देश में OTT कंटेंट के विस्तार पर बोले शैलेश लोढ़ा, प्रड्यूसर्स को दी ये सलाह

‘ई4एम स्ट्रीमिंग समिट 2022’ के मौके पर बुधवार को ‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा के साथ बातचीत कर रहे थे ‘तारक मेहता’

Last Modified:
Thursday, 12 May, 2022
e4m Streaming Summit


जाने-माने कवि, लेखक, अभिनेता और ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ धारावाहिक में तारक मेहता का किरदार निभा रहे शैलेश लोढ़ा का कहना है कि ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म का कंटेंट हमारे समाज से जुड़ा होना चाहिए, तभी लोग इस तरह के कंटेंट को पसंद करेंगे।  

‘ई4एम स्ट्रीमिंग समिट 2022’ (e4m Streaming Summit 2022) के मौके पर बुधवार को ‘बिजनेसवर्ल्ड’ समूह के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा के साथ एक बातचीत में शैलेश लोढ़ा ने कंटेंट तैयार कर रहे लोगों से ऐसी वेब सीरीज का निर्माण करने के लिए कहा, जिसे लोग अपने परिवार के साथ देख सकें।   

शैलेश लोढ़ा के अनुसार, ‘अगर कंटेंट समाज से जुड़ा होगा तो अधिक से अधिक भारतीय ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से जुड़ेंगे। कंटेंट ऐसा होना चाहिए कि इसे परिवार के साथ देखा जा सके।’

‘तारक मेहता’ के नाम से घर-घर में मशहूर शैलेश लोढ़ा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर बच्चों के लिए बहुत कम कंटेंट है। उन्होंने कहा, ‘ओटीटी प्लेटफार्म्स पर बच्चों के लिए शायद ही कोई कंटेंट हो। ऐसे में देश की अधिकांश आबादी इससे वंचित रहती है। प्रड्यूसर्स को बच्चों के लिए भी कंटेंट तैयार करना चाहिए।’ उन्होंने माता-पिता को यह भी सलाह दी कि वह इस बात पर नजर रखें कि उनके बच्चे टीवी और डिजिटल मीडिया पर क्या देखते हैं?

इससे साथ ही लोढ़ा ने इस तरह की आशंकाओं को भी खारिज कर दिया कि ओटीटी और अन्य डिजिटल फॉर्मेट्स के आने के साथ टीवी माध्यम का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। लोढ़ा के अनुसार, ‘जब टीवी आया तो तमाम लोगों को लगा कि प्रिंट का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अखबार, खासकर स्थानीय भाषा वाले अखबारों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसी तरह टीवी भी बना रहेगा।’

इस बातचीत के दौरान यह पूछे जाने पर कि अगर टीवी में गिरावट आती है तो एडवर्टाइजिंग सेक्टर का क्या होगा? लोढ़ा ने कहा, ‘विज्ञापन वाले लोग बहुत क्रिएटिव होते हैं। वे विज्ञापन देने के नए-नए तरीके तलाश लेंगे।’

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्रतिबंध मुश्किल: Google

टेक कंंपनी गूगल (Google) ने चेतावनी दी है कि ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के लोगों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल पर रोक लागू करना बेहद मुश्किल होगा।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 15 October, 2025
Last Modified:
Wednesday, 15 October, 2025
Google8745

टेक कंंपनी गूगल (Google) ने चेतावनी दी है कि ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के लोगों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल पर रोक लागू करना बेहद मुश्किल होगा। कंपनी ने कहा कि सरकार की यह पहल बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित बनाने में मदद नहीं करेगी।

दिसंबर 2024 में ऑस्ट्रेलिया पहला देश बना जिसने 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया उपयोग से रोक दिया। इस कानून के तहत प्लेटफॉर्म्स को इस साल 10 दिसंबर तक अनाधिकृत बच्चों के अकाउंट्स को बंद करना होगा, लेकिन इसके लिए उम्र की पुष्टि (age verification) की जरूरत नहीं होगी।

ऑस्ट्रेलिया की इस कानून में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को AI और यूजर बिहेवियर डेटा का उपयोग कर बच्चों की उम्र का अंदाजा लगाने के लिए कहा गया है। यह कानून युवा लोगों की मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के प्रभाव को देखते हुए नवंबर 2024 में पास किया गया था। कंपनियों को इसे लागू करने के लिए एक साल का समय मिला है।

सोमवार, 13 अक्टूबर को ऑनलाइन सेफ्टी नियमों पर संसद की सुनवाई में YouTube की वरिष्ठ अधिकारी Rachel Lord ने कहा कि सरकार की योजना भले ही अच्छे इरादों से बनाई गई हो, लेकिन इसके अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून लागू करना मुश्किल होगा और यह बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित बनाने का वादा पूरा नहीं करता।

Rachel Lord ने कहा कि बच्चों को सुरक्षित रखने का तरीका यह नहीं कि उन्हें ऑनलाइन आने से रोक दिया जाए। इसके बजाय, ऑनलाइन सुरक्षा टूल्स का इस्तेमाल करके बच्चों की सुरक्षा की जा सकती है और माता-पिता को नियंत्रण दिया जाना चाहिए ताकि वे बच्चों के ऑनलाइन अनुभव को गाइड कर सकें।

उन्होंने यह भी कहा कि जुलाई में ऑस्ट्रेलिया ने YouTube को इस कानून के दायरे में शामिल किया, जबकि पहले इसे शिक्षकों में लोकप्रिय होने के कारण बाहर रखा गया था। Google का कहना है कि YouTube एक वीडियो शेयरिंग साइट है, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

प्रीतम साहा को मिली न्यूज24 डिजिटल (अंग्रेजी) की कमान

पत्रकार प्रीतम साहा ने ‘BAG Convergence’ (न्यूज24 डिजिटल) के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। उन्होंने न्यूज24 डिजिटल (अंग्रेजी) में बतौर एडिटर जॉइन किया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 14 October, 2025
Last Modified:
Tuesday, 14 October, 2025
Pritam Saha

पत्रकार प्रीतम साहा ने ‘BAG Convergence’ (न्यूज24 डिजिटल) के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। उन्होंने न्यूज24 डिजिटल (अंग्रेजी) में बतौर एडिटर जॉइन किया है।

यहां उन्हें कंटेंट स्ट्रैटेजी के साथ-साथ एडिटोरियल डायरेक्शन की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। प्रीतम साहा इससे पहले ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) में डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर कार्यरत थे।

प्रीतम साहा को न्यूज, स्पोर्ट्स और एंटरटेनमेंट सेगमेंट में काम करने का 17 साल से ज्यादा का अनुभव है। इस दौरान उन्होंने प्रिंट और डिजिटल दोनों माध्यमों में काम किया है।

इस दौरान वह ‘इंडिया टुडे’, ‘एमएसएन’, ‘जी न्यूज’, ‘रिपब्लिक वर्ल्ड’, ‘एबीपी न्यूज’ और ‘डीएनए’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी भूमिका निभा चुके हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

गूगल क्लाउड के CEO थॉमस कुरियन का दावा: AI आपका काम नहीं छीन रहा, बल्कि उसे बेहतर बना रहा

गूगल क्लाउड के CEO थॉमस कुरियन का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे काम करने के तरीके को बदल रहा है, लेकिन यह किसी का नौकरी नहीं छीन रहा।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 13 October, 2025
Last Modified:
Monday, 13 October, 2025
ThomasKurian4512

गूगल क्लाउड के CEO थॉमस कुरियन का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे काम करने के तरीके को बदल रहा है, लेकिन यह किसी का नौकरी नहीं छीन रहा। उनके मुताबिक AI एक सहायक उपकरण है, जो एम्प्लॉयीज को, आज जो काम करते हैं, उसे कल और बेहतर तरीके से करने में मदद करेगा।  

कुरियन ने Big Technology पॉडकास्ट को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह तकनीक इंसानों के काम को बदलने या खत्म करने के बजाय सशक्त बनाने के लिए है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि AI इंसानों की क्षमता को बढ़ाने वाला एक पुल है, न कि उनका विकल्प।”

AI मददगार है, प्रतिस्थापन नहीं 

गूगल के Customer Engagement Suite का उदाहरण लेते हुए कुरियन ने बताया कि यह AI-संचालित टूल्स कंपनियों को ग्राहक सवालों का जवाब तेजी से देने में मदद करता है। जब यह लॉन्च हुआ, तो कई लोग डर गए कि “क्या अब ग्राहक सेवा एजेंटों की जरूरत नहीं रहेगी?” 

लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत रही। अधिकांश ग्राहकों ने किसी को नौकरी से नहीं हटाया। AI अब उन सवालों को संभालता है, जिन्हें ग्राहक आम तौर पर पूछने में हिचकते हैं- छोटे, रूटीन या ऐसे सवाल जो इनबॉक्स में फंस जाते हैं। परिणामस्वरूप, कर्मचारी जटिल और महत्वपूर्ण मामलों पर अधिक समय दे पा रहे हैं, जबकि AI सामान्य कार्य संभाल रहा है।

सुंदर पिचाई का समर्थन

गूगल के CEO सुंदर पिचाई ने भी इस बात को माना है कि AI ने कंपनी में उत्पादकता बढ़ाई है, नौकरियों में कटौती नहीं की। पिचाई ने कहा कि AI ने इंजीनियर्स की कार्यकुशलता लगभग 10 प्रतिशत बढ़ा दी है और कंपनी अब और अधिक भर्ती करने की योजना बना रही है।

उनका कहना है कि AI दोहराए जाने वाले कोडिंग और प्रशासनिक काम संभाले ताकि इंसान रचनात्मक और संतोषजनक कार्यों पर ध्यान दे सकें। 

थॉमस कुरियन का व्यक्तिगत दृष्टिकोण

भारत के स्व-शिक्षित प्रवासी थॉमस कुरियन ने अपनी करियर शुरुआत मैकिन्से में की और फिर ओरेकल में 20 साल से अधिक समय तक काम किया। 2019 में वह गूगल क्लाउड के प्रमुख बने और उनके नेतृत्व में यह विभाग तेजी से विकसित हुआ। उनके जुड़वां भाई जॉर्ज कुरियन भी एक बड़ी डेटा कंपनी NetApp के CEO हैं।

कुरियन का कहना है कि AI भविष्य में नौकरियों के लिए खतरा नहीं, बल्कि काम को बेहतर बनाने का अवसर है। उनका संदेश साफ है- AI आपकी नौकरी लेने नहीं आया, बल्कि उसे अपग्रेड करने आया है।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

PMO समेत 12 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के ईमेल अब Zoho के प्लेटफॉर्म से संचालित

पिछले एक साल में केंद्र सरकार के सभी 12 लाख ईमेल पते अब नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के पुराने सिस्टम से हटाकर जोहो (Zoho) द्वारा विकसित एक नए प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित कर दिए गए हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 13 October, 2025
Last Modified:
Monday, 13 October, 2025
Zoho4154

पिछले एक साल में केंद्र सरकार के सभी 12 लाख ईमेल पते, जिनमें प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के ईमेल भी शामिल हैं, अब नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) के पुराने सिस्टम से हटाकर तमिलनाडु के तेनकासी में स्थित कंपनी जोहो (Zoho) द्वारा विकसित एक नए प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित कर दिए गए हैं। यानि अब सरकारी कर्मचारियों के ईमेल NIC के सर्वर पर नहीं, बल्कि Zoho के प्लेटफॉर्म पर चलेंगे। 'द हिंदू' पर पब्लिश एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि यह बदलाव डिजिटल सुरक्षा और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम है।

एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, Zoho के ऑफिस सूट को भी एक्टिव किया गया है ताकि सरकारी कर्मचारी ओपन सोर्स टूल्स का इस्तेमाल न करें, जिनसे फाइलों की सुरक्षा पर खतरा हो सकता है। पहले यह सूट उपलब्ध तो था, लेकिन बहुत कम लोग इसका उपयोग कर रहे थे। अब इसे सरकारी मेल प्लेटफॉर्म पर प्रमुखता से दिखाया जा रहा है ताकि कर्मचारी इसके फीचर्स को अपनाएं।

शिक्षा मंत्रालय ने जारी किया आदेश

3 अक्टूबर को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया, जिसमें अधिकारियों को Zoho Suite का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया गया। मंत्रालय ने कहा कि यह कदम भारत सरकार की व्यापक नीति के अनुरूप है, जो देश को सेवा-आधारित अर्थव्यवस्था से उत्पादक राष्ट्र में बदलने और तकनीक, हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर समाधान में आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में है। 

यानी सरकार चाहती है कि अधिकारी Zoho के टूल्स का इस्तेमाल करें ताकि देश तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर और उत्पादक बन सके।

डेटा अब Zoho पर, डोमेन वही रहेगा

एक अधिकारी के अनुसार, सरकारी ईमेल का डोमेन नाम (जैसे nic.in या gov.in) वही रहेगा, लेकिन अब डेटा की होस्टिंग और प्रोसेसिंग NIC की जगह Zoho प्लेटफॉर्म पर होगी। सरकार ने 2023 में इस परियोजना के लिए Zoho को सात साल का करार किया था।

NIC, जो 1976 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत स्थापित हुआ था, केंद्र और राज्य सरकारों का तकनीकी भागीदार रहा है। 

डेटा सुरक्षा को लेकर आश्वासन

जब सुरक्षा को लेकर सवाल पूछा गया, तो अधिकारी ने 'द हिंदू' को बताया कि “NIC और CERT-In जैसी एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया गया है। SQS (Software Quality Systems) Zoho प्लेटफॉर्म का नियमित ऑडिट करती है और यह सुनिश्चित किया गया है कि डेटा पूरी तरह सुरक्षित है।”

विशेषज्ञों की राय – सुरक्षा को प्राथमिकता जरूरी

पूर्व IAS अधिकारी के.बी.एस. सिद्धू ने द हिंदू से कहा कि इस तरह के बड़े पैमाने पर बदलाव से पहले मजबूत डेटा सुरक्षा की गारंटी होना जरूरी है। उन्होंने कहा, “सरकार द्वारा Zoho जैसे स्वदेशी उत्पाद को बढ़ावा देने में कोई आपत्ति नहीं, लेकिन जब इसमें कैबिनेट नोट्स और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज शामिल होंगे, तब एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन और स्वतंत्र ऑडिट किए गए भारतीय डेटा सेंटर्स की सुरक्षा अनिवार्य होनी चाहिए।”

Zoho के संस्थापक का जवाब

Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बू, जिन्हें फरवरी 2021 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) में नियुक्त किया गया था, ने हाल ही में X (पूर्व ट्विटर) पर गोपनीयता से जुड़े एक सवाल पर जवाब दिया। उन्होंने कहा, “हमारा पूरा SaaS बिजनेस इस भरोसे पर आधारित है कि हम कभी ग्राहक डेटा तक पहुंच नहीं बनाते और न ही उसका व्यावसायिक उपयोग करते हैं। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन जल्द आ रहा है, लेकिन सबसे जरूरी चीज भरोसा है और हम वह भरोसा हर दिन कमाते हैं।”

AIIMS साइबर हमले के बाद हुआ बड़ा बदलाव 

सरकार का यह कदम AIIMS दिल्ली पर नवंबर 2022 में हुए साइबर हमले के बाद आया है, जिसने अस्पताल की ई-सेवाओं को एक महीने से अधिक समय तक ठप कर दिया था। इसके बाद डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (DIC) ने फरवरी 2023 में निजी क्लाउड सेवा प्रदाताओं से बोली आमंत्रित की थी, ताकि मौजूदा सरकारी प्रोजेक्ट्स को सुरक्षित रूप से माइग्रेट किया जा सके।

मंत्रियों ने भी अपनाया Zoho ईमेल

हाल ही में कई केंद्रीय मंत्रियों ने X पर बताया कि उन्होंने अपने निजी ईमेल के लिए Zoho Mail अपनाया है। इनमें गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हैं। हालांकि, अधिकारियों के मुताबिक, यह सिर्फ उनके निजी ईमेल खातों पर लागू है, सरकारी संचार अभी भी nic.in या gov.in डोमेन से ही होता है।

कुल मिलाकर, यह बदलाव भारत सरकार के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को और अधिक स्वदेशी, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

‘JioStar’ से जुड़े रिषिराज श्रीवास्तव, निभाएंगे यह बड़ी भूमिका

रिषिराज श्रीवास्तव इससे पहले ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) में सीनियर रीजन हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से उन्होंने कुछ समय पूर्व इस्तीफा दे दिया था।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 11 October, 2025
Last Modified:
Saturday, 11 October, 2025
Rishiraj

रिषिराज श्रीवास्तव ने ‘जियोस्टार’ (JioStar) से अपनी नई पारी का आगाज किया है। यहां उन्होंने अकाउंट डायरेक्टर (Large Client Solutions) के पद पर जॉइन किया है।

‘जियोस्टार’ में अपनी नई भूमिका में वह प्रमुख एंटरप्राइज क्लाइंट्स के लिए रणनीतिक साझेदारियों (Strategic Partnerships) का नेतृत्व करेंगे। उनका फोकस इनोवेशन, डेटा-आधारित मार्केटिंग और क्रॉस-प्लैटफॉर्म ब्रैंड एक्सपीरियंस पर रहेगा।

बता दें कि रिषिराज श्रीवास्तव इससे पहले ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) में सीनियर रीजन हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से उन्होंने कुछ समय पूर्व इस्तीफा दे दिया था।

‘टाइम्स इंटरनेट’ में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने डिस्प्ले, प्रोग्रामेटिक, वीडियो, बड़े IPs और नैटिव बिजनेस जैसे क्षेत्रों में बिजनेस को आगे बढ़ाया। साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को पारंपरिक मीडिया से जोड़ने का काम भी उन्होंने बखूबी निभाया।

रिषिराज श्रीवास्तव को डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 साल से अधिक का अनुभव है। पूर्व में वह ‘एनडीटीवी’, ‘दैनिक भास्कर’ और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में प्रमुख भूमिकाएं संभाल चुके हैं।

‘जियोस्टार’ में अपनी नई भूमिका के बारे में रिषिराज का कहना है, ‘इस नई यात्रा की शुरुआत को लेकर मैं काफी उत्साहित हूं। यह कंपनी इनसाइट-ड्रिवन स्ट्रैटेजी और क्रिएटिव इनोवेशन के ज़रिए क्लाइंट पार्टनरशिप को नई परिभाषा दे रही है। मैं जियोस्टार के उस विजन में योगदान देने की उम्मीद करता हूं, जो ब्रैंड्स को उद्देश्य, तेजी और प्रभाव के साथ आगे बढ़ने में मदद करता है।’

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

YouTube ने शुरू किया नया प्रोग्राम, बैन किए गए क्रिएटर्स को मिलेगा दूसरा मौका

यूट्यूब (YouTube) ने एक पायलट प्रोग्राम की घोषणा की है, जो सभी क्रिएटर्स को दूसरा मौका देगा जिन्हें प्लेटफॉर्म से बैन किया गया था।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 11 October, 2025
Last Modified:
Saturday, 11 October, 2025
Youtube4512

यूट्यूब (YouTube) ने एक पायलट प्रोग्राम की घोषणा की है, जो सभी क्रिएटर्स को दूसरा मौका देगा जिन्हें प्लेटफॉर्म से बैन किया गया था। जबकि किसी समाप्त किए गए चैनल को वापस नहीं लाया जा सकता, यह नया प्रोग्राम प्रतिभाशाली क्रिएटर्स को नए चैनल के साथ नई शुरुआत करने का अवसर देता है।

जब उनका नया चैनल YouTube पार्टनर प्रोग्राम की शर्तों को पूरा करेगा, तो वे अपने कंटेंट को चैनल पर प्रकाशित कर सकेंगे और उससे कमाई भी कर सकेंगे। बैन किए गए क्रिएटर्स को YouTube के कम्युनिटी गाइडलाइंस का पालन करना होगा और यदि उल्लंघन करते हुए पाए गए तो उनका चैनल भी समाप्त किया जा सकता है।

नया YouTube चैनल मांगने की पात्रता

YouTube नए चैनल के लिए किए गए अनुरोधों का मूल्यांकन करते समय कई पहलुओं पर विचार करेगा। प्लेटफॉर्म यह देखेगा कि क्या बैन किए गए चैनल ने किसी गंभीर या लगातार उल्लंघन किए हैं, या क्रिएटर की ऑन-या ऑफ-प्लेटफॉर्म गतिविधि ने YouTube कम्युनिटी को नुकसान पहुंचाया या भविष्य में पहुंचा सकती है।

ऐसे मामलों में, बैन किए गए क्रिएटर्स नए चैनल के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे। यह पायलट प्रोग्राम उन क्रिएटर्स के लिए उपलब्ध नहीं होगा जिनके चैनल कॉपीराइट उल्लंघन या क्रिएटर रिस्पॉन्सिबिलिटी नीतियों के उल्लंघन के कारण समाप्त किए गए थे।

YouTube के अनुसार, योग्य क्रिएटर्स को एक विकल्प दिखाई देगा जिससे वे YouTube Studio में अपने पहले समाप्त किए गए चैनल से लॉगिन करके नया चैनल मांग सकते हैं। एक बार अनुरोध स्वीकार हो जाने पर वे नया चैनल बना पाएंगे। हालांकि, जिन क्रिएटर्स ने अपना YouTube चैनल या Google अकाउंट हटा दिया है, उन्हें अभी ‘नया चैनल मांगें’ का विकल्प दिखाई नहीं देगा।

नए चैनल के लिए आवेदन कब कर सकते हैं

YouTube का कहना है कि योग्य बैन किए गए क्रिएटर्स को नया चैनल बनाने के लिए अपने चैनल के समाप्त होने के एक साल इंतजार करना होगा। इस अवधि में, क्रिएटर्स चैनल समाप्ति के खिलाफ अपील कर सकते हैं।

एक बार क्रिएटर्स को नया चैनल मिल जाने के बाद, वे अपने पुराने वीडियो जो कम्युनिटी गाइडलाइंस के अंदर हैं, उन्हें फिर से अपलोड करके अपनी कम्युनिटी को फिर से बना सकते हैं। YouTube ने यह भी कहा कि यदि चैनल शर्तें पूरी करता है तो क्रिएटर्स YouTube पार्टनर प्रोग्राम के लिए फिर से आवेदन कर सकते हैं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष झा ने ‘HT’ समूह में अपनी पारी को दिया विराम

दस अक्टूबर इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस है। हाल ही में संस्थान में सहयोगियों ने उन्हें भावपूर्ण फेयरवेल दी।

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 09 October, 2025
Last Modified:
Thursday, 09 October, 2025
Prabhash

वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष झा ने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया है। वह करीब छह साल से बतौर एडिटर ‘हिन्दुस्तान’ की न्यूज वेबसाइट livehindustan.com समेत इस समूह की अन्य भाषाओं की वेबसाइट में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। हाल ही में संस्थान में सहयोगियों ने उन्हें भावपूर्ण फेयरवेल दी।

समाचार4मीडिया से बातचीत में प्रभाष झा ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की है। प्रभाष झा के अनुसार, दस अक्टूबर इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस है। हालांकि, अपनी नई पारी के बारे में उन्होंने अभी खुलासा नहीं किया है।

बता दें कि प्रभाष झा को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब 25 साल का अनुभव है। मूलरूप से मधुबनी (बिहार) के रहने वाले प्रभाष झा ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2000 में बतौर इंटर्न ‘जैन टीवी’ (Jain TV) से की थी।

करीब एक साल तक काम करने के बाद उन्होंने यहां से बाय बोलकर ‘नवभारत’ (Navbharat), भोपाल का दामन थाम लिया। यहां बतौर करेसपॉन्डेंट उन्होंने करीब 11 महीने तक अपनी जिम्मेदारी निभाई और फिर यहां से अलविदा कह दिया।

इसके बाद प्रभाष झा ने ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran), मेरठ में जूनियर सब एडिटर के तौर पर अपनी नई शुरुआत की। करीब सवा साल यहां काम करने के बाद अक्टूबर 2003 में वह ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala), देहरादून चले गए। करीब 10 महीने तक इस अखबार से जुड़े रहने के बाद उन्होंने ‘दैनिक जागरण’ में वापसी की। इस बार उन्होंने नोएडा में सीनियर सब एडिटर के तौर पर यहां जॉइन किया। लगभग तीन साल तक ‘दैनिक जागरण’ में अपने सेवाएं देने के बाद उन्होंने यहां से फिर अलविदा बोल दिया और ‘बीबीसी न्यूज’ (BBC News), हिंदी में कॉन्ट्रीब्यूटिंग एडिटर के तौर पर जुड़ गए।

करीब सवा साल तक यह जिम्मेदारी निभाने के बाद प्रभाष झा ने वर्ष 2007 में ‘नवभारत टाइम्स’ (Navbharat Times) का रुख किया। उस समय उन्होंने चीफ सब एडिटर के तौर पर यहां जॉइन किया और फिर करीब साढ़े 12 साल तक इस संस्थान में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए एडिटर के पद पर पहुंच गए। इसके बाद यहां से अलविदा कहकर वर्ष 2019 में उन्होंने अपनी नई पारी ‘हिन्दुस्तान’ की डिजिटल विंग के साथ शुरू की थी, जहां से अब उन्होंने बाय बोल दिया है।

पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो प्रभाष झा ने नागपुर के एसएफएस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने मेघालय की महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन, एडवर्टाइजिंग और जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। कम्युनिकेशन और मीडिया स्टडीड में ‘नेट’ (NET) क्वालीफाइड प्रभाष झा ने दिल्ली के ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) से रेडियो और टीवी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा भी किया है।

समाचार4मीडिया की ओर से प्रभाष झा को उनके नए सफर के लिए अग्रिम रूप से ढेरों शुभकामनाएं।

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

भारत बन रहा है डिजिटल इनोवेशन का वैश्विक केंद्र: ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने नई दिल्ली के यशोभूमि में आयोजित इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2025 में मीडिया से बातचीत की।

Samachar4media Bureau by
Published - Friday, 10 October, 2025
Last Modified:
Friday, 10 October, 2025
JyotiradityaMScindia78451

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने नई दिल्ली के यशोभूमि में आयोजित इंडिया मोबाइल कांग्रेस (IMC) 2025 में मीडिया से बातचीत की। इस दौरान उनके साथ संचार राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी और दूरसंचार सचिव डॉ. नीरज मित्तल भी मौजूद थे। 

ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि IMC 2025 भारत की डिजिटल यात्रा में एक ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कार्यक्रम का उद्घाटन कर इस आयोजन को और विशेष बना दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में दूरसंचार और डिजिटल क्षेत्र ने जबरदस्त प्रगति की है, जिससे ये दोनों अब देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गए हैं। 

डिजिटल अर्थव्यवस्था का बढ़ता योगदान

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि आज भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था देश के GDP का 12 से 14 प्रतिशत हिस्सा है और आने वाले दशक में यह 20 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। इससे साफ है कि दूरसंचार और डिजिटल सेक्टर देश के विकास के मुख्य चालक बनते जा रहे हैं।

पिछले 10 वर्षों में जबरदस्त बदलाव 

केंद्रीय मंत्री ने ने बताया कि बीते दस सालों में इस क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। आज भारत के पास 1.2 बिलियन मोबाइल यूजर्स हैं, जो दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। इंटरनेट यूजर्स 25 करोड़ से बढ़कर 97.4 करोड़ हो गए हैं और ब्रॉडबैंड कनेक्शन 6 करोड़ से बढ़कर 93.4 करोड़ तक पहुंच गए हैं। 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने अपनी भूमिका बदल दी है। अब सरकार सिर्फ नियामक (regulator) नहीं, बल्कि सुविधाकर्ता (facilitator) के रूप में काम कर रही है। उन्होंने बताया कि IMC 2025 की सफलता में 30 से अधिक मंत्रालयों का सहयोग शामिल है, जो "टीम इंडिया" की भावना को दर्शाता है। 

स्वदेशी तकनीक में भारत की बड़ी छलांग

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गर्व से बताया कि भारत अब दुनिया का पांचवां देश बन गया है, जिसने अपना खुद का 4G स्टैक तैयार किया है। इसका अनावरण प्रधानमंत्री मोदी ने 27 सितंबर 2025 को किया था। मात्र 20 महीनों की छोटी सी अवधि में, भारत ने पूर्णतः स्वदेशी 4G प्रणाली विकसित कर ली है। यह प्रणाली अब 1 लाख BSNL टावरों पर चालू है।  उन्होंने कहा कि इस स्टैक को जल्द ही 5G में अपग्रेड किया जाएगा, जो "भारत में निर्माण, विश्व के लिए निर्माण" के आदर्श वाक्य को रेखांकित करता है। 

PLI योजना से बढ़ा उत्पादन और रोजगार

दूरसंचार विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना ने बड़ी सफलता हासिल की है। इससे ₹91,000 करोड़ की बिक्री, ₹17,800 करोड़ का निर्यात और 20,000 से अधिक नए रोजगार सृजित हुए हैं। मंत्री ने कहा कि अब यह क्षेत्र “स्वतंत्र” नहीं बल्कि “एकीकृत” रूप में काम कर रहा है, यानी निर्माण से लेकर डिजिटल सेवाओं तक पूरा तंत्र एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है।

भारत 6G गठबंधन – भविष्य की दिशा

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि भारत अब 6G तकनीक की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। भारत 6G एलायंस (B6GA) के 80 से अधिक सदस्य हैं और लक्ष्य है कि आने वाले समय में भारत वैश्विक बौद्धिक संपदा (Intellectual Property) में कम से कम 10% हिस्सेदारी हासिल करे। इसके साथ ही दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष (TTDF) जैसी पहलें रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा दे रही हैं।

साइबर सुरक्षा पर जोर

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार ने साइबर सुरक्षा प्रयोगशाला और वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक जैसे टूल्स विकसित किए हैं। इनसे नागरिकों की डिजिटल संपत्तियों की सुरक्षा में बड़ा सुधार हुआ है।

IMC 2025 के छह प्रमुख आकर्षण

केंद्रीय मंत्री ने IMC 2025 के छह  बड़े घटकों के बारे में भी बात की, जिनमें अंतरराष्ट्रीय 6जी संगोष्ठी, अंतरराष्ट्रीय AI शिखर सम्मेलन, साइबर सुरक्षा शिखर सम्मेलन और सैटकॉम शिखर सम्मेलन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि IMC एस्पायर प्रतियोगिता एक वैश्विक स्टार्टअप चुनौती है, जिसमें 550 कंपनियां और 300 निवेशक भाग ले रहे हैं। इनमें शीर्ष 15 स्टार्टअप सैन फ्रांसिस्को में 10 मिलियन डॉलर के पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। वहीं, OpenAI API Hackathon में देश भर के डेवलपर्स शामिल होंगे ये दोनों सम्मेलनों के पूरक हैं। 

अंत में केंद्रीय मंत्री ने उद्योग, स्टार्टअप्स और प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि IMC 2025 यह साबित करता है कि भारत अब वैश्विक डिजिटल नवाचार केंद्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

सरकार ने OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए नई कंटेंट एक्सेसिबिलिटी गाइडलाइन का ड्राफ्ट किया जारी

सरकार ने बुधवार को ड्राफ्ट कंटेंट एक्सेसिबिलिटी गाइडलाइन जारी की। इसके तहत OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे अपनी नई प्रोग्रामिंग में कम से कम एक सुविधा शामिल करें

Samachar4media Bureau by
Published - Thursday, 09 October, 2025
Last Modified:
Thursday, 09 October, 2025
OTT7845

सरकार ने बुधवार को ड्राफ्ट कंटेंट एक्सेसिबिलिटी गाइडलाइन जारी की। इसके तहत OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे अपनी नई प्रोग्रामिंग में कम से कम एक सुविधा शामिल करें, जिसमें इंडियन साइन लैंग्वेज (ISL) इंटरप्रिटेशन भी शामिल है।

सभी के लिए ऑनलाइन कंटेंट पहुंच योग्य बनाने का प्रयास

सूचना-प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने इस गाइडलाइन पर स्टेकहोल्डर्स और आम जनता से सुझाव मांगे हैं। गाइडलाइन का उद्देश्य है कि सुनने और देखने में असमर्थ लोग ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट का लाभ ले सकें। इसके लिए सुविधाओं में क्लोज्ड और ओपन कैप्शन, ऑडियो डिस्क्रिप्शन, और ISL इंटरप्रिटेशन जैसी चीजें शामिल हैं। सुझाव 22 अक्टूबर तक भेजने होंगे।

दो चरणों में लागू होगी गाइडलाइन

एक बार यह गाइडलाइन लागू होने के बाद, OTT प्लेटफॉर्म्स इसे दो साल में दो चरणों में लागू करेंगे।

फेज I: गाइडलाइन के नोटिफिकेशन के छह महीने बाद सभी नए कंटेंट में कम से कम एक एक्सेसिबिलिटी फीचर शामिल करना होगा। यह फीचर क्लोज्ड या ओपन कैप्शनिंग, ऑडियो डिस्क्रिप्शन, या ISL इंटरप्रिटेशन में से कोई एक हो सकता है।

गाइडलाइन यह भी सुनिश्चित करती है कि प्लेटफॉर्म्स एक्सेसिबिलिटी इंडिकेटर दिखाएं और सभी यूजर इंटरफेस में एक्सेसिबिलिटी फीचर्स शामिल हों।

फेज II: इस चरण में प्रकाशकों को प्रेरित किया जाएगा कि वे अपने संपूर्ण कंटेंट लाइब्रेरी को धीरे-धीरे एक्सेसिबल बनाएं। इसके तहत पहले 12 महीनों में कम से कम 30 प्रतिशत, 18 महीनों में 60 प्रतिशत और 24 महीनों में पूरी लाइब्रेरी एक्सेसिबल हो जाएगी।

कुछ कंटेंट श्रेणियों को छूट

ड्राफ्ट में कुछ कंटेंट श्रेणियों को इन नियमों से छूट दी गई है। इनमें शामिल हैं:

  • लाइव और डिफर्ड-लाइव कंटेंट
  • केवल ऑडियो वाले कंटेंट जैसे म्यूजिक और पॉडकास्ट
  • 10 मिनट या उससे कम की शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट

निगरानी और पालन सुनिश्चित करने के लिए समिति

MIB इस गाइडलाइन के पालन पर निगरानी के लिए एक समिति बनाएगा, जिसकी अध्यक्षता जॉइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी करेंगे।

यह समिति तीन महीने में एक बार मिलेगी और लागू होने की प्रगति की समीक्षा करेगी। साथ ही शिकायतों का निवारण करेगी और निर्देश जारी करेगी ताकि पूरे OTT इकोसिस्टम में सुसंगत अनुपालन सुनिश्चित हो सके।

 

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए

निवेशकों को ठगने वालों पर SEBI की बड़ी कार्रवाई, सोशल मीडिया से 1 लाख भ्रामक कंटेंट हटाया

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने पिछले 18 महीनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 1 लाख से अधिक अवैध या भ्रामक कंटेंट की पहचान की है।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 07 October, 2025
Last Modified:
Tuesday, 07 October, 2025
SEBI8451

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने पिछले 18 महीनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 1 लाख से अधिक अवैध या भ्रामक कंटेंट की पहचान की है और उन पर रोक लगाई है। यह जानकारी सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने सोमवार को दी।

सेबी प्रमुख नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में आयोजित वर्ल्ड इन्वेस्टर वीक 2025 के शुभारंभ समारोह में बोल रहे थे।

निवेशक जागरूकता बढ़ाने और धोखाधड़ी पर रोक लगाने के अपने अभियान के तहत सेबी ने कई नए कदम उठाए हैं। इनमें पंजीकृत बिचौलियों को भुगतान के लिए सत्यापित UPI हैंडल्स की सुविधा और एक नया ‘Sebi Check’ वेरिफिकेशन टूल शामिल है।

इसके अलावा, सेबी अब राज्य की राजधानियों और बड़े शहरों में स्थानीय कार्यालय भी स्थापित कर रहा है, ताकि निवेशकों तक पहुंच मजबूत की जा सके और अनियमित बाजार गतिविधियों की निगरानी की जा सके।

तुहिन कांत पांडे ने निवेशकों को चेतावनी दी कि ठग अब सतर्क बचतकर्ताओं को भी उच्च जोखिम वाले निवेशों को सुरक्षित बताकर गुमराह कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर ने जहां बाजार को हमारी उंगलियों तक पहुंचा दिया है, वहीं इसने ठगों को भी नए औज़ार दे दिए हैं। मैसेजिंग ऐप्स पर आने वाले अवांछित संदेश, संदिग्ध ‘फिनफ्लुएंसर्स’ और फर्जी ट्रेडिंग ऐप्स या वेबसाइट्स एक ऐसी चीज़ का वादा करते हैं जो बाजार कभी नहीं दे सकता- गारंटीड रिटर्न।”

सेबी प्रमुख ने यह भी बताया कि भारत में बाजार में भागीदारी दर अभी भी बहुत कम है। शहरी आबादी का लगभग 15 प्रतिशत और ग्रामीण आबादी का केवल 6 प्रतिशत हिस्सा ही निवेश बाजारों से जुड़ा है।

उन्होंने निवेशकों से कहा कि उन्हें अपने वित्तीय लक्ष्यों को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे दीर्घकालिक संपत्ति बनाना चाहते हैं या अल्पकालिक सट्टेबाजी में शामिल होना चाहते हैं, क्योंकि अध्ययनों में बार-बार यह साबित हुआ है कि डेरिवेटिव्स सेगमेंट में खुदरा निवेशकों को अक्सर नुकसान होता है।

सेबी प्रमुख ने कहा, “डेरिवेटिव्स हेजिंग और रिस्क मैनेजमेंट के लिए होते हैं, त्वरित मुनाफे के लिए नहीं। खुदरा निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता का आकलन करना चाहिए, यह समझना चाहिए कि ये कॉन्ट्रैक्ट कैसे काम करते हैं और सट्टेबाजी से बचना चाहिए।”

इस मौके पर NSE ने भी कई निवेशक जागरूकता पहलें शुरू करने की घोषणा की, जिनमें क्विज, 40 स्थानों पर शैक्षणिक सत्र और निवेश धोखाधड़ी को पहचानने में मदद करने वाले इंटरैक्टिव फाइनेंस गेम्स शामिल हैं।

NSE के चेयरमैन श्रीनिवास इन्जेटी, जिन्होंने हाल ही में यह पद संभाला है, ने कहा कि एक्सचेंज का लंबे समय से प्रतीक्षित IPO तय समय पर है।

उन्होंने कहा, “हम पूरी तरह सही राह पर हैं। NSE के पब्लिक होने के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि वह खुद वही उदाहरण पेश करना चाहता है जो वह अन्य सूचीबद्ध कंपनियों से अपेक्षा करता है। यह एक उदाहरण के तौर पर आगे बढ़ेगा। भले ही यह अभी सूचीबद्ध नहीं है, लेकिन इसके लगभग 1.8 लाख शेयरधारक हैं, जिससे यह एक व्यापक रूप से होल्ड की गई कंपनी है।”

न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए