हिंदी जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स में इस समय पुरानी और नई कहानियों का सीधा मुकाबला चल रहा है। जहां पुराने शो लगातार स्थिरता ला रहे हैं, वहीं नए शोज कभी तेज उछाल लेते हैं तो कभी बहुत जल्दी गिर भी जाते हैं।
हिंदी जनरल एंटरटेनमेंट चैनल्स (GECs) में इस समय पुरानी और नई कहानियों का सीधा मुकाबला चल रहा है। जहां पुराने शो लगातार स्थिरता ला रहे हैं, वहीं नए शोज कभी तेज उछाल लेते हैं तो कभी बहुत जल्दी गिर भी जाते हैं।
दंगल का 'मन सुंदर' और स्टार प्लस का 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' दर्शकों का भरोसा बनाए हुए हैं। दूसरी ओर, जी टीवी का 'तुम से तुम तक' और दंगल का 'झल्ली' ने शानदार शुरुआत की है। इसके विपरीत, 'कहानी पहले प्यार की' जैसे शो जल्द ही अपनी पकड़ खो बैठे।
'मन सुंदर' दंगल की रीढ़ साबित हुआ है। इस साल के 28वें हफ्ते में यह 25.12 GRP तक गया और 30वें हफ्ते में 25.16 GRP पर बंद हुआ। लगातार 8 से ऊपर GRP बनाए रखते हुए यह 30वें हफ्ते तक 9.3 तक पहुंच गया।
स्टार प्लस का 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' भी लगातार अच्छा प्रदर्शन करता रहा। यह 13.47–13.78 GRP रेंज में स्थिर रहा और 30वें हफ्ते में मामूली गिरकर 13.09 पर आया।
नई लॉन्चिंग्स ने अलग-अलग नतीजे दिए। जी टीवी का 'तुम से तुम तक' (7 जुलाई को लॉन्च) 8.25 GRP से बढ़कर 13.06 तक पहुंचा और 'कॉम्बाइंड' में 9.02 तक गया। यह हाल की सबसे मजबूत शुरुआतों में से एक है।
दंगल का लेट-नाइट शो 'झल्ली' (21 जुलाई को लॉन्च) ने चौंकाने वाला प्रदर्शन किया। यह 12.74 GRP से बढ़कर 30वें हफ्ते में 20.28 तक पहुंच गया, जबकि यह नॉन-प्राइम स्लॉट में आता है।
इसके उलट, 'कहानी पहले प्यार की' (30 जून को लॉन्च) 7.61 GRP से गिरकर सिर्फ 1.75 पर रह गया। 'बड़े घर की छोटी बहू' भी 11.34 से गिरकर 2.04 पर आ गई। वहीं 'कभी नीम नीम कभी शहद शहद' लगभग 5 GRP पर ही अटका रहा।
स्टार उत्सव फ्री टीवी में सबसे आगे रहा। 26वें हफ्ते में 118.7 GRP से यह 28वें हफ्ते में 128.9 तक गया और 30वें हफ्ते में 122.8 पर बंद हुआ। इसकी बड़ी ताकत गुम है 'किसीके प्यार में' रहा, जो अलग-अलग टाइम स्लॉट्स में दिखाया गया।
स्टार प्लस भी मजबूती से खड़ा रहा। 26वें हफ्ते में 114.1 GRP से यह 30वें हफ्ते में 116.2 तक पहुंचा। 'अनुपमा' लगातार बढ़कर 14.18 GRP तक गई और 'ये रिश्ता' प्राइमटाइम का मुख्य आधार बना रहा। दूसरी ओर 'झनक' और 'कभी नीम नीम कभी शहद शहद' दर्शकों को बांध नहीं पाए।
दंगल का कुल स्कोर 83.4 से गिरकर 79.9 पर आ गया। 'मन सुंदर' ने इसे संभाले रखा, लेकिन 'प्रेम लीला', 'बड़े घर की छोटी बहू' और 'लेकर हम दीवाना दिल' जैसे शोज तेजी से गिरे। वहीं 'झल्ली' ने 20.28 GRP के साथ चैनल को लेट बूस्ट दिया।
जी टीवी ने सबसे संतुलित प्रदर्शन किया। 26वें हफ्ते में 68.5 GRP से यह 30वें हफ्ते में 79.1 पर पहुंचा। पुराने शो जैसे 'कुमकुम भाग्य', 'वसुधा', 'जाने अनजाने हम मिले' और 'जागृति– एक नई सुबह' ने स्थिरता दी, जबकि 'तुम से तुम तक' की बढ़त ने चैनल को अतिरिक्त मजबूती दी।
कलर्स और सोनी सब की जंग में, सोनी सब 113.1 से गिरकर 105.8 GRP पर आ गया। वहीं कलर्स 80 से बढ़कर 86.5 तक गया लेकिन बाद में 83.2 पर आकर थमा। 'मंगल लक्ष्मी' ने इसे स्थिरता दी।
अन्य चैनल्स में सोनी पल ने शानदार उछाल दिखाया और 37.1 से बढ़कर 74.4 GRP तक पहुंचा। कलर्स रिश्ते 58.7 से गिरकर 38.6 पर आ गया। अनमोल टीवी भी 51 से घटकर 46.3 पर आ गया।
ब्रॉडकास्टर्स दर्शकों की पुरानी यादों पर भी दांव लगा रहे हैं। स्टार प्लस ने 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' को नए एपिसोड्स के साथ फिर लॉन्च किया है। वहीं सोनी 'सीआईडी' जैसी हिट फ्रैंचाइज को वापस लाया है। इनकी वापसी दर्शकों को भरोसे और जुड़ाव की भावना देती है, खासकर ऐसे समय में जब नए शोज ज्यादा दिन टिक नहीं पाते।
जानी-मानी टीवी न्यूज एंकर नाविका कुमार आज अपना जन्मदिन मना रही हैं। इस मौके पर नजर डालते हैं नाविका कुमार के उस करियर पर, जिसने लगातार भारतीय टेलीविजन पर राजनीतिक पत्रकारिता को एक नई दिशा दी है।
जानी-मानी टीवी न्यूज एंकर नाविका कुमार आज अपना जन्मदिन मना रही हैं। इस मौके पर नजर डालते हैं नाविका कुमार के उस करियर पर, जिसने लगातार भारतीय टेलीविजन पर राजनीतिक पत्रकारिता को एक नई दिशा दी है।
21 अगस्त को झारखंड के सिंदरी में जन्मीं नाविका कुमार ने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की और मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद न्यूजरूम में कदम रखा। वित्त क्षेत्र में करियर बनाने की पारंपरिक राह छोड़कर उन्होंने पत्रकारिता चुनी और 'दि इकोनॉमिक टाइम्स' में बिजनेस राइटर के तौर पर काम शुरू किया। अपने शुरुआती करियर में उन्होंने 'द ऑब्जर्वर' और 'दि इंडियन एक्सप्रेस' में भी काम किया, जहां राजनीति और शासन पर रिपोर्टिंग की।
नाविका कुमार के प्रोफेशनल जीवन का सबसे अहम अध्याय 2005 में शुरू हुआ, जब उन्होंने 'टाइम्स नेटवर्क' जॉइन किया। सालों के दौरान उन्होंने तरक्की करते हुए अब ग्रुप एडिटर – पॉलिटिक्स की जिम्मेदारी संभाल ली है, जहां वह 'टाइम्स नाउ', 'ईटी नाउ', 'मिरर नाउ' और 'TimesNowNews.com' पर राजनीतिक कवरेज की देखरेख करती हैं। वह 'टाइम्स नाउ नवभारत' की एडिटर-इन-चीफ भी हैं, जिससे वह उन चुनिंदा पत्रकारों में शामिल हो गई हैं जो एक साथ अंग्रेजी और हिंदी, दोनों टीवी न्यूज चैनलों का नेतृत्व करती हैं।
एंकर के तौर पर नाविका कुमार 'टाइम्स नाउ' के प्राइमटाइम डिबेट शो 'द न्यूजआवर' और 'टाइम्स नाउ नवभारत' पर 'सवाल पब्लिक का' को होस्ट करती हैं। अपनी पैनी सवाल पूछने की शैली के लिए जानी जाने वाली नाविका ने शासन और चुनावों से लेकर घोटालों और नीतिगत फैसलों तक के मुद्दों पर चर्चाओं की अगुवाई की है। उनकी खोजी पत्रकारिता में भारत के कुछ सबसे चर्चित राजनीतिक और वित्तीय मामलों की जांच शामिल रही है, जैसे- कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, अगस्ता-वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदा और एयरसेल-मैक्सिस केस।
उनकी प्रोफेशनल जर्नी में उपलब्धियों के साथ-साथ कुछ कठिन पड़ाव भी रहे हैं। हाल ही में एक दिल्ली अदालत ने पुलिस को मानहानि शिकायत की जांच करने का निर्देश दिया। यह मामला जनवरी 2020 में उनके प्राइमटाइम शो पर टीआरपी घोटाले से जुड़ी चर्चा के दौरान की गई टिप्पणियों से संबंधित है। इस मामले की अगली सुनवाई 2026 की शुरुआत में तय की गई है।
इस साल की शुरुआत में, नाविका कुमार को सर्वोत्तम नागरिक सम्मान से नवाजा गया, जिसमें पत्रकारिता में उनके योगदान और टेलीविजन के जरिये जन विमर्श को आकार देने की उनकी भूमिका को सराहा गया।
न्यूजरूम से परे, नाविका कुमार ने हमेशा अपने चुनौतीपूर्ण पेशेवर दायित्वों और निजी जीवन के बीच संतुलन की बात की है। वह बिजनेसमैन सुनील मारवाह की पत्नी हैं और दो बेटों की मां हैं। अपने इंटरव्यूज में वह इस बात पर जोर देती रही हैं कि परिवार के सहयोग ने उन्हें अपने काम में पूरी तरह डूबे रहने के साथ-साथ अपनी जड़ों से जुड़े रहने का मौका दिया है।
अपने जन्मदिन पर नाविका कुमार भारतीय प्रसारण पत्रकारिता की सबसे प्रमुख शख्सियतों में खड़ी हैं। सिंदरी से राष्ट्रीय मंच तक की उनकी यात्रा न सिर्फ उनके धैर्य को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि देश में राजनीतिक खबरों को संवारने में महिलाएं किस तरह अहम भूमिका निभा रही हैं।
मीडिया आर्काइविंग, मेटाडेटा मैनेजमेंट, फुटेज डिजिटाइजेशन और डिजिटल एसेट मैनेजमेंट में 18 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले राहुल सिंह, इस क्षेत्र के अनुभवी प्रोफेशनल माने जाते हैं।
तमाम नई नियुक्तियों के बीच एनडीटीवी से एक और खबर सामने आई है। दरअसल अब एनडीटीवी ने राहुल सिंह को आर्काइव्स का हेड नियुक्त किया है। मीडिया आर्काइविंग, मेटाडेटा मैनेजमेंट, फुटेज डिजिटाइजेशन और डिजिटल एसेट मैनेजमेंट में 18 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले राहुल, इस क्षेत्र के अनुभवी प्रोफेशनल माने जाते हैं।
उन्होंने 'आजतक' और 'इंडिया टुडे' में आर्काइव्स के हेड, न्यूज नेशन, इंडिया न्यूज और दक्षिण अफ्रीका के ANN7 सहित कई बड़े मीडिया संगठनों में वरिष्ठ पदों पर काम किया है। हाल ही में वे प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) में चीफ आर्किविस्ट के पद पर कार्यरत थे।
अपने करियर में राहुल ने कई बड़े डिजिटाइजेशन प्रोजेक्ट्स का नेतृत्व किया है। इसमें 1989 से इंडिया टुडे ग्रुप की फुटेज का संरक्षण शामिल है, जिसके तहत दो लाख घंटे से अधिक की कंटेंट लाइब्रेरी का निर्माण हुआ। उन्हें DIVA, LTO, ALTO और Stratus जैसी तकनीकों में विशेषज्ञता हासिल है, जिससे न्यूजरूम टीमों को आर्काइव सामग्री तक सहज पहुंच मिलती है।
सरकार का लंबे समय से प्रतीक्षित ब्रॉडकास्ट बिल (Broadcast Bill), जिससे टेलीविजन और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर कंटेंट रेगुलेशन में व्यापक बदलाव की उम्मीद थी, पिछले एक साल से ठंडे बस्ते में है।
अदिति गुप्ता, असिसटेट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
सरकार का लंबे समय से प्रतीक्षित ब्रॉडकास्ट बिल (Broadcast Bill), जिससे टेलीविजन और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर कंटेंट रेगुलेशन में व्यापक बदलाव की उम्मीद थी, पिछले एक साल से ठंडे बस्ते में है। सूचना एवं ब्रॉडकास्ट मंत्रालय (MIB) ने इसे पिछले अगस्त में चुपचाप वापस ले लिया था।
पहला ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया था, लेकिन दूसरा ड्राफ्ट केवल चुनिंदा हितधारकों के बीच ही साझा किया गया, जिससे गोपनीयता और भ्रम और बढ़ गया। तब से अब तक कोई आधिकारिक स्पष्टता नहीं आई है, जिससे इंडस्ट्री असमंजस में है कि यह विधेयक हमेशा के लिए रद्द कर दिया गया है या बंद दरवाजों के पीछे दोबारा तैयार किया जा रहा है। इस चुप्पी ने अटकलों, निराशा और सतर्क आशावाद को जन्म दिया है, क्योंकि हितधारक यह सोच रहे हैं कि सरकार की देरी नियामक महत्वाकांक्षाओं पर पुनर्विचार का संकेत है या अनिश्चितकालीन ठहराव।
इंडस्ट्री जगत मानता है कि यह विधेयक अपनी खामियों के बावजूद इतना अहम है कि इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक ब्रॉडकास्ट एक्सपर्ट ने कहा, “ब्रॉडकास्ट बिल को पीछे कर दिया गया क्योंकि सभी को चिंता थी। सरकार ने कहा था कि इसे दोबारा बनाया जाएगा ताकि हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखा जा सके। अभी तक संशोधित संस्करण सामने नहीं आया है। यह निश्चित रूप से फिर आएगा और इंडस्ट्री की चिंताओं का ध्यान रखेगा। इंडस्ट्री अपना काम जारी रखे हुए है और आत्म-नियमन की दिशा में काम कर रहा है, क्योंकि यदि आत्म-नियमन मजबूत नहीं होता, तो सरकार या अदालत का फैसला यह विधेयक जल्दी ले आएगा और यह इंडस्ट्री को शायद पसंद न आए।”
एक अन्य इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने इसकी तात्कालिकता पर जोर देते हुए कहा, “यह इंडस्ट्री के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भविष्य की सभी तकनीकी प्रगतियों को अधिक प्रभावी तरीके से शामिल किया गया है। इंडस्ट्री को संतुलित बनाए रखने के लिए यह तुरंत आवश्यक है।”
इसी क्रम में एक वरिष्ठ मीडिया सलाहकार ने कहा, “ब्रॉडकास्ट क्षेत्र में हर बड़ा निवेश निर्णय (इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड से लेकर कंटेंट रणनीति तक) ब्रॉडकास्ट बिल पर स्पष्टता का इंतजार करते हुए रोका हुआ है। जितनी देर होगी, उतना ही असमंजस बढ़ेगा और यह ऐसे क्षेत्र के लिए अच्छा नहीं है जो स्थिरता पर निर्भर करता है।”
ब्रॉडकास्ट सेवाएं (विनियमन) विधेयक, 2024 की प्रतियां हितधारकों को बांटने के कुछ ही दिनों बाद, सूचना एवं ब्रॉडकास्ट मंत्रालय ने अचानक उन्हें वापस मांगा। पहला ड्राफ्ट सार्वजनिक किया गया था, लेकिन दूसरा ड्राफ्ट कभी सार्वजनिक नहीं हुआ। प्रतियां केवल चुनिंदा ब्रॉडकास्टर्स, केबल ऑपरेटर्स और अन्य हितधारकों को ही दी गईं।
इससे खास तौर पर डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स को बाहर रखने पर पारदर्शिता को लेकर चिंता बढ़ी।
मेघनाद एस, ध्रुव राठी, अभिसार शर्मा जैसे यूट्यूबर्स और अन्य ने इस अपारदर्शी परामर्श प्रक्रिया पर असहजता जताई। DIGIPUB News India Foundation, जो 90 से अधिक डिजिटल न्यूज संस्थानों का प्रतिनिधित्व करता है, ने भी मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर डिजिटल न्यूज इकोसिस्टम से जुड़ी चिंताओं पर औपचारिक बैठक की मांग की।
विधेयक के दूसरे ड्राफ्ट में पहले संस्करण की कुछ आलोचनाओं को दूर करने की कोशिश की गई थी।
मुख्य बदलावों में शामिल थे:
अनिवार्य प्रमाणन से छूट: समाचार और सामयिक कार्यक्रम, शैक्षणिक कार्यक्रम, लाइव इवेंट्स, बच्चों की एनिमेशन और अन्य निर्दिष्ट श्रेणियों को कंटेंट इवैल्यूएशन कमेटियों (CECs) की अनिवार्य मंजूरी से मुक्त किया गया। इसे सरकारी नियंत्रण और सेंसरशिप की आशंकाओं से पीछे हटने की दिशा में कदम माना गया।
ओटीटी प्लेटफॉर्म की स्पष्ट श्रेणीकरण: ऑनलाइन क्यूरेटेड कंटेंट प्रोवाइडर्स (OCCPs) या ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को आधिकारिक तौर पर “इंटरनेट ब्रॉडकास्ट नेटवर्क” के रूप में वर्गीकृत किया गया।
नई परिभाषाओं का समावेश: “विज्ञापन मध्यस्थ,” “डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टर,” और “ग्राउंड-बेस्ड ब्रॉडकास्टर” जैसे शब्द जोड़े गए, जिससे नियमन का दायरा बढ़ा।
विस्तारित दायरा: ड्राफ्ट में उन व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं को भी शामिल किया गया जो व्यवस्थित तरीके से व्यावसायिक उद्देश्य से समाचार और सामयिक कंटेंट का प्रसार करते हैं, जिससे स्वतंत्र डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स भी इसके दायरे में आ सकते हैं।
कड़े दंड: सामान्य उल्लंघनों पर पहली बार ₹10 लाख और बार-बार उल्लंघन पर ₹50 लाख का जुर्माना लगाया गया। सब्सक्राइबर रिकॉर्ड उल्लंघन पर ₹2.5 करोड़ तक का जुर्माना तय किया गया।
इन बदलावों के बावजूद विधेयक में कुछ विवादित प्रावधान बने रहे, जैसे व्यक्तियों के लिए आपराधिक दंड, CEC सदस्यों का विवरण अनिवार्य रूप से सार्वजनिक करना, और टेलीविजन व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर एक समान नियमन की संभावना।
कानूनी और इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स को आशंका थी कि विधेयक में और देरी से असमंजस और गहरा सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे विवादित मुद्दों में से एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को प्रसारक की परिभाषा में शामिल करने की कोशिश थी। उन्होंने माना कि यही वजह हो सकती है कि मंत्रालय ने ड्राफ्ट वापस लेकर उसकी प्रावधानों पर फिर से विचार किया।
एक्सपर्ट्स ने यह भी कहा कि ऐसे विधेयकों में लंबी प्रक्रिया असामान्य नहीं है, खासकर तब जब वे संवैधानिक स्वतंत्रताओं और व्यापक इंडस्ट्री प्रभाव से जुड़े हों। एक इंडस्ट्री एक्सपर्ट ने कहा, “क्योंकि अब चर्चाएं सिर्फ पारंपरिक ब्रॉडकास्ट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि डिजिटल/ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और कंटेंट क्रिएटर्स तक फैली हैं, इसलिए इसमें समय लगना स्वाभाविक है।”
फिलहाल, इंडस्ट्री इंतजार और आत्म-नियमन के बीच फंसा हुआ है। जहां कुछ लोग देरी को इस संकेत के रूप में देखते हैं कि सरकार अपने दृष्टिकोण का सावधानी से पुनर्मूल्यांकन कर रही है, वहीं अन्य को डर है कि यह अनिश्चितकालीन ठहराव है, जो ब्रॉडकास्ट नियमन और इंडस्ट्री से जुड़े अहम फैसलों के भविष्य को अधर में छोड़ देता है।
मूल रूप से कानपुर के रहने वाले सैयद सुहेल को मीडिया में काम करने का करीब 19 साल का अनुभव है। मीडिया के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ‘जैन टीवी’ से की थी।
जाने-माने एंकर सैयद सुहेल 'NDTV इंडिया' पर नजर आएंगे। वह यहां सीनियर एग्जिक्यूटिव एडिटर और प्राइम-टाइम एंकर की भूमिका निभाएंगे।
सैयद सुहेल ने ‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क’ (Republic Media Network) से हाल ही में विदाई ली थी। वह इस नेटवर्क के साथ बतौर सीनियर एडिटर और एंकर करीब साढ़े छह साल से जुड़े हुए थे और इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘रिपब्लिक भारत’ के लोकप्रिय प्राइम टाइम शो ‘ये भारत की बात है’ (Yeh Bharat Ki Baat Hai) को होस्ट करते थे।
NDTV इंडिया से जुड़ने पर सुहेल ने कहा, 'अपने करियर की शुरुआत से ही मैंने NDTV की विश्वसनीयता और उसके ‘दर्शक-प्रथम’ दृष्टिकोण की सराहना की है। इस नेटवर्क का हिस्सा बनना सिर्फ एक प्रोफेशनल सम्मान नहीं है, बल्कि यह आम आदमी के प्रति सच्चे बने रहने और उनकी कहानियों को सरलता, ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ बताने की जिम्मेदारी भी है।'
NDTV के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल ने कहा, 'सुहेल हिंदी टेलीविज़न की सबसे भरोसेमंद प्राइम-टाइम आवाज़ों में से एक हैं। वे सिर्फ रेटिंग्स में नेतृत्व ही नहीं, बल्कि विश्वसनीयता और दर्शकों के साथ सहज जुड़ाव भी लेकर आते हैं। हम उन्हें NDTV इंडिया में स्वागत करते हुए बेहद प्रसन्न हैं, क्योंकि हम एक नए भारत के लिए सार्थक और ‘लोग-प्रथम’ पत्रकारिता के अपने वादे को और मजबूत कर रहे हैं।'
मूल रूप से कानपुर के रहने वाले सैयद सुहेल को मीडिया में काम करने का करीब 19 साल का अनुभव है। मीडिया के क्षेत्र में अपने करियर की शुरुआत उन्होंने ‘जैन टीवी’ से की थी। इसके बाद वह ‘न्यूज 24’ (News 24) और ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में भी अपनी भूमिका निभा चुके हैं।
गौतम जैन इससे पहले, अमेनिक एंटरटेनमेंट में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे।
गौतम जैन को सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के 'सोनी सब' (Sony SAB) में कंटेंट डेवलपमेंट के लीड के तौर पर नियुक्त किया गया है। इस संबंध में उन्होंने लिंक्डइन अपडेट के माध्यम से जानकारी साझा की। जैन ने इस महीने से इस पद का कार्यभार संभाल लिया है।
गौतम जैन इससे पहले, अमेनिक एंटरटेनमेंट में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे।
उससे पहले उन्होंने ऑरमैक्स मीडिया के साथ 13 वर्षों तक काम किया। अतीत में, वे मिर्ची मूवीज से भी जुड़े रहे हैं।
राज टेलीविजन नेटवर्क लिमिटेड की बोर्ड बैठक में कंपनी के शीर्ष नेतृत्व स्तर पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में निदेशकों और चेयरमैन के कार्यकाल को आगे बढ़ाने की मंजूरी दी गई।
राज टेलीविजन नेटवर्क लिमिटेड की हाल ही में हुई बोर्ड बैठक में कंपनी के शीर्ष नेतृत्व स्तर पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में निदेशकों और चेयरमैन के कार्यकाल को आगे बढ़ाने की मंजूरी दी गई।
कंपनी ने बताया कि नॉमिनेशन और रेम्यूनरेशन कमेटी की सिफारिश पर बोर्ड ने सर्वसम्मति से पुनर्नियुक्ति का फैसला किया, जिसके तहत—
एम. राजहेंद्रन को चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (CMD) के रूप में पुनर्नियुक्त किया गया है।
एम. राजारत्नम को पूर्णकालिक निदेशक के रूप में पुनर्नियुक्त किया गया है।
एम. रविंद्रन को पूर्णकालिक निदेशक के रूप में पुनर्नियुक्त किया गया है।
कन्नप्पा पिल्लै मणि रघुनाथन को भी पूर्णकालिक निदेशक के रूप में पुनर्नियुक्त किया गया है।
इन सभी की पुनर्नियुक्ति पांच वर्षों की अवधि के लिए 1 अप्रैल 2026 से प्रभावी होगी, जबकि उनका वर्तमान कार्यकाल 31 मार्च 2026 को समाप्त हो रहा है। कंपनी ने स्पष्ट किया है कि यह सभी नियुक्तियां शेयरधारकों की स्वीकृति के अधीन होंगी और इनमें से किसी भी निदेशक को SEBI या किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा निदेशक पद पर कार्य करने से प्रतिबंधित नहीं किया गया है।
एम. राजहेंद्रन
राजहेंद्रन कंपनी के संस्थापक चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं और शुरुआत से ही कंपनी का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने पारिवारिक वीडियो पब्लिशिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स व्यवसाय से करियर की शुरुआत की थी और रिटेल मार्केटिंग में गहन अनुभव हासिल किया। 1994 में उन्होंने राज टेलीविजन नेटवर्क की स्थापना की और इसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उन्हें वित्त और लेखा के क्षेत्र में भी व्यापक अनुभव है। वे कंपनी के निदेशकों एम. राजारत्नम, एम. रविंद्रन और एम. रघुनाथन के भाई हैं तथा महिला निदेशक विजयलक्ष्मी रविंद्रन (गैर-कार्यकारी, गैर-स्वतंत्र निदेशक) उनकी भाभी हैं।
एम. राजारत्नम
कंपनी के स्थापना दिवस से ही वे पूर्णकालिक निदेशक के रूप में जुड़े हुए हैं। कंटेंट और राइट्स के रिटेलिंग में उनका लंबा अनुभव है। पिछले ढाई दशकों में उन्होंने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक नेटवर्क तैयार किया है। वे कंपनी के चैनल के लिए कंटेंट अधिग्रहण (Content Acquisition) और चैनलों को विभिन्न क्षेत्रों और इंटरनेट-आधारित प्लेटफॉर्म्स पर डिस्ट्रिब्यूशन की जिम्मेदारी निभाते हैं। एम. राजारत्नम कंपनी के प्रबंध निदेशक एम. राजहेंद्रन, पूर्णकालिक निदेशक एम. रविंद्रन और एम. रघुनाथन के भाई हैं।
एम. रविंद्रन
एम. रविंद्रन भी कंपनी के स्थापना दिवस से पूर्णकालिक निदेशक हैं। तकनीकी विशेषज्ञता के साथ वे कंपनी के तकनीकी और प्रशासनिक संचालन का जिम्मा संभालते हैं। उनका पर्यवेक्षण चेयरमैन और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के अंतर्गत होता है। वे भी चेयरमैन एम. राजहेंद्रन और निदेशक एम. राजारत्नम व एम. रघुनाथन के भाई हैं तथा महिला निदेशक विजयलक्ष्मी रविंद्रन उनकी जीवनसाथी हैं।
कन्नप्पा पिल्लै मणि रघुनाथन
मीडिया सेल्स और मार्केटिंग क्षेत्र में 30 से अधिक वर्षों का अनुभव रखने वाले रघुनाथन कंपनी के सेल्स और मार्केटिंग संचालन को देखते हैं। उन्होंने भारत और विदेशों में बड़ी संख्या में कॉरपोरेट हाउस और विज्ञापनदाताओं के साथ मजबूत व्यावसायिक रिश्ते बनाए हैं। वे भी चेयरमैन एम. राजहेंद्रन और निदेशक एम. राजारत्नम व एम. रविंद्रन के भाई हैं।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, वह यहां पर रात दस बजे का शो होस्ट करेंगी। गौरतलब है कि मारिया शकील ने हाल ही में ‘एनडीटीवी’ (NDTV) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया था।
अपनी बेहतरीन पेशकश, शानदार आवाज़ और अनोखी शैली के लिए पहचानी जाने वाली सीनियर न्यूज एंकर मारिया शकील ने ‘इंडिया टुडे’ (India Today) के साथ अपनी नई पारी का आगाज किया है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, वह यहां पर रात दस बजे 'Newstrack' शो होस्ट करेंगी।
गौरतलब है कि मारिया शकील ने हाल ही में ‘एनडीटीवी’ (NDTV) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया था। मारिया शकील ने अगस्त 2023 में ‘एनडीटीवी’ समूह के अंग्रेजी न्यूज चैनल NDTV 24x7 में बतौर एग्जिक्यूटिव एडिटर (नेशनल अफेयर्स) जॉइन किया था।
मारिया शकील को मीडिया में काम करने का लंबा अनुभव है। ‘एनडीटीवी’ से पहले वह करीब 18 साल तक CNN-News18 से जुड़ी रहीं और वहां सीनियर पॉलिटिकल एडिटर एवं स्पेशल ब्यूरो चीफ की जिम्मेदारी संभाली। 2005 में वहीं से करियर की शुरुआत करते हुए उन्होंने देश की बड़ी राजनीतिक घटनाओं की फ्रंटलाइन कवरेज की और तमाम दिग्गज नेताओं के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू किए।
पत्रकारिता में उल्लेखनीय योगदान के लिए मारिया शकील को ‘रामनाथ गोयनका’ अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उनके शो ‘NewsEpicentre’ को प्रतिष्ठित ‘एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स’ (enba) समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वर्ष 2016 में वह शेवेनिंग साउथ एशिया जर्नलिज्म फेलोशिप भी जीत चुकी हैं।
मूल रूप से बिहार की रहने वाली मारिया शकील ने दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है।
मीडिया इंडस्ट्री में पीडी के नाम से फेमस प्रियदर्शन ने यहां पर एडिटर (आउटपुट) के पद पर जॉइन किया है। वह यहां आउटपुट हेड की जिम्मेदारी संभालेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन की ‘जी न्यूज’ (Zee News) में वापसी हुई है। मीडिया इंडस्ट्री में पीडी के नाम से फेमस प्रियदर्शन ने यहां पर एडिटर (आउटपुट) के पद पर जॉइन किया है। वह यहां आउटपुट हेड की जिम्मेदारी संभालेंगे। ‘जी न्यूज’ में प्रियदर्शन की यह दूसरी पारी है। पूर्व में भी वह यहां अपनी भूमिका निभा चुके हैं। ‘जी न्यूज’ में वापसी पर न्यूज रूम में प्रियदर्शन का जोरदार स्वागत किया गया।
‘जी न्यूज’ में अपनी नई पारी से पहले प्रियदर्शन ‘टीवी9 भारतवर्ष’ में करीब पांच साल से कार्यरत थे और बतौर एडिटर (आउटपुट) अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
बता दें कि समाचार4मीडिया ने विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से हाल ही में खबर दी थी कि प्रियदर्शन जल्द ही ‘जी न्यूज’ में शामिल हो सकते हैं। अब इस खबर पर आधिकारिक रूप से मुहर लग गई है।
मूल रूप से बिहार के रहने वाले प्रियदर्शन को मीडिया में काम करने का करीब ढाई दशक का अनुभव है। प्रियदर्शन पूर्व में ‘इंडिया टीवी’ (India TV) और ‘आजतक’ (AajTak) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में भी अपनी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। पढ़ाई लिखाई की बात करें तो उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है।
गौरतलब है कि इससे पहले ‘जी न्यूज’ (Zee News) में आउटपुट हेड की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ पत्रकार सुबोध सिंह ने पिछले दिनों यहां से इस्तीफा देकर ‘एनडीटीवी’ (NDTV) जॉइन कर लिया है।
समाचार4मीडिया की ओर से प्रियदर्शन को उनकी नई पारी के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
न्यूज रूम में प्रियदर्शन के स्वागत की तस्वीरें आप यहां देख सकते हैं।
दूरदर्शन केंद्र (डीडीके) भुवनेश्वर की रीजनल न्यूज यूनिट (आरएनयू) ने शुक्रवार को अपनी पहली संबलपुरी भाषा में न्यूज बुलेटिन की शुरुआत की।
दूरदर्शन केंद्र (डीडीके) भुवनेश्वर की रीजनल न्यूज यूनिट (आरएनयू) ने शुक्रवार को अपनी पहली संबलपुरी भाषा में न्यूज बुलेटिन की शुरुआत की। पहली संबलपुरी न्यूज बुलेटिन का प्रसारण 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पश्चिमी ओडिशा से आमंत्रित कई प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति में शुरू हुआ।
डीडीके भुवनेश्वर के अधिकारियों के अनुसार, यह रीजनल न्यूज बुलेटिन पश्चिमी ओडिशा और संबलपुरी भाषा के विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा।
गौरतलब है कि डीडीके और प्रसार भारती ने इससे पहले संबलपुरी, संथाली और देशिया भाषाओं में रीजनल न्यूज बुलेटिन शुरू करने की घोषणा की थी, ताकि इन बोलियों को प्रोत्साहन और व्यापक पहुंच मिल सके।
मीडिया रिपोर्टर्स के मुताबिक, पहला बुलेटिन सुबह 11 बजे डीडी ओड़िया पर प्रसारित किया गया और साथ ही डीडी न्यूज ओड़िया के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव-स्ट्रीम भी किया गया।
उद्घाटन बुलेटिन में भारत और ओडिशा भर में स्वतंत्रता दिवस समारोह को प्रमुखता से दिखाया गया, जिसमें पश्चिमी ओडिशा की विशेष कवरेज शामिल रही, जहां संबलपुरी भाषा व्यापक रूप से बोली जाती है।
इस महत्वपूर्ण शुरुआत को चिह्नित करने के लिए दूरदर्शन केंद्र भुवनेश्वर में एक औपचारिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता दूरदर्शन भुवनेश्वर के उप महानिदेशक (ई) नरसिंहा जेठी ने की। कार्यक्रम में दूरदर्शन भुवनेश्वर, आकाशवाणी कटक और प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) भुवनेश्वर के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
सुप्रीम कोर्ट ने 'साक्षी टीवी' की ओर से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें आंध्र प्रदेश सरकार पर लोकसभा चुनावों के बाद उसके खिलाफ “निशाना बनाकर की गई कार्रवाई” करने का आरोप लगाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में टेलीविजन न्यूज चैनल 'साक्षी टीवी' (Sakshi TV) की ओर से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें आंध्र प्रदेश सरकार पर जून 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद उसके खिलाफ “निशाना बनाकर की गई कार्रवाई” करने का आरोप लगाया गया है।
न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ ने आंध्र प्रदेश सरकार से इस आरोप पर जवाब मांगा है। चैनल की ओर से अधिवक्ता महफूज ए. नाजकी ने कहा कि उसे “लगातार, अवैध और लक्षित कार्रवाई” का सामना करना पड़ा है, जिसका उद्देश्य उसकी स्वतंत्र संपादकीय आवाज को दबाना है।
याचिका में कहा गया है कि “सरकार बदलने के तुरंत बाद याचिकाकर्ता के चैनल का प्रसारण आंध्र प्रदेश स्टेट फाइबरनेट लिमिटेड (APSFL) (जो एक राज्य-स्वामित्व वाला डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म है) द्वारा बिना किसी नोटिस या स्पष्टीकरण के अचानक बंद कर दिया गया। इसके बाद, राज्य और उसके अधिकारियों की ओर से दी गई धमकियों के चलते लगभग सभी प्रमुख मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) ने भी चैनल का प्रसारण रोक दिया। नतीजतन, याचिकाकर्ता का चैनल आंध्र प्रदेश भर में प्रभावी रूप से ब्लैकआउट हो गया।”
याचिका के अनुसार, राज्य में काम कर रहे सभी MSOs का कुल ग्राहक आधार लगभग 51.56 लाख है। इनमें से 40.55 लाख से अधिक ग्राहकों को सेवा देने वाले MSOs (जो लगभग 80% मार्केट का प्रतिनिधित्व करते हैं) को पहले ही राज्य और उसके अधिकारियों के दबाव में चैनल को ब्लॉक करने के लिए मजबूर किया गया। शेष MSOs, जिनका ग्राहक आधार अपेक्षाकृत छोटा है, वे भी “सक्रिय और बढ़ते खतरे” के अधीन हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि उद्देश्य चैनल का पूर्ण ब्लैकआउट करना है।
याचिका में कहा गया है कि राज्य की कार्रवाइयां, जो धमकियों और बुनियादी सेवाओं से वंचित करने के जरिए लागू की गईं, मीडिया की स्वतंत्रता पर ठंडा प्रभाव डालती हैं।
टीवी चैनल ने अदालत से मांग की है कि उसके प्रसारण को आंध्र प्रदेश में सभी प्लेटफॉर्म्स पर बहाल किया जाए।