मीडिया इंडस्ट्री के कुछ ऐसे बड़े नाम, जिनका 2023 में बढ़ा 'करियर ग्राफ'

2023 मे कुछ ऐसी यादें, जो मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की हैं, जिनके करियर ग्राफ ने एक नए मुकाम को छुआ है। आइए, यहां ऐसी ही कुछ शख्सियतों के बारे में जानते हैं

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 14 December, 2023
Last Modified:
Thursday, 14 December, 2023
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साल 2023 के आगमन में कुछ दिन ही शेष रह गए हैं। पूरी दुनिया नए साल का बेसब्री से इंतजार कर रही है, लेकिन हर बार गुजरता हुआ साल कुछ ऐसी भी यादें भी दे जाता है, जो किसी के करियर के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। कुछ ऐसी ही यादें मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े लोगों की भी हैं, जिनमें से कई के करियर ग्राफ ने एक नए मुकाम को छुआ है और कई नए मंजिल की तलाश में निकले हैं। आइए, यहां ऐसी ही कुछ बड़ी शख्सियतों के बारे में जानते हैं।

साल 2023 की शुरुआत होते ही खबर आयी कि जानी-मानी न्यूज एंकर अदिति त्यागी ने ‘जी न्यूज’ (Zee News) में अपनी पारी को विराम दे दिया और नई पारी हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत एक्सप्रेस’ (Bharat Express) में बतौर ग्रुप एग्जिक्यूटिव एडिटर शुरू की, हालांकि वह अभी भी यहां कार्यरत हैं। बता दें कि अदिति त्यागी ‘जी न्यूज’ में सीनियर एंकर के साथ-साथ डिप्टी एडिटर की भूमिका में थीं। त्यागी के पास टीवी, प्रिंट, डिजिटल और रेडियो में एंकरिंग, रिपोर्टिंग, प्रॉडक्शन का करीब दो दशक का अनुभव है। उन्होंने कई प्रमुख ब्रॉडकास्टर्स के साथ काम किया है। त्यागी ने संयुक्त राष्ट्र, जलवायु शिखर सम्मेलन, पेरिस हमले और ब्रसेल्स हमले सहित दुनियाभर की खबरों को कवर किया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने राज्य के प्रमुखों की हाई प्रोफइल यात्राओं की, अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलनों की, राजनीतिक बहसों की और ब्रेकिंग न्यूज कवरेज की एंकरिंग भी की है। 

फरवरी में वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु शेखर ने ‘जी डिजिटल’ (Zee Digital) को अलविदा बोल दिया था। वह इस समूह की अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट ‘इंडिया.कॉम’ (india.com) में करीब ढाई साल से बतौर एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इसके बाद उन्होंने ‘टाइम्स नेटवर्क’  की अंग्रेजी वेबसाइट ‘टाइम्स नाउ न्यूज डॉट कॉम’ (timesnownews.com) में बतौर एडिटर जॉइन कर लिया था। उन्होंने वर्ष 2020 में ‘इंडिया.कॉम’ में बतौर एडिटर जॉइन किया था। वह यहां संपादकीय और ‘क्रिकेट कंट्री’ (Cricket Country) समेत तमाम प्रॉडक्ट इनिशिएटव में अहम भूमिका निभा रहे थे। इस दौरान इस वेबसाइट ने digital first, mobile first, video first और user first approach जैसी कई पहल शुरू कीं। मूल रूप से बेगूसराय (बिहार) के रहने वाले हिमांशु शेखर को मीडिया में काम करने का करीब डेढ़ दशक का अनुभव है। पत्रकारिता में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2007 में ‘जी’ (Zee) समूह से ही की थी। इसके बाद यहां से बाय बोलकर करीब तीन साल ‘ईएसपीएन’ डिजिटल में कार्यरत रहे। यहां से वह ‘टाइम्स इंटरनेट’ और फिर ’एमएसएन’ के साथ जुड़ गए। इसके अलावा वह ‘इंडिया टुडे’ और  ‘इंडिया टीवी’ में बतौर एडिटर भी अपनी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

इस साल जून में खबर आयी कि ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) की डिजिटल टीम में चीफ कंटेंट ऑफिसर (CCO) के पद से इस्तीफा देने के बाद प्रसाद सान्याल ने अपनी नई पारी ‘टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड’ (TIL) के साथ शुरू की, जहां उन्होंने बिजनेस हेड के तौर पर जॉइन किया। बता दें कि ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ से पहले प्रसाद सान्याल ‘जी मीडिया’ में ग्रुप एडिटर (डिजिटल) के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे। प्रसाद सान्याल ने वर्ष 2000-01 में ‘आईआईएमसी’ (IIMC) से पत्रकारिता का डिप्लोमा करने के दौरान ही प्रतिष्ठित न्यूज एजेंसी एएनआई (ANI) में कदम रखा और करीब पांच साल तक यहां रहे। यहां से निकलने के बाद वह सीएनएन-आईबीएन से जुड़ गए और 2007 तक प्रड्यूसर के पद पर यहां अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद उनका अगला पड़ाव एनडीटीवी रहा, जहां वह सीनियर आउटपुट एडिटर के तौर पर जुलाई 2009 तक रहे। फिर वह न्यूजएक्स आ गए और यहां न्यूज एडिटर के पद काम किया। एक साल काम करने के बाद वह वर्ष 2010 में दोबारा एनडीटीवी पहुंचे और इस बार उन्हें सीनियर न्यूज एडिटर की जिम्मेदारी दी गई, जिसे उन्होंने 2010 से 2014 तक बखूबी निभाया। अप्रैल 2014 में उन्हें एनडीटीवी में प्रमोट कर एडिटर (न्यूज) बना दिया गया और यहां उन्होंने अगस्त 2015 तक सफलतापूर्वक काम किया। इसके बाद वह टाइम्स इंटरनेट और फिर जी मीडिया का हिस्सा बने। वह जुलाई 2017 में जी मीडिया के साथ जुड़े थे, जबकि इसके पहले वह टाइम्स इंटरनेट के अंग्रेजी न्यूज पोर्टल timesofindia.com के एडिटर के तौर पर पर कार्यरत थे। वह अगस्त 2015 से जुलाई 2017 तक यहां रहे।

अगस्त में जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने अपने नए सफर का आगाज दैनिक भास्कर की डिजिटल विंग से किया। उन्हें यहां डिजिटल विंग का मैनेजिंग एडिटर बनाया गया। इससे पहले वह यूएस-यूके आधारित थिंकटैंक 'ग्लोबल पॉलिसी इनसाइट्स' (जीपीआई) के इंडिया चैप्टर में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे। साथ ही साथ वह इंडिया टुडे ग्रुप के  डिजिटल चैनल 'न्यूजतक' में कंसल्टेंट की भूमिका भी निभा रहे थे। बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार राजकिशोर ने मई 2016 में ‘एबीपी न्यूज‘ बतौर पॉलिटिकल एडिटर जॉइन किया था। 2019 में उन्होंने 'एबीपी गंगा' को बतौर एडिटर लॉन्च कराया था। 2021 में 'एबीपी गंगा' छोड़कर वह एबीपी ग्रुप में एडिटर-एट-लॉर्ज बन गए थे। ‘एबीपी न्यूज‘ से पहले राजकिशोर देश के बड़े हिंदी अखवोबारों में शामिल ‘दैनिक जागरण‘ से जुड़े हुए थे, जहां वह नेशनल चीफ ऑफ ब्यूरो के पद पर कार्यरत थे। ‘दैनिक जागरण‘ में 15 राज्यों के 42 संस्करणों के लिए राष्ट्रीय ब्यूरो का नेतृत्व करने वाले राजकिशोर न सिर्फ 15 राज्यों के स्टेट यूनिट्स के साथ समन्वय का काम देखते थे, साथ ही दैनिक जागरण के नेशनल इनपुट प्लान से लेकर जागरण डॉट कॉम, नई दुनिया तक के लिए नेशनल इश्यूज की खबरों को जुटाने वाली पूरे नेशनल ब्यूरो की अगुआई करते थे। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक विस्तृत इंटरव्यू भी कर चुके हैं, जो हिंदी मीडिया में पीएम का पहला इंटरव्यू था। करीब दो दशक से सक्रिय पत्रकारिता कर रहे राजकिशोर ने 2003 में ‘दैनिक जागरण‘ जॉइन किया था। ‘दैनिक जागरण‘ से पहले राजकिशोर ‘अमर उजाला‘ के साथ कानपुर में बतौर चीफ रिपोर्टर भी काम कर चुके हैं। वह वर्ष 2000 में ‘अमर उजाला‘ की पंजाब और हरियाणा लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं।

अगस्त में ही 'द पॉयनियर' (The Pioneer) में शोबोरी गांगुली (Shobori Ganguly) को एडिटर-इन-चीफ नियुक्त किया गया। वह अखबार के हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों की मुद्रक (printer) व प्रकाशक (publisher) बनीं। गांगुली दो दशकों से अधिक समय से अखबार से जुड़ी हुईं हैं और उन्होंने सीईओ व डायरेक्टर सहित विभिन्न पदों पर अखबार को अपनी सेवाएं दीं। गांगुली डॉ. चंदन मित्रा (अब दिवंगत) की पत्नी हैं। उन्होंने अखबार के लिए एक्सटर्नल अफेयर्स की संपादक के तौर पर भी काम किया है।  

अगस्त में ही वरिष्ठ पत्रकार श्रुतिजीत केके (Sruthijith KK) ने अंग्रेजी के बिजनेस अखबार ‘मिंट’ (Mint) के साथ अपनी पारी को विराम दिया। वह यहां बतौर एडिटर-इन-चीफ अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इस बाबत उन्होंने अपनी टीम को एक लेटर भी लिखा था, जिसमें उन्होंने बताया था कि यहां उनका कार्यकाल संभवत: सितंबर के आखिर तक होगा। हालांकि बाद में उन्होंने ‘इकनॉमिक टाइम्स’ (ET) बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर जॉइन कर लिया। श्रुतिजीत ने नवंबर 2020 में  ‘मिंट’ जॉइन किया था। इस अखबार के साथ श्रुतिजीत की यह दूसरी पारी थी। वर्ष 2007 में जब यह अखबार लॉन्च हुआ था, तब वह इसकी फाउंडिंग टीम के मेंबर थे। उन्होंने इसके रिपोर्टर के तौर पर भी काम किया था।  श्रुतिजीत को प्रिंट के साथ डिजिटल में काम करने का अनुभव है। उन्होंने ‘डीएनए’ (DNA) अखबार के साथ अपना करियर शुरू किया था। वह इसकी लॉन्चिंग टीम में शामिल थे। पूर्व में वह ‘ईटी मैगजीन’ (ET Magazine), ‘हफपोस्ट’ (HuffPost) के इंडिया एडिशन के साथ भी काम कर चुके हैं। इसके अलावा वह ‘एप्पल इंक’ (Apple Inc) में इंडिया ऐप के स्टोर एडिटर के तौर पर भी अपनी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।

अक्टूबर में हिंदी न्यूज चैनल ‘एनडीटीवी इंडिया’ (NDTV India) से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आई और वह यह कि ‘एनडीटीवी इंडिया’ में सीनियर मैनेजिंग एडिटर सुनील सैनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सुनील सैनी इस चैनल के साथ करीब 18 साल से जुड़े हुए थे और लंबे समय तक रवीश कुमार के संपादक रहे हैं।फिलहाल इन दिनों वह यूट्यूब चैनल @theredmike से जुड़ गए हैं। बता दें कि सुनील सैनी को मीडिया में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है। ‘एनडीटीवी’ से पहले वह ‘स्टार टीवी नेटवर्क’ (Star TV Network), ‘आजतक’ (AajTak) और ‘जी मीडिया’ (Zee Media) में भी अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।

इस साल अक्टूबर में ही वरिष्ठ टीवी पत्रकार संकेत उपाध्याय ने देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह करीब साढ़े चार साल से यहां कंसल्टिंग एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। संकेत उपाध्याय भा फिलहाल यूट्यूब चैनल @theredmike से जुड़े हुए हैं। उन्होंने 2019 में दूसरी बार ‘एनडीटीवी’ के साथ अपनी पारी शुरू की थी। वह एनडीटीवी 24X7 और एनडीटीवी इंडिया दोनों ही चैनलों पर नजर आते थे। वह NDTV इंडिया के रात नौ बजे के प्राइम टाइम शो 'खबरों की खबर' का चेहरा थे। इसके अलावा संकेत हिंदी न्यूज जगत का सबसे पुराना डिबेट शो 'मुक़ाबला' और अंग्रेजी में देश का सबसे पुराना डिबेट शो 'The Big Fight' होस्ट करते थे। अंग्रेजी और हिंदी दोनों ही भाषाओं पर अच्छी पकड़ रखने वाले संकेत पूर्व में भी एनडीटीवी समूह का हिस्सा रह चुके हैं। ‘इंडिया अहेड’ से पहले वह अंग्रेजी चैनल 'सीएनएन-न्यूज18' (CNN-News 18) में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।

अक्टूबर में ही ‘एनडीटीवी’ (NDTV) के पूर्व ग्रुप एडिटर श्रीनिवासन जैन ने अपनी नई पारी की शुरुआत की। उन्होंने ‘न्यूज24’ में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया। वह यहां 'डेटलाइन इंडिया' (Dateline India) नाम से रिपोर्ताज और इंटरव्यू आधारित वीकली शो होस्ट करते हैं। बता दें कि इस साल जून में श्रीनिवासन जैन ने ‘जिंदल स्कूल ऑफ जर्नलिज्म’ (Jindal School of Journalism & Communication) में बतौर फैकल्टी जॉइन किया था। जबकि इससे पहले वह वर्ष 1995 से NDTV के साथ काम कर रहे थे। वह NDTV 24x7 पर साप्ताहिक शो ‘Truth vs Hype’ की एंकरिंग करते थे। वह वर्ष 2003 से 2008 तक मुंबई ब्यूरो चीफ रहे और NDTV के बिजनेस चैनल ‘प्रॉफिट’ (Profit) के प्रबंध संपादक रहे थे। इसके अलावा उन्होंने ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ (Business Standard) के लिए संपादकीय भी लिखे हैं।

अक्टूबर में ही डॉ. प्रवीण तिवारी ने मीडिया जगत में अपनी नई पारी की शुरुआत की। वह 'भारत एक्सप्रेस' के साथ ग्रुप एडिटर डिजिटल के तौर पर जुड़ गए। इससे पहले वह 'अमर उजाला' की वीडियो टीम को हेड कर रहे थे। उनके नेतृत्व में अमर उजाला की वीडियो टीम ने अच्छी ग्रोथ की और अमर उजाला का वीडियो प्लेटफॉर्म चर्चा का विषय बना। डॉ. प्रवीण तिवारी पत्रकारिता के साथ-साथ एकेडमिक्स और लेखन के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने अभी तक सात पुस्तकों का लेखन किया है। यूजीसी के रजिस्टर्ड प्रोफेसर के तौर पर कई एकेडमीशन उनके मार्गदर्शन में पीएचडी भी कर रहे हैं। 25 साल के पत्रकारिता जीवन में उन्होंने प्रिंट टीवी और डिजिटल तीनों ही माध्यमों में लंबा समय दिया है। मुख्य रूप से 'लाइव इंडिया' के प्रधान संपादक के रूप में, फिर 'न्यूज18 इंडिया' के प्राइम टाइम एंकर के तौर पर उनकी भूमिकाएं और कार्य उल्लेखनीय है। 'जी बिजनेस' के साथ उनका कार्यक्रम 'इनोवेट इंडिया' भी काफी चर्चित रहा। दूरदर्शन के साथ उनका लंबा साथ रहा है। राष्ट्रीय चैनल के साथ उन्होंने 'अवकेनिंग इंडिया' और कई अन्य प्रोग्राम बनाए हैं। डॉ. प्रवीण तिवारी मास कम्युनिकेशन में पीएचडी करने वाले चुनिंदा पत्रकारों में से एक है। हाल ही में उन्होंने साइकोलॉजी में भी मास्टर डिग्री हासिल की है। उनकी पुस्तक जिसे ब्लूम्सबरी ने पब्लिश किया था, बेस्ट सेलर रही। आने वाले दिनों में वह भारत और वैदिक विज्ञान जैसे विषय पर भी सतत कार्य कर रहे हैं और जल्द ही एक पुस्तक के साथ पाठकों के समक्ष भी प्रस्तुत होंगे।

नवंबर में पत्रकार अखिलेश श्रीवास्तव ने ‘टाइम्स नेटवर्क’ (Times Network) के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया। यहां उन्होंने ‘नवभारत टाइम्स’ (डिजिटल) में बतौर एडिटर जॉइन किया। इससे पहले अखिलेश श्रीवास्तव आठ भाषाओं में न्यूज कंटेंट उपलब्ध कराने वाले वेब पोर्टल ‘वनइंडिया’ (www.oneindia.com) हिंदी में वर्ष 2016 से एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। ‘वनइंडिया’ से पहले वह करीब तीन साल तक ‘अमर उजाला’ की डिजिटल टीम में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं। मूल रूप से ललितपुर (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले अखिलेश श्रीवास्तव को प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का दो दशक से ज्यादा का अनुभव है। अखिलेश ने मध्यप्रदेश के सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातक और स्नातकोत्तर किया है। करियर की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2000 में ‘दैनिक भास्कर‘, भोपाल से की। ‘दैनिक भास्कर‘ की करीब चार साल की पारी में उन्होंने भोपाल, इंदौर और जयपुर संस्करणों में फ्रंट पेज पर काम किया। भोपाल में एन.के. सिंह, इंदौर में श्रवण गर्ग और कल्पेश याग्निक, जयपुर में बाबूलाल शर्मा, देवप्रिय अवस्थी और यशवंत व्यास के नेतृत्व में काम किया। वर्ष 2004 में वह ‘दैनिक भास्कर‘ जयपुर से ‘सहारा समय‘, नोएडा आ गए और जाने-माने पत्रकार मुकेश कुमार की टीम में शामिल हो गए। टेलिविजन में विभिन्न भूमिकाओं में यहां उन्होंने करीब साढ़े आठ साल की लंबी पारी खेली। प्रिंट में दूसरी पारी के तौर पर उन्होंने दिल्ली में ‘दैनिक भास्कर‘ में रोहित सरन की टीम में काम किया।

इस महीने यानी दिसंबर में नेशनल हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत24’ (Bharat24) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आयी और वह यह कि चैनल की वाइस प्रेजिडेंट व सीनियर न्यूज एंकर रुबिका लियाकत ने यहां से इस्तीफा दे दिया। ‘भारत24’ के सीईओ व एडिटर-इन-चीफ डॉ. जगदीश चंद्रा ने सबसे पहले 'समाचार4मीडिया' से इस खबर की पुष्टि की। ‘भारत24’ से इस्तीफा दिए जाने के बाद से तमाम मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रुबिका लियाकत की नई पारी को लेकर कयास लगाए जाने लगे। इसके बाद 'समाचार4मीडिया' से बातचीत में इस तरह की खबरों को रुबिका लियाकत ने बेबुनियाद और अफवाह बताया। रुबिका लियाकत का कहना है कि यह सही है कि वह जल्द ही अपनी नई पारी शुरू करेंगी, लेकिन तमाम मीडिया प्लेटफॉर्म्स अपनी मर्जी से उनकी आगामी पारी को लेकर झूठी खबरें पब्लिश कर भ्रम फैला रहे हैं। रुबिका लियाकत का कहना है कि वह जल्द ही अपनी नई पारी का ऐलान करेंगी, जिसके बाद इस तरह के कयासों पर अपने आप विराम लग जाएगा। 

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‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ ने इस बड़े पद पर गौरव लघाटे को किया नियुक्त

अपनी इस भूमिका में गौरव लघाटे सीधे ‘SPNI’ के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ गौरव बनर्जी को रिपोर्ट करेंगे।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 11 September, 2025
Last Modified:
Thursday, 11 September, 2025
Gaurav Laghate

‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ (SPNI) ने गौरव लघाटे को नया पीआर और कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस हेड नियुक्त किया है। उनकी यह नियुक्ति सितंबर 2025 से प्रभावी होगी।

IWM.BUZZ.com की रिपोर्ट के अनुसार, इस भूमिका में गौरव लघाटे सीधे ‘SPNI’ के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ गौरव बनर्जी को रिपोर्ट करेंगे। गौरव को पत्रकारिता में 17 साल से ज्यादा का अनुभव है।

इस नियुक्ति पर गौरव बनर्जी ने कहा, ‘गौरव को डोमेन की गहरी समझ और स्ट्रैटेजिक विजन हमारी लीडरशिप टीम के लिए बेहद मूल्यवान साबित होगा। पत्रकार से कम्युनिकेशन लीडर बनने का उनका अनुभव हमें अपनी कहानी गढ़ने और अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स से जुड़ने में एक अनोखा नजरिया देगा। हम उन्हें अपनी टीम में शामिल करके उत्साहित हैं, क्योंकि हमारा लक्ष्य कंटेंट पावरहाउस के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करना है।’

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वैश्विक स्तर पर छंटनी का बढ़ता संकट, भारत भी इसके चपेट में

दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर छंटनी अब एक आम हकीकत बनती जा रही है

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 11 September, 2025
Last Modified:
Thursday, 11 September, 2025
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अनुजा जैन, कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर छंटनी अब एक आम हकीकत बनती जा रही है, जो यह संकेत देती है कि कंपनियां केवल भारत में ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपने कर्मचारियों को प्रबंधित और पुनर्गठित करने के तरीकों में बड़े बदलाव कर रही हैं। अब छंटनी सिर्फ अस्थायी लागत कम करने का उपाय नहीं रह गई, बल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ऑटोमेशन और कार्यकुशलता के दबाव के कारण दीर्घकालिक ढांचागत बदलाव का हिस्सा बन रही है।

कल्पना कीजिए कि आपको अचानक बिना एजेंडा के एक मीटिंग में बुलाया जाता है। वहां मैनेजर के साथ एक अनजान शख्स आता है और कुछ मिनटों में साफ हो जाता है कि आप 'वर्कफोर्स रिडक्शन' यानी छंटनी का हिस्सा हैं। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के एक कर्मचारी ने ऐसी ही स्थिति का अनुभव साझा किया। यह कोई अकेली घटना नहीं, बल्कि व्यापक पैटर्न का हिस्सा है। 

सिएटल से लेकर बेंगलुरु तक बोर्डरूम और वीडियो कॉल्स में हजारों कर्मचारी यह जान रहे हैं कि उनका करियर मिनटों में बदल सकता है। जो शुरुआत में महामारी के बाद की अनिश्चितताओं से उपजी बिखरी हुई लागत-कटौती थी, अब वह एक बड़े पैमाने पर छंटनी की प्रवृत्ति में बदल चुकी है, जिसका असर भारत जैसे बाजारों पर भी गहरा पड़ा है। तकनीकी दिग्गजों और वित्तीय कंपनियों से लेकर उपभोक्ता ब्रांड्स और गेमिंग स्टार्टअप्स तक, नौकरी में कटौती रोजगार परिदृश्य को अभूतपूर्व स्तर पर बदल रही है।

वैश्विक तस्वीर: बड़े पैमाने पर छंटनी

दुनियाभर में छंटनी का पैमाना गंभीर तस्वीर पेश करता है। माइक्रोसॉफ्ट ने सबसे बड़ी छंटनियों में से एक की अगुवाई की, जिसमें 9,043 कर्मचारियों को नौकरी से हटाया गया, साथ ही फ्रांस में अपनी वर्कफोर्स का 10% घटा दिया, क्योंकि कंपनी क्लाउड और AI दक्षता पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। ओजेम्पिक दवा बनाने वाली दिग्गज फार्मा कंपनी नोवो नॉर्डिस्क ने 9,000 कर्मचारियों की छंटनी करके बाजार को चौंका दिया, यह दर्शाते हुए कि रणनीति में बदलाव स्वास्थ्य सेवा उद्योग में उत्पाद की सफलता पर भी भारी पड़ सकता है।

टेक इकोसिस्टम में भी कहानी कम नाटकीय नहीं रही। सेल्सफोर्स ने लगभग 4,400 नौकरियां घटाईं, वहीं ओरेकल ने वैश्विक स्तर पर लगभग 740 भूमिकाएं खत्म कीं और भारत में भी और कटौती की। इंटेल ने अमेरिका में 5,000 से अधिक पदों की छंटनी की, जबकि छोटे लेकिन प्रभावशाली फर्म जैसे स्केल AI (200 नौकरियां), सिस्को (300 से अधिक), लेनोवो (100+) और क्राउडस्ट्राइक (500) भी इस लहर में शामिल हो गए। यह दिखाता है कि स्थापित दिग्गज और नए खिलाड़ी दोनों ही तंग मार्जिन और भविष्य की अनिश्चितताओं से निपटने के लिए स्टाफ कम कर रहे हैं।

सोशल मीडिया सेक्टर भी अछूता नहीं रहा। जनवरी की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मेटा प्लेटफॉर्म्स इस साल अपनी वैश्विक वर्कफोर्स का 5% घटाने की योजना बना रहा है, जिसमें असामान्य रणनीति अपनाई जा रही है- प्रदर्शन के आधार पर कर्मचारियों को निकालना और उसी समय नए कर्मचारियों को भर्ती करना। यह पुनर्गठन रणनीति इस बात पर जोर देती है कि प्रतिभा का पुनर्संरचना लागत बचत जितनी ही अहम है।

कभी अधिक भरोसेमंद माने जाने वाले पारंपरिक क्षेत्रों पर भी गंभीर असर पड़ा है। 2027 तक £100 मिलियन बचाने के लिए लग्जरी फैशन ब्रांड बर्बरी ने 1,700 नौकरियों (अपनी वर्कफोर्स का 18% से अधिक) की छंटनी का ऐलान किया, जबकि बोइंग ने नासा से संबंधित देरी के चलते अपने मून रॉकेट प्रोग्राम से जुड़ी 400 नौकरियों को खत्म किया।

उपभोक्ता-केन्द्रित व्यवसाय भी प्रभावित हुए। एडिडास ने जर्मनी में 500 नौकरियां घटाईं, कोटी ने 700 पदों को कम किया, और टंबलर की पेरेंट कंपनी ऑटोमैटिक ने अपनी वर्कफोर्स का 16% घटा दिया। कॉस्मेटिक्स इंडस्ट्री पर भी दबाव पड़ा। ब्रांड की मजबूत पहचान के बावजूद, एस्ते लॉडर ने अपने व्यवसाय का पुनर्गठन करने और अगले दो वर्षों में 5,800 से 7,000 नौकरियों को खत्म करने की योजना की घोषणा की।

बैंकिंग और एयरोस्पेस कंपनियां भी इस रुझान से अछूती नहीं रहीं। एक मीडिया स्रोत के अनुसार, ब्लैकरॉक ने 200 कर्मचारियों को निकाला, ब्लू ओरिजिन ने 1,000 से अधिक और जैक डोर्सी की वित्तीय कंपनी ब्लॉक ने लगभग 1,000 लोगों की छंटनी की। ये उदाहरण दर्शाते हैं कि यह छंटनी की लहर किसी एक उद्योग या क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्वव्यापी पुनर्गठन है।

भारत में हालात: आर्थिक कारणों से आगे नीति का असर

भारत भी इस लहर से पूरी तरह अछूता नहीं रहा, हालांकि अपनी मजबूत आईटी और सेवाओं की संरचना के कारण आंशिक रूप से सुरक्षित रहा। देश का सबसे बड़ा आईटी नियोक्ता टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने जुलाई में 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की, डिजिटल-फर्स्ट बिजनेस मॉडल्स के साथ अनुकूलन और ऑप्टिमाइजेशन का हवाला देते हुए। ओरेकल ने भारत में लगभग 2,800 कर्मचारियों (अपनी वर्कफोर्स का 10%) को गंवाया, जिसमें बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे जैसे प्रमुख शहर शामिल थे।

हालांकि, भारत की छंटनी कहानी में एक अलग मोड़ है- नीतिगत फैसलों की भूमिका। ऑनलाइन गेमिंग उद्योग, जिसे कभी विकास का इंजन कहा जाता था, सबसे अधिक प्रभावित हुआ। राजनीतिक जांच के बाद हेड डिजिटल वर्क्स (500 नौकरी कटौती), गेम्स24x7 (400 नौकरी कटौती) और मोबाइल प्रीमियर लीग (300 नौकरी कटौती) को बड़े पैमाने पर डाउनसाइजिंग करनी पड़ी। जहां वैश्विक कंपनियों में छंटनी AI अपनाने या आर्थिक मंदी के कारण हुई, वहीं यहां यह दिखाता है कि विधायी फैसले रोजगार पर कितनी तेज और गंभीर मार कर सकते हैं।

वैश्विक बनाम भारतीय पैमाना

हालांकि भारत में छंटनी की संख्या बहुराष्ट्रीय दिग्गजों जितनी बड़ी नहीं है, लेकिन असर काफ़ी अहम है, क्योंकि देश आईटी सेवाओं और उभरते उद्योगों का केंद्र है। भारत में सेक्टर-विशिष्ट छंटनियां माइक्रोसॉफ्ट (9,000+) और नोवो नॉर्डिस्क (9,000) जैसी वैश्विक कंपनियों की तुलना में छोटी हैं। फिर भी, हाल के महीनों में केवल आईटी और गेमिंग में ही भारत में 15,500 से अधिक छंटनियों की रिपोर्ट की गई। 2024 की PRICE रिपोर्ट के अनुसार, भारत की युवा आबादी 420 मिलियन से अधिक है, और इस पर आर्थिक बदलाव और नियामकीय असर गहराई से गूंजते हैं।

क्या संकेत मिलते हैं

छंटनी अल्पकालिक लागत कटौती से संरचनात्मक बदलाव की ओर बढ़ रही है, जिसे AI, ऑटोमेशन और दक्षता दबाव चला रहे हैं। उपभोक्ता सेक्टर में मांग कमजोर है, जबकि भारत में टैक्स और नियामकीय बदलाव असर को और गहरा करते हैं। इसका नतीजा कर्मचारियों के लिए अनिश्चितता और कंपनियों के लिए नवाचार, अनुपालन और भरोसे के बीच संतुलन की चुनौती है।

यह वैश्विक रुझान साफ़ तौर पर संकेत देता है कि छंटनी के कारण विविध हैं- तकनीकी प्रगति से लेकर आर्थिक परिस्थितियों और विधायी निर्णयों तक। यह जरूरी बनाता है कि कारोबारी नेता, हितधारक और नीति निर्माता इस पर ध्यान दें और इस संकट की बहुआयामी जड़ों को समझें। 

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कॉफ़ी टेबल बुक 'Harivansh’s Experiment with AD-Vocacy Journalism' का लोकार्पण

लोकार्पण समारोह में श्री हरिवंश ने अपनी टीम, और प्रबंधन सहयोगी के.के. गोयनका और आर.के. दत्ता को याद किया और उन युवा क्रिएटिव साथियों का आभार जताया जिन्होंने इन अभियानों को आकार दिया।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 11 September, 2025
Last Modified:
Thursday, 11 September, 2025
harivansh

मीडियाई दुनिया के एक अनोखे प्रयोग, एडवोकेसी जर्नलिज़्म को दर्ज करती अनूठी कॉफ़ी टेबल बुक 'Harivansh’s Experiment with AD-Vocacy Journalism – From Ads to Action; From Words to Change' का आज मानव रचना यूनिवर्सिटी, फरीदाबाद में लोकार्पण हुआ।

इस किताब के लेखक ए.एस. रघुनाथ हैं। पुस्तक का विमोचन राज्यसभा के माननीय उपसभापति श्री हरिवंश जी ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के छात्र, मीडिया जगत से जुड़े लोग और नामचीन शिक्षाविद बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. संजय श्रीवास्तव, मीडिया स्टडीज़ की डीन डॉ. शिल्पी झा और BW बिज़नेसवर्ल्ड के चेयरमैन डॉ. अनुराग बत्रा ने इस अवसर पर मीडिया स्टूडेंट्स को सम्बोधित किया।

साथ ही देश के विज्ञापन जगत के कई वरिष्ठ क्रिएटिव डायरेक्टर्स अभिमन्यु मिश्रा, कृष्‍णेंदु दत्ता, अमिताभ नवल, करण प्रताप सिंह राघव, समरेंद्र उपाध्याय और मीडिया ब्रांड मार्केटिंग क्षेत्र के दिग्गज नवीन चौधरी, अनामिका नाथ तथा प्रभात खबर के सहयोगी भी शामिल हुए।

पुस्तक प्रभात खबर के उस असाधारण सफ़र को दर्ज करती है जब 1989 में लगभग बंद होने की कगार पर पहुँचा अख़बार, संपादक श्री हरिवंश के नेतृत्व में भारत के सबसे सम्मानित हिंदी दैनिकों में बदल गया। इस यात्रा की सबसे खास बात रही संपादकीय और विज्ञापन को जोड़ने का अनोखा प्रयोग।

भ्रष्टाचार, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण और जनस्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर अख़बार की मुहिम को खास विज्ञापन अभियानों से मजबूती दी गई। लोकार्पण समारोह में श्री हरिवंश ने अपनी टीम, और प्रबंधन सहयोगी के.के. गोयनका और आर.के. दत्ता को याद किया और उन युवा क्रिएटिव साथियों का आभार जताया जिन्होंने इन अभियानों को आकार दिया।

इस कार्यक्रम की प्रमुख झलकियां आप यहां देख सकते हैं।

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अब 'Times Now Navbharat' की स्क्रीन पर नजर आएंगी युवा पत्रकार प्रिया सिन्हा

मूल रूप से बिहार की रहने वाली प्रिया को ‘समाचार4मीडिया 40अंडर40’ के साथ ही ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) से भी नवाजा जा चुका है।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 10 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 10 September, 2025
Priya Sinha

हिंदी न्यूज चैनल ‘भारत 24’ (Bharat 24) में लगभग 2.5 साल तक बतौर एंकर अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद युवा पत्रकार प्रिया सिन्हा ने यहां अपनी पारी को विराम दे दिया है। प्रिया सिन्हा ने अब अपनी नई पारी की शुरुआत ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ (Times Now Navbharat) के साथ की है। यहां उन्होंने बतौर एंकर जॉइन किया है।

अपनी खूबसूरत आवाज और गंभीर एंकरिंग के लिए पहचानी जाने वाली प्रिया सिन्हा को मीडिया में काम करने का करीब 12 साल का अनुभव है। ‘भारत 24’ में काम करने के दौरान उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। इसी वजह से यहां उन्हें चैनल के टॉप चेहरों में शुमार किया गया।

प्रिया सिन्हा को ग्राउंड जीरो पर काम करने का भी अनुभव है। जी20 हो, बिहार का चमकी बुखार हो, बाढ़ हो या फिर चुनाव, प्रिया सिन्हा ने समय-समय पर अपने काम से दर्शकों का दिल जीता है। दर्शकों को बांधने की अनोखी कला प्रिया सिन्हा को खास बनाती है।

समाचार4मीडिया से बातचीत में प्रिया सिन्हा ने बताया कि ‘भारत 24’ में रहने के दौरान उन्होंने 20 से ज्यादा इवेंट्स का भी संचालन किया। ‘भारत 24’ से पहले प्रिया ‘जी न्यूज’, ‘इंडिया न्यूज’, ‘सहारा समय’, ‘अमर उजाला’, ‘भारत एक्सप्रेस’ और ‘फोकस न्यूज’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।

मूल रूप से बिहार की रहने वाली प्रिया को अब तक कई प्रतिष्ठित अवार्ड्स से भी नवाजा जा चुका है। इनमें ‘समाचार4मीडिया 40अंडर40’ के साथ ही ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) भी शामिल है। प्रिया को मार्निंग प्राइम टाइम के लिए और बेस्ट इन डेप्थ बुलेटिन होस्ट करने के लिए वर्ष 2021 और 2022 में यह अवार्ड मिला। इसके अलावा उन्हें स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। समाचार4मीडिया की ओर से प्रिया सिन्हा को नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।

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नेपाल हिंसा: भीड़ के हमले में ‘India TV’ के रिपोर्टर और कैमरामैन घायल

किसी तरह दोनों पत्रकार भीड़ के चंगुल से छूटकर अस्पताल पहुंचे, जहां उनका प्राथमिक उपचार किया गया। फिलहाल दोनों का आगे का स्वास्थ्य परीक्षण जारी है।

pankaj sharma by
Published - Wednesday, 10 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 10 September, 2025
Nepal Protest

नेपाल इस समय हिंसा और अराजकता की आग में जल रहा है। राजधानी काठमांडू समेत कई हिस्सों में भड़के विरोध-प्रदर्शन आगजनी और तोड़फोड़ में तब्दील हो चुके हैं। सरकारी इमारतों से लेकर निजी संपत्तियों तक पर प्रदर्शनकारियों का कहर बरप रहा है। इसी बीच कवरेज के लिए पहुंचे ‘इंडिया टीवी’ (India TV) के साउथ इंडिया एडिटर टी. राघवन और उनके कैमरामैन किरण कुमार पर भीड़ ने हमला कर दिया, जिसमें दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए।

सूत्रों के मुताबिक, राघवन और किरण कुमार मंगलवार को काठमांडू पहुंचे थे। यहां से दोनों राष्ट्रपति भवन पहुंचे और लाइव रिपोर्टिंग शुरू कर दी। उस वक्त तक वहां कोई मीडिया नहीं पहुंच पाया था, अचानक एक शख्स के उकसावे में आकर भीड़ ने दोनों को घेर लिया और उनके साथ जमकर मारपीट की। यही नहीं, सारे इक्विपमेंट छीनकर उन्हें तोड़ दिया गया।

किसी तरह दोनों पत्रकार भीड़ के चंगुल से छूटकर अस्पताल पहुंचे, जहां उनका प्राथमिक उपचार किया गया। फिलहाल दोनों का आगे का स्वास्थ्य परीक्षण जारी है और भारतीय दूतावास के अधिकारी उन्हें हरसंभव मदद मुहैया करा रहे हैं।

नेपाला में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर हालात गंभीर होते जा रहे हैं। मंगलवार को ही प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू स्थित होटल हिल्टन को आग के हवाले कर दिया था। इस घटना में ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) के एग्जिक्यूटिव एडिटर जगविंदर पटियाल का पूरा सामान और अहम कागजात जलकर राख हो गए। हालांकि उस वक्त पटियाल अपने कैमरामैन के साथ फील्ड रिपोर्टिंग पर थे, जिससे उनकी जान बच गई।

यह भी पढ़ें: नेपाल सुलगा: आगजनी की चपेट में जगविंदर पटियाल का होटल भी आया, सारा सामान राख

गौरतलब है कि नेपाल में भड़की इस हिंसा में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है और बड़ी संख्या में लोग घायल हैं। प्रदर्शनकारियों का आक्रोश इतना बढ़ चुका है कि वे सरकारी प्रतिष्ठानों से लेकर बड़े होटलों और पत्रकारों तक को निशाना बनाने से नहीं चूक रहे। ऐसे हालात में वहां मौजूद भारतीय पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर चिंता और गहरी हो गई है।

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WAVES के लिए 'प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट' नियुक्त करेगी प्रसार भारती, रखा ये लक्ष्य

प्रसार भारती ने आधिकारिक तौर पर एक निविदा (Request for Proposal – RFP) जारी की है, जिसके जरिए वह एक छोटी लेकिन विशेषज्ञ टीम यानी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) को नियुक्त करना चाहता है

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 10 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 10 September, 2025
Prasar Bharati988

प्रसार भारती ने आधिकारिक तौर पर एक निविदा (Request for Proposal – RFP) जारी की है, जिसके जरिए वह एक छोटी लेकिन विशेषज्ञ टीम यानी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) को नियुक्त करना चाहता है, ताकि अपने WAVES OTT प्लेटफॉर्म की गति और विकास को तेज किया जा सके।

नवंबर 2024 में लॉन्च हुआ WAVES अब तक 38 लाख से अधिक डाउनलोड और 23 लाख से अधिक पंजीकरण पार कर चुका है। प्रस्तावित PMU से उम्मीद की जा रही है कि वह कंटेंट, मोनेटाइजेशन मॉडल, डिस्ट्रीब्यूशन पार्टनरशिप, मार्केटिंग रणनीतियां और एनालिटिक्स के जरिए प्लेटफॉर्म के लिए एक ग्रोथ प्लेबुक तैयार करेगा, ताकि रजिस्टर्ड यूजर्स का विस्तार किया जा सके।

सरकारी दस्तावेज में कहा गया, “WAVES को वैश्विक अग्रणी ओटीटी प्लेटफॉर्म्स में से एक बनाने और इसे राष्ट्र का सबसे पसंदीदा डिजिटल प्लेटफॉर्म स्थापित करने की महत्वाकांक्षा के साथ प्रसार भारती एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (PMU) ऑनबोर्ड करने का प्रस्ताव रखता है।”

RFP में WAVES OTT के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किए गए हैं, जिसमें PMU को स्केल और स्थिरता का रणनीतिक चालक बताया गया है। ऑनबोर्डिंग के पहले साल के भीतर प्लेटफॉर्म से उम्मीद की गई है कि वह कंटेंट प्लानिंग, मार्केटिंग आउटरीच और प्लेटफॉर्म पार्टनरशिप्स के जरिए 1 करोड़ पंजीकृत उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा पार कर लेगा। साथ ही, दीर्घकालिक वृद्धि के लिए रिटेंशन पहल, व्यक्तिगत अनुशंसाएँ और रेफरल-आधारित नए ग्राहकों को जोड़ने पर जोर रहेगा।

पब्लिक ब्रॉडकास्टर ने मासिक सक्रिय उपयोगकर्ताओं (Monthly Active Users - MAUs) को 70% बनाए रखने का लक्ष्य तय किया है, जिसके लिए लगातार जुड़ाव और नए कंटेंट की आपूर्ति की जाएगी। मोनेटाइजेशन के मोर्चे पर, WAVES का लक्ष्य पहले ही साल में विज्ञापन राजस्व में 5 गुना वृद्धि करना है और इसके बाद हर तिमाही में बढ़ोतरी सुनिश्चित करना है। इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित करना है कि नए आने वाले 80% कंटेंट वॉच टाइम, लाइक्स, शेयर और फीडबैक जैसे एंगेजमेंट मानकों पर खरे उतरें। परिचालन और वित्तीय स्थिरता दो साल के भीतर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है, जो संसाधनों के कुशल उपयोग, विविधीकृत राजस्व स्रोतों, AVOD, SVOD, सिंडिकेशन, साझेदारियों और सुव्यवस्थित कंटेंट पाइपलाइनों के जरिए संभव होगा।

RFP में ब्रैंड पहचान मजबूत करने, ऑर्गेनिक ट्रैफिक और ऐप रेटिंग बढ़ाने, उन्नत एनालिटिक्स के साथ डेटा-आधारित प्रक्रियाओं को स्थापित करने और उच्च-प्रभाव वाले गठबंधनों को बनाने पर भी जोर दिया गया है। इनमें टेलीकॉम बंडलिंग, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सरकारी पहुंच तक शामिल हैं। समावेशिता पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, जिसके तहत बहुभाषी और सांस्कृतिक रूप से विविध कार्यक्रमों को शामिल कर प्रसार भारती की डिजिटल पहुंच पूरे देश में बढ़ाई जाएगी।

RFP में यह भी स्पष्ट किया गया है कि PMU हाइब्रिड मोड में काम करेगा, जिसमें जरूरत पड़ने पर प्रसार भारती में ऑन-साइट उपस्थिति शामिल होगी। प्रारंभिक अनुबंध अवधि दो साल की होगी, जिसे प्रदर्शन समीक्षा और प्रसार भारती की बदलती संगठनात्मक आवश्यकताओं के आधार पर एक साल के लिए बढ़ाया जा सकेगा। 

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नेपाल सुलगा: आगजनी की चपेट में जगविंदर पटियाल का होटल भी आया, सारा सामान राख

‘एबीपी न्यूज’ के एग्जिक्यूटिव एडिटर जगविंदर पटियाल इस होटल में ठहरे हुए थे। गनीमत रही कि जब आगजनी हुई, पटियाल फील्ड रिपोर्टिंग के लिए निकले हुए थे।

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Published - Tuesday, 09 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 09 September, 2025
Nepal Fire

नेपाल इस वक्त आग और आक्रोश से घिरा हुआ है। राजधानी काठमांडू समेत कई हिस्सों में भड़के विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है। जगह-जगह झड़पें, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं से हालात बेकाबू हैं। अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। प्रदर्शनकारी गुस्से में सरकारी इमारतों से लेकर निजी संपत्तियों तक को निशाना बना रहे हैं।

इसी बीच प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार की सुबह काठमांडू स्थित उस होटल को भी आग के हवाले कर दिया, जिसमें कवरेज के लिए गए ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) के एग्जिक्यूटिव एडिटर और सीनियर एंकर जगविंदर पटियाल ठहरे हुए थे। गनीमत रही कि जिस दौरान यह घटना हुई, उस समय पटियाल अपने होटल में नहीं थे, वह कवरेज के लिए निकले हुए थे। हालांकि, इस आगजनी में उनका सारा सामान और पासपोर्ट समेत तमाम अहम कागजात जलकर राख हो गए। फिलहाल, पटियाल और उनके साथ कवरेज के लिए गए कैमरामैन ने दूसरे होटल में शिफ्ट कर लिया है।  

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, जगविंदर पटियाल कवरेज के लिए सोमवार की रात अपने कैमरामैन के साथ नेपाल पहुंचे थे। वह यहां देर रात रिपोर्टिंग के बाद हिल्टन होटल में ठहरे हुए थे।

मंगलवार की सुबह पटियाल अपने कैमरामैन के साथ फिर कवरेज के लिए निकल गए। इस बीच राजधानी में हिंसा और तेज हो गई और प्रदर्शनकारियों ने तमाम प्रमुख इमारतों के साथ-साथ हिल्टन होटल को भी आग के हवाले कर दिया।

करीब 17-18 मंजिला यह होटल नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री और नेपाली कांग्रेस प्रमुख शेर बहादुर देउबा और उनके बेटे का बताया जाता है। ऐसे में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने इसे सीधे तौर पर निशाना बनाया।

बता दें कि जगविंदर पटियाल पत्रकारिता जगत का बड़ा नाम हैं। करीब 27 वर्षों के अनुभव के दौरान उन्होंने युद्धग्रस्त इलाकों, राजनीतिक संकट और प्राकृतिक आपदाओं से बेखौफ रिपोर्टिंग की है। उन्हें रामनाथ गोयनका पत्रकारिता पुरस्कार और बलराज साहनी राष्ट्रीय सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार महेश लांगा की याचिका पर ED को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के पत्रकार महेश लांगा द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया।

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Published - Tuesday, 09 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 09 September, 2025
MaheshLanga784

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के पत्रकार महेश लांगा द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य पक्षों को नोटिस जारी किया। महेश लांगा पर दो एफआईआर से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोप है, जिनमें धोखाधड़ी का अपराध शामिल था।

लांगा, जो एक राष्ट्रीय अखबार में वरिष्ठ पत्रकार हैं, ने गुजरात हाई कोर्ट द्वारा 1 अगस्त को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान, आरोपी लांगा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि लांगा को पहली और दूसरी एफआईआर में अग्रिम जमानत मिल चुकी थी, लेकिन तीसरी एफआईआर में उन पर आयकर चोरी का आरोप लगाया गया।

इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी की, “बहुत से सच्चे पत्रकार होते हैं। लेकिन कुछ लोग स्कूटर पर घूमते हैं और कहते हैं कि हम पत्रकार हैं (पत्रकार) और वे क्या करते हैं, यह सबको पता है।”

हालांकि सिब्बल ने जवाब दिया कि ये सभी केवल आरोप हैं। गुजरात हाई कोर्ट से नियमित जमानत न मिलने के बाद ही लांगा सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, लांगा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अहमदाबाद पुलिस द्वारा दर्ज दो एफआईआर पर आधारित है, जिनमें धोखाधड़ी, आपराधिक गबन, आपराधिक विश्वासघात, चीटिंग और कुछ लोगों को लाखों रुपये का गलत नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप लगाए गए हैं।

गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी नियमित जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनके खिलाफ कई पुराने मामले हैं और हिरासत में रहते हुए उन्होंने गवाहों को प्रभावित किया था। 

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‘SPNI’ में इस बड़े पद से हम्सा धीर ने अलग होने का लिया फैसला

वह करीब दस साल से इस कंपनी में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

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Published - Monday, 08 September, 2025
Last Modified:
Monday, 08 September, 2025
Humsa Dhir

सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया (SPNI) में सीनियर वाइस प्रेजिडेंट और हेड ऑफ कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस के पद पर कार्यरत हम्सा धीर (Humsa Dhir) ने यहां अपनी पारी को विराम देने का फैसला कर लिया है। वह करीब दस साल से इस कंपनी में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

इस बारे में ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया की चीफ ह्यूमन रिसोर्सेस ऑफिसर (CHRO) मनु वाधवा ने कहा, ‘हम्सा SPNI की प्रतिष्ठा और मूल्यों की एक बेहतरीन संरक्षक रही हैं। उन्होंने संस्थान की पहचान और स्टोरीज को शानदार तरीके से गढ़ा, हितधारकों से गहरा जुड़ाव बनाया और हमेशा ईमानदारी से नेतृत्व किया। उनकी समझ, उनका सहयोग और उनका आत्मविश्वास हमें हमेशा याद आएगा। पूरी SPNI टीम की ओर से हम उन्हें आगे की नई यात्रा के लिए ढेरों शुभकामनाएँ देते हैं।

वहीं, हम्सा धीर का कहना था, ‘पिछले एक दशक में मुझे एक ऐसी कम्युनिकेशंस टीम को बनाने और नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला, जिसने कंपनी की छवि और भरोसे को मजबूत किया। इस भूमिका में रणनीति और संवेदनशीलता दोनों का संतुलन जरूरी था, जिससे मुझे पेशेवर और व्यक्तिगत स्तर पर आगे बढ़ने के तमाम अवसर मिले। अब जब मैं इस अध्याय को समाप्त कर रही हूं तो मैं आप सभी का आभार व्यक्त करती हूं। आने वाले समय में मैं व्यापक जिम्मेदारियां निभाने और सार्थक स्टोरीज व सकारात्मक लीडरशिप के लिए उत्साहित हूं।’

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संजय गुप्ता: भारतीय मीडिया और टेक्नोलॉजी को नई दिशा देने वाले लीडर

भारतीय बिजनेस लीडरशिप की कहानी में कुछ लोग उस राह पर चलते हैं जो पहले से रोशन होती है, और कुछ लोग अंधेरे में मशाल लेकर आगे बढ़ते हैं, ताकि बाकी लोग उनके बनाए रास्ते पर चल सकें।

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Published - Monday, 08 September, 2025
Last Modified:
Monday, 08 September, 2025
SanjayGupta784

भारतीय बिजनेस लीडरशिप की कहानी में कुछ लोग उस राह पर चलते हैं जो पहले से रोशन होती है, और कुछ लोग अंधेरे में मशाल लेकर आगे बढ़ते हैं, ताकि बाकी लोग उनके बनाए रास्ते पर चल सकें। संजय गुप्ता निस्संदेह दूसरी श्रेणी में आते हैं।

आज उनके जन्मदिन पर यह उपयुक्त है कि हम रुककर उनके उस करियर की यात्रा को देखें जो न केवल जगमगाती है बल्कि अनेक परतों से भरी हुई है- एक ऐसी यात्रा जिसने न केवल कॉरपोरेट्स को आकार दिया, बल्कि भारत की मीडिया और टेक्नोलॉजी की कल्पना को भी नया आयाम दिया।

संजय गुप्ता की कहानी अचानक छलांग लगाने की नहीं है, बल्कि एक कलाकार की तरह महत्वाकांक्षा, अनुशासन और दृष्टि को गढ़ने की है। उनके करियर का हर अध्याय किसी सिम्फनी की धुन की तरह है- संतुलित, मधुर और फिर भी साहसिक विस्तार लिए हुए।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत उपभोक्ता वस्तुओं की दुनिया से की, जो भारतीय प्रबंधकों की सीखने की प्रयोगशाला रही है। हिंदुस्तान यूनिलीवर में शुरुआती वर्षों ने उन्हें पैमाने की व्यावहारिकता और बारीकियों की सुंदरता सिखाई- कैसे साबुन की एक टिकिया सिर्फ खुशबू नहीं बल्कि आकांक्षा लेकर चल सकती है, कैसे वितरण केवल लॉजिस्टिक्स नहीं बल्कि सामाजिक ढांचे का हिस्सा है। भारत के ग्रामीण और शहरी, अभिजात और आम बाजारों को समझने की यह नींव आगे उनके नेतृत्व की शैली की बुनियाद बनी।

अगला अध्याय स्टार इंडिया में सामने आया, जहां संजय गुप्ता के स्पर्श ने टेलीविजन को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति में बदल दिया। वे उन वास्तुकारों में थे जिन्होंने समझा कि स्क्रीन पर दिखने वाली कहानियां बदलते समाज का दर्पण और प्रेरणा दोनों बन सकती हैं। उनके नेतृत्व में स्टार इंडिया घर-घर का नाम बन गया- क्रिकेट को प्राइम-टाइम जुनून में बदलते हुए, भारत की क्षेत्रीय आवाजों को राष्ट्रीय स्तर पर गूंजते हुए और नेटवर्क को व्यवसायिक दिग्गज के साथ-साथ सांस्कृतिक संस्था के रूप में स्थापित करते हुए। यहां उन्होंने एक दुर्लभ संतुलन दिखाया- रणनीतिकार और कहानीकार दोनों का। एक ऐसे लीडर का, जो बैलेंस शीट भी पढ़ सकता था और छोटे शहर के एक परिवार की धड़कन भी समझ सकता था जो टीवी स्क्रीन के सामने बैठा था।

लेकिन उनका सबसे उल्लेखनीय कदम अभी बाकी था। जब वे गूगल इंडिया के प्रमुख बने, तो कहानी लिविंग रूम की स्क्रीन से निकलकर जेबों में आ गई। भारत केवल टेक्नोलॉजी का उपभोक्ता नहीं रहा, बल्कि उसके जरिए अपना भविष्य गढ़ने लगा। गुप्ता के नेतृत्व में गूगल सिर्फ सर्च इंजन नहीं रहा, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए कक्षा, उद्यमियों के लिए बाजार और भारत की डिजिटल खाई को पाटने वाला पुल बन गया।

बहुत कम लीडर ऐसे होते हैं जो एफएमसीजी से प्रसारण और फिर वैश्विक टेक्नोलॉजी तक इतनी सहजता से सफर कर पाते हैं। और उनसे भी कम लोग ऐसा भारत की जटिलताओं को समझते हुए कर पाते हैं। उनका नेतृत्व ढांचे थोपने का नहीं, बल्कि ऐसे फ्रेमवर्क बनाने का रहा जो अरबों विविधताओं को समेट सके। यही कारण है कि गूगल एशिया पैसिफिक के अध्यक्ष के पद तक उनका पहुँचना सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि वैश्विक डिजिटल संवाद में भारत की बढ़ती भूमिका का प्रतीक भी था।

संजय गुप्ता के प्रभाव को समझने के लिए उनके पदनामों से आगे देखना होगा। उनकी असली विरासत यह है कि उन्होंने प्रभाव को नए ढंग से परिभाषित किया। उनके लिए नवाचार केवल टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि उन जगहों पर संभावना देखना है जहां और कोई नहीं देखता। प्रभाव का अर्थ दूसरों पर शक्ति नहीं, बल्कि ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जिसमें बाकी लोग भी आगे बढ़ सकें।

उनकी कहानी को खास बनाता है इसका बौद्धिक और मानवीय पक्ष का सहज मेल। वे ब्रैंड्स, नेटवर्क्स और प्लेटफॉर्म्स की बागडोर संभाल चुके हैं, लेकिन उनका नेतृत्व दिखावे से ज्यादा एक ऑर्केस्ट्रेशन जैसा रहा है। जैसे एक संचालक यह सुनिश्चित करता है कि हर वाद्य- सबसे छोटी वायलिन से लेकर सबसे जोरदार ढोल तक, अपने समय पर पूरी धुन में गूंजे।

उनके जन्मदिन पर हम केवल संजय गुप्ता नाम के एक एग्जिक्यूटिव का नहीं, बल्कि उस दूरदर्शी का उत्सव मनाते हैं जो संभावनाओं का नक्शा बनाता है, परंपरा और नवाचार के बीच पुल खड़ा करता है और भारत को केवल एक बाजार नहीं, बल्कि भविष्य की चित्रपटी मानता है।

आज जब नेतृत्व अक्सर तिमाही रिपोर्टों और बाजार मूल्यांकन तक सीमित हो जाता है, गुप्ता हमें याद दिलाते हैं कि किसी लीडर का असली पैमाना उनके पद की ऊंचाई नहीं, बल्कि उन दुनियाओं की चौड़ाई है जिन्हें वे दूसरों के लिए खोलते हैं। उनकी यात्रा याद दिलाती है कि जब प्रभाव कल्पना से जुड़ता है, तो वह वाकई रूपांतरकारी बन जाता है। 

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