BW Disrupt 40 Under 40 अवॉर्ड्स से नवाजे गए ये युवा, देखें पूरी लिस्ट

बिजनेसवर्ल्ड की ओर से देश के 40 साल से कम उम्र वाले ऐसे युवाओं को अवॉर्ड दिया गया, जिन्होंने एंटरप्रिन्योरशिप की दुनिया में धूम मचा रखी है

Last Modified:
Friday, 25 October, 2019
Businessworld


एंटरप्रिन्योरशिप की दुनिया में धूम मचाने वाले देश के 40 साल की उम्र से कम वाले 40 चुनिंदा ‘डिस्रप्टिव फाउंडर्स’ (disruptive founders), कॉरपोरेट लीडर्स और इंडस्ट्री की दशा व दिशा बदलने वालों की तलाश आखिरकार पूरी हो गई। दिल्ली में 23 अक्टूबर को आयोजित (BW Businessworld 40 under 40 Awards) के तीसरे एडिशन के तहत इन सभी विजेताओं को सम्मानित किया गया। बिजनेसवर्ल्ड (BW Businessworld) की ओर से इस कार्यक्रम का आयोजन स्टार्टअप्स के लिए लॉन्च किए गए मीडिया प्लेटफॉर्म ‘BW Disrupt’ के साथ मिलकर किया गया।

बता दें कि विजेताओं का चयन करने के लिए एक जूरी का गठन किया गया था। जूरी को (40 under 40 awards) के लिए इस साल 267 एंट्रीज मिली थीं। इस साल जूरी में ‘माइक्रोसॉफ्ट इंडिया’ के पूर्व चेयरपर्सन भास्कर प्रमाणिक, ‘वेंचर गुरुकुल’ (Venture Gurukool) के फाउंडर महेंद्र स्वरूप आदि शामिल थे।

इससे पहले 10 अक्टूबर को जूरी मीट का आयोजन किया गया था, जहां पर जूरी मेंबर्स ने शॉर्टलिस्ट किए गए 120 कैंडिडेट्स में से 40 विजेताओं के नाम पर मुहर लगाई। जूरी मेंबर और ‘लाइटस्पीड इंडिया पार्टनर्स’ (Lightspeed India Partners) के पार्टनर वैभव अग्रवाल ने बताया, ‘विजेताओं का चयन काफी मुश्किल काम था और यह प्रक्रिया काफी लंबी चली। इसमें हमें जूरी के अन्य सदस्यों के अनुभव का भी लाभ मिला।’  

जूरी के एक अन्य सदस्य और ‘टीपीजी ग्रोथ’ (TPG Growth) के हेड (भारत और दक्षिण अफ्रीका) शैलेष राव ने कहा, ‘प्रतिभागियों के जुनून, महत्वाकांक्षा, विचारशीलता और परिपक्वता देखकर मैं काफी प्रभावित हूं। इन युवाओं को देखकर मैं कह सकता हूं कि देश और दुनिया काफी अच्छे हाथों में है।’

इस दौरान कार्यक्रम को कई शख्सियतों ने संबोधित भी किया, जिनमें ‘रिपब्लिक टीवी’ के को-फाउंडर, एमडी और एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी, ‘पॉलिसी बाजार’ के को-फाउंडर और डायरेक्टर आलोक बंसल, ‘JJUST Music’ के फाउंडर जैकी भगनानी, ‘अवाना कैपिटल’ (Avana Capital) की फाउंडर अंजलि बंसल और ‘Bobble AI’ के फाउंडर अंकित प्रसाद आदि शामिल थे।

इस अवॉर्ड को पाने वालों की लिस्ट आप यहां देख सकते हैं।

1. Abhay Hanjura, Co-Founder, Licious (Delightful Gourmet)

2. Akshay Mehrotra, Co-Founder & CEO, EarlySalary

3. Angad Bhatia, Founder & COO, MensXP

4. Anindita Sampath, Co-founder & CEO, Yoga Bars (Sproutlife)

5. Anindya Dutta, MD & Co-founder, Stanza Living

6. Ankit Prasad, Founder & CEO, Bobble AI

7. Annu Talreja, Co-Founder & CEO, Oxfordcaps Student Residences

8. Anurag Jain, Founder, KredX

9. Archit Gupta, Founder & CEO, Cleartax

10. Arjun Vaidya, CEO, Dr. Vaidya's

11. Aseem Garg, Founder & Promoter, DCDC Health Services

12. Ashwin Suresh, Founder, Pocket Aces Pictures

13. Bala Sarda, Founder & CEO, Vahdam Teas

14. Bhavin Turakhia, CEO & co-founder, Zeta

15. Dr. B. Abhinay, CEO, Krishna Institute of Medical Sciences

16. Gaurav Goel, Founder & CEO, Samagra | Transforming Governance

17. Ghazal Alagh, Co-founder, MamaEarth

18. Gita Ramanan, CEO, Design Cafe

19. Karan Bedi, Founder-CEO, MX Player

20. Kruti Bharucha, Founder & CEO, Peepul

21. Kushagra Nandan, Co-founder, President, SunSource Energy

22. Malika Sadani, Founder, The Moms Co.

23. Mayank Kachhwaha, COO & Co-Founder, IndiaLends

24. Mayukh Choudhury, Co-founder & CEO, Milaap Social Ventures

25. Miniya Chatterji, Founder & CEO, Sustain Labs Paris

26. Nidhi Kumra, Co-founder & CEO, Your Space

27. Nitin Tewari, Director, Together at 12th & BarTrender OPC

28. Piyush Jain, Co-Founder & CEO, Impact Guru Technology Ventures

29. Priyanka Gill, Founder, and CEO, Luxeva India

30. Pushkar Mukewar, Co-founder and Co-CEO, Drip Capital

31. Rahul Garg, CEO, Moglix - Mogli Labs India

32. Ramakant Sharma, COO & co-founder, Livspace.com

33. Ryan Pinto, CEO, Ryan International Group of Institutions

34. Suhail Sameer, CEO-FMCG, RP-Sanjiv Goenka Group

35. Tuttu M Tomy, Creative Director, Uberdogg design

36. Upasana Taku, Co-founder & COO, Mobikwik

37. Varun Dua, Founder & CEO, ACKO General Insurance

38. Varun Jain, Founder, Director & CEO, Upcurve Business( udChalo)

39. Vipin Pathak, CEO, Aegis Care Advisor

40. Vivek Kumar Singh, Co-Founder & Director, ToneTag

Special Mentions:

Kanika Gupta Shori, Founder and COO, Square Yards

Madhav Sheth, CEO, REALME MOBILE TELCO

Sarvesh Shashi, Founder, and CEO, SARVA – Yoga, Mindfulness & Beyond

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‘SPNI’ में इस बड़े पद से हम्सा धीर ने अलग होने का लिया फैसला

वह करीब दस साल से इस कंपनी में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 08 September, 2025
Last Modified:
Monday, 08 September, 2025
Humsa Dhir

सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (SPNI) में सीनियर वाइस प्रेजिडेंट और हेड ऑफ कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस के पद पर कार्यरत हम्सा धीर (Humsa Dhir) ने यहां अपनी पारी को विराम देने का फैसला कर लिया है। वह करीब दस साल से इस कंपनी में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

इस बारे में ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया की चीफ ह्यूमन रिसोर्सेस ऑफिसर (CHRO) मनु वाधवा ने कहा, ‘हम्सा SPNI की प्रतिष्ठा और मूल्यों की एक बेहतरीन संरक्षक रही हैं। उन्होंने संस्थान की पहचान और स्टोरीज को शानदार तरीके से गढ़ा, हितधारकों से गहरा जुड़ाव बनाया और हमेशा ईमानदारी से नेतृत्व किया। उनकी समझ, उनका सहयोग और उनका आत्मविश्वास हमें हमेशा याद आएगा। पूरी SPNI टीम की ओर से हम उन्हें आगे की नई यात्रा के लिए ढेरों शुभकामनाएँ देते हैं।

वहीं, हम्सा धीर का कहना था, ‘पिछले एक दशक में मुझे एक ऐसी कम्युनिकेशंस टीम को बनाने और नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला, जिसने कंपनी की छवि और भरोसे को मजबूत किया। इस भूमिका में रणनीति और संवेदनशीलता दोनों का संतुलन जरूरी था, जिससे मुझे पेशेवर और व्यक्तिगत स्तर पर आगे बढ़ने के तमाम अवसर मिले। अब जब मैं इस अध्याय को समाप्त कर रही हूं तो मैं आप सभी का आभार व्यक्त करती हूं। आने वाले समय में मैं व्यापक जिम्मेदारियां निभाने और सार्थक स्टोरीज व सकारात्मक लीडरशिप के लिए उत्साहित हूं।’

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संजय गुप्ता: भारतीय मीडिया और टेक्नोलॉजी को नई दिशा देने वाले लीडर

भारतीय बिजनेस लीडरशिप की कहानी में कुछ लोग उस राह पर चलते हैं जो पहले से रोशन होती है, और कुछ लोग अंधेरे में मशाल लेकर आगे बढ़ते हैं, ताकि बाकी लोग उनके बनाए रास्ते पर चल सकें।

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Published - Monday, 08 September, 2025
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Monday, 08 September, 2025
SanjayGupta784

भारतीय बिजनेस लीडरशिप की कहानी में कुछ लोग उस राह पर चलते हैं जो पहले से रोशन होती है, और कुछ लोग अंधेरे में मशाल लेकर आगे बढ़ते हैं, ताकि बाकी लोग उनके बनाए रास्ते पर चल सकें। संजय गुप्ता निस्संदेह दूसरी श्रेणी में आते हैं।

आज उनके जन्मदिन पर यह उपयुक्त है कि हम रुककर उनके उस करियर की यात्रा को देखें जो न केवल जगमगाती है बल्कि अनेक परतों से भरी हुई है- एक ऐसी यात्रा जिसने न केवल कॉरपोरेट्स को आकार दिया, बल्कि भारत की मीडिया और टेक्नोलॉजी की कल्पना को भी नया आयाम दिया।

संजय गुप्ता की कहानी अचानक छलांग लगाने की नहीं है, बल्कि एक कलाकार की तरह महत्वाकांक्षा, अनुशासन और दृष्टि को गढ़ने की है। उनके करियर का हर अध्याय किसी सिम्फनी की धुन की तरह है- संतुलित, मधुर और फिर भी साहसिक विस्तार लिए हुए।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उपभोक्ता वस्तुओं की दुनिया से की, जो भारतीय प्रबंधकों की सीखने की प्रयोगशाला रही है। हिंदुस्तान यूनिलीवर में शुरुआती वर्षों ने उन्हें पैमाने की व्यावहारिकता और बारीकियों की सुंदरता सिखाई- कैसे साबुन की एक टिकिया सिर्फ खुशबू नहीं बल्कि आकांक्षा लेकर चल सकती है, कैसे वितरण केवल लॉजिस्टिक्स नहीं बल्कि सामाजिक ढांचे का हिस्सा है। भारत के ग्रामीण और शहरी, अभिजात और आम बाजारों को समझने की यह नींव आगे उनके नेतृत्व की शैली की बुनियाद बनी।

अगला अध्याय स्टार इंडिया में सामने आया, जहां संजय गुप्ता के स्पर्श ने टेलीविजन को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति में बदल दिया। वे उन वास्तुकारों में थे जिन्होंने समझा कि स्क्रीन पर दिखने वाली कहानियां बदलते समाज का दर्पण और प्रेरणा दोनों बन सकती हैं। उनके नेतृत्व में स्टार इंडिया घर-घर का नाम बन गया- क्रिकेट को प्राइम-टाइम जुनून में बदलते हुए, भारत की क्षेत्रीय आवाजों को राष्ट्रीय स्तर पर गूंजते हुए और नेटवर्क को व्यवसायिक दिग्गज के साथ-साथ सांस्कृतिक संस्था के रूप में स्थापित करते हुए। यहां उन्होंने एक दुर्लभ संतुलन दिखाया- रणनीतिकार और कहानीकार दोनों का। एक ऐसे लीडर का, जो बैलेंस शीट भी पढ़ सकता था और छोटे शहर के एक परिवार की धड़कन भी समझ सकता था जो टीवी स्क्रीन के सामने बैठा था।

लेकिन उनका सबसे उल्लेखनीय कदम अभी बाकी था। जब वे गूगल इंडिया के प्रमुख बने, तो कहानी लिविंग रूम की स्क्रीन से निकलकर जेबों में आ गई। भारत केवल टेक्नोलॉजी का उपभोक्ता नहीं रहा, बल्कि उसके जरिए अपना भविष्य गढ़ने लगा। गुप्ता के नेतृत्व में गूगल सिर्फ सर्च इंजन नहीं रहा, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए कक्षा, उद्यमियों के लिए बाजार और भारत की डिजिटल खाई को पाटने वाला पुल बन गया।

बहुत कम लीडर ऐसे होते हैं जो एफएमसीजी से प्रसारण और फिर वैश्विक टेक्नोलॉजी तक इतनी सहजता से सफर कर पाते हैं। और उनसे भी कम लोग ऐसा भारत की जटिलताओं को समझते हुए कर पाते हैं। उनका नेतृत्व ढांचे थोपने का नहीं, बल्कि ऐसे फ्रेमवर्क बनाने का रहा जो अरबों विविधताओं को समेट सके। यही कारण है कि गूगल एशिया पैसिफिक के अध्यक्ष के पद तक उनका पहुँचना सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि वैश्विक डिजिटल संवाद में भारत की बढ़ती भूमिका का प्रतीक भी था।

संजय गुप्ता के प्रभाव को समझने के लिए उनके पदनामों से आगे देखना होगा। उनकी असली विरासत यह है कि उन्होंने प्रभाव को नए ढंग से परिभाषित किया। उनके लिए नवाचार केवल टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि उन जगहों पर संभावना देखना है जहां और कोई नहीं देखता। प्रभाव का अर्थ दूसरों पर शक्ति नहीं, बल्कि ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जिसमें बाकी लोग भी आगे बढ़ सकें।

उनकी कहानी को खास बनाता है इसका बौद्धिक और मानवीय पक्ष का सहज मेल। वे ब्रैंड्स, नेटवर्क्स और प्लेटफॉर्म्स की बागडोर संभाल चुके हैं, लेकिन उनका नेतृत्व दिखावे से ज्यादा एक ऑर्केस्ट्रेशन जैसा रहा है। जैसे एक संचालक यह सुनिश्चित करता है कि हर वाद्य- सबसे छोटी वायलिन से लेकर सबसे जोरदार ढोल तक, अपने समय पर पूरी धुन में गूंजे।

उनके जन्मदिन पर हम केवल संजय गुप्ता नाम के एक एग्जिक्यूटिव का नहीं, बल्कि उस दूरदर्शी का उत्सव मनाते हैं जो संभावनाओं का नक्शा बनाता है, परंपरा और नवाचार के बीच पुल खड़ा करता है और भारत को केवल एक बाजार नहीं, बल्कि भविष्य की चित्रपटी मानता है।

आज जब नेतृत्व अक्सर तिमाही रिपोर्टों और बाजार मूल्यांकन तक सीमित हो जाता है, गुप्ता हमें याद दिलाते हैं कि किसी लीडर का असली पैमाना उनके पद की ऊंचाई नहीं, बल्कि उन दुनियाओं की चौड़ाई है जिन्हें वे दूसरों के लिए खोलते हैं। उनकी यात्रा याद दिलाती है कि जब प्रभाव कल्पना से जुड़ता है, तो वह वाकई रूपांतरकारी बन जाता है। 

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आलोक मेहता: पत्रकारिता की रोशनी और समाज की आवाज

7 सितंबर 1952 को मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के धाराखेड़ी गांव में जन्मे आलोक मेहता भारतीय पत्रकारिता की उस विरासत का हिस्सा हैं, जिसने सच्चाई और निर्भीकता को अपना धर्म माना।

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Published - Monday, 08 September, 2025
Last Modified:
Monday, 08 September, 2025
AlokMehta7845

7 सितंबर 1952 को मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के धाराखेड़ी गांव में जन्मे आलोक मेहता भारतीय पत्रकारिता की उस विरासत का हिस्सा हैं, जिसने सच्चाई और निर्भीकता को अपना धर्म माना। साधारण गांव से निकलकर वे देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंचे और पांच दशकों से अधिक का सफर तय करते हुए न सिर्फ संपादक, लेखक और प्रसारक बने, बल्कि समाज की आवाज और लोकतंत्र की मजबूत कड़ी भी।

उनकी कलम और आवाज हमेशा सत्ता से सवाल करती रही है। चाहे 1990 का चारा घोटाला हो, चंद्रास्वामी के छल का पर्दाफाश हो या राष्ट्रपति भवन से जुड़ी सनसनीखेज खबर- आलोक मेहता ने जोखिम उठाकर सच सामने रखा। धमकियाँ मिलीं, दबाव पड़ा, लेकिन उन्होंने कलम की नोक को कभी झुकने नहीं दिया। हिंदुस्तान, नवभारत टाइम्स, आउटलुक हिंदी, दैनिक भास्कर, नई दुनिया जैसे प्रतिष्ठित प्रकाशनों में उनकी संपादकीय यात्रा और टीवी कार्यक्रमों में उनकी बेबाक टिप्पणी ने उन्हें हर घर तक पहुंचाया।

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष बनने वाले पहले हिंदी संपादक के रूप में उनका चयन पत्रकारिता में हिंदी की बढ़ती प्रतिष्ठा और उनकी विश्वसनीयता का प्रमाण था। 52 वर्षों के अनुभव में उन्होंने प्रिंट, टीवी और रेडियो तीनों माध्यमों में काम किया और वॉयस ऑफ जर्मनी तथा वॉयस ऑफ अमेरिका जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भी अपनी पहचान छोड़ी।

पत्रकारिता ही नहीं, साहित्य में भी उनका योगदान अद्वितीय रहा। 27 से अधिक पुस्तकों में राजनीति, समाज, अंतरराष्ट्रीय संबंध, यात्रा वृत्तांत और जीवन के अनुभव समाए हैं। उनकी रचनाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर देश की अनेक विभूतियों ने सराहा। "पद्मश्री", "डी.लिट.", "गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार", "भूषण सम्मान" जैसे अनगिनत पुरस्कार उनकी तपस्या की पहचान हैं।

उनकी यात्रा सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। अमेरिका, यूरोप, एशिया और अफ्रीका के अनेक देशों में जाकर उन्होंने भारत की पत्रकारिता का प्रतिनिधित्व किया और विश्व नेताओं से संवाद किया। इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. मनमोहन सिंह से लेकर बराक ओबामा तक, उन्होंने अनेक शख्सियतों से साक्षात्कार किए।

आलोक मेहता की सबसे बड़ी पहचान यही रही कि उन्होंने हमेशा हाशिए पर खड़े समाज की बात की- आदिवासियों, अल्पसंख्यकों, कमजोर तबके की शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों को मंच दिया। उनका मानना था कि पत्रकारिता सत्ता का गीत गाने के लिए नहीं, समाज की पीड़ा और उम्मीदों को आवाज देने के लिए है।

7 सितबंर उनका जन्मदिन था। यह दिन हमें याद दिलाता है कि पत्रकारिता सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि एक संघर्ष और प्रतिबद्धता है। आलोक मेहता उस परंपरा के प्रतिनिधि हैं, जो सच की ताक़त पर भरोसा करती है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर खड़ी रहती है। 

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हैप्पी बर्थडे नवल आहूजा: आप हैं सफलता, संतुलन और सादगी की प्रेरक मिसाल

एक्सचेंज4मीडिया के सह-संस्थापक नवल आहूजा के लिए यह अवसर सिर्फ उम्र की गिनती नहीं है, बल्कि उन अनगिनत यात्राओं का प्रमाण है जो उन्होंने तय कीं

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 06 September, 2025
Last Modified:
Saturday, 06 September, 2025
NawalAhuja8451

जीवन में कुछ पड़ाव ऐसे आते हैं जो भीतर तक छू जाते हैं- जहां समय का बहाव सिर्फ गुजरे सालों का हिसाब नहीं होता, बल्कि जीए गए हर पल का एहसास बन जाता है। 50 वर्ष का पड़ाव भी ऐसा ही है- एक दहलीज, जो आत्ममंथन और जश्न दोनों को एक साथ बुलाती है। एक्सचेंज4मीडिया के सह-संस्थापक नवल आहूजा के लिए यह अवसर सिर्फ उम्र की गिनती नहीं है, बल्कि उन अनगिनत यात्राओं का प्रमाण है जो उन्होंने तय कीं, उन जीवनों का एहसास है जिन्हें उन्होंने छुआ और उस संतुलन का उत्सव है जिसे उन्होंने कठोर मेहनत और सहज जीवन के बीच रचा।

व्यापार और मीडिया की दुनिया में नवल आहूजा वह नाम हैं जिन्होंने अपनी तीक्ष्ण सोच, स्पष्ट दृष्टि और बिना लाग-लपेट की शैली से अलग पहचान बनाई है। उनके साथियों का कहना है कि उनकी बारीकियों पर नजर किसी विरासत से कम नहीं- कई प्रोजेक्ट्स उनकी इसी प्रवृत्ति से बच गए और अच्छे काम बेहतरीन बनते चले गए। वे केवल आदेश से नहीं, बल्कि सटीकता और ईमानदारी से नेतृत्व करते हैं। ऐसी इंडस्ट्री में जहां ध्यान भटकाने वाली चीजें हर ओर हों, वहां उनकी स्पष्टता किसी दुर्लभ तोहफे जैसी लगती है।

उनका प्रोफेशनल सफर हमें यह सिखाता है कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती। जब बाकी लोग फैशन और रुझानों की दौड़ में भागे, नवल ठहरकर पूछते रहे- क्या इसमें सचमुच कोई अर्थ है? क्या यह टिकेगा? यही सोच उनकी टीमों को दिशा देती रही और प्रोफेशनल आचरण का एक नया पैमाना गढ़ती रही। उनके साथ काम करने का मतलब है अनुशासन में लचीलापन, महत्वाकांक्षा में संयम और एकाग्रता में मानवीयता का मेल।

लेकिन अगर हम उन्हें सिर्फ एक सफल प्रोफेशनल मानें तो कहानी अधूरी रह जाएगी। दफ्तर की भागदौड़ से परे उनका दिल पक्षियों की उड़ान में बसता है। पहली नजर में यह शौक भर लगे, लेकिन उनके लिए यह धैर्य, शांति और खोज की साधना है। पंखों की फड़फड़ाहट में उन्हें जीवन की नाजुक सुंदरता दिखती है। उनकी यात्राएं किसी तीर्थयात्रा जैसी होती हैं- जहां आकाश चहचहाहट और परिंदों की उड़ानों से जीवंत हो उठता है और जहां समय का मापदंड डेडलाइन नहीं बल्कि पंखों की धड़कन होती है।

पक्षियों का यह प्रेम उनके प्रोफेशनल जीवन से जुड़ा हुआ है- प्रकृति से सीखा धैर्य उनके काम में सटीकता लाता है, छोटी-छोटी बातों को देखने की आदत उनकी कारोबारी समझ को और पैना करती है और प्राकृतिक दुनिया से मिलने वाली विनम्रता उनके व्यक्तित्व में गहराई भर देती है।

उनके जीवन का दूसरा सबसे बड़ा आधार है परिवार। जब आजकल काम और निजी जीवन का संतुलन अक्सर महत्वाकांक्षा की बलि चढ़ जाता है, नवल ने इसे सच्चाई बनाकर जिया है। उनके लिए घर की खुशियां हमेशा कामयाबी से बड़ी रहीं। उनका मानना है कि सफलता का स्वाद तभी मीठा होता है जब वह अपनों के साथ बाँटी जाए। यही सोच उनकी नेतृत्व शैली में भी झलकती है- जहां रणनीति जितनी पैनी है, वहां सहानुभूति और निष्पक्षता भी उतनी ही गहरी है।

नवल आहूजा की यात्रा हमें याद दिलाती है कि सफलता कोई तेज दौड़ नहीं, बल्कि एक सहज लय है- यह सिर्फ नजर की तीक्ष्णता नहीं, बल्कि दिल की कोमलता भी है। यह केवल उपलब्धियों की गिनती नहीं, बल्कि उड़ते परिंदों को देखकर मिलने वाली मुस्कान भी है।

आज उनके 50वें जन्मदिन पर हम उनका सम्मान करते हैं- उस प्रोफेशनल का जिसने स्पष्टता से इंडस्ट्री को दिशा दी, उस संवेदनशील इंसान का जो परिंदों की उड़ान में अपना सुकून ढूंढ़ता है और उस परिवार-प्रेमी का जिसका जीवन संतुलन हमें सीख देता है।

जन्मदिन मुबारक हो नवल आहूजा। आपकी आने वाली हर उड़ान सफलता, खोज और खुशियों से भरी हो।

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मीडिया में महिलाओं का कम प्रतिनिधित्व चिंता का विषय: रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र की जेंडर इक्वालिटी एजेंसी यूएन वीमेन की असिस्टेंट सेक्रेटरी-जनरल और डिप्टी एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर किर्सी माडी ने कहा, “जब महिलाएं अनुपस्थित होती हैं, तो लोकतंत्र अधूरा रह जाता है”

Vikas Saxena by
Published - Saturday, 06 September, 2025
Last Modified:
Saturday, 06 September, 2025
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लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती महिलाओं की बराबरी पर निर्भर करती है। लेकिन ताजा आकलन बताते हैं कि न तो मीडिया में उन्हें पर्याप्त जगह मिल रही है और न ही उनकी असली भूमिका सामने आ पा रही है। यही संदेश यूएन वीमेन की नई रिपोर्ट दे रही है। संयुक्त राष्ट्र की जेंडर इक्वालिटी एजेंसी यूएन वीमेन की असिस्टेंट सेक्रेटरी-जनरल और डिप्टी एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर किर्सी माडी (Kirsi Madi) ने ताजा विश्लेषण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जब महिलाएं अनुपस्थित होती हैं, तो लोकतंत्र अधूरा रह जाता है।”

माडी ने कहा कि मीडिया में महिलाओं की कम मौजूदगी और गलत ढंग से पेश किया जाना एक गंभीर समस्या है। यदि इसे समय रहते नहीं समझा गया तो आने वाली पीढ़ियों के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाना मुश्किल हो जाएगा।

महिलाओं की असली भूमिका

संयुक्त राष्ट्र के आकलनों के मुताबिक, कई देशों में अधिकार सीमित होने के बावजूद महिलाएं समुदाय की पहलों का नेतृत्व कर रही हैं, शिक्षा में योगदान दे रही हैं और मुश्किल हालात में भी समाज और अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रही हैं।

अफगानिस्तान के कुंदुज प्रांत की मेहरगन एक महिला संगठन चलाती हैं। इस संगठन ने पहले सैकड़ों महिलाओं को प्रशिक्षण दिया और स्थानीय एनजीओ का समर्थन किया था। लेकिन 2022 में फंड और स्टाफ की भारी कमी आ गई। बाद में यूएन वीमेन के सहयोग से यह संगठन फिर से मजबूत हुआ और अब दूसरे महिला समूहों को भी खड़ा होने में मदद कर रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जब मीडिया सिर्फ महिलाओं की पीड़िता वाली छवि दिखाता है, तो उनके नेतृत्व और असली योगदान पर पर्दा पड़ जाता है। मेहरगन जैसी कहानियां बताना जरूरी है ताकि जनता और नीति-निर्माता सिर्फ समस्याएं ही नहीं, बल्कि उन समाधानों को भी देखें जिन्हें महिलाएं खुद बना रही हैं।

समानता की राह में रुकावटें

लैंगिक हिंसा (GBV) से जुड़ी खबरों की कमी भी एक बड़ी चिंता है। रिपोर्ट कहती है कि मीडिया अक्सर रूढ़िवादी सोच को बढ़ावा देता है- जैसे पीड़िता को दोष देना, हिंसा को अलग-थलग घटनाओं की तरह दिखाना, पीड़ितों की आवाज दबाना और रिपोर्टिंग में पक्षपातपूर्ण भाषा का इस्तेमाल करना।

यूएन वीमेन ने बताया कि “100 में से 2 से भी कम खबरें ऐसी होती हैं जो उस हिंसा को कवर करती हैं जिसका सामना बड़ी संख्या में महिलाएं करती हैं।”

इस तरह की कम रिपोर्टिंग हकीकत को तोड़-मरोड़कर पेश करती है और लोगों की सोच पर भी असर डालती है। लगभग 80% खबरें राजनीति, अर्थव्यवस्था या अपराध पर होती हैं, जबकि लैंगिक हिंसा जैसे मुद्दों को नजरअंदाज किया जाता है।

अल्पसंख्यक महिलाओं की स्थिति और भी खराब है। रिपोर्ट बताती है कि समाचारों में अल्पसंख्यक समूहों के लोग केवल 6% ही दिखाए जाते हैं और उनमें से सिर्फ 38% महिलाएं होती हैं। किसी महिला का अल्पसंख्यक समुदाय से होना तो 10 में से 1 से भी कम संभावना रखता है।

आगे की राह

हालात बदलना आसान नहीं है, लेकिन डिजिटल मीडिया से उम्मीद है। महामारी के दौरान ऑनलाइन महिला रिपोर्टरों का प्रतिशत 2015 में 25% से बढ़कर 2020 में 42% तक पहुंच गया।

संयुक्त राष्ट्र की Unstereotype Alliance (अनस्टिरियोटाइप अलायंस), जो मीडिया और विज्ञापन में गलत धारणाओं को मिटाने के लिए काम कर रही है, और HeForShe अभियान जैसी पहलें, महिलाओं को मीडिया में जगह दिलाने और रूढ़ियों को चुनौती देने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

यूएन वीमेन ने कहा कि जैसे-जैसे संयुक्त राष्ट्र की 80वीं जनरल असेंबली करीब आ रही है, जेंडर समानता और महिलाओं के प्रतिनिधित्व को मजबूत करना और जरूरी हो गया है। खासकर इसलिए क्योंकि पिछले 30 सालों में इस क्षेत्र में बहुत कम प्रगति हुई है।

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Times Network: आयशा फरीदी का प्रमोशन, इस बड़े पद पर सजीत मंगट की हुई नियुक्ति

दोनों मुंबई में रहकर काम करेंगे और टाइम्स ग्रुप में सीईओ (एंटरटेनमेंट व डिजिटल बिजनेस) और टीवी न्यूज के अंतरिम प्रभारी रोहित गोपाकुमार को रिपोर्ट करेंगे

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 06 September, 2025
Last Modified:
Saturday, 06 September, 2025
Times Network

देश के प्रमुख मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘टाइम्स नेटवर्क’ (Times Network) ने हाल ही में संस्थान में कुछ प्रमोशंस और नई नियुक्तियां की हैं। इसके तहत आयशा फरीदी को जहां एग्जिक्यूटिव एडिटर (ईटी नाउ और ईटी नाऊ स्वदेश) के पद पर प्रमोट किया गया है। वहीं, सजीत मंगट (Sajeet Manghat) को सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर (ईटी नाउ और ईटी नाऊ स्वदेश) के रूप में टीम में शामिल किया गया है। दोनों मुंबई में रहकर काम करेंगे और टाइम्स ग्रुप में सीईओ (एंटरटेनमेंट व डिजिटल बिजनेस) और टीवी न्यूज के अंतरिम प्रभारी रोहित गोपाकुमार को रिपोर्ट करेंगे। ये सभी नियुक्तियां और प्रमोशन ईटी नाउ और ईटी नाउ स्वदेश की एडिटोरियल और प्रोडक्शन लीडरशिप को और मजबूत बनाने की दिशा में अहम कदम है।

बता दें कि सजीत मंगट एक बेहद अनुभवी पत्रकार हैं और उन्होंने दो दशक से भी ज्यादा समय देश के बड़े बिजनेस न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स जैसे NDTV प्रॉफिट, ब्लूमबर्गक्विंट और CNBC-TV18 में काम किया है। उन्हें वित्तीय बाजार, रिसर्च, कॉरपोरेट रिपोर्टिंग, न्यूज़रूम नेतृत्व और एडिटोरियल स्ट्रैटेजी की गहरी समझ है। वे ईटी नाऊ और ईटी नाऊ स्वदेश दोनों चैनलों के लिए रिसर्च, रिपोर्टिंग, असाइनमेंट डेस्क और गेस्ट को-ऑर्डिनेशन का नेतृत्व करेंगे। इसके अलावा वे ईटी नाऊ स्वदेश के लिए डेस्क, टिकर और सोशल मीडिया (X और LinkedIn) की भी जिम्मेदारी संभालेंगे।

ईटी नाऊ स्वदेश में उनके काम में मदद करेंगे अमरेंद्र सिंह, जिन्हें सीनियर एडिटर के रूप में टाइम्स नेटवर्क ने टीम में शामिल किया है। वे भी डेस्क और असाइनमेंट जैसी अहम जिम्मेदारियां संभालेंगे और सीधे सजीत को रिपोर्ट करेंगे।

वहीं, आयशा फरीदी के प्रमोशन को उनकी मजबूत संपादकीय समझ, ऑन-एयर परफॉर्मेंस, नेतृत्व क्षमता और ईटी नाउ व ईटी नाउ स्वदेश की मार्केट लीडरशिप को मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता का सम्मान माना जा रहा है। अब वे दोनों चैनलों के लिए प्रोडक्शन, प्लानिंग, स्पेशल शोज़ और क्वालिटी कंट्रोल की जिम्मेदारी संभालेंगी। इसके अलावा, वे ईटी नाउ के लिए डेस्क, टिकर और सोशल मीडिया (X और LinkedIn) भी देखेंगी। वे अपनी एंकरिंग की जिम्मेदारी भी निभाती रहेंगी।

ईटी नाउ में उनके काम में सहयोग करेंगी डिंपल शर्मा, जिन्हें लीड की भूमिका में प्रमोट किया गया है। वे टिकर, असाइनमेंट, प्लानिंग, क्वालिटी कंट्रोल और सोशल मीडिया की जिम्मेदारी संभालेंगी। वहीं पेट्रिशिया हाउ अब डेस्क की जिम्मेदारी देखेंगी।

बता दें कि टाइम्स नेटवर्क ने हाल ही में विशाल अग्रवाल को भी टीम में शामिल किया है। वह सीनियर एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर और हेड ऑफ प्रोडक्शन के तौर पर ईटी नाउ और ईटी नाउ स्वदेश दोनों चैनलों के प्रोडक्शन का नेतृत्व करेंगे। उनके मार्गदर्शन में दोनों चैनलों की प्रोडक्शन टीमें अपने-अपने कामकाज को बेहतर तरीके से अंजाम देंगी। वे न्यूज़रूम की प्रक्रियाओं को अपग्रेड करेंगे और क्रॉस-फंक्शनल कामकाज को भी बेहतर बनाएंगे। इस अहम भूमिका में वे आयशा और सजीत दोनों के साथ तालमेल रखते हुए सीधे आयशा को रिपोर्ट करेंगे।

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iTV नेटवर्क ने लॉन्च किया ‘रस रंग’, त्योहारों में ब्रैंड्स को जोड़ने की खास पेशकश

देश के बड़े न्यूज मीडिया नेटवर्क्स में से एक iTV नेटवर्क ने त्योहारों के लिए खास विज्ञापन ऑफरिंग ‘रस रंग’ लॉन्च की है।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 05 September, 2025
Last Modified:
Friday, 05 September, 2025
Rasrang7841

देश के बड़े न्यूज मीडिया नेटवर्क्स में से एक iTV नेटवर्क ने त्योहारों के लिए खास विज्ञापन ऑफरिंग ‘रस रंग’ लॉन्च की है। यह नया प्लेटफॉर्म ब्रैंड्स को पूरे देश में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों तक पहुंचने का मौका देगा। नवरात्रि, दिवाली और क्रिसमस जैसे बड़े त्योहारों से पहले शुरू किया गया ‘रस रंग’ विज्ञापनदाताओं को डेटा पर आधारित रणनीति और NewsX, India News, Inkhabar, The Daily Guardian और The Sunday Guardian जैसे भरोसेमंद चैनलों के सहारे त्योहारों की लहर से जुड़ने का अवसर देता है।

‘रस रंग’ का मकसद है ब्रैंड्स को त्योहारों के मौसम में ज्यादा से ज्यादा पहचान और असर दिलाना। यह ऐसे कैंपेन बनाने की सुविधा देता है जो संस्कृति से जुड़े हों और जिनका असर मापा जा सके। इस प्लेटफॉर्म की खासियत है कि यह सही ऑडियंस तक पहुँचाने के साथ-साथ भरोसेमंद पत्रकारिता का सहारा लेकर विज्ञापन संदेश देता है। मनोरंजन, ऑटो, फैशन, ट्रैवल, टेक्नोलॉजी और खेल जैसी 8,500 से ज्यादा कैटेगरीज के जरिए, और Display, Video, Spotlight और AdTalk जैसे विज्ञापन फॉर्मेट्स की मदद से ब्रैंड्स वेब, सोशल मीडिया, वीडियो और लाइव इवेंट्स पर अपने विज्ञापन आसानी से पहुँचा पाएंगे।

iTV नेटवर्क के डिजिटल सीईओ अक्षांश यादव ने कहा, “हमारी प्रमुख प्रॉपर्टीज जैसे NewsX, India News, Inkhabar, The Daily Guardian और The Sunday Guardian हर महीने 10 करोड़ से ज्यादा इम्प्रेशंस हासिल करती हैं। इससे हमारे साथ जुड़ने वाले ब्रैंड्स को सिर्फ दृश्यता ही नहीं, बल्कि बेहतर जुड़ाव और मापने योग्य नतीजे भी मिलते हैं। ITV नेटवर्क के साथ विज्ञापन सिर्फ दिखने भर का नहीं है, बल्कि बाजार में असली असर और मूल्य बनाने का तरीका है।”

नेटवर्क की फाउंडर डॉ. ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने कहा, “हम मानते हैं कि किसी भी मीडिया हाउस की ताकत उसकी ईमानदार और मजबूत पत्रकारिता में होती है। हमारे प्लेटफॉर्म्स हमेशा गहराई और विविधता के साथ खबरें और कहानियां प्रस्तुत करते हैं, जिससे हमारी ऑडियंस जुड़ी रहती है। हम अच्छी पत्रकारिता के नए मानक तय करने और भारत की आवाज बनने के लिए समर्पित हैं।”

त्योहारों के इस सीजन में ‘रस रंग’ विज्ञापनदाताओं के लिए एक बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर सामने आया है, जो उन्हें सही दर्शकों तक पहुँचने, ज्यादा पहचान बनाने और अपने विज्ञापनों से ठोस नतीजे हासिल करने का मौका देगा।

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रजत उप्पल ने ‘इंडिया टुडे’ समूह में अपनी पारी को दिया विराम

वह इस समूह के कंज्यूमर इवेंट्स वर्टिकल ‘स्टेज आज तक’ (Stage AajTak) का नेतृत्व कर रहे थे। रजत उप्पल का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।

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Published - Thursday, 04 September, 2025
Last Modified:
Thursday, 04 September, 2025
Rajat Uppal

मीडिया और मार्केटिंग जगत के अनुभवी प्रोफेशनल रजत उप्पल ने ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह इस समूह के कंज्यूमर इवेंट्स वर्टिकल ‘स्टेज आज तक’ (Stage AajTak) का नेतृत्व कर रहे थे। इस वर्टिकल की शुरुआत इसी साल जनवरी में हुई थी। इससे पहले वह इस समूह के रेडियो नेटवर्क 104.8 इश्क एफएम (Ishq FM) में नेशनल मार्केटिंग और प्रोग्रामिंग हेड के पद पर कार्यरत थे।

उप्पल दिसंबर 2020 में ‘इश्क एफएम’ से जुड़े थे। रजत के पास मीडिया, मार्केटिंग और ब्रैंड लीडरशिप में दो दशक से अधिक का अनुभव है। ‘इश्क एफएम’ में रहते हुए उन्होंने ब्रैंड को नई दिशा दी और उसे एफएम स्पेस में अलग पहचान दिलाई। उन्होंने म्यूजिक, लाइफस्टाइल नई पहलों और विभिन्न इंडस्ट्री के साथ क्रॉस-कोलैबोरेशन के जरिये चैनल की मौजूदगी को मजबूत किया।

‘इश्क एफएम’ के बाद उप्पल ने ‘स्टेज आज तक’ की लॉन्चिंग में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इसे ‘मिलियनेयर टूर विद यो यो हनी सिंह’ से शुरू किया। कहा जाता है कि यह भारत में अब तक किसी कलाकार का सबसे बड़ा ‘कमबैक टूर’ साबित हुआ

‘इश्क एफएम’ से पहले उप्पल ‘एचटी मीडिया’ (HT Media), ‘रिलांयस ब्रॉडकास्ट’ (Reliance Broadcast) और ‘रेड एफएम’ (RED FM) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में लीडरशिप भूमिकाएं निभा चुके हैं। यहां उन्होंने ब्रैंड बिल्डिंग, एक्सपीरिएंशल मार्केटिंग और इवेंट आईपी (Intellectual Property) निर्माण में विशेषज्ञता हासिल की।

रजत उप्पल का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है। इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के अनुसार, रजत संभवतः किसी ऐसे संस्थान के साथ अपना नया सफर शुरू कर सकते हैं, जहां वह इवेंट्स आईपी क्षेत्र में कुछ नया करेंगे।

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प्रसार भारती ने जारी किया कंटेंट सिंडिकेशन पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट, मांगे सुझाव

प्रसार भारती ने आकाशवाणी और दूरदर्शन के कार्यक्रमों को टीवी, रेडियो और ओटीटी जैसी डिजिटल सेवाओं पर उपलब्ध कराने के लिए कंटेंट सिंडिकेशन पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है।

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Published - Thursday, 04 September, 2025
Last Modified:
Thursday, 04 September, 2025
PrasarBharati745

प्रसार भारती ने आकाशवाणी और दूरदर्शन के कार्यक्रमों को टीवी, रेडियो और ओटीटी जैसी डिजिटल सेवाओं पर उपलब्ध कराने के लिए कंटेंट सिंडिकेशन पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट जारी किया है।

इसके तहत प्रसार भारती ने मीडिया उद्योग से जुड़े अलग-अलग पक्षों से सुझाव मांगे हैं। इनमें टीवी चैनल, ओटीटी प्लेटफॉर्म, डीटीएच कंपनियां, टेलीकॉम ऑपरेटर, रेडियो नेटवर्क और कंटेंट एग्रीगेटर शामिल हैं।

इस पॉलिसी का मकसद प्रसार भारती के कंटेंट को भारत और विदेश में अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर साझा करने और उससे कमाई करने का एक ढांचा तैयार करना है। इसके लिए ड्राफ्ट और परामर्श नोट उद्योग के साथ साझा किए गए हैं।

प्रसार भारती ने कमाई के कई मॉडल सुझाए हैं, जैसे फ्लैट फीस पर लाइसेंस, राजस्व में हिस्सेदारी, न्यूनतम गारंटी के साथ राजस्व शेयर और बार्टर यानी विनिमय आधारित व्यवस्था।

सुझावों में यह भी पूछा गया है कि टीवी, ओटीटी और रेडियो जैसे अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर राजस्व को किस तरह बांटा जा सकता है। हितधारकों से कहा गया है कि वे अपने सुझाव 21 सितंबर तक ईमेल के जरिए भेजें।

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‘PTI’ में चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर बनीं अनुभा वर्मा

अनुभा वर्मा इससे पहले ‘PTI’ में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 03 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 03 September, 2025
Anubha Verma

देश की प्रमुख न्यूज एजेंसियों में शुमार ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) ने अनुभा वर्मा को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) के पद पर नियुक्त किया है।

यह जानकारी अनुभा ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लिंक्डइन’ (LinkedIn) पर शेयर की है।

अनुभा इससे पहले ‘PTI’ में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। इसके अलावा वह यहां चीफ मार्केटिंग ऑफिसर भी रह चुकी हैं।  

‘पीटीआई’ से पहले अनुभा ‘एएफपी’ (AFP) में सेल्स और मार्केटिंग डायरेक्टर (साउथ एशिया) के पद पर अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।

इसके अलावा पूर्व में वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (Times of India) समूह में सीनियर मैनेजर (Times Syndication Service) भी रह चुकी हैं।

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