‘यूट्यूब’ (YouTube) एक बार फिर विवादों में घिर गया है। हालांकि, ‘यूट्यूब’ पर पहले भी इस तरह के आरोप लगते...
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
अनुचित कंटेंट दिखाने को लेकर ‘यूट्यूब’ (YouTube) एक बार फिर विवादों में घिर गया है। हालांकि, ‘यूट्यूब’ पर पहले भी इस तरह के आरोप लगते रहे हैं और इसे तमाम तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ा है। ताजा मामला एक विडियो को लेकर है, जिसमें एक लोकप्रिय यूट्यूबर ऐसा विडियो दिखा रहा है, जिसमें बच्चों को लेकर आपत्तिजनक कमेंट्स शामिल हैं।
इस तरह का मामला सामने आते ही कई बड़े एडवर्टाइजर्स ने ‘यूट्यूब’ से दूरी बना ली है और अपने विज्ञापन हटा लिए हैं। इनमें ‘AT&T’ और ‘नेस्ले’ जैसी कंपनियां शामिल हैं। इस बारे में यूट्यूब ने कहा है कि इस बारे में उसने तुरंत कार्रवाई करते हुए इस तरह के कंटेंट को और कुछ अन्य विडियो को भी हटा दिया है। इसके साथ ही उसने ‘नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोइटेड चिल्ड्रन’ (National Center for Missing and Exploited Children) से मामले की शिकायत भी की है।
इसके अलावा यूट्यूब ने अपने बड़े एडवर्टाइजिंग पार्टनर्स को बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक नोट भी भेजा है, जिसमें इस मामले में अतिरिक्त सावधानी बरतने का वादा भी किया है।
‘नेस्ले’ और अन्य एडवर्टाइजर्स का कहना है कि उन्होंने ‘यूट्यूब’ पर फिलहाल अपने विज्ञापन रोक दिए हैं, ताकि इन मुद्दों पर कार्रवाई हो सके। वहीं, ‘AT&T’ का कहना है, ‘जब तक हमारे ब्रैंड को किसी भी तरह के अनुचित कंटेंट से पूरी तरह सुरक्षा नहीं मिल जाती, हम यूट्यूब पर अपने विज्ञापन नहीं दिखाएंगे।’
गौरतलब है कि यूट्यूब को इससे पहले भी एडवर्टाइजर्स द्वारा बहिष्कार का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2017 की शुरुआत में भी एडवर्टाइजर्स ने इससे दूरी बना ली थी। इसके बाद से यूट्यूब ने अपनी साइट पर आपत्तिजनक कमेंट्स और विडियो से निपटने के लेकर तमाम कवायद की हैं और ज्यादा से ज्यादा पारदर्शी होने का प्रयास किया है।
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कोविड-19, लॉकडाउन, सुशांत सिंह राजपूत केस और टीआरपी घोटाला जैसी तमाम वजहों से इस साल न्यूज सबसे बड़ा जॉनर (Genre) बनकर उभरा है। ‘टैम एडेक्स’ (TAM AdEx) की रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त से दिसंबर के बीच (पांच दिसंबर तक) टीवी को मिलने वाले कुल विज्ञापन में न्यूज जॉनर की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 29 प्रतिशत रही है।
इसी अवधि की तुलना यदि पिछले साल से करें तो उस समय टीवी ऐड वॉल्यूम के मामले में ‘जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स’ (GEC) सबसे ऊपर थे। खास बात यह है कि मूवी जॉनर 24 प्रतिशत ग्रोथ के साथ दूसरा सबसे बड़ा जॉनर बनकर उभरा है, वहीं जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स की बात करें तो यह सात प्रतिशत है। अन्य शीर्ष जॉनर्स में म्यूजिक और किड्स शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, टॉप-5 कैटेगरीज में टूथपेस्ट कैटेगरी में 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और इसने वॉशिंग पाउडर्स/लिक्विड्स को पीछे छोड़ दिया है। वहीं, टॉप-5 जॉनर्स में ‘एचयूएल’ (HUL) और ‘रेकिट’ (Reckitt) टॉप-2 एडवर्टाइजर्स बने रहे हैं।
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त्योहारी सीजन टीवी इंडस्ट्री के लिए काफी खुशियां लेकर आया है, क्योंकि टीवी इंडस्ट्री को मिलने वाले ऐड वॉल्यूम यानी विज्ञापनों की संख्या सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है। देश में टेलिविजन दर्शकों की संख्या मापने वाली संस्था ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा जारी 43वें हफ्ते के डाटा के अनुसार, वर्ष 2015 के 16वें हफ्ते के बाद से टीवी पर सबसे ज्यादा ऐड वॉल्यूम देखने को मिला है।
डाटा के अनुसार, 43वें हफ्ते में टीवी पर सबसे ज्यादा 38.7 मिलियन सेकंड्स ऐड वॉल्यूम रहा है। फेस्टिव सीजन और अन्य बड़े इवेंट्स की वजह से यह बढ़ोतरी देखी गई है और ऐड वॉल्यूम भी सामान्य हो रहे हैं।
वर्ष 2018 के 43वें हफ्ते में ऐड वॉल्यूम 36.6 मिलियन सेकंड्स रहा था। यह तीसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी थी और वर्ष 2020 के 42वें हफ्ते में दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिली थी जब 37.9 मिलियन सेकंड्स दर्ज किए गए थे।
अब 43वें हफ्ते में 38.7 मिलियन सेकंड्स के साथ ऐड वॉल्यूम ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। टीवी सेक्टर में वर्ष 2018 से 5.7 प्रतिशत के साथ तीसरी सबसे बड़ी और पिछले हफ्ते की तुलना में 2.1 प्रतिशत के साथ दूसरी सबसे बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।इसका खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के तहत मांगे गए सवालों के जवाब में हुआ है। इस संबंध में मुंबई के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट जतिन देसाई ने जानकारी मांगी थी।
नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले एक साल में यानी 2019-20 के दौरान विज्ञापनों पर औसतन प्रति दिन 1.95 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसका खुलासा सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के तहत मांगे गए सवालों के जवाब में हुआ है। इस संबंध में मुंबई के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट जतिन देसाई ने जानकारी मांगी थी।
जवाब में सूचना-प्रसारण मंत्रालय के विभाग ब्यूरो ऑफ आउटरीच एंड कम्युनिकेशन ने बताया कि अखबार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, होर्डिंग इत्यादि के माध्यम से मोदी सरकार ने खुद के प्रचार के लिए पिछले वर्ष में 713.20 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। ब्यूरो ने बताया कि इसमें से 295.05 करोड़ रुपए प्रिंट, 317.05 करोड़ रुपए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और 101.10 करोड़ रुपए आउटडोर विज्ञापन में खर्च किए गए हैं। इस तरह से केंद्र सरकार द्वारा 2019-2020 के बीच विज्ञापनों पर औसतन प्रति दिन 1.95 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।
हालांकि विभाग ये बताने में असमर्थ रहा कि सरकार ने विदेशी मीडिया में विज्ञापन देने में कितने रुपए खर्च किए हैं।
इससे पहले जून 2019 में, मुंबई के रहने वाले अनिल गलगली की ओर से दायर एक अन्य आरटीआई के जवाब में मंत्रालय ने बताया था कि उसने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, आउटडोर मीडिया और प्रिंट प्रचार पर 3,767.2651 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
वहीं, इसके भी एक साल पहले यानी मई 2018 में, मंत्रालय द्वारा गलगली के एक और आरटीआई के जवाब से मोदी सरकार की तरफ से विज्ञापन पर खर्च की जानकारी सामने आई थी। मंत्रालय ने मई, 2018 में बताया था कि मोदी सरकार ने जून 2014 से सरकारी विज्ञापनों पर 4,34.26 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
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10 नवंबर को खेला जाना है इंडियन प्रीमियर लीग-13 का फाइनल मैच
अब जब ‘इंडियन प्रीमियर लीग’ (IPL) का 13वां एडिशन अंतिम चरण में है और जल्द ही फाइनल मुकाबला होने वाला है, ऐसे में आईपीएल के आधिकारिक ब्रॉडकास्टर ‘डिज्नी-स्टार इंडिया’ (Disney-Star India) ने आखिरी चार मैचों के लिए विज्ञापन की दरें 15 से 20 प्रतिशत बढ़ा दी हैं। बता दें कि लीग के सेमीफाइनल मैच पांच से आठ नवंबर के बीच खेला जाएगा और फाइनल मुकाबला 10 नवंबर को होगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक वरिष्ठ मीडिया प्लानर का कहना है कि स्टार ने आखिरी हफ्ते के मैचों के लिए विज्ञापन दरें बढ़ा दी हैं। मीडिया प्लानर का कहना है, ‘हर साल स्टार फाइनल के लिए सीमित इन्वेंट्री रखता है और इस साल वे विज्ञापन दरें 20 प्रतिशत बढ़ाने के लिए कह रहे हैं।’
एक अन्य मीडिया प्लानर का कहना है, ‘ब्रॉडकास्टर्स फाइनल मुकाबले के लिए कुछ इन्वेंट्री रखते हैं और बाद में उन्हें प्रीमियम दरों पर बेचते हैं। कुछ क्लाइंट्स फाइनल मैचों के लिए इन्वेंट्री खरीदते हैं ताकि अधिकतम पहुंच प्राप्त हो सके। पिछले साल के मुकाबले इस साल आईपीएल की व्युअरशिप ज्यादा है। इसलिए स्टार को पिछले कुछ मैचों में प्रीमियर दरें प्राप्त होने में मदद मिलेगी। विज्ञापन दरों में 15 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी की उम्मीद है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस साल आईपीएल की व्युअरशिप ज्यादा है। देश में अनलॉक होने और लोगों के घरों से बाहर निकलने के बावजूद हफ्ते दर हफ्ते इस टूर्नामेंट की व्युअरशिप बढ़ रही है। ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के डाटा के अनुसार, पिछले पांच हफ्तों में (Week 38 -42) 21 चैनल्स पर प्रसारित शुरुआती 41 मैचों में आईपीएल-13 ने 7.0 बिलियन व्युइंग मिनट दर्ज किए गए। यह आईपीएल-12 से 28 प्रतिशत ज्यादा थे, जिसने 24 चैनल्स पर प्रसारित 44 मैचों में 5.5 बिलियन व्युइंग मिनट दर्ज किए थे। इन डाटा से पता चलता है कि आईपीएल-13 के प्रत्येक मच का प्रदर्शन पिछले सीजन से ज्यादा है।
एक अन्य मीडिया प्लानर का कहना है, ‘हमें सेमीफाइनल्स और फाइनल के लिए कुछ नए एडवर्टाइजर्स और ब्रैंड्स देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि वे शुरुआती मैचों के व्युअरशिप ट्रेंड की स्टडी करते हैं। हालांकि, इस साल हमने देखा है कि पूरी श्रृंखला में अधिकांश एडवर्टाइजर्स वही थे। ऐसे क्लाइंट्स जो अचानक अपनी पहुंच बढ़ाना चाहते हैं, वे इन स्लॉट्स को खरीदते हैं।’
‘टैम एडेक्स’ (TAM AdEx) रिपोर्ट के अनुसार, आईपीएल-13 के पहले 43 मैचों में आईपीएल-12 के मुकाबले एडवर्टाइजर्स कैटेगरी में दो प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, आईपीएल-12 के मुकाबले आईपीएल-13 में एडवर्टाइजर्स और ब्रैंड्स में क्रमश: 13 प्रतिशत और छह प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस साल आईपीएल को पहले 43 मैचों के लिए 112 एडवर्टाइजर्स और 222 ब्रैंड्स मिले, जबकि पिछले सीजन में इस दौरान एडवर्टाइजर्स और ब्रैंडस् की संख्या क्रमश: 99 और 210 थी।
हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) ने आखिरी चार मैचों के लिए इन विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी के बारे में आधिकारिक पुष्टि के लिए डिज्नी-स्टार इंडिया से संपर्क किया, लेकिन फिलहाल वहां से प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
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भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) पिछले कुछ हफ्तों से इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के दौरान सरोगेट विज्ञापन की संभावित निगरानी कर रहा है। ऐसे में ASCI ने आठ ब्रैंड्स के विज्ञापनों के खिलाफ उन शिकायतों को सही पाया है, जो पिछले एक महीने में आईपीएल सेशन के दौरान दर्ज की गई हैं। लिहाजा ASCI ने सरोगेट विज्ञापन को लेकर आठ शराब ब्रैंड्स को नोटिस भेजा है। ये नोटिस व्हिस्की, बीयर और व्हाइट लिकर ब्रैंड्स को भेजे गए हैं।
बता दें कि यह आठ ब्रैंड म्यूजिक सीडी, पैकेज्ड वाटर, नॉन एल्कॉहोलिक ब्रेवरेज के नाम पर अपने प्रॉडक्ट्स का प्रचार कर रहे थे।
ASCI ने शराब कंपनियों को दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है। देश में 1995 से शराब के विज्ञापन पर प्रतिबंध है, लेकिन ये कंपनियां शराब ब्रैंड्स के नाम पर अन्य प्रॉडक्ट्स को बेचती है, ताकि ब्रैंड का नाम बना रहे। इस तरह के विज्ञापन को सरोगेट विज्ञापन कहा जाता है।
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एडुटेक कंपनी व्हाइट हैट जूनियर (WhiteHat Jr) ने अपने विज्ञापनों को वापस लेने पर सहमति जता दी है। दरअसल, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) ने एडुटेक कंपनी को ऐसा करने हिदायत दी थी, जिसके बाद कंपनी ने यह कदम उठाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद ने बायजू (Byju's) के स्वामित्व वाली स्टार्ट-अप कंपनी के सात विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों को सही पाया था।
सोशल मीडिया पर यह सुझाव देते हुए कंपनी के विज्ञापनों की आलोचना की गई थी कि कोडिंग ज्ञान ने छोटे बच्चों को ऐसे ऐप विकसित करने में मदद की है जो 'निवेशकों को आकर्षित करेंगे'।
लिहाजा एडुटेक कंपनी ने कहा कि वह उन पांच विज्ञापनों को वापस लेगा, जो बच्चों को कोडिंग करने के लिए प्रेरित करते हैं।
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प्रिंट के लिए सबसे खराब समय संभवतः खत्म हो गया है। नवीनतम टैम एडएक्स (TAM AdEx) के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रतिदिन औसत ऐड वॉल्यूम में इस साल अप्रैल में दर्ज संख्या के मुकाबले अगस्त में 5.7 गुना की वृद्धि देखी गई है।
जुलाई और सितंबर के बीच विज्ञापनों की शीर्ष पांच कैटेगरीज में कारें, मल्टीपल कोर्सेज, टू-व्हीलर्स, रियल एस्टेट और ओटीसी प्रॉडक्ट्स की रेंज की कैटेगरीज थीं। जुलाई और सितंबर के बीच इन शीर्ष पांच कैटेगरीज का ऐड वॉल्यूम 33% था, जबकि अप्रैल से जून के बीच यह 21% था।
अप्रैल से जुलाई के बीच कारों और ओटीसी प्रॉडक्ट्स की रेंज के विज्ञापन ही क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर था। जुलाई से सितंबर के बीच भी ये इस कैटेगरीज के विज्ञापन अपनी जगह को पहले की तरह बरकरार रखने में कामयाब रहे। वहीं टू-व्हीलर्स के विज्ञापन की कैटेगरी अप्रैल से जून के बीच नौवें स्थान पर थी, जोकि जुलाई से सितंबर के बीच तीसरे नंबर पर पहुंच गई। ऐसे ही प्रॉपर्टीज/रियल स्टेट के विज्ञापन की कैटेगरी अप्रैल से जून के बीच दर्ज की गई संख्या से चार पायदान ऊपर पहुंच गई और जुलाई से सितंबर के बीच यह चौथे नंबर पर रही।
इस अवधि के दौरान शीर्ष पांच एडवरटाइजर्स में एसबीएस बायोटेक (SBS Biotech), मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki), हिन्दुस्तान यूनिलीवर (Hindustan Unilever), हीरो मोटोकॉर्प (Hero Motocorp) और टीवीएस मोटर (TVS Motor) शामिल रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि शीर्ष पांच में से तीन ब्रैंड्स ऑटो सेक्टर से थे। शीर्ष पांच ब्रैंड्स में मारुति कार रेंज (Maruti Car Range), किया सॉनेट (KIA Sonet), जॉली तुलसी 51 ड्रॉप्स (Jolly Tulsi 51 Drops), टीवीएस टू व्हीलर रेंज (TVS Two Wheelers Range) और डॉ. ऑर्थो ऑयल (Dr Ortho Oil) शामिल थे।
अप्रैल से जून की तुलना में जुलाई से सितंबर के दौरान सबसे तेजी से बढ़ने वाली कैटेगरीज में शैम्पू, ईकॉम-फाइनेंशियल सर्विसेज, चॉकलेट्स, इवेंट्स-टेक्सटाइल/ क्लॉथिंग और ब्यूटी ऐसेसरीज/प्रॉडक्ट्स थे।
इस दौरान 74% विज्ञापन अंग्रेजी और हिंदी भाषाई अखबारों के लिए थे, जबकि मराठी पर 7%, कन्नड़ पर 4%, तमिल पर 4% और अन्य पर 11% थे।
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एडवर्टाइजर्स की प्रमुख संस्था ‘इंडियन सोसायटी ऑफ एडवर्टाइजर्स’ (ISA) ने सुशील मैटी (Sushil Matey) को अपना चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर नियुक्त किया है।
इस बारे में हाल ही में नियुक्त किए गए ‘ISA’ के चेयरमैन और ‘गोदरेज कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स लिमिटेड’ के सीईओ (India and SAARC) सुनील कटारिया का कहना है, ‘सुनील मैटी हमारे विजन को आगे बढ़ाने और इस परिवर्तन की गति को तेज करने में अहम भूमिका निभाएंगे। हम ‘वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ एडवर्टाइजर्स’ (WFA) के साथ मिलकर काम करने और इंडस्ट्री में एक ग्लोबल बेंचमार्क बनाने के लिए तत्पर हैं।’
वहीं, सुशील मैटी का कहना है, ‘इस पद पर नियुक्त किए जाने को लेकर मैं काफी सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मैं सभी हितधारकों और भागीदारों के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हूं।’ बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट सुशील ने आईआईएम कोलकाता से एमबीए (मार्केटिंग और फाइनेंस) की पढ़ाई की है।
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नासिक (महाराष्ट्र) के ‘देशदूत मीडिया ग्रुप’ (Deshdoot Media Group) के मैनेजिंग डायरेक्टर जनक सारदा को ‘इंटरनेशनल एडवर्टाइजिंग एसोसिएशन’ (IAA) का दोबारा से वाइस प्रेजिडेंट चुना गया है। इसके साथ ही उन्हें ‘IAA’ की ग्लोबल एग्जिक्यूटिव कमेटी में डिजिटल इनोवेशन (Digital Innovation) की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है।
दो भारतीय जनका सारदा और प्रदीप द्विवेदी सीईओ (Eros India of Eros STX Global Corporation) जिन्हें वाइस प्रेजिडेंट और एरिया डायरेक्टर (APAC region) चुना गया है, अब ग्लोबल मार्केटिंग और कम्युनिकेशन स्टेज पर जिम्मेदारी संभालेंगे।
बताया जाता है कि डिजिटल बातचीत और बिजनेस प्रोसेस की बढ़ती जरूरतों से डील करने के लिए वाइस प्रेजिडेंट (digital innovations) का पद विशेष रूप से तैयार किया गया है। अपने पिछले कार्यकाल में जनक सारदा वाइस प्रेजिडेंट (Young Professionals) भी थे। इस वर्ष उन्हें इस जिम्मेदारी के साथ अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।
इस बारे में जनक सारदा का कहना है, ‘ मैं IAA के वर्ल्ड प्रेजिडेंट जोएल नेट्टी (Joel Netty) और सीनियर मैनेजमेंट टीम का धन्यवाद अदा करता हूं, जिन्होंने मुझ पर भरोसा जताया और यह दोहरी जिम्मेदारी सौंपी है।’
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टीवी पर आने वाले विज्ञापनों की प्रामाणिकता की जांच करने वाली संस्था 'ऐडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया' (ASCI) को इस साल जून से जुलाई के बीच 363 विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतें मिलीं। ‘ASCI’ द्वारा सूचित किए जाने के बाद 76 एडवर्टाइजर्स ने अपने विज्ञापनों को हटा लिया। ‘एएससीआई’ की ‘कंज्यूमर कंप्लेंट्स काउंसिल’ (CCC) ने शेष बचे 287 विज्ञापनों का मूल्यांकन किया और 257 शिकायतों को सही ठहराते हुए इन विज्ञापनों को जांच के लिए रोका गया।
इन शिकायतों में से 150 हेल्थकेयर सेक्टर, 40 एजुकेशन, 20 फूड और बेवरेज, चार GAMA कंपलेंट्स, 12 पर्सनल केयर और 31 अन्य कैटेगरी से जुड़ी थीं। इस दौरान कोरोनावायरस (कोविड-19) के खिलाफ ‘जंग’ लगातार जारी रही। इसकी वजह से कोरोनावायरस के इलाज और रोकथाम के झूठे दावों में वृद्धि हुई। आयुष मंत्रालय से हाथ मिलाकर ‘ASCI’ समाज की भलाई के लिए इस तरह के झूठे दावों को खत्म करने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। मई-जून में इस तरह के 97 मामलों को नियामक के पास भेजा गया था।
इस बारे में ‘ASCI’ के चेयरमैन सुभाष कामथ का कहना है, ‘इस दौरान कोविड-19 के इलाज और रोकथाम के बारे में संदिग्ध दावों के साथ विज्ञापनों की बाढ़ सी आ गई। खासकर ऐसे समय में जब कंज्यूमर्स वायरस को लेकर काफी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में हमारे लिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम ये सुनिश्चित करें कि इस तरह के विज्ञापन कंज्यूमर्स के डर व चिंता का फायदा न उठाएं। हम जानते हैं कि इस तरह के दावे कंज्यूमर्स को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकते हैं और हम समाज से ऐसे कुप्रथाओं को खत्म करने में मदद करने के लिए आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’
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