भारतीय टीवी न्यूज मीडिया और ऐडवर्टाइजर्स आज मीडिया योजनाओं और बजट की रणनीति बनाने के लिए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) इंडिया द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा करते हैं
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
भारतीय टीवी न्यूज मीडिया और ऐडवर्टाइजर्स आज मीडिया योजनाओं और बजट की रणनीति बनाने के लिए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) इंडिया द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर पूरी तरह भरोसा करते हैं।
इसलिए, कई लोग एकाधिक रेटिंग सिस्टम रखने का सुझाव देते हैं, जो विभिन्न डेमोग्राफिक्स में व्युअरशिप पैटर्न्स की अधिक सूक्ष्म समझ की अनुमति देता है।
पीटीसी नेटवर्क के एमडी व प्रेजिडेंट रबिन्द्र नारायण, जी मीडिया की चीफ रेवेन्यू ऑफिसर मोना जैन और ओमनिकॉम मीडिया ग्रुप के ग्रुप सीईओ कार्तिक शर्मा का मानना है कि मल्टी-रेटिंग सिस्टम प्रतिस्पर्धा के बीच उत्कृष्टता को बढ़ावा देगी।
दूसरी ओर, एकाधिक रेटिंग सिस्टम्स ब्रॉडकास्टर्स के साथ-साथ ऐडवर्टाइजर्स के लिए बढ़ी हुई जटिलताएं, रेटिंग में संभावित विसंगतियां और उच्च लागत जैसी चुनौतियां भी पेश कर सकती हैं।
रेटिंग की वर्तमान प्रणाली "त्रुटिपूर्ण" और "पक्षपाती है, क्योंकि इसे मुट्ठी भर लोगों द्वारा नियंत्रित किया जाता है", यह इंडस्ट्री के दिग्गजों का विचार था, जिन्होंने केवल एक के बजाय कई रेटिंग एजेंसियों की जरूरत पर जोर दिया, क्योंकि वर्तमान में एकमात्र रेटिंग एजेंसी BARC है और इसकी वकालत करने वाले दिग्गजों का यह कहना है कि 'एकाधिकार लोगों को आत्मसंतुष्ट बना देता है।'
डिबेट के दौरान, चीजें तब और प्रबल हो गईं जब कुछ पैनलिस्ट्स, जो एकाधिक रेटिंग सिस्टम के प्रस्ताव के लिए बोल रहे थे, ने BARC रेटिंग पर सवाल उठाया, खासकर न्यूज चैनल्स के लिए, यह कहते हुए कि पॉलीटिशियन न्यूज चैनल्स पर विज्ञापन देने के लिए पैसा खर्च तो करते हैं, लेकिन जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स पर नहीं, यह इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि यह जॉनर BARC द्वारा दी गई रेटिंग से कहीं बेहतर प्रदर्शन कर रही है।
एकाधिक रेटिंग सिस्टम के प्रस्ताव के खिलाफ अपने-अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए स्ट्रैटजिक मार्केटिंग व मीडिया कंसल्टेंट चिंतामणि राव, डाबर इंडिया के मीडिया हेड राजीव दुबे और भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के डायरेक्टर व सीईओ वरुण कोहली नई दिल्ली में e4m की मीडिया डिबेट में शामिल हुए। BW बिजनेसवर्ल्ड मीडिया ग्रुप के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और e4m ग्रुप के फाउंडर डॉ. अनुराग बत्रा ने डिबेट की अध्यक्षता की।
जी मीडिया की चीफ रेवेन्यू ऑफिसर मोना जैन ने डिबेट की शुरुआत करते हुए कहा, “एक ऐडवर्टाइजर्स की निर्भरता एजेंसी के माध्यम से एक विशेष मीडिया प्लान लेने पर होती है। दूसरी ओर, ब्रॉडकास्टर पूरी तरह से मीजरमेंट सिस्टम की दया पर निर्भर है, जो यह तय करता है कि आपकी क्या रैंक हैं। मुद्दा यह है कि कोई यह नहीं देखता कि जमीनी हकीकत क्या है। इसलिए, मैंने एजेंसियों और ऐडवर्टाइजर्स से यह कहना शुरू कर दिया है कि वे मेरे डिजिटल प्लेटफॉर्म की रैंकिंग को भी देखें, लेकिन BARC की रेटिंग अभी भी उनके लिए महत्वपूर्ण वैल्यू रखती है।
उन्होंने आगे सुझाव दिया कि हमारे पास एक प्रमाणित, मान्य, स्वीकृत करेंसी होनी चाहिए जिसे ऐडवर्टाइजर्स और एजेंसियों द्वारा भी मान्यता प्राप्त और मूल्यवान माना जाए।
विरोधी रुख पेश करते हुए स्ट्रैटजिक मार्केटिंग व मीडिया कंसल्टेंट चिंतामणि राव ने समझाया, "BARC और इसकी कार्यप्रणाली के बारे में कई संदेह हैं लेकिन मैं इस बात पर कायम हूं कि ऑडियंस मीजरमेंट सरकार का काम नहीं है।"
अंत में, यह चर्चा वेंडर्स की संख्या को लेकर नहीं होनी चाहिए बल्कि यह इस बात पर होनी चाहिए कि इसे कैसे मैनेज किया जाता है। उन्होंने कहा कि मुख्य मुद्दा यह है कि BARC पर उसके एक घटक का प्रभुत्व है और उसी को मापा जा रहा है।
इस दौरान चिंतामणि राव से सवाल किया गया कि यदि ऐडवर्जाइजर्स का पैसा पूरे मीडिया इकोसिस्टम को ईंधन देता है, तो उन्होंने 60 प्रतिशत पर इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) के साथ एक स्ट्रक्चर क्यों स्वीकार किया?"
इस पर डिबेट में शामिल हुए ओमनिकॉम मीडिया ग्रुप के ग्रुप सीईओ कार्तिक शर्मा ने कहा कि यदि हम कुछ समय के लिए इंडस्ट्री को भूल जाएं, तो हमें NSE और BSE की जरूरत क्यों है? हमें CIBIL और Experian की आवश्यकता क्यों है? इसका संक्षिप्त उत्तर इनोवेशन और कम्पटीशन है। यदि कोई कम्पटीशन ही नहीं होगा, तो हम जिस भी कैटेगरी में काम करेंगे, उस हर एक कैटेगरी में एक ब्रैंड होगा।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे मार्केट में भी, जहां सबसे बड़ा AdEx मार्केट है, दो सिस्टम्स हैं। यहां तक कि यूके, ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, फिलीपींस और कई अन्य देशों में भी दो ऑडियंस मीटरमेंट सिस्टम्स हैं। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में दो सिस्टम्स बेहतर सैम्पलिंग और सेगमेंटेशन में मदद करेंगी।
इसके बाद डाबर इंडिया के मीडिया हेड राजीव दुबे ने मंच संभाला और बताया कि कैसे एक, दो या एकाधिक रेटिंग सिस्टम एक ऐडवर्टाइजर्स के लिए मायने नहीं रखते। आखिरकार, इससे ब्रैंड को बेचने में मदद मिलनी चाहिए। उनका उद्देश्य कंज्युमर्स तक सबसे सस्ते तरीके से पहुंचना है।
उन्होंने कहा कि BARC का विचार एक मजबूत सिस्टम बनाना था, जो सभी को अच्छी तरह से माप सके। क्या हम ऐसा करने में सक्षम हैं? शायद हां भी या शायद नहीं भी।
बदलते समय के साथ, दर्शकों की जरूरतें बदल गई हैं और NCCS एक ऐसी प्रणाली थी जो कंज्युमर्स ड्यूरेबल्स के स्वामित्व के आधार पर लोगों के वर्ग को मापती थी। लेकिन अब, नया प्रस्तावित ISEC उन कमियों को पूरा करता है।
कंज्युमर्स ने भी डिजिटल और ओटीटी की ओर अधिक ध्यान देते हुए विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट को कंज्यूम करना शुरू कर दिया है। राजीव दुबे का मानना है, “हम अभी तक उस दर्शक वर्ग का सही आकलन नहीं कर पाए हैं। इसलिए, भारतीय टीवी इंडस्ट्री को एक सिस्टम की जरूरत है और उस सिस्टम को इस तरह से मजबूत करने की जरूरत है कि वह टीवी और डिजिटल दर्शकों को समान रूप से माप सके।
मल्टीपल ऑडियंस मेजरमेंट सिस्टम होने पर डाबर के प्रवक्ता ने कहा, "समस्या को हल करने के लिए, आपको दूसरी समस्या नहीं बनानी चाहिए, बल्कि समस्या को ठीक करना चाहिए।" पीटीसी के रबिन्द्र नारायण, जो प्रस्ताव के पक्ष में खड़े थे, ने कहा, “तथ्य यह है कि हम यहां खड़े हैं और इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं, तो इसका मतलब है कि मौजूदा प्रणाली में विश्वास और विश्वसनीयता की कमी है। हम यह भी आधार बना रहे हैं कि टीवी रेटिंग्स से हमारा तात्पर्य केवल लीनियर टीवी रेटिंग्स से है क्योंकि BARC यही करता है।
उन्होंने आगे बताया कि BARC इमेज मैपिंग के जरिए मीटरमेंट करता है और इसलिए, जब कोई चैनल किसी भी प्लेटफॉर्म पर अपना वॉटरमार्क डालता है, तो यह BARC के लिए मापने योग्य हो जाना चाहिए क्योंकि उनके पास पहले से ही इसकी तकनीक है।
उन्होंने कहा कि तो फिर वे ऐसा क्यों नहीं करते? क्योंकि उन्हें अधिक निवेश की नहीं बल्कि एनालिसिस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। समस्या यह है कि इकोसिस्टम उन रेटिंग्स के विस्तार की अनुमति नहीं दे रहा है।
आज, BARC का कहना है कि 100 में से 9 लोग PTC देखते हैं, जो असंभव है और ऐडवर्टाइजर्स तदनुसार ऐड रेट्स के लिए मोलभाव करते हैं। चैनल आज भी अच्छे शो में निवेश कर रहे हैं, लेकिन BARC के डेटा के कारण ऐडवर्टाइजर्स की दिलचस्पी कम है। यदि इसमें कोई सच्चाई है, तो PTC जैसे खिलाड़ी एकाधिक रेटिंग सिस्टम के लिए क्यों नहीं लड़ेंगे?
इस दौरान मोना जैन ने कहा, “जब चंद्रयान लॉन्च किया गया था, तो दुनिया और भारत में हर कोई इसे देख रहा था, लेकिन यदि आप BARC डेटा देखें, तो उस विशेष सप्ताह में न्यूज जॉनर की रेटिंग कम हुई थी। क्या यह संभव है? न्यूज जॉनर को लेकर BARC जो रेटिंग्स का अनुमान लगा रही है, तो रेटिंग्स उससे कहीं अधिक है।
चंद्रयान के लॉन्च वाले दिन भी, BARC डेटा में कोई उछाल नहीं आया। मोना जैन और रबिन्द्र नारायण दोनों का मानना है कि मौजूदा सिस्टम त्रुटिपूर्ण और पक्षपाती है क्योंकि इसे मुट्ठी भर लोगों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
रबिन्द्र नारायण ने कहा, “तथ्य यह है कि हम यह चर्चा कर रहे हैं, इसका तात्पर्य यह है कि मौजूदा सिस्टम में विश्वास की कमी है। इसमें विश्वसनीयता का अभाव है। BARC केवल लीनियर टीवी का विश्लेषण करता है, जो सैटेलाइट और केबल के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। आज टीवी देखना सिर्फ लीनियर टीवी नहीं है, इसके कई रूप हैं जैसे कनेक्टेड टीवी और फास्ट टीवी एक ही स्क्रीन पर आते हैं, लेकिन BARC इसे माप नहीं रहा है।''
नारायण ने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि कुछ नया किया जाए और केवल टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स के बजाय कंटेंट रेटिंग पर ध्यान दिया जाए।
उन्होंने का कि BARC के अनुसार, पूरे देश में न्यूज जॉनर की पहुंच 6-7% है, यदि यह सच है तो राजनेता न्यूज चैनलों पर विज्ञापन पर खर्च करने के लिए ही क्यों उत्सुक हैं? जनरल एंटरटेनमेंट चैनलों पर क्यों नहीं? इस बाइबिल (BARC) जो कि कबाड़ है, के आधार पर ऐडवर्टाइजर्स द्वारा अधिकतम कंज्युमर्स तक पहुंचने के लिए सारा पैसा क्यों खर्च किया जाता है? जब तकनीक और सिस्टम बदल रहे हैं तो हम टीवी रेटिंग पॉइंट्स के लिए क्यों लड़ रहे हैं, कंटेंट रेटिंग पॉइंट्स के लिए क्यों नहीं?
उन्होंने तर्क दिया, “रेटिंग की वर्तमान प्रणाली (BARC द्वारा) त्रुटिपूर्ण और पक्षपाती है, क्योंकि इसे मुट्ठी भर लोगों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ब्रॉडकास्टर लॉबी को चार व्यावसायिक घरानों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, इसलिए यह हमेशा उनके पक्ष में रहेगा। डेटा भी यही दिखाता है।''
भारत एक्सप्रेस के वरुण कोहली ने कहा, “BARC अस्तित्व में आया क्योंकि पब्लिशर्स एक अलग रेटिंग प्रणाली चाहते थे और फिर एक तंत्र की कल्पना की गई। अब, उस प्रणाली पर सिर्फ इसलिए सवाल उठाना क्योंकि रेटिंग सही अनुपात में नहीं है या यह डिजिटल दर्शकों को मैप नहीं करती है और इसके अलावा एक अलग निकाय की ही मांग करना, मुझे नहीं लगता कि यह सही तरीका है।
समाधान के तौर पर उन्होंने सुझाव दिया कि इंडस्ट्री को एक साथ आने और BARC के साथ अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने की जरूर है ताकि उन्हें बताया जा सके कि और क्या चाहिए और वे कहां बेहतर हो सकते हैं।
चिंतामणि राव ने यह भी सुझाव दिया कि एकाधिक खिलाड़ियों के बजाय एक एग्रीगेटर रखना बेहतर है। उस स्थिति में, एग्रीगेटर डेटा प्रदाता भी बन सकता है। BARC हमेशा विभिन्न स्रोतों से कई डेटा एकत्र कर सकता है और उसे प्रस्तुत कर सकता है।
दर्शकों की सही ढंग से मैपिंग करने से भी एक तरह से समस्या का समाधान हो जाएगा, जो प्रमुख रूप से ISEC के साथ किया जाएगा। राजीव दुबे ने कहा, यूनिफाइड मीजरमेंट होना भी एक अन्य समाधान है।
वहीं, कार्तिक शर्मा के अनुसार, “एक से अधिक खिलाड़ी होने से निश्चित रूप सेमे नवीनता को बढ़ावा मिलेगा और थोड़ी प्रतिस्पर्धा होगी, जो अच्छी है। अलग-अलग रेटिंग सिस्टम अलग-अलग लक्ष्य खंडों, समूहों और अन्य पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
“हमें स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, न कि लीनियर टीवी या डिजिटल पर। यह एक स्क्रीन-आधारित दुनिया है और लोग केवल वही कंटेंट देख रहे हैं, जो उनके लिए सार्थक है। इसलिए विभिन्न प्रकार के उपभोगों के लिए विभिन्न प्रकार के मीजरमेंट की आवश्यकता है। मेरा तर्क है कि इनोवेशन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सही समय है।
उन्होंने कहा कि कंज्युमर मोबाइल या टीवी सेट के माध्यम से स्क्रीन को देख रहा है। हम इसे कैसे माप रहे हैं? कुछ प्रतिस्पर्धा होना बेहतर है। यह मानसिकता रखना महत्वपूर्ण है कि एक प्रणाली दूसरे की कैसे मदद कर सकती है। मौजूदा प्रणाली गलत नहीं है, लेकिन नई प्रणाली हमारे पास जो कुछ है उसे बढ़ा सकती है।
रबिन्द्र नारायण ने निष्कर्ष निकाला कि टेलीविजन देखने और इसके इस्तेमाल के तरीकों में बदलाव आया है। या तो BARC बदलते समय के अनुरूप आगे बढ़े या दूसरों को आगे आकर इस अंतर को भरना चाहिए। मार्केट की ताकतें ही तय करेंगी कि कौन रहेगा और कौन जाएगा, किसका डेटा प्रामाणिक है और किसका नहीं। लिहाजा यहां चर्चा की कोई जरूरत ही नहीं है।”
Omnicom Advertising India ने बताया है कि अब Ulka और Mudra के कुछ हिस्से BBDO Group के तहत काम करेंगे।
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Samachar4media Bureau
ओम्निकॉम ऐडवर्टाइजिंग इंडिया (Omnicom Advertising India) ने बताया कि अब Ulka और Mudra के कुछ हिस्से BBDO Group के तहत काम करेंगे।
कंपनी के एक स्पोक्सपर्सन ने IMPACT को बताया, “BBDO Group में BBDO India, Ulka और Mudra के कुछ हिस्से शामिल होंगे। कुछ क्लाइंट और काम की निरंतरता के आधार पर FCB और DDB के कुछ हिस्सों को McCann और BBDO Group में शिफ्ट किया जाएगा। इसके अलावा Volkswagen क्लाइंट के लिए Bernbach नाम की मल्टी-मार्केट टीम भी होगी, जो DDB के फाउंडर Bill Bernbach और कार कंपनी के संबंध को मान्यता देती है। नेतृत्व से जुड़े फैसले तब सार्वजनिक किए जाएंगे जब तैयार होंगे।”
इस हफ्ते पहले रिपोर्ट आयी थी कि Omnicom Group अपनी ग्लोबल ऑपरेशन को सरल बनाने और डुप्लिकेट काम कम करने के लिए कई एजेंसी ब्रैंड्स बंद करने वाला है।
सूत्रों के अनुसार, नए स्ट्रक्चर के तहत यह बदलाव मुख्य रूप से उन बिजनेस यूनिट्स में होंगे जहां Omnicom और IPG की सेवाएं ओवरलैप करती हैं, खासकर क्रिएटिव, मीडिया बायिंग, प्रोडक्शन और ऑपरेशनल सपोर्ट में। उद्देश्य है डुप्लीकेट काम हटाना, प्लेटफॉर्म और सिस्टम को एकीकृत करना और एक लचीला स्ट्रक्चर बनाना जो ग्लोबली स्केल कर सके।
Omnicom Group ने पहले ही घोषणा की है कि DDB, FCB और MullenLowe जैसे लेगसी ब्रैंड्स अब स्वतंत्र ग्लोबल नेटवर्क के रूप में नहीं रहेंगे। नए स्ट्रक्चर में तीन मुख्य क्रिएटिव नेटवर्क होंगे: BBDO, McCann और TBWA।
नेतृत्व की स्थिति में भी बदलाव की जानकारी दी गई है: John Wren सीईओ और चेयरमैन बने रहेंगे, Phil Angelastro ईवीपी व सीएफओ रहेंगे, जबकि Philippe Krakowsky और Daryl Simm को-प्रेजिडेंट्स और सीओओ बनेंगे। Krakowsky, Patrick Moore और E. Lee Wyatt Jr. Omnicom बोर्ड में शामिल होंगे। पूरी नेतृत्व संरचना 1 दिसंबर 2025 को सामने आएगी।
शेमारू एंटरटेनमेंट (Shemaroo Entertainment Limited) को मुंबई के डिप्टी कमिश्नर ऑफ स्टेट टैक्स कार्यालय से नोटिस मिला है।
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Vikas Saxena
शेमारू एंटरटेनमेंट (Shemaroo Entertainment Limited) को मुंबई के डिप्टी कमिश्नर ऑफ स्टेट टैक्स कार्यालय से नोटिस मिला है। यह नोटिस CGST/MGST एक्ट 2017, IGST एक्ट 2017 और Goods and Services Tax (Compensation to States) Act, 2017 के तहत GST ऑडिट (अप्रैल 2021 – मार्च 2022) के दौरान जारी किया गया है। नोटिस की राशि लगभग ₹30.61 लाख बताई गई है।
कंपनी ने SEBI के नियमों के तहत जानकारी दी है कि इस नोटिस के खिलाफ कंपनी अपील दायर करने की प्रक्रिया में है और उनका मानना है कि यह मांग सही नहीं है।
कंपनी ने बताया कि इस नोटिस का कंपनी के वित्तीय हालात, संचालन या अन्य गतिविधियों पर कोई गंभीर असर नहीं पड़ेगा।
शेमारू एंटरटेनमेंट देश की एक प्रमुख कंटेंट क्रिएटर, एग्रीगेटर और डिस्ट्रीब्यूटर कंपनी है, जो मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम करती है। कंपनी की शुरुआत 1962 में बुद्धिचंद मारू ने शेमारू नाम से एक बुक-सर्कुलेटिंग लाइब्रेरी के रूप में की थी। इसके बाद 1979 में शेमारू ने भारत का पहला वीडियो रेंटल बिजनेस भी शुरू किया।
आज कंपनी किताबों से लेकर फिल्मों, वीडियो और डिजिटल कंटेंट तक की एक लंबी और विकसित यात्रा तय कर चुकी है और भारतीय मीडिया इंडस्ट्री में एक भरोसेमंद नाम बन चुकी है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स (Netflix) वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी (Warner Bros Discovery) के फिल्म व टीवी स्टूडियोज के साथ उसके स्ट्रीमिंग एसेट्स HBO Max को खरीदने के लिए विशेष बातचीत कर रहा है।
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Samachar4media Bureau
ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स (Netflix) वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी (Warner Bros Discovery) के फिल्म व टीवी स्टूडियोज के साथ उसके स्ट्रीमिंग एसेट्स HBO Max को खरीदने के लिए विशेष बातचीत कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह खबर निकलकर सामने आ रही है। इस डील का अनुमानित मूल्य प्रति शेयर 28 डॉलर बताया जा रहा है, जो मीडिया की दुनिया में बड़े बदलाव ला सकती है।
यदि यह डील होती है, तो Netflix + HBO Max का कम्बिनेशन संभवतः ग्राहकों के लिए फायदे वाला हो सकता है। बातचीत में यह प्रस्ताव रखा गया है कि दोनों प्लेटफार्म को एक पैकेज में देने से स्ट्रीमिंग की कुल लागत कम हो सकती है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की मानें तो Netflix वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी की संपत्तियों के लिए शीर्ष बोलीदाता के रूप में उभर रहा है।
वहीं ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार, यदि नियामक इस डील को रोकते हैं तो Netflix 5 बिलियन डॉलर का ब्रेकअप फीस देने के लिए तैयार है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनियां इस समझौते की घोषणा कुछ ही दिनों में कर सकती हैं। CNBC ने पहले बताया कि Netflix ने प्रस्ताव में 85% नकद के साथ ये संपत्तियां खरीदने का ऑफर रखा है। लेकिन इस सौदे को लेकर विवाद और सवाल भी उठ रहे हैं।
Variety की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संभावित डील की खबर के बाद हॉलीवुड के कई प्रमुख फिल्म प्रड्यूसर्स ने अमेरिकी कांग्रेस से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है और चेतावनी दी है कि Netflix की बोली सफल होने पर आर्थिक और संस्थागत संकट उत्पन्न हो सकता है।
Wall Street Journal के अनुसार, Warner Bros Discovery ने गुरुवार तक अन्य संभावित खरीदारों से नई बोली मांगी है, क्योंकि Paramount Skydance ने आरोप लगाया कि वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी का बिक्री प्रक्रिया अन्य बोलीदाताओं के मुकाबले Netflix को फायदा पहुंचा रही है।
इस हफ्ते की शुरुआत में Warner Bros Discovery ने Paramount, Comcast और Netflix से बेहतर बोली मांगने के बाद उनसे बेहतर ऑफर्स प्राप्त किए। Paramount की लीगल टीम ने वार्नर ब्रदर्स डिस्कवरी के सीईओ डेविड जासलव को लिखे पत्र में बोली प्रक्रिया की “न्यायसंगतता और पर्याप्तता” पर सवाल उठाए और रिपोर्ट्स का हवाला दिया कि कंपनी का प्रबंधन Netflix के प्रस्ताव को प्राथमिकता दे रहा है।
डेविड एलिसन के नेतृत्व वाली Paramount Skydance ने यह भी पूछा कि क्या Warner Bros Discovery ने स्वतंत्र विशेष समिति बनाई है जो बिना पक्षपात के बोर्ड सदस्यों के साथ सभी ऑफर्स का मूल्यांकन कर सके और बिक्री प्रक्रिया की निगरानी कर सके। Paramount की लीगल टीम ने पत्र में कहा, “हम जोर देकर कहते हैं कि ऐसी विशेष समिति को सशक्त बनाएं जिसमें ऐसे निदेशक हों जिनका किसी और के हितों से पक्षपात या असर न हो, जो शेयरधारकों के हितों से अलग हो सकते हैं।”
रॉयटर्स की टिप्पणियों के लिए Paramount और Comcast ने तुरंत जवाब नहीं दिया। Paramount ने पूरी कंपनी खरीदने का प्रयास किया है। अक्टूबर में Warner Bros Discovery बोर्ड ने लगभग 60 बिलियन डॉलर की Paramount की बोली को खारिज कर दिया था और इसके बाद औपचारिक बिक्री प्रक्रिया शुरू की थी।
वरिष्ठ पत्रकार जैकब मैथ्यू को Associated Broadcasting Co. Pvt. Ltd (TV9) में नेटवर्क कॉर्डिनेटिंग एडिटर (Network Coordinating Editor) के पद पर प्रमोट किया गया है।
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Samachar4media Bureau
वरिष्ठ पत्रकार जैकब मैथ्यू को Associated Broadcasting Co. Pvt. Ltd (TV9) में नेटवर्क कॉर्डिनेटिंग एडिटर (Network Coordinating Editor) के पद पर प्रमोट किया गया है। एक्सचेंज4मीडिया को सूत्रों से यह जानकारी मिली है।
जैकब मैथ्यू एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के जाने-माने पत्रकार हैं और उनके पास 30 साल से ज्यादा का अनुभव है। उन्होंने Dunia Vision (फ्रेंच टीवी), ANI-Reuters, CNN, India TV, News24 और TV9 News Network जैसी प्रमुख राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं के साथ काम किया है।
जैकब मैथ्यू न्यू दिल्ली YMCA बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के निर्वाचित डायरेक्टर भी हैं और वह NDYMCA में 2027 तक डायरेक्टर के रूप में सेवा देंगे।
जैकब मैथ्यू ने अक्टूबर 2022 में TV9 डिजिटल में कॉर्डिनेटिंग एडिटर के रूप में काम शुरू किया था। TV9 जॉइन करने से पहले वह News 24 (BAG Network) में वाइस प्रेजिडेंट के पद पर कार्यरत थे।
PwC India ने अपनी नई रिपोर्ट ग्लोबल एंटरटेनटमेंट व मीडिया आउटलुक 2025–29 के भारत से जुड़े नतीजे जारी किए हैं।
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Samachar4media Bureau
PwC India ने अपनी नई रिपोर्ट ग्लोबल एंटरटेनटमेंट व मीडिया आउटलुक 2025–29 के भारत से जुड़े नतीजे जारी किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की एंटरटेनमेंट और मीडिया इंडस्ट्री (E&M) 2024 के 32.2 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2029 में 47.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। यानी हर साल करीब 7.8% की तेज ग्रोथ- जो दुनिया की औसत ग्रोथ (4.2%) से लगभग दोगुनी है।
भारत में यह तेजी डिजिटल सहभागिता, युवा जनसंख्या, बढ़ते ब्रॉडबैंड एक्सेस और ऑनलाइन कंटेंट की बढ़ती खपत से आ रही है। इससे दर्शकों की पसंद और व्यवहार बदल रहे हैं और प्लेटफॉर्म्स, विज्ञापनदाताओं और क्रिएटर्स के लिए नए मौके बन रहे हैं। उपभोक्ता अब पर्सनलाइजेशन, इमर्सिव फॉर्मेट और क्षेत्रीय कंटेंट की तलाश कर रहे हैं, जबकि व्यवसाय टेक्नोलॉजी और एनालिटिक्स का इस्तेमाल करके इन बदलावों का जवाब दे रहे हैं।
इस सेक्टर की ग्रोथ को आर्थिक विकास, बढ़ती खर्च करने की क्षमता और डिजिटल सर्विसेज की तेजी से अपनाने से भी मदद मिल रही है। भारत लाइव एंटरटेनमेंट के लिए एक उभरता हब बन रहा है, जहां ग्लोबल और क्षेत्रीय इवेंट्स में बड़ी संख्या में लोग हिस्सा ले रहे हैं। इन सभी फैक्टर्स के मिलकर भारत में एक ज्यादा इंटरएक्टिव, क्रिएटर-लीड और टेक-एनेबल्ड मीडिया परिदृश्य बना रहे हैं।
PwC India के पार्टनर और मीडिया, एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स लीडर राजेश सेठी ने कहा, “भारत का E&M सेक्टर ग्लोबल ग्रोथ से आगे बढ़ रहा है। डिजिटल मार्केट्स की गहराई, विज्ञापन-आधारित फॉर्मेट की तेजी और नए क्रिएटर्स की मांग के चलते यह सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है। उपभोक्ता एंगेजमेंट, बेहतर आर्थिक स्थिति और टेक्नोलॉजी से जुड़े बिजनेस मॉडल भी इस ग्रोथ को सपोर्ट कर रहे हैं।”
रिपोर्ट में बताए गए बड़े ट्रेंड
1. इंटरनेट विज्ञापन में सबसे तेज ग्रोथ
रिपोर्ट में भारत के E&M सेक्टर के कुछ मुख्य ट्रेंड्स भी बताए गए हैं। इंटरनेट विज्ञापन लगातार बढ़ रहा है और 2024 में 6.25 बिलियन डॉलर से 2029 तक 13.06 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 15.9% की CAGR दर्शाता है। मोबाइल-फर्स्ट खपत, क्षेत्रीय डिजिटल कैंपेन और सब्सक्रिप्शन-आधारित मॉडल अगले ग्रोथ वेव को आकार दे रहे हैं।
2. OTT प्लेटफॉर्म्स की पकड़ मजबूत
OTT प्लेटफॉर्म भी क्षेत्रीय और सब्सक्रिप्शन-आधारित ग्रोथ के साथ मजबूत हो रहे हैं। 2024 में 2.27 बिलियन डॉलर के रिवेन्यू से 2029 तक यह 3.47 बिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगा। इसमें क्षेत्रीय कंटेंट, डायरेक्ट-टू-कस्टमर मॉडल और बढ़ती सब्सक्राइबर संख्या का योगदान है। प्लेटफॉर्म्स और प्रीमियम फॉर्मेट में रणनीतिक निवेश भी मोनेटाइजेशन को मजबूत कर रहे हैं।
3. गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स की रफ्तार जारी
गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स में भी लगातार ग्रोथ देखी जा रही है। मोबाइल गेमिंग, वीडियो गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स का रिवेन्यू 2024 में 2.79 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2029 में 3.96 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। इसमें इमर्सिव फॉर्मेट्स, बेहतर इन-ऐप मोनेटाइजेशन और युवा ऑडियंस की गहरी भागीदारी का योगदान है।
4. टीवी और प्रिंट की पकड़ कायम
पारंपरिक मीडिया भी क्षेत्रीय ऑडियंस के समर्थन से मजबूत बना हुआ है। टीवी का रिवेन्यू 2024 में 13.97 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2029 में 18.11 बिलियन डॉलर तक जाएगा। प्रिंट का रिवेन्यू 3.5 बिलियन डॉलर से 4.2 बिलियन डॉलर तक बढ़ेगा, जो 3.3% की CAGR दिखाता है। यह क्षेत्रीय रीडरशिप और विज्ञापनदाताओं के भरोसे को दर्शाता है।
5. बड़े बिजनेस में बदल रहा स्पोर्ट्स सेक्टर
स्पोर्ट्स और लाइव एक्सपीरियंस अब उच्च-मूल्य वाले एंटरटेनमेंट असेट्स बनते जा रहे हैं। भारत के स्पोर्ट्स सेक्टर का 2024 में 4.6–5.0 बिलियन डॉलर का रिवेन्यू था, जो 2029 तक 7.8 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। स्पोर्ट्स में निवेश अब तेजी से संस्थागत स्तर के असेट्स में बदल रहा है।
6. AI और क्रिएटर इकॉनमी का दबदबा
AI और क्रिएटर इकोनॉमी कंटेंट क्रिएशन और मोनेटाइजेशन को नया रूप दे रहे हैं। AI के जरिए लोकलाइजेशन, ऑटोमेटेड एडिटिंग, पर्सनलाइजेशन और नए कंटेंट फॉर्मेट्स संभव हो रहे हैं। भारत की क्रिएटर इकोनॉमी अब 4 मिलियन लोगों का मजबूत नेटवर्क बन चुकी है, जो एंटरटेनमेंट, कॉमर्स, ट्रैवल और लाइफस्टाइल को प्रभावित कर रही है और AI-एनेबल्ड वर्कफ्लो इसे पावर दे रहे हैं।
रिपोर्ट में भारत के E&M सेक्टर को ग्लोबल स्तर पर नवाचार और ग्रोथ की मिसाल बताया गया है। रणनीतिक निवेश, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मजबूत एंगेजमेंट के साथ, भारत अपनी एंटरटेनमेंट कहानी को पूरी तरह से नया रूप देने के लिए तैयार है।
PwC India के चीफ क्लाइंट्स और अलायंसेस ऑफिसर मनप्रीत सिंह आहुजा ने कहा, “यह सिर्फ छोटे सुधारों की कहानी नहीं है, बल्कि बिजनेस मॉडल के नए जन्म की कहानी है। हम एक ऐसे मोड़ पर हैं जहां टेक्नोलॉजी- खासकर AI मूल रूप से कंटेंट के क्रिएशन, डिस्कवरी, मोनेटाइजेशन और एक्सपीरियंस को बदल रही है। AI-आधारित प्रोडक्शन, सटीक पर्सनलाइजेशन और इमर्सिव फॉर्मेट पूरे E&M परिदृश्य में वैल्यू को मूव कर रहे हैं। लेकिन कोई भी अकेला खिलाड़ी इस भविष्य को हासिल नहीं कर सकता। अगली पीढ़ी जुड़े हुए इकोसिस्टम की होगी, जहां क्लाउड प्लेटफॉर्म्स, AI इनोवेटर्स, क्रिएटिव पावरहाउस और मीडिया एंटरप्राइज मिलकर कुछ बड़ा और ज्यादा असरदार तैयार करेंगे। जब ये ताकतें मिलेंगी, तो नई मोनेटाइजेशन संभावनाएं खुलेंगी और कॉस्ट स्ट्रक्चर भी बेहतर होगा, जिससे कंपनियां तेजी से स्केल कर सकेंगी और कम खर्च में ऑपरेट कर सकेंगी।”
डॉ. संदीप गोयल भारत के सबसे प्रभावशाली विज्ञापन, मीडिया और ब्रैंड रणनीति के लीडर्स में शुमार हैं।
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Samachar4media Bureau
डॉ. संदीप गोयल भारत के सबसे प्रभावशाली विज्ञापन, मीडिया और ब्रैंड रणनीति के लीडर्स में शुमार हैं। उनके करियर में चार दशकों से अधिक का अनुभव है, जिसमें विज्ञापन, प्रसारण, डिजिटल इनोवेशन, ब्रैंड कंसल्टेंसी और सार्वजनिक सेवा शामिल हैं। उनके जन्मदिन (5 दिसंबर) के मौके पर उनके प्रोफेशनल जर्नी को याद करना पूरी तरह न्यायसंगत है, जो भारत की सबसे ताकतवर मीडिया और मार्केटिंग संस्थाओं में नेतृत्व के लिए जाना जाता है।
वर्तमान में डॉ. गोयल Rediffusion Brand Solutions Pvt. Ltd. के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, यह पद उन्होंने मई 2021 से संभाला है। उनके नेतृत्व में Rediffusion ने अपनी क्रिएटिव फोकस को तेज किया है, रणनीतिक क्षमताओं का विस्तार किया है और खुद को एक आधुनिक, इनसाइट्स-लीड एजेंसी समूह के रूप में दोबारा स्थापित किया है।
जून 2020 से डॉ. गोयल पंजाब CSR अथॉरिटी, पंजाब सरकार के CEO भी हैं। इस सार्वजनिक नेतृत्व भूमिका में उन्होंने CSR गवर्नेंस और पार्टनरशिप्स का संचालन किया है, ताकि राज्य के विकास परिणामों को मजबूत किया जा सके। यह उनके सामाजिक प्रभाव और जिम्मेदार कॉर्पोरेट एंगेजमेंट के प्रति प्रतिबद्धता का महत्वपूर्ण विस्तार है।
साथ ही, डॉ. गोयल Mogae Media के चेयरमैन भी हैं, जिसे उन्होंने 2011 में सह-स्थापित किया था। पिछले 14+ वर्षों में Mogae ने डिजिटल मार्केटिंग, मोबाइल एंगेजमेंट और कंटेंट-ड्रिवेन ब्रैंड सॉल्यूशंस में मजबूत पहचान बनाई है। Mogae में उनका उद्यमी काम भारत के मोबाइल-फर्स्ट विकास को पहले ही पहचान लेने और क्रिएटिविटी को तकनीक के साथ जोड़ने की क्षमता को दर्शाता है।
डॉ. गोयल का Dentsu India में 2003 से 2011 तक का कार्यकाल उनके करियर का एक मील का पत्थर रहा। उन्होंने Dentsu की भारत में स्थापना और विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश के सबसे बड़े और विविध मार्केटिंग नेटवर्क में से एक के लिए आधार तैयार किया। उनके नेतृत्व को अक्सर जापानी सटीकता, अनुशासन और लंबी अवधि की ब्रैंड सोच को भारतीय विज्ञापन परिदृश्य में लाने के लिए याद किया जाता है।
Dentsu से पहले, डॉ. गोयल 2001 से 2002 तक Zee Telefilms Ltd. के Group CEO रहे। उस समय भारतीय टेलीविजन में बड़ा परिवर्तन हो रहा था। Zee में उन्होंने कंटेंट, डिस्ट्रीब्यूशन और विकास रणनीतियों का संचालन किया, जिससे नेटवर्क की प्रासंगिकता और प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत हुई।
1997 से 2001 तक, वे Rediffusion Y&R के प्रेसिडेंट रहे, जहां उन्होंने प्रमुख ब्रैंड्स के लिए एजेंसी की रणनीतिक और क्रिएटिव दिशा का नेतृत्व किया। इस प्रारंभिक नेतृत्व भूमिका ने उनके उपभोक्ता व्यवहार, ब्रैंड उद्देश्य और बड़े पैमाने पर कम्युनिकेशन को समझने में मदद की।
इसके अलावा, डॉ. संदीप गोयल Snap Inc. के इंडिया एडवाइजरी बोर्ड के चेयरमैन और Indian Institute of Human Brands (IIHB) के चीफ मेंटर भी हैं। सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट, ब्रैंड एम्बेसडर और कंज्यूमर इनसाइट मैपिंग में उनके व्यापक काम ने उन्हें भारत में ब्रैंड-ह्यूमन रिलेशनशिप का प्रमुख विशेषज्ञ बना दिया है।
डॉ. गोयल एक बहुआयामी नेता, विज्ञापन रणनीतिज्ञ, उद्यमी, अकादमिक चिंतक और सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यकारी हैं। उनका करियर लगातार नेतृत्व, नवाचार और ब्रैंड्स की शक्ति में गहरी आस्था को दर्शाता है, जो संस्कृति और समाज को आकार देने में सक्षम है।
नागालैंड के लोकसभा सांसद सुपोंगमेरेन जामिर ने राज्य के सार्वजनिक प्रसारण संस्थानों में गहरी प्रशासनिक और संचालन संबंधी समस्याओं को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
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Samachar4media Bureau
नागालैंड के लोकसभा सांसद सुपोंगमेरेन जामिर ने राज्य के सार्वजनिक प्रसारण संस्थानों में गहरी प्रशासनिक और संचालन संबंधी समस्याओं को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
1 दिसंबर 2025 को सांसद ने लोकसभा के नियम 377 के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को बताया कि कोहिमा स्थित आकाशवाणी केंद्र और दूरदर्शन केंद्र में स्टाफ की भारी कमी और पूर्णकालिक नेतृत्व की अनुपस्थिति है।
सांसद द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार:
आकाशवाणी केंद्र कोहिमा: कुल 260 पदों में से केवल 90 भरे हैं, यानी 170 पद खाली हैं।
दूरदर्शन केंद्र कोहिमा: 144 पदों में से केवल 55 भरे हैं, यानी 89 पद खाली हैं।
सबसे बड़ी समस्या यह है कि दोनों केंद्रों में पूर्णकालिक स्टेशन डायरेक्टर (हेड ऑफ ऑफिस) नहीं हैं। वर्तमान में प्रशासन और संचालन असम के डिब्रूगढ़ से डिप्टी डायरेक्टर जनरल द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। इस कारण निर्णय लेने, मंजूरी देने और प्रसारण गतिविधियों और मेंटेनेंस सेंटरों के संचालन में देरी हो रही है।
सांसद जामिर ने कहा कि यह प्रशासनिक खालीपन और व्यापक पद रिक्तता प्रसार भारती के मिशन को कमजोर कर रही है, जो नागालैंड की सांस्कृतिक विरासत, भाषाई विविधता और विकास की कहानियों को जनता तक पहुंचाने का माध्यम है।
उन्होंने मंत्रालय से आग्रह किया है कि तुरंत:
दोनों केंद्रों के लिए पूर्णकालिक हेड्स की नियुक्ति की जाए,
सभी खाली पदों को भरा जाए,
तकनीकी स्टाफ जैसे टेक्निकल असिस्टेंट और जूनियर टेक्निकल असिस्टेंट की भर्ती तेजी से की जाए, खासकर AIR कोहिमा और मोकोकचुंग लोक रेडियो स्टेशन में।
जामिर ने नागालैंडवासियों को भरोसा दिलाया कि वे लगातार मंत्रालय और अधिकारियों के पास सुनिश्चित करेंगे कि इन संस्थानों को मजबूत बनाया जाए, क्योंकि पूरी तरह से स्टाफ वाले आकाशवाणी और दूरदर्शन सिर्फ प्रशासनिक आवश्यकता नहीं, बल्कि राज्य के लिए लोकतांत्रिक आवश्यकता भी हैं।
बालाजी टेलीफिल्म्स ने अपने एम्प्लॉयीज को ESOP (Employee Stock Ownership Plan) के तहत शेयर देने का फैसला किया है।
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Vikas Saxena
बालाजी टेलीफिल्म्स ने अपने एम्प्लॉयीज को ESOP (Employee Stock Ownership Plan) के तहत शेयर देने का फैसला किया है। कंपनी की नॉमिनेशन और रेम्यूनरेशन कमेटी ने 2 दिसंबर 2025 को सर्कुलेशन के जरिए पास हुए प्रस्ताव में कुल 2,75,000 शेयर जारी करने की मंजूरी दे दी।
ये शेयर बालाजी टेलीफिल्म्स के ESOP 2017 और ESOP 2023 स्कीम के तहत योग्य एम्प्लॉयीज को दिए गए हैं। कंपनी ने बताया कि ये शेयर सभी एम्प्लॉयीज को सामान्य बाजार कीमत से काफी कम दामों पर मिलेंगे:
2,50,000 शेयर ₹65.33 प्रति शेयर की कीमत पर (ये शेयर 11 फरवरी 2022 को दिए गए स्टॉक ऑप्शन्स पर आधारित हैं)
25,000 शेयर ₹55.28 प्रति शेयर की कीमत पर (ये शेयर 9 नवंबर 2023 को दिए गए स्टॉक ऑप्शन्स पर आधारित हैं)
शेयर जारी होने के बाद कंपनी की पेड-अप शेयर कैपिटल बढ़ गई है, क्योंकि हर शेयर की फेस वैल्यू 2 रुपए है।
इसलिए नए शेयरों की कुल फेस वैल्यू = 2,75,000 × ₹2 = ₹5,50,000
इस वजह से कंपनी की पेड-अप कैपिटल पहले ₹23,94,19,688 थी, जो अब बढ़कर ₹23,99,69,688 हो गई है।
कंपनी ने कहा कि जिन नए शेयरों को एम्प्लॉयीज को दिए जा रहे हैं, वे पुराने शेयरों के समान होंगे। इसका मतलब है कि इन नए शेयरों को भी वही अधिकार मिलेंगे जो पुराने शेयरों को हैं, जैसे डिविडेंड पाने का अधिकार और वोटिंग का अधिकार।
Eros इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड की 31वीं वार्षिक आम बैठक 1 दिसंबर 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई। कंपनी ने बताया कि AGM में रखे गए सभी प्रस्ताव शेयरधारकों ने भारी बहुमत से मंजूर कर दिए हैं।
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Vikas Saxena
Eros इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड की 31वीं वार्षिक आम बैठक (AGM) 1 दिसंबर 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई। कंपनी ने बताया कि AGM में रखे गए सभी प्रस्ताव शेयरधारकों ने भारी बहुमत से मंजूर कर दिए हैं।
कंपनी के मुताबिक, AGM से पहले और AGM के दौरान शेयरधारकों के लिए ई-वोटिंग की सुविधा दी गई थी, ताकि वे सभी मुद्दों पर आसानी से वोट कर सकें। वोटों की गिनती की जिम्मेदारी कंपनी ने एक स्क्रूटिनाइजर यानी स्वतंत्र अधिकारी को सौंपी थी, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में पुष्टि की है कि सभी प्रस्ताव पास हो गए।
बैठक में तीन अहम प्रस्ताव रखे गए थे-
पहला, कंपनी के 2024-25 के ऑडिटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स को मंजूरी देना। यह प्रस्ताव 99% से ज्यादा वोटों के साथ पास हो गया।
दूसरा, कंपनी के डायरेक्टर विजय ठक्कर का दोबारा कार्यकाल के लिए चयन। यह प्रस्ताव भी लगभग 100% वोटों से पास हुआ। विजय ठक्कर इस बार रोटेशन के तहत अपने पद से औपचारिक रूप से रिटायर हो रहे थे, लेकिन वे दोबारा काम जारी रखने के लिए तैयार हैं। इसलिए कंपनी ने उन्हें फिर से डायरेक्टर के तौर पर नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा था, जोकि बारी बहुमत से पास हो गया है।
तीसरा और खास प्रस्ताव था- MD व एग्जिक्यूटिव वाइस चेयरमैन सुनील लुल्ला को 2024-25 में दी गई अतिरिक्त सैलरी को माफ करने की मंजूरी। यह प्रस्ताव भी बहुमत से पास हो गया।
कंपनी ने कहा कि AGM और ई-वोटिंग पूरी तरह नियमों के मुताबिक और पारदर्शी तरीके से कराई गई। सभी वोटों की संयुक्त रिपोर्ट स्टॉक एक्सचेंज को भी भेज दी गई है।
जी एंटरटेनमेंट ने उन खबरों पर स्पष्टीकरण दिया है जिनमें कहा गया था कि कंपनी सोनी के साथ मर्जर फेल होने के बाद और ज्यादा छंटनी कर रही है।
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Vikas Saxena
जी एंटरटेनमेंट ने उन खबरों पर स्पष्टीकरण दिया है जिनमें कहा गया था कि कंपनी सोनी के साथ मर्जर फेल होने के बाद और ज्यादा छंटनी कर रही है। कंपनी ने साफ कहा है कि यह खबर भ्रामक है।
कंपनी के मुताबिक वह अपनी ‘ओम्नी-चैनल’ रणनीति के तहत अलग-अलग बिजनेस डिविजन्स को दोबारा व्यवस्थित कर रही है ताकि काम- तेज, आसान और बेहतर तरीके से हो सके। जी ने कहा कि यह प्रक्रिया पहले से चल रही है और समय-समय पर बिजनेस जरूरतों के हिसाब से बदलाव किए जाते रहते हैं। इसका कंपनी की रोजमर्रा की कामकाज या परफॉर्मेंस पर कोई असर नहीं पड़ता।
जी एंटरटेनमेंट ने यह भी याद दिलाया कि 5 अप्रैल 2024 को कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को एक प्रेस रिलीज भेजी थी, जिसमें बताया गया था कि कंपनी करीब 15% एम्प्लॉयीज की कटौती करते हुए ‘लीन ऑर्गनाइजेशन’ बनाने की दिशा में काम कर रही है। यह प्रक्रिया उसी का हिस्सा है और कोई नई छंटनी नहीं है।
कंपनी ने कहा कि वह हमेशा SEBI के सभी नियमों का पालन करती आई है और आगे भी सभी जरूरी जानकारी समय पर देती रहेगी।