गूगल की पेरेंट कंपनी ‘एल्फाबेट’ (Alphabet) ने घोषणा की है कि वह लगभग 12,000 एम्प्लॉयीज की कटौती करने की योजना बना रहा है
गूगल की पेरेंट कंपनी ‘एल्फाबेट’ (Alphabet) ने घोषणा की है कि वह लगभग 12,000 एम्प्लॉयीज की कटौती करने की योजना बना रहा है। ‘एल्फाबेट’ के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) सुंदर पिचाई ने एक स्टाफ मेमो में यह जानकारी दी है। बता दें कि यह उसकी दुनिया भर में मौजूद वर्कफोर्स की लगभग 6 फीसदी है।
सुंदर पिचाई ने अपने मेमो में कहा, ‘मेरे पास आपके लिए एक बुरी खबर है। हमने अपने वर्कफोर्स में करीब 12000 की कटौती करने का फैसला किया है। अमेरिका में लोग इस फैसले से प्रभावित हो रहे हैं, उन्हें एक अलग मेल भेज दिया गया है। दूसरे देशों में यह प्रक्रिया विभिन्न देशों के कानूनों और प्रावधानों के अनुसार होगी और इसमें थोड़ा समय लगेगा।’
पिचाई ने आगे लिखा, ‘इस फैसले का मतलब है कुछ अत्यंत प्रतिभावान लोगों से अलग होना, जिन्हें हमने बड़ी मेहनत के बाद हायर किया था। हमें उनके साथ काम कर बहुत अच्छा लगा। मैं इस फैसले के लिए माफी चाहता हूं।’
उन्होंने इस स्थिति के लिए खुद के फैसलों को जिम्मेदार माना है। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में हमने नाटकीय विकास का दौर देखा है। विकास के उस दौर से तारतम्य बिठाने, उसे मजबूती प्रदान करने और एक अलग तरह के आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए हमने बड़ी संख्या में प्रतिभाओं को हायर किया, पर मौजूदा स्थिति जिसका हम सामना करने को विवश हैं वह भिन्न है। अपने मेमो में उन्होंने छंटनी से प्रभावित होने वाले कर्मियों को दी जाने वाली सुविधाओं की भी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि कंपनी अमेरिका में अपने कर्मचारियों को पूरे नोटिफिकेशन पीरियड (न्यूनतम 60 दिन) का भुगतान करेगी। इसके अलावा गूगल ने 16 हफ्ते की सैलरी के साथ ही गूगल में हर अतिरिक्त साल पर दो हफ्ते का पैसा और कम से कम 16 हफ्तों का जीएसवी (गूगल स्टॉक यूनिट) सहित एक अच्छे सेवरेंस पैकेज की पेशकश करेगी। इसके अलावा, 2022 का बोनस और वैकेशन के साथ ही छह महीने के लिए हेल्थकेयर, जॉब प्लेसमेंट सर्विसेज और इमिग्रेशन सपोर्ट दिया जाएगा।
पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एंकर का इस्तेमाल करेगी
पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एंकर का इस्तेमाल करेगी। इस AI एंकर को समता नाम दिया गया है। पार्टी ने अपने एक्स हैंडल पर इसकी जानकारी दी है। देश के चुनावी इतिहास में किसी पार्टी ने संभवत: पहली बार इस तरह की पहल की है।
समता ने एक्स पर बंगाल के लोगों को बांग्ला में होली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस साल रंगों के उत्सव पर हमारा उपहार जेएनयू का लाल गुलाल में होना है।
वामपंथी नेता सृजन भट्टाचार्य ने कहा कि हम हमेशा ऐसी नई चीजें करना चाहते हैं, जो नुकसानदेय न हो। हम एआइ एंकर का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करेंगे।
गौरतलब है कि माकपा की अगुआई वाला वाममोर्चा बंगाल की 42 सीटों में से 21 पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुका है।
वहीं, दूसरी ओर भाजपा नेता तथागत राय ने माकपा के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि यह हास्यास्पद है कि माकपा जैसी पार्टी टेक्नोलाजी को अपना रही है, जिसने भारत में 1980 के दशक में कंप्यूटर शिक्षा का विरोध किया था। इसके जवाब में भट्टाचार्य ने साफ किया कि माकपा कभी भी कंप्यूटर शिक्षा के खिलाफ नहीं थी लेकिन जिस तरह से इसे क्रियान्वित किया जा रहा था, उससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो जाते, जो माकपा नहीं चाहती थी।
दुनियाभर में ऐपल, गूगल और मेटा जैसी बड़ी टेक कंपनियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अमेरिका के बाद यूरोप में भी इनके खिलाफ रेगुलेटरी जांच शुरू हो गई है।
दुनियाभर में ऐपल, गूगल और मेटा जैसी बड़ी टेक कंपनियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अमेरिका के बाद यूरोप में भी इनके खिलाफ रेगुलेटरी जांच शुरू हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूरोपीय संघ के नियामकों ने सोमवार को ऐपल, गूगल और मेटा की जांच शुरू कर दी है, जो बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को डिजिटल बाजारों पर कब्जा करने से रोकने के लिए बनाए गए नए कानून के तहत पहला मामला है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस संबंध में 27 देशों के समूह की कार्यकारी शाखा के रूप में काम करने वाले यूरोपीय आयोग ने कहा कि वह डिजिटल बाजार अधिनियम (डीएमए) के ‘गैर-अनुपालन’ को लेकर कंपनियों की जांच कर रहा है।
डिजिटल बाजार अधिनियम इस महीने की शुरुआत में पूर्ण रूप से प्रभावी हुआ था। यह एक व्यापक नियम पुस्तिका है जो ‘मुख्य प्लेटफॉर्म सेवाएं’ प्रदान करने वाली बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों को लक्षित करती है।
यूरोपीय आयोग की उपाध्यक्ष मार्ग्रेथ वेस्टेगर ने ब्रसेल्स में एक प्रेस वार्ता में कहा कि आयोग को शिकायतें मिली हैं कि टेक कंपनियों के अनुपालन संबंधी उपायों की संख्या में कमी आई है। उन्होंने कहा कि आज, हमने इनमें से कई संदिग्ध गैर-अनुपालन मुद्दों की जांच करने का निर्णय लिया है और जैसे ही हमें अन्य समस्याओं का पता लगेगा, हम उनसे भी निपटेंगे।’
वेस्टेगर ने कहा कि कंपनियों से कुछ दस्तावेजों के लिए कहा गया है, जिनकी आयोग वर्तमान और भविष्य की जांच कर सकता है।
नियामक इस बात पर गौर कर रहा है कि क्या गूगल और ऐपल, डीएमए के नियमों का पूरी तरह से अनुपालन कर रहे हैं।
आयोग ने कहा कि यह चिंताजनक है कि दोनों कंपनियां आवर्ती शुल्क वसूलने सहित ‘विभिन्न प्रतिबंध और सीमाएं’ लगा रही हैं जो ऐप्स को स्वतंत्र रूप से ‘ऑफर’ को बढ़ावा देने से रोकती हैं।
गूगल ने कहा कि उसने डिजिटल बाजार अधिनियम का अनुपालन करने के लिए यूरोप में अपनी सेवाओं के संचालन के तरीके में ‘महत्वपूर्ण बदलाव’ किए हैं।
आयोग यह भी जांच कर रहा है कि क्या ऐपल, आईफोन यूजर्स को आसानी से वेब ब्राउजर बदलने की अनुमति देने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रहा है।
ऐपल ने कहा कि उसे विश्वास है कि उसकी योजना डिजिटल बाजार अधिनियम का अनुपालन करती है और वह ‘जांच कर रहे यूरोपीय आयोग का रचनात्मक रूप से सहयोग करना जारी रखेगा।’
आयोग यूरोपीय यूजर्स के लिए फेसबुक या इंस्टाग्राम के विज्ञापन-मुक्त संस्करणों के लिए मासिक शुल्क का भुगतान करने के लिए मेटा के विकल्प की भी पड़ताल कर रहा है।
मेटा ने कहा कि वह आयोग के साथ रचनात्मक सहयोग जारी रखेगी। वहीं, आयोग ने कहा कि उसका लक्ष्य 12 महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने का है।
बता दें कि अमेरिका का फेडरल ट्रेड कमीशन (FTC) भी अमेरिका की चार बड़ी टेक कंपनियों- एमेजॉन, ऐपल, गूगल और मेटा के खिलाफ जांच कर रहा है। इन सभी पर अपने दबदबे का नाजायज फायदा उठाने का आरोप है।
दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल ने अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट जेमिनी द्वारा पीएम मोदी पर दी गई आपत्तिजनक प्रतिक्रिया के लिए भारत सरकार से माफी मांगी है
दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी गूगल (Google) ने अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) चैटबॉट जेमिनी द्वारा पीएम मोदी पर दी गई आपत्तिजनक प्रतिक्रिया के लिए भारत सरकार से माफी मांगी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईटी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के हवाले से कहा गया है कि गूगल ने प्रधानमंत्री मोदी से माफी मांगते हुए कहा है कि राजनीतिक विषयों के लिए उसका प्लैटफॉर्म जेमिनी भरोसेमंद नहीं है।
दरअसल, पीएम मोदी को लेकर पूछे गए सवाल पर जेमिनी की आपत्तिजनक प्रतिक्रिया को लेकर भारत सरकार ने गूगल को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था।
हुआ यूं कि एक यूजर ने गूगल के एआई चैटबॉट जेमिनी से पूछा था कि क्या नरेंद्र मोदी फासीवादी हैं? इस सवाल के जवाब में जेमिनी ने कहा, 'नरेंद्र मोदी भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री हैं और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता हैं। उन पर ऐसी नीतियां लागू करने का आरोप लगाया गया है। कुछ विशेषज्ञों ने इसे फासीवादी बताया है। ये आरोप कई पहलूओं पर आधारित हैं। इसमें भाजपा की हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा भी शामिल है।'
गूगल जेमिनी पर पक्षपात का भी आरोप लगा है, क्योंकि जेमिनी ने मोदी को फासीवादी कहा, जबकि यही सवाल जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप औ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के बारे में पूछा गया तो उसने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
जेमिनी की इस प्रतिक्रिया के बाद केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने गूगल को कड़ी चेतावनी दी थी कि जेमिनी जिस तरह से जवाब दे रहा है वह आईटी के नियम 3 (1) (बी) और आपराधिक कानून के कई प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
अपने जवाब में गूगल के प्रवक्ता ने कहा, "हम इस मुद्दे को हल करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं। यह कुछ ऐसा है जिस पर हम लगातार सुधार करने पर काम कर रहे हैं।" वहीं, गूगल ने स्वीकार किया है कि उसके प्लेटफॉर्म पर हमेशा भरोसा नहीं किया जा सकता।
तकनीक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल ने ‘शक्ति, इंडिया इलेक्शन फैक्ट-चेकिंग कलेक्टिव’ (‘SHAKTI – India Election Fact-Checking Collective’) नाम से एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया है
तकनीक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल ने ‘शक्ति, इंडिया इलेक्शन फैक्ट-चेकिंग कलेक्टिव’ (‘SHAKTI – India Election Fact-Checking Collective’) नाम से एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया है, जो देश में समाचार प्रकाशकों एवं तथ्यों की जांच करने वाली इकाइयों का समूह है। गूगल की इस मुहिम के तहत आगमी लोकसभा चुनाव के दौरान फैक्ट चेकर्स और न्यूज पब्लिशर्स को फेक न्यूज डीपफेक और भ्रामक जानकारियों से बचने और उन्हें पहचानने में मदद मिलेगी।
डेटालीड्स मिसइन्फॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस पूरे भारत में शुरू की गई इस पहल की अगुआई तथ्यों की जांच करने वाले अन्य समूहों की मदद से करेगा। इस पहल को गूगल न्यूज इनिशिएटिव (GNI) का भी समर्थन प्राप्त होगा। इस मुहिम में जागरण समूह की फैक्ट चेक इकाई 'विश्वास न्यूज', 'द क्विंट', 'बूम', 'फैक्टली' और 'न्यूजचेकर' जैसे प्रमुख संस्थान शामिल हैं।
एक मार्च से शुरू हुई यह परियोजना लोकसभा चुनाव 2024 के समापन तक जारी रहेगी। इस पहल के तहत स्वतंत्र फैक्ट चेकिंग और भारतीय भाषा प्रकाशकों को साथ लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि उन्हें चुनाव से संबंधित वायरल गलत सूचना और डीपफेक पर फैक्ट चेक, रिसर्च, अलर्ट साझा करने के लिए एक सहयोगी मंच मिल सके। इससे समाचार प्रकाशकों के समय और संसाधन की बचत होगी।
इस साझेदारी के तहत फैक्ट चेक रिपोर्ट्स का एक डाटाबेस भी तैयार किया जाएगा। इस परियोजना के तहत समाचार संगठनों और फैक्ट चेकर्स को एडवांस्ड फैक्ट चेक ट्रेनिंग, डीपफेक की पहचान और फैक्ट चेक एक्सप्लोरर सहित गूगल के नए टूल्स के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। इनकी मदद से वेरिफिकेशन की प्रक्रिया आसान और सरल बनाई जा सकेगी।
इस नई व्यवस्था पर गूगल ने कहा, ‘एक मार्च से शुरू होकर भारत में आम चुनाव समाप्त होने तक यह पहल स्वतंत्र फैक्ट चेकर एवं भारतीय भाषाओं में सामग्री प्रकाशित करने वाले लोगों एवं समूहों को एक दूसरे से जोड़ेगी। इससे उन्हें चुनाव से जुड़े तथ्यों की जांच और सही जानकारी साझा करने के लिए एक मंच मिल जाएगा। इससे डीपफेक, भ्रामक खबरों की जांच और इन पर अंकुश लगाने में समय बचाने में मदद मिलेगी।'
गूगल ने कहा कि वीडियो सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं एवं प्रारूपों में तथ्यों की जांच के बाद प्रामाणिक जानकारियां साझेदार समाचार प्रकाशकों के साथ साझा करने में मदद मिलेगी।
प्रोजेक्ट शक्ति की शुरुआत के अवसर पर मिसइन्फार्मेशन कॉम्बैट अलायंस (एमसीए) के अध्यक्ष एवं जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता ने कहा, '
जा रहा है। चुनाव नजदीक है और इस जटिल परिदृश्य के बीच हमारा उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सुरक्षा के लिए एक मजबूत फैक्ट चेक ईकोसिस्टम के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है। हम इस महत्वपूर्ण पहल के लिए हम गूगल न्यूज इनीशिएटिव के साथ साझेदारी को लेकर उत्साहित हैं।”
मिसइन्फॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस (एमसीए) के प्रेसिडेंट और जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता ने कहा, 'ऐसे समय में जहां डिजिटल इन्फॉर्मेशन का प्रसार अविश्वसनीय गति से हो रहा है, वैसे में विश्वसनीय और भरोसेमंद जानकारी के साथ लोगों को सशक्त बनाने की आवश्यकता बेहद अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। एमसीए के साथ गूगल न्यूज इनीशिएटिव और डेटा लीड्स की यह रणनीतिक साझेदारी अलग-अलग पाठक समूहों को जमीनी स्तर पर विश्वसनीय और फैक्ट चेक की गई सूचना के साथ उनकी मदद करेगा, ताकि वे चुनावों के दौरान और उसके बाद सूचित विकल्पों का चयन कर सकें। एमसीए के फैक्ट चेकिंग सदस्यों का लक्ष्य लोकतंत्र के लिए उभरते खतरों के खिलाफ सशक्त पत्रकारिता और जरूरी तकनीक का संयुक्त तौर पर इस्तेमाल करते हुए दुष्प्रचार करने वाली ताकतों को कमजोर करना है।'
डेटालीड्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी सैयद नज़ाकत ने कहा, 'भारत जैसे बड़े देश में विभिन्न प्रकार की खबरों का रोज अंबार लगता है और अब चुनाव नजदीक होने से लोगों तक प्रामाणिक जानकारियां पहुंचाना आवश्यक हो गया है। देश में खबरों एवं जानकारियों की प्रामाणिकता की जांच के लिए कलेक्टिव एक मजबूत पहल है।'
वैसे बता दें कि भारत सहित दुनियाभर में फैक्ट-चेक यूनिट्स को मजबूत करने के लिए गूगल और यूट्यूब ने 1.32 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ग्लोबल फैक्ट चेक फंड लॉन्च किया है।
सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने स्थानीय केबल ऑपरेटर्स से राष्ट्रीय पंजीकरण संख्या के असाइनमेंट के लिए पंजीकरण और प्रमाणपत्र विवरण जमा करने को कहा है
सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने स्थानीय केबल ऑपरेटर्स (LCOs) से राष्ट्रीय पंजीकरण संख्या (National Registration Number) के असाइनमेंट के लिए पंजीकरण (registration) और प्रमाणपत्र विवरण (certificate details) जमा करने को कहा है।
मंत्रालय ने कहा कि केबल ऑपरेटर्स को उनके परिचालन क्षेत्र के स्थानीय प्रधान डाकघर (Local Head Post Office) में केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की धारा 4 के तहत पंजीकरण किया जाता है। अधिनियम की धारा 3 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति तब तक केबल टेलीविजन नेटवर्क संचालित नहीं करेगा, जब तक कि वह अधिनियम के तहत केबल ऑपरेटर के रूप में पंजीकृत न हो।
मंत्रालय ने स्थानीय केबल ऑपरेटर्स को 19 जनवरी को एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि यदि पंजीकरण के नवीनीकरण में कोई कठिनाई आती है, तो उस मुद्दे को बताएं, इसके साथ ही स्थानीय केबल ऑपरेटर्स को वैध पंजीकरण के बिना काम न करने की चेतावनी भी दी गई थी।
अब, इन मुद्दों को आगे बढ़ाने और पंजीकरण की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए स्थानीय केबल ऑपरेटर्स को ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल के माध्यम से 15 दिनों के भीतर विवरण और दस्तावेज प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
मंत्रालय ने मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) और HITS (Headend-In-The-Sky) ऑपरेटर्स को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उनके साथ इंटरकनेक्शन समझौता करने वाले स्थानीय केबल ऑपरेटर्स निर्धारित समय सीमा के भीतर विवरण प्रस्तुत करें।
मंत्रालय ने कहा कि यह मंत्रालय उपरोक्त विवरण प्राप्त होने पर प्रत्येक स्थानीय केबल ऑपरेटर्स को एक राष्ट्रीय पंजीकरण संख्या प्रदान किया जाएगा और "National Register of LCOs" नाम से स्थानीय केबल ऑपरेटर्स की एक केंद्रीकृत सूची भी तैयार की जाएगी और सार्वजनिक डोमेन में रखी जाएगी।
एक अप्रैल, 2024 से, मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स और HITS ऑपरेटर्स केवल उन्हीं स्थानीय केबल ऑपरेटर्स के साथ सिग्नल प्रदान कर सकते हैं या नए इंटरकनेक्शन समझौते में प्रवेश कर सकते हैं, जिनका नाम मंत्रालय द्वारा प्रकाशित "National Register of LCOs" की सूची में दिखाई देता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की उपयोगिता हर क्षेत्र में बढ़ती जा रही है। लिहाजा भारत में ऐसा AI तैयार किया गया है, जिसके जरिये सौ भाषाओं में काम किया जा सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की उपयोगिता हर क्षेत्र में बढ़ती जा रही है। लिहाजा भारत में ऐसा AI तैयार किया गया है, जिसके जरिये सौ भाषाओं में काम किया जा सकता है। दरअसल, भारतीय कंपनी 'क्यूएक्स लैब एआई' (QX Lab AI) ने अपना एआई 'आस्क क्यूएक्स' (Ask QX) चैटबॉट लॉन्च किया है, जो दूसरे AI चैटबॉट्स से काफी अलग है।
ये नोड-बेस्ड हाइब्रिड जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म है, जिसे लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) और न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर दोनों पर ट्रेन किया गया है। QX Lab AI ने इस AI चैटबाट को दुंबई हेडक्वार्टर में लॉन्च किया है।
तंत्रिका तंत्र की तरह मौजूद नेटवर्क्स के घने जाल को 'न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर' कहा जाता है। इस चैटबाट को 372 अरब पैमानों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसकी खास बात यह कि इसकी 70 फीसदी ट्रेनिंग न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर और 30 फीसदी ट्रेनिंग लार्ज लैंग्वेज मॉडल पर हुई है।
कंपनी का दावा है कि ये 12 भारतीय भाषाओं सहित सौ भाषाओं का पता लगाने, अनुवाद करने और प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। भारतीय भाषाओं में हिंदी, बंगला, तेलगू, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती, कन्नडा, मलयालम, उड़िया, पंजाबी और आसामी शामिल हैं। वहीं, चैटजीपीटी की बात करें तो वह 95 भाषाओं का पता लगाने, अनुवाद करने और प्रतिक्रिया देने में सक्षम है।
'आस्क क्यूएक्स' को 372 अरब पैरामीटर पर ट्रेन किया गया है। लॉन्च के वक्त ये AI टेक्स्ट और ऑडियो फॉर्मेट में मौजूद है। कंपनी का कहना है कि मार्च 2024 तक इस प्लेटफॉर्म पर इमेज और वीडियो जनरेशन की क्षमता जोड़ी जाएगी। फिलहाल कोई ऐसा AI टूल नहीं है, जो ये सभी सर्विसेस ऑफर करता हो।
कंपनी की मानें तो हाइब्रिड AI मॉडल ओवरऑल कम्प्यूटेशनल पावर कॉस्ट को कम करता है। इसके साथ ही प्लेटफॉर्म की सिक्योरिटी भी बेहतर होती है।
फर्म का दावा है कि लॉन्चिंग के दौरान इस प्लेटफॉर्म पर 80 लाख रजिस्टर्ड यूजर्स मौजूद हैं। ये प्लेटफॉर्म पेड और फ्री दोनों ही वर्जन में उपलब्ध होगा। पेड वर्जन को इंटरप्राइसेस क्लाइंट के लिए जारी किया जाएगा। इस AI को भारत में वेब वर्जन और Android ऐप में लॉन्च किया है। इसे प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। वहीं इसका iOS वर्जन जल्द ही लॉन्च होगा।
टेक कंपनी गूगल ने एक बड़ा ऐलान किया है। गूगल के सीईओ ने अपने एम्प्लॉयीज को सूचित किया है वह इस साल और अधिक छंटनी के लिए तैयार रहें।
टेक कंपनी गूगल ने एक बड़ा ऐलान किया है। गूगल के सीईओ ने अपने एम्प्लॉयीज को सूचित किया है वह इस साल और अधिक छंटनी के लिए तैयार रहें। ऐसा इसलिए क्योंकि गूगल अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये छंटनी पिछले साल की गई कटौती के पैमाने पर नहीं है और हर टीम को प्रभावित नहीं करेगी।
एक आंतरिक मेल के माध्यम से सुंदर पिचाई ने एम्प्लॉयीज से कहा कि कई महत्वाकांक्षी लक्ष्य हैं, जिनके लिए इस प्राथमिकताओं के आधार पर निवेश किया जाएगा। निवेश की यह क्षमता हासिल करने के लिए कंपनी को कठोर विकल्प चुनने होंगे।
बता दें, यह पहली बार नहीं है जब गूगल अपने एम्प्लॉयीज को निकालने के लिए कह रहा है। कंपनी पहले भी कई बार अपने एम्प्लॉयीज को निकाल चुकी है। गूगल ने 10 जनवरी से विभिन्न विभागों में 1000 से ज्यादा एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकाल दिया है, जिसमें विशेषकर हार्डवेयर, डिजिटल और केंद्रीय इंजीनियरिंग टीमें प्रभावित हुईं।
इंडिया की पहली यूनिकॉर्न कंपनी 'इनमोबी' (inMobi) ने भी छंटनी कर रही है।
इंडिया की पहली यूनिकॉर्न कंपनी 'इनमोबी' (inMobi) ने भी छंटनी कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 'इनमोबी' (InMobi) ने ग्लोबल स्तर पर अपने कुल वर्कफोर्स में से 5% एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की योजना बनायी है।
कंपनी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए एआई-संचालित ऑटोमेशन के साथ अपने परिचालन को बदल रही है, जिसके बाद कंपनी ने ये फैसला लिया है। उसके इस फैसले से 2,500 के अपने ग्लोबल वर्कफोर्स में से लगभग 125 एम्प्लॉयीज को पिंक स्लिप पकड़ाए जाने की उम्मीद है।
इनमोबी के प्रवक्ता के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑर्गनाइजेशन मार्केट की जरूरतों और ग्राहकों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए एआई को अपना रहा है।
कंपनी ने 31 मार्च, 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष में अपने रेवेन्यू में 41% की बढ़ोतरी दर्ज की है।
नए साल की शुरुआत होते ही दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार टेक कंपनी गूगल ने सैकड़ों एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकाल दिया है।
नए साल की शुरुआत होते ही दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार टेक कंपनी गूगल ने सैकड़ों एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकाल दिया है। कंपनी ने अपने अलग-अलग डिपार्टमेंट से यह छंटनी की है, जिनमें खासतौर वे एम्प्लॉयीज प्रभावित हुए हैं, जो गूगल के वॉइस बेस्ड गूगल असिस्टेंट और ऑगमेंटेड रियलिटी हार्डवेयर टीम से जुड़े हैं। गूगल ने सेंट्रल इंजीनियरिंग ऑर्गेनाइजेशन से भी कुछ एम्प्लॉयीज की छंटनी की है।
कयास लगाए जा रहे हैं कि कंपनी अब इन एम्प्लॉयीज की जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल करेगी।
बता दें कि गूगल ने पिछले साल भी बड़े पैमाने पर छंटनी की थी, जिसमें करीब 12,000 एम्प्लॉयीज प्रभावित हुए थे। हालांकि, गूगल का कहना है कि यह फैसला नियमित कटौती का हिस्सा है।
गूगल के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, 2023 की दूसरी छमाही में, हमारी टीमों ने अधिक कुशल और प्रभावी बनने और अपने संसाधनों को अपनी सबसे बड़ी उत्पाद प्राथमिकताओं के साथ अलाइन करने के लिए कई बदलाव किए हैं।
प्रवक्ता ने आगे कहा, कुछ टीमें इस प्रकार के संगठनात्मक बदलाव करना जारी रख सकती हैं, जिसमें वैश्विक स्तर पर कुछ भूमिकाओं को खत्म करना भी शामिल है।
कंपनी ने कहा कि इस छंटनी से जो एम्प्लॉयीज प्रभावित हुए हैं, उन्हें नोटिस मिलना शुरू हो चुका है और उन्हें गूगल में कहीं भी रिक्त पदों के लिए आवेदन करने का अवसर मिलेगा।
नए साल की शुरुआत होते ही मेटा (Meta) ने इंस्टाग्राम के 60 एम्प्लायीज को नौकरी से निकाल दिया है
नए साल की शुरुआत होते ही मेटा (Meta) ने इंस्टाग्राम के 60 एम्प्लायीज को नौकरी से निकाल दिया है। इस छंटनी के तहत कंपनी ने कुछ तकनीकी कार्यक्रम प्रबंधकों (TPM) की छंटनी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 60 ऐसी नौकरियां या तो समेकित की जा रही हैं या समाप्त की जा रही हैं।
सत्यापित तकनीकी कर्मचारियों के लिए एक गुमनाम मंच और समुदाय ब्लाइंड पर एक पोस्ट के अनुसार, कंपनी ने इन कर्मचारियों को उत्पाद प्रबंधन भूमिकाओं या अन्य नौकरियों के लिए फिर से साक्षात्कार के लिए मार्च के अंत तक का समय दिया है।
एक सत्यापित मेटा पेशेवर ने उल्लेख किया है कि नौकरी में कटौती जल्द ही टीपीएम के लिए अन्य संगठनों में विस्तारित की जाएगी, जिसका मतलब है कि मेटा में अन्य तकनीकी कार्यक्रम प्रबंधकों को भी अपनी भूमिकाएं समेकित या पुनर्गठित हो सकती हैं।
एक अन्य ब्लाइंड पोस्ट में कहा गया, ''मेटा छंटनी: इंस्टाग्राम में सभी टीपीएम आज बंद कर दिए गए। इसकी पुष्टि वहां काम करने वाले मेरे जीवनसाथी ने की है। वह इंस्टाग्राम संगठन में नहीं है और प्रभावित नहीं है। उत्पाद प्रबंधक प्रभावित नहीं होते हैं।''
बिजनेस इनसाइडर के मुताबिक, ऐसे कम से कम 60 कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है।
टीपीएम कहीं न कहीं इंजीनियरों और उत्पाद प्रबंधकों (पीएम) जैसे तकनीकी कर्मचारियों के बीच स्थित होते हैं।
इंस्टाग्राम के एक पूर्व कर्मचारी ने लिंक्डइन पर "टीपीएम भूमिकाओं में अपेक्षित बदलाव" के बारे में पोस्ट करते हुए कहा कि लोगों से "पीएम भूमिकाओं के लिए फिर से साक्षात्कार" या उत्पाद प्रबंधक भूमिकाओं की उम्मीद की जाती है।
मेटा ने इन छंटनी पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की।
पिछले साल योजनाबद्ध बड़े पैमाने पर छंटनी के बाद, मेटा के संस्थापक और सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस बात से इनकार नहीं किया है कि भविष्य में और अधिक नौकरियां समाप्त हो जाएंगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, बड़े पैमाने पर नियुक्तियां शुरू करने से पहले वह अभी भी कंपनी की कुल कर्मचारियों की संख्या को 2020 तक कम करने का लक्ष्य बना रहे थे।
पिछले साल मार्च में, जुकरबर्ग ने घोषणा की थी कि कंपनी आने वाले महीनों में नई पुनर्गठित टीमों और प्रबंधन पदानुक्रमों के साथ 10,000 नौकरियों में कटौती करेगी।