ANI व मोहक मंगल विवाद: भारत की क्रिएटर इकोनॉमी में 'फेयर यूज' पर फिर छिड़ी बहस

भारत में और दुनिया के कई अन्य हिस्सों की तरह, कॉपीराइट कानून समाचार एजेंसियों को उनके द्वारा तैयार किए गए कंटेंट, जैसे- वीडियो क्लिप्स, फुटेज और ग्राफिक्स पर पूरा अधिकार देता है।

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Tuesday, 27 May, 2025
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शालिनी मिश्रा, सीनियर कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।

भारत में और दुनिया के कई अन्य हिस्सों की तरह, कॉपीराइट कानून समाचार एजेंसियों को उनके द्वारा तैयार किए गए कंटेंट, जैसे- वीडियो क्लिप्स, फुटेज और ग्राफिक्स पर पूरा अधिकार देता है। जब इस तरह के कंटेंट का दोबारा इस्तेमाल किया जाता है, चाहे वो कुछ सेकंड का ही अंश क्यों न हो, और वह भी बिना वैध लाइसेंस के, तो कॉपीराइट धारक इसे हटाने की कार्रवाई या मुआवजे की मांग करने के पूरे हकदार होते हैं।

मोहन मंगल, जो एक शिक्षक और डिजिटल इनफ्लुएंसर हैं और यूट्यूब पर उनके 4.1 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, इन दिनों पारंपरिक मीडिया के निशाने पर हैं। उन्होंने भारतीय सेना के समर्थन में एक वीडियो बनाया था- 'ऑपरेशन सिंदूर' पर आधारित 33 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री, जो उन्होंने यूट्यूब पर पोस्ट की।

वीडियो को तेजी से लोकप्रियता मिली और इसने 20 लाख से ज्यादा व्यूज जुटा लिए, जोकि वीडियो के प्रभाव की ताकत को दर्शाता है। लेकिन उतनी ही तेजी से यह वीडियो हटा भी लिया गया, वजह बनी एक न्यूज एजेंसी ANI द्वारा 11 सेकंड की क्लिप पर लगाया गया कॉपीराइट स्ट्राइक। यूट्यूब की नीति के मुताबिक, वीडियो को तुरंत प्लेटफॉर्म से हटा दिया गया।

शुरुआत में यह एक सामान्य कॉपीराइट मामला लगा, लेकिन आगे जो हुआ उसने कई गहरी चिंताएं खड़ी कर दीं। एक फॉलो-अप वीडियो में मोहन मंगल ने दावा किया कि यह सिर्फ कॉपीराइट स्ट्राइक नहीं थी, बल्कि इसके बाद एक भारी भरकम मुआवजे की मांग भी की गई।

इसके बाद क्रिएटर कम्युनिटी ने उनका खुलकर समर्थन किया। कुणाल कामरा, ध्रुव राठी, नितेश राजपूत और ठगेश जैसे चर्चित नामों ने न केवल मंगल के पक्ष में आवाज उठाई, बल्कि इसे डिजिटल स्टोरीटेलिंग से जुड़े एक बड़े ट्रेंड की ओर इशारा किया।

कई छोटे क्रिएटर्स ने भी कमेंट्स में अपनी-अपनी ऐसी ही कहानियां साझा कीं, जहां चंद सेकंड के न्यूज फुटेज के इस्तेमाल पर उन्हें भारी कानूनी कार्रवाइयों का सामना करना पड़ा। जो मामला पहले एक व्यक्तिगत संघर्ष लग रहा था, वह अब 'फेयर यूज', डिजिटल अधिकारों और मीडिया की बदलती दुनिया में संतुलित कानून प्रवर्तन की बहस बन चुका है।

यह पूरा घटनाक्रम इस सवाल को उठाता है कि क्या कॉपीराइट कानूनों का इस्तेमाल स्वतंत्र आवाजों को डराने और दबाने के लिए किया जा रहा है?

यूट्यूब की मौजूदा नीति के अनुसार, जब किसी क्रिएटर को स्ट्राइक मिलता है, तो उन्हें ईमेल से सूचित किया जाता है कि कौन-सा कंटेंट हटाया गया, किस नीति का उल्लंघन हुआ (जैसे कि उत्पीड़न, हिंसा या कॉपीराइट) और इस स्ट्राइक से चैनल पर क्या प्रभाव पड़ेगा और आगे क्या विकल्प हैं।

पहला स्ट्राइक लगते ही क्रिएटर की एक हफ्ते तक नई वीडियो अपलोड करने, लाइव जाने, प्रीमियर शेड्यूल करने, कस्टम थंबनेल डालने और प्लेलिस्ट मैनेज करने की सुविधा रोक दी जाती है। इस अवधि में पहले से शेड्यूल की गई सभी वीडियो प्राइवेट हो जाती हैं। यदि 90 दिनों के भीतर दूसरा स्ट्राइक लगता है, तो दो हफ्तों तक पोस्टिंग प्रतिबंधित हो जाती है। तीसरा स्ट्राइक चैनल को स्थायी रूप से बंद भी करवा सकता है।

यह स्थिति और गंभीर इसलिए हो जाती है क्योंकि भारत सरकार लगातार यह लक्ष्य दोहरा रही है कि वह भारत को "वैश्विक कंटेंट पावरहाउस" बनाना चाहती है। हाल ही में आयोजित WAVES समिट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम भारत को कंटेंट का सबसे बड़ा निर्यातक बनाना चाहते हैं।” इस दिशा में सरकार ने ₹100 करोड़ का बजट भी तय किया है।

कानूनी दृष्टिकोण से देखें तो...

ABA Law Office की फाउंडर अनुष्का अरोड़ा का कहना है कि एक चिंताजनक चलन सामने आ रहा है जहां पारंपरिक मीडिया कॉपीराइट कानून का इस्तेमाल अपने कंटेंट की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि डिजिटल स्वतंत्रता को दबाने और आलोचनात्मक आवाजों को चुप कराने के लिए कर रहा है।

अरोड़ा ने अमेरिका के मशहूर केस Lenz v. Universal Music Corp. का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने कहा कि कोई भी कॉपीराइट हटाने की कार्रवाई करने से पहले फेयर यूज का आकलन करना जरूरी है। उनके शब्दों में, “फेयर यूज पर विचार किए बिना कॉपीराइट का डर दिखाना, कानून का दुरुपयोग है। यह कंटेंट की सुरक्षा नहीं, बल्कि उस पर नियंत्रण पाने की कोशिश है।”

उन्होंने भारत में फेयर यूज को मजबूत करने और दुर्भावनापूर्ण कॉपीराइट दावों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।

इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया

लाइसेंसिंग प्लेटफॉर्म Hoopr के CEO और को-फाउंडर गौरव डागाओंकर ने कहा, “फेयर यूज की स्पष्टता की कमी के कारण हटाने की प्रक्रिया का दुरुपयोग हो रहा है, खासकर उन क्रिएटर्स के खिलाफ जो एजुकेशनल या व्याख्यात्मक कंटेंट बना रहे हैं। 2023 में ही यूट्यूब ने 15 लाख से अधिक टेकडाउन रिक्वेस्ट प्रोसेस कीं, जिनमें से कई ऑटोमेटेड थीं और बहुत कम को चुनौती दी गई।”

उन्होंने कहा कि कॉपीराइट धारकों को अपने अधिकारों की रक्षा जरूर करनी चाहिए, लेकिन यह प्रक्रिया टकराव भरी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “अब कई कंटेंट कंपनियां सहयोग की जगह कानूनी दावों के जरिए कमाई का रास्ता ढूंढ रही हैं।”

डागाओंकर ने बताया कि 2023 की शुरुआत में यूट्यूब पर किए गए Content ID क्लेम्स में से 0.5% से भी कम को चुनौती दी गई। उन्होंने मानव हस्तक्षेप, पारदर्शी समाधान प्रणाली और लाइसेंसिंग को लेकर बेहतर जानकारी की जरूरत बताई।

उनके मुताबिक, “प्लेटफॉर्म्स और राइट्स ओनर्स को ऐसे सिस्टम बनाने चाहिए जो वैध उपयोग की अनुमति दें, बिना डर के। प्री-अप्रूव्ड म्यूजिक, फेयर लाइसेंसिंग मॉडल्स और शिक्षाप्रद टूल्स इस दिशा में जरूरी कदम हैं। आज के इंफ्लुएंसर्स आधुनिक नैरेटिव तैयार कर रहे हैं। अगर कॉपीराइट का इस्तेमाल उन्हें रोकने के लिए होगा, तो हम अपने ही विकास के लक्ष्य को नुकसान पहुंचाएंगे।”

संतुलन की जरूरत

भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था, जिसकी अनुमानित वैल्यू 2025 तक ₹35,000 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है, मुख्य रूप से रीमिक्स और मौजूदा कंटेंट की नई व्याख्या (reinterpretation) पर आधारित है। लेकिन अगर इस तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था को लंबे समय तक टिकाऊ बनाना है, तो इसके लिए कानूनी और संचालन से जुड़ी व्यवस्थाओं (legal and operational frameworks) में बदलाव जरूरी है।  

जो लोग खासतौर पर कमर्शियल यानी व्यावसायिक कंटेंट बना रहे हैं, उन्हें अब कॉपीराइट और लाइसेंसिंग की जिम्मेदारी पहले से ज्यादा समझदारी से निभानी होगी। यानी यदि वे किसी और का वीडियो, ऑडियो या ग्राफिक्स इस्तेमाल कर रहे हैं, तो पहले उचित लाइसेंस लेना जरूरी है। लेकिन सिर्फ क्रिएटर्स को जिम्मेदार बनाना काफी नहीं है। कानूनों को लागू करने वालों को भी अपनी सोच बदलनी होगी। अब जरूरत इस बात की है कि सीधे वीडियो हटाने या सजा देने के बजाय पहले लोगों को शिक्षित किया जाए। एक सहयोगात्मक तरीका अपनाया जाए जिसमें पहले नर्मी से नोटिस देना, समाधान के लिए बातचीत करना और आसान लाइसेंसिंग जैसी चीजें शामिल हों ताकि कानूनी टकराव कम हो सके।

गौरव डगाओंकर यह सुझाव देते हैं कि कंटेंट के मालिक यानी न्यूज एजेंसियों या प्रोडक्शन हाउस को चाहिए कि वे कुछ खुले और लचीले मॉडल अपनाएं। जैसे- ओपन लाइसेंसिंग (जहां कुछ शर्तों के साथ कंटेंट इस्तेमाल की अनुमति दी जाए), डेरिवेटिव यूज परमिशन (जहां कंटेंट को थोड़ा बदलकर दोबारा इस्तेमाल करने की इजाजत हो) या को-क्रिएटेड फॉर्मैट्स (जहां मूल और नया कंटेंट मिलाकर साझा किया जाए)। क्योंकि भारत में हर महीने 10 लाख से ज्यादा ब्रैंडेड कंटेंट बन रहे हैं, ऐसे में जरूरी है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म इस बीच संतुलन बनाए रखें यानी एक तरफ अधिकारों की रक्षा करें और दूसरी तरफ रचनात्मक स्वतंत्रता को भी बढ़ावा दें।

पुराने मीडिया संस्थानों और नए डिजिटल क्रिएटर्स के बीच जो संघर्ष चल रहा है, वह केवल कॉपीराइट का मुद्दा नहीं है। यह असल में एक बड़ी परीक्षा है जो यह तय करेगा कि भारत अपने डिजिटल कहानी कहने (डिजिटल स्टोरीटेलिंग) के भविष्य को किस रास्ते पर ले जाएगा, क्या हम नियंत्रण और सख्ती को चुनेंगे या सहयोग और नवाचार को अपनाएंगे।

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‘NDTV Digital’ की रेवेन्यू हेड बनीं समीक्षा सिक्का

समीक्षा सिक्का इससे पहले चार साल से ज्यादा समय से ‘नेटवर्क18’ (Network18) में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

Last Modified:
Tuesday, 16 September, 2025
Samiksha Sikka

समीक्षा सिक्का को ‘एनडीटीवी डिजिटल’ (NDTV Digital) में रेवेन्यू हेड के पद पर नियुक्त किया गया है। समीक्षा ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट के जरिये खुद यह जानकारी शेयर की है।

लिंक्डइन पोस्ट में उन्होंने लिखा, ‘मुझे खुशी है कि मैं NDTV Digital में रेवेन्यू हेड के तौर पर नई भूमिका की शुरुआत कर रही हूं।’

समीक्षा सिक्का इससे पहले चार साल से ज्यादा समय से ‘नेटवर्क18’ (Network18) में अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। वहां वह Moneycontrol.com, News18.com तथा Firstpost.com के लिए काम कर रही थीं।

समीक्षा डिजिटल सेल्स क्षेत्र की अनुभवी प्रोफेशनल हैं। उन्हें इंटीग्रेटेड सेलिंग, इन्वेंट्री और कंटेंट सेल्स में महारत हासिल है। पूर्व में वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘नवभारत टाइम्स’ और ‘महाराष्ट्र टाइम्स’ जैसे प्रतिष्ठित न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स के साथ भी काम कर चुकी हैं।

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AI समरी को लेकर गूगल पर बड़े पब्लिशर ने ठोका मुकदमा

गूगल को पेंसकी मीडिया कॉरपोरेशन (PMC) की ओर से एक नए मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है।

Last Modified:
Monday, 15 September, 2025
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गूगल को पेंसकी मीडिया कॉरपोरेशन (PMC) की ओर से एक नए मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है। PMC के पास रोलिंग स्टोन, बिलबोर्ड, वैरायटी, हॉलीवुड रिपोर्टर, डेडलाइन, वाइब और आर्टफोरम जैसी मशहूर प्रकाशन संस्थाएं हैं। कंपनी का आरोप है कि गूगल ने उसकी पत्रकारिता सामग्री का बिना अनुमति उपयोग करके AI-जनित समरी (सारांश) तैयार की, जिससे उसकी वेबसाइट्स पर ट्रैफिक कम हो रहा है।

यह मुकदमा वॉशिंगटन डी.सी. की संघीय अदालत में दायर किया गया है और यह पहला मौका है जब किसी प्रमुख अमेरिकी पब्लिशर ने गूगल के “AI ओवरव्यूज” फीचर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, न्यूज ऑर्गनाइजेशन ने तर्क दिया है कि ये नए AI समरी (जो सर्च रिजल्ट्स के शीर्ष पर दिखाई देते हैं), उनकी विज्ञापन और सब्सक्रिप्शन से होने वाली आय को घटा रहे हैं क्योंकि इससे उनकी वेबसाइट्स पर क्लिक करने वाले यूजर्स की संख्या कम हो रही है।

पेंसकी मीडिया, जिसके बारे में बताया जाता है कि उसके प्लेटफॉर्म पर हर महीने 12 करोड़ ऑनलाइन विजिटर आते हैं, ने आरोप लगाया है कि गूगल प्रभावी रूप से पब्लिशर्स को इन AI समरीज में उनकी सामग्री के उपयोग के लिए सहमति देने पर मजबूर करता है। पेंसकी मीडिया के चेयरमैन जे पेंसकी को उद्धृत करते हुए कहा गया, “हम पर यह जिम्मेदारी है कि हम डिजिटल मीडिया के भविष्य के लिए सक्रिय रूप से लड़ें और उसकी अखंडता को बनाए रखें, जिन्हें गूगल की मौजूदा गतिविधियों से खतरा है।”

याचिका के अनुसार, गूगल यह सब करने के लिए सर्च मार्केट में अपनी प्रभुत्वशाली स्थिति का लाभ उठाता है। संघीय अदालत ने पिछले साल पाया था कि अमेरिका में गूगल की बाजार हिस्सेदारी लगभग 90% है।

कंपनी के मुकदमे में दावा किया है कि AI ओवरव्यूज अब लगभग 20% गूगल सर्च में दिखाई देते हैं, जो अन्यथा उसकी साइट्स पर ट्रैफिक भेजते। इसका नतीजा यह हुआ कि सर्च ट्रैफिक में गिरावट आई और 2024 के अंत से उसके एफिलिएट राजस्व में एक-तिहाई से अधिक की कमी आई है।

फरवरी में ऑनलाइन शिक्षा कंपनी चेग ने भी इसी तरह का मुकदमा दायर किया था। उसने आरोप लगाया था कि गूगल के AI ओवरव्यूज प्रतिस्पर्धा को कमजोर कर रहे हैं और मौलिक सामग्री की मांग घटा रहे हैं।

अपने बचाव में, गूगल के प्रवक्ता जोस कास्टानेडा ने कहा कि AI ओवरव्यूज यूजर्स के लिए बेहतर अनुभव हैं और वास्तव में यह अधिक विविध वेबसाइट्स पर ट्रैफिक भेजते हैं।

कास्टानेडा ने कहा, “AI ओवरव्यूज के साथ लोग सर्च को अधिक उपयोगी पाते हैं और इसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, जिससे सामग्री खोजे जाने के नए अवसर पैदा होते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हम इन निराधार दावों के खिलाफ बचाव करेंगे।”

यह मुकदमा गूगल के लिए उस दुर्लभ एंटीट्रस्ट जीत के तुरंत बाद आया है, जिसमें यह फैसला दिया गया था कि कंपनी को अपना क्रोम ब्राउजर बेचना नहीं पड़ेगा। 

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हिंदी दिवस पर अमित शाह बोले- हिंदी एकता का सेतु, योगी आदित्यनाथ ने दी शुभकामनाएं

हिंदी दिवस (14 सितंबर) के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।

Last Modified:
Sunday, 14 September, 2025
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हिंदी दिवस (14 सितंबर) के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं और हिंदी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।

अमित शाह ने अपने संदेश में कहा कि हिंदी देश की विभिन्न बोलियों और भाषाओं के बीच सेतु का कार्य करती है और राष्ट्रीय एकता को मजबूती देती है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि आज हिंदी विज्ञान, तकनीक और अनुसंधान की भाषा के रूप में भी तेजी से आगे बढ़ रही है।

वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर शुभकामनाएँ देते हुए हिंदी को भारत की संस्कृति, एकता और आत्मगौरव की भाषा बताया। उन्होंने कहा कि हिंदी ने विविध बोलियों और भाषाओं के बीच हमेशा लोगों को जोड़ने का काम किया है।

दोनों नेताओं के संदेश इस बात को रेखांकित करते हैं कि हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की पहचान और एकजुटता का आधार है।

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YouTube ने भारत में पेश किए नए AI विज्ञापन टूल व क्रिएटर हब

यूट्यूब (YouTube) ने भारत के बाजार को ध्यान में रखते हुए नए विज्ञापन समाधान पेश किए हैं, जिनकी मदद से ब्रैंड्स (कंपनियां) क्रिएटर्स (यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स) के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे

Last Modified:
Friday, 12 September, 2025
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यूट्यूब (YouTube) ने भारत के बाजार को ध्यान में रखते हुए नए विज्ञापन समाधान पेश किए हैं, जिनकी मदद से ब्रैंड्स (कंपनियां) क्रिएटर्स (यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स) के साथ बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे और अपने दर्शकों तक अधिक असरदार तरीके से पहुंच पाएंगे।

इस पहल का मुख्य हिस्सा है Creator Partnerships Hub, जो Google Ads के भीतर एक नया टूल है। इसकी मदद से ऐडवर्टाइजर सीधे क्रिएटर्स की पहचान कर सकते हैं और उनसे काम कर सकते हैं। अब ब्रैंड्स अपने विज्ञापन अभियानों में इन्फ्लुएंसर-आधारित कंटेंट शामिल कर पाएंगे, जिसे Partnership Ads कहा जा रहा है। इसका मकसद है ब्रैंड और क्रिएटर्स के बीच सहयोग को आसान बनाना और क्रिएटर-संचालित कहानियों (creator-driven storytelling) को विज्ञापन रणनीतियों का अहम हिस्सा बनाना।  

यूट्यूब इंडिया की कंट्री मैनेजिंग डायरेक्टर गुंजन सोनी ने कहा कि प्लेटफॉर्म का बढ़ता पैमाना और एंगेजमेंट ऐडवर्टाइजर्स को एक अनोखा लाभ देता है। उन्होंने कहा, “यूट्यूब अब सिर्फ एक कंटेंट प्लेटफॉर्म नहीं है, यह वह जगह है जहां कम्युनिटी गहराई से जुड़ती है और जहां ब्रैंड्स भरोसा कायम कर सकते हैं, प्रामाणिक स्टोरीटेलिंग के जरिए।”

प्लेटफॉर्म ने पीक पॉइंट्स भी पेश किया है, जो जेमिनी-संचालित फीचर है। यह वीडियो के सबसे आकर्षक हिस्सों की पहचान करता है और ऐडवर्टाइजर्स को उन क्षणों में विज्ञापन लगाने का मौका देता है, जब दर्शकों का ध्यान सबसे ज्यादा होता है। इसके अलावा, यूट्यूब ने पुष्टि की कि मल्टी-लैंग्वेज ऑडियो विकल्प, जिसमें वीडियो डबिंग भी शामिल है, जल्द ही सभी क्रिएटर्स के लिए उपलब्ध होगा। इससे भारत की विविध भाषाई पृष्ठभूमि वाले दर्शकों के लिए कंटेंट की पहुंच और भी बढ़ जाएगी।

भारत, यूट्यूब के सबसे बड़े और सबसे तेज़ी से बढ़ते बाजारों में से एक बना हुआ है। कंपनी के अनुसार, अब 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के यूजर्स प्रतिदिन औसतन 72 मिनट से अधिक समय प्लेटफॉर्म पर बिता रहे हैं। यूट्यूब शॉर्ट्स के मासिक लॉग-इन दर्शकों की संख्या 650 मिलियन को पार कर गई है और कनेक्टेड टीवी के दर्शक मध्य-2025 तक 75 मिलियन से ऊपर पहुंच गए हैं।

इन समाधानों को अपनाना पहले ही शुरू हो चुका है। इंश्योरेंस-टेक कंपनी ACKO ने यूट्यूब के फुल-स्टैक अप्रोच को CTV, शॉर्ट्स और डिमांड जेन में लागू करने के बाद साल-दर-साल 40% की वृद्धि दर्ज की। इसी तरह, मिंत्रा के बिग फैशन फेस्टिवल ने शॉर्ट्स फर्स्ट पोजीशन का उपयोग करके 1.9 करोड़ यूजर्सओं तक बहुत कम लागत पर पहुंच बनाई। वहीं, सेबामेड के क्रिएटर-आधारित अभियानों ने बिक्री में दो गुना बढ़ोतरी और ब्रैंड सर्च में वृद्धि दर्ज कराई।

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NDTV को अलविदा कह आकाश पटेरिया ने 'रिपब्लिक भारत' किया जॉइन

NDTV की डिजिटल टीम से युवा पत्रकार आकाश पटेरिया ने इस्तीफा दे दिया है। आकाश पिछले दो साल से NDTV में जुड़े हुए थे और यहां उन्होंने डिजिटल टीम में बतौर मल्टीमीडिया प्रडयूसर काम किया।

Last Modified:
Friday, 12 September, 2025
Akash7845

NDTV की डिजिटल टीम से युवा पत्रकार आकाश पटेरिया ने इस्तीफा दे दिया है। आकाश पिछले दो साल से NDTV में जुड़े हुए थे और यहां उन्होंने डिजिटल टीम में बतौर मल्टीमीडिया प्रडयूसर काम किया। उनके पास पत्रकारिता का चार साल का अनुभव है।

आकाश राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय खबरों पर पैकेजिंग और एंकर वीडियो बनाने का काम करते रहे हैं।

मूलरूप से आकाश मध्य प्रदेश के भोपाल के रहने वाले हैं। उन्होंने महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में AAFT यूनिवर्सिटी से टीवी पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा किया।

पत्रकार आकाश पटेरिया ने NDTV को अलविदा कहकर रिपब्लिक मीडिया में अपनी नई पारी की शुरुआत की है। यहां उन्होंने बतौर सीनियर सब एडिटर पद संभाला है। आकाश अब रिपब्लिक भारत में डिजिटल टीम के लिए अपनी सेवाएं देंगे। 

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Meta ने CCI के ₹213 करोड़ जुर्माने को NCLAT में दी चुनौती

फेसबुक की पेरेंट कंपनी 'मेटा' (Meta) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए ₹213 करोड़ के जुर्माने को चुनौती दी है।

Last Modified:
Friday, 12 September, 2025
Meta7845

फेसबुक की पेरेंट कंपनी 'मेटा' (Meta) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए ₹213 करोड़ के जुर्माने को चुनौती दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के सामने तर्क दिया कि यह आदेश 'कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण और प्रतिस्पर्धा कानून के दायरे से बाहर' है। 

नवंबर 2024 में, CCI (भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग) ने माना कि Meta की 2021 की पॉलिसी अपडेट, जिसमें उसने अपने अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स (जैसे Facebook, Instagram, WhatsApp) के बीच डेटा शेयर करने की अनुमति दी थी, उसके मार्केट में दबदबे का दुरुपयोग है।

Meta की ओर से पेश होते हुए कपिल सिब्बल ने दलील दी कि नियामक ने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे जाकर गोपनीयता और डाटा-साझाकरण के मुद्दों पर कदम बढ़ाया है। उन्होंने कहा, “CCI ने उस पहलू में दखल दिया है जिसका प्रतिस्पर्धा से कोई संबंध नहीं है। दुरुपयोगी प्रथा का प्लेटफॉर्म की डाटा गोपनीयता नीति से कोई लेना-देना नहीं है।”

रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने आगे कहा कि CCI प्रभाव-आधारित विश्लेषण करने या किसी विशिष्ट प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथा की पहचान करने में विफल रहा।

इस साल जनवरी में, राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय अधिकरण (NCLAT) ने अस्थायी रूप से CCI के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें WhatsApp को विज्ञापन उद्देश्यों के लिए Meta के साथ यूजर्स डेटा साझा करने पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया था।

नवंबर 2024 में, भारत के एंटीट्रस्ट नियामक ने WhatsApp की विवादास्पद 2021 की गोपनीयता पॉलिसी के माध्यम से बाजार प्रभुत्व के दुरुपयोग के लिए Meta पर लगभग ₹214 करोड़ ($25.4 मिलियन) का जुर्माना लगाया था।

यह दंड उन चिंताओं को दर्शाता था कि इस पॉलिसी ने अनुचित तरीके से यूजर्स को Meta के प्लेटफॉर्म्स पर अपना डेटा साझा करने के लिए बाध्य किया, जिससे उपभोक्ता गोपनीयता पर व्यवसाय और विज्ञापन लक्ष्यों को प्राथमिकता दी गई। 

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भारतीयों की पहली पसंद YouTube व Google, 84% यूजर्स रोजाना करते हैं विजिट: नीत‍ि वालिया

नीति वालिया ने कहा कि गूगल और यूट्यूब ऐसे पार्टनर बन सकते हैं जो व्यवसायों को बदलते हुए डिजिटल माहौल में यूजर्स को खोजने, समझने और उन्हें ग्राहकों में बदलने में मदद करते हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 10 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 10 September, 2025
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e4m D2C Revolution Summit 2025 में गूगल इंडिया की हेड ऑफ कॉमर्स (मिड-मार्केट सेल्स) नीति वालिया ने ‘Google और YouTube के साथ मार्केटिंग पर पुनर्विचार करें’ शीर्षक से एक मुख्य भाषण दिया। फाउंडर्स और मार्केटर्स से बात करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गूगल और यूट्यूब ऐसे पार्टनर बन सकते हैं जो व्यवसायों को बदलते हुए डिजिटल माहौल में यूजर्स को खोजने, समझने और उन्हें ग्राहकों में बदलने में मदद करते हैं।

वालिया ने कहा, “शॉपिंग का व्यवहार बेहद अप्रत्याशित है।” उन्होंने समझाया कि यूजर्स लगातार “सर्चिंग, स्ट्रीमिंग, स्क्रोलिंग और शॉपिंग” कर रहे होते हैं, कई बार ये सब एक साथ करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि “भारत में 84% लोग रोजाना गूगल या यूट्यूब पर आते हैं, जो किसी भी अन्य प्लेटफॉर्म की तुलना में कहीं ज्यादा है।”

इसके बाद वालिया ने बताया कि सर्च भी बहुत तेजी से बदल रहा है। मल्टीमॉडल सर्च, AI ओवरव्यूज, AI मोड और गूगल लेंस व सर्कल टू सर्च जैसे विज़ुअल टूल्स की मदद से अब सर्च सिर्फ जानकारी तक सीमित नहीं है, बल्कि बुद्धिमत्ता बन चुका है। उन्होंने कहा, “हर पांच विज़ुअल सर्च में से एक का मकसद सीधा खरीदारी से जुड़ा होता है।”

AI पर बोलते हुए वालिया ने इस बात पर जोर दिया कि यह यूजर्स की यात्रा को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा, “AI ओवरव्यूज लोगों को आपकी वेबसाइट पर हाई-क्वालिटी ट्रैफिक में बदलने में मदद कर रहे हैं।”

वालिया ने AI-संचालित विज्ञापन समाधानों (AI powered ad solutions) का भी जिक्र किया, जैसे Performance Max और हाल ही में लॉन्च किया गया Commerce Media Networks (CMN), जिनके जरिए D2C ब्रैंड्स अपनी रीच और सेल्स को क्यू-कॉमर्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (Flipkart, Myntra, Blinkit, Zepto और Swiggy Instamart) पर बढ़ा सकते हैं।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “RENEÉ Cosmetics ने गूगल ऐड्स पर ब्लिंकिट के साथ कॉमर्स मीडिया नेटवर्क का इस्तेमाल किया और 11.5% बिक्री बढ़ोतरी तथा प्रति ग्राहक लागत में 48% की कमी हासिल की, क्योंकि यूजर्स को बिना किसी रुकावट सीधे खरीद तक ले जाया गया।”

इसके बाद वालिया ने यूट्यूब के बढ़ते प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि “76% दर्शकों का मानना है कि यूट्यूब पर मौजूद क्रिएटर्स अन्य किसी भी प्लेटफॉर्म की तुलना में अधिक भरोसेमंद हैं” और लोग “यूट्यूब पर 9 करोड़ घंटे से ज्यादा शॉपिंग कंटेंट देखते हैं।”

उन्होंने कहा कि शॉपेबल कनेक्टेड टीवी ऐड्स, शॉपेबल मास्टहेड्स और क्रिएटर्स के साथ पार्टनरशिप ऐड्स जैसे इनोवेशन, ब्रैंड्स के प्रभाव और लेनदेन दोनों को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं। 

अंत में, वालिया ने मार्केटर्स से AI-चालित अभियानों को अपनाने का आह्वान किया और दोहराया कि गूगल और यूट्यूब वहीं हैं जहां खोज शुरू होती है और निर्णय लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि शॉपिंग यात्राओं में 87% तक गूगल और यूट्यूब दोनों शामिल रहते हैं, जहां उपभोक्ताओं ने कहा कि उन्होंने किसी नए ब्रांड, उत्पाद या रिटेलर की खोज की। वहीं, GenZ के मामले में, 89% जेन जेड अपनी शॉपिंग यात्राओं में गूगल का इस्तेमाल कर रहे हैं- सर्च करने ने, ब्राउज करने, आइडिया पाने, रिसर्च करने और/या खरीदारी करने में।

उन्होंने अपने सत्र का समापन करते हुए D2C ब्रैंड्स को सलाह दी कि सिर्फ बेहतर विज्ञापन न चलाएं, बल्कि बेहतर बिजनेस चलाएं। 

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OpenAI भारत में 500 अरब डॉलर के Stargate प्रोजेक्ट की तलाश रही संभावनाएं

यह कदम वैश्विक AI इकोसिस्टम में भारत की बढ़ती अहमियत को रेखांकित करता है- एक मार्केट के रूप में भी और संभावित इन्फ्रास्ट्रक्चर बेस के रूप में भी।

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Published - Wednesday, 10 September, 2025
Last Modified:
Wednesday, 10 September, 2025
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ChatGPT बनाने वाली कंपनी OpenAI ने भारतीय डेटा सेंटर कंपनियों और रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ शुरुआती बातचीत शुरू की है ताकि अपने महत्वाकांक्षी 500 बिलियन डॉलर के Stargate प्रोजेक्ट के कुछ हिस्से भारत में लाने की संभावनाएं तलाश सके। यह कदम वैश्विक AI इकोसिस्टम में भारत की बढ़ती अहमियत को रेखांकित करता है- एक मार्केट के रूप में भी और संभावित इन्फ्रास्ट्रक्चर बेस के रूप में भी।

मीडिया सूत्रों के अनुसार, OpenAI ने Sify Technologies, Yotta Data Services, E2E Networks और CtrlS Datacenters जैसी कंपनियों से बातचीत शुरू की है। बताया जाता है कि ये चर्चाएं ऊर्जा उपलब्धता, विस्तार क्षमता और स्थान की उपयुक्तता जैसे पहलुओं पर केंद्रित हैं- जो गीगावाट-स्तरीय डेटा सुविधाओं के लिए बेहद जरूरी हैं, जिनका इस्तेमाल अगली पीढ़ी के AI मॉडल्स को ट्रेन करने में किया जाएगा।

समानांतर रूप से, रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ भी छह महीने से अधिक समय से बातचीत जारी है, जो गुजरात के जामनगर में अपने नए ऊर्जा परिसर के साथ एक विशाल डेटा सेंटर बना रही है। इस प्रोजेक्ट का पैमाना OpenAI की हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए इसे एक मजबूत दावेदार बनाता है।

Stargate, जिसे जनवरी 2024 में SoftBank, Microsoft, Oracle और अन्य टेक दिग्गजों के सहयोग से 500 बिलियन डॉलर की संयुक्त पहल के रूप में शुरू किया गया था, का लक्ष्य हाइपरस्केल डेटा सेंटर बनाना है। ये सेंटर एडवांस्ड चिप्स और सतत ऊर्जा से संचालित होंगे। सैकड़ों हजारों GPUs को सपोर्ट करने के लिए डिजाइन की गई ये सुविधाएं OpenAI की दीर्घकालिक कंप्यूटिंग क्षमता सुनिश्चित करेंगी।

भारत के लिए, Stargate का हिस्सा बनना न केवल डिजिटल संप्रभुता को मजबूत करेगा बल्कि अरबों डॉलर का निवेश आकर्षित करेगा और देश की वैश्विक AI हब बनने की दिशा में तेजी लाएगा। हालांकि, चुनौतियां बनी हुई हैं- जैसे बिजली आपूर्ति की स्थिरता, चिप्स की उपलब्धता और कूलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर।

उम्मीद है कि सैम ऑल्टमैन इस महीने के अंत में भारत का दौरा करेंगे और संभवतः OpenAI की प्रतिबद्धता के पैमाने पर और जानकारी साझा करेंगे। अगर यह योजना साकार होती है, तो यह भारत को सुपरकंप्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर सकती है। 

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YouTube के मोनेटाइजेशन एग्रीमेंट को HC में चुनौती, गूगल व महाराष्ट्र सरकार से जवाब तलब

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को गूगल LLC की स्वामित्व वाली यूट्यूब और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वे उस रिट याचिका पर अपना जवाब दाखिल करें

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Published - Wednesday, 10 September, 2025
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Wednesday, 10 September, 2025
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कंचन श्रीवास्तव, सीनियर एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को गूगल LLC की स्वामित्व वाली यूट्यूब और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वे उस रिट याचिका पर अपना जवाब दाखिल करें, जिसमें यूट्यूब के कंटेंट क्रिएटर्स के साथ किए गए मोनेटाइजेशन एग्रीमेंट्स की वैधता को चुनौती दी गई है।

माननीय न्यायमूर्ति कमल खता के समक्ष हुई सुनवाई में अदालत ने यूट्यूब और महाराष्ट्र सरकार दोनों को 8 सितंबर तक अपना एफिडेविट-इन-रिप्लाई दाखिल करने का आदेश दिया। रेजॉइंडर 22 सितंबर तक दाखिल किए जाने हैं। मामले की अगली सुनवाई 29 सितंबर को निर्धारित की गई है।

यह याचिका पूर्व आईपीएस अधिकारी और अधिवक्ता योगेश प्रताप सिंह ने दायर की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि प्लेटफॉर्म के एग्रीमेंट भारतीय कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 की धारा 25 का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि इनमें कंटेंट क्रिएटर्स को प्रत्यक्ष वित्तीय प्रतिफल नहीं दिया जाता और इस कारण इन्हें भारतीय कानून के तहत पंजीकृत और स्टांप किया जाना अनिवार्य है।

विवाद के केंद्र में यूट्यूब का “राइट टू मोनेटाइज” क्लॉज है, जिसके तहत प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं द्वारा बनाए गए कंटेंट पर विज्ञापन चला सकता है, लेकिन तब तक विज्ञापन राजस्व साझा करने के लिए बाध्य नहीं है जब तक कि क्रिएटर यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम (YPP) का हिस्सा न हो। सिंह के अनुसार, यह बड़ी संख्या में क्रिएटर्स के लिए “शून्य-प्रतिफल व्यवस्था” बनाता है, जिससे गंभीर अनुपालन चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।

एडवोकेट आदित्य प्रताप, फाउंडर–आदित्य प्रताप लॉ ऑफिसेज, जो इस मामले में वाई.पी. सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने एक्सचेंज4मीडिया को बताया, “यूट्यूब का कॉन्ट्रैक्ट प्लेटफॉर्म को मेरे मुवक्किल के कंटेंट को मोनेटाइज करने का पूरा अधिकार देता है, लेकिन उसे किसी भुगतान का हकदार नहीं बनाता।” 

उन्होंने कहा, “चूंकि ऐसा कॉन्ट्रैक्ट वित्तीय प्रतिफल से रहित है, यह धारा 25 के तहत शून्य है, जब तक कि इसे विलेख (डीड) के रूप में निष्पादित कर विधिवत पंजीकृत न किया जाए और लागू स्टांप ड्यूटी का भुगतान न किया जाए। यूट्यूब यह करने में विफल रहा है।”

याचिका में स्टांप्स कलेक्टर और पंजीकरण के महानिरीक्षक पर भी यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ऐसे एग्रीमेंट्स पर अनिवार्य पंजीकरण और स्टांप ड्यूटी की वसूली लागू करने में लापरवाही बरती है। सिंह के वकील का तर्क है कि भले ही यूट्यूब के क्रिएटर कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या लाखों में हो, राज्य सरकार के पास पहले से ही एक ऑनलाइन मैकेनिज्म तैनात करने की तकनीकी क्षमता मौजूद है, जिससे पंजीकरण और अनुपालन को सहज बनाया जा सकता है।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस मामले का परिणाम भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और कंटेंट क्रिएटर्स के लिए दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।

एक वरिष्ठ टेक्नोलॉजी वकील ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा, “यह देश की क्रिएटर इकॉनमी के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यदि अदालतें ऐसे एग्रीमेंट्स के लिए, जिनमें प्रत्यक्ष प्रतिफल नहीं है, पंजीकरण और स्टांप ड्यूटी को अनिवार्य कर देती हैं, तो यूट्यूब, मेटा और अन्य प्लेटफॉर्म्स को अपने कॉन्ट्रैक्चुअल फ्रेमवर्क की समीक्षा करनी होगी और संभवतः मोनेटाइजेशन मॉडल्स में बदलाव करना होगा।”

एक अन्य डिजिटल पॉलिसी शोधकर्ता ने जोड़ा, “यह मामला सिर्फ यूट्यूब का नहीं है- यह भारत के डिजिटल इकोसिस्टम में प्लेटफॉर्म गवर्नेंस, क्रिएटर अधिकार और कर-प्रणालियों के विकास को नया रूप दे सकता है।”

फिलहाल खबर लिखे जाने तक गूगल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है, लेकिन इसका इंतजार है।

इस मामले को क्रिएटर इकॉनमी, कानूनी और टेक-पॉलिसी इकोसिस्टम से जुड़े हितधारक करीबी नजर से देख रहे हैं, क्योंकि इसमें देश में प्लेटफॉर्म और क्रिएटर्स के संबंधों को फिर से परिभाषित करने की क्षमता है।

गौरतलब है कि यूट्यूब ने वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर विज्ञापन से 35 अरब डॉलर से अधिक का राजस्व अर्जित किया था, जो क्रिएटर्स और रेगुलेटर्स दोनों के लिए इस मुद्दे के महत्व को दर्शाता है। 

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टिकटॉक की वापसी की अटकलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लगाया विराम

टिकटॉक की भारत में संभावित वापसी को लेकर चल रही अटकलों के बीच, केंद्रीय आईटी, सूचना-प्रसारण और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया है

Last Modified:
Monday, 08 September, 2025
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टिकटॉक की भारत में संभावित वापसी को लेकर चल रही अटकलों के बीच, केंद्रीय आईटी, सूचना-प्रसारण और रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्पष्ट किया है कि ऐसी किसी भी संभावना पर विचार नहीं किया जा रहा है। मीडिया से बातचीत में वैष्णव ने कहा, “किसी भी पक्ष से इस तरह का कोई प्रस्ताव बिल्कुल नहीं आया है।”

मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच संबंधों में नरमी की संभावना को लेकर चर्चा हो रही है, जिससे बाइटडांस के शॉर्ट-वीडियो प्लेटफॉर्म की वापसी की अटकलों को बल मिला। पिछले महीने टिकटॉक की वेबसाइट कुछ ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क, जिनमें एयरटेल और वोडाफोन शामिल थे, पर कुछ समय के लिए फिर से एक्सेस हो गई थी, जिससे अटकलें और तेज हुईं।

टिकटॉक का सबसे बड़ा बाजार था भारत

टिकटॉक जून 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को लेकर प्रतिबंधित किए गए शुरुआती 59 चीनी ऐप्स में से एक था। इसे एप्पल के ऐप स्टोर और गूगल प्ले से हटा दिया गया था और जनवरी 2021 में केंद्र सरकार ने इस प्रतिबंध को स्थायी कर दिया। उस समय भारत टिकटॉक का सबसे बड़ा बाजार था, जहां इसके 200 मिलियन से अधिक यूजर्स थे।

सरकार के 2020 के आदेश में बाइटडांस के अन्य ऐप्स जैसे हेलो और कैपकट को भी निलंबित कर दिया गया था, जबकि कंपनी ने आखिरकार जनवरी 2024 में ऐप स्टोर्स से हटाए जाने के बाद अपना म्यूजिक ऐप रेसो भी भारत में बंद कर दिया।

जब वैष्णव से पूछा गया कि क्या चीनी निवेशक भारतीय टेक सेक्टर में दोबारा प्रवेश कर सकते हैं, तो उन्होंने कहा, “जैसा होगा देखा जाएगा। नीतियां सभी के साथ स्पष्ट रूप से साझा की जाएंगी। हम एक बहुत ही पारदर्शी देश हैं।”

2020 तक टेनसेंट, अलीबाबा, एंट फाइनेंशियल और शुनवेई कैपिटल जैसे चीनी दिग्गज भारतीय स्टार्टअप्स के सबसे बड़े निवेशकों में शामिल थे। ये निवेशक ई-कॉमर्स, फिनटेक, फूड डिलीवरी, मोबिलिटी और एडटेक जैसे क्षेत्रों में कंपनियों को सहयोग देते थे। लेकिन अप्रैल 2020 में जारी प्रेस नोट 3 ने भारत की जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले निवेश के लिए पूर्व स्वीकृति अनिवार्य कर दी। इस नीति के कारण चीनी पूंजी का प्रवाह काफी धीमा हो गया और भारतीय स्टार्टअप्स को वैकल्पिक फंडिंग तलाशनी पड़ी या निकास की सुविधा देनी पड़ी।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और चीन सेमीकंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में मिलकर काम कर सकते हैं, वैष्णव ने वैश्विक वैल्यू चेन की प्रकृति पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम वैश्विक वैल्यू चेन की इस वास्तविकता का सम्मान करते हैं और इस उद्योग के काम करने के तरीके का सम्मान करते हैं। इसलिए जहां कहीं भी मूल्य जुड़ता है, अंततः लाभ हमारे लोगों और हमारी इंडस्ट्री तक पहुंचना चाहिए।”

भारत और चीन की कई कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग में संयुक्त उद्यम, तकनीकी सहयोग और स्केल दक्षताओं को लेकर बातचीत कर रही हैं, ऐसे समय में जब ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिकी टैरिफ ने वैश्विक सप्लाई चेन को प्रभावित किया है।

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