प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल (2.0) का एक साल पूरा कर लिया है। पिछले 12 महीनों पर नजर डालें तो केंद्र में प्रशासन के लिए पूरे साल घटनाक्रम की स्थिति बनी रही और तेजी से बदलते मीडिया परिदृश्य को देखते हुए सूचना प्रसारण मंत्रालय कुछ नई घोषणाओं और कुछ अन्य आवश्यक कदम उठाने में व्यस्त रहा।
प्रकाश जावड़ेकर के नेतृत्व में, एमआईबी ने न केवल विभाग के संचालन को गति दी है, बल्कि कुछ महत्वपूर्ण अनुसमर्थन भी सौंपे हैं, जो आने वाले समय में मीडिया और मनोरंजन उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे।
हालांकि मंत्रालय द्वारा शुरू की गई नई पहल, जैसे फैक्ट चेक सेल अधिक विश्वसनीयता के साथ शुरू किया गया है। वहीं जैसे ही ओटीटी क्षेत्र के सेल्फ रेगुलेशन के लिए सुझाव दिए गए, इस क्षेत्र में इसे लेकर एक हलचल शुरू हो गई।
पिछले साल जुलाई में, प्रकाश जावड़ेकर ने सरकार के पहले 50 दिनों का रिपोर्ट कार्ड पेश किया, तो कहा था कि सभी के लिए 'सुधार, कल्याण और न्याय के लिए संकल्प' सरकार की प्रेरणा शक्ति रहा है। इसके साथ ही उन्होंने स्टार्ट-अप के लिए एक अलग टीवी चैनल लाने का विशेष उल्लेख किया था।
इस साल फरवरी में, सूचना प्रसारण मंत्री ने लोकसभा को बताया कि उनका मंत्रालय ब्रॉडकास्ट सिस्टम को मजबूती प्रदान करने के लिए तमाम उपायों पर काम कर रहा था। इसके लिए नीतियों और कार्यक्रमों की लगातार समीक्षा की जा रही थी। साथ ही बिजनेस को और आसान बनाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे थे।
आइए बीते वर्ष में एमआईबी द्वारा जारी की गई प्रमुख घोषणाओं और प्रस्तावों पर एक नजर डालें-
सरकारी हस्तक्षेप के बिना सेल्फ रेगुलेशन मॉडल
साल के शुरुआत में ही सूचना-प्रसारण मंत्रालय ओटीटी इंडस्ट्री के लिए एक स्पष्ट जनादेश लेकर आया था, जिसमें बताया गया था कि ओटीटी महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। मंत्रालय की हर बैठक में ओटीटी इंडस्ट्री को लेकर चर्चा भी की गई, जिसमें हर बार जावड़ेकर ने जोर देकर कहा कि सरकार वैधानिक निकाय (statutory body) स्थापित करने के बजाय सेल्फ रेगुलेशन के पक्ष में है।
समय गुजरता रहा और मंत्रालय हर बार स्टेकहोल्डर्स को यह आश्वासन देती रही कि सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है कि सभी ओटीटी प्लेयर्स सरकार के हस्तक्षेप के बिना ही सेल्फ रेगुलेशन मॉडल लागू कर एक साथ आगे आएं।
इस वर्ष, केंद्रीय मंत्री के साथ-साथ अन्य मंत्रालय के अधिकारियों ने स्टेकहोल्डर्स से मुलाकात की, जिसमें नेटफ्लिक्स (Netflix), अमेजॉन प्राइम (Amazon Prime), जी5 (Zee5), एमएक्स प्लेयर (MX Player), एएलटीबालाजी (ALTBalaji), हॉटस्टार (Hotstar), वूट (Voot) और जियो (Jio) शामिल थे। यह चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि ओटीटी प्लेटफार्म्स पर कंटेंट के लिए सेल्फ रेगुलेशन कैसे लागू की जाए, ताकि यह व्यापक रूप से स्वीकार्य हो सके और आसानी से लागू की जा सके।
इस साल मार्च में, ‘सूचना-प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) ने ‘ओवर द टॉप’ कंटेंट प्लेयर्स से किसी निर्णायक इकाई का गठन करने और अगले सौ दिनों के अंदर आचार संहिता को अंतिम रूप देने के लिए कहा था।
जावड़ेकर द्वारा जारी किए किसी वैधानिक इकाई की जबरन न थोपे जाने और आपस में मिलकर सेल्फ रेगुलेशन के नियमों का मुद्दा लगातार उठाया जा रहा है। ऐसे में अधिकतर ओटीटी प्लेयर्स इस मामले में एमआईबी के साथ खड़े हुए हैं।
फेक न्यूज से मुकाबला
फेक न्यूज के खतरे से लड़ने के लिए, प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने नवंबर 2019 में एक फैक्ट-चेकिंग यूनिट की स्थापना की, जहां पाठक अपने द्वारा पढ़ी, देखी या सुनी गई खबरों के सत्यापन के लिए विभाग से सीधे संपर्क कर सकते हैं।
इसी तरह की तर्ज पर, अप्रैल 2020 में, MIB ने COVID-19 से संबंधित सभी अपडेट शेयर करने के लिए एक ट्विटर हैंडल लॉन्च किया। #IndiaFightsCorona को @CovidnewsbyMIB हैंडल के तहत लॉन्च किया गया है। इस ट्विटर हैंडल को लॉन्च किए जाने के पीछे का उद्देश्य सरकार और आमजन के बीच उचित संचार सुनिश्चित करना और गलत सूचना के प्रसार को रोकना था। महामारी से जुड़ी सरकार द्वारा जारी की गई सभी प्रामाणिक सूचनाएं इसी ट्विटर हैंडल से साझा किया जा रही हैं।
कंटें रेगुलेशन, गाइडलाइंस, एडवाइजरीज और नई पॉलिसीज
पिछले एक साल के दौरान मंत्रालय ने एडवाइजरी और गाइडलाइंस के रूप में तमाम कंटेंट रेगुलेशंस जारी किए हैं। भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए, जून 2019 में, MIB ने सभी निजी टेलीविजन चैनलों को भाषा के कार्यक्रमों के नीचे क्रेडिट जारी करने के लिए एक एडवाइजरी जारी की, जिसके मुताबिक चैनलों को क्रेडिट और टाइटल्स जैसी बातें हिंदी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्रदर्शित करने की बात कही गई थी, ताकि दर्शकों के बीच भारतीय भाषाओं का प्रचार-प्रसार को बढ़ सके। साथ ही यह भी कहा गया था कि यदि टीवी चैनल चाहें तो भारतीय भाषाओं के साथ अंग्रेजी में भी क्रेडिट और टाइटल्स दे सकते हैं, वे ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं।
सितंबर 2019 में, सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने बधिर लोगों तक टीवी कार्यक्रमों की पहुंच बढ़ाने लिए निजी टीवी चैनलों के लिए एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें मंत्रालय ने सभी निजी न्यूज चैनलों के लिए दिन में कम से कम एक कार्यक्रम को सांकेतिक भाषा (sign-language) में प्रसारित करने को कहा था साइन लैंग्वेज ब्रॉडकास्ट और सबटाइटल के साथ करना अनिवार्य कर दिया, जबकि अन्य चैनलों को इसी तरह की विशेषताओं के साथ कम से कम एक शो एक हफ्ते में करने को कहा गया था। इस योजना को पांच साल के चरणों में किया जाना था। अब इसकी समीक्षा 2021 में होगी।
विभिन्न अवसरों पर, सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने निजी सैटेलाइट टीवी चैनलों के प्रसारण सामग्री के संबंध में केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 तहत निर्धारित कार्यक्रम और विज्ञापन संहिताओं में निहित प्रावधानों एवं नियमों का पालन करने की बात कही। फिर चाहे दिल्ली के दंगों के दौरान हो या फिर चल रहे कोरोनावायरस महामारी के कवरेज के दौरान हो।
सूचना प्रसारण मंत्रालय ने हाल ही में ‘ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन’ (BOC) के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर विज्ञापन देने के लिए पॉलिसी गाइडलाइंस का ड्राफ्ट जारी किया था, जिसमें बताया गया था कि जिस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के महीने में 25 मिलियन यूनिक यूजर्स होंगे, वे सरकारी विज्ञापन प्राप्त करने के पात्र होंगे।
नई पॉलिसी के अनुसार, ब्यूरो ऑफ आउटरीच भी नीलामी प्रक्रिया का हिस्सा होगा जो सरकारी संदेशों के लिए इन्वेंट्री अथवा स्पेस को खरीदने को कवर करेगा।
मई 2020 में, जावड़ेकर ने टीवी चैनलों के साथ उन्हें लाने के लिए सामुदायिक रेडियो पर 7 मिनट से 12 मिनट तक विज्ञापनों के लिए हवा का समय बढ़ाने का प्रस्ताव रखा।
केंद्रीय सूचना-प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सामुदायिक रेडियो को टीवी चैनलों के बराबर लाने के लिए विज्ञापनों हेतु एयर टाइम मौजूदा 7 मिनट प्रति घंटा से बढ़ाकर 12 मिनट प्रति घंटा करने का प्रस्ताव रखा था।
लाइसेंसिंग ऑपरेशन में आसानी
2019 में, MIB ने 151 MSO (मल्टी-सिस्टम ऑपरेटर) को लाइसेंस प्रदान किया और 31 दिसंबर 2019 तक रजिस्टर्ड MSO की कुल संख्या 1,616 थी। 26 नवंबर से 31 दिसंबर, 2019 के बीच इस लिस्ट में 10 MSO जोड़े गए थे। 31 जनवरी 2020 तक इस सूची में और इजाफा हो गया और मंत्रालय के पास जनवरी तक 1,630 MSO रजिस्टर्ड हैं।
हालांकि इस साल फरवरी में, सूचना-प्रसारण मंत्री ने कहा कि ब्रॉडकास्टर्स और केबल ऑपरेटर्स से 10 प्रतिशत लाइसेंस शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला था।
कुछ घोषणाएं की जा चुकी हैं और अगले कुछ महीनों में MIB की ओर से कई और किए जाने की उम्मीद है। अगले 12 महीनों में एमआईबी क्या कुछ नया करता है, अब देखना होगा।