इस सीरीज के तहत आज हम बताएंगे कि विनीत जैन के विजन और नेतृत्व में ‘टाइम्स ग्रुप’ ने किस तरह अपने ‘पंख’ फैलाए हैं और किस तरह इसे एक अग्रणी मल्टीमीडिया मीडिया समूह बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है।
'समाचार4मीडिया' की सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने पिछले हफ्ते ‘Leading From The Front’ नाम से कॉलम की एक सीरीज शुरू की है। इस सीरीज में देश के उन टॉप बिजनेस लीडर्स को शामिल किया गया है, जिन्होंने देश की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में खास मुकाम हासिल किया है और उसे नई ऊंचाइंयों पर ले जाने में अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। इस सीरीज के तहत आज हम बताएंगे कि विनीत जैन के विजन और नेतृत्व में ‘टाइम्स ग्रुप’ ने किस तरह अपने ‘पंख’ फैलाए हैं और किस तरह इसे एक अग्रणी मल्टीमीडिया मीडिया समूह बनाने में उनकी अहम भूमिका रही है।
विनीत जैन ने वर्ष 1987 में ‘द टाइम्स’ (The Times) समूह जॉइन किया था। इसके बाद प्रिंट को आगे बढ़ाने के अलावा मीडिया में समूह को विविधता प्रदान करने के लिए एक दूरदर्शी रणनीतिकार के रूप में उन्होंने समूह के अखबारों, टीवी, रेडियो और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स में तमाम नई पहल कीं, जो बाद में इंडस्ट्री के लिए एक खास पहचान बन गईं। वर्ष 1993 में डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर और उसके करीब पांच साल बाद मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में नियुक्ति के बाद से वह समूह के दिन-प्रतिदिन के कार्यों, जैसे-मार्केटिंग, कॉस्ट फंक्शंस, एचआर और ब्रैंड मैनेजमेंट आदि को संभाल रहे हैं।
जब विनीत जैन टाइम्स समूह में शामिल हुए थे, तो उन्होंने शुरू में ओवरऑल कंटेंट स्ट्रैटेजी और इसके निष्पादन (execution) का काम देखा, जिसमें समूह के प्रमुख समाचार पत्रों यानी ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ और ‘नवभारत टाइम्स’ के पेजिनेशन, डिजाइन और एडिटोरियल इनोवेशन शामिल था। इसमें उन्होंने ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ के कई शहरों में एडिशन शुरू कराए और पेजों की संख्या बढ़ाने के साथ ही उन शहरों की कवरेज पर फोकस किया, जिसने एक राष्ट्रीय अखबार में स्थानीय खबरों की प्रमुखता मिलने लगी, जिसने इंडस्ट्री में एक नया ट्रेंड सेट कर दिया।
यह पहली बार था जब किसी राष्ट्रीय अखबार के लिए इतने बड़े पैमाने पर ऐसा किया गया था। विनीत जैन ने समय को परखते हुए अखबार के तमाम सेक्शंस को बेहतर बनाने और उन्हें स्थापित करने में भी मदद की। एक दूरदर्शी के तौर पर उन्होंने कई दशक पहले, जब इंटरनेट आगे बढ़ने लगा था, यह भी महसूस कर लिया था कि पाठकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए छोटे न्यूज आर्टिकल्स को अधिक विविधता में शामिल किया जा सकता है। इसके तहत उन्होंने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ और ‘इकनॉमिक टाइम्स’ में न्यूज पेजों में एक पैराग्राफ के बॉक्स की शुरुआत की, ताकि न्यूज और व्यूज की सीमा को बनाए रखते हुए न्यूज के बारे में पाठकों के विश्लेषण को शामिल किया जा सके।
ऐसे में अखबार की वास्तुकला और इसकी कंटेंट स्ट्रैटेजी का आधुनिकीकरण विनीत जैन द्वारा किया गया था, जो 1990 के दशक के अंत तक समूह के चीफ कंटेंट स्ट्रैटेजिस्ट के रूप में उभरे थे। कंटेंट स्ट्रैटेजी और आर्किटेक्चर में मूलभूत परिवर्तनों के माध्यम से आधुनिक समाचार पत्र के लिए ये इनोवेशंस (वाइस चेयरमैन समीर जैन द्वारा संचालित आमंत्रण/कवर मूल्य निर्धारण और सदस्यता योजनाओं जैसे नवाचारों के साथ), टाइम्स ऑफ इंडिया दिल्ली में हिन्दुस्तान टाइम्स से आगे निकलने के लिए जिम्मेदार थे।
इसी तरह उनके विस्तार-उन्मुख दृष्टिकोण ने पाठकों की अधिक समाचारों की आवश्यकता को समझा और टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में मुख्य रूप से स्टॉक लिस्टिंग, क्रॉसवर्ड और रीडर एंगेजमेंट सेक्शन, फिल्म समीक्षा आदि जैसी अधिक पाठक-अनुकूल सामग्री पेश की।
विनीत जैन को देश में अग्रणी लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट जर्नलिज्म का श्रेय भी दिया जाता है। उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया के एडिशन वाइस सप्लीमेंट्स जैसे- दिल्ली टाइम्स, बॉम्बे टाइम्स आदि की कल्पना की और उन्हें मूर्त रूप दिया, जो लाखों युवा पाठकों और नए ऑडियंस सेगमेंट में स्वास्थ्य, फैशन, फिटनेस, फिल्मों, मनोरंजन आदि पर ध्यान केंद्रित करने वाले थे। ये विज्ञापनदाताओं के साथ हिट थे और विशेष रूप से न्यूजपेपर इंडस्ट्री में कॉपी किए गए हैं। इसके अलावा सामान्य रूप से टीवी और डिजिटल जैसे अन्य प्लेटफार्म्स में संशोधित रूप में इस्तेमाल किए गए हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उदारीकरण के बाद के भारत में नए पाठकों के तहत भारतीय समाचार पत्रों के लिए फैशन, डिजाइन, स्वास्थ्य, फिटनेस, कल्याण आदि के लिए विज्ञापनदाताओं की नई शैलियों के लिए ये एक तरह से एंट्री प्वॉइंट्स बन गए हैं।
इंडस्ट्री के विशेषज्ञ बताते हैं कि विनीत जैन युवाओं और शहरी संस्कृति को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं। वास्तव में, उनके नेतृत्व में मीडिया में लाइफस्टाइल जर्नलिज्म के निर्माण ने पूरी तरह से नए दर्शकों और विज्ञापनदाताओं के साथ एक बड़ी नई इवेंट इंडस्ट्री शुरू की। यहां एक बार फिर से टाइम्स ग्रुप नेतृत्व की भूमिका में नजर आया। शुरुआत में टाइम्स के लाइफस्टाइल सप्लीमेंट्स विज्ञापनदाताओं के लिए इवेंट्स को प्रायोजित करने के लिए प्रेरक का काम करते, क्योंकि इस समूह ने पूरी इंडस्ट्री को परिपक्व और प्रोफेशनल बनाने में मदद की। इसके बाद ये मॉडल सभी शैलियों के इवेंट राजस्व का एक अलग प्रमुख स्रोत बन गए, और इस मॉडल को बाद में पूरे मीडिया जगत में चुना गया।
पब्लिकेशन में इस विरासत के अलावा विनीत जैन ने समूह को प्रिंट के अलावा अन्य सभी संभावित मीडिया क्षेत्रों में विविधता प्रदान की है। उन्होंने शुरुआत में ही इंटरनेट की मौलिक चुनौती को पहचान लिया और इसलिए टाइम्स ऑफ इंडिया वर्ष 1997 में वेबसाइट शुरू करने वाले पहले समाचार पत्रों में से एक था। इसके साथ वर्ष 2000 में टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड की स्थापना की गई, जिसने बड़ी संख्या में डिजिटल संस्थाओं को जन्म दिया और जिसने इसे देश का सबसे बड़ा डिजिटल मीडिया हाउस बना दिया।
लेकिन इससे पहले 1990 के दशक के मध्य में विनीत जैन शायद एकमात्र ऐसे भारतीय मीडिया मालिक थे, जिन्होंने रेडियो की शक्ति को पहचाना। ‘टाइम्स एफएम’ (Times FM) आकाशवाणी पर प्रसारण करने वाली पहली निजी संस्था थी और सरकार द्वारा निजी एफएम रेडियो स्टेशनों को अनुमति दिए जाने के बाद इसे ‘रेडियो मिर्ची’ (अब मिर्ची) में तब्दील कर दिया गया। ‘मिर्ची’ आज भी मार्केट लीडर बनी हुई है Qj भारतीय एफएम रेडियो इंडस्ट्री के गॉडफादर के रूप में अपनी जगह पक्की कर रही है।
विनीत जैन ने भी टीवी की दुनिया में कदम बढ़ाए, लेकिन बुद्धिमानी से तब तक दूर रहे जब तक कि कुछ अन्य इसमें नहीं आ गए। लेकिन टाइम्स नाउ (टाइम्स नेटवर्क के अन्य अग्रणी चैनलों के समूह) के प्रवेश के साथ भारतीय न्यूज टेलीविजन का पहले जैसा दौर फिर नहीं आएगा। इसलिए, टाइम्स समूह को एक प्रिंट अखबार और मैगजीन पब्लिशर से एशिया के सबसे बड़े मीडिया समूहों में से एक में बदलने में विनीत जैन की काफी बड़ी भूमिका है। उन्होंने अपनी पहलों में पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं को सबसे पहले रखा है। हर बदलाव को समझते हुए टेक्नोलॉजी उद्योग-व्यापी सर्वोत्तम प्रथाओं का उपयोग करके विश्व स्तरीय टीम का निर्माण किया है।
एक बड़े इंडस्ट्री लीडर के रूप में, जिन्होंने भारतीय मीडिया के लिए कई नियम फिर से लिखे हैं और देश की मीडिया वैल्यू चेन को कंटेंट, स्ट्रैटेजी व मुनाफे में बदलकर प्रिंट व मीडिया इंडस्ट्री के अन्य क्षेत्रों के लिए एक बड़ी विरासत छोड़ी है। इंडस्ट्री के लिए उन्होंने जो अगला चैप्टर लिखा है, वह देखना काफी दिलचस्प होगा, जो अभी सामने आना बाकी है। वर्ष 2013 में ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) समूह ने इन तमाम कारणों और इंडस्ट्री को ऊंचाइयों पर ले जाने में उनकी अग्रणी भूमिका के कारण विनीत जैन को ‘इंपैक्ट पर्सन ऑफ द ईयर’ (IPOY) का खिताब दिया।
हालांकि लोकप्रिय धारणा बनी हुई है कि विनीत जैन ने ही टाइम्स ग्रुप में टीवी, डिजिटल और रेडियो जैसे नए बिजनेस का निर्माण किया है और यह कहना सही है कि विनीत जैन 1987 में 21 साल की उम्र में TOI में शामिल हुए थे और तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक उन्होंने प्रिंट के बिजनेस में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जब विनीत जैन अपने पिता अशोक जैन और बड़े भाई समीर जैन के साथ जुड़े, तो बिजनेस का मुख्य आधार प्रिंट व न्यूजपेपर था।
जबकि समीर जैन को पिछले तीन दशकों से भी अधिक समय तक लीड करने, रणनीति बनाने, रिस्पॉन्स, मॉनेटाइजिंग, इनविटेशन प्राइजिंग का श्रेय दिया जाता है और अब पिछले 15 वर्षों में ब्रैंड कैपिटल के साथ युवा जैन ने अपने बड़े भाई समीर जैन के साथ प्रिंट बिजनेस और न्यूजपेपर बिजनेस में भी जबरदस्त योगदान दिया है।
वरिष्ठ अधिकारी विनीत जैन को याद करते हुए कहते हैं कि वह न्यूजपेपर व प्रिंट ऑर्गनाइजेशंस का नेतृत्व करने और उसे चलाने में पूरी तरह से जुड़े हुए थे। वह पूरी तरह से HR व हायरिंग और लीडरशिप मेंटरिंग और सुवरविजन में भी जुड़े रहते थे। जैन न्यूजपेपर व प्रिंट बिजनेस के प्रॉडक्ट व मार्केटिंग में भी शामिल रहते थे। विनीत जैन प्रिंट प्रॉडक्ट्स के एडिटोरियल को लेकर भी निर्णय लेते थे। उन्होंने नए एंटरटेनमेंट सप्लीमेंट्स शुरू किए, जिसकी पहले तो काफी आलोचना हुई फिर पूरी मीडिया इंडस्ट्री ने इसे अपना लिया।
विनीत जैन ने सिटी सप्लीमेंट और अखबारों में स्थानीय खबरों पर भी जोर दिया और यह सुनिश्चित किया कि ये सप्लीमेंट एडिटोरियल के साथ-साथ रेवेन्यू में योगदान देने वाले भी बनें। टाइम्स ग्रुप में सक्रिय होने के चलते पिछले 36 वर्षों से विनीत जैन की एडमिनिस्ट्रेशन, प्रिंटिंग और मैनेजमेंट के सभी पहलुओं में सक्रिय भागीदारी रहती थी। ढाई दशक पहले विनीत जैन इन अखबारों को इंटरनेट से जोड़ने में मदद की थी। उनके नेतृत्व में समाचार पत्रों की साइटों का शुभारंभ किया गया।
विनीत जैन को टीवी बिजनेस, रेडियो बिजनेस, डिजिटल व इंटरनेट बिजनेस और टाइम्स ग्रुप के एजुकेशन बिजनेस के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। अपने नेतृत्व में पहले के 18-20 वर्षों में उन्होंने न्यूजपेपर व प्रिंट बिजनेस के अधिक क्षेत्रों में जबरदस्त योगदान दिया और कई स्ट्रैटजिक एडिटोरियल, मार्केटिंग और प्रॉडक्ट इनिशिएटिव्स का नेतृत्व किया, जिसकी छाप टाइम्स ग्रुप के बिजनेस पर अभी भी है। टाइम्स ग्रुप पर विनीत जैन की छाप जबरदस्त रही, जोकि प्रिंट से शुरू हुई। लेकिन अपने गहरे दृष्टिकोण से उन्होंने एक भविष्यवादी समूह बनाने की प्रक्रिया का नेतृत्व किया।
करीब 12 साल से यहां अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे रवीश कुमार
‘वायकॉम18’ (Viacom18) में रीजनल एंटरटेनमेंट (कन्नड़ और मराठी क्लस्टर्स) के हेड रवीश कुमार ने अपना पद छोड़ने का फैसला लिया है। वह करीब 12 साल से यहां अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।रवीश कुमार ने वर्ष 2011 में वायकॉम18 मीडिया में जनरल मैनेजर और इसके हिंदी मूवी चैनल के हेड के तौर पर जॉइन किया था।
इस बारे में वायकॉम18 की ओर से कहा गया है, ‘एक दशक से अधिक समय तक यहां अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद रवीश कुमार ने यहां से आगे बढ़ने का फैसला लिया है। हम रवीश कुमार की सेवाओं के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।’
बता दें कि वायकॉम18 से पहले रवीश कुमार स्टार इंडिया में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट और जनरल मैनेजर (रीजनल चैनल्स) के तौर पर कार्यरत थे। वहां वह बंगाल और महाराष्ट्र में क्रमश:जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स ‘स्टार जलसा’ और ‘स्टार प्रवाह’ की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
वह करीब तीन साल तक ग्लोबल कैटेगरी डायरेक्टर के तौर पर ‘Reckitt Benckiser’ के साथ भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा पूर्व में वह McCormick &Co, Bristol-Myers Squibb, ConAgra Foods और ITC Agri Businesses Division जैसी जानी-मानी कंपनियों के साथ भी जुड़े रहे हैं।
पीटीआई के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में शुक्रवार को हुई एजेंसी की वार्षिक आम बैठक (AGM) के बाद बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में उनका चुनाव किया गया।
द प्रिंटर्स (मैसूर) प्राइवेट लिमिटेड के के.एन संत कुमार (K.N. Shanth Kumar) को देश की जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) का नया चेयरमैन चुना गया है। इस पद पर उनका कार्यकाल एक साल के लिए होगा।
पीटीआई के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में शुक्रवार को हुई एजेंसी की वार्षिक आम बैठक (AGM) के बाद बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में उनका चुनाव किया गया। इसके साथ ही बोर्ड ने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) के सीईओ प्रवीण सोमेश्वर को पीटीआई का वाइस चेयरमैन चुना है। संत कुमार ने अवीक सरकार की जगह ली है, जो लगातार दो साल से पीटीआई के चेयरमैन के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
इस बारे में संत कुमार का कहना है, ‘ऐसे समय में पीटीआई की कमान संभालना काफी सौभाग्य की बात है, जब यह एक रोमांचक बदलाव से गुजर रही है, खासकर हाल ही में वीडियो सेवा शुरू करने के बाद।’
बता दें कि करीब 62 वर्षीय संत कुमार वर्ष 1983 से विभिन्न भूमिकाओं में द प्रिंटर्स (मैसूर) प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजमेंट में शामिल रहे हैं। वह ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशंस’ (ABC) के चेयरमैन भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह 20 साल से ज्यादा समय से ‘इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी’ (INS) की एग्जिक्यूटिव कमेटी के मेंबर हैं। वह दूसरी बार पीटीआई बोर्ड के चेयरमैन चुने गए हैं। इससे पहले वह वर्ष 2013-14 में इसके चेयरमैन रह चुके हैं।
‘पीटीआई’ के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ विजय जोशी का कहना है, ‘यह पीटीआई के लिए काफी अच्छी बात है कि उसके पास संत कुमार जैसा व्यक्ति है। पुराने समाचार पत्र बिजनेस और नए युग के डिजिटल न्यूज ईकोसिस्टम के बारे में उनकी समझ से न्यूज एजेंसी को अत्यधिक लाभ होगा।’
बता दें कि द प्रिंटर्स (मैसूर) प्रा. लिमिटेड का मुख्यालय बेंगलुरु है, जहां से यह अंग्रेजी अखबार डेक्कन हेराल्ड, कन्नड़ भाषा का अखबार दैनिक प्रजावाणी, सुधा और मयूरा पब्लिश करता है।
संत कुमार को खेल और फोटोग्राफी में गहरी रुचि है। उन्होंने वर्ष 1988 से एक मान्यता प्राप्त फोटोग्राफर के रूप में कई ओलंपिक खेलों के अलावा कई अन्य खेल आयोजनों को भी कवर किया है। वहीं, सोमेश्वर एफएमसीजी (FMCG) इंडस्ट्री के अनुभवी एग्जिक्यूटिव हैं, जिनका प्लानिंग और स्ट्रैटेजी बनाने व उन्हें क्रियान्वित करने का लगभग तीन दशकों का करियर है। हिन्दुस्तान टाइम्स को जॉइन करने से पहले उन्होंने पूरे एशिया में फूड और बेवरेज सेक्टर में पेपिस्को का नेतृत्व किया है। पहले हांगकांग में रहते हुए उन्होंने चीन और भारत को छोड़कर पूरे एशिया में पेप्सिको के सभी व्यवसायों का प्रबंधन किया है।
संत कुमार, प्रवीण सोमेश्वर और सरकार के अलावा 16 सदस्यीय पीटीआई के बोर्ड में विजय कुमार चोपड़ा (पंजाब केसरी), विनीत जैन (टाइम्स ऑफ इंडिया), ए. रवि (द हिंदू), विवेक गोयनका (द एक्सप्रेस ग्रुप), महेंद्र मोहन गुप्त (दैनिक जागरण), रियाद मैथ्यू (मलयाला मनोरमा), ए.वी श्रेयम्स कुमार (मातृभूमि), एल. आदिमूलम (दिनमलार), हॉर्मुसजी एन.कामा (बॉम्बे समाचार), जाने-माने अर्थशास्त्री प्रो. दीपक नैयर, पूर्व विदेश सचिव और नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर शिवशंकर मेनन, जाने-माने पत्रकार और बिजनेस स्टैंडर्ड के पूर्व चेयरमैन टी.एन निनान और ‘टाटा सन्स लिमिटेड’ के पूर्व एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर आर. गोपालकृष्णन शामिल हैं।
‘BCCL’ में प्रेजिडेंट (Response) पार्थ सिन्हा को ‘ASCI’ का वाइस चेयरमैन और ‘पिडिलाइट इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर सुधांशु वत्स को मानद कोषाध्यक्ष पद के लिए चुना गया है।
‘मैरिको लिमिटेड’ (Marico Limited) के मैनेजिंग डायरेक्टर और चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर सौगात गुप्ता को 'एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया' (ASCI) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का नया चेयरमैन चुना गया है। ‘ASCI’ के साथ सौगात गुप्ता कई वर्षों से जुड़े हुए हैं। वह बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के रूप में दो साल और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में चार साल इससे जुड़े हुए हैं।
‘ASCI’ के नए चेयरमैन के रूप में अपनी भूमिका के बारे में सौगात गुप्ता का कहना है, ‘इस समय एएससीआई का नेतृत्व करना काफी खास है। हम इस बात की पुनर्कल्पना करने के ऐसे मोड़ पर हैं कि जिम्मेदार विज्ञापन का क्या मतलब है और डिजिटल युग में कंज्यूमर्स को कैसे सुरक्षा की आवश्यकता है। एएससीआई इस प्रयास में सबसे आगे है, क्योंकि यह सहयोगात्मक रूप से इंडस्ट्री को नया आकार देता है। बोर्ड के सहयोगियों और एएससीआई की बेहतरीन टीम के समर्थन से हम जिम्मेदार विज्ञापन के मानकों को बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’
वहीं, निवर्तमान चेयरमैन एनएस राजन का कहना था, ‘पिछले वर्ष में एएससीआई का नेतृत्व करना बेहद संतुष्टिदायक यात्रा रही है। मुझे गर्व है कि सामूहिक टीम के रूप में हमने भविष्य के लिए तैयार होने की अपनी क्षमताओं को मजबूत किया है। एएससीआई अकादमी का शुभारंभ महत्वपूर्ण घटना है और मुझे यकीन है कि इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।’
इसके साथ ही उनका कहना था, ‘तकनीकी के तेजी से विस्तार और उपभोक्ता की अपेक्षाओं में बदलाव के दौर में एएससीआई चुस्त और दूरदर्शी बना हुआ है। शिकायत प्रबंधन भाग अब अत्यधिक सुव्यवस्थित और कुशल है और हम डिजिटल निगरानी में महत्वपूर्ण विशेषज्ञता विकसित कर रहे हैं। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि टीम एएससीआई की नीतियों को आकार देने, नवाचार को आगे बढ़ाने और उन मुद्दों को आगे बढ़ाना जारी रखेगी जो न केवल इंडस्ट्री के लिए बल्कि बड़े पैमाने पर हमारे समाज के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।’
‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ ने हाल ही में केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम, 1994 में संशोधन करते हुए अधिसूचना जारी की है, जिसमें मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स के पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है।
‘सूचना प्रसारण मंत्रालय’ (MIB) ने हाल ही में केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम, 1994 में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स (MSO) के पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है।
इसके अलावा, सभी जगह इंटरनेट की पहुंच को बढ़ावा देने के लिए ब्रॉडबैंड सेवा प्रदाताओं के साथ केबल ऑपरेटरों द्वारा बुनियादी ढांचे को साझा करने के लिए नियमों में एक प्रावधान शामिल किया गया है।
मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स के रजिस्ट्रेशन के लिए संशोधित नियम इस प्रकार हैं।
1: मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स अब सूचना प्रसारण मंत्रालय के ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन या रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन करेंगे।
2: मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स के रजिस्ट्रेशन दस साल के लिए प्रदान अथवा नवीनीकृत किए जाएंगे।
3: रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण के लिए प्रोसेसिंग फीस एक लाख रुपये रखी गई है।
4: रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण के लिए आवेदन अब रजिस्ट्रेशन की समाप्ति से पहले सात से दो महीने के भीतर करना होगा।
बताया जाता है कि नवीनीकरण प्रक्रिया बिजनेस करने में आसानी के अनुरूप है क्योंकि यह केबल ऑपरेटर्स को अपनी सेवाएं बिना किसी व्यवधान के जारी रखने के लिए निश्चितता प्रदान करेगी और इस क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए आकर्षक बनाएगी।
मंत्रालय ने आगे कहा है कि जिन मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स का रजिस्ट्रेशन सात महीने के भीतर समाप्त हो रहा है, उन्हें ब्रॉडकास्टसेवा पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
बता दें कि इससे पहले केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के तहत केवल नए मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स के रजिस्ट्रेशन ही किए जाते थे। इन नियमें मल्टीसिस्टम ऑपरेटर्स रजिस्ट्रेशन के लिए वैधता की अवधि निर्दिष्ट नहीं की गई थी और न ही उन्होंने ऑनलाइन आवेदन दाखिल करने की अनिवार्यता थी।
‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) के सीईओ अविनाश पांडेय को एक बार फिर से ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ (IAA) के इंडिया चैप्टर का प्रेजिडेंट चुना गया है।
‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) के सीईओ अविनाश पांडेय को एक बार फिर से ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ (IAA) के इंडिया चैप्टर का प्रेजिडेंट चुना गया है।इसके साथ ही अन्य निर्वाचित सदस्यों में फ्री प्रेस जर्नल ग्रुप के प्रेजिडेंट अभिषेक करनानी उपाध्यक्ष, मीडिया दिग्गज नंदिनी दास सचिव और ‘Another Idea’ के फाउंडर जयदीप गांधी कोषाध्यक्ष शामिल हैं। बुधवार को ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ की वार्षिक आम बैठक में सदस्यों ने सर्वसम्मति से इन्हें चुना है।
पांच सदस्यों को वोटिंग मेंबर्स के तौर पर चुना गया है। इनमें कथित तौर पर आर.के. स्वामी लिमिटेड के चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीनिवासन के. स्वामी; मातृभूमि प्रिंटिंग एंड पब्लिशिंग कंपनी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर एम.वी. श्रेयम्स कुमार; ग्रुपएम में दक्षिण एशिया के सीईओ प्रशांत कुमार; द इंडियन एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अनंत गोयनका; ब्लू लॉजिक सिस्टम्स की डायरेक्टर जनक सारदा शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ में पत्रकार अब किफायती दर पर घर का सपना पूरा कर सकेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर प्रदेश के पत्रकारों को होम लोन पर अनुदान मिलेगा
छत्तीसगढ़ में पत्रकार अब किफायती दर पर घर का सपना पूरा कर सकेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि सूबे के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर प्रदेश के पत्रकारों को होम लोन पर अनुदान मिलेगा।
मुख्यमंत्री द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में की गई घोषणा पर अब अमल करते हुए जनसंपर्क विभाग द्वारा 'ललित सुरजन संचार प्रतिनिधि आवास ऋण ब्याज अनुदान योजना’ राजपत्र में प्रकाशित कर दी है। योजना के अंतर्गत 30 लाख तक के आवास ऋण के लिए 5 प्रतिशत प्रतिमाह ब्याज अनुदान 5 वर्षों तक दिया जाएगा। यह योजना एक अप्रैल 2023 के बाद से क्रय मकान पर प्रभावशील होगी।
राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के मुताबिक, योजना का लाभ केवल आवासीय ऋण पर दिया जाएगा और वह भी तब जह क्रय किया जाने वाला मकान छत्तीसगढ़ राज्य के भीतर होगा। ब्याज अनुदान अधिकतम 30 लाख रुपए के आवास ऋण की सीमा तक दिया जाएगा। संचार प्रतिनिधि द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से अधिसूचित वित्तीय संस्थानों एवं सहकारी बैंकों से लिए गए आवास ऋण पर प्रतिमाह 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान 5 वर्षों तक दिया जाएगा।
योजना का लाभ न्यूनतम 5 वर्ष से छत्तीसगढ़ में निवास कर दैनिक समाचार व टीवी न्यूज चैनल्स में पंजीकृत न्यूज एजेंसियों के सम्पादकीय शाखा में कार्य कर रहे पूर्णकालिक तथा अंशकालिक संचार प्रतिनिधि तथा अधिमान्यता नियमों की अर्हतादायी शर्तों को पूरा करने वाले न्यूज पोर्टल्स के संपादक और स्वतंत्र पत्रकार ले सकेंगे।
संचार प्रतिनिधि स्वयं अथवा पत्नी के साथ संयुक्त नाम से आवास ऋण लें तभी होगी पात्रता-
संचार प्रतिनिधि स्वयं अथवा पत्नी के साथ संयुक्त नाम से आवास ऋण लेंगे, तभी इस योजना की पात्र होंगे। योजना मात्र एक आवास ऋण में ही लागू होगी। किसी संचार प्रतिनिधि द्वारा पूर्व से अपने अथवा पत्नी के स्वामित्व का मकान योजना लागू होने के बाद अवयस्क/वयस्क संतान को अंतरित कर नया आवास लेने की दशा में योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा यदि पहले से कोई आवास ऋण स्वीकृत है, तो नए आवास ऋण प्राप्त करने पर भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। संचार प्रतिनिधियों द्वारा नियमित ऋण एवं ब्याज अदायगी करने पर ही इस योजना का लाभ मिलेगा। डिफॉल्टर होने की स्थिति में योजना के लाभ की पात्रता स्वयमेव समाप्त हो जायेगी।
पूर्व से स्वीकृत आवास ऋण पटाकर नये आवास ऋण प्राप्त करने पर योजना का लाभ नहीं मिलेगा। संचार प्रतिनिधियों द्वारा नियमित ऋण एवं ब्याज अदायगी करने पर ही इस योजना का लाभ मिलेगा। डिफॉल्टर होने की स्थिति में योजना के लाभ की पात्रता स्वयमेव समाप्त हो जायेगी।
शपथ पत्र भी देना होगा- योजना में पात्रता के लिए स्वयं अथवा पत्नी, आश्रित पुत्र-पुत्री के नाम से कोई अन्य आवासीय भवन नहीं होना चाहिए। इस आशय का शपथ-पत्र देना होगा। शपथ पत्र के साथ संचार प्रतिनिधियों द्वारा रजिस्ट्रीकृत बैंकों अथवा रजिस्ट्रीकृत वित्तीय संस्थाओं से लिए गए ऋण स्वीकृति एवं ऋण वितरण के प्रमाणित अभिलेख जनसम्पर्क संचालनालय में निर्धारित प्रपत्र में आवेदन के साथ प्रस्तुत करने होंगे।
नियमित भुगतान कर बैंक का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा- संचार प्रतिनिधियों द्वारा लिए गए ऋण पर मासिक किश्त का नियमित भुगतान स्वयं करना होगा, बैंकों को ऋण के मूल एवं ब्याज के नियमित भुगतान करने संबंधी बैंक का प्रमाण-पत्र जनसम्पर्क संचालनालय में प्रस्तुत करने पर प्रतिमाह 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान की गणना कर संबंधित पत्रकार के बैंक खातों में राशि दी जाएगी।
योजना राशि की गणना - ब्याज अनुदान की प्रतिपूर्ति त्रैमासिक की जाएगी किसी भी दशा में अनुदान राशि का भुगतान एकजाई नहीं किया जायेगा। आवास ऋण ब्याज अनुदान की गणना इस प्रकार होगी। इसमें वित्तीय वर्ष में बैंक में देय ब्याज को पांच प्रतिशत ब्याज अनुदान से गुणा किया जाएगा। प्राप्त परिणाम को बैंक ब्याज प्रतिशत दर से भाग दिया जाएगा।
आवास ऋण 30 लाख रुपए से अधिक होने की दशा में ब्याज अनुदान की गणना दो चरणों में की जाएगी। प्रथम चरण में अधिकतम 30 लाख रुपए की राशि तक की ब्याज गणना की जाएगी। इसमें योजनान्तर्गत अधिकतम राशि( 30 लाख रुपए) को वित्तीय वर्ष में स्वीकृत ऋण पर देयक ब्याज राशि से गुणा किया जाएगा। प्राप्त परिणाम को स्वीकृत आवास ऋण राशि से भाग दिया जाएगा। द्वितीय चरण में ब्याज अनुदान राशि की गणना की जाएगी। इसमें प्रथम चरण में गणना पश्चात प्राप्त ब्याज राशि को पांच प्रतिशत ब्याज अनुदान के साथ गुणा किया जाएगा। प्राप्त परिणाम को बैंक ब्याज प्रतिशत दर से भाग दिया जाएगा।
योजना हेतु समिति करेगी अनुशंसा - प्रथम बार ब्याज अनुदान स्वीकृति के लिए संचालनालय में वरिष्ठ अधिकारियों की समिति विचार कर अनुशंसा करेगी। समिति में आयुक्त/ संचालक, जनसम्पर्क संचालनालय, अपर संचालक (पत्रकार कल्याण), अपर संचालक (समाचार), उप संचालक / संयुक्त संचालक (वित्त) शामिल होंगे।
योजना हेतु निर्णयात्मक शर्त/अधिकार- ब्याज अनुदान स्वीकृत करने के किसी भी प्रश्न पर तत्समय में प्रचलित अधिमान्यता नियमों में उल्लेखित संचार संस्थान एवं संचार प्रतिनिधि की अर्हतादायी शर्तों पर भी विचार किया जायेगा। ब्याज अनुदान स्वीकृत अथवा अस्वीकृत करने का अधिकार आयुक्त /संचालक, जनसम्पर्क को होगा।
‘प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण’ (Securities Appellate Tribunal) ने इस मामले में सभी पक्षों को अपनी प्रस्तुतियां (यदि कोई हो) दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
‘प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण’ (Securities Appellate Tribunal) ने ‘भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड’ (सेबी) के उस फैसले के खिलाफ ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) के प्रबंध निदेशक व सीईओ पुनीत गोयनका की याचिका पर बुधवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, जिसमें उन पर ‘जी’ समूह की कंपनियों और विलय वाली ‘जी-सोनी’ इकाई में एक साल तक निदेशक या प्रमुख प्रबंधकीय पद (केएमपी) पर रहने पर रोक लगाने की बात कही गई है।
इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखने से पहले ट्रिब्यूनल ने सभी पक्षों को अपनी प्रस्तुतियां (यदि कोई हो) दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। बता दें कि इससे पहले आठ सितंबर को ‘प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण’ ने इस मामले में गोयनका को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।
बताया जाता है कि ‘सेबी’ ने पहले कहा था कि वह इस मामले में आठ महीने की अवधि में अपनी जांच पूरी कर लेगा। पुनीत गोयनका ने इससे पहले 26 अगस्त को ‘सेबी’ के आदेश के खिलाफ ‘SAT’ का रुख किया था।
मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल इंडिया (MRUCI) की बैठक में राजीव बेओत्रा और अनुप्रिया आचार्य को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में नियुक्त किया गया है।
‘मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल इंडिया’ (MRUCI) ने 26 सितंबर, 2023 को अपनी 29वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) आयोजित की। इस वार्षिक आम बैठक में ‘जागरण प्रकाशन लिमिटेड’ के पूर्णकालिक डायरेक्टर शैलेष गुप्त को सर्वसम्मति से ‘मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल इंडिया’ का चेयरमैन चुना गया।
इसके साथ ही ‘मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड’ के सीनियर एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर (सेल्स एंड मार्केटिंग) शशांक श्रीवास्तव को ‘मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल इंडिया’ का वाइस चेयरमैन चुना गया है। वार्षिक आम बैठक के तुरंत बाद आयोजित ‘मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल इंडिया’ की बोर्ड मीटिंग में यह घोषणा की गई। इसके साथ ही बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में दो नए सदस्यों के रूप में ‘एचटी मीडिया लिमिटेड’ के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर राजीव बेओत्रा और ‘Publicis Groupe’ की सीईओ (साउथ एशिया) अनुप्रिया आचार्य को नियुक्त किया गया है।
शैलेष गुप्त ने भारत में मीडियाब्रैंड्स (Mediabrands) के सीईओ शशिधर सिन्हा से यह कमान ली है, जो लगातार दो कार्यकाल (2021-2022 और 2022-2023) तक ‘मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल इंडिया’ के चेयरमैन रहे हैं।
कार्यभार सौंपते हुए शशिधर सिन्हा का कहना था, ‘मुझे खुशी है कि कोविड के कारण एक अंतराल के बाद आईआरएस को दोबारा शुरू किया जा रहा है।’ वहीं, धन्यवाद प्रस्ताव देते समय शैलेष गुप्त का कहना था, ‘मैं MRUCI का नेतृत्व करने और आईआरएस को पुनर्जीवित करने में कई कदम आगे बढ़ाने के लिए शशिधर सिन्हा को धन्यवाद देना चाहता हूं। मेरा प्रयास एक मजबूत थर्ड पार्टी रिसर्च तैयार करने में मदद करना होगा जो सभी घटकों की मदद करेगा और सामूहिक रूप से इंडस्ट्री को आगे ले जाएगा।’
बता दें कि ‘जागरण प्रकाशन लिमिटेड’ के पूर्णकालिक निदेशक शैलेष गुप्त भारतीय मीडिया इंडस्ट्री में सबसे सम्मानित नामों में से एक हैं। पिछले 25 वर्षों में शैलेष गुप्त ने जागरण की मार्केटिंग स्ट्रैटेजी को एक नया आयाम प्रदान किया है और जागरण समूह में व्यापक बदलाव लाने के केंद्र में रहे हैं। वह ‘म्यूजिक ब्रॉडकास्ट लिमिटेड’ और ‘मिडडे इंफोमीडिया लिमिटेड’ के डायरेक्टर के पद पर भी कार्यरत हैं।
अपने बेहतरीन करियर के दौरान वह कई इंडस्ट्री निकायों के शीर्ष पर रहे हैं और उनकी व्यावसायिकता व देश में मीडिया इंडस्ट्री की उनकी खास समझ के लिए उन्हें काफी सम्मानजनक श्रेणी में रखा जाता है। वह वर्ष 2019-20 में ‘इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी’ (INS) के प्रेजिडेंट रह चुके हैं। शैलेष को वर्ष 2004-05 के लिए ‘ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन’ (ABC) की मैनेजिंग कमेटी में सबसे कम उम्र के सदस्य के रूप में चुना गया था और वर्ष 2012-13 में वह इसके चेयरमैन रह चुके हैं।
वर्ष 2021 में उन्होंने ‘मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल’ (MRUC) के वाइस चेयरमैन का पदभार संभाला, जो देश में सबसे प्रमुख मीडिया अनुसंधान निकायों में से एक है, जिसका गठन देश में सटीक, समय पर और कुशल मीडिया अनुसंधान के एकमात्र उद्देश्य से किया गया है।
रोटरी क्लब, भारत द्वारा 'Youngest Entrepreneur Of The Year' के रूप में मान्यता प्राप्त शैलेष गुप्त को 'इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी' (INS) द्वारा वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूजपेपर्स, पेरिस के बोर्ड में भी नामांकित किया गया था। इन सबके अलावा शैलेष को मर्चेंट्स चैंबर ऑफ यूपी द्वारा 'एक्सीलेंस अवार्ड फॉर कम्युनिकेशन एंड मास एंटरटेनमेंट' और वर्ष 2014 में वर्ल्ड मार्केटिंग कांग्रेस द्वारा 'मोस्ट टैलेंटेड सीएमओ ऑफ इंडिया' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
वहीं, मारुति सुजुकी के सीनियर एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर शशांक श्रीवास्तव एक जाने-माने बिजनेस लीडर हैं और देश में सबसे प्रभावशाली मार्केटर्स की लिस्ट में शामिल हैं, जिन्होंने कोविड महामारी के सबसे चुनौतीपूर्ण समय के दौरान मारुति सुजुकी में मार्केटिंग और सेल्स से जुड़े कार्यों का नेतृत्व और संचालन किया है।
मारुति सुजुकी में तीन दशकों से अधिक के करियर में श्रीवास्तव ने घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मार्केटिंग दोनों में काम किया है और भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के शुरुआती दिनों से लेकर आज के अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दौर के विकास को देखा है।
प्रतिष्ठित आईआईएम, अहमदाबाद के पूर्व छात्र शशांक श्रीवास्तव तमाम इंडस्ट्री निकायों जैसे- ‘सीआईआई नेशनल कमेटी ऑन मार्केटिंग’ (CII National Committee on Marketing), ’एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया’ (ASCI), ’इंडियन सोसायटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ (ISA), ’ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन’ (ABC), ’ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) और ’मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल इंडिया’ के मेंबर हैं। ऑटोमेटिव इंडस्ट्री में उल्लेखनीय योगदान के लिए शशांक श्रीवास्तव को तमाम अवॉर्ड्स से नवाजा जा चुका है।
अमित खरे को 12 अक्टूबर 2021 को दो साल के लिए अनुबंध के आधार पर प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था। इस पद पर खरे का कार्यकाल 12 अक्टूबर 2023 को समाप्त हो रहा था।
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित खरे का कार्यकाल बढ़ा दिया है। बता दें कि खरे को 12 अक्टूबर 2021 को दो साल के लिए अनुबंध के आधार पर प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।
इस पद पर खरे का कार्यकाल 12 अक्टूबर 2023 को समाप्त हो रहा था, लेकिन अब इसे प्रधानमंत्री के वर्तमान कार्यकाल के साथ समाप्त होने वाली अवधि तक के लिए विस्तार दे दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बारे में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, ‘कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने सामान्य नियमों और शर्तों पर अनुबंध के आधार पर प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अमित खरे के कार्यकाल में विस्तार को मंजूरी दे दी है। इस पद पर उनका कार्यकाल अब प्रधानमंत्री के वर्तमान कार्यकाल के साथ समाप्त होने तक या अगले आदेश तक (जो भी पहले हो) लागू होगा।’
गौरतलब है कि 1985 बैच के झारखंड-कैडर के आईएएस अधिकारी अमित खरे उच्च शिक्षा सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को आकार देने में अहम योगदान दिया था। ‘आईआईएम’ अहमदाबाद से एमबीए करने वाले खरे ने दिसंबर 2019 में उच्च शिक्षा सचिव के रूप में कार्यभार संभाला था। उन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय (MIB) सचिव के रूप में भी कार्य किया है।
मणिपुर के पत्रकार संघ और राज्य के एडिटर्स गिल्ड ने 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' और उसके तीन सदस्यों को मणिपुर हिंसा को लेकर जारी की गई तथ्य-खोज रिपोर्ट के संबंध में कानूनी नोटिस भेजे हैं
मणिपुर के पत्रकार संघ और राज्य के एडिटर्स गिल्ड ने 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया' (EGI) और उसके तीन सदस्यों को मणिपुर हिंसा को लेकर जारी की गई तथ्य-खोज रिपोर्ट के संबंध में अलग-अलग कानूनी नोटिस भेजे हैं। दरअसल, 'एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मणिपुर जातीय हिंसा की मीडिया कवरेज पर सवाल उठाए थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में केवल एक विशेष समुदाय के पक्ष में कथित 'पक्षपाती और प्रायोजित' जानकारी फैलाने का आरोप लगाया था, जिसके चलते अब दो पत्रकार संघों ने EGI को कानूनी नोटिस भेजा है।
आरोप है कि चार दिनों तक मणिपुर में रहने के बाद EGI की क्राउडफंडेड द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम ने 4 सितंबर को रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (AMWJU) और एडिटर्स गिल्ड ऑफ मणिपुर (EGM) द्वारा EGI को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि EGI की रिपोर्ट के कारण हिंसा में वृद्धि हुई और वह भी तब जब मणिपुर सामान्य स्थिति में वापस आ रहा था।
नोटिस में कहा गया है, 'EGI जैसे संपादकों के एक शीर्ष निकाय से यह अपेक्षा की जाती है कि वह मणिपुर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित करते समय बहुत सावधानी बरतें, लेकिन तथाकथित रिपोर्ट ने उस आग में घी डालने का काम किया, जिसके चलते चार महीनें से मणिपुर जल रहा है।'
नोटिस में आगे कहा गया, 'रिपोर्ट ने न केवल मणिपुर में हिंसा को बढ़ावा दिया, बल्कि झूठी खबरें फैलाईं, जो दुर्भावनापूर्ण, पक्षपाती, प्रायोजित और मनगढ़ंत थीं। केवल एक विशेष समुदाय को दुनिया के पक्ष में प्रचारित किया गया, जो पूरी तरह से पत्रकारिता की नैतिकता का उल्लंघन है।'
उन्होंने राज्य सरकार को लिखे मणिपुर वन विभाग के पत्र का भी हवाला दिया, जिसमें EGI की तथ्यान्वेषी टीम द्वारा 'आरक्षित' और 'संरक्षित' वनों की स्थिति पर लगाए गए आरोपों से इनकार किया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एसएस छाबड़ा ने 8 सितंबर को मणिपुर सरकार को लिखे सात पन्नों के पत्र में कहा था कि रिपोर्ट में वन विभाग के खिलाफ लगाए गए आरोप 'गलत' और 'असत्यापित' थ और उन्होंने 'गलत सूचना को जन्म दिया है...' और वन विभाग की प्रतिष्ठा को धूमिल किया है।
अपनी रिपोर्ट में EGI ने आरोप लगाया था कि इस बात के स्पष्ट संकेत मिले हैं कि संघर्ष के दौरान राज्य का नेतृत्व पक्षपातपूर्ण हो गया था। रिपोर्ट में अपने निष्कर्ष सारांश (Concluding Summary) में राज्य के नेतृत्व पर कई टिप्पणियों के बीच कहा गया कि इसे जातीय संघर्ष में पक्ष लेने से बचना चाहिए था, लेकिन यह एक लोकतांत्रिक सरकार के रूप में अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही, इसे पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करना चाहिए था।
इम्फाल स्थित सामाजिक कार्यकर्ता एन शरत सिंह द्वारा तथ्यान्वेषी टीम और EGI प्रमुख सीमा मुस्तफा के खिलाफ एक पुलिस मामला भी दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि EGI टीम द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट 'झूठी, मनगढ़ंत और प्रायोजित' थी। इसके बाद, EGI अंततः सुप्रीम कोर्ट गया, जिसने उन्हें अगली सुनवाई तक पुलिस कार्रवाई से सुरक्षा दे दी।