ठक्कर आठ साल से ज्यादा समय से अहमदाबाद स्थित इस समूह के प्रमुख अंग हैं।
‘अडानी’ (Adani) समूह ने मितुल ठक्कर को प्रमोशन का तोहफा देते हुए अपने मीडिया रिलेशंस और पार्टनरशिप्स डिवीजन का नया हेड नियुक्त किया है। इस नई भूमिका में उन्हें ग्रुप के सभी बिजनेस वर्टिकल्स में कम्युनिकेशन और मीडिया स्ट्रैटेजी की जिम्मेदारी दी गई है।
ठक्कर करीब आठ साल से अहमदाबाद स्थित अडानी ग्रुप का अहम हिस्सा हैं। हाल ही तक वह एसोसिएट वाइस प्रेजिडेंट (कॉर्पोरेट ब्रैंड कस्टोडियन) के पद पर कार्यरत थे। अब नई भूमिका में वह ग्रुप की स्ट्रैटेजिक मीडिया एंगेजमेंट और कम्युनिकेशंस प्रयासों का नेतृत्व करेंगे, जो ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक्स और अन्य क्षेत्रों को कवर करता है।
मितुल ठक्कर के पास कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन और पत्रकारिता में लगभग एक दशक का अनुभव है। अडानी ग्रुप में शामिल होने से पहले उन्होंने वेदांता ग्रुप में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं और ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ तथा ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ जैसी प्रमुख मीडिया संस्थाओं में पत्रकार के रूप में काम किया। इस दौरान उन्होंने विशेष रूप से ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर पर ध्यान केंद्रित किया।
हेमलता येदेरी इससे पहले करीब 14 साल से ‘श्री अधिकारी ब्रदर्स’ में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।
‘बी4यू नेटवर्क’ (B4U Network) ने हेमलता येदेरी को चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया है। हेमलता येदेरी ने सोशल मीडिया पर खुद यह खबर शेयर की है।
हेमलता येदेरी इससे पहले करीब 14 साल से ‘श्री अधिकारी ब्रदर्स’ में कार्यरत थीं और नेशनल सेल्स हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।
पूर्व में वह ‘एनडीटीवी मीडिया’ में रीजनल मैनेजर और ‘मिड-डे’ में एसोसिएट वाइस प्रेजिडेंट (सेल्स) के पद पर भी अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।
राजेश सरीन ने इस्तीफा क्यों दिया, इसकी वजह नहीं पता चल पाई है। उनकी जगह यह जिम्मेदारी कौन संभालेगा, कंपनी ने फिलहाल इसकी घोषणा नहीं की है।
सीनियर मीडिया प्रोफेशनल राजेश सरीन ने ‘जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (ZMCL) से इस्तीफा दे दिया है। वह यहां चीफ रेवेन्यू ऑफिसर (CRO) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्होंने यहां पर पिछले साल सितंबर में जॉइन किया था।
राजेश सरीन ने इस्तीफा क्यों दिया, इसकी वजह नहीं पता चल पाई है। उनकी जगह यह जिम्मेदारी कौन संभालेगा, कंपनी ने फिलहाल इसकी घोषणा नहीं की है।
राजेश सरीन को मीडिया सेल्स और बिजनेस डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करने का 20 साल से ज्यादा का अनुभव है।
पूर्व में वह ‘टीवी18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड’, ‘स्टार इंडिया’, ‘बीसीसीएल’ और ‘एचटी मीडिया लिमिटेड’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में विभिन्न प्रमुख पदों पर अपनी भूमिकाएं निभा चुके हैं।
CNN और HBO Max चैनल के स्वामित्व वाली वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी (Warner Bros. Discovery) ने संकेत दिया है कि वह अपनी पूरी कंपनी या उसके किसी हिस्से को बेचने के लिए विचार कर सकती है।
CNN और HBO Max चैनल के स्वामित्व वाली वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी (Warner Bros. Discovery) ने संकेत दिया है कि वह अपनी पूरी कंपनी या उसके किसी हिस्से को बेचने के लिए विचार कर सकती है। यह कदम कुछ महीने पहले कंपनी द्वारा दो अलग कंपनियों में विभाजन की योजना की घोषणा के बाद आया है।
मंगलवार को जारी बयान में कंपनी ने कहा कि उसने “स्ट्रैटेजिक विकल्पों” की समीक्षा शुरू कर दी है, क्योंकि कई पार्टियों ने कंपनी या विशेष रूप से Warner Bros. में अनचाही रुचि (unsolicited interest) दिखाई है। यानी कुछ कंपनियों ने बिना अनुरोध के कंपनी को खरीदने या इसमें निवेश करने में रुचि दिखाई है और इसके आधार पर कंपनी अब अपनी आगे की रणनीति पर विचार कर रही है। हालांकि कंपनी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये रुचि किन कंपनियों ने दिखाई है।
वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Netflix और Comcast को संभावित खरीदार माना जा रहा है, जबकि पहले Paramount-Skydance ने भी दिलचस्पी दिखाई थी। Paramount-Skydance ने पहले एक मेजरिटी-कैश ऑफर के साथ संपर्क किया था, लेकिन Warner के CEO David Zaslav ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इस प्रस्ताव में शेयर की कीमत लगभग $20 प्रति शेयर थी, जिसे कंपनी ने कम माना।
इस साल जून में Warner Bros. Discovery ने घोषणा की थी कि वह Warner Bros और Discovery Global को अलग-अलग कर देगा, ताकि अपने स्ट्रीमिंग बिजनेस को केबल नेटवर्क से अलग किया जा सके। हाल के हफ्तों में कंपनी ने स्ट्रीमिंग स्पेस में और अधिक निवेश किया है। इसी कड़ी में CNN ने नया सब्सक्रिप्शन स्ट्रीमिंग सर्विस 'CNN All Access' लॉन्च किया है।
माना जा रहा है कि यह बिक्री या विभाजन मीडिया इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। इससे अन्य पुराने मीडिया हाउस अपने बिजनेस स्ट्रक्चर पर फिर से विचार कर सकते हैं। स्ट्रीमिंग ने मीडिया इंडस्ट्री को पूरी तरह बदल दिया है, जिससे पारंपरिक ब्रॉडकास्टर्स को उधार, बढ़ते कंटेंट बजट और बिखरी हुई दर्शक संख्या जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
कंपनी Warner Bros और Discovery Global के अलग-अलग विकल्पों पर भी विचार कर रही है, जिसमें Warner Bros का विलय और Discovery Global का स्पिन-ऑफ शामिल हो सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि David Ellison और उनके पिता Larry Ellison के पास इतने संसाधन हैं कि वे इस जोखिम को उठा सकते हैं। इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ Ellison परिवार के संबंध संभावित नियामक अड़चनों को कम कर सकते हैं।
पारंपरिक मीडिया में गिरावट और दर्शकों व विज्ञापनों का स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की ओर रुख, पुराने मीडिया कंपनियों को अपने बिजनेस मॉडल पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है।
‘एपीएन’ (APN) न्यूज चैनल में सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर प्रसून शुक्ला को कंपनी ने दीपावली का तोहफा दिया है।
‘एपीएन’ (APN) न्यूज चैनल में सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर प्रसून शुक्ला को कंपनी ने दीपावली का तोहफा दिया है। समाचार4मीडिया से बातचीत में प्रसून शुक्ला ने बताया कि उन्हें ग्रुप के ही चैनल ‘नेपाल वन’ का मैनेजिंग एडिटर नियुक्त किया गया है। प्रसून शुक्ला के अनुसार, नेपाल वन चैनल ‘टाटा स्काई’, ‘सन डायरेक्ट’ सहित चार डीटीएच प्लेटफॉर्म और डिजिटल में ‘JIO TV’ पर मौजूद है।
प्रसून शुक्ला पहले की ही तरह ग्रुप सीईओ और एडिटर-इन-चीफ सुश्री राजश्री राय को रिपोर्ट करते रहेंगे। ‘APN’ में प्रसून का कार्यकाल दो साल का रहा। इस दौरान उनका शो ‘The Agenda’ चैनल का सर्वाधिक चर्चित शो रहा।
बता दें कि ‘APN’ से पहले प्रसून शुक्ला हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत24’ (Bharat24) में कार्यरत थे, यहां वह रोमिंग एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे और कंटेंट की क्वालिटी पर काम कर रहे थे।
मूल रूप से बस्ती (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले प्रसून शुक्ला को मीडिया में काम करने का करीब दो दशक का अनुभव है। मीडिया में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2003 में ‘जी न्यूज’ से की थी। इसके बाद वह करीब आठ साल ‘सहारा’ में रहे। फिर उन्होंने यहां से बाय बोल दिया और ‘मैजिक टीवी’ (अब यह ‘के न्यूज’ हो गया है) से जुड़ गए। यहां चैनल हेड के तौर पर उन्हेंने करीब डेढ़ साल की पारी खेली और फिर ‘न्यूज एक्सप्रेस’ में चैनल हेड के तौर पर नई जिम्मेदारी संभाल ली।
इसके बाद प्रसून शुक्ला कंसल्टिंग एडिटर के तौर पर ‘ईटीवी’ में शामिल हो गए। बाद में वह यहां से इस्तीफा देकर ग्रुप एडिटर के पद पर फिर ‘सहारा’ में आ गए और वहां से इस्तीफा देकर उन्होंने ‘भारत24’ जॉइन कर लिया था, इसके बाद दिसंबर 2023 में वह एपीएन न्यूज चैनल से जुड़ गए थे।
राजनीति के फील्ड पर प्रसून शुक्ला की अच्छी पकड़ है और अब तक वह तमाम प्रमुख राजनेताओं के इंटरव्यू कर चुके हैं। पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो प्रसून शुक्ला ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद आगे की पढ़ाई दिल्ली से की है। उन्होंने जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री से एमए करने के बाद मास कम्युनिकेशन और फिर ह्यूमन राइट्स इन पीजी डिप्लोमा करने के साथ स्पैनिश भाषा का सर्टिफिकेट कोर्स भी किया है।
प्रसून शुक्ला दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज और कमला नेहरू कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के मेंबर भी रह चुके हैं। करीब एक दशक तक वह गलगोटिया यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ स्टडीज के मेंबर भी रहे हैं। इसके साथ ही प्रसून गंगा और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण और संवर्धन के काम में जुटी ‘गंगा संरक्षण समिति’ के मेंबर भी हैं। समाचार4मीडिया की ओर से प्रसून शुक्ला को नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
समाचार4मीडिया से बातचीत में अमिताभ अग्निहोत्री का कहना था कि एक नवंबर को क्लब की कार्यकारिणी गठित कर उसकी घोषणा की जाएगी।
वरिष्ठ पत्रकार और ‘टीवी9’ (उप्र/उत्तराखंड) में कंसल्टिंग एडिटर अमिताभ अग्निहोत्री को नवगठित ‘एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया’ (Editors Club Of India) का प्रेजिडेंट चुना गया है।
समाचार4मीडिया से बातचीत में अमिताभ अग्निहोत्री का कहना था कि एक नवंबर को क्लब की कार्यकारिणी गठित कर उसकी घोषणा की जाएगी। ‘एडिटर्स क्लब’ का नया प्रेजिडेंट चुने जाने पर अमिताभ अग्निहोत्री का कहना था, ‘देश के तीसरे पायदान के शहरों और अर्धशहरी इलाकों में छोटे स्तर पर काम करने वाले पत्रकारों, जैसे यूट्यूब चैनल, छोटे अखबार या मैगजीन चलाने वालों की समस्याओं को सुनने के लिए कोई मंच नहीं है। ये लोग बहुमत में हैं, लेकिन बिना चुनाव के इस बहुमत का कोई मतलब नहीं। उनकी आवाज को राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर सत्ता तक पहुंचाने की जरूरत है। इसके लिए एक ऐसा मंच चाहिए जो उनकी बात को उठाए और उनकी समस्याओं को हल करने में मदद करे, ताकि उनकी आवाज सुनी जाए।‘
उन्होंने आगे कहा कि छोटे शहरों में काम करने वाले पत्रकार और संपादक अक्सर राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हो जाते हैं और सत्ता उनके खिलाफ आक्रामक हो सकती है। ऐसे में उनके पास कोई मंच नहीं होता जो उनकी लड़ाई लड़ सके। Editors Club of India का उद्देश्य ऐसे पत्रकारों की आवाज बनना और उनकी लड़ाई लड़ना है। अग्निहोत्री ने जोर देकर कहा कि यह मंच सभी संपादकों, चाहे वे छोटे अखबार के हों या बड़े, बिना भेदभाव के स्वागत करेगा। इसका लक्ष्य दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों तक सीमित न रहकर छोटे शहरों तक पहुंचना है, जहां हर संपादक अपनी बात रख सके।’
गौरतलब है कि पत्रकारिता में लंबे समय से सक्रिय रहने वाले अमिताभ अग्निहोत्री ने जीवन और पत्रकारिता में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। अमिताभ ने 1989 में ‘आईआईएमसी’, दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद करियर की शुरुआत ‘दैनिक जागरण’ से की। अमिताभ ‘दैनिक जागरण’ के दिल्ली से लॉन्च होने पर संस्थान का हिस्सा बने थे। 1994 में ‘आज‘ के नेशनल ब्यूरो में विशेष संवाददाता के रूप में भी काम किया। ‘आज‘ के बाद ‘दैनिक भास्कर‘ में भी तकरीबन 10 साल रहे। ‘दैनिक भास्कर‘ के बाद 2008 में ‘देशबन्धु‘ के स्थानीय संपादक बने।
इसके बाद उन्होंने ‘टोटल टीवी‘ में मैनेजिंग एडिटर के तौर पर अपनी शुरुआत की थी। हालांकि बाद में यहां से इस्तीफा देकर ‘समाचार प्लस‘ के प्रबंध संपादक बन गए। इसके बाद उन्होंने ‘इंडिया नाउ‘ समूह में बतौर एडिटर-इन-चीफ जॉइन कर लिया, पर कुछ कारणों के चलते चैनल लॉन्च ही नहीं हो सका। फिर यहां से बॉय बोलकर वह ‘के-न्यूज’ (K-NEWS) चैनल से बतौर सीईओ व एडिटर-इन-चीफ जुड़ गए।
‘के-न्यूज‘ के साथ करीब एक साल की पारी खेलने के बाद उन्होंने यहां से इस्तीफा दे दिया। यहां से बाय बोलकर ‘नेटवर्क18‘ (हिंदी नेटवर्क) में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद उन्होंने हिंदी न्यूज चैनल ‘आर9’ (R9) के साथ बतौर एडिटर-इन-चीफ अपनी नई पारी शुरू की थी, जहां से फिर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था और अब ‘टीवी9’ नेटवर्क में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
अमिताभ अग्निहोत्री को पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने अमूल्य योगदान के लिए कई बार पुरस्कृत भी किया जा चुका है। उन्हें मटुश्री, गणेशशंकर विद्यार्थी और यूनिवार्ता अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। 2013 में उन्हें समाचार4मीडिया द्वारा ‘मीडिया महारथी’ सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अपने जनसंपर्क और सोशल मीडिया प्रबंधन के लिए पहली बार एक बाहरी एजेंसी को नियुक्त करने का फैसला किया है।
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने अपने जनसंपर्क और सोशल मीडिया प्रबंधन के लिए पहली बार एक बाहरी एजेंसी को नियुक्त करने का फैसला किया है। इसके अलावा, एजेंसी को एम्स में “अभिलेखागार संग्रहालय” के संचालन और रखरखाव में भी सहयोग करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
संस्थान ने इस बारे में 14 अक्टूबर को आधिकारिक आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया कि एजेंसी की नियुक्ति के लिए निविदा प्रक्रिया सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पोर्टल पर आयोजित की जाएगी और यह प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी हो जाएगी।
आदेश में बताया गया है कि यह निर्णय पारंपरिक और डिजिटल माध्यमों के जरिए संस्थान के संचार को मजबूत करने, जनता की भागीदारी बढ़ाने और विश्वसनीय जानकारी का प्रभावी प्रसार सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लिया गया है।
नई एजेंसी मीडिया संबंधों, प्रेस विज्ञप्तियों और सार्वजनिक सूचना अभियानों को तैयार करने और लागू करने के लिए एम्स के मीडिया प्रकोष्ठ के साथ समन्वय करेगी। इसके अलावा, एजेंसी संस्थान की सभी प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उपस्थिति का प्रबंधन करेगी और डिजिटल मंचों पर एम्स के बारे में जन भावना की निगरानी करते हुए उच्च-गुणवत्ता, समयबद्ध सामग्री और सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करेगी।
आदेश में यह भी कहा गया कि एजेंसी नियमित अपडेट के अलावा प्रमुख संस्थागत घोषणाओं, संकट संचार सहायता और जन स्वास्थ्य सलाह का भी समन्वय करेगी। साथ ही, सभी मीडिया और संचार गतिविधियों का विश्लेषण और प्रभावी आकलन भी करेगी।
एम्स ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग, जैसे कि एनआईआरएफ और क्यूएस रैंकिंग के लिए समय पर और संगठित डेटा उपलब्ध कराने के महत्व को स्वीकार किया है। आदेश में कहा गया कि डेटा की सटीकता और सही प्रारूप का पालन बेहद जरूरी है।
संस्थान ने यह भी बताया कि अध्यापक और अधिकारी डेटा संग्रह में मार्गदर्शन कर सकते हैं, लेकिन उनकी नियमित जिम्मेदारियों के कारण समय सीमा अक्सर चूक जाती है। इसलिए एजेंसी आवश्यकतानुसार डेटा संग्रह और मिलान में मदद करेगी और समन्वय बनाए रखेगी।
नेटवर्क18 मीडिया (Network18 Media & Investments Limited) ने अपने शेयरधारकों को बताया है कि फिजिकल शेयरों के ट्रांसफर के लिए विशेष विंडो 6 जनवरी, 2026 तक खुली रहेगी।
नेटवर्क18 मीडिया (Network18 Media & Investments Limited) ने अपने शेयरधारकों को बताया है कि फिजिकल शेयरों के ट्रांसफर के लिए विशेष विंडो 6 जनवरी, 2026 तक खुली रहेगी। यह सुविधा उन शेयरों पर लागू है, जिनके ट्रांसफर डीड्स 1 अप्रैल, 2019 से पहले जमा किए गए थे और दस्तावेजों में कमी के कारण रिजेक्ट हो गए थे।
जो शेयरधारक इस मौके का फायदा उठाना चाहते हैं, उन्हें कंपनी के रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट KFin Technologies Limited से संपर्क करना होगा।
KFin Technologies का ऑफिस है: Selenium Tower-B, Plot No.31 & 32, Gachibowli, Financial District, Nanakramguda, Hyderabad – 500032। टोल-फ्री नंबर है 1800-309-4001
ध्यान दें कि जिन शेयरों को इस विशेष विंडो में फिर से ट्रांसफर के लिए जमा किया जाएगा, उन्हें डिमैट मोड में ही जारी किया जाएगा और ट्रांसफर की तारीख से 6 महीने तक लॉक-इन रहेगा।
अधिक जानकारी के लिए इस ईमेल आईडी nwminveslor@kfintech.com पर मेल करने की सलाह दी गई है।
तालिबान मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की दिल्ली प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को दूर रखने के विवाद के बाद, अमेरिकी सांसद सिडनी कैम्लेगर-डव ने भारतीय महिला पत्रकारों की सराहना की।
अफगानिस्तान के तालिबान शासन के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की दिल्ली यात्रा के दौरान महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से दूर रखने पर उठे विवाद के कुछ दिन बाद, अमेरिकी कांग्रेस सदस्य सिडनी कैम्लेगर-डव (Sydney Kamlager-Dove) ने भारतीय महिला पत्रकारों की हिम्मत की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि भारतीय महिला पत्रकारों ने सच बोलने और समान भागीदारी के अधिकार के लिए जो कदम उठाया है, वह काबिले तारीफ है।
सिडनी कैम्लेगर-डव ने सोशल मीडिया पर लिखा, “भारत की महिला पत्रकारों को देखकर अच्छा लगा जो सत्ता के सामने सच बोल रही हैं और समान भागीदारी के अपने अधिकार के लिए खड़ी हैं। वे अधिकार जिन्हें तालिबान ने अफगान महिलाओं से छीन लिया है।” उन्होंने आगे कहा कि अमेरिकी सरकार को इस मुद्दे पर चुप नहीं रहना चाहिए और तालिबान से किसी भी तरह की बातचीत में अफगान महिलाओं के हाशिए पर जाने की बात लगातार उठानी चाहिए।
उनकी यह प्रतिक्रिया उस समय आई जब पिछले हफ्ते नई दिल्ली में तालिबान मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई भी भारतीय महिला पत्रकार नजर नहीं आई थी।
Glad to see women journalists in India speaking truth to power & standing up for their right to equal participation—rights the Taliban has stripped from Afghan women.
— Congresswoman Sydney Kamlager-Dove (@RepKamlagerDove) October 16, 2025
We can't be silent—the US must continue to raise the erasure of Afghan women in any engagement with the Taliban. https://t.co/mm7CBrA9hF
भारत दौरे पर तालिबान विदेश मंत्री
तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी पिछले हफ्ते भारत के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर समेत कई नेताओं से मुलाकात की और उत्तर प्रदेश के दारुल उलूम देवबंद मदरसे का भी दौरा किया। लेकिन हाल ही में अफगान दूतावास में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस ने विवाद खड़ा कर दिया क्योंकि उसमें महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया था।
इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार की आलोचना की और सवाल उठाया कि दिल्ली जैसे शहर में महिलाओं को किसी आधिकारिक प्रेस कार्यक्रम से बाहर रखना बेहद दुर्लभ है और इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए थी।
हालांकि भारत सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के आयोजन में उसका कोई हाथ नहीं था। वहीं, तालिबान सरकार ने महिला पत्रकारों की गैरमौजूदगी को “तकनीकी कारण” बताया।
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि वह आने वाले तीन महीनों में सुनने और देखने में अक्षम लोगों के लिए OTT प्लेटफॉर्म्स पर एक्सेसिबिलिटी से जुड़े दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दे देगी।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि वह आने वाले तीन महीनों में सुनने और देखने में अक्षम लोगों के लिए ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर एक्सेसिबिलिटी से जुड़े दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दे देगी।
जस्टिस सचिन दत्ता ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) के इस आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि मंत्रालय ने इन दिशा-निर्देशों का ड्राफ्ट अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया है और अब इस पर जनता और हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं।
कोर्ट यह मामला उन दृष्टिबाधित लोगों की याचिका पर सुन रहा था जिन्होंने हाल ही में रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्मों में दिव्यांग दर्शकों के लिए आवश्यक सुविधाओं की कमी को लेकर शिकायत दर्ज की थी।
बता दें कि प्रसारण (broadcasting) के क्षेत्र में OTT कंटेंट वह ऑडियो, वीडियो या अन्य मीडिया सामग्री होती है जो इंटरनेट के जरिए दर्शकों तक पहुंचाई जाती है, यानी इसके लिए केबल टीवी या सैटेलाइट सेवा की जरूरत नहीं होती।
सरकार की ओर से मंत्रालय के वकील ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि याचिकाकर्ताओं की ओर से दिए गए सुझावों पर विचार किया जाएगा और उन्हें अंतिम दिशा-निर्देश तैयार करते समय ध्यान में रखा जाएगा। मंत्रालय ने यह भी आश्वासन दिया कि अंतिम दिशा-निर्देश तीन महीने के भीतर जारी कर दिए जाएंगे। इस आश्वासन के बाद जस्टिस ने कहा कि अब इस याचिका में किसी अतिरिक्त आदेश की आवश्यकता नहीं है और मामले का निपटारा कर दिया गया।
इससे पहले कोर्ट ने मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वह "विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम" के तहत इन दिशा-निर्देशों को तैयार करे।
वहीं, याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट दिशा-निर्देशों में कुछ खामियां हैं। उनका कहना था कि मंत्रालय ने उद्योग जगत के लोगों से तो सलाह ली, लेकिन दिव्यांग व्यक्तियों से कोई परामर्श नहीं किया, जबकि सभी हितधारकों की राय लेना जरूरी है।
कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को यह छूट भी दी कि वे इन ड्राफ्ट दिशा-निर्देशों पर अपनी प्रतिक्रिया मंत्रालय को सौंप सकते हैं। जस्टिस ने कहा, “यदि याचिकाकर्ता को दिशा-निर्देशों के निर्माण से संबंधित कोई आपत्ति या शिकायत है, तो उसे कानूनी कार्रवाई करने की स्वतंत्रता होगी।”
भारत के सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती ने अपने कर्मचारियों के लिए एक्स-ग्रेशिया लंप-सम मुआवजे की नई योजना लागू करने का ऐलान किया है।
भारत के सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती ने अपने कर्मचारियों के लिए एक्स-ग्रेशिया लंप-सम मुआवजे की नई योजना लागू करने का ऐलान किया है। यह नई नीति उन कर्मचारियों पर लागू होगी जिन्हें 5 अक्टूबर 2007 के बाद भर्ती किया गया और जिनकी मृत्यु उनके कर्तव्य पालन के दौरान होती है। इस आदेश को 4 अक्टूबर 2025 को प्रसार भारती बोर्ड की मंजूरी के बाद जारी किया गया है और यह 1998 से लागू पुरानी नीति को बदलता है।
नई योजना के तहत, कर्मचारियों की मौत के परिस्थितियों के आधार पर उनके परिवारों को मिलने वाला मुआवजा अब ₹25 लाख से ₹45 लाख तक होगा। यह राशि कर्मचारियों की ड्यूटी के दौरान जुड़े जोखिम के स्तर के अनुसार तय की गई है।
यदि कर्मचारी की मौत दुर्घटना या आतंकवादियों/विरोधी तत्वों के हिंसक कृत्यों के कारण होती है, तो परिवार को ₹25 लाख का मुआवजा मिलेगा।
सीमा संघर्ष, आतंकवादियों, उग्रवादियों या समुद्री डाकुओं से लड़ाई में मृत कर्मचारियों को ₹35 लाख का मुआवजा मिलेगा।
ऊंचाई वाले इलाके या दुर्गम सीमा पोस्ट पर अत्यधिक मौसम या प्राकृतिक आपदा की स्थिति में ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर भी मुआवजा ₹35 लाख होगा।
सबसे बड़ा मुआवजा ₹45 लाख उन कर्मचारियों के लिए होगा जिनकी मृत्यु शत्रु की कार्रवाई, युद्ध जैसी परिस्थितियों या युद्ध प्रभावित देशों से भारतीय नागरिकों के निकासी अभियान के दौरान होती है।
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रसार भारती के CEO ही इस मुआवजे को मंजूरी देने के अधिकृत अधिकारी होंगे। दावा प्रक्रिया के लिए सख्त समयसीमा तय की गई है: संबंधित प्रशासनिक विभाग को कर्मचारी की मृत्यु की तुरंत सूचना देना होगी और सप्ताह भर में दावा पूरा करना होगा। मुआवजा घटना की तारीख से दो हफ्ते के भीतर परिवार को दिया जाना चाहिए।
कर्मचारियों को अपने वैध नामांकन के जरिए लाभार्थियों का चयन करना अनिवार्य होगा। यदि नामांकन नहीं है, तो मुआवजा सभी योग्य परिवार के सदस्यों में बराबर बांटा जाएगा, जैसा कि रिटायरमेंट बेनिफिट नियमों में तय है।
नई नीति यह भी स्पष्ट करती है कि भविष्य में पेंशन और पेंशनभोगियों के कल्याण विभाग (DoP&PW) द्वारा किए गए संशोधनों के अनुसार मुआवजा राशि को अपडेट किया जाएगा। नीति का कार्यान्वयन 11 सितंबर 1998 के DoP&PW कार्यालय ज्ञापन के ढांचे के अनुसार होगा।
यह नया आदेश 1998 के ढांचे के बाद पहली बड़ी संशोधन है। उस समय दुर्घटना या आतंकवाद में मौत पर मुआवजा ₹5 लाख और युद्ध या सीमा संघर्ष में मौत पर ₹7.5 लाख तय था।
संक्षेप में, प्रसार भारती ने कर्मचारियों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए मुआवजे की राशि में चार गुना बढ़ोतरी की है, ताकि ड्यूटी के दौरान मृत्यु होने पर परिवारों को तत्काल आर्थिक सुरक्षा मिल सके।