मौसम चुनावी है, ऊपर से सूरज आग बरसा रहा है और नीचे नेताओं के बोल
मौसम चुनावी है, ऊपर से सूरज आग बरसा रहा है और नीचे नेताओं के बोल। और बीच में हम-आप जैसे आम लोग हैं, जो समझ नहीं पा रहे हैं कि यह सबकुछ क्यों, कैसे और किसलिए हो रहा है? इस ‘क्यों’ के बीच हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला गैर-राजनीतिक इंटरव्यू सामने आया है। इस इंटरव्यू को निःसंदेह अ-पॉलिटिकल कहा जा सकता है, क्योंकि इसकी शुरुआत ही आम से हुई है। अक्षय कुमार इस इंटरव्यू के साथ पत्रकार की भूमिका में आ गए हैं, यानी संभव है कि आने वाले दिनों में पत्रकारों के हाथों से ऐसे टफ सवाल पूछने के मौके जाते रहेंगे कि ‘क्या आप आम खाते हैं।’ हर तरफ इस इंटरव्यू की चर्चा है, लेकिन एक चर्चा यह भी है कि क्या वाकई इस चर्चा की ज़रूरत थी? यही सवाल वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी पूछा है। हालांकि उनके पूछने का तरीका थोड़ा जुदा है। वैसे तो रवीश जुदा ही बातें करते हैं, मगर इस बार उनका जुदा होना सार्थक लगता है। क्योंकि इस गैर-राजनीतिक या अ-पॉलिटिकल इंटरव्यू पर सवाल सीधे शब्दों में नहीं उठाये जा सकते थे, यदि उठाये भी जाते तो उतना आनंद नहीं मिलता, जितना आनंद इंटरव्यू देखने पर मिलता है। लिहाजा रवीश ने ‘लोहा ही लोहे को काटता’ है वाली कहावत चरितार्थ की है।
रवीश कुमार ने पीएम के गैर-राजनीतिक इंटरव्यू के मुकाबले के लिए गैर-राजनीतिक प्राइम टाइम किया। यानी एक ऐसा प्राइम टाइम, जिससे राजनीति उतनी ही दूर है, जितनी गुड से मक्खी और यह उन्होंने शो की शुरुआत में ही साफ़ कर दिया। उन्होंने कहा, ‘आज मैं ग़ैर राजनीतिक बात करना चाहता हूं। राजनीतिक बात नहीं करना चाहता। राजनीतिक बात से बोर हो गया हूं। सोचा अ-पॉलिटिकल कुछ किया जाए, ऐसा किया जाए जिसमें पॉलिटिक्स न आए। चुनाव बहुत लंबा हो गया है। रिपोर्टर थक गए हैं, कुछ रिपोर्टर बाहर से मोदी-मोदी नहीं पकड़ पाए, लौट आए। एडिटर ने बजट का हिसाब मांगा तो सर झुका लिया, फिर दूसरे रिपोर्टर भेजे गए। उन्होंने ज़मीन पर कान लगाया। अंडर करंट सुन लिया, ये चेंज है 2019 का। करंट अंडरग्राउंड है। लहर की जगह अंडर करंट आ गया है। लू ऊपर चलती है, अंडर करंट नीचे चलता है, तो सोचा कि जब राजनीति, राजनीति के मौसम में नहीं हो रही है तो इस मौसम में हम राजनीति से हट जाते हैं। कुछ अलग करते हैं। आम खाते हैं पर आम कैसे खाते हैं। दशहरी और चौसा तो चूस कर, चबा कर खा लेते हैं मगर मालदा को चम्मच से ही खाइये। कुछ न समझ आए तो सफेदा ही सही। मैंगों शेक चलेगा, सफेदा मुझे पसंद नहीं है पर क्या करें। आम है, बुरा लग सकता है। राजा के सामने कभी नहीं कहना चाहिए कि वो मुझे पसंद नहीं है। वो का मतलब सफेदा आम’।
प्राइम टाइम में रवीश गैर-राजनीतिक रूप से अपनी उस टीस को भी बयां कर गए, जो अक्सर उन्हें दर्द देती होगी। फिर भले ही वो साफ़ तौर पर इसकी बात न करें। वैसे, ये टीस तो हर उस पत्रकार के मन में होगी, जो पीएम या उनके जैसी बड़ी शख्सियतों से सवाल पूछने से महरूम हैं। लेकिन रवीश की टीस ज्यादा है, क्योंकि वो उस मुकाम पर हैं जहां से उनके और शख्सियतों के बीच का फासला ज्यादा नहीं है। और जब फासला कम हो तो न मिल पाने का दुःख ज्यादा सालता है। इसलिए उन्होंने अपने शो को आगे बढ़ाते हुए कहा ‘आप सोच रहे होंगे कि मैं ग़ैर राजनीतिक बातें क्यों कर रहा हूं? क्या करूं। चुनाव के समय जब प्रधानमंत्री ग़ैर राजनीतिक बातें कर सकते हैं, जब वे क्रिएटिव होकर गैर राजनीतिक हो सकते हैं तो हम क्यों नहीं हो सकते। प्रधानमंत्री चैलेंजर हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है। लोगों ने कहा कि आप कुमार को इंटरव्यू दें, वे अक्षय कुमार को ले आए। गैर राजनीतिक इंटरव्यू। ये न होता तो मौसमे चुनाव में आम का ज़िक्र न आता’।
अपने जुदा अंदाज़ की वजह से रवीश कुमार को भले ही भाजपा विरोधी चश्मे से देखा जाता हो, लेकिन चश्मा उतारने पर उनके सवाल वाजिब भी लगते हैं। जैसे ‘राजनीति के इस घमासान में गैर राजनीतिक क्या होता है। वे उम्मीदवार हैं। उनकी पार्टी चुनाव मैदान में है। इसके बाद में प्रधानमंत्री ही गैर राजनीतिक हो सकते हैं। इससे चर्चा तो हो गई। इंटरव्यू को स्पेस मिला, वैसे भी मिलना था। उनका भाषण हो या इंटरव्यू हो, खूब दिखाया जाता है। विपक्ष के नेता भी आम खाते हैं। वे भी बता सकते थे। कोई चैनल वाला नहीं दिखाएगा तो यूट्यूब पर डाल सकते थे। मतलब अक्षय कुमार के इंटरव्यू से प्रॉब्लम क्यों हैं। कहीं प्रधानमंत्री ने विपक्ष के नेताओं का हल्का फुल्का पुराना इंटरव्यू निकाल कर ट्वीट कर दिया तो’। रवीश शब्दों के जादूगर हैं और बड़ी ही सरलता से शब्दों को पिरोकर एक ऐसा वाक्य बना जाते हैं, जो चाशनी में लिपटे करेले जैसा स्वाद देता है।
इस चुनाव में मुद्दों से ज्यादा राजनीति हावी है। वैसे राजनीति में ‘राजनीति’ के हावी न होने की उम्मीद लगाना भी व्यर्थ है, लेकिन इस बार माहौल सबसे अलग है। इसलिए रवीश ने भी इस गैर-राजनीतिक इंटरव्यू को ध्यान में रखते हुए अलग ही अंदाज़ में ‘हावी’ को परिभाषित किया है। मसलन, ‘सच यही है कि इस चुनाव में मुद्दों ने नमस्कार कर लिया है। मुद्दे शिमला चले गए हैं। इसलिए हमने ट्राई किया कि राजनीति से हट कर कुछ किया जाए। वो तो उन चुनावों की बात थी जब जनता मुद्दों की बात करती थी। ग़रीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी, दीवारों पर नारे लिखे होते थे। सबको काम, सबको नाम। अब अचानक हर कोई मुद्दा मुक्त फील करने लगा है। आंधी आती है, शेर आता है मगर मुद्दा ही नहीं आता है। इतनी राजनीति हो गई है कि राजनीति से हट कर कुछ करने का मन कर रहा है। किसी को राजनीति नहीं चाहिए। बीमा का पैसा नहीं मिल रहा है, नहीं चाहिए। अनाज का दाम नहीं मिल रहा है नहीं चाहिए। फीस महंगी है, दे देंगे। स्कूल वाले और मांगेंगे तो और दे देंगे। नौकरी नहीं चाहिए। हम बेरोज़गार रह लेंगे लेकिन आप हमें मुद्दा न दें। इसलिए थोड़ा राजनीति से हटकर हो जाए। ये क्राइसिस कार्यकर्ता का भी है। पांच साल काम करो, फिर अचानक विजेंद्र या गौतम गंभीर का स्वागत करो। पिछली बार जिनसे हारे थे, इस बार उनका स्वागत करो। तो कार्यकर्ता भी राजनीति से ऊब गया है। इनका कब स्वागत करना है, कब विरोध करना है, बेहद डिफिकल्ट क्वेश्चन है। इसलिए राजनीति से हट कर कुछ किया जाए’।
प्रधानमंत्री मोदी के गैर-राजनीतिक इंटरव्यू का इससे बेहतर अ-पॉलिटिकल पोस्टमार्टम नहीं हो सकता। रवीश कुमार ने वो सबकुछ कहा, जो वह हमेशा कहते हैं लेकिन इस बार वो अ-पॉलिटिकल हो गया। यही रवीश की खासियत है, उन्हें पता है कि किसका कैसे जवाब देना है और किस अंदाज़ में देना है। फ़िलहाल जितनी चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या पीएम और अक्षय की चर्चा ज़रूरी थी, उतनी ही चर्चा अब इस पर भी शुरू होगी कि क्या रवीश का प्राइम टाइम गैर-राजनीतिक था? और यही वो चाहते भी हैं।
रवीश कुमार का प्राइम टाइम आप यहां देख सकते हैं-
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की ओर से छत्तीसगढ़ समेत अलग-अलग राज्यों के कई शहरों में बड़े पैमाने पर जांच की कार्यवाही की जा रही है
केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ED की ओर से छत्तीसगढ़ समेत अलग-अलग राज्यों के कई शहरों में बड़े पैमाने पर जांच की कार्यवाही की जा रही है। इसी कड़ी में ED ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, विशाखापत्तनम, कोलकाता समेत कुल 26 ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया है।
बता दें कि ED द्वारा यह कार्रवाई कोयला तस्करी और सरकारी अधिकारियों द्वारा नीलामी प्रक्रिया को प्रभावित करने के मामले में की जा रही है और महत्वपूर्ण दस्तावेजों की तलाश की जा रही है। इस कड़ी में ED अब छत्तीसगढ़ जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबरा तक भी पहुंच गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मंगलवार को ED की एक टीम छत्तीसगढ़ जनसंपर्क आयुक्त दीपांशु काबराके भिलाई सेक्टर 9 और रायपुर निवास पर भी जांच के लिए पहुंची है।
काबरा 1997 बैच के आइपीएस ऑफिसर हैं और वह छत्तीसगढ़ में जनसंपर्क विभाग के आयुक्त होने के साथ वह परिवहन विभाग के आयुक्त भी हैं। वह छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के बेहद ही करीबी माने जाते हैं।
लोकसभा सांसद राहुल शेवाले एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स (enba) की जूरी पैनल में शामिल हो गए हैं।
लोकसभा सांसद राहुल शेवाले एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स (enba) की जूरी पैनल में शामिल हो गए हैं। शेवाले शिवसेना पार्टी से हैं और मुंबई दक्षिण मध्य निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हैं। वह बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) की स्थायी समिति के चार बार अध्यक्ष रह चुके हैं। यह मुंबई शहर का नगर निगम है, जहां उन्होंने 2010 से 2014 तक पदभार संभाला था।
शेवाले ने मार्केट एंड गार्डन कमेटी (Market and Garden Committee) और वार्ड कमेटी (Ward Committee) का भी नेतृत्व किया है और लॉ कमेटी के सदस्य भी रहे हैं। वह 2004 के विधानसभा चुनाव के दौरान ट्रॉम्बे विधानसभा सीट से शिवसेना के उम्मीदवार थे, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार से हार गए थे। शेवाले ने रवींद्र वायकर के साथ मिलकर सबसे अधिक बार बीएमसी स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने का रिकॉर्ड बनाया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2008 में एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप द्वारा enba को शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य टीवी न्यूज में सर्वश्रेष्ठ शख्सियतों को पहचानना और भारत में टीवी ब्रॉडकास्ट के भविष्य को आकार देने के लिए इंडस्ट्री के जिम्मेदार व्यक्तियों को पुरस्कृत करना है। इस वर्ष enba अपने 15वें संस्करण में है और जूरी का नेतृत्व सीनियर ब्यूरोक्रेट और भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा करेंगे।
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‘एनडीटीवी’ (NDTV) ने यूके सिन्हा और दीपाली गोयनका को इंडिपेंडेट डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया है। इस पद पर उनकी नियुक्ति दो साल के लिए की गई है और यह 27 मार्च 2023 से प्रभावी होगी।
उनकी यह नियुक्ति नामांकन और पारिश्रमिक समिति की सिफारिशों के आधार पर की गई है और यह शेयरधारकों व सूचना-प्रसारण मंत्रालय के अनुमोदन के अधीन होगी। यूके सिन्हा को एनडीटीवी के गैर-कार्यकारी अध्यक्ष (Non-Executive Chairperson) के रूप में भी नामित किया गया है।
बता दें कि यूके सिन्हा वर्ष 2011 से 2017 तक ‘भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड’ (सेबी) के चेयरमैन के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्हें अपने कार्यकाल में सेबी को टेकओवर कोड, विदेशी पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स और वैकल्पिक निवेश फंड जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण नियामक संशोधन लाने का श्रेय दिया जाता है।
वहीं, दीपाली गोयनका ‘वेलस्पन इंडिया लिमिटेड’ (Welspun India Limited) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।
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देश में पत्रिकाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘द एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजींस’ (AIM) के प्रमुख इवेंट ‘इंडियन मैगजीन कांग्रेस’ (IMC) का आयोजन नई दिल्ली के 'दि ओबेरॉय' होटल में 24 मार्च को आयोजित किया गया।
बता दें कि मैगजीन पब्लिशिंग इंडस्ट्री से जुड़े तमाम लोगों को एक मंच पर लाने के लिए वर्ष 2006 में इस आयोजन की शुरुआत हुई थी, जिसमें एडिटर्स, पब्लिशर्स, मीडिया संस्थानों के डिजिटल हेड्स, पॉलिसीमेकर्स, मीडिया संस्थानों के मालिक, मार्केटर्स, मीडिया प्लानर्स के साथ ही रिसर्चर और इंडस्ट्री से जुड़े विश्लेषक शामिल होते हैं। यह इस आयोजन का 12वां एडिशन है।
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व वायनाड के पूर्व लोकसभा सांसद राहुल गांधी को जब से अयोग्य घोषित किया गया है, उसके बाद से तो कांग्रेस पार्टी पूरी उग्र तेवर अपनाए हुए है
कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व वायनाड के पूर्व लोकसभा सांसद राहुल गांधी को जब से अयोग्य घोषित किया गया है, उसके बाद से तो कांग्रेस पार्टी पूरी उग्र तेवर अपनाए हुए है। कांग्रेस पार्टी इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी पर लगातार निशाना साध रही है, साथ ही पार्टी के नेता और कार्यकर्ता जगह-जगह प्रदर्शन भी कर रहे हैं। इसी सिलसिले में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रविवार को ग्वालियर में पत्रकारों से चर्चा की। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उम्र संबंधी सवाल पूछने पर वह एक पत्रकार पर भड़क गए और दोनों लोगों के बीच बहस हो गई।
पत्रकार ने दिग्विजय सिंह से मध्य प्रदेश में उम्रदराज कांग्रेस नेताओं के बारे में पूछा था। पत्रकार ने पूछा था कि कांग्रेस में युवा नेता पार्टी से नाराज चल रहे हैं, क्योंकि उन्हें मौका नहीं मिल रहा है। क्या जो बुजुर्ग नेता 75 साल के हो चुके हैं, उनके चेहरों पर आप चुनाव जीत लेंगे? बस इसी सवाल पर दिग्विजय सिंह गुस्से में आग बबूला हो गए और अचानक भड़क गए। उन्होंने बीजेपी नेताओं की उम्र पर को लेकर उल्टा सवाल पत्रकार से कर दिया।
पत्रकार के सवाल पर भड़कते हुए उन्होंने कहा कि क्या दिग्विजय सिंह बैशाखी पर चल रहा है। यह सवाल आप बीजेपी से क्यों नहीं पूछते। क्या बीजेपी में शिवराज सिंह चौहान और नरेन्द्र मोदी जी युवा हैं? क्या दोनों बुजुर्ग नहीं हैं। इसके साथ ही दिग्विजय सिंह ने पत्रकार पर भड़कते हुए कहा कि आप बेहूदा सवाल पूछ रहे हैं। आप टीवी संस्थान का नाम बदनाम कर रहे हैं। आप मोदी जी से प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए क्यों नहीं कहते हैं।
#Watch: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह रविवार को ग्वालियर में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार के सवाल पर भड़क गए। पत्रकार ने उनसे पूछा था कि क्या जो बुजुर्ग नेता 75 साल के हो चुके हैं उनके चेहरों पर आप चुनाव जीत लेंगे।#digvijayasingh #Gwalior #MadhyaPradesh pic.twitter.com/j54xAUlj1s
— Hindustan (@Live_Hindustan) March 26, 2023
बता दें कि इससे पहले 'मोदी सरनेम' को लेकर मानहानि के मामले में सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा से अपनी अयोग्यता पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने शनिवार को उस पत्रकार पर अपना आपा खो बैठे, जो पिछले दस सालों से कांग्रेस कवर कर रहा है। उन्होंने न्यूज18 के पत्रकार को न केवल पाठ पढ़ाने की कोशिश की, बल्कि उन्हें भाजपा का एजेंट तक बता दिया था और उन्हें 'बेहतर पत्रकार' बनने की सलाह भी दी।
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आउट ऑफ होम (OOH) मीडिया सेवाएं मुहैया कराने के कारोबार में जुटी ब्राइट आउटडोर मीडिया लिमिटेड शुक्रवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (SME एक्सचेंज) पर सूचीबद्ध हो गई
आउट ऑफ होम (OOH) मीडिया सेवाएं मुहैया कराने के कारोबार में जुटी ब्राइट आउटडोर मीडिया लिमिटेड (Bright Outdoor Media Ltd) शुक्रवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (SME एक्सचेंज) पर सूचीबद्ध हो गई।
यह स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने वाली भारत की पहली आउटडोर मीडिया कंपनी है।
इस मौके पर कंपनी ने कहा, ‘आईपीओ ने लॉन्च के दिन यानी शुक्रवार, 24 मार्च को बेहतरीन तरीके से लिस्टिंग दर्ज की। शेयर ने अपर सर्किट पर भी कारोबार किया।’
बेल रिंगिंग समारोह में सीनियर पॉलीटिकल लीडर्स, फिल्म एक्टर्स और कॉरपोरेट जगत की प्रसिद्ध हस्तियों शामिल रहीं।
इससे पहले, कंपनी ने यह जानकारी दी थी कि 55.48 करोड़ रुपए जुटाने के लिए उसके आईपीओ को बेहतरीन रिस्पॉन्स मिला है। मार्केट की अस्थिरता के बावजूद इसे 1.27 गुना ज्यादा सब्सक्राइब किया गया, जबकि रिटेल कैटेगरी में 1.15 गुना सब्सक्रिप्शन देखा गया, तो वहीं NII कैटेगरी ने 1.39 गुना बिड्स मिलीं।
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मल्टीप्लेटफॉर्म कंटेंट एसेट मोनिटाइजेशन कंपनी ‘इंडियाकास्ट’ (IndiaCast) ने पीषूष गोयल को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) के पद पर नियुक्त किया है। अपने 20 साल से ज्यादा के करियर में पीयूष गोयल ‘स्टार टीवी’ (Star TV), ‘नेटवर्क18‘ (Network18), ‘एनडीटीवी’ (NDTV) और ‘डेन नेटवर्क्स’ (DEN Networks) जैसी जानी-मानी मीडिया कंपनियों में काम कर चुके हैं।
पीयूष गोयल ‘इंडियाकास्ट’ से पहले ‘स्टार इंडिया’ (Star India) में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट और हेड (Key Accounts) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। जहां उन्होंने तमाम प्रमुख मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स (multi system operators) और डीटीएच (direct-to-home) प्लेयर्स के साथ डील किया।
अपनी नई भूमिका में पीयूष गोयल अब ‘नेटवर्क18’ समूह के टीवी न्यूज, एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स बिजनेस के संचालन प्रमुखों (ऑपरेटिंग हेड्स) के साथ मिलकर काम करेंगे। वह ‘नेटवर्क18’ के मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल जोशी को रिपोर्ट करेंगे।
अपनी नियुक्ति के बारे में पीयूष गोयल का कहना है, ‘इंडियाकास्ट से जुड़कर इसका विस्तार करने को लेकर मैं बेहद रोमांचित हूं। इंडियाकास्ट में 10 साल बाद मेरे लिए घर वापसी हो रही है। मीडिया इंडस्ट्री में लगातार बदलते परिदृश्य के साथ सबसे तेजी से बढ़ते इस मीडिया समूह का हिस्सा बनने का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था।’
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पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बुधवार को प्रतिष्ठित रामनाथ गोयका अवॉर्ड्स दिए गए। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के मुख्य आतिथ्य में नई दिल्ली में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में विजेता पत्रकारों को ये अवॉर्ड्स दिए गए। इनमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया तीनों के पत्रकार शामिल थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पत्रकारिता के पेशे की काफी सराहना की। उनका कहना था, ‘यदि लोकतंत्र को बनाए रखना है तो उसके लिए पत्रकारिता को पूर्ण स्वतंत्रता देना जरूरी है। वहीं, पत्रकारों के लिए निष्पक्षता के मानकों को बनाए रखना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है।’
यह भी पढ़ें: इन पत्रकारों को मिला प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड, देखें पूरी लिस्ट
फेक न्यूज को समाज के लिए गंभीर खतरा बताते हुए चीफ जस्टिस का यह भी कहना था कि फेक न्यूज में समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की क्षमता होती है, इसलिए सच्चाई और झूठ के बीच की खाई को ठीक करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए एक व्यापक फैक्ट चेकिंग मैकेनिज्म पहले होना चाहिए।
इसके साथ ही चीफ जस्टिस का यह भी कहना था, ‘मैं उन रिपोर्ट्स की गहराई से बेहद प्रभावित हूं, जिनमें हमारे देश के रिपोर्टर्स जुटे हुए हैं। जो पत्रकार आज नहीं जीते हैं, उनके लिए मैं यही कहना चाहता हूं कि आप जीवन के खेल में किसी विजेता से कम नहीं हैं, क्योंकि आपका पेशा एक महान पेशा है।’
अपने संबोधन में कानून और पत्रकारिता दोनों की बात करते हुए चीफ जस्टिस का यह भी कहना था, ‘पत्रकार और वकील (या न्यायाधीश, जैसा कि मेरे मामले में है) कुछ मामलों में एक जैसे होते हैं। निस्संदेह, दोनों प्रोफेशन के लोग इस बात पर दृढ़ विश्वास रखते हैं कि कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली होती है। लेकिन, वे अपने पेशे के आधार पर नापसंद किए जाने के व्यावसायिक खतरे को भी शेयर करते हैं। दोनों प्रोफेशन के मेंबर्स अपने दैनिक कार्यों में लगे रहते हैं और उम्मीद करते हैं कि एक दिन उनके पेशे की प्रतिष्ठा में बदलाव आएगा।’
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पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए हर साल दिए जाने वाले प्रतिष्ठित रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स की घोषणा कर दी गई है। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के मुख्य आतिथ्य में नई दिल्ली में बुधवार को आयोजित एक कार्यक्रम में विजेता पत्रकारों को ये अवॉर्ड्स दिए गए। इनमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया तीनों के पत्रकार शामिल थे।
आपको बता दें कि कोराना महामारी के कारण तीन साल बाद इस अवॉर्ड समारोह का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम में वर्ष 2019 और 2020 के विजेताओं को एक साथ सम्मानित किया गया। दरअसल, वर्ष 2019 के विजेताओं की घोषणा तो पहले ही कर दी गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण उन्हें व्यक्तिगत रूप से सम्मानित नहीं किया जा सका था। ऐसे में कुल मिलाकर दो सालों के 43 विजेताओं को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
गौरतलब है कि रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स की शुरुआत ‘एक्सप्रेस’ समूह ने अपने संस्थापक रामनाथ गोयनका के जन्मशताब्दी वर्ष पर हुए समारोहों के दौरान वर्ष 2006 में की थी। इस पुरस्कार का मकसद पत्रकारिता में उत्कृष्टता, साहस और प्रतिबद्धता की पहचान करना और देश भर के पत्रकारों के असाधारण योगदान को सबके सामने लाना है। इस अवॉर्ड के तहत प्रत्येक विजेता को एक ट्रॉफी और एक लाख रुपए दिए जाते हैं।
इस एडिशन के लिए विजेताओं का चुनाव करने के लिए जो जूरी गठित की गई थी, उसमें जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण (सेवानिवृत्त), ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के फाउंडिंग वाइस चांसलर और डीन प्रो. (डॉ.) सी राज कुमार, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी और भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के जी सुरेश शामिल थे।
विजेताओं की पूरी सूची आप यहां देख सकते हैं-
हिंदी, 2019
प्रिंट- आनंद चौधरी, दैनिक भास्कर
ब्रॉडकास्ट- सुशील महापात्रा
क्षेत्रीय भाषा, 2019
प्रिंट- अनिकेत वसंत साठे, लोकसत्ता
ब्रॉडकास्ट- सुनील बेबी, मीडिया वन टीवी
हिंदी, 2020
प्रिंट- ज्योति यादव और बिस्मि तास्किन
ब्रॉडकास्ट- आशुतोष मिश्रा, आजतक
क्षेत्रीय भाषा, 2020
प्रिंट- श्री लक्ष्मी एम और रोज मारिया विंसेंट, मातृभूमि डॉट कॉम
ब्रॉडकास्ट- श्रीकांत बांगले, बीबीसी न्यूज, मराठी
पॉलिटिक्स एंड गवर्मेंट कैटेगरी, 2019
प्रिंट- धीरज मिश्रा, द वायर
ब्रॉडकास्ट- सिमी पाशा, द वायर
रिपोर्टिंग ऑन पॉलिटिक्स एंड गवर्नमेंट, 2020
ब्रॉडकास्ट- बिपाशा मुखर्जी, इंडिया टुडे टीवी
अनकवरिंग इंडिया इनविजिबल, 2019
प्रिंट- शिव सहाय सिंह, द हिंदू
ब्रॉडकास्ट- त्रिदिप के मंडल, द क्विंट
अनकवरिंग इंडिया इनविजिबल, 2020
प्रिंट- थॉमसन रॉयटर्स
ब्रॉडकास्ट- संजय नंदन, एबीपी नेटवर्क
एनवायरमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिपोर्टिंग, 2019
प्रिंट- टीम परी
ब्रॉडकास्ट- टीम, स्क्रॉल डॉट इन
एनवायरमेंट, साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिपोर्टिंग, 2020
प्रिंट- मनीष मिश्रा, अमर उजाला
ब्रॉडकास्ट- फे डी-सूजा और अरुण रंगास्वामी, फ्री मीडिया इंटरएक्टिव
बिजनेस एंड इकॉनॉमिक जर्नलिज्म, 2019
प्रिंट- सुमंत बैनर्जी, बिजनेस टुडे
ब्रॉडकास्ट- आयुषी जिंदल, इंडिया टुडे टीवी
बिजनेस एंड इकॉनॉमिक जर्नलिज्म, 2020
प्रिंट- ओमकार खांडेकर, एचटी-मिंट
इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग, 2019
प्रिंट- कुनैन शरीफ एम, इंडियन एक्सप्रेस
ब्रॉडकास्ट- एस महेश कुमार, मनोरमा न्यूज
इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग, 2020
प्रिंट- तनुश्री पांडे, इंडिया टुडे
ब्रॉडकास्ट- मिलन शर्मा, इंडिया टुडे टीवी
फॉरेन कॉरपोंडेंट कवरिंग इंडिया, 2020
जोएना स्लेटर, द वाशिंगटन पोस्ट
स्पोर्ट्स जर्नलिज्म, 2019
प्रिंट- निहाल कोशी, इंडियन एक्सप्रेस
ब्रॉडकास्ट- टीम न्यूज एक्स
स्पोर्ट्स जर्नलिज्म, 2020
प्रिंट- मिहिर वसावड़ा, इंडियन एक्सप्रेस
ब्रॉडकास्ट- अजय सिंह, एनडीटीवी इंडिया
रिपोर्टिंग ऑन आर्ट्स, कल्चर एंड एंटरटेनमेंट 2020
प्रिंट- तोरा अग्रवाल
सिविक जर्नलिज्म, 2019
प्रिंट- चैतन्य मरपकवार, मुंबई मिरर
सिविक जर्नलिज्म, 2020
प्रिंट- शेख अतीक राशिद, इंडियन एक्सप्रेस
फोटो जर्नलिज्म, 2019
जीशान अकबर लतीफ, द कैरवन
फोटो जर्नलिज्म, 2020
तरुण रावत, टाइम्स ऑफ इंडिया
बुक्स (नॉन फिक्शन) 2019
अरुण मोहन कुमार, पेंग्विन रैंडम हाउस, इंडिया
बुक्स (नॉन फिक्शन) 2020
त्रिपुदमन सिंह, पेंग्विन रैंडम हाउस, इंडिया
निखिल गांधी ने ‘एमएक्स प्लेयर’ को अगस्त 2021 में जॉइन किया था। इससे पहले वह ‘टिकटॉक’ के हेड (मिडिल ईस्ट, अफ्रीका, तुर्की और साउथ एशिया) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
ओटीटी प्लेटफॉर्म ‘एमएक्स प्लेयर’ (MX Player) के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) निखिल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस बारे में ‘एमएक्स प्लेयर’ द्वारा की गई घोषणा के अनुसार, निखिल गांधी ने अन्य हितों के मद्देनजर एमएक्स प्लेयर में सीओओ पद छोड़ने का फैसला लिया है।
कंपनी की ओर से कहा गया है कि नोटिस पीरियड के दौरान निखिल गांधी निर्बाध परिवर्तन सुनिश्चित कर रहे हैं। इस दौरान निखिल गांधी ने एमएक्स प्लेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी करण बेदी के साथ मिलकर काम किया और कंपनी को आगे बढ़ाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
‘एमएक्स प्लेयर’ के सीईओ करण बेदी का कहना है, ‘कंपनी आज काफी मजबूत स्थिति में है, इसके लिए निखिल गांधी के योगदान को धन्यवाद। हमें पूरा विश्वास है कि हमारी टीम, मूल्यों और प्रतिभाओं का विस्तार करती रहेगी, व्यापार तालमेल में सुधार करेगी और अधिक मूल्यवान संगठनात्मक इकाई बनाएगी। हम निखिल के नेतृत्व और एमएक्स प्लेयर के विकास और सफलता में सार्थक योगदान के लिए निखिल को धन्यवाद देते हैं और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।’
वहीं, निखिल गांधी का कहना है, ‘एमएक्स प्लेयर में मेरे कार्यकाल के दौरान हमने जो कुछ हासिल किया है, उस पर मुझे गर्व है। मैं करण और उस असाधारण टीम का विशेष रूप से आभारी हूं, जिन्होंने मेरे साथ मिलकर नई ऊंचाई हासिल की और यूजर्स व स्टेकहोल्डर्स के लिए काफी प्रभावशाली अनुभव दिए।’
बता दें कि निखिल गांधी की खबर उस समय सामने आई है, जब इस ओटीटी प्लेटफॉर्म की पैरेंट कंपनी ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) को लेकर चर्चा है कि वह जानी-मानी ई-कॉमर्स कंपनी ‘एमेजॉन’ (Amazon) को ‘एमएक्स प्लेयर’ बेचने की तैयारी में है। बिक्री से होने वाली आय से करण बेदी को काफी फायदा होने की संभावना है। हालांकि, यह कितना और क्या होगा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसका लाभ मिलेगा, फिलहाल इसका पता नहीं चल सका है।
निखिल गांधी ने ‘एमएक्स प्लेयर’ को अगस्त 2021 में जॉइन किया था। इससे पहले वह ‘टिकटॉक’ के हेड (मिडिल ईस्ट, अफ्रीका, तुर्की और साउथ एशिया) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से उन्होंने मई 2021 में इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अक्टूबर 2019 में ‘टिकटॉक’ के इंडिया और साउथ एशिया हेड के रूप में जॉइन किया था।
आपको यह भी बता दें कि एमेजॉन यदि एमएक्स प्लेयर का अधिग्रहण करती है तो इस हाई प्रोफाइल डील से भारत के ओटीटी मार्केट में चल रही प्रतिस्पर्धा में और तेजी आ सकती है।सूत्रों के अनुसार, ‘यह डील करीब 100 मिलियन डॉलर की होगी और यह उस रकम से 40 मिलियन डॉलर कम है, जो टाइम्स इंटरनेट ने एमएक्स प्लेयर के अधिग्रहण के समय निवेश की थी।’
हालांकि, यदि यह डील वास्तव में परवान चढ़ती है तो उपभोक्ता अधिग्रहण (consumer acquisition) के मामले में एमेजॉन प्राइम वीडियो चार गुना बड़ा हो जाएगा। भारत में एमेजॉन के इस समय अनुमानित 28 मिलियन यूजर्स हैं, जबकि एमएक्स प्लेयर के करीब 78 मिलियन यूजर्स हैं।
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