कोरोनावायरस (कोविड-19) और इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में किए गए लॉकडाउन के कारण तमाम उद्योग-धंधों के साथ मीडिया के लिए भी यह साल काफी चुनौतियों भरा रहा।
कोरोनावायरस (कोविड-19) और इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में किए गए लॉकडाउन के कारण तमाम उद्योग-धंधों के साथ मीडिया के लिए भी यह साल काफी चुनौतियों भरा रहा। लॉकडाउन के दौरान टीवी की व्युअरशिप बढ़ने के बावजूद विज्ञापनों की संख्या घट गई और प्रिंट का सर्कुलेशन भी काफी प्रभावित हुआ। वहीं, डिजिटल की बात करें तो मीडिया के अन्य स्वरूपों के मुकाबले इसकी रफ्तार ठीक रही। कहने का तात्पर्य यह है कि डिजिटल के पाठकों/दर्शकों की संख्या साल 2020 में काफी बढ़ी, हालांकि रेवेन्यू के लिहाज से यहां भी स्थिति बेहतर नहीं रही। अब जबकि अनलॉक हो गया है और उद्योग-धंधे भी पटरी पर लौटने लगे हैं, अब सबकी उम्मीदें नए साल की ओर लगी हैं।
ऐसे में समाचार4मीडिया ने देश के चुनिंदा मीडिया संस्थानों में डिजिटल मीडिया की कमान संभाल रहे पत्रकारों से जानना चाहा कि उनकी नजर में डिजिटल मीडिया के लिए वर्ष 2020 कैसा रहा और आने वाले साल में वे इस क्षेत्र में क्या चुनौतियां/संभावनाएं देखते हैं।
‘अमर उजाला’ डिजिटल के एडिटर जयदीप कर्णिक का कहना है, ‘मेरे हिसाब से जैसे वर्ष 2020 सभी के लिए चुनौतीपूर्ण रहा, वैसे ही डिजिटल मीडिया के लिए भी रहा। हालांकि, कई मायनों में यह डिजिटल मीडिया के लिए लाभकारी भी रहा। वह इसलिए रहा कि डिजिटल मीडिया के महत्व को लेकर पिछले कई वर्षों से बात हो रही है कि डिजिटल ही भविष्य है। लगभग सभी बड़े मीडिया संस्थानों ने इस बात को समझ लिया था और 2010 से ही इस दिशा में बहुत सारा काम किया गया था। लेकिन 2020 ने ये समझा दिया कि डिजिटल मीडिया भविष्य नहीं, बल्कि वर्तमान है। मेरा मानना है कि 2020 में कोविड की जो चुनौती आई, उसने कई मायनों में मीडिया में फास्ट फॉरवर्ड का बटन दबा दिया। फास्ट फॉरवर्ड से तात्पर्य यह है कि इस दौरान जो चीजें हुईं, वह होनी थी और अवश्यंभावी थीं। जैसे- अखबारों की पठनीयता पर फर्क पड़ना या मीडिया के नए तरीके तलाशना या न्यूजरूम्स का ऑनलाइन हो जाना अथवा न्यूजरूम्स में नई पहलों को जल्दी जगह मिलना, यह सब होना था और इस पर काम भी चल रहा था, लेकिन यह सब फास्ट फॉरवर्ड हो गया। जो चीज चार-पांच साल या आठ-दस साल बाद होती, वह 2020 ने इतनी फास्ट फॉरवर्ड कर दी कि सब मजबूर हो गए।’
जयदीप कर्णिक के अनुसार, ‘साल 2020 में डिजिटल कंटेंट का उपभोग भी ज्यादा हुआ। तमाम लोग ई-पेपर की तरफ भी मुड़े। खास बात यह रही कि तमाम लोगों द्वारा डिजिटल मीडिया को पहले जिस संशय की नजरों से देखा जाता था कि इस पर सब फेक और बकवास है, वह इस माध्यम से जुड़े और जाना कि इस पर अच्छा और बुरा सभी तरह का कंटेंट है। मेरा मानना है कि डिजिटल के लिए यह साल काफी महत्वपूर्ण रहा। लोगों को समझ आया कि इस पर सब कुछ फेक नहीं है। जिस मीडिया संस्थान की वेबसाइट ने अच्छा कंटेंट तैयार किया, उसे इसका लाभ भी मिला। इस दृष्टि से देखें तो डिजिटल के लिए यह साल काफी अच्छा रहा। वर्ष 2021 में डिजिटल मीडिया के लिए यही चुनौती रहेगी कि जो लोग इससे जुड़े हैं, वह संख्या नीचे न जा पाए। इसके लिए वेबसाइट्स को अलग तरीके से सोचना पड़ेगा और नए प्रयोग करने पड़ेंगे। वेबसाइट्स को अपने खुद के कंटेंट और सबस्क्राइबर्स पर ज्यादा काम करना पड़ेगा। मेरा मानना है कि जो लोग डिजिटल मीडिया में अच्छा कंटेंट दे रहे हैं और बेहतर काम कर रहे हैं, वे नए साल में आगे बढ़ेंगे। अच्छे कंटेंट को लेकर जिसने भी 2020 में तैयारी की है, उसे 2021 में इसका लाभ जरूर मिलेगा।’
‘नवभारत टाइम्स’ (डिजिटल) के एडिटर आलोक कुमार का इस बारे में कहना है, ‘मेरा मानना है कि कोरोना के कारण डिजिटल में न्यूज के प्रति आकर्षण में बढ़ोतरी हुई। पहले जो यूजर्स डिजिटल पर नॉन न्यूज पढ़ने के लिए आते थे, वे न्यूज पढ़ने के लिए इस प्लेटफॉर्म पर आए। इस दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर यूनिक विजिटर्स की संख्या में 100 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ। इस हिसाब से देखें तो वर्ष 2020 डिजिटल के लिए बेहतर रहा है, लेकिन रेवेन्यू के हिसाब से यह साल बहुत खराब रहा है। इसका कारण यह रहा कि अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई और विज्ञापन के साथ इनकी दरों में भी काफी कमी आई। ऐसे में यूनिक विजिटर्स और पेज व्यूज में काफी वृद्धि होने के बावजूद रेवेन्यू काफी घट गया। रही बात वर्ष 2021 की तो इस साल के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही रहेगी कि वर्ष 2020 में जो यूजर्स इस प्लेटफॉर्म पर जुड़े, उन्हें बरकरार रखा जाए। देखा जा रहा है कि लॉकडाउन खत्म होने के साथ-साथ डिजिटल यूजर्स की संख्या में कमी देखी जा रही है। ऐसे में डिजिटल मीडिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि बढ़े हुए यूजर्स को जोड़े रखा जाए। इसके अलावा अगले साल 5-जी आने की उम्मीद है, ऐसे में यह भी चुनौती होगी कि आप कितनी तेजी से अपने कंटेंट को 5-जी के हिसाब से मोड़ते हैं।’
‘इंडियन एक्सप्रेस’ समूह के हिंदी न्यूज पोर्टल ‘जनसत्ता.कॉम’(jansatta.com) के एडिटर विजय झा ने बताया कि वर्ष 2020 कोरोना की वजह से डिजिटल मीडिया क्या, किसी भी इंडस्ट्री के लिए एक तरह से ऐसा साल रहा जहां सर्वाइवल के लिए संघर्ष था। साल 2020 में तमाम चुनौतियां आईं, हालांकि ये धीरे-धीरे कम हो रही हैं। 2021 में भी इन चुनौतियों का असर पूरी तरह खत्म नहीं होगा। 2020 में जो ट्रेंड हम लोग सोचकर चल रहे थे कि डिजिटल मीडिया काफी हावी होगा, उस ट्रेंड पर ज्यादा काम नहीं हो पाया। मेरे ख्याल से 2021 में भी उस पर फोकस बना रहेगा। 2021 में ऑरिजनल कंटेंट का महत्व और बढ़ने वाला है। अभी भी तमाम वेबसाइट्स कंटेंट डिस्ट्रीब्यूशन के लिए गूगल व अन्य सोशल प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर हैं, गूगल भी ऑरिजनल कंटेंट को महत्व देने की बात कह चुका है। सिर्फ गूगल के लिहाज से ही नहीं बल्कि लॉयल यूजर्स के लिए भी ऑरिजनल कंटेंट को बहुत ज्यादा महत्व देने की जरूरत है। मुझे लगता है कि 2021 में इस पर काफी जोर रहेगा। मेरे हिसाब से 2021 में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) का इस्तेमाल और ज्यादा होगा। हालांकि 2020 में यह प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन 2021 में यह और ज्यादा तेजी से चलेगी। साल 2020 में पेज व्यूज और यूजर्स की संख्या में चार महीने में जो वृद्धि हुई थी, उस समय लोगों के पास डिजिटल सीमित विकल्पों में से एक था। लॉकडाउन के दौरान जो यह वृद्धि देखने को मिली थी, मुझे नहीं लगता कि आगे भी यह इसी तरह से जारी रहेगी। हालांकि अन्य कारणों से इसमें वृद्धि हो सकती है, क्योंकि मेरा मानना है कि मोबाइल और इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ेगी। आने वाले साल में न्यूज का उपभोग निश्चित बढ़ेगा और यूजर्स की संख्या भी बढ़ेगी। हालांकि, अभी हम ये नहीं कह सकते हैं कि यह लॉकडाउन में हुई बढ़ोतरी जितनी होगी, हां सामान्य वृद्धि तो होगी। क्योंकि उस समय जो वृद्धि हुई थी, वह परिस्थितियों के अनुसार हुई थी। मुझे लगता है कि सोशल साइट्स पर सजग यूजर्स की संख्या बढ़ रही है। ऐसे तमाम यूजर्स पैनी नजर रखते हैं और कुछ गलत होने पर सकारात्मक रूप से टोकते भी हैं तो मुझे लगता है कि 2021 में ऐसे यूजर्स की संख्या में और बढ़ोतरी होगी और इसके अच्छे परिणाम निकलेंगे।
‘बीबीसी हिंदी’ के एडिटर मुकेश शर्मा के अनुसार, ‘मुझे लगता है कि डिजिटल के लिए साल 2020 को दो तरह से देखना चाहिए। ऑरिजिनल कवरेज के लिहाज से देखें तो यह साल काफी चुनौती भर रहा, लेकिन लोगों तक पहुंच के मामले में यह गोल्डन ईयर रहा। ऑरिजिनल कवरेज की बात करें तो रिपोर्टर्स ऑनग्राउंड जाकर उस तरह से कंटेंट नहीं ला पा रहे थे, जिस तरह से महामारी से पहले लाते थे, लेकिन लोगों तक डिजिटल न्यूज पहुंचाने के टूल्स काफी इस्तेमाल होने लगे। यानी 2020 में महामारी ने स्कूली बच्चे से लेकर बड़ों तक को डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल करना सिखा दिया, जो पहले काफी कम था। यानी हम कह सकते हैं कि टेक्नोलॉजी पार्ट के हिसाब से डिजिटल के लिए यह साल काफी अच्छा रहा। 2020 में लोगों के अंदर न्यूज की ‘भूख’ भी काफी थी। लोग महामारी से जुड़ी हर खबर को जानना चाहते थे कि कहां क्या हो रहा है। लोग यह सारी जानकारी खोजना चाहते थे, इसलिए भी डिजिटल पर ज्यादा आए।’
मुकेश शर्मा के अनुसार, ’टीवी पर होता यह है कि आपको जो सुनाया व दिखाया जा रहा है, आपको वही सुनना और देखना पड़ेगा, लेकिन डिजिटल में ऐसा नहीं है। डिजिटल ऐसा माध्यम है कि जहां आप जो जानना चाहते हैं, वह तलाश सकते हैं। महामारी के कारण साल 2020 लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल थे और इसलिए भी उनका रुझान डिजिटल की तरफ बढ़ा, ताकि उन्हें जवाब मिल सकें। मेरे कहने का मतलब है कि इस्तेमाल (Comsumption) के मामले में डिजिटल के लिए यह साल काफी अच्छा रहा। रही बात रेवेन्यू की तो शुरुआत में थोड़ा सा ठहराव आया था, लेकिन अब ब्रैंड्स वापस लौट रहे हैं। मेरा मानना है कि आने वाले समय में डिजिटल और आगे बढ़ेगा। हालांकि, नए साल में डिजिटल के लिए ऑरिजनल कंटेंट को जुटाने की चुनौती भी रहेगी।’
‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) में डिजिटल एडिटर शैलेश कुमार का कहना है, ‘मार्च में जब भारत में कोरोना आया था और इसका संक्रमण फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से तमाम जगह अखबार नहीं पहुंच पा रहे थे, ऐसे में लोगों के लिए या तो टीवी था या फिर डिजिटल मीडिया। इस दौरान एंटरटेनमेंट की बात करें तो रामायण और महाभारत जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों का प्रसारण फिर शुरू हुआ और इनकी टीआरपी भी काफी रही। जहां तक न्यूज की बात है तो अखबार के विकल्प के रूप में डिजिटल आया। साल 2020 के चार महीने (अप्रैल, मई, जून व जुलाई) डिजिटल के लिए काफी अहम रहे। इसका फायदा डिजिटल मीडिया को आने वाले साल में मिल सकता है, क्योंकि अखबार का विकल्प टीवी उस तरह से बन नहीं पाया है, लेकिन डिजिटल में वह क्षमताएं हैं, जहां पर आपको 24*7 न्यूज भी मिल सकती है और आप क्रेडिबिलिटी बना सकते हैं। ऐसे में वर्ष 2021 में डिजिटल मीडिया को इसका लाभ मिल सकता है। 2020 में डिजिटल ने एक नया पाठक वर्ग अपने साथ जोड़ा और अब क्रेडिबिलिटी व बेहतर प्रजेंटेशन के साथ उसे बरकरार रखने का काम 2021 कर सकता है।’
‘न्यूज नेशन’ (डिजिटल) के एडिटर राजीव मिश्रा के अनुसार, ‘न्यूज नेशन की बात करें तो मई में हमने अपना डोमेन बदला था। ऐसे में शुरुआत में थोड़ी दिक्कत आई थी, लेकिन अब हम ग्रोथ की ओर अग्रसर हैं। रही बात रेवेन्यू की तो हम शुरू में डिजिटल में इतने स्थापित नहीं थे। मैं दूसरों से तुलना नहीं करूंगा, लेकिन हमने रेवेन्यू में भी डिजिटल का रिकॉर्ड बनाए रखा है। चूंकि डिजिटल में स्पीड काफी मायने रखती है, ऐसे में वर्क फ्रॉम होम के कारण इस पर थोड़ा असर जरूर पड़ा, क्योंकि ऑफिस के मुकाबले इसमें कम्युनिकेशन में थोड़ा समय लगता है। मुझे लगता है कि इसमें अन्य संस्थानों को भी थोड़ी दिक्कत हुई होगी। यह थोड़ी सी दिक्कत अभी भी चल ही रही है, क्योंकि अभी भी ज्यादातर स्टाफ वर्क फ्रॉम होम कर रहा है। ब्रेकिंग खबरों के लिहाज से वर्ष 2020 काफी महत्वपूर्ण रहा है, ऐसे में डिजिटल को अपनी स्पीड को कायम रखने में थोड़ी सी दिक्कत जरूर हुई। डिजिटल के लिए यह साल खासकर न्यूज नेशन के लिए एक तरह से मिला-जुला रहा। मुझे उम्मीद है कि 2021 डिजिटल के लिए काफी बेहतर रहेगा। हम ट्रैफिक, रेवेन्यू और मार्केटिंग सभी में आगे बढ़ रहे हैं। हमने पिछले महीनों में भी अच्छी ग्रोथ की है और हमने जो अपना बेस मजबूत किया है, अब उसका लाभ लेने का समय आ रहा है। न्यूज नेशन के लिए वर्ष 2021 बहुत अच्छा होने वाला है। कुल मिलाकर आने वाला साल मेरी नजर में टीवी के मुकाबले डिजिटल के लिए काफी बेहतर रहने वाला है।’
टिकटॉक की भारत में संभावित वापसी को लेकर चल रही अटकलों के बीच, केंद्रीय आईटी, सूचना-प्रसारण और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया है
टिकटॉक की भारत में संभावित वापसी को लेकर चल रही अटकलों के बीच, केंद्रीय आईटी, सूचना-प्रसारण और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया है कि ऐसी किसी भी संभावना पर विचार नहीं किया जा रहा है। मीडिया से बातचीत में वैष्णव ने कहा, “किसी भी पक्ष से इस तरह का कोई प्रस्ताव बिल्कुल नहीं आया है।”
मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच संबंधों में नरमी की संभावना को लेकर चर्चा हो रही है, जिससे बाइटडांस के शॉर्ट-वीडियो प्लेटफॉर्म की वापसी की अटकलों को बल मिला। पिछले महीने टिकटॉक की वेबसाइट कुछ ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क, जिनमें एयरटेल और वोडाफोन शामिल थे, पर कुछ समय के लिए फिर से एक्सेस हो गई थी, जिससे अटकलें और तेज हुईं।
टिकटॉक का सबसे बड़ा बाजार था भारत
टिकटॉक जून 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को लेकर प्रतिबंधित किए गए शुरुआती 59 चीनी ऐप्स में से एक था। इसे एप्पल के ऐप स्टोर और गूगल प्ले से हटा दिया गया था और जनवरी 2021 में केंद्र सरकार ने इस प्रतिबंध को स्थायी कर दिया। उस समय भारत टिकटॉक का सबसे बड़ा बाजार था, जहां इसके 200 मिलियन से अधिक यूजर्स थे।
सरकार के 2020 के आदेश में बाइटडांस के अन्य ऐप्स जैसे हेलो और कैपकट को भी निलंबित कर दिया गया था, जबकि कंपनी ने आखिरकार जनवरी 2024 में ऐप स्टोर्स से हटाए जाने के बाद अपना म्यूजिक ऐप रेसो भी भारत में बंद कर दिया।
जब वैष्णव से पूछा गया कि क्या चीनी निवेशक भारतीय टेक सेक्टर में दोबारा प्रवेश कर सकते हैं, तो उन्होंने कहा, “जैसा होगा देखा जाएगा। नीतियां सभी के साथ स्पष्ट रूप से साझा की जाएंगी। हम एक बहुत ही पारदर्शी देश हैं।”
2020 तक टेनसेंट, अलीबाबा, एंट फाइनेंशियल और शुनवेई कैपिटल जैसे चीनी दिग्गज भारतीय स्टार्टअप्स के सबसे बड़े निवेशकों में शामिल थे। ये निवेशक ई-कॉमर्स, फिनटेक, फूड डिलीवरी, मोबिलिटी और एडटेक जैसे क्षेत्रों में कंपनियों को सहयोग देते थे। लेकिन अप्रैल 2020 में जारी प्रेस नोट 3 ने भारत की जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले निवेश के लिए पूर्व स्वीकृति अनिवार्य कर दी। इस नीति के कारण चीनी पूंजी का प्रवाह काफी धीमा हो गया और भारतीय स्टार्टअप्स को वैकल्पिक फंडिंग तलाशनी पड़ी या निकास की सुविधा देनी पड़ी।
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और चीन सेमीकंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में मिलकर काम कर सकते हैं, वैष्णव ने वैश्विक वैल्यू चेन की प्रकृति पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम वैश्विक वैल्यू चेन की इस वास्तविकता का सम्मान करते हैं और इस उद्योग के काम करने के तरीके का सम्मान करते हैं। इसलिए जहां कहीं भी मूल्य जुड़ता है, अंततः लाभ हमारे लोगों और हमारी इंडस्ट्री तक पहुंचना चाहिए।”
भारत और चीन की कई कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग में संयुक्त उद्यम, तकनीकी सहयोग और स्केल दक्षताओं को लेकर बातचीत कर रही हैं, ऐसे समय में जब ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिकी टैरिफ ने वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित किया है।
सोशल मीडिया पर लिखी अपनी पोस्ट में उन्होंने इस सफर को याद करते हुए कई अनुभव साझा किए हैं।
फाइनेंस जर्नलिस्ट विकास तिवारी ने देश के प्रमुख बिजनेस न्यूज चैनल्स में शुमार ‘जी बिजनेस’ (Zee Business) की डिजिटल टीम को अलविदा कह दिया है। सोशल मीडिया पर लिखी अपनी पोस्ट में उन्होंने इस सफर को याद करते हुए कई अनुभव साझा किए हैं। विकास ने बताया कि ‘जी बिजनेस’ में काम करते हुए उन्होंने लगातार एक्सपेरिमेंट किए, हेडलाइंस से लेकर एसईओ और जियो-टार्गेटिंग तक, हर दिन नई सीख मिली।
उन्होंने लिखा कि लगभग 200 दिनों की इस जर्नी ने उन्हें कई अहम सबक सिखाए। पहला, बाजार सिर्फ टेक्निकल्स पर नहीं चलता, फंडामेंटल्स भी उतने ही जरूरी हैं। चार्ट्स में दिख रहे ट्रेंड के पीछे कौन सी खबर या वजह है, वहीं असली कहानी छिपी होती है। दूसरा, सही माहौल और टीम का महत्व। उन्होंने कहा कि अच्छा वातावरण और सपोर्टिव कल्चर इंसान के औसत प्रदर्शन से कहीं आगे ले जाता है। तीसरा, मैनिफेस्टेशन की ताकत. अगर आप किसी चीज को सच्चे मन से चाहते हैं और उसकी दिशा में मेहनत करते हैं, तो नतीजे जरूर मिलते हैं।
विकास तिवारी ने अपने साथियों और ‘जी बिजनेस’ की टीम का दिल से आभार जताया। उन्होंने लिखा कि यहां का वर्क कल्चर, टीमवर्क और सीख उन्हें हमेशा याद रहेगा। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, विकास तिवारी जल्द ही ब्रोकरेज फर्म Upstox के साथ बतौर फाउंडिंग मेंबर जुड़ सकते हैं। यह फर्म हिंदी बिजनेस न्यूज में तेजी से अपने पैर पसारने की तैयारी में जुटी है।
करियर की बात करें तो विकास तिवारी इससे पहले ‘टीवी9 भारतवर्ष’, ‘एबीपी न्यूज’ और ‘इंडिया टीवी’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के साथ भी काम कर चुके हैं। समाचार4मीडिया की ओर से विकास तिवारी को उनके नए सफर के लिए अग्रिम रूप से ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने डिजिटल इन्फोटेनमेंट प्लेटफॉर्म पिंकविला इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में बहुमत हिस्सेदारी के अधिग्रहण की घोषणा की है।
ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने डिजिटल मीडिया कंपनी पिंकविला इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में बहुमत हिस्सेदारी के अधिग्रहण की घोषणा की है। यह अधिग्रहण फ्लिपकार्ट की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत कंपनी अपने कंटेंट की मौजूदगी को बढ़ाना चाहती है और Gen Z और मिलेनियल दर्शकों के साथ जुड़ाव को मजबूत करना चाहती है। इसके लिए फ्लिपकार्ट पिंकविला के स्थापित ब्रैंड, क्षमताओं और लॉयल दर्शक आधार का उपयोग करेगी।
फ्लिपकार्ट का यह अधिग्रहण कंपनी को ट्रेंड इनसाइट्स हासिल करने और कॉमर्स अवसरों के लिए कंटेंट बनाने का मौका देता है, जिससे भारतीय बाजार में कंपनी की स्थिति और मजबूत होगी।
फ्लिपकार्ट के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, कॉर्पोरेट, रवि अय्यर ने कहा, “पिंकविला में बहुमत हिस्सेदारी का हमारा अधिग्रहण जेन जेड के साथ हमारे जुड़ाव को गहरा करने के मिशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पिंकविला की मजबूत कंटेंट आईपीज और अपने वफादार दर्शकों से गहरा जुड़ाव ऐसे एसेट्स हैं जो कंटेंट को विकास का प्रमुख कारक बनाने के हमारे प्रयासों को और तेज करेंगे।”
पिंकविला की संस्थापक और सीईओ नंदिनी शेनॉय ने कहा, “फ्लिपकार्ट का निवेश उस मजबूत प्लेटफॉर्म और कंटेंट का प्रमाण है जिसे हमने बनाया है। हमें विश्वास है कि फ्लिपकार्ट के सहयोग से हम अपने संचालन का विस्तार कर पाएंगे और उच्च गुणवत्ता वाला कंटेंट लगातार अपने लाखों उपयोगकर्ताओं तक पहुंचा पाएंगे, जिससे हमारी स्थिति इन्फोटेनमेंट में एक अग्रणी के रूप में और मजबूत होगी।”
यह सौदा अंतिम रूप ले चुका है और यह सामान्य समापन शर्तों के अधीन है। दोनों कंपनियों को उम्मीद है कि यह लेनदेन जल्द ही पूरा हो जाएगा।
ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) कथित तौर पर भारत में अपने लगभग 60% एम्प्लॉयीज की छंटनी करने जा रही है।
ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म मोबाइल प्रीमियर लीग (MPL) कथित तौर पर भारत में अपने लगभग 60% एम्प्लॉयीज की छंटनी करने जा रही है। यह कदम सरकार द्वारा पेड ऑनलाइन गेमिंग पर लगाए गए बैन के बाद उठाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, MPL ने रविवार को अपने एम्प्लॉयीज को एक आंतरिक ईमेल भेजा। इस ईमेल में MPL के सीईओ साई श्रीनिवास ने कथित तौर पर लिखा कि कंपनी ने भारत टीम को "काफी हद तक" छोटा करने का फैसला लिया है। हालांकि इस मेल में किसी संख्या का जिक्र नहीं किया गया।
एक मीडिया रिपोर्ट में कंपनी के एक सूत्र का हवाला देते हुए बताया गया कि MPL अपने भारत स्थित लगभग 500 एम्प्लॉयीज में से करीब 300 को निकालने जा रही है। इनमें मार्केटिंग, फाइनेंस, ऑपरेशंस, इंजीनियरिंग और लीगल जैसी डिवीजन शामिल हैं।
रिपोर्ट की मानें तो मेल में उल्लेख किया गया, "भारत M-League की 50% आमदनी के लिए जिम्मेदार था और इस बदलाव का मतलब है कि निकट भविष्य में हम भारत से कोई राजस्व नहीं कमा पाएंगे।"
भारत की संसद ने पिछले महीने प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 पारित किया था, जिसके तहत आदतों और वित्तीय जोखिमों से निपटने के लिए रियल-मनी ऑनलाइन गेम्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस बिल से भारतीय और ऑफशोर ऑपरेटर्स (वो कंपनियां या गेमिंग प्लेटफॉर्म जो भारत के बाहर रजिस्टर्ड हैं, लेकिन भारतीय यूजर्स को अपनी ऑनलाइन गेमिंग सेवाएं उपलब्ध कराते हैं।) पर कड़ा असर पड़ने की संभावना है क्योंकि इसमें विज्ञापन पर भी रोक लगा दी गई है। धारा 6 के तहत पैसों वाले गेम्स के सभी विज्ञापनों पर सख्त प्रतिबंध है। इस नियम को तोड़ने वालों को दो साल तक की जेल और ₹50 लाख तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
समाचार4मीडिया से बातचीत में ज्योत्सना बेदी ने कहा, जैसा नाम है, ‘क्लियर कट’, ठीक वैसा ही यह पॉडकास्ट होगा।
देश के तमाम बड़े न्यूज चैनल्स पर प्राइम टाइम एंकरिंग कर चुकीं ज्योत्सना बेदी ने अब पत्रकारिता का नया अध्याय डिजिटल प्लेटफॉर्म से शुरू किया है। अपनी तेज धार एंकरिंग और सीधे सवालों के लिए पहचानी जाने वालीं ज्योत्सना इस बार दर्शकों से जुड़ेंगी यूट्यूब के जरिये, जहां उन्होंने अपना शो ‘Clear Cut with Jyotsna’ लॉन्च किया है।
हाल ही में इस शो का टीजर रिलीज किया गया, जिसके बाद से यह चर्चा का विषय बना हुआ है। मीडिया जगत हो या आम दर्शक—हर जगह इस डिजिटल डेब्यू को लेकर उत्सुकता है। इसे पारंपरिक टीवी न्यूजरूम से डिजिटल स्पेस की ओर उनका अहम कदम माना जा रहा है।
ज्योत्सना बेदी का नाम हमेशा से उन पत्रकारों में शुमार रहा है जो सत्ता से सीधे सवाल करने से पीछे नहीं हटते। यही अंदाज़ अब डिजिटल मंच पर भी देखने की उम्मीद है। समाचार4मीडिया से बातचीत में ज्योत्सना बेदी ने कहा, ‘जैसा नाम है, ‘क्लियर कट’, ठीक वैसा ही यह पॉडकास्ट होगा। राजनीति, सत्ता के बदलते समीकरण, अंतरराष्ट्रीय घटनाएं, सामाजिक सरोकार और जनता की परेशानियां—सब कुछ बिना लाग-लपेट के उठाया जाएगा।’
उनका कहना है, ‘अब वक्त है दर्शकों को बिना किसी फिल्टर या एजेंडा के सच बताने का। इस शो में सवाल होंगे सीधे और जवाब मिलेंगे बिल्कुल क्लियर कट।’ बता दें कि ज्योत्सना बेदी पूर्व में ‘टाइम्स नाउ’, ‘जी’ और ‘न्यूज24’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में एंकरिंग कर चुकी हैं। लंबे अनुभव के बाद अब उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म को चुना है।
इस पॉडकास्ट का टीजर जारी हो गया है, जिसे आप यहां देख सकते हैं:
सीनियर मीडिया प्रोफेशनल प्रियदर्शन गर्ग को IDPL (इंडिया डिजिटल पब्लिशिंग लिमिटेड) का नया बिजनेस हेड नियुक्त किया गया है।
सीनियर मीडिया प्रोफेशनल प्रियदर्शन गर्ग को IDPL (इंडिया डिजिटल पब्लिशिंग लिमिटेड) का नया बिजनेस हेड नियुक्त किया गया है। Pinewz में हेड की भूमिका वह पहले से ही निभा रहे हैं और अब यह अतिरिक्त जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। इससे पहले IDPL (पूर्व में Zee Digital) की यह जिम्मेदारी सुशांत एस मोहन के कंधो पर थी, जिन्होंने हाल ही में यहां से विदाई ली है।
मीडिया और डिजिटल कंटेंट की दुनिया में दो दशकों से अधिक का अनुभव रखने वाले प्रियदर्शन गर्ग ने अप्रैल 2025 में ZEE Media के नए हाइपरलोकल न्यूज ऐप Pinewz में बतौर चीफ बिजनेस ऑफिसर (CBO) अपनी नई पारी की शुरुआत की थी। Pinewz, जी मीडिया का यूजर जेनरेटेड कंटेंट (UGC) आधारित प्लेटफॉर्म है, जो भारत के छोटे शहरों और कस्बों की खबरों को सामने लाने का प्रयास कर रहा है।
इससे पहले प्रियदर्शन ZEE5 में बतौर वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज) कार्यरत रहे। उनके कार्यकाल के दौरान प्लेटफॉर्म ने डिजिटल न्यूज के क्षेत्र में कई नवाचार किए। कंटेंट प्लानिंग, व्युअर इंगेजमेंट और डिजिटल कैंपेनिंग जैसे अहम क्षेत्रों में उनके नेतृत्व से ZEE5 की व्युअरशिप को नई ऊंचाइयां मिलीं।
ZEE5 से पूर्व उन्होंने UC Browser के साथ काम किया, जहां वे डिजिटल कंटेंट ऑपरेशंस, पब्लिशर पार्टनरशिप और कंटेंट क्यूरेशन से जुड़े रहे। उनकी अगुवाई में UC न्यूज ने भारत के टियर-2 और टियर-3 दर्शकों तक अपनी पहुंच मजबूत की।
रेडियो इंडस्ट्री में भी प्रियदर्शन का अनुभव रहा है। वह MY FM के नेशनल कंटेंट हेड रहे, जहां उन्होंने सभी शहरों में कंटेंट की गुणवत्ता, विविधता और लोकल कनेक्ट को मजबूती दी।
पत्रकारिता की शुरुआत उन्होंने दैनिक भास्कर इंदौर से की थी। इसके बाद 'आजतक' से जुड़े और मुंबई में बतौर प्रिंसिपल करेस्पॉन्डेंट कई बड़ी व चर्चित खबरों की रिपोर्टिंग की। उनकी जमीनी पकड़ और रिपोर्टिंग स्टाइल ने उन्हें इंडस्ट्री में खास पहचान दिलाई।
छाया नायक OpenAI से जुड़ी हैं और यहां वे स्पेशल इनिशिएटिव्स पर काम करेंगी।
छाया नायक OpenAI से जुड़ी हैं और यहां वे स्पेशल इनिशिएटिव्स पर काम करेंगी। अपनी नई भूमिका में वे कंपनी के CTO ऑफिस की स्पेशल इनिशिएटिव्स की हेड इरीना कॉफमैन के साथ काम करेंगी।
छाया ने अपनी नई भूमिका की जानकारी लिंक्डइन पोस्ट के जरिए साझा की।
उन्होंने लिखा, “साथ ही, मैं आने वाले समय के लिए बेहद उत्साहित हूं। आज मैं OpenAI से जुड़ रही हूं, जहां मैं इरीना कॉफमैन के साथ स्पेशल इनिशिएटिव्स पर काम करूंगी- एआई की सीमाओं पर नए अवसर तलाशने के लिए। यह मेरे लिए एक परफेक्ट अगला अध्याय लगता है: जो कुछ मैंने अब तक सीखा है, उसे उस काम में लगाना, जो यह तय करने में मदद करेगा कि तकनीक और समाज के लिए आगे क्या आने वाला है।”
इससे पहले छाया नायक करीब 9 साल तक फेसबुक, जो अब मेटा के नाम से जाना जाता है, के साथ जुड़ी हुई थीं। कंपनी में उनकी आखिरी भूमिका डायरेक्टर ऑफ प्रोडक्ट मैनेजमेंट, जेनरेटिव एआई की थी।
पंकज झा इससे पहले ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में बतौर कंसल्टिंग एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
वरिष्ठ टीवी पत्रकार पंकज झा ने ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह के साथ मीडिया में अपनी नई पारी की शुरुआत की है। उन्होंने इस समूह के डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म ‘द लल्लनटॉप’ (The Lallantop) में बतौर पॉलिटिकल एडिटर जॉइन किया है। पंकज झा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर खुद इस बारे में जानकारी शेयर की है।
गणपति बप्पा के आशीर्वाद से नई पारी @TheLallantop के साथ
— पंकज झा (@pankajjha_) August 28, 2025
राजनीति से लेकर ब्यूरोक्रेसी के क़िस्से कहानियों का नया ठिकाना pic.twitter.com/i8WSpqAEWI
बता दें कि पंकज झा ने हाल ही में ‘एनडीटीवी’ (NDTV) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया था। पंकज झा ने पिछले साल अक्टूबर में ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में बतौर कंसल्टिंग एडिटर जॉइन किया था।
मूल रूप से मधुबनी (बिहार) के रहने वाले पंकज झा को पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का करीब 25 साल का अनुभव है।
‘एनडीटीवी’ से पहले पंकज झा करीब दो साल से ‘टीवी9 नेटवर्क’ (TV9 Network) के साथ जुड़े हुए थे। वह इस नेटवर्क के हिंदी न्यूज चैनल ‘टीवी9 भारतवर्ष’ (TV9 Bharatvarsh) में बतौर रोविंग एडिटर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
‘टीवी9 नेटवर्क’ से पहले पंकज झा करीब दो दशक से ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) के साथ जुड़े हुए थे। ‘एबीपी न्यूज’ से पहले वह ‘जी न्यूज’ (Zee News) में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
पंकज झा ने ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC) से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। समाचार4मीडिया की ओर से पंकज झा को नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
र्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्विक कॉमर्स और तेजी से बदलते उपभोक्ता व्यवहार ने मिलकर एक बड़े विस्फोट जैसी स्थिति पैदा कर दी है, जिसने पारंपरिक मॉडलों को बदल दिया है और पूरे इकोसिस्टम को नया रूप दे दिया है।
भारतीय मीडिया और मार्केटिंग सेक्टर इस समय ऐसे बड़े बदलावों का सामना कर रहे हैं, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्विक कॉमर्स और तेजी से बदलते उपभोक्ता व्यवहार ने मिलकर एक बड़े विस्फोट जैसी स्थिति पैदा कर दी है, जिसने पारंपरिक मॉडलों को बदल दिया है और पूरे इकोसिस्टम को नया रूप दे दिया है। हालांकि इससे नवाचारपूर्ण बिजनेस मॉडल और अभूतपूर्व विकास अवसर सामने आ रहे हैं, लेकिन यह इंडस्ट्री के हितधारकों के लिए नई चुनौतियां और अड़चनें भी खड़ी कर रहा है।
इसी बीच लॉन्च हुआ है MatheMedia, एक अनोखा पॉडकास्ट सीरीज, जो इन जटिलताओं पर रोशनी डालेगा और अव्यवस्था के बीच स्पष्टता लाएगा। यह एक लंबी, इंटरैक्टिव सीरीज होगी, जिसमें भारत की अग्रणी विज्ञापन एजेंसियों, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स, ब्रैंड्स, टेक कंपनियों और मीडिया पब्लिशिंग हाउस से जुड़े 25 से अधिक शीर्ष विशेषज्ञ एक साथ आएंगे और तेजी से बदलते मीडिया परिदृश्य को सुलझाने की कोशिश करेंगे। यह दर्शकों को हाइब्रिड अनुभव देगा- आधा CMO ब्रीफिंग और आधा मास्टरक्लास। इस दौरान इंडस्ट्री विशेषज्ञ भारत की विशिष्ट चुनौतियों के अनुरूप वास्तविक अनुभवों और भविष्य की रणनीतियों पर चर्चा करेंगे और मार्केटिंग में मीडिया के लिए नए नियम सामने रखेंगे।
MatheMedia का मुख्य उद्देश्य व्यावहारिक और दूरदर्शी दोनों होना है। यह शोध, संवाद और साझा अनुभवों के माध्यम से इन नए नियमों को समझाएगा। यह नेताओं को सिर्फ अनुकूलन करने के लिए नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से भविष्य को आकार देने के लिए सक्षम बनाएगा। हर एपिसोड में दर्शक खुली बहस की उम्मीद कर सकते हैं- मीडिया और मार्केटिंग में AI और तकनीकी इनोवेशन की भूमिका पर और इस पर कि ब्रैंड्स और एजेंसियां किस तरह मिलकर काम कर सकती हैं। यह प्राइवेसी-रेगुलेशन के अनुरूप एकीकृत मापन प्रणाली बनाने पर भी ध्यान देगा। संक्षेप में, यह बताएगा कि इस विघटनकारी युग के लिए तैयार कैसे होना है।
इस सीरीज का प्रमुख लक्ष्य मोबाइल-फर्स्ट दर्शकों को मीडिया और कम्युनिकेशन सेक्टर पर नया दृष्टिकोण प्रदान करना है। इंडस्ट्री के विभिन्न क्षेत्रों से आए ये पेशेवर मीडिया परिदृश्य, चुनौतियों और आने वाले अवसरों पर चर्चा करेंगे। यह मीडिया मापन और चैनल प्लानिंग के नियमों को दोबारा लिखने के बारे में है—ऐसे बाजार के लिए जो हाइपर-कनेक्टेड, खंडित और पहले से कहीं तेजी से विकसित हो रहा है। पॉडकास्ट साथ मिलकर डिस्कवरी, एंगेजमेंट और कॉमर्स की नई गतिशीलताओं को खोजेगा, जहां डिजिटल और पारंपरिक दुनिया टकरा रही है। इसका सामूहिक उद्देश्य है- तथ्यों, आंकड़ों और आकलनों के आधार पर यह तय करना कि इंडस्ट्री को किस भविष्य की ओर बढ़ना है।
पहले एपिसोड का शीर्षक है “The New Media Code”। यह The Media Shift, New Customer Journeys और All New Rules पर केंद्रित होगा। इसमें होस्ट श्रीपद कुलकर्णी के साथ शामिल होंगे एल. वी. कृष्णन (सीईओ, TAM Media Research), पुनीत अवस्थी (डायरेक्टर, Kantar) और अजय गुप्ते (प्रेसिडेंट - क्लाइंट सॉल्यूशंस, साउथ एशिया, WPP Media)।
MatheMedia के संस्थापक श्रीपद कुलकर्णी कहते हैं, “हम ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां चैनलों का अराजक माहौल है, पहले से कहीं अधिक प्लेटफॉर्म और खंडित दर्शक। वे दिन गए जब हम रेखीय ढंग से सोच और काम कर सकते थे और उसी तरह माप सकते थे। आज का मार्केटर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। अधिक कैटेगरी एंट्री पॉइंट्स, ब्रैंड एसेट्स और पर्सनलाइज्ड मैसेजिंग के साथ ब्रैंड स्ट्रैटेजी को फिर से परिभाषित किया जा रहा है। ब्रैंड कस्टोडियन्स पर चैनलों और साझेदारों के भीड़भरे नेटवर्क से दबाव लगातार बढ़ रहा है। अब समय है रणनीति, मीडिया, मापन और सहयोग में नए नियमों का।”
कुलकर्णी यह भी कहते हैं कि यह हम सबके लिए अहम दांव है। उन्होंने कहा, “आज जो फैसले हम लेंगे, वही प्रभावी मार्केटिंग के अगले युग को तय करेंगे। MatheMedia इस सफर के लिए कम्पास और सहयोगी प्लेटफॉर्म बनने का लक्ष्य रखता है।”
इस पॉडकास्ट सीरीज का पहला सीजन 12 एपिसोड्स का होगा, जो 1 सितंबर 2025 से शुरू होकर हर सोमवार रिलीज होंगे।
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की जिम्मेदारी तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार को गाइडलाइन बनाने का निर्देश दिया है।
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की जिम्मेदारी तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार को गाइडलाइंस बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया में न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) सहित सभी संबंधित पक्षों से चर्चा की जाए।
शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि यूट्यूब या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ऐसा कोई कंटेंट न डाला जाए जो किसी वर्ग की गरिमा को ठेस पहुंचाए, खासकर दिव्यांग व्यक्तियों का मजाक उड़ाने या अपमान करने की घटनाओं पर रोक लगे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इन्फ्लुएंसर्स द्वारा शो या वीडियो में की गई टिप्पणियों को "फ्री स्पीच" नहीं बल्कि "कमर्शियल स्पीच" माना जाएगा और इसके लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि व्यावसायिक लाभ के लिए दी गई अभिव्यक्ति को संवैधानिक संरक्षण नहीं मिलता। जस्टिस बागची ने टिप्पणी की, “यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि वाणिज्यिक भाषण है।”
अदालत ने कहा कि जब इन्फ्लुएंसर यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल पैसे कमाने के लिए करते हैं, तो उनकी यह जिम्मेदारी है कि उनके कंटेंट से समाज या कमजोर वर्गों, खासकर दिव्यांगों को कोई ठेस न पहुंचे।
यह टिप्पणी उस केस की सुनवाई के दौरान आई जिसमें यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया पर आरोप है कि उन्होंने 'इंडियाज गॉट लेटेंट' शो में दिव्यांग व्यक्तियों का मजाक उड़ाया। इसके अलावा SMA (स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी) से पीड़ित बच्चों के परिवारों ने कॉमेडियन समय रैना की कुछ टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई थी।
पीठ ने कहा, “हास्य जीवन का हिस्सा है। खुद पर हंसना स्वीकार्य है, लेकिन जब दूसरों पर हंसी उड़ाई जाती है और वह भी तब जब मामला भेदभाव से जुड़ा हो, तो यह गंभीर हो जाता है। इन्फ्लुएंसर्स को यह समझना होगा कि जब आप अभिव्यक्ति का व्यावसायीकरण करते हैं तो किसी समुदाय का अपमान नहीं कर सकते।”
जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी कहा कि जब तक ठोस नतीजे सामने नहीं आएंगे, लोग गैर-जिम्मेदार भाषा का इस्तेमाल करते रहेंगे। उन्होंने जोर दिया कि दंड उतना ही होना चाहिए जितना नुकसान हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने खास तौर पर NBDA को इस प्रक्रिया में शामिल किया और उनके वकील से कहा कि वे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को प्रभावी रेगुलेटरी मैकेनिज्म पर सुझाव दें। अदालत ने स्पष्ट किया कि जैसे प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए नियम हैं, वैसे ही पॉडकास्टर्स, यूट्यूबर्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए भी अलग दिशा-निर्देश जरूरी हैं।
NBDA की ओर से कहा गया कि संगठन मुख्यतः न्यूज चैनलों और मीडिया हाउसेज को कवर करता है। हालांकि, विशेषज्ञता के चलते हमें इस प्रक्रिया में शामिल किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर इलाहाबादिया और अन्य कॉमेडियनों को निर्देश दिया कि वे दिव्यांग समुदाय से अपने प्लेटफॉर्म्स पर सार्वजनिक माफी मांगें। इसके साथ ही, उन्हें शपथपत्र भी दाखिल करना होगा जिसमें यह बताया जाए कि वे दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए क्या कदम उठाएंगे।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “दिव्यांग व्यक्तियों की गरिमा की बार-बार अनदेखी की जा रही है। मंत्रालय को गाइडलाइन और प्रवर्तन तंत्र तैयार करने का समय दिया जाना चाहिए।”
कोर्ट ने सरकार को यह भी चेताया कि जल्दबाजी में अलग-थलग घटनाओं पर नियम न बनाए जाएं, बल्कि ऐसे प्रावधान तैयार हों जो बदलती तकनीक से जुड़ी चुनौतियों को भी कवर करें।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी इशारा दिया कि यदि रणवीर इलाहाबादिया और अन्य इन्फ्लुएंसर दिव्यांग व्यक्तियों का अपमान करने के दोषी पाए जाते हैं, तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है। हालांकि, इसकी राशि बाद में तय की जाएगी। अदालत ने यह भी कहा कि कॉमेडियनों को हर सुनवाई पर मौजूद रहने की जरूरत नहीं होगी।