बिजनेसवर्ल्ड की ओर से देश के 40 साल से कम उम्र वाले ऐसे युवाओं को अवॉर्ड दिया गया, जिन्होंने एंटरप्रिन्योरशिप की दुनिया में धूम मचा रखी है
एंटरप्रिन्योरशिप की दुनिया में धूम मचाने वाले देश के 40 साल की उम्र से कम वाले 40 चुनिंदा ‘डिस्रप्टिव फाउंडर्स’ (disruptive founders), कॉरपोरेट लीडर्स और इंडस्ट्री की दशा व दिशा बदलने वालों की तलाश आखिरकार पूरी हो गई। दिल्ली में 23 अक्टूबर को आयोजित (BW Businessworld 40 under 40 Awards) के तीसरे एडिशन के तहत इन सभी विजेताओं को सम्मानित किया गया। बिजनेसवर्ल्ड (BW Businessworld) की ओर से इस कार्यक्रम का आयोजन स्टार्टअप्स के लिए लॉन्च किए गए मीडिया प्लेटफॉर्म ‘BW Disrupt’ के साथ मिलकर किया गया।
बता दें कि विजेताओं का चयन करने के लिए एक जूरी का गठन किया गया था। जूरी को (40 under 40 awards) के लिए इस साल 267 एंट्रीज मिली थीं। इस साल जूरी में ‘माइक्रोसॉफ्ट इंडिया’ के पूर्व चेयरपर्सन भास्कर प्रमाणिक, ‘वेंचर गुरुकुल’ (Venture Gurukool) के फाउंडर महेंद्र स्वरूप आदि शामिल थे।
इससे पहले 10 अक्टूबर को जूरी मीट का आयोजन किया गया था, जहां पर जूरी मेंबर्स ने शॉर्टलिस्ट किए गए 120 कैंडिडेट्स में से 40 विजेताओं के नाम पर मुहर लगाई। जूरी मेंबर और ‘लाइटस्पीड इंडिया पार्टनर्स’ (Lightspeed India Partners) के पार्टनर वैभव अग्रवाल ने बताया, ‘विजेताओं का चयन काफी मुश्किल काम था और यह प्रक्रिया काफी लंबी चली। इसमें हमें जूरी के अन्य सदस्यों के अनुभव का भी लाभ मिला।’
जूरी के एक अन्य सदस्य और ‘टीपीजी ग्रोथ’ (TPG Growth) के हेड (भारत और दक्षिण अफ्रीका) शैलेष राव ने कहा, ‘प्रतिभागियों के जुनून, महत्वाकांक्षा, विचारशीलता और परिपक्वता देखकर मैं काफी प्रभावित हूं। इन युवाओं को देखकर मैं कह सकता हूं कि देश और दुनिया काफी अच्छे हाथों में है।’
इस दौरान कार्यक्रम को कई शख्सियतों ने संबोधित भी किया, जिनमें ‘रिपब्लिक टीवी’ के को-फाउंडर, एमडी और एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी, ‘पॉलिसी बाजार’ के को-फाउंडर और डायरेक्टर आलोक बंसल, ‘JJUST Music’ के फाउंडर जैकी भगनानी, ‘अवाना कैपिटल’ (Avana Capital) की फाउंडर अंजलि बंसल और ‘Bobble AI’ के फाउंडर अंकित प्रसाद आदि शामिल थे।
इस अवॉर्ड को पाने वालों की लिस्ट आप यहां देख सकते हैं।
1. Abhay Hanjura, Co-Founder, Licious (Delightful Gourmet)
2. Akshay Mehrotra, Co-Founder & CEO, EarlySalary
3. Angad Bhatia, Founder & COO, MensXP
4. Anindita Sampath, Co-founder & CEO, Yoga Bars (Sproutlife)
5. Anindya Dutta, MD & Co-founder, Stanza Living
6. Ankit Prasad, Founder & CEO, Bobble AI
7. Annu Talreja, Co-Founder & CEO, Oxfordcaps Student Residences
8. Anurag Jain, Founder, KredX
9. Archit Gupta, Founder & CEO, Cleartax
10. Arjun Vaidya, CEO, Dr. Vaidya's
11. Aseem Garg, Founder & Promoter, DCDC Health Services
12. Ashwin Suresh, Founder, Pocket Aces Pictures
13. Bala Sarda, Founder & CEO, Vahdam Teas
14. Bhavin Turakhia, CEO & co-founder, Zeta
15. Dr. B. Abhinay, CEO, Krishna Institute of Medical Sciences
16. Gaurav Goel, Founder & CEO, Samagra | Transforming Governance
17. Ghazal Alagh, Co-founder, MamaEarth
18. Gita Ramanan, CEO, Design Cafe
19. Karan Bedi, Founder-CEO, MX Player
20. Kruti Bharucha, Founder & CEO, Peepul
21. Kushagra Nandan, Co-founder, President, SunSource Energy
22. Malika Sadani, Founder, The Moms Co.
23. Mayank Kachhwaha, COO & Co-Founder, IndiaLends
24. Mayukh Choudhury, Co-founder & CEO, Milaap Social Ventures
25. Miniya Chatterji, Founder & CEO, Sustain Labs Paris
26. Nidhi Kumra, Co-founder & CEO, Your Space
27. Nitin Tewari, Director, Together at 12th & BarTrender OPC
28. Piyush Jain, Co-Founder & CEO, Impact Guru Technology Ventures
29. Priyanka Gill, Founder, and CEO, Luxeva India
30. Pushkar Mukewar, Co-founder and Co-CEO, Drip Capital
31. Rahul Garg, CEO, Moglix - Mogli Labs India
32. Ramakant Sharma, COO & co-founder, Livspace.com
33. Ryan Pinto, CEO, Ryan International Group of Institutions
34. Suhail Sameer, CEO-FMCG, RP-Sanjiv Goenka Group
35. Tuttu M Tomy, Creative Director, Uberdogg design
36. Upasana Taku, Co-founder & COO, Mobikwik
37. Varun Dua, Founder & CEO, ACKO General Insurance
38. Varun Jain, Founder, Director & CEO, Upcurve Business( udChalo)
39. Vipin Pathak, CEO, Aegis Care Advisor
40. Vivek Kumar Singh, Co-Founder & Director, ToneTag
Special Mentions:
Kanika Gupta Shori, Founder and COO, Square Yards
Madhav Sheth, CEO, REALME MOBILE TELCO
Sarvesh Shashi, Founder, and CEO, SARVA – Yoga, Mindfulness & Beyond
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पुलिस ने मध्य प्रदेश के दतिया जिले में एक फर्जी पत्रकार को गिरफ्तार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पकड़ा गया फर्जी पत्रकार कई बड़े न्यूज चैनल्स और अखबारों के फर्जी आईडी बनवाकर क्षेत्र में अवैध रूप से वसूली कर रहा था।
आरोपी ने अपना एक होर्डिंग भी छपवाकर दतिया व्यापार मेले के बाहर लगा दिया था, जिसमें उसने खुद को मीडिया पार्टनर बताया था। अन्य पत्रकारों ने जब अपने चैनलों का नाम और फर्जी पत्रकार का नाम देखा तो कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी। मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने करीब 21 वर्षीय इस फर्जी पत्रकार को उसके घर से कई दस्तावेजों के साथ गिरफ्तार कर लिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार देर रात स्थानीय पत्रकार ने राजघाट कॉलोनी महावीर वाटिका निवासी अनुज पुत्र अनिल गुप्ता पर फर्जी पत्रकार बनकर लोगों से अवैध वसूली करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। एसपी अमन सिंह राठौड़ के निर्देश पर सोमवार को पुलिस ने आरोपी के घर दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ करने पर अनुज के पास कई चैनलों और अखबारों के साथ पीआरओ का लेटर फ्रेम में जड़ा हुआ मिला। कई युवक-युवतियों को पत्रकार बनाने संबंधी दस्तावेज व नियुक्ति पत्र भी आरोपी के घर से जब्त किए गए। पुलिस अनुज से पूछताछ कर रही है।
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डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म thequint.com के स्वामित्व वाली और संचालक कंपनी ‘क्विंट डिजिटल मीडिया’ (Quint Digital Media) को कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर रितु कपूर को पुन: नामित (re-designate) किए जाने के प्रस्ताव को शेयरहोल्डर्स (Shareholders) की मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही कंपनी को वंदना मलिक को नॉन एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव को भी शेयरहोल्डर्स से मंजूरी मिल गई है। यह नियुक्ति पांच साल के लिए होगी।
‘क्विंट डिजिटल मीडिया’ ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को इस बारे में जानकारी दी है। बताया जाता है कि 20 जनवरी को एक मीटिंग में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने रितु कपूर को कंपनी के एमडी और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर पद पर नियुक्त किए जाने को अपनी मंजूरी प्रदान कर दी थी। इस निर्णय पर शेयरधारकों की मुहर लगनी बाकी थी।
बता दें कि कंपनी ने 30 दिसंबर 2020 को जानकारी दी थी कि राघव बहल ने कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया है। कंपनी का कहना था कि 29 दिसंबर 2020 के बाद मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से राघव बहल का इस्तीफा प्रभावी हो गया है। हालांकि, बहल कंपनी के बोर्ड में नॉन-एग्जिक्यूटिव प्रमोटर डायरेक्टर के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे। 29 दिसंबर को कंपनी के एमडी राघव बहल के इस्तीफे के बाद क्विंट डिजिटल मीडिया की सीईओ रितु कपूर को एमडी का अतिरिक्त पद सौंपा गया था।
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चीन ने पिछले साल गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में मारे गए अपने सैनिकों की संख्या पर सवाल उठाने वाले अपने ही तीन पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन के अधिकारियों का कहना है कि तीनों को पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तार किए गए पत्रकारों में इकनॉमिक ऑब्जर्वर के साथ काम कर चुके 38 वर्षीय किउ जिमिंग भी शामिल हैं। किउ के अलावा एक ब्लॉगर को बीजिंग से अरेस्ट किया गया है, वहीं 25 वर्ष के एक ब्लॉगर यांग को दक्षिण पश्चिमी सूबे सिचुआन से अरेस्ट किया गया है। किउ पर आरोप है कि उन्होंने आंकड़ों पर सवाल उठाकर सेना की शहादत का अपमान किया है। तीनों को समाज में गलत प्रभाव डालने वाली जानकारी देने के आरोप में अरेस्ट किया गया है।
दरअसल, कुछ दिनों पूर्व ही चीनी सेना ने आधिकारिक तौर पर बताया था कि पिछले साल 15 जून को भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प में उसके चार सैनिकों की मौत हुई थी और एक सैनिक की मौत बाद में हुई थी। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे।
उस वक्त चीनी सेना ने कोई आंकड़ा जारी नहीं किया था, लेकिन तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में 40 से 50 सैनिकों की मौत की बात कही गई थी। हालांकि चीन ने अब करीब आठ महीने बाद अपने सैनिकों की मौत की बात तो स्वीकारी, लेकिन आंकड़ा सिर्फ चार का ही दिया। चीन सरकार के इसी आंकड़े पर किउ ने सवाल उठाया था। उन्होंने यह आंकड़ा कुछ ज्यादा होने की बात कही थी। इसके साथ ही किउ ने चीन सरकार की ओर आठ महीनों के बाद आंकड़ा जारी करने पर भी सवाल उठाया था।
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‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण’ (TRAI) ने समयबद्ध फैसले के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से न्यू टैरिफ ऑर्डर-2.0 (NTO 2.0) के मामले को तत्काल सूचीबद्ध (Listing) करने की गुजारिश की है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘ट्राई’ ने न्यू टैरिफ ऑर्डर-2.0 के मामले को इसी महीने सूचीबद्ध करने के लिए कहा है, ताकि इस पर फैसला आ सके। रिपोर्ट के अनुसार, ‘ट्राई’ के चेयरमैन पीडी वाघेला उपभोक्ताओं के हितों को मद्देनजर नए टैरिफ ऑर्डर को जल्द से जल्द लागू कराना चाहते हैं।
बता दें कि पिछले साल जनवरी में ट्राई ने नए न्यू टैरिफ ऑर्डर (NTO 2.0) को लागू करने का आदेश दिया था, जिसके बाद ब्रॉडकास्टर्स के ग्रुप ने बॉम्बे हाई कोर्ट में ट्राई के आदेश को चुनौती दी थी। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
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अर्जेंटीना (Argentina) में कोराना वायरस टीकाकरण (Corona Vaccination) को लेकर प्राथमिकता समूह से बाहर के लोगों को टीका दिए जाने पर विवाद इस कदर गहरा गया कि यहां के स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा तक देना पड़ गया। दरअसल, विवाद के बीच अर्जेंटीना (Argentina) के राष्ट्रपति अल्बर्टों फर्नांडीज ने स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देने को कहा दिया था, जिसके बाद उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
स्वास्थ्य मंत्री पर आरोप लगा है कि उन्होंने टीकाकरण के लिए प्राथमिकता समूह में नाम न होने के बावजूद एक मशहूर स्थानीय पत्रकार को टीका दिए जाने की सिफारिश की।
राष्ट्रपति ने अपने ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ से स्वास्थ्य मंत्री गिनीज गोंजालेज गार्सिया को तुरंत इस्तीफा देने का आदेश देने को कहा, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। कोरोना वायरस से निपटने को लेकर गार्सिया प्रभार संभाल रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पत्रकार होरासिओ वेरबिट्सकी ने मंत्री गार्सिया से टीकाकरण का अनुरोध किया था और मंत्री ने उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय बुलाया था। वहां शुक्रवार को उन्हें स्पूतनिक वी के टीके की खुराक दी गई थी।
वैसे यहां ऐसे कई मामले आए हैं जब मेयर, सांसदों, कार्यकर्ताओं, सत्ता के करीबी लोगों को टीके दिए गए, जबकि प्राथमिकता समूह में उनका नाम नहीं था। हालांकि प्राथमिकता के तहत देश में सबसे पहले डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्गों को टीके दिए जाने हैं। अर्जेंटीना में कोविड-19 से 20 लाख लोग संक्रमित हुए हैं और 50,857 लोगों की मौत हुई है।
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80 देशों के 203 से ज्यादा खोजी पत्रकार संगठनों की सर्वोच्च संस्था ने वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी को हिंदी भाषा के लिए संपादक नियुक्त किया गया है
80 देशों के 203 से ज्यादा खोजी पत्रकार संगठनों की सर्वोच्च संस्था ‘ग्लोबल इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क’ (जीआईजीएन) ने वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी को हिंदी भाषा के लिए संपादक नियुक्त किया गया है और वे भोपाल से ही अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं। दीपक तिवारी ढाई दशक से भी अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। साहित्य और लेखन में रुचि रखने वाले तिवारी ने इस दौरान देश के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा विदेश यात्राएं भी की हैं।
तिवारी मूल रूप से मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले हैं। वे देश की प्रमुख अंग्रेजी पत्रिका ‘द वीक’ के विशेष संवाददाता के रूप में भोपाल में अपनी सेवाएं भी दी हैं। वह देश की प्रतिष्ठित संवाद समिति के दिल्ली मुख्यालय में भी काम कर चुके हैं। उन्हें पंचायती राज से संबंधित मुद्दों पर श्रेष्ठ रिपोर्टिंग के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। वह देश-विदेश में कई पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। तिवारी ने सागर के डॉ. सर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से पत्रकारिता में स्नातक किया है।
विश्व की प्रतिष्ठित संस्था जीआईजीएन पूरी दुनिया में खोजी पत्रकारिता के नए-नए आयामों की आपस में चर्चा करके उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का काम करती है। इस संगठन का मुख्यालय वॉशिंगटन में है, जबकि इसकी सेवाएं फ्रेंच, स्पेनिश, रूसी, अफ्रीकी, चीनी, अरबी, उर्दू, बांग्ला और अंग्रेजी भाषा में चलती है और प्रत्येक भाषा का एक अलग संपादक है।
जीआईजीएन पत्रकारिता की नई तकनीकों और पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारियों के आधार पर एक रिसोर्स सेन्टर चलता है, जिसे कोई भी पत्रकार उपयोग कर सकता है। दीपक तिवारी को हिंदी भाषा में इस तरह की पत्रकारिता को विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई है। जीआईजीएन का हर दो वर्ष में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होता है जिसमें भारत समेत पूरी दुनिया के पत्रकार हिस्सा लेते हैं। यह संस्था आने वाले समय में हिंदी के पत्रकारों के लिए फेलोशिप भी प्रदान करेगी।
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दिल्ली के द्वारका इलाके में पिछले हफ्ते हुई स्थानीय यूट्यूब चैनल के पत्रकार दलबीर सिंह (34) की हत्या के मामले में पुलिस ने उसके भांजे गुरमीत को गिरफ्तार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 22 वर्षीय गुरमीत को गोला डेयरी (Goyla Dairy) से गिरफ्तार किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में पुलिस के हवाले से कहा गया है कि पूछताछ के दौरान गुरमीत ने बताया कि दलबीर सिंह उसका मामा था। परिवार ने करीब दो महीने पूर्व उसकी शादी तय की थी। दलबीर सिंह ने शादी समारोह में हर्ष फायरिंग के लिए उसे एक पिस्टल दी थी।
पुलिस के अनुसार, पिस्टल के लिए दलबीर सिंह रुपयों की मांग कर रहा थी। गुरमीत इसके लिए सिर्फ दस हजार रुपये देने को तैयार था, लेकिन दलबीर ज्यादा रुपये मांग रहा था। 16 फरवरी को दोनों काकरोला इलाके में मिले, जहां से दलबीर सिंह उसे अपने घर के पास ले गया। यहां पैसों को लेकर दोनों के बीच बहस हो गई और गुस्से में गुरमीत ने दलबीर के सिर में गोली मार दी।
पिछले दिनों पुलिस को सूचना मिली कि गुरमीत उस पिस्टल को बेचने की तैयारी कर रहा है। सूचना पर पुलिस ने गुरमीत को कुतुब विहार इलाके से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को उसके कब्जे से पिस्टल बरामद हुई है। उस पर आर्म्स एक्ट और हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
गौरतलब है कि जेजे कॉलोनी, भरत विहार के रहने वाले दलबीर सिंह की 16 फरवरी को घर के पास सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यहां पर वह पत्नी और तीन बच्चों के साथ किराये के मकान में रहते थे।
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ग्रेटा थनबर्ग टूल किट मामले में दिशा रवि की गिरफ्तारी पर हंगामा जारी है। शुक्रवार दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। दिशा के वकील ने याचिका में मीडिया ट्रायल रोकने की मांग की थी, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने मीडिया ट्रायल रोकने से इनकार कर दिया और मीडिया को निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को सनसनीखेज ना बनाया जाए और ऐसी खबरें न दिखाई जाएं, जिससे जांच और आरोपी के अधिकार प्रभावित हो।
गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने किसान आंदोलन से जुड़ी टूलकिट साझा करने के मामले में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली पुलिस व कई मीडिया हाउस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिका में दिशा रवि ने पुलिस पर उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित जांच सामग्री को मीडिया में लीक करने का आरोप लगाया है।
दिशा के वकील ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से दिशा के खिलाफ अपना मामला बना रही है। वकील ने एक विशिष्ट चैनल के वीडियो का उल्लेख करते हुए कहा कि न्यूज एंकर और रिपोर्टर का कहना है कि उन्हें साइबर सेल के स्रोतों से जानकारी मिली है। इस पर कोर्ट ने दिशा के वकील से पूछा कि क्या वह यह दावा करने की कोशिश कर रहे हैं कि पुलिस ने वास्तव में इसे लीक किया था। कोर्ट ने कहा कि ये न्यूज चैनल कह रहे हैं कि उन्हें इसकी सूचना दिल्ली पुलिस से मिली है।
कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया से उसके सोर्स के बारे में नहीं पूछ सकते, लेकिन जानकारी सही होना भी जरूरी है। निजता का अधिकार, फ्री स्पीच और देश की संप्रभुता में संतुलन करना जरूरी है। इस मामले में फिलहाल चार किसानों की जानकारी आई है, वह दिखा रही है कि इस मामले में खबरों को सनसनीखेज भी बनाया गया।
कोर्ट ने आगे कहा कि चैनल के एडिटर को भी देखना होगा कि मामले को सनसनीखेज न बनाया जाए और न ही ऐसी खबर की जाएं, जिससे जांच और आरोपी के अधिकार प्रभावित हो।
इसके साथ ही कोर्ट ने दिशा रवि को यह निर्देश भी दिया है कि वह पुलिस की छवि को खराब करने की कोशिश न करें। इससे पहले दिशा के वकील ने मांग की कि केस से जुड़ी हुई जानकारी सार्वजनिक न कि जाए। वकील ने कहा कि दिशा को गिरफ्तार करके दिल्ली लाया गया, लेकिन वकील को जानकारी तक नहीं दी कि दिशा को किस कोर्ट में पेश करेंगे।
दिशा के वकील ने कोर्ट में कहा कि खबरों में ये भी बता दिया गया कि जांच के दौरान पुलिस ने दिशा से क्या-क्या सवाल पूछे। इतना ही नहीं, मीडिया में दिशा का कथित बयान भी चलाया गया। ये सब लीक हुई जानकारी के आधार पर हुआ है।
वहीं, दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि दिशा के वकील जिन खबरों और ट्वीट की बात कर रहे हैं, अभी उसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। लेकिन अगर कोर्ट चाहे तो इस मामले में सोमवार तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया में जो रिपोर्टिंग हो रही है, वह जरूरी नहीं है कि सच हो। कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती और चार्जशीट दायर नहीं होती, तब तक केस से जुड़ी कोई जानकारी सार्वजनिक न की जाए।
बता दें कि दिशा की याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस और सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह टूल किट एफआईआर से से जुड़े हुए हैं जो भी जांच है, उसकी जानकारी सार्वजनिक न करें। निशा रवि को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया और उसको लेकर दिल्ली पुलिस बंगलुरु से दिल्ली आ गई बेंगलुरु की अदालत में याचिका दायर करने का मौका नहीं दिया गया। मीडिया ट्राई की वजह से दिशा रवि की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। लिहाज़ा उस पर रोक लगाई जाए। मीडिया में दिशा रवि और ग्रेटा थनबर्ग के बीच की जो वॉट्सऐप चैट चल रही है, उसको भी चलाने से रोका जाए, क्योंकि इससे दिशा रवि के फ्री एंड फेयर ट्रायल के अधिकार को छीना जा रहा है।
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दिल्ली की एक अदालत ने वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी को बुधवार को बरी कर दिया है। कोर्ट में यह मामला दो साल से अधिक समय तक चला। वहीं इस मामले को लेकर अब भारतीय महिला प्रेस वाहिनी (आईडब्ल्यूपीसी) का बयान सामने आया है।
आईडब्ल्यूपीसी ने पूर्व मंत्री एमजे अकबर द्वारा दायर मानहानि के मामले में पत्रकार प्रिया रमानी का बरी होने को महिला पत्रकारों की जीत करार दिया है।
आईडब्ल्यूपीसी का कहना है कि एक महिला पत्रकार के रूप में रमानी ने हमेशा ही यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाजें उठाईं हैं। वह न्यूज रूम में अप्रिय टिप्पणियों से दूर रही हैं और बुरी नजरों से बचती रही हैं।
बता दें कि #MeToo कैंपेन के तहत 2018 में प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर तकरीबन 20 साल पहले उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। हालांकि, अकबर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में 15 अक्टूबर 2018 को मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
दिल्ली की एक अदालत ने मानहानि के मामले में बुधवार को अपना फैसला सुनाते वक्त यह कहते हुए रमानी को बरी कर दिया कि एक महिला को दशकों के बाद भी किसी भी मंच पर अपनी शिकायत दर्ज करने का अधिकार है। इस दौरान अदालत ने यह भी माना कि किसी महिला को अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर दंडित नहीं किया जाना चाहिए।
एक बयान में आईडब्ल्यूपीसी ने कहा कि वह रमानी को बरी किए जाने के अदालत के फैसले का स्वागत करती है। यह महिला पत्रकारों की जीत है, जिन्होंने हमेशा ही यौन उत्पीड़न का विरोध किया है।
बयान में यह भी कहा गया, ‘हम सभी सुरक्षित कार्यस्थल चाहते हैं, लेकिन भेड़िये अंदर ही बैठे हुए हैं।’ संगठन ने कहा कि वह मुद्दे पर रमानी के संकल्प की प्रशंसा करता है।
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‘स्टार’ (Star) व ‘डिज्नी इंडिया’ (Disney India) के पूर्व चेयरमैन और ‘भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ’ (FICCI) के प्रेजिडेंट उदय शंकर का कहना है कि ‘ब्रॉडकास्टर्स ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) ने इंडस्ट्री को काफी निराश किया है। BARC की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले उदय शंकर ने यह सलाह दी है कि ब्रॉडकास्टर्स को BARC से बाहर निकल जाना चाहिए।
‘पिच मैडिसन एडवर्टाइजिंग रिपोर्ट’ (PMAR) 2021 जारी होने के दौरान ‘Madison Media & OOH, Madison World’ के ग्रुप सीईओ विक्रम सखूजा के साथ एक बातचीत में उदय शंकर का कहना था, ‘टैम को नीचे लाने और BARC को स्थापित करने में मैंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मुझे नहीं लगता कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि ब्रॉडकास्टर्स, एजेंसीज और एडवर्टाइजर्स इसके हितधारकों (stakeholders) में शामिल थे। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमारे पास 21वीं सदी के अनुसार कोई विजन नहीं था।’
उदय शंकर के अनुसार, ‘BARC में शामिल रहने के कारण ब्रॉडकास्टर्स के लिए यह विवाद पैदा हुआ है। ऐसे में ब्रॉडकास्टर्स को इससे बाहर निकल जाना चाहिए। ब्रॉडकास्टर्स साफ-सुथरा बिजनेस करने वाले लोग हैं और उन्होंने अपने कस्टमर्स के लिए काफी अच्छा काम किया है।’
सखूजा द्वारा यह पूछे जाने पर कि ब्रॉडकास्टर्स को मीजरमेंट सिस्टम से बाहर रखा जाना चाहिए, उदय शंकर ने कहा कि एक या अन्य स्टेकहोल्डर को बाहर रखे जाने से इसका उद्देश्य पूरा नहीं होगा। इसके साथ ही उदय शंकर का यह भी कहना था कि वह थर्ड पार्टी मीजरमेंट के पक्ष में नहीं हैं।
टीआरपी रेटिंग विवाद में न पड़ते हुए उदय शंकर का कहना था कि टीआरपी के लिए बढ़ते जुनून ने इस तरह की स्थिति पैदा की है। उन्होंने कहा कि रेटिंग्स मीडिया मालिकों (media owners) और मीडिया खरीदारों (media buyers) के बीच एक बिजनेस टूल है।
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