दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। दिशा के वकील ने याचिका में मीडिया ट्रायल रोकने की मांग की थी...
ग्रेटा थनबर्ग टूल किट मामले में दिशा रवि की गिरफ्तारी पर हंगामा जारी है। शुक्रवार दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। दिशा के वकील ने याचिका में मीडिया ट्रायल रोकने की मांग की थी, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने मीडिया ट्रायल रोकने से इनकार कर दिया और मीडिया को निर्देश भी दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि इस मामले को सनसनीखेज ना बनाया जाए और ऐसी खबरें न दिखाई जाएं, जिससे जांच और आरोपी के अधिकार प्रभावित हो।
गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने किसान आंदोलन से जुड़ी टूलकिट साझा करने के मामले में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि की याचिका पर दिल्ली पुलिस व कई मीडिया हाउस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। याचिका में दिशा रवि ने पुलिस पर उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित जांच सामग्री को मीडिया में लीक करने का आरोप लगाया है।
दिशा के वकील ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से दिशा के खिलाफ अपना मामला बना रही है। वकील ने एक विशिष्ट चैनल के वीडियो का उल्लेख करते हुए कहा कि न्यूज एंकर और रिपोर्टर का कहना है कि उन्हें साइबर सेल के स्रोतों से जानकारी मिली है। इस पर कोर्ट ने दिशा के वकील से पूछा कि क्या वह यह दावा करने की कोशिश कर रहे हैं कि पुलिस ने वास्तव में इसे लीक किया था। कोर्ट ने कहा कि ये न्यूज चैनल कह रहे हैं कि उन्हें इसकी सूचना दिल्ली पुलिस से मिली है।
कोर्ट ने कहा कि हम मीडिया से उसके सोर्स के बारे में नहीं पूछ सकते, लेकिन जानकारी सही होना भी जरूरी है। निजता का अधिकार, फ्री स्पीच और देश की संप्रभुता में संतुलन करना जरूरी है। इस मामले में फिलहाल चार किसानों की जानकारी आई है, वह दिखा रही है कि इस मामले में खबरों को सनसनीखेज भी बनाया गया।
कोर्ट ने आगे कहा कि चैनल के एडिटर को भी देखना होगा कि मामले को सनसनीखेज न बनाया जाए और न ही ऐसी खबर की जाएं, जिससे जांच और आरोपी के अधिकार प्रभावित हो।
इसके साथ ही कोर्ट ने दिशा रवि को यह निर्देश भी दिया है कि वह पुलिस की छवि को खराब करने की कोशिश न करें। इससे पहले दिशा के वकील ने मांग की कि केस से जुड़ी हुई जानकारी सार्वजनिक न कि जाए। वकील ने कहा कि दिशा को गिरफ्तार करके दिल्ली लाया गया, लेकिन वकील को जानकारी तक नहीं दी कि दिशा को किस कोर्ट में पेश करेंगे।
दिशा के वकील ने कोर्ट में कहा कि खबरों में ये भी बता दिया गया कि जांच के दौरान पुलिस ने दिशा से क्या-क्या सवाल पूछे। इतना ही नहीं, मीडिया में दिशा का कथित बयान भी चलाया गया। ये सब लीक हुई जानकारी के आधार पर हुआ है।
वहीं, दिल्ली पुलिस के वकील ने कहा कि दिशा के वकील जिन खबरों और ट्वीट की बात कर रहे हैं, अभी उसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। लेकिन अगर कोर्ट चाहे तो इस मामले में सोमवार तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि मीडिया में जो रिपोर्टिंग हो रही है, वह जरूरी नहीं है कि सच हो। कोर्ट ने आदेश दिया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती और चार्जशीट दायर नहीं होती, तब तक केस से जुड़ी कोई जानकारी सार्वजनिक न की जाए।
बता दें कि दिशा की याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस और सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह टूल किट एफआईआर से से जुड़े हुए हैं जो भी जांच है, उसकी जानकारी सार्वजनिक न करें। निशा रवि को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया और उसको लेकर दिल्ली पुलिस बंगलुरु से दिल्ली आ गई बेंगलुरु की अदालत में याचिका दायर करने का मौका नहीं दिया गया। मीडिया ट्राई की वजह से दिशा रवि की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। लिहाज़ा उस पर रोक लगाई जाए। मीडिया में दिशा रवि और ग्रेटा थनबर्ग के बीच की जो वॉट्सऐप चैट चल रही है, उसको भी चलाने से रोका जाए, क्योंकि इससे दिशा रवि के फ्री एंड फेयर ट्रायल के अधिकार को छीना जा रहा है।
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दक्षिणी दिल्ली में ऑटो सवार एक पत्रकार के साथ मोबाइल झपटमारी का मामला सामने आया है। पीड़ित पत्रकार की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर झपटमारों की तलाश शुरू कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक न्यूज एजेंसी में पत्रकार कुणाल दत्त मंगलावार की शाम मोदी मिल फ्लाईओवर पर जा रहे थे। इसी बीच पीछे से मोटरसाइकिल पर आए तीन बदमाश उनका मोबाइल छीनकर भाग गए।
पीड़ित पत्रकार ने इस बात की शिकायत न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन में की, जिसके बाद देर रात पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली। तीनों बदमाशों का पता लगाने के लिए पुलिस इलेक्ट्रॉनिक सर्विलॉन्स का सहारा भी ले रही है।
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कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.शमा मोहम्मद का कहना है कि डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स को विनियमित (regulate) करने के लिए सरकार की हालिया अधिसूचना डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को दबाने का एक प्रयास है।
‘गवर्नेंस नाउ’ (Governance Now) के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी के साथ एक बातचीत में शमा मोहम्मद का कहना था, ‘सिर्फ डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स ही वह बात कहने में सक्षम हैं, जो वह कहना चाहते हैं, इसलिए सरकार अब इन्हें दबाने का प्रयास कर रही है।’
पब्लिक पॉलिसी प्लेटफॉर्म पर ‘विजिनरी टॉक सीरीज’ (Visionary Talk series) के तहत होने वाले इस वेबिनार के दौरान डॉ.शमा मोहम्मद ने कहा, ‘नियम सभी के लिए समान होने चाहिए। बीजेपी की तरफ से तमाम फर्जी खबरें आ रही हैं। यह दिखाता है कि इस तरह की चीजों में पार्टी की मंजूरी होती है।’
कांग्रेस के भीतर असंतोष को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में डॉ.शमा ने कहा कि बीजेपी के विपरीत जहां पर लोग अपने नेता के साथ बैठने में डरते हैं, कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है। प्रधानमंत्री का नाम लिए बिना शमा मोहम्मद का कहना था कि वह अभी सुप्रीम लीडर हैं और वही करते हैं जो चाहते हैं।
शमा मोहम्मद ने कहा, ‘हमें लोगों की बात सुननी होगी और किसानों के मुद्दों को समझना होगा। इन किसानों ने हरित क्रांति के दौरान हमारी मदद की है। तमाम किसानों के बेटे सेना में हैं। हमें लोगों के मुद्दों को समझना होगा। इस सरकार में किसी भी तरह की सहानुभूति का पूरी तरह अभाव है। काफी बेरोजगारी है, महंगाई बढ़ रही है और गरीबों के लिए किसी तरह का कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं है। शासन तब अच्छा होता है, जब लोगों के पास पैसा हो, वे खुश हों और उनके पास घर हों।’
उन्होंने कहा कि कृषि कानून संसद में बिना बहस और चर्चा के पारित हो गए। जब उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा गया। शमा मोहम्मद के अनुसार, ‘इस बिल पर संसद में चर्चा और बहस की जरूरत है। सभी चीजों को सुप्रीम कोर्ट क्यों जाना चाहिए। हम इस सरकार से कुछ भी पूछते हैं तो हमें कहा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल करें। जब हमने राफेल लड़ाकू विमानों पर एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने के लिए कहा, तब भी उन्होंने हमें सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए कहा।’
मोहम्मद ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी और जब उस पर आरोप लगाए गए थे, तो पार्टी अगस्ता वेस्टलैंड समेत सभी मामलों के लिए संयुक्त संसदीय समिति के लिए तैयार थी। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी काफी पारदर्शी थी और जब भी कांग्रेस के किसी मंत्री के खिलाफ कोई आरोप लगता था, तो पार्टी पारदर्शी जांच के लिए मंत्री को इस्तीफा देने के लिए कहती थी। कांग्रेस ने पारदर्शिता का सबसे बड़ा हथियार लोकपाल को बनाया था और तब गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए मोदी ने लोकपाल का विरोध किया था और इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे।’
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कोरोना महामारी के बीच खड़े हुए आर्थिक संकट का सामना मीडिया इंडस्ट्री को भी करना पड़ा है। कुछ कंपनियां अब इससे ऊबर रहीं हैं, तो कुछ ऐसी भी रही हैं जो बंद तक हो गई हैं। पिछले साल के शुरुआत में एक ऐसा मीडिया वेंचर शुरू हुआ था, जो संसदीय कार्यप्रणाली, संसद व सांसदों से जुड़ी खबरों से आपको रूबरू कराता है। इस मीडिया वेंचर का नाम है ‘पार्लियामेंट्री बिजनेस’। यह मीडिया वेंचर भी देश में आए आर्थिक संकट के प्रभाव से बच न सका और भंवर में फंसकर डूबने लगा। हालात ये हो गए कि एम्प्लॉयीज की सैलरी में देरी होने लगी, जिसकी वजह से कई एम्प्लॉयीज ने कंपनी को बाय बोलकर इससे दूरी बना ली।
लेकिन अब जब कई कंपनियां इस संकट से उबरने लगी हैं, तो यह वेंचर भी अपने मार्ग को प्रशस्त करने में जुट गया है और जल्द ही री-लॉन्च की तैयारी कर रहा है। इसी कवायद के तहत वह अपने पूर्व कर्मचारियों के बकाए का भुगतान करने लगा है। इस बीच कंपनी का कहना है कि जिन लोगो के पास कंपनी का कोई भी एसेट किसी ना किसी रूप मे उपलब्ध है, उसे वापस करने के बाद ही उसका भुगतान किया जाएगा।
वहीं कंपनी के प्रबंधन ने उन एम्प्लॉयीज के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की बात कही है, जिन लोगो ने स्वयं ताला लगाकर कंपनी को बदनाम करने की साजिश रची है। यह कार्यवाही सीसीटीवी फुटेज के आधार पर की जाएगी। साथ ही कंपनी ने उन लोगों के नाम भी सार्वजनिक करने की बात कही है।
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सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने दूसरा महत्वपूर्ण दायित्व भारतीय सूचना सेवा के 1988 बैच के अधिकारी सत्येन्द्र प्रकाश को दिया है।
प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के प्रधान महानिदेशक (Principal Director General) के पद पर भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अफसर जयदीप भटनागर को नियुक्त किए जाने के बाद सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने दूसरा महत्वपूर्ण दायित्व भारतीय सूचना सेवा के 1988 बैच के अधिकारी सत्येन्द्र प्रकाश को दिया है। सत्येन्द्र प्रकाश को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए उन्हें ब्यूरो ऑफ आउटरीच कम्युनिकेशन (बीओसी) का प्रधान महानिदेशक बनाया गया है। उन्हें दी गई नई जिम्मेदारी 1 मार्च 2021 से मान्य है।
सत्येन्द्र प्रकाश मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं। सत्येन्द्र प्रकाश प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो से विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) में स्थानांतरित हुए थे और वहां उन्होंने लगातार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई। डीएवीपी के महानिदेशक बने और डीएवीपी को ब्यूरो ऑफ आउटरीच कम्युनिकेशन का स्वरूप दिए जाने के बाद उन्हें इसका महानिदेशक (Director General) नियुक्त किया गया था और तब से वे इसी पद पर कार्यरत थे।
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‘एंटर10’ (Enterr10) मीडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर दीप द्रोण (Deep Drona) ने कंपनी को बाय बोल दिया है। वह करीब एक साल से इस कंपनी में कार्यरत थे। बताया जाता है कि वह इस महीने के अंत तक कंपनी के साथ बने रहेंगे।
‘एंटर10’ मीडिया में सीओओ के तौर पर नेटवर्क की पूरी ग्रोथ की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी। इस नेटवर्क में Dangal TV, Enterr10 Movies, Bhojpuri Cinema, Fakt Marathi और Enterr10 Bangla चैनल्स शामिल हैं। ‘एंटर10’ मीडिया में दीप द्रोण कंपनी के एमडी मनीष सिंघल को सीधे रिपोर्ट करते थे। फरवरी 2020 में ‘एंटर10’ को जॉइन करने से पूर्व वह ‘ITW Consulting’ में चीफ बिजनेस ऑफिसर के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे।
दीप द्रोण को करीब ढाई दशक का अनुभव है। पूर्व में वह ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ (SPNI) में लंबी पारी खेल चुके हैं। ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स’ से पहले वह ‘श्री अधिकारी ब्रदर्स’ (Sri Adhikari Brothers) टेलिविजन नेटवर्क के साथ जुड़े हुए थे। दीपी द्रोण ने ‘निंबस कम्युनिकेशन’ (Nimbus Communication) से अपने टीवी करियर की शुरुआत की थी।
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‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण’ (TRAI) ने सोमवार को तमाम ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों के सीईओ और प्रबंधन से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के साथ एक बैठक में आगामी वित्तीय वर्ष की योजनाओं पर चर्चा की।
ट्राई के चेयरमैन पीडी वाघेला और सचिव एसके गुप्ता की मौजूदगी में हुई इस बैठक में डिश टीवी के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर जवाहर गोयल, टाटा स्काई के एमडी और सीईओ हरित नागपाल, डेन नेटवर्क्स के सीईओ एसएन शर्मा, सिटी नेटवर्क्स के सीईओ अनिल मल्होत्रा और एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडेय भी शामिल हुए।
बताया जाता है कि बैठक में डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स ऑपरेटर्स (DPOs) सिस्टम के ऑडिट जैसे-कंडीशनल एक्सेस सिस्टम (CAS) और सबस्क्राइबर मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) पर भी चर्चा हुई। ब्रॉडकास्टर्स इस बात से नाखुश थे कि डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स ऑपरेटर्स ऑडिट संबंधी गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा नेटवर्क कैपेसिटी फीस (NCF) को दो साल तक अपरिवर्तित रहने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बारे में ट्राई के सचिव एसके गुप्ता का कहना था कि यह हर साल की तरह होने वाली एक नियमित बैठक थी, जिसमें ट्राई द्वारा स्टेकहोल्डर्स से तमाम मुद्दों पर चर्चा की जाती है। वहीं, टाटा स्काई के एमडी और सीईओ हरित नागपाल का भी कहना है कि यह बैठक इंडस्ट्री से जुड़े मामलों पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी।
नाम न छापने की शर्त पर एक केबल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के हेड ने बताया, ‘यह हर साल होने वाली एक नियमित बैठक थी, जिसमें आगामी वित्तीय वर्ष में उठाए जाने वाले कदमों को लेकर चर्चा की जाती है। ढाई से तीन घंटे चली इस बैठक में ब्रॉडकास्टर्स ने ऑडिट संबंधी मुद्दे उठाए जबकि डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स ऑपरेटर्स ने अनुपालन (compliance) संबंधी मुद्दों पर अपनी बात रखी।’ एक अन्य प्रमुख टीवी नेटवर्क के सीनियर एग्जिक्यूटिव के अनुसार, यह बैठक काफी अच्छी रही और इसमें सभी स्टेकहोल्डर्स के बीच स्वस्थ चर्चा हुई।
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‘टैम मीडिया रिसर्च’ (TAM Media Research) की सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (TAM Axis & TAM Sports) विनीता शाह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह 16 साल से ज्यादा समय से इस कंपनी से जुड़ी हुई थीं।
‘टैम मीडिया रिसर्च’ के साथ अपने इतने लंबे सफर में उन्होंने एनालिटिक्स, टैम स्पोर्ट्स और कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस पोर्टफोलियो की जिम्मेदारी संभाली।
विनीत शाह को मार्केटिंग, बिजनेस डेवलपमेंट, कंसल्टेटिव सेल्स और एनालिटिक्स के क्षेत्र में काम करने का काफी अनुभव है। वर्ष 2004 में टैम के साथ पारी शुरू करने से पहले विनीता Group M, Grey और McCann के साथ भी काम कर चुकी हैं।
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टीआरपी (TRP) से छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) पार्थो दासगुप्ता को बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पार्थो दासगुप्ता की अर्जी को मंजूर करते हुए उन्हें जमानत दे दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दासगुप्ता को दो लाख रुपये के पीआर बॉन्ड के भुगतान के बाद जमानत दी गई है। बता दें कि जस्टिस पीडी नाइक की बेंच ने करीब दो सप्ताह पहले दासगुप्ता की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सेशन कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद दासगुप्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
गौरतलब है कि टीआरपी से छेड़छाड़ के मामले में मुंबई पुलिस ने 24 दिसंबर 2020 को पार्थो दासगुप्ता को गिरफ्तार किया था। टीआरपी घोटाले में उनकी 15वीं गिरफ्तारी थी। टीआरपी से छेड़छाड़ का मामला अक्टूबर में तब सामने आया था, जब ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा देश में टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए घरेलू पैनल के प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी ‘हंसा रिसर्च’ (Hansa Research) के अधिकारी नितिन देवकर ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया था जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं, उन घरों को भुगतान करके कुछ टीवी चैनल्स दर्शकों की संख्या में हेरफेर कर रहे हैं।
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प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के प्रधान महानिदेशक पद पर भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अफसर जयदीप भटनागर को नियुक्त किया गया है। उन्होंने सोमवार (28 फरवरी 2021) को निवर्तमान प्रधान महानिदेशक कुलदीप सिंह धतवालिया से पदभार ग्रहण किया।
भटनागर भारतीय सूचना सेवा के 1986 बैच के अधिकारी हैं। इससे पहले वह दूरदर्शन न्यूज में कमर्शियल्स, सेल्स व मार्केटिंग डिविजन के प्रमुख रहे हैं।
भटनागर प्रसार भारती के विशेष संवाददाता के तौर पर पश्चिम एशिया में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इस दौरान उन्होंने 20 देशों को कवर किया। इसके बाद वे आकाशवाणी के समाचार सेवा प्रभाग के प्रमुख रहे।
प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो के प्रधान महानिदेशक के दायित्व से पहले भटनागर पीआईबी में विभिन्न पदों पर छह वर्षों तक रहे हैं। भटनागर ने कुलदीप सिंह धतवालिया के 28 फरवरी 2021 को सेवानिवृत्त होने के बाद कार्यभार संभाला है।
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आलोक नायर पूर्व में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘नेटवर्क18’ और ‘ब्लूमबर्ग’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया ब्रैंड्स में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
म्यूजिक टेलिविजन नेटवर्क ‘9एक्स मीडिया’ (9X Media) ने आलोक नायर को चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर नियुक्त किया है। वह पवन जेलखानी के स्थान पर यह जिम्मेदारी संभालेंगे, जिन्होंने पिछले दिनों अपनी एंटरप्रिन्योरशिप पारी शुरू करने के लिए यहां से इस्तीफा दे दिया है। आलोक नायर ‘9एक्स मीडिया’ के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप गुहा को रिपोर्ट करेंगे। नेटवर्क को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए आलोक नायर ‘9एक्स मीडिया’ की एग्जिक्यूटिव टीम और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ मिलकर काम करेंगे।
आलोक को मीडिया और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने का काफी अनुभव है। पूर्व में वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘नेटवर्क18’ और ‘ब्लूमबर्ग’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया ब्रैंड्स में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
आलोक नायर की नियुक्ति के बारे में प्रदीप गुहा का कहना है, ‘महामारी के कारण तमाम उद्धोग धंधे प्रभावित हुए हैं। 9X मीडिया में हमने नई वास्तविकता को अपनाने और प्रतिकूलताओं के ढेर में छिपे अवसरों को तलाश करने के लिए कमर कस ली है। आलोक की नियुक्ति इसी स्ट्रैटेजी का हिस्सा है और कंपनी को उनके अनुभवों का काफी लाभ मिलेगा।’
वहीं, आलोक नायर का कहना है, ‘9X मीडिया की युवा और प्रतिभाशाली टीम में शामिल होने पर मैं बहुत खुश हूं। मैं प्रदीप गुहा के साथ काम करने को लेकर काफी उत्सुक हूं और पवन जेलखानी को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।’
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