प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर विशेष: क्यों भारत को आज भी मोदी की है जरूरत?

शुरुआत से ही जिसने मुझे प्रभावित किया, वह प्रधानमंत्री की सरलता थी। मुझे उनका उस समय का दिल्ली निवास याद है। वह एक सामान्य कमरे में रहते थे, जो किसी और के साथ साझा किया हुआ था।

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Published - Wednesday, 17 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 17 September, 2025
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अर्णब गोस्वामी, फाउंडर, चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ।।

करियर की शुरुआत में, जब मैं कोलकाता से दिल्ली आया था और एनडीटीवी के लिए रिपोर्टिंग करता था, तब मैं भाजपा सहित कई बीट्स कवर करता था। यह 1990 के दशक के अंतिम सालों की बात है, उस समय प्रधानमंत्री पार्टी के महासचिव थे। मैं अक्सर अपनी रिपोर्टिंग से जुड़ी कहानियों के लिए उनसे साउंडबाइट्स लेने पहुंचता और नरेंद्र मोदी हमेशा अपनी सहज शालीनता के साथ सहयोग करते।

शुरुआत से ही जिसने मुझे प्रभावित किया, वह प्रधानमंत्री की सरलता थी। मुझे उनका उस समय का दिल्ली निवास याद है। वह एक सामान्य कमरे में रहते थे, जो किसी और के साथ साझा किया हुआ था। दो साधारण बिस्तर, बिना किसी दिखावे के। यह घर उस समय भाजपा कार्यालय, 11 अशोक रोड, के ठीक पीछे था। एक बार जब मैं एक रिपोर्टिंग असाइनमेंट के लिए उनके घर गया था, तो बातचीत के दौरान वे बड़े ध्यान से अपने कपड़े खुद प्रेस कर रहे थे और यह बात साफ थी कि वे इस मामले में बहुत ही सतर्क और अनुशासित रहते थे। मुझे जो सबसे ज्यादा प्रभावित कर गया, वह यह था कि उनके पास बहुत ही कम निजी सामान और इच्छाएं थीं। कमरा लगभग खाली-सा था, जिसमें किसी भी तरह की अतिरिक्त सजावट या दिखावे का नामोनिशान नहीं था।

एक और मौके पर, मुझे प्राइम टाइम शो एंकर करने का अवसर मिला। यह मेरे लिए बड़ा क्षण था। शो का विषय था कश्मीर, जो उस समय अलगाववाद की चरम स्थिति से जूझ रहा था। मैंने नरेंद्र मोदी से इसमें शामिल होने का अनुरोध किया और उन्होंने तुरंत सहमति दी। शो के दौरान उन्होंने अलगाववादी मेहमानों के खिलाफ जिस तरह तीखे शब्दों, तर्क की मजबूती और स्पष्ट दृष्टि के साथ अपनी बात रखी, उसने गूंज पैदा की। यही वह प्रवृत्ति थी जिसने अंततः उनके प्रधानमंत्रित्व काल में कश्मीर घाटी के सफल एकीकरण का मार्ग प्रशस्त किया।

उस समय से लेकर अब तक डेढ़ से दो दशक बीत चुके हैं। इन वर्षों में जीवन और करियर के अलग-अलग चरणों में मुझे उनसे कई बार संवाद करने का अवसर मिला। उन्होंने रिपब्लिक के हर वार्षिक शिखर सम्मेलन का निमंत्रण स्वीकार किया, जिसमें पहला सम्मेलन भी शामिल था जिसके लिए प्रधानमंत्री विशेष रूप से दिल्ली से मुंबई पहुंचे थे। सभी यादों को यहाँ दर्ज करना कठिन है, लेकिन 2014 के चुनाव अभियान का इंटरव्यू आज भी मेरे मन में ताजा है।

यह मई 2014 का दूसरा सप्ताह था। उस समय भारत का सबसे बड़ा चुनाव अभियान समाप्ति पर था। यूपीए का दशक खत्म होने की कगार पर था और भाजपा का चुनावी अभियान उस स्तर और पैमाने का था जो देश ने पहले कभी नहीं देखा था- 3D रैलियां, भ्रष्टाचार और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर फोकस, सोशल मीडिया और डिजिटल टूल्स का उपयोग और जमीनी स्तर पर जबरदस्त प्रचार। मुंबई स्थित हमारे न्यूजरूम से मैं गांधीनगर पहुंचा। मुझे आखिरी समय तक यह भरोसा नहीं था कि मुझे उस व्यक्ति का इंटरव्यू मिलेगा जिसे ऐतिहासिक जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। मुझे सुबह-सुबह का समय दिया गया और यह नरेंद्र मोदी के पूरे चुनाव अभियान का आखिरी इंटरव्यू था।

यही वह इंटरव्यू था जिसमें प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान पर अपनी नीति बेहद स्पष्टता से रखी। उन्होंने कहा था, “बम, बंदूक और पिस्तौल की आवाज में बातचीत नहीं हो सकती।” दिल्ली में उनके कार्यकाल के दौरान और ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी जब-जब प्रधानमंत्री ने इस विषय पर बोला, उनकी पाकिस्तान पर नीति उतनी ही दृढ़ और सुसंगत रही। उस इंटरव्यू के अंत में मैंने प्रधानमंत्री से कैमरा बंद होने के बाद पूछा कि मुझे उनके चुनाव अभियान के बिल्कुल अंत में स्लॉट क्यों दिया गया। उन्होंने जवाब दिया, “आपका 2014 का चुनाव कवरेज एक विशेष नेता के इंटरव्यू से शुरू हुआ था और मैंने सोचा कि यह मेरे इंटरव्यू के साथ समाप्त होना चाहिए।” उस क्षण ने मुझे प्रधानमंत्री की गहरी राजनीतिक और रणनीतिक सोच का बोध कराया।

पिछले कुछ दिनों से रिपब्लिक ने राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया है- #IndiaNeedsModi। यह अभियान मुझे गर्व से भरता है, क्योंकि जब भारत $4 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था से $10 ट्रिलियन की ओर बढ़ेगा, तो रास्ते में चुनौतियां आएंगी। नए प्रकार की चुनौतियां, नई ताकतें, कभी दोस्त रहे लोग अवरोध बन सकते हैं और भारत की विकासगाथा में रुकावट डालने के प्रयास हो सकते हैं। ऐसे समय में भारत को वह नेतृत्व चाहिए जो उसे मार्गदर्शन दे और उसे उसका सही स्थान दिलाए।

कल अपने शो की शुरुआत में मैंने सवाल पूछा: देश कैसा होता यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक कदम, निरंतर सुधार और विकास-उन्मुख शासन पिछले 11 वर्षों में न होते? हमें, एक राष्ट्र के रूप में, चाहे हमारी विचारधारा कुछ भी हो, इस पर अवश्य ठहरकर सोचना चाहिए। हमें यह भी सोचना चाहिए कि बिना दृढ़ नेतृत्व के क्या काले धन पर सख्त प्रहार और नोटबंदी संभव होती? क्या यूपीआई जैसे कदमों से डिजिटल अर्थव्यवस्था में परिवर्तन आता? क्या डीबीटी और रक्षा उत्पादन जैसी पहलों पर हमें गर्व होता? क्या सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट या ऑपरेशन सिंदूर जैसे निर्णय लिए जा सकते थे? सामूहिक आत्ममंथन से हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि भारत की इस विकास यात्रा को हमें हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इसकी जड़ में शुद्ध नेतृत्व है।

आज की चुनौतियों का सामना करने के लिए आवश्यक है ऐसा दृढ़ नेतृत्व, जो भारत के हितों पर कोई समझौता न करे। पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री ने निर्णायक फैसले लिए, भारत को वैश्विक मंच पर अपने शर्तों पर मजबूती से खड़ा किया और हर स्थिति में राष्ट्र प्रथम रखने के लिए सब कुछ दांव पर लगाने की अद्भुत क्षमता और इच्छाशक्ति दिखाई।

और सबसे उल्लेखनीय यह है कि हर कठिन परिस्थिति में- चाहे कोविड-19 की पीड़ा हो, अनुच्छेद 370 हटाने के बाद के विरोधी हों या हर चुनाव से पहले झूठी खबरों के अभियान- प्रधानमंत्री अपने फैसलों पर अडिग रहे और आलोचकों को गलत साबित किया। उन्होंने अपने शासन की आस्था और निर्णयों की मजबूती को बनाए रखा। यही वह नेतृत्व है जो न केवल वादा करता है बल्कि सुनिश्चित करता है कि भारत हर परिस्थिति में आगे बढ़े।

जैसे ही प्रधानमंत्री अपने 75वें जन्मदिन का उत्सव मना रहे हैं और विश्व के सबसे बड़े नेताओं में से एक के रूप में सम्मानित हो रहे हैं, मैं उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं। 

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75वें पड़ाव पर मोदी: राजनीतिक पहचान से परे 'ब्रैंड' बनने की कहानी

दुनिया में बहुत कम नेता ऐसे होते हैं जो सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं रहते, बल्कि समय की धारा में अपनी ऐसी छाप छोड़ जाते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत बन जाती है।

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Published - Wednesday, 17 September, 2025
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Wednesday, 17 September, 2025
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दुनिया में बहुत कम नेता ऐसे होते हैं जो सिर्फ सत्ता तक सीमित नहीं रहते, बल्कि समय की धारा में अपनी ऐसी छाप छोड़ जाते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत बन जाती है। नरेंद्र मोदी उन गिने-चुने नेताओं में से एक हैं। वे महज राजनेता नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रतीक बन चुके हैं- एक सांस्कृतिक रहस्य, एक प्रेरणा और एक कहानी जो आज 75वें जन्मदिन पर और भी उज्ज्वल दिखती है।

मोदी ने न केवल विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व किया है, बल्कि व्यक्तिगत ब्रैंडिंग के क्षेत्र में भी पूरी दुनिया के लिए एक अद्वितीय उदाहरण गढ़ा है। ‘ब्रैंड मोदी’ आज दृढ़ता, पुनर्निर्माण और अटूट संकल्प का दूसरा नाम है। यह वह यात्रा है जो गांव-गांव के सपनों को ऊर्जा देती है और दुनिया भर से सम्मान पाती है।

यह ब्रैंड परंपरा में जड़ें जमाए हुए है, लेकिन भविष्य की भाषा में भी उतना ही प्रवीण है। योग के आसन हों या वैश्विक सम्मेलन, रेडियो की आवाज हो या इंस्टाग्राम की रील, खादी का कुर्ता हो या पावर सूट- मोदी हर रूप में सहज नजर आते हैं। उन्होंने केवल राजनीतिक पहचान नहीं बनाई, बल्कि भारत के गर्व, उसकी आकांक्षाओं और आत्मविश्वास का प्रतीक गढ़ा है।

चाय से चलकर शीर्ष तक

एक चाय बेचने वाले से देश के प्रधानमंत्री तक का उनका सफर हर भारतीय को अपनत्व का एहसास कराता है। गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने विकास की राजनीति को केंद्र में रखा और पूरे देश में ‘सबका साथ, सबका विकास’ से लेकर ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी मुहिमों के जरिये बदलाव की कहानियां गढ़ीं। अनुशासित संचार, सीधी जनता से जुड़ाव और ठोस फैसले उनकी पहचान बन गए।

संवाद की ताक़त

मोदी की सबसे बड़ी शक्ति उनका संवाद है। “चाय पर चर्चा” से लेकर “मन की बात” तक, उन्होंने हमेशा लोगों से सीधे जुड़ना चुना। यही कारण है कि स्वच्छ भारत, योग, पर्यावरण या फिटनेस जैसे मुद्दे केवल सरकारी योजनाएं नहीं रहे, बल्कि जन-जन के आंदोलन बन गए। सोशल मीडिया पर उनके करोड़ों फॉलोअर्स इस जुड़ाव के गवाह हैं।

युवा और नए भारत की आवाज

मोदी ने युवाओं को “अमृत पीढ़ी” कहा और उन्हें 2047 के भारत का निर्माता बताया। ‘स्टार्टअप इंडिया’, ‘फिट इंडिया’, ‘अटल इनोवेशन मिशन’ जैसे अभियान युवाओं के सपनों को पंख देते हैं। परीक्षा काल में उनका कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा’ लाखों छात्रों के लिए हौसला बढ़ाने वाला साथी बन चुका है। 2022 में लॉन्च हुआ ‘नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड’ डिजिटल युग के सपनों को मान्यता देने का प्रतीक बना।

परंपरा और आधुनिकता का संगम

“मोदी कुर्ता”, जैकेट्स या उनकी अनुशासित जीवनशैली- हर चीज उनकी छवि को और मजबूत बनाती है। योग को वैश्विक मंच पर ले जाना हो या ‘मैन वर्सेस वाइल्ड’ में प्रकृति और पर्यावरण पर बातचीत करना, हर बार मोदी ने दुनिया के सामने भारत की संस्कृति और मूल्यों को गर्व से रखा।

वैश्विक नेतृत्व का चेहरा

मैडिसन स्क्वायर गार्डन से लेकर सिडनी के स्टेडियम तक, प्रवासी भारतीयों की उमंग में मोदी का स्वागत किसी वैश्विक सितारे जैसा रहा है। 2025 में 75% अनुमोदन रेटिंग के साथ वे दुनिया के सबसे लोकप्रिय लोकतांत्रिक नेता बने। यह सिर्फ उनका नहीं, बल्कि हर भारतीय का गर्व है।

ब्रैंड मोदी यानी ब्रैंड इंडिया

मोदी का ब्रैंड हमेशा भारत की ब्रैंडिंग के साथ चलता है। जी20 में ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज बुलंद करना, “वोकल फॉर लोकल” से लेकर “इंटरनेशनल सोलर अलायंस” तक, हर पहल ने भारत को प्राचीन सभ्यता और आधुनिक शक्ति दोनों रूपों में प्रस्तुत किया।

स्थिरता और निरंतरता

नोटबंदी से महामारी तक- हर संकट में मोदी ने संयम और स्थिरता का परिचय दिया। यही स्थिरता आज ‘ब्रैंड मोदी’ को और गहराई देती है।

आज 75 वर्ष की उम्र में नरेंद्र मोदी सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास का चेहरा हैं। वे उस कहानी के नायक हैं जिसमें संघर्ष है, अनुशासन है और एक अडिग विश्वास है कि भारत का भविष्य उज्ज्वल है। 

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उच्च शिक्षा ही विकसित भारत 2047 की आधारशिला: प्रो. संजय द्विवेदी

कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ। स्वागत भाषण डॉ. रजनीश अग्रहरि ने दिया।

Last Modified:
Tuesday, 16 September, 2025
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सागर स्थित डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के मदन मोहन मालवीय शिक्षक-प्रशिक्षक केंद्र द्वारा आयोजित 12 दिवसीय पुनश्चर्या (रिफ्रेशर) पाठ्यक्रम के अंतर्गत “उच्च शिक्षा का समकालीन परिदृश्य एवं चुनौतियां – विकसित भारत 2047 के विशेष संदर्भ में” विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. संजय द्विवेदी, पूर्व महानिदेशक, भारतीय जनसंचार संस्थान (नई दिल्ली) रहे। प्रो. द्विवेदी ने अपने व्याख्यान में नई शिक्षा नीति–2020 के बाद उच्च शिक्षा क्षेत्र में आए बदलावों, नीतिगत सुधारों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से विचार रखे।

उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा किसी भी राष्ट्र की आधारशिला होती है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित भारत का सशक्त दस्तावेज है। उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने तक सीमित न रहे, बल्कि उसमें रोजगार सृजन, नवाचार, उद्यमिता, सामाजिक उत्तरदायित्व और मानवीय मूल्यों का समावेश होना चाहिए। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मीडिया और संचार की नई दिशा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसी चुनौतियां विश्वविद्यालयों के लिए नए अवसर भी लेकर आई हैं।

भारत के पास युवा शक्ति, प्रौद्योगिकी और पारंपरिक ज्ञान का अद्वितीय संगम है, जिसे उचित नीति और प्रबंधन से विश्व स्तर पर अग्रणी बनाया जा सकता है। प्रो. द्विवेदी ने सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को विकसित भारत 2047 के लक्ष्य से जोड़ते हुए कहा कि हमें वैश्विक प्रतिस्पर्धा और स्थानीय आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाना होगा।

उन्होंने प्रतिभागियों का आह्वान किया कि वे अपने-अपने संस्थानों में अनुसंधान संवर्धन, गुणवत्ता सुधार, नई शैक्षिक विधियों और सामुदायिक सहभागिता पर बल दें। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुआ।

स्वागत भाषण डॉ. रजनीश अग्रहरि ने दिया, धन्यवाद ज्ञापन संदीप पाठक ने प्रस्तुत किया और संचालन प्रदीप विश्वकर्मा ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे करण जौहर, पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा की लगाई गुहार

फिल्ममेकर करण जौहर ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा की गुहार लगाई।

Last Modified:
Monday, 15 September, 2025
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फिल्ममेकर करण जौहर ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने पर्सनैलिटी राइट्स की रक्षा की गुहार लगाई। उनका आरोप है कि कुछ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया पेज उनकी तस्वीरों, नाम और आवाज का इस्तेमाल कर व्यावसायिक लाभ कमा रहे हैं। इस याचिका पर सोमवार को आंशिक सुनवाई हुई, जिसके बाद न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने अगली सुनवाई 17 सितंबर के लिए तय की है।

करण जौहर की आपत्तियां

सुनवाई के दौरान जौहर की ओर से कथित उल्लंघन से जुड़े लिंक और यूआरएल कोर्ट के सामने रखे गए। उनके वकील, सीनियर एडवोकेट राजशेखर राव ने दलील दी कि धन जुटाने के लिए जौहर के नाम और तस्वीरों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “ये वे वेबसाइट्स हैं जहां से मेरी तस्वीरें डाउनलोड की जाती हैं, और कई सोशल मीडिया पेज मेरे नाम से मौजूद हैं।”

मेटा का पक्ष

फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप की पेरेंट कंपनी मेटा की ओर से वकील वरुण पाठक पेश हुए। उन्होंने कोर्ट में कहा कि जौहर द्वारा दिए गए कई उदाहरण मानहानि की श्रेणी में नहीं आते। उनका कहना था कि साधारण टिप्पणियों या मजाक को लेकर यदि मुकदमेबाजी शुरू होगी तो इससे अनावश्यक विवाद बढ़ेंगे। पाठक ने तर्क दिया, “ये लोग सिर्फ चर्चा कर रहे हैं। एक सामान्य मजाक को लेकर उन्हें कोर्ट में घसीटना उचित नहीं है।”

कोर्ट की टिप्पणी

न्यायमूर्ति अरोड़ा ने सुनवाई के दौरान कहा कि हर फैन पेज को हटाने का आदेश संभव नहीं है। उन्होंने कहा, “आपको यह स्पष्ट करना होगा कि क्या सामग्री वास्तव में अपमानजनक है। मीम्स जरूरी नहीं कि अपमानजनक हों। इसके अलावा, अगर कोई सामान बेच रहा है या डोमेन नेम का मुद्दा है, तो उसे विशेष रूप से चिन्हित करें। हम हर पेज पर blanket आदेश नहीं दे सकते।”

करण जौहर की दलील

जौहर की ओर से राव ने कहा कि किसी को भी उनकी सहमति के बिना उनके चेहरे, नाम या व्यक्तित्व संबंधी विशेषताओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “मीम्स और वीडियो बनाने के बीच एक सीमा होती है। प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदारी बनती है, क्योंकि जितने अधिक मीम्स होंगे, वे उतनी ही तेजी से वायरल होंगे और उतना ही अधिक मुनाफा होगा।”

अगली सुनवाई

सुनवाई के अंत में अदालत ने संकेत दिया कि वह कुछ विशेष पेजों को हटाने का आदेश दे सकती है। साथ ही यह भी कहा कि यदि भविष्य में इस तरह की सामग्री फिर सामने आती है तो जौहर पहले प्लेटफॉर्म को सूचित करें, और उसके बाद आवश्यकता पड़ने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं। अदालत ने स्पष्ट किया कि अंतरिम राहत पर आदेश 17 सितंबर को पारित किया जाएगा। 

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पाञ्चजन्य ‘आधार इंफ्रा कॉन्फ्लुएंस 2025’ आज दिल्ली में

कार्यक्रम में जे.पी. नड्डा, नितिन गडकरी समेत शीर्ष नेता और उद्योग विशेषज्ञ 'Policy–Innovation–Implementation' थीम पर भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर भविष्य पर चर्चा करेंगे

Last Modified:
Monday, 15 September, 2025
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देश के इंफ्रास्ट्रक्चर विज़न पर विचार-विमर्श को नई गति देने के उद्देश्य से 15 सितंबर 2025 को राजधानी दिल्ली में ‘पाञ्चजन्य आधार इंफ्रा कॉन्फ्लुएंस 2025’ का आयोजन किया जा रहा है। 'Policy–Innovation–Implementation' थीम पर आधारित यह विशेष सम्मेलन द अशोक होटल, चाणक्यपुरी में प्रातः 11 बजे से शुरू होकर देर शाम तक चलेगा।

इस कार्यक्रम में राजनीति, उद्योग और सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी कई प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी। बतौर मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता, केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रचार टोली सदस्य व वरिष्ठ प्रचारक मुकुल कानिटकर, अमृता अस्पताल फरीदाबाद के प्रशासनिक निदेशक स्वामी निजामृतानंद पुरी, एनसीआईएसएम के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रघुराम भट्ट, तथा पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष हेमंत जैन अपने विचार साझा करेंगे।

इस कॉन्फ्लुएंस में कई सत्र होंगे, जिनमें '100 Years RSS' पुस्तक का विमोचन भी शामिल है। इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की चुनौतियां, नवीकरणीय ऊर्जा, सड़क और जल संसाधन प्रबंधन तथा उद्योग जगत की संभावनाओं पर विशेष पैनल चर्चाएं होंगी।

दी गई जानकारी के मुताबिक, इस आयोजन का मूल उद्देश्य है—‘विकसित भारत’ के विज़न को साकार करने के लिए नीति-निर्माण, नवाचार और क्रियान्वयन पर एक ठोस रोडमैप तैयार करना। पाञ्चजन्य का यह प्रयास नीति-निर्माताओं, विशेषज्ञों और उद्योग जगत के नेताओं को एक ही मंच पर लाकर देश के इंफ्रास्ट्रक्चर भविष्य की दिशा तय करने की कोशिश करेगा।

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अमित खरे समेत इन IAS अधिकारी को मिली नई जिम्मेदारी, अब उपराष्ट्रपति के लिए करेंगे काम

सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अमित खरे को रविवार को उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन का सचिव नियुक्त किया गया है।

Last Modified:
Monday, 15 September, 2025
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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार रहे सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अमित खरे को रविवार को उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन का सचिव नियुक्त किया गया है।

अमित खरे 1985 बैच के झारखंड कैडर के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (ACC) ने उनकी नियुक्ति को अनुबंध के आधार पर तीन वर्षों के लिए मंजूरी दी है।

कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) की तरफ से रविवार (14 सितंबर 2025) को जारी एक आधिकारिक ज्ञापन के अनुसार, अमित खरे की नियुक्ति पदभार ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्ष के कार्यकाल के लिए या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, अनुबंध के आधार पर होगी। अमित खरे का लोक सेवा में एक विशिष्ट करियर रहा है, उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सचिव और बाद में शिक्षा सचिव के रूप में कार्य किया है। सिविल सेवा से सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें प्रधानमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया था, जहां उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में सामाजिक क्षेत्र से संबंधित मामलों को संभाला था। उनका चयन संवैधानिक प्राधिकारियों की सहायता के लिए महत्वपूर्ण सचिवीय भूमिकाओं में अनुभवी अधिकारियों को नियुक्त करने के केंद्र के प्रयास को दर्शाता है।

वहीं, DOPT की ओर से जारी आधिकारिक ज्ञापन के अनुसार, ACC ने रविवार को ही केरल कैडर के 2014 बैच के IAS अधिकारी चंद्रशेखर एस. की नियुक्ति को भी उपराष्ट्रपति के निजी सचिव के रूप में मंजूरी दी है। चंद्रशेखर एस. को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में उप निदेशक के वर्तमान पद से मुक्त कर दिया गया है और वे नया कार्यभार संभालेंगे। उनका केंद्रीय प्रतिनियुक्ति कार्यकाल 28 फरवरी, 2028 तक जारी रहेगा, जो उनकी चार साल की प्रतिनियुक्ति की शेष अवधि है, या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो। वे उपराष्ट्रपति के साथ सह-अवधि के आधार पर कार्य करेंगे।

बता दें कि राधाकृष्णन ने 12 सितंबर को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी, जब उन्होंने 9 सितंबर को विपक्षी उम्मीदवार, सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी से 152 वोट अधिक हासिल किए थे।  

अमित खरे को अक्टूबर 2021 में प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था, जब उन्होंने उस वर्ष सितंबर में उच्च शिक्षा सचिव के रूप में सेवानिवृत्ति ली थी। उनके सलाहकार कार्यकाल को जून 2026 तक पूरा होना था। सिविल सेवा के दौरान, खरे ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण सचिव और राज्य में वित्त, शिक्षा और सामान्य प्रशासन विभागों में कार्य किया। उच्च शिक्षा सचिव के रूप में, उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर काम किया। 2000 में झारखंड राज्य के गठन से पहले, उन्होंने अविभाजित बिहार राज्य में भी सेवाएं दीं, जिसमें 1995 से 1997 तक पश्चिम सिंहभूम के जिला कलेक्टर के रूप में कार्यकाल शामिल है, जब उन्होंने चारा घोटाले का पर्दाफाश करने में भूमिका निभाई।

उपराष्ट्रपति का चुनाव 21 जुलाई को जगदीप धनखड़ के कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देने के कारण आवश्यक हो गया था। राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता करने के बाद, धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया। धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक था। 

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हैप्पी बर्थडे राहुल कंवल: पत्रकारिता की आवाज और नेतृत्व की मिसाल हैं आप

राहुल के कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी है। एक पत्रकार के रूप में उन्हें जनता के सरोकारों को मंच देना है और एक सीईओ के रूप में उन्हें बाजार की चुनौतियों का सामना करना है।

Last Modified:
Sunday, 14 September, 2025
Rahul Kanwal Birthday

‘एनडीटीवी’ (NDTV) के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल के लिए आज का दिन काफी खास है, क्योंकि आज उनका जन्मदिन है। राहुल कंवल ने अपने सवालों और सच्चाई की तलाश से भारतीय पत्रकारिता में एक अलग मुकाम हासिल किया है। 1980 में नासिक के पास देवलाली में जन्मे राहुल की शुरुआत आम थी, लेकिन उनके दिल में सच्चाई को सामने लाने की असाधारण जिद थी। यह जिद ही उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय से लेकर कार्डिफ तक ले गई, जहां उन्होंने चेवनिंग स्कॉलर के रूप में अपनी प्रतिभा को निखारा।

राहुल का सफर ‘जी न्यूज’ (Zee News) और ‘आजतक’ (AajTak) के तेज-तर्रार न्यूजरूम्स से होकर गुजरा, जहां उन्होंने न सिर्फ खबरें दीं, बल्कि उन सवालों को उठाया जो वाकई मायने रखते थे। टेलीविजन की दुनिया, जो रफ्तार और विश्वास की मांग करती है, में राहुल ने शोरगुल के बजाय धैर्य और गहराई से अपनी जगह बनाई। उनकी तीखी सवालों वाली साक्षात्कार शैली और सतही जवाबों को नकारने की हिम्मत ने उन्हें अलग पहचान दी। इंडिया टुडे में उनके शो ‘न्यूजट्रैक’ और ‘जब वी मेट’ ने दर्शकों को खबरों की दुनिया में सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि हिस्सेदार बनाया।

अब एनडीटीवी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ के रूप में राहुल एक बड़े दायित्व को संभाल रहे हैं। एनडीटीवी, जो लाखों लोगों के लिए विश्वसनीयता का प्रतीक रहा है, आज के दौर में चुनौतियों से जूझ रहा है। सोशल मीडिया और चिल्लम-चिल्ला बहसों के इस युग में, राहुल का मिशन साफ है—एनडीटीवी को फिर से “सोचने-समझने वालों का चैनल” बनाना, जो आज की मोबाइल-प्रधान पीढ़ी से भी जुड़े।

राहुल के कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी है। एक पत्रकार के रूप में उन्हें जनता के सरोकारों को मंच देना है और एक सीईओ के रूप में उन्हें बाजार की चुनौतियों का सामना करना है। संपादकीय ईमानदारी को बनाए रखते हुए तकनीक और नवाचार को अपनाने का यह संतुलन आसान नहीं है, लेकिन राहुल की ताकत उनकी महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि उनकी सहनशीलता है। आलोचनाओं के तूफान, विश्वसनीयता की लड़ाइयों और प्राइम-टाइम की जंगों के बीच, उन्होंने हमेशा अपने रास्ते पर डटकर मुकाबला किया।

उनका जन्मदिन हमें याद दिलाता है कि पत्रकारिता सिर्फ खबरें देना नहीं, बल्कि समाज से किया गया एक वादा है—सच्चाई को सामने लाने का वादा, चाहे वह कितनी भी असुविधाजनक हो। आज, जब राहुल एनडीटीवी के न्यूजरूम में खड़े होंगे, स्क्रीन की रोशनी और पत्रकारों की गहमागहमी के बीच, वह शायद उस भरोसे को फिर से बनाने की ठान रहे होंगे, जो आज की दुनिया में कहीं खो सा गया है।

राहुल कंवल की प्रेरक कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। देवलाली से शुरू होकर प्राइम-टाइम तक पहुंचा यह सफर अब एक नए मोड़ पर है। वह सिर्फ एक न्यूज़ एंकर नहीं, बल्कि भारतीय टेलीविजन के भविष्य के रास्ते तय करने वाले एक संरक्षक हैं। उनके जन्मदिन पर हम उन्हें यही शुभकामना देते हैं कि वह सच्चाई की इस जंग में और मजबूती से डटे रहें, और एनडीटीवी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।

समाचार4मीडिया की ओर से राहुल कंवल को उनके जन्मदिन पर ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

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नेपाल: हिंसक दंगों के बीच इन पत्रकारों व मीडिया संस्थानों पर हुए हमले, RSF ने की निंदा

9 सितंबर को नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित विभिन्न हिस्सों में भड़के दंगों के दौरान एक दर्जन से अधिक मीडिया संस्थानों और पत्रकार संगठनों के मुख्यालयों पर हमला किया गया।

Last Modified:
Saturday, 13 September, 2025
Nepal87412

9 सितंबर को नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित विभिन्न हिस्सों में भड़के दंगों के दौरान एक दर्जन से अधिक मीडिया संस्थानों और पत्रकार संगठनों के मुख्यालयों पर हमला किया गया। इससे एक दिन पहले चार पत्रकार कानून प्रवर्तन बलों की कार्रवाई में घायल हुए थे। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) ने देश के राजनीतिक संकट से उपजी इस हिंसा की निंदा की है और नई अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना, जिसने देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है, से अपील की है कि वे पत्रकारों के महत्वपूर्ण कार्य का सम्मान करें और प्रेस की स्वतंत्रता की गारंटी दें।

9 सितंबर को राजधानी और देश के कई क्षेत्रों को दंगों की आग ने अपनी चपेट में ले लिया। इस दौरान कम से कम एक दर्जन समाचार संस्थानों और तीन मीडिया संगठनों के दफ्तरों में आग लगा दी गई या तोड़फोड़ की गई। काठमांडू के थापाथली इलाके में उपद्रवियों ने प्रमुख निजी मीडिया समूह कांतिपुर मीडिया ग्रुप (KMG) के दफ्तर को जला दिया। सार्वजनिक प्रसारक 'पब्लिक सर्विस ब्रॉडकास्टिंग नेपाल' (पीएसबीएन), जो रेडियो नेपाल और नेपाल टेलीविजन का संचालन करता है और जिसका मुख्यालय सरकारी परिसर सिंहदरबार में है, पर भी तोड़फोड़ की गई।

एक दिन पहले, बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों को सुरक्षा बलों ने हिंसक रूप से दबा दिया था, जिसमें कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई। युवा नेपाली नागरिकों ने इन प्रदर्शनों की शुरुआत राजनीतिक अभिजात वर्ग के भ्रष्टाचार और 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को प्रतिबंधित करने के सरकारी फैसले के खिलाफ की थी। सरकार ने यह कार्रवाई इसलिए की थी क्योंकि ये प्लेटफॉर्म नई सरकारी निर्देशिकाओं के तहत आधिकारिक तौर पर पंजीकृत नहीं थे। कांतिपुर टीवी, नया पत्रिका और नेपालप्रेस के लिए घटनाओं को कवर कर रहे तीन पत्रकारों और एक स्वतंत्र पत्रकार को पुलिस द्वारा चलाई गई रबर की गोलियों से चोटें आईं।

रिपोर्टर विदाउट बॉर्डर की दक्षिण एशिया डेस्क की प्रमुख सेलीया मेर्सियर ने कहा, “सत्ता विरोधी विद्रोह के दौरान मीडिया संस्थानों को निशाना बनाने वाले ये हिंसक हमले अस्वीकार्य हैं। पुलिस हिंसा, जिसमें चार पत्रकार घायल हुए, वह भी उतनी ही निंदनीय है। संकट और अस्थिरता के समय सूचना देने और पाने के अधिकार की सुरक्षा करना पहले से कहीं अधिक आवश्यक है। RSF देश की नई अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और सेना, जो वर्तमान में देश पर नियंत्रण रख रही है, से अपील करता है कि वे पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी दें। यह भी जरूरी है कि किसी भी भविष्य की सरकार की मान्यता के लिए प्रेस स्वतंत्रता को एक पूर्व शर्त बनाया जाए।”

जब दहक उठा काठमांडू 

राजधानी काठमांडू के थापाथली इलाके में कांतिपुर मीडिया ग्रुप, जो दैनिक कांतिपुर और उसकी ऑनलाइन वेबसाइट ekantipur.com का प्रकाशन करता है, के साथ ही उसी इमारत में स्थित 'द काठमांडू पोस्ट' के दफ्तर को भी उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया। कांतिपुर मीडिया ग्रुप के मालिक कैलाश सिरोहिया और अन्नपूर्णा मीडिया नेटवर्क समूह के मालिक रमेश्वर थापा के घरों में भी आग लगा दी गई।

टिंकुने इलाके में कांतिपुर टीवी, रेडियो कांतिपुर और दैनिक अन्नपूर्णा पोस्ट को भी निशाना बनाया गया और भारी नुकसान पहुंचाया गया। कांतिपुर टीवी के स्टूडियो में पत्रकार लाइव प्रसारण कर रहे थे, तभी प्रदर्शनकारियों ने न्यूजरूम पर धावा बोल दिया। न्यूज डायरेक्टर रूपेश श्रेष्ठ ने कर्मचारियों को बाहर निकालने के लिए कांच का दरवाजा तोड़ दिया, जबकि इमारत और बाहर खड़ी गाड़ियों में आग लग गई। हमलावरों ने रूपेश श्रेष्ठ और उनके सहयोगी पत्रकार अनील बोगाटी को पीटा। चैनल का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर नष्ट हो गया। एवेन्यूज टेलीविजन, ABC टेलीविजन और ITV नेपाल को भी बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचने के कारण प्रसारण बंद करना पड़ा।

अन्नपूर्णा पोस्ट के दफ्तर में प्रदर्शनकारियों ने कर्मचारियों को बाहर निकालने के बाद इमारत में आग लगा दी, जिससे दफ्तर खंडहर में बदल गया। काठमांडू स्थित माओवादी पत्रकार संगठन बाबरमहल प्रेस सेंटर में भी आग लगा दी गई और निजी वेबसाइट ThahaKhabar.com के दफ्तर में तोड़फोड़ की गई।

स्थानीय मीडिया पर भी हमले

देश के अन्य हिस्सों से भी ऐसे ही हमलों की खबरें आईं। बुटवल में 'न्यूज24 टीवी' और 'रेडियो जागरण' के वाहनों में आग लगा दी गई। कास्की जिले में रेडियो धोरबराही के कर्मचारियों की मोटरसाइकिलें जला दी गईं और प्रदर्शनकारियों ने Kendrabhag.com के एडिटर-इन-चीफ गोविंद सुवेदी का कैमरा तोड़ दिया, जब वे प्रदर्शन कवर कर रहे थे।

मधेश प्रांत के सरलाही जिले में 'मेरो शान' टीवी चैनल के पत्रकार राजीव साह को उस समय पीटा गया जब वे एक थाने में आगजनी की घटना को कवर कर रहे थे। बागमती प्रांत के चितवन जिले में SafalKhabar.com और 'दैनिक चुरे संदेश' के दफ्तरों को लूटा गया और आग लगा दी गई। 'कालिका एफएम' रेडियो के संचार उपकरण नष्ट कर दिए गए और 'कपुरबोट' मीडिया वेबसाइट के निदेशक संतोष देउजा के घर को लूटा गया और आग लगा दी गई। देश के पूर्वी हिस्से इलाम शहर में 'नेपालवाणी' एफएम रेडियो और दैनिक 'इलाम एक्सप्रेस' के दफ्तरों में भी तोड़फोड़ की गई।

मधेश प्रांत में ही सप्तरी जिले के फेडरेशन ऑफ नेपाली जर्नलिस्ट्स के दफ्तरों में भी प्रदर्शनों के दौरान तोड़फोड़ की गई।

8 सितंबर को, यानी दंगों की पूर्व संध्या पर, काठमांडू में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों को कवर करते समय चार पत्रकार पुलिस की कार्रवाई में घायल हो गए। 'कांतिपुर टीवी' के कैमरामैन श्याम श्रेष्ठ, 'नया पत्रिका' के फोटो पत्रकार दिपेन्द्र धुंगाना, 'नेपालप्रेस' के फोटो पत्रकार उमेश कार्की और स्वतंत्र पत्रकार शम्भु डंगाल को सुरक्षा बलों द्वारा दागी गई रबर की गोलियों से चोटें आईं। 'देशसंचार' की संवाददाता वर्षा शाह भी प्रदर्शन कवर करते समय पत्थर लगने से घायल हो गईं।

RSF की 2025 वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों और क्षेत्रों में नेपाल 90वें स्थान पर है। मई 2025 में किए गए एक मिशन के दौरान RSF ने नेपाली अधिकारियों से प्रेस स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए ठोस और तत्काल कदम उठाने की अपील की थी। 

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e4m रियल-टाइम प्रोग्रामैटिक ऐडवर्टाइजिंग अवॉर्ड्स: पार्थो बनर्जी की अगुआई में जूरी मीट आज

e4m रियल-टाइम प्रोग्रामैटिक ऐडवर्टाइजिंग अवॉर्ड्स का चौथा संस्करण प्रोग्रामैटिक विज्ञापन में उत्कृष्टता का जश्न मनाने के लिए तैयार है।

Last Modified:
Friday, 12 September, 2025
ParthoBanerjee8745

e4m रियल-टाइम प्रोग्रामैटिक ऐडवर्टाइजिंग अवॉर्ड्स का चौथा संस्करण प्रोग्रामैटिक विज्ञापन में उत्कृष्टता का जश्न मनाने के लिए तैयार है। बहुप्रतीक्षित अवॉर्ड समारोह गुरुवार, 18 सितंबर को मुंबई में आयोजित होगा। भव्य अवॉर्ड नाइट से पहले, आज 12 सितंबर को वर्चुअल जूरी मीट आयोजित की जा रही है। इस वर्ष की जूरी की अध्यक्षता कर रहें हैं मारुति सुजुकी इंडिया में मार्केटिंग एंड सेल्स के सीनियर एग्जिक्यूटिव ऑफिसर पार्थो बनर्जी, जिन्हें इंडस्ट्री का बेहद गहरा अनुभव और इनोवेशन की समझ है।

जूरी मीट में ऐडवर्टाइजिंग, मार्केटिंग और प्रोग्रामैटिक इकोसिस्टम के कुछ बड़े दिग्गज एक साथ आएंगे ताकि विभिन्न कैटेगरीज में नामांकन का आकलन किया जा सके। इसका उद्देश्य निष्पक्षता, पारदर्शिता और रचनात्मकता व उत्कृष्टता की पहचान सुनिश्चित करना है। जूरी पैनल में इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स, ब्रैंड लीडर्स और थॉट-लीडर्स का विशिष्ट मिश्रण शामिल है, जो कई कैटेगरीज में प्रविष्टियों का मूल्यांकन कर मार्केटिंग में श्रेष्ठता का सम्मान करेंगे।

एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित, ये अवॉर्ड्स लगातार उन श्रेष्ठ इनोवेशंस, कैंपेंस और लीडर्स को पहचान देते आ रहे हैं, जो भारत में प्रोग्रामैटिक ऐड के भविष्य को आकार दे रहे हैं। जूरी मीट का फोकस उन कार्यों की पहचान पर रहेगा जो प्रभावशीलता, रचनात्मकता और प्रोग्रामैटिक रणनीतियों के माध्यम से मापने योग्य प्रभाव डालने की क्षमता के लिए अलग दिखाई देते हैं।

e4m रियल-टाइम प्रोग्रामैटिक ऐडवर्टाइजिंग अवॉर्ड्स का उद्देश्य ब्रैंड्स, एजेंसियों और व्यक्तियों को सम्मानित करना है, जो तेजी से विकसित हो रहे प्रोग्रामैटिक परिदृश्य में सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं। बनर्जी के गाइडेंस में ये  अवॉर्ड्स एक मजबूत मानक स्थापित करेंगे। वर्चुअल जूरी मीट एक महत्वपूर्ण दिन है, जो रचनात्मकता, डेटा-आधारित रणनीतियों और प्रभावशाली अभियानों के शानदार उत्सव की नींव रखता है।

प्रतिष्ठित जूरी पैनल पर एक नजर: 

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सकाल मीडिया ग्रुप में इस बड़े पद पर जुड़े रुपेश मुतालिक व दिनेश ओक

साकाल मीडिया ग्रुप ने प्रिंट, डिजिटल और रीजनल मार्केट्स में अपने विस्तार के तहत दो वरिष्ठ अधिकारियों की नई नियुक्तियों की घोषणा की है।

Last Modified:
Friday, 12 September, 2025
SakaalMedia7845

साकाल मीडिया ग्रुप ने प्रिंट, डिजिटल और रीजनल मार्केट्स में अपने विस्तार के तहत दो वरिष्ठ अधिकारियों की नई नियुक्तियों की घोषणा की है। मीडिया इंडस्ट्री में बदलते हालात को देखते हुए सीईओ उदय जाधव अब अपनी मौजूदा भूमिका के साथ मीडिया कंपनियों का एकीकरण (consolidation), गैर-मीडिया कारोबार से कमाई, मर्जर-अधिग्रहण (M&A) के लिए कैपिटल पाइपलाइन बनाना और ट्रेजरी मैनेजमेंट (पैसों और निवेश का प्रबंधन) पर ध्यान देंगे। 

यह पुनर्गठन (restructuring) इसलिए किया जा रहा है ताकि यह साफ हो सके कि रेवेन्यू और ऑपरेशन्स की जिम्मेदारी किसके पास होगी। साथ ही, इससे सीईओ को रोजमर्रा के कामों में उलझने के बजाय कंपनी की बड़ी रणनीतियों और लंबे समय तक होने वाली ग्रोथ पर ध्यान देने का मौका मिलेगा। 

इस पुनर्निर्माण का उद्देश्य है:

  • राजस्व और संचालन की स्पष्ट जिम्मेदारी बनाना,

  • CEO को रणनीतिक विकास, साझेदारियों और नई पहलों पर ध्यान केंद्रित करने देना, और

  • पूरे संगठन में जवाबदेही और प्रतिभा विकास को मजबूत करना।

यह पुनर्गठन सुनिश्चित करेगा कि ऐसे लीडर हमारे व्यवसाय का नेतृत्व करें, जो राजस्व वृद्धि और संचालन उत्कृष्टता दोनों को आगे बढ़ाएं।

रुपेश मुतालिक – मुख्य राजस्व अधिकारी (CRO)

रुपेश अगस्त 2006 में साकाल से जुड़े और 2017 में दोबारा लौटे। वे विज्ञापन और मार्केटिंग में व्यापक अनुभव साथ लाए। 2023 में उन्हें पुणे यूनिट हेड नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने क्षेत्र के लिए सफलतापूर्वक व्यवसायिक वृद्धि का नेतृत्व किया।

अपने नए CRO के रूप में, वे संगठन भर में सभी राजस्व उत्पन्न करने वाले कार्यों को आगे बढ़ाने और उनकी देखरेख के लिए जिम्मेदार होंगे, जिनमें शामिल हैं:

  • राष्ट्रीय, पुणे और शेष महाराष्ट्र के लिए प्रिंट विज्ञापन

  • डिजिटल सेल्स और अन्य राजस्व

  • इवेंट्स और एक्टिवेशन की योजना और क्रियान्वयन

  • नए मीडिया राजस्व स्रोत विकसित करने के लिए नए विचार उत्पन्न करना

  • समय पर वसूली पर ध्यान केंद्रित करना

  • शेड्यूलिंग और बैक ऑफिस संचालन को नियंत्रित करना

सभी यूनिट हेड्स और राजस्व कार्य अब राजस्व के मोर्चे पर रुपेश को रिपोर्ट करेंगे, जबकि अपनी प्रशासनिक रिपोर्टिंग CEO उदय जाधव को जारी रखेंगे। रुपेश मुतालिक सीधे CEO को रिपोर्ट करना जारी रखेंगे।

दिनेश ओक – संचालन एवं प्रौद्योगिकी प्रमुख

दिनेश ने 2000 में साकाल के साथ एक प्रशिक्षु इंजीनियर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। वर्षों में, अपनी प्रतिबद्धता और विशेषज्ञता के साथ, उन्होंने आधुनिक तकनीकों को समर्थन और लागू करने तथा परिचालन दक्षता को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है।

अपने नए संचालन एवं प्रौद्योगिकी प्रमुख के रूप में, वे निम्नलिखित कार्यों का नेतृत्व और देखरेख करेंगे:

  • भविष्य-तैयार प्रौद्योगिकियों को अपनाना

  • यूनिट संचालन दक्षता और लागत अनुकूलन

  • खरीद, उत्पादन और विद्युत संचालन

  • प्रसारण और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)

  • CPC, खरीद योजना और क्रियान्वयन

  • नई परियोजनाओं की योजना और क्रियान्वयन

ये सभी विभाग अब सीधे दिनेश को रिपोर्ट करेंगे, जो बदले में साकाल मीडिया ग्रुप के CEO उदय जाधव को रिपोर्ट करेंगे।

इस नई संरचना के साथ, राजस्व वृद्धि और परिचालन दक्षता का नेतृत्व दो केंद्रित नेताओं द्वारा किया जाएगा, जिससे समूह को और अधिक सुदृढ़ सामंजस्य बनाने, तेजी से विस्तार करने और अपनी दीर्घकालिक दृष्टि के साथ बेहतर सामंजस्य स्थापित करने में मदद मिलेगी। 

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‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ ने इस बड़े पद पर गौरव लघाटे को किया नियुक्त

अपनी इस भूमिका में गौरव लघाटे सीधे ‘SPNI’ के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ गौरव बनर्जी को रिपोर्ट करेंगे।

Last Modified:
Thursday, 11 September, 2025
Gaurav Laghate

‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ (SPNI) ने गौरव लघाटे को नया पीआर और कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस हेड नियुक्त किया है। उनकी यह नियुक्ति सितंबर 2025 से प्रभावी होगी।

IWM.BUZZ.com की रिपोर्ट के अनुसार, इस भूमिका में गौरव लघाटे सीधे ‘SPNI’ के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ गौरव बनर्जी को रिपोर्ट करेंगे। गौरव को पत्रकारिता में 17 साल से ज्यादा का अनुभव है।

इस नियुक्ति पर गौरव बनर्जी ने कहा, ‘गौरव को डोमेन की गहरी समझ और स्ट्रैटेजिक विजन हमारी लीडरशिप टीम के लिए बेहद मूल्यवान साबित होगा। पत्रकार से कम्युनिकेशन लीडर बनने का उनका अनुभव हमें अपनी कहानी गढ़ने और अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स से जुड़ने में एक अनोखा नजरिया देगा। हम उन्हें अपनी टीम में शामिल करके उत्साहित हैं, क्योंकि हमारा लक्ष्य कंटेंट पावरहाउस के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करना है।’

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