बंगाल के सबसे प्रतिष्ठित फैशन अवॉर्ड शो TRENDS प्रेजेंट्स Bengal’s Most Stylish 2025 के दूसरे संस्करण का मंच सज चुका है और कोलकाता एक और भव्य शाम के लिए तैयार है,
बंगाल के सबसे प्रतिष्ठित फैशन अवॉर्ड शो TRENDS प्रेजेंट्स Bengal’s Most Stylish 2025 के दूसरे संस्करण का मंच सज चुका है और कोलकाता एक और भव्य शाम के लिए तैयार है, जहां स्टाइल ही असली पहचान बनेगी और सितारों की चमक नए आयाम छूएगी। IWMBuzz Media एक बार फिर उन ट्रेंडसेटर्स को एक मंच पर ला रहा है, जो सिर्फ फैशन को फॉलो नहीं करते बल्कि उसे नया रूप देते हैं। इस बार का आयोजन और भी बड़ा होगा, दांव और ऊंचे होंगे और बंगाल की स्टाइलिश शख्सियतें अपनी विशिष्ट पहचान के साथ सुर्खियों में होंगी।
Bengal’s Most Stylish 2025 का आयोजन 23 मार्च को कोलकाता में होगा। इस शानदार इवेंट को Greenply, Zee24 Ghanta के सहयोग से और Polycrol के विशेष जुड़ाव के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है। IWMBuzz ने पहले भी Media Summit, Digital & OTT Awards, Gaming Awards और India Web Fest जैसे नवाचारी कार्यक्रमों के जरिए अपनी पहचान बनाई है, और इस बार यह बंगाली फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गजों के साथ मिलकर एक नई फैशन क्रांति का आगाज करने जा रहा है।
पिछले साल के पहले संस्करण में इस अवॉर्ड शो ने स्टाइल और एलेगेंस का एक अनोखा संगम पेश किया था। उस शाम में प्रसेनजीत चटर्जी की शाश्वत शख्सियत ने सभी का दिल जीता, तो सृजित मुखर्जी ने अपनी बौद्धिक शैली और गहरे अंदाज से सबको आकर्षित किया। अंकुश हाजरा अपने कूल अंदाज में दिखे, जबकि सुभश्री गांगुली और रितुपर्णा सेनगुप्ता ने अपनी ग्रेस और एलीगेंस से सभी का ध्यान खींचा। इस बार भी बंगाल के सबसे बड़े फिल्म और एंटरटेनमेंट सितारे रेड कार्पेट पर जलवे बिखेरने के लिए तैयार हैं।
TRENDS, जो भारत का अग्रणी फैशन ब्रांड है, इस आयोजन के जरिए फैशन को लोगों तक पहुंचाने के अपने मिशन को आगे बढ़ा रहा है। यह ब्रांड आधुनिक और पारंपरिक दोनों तरह की स्टाइल को सुलभ बनाने के लिए जाना जाता है। Greenply Industries Limited के वाइस प्रेसिडेंट (मार्केटिंग) यत्नेश पांडे ने इस साझेदारी पर कहा, "बंगाल हमेशा से कला, संस्कृति और उत्कृष्टता का केंद्र रहा है, और Bengal’s Most Stylish जैसे कार्यक्रमों से हमें बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने और उपभोक्ताओं के साथ गहरा संबंध बनाने में मदद मिलेगी।"
Zee 24 Ghanta और Zee राजस्थान के चैनल हेड आशीष दवे ने कहा, "यह हमारा लगातार दूसरा साल है जब हम Bengal’s Most Stylish के साथ जुड़े हैं। इस साझेदारी के जरिए हम इस इवेंट की पहुंच को और व्यापक बना रहे हैं, जिससे बंगाल की फैशन और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को और मजबूती मिलेगी।"
Piramal Consumer Healthcare के वाइस प्रेसिडेंट (मार्केटिंग) अभिषेक श्रीवास्तव, जो Polycrol ब्रांड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने कहा, "यह अवॉर्ड शो महत्वाकांक्षा, आत्मविश्वास और सफलता का जश्न मनाता है—जो Polycrol के उपभोक्ताओं से पूरी तरह मेल खाता है। आज के युवा प्रोफेशनल्स लगातार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, और इस साझेदारी के जरिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि एसिडिटी जैसी समस्याएं उनकी रफ्तार को कभी धीमा न करें।"
IWMBuzz के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ सिद्धार्थ लैाइक ने कहा, "स्टाइल केवल फैशन नहीं, बल्कि व्यक्तित्व और आत्म-अभिव्यक्ति की ताकत है। बंगाल की समृद्ध विरासत हमेशा से रचनात्मकता और सुंदरता का प्रतीक रही है। Bengal’s Most Stylish के दूसरे संस्करण के जरिए हम उन सितारों का सम्मान कर रहे हैं जो पारंपरिक विरासत को आधुनिकता के साथ मिलाकर फैशन को सिर्फ एक बयान नहीं बल्कि एक भावना बना रहे हैं। कोलकाता का आकर्षण कालातीत है, इसकी ऊर्जा बेमिसाल है, और यह मंच उन लोगों को समर्पित है जो स्टाइल को नए आयाम देने में विश्वास रखते हैं।"
‘इंडिया टीवी’ जॉइन करने से पहले वह ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) में सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर ( आउटरीच) और हेड (कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस) के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
देश के प्रमुख समाचार समूहों में शुमार ‘इंडिया टीवी’ (India TV) ने मोहित रॉय शर्मा को हेड (Communications & Outreach) के पद पर नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति समूह के विकास के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में मानी जा रही है, जो अपने कंटेंट एंगेजमेंट को और गहरा करते हुए विभिन्न प्लेटफार्म्स पर दर्शकों के साथ मजबूत संबंध बना रहा है। बताया जाता है कि इस रणनीतिक नेतृत्व भूमिका में मोहित ‘इंडिया टीवी’ के कम्युनिकेशन और आउटरीच प्रयासों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
मोहित के पास कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस, ब्रैंड स्ट्रैटजी और मीडिया आईपी में तीन दशकों का विशाल अनुभव है। ‘इंडिया टीवी’ जॉइन करने से पहले वह ‘एबीपी नेटवर्क’ (ABP Network) में सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर (आउटरीच) और हेड (कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस) के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 'आइडियाज ऑफ इंडिया', 'द साउदर्न राइजिंग' और 'रूट्स एंड रिदम्स' जैसे प्रमुख इवेंट्स के विकास और क्रियान्वयन का नेतृत्व किया।
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ विनिपेग (University of Winnipeg) से पोस्ट ग्रेजुएट, मोहित ने ‘इंडिया टुडे’ (India Today) ग्रुप में भी नेतृत्व की भूमिकाएं निभाई हैं, जहां उन्होंने 'एजेंडा आजतक', 'साहित्य आजतक', 'सलाम क्रिकेट', 'इंडिया टुडे कॉन्क्लेव' और 'इंडिया टुडे@ दावोस' जैसी पहलों में अपनी अहम भूमिका निभाई।
मोहित रॉय शर्मा की नियुक्ति पर ‘इंडिया टीवी’ की मैनेजिंग डायरेक्टर रितु धवन का कहना है, ‘हमें मोहित रॉय शर्मा को इंडिया टीवी की लीडरशिप टीम में शामिल करते हुए खुशी हो रही है। खासकर उस समय जब मीडिया परिदृश्य में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। उनके स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन और ब्रैंड आउटरीच में विशाल अनुभव से समूह को काफी लाभ होगा।’
भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अधिकारी प्रकाश मगदुम ने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) के मैनेजिंग डायरेक्टर का कार्यभार संभाल लिया है।
भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अधिकारी प्रकाश मगदुम ने राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (NFDC) के मैनेजिंग डायरेक्टर का कार्यभार संभाल लिया है। फिल्म और मीडिया से जुड़ी सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में गहरी समझ रखने वाले मगदुम, इससे पहले अहमदाबाद में प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) और केंद्रीय संचार ब्यूरो (CBC) अतिरिक्त महानिदेशक के रूप में सेवाएं दे चुके हैं।
प्रकाश मगदुम 1999 बैच के आईआईएस अधिकारी हैं। फिल्म क्षेत्र में भी उनका अनुभव व्यापक रहा है। वे पुणे स्थित भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार के निदेशक रह चुके हैं और साथ ही प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) में रजिस्ट्रार के रूप में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
गौरतलब है कि एनएफडीसी की स्थापना वर्ष 1975 में भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत की गई थी। निगम भारतीय सिनेमा, विशेष रूप से कला और समानांतर फिल्मों को प्रोत्साहित करने में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है। हाल के वर्षों में संस्थान ने ‘भारत का सिनेमा’ टैगलाइन को अपनाकर अपने मूल उद्देश्य पर फिर से फोकस किया है।
प्रकाश मगदुम की नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब एनएफडीसी भारत के फिल्म उद्योग में वैश्विक पहचान को और मजबूत करने के प्रयासों में जुटा है।
मीडिया व ब्रैंड रणनीति के क्षेत्र में अनुभवी प्रोफेशनल नितिन वर्मा ने Havas India में ग्रुप हेड के रूप में नई पारी की शुरुआत की है
मीडिया व ब्रैंड रणनीति के क्षेत्र में अनुभवी प्रोफेशनल नितिन वर्मा ने Havas India में ग्रुप हेड के रूप में नई पारी की शुरुआत की है। इस बात की जानकारी खुद नितिन ने एक लिंक्डइन पोस्ट के जरिए दी।
उन्होंने लिखा, "मैं यह बताते हुए उत्साहित हूं कि मैंने Havas India में ग्रुप हेड के तौर पर नई भूमिका संभाली है। इस नई शुरुआत को लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं।"
नितिन इससे पहले GroupM में मीडिया प्लानिंग मैनेजर की भूमिका में लगभग तीन साल तक कार्यरत रहे। उनके पास मीडिया रणनीति, विज्ञापन और ब्रांड मैनेजमेंट का गहन अनुभव है और वे The Walt Disney Studios और Sony Pictures Entertainment जैसे बड़े संस्थानों के साथ काम कर चुके हैं।
उनकी यह नई नियुक्ति Havas India की क्रिएटिव और स्ट्रैटजिक क्षमताओं को और मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म The Wall News ने सीनियर मीडिया प्रोफेशनल अमिताभ भट्टाचार्य को अपना नया चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) नियुक्त किया है।
डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म The Wall News ने सीनियर मीडिया प्रोफेशनल अमिताभ भट्टाचार्य को अपना नया चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) नियुक्त किया है। भट्टाचार्य ने इस नई भूमिका की घोषणा एक लिंक्डइन पोस्ट के जरिए की। वे ABandYOU नामक कंटेंट कंपनी के संस्थापक भी हैं।
भट्टाचार्य ने लिखा, "The Wall सिर्फ एक न्यूज प्लेटफॉर्म नहीं रहा है बल्कि यह शुरुआत से ही स्पष्टता, गहराई और भरोसे के साथ खड़ा रहा है, खासकर उस डिजिटल माहौल में जहां अक्सर शोर हावी रहता है।" उन्होंने बताया कि उनकी प्राथमिकता न केवल खबरों बल्कि संस्कृति, हास्य, संगीत, स्वास्थ्य और जीवनशैली जैसे तमाम पहलुओं को भी नए नज़रिए से पेश करने की है—यानी बंगाली जीवन की संपूर्ण पहचान को उभारने की कोशिश।
भट्टाचार्य ने कहा कि दुनियाभर में फैले 9 करोड़ से अधिक बंगाली भाषियों का एक बड़ा, सक्रिय और लगातार डिजिटल होता जा रहा दर्शक वर्ग है, जिसे वे अब ज्यादा प्रभावशाली और व्यावसायिक रूप से समझदारी से जोड़ना चाहते हैं।
उन्होंने लिखा, "हम एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना चाहते हैं जहां प्रासंगिकता और प्रभाव ही नए ग्रोथ मैट्रिक हों। कंटेंट, ब्रैंड, ऑडियंस और रेवेन्यू- हर स्तर पर नई सोच के साथ काम होगा।"
प्रिंट मीडिया, नेशनल टेलीविजन और डिजिटल न्यूजरूम्स में काम कर चुके भट्टाचार्य ने इसे अपने लिए सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि क्षेत्रीय मीडिया के भविष्य में अपने विश्वास का व्यक्तिगत संकल्प बताया।
वे लिखते हैं, "यदि आप क्षेत्रीय कंटेंट में काम कर रहे हैं, डिजिटल मीडिया को नए सिरे से परिभाषित करना चाहते हैं या बंगाली पत्रकारिता का अगला दौर समझना चाहते हैं, तो चलिए बात करते हैं।"
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले को लेकर The Irish Times के संपादकीय पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले को लेकर भारत और आयरलैंड के प्रतिष्ठित अखबार The Irish Times के बीच एक कूटनीतिक व वैचारिक बहस छिड़ गई है। जहां अखबार ने 28 अप्रैल को अपने संपादकीय में भारत की प्रतिक्रिया को ‘उत्तेजक’ करार देते हुए संयम बरतने की सलाह दी, वहीं डबलिन स्थित भारतीय दूतावास ने इसे “आतंकियों को ढाल देने वाला रवैया” बताया है।
संपादकीय में कहा गया कि पहलगाम में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की हत्या के बाद भारत द्वारा “सख्त जवाब” देने की तैयारी एक और बड़े संघर्ष की आशंका को जन्म देती है। अखबार ने लिखा कि भारत की सेना ने कश्मीर में “क्लैम्पडाउन” शुरू कर दिया है, लेकिन पाकिस्तान ने जिम्मेदारी से इनकार किया है और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है।
संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर “राष्ट्रवाद के नाम पर तलवारें खनखनाने” यानी युद्ध जैसी सख्त कार्रवाई की धमकी देने का आरोप लगाया है। साथ ही, 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर भी अखबार ने चिंता जताई और कहा कि इससे मुस्लिम बहुल राज्य की स्वायत्तता खत्म हुई है।
5 मई को प्रकाशित अपने पत्र में आयरलैंड में भारत के राजदूत अखिलेश मिश्रा ने The Irish Times के लेख को “तथ्यहीन, पक्षपाती और आतंकी हमले की भयावहता को कमतर करने वाला” बताया। उन्होंने साफ किया कि यह कोई सामान्य हिंसा नहीं, बल्कि धार्मिक पहचान के आधार पर हिंदू तीर्थयात्रियों को निशाना बनाकर किया गया “पूर्वनियोजित नरसंहार” था।
राजदूत ने इस बात पर भी जोर दिया कि हमले की शैली और पैटर्न पाकिस्तान के आतंकी ढांचे की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने पाकिस्तान सेना प्रमुख के हालिया “दो-राष्ट्र सिद्धांत” वाले भाषण को इस सोच का प्रतिबिंब बताया।
अखिलेश मिश्रा ने अखबार पर आरोप लगाया कि उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उस सख्त निंदा को अपने संपादकीय में जगह नहीं दी, जिसमें हमले के “आयोजकों, फाइनेंसरों और समर्थकों” को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की गई थी।
उन्होंने यह भी कहा कि The Irish Times का भारत की चुनी हुई सरकार की तुलना पाकिस्तान से करना “शर्मनाक” है, जो दशकों से वैश्विक आतंकवाद का गढ़ रहा है और ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकियों को शरण दे चुका है।
पत्र में मिश्रा ने यह भी रेखांकित किया कि 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में विकास, पर्यटन और विदेशी निवेश में वृद्धि हुई है। हाल ही में 2024 में वहां 63.9% मतदान के साथ लोकतांत्रिक चुनाव संपन्न हुआ है, जो लोगों के भरोसे और सामान्य स्थिति की ओर लौटने का संकेत है।
राजदूत ने यह भी कहा कि इस हमले के बाद भारत में “अभूतपूर्व एकता” देखने को मिली है। सरकार, विपक्ष, मुस्लिम समुदाय और सिविल सोसाइटी सभी आतंक के खिलाफ एक स्वर में बोल रहे हैं। उन्होंने इसे एक “विविधता भरे देश में दुर्लभ लेकिन प्रेरणादायक एकजुटता” बताया।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट अनंत नाथ ने कहा कि पत्रकारिता के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल अब जानकारी साझा करने के बजाय उसे दबाने के लिए किया जा रहा है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे) के अवसर पर एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप की ओर से हाल ही में एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय मीडिया जगत की जानी-मानी हस्तियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जिम्मेदार पत्रकारिता का उत्सव मनाना और मीडिया की बदलती भूमिका पर विचार-विमर्श करना था।
इस वेबिनार में अनंत नाथ (प्रेजिडेंट, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया), रुहैल अमीन (सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया) और पंकज शर्मा (एडिटर, समाचार4मीडिया) शामिल रहे।
'एक्सचेंज4मीडिया' द्वारा आयोजित वेबिनार कार्यक्रम में बोलते हुए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट अनंत नाथ ने कहा कि पत्रकारिता के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कानूनी प्रावधानों का इस्तेमाल अब जानकारी साझा करने के बजाय उसे दबाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “डिजिटल युग में स्वतंत्र पत्रकारों के पास वह संस्थागत संरक्षण नहीं है जो बड़े अखबार या चैनल में काम करने वालों को मिलता है। ऐसे में किसी भी शिकायत को आसानी से प्राथमिकी में बदला जा सकता है और गिरफ्तारी तक की नौबत आ जाती है।”
अनंत नाथ ने कहा कि पहले से ही आईपीसी की धाराओं 152, 153, 295, 298 और 502 जैसी शक्तियां मौजूद थीं, लेकिन अब रिपोर्टिंग के सामान्य कर्तव्यों को भी अपराध की तरह देखा जा रहा है, खासकर जब कोई रिपोर्ट सत्तारूढ़ व्यवस्था की विचारधारा से टकराती हो।
उन्होंने कहा, “मुख्यधारा की मीडिया चुप है, और यूट्यूब पत्रकारों ने अब वह काम संभाला है। लेकिन उनके पास कानूनी, आर्थिक और संस्थागत सुरक्षा नहीं है, जिससे उनके लिए रिपोर्टिंग करना एक दंड जैसा अनुभव बन गया है।”
सतर्क लेकिन निष्पक्ष रिपोर्टिंग की जरूरत
अनंत नाथ ने जोर देते हुए कहा कि पत्रकारों को अपनी रिपोर्टिंग में न तो लापरवाह होना चाहिए और न ही चीजों को सनसनीखेज बनाना चाहिए, खासकर जब मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे एक तमिल वेबसाइट 'विकटन' को सिर्फ एक व्यंग्यात्मक कार्टून के लिए ब्लॉक कर दिया गया।
उन्होंने कहा, “व्यंग्य और कार्टून पत्रकारिता का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन आज स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को सबसे अधिक खतरा है। सरकार के पास आईटी एक्ट, आईटी नियम, डिजिटल डेटा संरक्षण कानून और अन्य कई विधिक प्रावधान हैं, जिनका इस्तेमाल कभी भी किया जा सकता है।”
संगठित और सामूहिक प्रतिक्रिया की आवश्यकता
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मीडिया संगठनों को अपने मतभेदों से ऊपर उठकर एक-दूसरे के साथ खड़ा होना चाहिए, चाहे वह संगठन सरकार विरोधी हो या नहीं। उन्होंने कहा, “अगर किसी संस्था पर गलत तरीके से ब्लॉकिंग ऑर्डर लगाया जाता है, तो बाकी मीडिया को उसके साथ खड़ा होना चाहिए। यह केवल एक संस्था की लड़ाई नहीं होती, बल्कि पूरे प्रेस समुदाय की स्वतंत्रता का सवाल होता है।”
उन्होंने कहा कि संतुलन अपने आप नहीं आएगा। उसे पाने के लिए संघर्ष करना होगा व अदालतों का सहारा लेना होगा, और हर स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने कहा, “चाहे अदालतों से मनचाहा फैसला न मिले, लेकिन एक ठोस, तर्कसंगत आदेश आपकी विरासत का हिस्सा बनता है और वह अगली लड़ाई में काम आता है।”
प्रिंट मीडिया के लिए सरकार से समर्थन की अपेक्षा
डिजिटल युग में प्रिंट मीडिया की चुनौतियों पर बात करते हुए अनंत नाथ ने कहा कि सरकार को प्रिंट मीडिया को मिलने वाली पारंपरिक रियायतें, जैसे डाक और कागज पर छूट, जारी रखनी चाहिए। उन्होंने कहा, “ये रियायतें 80 साल से चली आ रही हैं। इन्हें हटाना न सिर्फ आर्थिक रूप से नुकसानदेह होगा, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रहार भी होगा।”
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि “ज्ञान पर लगाया गया कोई भी टैक्स, प्रेस की आजादी के खिलाफ होता है।”
अनंत नाथ ने कहा कि आज का समय पत्रकारों के लिए बेहद कठिन है, लेकिन यही वह समय है जब आत्म-मूल्यांकन, सतर्कता और संस्थागत सहयोग सबसे ज्यादा जरूरी है। उन्होंने कहा, “आपको अपने मूल्यों और पत्रकारिता की सच्चाई से समझौता नहीं करना चाहिए, और साथ ही अपने संगठन की पारदर्शिता और वैधता भी सुनिश्चित करनी चाहिए।”
अपने नए रोल में अभिषेक मेहरोत्रा कंटेंट प्लानिंग के साथ-साथ रेवेन्यू स्ट्रैटेजी पर भी फोकस रखेंगे।
मीडिया के क्षेत्र में दो दशक की सफलतापूर्वक पारी खेलने के बाद अब वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक मेहरोत्रा ने अपने करियर को नए रोल में ढालने का फैसला किया है। ‘न्यूज24’ से बतौर ग्रुप एडिटर (डिजिटल) का पद छोड़ने के बाद वो अब अपनी नई पारी बतौर प्रेजिडेंट शुरु कर रहे हैं। प्रडक्शन, डिजिटल कंटेंट, मीडिया बाइंग और इवेंट प्लानर के डोमेन की प्लेयर कंपनी ‘पर अथर्वी प्रडक्शन मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड’ (AATHARVI Production Multimedia Pvt Ltd) ने उनकी नियुक्ति प्रेजिडेंट के तौर पर की है। बताया जा रहा है कि अपने नए रोल में अभिषेक कंटेंट प्लानिंग के साथ-साथ रेवेन्यू स्ट्रैटेजी पर भी फोकस रखेंगे।
अपनी नई भूमिका के बारे में अभिषेक मेहरोत्रा ने कहा कि सक्रिय संपादक के तौर पर एक दशक से अधिक की पारी खेलने के बाद अब वे वर्सेटाइल टैलेंट का प्रयोग करते हुए कुछ इनोवेशन के चलते मैनेजमेंट के रोल में भी हाथ आजमाएंगे। अभिषेक मेहरोत्रा ने कहा कि उन्हें एक ऐसी कंपनी की तलाश थी, जो उनको लिबर्टी के साथ-साथ इनोवेशन और क्रिएटिविटी के कॉम्बो पर काम करवा उनके टैलेंट को निखारे और शायद अथर्वी प्रडक्शन मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड उनके लिए ऐसा प्लेटफॉर्म साबित होगी।
अभिषेक मेहरोत्रा की नियुक्ति पर अथर्वी प्रडक्शन मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड की डायरेक्टर डॉ.अर्चना सिंह ने कहा, ‘अभिषेक के साथ पिछले 6 महीने से इनोवेशन और रेवेन्यू स्ट्रेटेजी को लेकर डिस्कशन चल रहे थे और फाइनली अब अभिषेक अथर्वी प्रडक्शन मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड का अहम हिस्सा बने हैं, हम तहेदिल से उनका स्वागत करते हैं। हमें पूरी आशा कि अभिषेक के नेतृत्व में कंपनी सफलता के नए सोपान पर पहुंचेगी। उनका दो दशक का अनुभव कंपनी की ऑल ओवर ग्रोथ में कैटेलिस्ट का काम करेगा।’
यह ग्रोथ रेट भारत की जीडीपी की दर से भी तेज है, जो यह दर्शाती है कि यह सेक्टर न सिर्फ रणनीतिक रूप से अहम है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका महत्व बढ़ रहा है।
अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारत का मीडिया व एंटरटेनमेंट (M&E) सेक्टर अगले कुछ वर्षों में जबरदस्त रफ्तार से आगे बढ़ने वाला है। सूचना-प्रसारण मंत्रालय और अर्न्स्ट एंड यंग (EY) द्वारा WAVES समिट में जारी की गई रिपोर्ट ‘अ स्टूडियो कॉल्ड इंडिया’ (A Studio Called India) के अनुसार, यह सेक्टर 2027 तक 7% की कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) से बढ़ते हुए 3.07 लाख करोड़ रुपये (36.1 अरब डॉलर) तक पहुंच सकता है।
यह ग्रोथ रेट भारत की जीडीपी की दर से भी तेज है, जो यह दर्शाती है कि यह सेक्टर न सिर्फ रणनीतिक रूप से अहम है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका महत्व बढ़ रहा है। गूगल, मेटा, नेटफ्लिक्स, प्राइम वीडियो, लायंसगेट, डिज्नी और वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी जैसे कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी पहले से ही भारत में मजबूत उपस्थिति बनाए हुए हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत आज कंटेंट क्रिएशन का एक बड़ा वैश्विक केंद्र बन चुका है। इसका श्रेय डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार, सांस्कृतिक विविधता, कम लागत में प्रोडक्शन क्षमता, क्रिएटिव टैलेंट की उपलब्धता, तकनीक को तेजी से अपनाने और सरकार की सहयोगी नीतियों को जाता है।
2024 में M&E सेक्टर ने 8,100 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की और 2.5 लाख करोड़ रुपये (29.4 अरब डॉलर) के स्तर पर पहुंच गया, जो कि भारत की GDP में 0.73% का योगदान करता है। डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग जैसे नए मीडिया फॉर्मेट्स ने अब पारंपरिक माध्यमों को पीछे छोड़ते हुए कुल रेवेन्यू का 41% हिस्सा हासिल कर लिया है।
2024 में पहली बार डिजिटल मीडिया ने टेलीविजन को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा M&E सेगमेंट बन गया। इसने 80,200 करोड़ रुपये (9.4 अरब डॉलर) का योगदान दिया, जो सेक्टर की कुल कमाई का 32% और कुल विज्ञापन खर्च का 55% था। इसका प्रमुख कारण मोबाइल-प्रथम उपभोक्ता आधार, इंटरनेट की व्यापक पहुंच और बेहद सस्ते डेटा प्लान हैं—जिनमें कई तो 3 डॉलर में रोजाना 1 GB से अधिक डेटा ऑफर करते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2024 तक भारत में 945 मिलियन ब्रॉडबैंड कनेक्शन थे, जिनमें से 46 मिलियन वायर लाइन और बाकी वायरलेस थे। इसके अलावा, देश में 13.2 करोड़ पेड वीडियो सब्सक्राइबर, 1.05 करोड़ पेड ऑडियो और 30 लाख पेड न्यूज सब्सक्राइबर भी मौजूद थे।
भारत में 562 मिलियन एक्टिव स्मार्टफोन और 5 करोड़ कनेक्टेड टीवी हैं, जबकि पारंपरिक टीवी घरों की संख्या लगभग 16 करोड़ है। रिपोर्ट का अनुमान है कि 2030 तक देश में कुल स्क्रीन की संख्या 91 करोड़ तक पहुंच जाएगी और हर एक टीवी स्क्रीन पर 3.25 मोबाइल स्क्रीन होंगे।
डिजिटल सेगमेंट 2027 तक M&E सेक्टर की कुल ग्रोथ में 53% का योगदान देगा और इसका आकार बढ़कर 1.1 लाख करोड़ रुपये (13 अरब डॉलर) तक पहुंच जाएगा।
जहां एक ओर डिजिटल और ऑनलाइन गेमिंग ने ग्रोथ रेट्ज की, वहीं टेलीविजन, प्रिंट, रेडियो और म्यूजिक जैसे पारंपरिक माध्यमों की कमाई 2024 में 3% या 3,000 करोड़ रुपये घटी, जिससे इनका कुल मार्केट शेयर घटकर 41% रह गया।
इसके विपरीत, फिल्म, लाइव इवेंट्स और आउटडोर मीडिया जैसी आउट-ऑफ-होम कैटेगरीज में 3% की स्थिर वृद्धि दर्ज की गई और अब ये सेक्टर के कुल रेवेन्यू में 14% का योगदान देती हैं।
विज्ञापन अब भी इस सेक्टर के लिए बड़ी संभावना है। यह भारत की GDP में सिर्फ 0.38% का योगदान करता है, जिससे स्पष्ट है कि इसमें आगे काफी विस्तार की संभावना है। 2024 में यह सेक्टर महामारी पूर्व यानी 2019 की तुलना में पहले ही 30% अधिक हो गया है।
नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो और डिज्नी+ हॉटस्टार जैसे ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स लगातार भारतीय ओरिजिनल कंटेंट में निवेश कर रहे हैं। ‘सेक्रेड गेम्स’ और ‘द फैमिली मैन’ जैसे शोज ने वैश्विक पहचान बनाई है। वहीं, गूगल, मेटा, अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी टेक कंपनियों ने भारत में डेवलपमेंट सेंटर्स खोल रखे हैं और यहीं से नई तकनीकों की टेस्टिंग होती है, जैसे नेटफ्लिक्स का मोबाइल-ओनली सब्सक्रिप्शन प्लान जो सबसे पहले भारत में लॉन्च हुआ।
समस्या यह है कि आज यह पेशा सिर्फ एक नौकरी बन कर रह गया है। जैसे-जैसे पेशेवर शिक्षा की जगह व्यावसायिकता ने ली है, भाषा और प्रस्तुति की संवेदनशीलता कम होती गई है।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे) के अवसर पर एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप की ओर से एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय मीडिया जगत की जानी-मानी हस्तियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जिम्मेदार पत्रकारिता का उत्सव मनाना और मीडिया की बदलती भूमिका पर विचार-विमर्श करना था।
वेबिनार में शामिल प्रमुख वक्ताओं में आलोक मेहता (वरिष्ठ पत्रकार और पद्मश्री सम्मानित), प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश (वरिष्ठ मीडिया विशेषज्ञ और निदेशक, इंडिया हैबिटैट सेंटर), राहुल महाजन (वरिष्ठ पत्रकार) और मुकेश शर्मा (डायरेक्टर, जर्नलिज्म- कलेक्टिव न्यूजरूम) शामिल रहे।
कलेक्टिव न्यूजरूम के जर्नलिज्म में डायरेक्टर मुकेश शर्मा ने एक्सचेंज4मीडिया के वेबिनार में कहा कि 26/11 जैसे आतंकी हमले के समय की कवरेज ने पत्रकारिता को कई महत्वपूर्ण सबक सिखाए हैं। उस समय की रिपोर्टिंग को लेकर काफी चर्चा हुई थी, खासकर इस बात पर कि लाइव ब्रॉडकास्ट के जरिए संवेदनशील सूचनाएं देश की सीमाओं के पार भी पहुंच रही थीं। यह एक गंभीर चिंता का विषय था, जिस पर समाज के अलग-अलग वर्गों ने आपत्ति जताई।
मुकेश शर्मा ने कहा कि ऐसे संकट कालीन क्षणों में यह जरूरी हो जाता है कि मीडिया बेहद संवेदनशीलता से काम ले। उदाहरण के लिए, किसी आतंकी हमले या दंगे की रिपोर्टिंग करते समय वहां की भयावह तस्वीरें, जैसे- लहूलुहान शव दिखाने को लेकर एक जिम्मेदार दृष्टिकोण जरूरी होता है। कुछ लोग तर्क देते हैं कि ऐसे विजुअल्स घटना की गंभीरता को दर्शाने के लिए जरूरी हैं, लेकिन ऐसा करना ही एकमात्र रास्ता नहीं है। पत्रकारिता की भाषा, शैली और प्रस्तुति में जो रचनात्मकता और समझ होनी चाहिए, वही इन स्थितियों में सबसे अहम होती है।
उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि आज यह पेशा सिर्फ एक नौकरी बन कर रह गया है। जैसे-जैसे पेशेवर शिक्षा की जगह व्यावसायिकता ने ली है, भाषा और प्रस्तुति की संवेदनशीलता कम होती गई है। इसका असर संकट की रिपोर्टिंग में साफ दिखता है- अक्सर रिपोर्टर संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के बजाय सनसनी पर जोर देते हैं।
उन्होंने कहा कि पत्रकार की पहली जिम्मेदारी है- लोगों तक सटीक और वस्तुनिष्ठ जानकारी पहुंचाना। जब रिपोर्टर किसी हिंसक या संवेदनशील स्थल पर पहुंचता है, तो उसे ये सोचना होता है कि उसके पास जो एक्सेस है, वो कितनी व्यापक है, और क्या उसके द्वारा दिखाए जा रहे विजुअल्स पूरे संदर्भ को दर्शाते हैं या नहीं। उदाहरण के लिए, अगर कोई दंगा हुआ है और रिपोर्टर सिर्फ एक पक्ष की प्रतिक्रिया को दिखा रहा है, तो यह पूरी सच्चाई नहीं होगी। ऐसे में रिपोर्टिंग पक्षपातपूर्ण लग सकती है। इसलिए घटनाओं का पूरा संदर्भ देना जरूरी है- ना सिर्फ विजुअल्स के जरिए बल्कि भाषा और प्रस्तुतिकरण के माध्यम से भी।
उन्होंने कहा कि एक और बड़ी जिम्मेदारी है- विक्टिम या पीड़ित से संवाद करते समय मानवीय दृष्टिकोण अपनाना। जब कोई व्यक्ति किसी त्रासदी से गुजर रहा होता है, तब उससे सवाल पूछने की शैली, हमारी आवाज का लहजा और इस्तेमाल की गई भाषा बेहद अहम हो जाती है। कई बार पीड़ित अपनी बात खुद कहने में सक्षम होता है, जरूरत होती है केवल सही तरीके से उसे बोलने का मौका देने की।
दूसरे पहलुओं की बात करें तो जब रिपोर्टर घटना के शुरुआती घंटों में ही "सभी राज" खोलने या पूरे इतिहास को समझाने की कोशिश करता है, तो यह अनावश्यक दबाव और ग़लत रिपोर्टिंग का कारण बनता है। एडिटर्स को भी यह समझना चाहिए कि रिपोर्टर की पहली प्राथमिकता "वस्तुस्थिति" को समझना और बताना है, न कि तुरंत कोई निष्कर्ष पर पहुंचना।
उन्होंने आगे बताया कि दो समुदायों के बीच दंगे की कवरेज में भी यह देखा गया है कि भले ही रिपोर्टर समुदायों का नाम ना लें, लेकिन विजुअल्स के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से वह बात सामने आ जाती है। ऐसे में जरूरी है कि पत्रकार विजुअल्स को चुनते समय उसके संदर्भ को लेकर सजग रहें। यदि संदर्भ स्पष्ट नहीं है, तो विजुअल्स भ्रामक हो सकते हैं और रिपोर्टिंग भटक सकती है।
अंत में उन्होंने कहा कि जो भी पत्रकार ग्राउंड पर जाता है, उसे ये समझना चाहिए कि उसकी प्राथमिक जिम्मेदारी सूचनाएं पहुंचाना है, जजमेंट देना नहीं। रिपोर्टिंग वस्तुनिष्ठ और संतुलित होनी चाहिए। जैसे-जैसे घटनाएं आगे बढ़ती हैं, रिपोर्टर को गहराई में जाकर उनके विभिन्न पहलुओं को समझाना होता है। लेकिन शुरुआती रिपोर्टिंग में संवेदनशीलता, विवेक और संतुलन बेहद जरूरी हैं।
मुझे लगता है कि ये सभी बातों को समझना और आत्मसात करना हर पत्रकार के लिए जरूरी है। अगर हम टीआरपी की दौड़ में इन मूलभूत सिद्धांतों को भूल जाते हैं, तो हम अपने पेशे और इसके कर्तव्यों के साथ न्याय नहीं कर रहे होते।
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राहुल महाजन ने सोशल मीडिया और मुख्यधारा मीडिया के बीच फर्क करने की जरूरत पर भी जोर दिया।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे) के अवसर पर एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप की ओर से एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय मीडिया जगत की जानी-मानी हस्तियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जिम्मेदार पत्रकारिता का उत्सव मनाना और मीडिया की बदलती भूमिका पर विचार-विमर्श करना था।
वेबिनार में शामिल प्रमुख वक्ताओं में आलोक मेहता (वरिष्ठ पत्रकार और पद्मश्री सम्मानित), प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश (वरिष्ठ मीडिया विशेषज्ञ और निदेशक, इंडिया हैबिटैट सेंटर), राहुल महाजन (वरिष्ठ पत्रकार) और मुकेश शर्मा (डायरेक्टर, जर्नलिज्म- कलेक्टिव न्यूजरूम) शामिल रहे।
वरिष्ठ पत्रकार राहुल महाजन ने एक्सचेंज4मीडिया के वेबिनार में सरकार की हालिया एडवाइजरी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि टीवी चैनल्स को राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य अभियानों की रिपोर्टिंग में अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इस तरह की एडवाइजरी पहले भी जारी की जाती रही हैं और मुख्यधारा मीडिया ने आमतौर पर इनका पालन किया है।
उन्होंने कहा, “2611 के बाद से मीडिया ने अपनी रिपोर्टिंग में कई अहम सबक सीखे हैं। अब खबरों की कवरेज में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि ऐसी कोई जानकारी प्रसारित न हो जिससे देश की सुरक्षा या सुरक्षा बलों को नुकसान हो।”
राहुल महाजन ने सोशल मीडिया और मुख्यधारा मीडिया के बीच फर्क करने की जरूरत पर भी जोर दिया। उनके अनुसार, “हमें यह समझना होगा कि सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों और मुख्यधारा मीडिया की रिपोर्टिंग में अंतर है। दर्शकों को भी यह विवेकपूर्वक तय करना चाहिए कि वे अपनी जानकारी किन स्रोतों से ले रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि आज मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा रहे हैं और इसका एक कारण यह है कि कई बार कॉर्पोरेट स्वामित्व वाले मीडिया संस्थानों में पत्रकारों पर खबरों को दिखाने या न दिखाने को लेकर दबाव डाला जाता है। “मीडिया हाउसों को इस बात पर आत्ममंथन करना होगा कि क्या वे स्वतंत्र पत्रकारिता कर पा रहे हैं या उनके व्यावसायिक हितों के कारण संपादकीय स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है,” उन्होंने कहा।
प्रेस की स्वतंत्रता के सवाल पर राहुल महाजन ने माना कि सरकारों या सत्ताधारी दलों की ओर से मीडिया पर खबरों को प्रभावित करने का दबाव आता है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि दबाव केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि कानूनी और कॉर्पोरेट स्तर पर भी होता है।
उन्होंने अंत में कहा कि मीडिया में एक नए मॉडल की जरूरत है जो स्वतंत्रता और पारदर्शिता को प्राथमिकता दे। उन्होंने कहा, “शायद हमें पब्लिक फंडेड मीडिया जैसे मॉडल पर भी विचार करना चाहिए, जिससे मीडिया को किसी कॉर्पोरेट या राजनीतिक दबाव के बिना निष्पक्ष रूप से काम करने की आजादी मिल सके।”
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