम आएगा।
प्री-कॉन्फिगर्ड एआई सॉल्यूशंस का सेट, जो विभिन्न क्रॉस-फंक्शनल और उद्योग-विशिष्ट उपयोग मामलों को संबोधित करेगा।
यह साझेदारी मेटा के ओपन-सोर्स Llama मॉडल्स को रिलायंस इंडस्ट्रीज की डिजिटल बैकबोन के साथ मिलाकर भारतीय एंटरप्राइजेज और एसएमबीज को किफायती दरों पर एंटरप्राइज-ग्रेड एआई उपलब्ध कराएगी। “एंटरप्राइज ग्रेड” रेडीनेस वाले Llama को पहले ही कई प्रोडक्शन वातावरणों में सफलतापूर्वक परखा जा चुका है, जिससे यह संयुक्त उद्यम बड़े पैमाने पर एआई सॉल्यूशंस लागू कर सकेगा। साथ ही, Llama की कम टोटल कॉस्ट ऑफ ओनरशिप की वजह से उच्च-प्रदर्शन वाले मॉडल्स को कम लागत पर स्केल किया जा सकेगा। जॉइंट वेंचर के पास क्लाउड, ऑन-प्रिमाइसेस और अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर पर तैनाती की अधिक लचीलापन भी होगा। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर लागतों का सक्रिय प्रबंधन संभव होगा।
इस सौदे का समापन नियामकीय अनुमोदनों के अधीन है और इसे 2025 की चौथी तिमाही तक पूरा होने की उम्मीद है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने कहा, “मेटा के साथ साझेदारी हमारी इस दृष्टि को साकार करती है कि हम हर भारतीय और एंटरप्राइज तक एआई पहुंचाएं- मेटा के सबसे व्यापक रूप से अपनाए गए ओपन-सोर्स Llama मॉडल्स को हमारी मल्टी-इंडस्ट्री विशेषज्ञता के साथ मिलाकर। हम हर भारतीय संगठन, चाहे महत्वाकांक्षी एसएमबी हो या ब्लू-चिप कॉरपोरेट्स, के लिए एंटरप्राइज-ग्रेड एआई का लोकतांत्रिकरण करेंगे, जिससे वे तेजी से नवाचार कर सकें, अधिक कुशलता से संचालन कर सकें और वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास से प्रतिस्पर्धा कर सकें। रिलायंस इंडस्ट्रीज जॉइंट वेंचर की पेशकशों को तैनात करने और परिष्कृत करने के लिए एक वास्तविक एंटरप्राइज-स्केल वातावरण के रूप में भी कार्य करेगा—जिससे बड़े पैमाने पर तेजी से सुधार और निरंतर विकास संभव हो सकेगा।”
मेटा के फाउंडर व सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा, “हम रिलायंस के साथ अपनी साझेदारी को गहरा करने के लिए उत्साहित हैं ताकि भारतीय डेवलपर्स और एंटरप्राइजेज तक ओपन-सोर्स एआई की शक्ति पहुंचाई जा सके। इस जॉइंट वेंचर के माध्यम से, हम मेटा के Llama मॉडल्स को वास्तविक दुनिया में उपयोग में ला रहे हैं, और मुझे इस बात की खुशी है कि जैसे-जैसे हम नई संभावनाओं को खोलेंगे, मेटा एंटरप्राइज स्पेस में अपना विस्तार करेगा।”
इस फैसले के बारे में रबिन्द्र नारायण ने अपनी टीम को अवगत कराते हुए खास संदेश भी दिया है।
पंजाबी सैटेलाइट टेलीविजन के जनक के रूप में मशहूर रबिन्द्र नारायण ने ‘पीटीसी नेटवर्क’ (PTC Network) के प्रेजिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया है। करीब दो दशकों तक भारत के सबसे बड़े पंजाबी मीडिया हाउस का नेतृत्व करने के बाद अब वे एक नए ग्लोबल मीडिया वेंचर की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह नया वेंचर दुनिया भर में पंजाबी कंटेंट के निर्माण और प्रस्तुति का नया अध्याय खोलेगा।
इस बारे में अपनी टीम को दिए खास संदेश में रबिन्द्र नारायण ने कहा, ‘पीटीसी कभी मेरे लिए सिर्फ नौकरी नहीं थी—यह एक मिशन था। एक बेहतरीन टीम के साथ मिलकर हमने छह चैनलों का नेटवर्क खड़ा किया, कई वैश्विक स्तर पर पहली पहलें कीं और पंजाबी आवाजों को एक अंतरराष्ट्रीय मंच दिया। आज मैं उसी मिशन को एक नए युग में आगे ले जा रहा हूं। अगला अध्याय पैमाने, नवाचार और वैश्विक पहुंच का होगा।’
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘दर्शकों का प्यार, सहयोगियों का साथ और पूरी दुनिया की पंजाबी कम्युनिटी का विश्वास ही मुझे ‘फादर ऑफ पंजाबी टेलीविजन’ का खिताब दिलाने वाला रहा है। आज वही प्यार मेरे इस नए वैश्विक सपने की ताकत है।’
पिछले तीन दशकों में रबिन्द्र नारायण पंजाबी टेलीविजन को बदलने वाली सबसे बड़ी ताकत रहे हैं। उनके नेतृत्व में पीटीसी नेटवर्क सबसे ज्यादा देखा जाने वाला पंजाबी टीवी नेटवर्क बना। इसने स्वर्ण मंदिर से गुरबानी का सीधा प्रसारण किया, भरोसेमंद खबरें पहुंचाईं और भारत, उत्तरी अमेरिका समेत पूरी दुनिया में एंटरटेनमेंट और टैलेंट शोज तैयार किए।
उनका नया वेंचर, जिसका पूरा खाका आने वाले हफ्तों में सामने आएगा, एक क्रॉस-प्लेटफॉर्म ग्लोबल मीडिया पॉवरहाउस होगा। इसकी नींव पंजाबी मूल्यों पर होगी, लेकिन इसमें नवीनतम टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित कंटेंट क्रिएशन का इस्तेमाल किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट टेलीविजन, ओटीटी, डिजिटल प्लेटफॉर्म, इवेंट्स और फिल्म प्रोडक्शन तक फैला होगा।
इंडस्ट्री से जुड़े जानकारों का मानना है कि नारायण का यह कदम पंजाबी मीडिया इंडस्ट्री में बड़े बदलाव का आगाज साबित होगा।
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