Eros International Media Limited के नॉन-एग्जिक्यूटिव इंडिपेंडेंट डायरेक्टर (स्वतंत्र निदेशक) अरुण पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है
Eros International Media Limited के नॉन-एग्जिक्यूटिव इंडिपेंडेंट डायरेक्टर (स्वतंत्र निदेशक) अरुण पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने 11 फरवरी 2025 को अपना त्यागपत्र सौंपा, जिसे कंपनी द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।
अरुण पवार ने अपने त्यागपत्र में लिखा कि वह कुछ व्यक्तिगत कारणों से स्वतंत्र निदेशक पद पर कार्य जारी नहीं रख सकते। उन्होंने बोर्ड के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपने इस्तीफे को तत्काल प्रभाव से स्वीकार करने का अनुरोध किया।
कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को यह जानकारी दी है। हालांकि इसके अनुसार, उनके इस्तीफे के पीछे कोई अन्य महत्वपूर्ण कारण नहीं बताया गया है।
गौरतलब है कि अरुण पवार को 5 दिसंबर 2024 से स्वतंत्र निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन अब उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस पद से इस्तीफा दे दिया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगी और विजेताओं को अवॉर्ड्स प्रदान करेंगी।
पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वालों को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ (Indian Express) समूह की ओर से दिए जाने वाले प्रतिष्ठित 'रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स' 19 मार्च को दिल्ली में दिए जाएंगे। दिल्ली के ओबेरॉय होटल में होने वाले एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि होंगी और विजेताओं को अवॉर्ड्स प्रदान करेंगी।
बता दें कि यह इस कार्यक्रम का 19वां संस्करण है। इस संस्करण में वर्ष 2023 की बेहतरीन पत्रकारिता को सम्मानित किया जाएगा। ये अवॉर्ड्स 20 श्रेणियों में दिए जाएंगे, जिनका चयन एक प्रतिष्ठित जूरी ने किया है।
जूरी में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी.एन. श्रीकृष्ण, ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक एवं कुलपति प्रो. सी. राज कुमार, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) के पूर्व महानिदेशक प्रो. के.जी. सुरेश, रोहिणी निलेकणी फिलान्थ्रॉपीज़ की चेयरपर्सन और एकस्टेप (EkStep) की सह-संस्थापक एवं निदेशक रोहिणी निलेकणी और भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाई. कुरैशी जैसे जाने-माने नाम शामिल रहे।
गौरतलब है कि प्रत्येक वर्ष ‘रामनाथ गोयनका अवार्ड’ का आयोजन उन पत्रकारों को सम्मानित करने के लिए किया जाता है, जो पत्रकारिता के क्षेत्र में साहस, उत्कृष्टता और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करते हैं और अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन से भारतीय पत्रकारिता जगत को एक नया मुकाम देते हैं। रामनाथ गोयनका अवॉर्ड्स की शुरुआत एक्सप्रेस समूह ने अपने संस्थापक रामनाथ गोयनका की याद में वर्ष 2005 में की थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अधिकारियों ने लगभग 10 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया है।
‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ (CCI) ने देशभर में कई विज्ञापन एजेंसियों के कार्यालयों की कथित रूप से तलाशी ली है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन एजेंसियों पर तलाशी की कार्रवाई की गई है, उनमें ‘ग्रुपएम’ (GroupM), ‘डेंट्सू’ (Dentsu) और ‘इंटरपब्लिक ग्रुप’ (Interpublic Group) के अलावा प्रसारकों की संस्था ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन’ (IBDF) का कार्यालय भी शामिल है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अधिकारियों ने लगभग 10 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया है। यह कार्रवाई उन विज्ञापन एजेंसियों और शीर्ष प्रसारकों (Broadcasters) के खिलाफ शुरू किए गए एक मामले के तहत की गई है, जिन पर विज्ञापन दरों और छूट को आपस में साठगांठ कर तय करने का आरोप है।
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अधिकारियों ने इन एजेंसियों के कार्यालयों में प्रवेश और निकास द्वारों को सील कर दिया और एंप्लॉयीज के फोन व लैपटॉप जब्त कर लिए।
बताया जाता है कि यह सर्च अभियान मुंबई, नई दिल्ली और गुरुग्राम में चलाया गया। इस कार्रवाई के संबंध में अभी तक ‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ अथवा इन एजेंसियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
SheThePeople.TV और Gytree की फाउंडर शैली चोपड़ा ने e4m Women In Media, Digital & Creative Economy के पहले संस्करण में "सिस्टरहुड इकनॉमी" पर अपना मुख्य भाषण दिया।
SheThePeople.TV और Gytree की फाउंडर शैली चोपड़ा ने e4m Women In Media, Digital & Creative Economy के पहले संस्करण में "सिस्टरहुड इकनॉमी" पर अपना मुख्य भाषण दिया। इसमें उन्होंने महिलाओं के आर्थिक मूल्य, उनके योगदान और अक्सर अनदेखी किए जाने वाले श्रम पर जोर दिया। उनका मानना है कि यह विचार महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक संरचनाओं में देखने के नजरिए को बदलने की क्षमता रखता है।
शैली चोपड़ा ने अपने संबोधन में अपनी पुस्तक ‘The Sisterhood Economy’ से उदाहरण लेते हुए इस बात पर जोर दिया कि महिलाएं सिर्फ योगदानकर्ता ही नहीं, बल्कि अपने आप में आर्थिक शक्ति हैं, जो व्यवसायों, उद्योगों और समुदायों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
शैली चोपड़ा ने अपने करियर के एक महत्वपूर्ण क्षण को याद किया- साल 2013 में जब उन्होंने वॉरेन बफेट का साक्षात्कार लिया था। उन्होंने बफेट से पूछा कि वह अपने बटुए में क्या रखते हैं। उम्मीद थी कि उन्हें कोई वित्तीय समझ या अनोखी व्यावसायिक अंतर्दृष्टि मिलेगी, लेकिन बफेट ने अपने बटुए से तीन महिलाओं की तस्वीरें निकालीं- उनकी बेटी, उनकी पूर्व पत्नी और उनकी वर्तमान पत्नी। बफेट ने बताया कि ये तीनों महिलाएं ही उनकी सफलता और ताकत का असली स्रोत रही हैं।
इस घटना ने चोपड़ा को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आर्थिक चर्चाओं में महिलाओं की भूमिका को अक्सर नजरअंदाज क्यों किया जाता है। जब उन्होंने अपनी पत्रकारिता के वर्षों को देखा, तो पाया कि उन्होंने 587 CEOs का साक्षात्कार लिया था, जिनमें से केवल 18 महिलाएं थीं और उनमें से कई पारिवारिक व्यवसायों के कारण इस पद तक पहुंची थीं, न कि अपनी स्वतंत्र यात्रा के कारण।
यही वह क्षण था जब चोपड़ा ने मुख्यधारा की पत्रकारिता छोड़कर महिलाओं की उपलब्धियों, संघर्षों और कहानियों को केंद्र में लाने का फैसला किया।
2015 में, उन्होंने SheThePeople.TV की स्थापना की, जोकि एक ऐसा मंच था, जो उन महिलाओं की कहानियां बताने के लिए समर्पित था, जो अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, लेकिन अक्सर उन्हें ‘अचीवर’ के रूप में नहीं देखा जाता था। आज, यह प्लेटफॉर्म एशिया की 60 लाख से अधिक महिलाओं का एक सशक्त डिजिटल समुदाय बन चुका है। चोपड़ा ने बताया कि SheThePeople.TV बिना ग्लैमर-केंद्रित कंटेंट के हर महीने 500 मिलियन वीडियो व्यूज हासिल करता है, जो यह दर्शाता है कि महिलाएं अपनी सच्ची उपलब्धियों को पहचानने और साझा करने के लिए एक मंच की मांग कर रही थीं।
शैली चोपड़ा ने अपने भाषण में इस पर भी जोर दिया कि हर महिला एक वर्किंग वुमन होती है, लेकिन बहुत कम महिलाओं को इसके लिए भुगतान किया जाता है।
चाहे वह घरेलू काम हो या छोटे व्यवसाय, महिलाएं अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं, लेकिन उनकी मेहनत को अक्सर औपचारिक वित्तीय गणनाओं में शामिल नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि पूंजीवादी मॉडल अक्सर केवल उन्हीं कंपनियों को महत्व देता है, जो बड़े वेंचर कैपिटल निवेश या IPO वैल्यूएशन प्राप्त करती हैं, जबकि वे छोटे उद्यम जिनसे परिवार और समुदाय चलते हैं, अनदेखे रह जाते हैं।
चोपड़ा ने उन महिलाओं की कहानियां साझा कीं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने दम पर व्यवसाय खड़ा किया।
शैली चोपड़ा ने कहा कि महिलाओं का एक-दूसरे को सहयोग और समर्थन देना केवल एक सामाजिक आंदोलन नहीं, बल्कि एक आर्थिक शक्ति है।
उन्होंने पारंपरिक सोच को खारिज किया कि महिलाएं केवल एक-दूसरे की प्रतिस्पर्धी होती हैं। इसके बजाय, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब महिलाएं मेन्टरिंग, फाइनेंसिंग और कोलैबोरेशन के माध्यम से एक-दूसरे का समर्थन करती हैं, तो इससे ठोस आर्थिक लाभ उत्पन्न होता है।
चोपड़ा ने मुख्यधारा मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि मीडिया में महिलाओं को केवल दो ही रूपों में दिखाया जाता है—या तो वे पीड़िता होती हैं, या फिर अरबों डॉलर की कंपनी की CEO।
मीडिया शायद ही कभी उन महिलाओं की कहानियां कवर करता है, जो छोटे व्यवसाय, सामाजिक पहल या रोज़मर्रा के आर्थिक बदलाव ला रही हैं। अगर मीडिया महिलाओं के नेतृत्व वाले छोटे व्यवसायों और आर्थिक पहलों को प्रमुखता देने लगे, तो इससे महिलाओं की आर्थिक शक्ति को हर स्तर पर मान्यता मिलेगी।
अपने भाषण के अंत में, शैली चोपड़ा ने कहा कि महिलाओं का सशक्तिकरण सिर्फ लैंगिक समानता की बात नहीं, बल्कि आर्थिक समृद्धि की कुंजी है। उन्होंने दोहराया कि सिस्टरहुड इकोनॉमी केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक अर्थव्यवस्था की शक्ति है, जिसे पूरी तरह से पहचाना जाना अभी बाकी है।
अंत में उन्होंने श्रोताओं के साथ अपना एक विचार साझा किया, "हम अक्सर महिलाओं को तब सराहते हैं जब वे रॉकेट लॉन्च करती हैं या कॉर्पोरेशन चलाती हैं। लेकिन महिलाएं दुनिया को और भी बुनियादी तरीकों से बदलती हैं-व्यवसाय स्थापित करके, परिवारों का पालन-पोषण करके और समुदायों को मजबूत करके। यह भी एक आर्थिक क्रांति है।"
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जोर देकर कहा कि अदालतों को मीडिया संगठनों पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश(gag orders) जारी करने से बचना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जोर देकर कहा कि अदालतों को मीडिया संगठनों पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश (gag orders) जारी करने से बचना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी न्यायिक फैसले की निष्पक्ष आलोचना को अदालत की अवमानना नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का यह बयान दिल्ली हाई कोर्ट के एक निर्देश के बाद आया, जिसमें विकिपीडिया को आदेश दिया गया था कि वह लंबित ₹2 करोड़ के मानहानि मामले के संबंध में 36 घंटे के भीतर एक पेज हटा दे। यह मामला न्यूज एजेंसी ANI द्वारा प्लेटफॉर्म के खिलाफ दायर किया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्जल भुयान की खंडपीठ ने कहा, "अदालतों को सोशल मीडिया पर उनके आदेशों के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर संवेदनशील क्यों होना चाहिए?"
पीठ ने टिप्पणी की, "अदालतें प्रतिबंधात्मक आदेश जारी नहीं कर सकतीं। किसी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है, नोटिस जारी होगा और दूसरा पक्ष अवमानना को समाप्त करने का विकल्प चुन सकता है। लेकिन सिर्फ इसलिए किसी को कुछ हटाने के लिए कहना कि अदालत ने जो कहा या किया उसकी आलोचना हो रही है, यह ठीक नहीं है।"
कोर्ट ने यह भी कहा कि यह "विडंबना" है कि एक मीडिया संस्था ANI, जो स्वयं सूचनाएं प्रसारित करती है, किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट का यह दखल तब आया जब विकिपीडिया ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें प्लेटफॉर्म को ANI द्वारा दायर मानहानि मामले पर चर्चा करने वाले पेज को हटाने का निर्देश दिया गया था।
सृंजॉय बोस ने बंगाली दैनिक ‘संवाद प्रतिदिन’ में नेतृत्वकारी भूमिका निभाते हुए तथा खाड़ी देशों में पहले मलयालम रेडियो स्टेशन ‘रेडियो एशिया’ के सलाहकार के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रतिष्ठित मीडिया प्रोफेशनल सृंजॉय बोस (Srinjoy Bose) आज अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं। बंगाली पत्रकारिता और रेडियो ब्रॉडकास्टिंग के जाने-माने नाम सृंजॉय बोस ने बंगाली दैनिक ‘संवाद प्रतिदिन’ (Sangbad Pratidin) में नेतृत्वकारी भूमिका निभाते हुए तथा खाड़ी देशों में पहले मलयालम रेडियो स्टेशन ‘रेडियो एशिया’ (Radio Asia) के सलाहकार के रूप में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
बोस ने ‘संवाद प्रतिदिन’ को एक मजबूत क्षेत्रीय अखबार के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। उनकी रणनीतिक दृष्टि ने अखबार की संपादकीय गुणवत्ता और विश्वसनीयता को और सशक्त बनाया है।
रेडियो ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में भी सृंजॉय बोस की भूमिका उल्लेखनीय रही है। ‘रेडियो एशिया’ के सलाहकार के रूप में उन्होंने इस प्लेटफॉर्म को एक विश्वसनीय और लोकप्रिय मीडिया माध्यम में बदलने में अहम योगदान दिया। उनके नेतृत्व में यह रेडियो स्टेशन श्रोताओं को सूचनात्मक और मनोरंजक सामग्री प्रदान करने में सफल रहा है।
मीडिया के अलावा, बोस ने अपने करियर में कई अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। वे व्यवसाय, रियल एस्टेट और पब्लिशिंग सेक्टर से जुड़े रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने राजनीति में भी कुछ समय बिताया है, जिससे उनकी बहुआयामी विशेषज्ञता स्पष्ट होती है।
सृंजॉय बोस का मीडिया और जनता के प्रति समर्पण उनकी पेशेवर पहचान को परिभाषित करता है। पत्रकारिता और ब्रॉडकास्टिंग में उनका योगदान बंगाली मीडिया परिदृश्य में महत्वपूर्ण बना हुआ है।
अपने संबोधन के अंत में अनुराधा प्रसाद ने सभी महिला पत्रकारों से अपील की कि वे अपने पेशे को प्राथमिकता दें और इसकी गरिमा बनाए रखें।
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप द्वारा 9 मार्च को आयोजित "Women in Media, Digital & Creative Economy Summit" में न्यूज24 की एडिटर-इन-चीफ अनुराधा प्रसाद ने महिलाओं की मीडिया में भूमिका और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों पर अपने विचार रखे।
उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत यह कहते हुए की कि सार्वजनिक जीवन में महिलाओं का स्थान बनाना और उसे बनाए रखना आसान नहीं है, खासकर जब वे किसी प्रभावशाली व्यक्ति की जीवनसंगिनी भी हों। उन्होंने कहा कि एक महिला को अपनी पहचान बनाए रखने के लिए कई स्तरों पर बदलावों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जो महिलाएं खुद को इस बदलाव से अलग रखते हुए आगे बढ़ती हैं, वे सराहना की पात्र होती हैं।
मीडिया में महिलाओं की नेतृत्व क्षमता पर सवाल
अनुराधा प्रसाद ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि मीडिया इंडस्ट्री में महिलाएं बेहतरीन पत्रकार तो बन रही हैं, लेकिन जब नेतृत्व की बात आती है, तो उन्हें कई व्यक्तिगत और सामाजिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा, "एक महिला जब 10-15 साल का अनुभव हासिल कर लेती है, तब उसके सामने परिवार और करियर में से किसी एक को चुनने की स्थिति आ जाती है। बच्चों की पढ़ाई और परिवार की जिम्मेदारियों के चलते कई प्रतिभाशाली महिला पत्रकारों को करियर से पीछे हटना पड़ता है।"
उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया इंडस्ट्री में महिलाओं को हर दिन संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन उन्हें अपने हर संघर्ष से सीखते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए।
हर दिन एक चुनौती
मीडिया में काम करने वाली महिलाओं की कठिनाइयों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारिता एक चुनौतीपूर्ण पेशा है और इसमें हर दिन संघर्ष करना पड़ता है। उन्होंने कहा, "अगर आपने मीडिया को चुना है, तो आपको हर चीज के लिए तैयार रहना चाहिए। आप महिला हों या गृहिणी, आपको हर स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी।"
डिजिटल मीडिया का प्रभाव और पत्रकारिता की गिरती साख
अनुराधा प्रसाद ने डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और आत्म-प्रचार के प्रति चिंता व्यक्त की। डिजिटल मीडिया के मौजूदा ट्रेंड्स पर अपनी राय रखते हुए उन्होंने कहा कि आज कई लोग सोशल मीडिया पर खबरों की जगह आत्म-प्रचार को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने कहा, "क्या हम पत्रकारिता कर रहे हैं या सिर्फ सोशल मीडिया पर अपनी ब्रांडिंग में लगे हैं? यह सोचने वाली बात है।" उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकारों को अपने पेशे की गरिमा बनाए रखते हुए खुद को आगे बढ़ाना चाहिए, न कि केवल खुद को प्रमोट करने पर ध्यान देना चाहिए।
महिला नेतृत्व की चुनौतियां
कार्यक्रम के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि एक महिला के रूप में न्यूज चैनल चलाना कठिन लेकिन संतोषजनक अनुभव रहा है। उन्होंने कहा, "एक उद्यमी के रूप में कोई मुझे नहीं बताता कि मुझे कौन सी खबर दिखानी चाहिए और कौन सी नहीं। यह मेरे लिए सबसे संतोषजनक बात है।" उन्होंने बताया कि शुरुआती दिनों में कुछ लोग महिला बॉस से आदेश लेने में हिचकिचाते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह मानसिकता बदली, क्योंकि उन्हें समय के साथ यह ऐहसास हो गया कि मैं कहीं जाने वाली नहीं हूं।"
महिलाओं के लिए संदेश
अपने संबोधन के अंत में अनुराधा प्रसाद ने सभी महिला पत्रकारों से अपील की कि वे अपने पेशे को प्राथमिकता दें और इसकी गरिमा बनाए रखें। उन्होंने कहा, "अगर आपका पेशा मजबूत है, तो आपका सम्मान बना रहेगा और सम्मान ही सबसे महत्वपूर्ण चीज है।" अनुराधा प्रसाद ने यह भी कहा कि भारत में मीडिया इंडस्ट्री अवसरों से भरी हुई है और महिलाओं को चुनौतियों से डरने की बजाय उन्हें अवसर में बदलना सीखना होगा।
कार्यक्रम के समापन पर अनुराधा प्रसाद ने महिलाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि महिलाओं को पत्रकारिता के क्षेत्र में खुद को स्थापित करने और बनाए रखने के लिए सतत संघर्ष करना होगा। उन्होंने कहा, "हम सभी अलग-अलग स्तरों पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन इन्हीं चुनौतियों से अवसर भी निकलते हैं। अगर आज हमने इस अवसर को नहीं पहचाना, तो फिर कभी नहीं पहचान पाएंगे।"
यहां देखें पूरा वीडियो:
प्राइम फोकस टेक्नोलॉजीज और पॉकेट एफएम को भी दूसरी तिमाही में विदेशी संस्थाओं से 1,100 करोड़ रुपये की फंडिंग प्राप्त हुई।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने कहा है कि सूचना व प्रसारण क्षेत्र को 2024-25 के पहले नौ महीनों में 4,786 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त हुआ है। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से सामने आई है।
इस सेक्टर, जिसमें प्रिंट मीडिया भी शामिल है, को 1,264 करोड़ रुपये का निवेश मिला, जिसमें वॉल्ट डिज्नी ने स्टार इंडिया में 1,008 करोड़ रुपये का निवेश किया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, प्राइम फोकस टेक्नोलॉजीज और पॉकेट एफएम को भी दूसरी तिमाही में विदेशी संस्थाओं से 1,100 करोड़ रुपये की फंडिंग प्राप्त हुई।
इसके अलावा, वार्नर म्यूजिक इंडिया को उसकी मूल कंपनी से 136 करोड़ रुपये का निवेश मिला, साथ ही आईपीएल टीम गुजरात टाइटंस में भी निवेश हुआ।
2023-24 के पहले छह महीनों में सूचना व प्रसारण क्षेत्र में कुल 6,058.67 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था।
मीडिया व एंटरटेनमेंट (M&E) सेक्टर में इस साल बड़े पैमाने पर छंटनियां हो रही हैं और अभी तो सिर्फ मार्च का महीना ही चल रहा है।
चहनीत कौर, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप ।।
मीडिया व एंटरटेनमेंट (M&E) सेक्टर में इस साल बड़े पैमाने पर छंटनियां हो रही हैं और अभी तो सिर्फ मार्च का महीना ही चल रहा है। कंटेंट, टेक, ऐड सेल्स और एडमिनिस्ट्रेशन विभागों में करीब 1,000 एम्प्लॉयीज की नौकरियां खतरे में आ चुकी हैं। इंडस्ट्री के दिग्गजों का कहना है कि घटते राजस्व, लागत में कटौती और एम्प्लॉयीज की संख्या कम करने के प्रयास इन छंटनियों की मुख्य वजह हैं।
छंटनियां केवल छोटी कंपनियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बड़ी मीडिया कंपनियां भी अपने एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकाल रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर 2024 की स्थिति खराब थी, तो 2025 इससे भी बुरा साबित हो सकता है।
JioStar से सबसे बड़ा झटका, 600 एम्प्लॉयीज की छंटनी की तैयारी
अब तक का सबसे बड़ा झटका JioStar की ओर से आया है, जो रिलायंस व डिज्नी के मर्जर से बनी नई मीडिया इकाई है। कंपनी ने देशभर में करीब 600 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने का फैसला लिया है। यह छंटनी रिलायंस और स्टार इंडिया दोनों के एम्प्लॉयीज को प्रभावित करेगी, क्योंकि यह नया गठजोड़ अपने ऑपरेशन्स को अधिक कुशल बनाने और दोहराए जाने वाले पदों को हटाने की योजना बना रहा है।
इसके अलावा, गूगल और मेटा जैसी अन्य बड़ी टेक कंपनियां भी एम्प्लॉयीज की संख्या घटा रही हैं।
मर्जर और मार्केट कंसोलिडेशन से छंटनियों में तेजी
सिंप्ली ग्रुप (Simpli Group) के सीईओ (TV18 ग्रुप में HR डिपार्टमेंट के पूर्व ग्रुप हेड) रजनीश सिंह के अनुसार, मार्केट में इस समय कंसोलिडेशन यानी बड़ी कंपनियों के आपस में विलय का दौर चल रहा है, जिससे स्वाभाविक रूप से छंटनियां और पुनर्गठन हो रहा है। उनका कहना है कि यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा।
इसके अलावा, देशभर के कई छोटे मीडिया नेटवर्क भी चुपचाप अपने एम्प्लॉयीज की संख्या घटा रहे हैं। चूंकि कई मामलों में छंटनियों की औपचारिक घोषणा नहीं होती, इसलिए सटीक संख्या का पता लगाना मुश्किल है। लेकिन एचआर और हायरिंग विशेषज्ञों का अनुमान है कि अभी तक कम से कम 1,000 लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं और यह आंकड़ा साल के अंत तक दोगुना हो सकता है।
नौकरियों की कमी से हालात और मुश्किल
नवीनतम नौकरी (Naukri) डेटा के मुताबिक, मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में हायरिंग को लेकर स्थिति निराशाजनक बनी हुई है। फरवरी 2025 में इस क्षेत्र में सिर्फ 1% साल-दर-साल ग्रोथ देखने को मिली।
रजनीश सिंह कहते हैं, "फिलहाल पूरे इंडस्ट्री में बड़े पैमाने पर पुनर्गठन चल रहा है, जिससे नौकरी छूटने के मामले बढ़ रहे हैं। हालांकि प्रभाव बहुत अधिक नहीं है, लेकिन यह पूरे साल स्थिर बना हुआ है।"
अनुभव के आधार पर देखें तो:
रजनीश सिंह के मुताबिक, कंपनियां नई भर्तियों के लिए इंटरव्यू तो कर रही हैं, लेकिन उन पदों को फाइनल नहीं कर रही हैं। यह अनिश्चितता न सिर्फ कैम्पस प्लेसमेंट बल्कि अनुभवी प्रोफेशनल्स की भर्ती पर भी असर डाल रही है।
Konverz AI के सीईओ लोकेश निगम का कहना है, "यह सिर्फ मीडिया इंडस्ट्री की समस्या नहीं है, बल्कि कई उद्योगों में यह ट्रेंड देखा जा रहा है। 10-15 साल के अनुभव वाले प्रोफेशनल्स के लिए यह मुश्किल समय है, क्योंकि कंपनियां अब डिजिटल और एआई स्किल्स की ओर शिफ्ट हो रही हैं। जो लोग इन बदलावों के साथ नहीं चल पा रहे हैं, उनके लिए खुद को प्रासंगिक बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।"
छंटनी का सीधा संबंध बिजनेस में गिरावट से
छंटनियों की इस लहर का सीधा संबंध कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन से है, खासकर पारंपरिक मीडिया संगठनों में। उदाहरण के लिए, 'टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड' (TIL) ने हाल ही में 200 एम्प्लॉयीज की छंटनी की। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने 199.31 करोड़ रुपये का कुल नुकसान दर्ज किया। ऑनलाइन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से ऐड रेवेन्यू 690.73 करोड़ रुपये रहा, जो 2022-23 के मुकाबले 2.7% कम था।
इसी तरह, 'द क्विंट' ने भी वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में 30 लाख रुपये का ऑपरेटिंग लॉस और 4.51 करोड़ रुपये का नेट लॉस दर्ज किया। इस दौरान कई एम्प्लॉयीज की छंटनी की गई, जिसके बाद कंपनी ने अपने नुकसान को अगले कुछ तिमाहियों में कम करने में सफलता पाई।
यह केवल कुछ उदाहरण हैं। कई अन्य मीडिया कंपनियों के आंकड़े भी तेजी से विकास की ओर इशारा नहीं कर रहे हैं।
रोजगार की बजाय उद्यमिता पर जोर देने की जरूरत
हालात को देखते हुए रजनीश सिंह का मानना है कि नौकरी ढूंढने वालों को अब नौकरी देने वाले बनने पर विचार करना चाहिए। उनका कहना है कि वर्तमान स्थिति में केवल पारंपरिक नौकरियों पर निर्भर रहना व्यावहारिक नहीं है।
"दुर्भाग्य से, हम अभी नए निवेश या नए उभरते व्यवसाय नहीं देख रहे हैं जो भर्ती में तेजी ला सकें। मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर फिलहाल ठहरा हुआ नजर आ रहा है, और मुझे जल्द इसमें कोई सुधार दिखता नहीं दिख रहा। करियर की संभावनाओं को मीडिया इंडस्ट्री से बाहर भी तलाशने की जरूरत है।"
लोकेश निगम ने 2025 के ट्रेंड पर बात करते हुए कहा कि प्रिंट मीडिया फिलहाल स्थिर रहेगा, डिजिटल मीडिया का विस्तार जारी रहेगा, लेकिन बाकी क्षेत्रों (जैसे सिनेमा और प्रोडक्शन) में स्किल अपग्रेडेशन की अधिक जरूरत होगी बजाय नए एम्प्लॉयीज की भर्ती के। इंडस्ट्री बदल रही है, और खुद को अपडेट रखना और नए कौशल सीखना अब जरूरी हो गया है।
एक्सचेंज4मीडिया द्वारा आयोजित e4m Women in Media, Digital & Creative Economy Summit में 9 मार्च को टेक, मीडिया व ऐडवरटाइजिंग में महिलाओं की भागीदारी व निर्णय की भूमिका पर चर्चा की गई।
एक्सचेंज4मीडिया द्वारा आयोजित e4m Women in Media, Digital & Creative Economy Summit में 9 मार्च को टेक, मीडिया व ऐडवरटाइजिंग में महिलाओं की भागीदारी व निर्णय की भूमिका पर महत्वपूर्ण चर्चा की गई। इन क्षेत्रों में नवाचार, प्रामाणिकता और विविध दृष्टिकोणों की बढ़ती आवश्यकता के बावजूद, लीडरशिप में महिलाओं की कमी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। लिहाजा कार्यक्रम में इस बात पर रोशनी डाली गई कि क्या तेजी से विकसित होते इंडस्ट्रीज का भविष्य महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें निर्णायक रणनीतियों को आकार देने की शक्तियों पर निर्भर करता है।
इस दौरान विभिन्न इंडस्ट्रीज की अग्रणी हस्तियों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे उन्होंने रुकावटों को पार कर सफलता हासिल की, समावेशी बोर्डरूम बनाए और यह सुनिश्चित किया कि इंडस्ट्रीज के प्रमुख निर्णयों में महिलाओं की समान भागीदारी है।
तस्वीरों में देखें इस कार्यक्रम की झलकियां-
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित कार्यक्रम e4m PR & Corp Comm Women's Achiever Summit में पब्लिक रिलेशंस व कम्युनिकेशंस इंडस्ट्री की प्रतिष्ठित महिला लीडर्स ने भाग लिया
एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित कार्यक्रम e4m PR & Corp Comm Women's Achiever Summit में पब्लिक रिलेशंस व कम्युनिकेशंस इंडस्ट्री की प्रतिष्ठित महिला लीडर्स ने भाग लिया, जहां पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्र में महिलाओं के लिए मौजूद चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की गई। इस पैनल का संचालन Media Mic की कम्युनिकेशन एडवाइजर माधवी चौधरी ने किया। पैनल में Doceree की कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन डायरेक्टर तान्या सिंह, Swiggy की AVP - PR एंड कम्युनिकेशन आकांक्षा जैन और Ipsos की PR हेड व मीडिया एंगेजमेंट एवं पार्टनरशिप हेड मधुरिमा भाटिया शामिल थीं।
सेशन की शुरुआत इस चर्चा से हुई कि PR इंडस्ट्री में नेतृत्व के मॉडल को फिर से परिभाषित करने के लिए महिलाओं के पास क्या संभावनाएं हैं। हालांकि इस क्षेत्र में कार्यबल का बड़ा हिस्सा महिलाओं का है, फिर भी यह इंडस्ट्री पुरुष-प्रधान बनी हुई है। पैनलिस्ट्स ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देनी चाहिए और संगठनों के भीतर अधिक रणनीतिक भूमिकाएं निभानी चाहिए।
माधवी चौधरी ने इस बात को रेखांकित किया कि महिलाओं को केवल सपोर्ट फंक्शन के रूप में नहीं बल्कि रणनीतिक भागीदार के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने एक जेंडर-न्यूट्रल संगठन में काम करने के अपने अनुभव साझा किए, लेकिन इस धारणा की ओर भी इशारा किया कि PR को अब भी एक व्यावसायिक ड्राइवर के बजाय लागत केंद्र के रूप में देखा जाता है। उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि वे इस सोच से बाहर निकलें, अधिक रणनीतिक रूप से सोचें और अपने विचारों को तर्कसंगत रूप से प्रस्तुत करें।
तान्या सिंह ने इस विचार से सहमति जताई और कहा कि महिलाओं को अपनी आवाज बुलंद करनी होगी। उन्होंने बताया कि PR प्रोफेशनल्स को अक्सर इस चुनौती का सामना करना पड़ता है कि उन्हें बिजनेस लाने वाले लोगों की तुलना में कम महत्वपूर्ण माना जाता है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि PR का ब्रांड की प्रतिष्ठा और व्यावसायिक वृद्धि पर अप्रत्यक्ष लेकिन महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है और इसे पहचाना जाना चाहिए।
पैनलिस्ट्स ने इस पर भी चर्चा की कि नेतृत्व भूमिकाओं में महिलाओं को किन विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि अवचेतन पूर्वाग्रह और कई अपेक्षाओं को संतुलित करना। आकांक्षा जैन ने साझा किया कि जब वह पुरुष लीडर्स से भरे एक कमरे में अकेली महिला होती हैं, तो अक्सर असहजता महसूस होती है। उन्होंने बताया कि जब महिलाएं अपने विचार खुलकर रखती हैं, तो उन्हें आक्रामक समझा जाता है, जिससे उनके लिए ऊंचे पदों तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
मधुरिमा भाटिया ने कहा कि कई बार महिलाएं खुद ही अपने लिए बाधाएं खड़ी कर लेती हैं, अपनी क्षमताओं पर संदेह करती हैं और आत्म-प्रचार नहीं करतीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को अपने लिए खड़ा होना चाहिए और समान वेतन जैसे मुद्दों पर उचित बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने उन स्थितियों का भी उल्लेख किया, जहां महिलाओं से उनकी वैवाहिक स्थिति या मातृत्व योजनाओं को लेकर अनुचित सवाल किए जाते हैं, जो कि एक बड़ी प्रणालीगत समस्या है।
इसके बाद चर्चा इस ओर मुड़ी कि संगठन किस तरह महिला प्रोफेशनल्स का समर्थन कर सकते हैं और PR टीमों में विविधता और समानता को बढ़ावा दे सकते हैं। पैनलिस्ट्स ने सहमति व्यक्त की कि PR फंक्शन के महत्व को मान्यता देना आवश्यक है। आकांक्षा जैन ने कहा कि PR प्रोफेशनल्स को अन्य विभागों, जैसे कि HR की तुलना में कम प्राथमिकता दी जाती है, जबकि वे किसी भी कंपनी की प्रतिष्ठा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मधुरिमा भाटिया ने इस बात पर जोर दिया कि नेतृत्व स्तर पर विविधता और समावेश सुनिश्चित करने के लिए नेतृत्वकर्ताओं की प्रतिबद्धता आवश्यक है। उन्होंने उस संगठन के अपने अनुभव साझा किए, जहां लीडरशिप टीम में 50/50 पुरुष-महिला अनुपात था और पुरुष मेंटर्स का सहयोग बहुत सकारात्मक प्रभाव डाल रहा था। उन्होंने मेंटरशिप प्रोग्राम और ऐसे प्लेटफॉर्म बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया, जहां महिलाएं अपने अनुभव साझा कर सकें और एक-दूसरे से सीख सकें।
पैनलिस्ट्स ने इस पर भी चर्चा की कि इंडस्ट्री के दिग्गज किस प्रकार उभरती हुई महिला प्रतिभाओं के लिए अवसर पैदा कर सकते हैं। तान्या सिंह ने मेंटरशिप के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह खासतौर पर उन युवतियों के लिए जरूरी है जो इस क्षेत्र में नया कदम रख रही हैं। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग से PR में बदलाव किया और इस दौरान मेंटर्स का मार्गदर्शन उनके लिए बहुत मददगार साबित हुआ।
माधवी चौधरी ने सुझाव दिया कि मेंटरशिप को जीवनशैली का हिस्सा बना लेना चाहिए, जहां महिला लीडर्स अपनी कहानियां और चुनौतियां साझा करके दूसरों को प्रेरित करें। उन्होंने इस बात का भी प्रस्ताव रखा कि महिलाओं के लिए ऐसे समुदाय बनाए जाएं, जहां वे निरंतर बातचीत कर सकें और एक-दूसरे का समर्थन कर सकें।
अंतिम सत्र में पैनलिस्ट्स से पूछा गया कि कंपनियां तुरंत क्या कदम उठा सकती हैं ताकि PR में महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। मधुरिमा भाटिया ने कहा कि PR प्रोफेशनल्स को बोर्डरूम और कार्यकारी समितियों में जगह मिलनी चाहिए, क्योंकि PR का व्यवसायिक विकास में रणनीतिक योगदान है।
तान्या सिंह ने सुझाव दिया कि संगठनों को एक आंतरिक मूल्यांकन करना चाहिए ताकि यह समझा जा सके कि वे महिलाओं के सशक्तिकरण के मामले में कहां खड़े हैं और सभी स्तरों पर सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने वेतन मानकीकरण (सैलरी स्टैंडर्डाइजेशन) की जरूरत को भी रेखांकित किया ताकि शीर्ष स्तरों पर वेतन समानता सुनिश्चित की जा सके।
आकांक्षा जैन ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को सभी स्तरों पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और उनके कौशल का सही उपयोग किया जाना चाहिए ताकि वे संगठन को अधिक ऊंचाइयों तक ले जा सकें। उन्होंने CEO और CXO स्तर के अधिकारियों से आह्वान किया कि वे महिलाओं की विश्लेषणात्मक क्षमता और सहज ज्ञान (इंट्यूशन) को पहचानें और उनका लाभ उठाएं।
सत्र का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि महिलाएं और संगठन मिलकर बाधाओं को तोड़ें और PR इंडस्ट्री को अधिक समावेशी और समानतापूर्ण बनाएं। पैनलिस्ट्स ने इस बात पर जोर दिया कि नेतृत्व में महिलाओं को लाने के लिए मेंटरशिप, आत्म-संरक्षण (सेल्फ-एडवोकेसी) और संगठनों के समर्थन की आवश्यकता है, ताकि वे प्रभावशाली बदलाव ला सकें।
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