मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में एक नई साझेदारी की है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में एक नई साझेदारी की है। इस साझेदारी में मेटा प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक की पैरेंट कंपनी) भी हिस्सा ले रही है। इस नई कंपनी का नाम रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (REIL) रखा गया है।
रिलायंस के पास होगा 70%, फेसबुक रखेगा 30% हिस्सा
रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड, जो RIL की 100% स्वामित्व वाली कंपनी है, इस नए वेंचर में 70% हिस्सेदारी रखेगी, जबकि फेसबुक ओवरसीज (Meta Platforms की इकाई) के पास 30% हिस्सा होगा।
कुल 855 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश
दोनों कंपनियां मिलकर इस AI वेंचर में 855 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करेंगी। कंपनी ने बताया कि यह निवेश 24 अक्टूबर को किया गया, जब रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड ने औपचारिक रूप से रिलायंस एंटरप्राइज इंटेलिजेंस लिमिटेड (REIL) की स्थापना की।
जियो में निवेश से शुरू हुई थी रिलायंस-फेसबुक की साझेदारी
यह साझेदारी रिलायंस और मेटा के बीच लंबे समय से चल रहे रणनीतिक रिश्ते का अगला कदम है। अप्रैल 2020 में मार्क जुकरबर्ग की फेसबुक ने जियो प्लेटफॉर्म्स में 43,574 करोड़ रुपये (5.7 बिलियन डॉलर) का निवेश किया था। उस समय फेसबुक को जियो में 9.99% हिस्सेदारी मिली थी, जो किसी भी कंपनी द्वारा किया गया सबसे बड़ा अल्पांश निवेश (minority investment) था।
AI सेवाओं के विकास और मार्केटिंग में करेगा काम
RIL के एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, REIL भारत में एक संयुक्त उद्यम (joint venture) कंपनी के रूप में काम करेगी और यह एंटरप्राइज AI सेवाओं के विकास, मार्केटिंग और डिस्ट्रीब्यूशन का काम संभालेगी।
मेटा के AI मॉडल और रिलायंस की पहुंच का होगा इस्तेमाल
यह वेंचर मेटा के ओपन-सोर्स Llama AI मॉडल और रिलायंस की विशाल बिजनेस पहुंच का फायदा उठाकर भारतीय बाजार के लिए उन्नत AI समाधान तैयार करेगा।
दो मुख्य प्रॉडक्ट होंगे लॉन्च
रिलायंस और फेसबुक की यह साझेदारी दो प्रमुख AI प्रॉडक्ट्स पर फोकस करेगी-
एंटरप्राइज AI प्लेटफॉर्म-एज-ए-सर्विस (PaaS), जिसके जरिए कंपनियां अपनी जरूरत के अनुसार जनरेटिव AI मॉडल्स को कस्टमाइज और इस्तेमाल कर सकेंगी।
प्री-कॉन्फिगर्ड AI सॉल्यूशंस, जो सेल्स, मार्केटिंग, आईटी ऑपरेशन्स, कस्टमर सर्विस और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों के लिए बनाए जाएंगे।
AI क्षेत्र में बड़ी साझेदारी का संकेत
रिलायंस और मेटा की यह साझेदारी भारत में एंटरप्राइज AI बाजार के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है, जो भविष्य में कंपनियों के काम करने के तरीके को पूरी तरह बदल सकती है।
सरकार अब अपने ईमेल सिस्टम को Google पर निर्भरता कम करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए धीरे-धीरे Zoho Mail की ओर ले जा रही है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
सरकार अब अपने ईमेल सिस्टम को Google पर निर्भरता कम करने और सुरक्षा बढ़ाने के लिए धीरे-धीरे Zoho Mail की ओर ले जा रही है। यह कदम केंद्रीय सरकारी दफ्तरों और मंत्रालयों के बाद राज्यों में भी अपनाया जाएगा। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस बदलाव की घोषणा की थी।
केंद्रीय कर्मचारियों का Zoho Mail में ट्रांसफर
केंद्र सरकार ने हाल ही में अपने सभी कार्यालयों को National Informatics Centre (NIC) के प्लेटफॉर्म से Zoho Mail पर स्थानांतरित किया। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 12 लाख कर्मचारियों के ईमेल अब चेन्नई स्थित Zoho के क्लाउड प्लेटफॉर्म पर हैं।
योजना और प्रक्रिया
केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने NDTV को बताया कि सरकार ने Zoho को लगभग तीन साल पहले अपनाने का निर्णय लिया था। शुरुआत मंत्रालयों से हुई और फिर धीरे-धीरे इसे रेलवे, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और अंततः सभी केंद्रीय कर्मचारियों तक फैलाया गया।
मंत्री ने बताया कि अब कर्मचारियों को Zoho के पूरे टूल्स का उपयोग करने का मौका है, जिसमें Google Docs, Microsoft Word, Excel, PowerPoint और अन्य इंटरनल कम्युनिकेशन टूल्स के विकल्प शामिल हैं।
अश्विनी वैष्णव के अनुसार, Zoho का चयन कई भारतीय और वैश्विक कंपनियों का मूल्यांकन करने के बाद किया गया। Google को 8.9, Microsoft को 8.8 और Zoho को 8.6 अंक मिले थे। छह महीनों में Zoho ने अपनी सुरक्षा सुविधाओं को अपग्रेड किया और टेंडरिंग के बाद उसका प्रस्ताव सबसे उपयुक्त पाया गया।
राज्य सरकारें भी Zoho की ओर
रिपोर्ट में बताया गया कि गुजरात सरकार पहले ही Zoho Mail पर शिफ्ट हो चुकी है और अन्य राज्यों में भी यह प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है।
इस बदलाव से सरकारी ईमेल डोमेन (nic.in और gov.in) में कोई बदलाव नहीं होगा, बल्कि डेटा प्रोसेसिंग और होस्टिंग अब Zoho के क्लाउड प्लेटफॉर्म पर होगी। Zoho को 2023 में सात साल का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था।
Zoho – भारत का स्वदेशी प्लेटफॉर्म
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा ‘Make in India’ उत्पादों के उपयोग पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विदेशी निर्भरता खत्म करने के लिए स्वदेशी उत्पादों को अपनाना जरूरी है।
Zoho के फाउंडर श्रीधर वेम्बू ने Mail सेवाओं का परिचय दिया, जिसे सरकार ने अपनाया। सुरक्षा के लिहाज से Zoho के सिस्टम को NIC, CERT-In और Software Quality Systems (SQS) जैसी कई एजेंसियों ने पूरी तरह से जांचा।
सरकार का उद्देश्य पूरा डिजिटल स्वराज हासिल करना और भारतीय उत्पादों को वैश्विक मंच पर इनोवेशन के लिए बढ़ावा देना है।
प्रभाष झा इससे पहले करीब छह साल से ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) समूह में कार्यरत थे। यहां से कुछ दिनों पहले उन्होंने अपनी पारी को विराम दे दिया था।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष झा ने ‘टाइम्स’ (Times) समूह के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज कर दिया है। उन्होंने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (डिजिटल) में एग्जिक्यूटिव एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) के पद पर जॉइन किया है।
‘टाइम्स’ से पहले प्रभाष झा ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan Times) समूह में कार्यरत थे। वह करीब छह साल से बतौर एडिटर ‘हिन्दुस्तान’ की न्यूज वेबसाइट livehindustan.com समेत इस समूह की अन्य भाषाओं की वेबसाइट में अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। यहां से कुछ दिनों पहले उन्होंने अपनी पारी को विराम दे दिया था।
प्रभाष झा को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का करीब 25 साल का अनुभव है। मूलरूप से मधुबनी (बिहार) के रहने वाले प्रभाष झा ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2000 में बतौर इंटर्न ‘जैन टीवी’ (Jain TV) से की थी।
करीब एक साल तक काम करने के बाद उन्होंने यहां से बाय बोलकर ‘नवभारत’ (Navbharat), भोपाल का दामन थाम लिया। यहां बतौर करेसपॉन्डेंट उन्होंने करीब 11 महीने तक अपनी जिम्मेदारी निभाई और फिर यहां से अलविदा कह दिया।
इसके बाद प्रभाष झा ने ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran), मेरठ में जूनियर सब एडिटर के तौर पर अपनी नई शुरुआत की। करीब सवा साल यहां काम करने के बाद अक्टूबर 2003 में वह ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala), देहरादून चले गए। करीब 10 महीने तक इस अखबार से जुड़े रहने के बाद उन्होंने ‘दैनिक जागरण’ में वापसी की। इस बार उन्होंने नोएडा में सीनियर सब एडिटर के तौर पर यहां जॉइन किया। लगभग तीन साल तक ‘दैनिक जागरण’ में अपने सेवाएं देने के बाद उन्होंने यहां से फिर अलविदा बोल दिया और ‘बीबीसी न्यूज’ (BBC News), हिंदी में कॉन्ट्रीब्यूटिंग एडिटर के तौर पर जुड़ गए।
करीब सवा साल तक यह जिम्मेदारी निभाने के बाद प्रभाष झा ने वर्ष 2007 में ‘नवभारत टाइम्स’ (Navbharat Times) का रुख किया। उस समय उन्होंने चीफ सब एडिटर के तौर पर यहां जॉइन किया और फिर करीब साढ़े 12 साल तक इस संस्थान में विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए एडिटर के पद पर पहुंच गए। इसके बाद यहां से अलविदा कहकर वर्ष 2019 में उन्होंने अपनी नई पारी ‘हिन्दुस्तान’ की डिजिटल विंग के साथ शुरू की थी, जहां से कुछ दिनों पूर्व अपनी पारी को विराम देकर अब टाइम्स समूह के साथ मीडिया में अपने नए सफर का आगाज किया है।
पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो प्रभाष झा ने नागपुर के एसएफएस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने मेघालय की महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन, एडवर्टाइजिंग और जर्नलिज्म में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। कम्युनिकेशन और मीडिया स्टडीड में ‘नेट’ (NET) क्वालीफाइड प्रभाष झा ने दिल्ली के ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) से रेडियो और टीवी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा भी किया है।
समाचार4मीडिया की ओर से प्रभाष झा को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) एक बार फिर छंटनी कर रही है। बताया जा रहा है कि इस बार कंपनी के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डिवीजन में लगभग 600 एम्प्लॉयीज पर यह गाज गिरेगी।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
फेसबुक की पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) एक बार फिर छंटनी कर रही है। बताया जा रहा है कि इस बार कंपनी के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डिवीजन में लगभग 600 एम्प्लॉयीज पर यह गाज गिरेगी। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फैसला कंपनी ने हाल के समय में हुए भारी पैमाने पर भर्ती अभियान के बाद कामकाज को सुव्यवस्थित करने के लिए लिया है।
TBD लैब पर असर नहीं पड़ेगा
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह छंटनी मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग द्वारा शुरू किए गए TBD लैब को प्रभावित नहीं करेगी। यह लैब मेटा का एक अहम प्रोजेक्ट है, जहां कंपनी ने OpenAI और Apple जैसी कंपनियों से टॉप रिसर्चर्स को ऊंचे वेतन पैकेज पर लाकर काम पर लगाया था।
AI प्रोडक्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर टीम पर असर
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, यह छंटनी AI प्रोडक्ट्स और इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करने वाली टीमों पर केंद्रित है। कंपनी का कहना है कि यह कदम दक्षता बढ़ाने (efficiency boost) के लिए उठाया गया है, ताकि बड़े प्रोजेक्ट्स पर असर न पड़े। साथ ही, जिन एम्प्लॉयीज की नौकरियां जा रही हैं, उनमें से कई को मेटा के दूसरे डिवीजन में शिफ्ट किया जा सकता है।
‘ऑर्गनाइजेशनल बोझ’ घटाने के लिए कदम
न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस कदम को कंपनी के अंदर बढ़ते संगठनात्मक बोझ को कम करने की कोशिश बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ महीनों में कंपनी ने AI टीम को मजबूत करने के लिए तेजी से भर्ती की थी, जिससे कामकाज जटिल हो गया था।
कंपनी का संदेश – फैसले जल्दी होंगे
दोनों अखबारों के मुताबिक, मेटा के चीफ AI ऑफिसर एलेक्जेंडर वांग ने अपने मेमो में लिखा, “अब फैसले लेने के लिए कम लोगों से बात करनी पड़ेगी।” यानी कामकाज को और तेज और सीधा बनाने की कोशिश की जा रही है।
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर गैरकानूनी कंटेंट हटाने के नियमों में बदलाव किया है। अब केवल सीनियर अधिकारी ही कंटेंट हटाने के आदेश जारी कर सकेंगे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर गैरकानूनी कंटेंट हटाने के नियमों में बदलाव किया है। अब केवल सीनियर अधिकारी ही कंटेंट हटाने के आदेश जारी कर सकेंगे। इस बदलाव का उद्देश्य प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और सिस्टम को सरल बनाना है।
नई आईटी नियमावली 15 नवंबर से लागू होगी। इसके तहत संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के अधिकारी और पुलिस में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल या उससे ऊपर के अधिकारी ही सोशल मीडिया कंपनियों को कंटेंट हटाने का आदेश दे सकेंगे। आदेश जारी करते समय अधिकारी को कारण भी स्पष्ट रूप से बताना होगा कि कंटेंट क्यों हटाया जा रहा है।
आईटी मंत्रालय ने कहा कि यह बदलाव कानूनी पारदर्शिता, स्पष्टता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। इसके तहत नागरिकों के संवैधानिक अधिकार और सरकार की वैध निगरानी शक्ति के बीच संतुलन बनाए रखा गया है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि Rule 3(1)(d) के तहत जारी सभी आदेशों की हर महीने समीक्षा की जाएगी। यह समीक्षा कम से कम सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा की जाएगी ताकि आदेश "आवश्यक, उचित और कानूनी" हों।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यह आदेश अदालत के फैसले या सरकार की नोटिफिकेशन के आधार पर दिया जाएगा। मंत्रालय ने यह भी कहा कि समीक्षा से वरिष्ठ स्तर की जिम्मेदारी, गैरकानूनी कंटेंट की सटीक पहचान और उच्च स्तर पर आदेशों की समय-समय पर जांच सुनिश्चित होगी।
अधिकारियों को आदेश जारी करते समय यह साफ करना होगा कि यह आदेश किस कानूनी प्रावधान के आधार पर दिया जा रहा है, गैरकानूनी कार्य का स्वरूप क्या है, और हटाए जाने वाले कंटेंट का सटीक URL या अन्य इलेक्ट्रॉनिक स्थान क्या है।
इस नए नियम से सोशल मीडिया कंपनियों पर आदेश देने की प्रक्रिया और जिम्मेदारी दोनों ज्यादा स्पष्ट और नियंत्रित हो जाएगी।
मेटा (Meta) ने अपने प्लेटफॉर्म्स वॉट्सऐप, मैसेंजर और फेसबुक पर यूजर्स को ऑनलाइन ठगी और साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए नई एंटी-स्कैम सुविधाएं और जागरूकता पहल शुरू की हैं।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
मेटा (Meta) ने अपने प्लेटफॉर्म्स वॉट्सऐप, मैसेंजर और फेसबुक पर यूजर्स को ऑनलाइन ठगी और साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए नई एंटी-स्कैम सुविधाएं और जागरूकता पहल शुरू की हैं। कंपनी ने वरिष्ठ नागरिकों की डिजिटल सुरक्षा पर भी ध्यान बढ़ाया है और बड़े शहरों में वर्कशॉप और जागरूकता अभियान आयोजित कर रही है।
वॉट्सऐप पर अब यूजर्स को अनजाने संपर्कों के साथ वीडियो कॉल में स्क्रीन शेयर करते समय चेतावनी मिलेगी। स्कैमर अक्सर इस तरीके से बैंकिंग जानकारी या वेरिफिकेशन कोड्स तक पहुंचते हैं।
मैसेंजर में अब AI-आधारित स्कैम डिटेक्शन सुविधा होगी, जो नए संपर्कों से आने वाले संदिग्ध संदेशों पर चेतावनी देगी। यूजर हाल की चैट्स को ऑटोमैटिक स्कैम रिव्यू के लिए भी भेज सकते हैं।
सभी प्लेटफॉर्म्स पर अब यूजर पासकीज़ (Passkeys) का उपयोग करके बायोमेट्रिक या डिवाइस PIN के जरिए सुरक्षित लॉगिन कर सकते हैं। ध्यान दें कि Meta ने जून 2025 में फेसबुक पर iOS और Android डिवाइस के लिए पासकी ऑथेंटिकेशन लागू किया था।
सुरक्षा और प्राइवेसी जांच में सुधार
Meta ने सुरक्षा और प्राइवेसी चेकअप्स को और मजबूत किया है। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर यूजर अपनी सुरक्षा सेटिंग्स देख सकते हैं और पासवर्ड अपडेट, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन जैसी व्यक्तिगत सिफारिशें प्राप्त कर सकते हैं।
वॉट्सऐप पर Privacy Checkup टूल मदद करता है कि कौन आपको ग्रुप में जोड़ सकता है, जिससे अनचाहे संपर्क और स्कैमर से बचा जा सके।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए जागरूकता अभियान
Meta सरकार और गैर-लाभकारी संस्थाओं के साथ मिलकर वरिष्ठ नागरिकों में स्कैम जागरूकता बढ़ा रही है। भारत में, कंपनी ने 'स्कैम से बचो' (Scams Se Bacho) अभियान को दूरसंचार विभाग (DoT) के साथ बढ़ाया है। इसमें बहुभाषी शैक्षिक वीडियो शामिल हैं जो खासकर बुजुर्ग दर्शकों के लिए बनाए गए हैं।
यह पहल यूजर्स को ऑनलाइन ठगी, नकली निवेश ऑफ़र और फिशिंग प्रयास पहचानने में मदद करती है। मेटा सक्षम सीनियर (Meta Saksham Senior) पहल का भी समर्थन करता है, जो बुजुर्गों को डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने, गलत सूचना पहचानने और स्कैम से बचाव के तरीके अपनाने की ट्रेनिंग देती है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए Meta की सलाह:
अनचाहे संदेश और कॉल से सतर्क रहें
व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी ऑनलाइन साझा न करें
जानकारी को भरोसेमंद स्रोत से सत्यापित करें
संदिग्ध अनुरोधों का जवाब देने से पहले परिवार या भरोसेमंद संपर्क से सलाह लें
ऑनलाइन खतरों का बढ़ता दायरा
Meta ने बताया कि क्रॉस-बॉर्डर क्रिमिनल नेटवर्क्स सोशल मीडिया, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म और क्रिप्टो सेवाओं के यूजर्स को निशाना बना रहे हैं। PTI की एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2025 में Meta ने भारत और ब्राजील में यूजर्स को लक्षित करने वाले लगभग 23,000 फेसबुक पेज और अकाउंट्स हटा दिए।
साथ ही, वॉट्सऐप स्पैम और अनचाहे संदेशों को रोकने के लिए एक नई सुविधा विकसित कर रहा है। इसके तहत यूजर उन लोगों के साथ कितनी नई चैट शुरू कर सकते हैं, जिनका जवाब नहीं मिला, इसकी सीमा निर्धारित होगी।
इस सुविधा के तहत व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों प्रकार के अकाउंट शामिल होंगे। यूजर्स को मासिक संदेश सीमा के करीब आने पर नोटिफिकेशन मिलेगा। मौजूदा चैट प्रभावित नहीं होंगी, और यूजर नई संदेश गतिविधि को समर्पित सेटिंग पैनल से मॉनिटर कर सकेंगे।
कपिल बहल इससे पहले करीब सात साल से ‘जी न्यूज’ (Zee News) में कार्यरत थे और SEO Lead के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
नई नियुक्तियों के क्रम में ‘BAG Convergence’ (न्यूज24 डिजिटल) की टीम में एक और एंट्री हुई है। कंपनी ने कपिल बहल को बतौर एसईओ हेड (SEO Head) नियुक्त किया है। अपनी इस भूमिका में कपिल बहल एसईओ से जुड़े सभी कार्यों का नेतृत्व करेंगे।
कपिल बहल इससे पहले करीब सात साल से ‘जी न्यूज’ (Zee News) में कार्यरत थे और SEO Lead के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे। कपिल बहल को डिजिटल मीडिया, एसईओ स्ट्रैटेजी और ऑडियंस ग्रोथ में काम करने का डेढ़ दशक से ज्यादा का अनुभव है।
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2008 में ‘दैनिक जागरण’ (Dainik Jagran) से की थी और इसके बाद ‘राजस्थान पत्रिका’ (Rajasthan Patrika), ‘इंडिया टीवी’ (India TV), ‘आजतक’ (AajTak), ‘नेटवर्क18’ Network18 (CNN-IBN) और ‘जी न्यूज’ (Zee News) जैसे प्रतिष्ठित न्यूज संस्थानों में विभिन्न भूमिकाएं निभाते हुए अब ‘न्यूज24’ की टीम में शामिल हुए हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से कपिल बहल को नई पारी की ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
Network18 ग्रुप अब सिर्फ विज्ञापन पर निर्भर रहने के बजाय अपने बिज़नेस को नए क्षेत्रों में बढ़ा रहा है। कंपनी की वित्तीय प्लेटफॉर्म Moneycontrol की फिनटेक सेवाएं लगातार रफ्तार पकड़ रही हैं
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
Network18 ग्रुप अब सिर्फ विज्ञापन पर निर्भर रहने के बजाय अपने बिज़नेस को नए क्षेत्रों में बढ़ा रहा है। कंपनी की वित्तीय प्लेटफॉर्म Moneycontrol की फिनटेक सेवाएं लगातार रफ्तार पकड़ रही हैं, जिसमें लोन सेगमेंट मुख्य भूमिका निभा रहा है।
ग्लोबल फिनटेक फेस्टिवल 2025 के मंच पर मनीकंट्रोल ने भारत के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC के साथ साझेदारी का ऐलान किया। इस साझेदारी के तहत अब ग्राहक मनीकंट्रोल प्लेटफॉर्म से सीधे HDFC के पर्सनल लोन ऑफर देख और चुन सकेंगे। यह कदम मनीकंट्रोल को भारत का सबसे बड़ा और भरोसेमंद वित्तीय गंतव्य बनाने की दिशा में एक और मजबूत कदम है।
Moneycontrol प्लेटफॉर्म अपनी व्यापक खबरों, गहराई वाले विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय के कारण वित्त, कारोबार और पूंजी बाजार से जुड़े मामलों में इंडस्ट्री में सबसे अधिक आकर्षण और यूजर्स सहभागिता बना रहा है।
कंपनी का कहना है कि बीती तिमाही में Moneycontrol की पेज व्यूज (Page Views) अपने निकटतम प्रतिस्पर्धी से 1.8 गुना अधिक और यूजर्स का प्लेटफॉर्म पर बिताया गया समय (Time-Spent) 3 गुना से ज्यादा था।
Moneycontrol Pro देश के सबसे बड़े डिजिटल न्यूज सब्सक्रिप्शन प्लेटफॉर्म्स में से एक है, जिसमें 1 मिलियन से ज्यादा पेड सब्सक्राइबर हैं।
हाल ही में लॉन्च किया गया Moneycontrol Super Pro, जो एक अल्ट्रा-प्रिमियम, इंटेलिजेंस-आधारित मार्केट्स प्रोडक्ट है, उन यूजर्स के लिए डिजाइन किया गया है जो सिर्फ विश्लेषण तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि रियल-टाइम ट्रेडिंग और निर्णय लेना चाहते हैं। इसे बाजार में काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और यह कंपनी को सब्सक्रिप्शन-आधारित प्रॉडक्ट्स की दिशा में बढ़ने में मदद कर रहा है।
वहीं, Network18 का नया वर्टिकल Creator18 देश के सबसे बड़े कंटेंट क्रिएटर इकोसिस्टम में से एक तैयार कर रहा है। यह प्लेटफॉर्म इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग कैंपेन, सोशल मीडिया और वीडियो-फर्स्ट ग्रोथ स्ट्रैटेजी पर काम कर रहा है।
Creator18 अभी तक 1,000 से ज्यादा सोशल मीडिया क्रिएटर्स के साथ काम कर चुका है, जिनमें से कई के साथ इसका एक्सक्लूसिव करार है। यह नया वर्टिकल Network18 की विज्ञापन पहुंच को बढ़ा रहा है और कंपनी को कल्चर, कॉमर्स और फैशन जैसे नए क्षेत्रों में विस्तार करने में मदद करेगा।
टेक कंंपनी गूगल (Google) ने चेतावनी दी है कि ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के लोगों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल पर रोक लागू करना बेहद मुश्किल होगा।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
टेक कंंपनी गूगल (Google) ने चेतावनी दी है कि ऑस्ट्रेलिया में 16 साल से कम उम्र के लोगों के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल पर रोक लागू करना बेहद मुश्किल होगा। कंपनी ने कहा कि सरकार की यह पहल बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित बनाने में मदद नहीं करेगी।
दिसंबर 2024 में ऑस्ट्रेलिया पहला देश बना जिसने 16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया उपयोग से रोक दिया। इस कानून के तहत प्लेटफॉर्म्स को इस साल 10 दिसंबर तक अनाधिकृत बच्चों के अकाउंट्स को बंद करना होगा, लेकिन इसके लिए उम्र की पुष्टि (age verification) की जरूरत नहीं होगी।
ऑस्ट्रेलिया की इस कानून में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को AI और यूजर बिहेवियर डेटा का उपयोग कर बच्चों की उम्र का अंदाजा लगाने के लिए कहा गया है। यह कानून युवा लोगों की मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया के प्रभाव को देखते हुए नवंबर 2024 में पास किया गया था। कंपनियों को इसे लागू करने के लिए एक साल का समय मिला है।
सोमवार, 13 अक्टूबर को ऑनलाइन सेफ्टी नियमों पर संसद की सुनवाई में YouTube की वरिष्ठ अधिकारी Rachel Lord ने कहा कि सरकार की योजना भले ही अच्छे इरादों से बनाई गई हो, लेकिन इसके अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून लागू करना मुश्किल होगा और यह बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित बनाने का वादा पूरा नहीं करता।
Rachel Lord ने कहा कि बच्चों को सुरक्षित रखने का तरीका यह नहीं कि उन्हें ऑनलाइन आने से रोक दिया जाए। इसके बजाय, ऑनलाइन सुरक्षा टूल्स का इस्तेमाल करके बच्चों की सुरक्षा की जा सकती है और माता-पिता को नियंत्रण दिया जाना चाहिए ताकि वे बच्चों के ऑनलाइन अनुभव को गाइड कर सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि जुलाई में ऑस्ट्रेलिया ने YouTube को इस कानून के दायरे में शामिल किया, जबकि पहले इसे शिक्षकों में लोकप्रिय होने के कारण बाहर रखा गया था। Google का कहना है कि YouTube एक वीडियो शेयरिंग साइट है, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म नहीं।
पत्रकार प्रीतम साहा ने ‘BAG Convergence’ (न्यूज24 डिजिटल) के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। उन्होंने न्यूज24 डिजिटल (अंग्रेजी) में बतौर एडिटर जॉइन किया है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
पत्रकार प्रीतम साहा ने ‘BAG Convergence’ (न्यूज24 डिजिटल) के साथ मीडिया में अपनी नई पारी का आगाज किया है। उन्होंने न्यूज24 डिजिटल (अंग्रेजी) में बतौर एडिटर जॉइन किया है।
यहां उन्हें कंटेंट स्ट्रैटेजी के साथ-साथ एडिटोरियल डायरेक्शन की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। प्रीतम साहा इससे पहले ‘एबीपी न्यूज’ (ABP News) में डिप्टी न्यूज एडिटर के पद पर कार्यरत थे।
प्रीतम साहा को न्यूज, स्पोर्ट्स और एंटरटेनमेंट सेगमेंट में काम करने का 17 साल से ज्यादा का अनुभव है। इस दौरान उन्होंने प्रिंट और डिजिटल दोनों माध्यमों में काम किया है।
इस दौरान वह ‘इंडिया टुडे’, ‘एमएसएन’, ‘जी न्यूज’, ‘रिपब्लिक वर्ल्ड’, ‘एबीपी न्यूज’ और ‘डीएनए’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
गूगल क्लाउड के CEO थॉमस कुरियन का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे काम करने के तरीके को बदल रहा है, लेकिन यह किसी का नौकरी नहीं छीन रहा।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
गूगल क्लाउड के CEO थॉमस कुरियन का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) हमारे काम करने के तरीके को बदल रहा है, लेकिन यह किसी का नौकरी नहीं छीन रहा। उनके मुताबिक AI एक सहायक उपकरण है, जो एम्प्लॉयीज को, आज जो काम करते हैं, उसे कल और बेहतर तरीके से करने में मदद करेगा।
कुरियन ने Big Technology पॉडकास्ट को दिए इंटरव्यू में कहा कि यह तकनीक इंसानों के काम को बदलने या खत्म करने के बजाय सशक्त बनाने के लिए है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि AI इंसानों की क्षमता को बढ़ाने वाला एक पुल है, न कि उनका विकल्प।”
AI मददगार है, प्रतिस्थापन नहीं
गूगल के Customer Engagement Suite का उदाहरण लेते हुए कुरियन ने बताया कि यह AI-संचालित टूल्स कंपनियों को ग्राहक सवालों का जवाब तेजी से देने में मदद करता है। जब यह लॉन्च हुआ, तो कई लोग डर गए कि “क्या अब ग्राहक सेवा एजेंटों की जरूरत नहीं रहेगी?”
लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत रही। अधिकांश ग्राहकों ने किसी को नौकरी से नहीं हटाया। AI अब उन सवालों को संभालता है, जिन्हें ग्राहक आम तौर पर पूछने में हिचकते हैं- छोटे, रूटीन या ऐसे सवाल जो इनबॉक्स में फंस जाते हैं। परिणामस्वरूप, कर्मचारी जटिल और महत्वपूर्ण मामलों पर अधिक समय दे पा रहे हैं, जबकि AI सामान्य कार्य संभाल रहा है।
सुंदर पिचाई का समर्थन
गूगल के CEO सुंदर पिचाई ने भी इस बात को माना है कि AI ने कंपनी में उत्पादकता बढ़ाई है, नौकरियों में कटौती नहीं की। पिचाई ने कहा कि AI ने इंजीनियर्स की कार्यकुशलता लगभग 10 प्रतिशत बढ़ा दी है और कंपनी अब और अधिक भर्ती करने की योजना बना रही है।
उनका कहना है कि AI दोहराए जाने वाले कोडिंग और प्रशासनिक काम संभाले ताकि इंसान रचनात्मक और संतोषजनक कार्यों पर ध्यान दे सकें।
थॉमस कुरियन का व्यक्तिगत दृष्टिकोण
भारत के स्व-शिक्षित प्रवासी थॉमस कुरियन ने अपनी करियर शुरुआत मैकिन्से में की और फिर ओरेकल में 20 साल से अधिक समय तक काम किया। 2019 में वह गूगल क्लाउड के प्रमुख बने और उनके नेतृत्व में यह विभाग तेजी से विकसित हुआ। उनके जुड़वां भाई जॉर्ज कुरियन भी एक बड़ी डेटा कंपनी NetApp के CEO हैं।
कुरियन का कहना है कि AI भविष्य में नौकरियों के लिए खतरा नहीं, बल्कि काम को बेहतर बनाने का अवसर है। उनका संदेश साफ है- AI आपकी नौकरी लेने नहीं आया, बल्कि उसे अपग्रेड करने आया है।