जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और लेखक वीर सांघवी अपनी नई किताब ‘A Rude Life‘ को लेकर चर्चा में हैं।
जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार और लेखक वीर सांघवी अपनी नई किताब ‘A Rude Life‘ को लेकर चर्चा में हैं। वीर सांघवी कॉलमिस्ट, टीवी होस्ट और फ़ूड क्रिटिक के तौर पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं। उनकी नई किताब ‘A Rude Life‘ को लेकर प्रतिष्ठित संस्थान ‘एक्सचेंज4 मीडिया’ द्वारा एक वेबिनार का आयोजन किया गया। इसके तहत ‘बिजनेस वर्ल्ड’ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा वीर सांघवी से उनकी नई किताब और उनके अनुभवों के बारे में संवाद किया। वीर सांघवी और डॉ. अनुराग बत्रा के बीच वर्चुअल तौर पर होने वाली इस चर्चा का समय शनिवार 14 अगस्त, 2021 की शाम पांच बजे रखा गया।
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार सांघवी ने कहा लॉकडाउन की वजह से ही उन्होंने यह किताब लिखने की सोचीं। उन्होंने कहा कि दरअसल लॉकडाउन के दौरान मैं कहीं घर से नहीं निकल सकता था। मैं एक तरह से फंस गया था और निराश था और मेरे पास करने के लिए सिर्फ लेखन ही था। लिहाजा, काफी सोचने के बाद आखिर में मैंने अपने ही बारे में लिखने का फैसला किया, क्योंकि यही सबसे आसान था। मैंने तुरंत ही कुछ नियम बनाए। चैप्टर्स तैयार किए, छोटे-छोटे वाक्य और पैराग्राफ तैयार किए। हालांकि यह सब कुछ एक लंबी और भारी-भरकम किताब बनाने के लिए नहीं था। ये 2000 शब्दों की एक किताब है, जिसमें छोटे और जल्द ही खत्म होने वाले चैप्टर्स हैं।
सांघवी का कहना है कि संस्मरण लिखना मेरे हिसाब से बेकार का काम है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आपका जीवन इतना महत्वपूर्ण है कि लोग आपके बारे में पढ़ना चाहते हैं और वैसे भी मेरा कोई जीवन दिलचस्प नहीं है और कोई भी मेरे बारे में नहीं पढ़ना चाहता।
उन्होंने बताया कि इस किताब का अधिकांश भाग वह है जो उन्होंने देखा है न कि उनके व्यक्तित्व के बारे में है। हालांकि इस बात की आलोचना भी की गई है कि किताब में बहुत अधिक पर्सनल चीजें नहीं है। लेकिन मैं क्लियर था कि यह मेरे करियर और जो कुछ भी दुनिया में देखा है, उसके बारे में है।
किताब ‘द रूड लाइफ’ के शीर्षक के बारे में पूछे जाने पर, जोकि बेहद अजीब सा है, इस पर सांघवी ने कहा कि यह उनके पब्लिशर द्वारा सुझाया गया था, क्योंकि यह उनके कॉलम- रूड ट्रैवल और रूड फूड से संबंधित है।
सांघवी ने कहा, ‘सुझाव है कि किताब में कई मायनों में खरी-खरी बातें हैं, इसलिए 'रूड' फिट बैठता है और यह शब्द अक्सर मेरे साथ जुड़ा है और अंततः यह एक मार्केटिंग डिसिजन है।’
किताब के विभिन्न अध्यायों पर चर्चा करते हुए सांघवी ने बातचीत के दौरान पत्रकारिता के अपने शुरुआती दिनों की एक झलक भी दी। सांघवी ने पुरानी यादों को साझा करते हुए कहा कि मैंने अरुण (पुरी) से बहुत कुछ सीखा है। हमने अस्पष्ट विशेषण का प्रयोग करना नहीं सीखा और अच्छी पत्रकारिता का अंत खुशवंत सिंह नहीं थे।
एबीपी में उनके कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर, सांघवी ने बताया, ‘मैंने टाइम्स ऑफ इंडिया के समीर जैन के एक बहुत अच्छे प्रस्ताव को ठुकराते हुए वहां (एबीपी में) नौकरी स्वीकार की। मैंने नौकरी के लिए अवीक सरकार को कॉल किया था और मैं पहले कभी कोलकाता नहीं गया था। यह सचमुच एक ऐसा शहर था जो उस समय टेक्नीकलर में जीता था।’
सांघवी ने अपनी टीवी यात्रा, विशेष रूप से ‘न्यूजX’ (NewsX) के कार्यकाल के बारे में भी बात की और स्पष्ट रूप से यह स्वीकार किया कि वह तब एक कॉन्फ्लिक्टिंग विजन के व्यक्ति थे और यहां इसके पहले के प्रमोटर्स (पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी) ने कभी नहीं समझा।
मैंने इस किताब में कहा है कि हो सकता है कि मेरे विजन ने वैसे कभी काम नहीं किया हो, लेकिन चैनल के लिए मेरी दृष्टि 70 मिमी की तरह ही रही है, जिसमें सबसे अच्छी रिपोर्टिंग, बड़ा और गहन विश्लेषण था। वास्तव में यदि आप जानना चाहते थे कि क्या हो रहा था, तो आप हमारे पास आएं। लेकिन क्या टीवी अब इसी रूप में विकसित हो गया है? तो यह बताना चाहूंगा कि अब यह एक ऐसी जगह बन गई है जहां लोग आपस में लड़ रहे हैं। अब जो कुछ भी हो रहा है वह मैं कभी नहीं कर सकता था।’
हिन्दुस्तान टाइम्स (Hindustan Times) में अपनी यात्रा के बारे में पूछे जाने पर और उन वर्षों को उन्होंने कैसे देखा, इस पर सांघवी ने कहा कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि प्रकाशन के महत्वपूर्ण क्षणों में वह इस प्रकाशन के साथ जुड़े हुए थे।
संघवी ने कहा, ‘यह दिल्ली का एक प्रमुख समाचार पत्र था और इसने एक निश्चित राशि अर्जित की, लेकिन एक समस्या थी। 1991 में उदारीकरण के बाद जैसे ही भारत बदला, लोगों ने खुद को पाठक के रूप में देखना बंद कर दिया, उन्होंने खुद को उपभोक्ता के रूप में देखना शुरू कर दिया था। समीर जैन जैसे व्यक्ति ने उस बदलाव को देखा और टाइम्स ऑफ इंडिया को बाजार के अनुकूल प्रकाशन में बदल दिया। उन्होंने प्रोफेशनल तरीके से चलने वाले प्रकाशन के तौर पर इसका बदलाव दिया। लेकिन हिन्दुस्तान टाइम्स पहले की तरह काम करता रहा और इसने अपने आप में बदलाव नहीं किया। लोग कहते थे कि एचटी पूरी दुनिया में पंजाबी में लिखा जाने वाला इकलौता अंग्रेजी अखबार है। ऐसा लिखना बहुत ही खराब था। किसी ने लेखन की गुणवत्ता की परवाह नहीं की।’
लेखक के अनुसार, जैसे-जैसे दिल्ली बदल रही थी, वैसे-वैसे इसका मध्यम वर्ग की सोच भी बदल रही थाी, जो आमतौर पर हिन्दुस्तान टाइम्स की सदस्यता लेते थे। वे बदलाव के उस दौर में टीओआई पढ़ना चाहते थे न कि एचटी, क्योंकि कई महानगरीय पाठकों का उदय हो रहा था। हिन्दुस्तान टाइम्स अपने ग्राहकों को खो रहा था और केके बिड़ला मेरे पास यह जानने के लिए पहुंचे कि प्रकाशन में क्या गलत है। जब मैं एचटी में शामिल हुआ, तो हमने इसे पूरी तरह से फिर से उन्मुख करने का फैसला किया और क्योंकि मुझे बिड़ला का पूरा समर्थन था, मैं एचटी के साथ महत्वपूर्ण क्षण में था और हम इसे किसी भी तरफ ले जाने में सक्षम थे। यह पूछे जाने पर कि उनकी सूची में अब आगे क्या है, वे कहते हैं कि फिलहाल अभी उनकी कोई बड़ी योजना नहीं है।
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कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व वायनाड के पूर्व लोकसभा सांसद राहुल गांधी को जब से अयोग्य घोषित किया गया है, उसके बाद से तो कांग्रेस पार्टी पूरी उग्र तेवर अपनाए हुए है। कांग्रेस पार्टी इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी पर लगातार निशाना साध रही है, साथ ही पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जगह-जगह प्रदर्शन भी कर रहे हैं। इसी सिलसिले में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रविवार को ग्वालियर में पत्रकारों से चर्चा की। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उम्र संबंधी सवाल पूछने पर वह एक पत्रकार पर भड़क गए और दोनों लोगों के बीच बहस हो गई।
पत्रकार ने दिग्विजय सिंह से मध्य प्रदेश में उम्रदराज कांग्रेस नेताओं के बारे में पूछा था। पत्रकार ने पूछा था कि कांग्रेस में युवा नेता पार्टी से नाराज चल रहे हैं, क्योंकि उन्हें मौका नहीं मिल रहा है। क्या जो बुजुर्ग नेता 75 साल के हो चुके हैं, उनके चेहरों पर आप चुनाव जीत लेंगे? बस इसी सवाल पर दिग्विजय सिंह गुस्से में आग बबूला हो गए और अचानक भड़क गए। उन्होंने बीजेपी नेताओं की उम्र पर को लेकर उल्टा सवाल पत्रकार से कर दिया।
पत्रकार के सवाल पर भड़कते हुए उन्होंने कहा कि क्या दिग्विजय सिंह बैशाखी पर चल रहा है। यह सवाल आप बीजेपी से क्यों नहीं पूछते। क्या बीजेपी में शिवराज सिंह चौहान और नरेन्द्र मोदी जी युवा हैं? क्या दोनों बुजुर्ग नहीं हैं। इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने पत्रकार पर भड़कते हुए कहा कि आप बेहूदा सवाल पूछ रहे हैं। आप टीवी संस्थान का नाम बदनाम कर रहे हैं। आप मोदी जी से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए क्यों नहीं कहते हैं।
#Watch: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह रविवार को ग्वालियर में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार के सवाल पर भड़क गए। पत्रकार ने उनसे पूछा था कि क्या जो बुजुर्ग नेता 75 साल के हो चुके हैं उनके चेहरों पर आप चुनाव जीत लेंगे।#digvijayasingh #Gwalior #MadhyaPradesh pic.twitter.com/j54xAUlj1s
— Hindustan (@Live_Hindustan) March 26, 2023
बता दें कि इससे पहले 'मोदी सरनेम' को लेकर मानहानि के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा से अपनी अयोग्यता पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने शनिवार को उस पत्रकार पर अपना आपा खो बैठे, जो पिछले दस सालों से कांग्रेस कवर कर रहा है। उन्होंने न्यूज18 के पत्रकार को न केवल पाठ पढ़ाने की कोशिश की, बल्कि उन्हें भाजपा का एजेंट तक बता दिया था और उन्हें 'बेहतर पत्रकार' बनने की सलाह भी दी।
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आउट ऑफ होम (OOH) मीडिया सेवाएं मुहैया कराने के कारोबार में जुटी ब्राइट आउटडोर मीडिया लिमिटेड शुक्रवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (SME एक्सचेंज) पर सूचीबद्ध हो गई
आउट ऑफ होम (OOH) मीडिया सेवाएं मुहैया कराने के कारोबार में जुटी ब्राइट आउटडोर मीडिया लिमिटेड (Bright Outdoor Media Ltd) शुक्रवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (SME एक्सचेंज) पर सूचीबद्ध हो गई।
यह स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने वाली भारत की पहली आउटडोर मीडिया कंपनी है।
इस मौके पर कंपनी ने कहा, ‘आईपीओ ने लॉन्च के दिन यानी शुक्रवार, 24 मार्च को बेहतरीन तरीके से लिस्टिंग दर्ज की। शेयर ने अपर सर्किट पर भी कारोबार किया।’
बेल रिंगिंग समारोह में सीनियर पॉलीटिकल लीडर्स, फिल्म एक्टर्स और कॉरपोरेट जगत की प्रसिद्ध हस्तियों शामिल रहीं।
इससे पहले, कंपनी ने यह जानकारी दी थी कि 55.48 करोड़ रुपए जुटाने के लिए उसके आईपीओ को बेहतरीन रिस्पॉन्स मिला है। मार्केट की अस्थिरता के बावजूद इसे 1.27 गुना ज्यादा सब्सक्राइब किया गया, जबकि रिटेल कैटेगरी में 1.15 गुना सब्सक्रिप्शन देखा गया, तो वहीं NII कैटेगरी ने 1.39 गुना बिड्स मिलीं।
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मल्टीप्लेटफॉर्म कंटेंट एसेट मोनिटाइजेशन कंपनी ‘इंडियाकास्ट’ (IndiaCast) ने पीषूष गोयल को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) के पद पर नियुक्त किया है। अपने 20 साल से ज्यादा के करियर में पीयूष गोयल ‘स्टार टीवी’ (Star TV), ‘नेटवर्क18‘ (Network18), ‘एनडीटीवी’ (NDTV) और ‘डेन नेटवर्क्स’ (DEN Networks) जैसी जानी-मानी मीडिया कंपनियों में काम कर चुके हैं।
पीयूष गोयल ‘इंडियाकास्ट’ से पहले ‘स्टार इंडिया’ (Star India) में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट और हेड (Key Accounts) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। जहां उन्होंने तमाम प्रमुख मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स (multi system operators) और डीटीएच (direct-to-home) प्लेयर्स के साथ डील किया।
अपनी नई भूमिका में पीयूष गोयल अब ‘नेटवर्क18’ समूह के टीवी न्यूज, एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स बिजनेस के संचालन प्रमुखों (ऑपरेटिंग हेड्स) के साथ मिलकर काम करेंगे। वह ‘नेटवर्क18’ के मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल जोशी को रिपोर्ट करेंगे।
अपनी नियुक्ति के बारे में पीयूष गोयल का कहना है, ‘इंडियाकास्ट से जुड़कर इसका विस्तार करने को लेकर मैं बेहद रोमांचित हूं। इंडियाकास्ट में 10 साल बाद मेरे लिए घर वापसी हो रही है। मीडिया इंडस्ट्री में लगातार बदलते परिदृश्य के साथ सबसे तेजी से बढ़ते इस मीडिया समूह का हिस्सा बनने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था।’
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पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बुधवार को प्रतिष्ठित रामनाथ गोयका अवॉर्ड्स दिए गए। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के मुख्य आतिथ्य में नई दिल्ली में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में विजेता पत्रकारों को ये अवॉर्ड्स दिए गए। इनमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया तीनों के पत्रकार शामिल थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पत्रकारिता के पेशे की काफी सराहना की। उनका कहना था, ‘यदि लोकतंत्र को बनाए रखना है तो उसके लिए पत्रकारिता को पूर्ण स्वतंत्रता देना जरूरी है। वहीं, पत्रकारों के लिए निष्पक्षता के मानकों को बनाए रखना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।’
यह भी पढ़ें: इन पत्रकारों को मिला प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड, देखें पूरी लिस्ट
फेक न्यूज को समाज के लिए गंभीर खतरा बताते हुए चीफ जस्टिस का यह भी कहना था कि फेक न्यूज में समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की क्षमता होती है, इसलिए सच्चाई और झूठ के बीच की खाई को ठीक करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए एक व्यापक फैक्ट चेकिंग मैकेनिज्म पहले होना चाहिए।
इसके साथ ही चीफ जस्टिस का यह भी कहना था, ‘मैं उन रिपोर्ट्स की गहराई से बेहद प्रभावित हूं, जिनमें हमारे देश के रिपोर्टर्स जुटे हुए हैं। जो पत्रकार आज नहीं जीते हैं, उनके लिए मैं यही कहना चाहता हूं कि आप जीवन के खेल में किसी विजेता से कम नहीं हैं, क्योंकि आपका पेशा एक महान पेशा है।’
अपने संबोधन में कानून और पत्रकारिता दोनों की बात करते हुए चीफ जस्टिस का यह भी कहना था, ‘पत्रकार और वकील (या न्यायाधीश, जैसा कि मेरे मामले में है) कुछ मामलों में एक जैसे होते हैं। निस्संदेह, दोनों प्रोफेशन के लोग इस बात पर दृढ़ विश्वास रखते हैं कि कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली होती है। लेकिन, वे अपने पेशे के आधार पर नापसंद किए जाने के व्यावसायिक खतरे को भी शेयर करते हैं। दोनों प्रोफेशन के मेंबर्स अपने दैनिक कार्यों में लगे रहते हैं और उम्मीद करते हैं कि एक दिन उनके पेशे की प्रतिष्ठा में बदलाव आएगा।’
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पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए हर साल दिए जाने वाले प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स की घोषणा कर दी गई है। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के मुख्य आतिथ्य में नई दिल्ली में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में विजेता पत्रकारों को ये अवॉर्ड्स दिए गए। इनमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया तीनों के पत्रकार शामिल थे।
आपको बता दें कि कोराना महामारी के कारण तीन साल बाद इस अवॉर्ड समारोह का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में वर्ष 2019 और 2020 के विजेताओं को एक साथ सम्मानित किया गया। दरअसल, वर्ष 2019 के विजेताओं की घोषणा तो पहले ही कर दी गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण उन्हें व्यक्तिगत रूप से सम्मानित नहीं किया जा सका था। ऐसे में कुल मिलाकर दो सालों के 43 विजेताओं को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
गौरतलब है कि रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स की शुरुआत ‘एक्सप्रेस’ समूह ने अपने संस्थापक रामनाथ गोयनका के जन्मशताब्दी वर्ष पर हुए समारोहों के दौरान वर्ष 2006 में की थी। इस पुरस्कार का मकसद पत्रकारिता में उत्कृष्टता, साहस और प्रतिबद्धता की पहचान करना और देश भर के पत्रकारों के असाधारण योगदान को सबके सामने लाना है। इस अवॉर्ड के तहत प्रत्येक विजेता को एक ट्रॉफी और एक लाख रुपए दिए जाते हैं।
इस एडिशन के लिए विजेताओं का चुनाव करने के लिए जो जूरी गठित की गई थी, उसमें जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण (सेवानिवृत्त), ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के फाउंडिंग वाइस चांसलर और डीन प्रो. (डॉ.) सी राज कुमार, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी और भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के जी सुरेश शामिल थे।
विजेताओं की पूरी सूची आप यहां देख सकते हैं-
हिंदी, 2019
प्रिंट- आनंद चौधरी, दैनिक भास्कर
ब्रॉडकास्ट- सुशील महापात्रा
क्षेत्रीय भाषा, 2019
प्रिंट- अनिकेत वसंत साठे, लोकसत्ता
ब्रॉडकास्ट- सुनील बेबी, मीडिया वन टीवी
हिंदी, 2020
प्रिंट- ज्योति यादव और बिस्मि तास्किन
ब्रॉडकास्ट- आशुतोष मिश्रा, आजतक
क्षेत्रीय भाषा, 2020
प्रिंट- श्री लक्ष्मी एम और रोज मारिया विंसेंट, मातृभूमि डॉट कॉम
ब्रॉडकास्ट- श्रीकांत बांगले, बीबीसी न्यूज, मराठी
पॉलिटिक्स एंड गवर्मेंट कैटेगरी, 2019
प्रिंट- धीरज मिश्रा, द वायर
ब्रॉडकास्ट- सिमी पाशा, द वायर
रिपोर्टिंग ऑन पॉलिटिक्स एंड गवर्नमेंट, 2020
ब्रॉडकास्ट- बिपाशा मुखर्जी, इंडिया टुडे टीवी
अनकवरिंग इंडिया इनविजिबल, 2019
प्रिंट- शिव सहाय सिंह, द हिंदू
ब्रॉडकास्ट- त्रिदिप के मंडल, द क्विंट
अनकवरिंग इंडिया इनविजिबल, 2020
प्रिंट- थॉमसन रॉयटर्स
ब्रॉडकास्ट- संजय नंदन, एबीपी नेटवर्क
एनवायरमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिपोर्टिंग, 2019
प्रिंट- टीम परी
ब्रॉडकास्ट- टीम, स्क्रॉल डॉट इन
एनवायरमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिपोर्टिंग, 2020
प्रिंट- मनीष मिश्रा, अमर उजाला
ब्रॉडकास्ट- फे डी-सूजा और अरुण रंगास्वामी, फ्री मीडिया इंटरएक्टिव
बिजनेस एंड इकॉनॉमिक जर्नलिज्म, 2019
प्रिंट- सुमंत बैनर्जी, बिजनेस टुडे
ब्रॉडकास्ट- आयुषी जिंदल, इंडिया टुडे टीवी
बिजनेस एंड इकॉनॉमिक जर्नलिज्म, 2020
प्रिंट- ओमकार खांडेकर, एचटी-मिंट
इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग, 2019
प्रिंट- कुनैन शरीफ एम, इंडियन एक्सप्रेस
ब्रॉडकास्ट- एस महेश कुमार, मनोरमा न्यूज
इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग, 2020
प्रिंट- तनुश्री पांडे, इंडिया टुडे
ब्रॉडकास्ट- मिलन शर्मा, इंडिया टुडे टीवी
फॉरेन कॉरपोंडेंट कवरिंग इंडिया, 2020
जोएना स्लेटर, द वाशिंगटन पोस्ट
स्पोर्ट्स जर्नलिज्म, 2019
प्रिंट- निहाल कोशी, इंडियन एक्सप्रेस
ब्रॉडकास्ट- टीम न्यूज एक्स
स्पोर्ट्स जर्नलिज्म, 2020
प्रिंट- मिहिर वसावड़ा, इंडियन एक्सप्रेस
ब्रॉडकास्ट- अजय सिंह, एनडीटीवी इंडिया
रिपोर्टिंग ऑन आर्ट्स, कल्चर एंड एंटरटेनमेंट 2020
प्रिंट- तोरा अग्रवाल
सिविक जर्नलिज्म, 2019
प्रिंट- चैतन्य मरपकवार, मुंबई मिरर
सिविक जर्नलिज्म, 2020
प्रिंट- शेख अतीक राशिद, इंडियन एक्सप्रेस
फोटो जर्नलिज्म, 2019
जीशान अकबर लतीफ, द कैरवन
फोटो जर्नलिज्म, 2020
तरुण रावत, टाइम्स ऑफ इंडिया
बुक्स (नॉन फिक्शन) 2019
अरुण मोहन कुमार, पेंग्विन रैंडम हाउस, इंडिया
बुक्स (नॉन फिक्शन) 2020
त्रिपुदमन सिंह, पेंग्विन रैंडम हाउस, इंडिया
निखिल गांधी ने ‘एमएक्स प्लेयर’ को अगस्त 2021 में जॉइन किया था। इससे पहले वह ‘टिकटॉक’ के हेड (मिडिल ईस्ट, अफ्रीका, तुर्की और साउथ एशिया) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ (MX Player) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) निखिल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस बारे में ‘एमएक्स प्लेयर’ द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, निखिल गांधी ने अन्य हितों के मद्देनजर एमएक्स प्लेयर में सीओओ पद छोड़ने का फैसला लिया है।
कंपनी की ओर से कहा गया है कि नोटिस पीरियड के दौरान निखिल गांधी निर्बाध परिवर्तन सुनिश्चित कर रहे हैं। इस दौरान निखिल गांधी ने एमएक्स प्लेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी करण बेदी के साथ मिलकर काम किया और कंपनी को आगे बढ़ाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
‘एमएक्स प्लेयर’ के सीईओ करण बेदी का कहना है, ‘कंपनी आज काफी मजबूत स्थिति में है, इसके लिए निखिल गांधी के योगदान को धन्यवाद। हमें पूरा विश्वास है कि हमारी टीम, मूल्यों और प्रतिभाओं का विस्तार करती रहेगी, व्यापार तालमेल में सुधार करेगी और अधिक मूल्यवान संगठनात्मक इकाई बनाएगी। हम निखिल के नेतृत्व और एमएक्स प्लेयर के विकास और सफलता में सार्थक योगदान के लिए निखिल को धन्यवाद देते हैं और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।’
वहीं, निखिल गांधी का कहना है, ‘एमएक्स प्लेयर में मेरे कार्यकाल के दौरान हमने जो कुछ हासिल किया है, उस पर मुझे गर्व है। मैं करण और उस असाधारण टीम का विशेष रूप से आभारी हूं, जिन्होंने मेरे साथ मिलकर नई ऊंचाई हासिल की और यूजर्स व स्टेकहोल्डर्स के लिए काफी प्रभावशाली अनुभव दिए।’
बता दें कि निखिल गांधी की खबर उस समय सामने आई है, जब इस ओटीटी प्लेटफॉर्म की पैरेंट कंपनी ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) को लेकर चर्चा है कि वह जानी-मानी ई-कॉमर्स कंपनी ‘एमेजॉन’ (Amazon) को ‘एमएक्स प्लेयर’ बेचने की तैयारी में है। बिक्री से होने वाली आय से करण बेदी को काफी फायदा होने की संभावना है। हालांकि, यह कितना और क्या होगा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसका लाभ मिलेगा, फिलहाल इसका पता नहीं चल सका है।
निखिल गांधी ने ‘एमएक्स प्लेयर’ को अगस्त 2021 में जॉइन किया था। इससे पहले वह ‘टिकटॉक’ के हेड (मिडिल ईस्ट, अफ्रीका, तुर्की और साउथ एशिया) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से उन्होंने मई 2021 में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अक्टूबर 2019 में ‘टिकटॉक’ के इंडिया और साउथ एशिया हेड के रूप में जॉइन किया था।
आपको यह भी बता दें कि एमेजॉन यदि एमएक्स प्लेयर का अधिग्रहण करती है तो इस हाई प्रोफाइल डील से भारत के ओटीटी मार्केट में चल रही प्रतिस्पर्धा में और तेजी आ सकती है।सूत्रों के अनुसार, ‘यह डील करीब 100 मिलियन डॉलर की होगी और यह उस रकम से 40 मिलियन डॉलर कम है, जो टाइम्स इंटरनेट ने एमएक्स प्लेयर के अधिग्रहण के समय निवेश की थी।’
हालांकि, यदि यह डील वास्तव में परवान चढ़ती है तो उपभोक्ता अधिग्रहण (consumer acquisition) के मामले में एमेजॉन प्राइम वीडियो चार गुना बड़ा हो जाएगा। भारत में एमेजॉन के इस समय अनुमानित 28 मिलियन यूजर्स हैं, जबकि एमएक्स प्लेयर के करीब 78 मिलियन यूजर्स हैं।
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सरकार ने पत्रकारों से जुड़े मुद्दे सुलझाने और उनके हितों के लिए गठित ‘पत्रकार कल्याण योजना’ (Journalist Welfare Scheme) की प्रशासनिक समिति का पुनर्गठन किया है। सूचना-प्रसारण मंत्रालय द्वारा इस बारे में आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
सूचना प्रसारण मंत्रालय की डायरेक्टर (आईपी) धनप्रीत कौर की ओर से इस बारे में जारी आदेश के अनुसार, सूचना प्रसारण मंत्रालय के पदेन सचिव (पदेन) को इस कमेटी का चेयरमैन, ‘प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो’ (PIB) के पदेन मुख्य महानिदेशक व पदेन जॉइंट सेक्रेटरी (P&A) को बतौर मेंबर इस कमेटी में शामिल किया गया है।
इसके अलावा नौ सदस्यीय इस कमेटी में छह गैर आधिकारिक सदस्यों (नॉन ऑफिशियल मेंबर्स) के रूप में वरिष्ठ पत्रकारों की नियुक्ति भी की गई है। इनमें ‘एबीपी न्यूज’ के एसोसिएट एडिटर विकास भदौरिया, ‘जी न्यूज’ के एसोसिएट एडिटर रवींद्र सिंह, ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ की सीनियर एसोसिएट एडिटर स्मृति काक रामचंद्रन, ‘न्यूज18 इंडिया’ के एग्जिक्यूटिव एडिटर अमिताभ सिन्हा, ‘एनडीटीवी इंडिया’ के एग्जिक्यूटिव एडिटर अखिलेश शर्मा और ‘नवभारत टाइम्स’ के एडिटर गुलशन राय खत्री को शामिल किया गया है।
इस आदेश के अनुसार, कमेटी में नॉन ऑफिशियल मेंबर्स का कार्यकाल दो साल के लिए होगा और उनकी नियुक्ति एक अप्रैल 2023 से प्रभावी होगी। कमेटी को प्रत्येक तीन माह में कम से कम एक बैठक करनी होगी और उस अवधि में आए हुए मामलों पर निर्णय लेना होगा। हालांकि, आवश्यक्ता पड़ने पर कमेटी चेयरमैन को कभी भी मीटिंग को बुलाने का अधिकार होगा।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर निखिल गांधी के बारे में इंडस्ट्री में इस तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है कि वह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।
ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ (MX Player) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) निखिल गांधी के बारे में इंडस्ट्री में इस तरह की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है कि वह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) को विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से इस तरह की जानकारी मिली है। हालांकि, एमएक्स प्लेयर ने इस तरह की किसी भी खबर का खंडन किया है।
बता दें कि निखिल गांधी को लेकर इस तरह की खबरें उस समय सामने आ रही हैं, जब इस ओटीटी प्लेटफॉर्म की पैरेंट कंपनी ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) को लेकर चर्चा है कि वह जानी-मानी ई-कॉमर्स कंपनी ‘एमेजॉन’ (Amazon) को ‘एमएक्स प्लेयर’ बेचने की तैयारी में है। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि इस दिशा में बातचीत चल रही है। लेकिन, फिलहाल इस तरह की खबरों की पुष्टि नहीं हुई है। वहीं, सूत्रों का यह भी कहना है कि निखिल गांधी ‘एमेजॉन’ के साथ होनी वाली अधिग्रहण संबंधी बैठकों का हिस्सा नहीं हैं।
माना जा रहा है कि सीईओ करण बेदी को एमएक्स प्लेयर की बिक्री से होने वाली आय से काफी फायदा होगा। हालांकि, यह कितना होगा और क्या अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसका फायदा मिलेगा, फिलहाल इस बात का भी पता नहीं चल सका है।
बता दें कि निखिल गांधी ने ‘एमएक्स प्लेयर’ को अगस्त 2021 में जॉइन किया था। इससे पहले वह ‘टिकटॉक’ के हेड (मिडिल ईस्ट, अफ्रीका, तुर्की और साउथ एशिया) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से उन्होंने मई 2021 में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अक्टूबर 2019 में ‘टिकटॉक’ के इंडिया और साउथ एशिया हेड के रूप में जॉइन किया था।
आपको यह भी बता दें कि एमेजॉन यदि एमएक्स प्लेयर का अधिग्रहण करती है तो इस हाई प्रोफाइल डील से भारत के ओटीटी मार्केट में चल रही प्रतिस्पर्धा में और तेजी आ सकती है।सूत्रों के अनुसार, ‘यह डील करीब 100 मिलियन डॉलर की होगी और यह उस रकम से 40 मिलियन डॉलर कम है, जो टाइम्स इंटरनेट ने एमएक्स प्लेयर के अधिग्रहण के समय निवेश की थी।’
हालांकि, यदि यह डील वास्तव में परवान चढ़ती है तो उपभोक्ता अधिग्रहण (consumer acquisition) के मामले में एमेजॉन प्राइम वीडियो चार गुना बड़ा हो जाएगा। भारत में एमेजॉन के इस समय अनुमानित 28 मिलियन यूजर्स हैं, जबकि एमएक्स प्लेयर के करीब 78 मिलियन यूजर्स हैं।
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मीडिया हो या फिर सरकारी एजेंसी, उसे बिना किसी वैध कारण के नागरिकों के निजी जीवन में झांकने का अधिकार नहीं है। यह टिप्पणी केरल हाई कोर्ट ने तब की है, जब एक टीवी चैनल के दो कर्मचारियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की।
कोर्ट ने कहा कि कुछ मीडियाकर्मी सत्य और न्याय के 'तथाकथित धर्मयुद्ध' या व्यक्तिगत प्रतिशोध के बहाने आम जनता की निजता के अधिकार को बाधित नहीं कर सकते।
जस्टिस वीजी अरुण ने कहा कि यह देखकर निराशा होती है कि खबरों से अधिक घटिया कंटेंट का प्रसारण कुछ न्यूज चैनलों की आदत बन गई है। जनता का एक वर्ग भी इस तरह की सनसनीखेज और चटपटी खबरों को पचा जाता है। कोर्ट ने कहा कि इन चैनलों को भी आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और सोचना चाहिए कि कुछ लोगों की कारगुजारी से क्या लोकतंत्र के चौथे स्तंभ में विश्वास कम नहीं हो रहा है?
न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने यह कड़ी टिप्पणी दो मीडियाकर्मियों द्वारा उनके खिलाफ आईपीसी, आईटी एक्ट, एससी/एसटी एक्ट के तहत दायर विभिन्न अपराधों के मामले में अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका को खारिज करते हुए की।
बता दें कि इन दोनों पत्रकारों पर अपने ऑनलाइन चैनल पर एक महिला के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी वाली खबर प्रसारित करने का आरोप है। उसने अपने नियोक्ता जोकि मीडियाकर्मी है, के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि उसने राज्य की एक महिला मंत्री का एक माॉर्फ्ड वीडियो बनाने के लिए उसे उसकी नग्नता की वीडियोग्राफी करने के लिए मजबूर किया था।
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टेक कंपनी 'गूगल' (Google) द्वारा दायर याचिका पर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) की सुनवाई सोमवार को पूरी हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रिब्यूनल ने इस मामले में अपना फैसला फिलहाल सुरक्षित रख लिया है।
दरअसल, गूगल ने एंड्रायड मोबाइल उपकरणों के संबंध में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के लिए 1,337.76 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के आदेश को चुनौती दी थी।
नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) की दो सदस्यीय पीठ 15 फरवरी से इस मामले में सुनवाई कर रही थी।
NCLAT के चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण और सदस्य आलोक श्रीवास्तव की बेंच ने कहा, 'दोनों पक्षों के वकीलों को सुना। सुनवाई पूरी हो गई है। फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।'
बता दें कि पिछले साल 20 अक्टूबर को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल पर करीब 1,337.76 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया, जोकि मोबाइल इकोसिस्टम में अपने वर्चस्व के दुरुपयोग करने के लिए लगाया गया है। इसी फैसले को गूगल ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के समक्ष चुनौती दी है।
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