ऑनलाइन म्यूजिक प्लेटफॉर्म 'स्पॉटिफाई' 17 फीसदी एम्प्लॉयीज की करेगा छंटनी

ऑनलाइन म्यूजिक प्लेटफॉर्म 'स्पॉटिफाई' (Spotify) ने बड़े पैमाने पर छंटनी करने की मन बना लिया है। कंपनी ने अपने 17 फीसदी एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकालने का ऐलान किया है।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 05 December, 2023
Last Modified:
Tuesday, 05 December, 2023
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ऑनलाइन म्यूजिक प्लेटफॉर्म 'स्पॉटिफाई' (Spotify) ने बड़े पैमाने पर छंटनी करने की मन बना लिया है। कंपनी ने अपने 17 फीसदी एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकालने का ऐलान किया है। ऐसे में 1500 एम्प्लॉयीज पर नौकरी जानें का खतरा मंडराने लगा है। 

बता दें कि यह तीसरी बार होगा, जब कंपनी छंटनी करेगी। इससे पहले जनवरी 2023 में स्पॉटिफाई ने अपने करीब 600 एम्प्लॉयीज को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। वहीं जून 2023 में भी कंपनी ने करीब 200 एम्प्लॉयीज को नौकरी से निकाल दिया गया था।

बता दें कि स्पॉटिफाई एक स्वीडिश ऑडियो स्ट्रीमिंग और मीडिया सर्विस प्रोवाइडर है, जिसकी स्थापना साल 2006 में डेनियल ऐक ने की थी।

स्पॉटिफाई के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) डेनियल ऐक ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा है कि कंपनी फिलहाल कई चुनौतियों से गुजर रही है। ऐसे में स्पॉटिफाई में सही वर्कफोर्स को बनाए रखना बहुत जरूरी है। उन्होंने इस छंटनी के लिए धीमी आर्थिक वृद्धि दर को जिम्मेदार ठहराया है। इसके साथ ही कंपनी के खर्च को कम करने के लिए इस फैसले को जरूरी बताया है। डेनियल ऐक ने बताया कि कंपनी अपनी कुल वर्कफोर्स में से 17 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है, जिसका असर 1500 एम्प्लॉयीज पर पड़ेगा।

सीईओ डैनियल ऐक ने यह भी कहा कि मैं मानता हूं कि इसका असर ऐसे कई एम्प्लॉयीज पर पड़ेगा, जिन्होंने बहुमूल्य योगदान दिया है। स्पष्ट तौर पर कहें तो, कई स्मार्ट, प्रतिभाशाली और कड़ी मेहनत करने वाले लोग हमें छोड़कर चले जाएंगे।

डैनियल ऐक ने यह भी कहा कि कंपनी नौकरी से निकाले गए एम्प्लॉयीज की मदद करेगी। जल्द ही प्रभावित एम्प्लॉयीज को इसकी जानकारी दे दी जाएगी और कंपनी Severance Pay के तहत अगले पांच महीनों का औसत पेमेंट एम्प्लॉयीज को देगी। इस रकम का कैलकुलेशन एम्प्लॉयीज के काम और नोटिस पीरियड के आधार पर किया जाएगा। कंपनी ने ये भरोसा भी दिलाया है कि वह इन पांच महीनों के दौरान उनकी हेल्थ सेवाओं पर होने वाले खर्च का भी ध्यान रखेगी। 

 

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Meta करेगी 3600 एम्प्लॉयीज की छंटनी, 'लो परफॉर्मर्स' होंगे टारगेट ?>

टेक कंपनी 'मेटा' (Meta) ने 3600 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की योजना बनाई है, जो कंपनी के कुल वर्कफोर्स का 5% है।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 15 January, 2025
Last Modified:
Wednesday, 15 January, 2025
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टेक कंपनी 'मेटा' (Meta) ने 3600 एम्प्लॉयीज की छंटनी करने की योजना बनाई है, जो कंपनी के कुल वर्कफोर्स का 5% है। इन छंटनियों के तहत "लो परफॉर्मर्स" को टारगेट किया जाएगा और उनकी जगह नए नियुक्तियां की जाएंगी। यह जानकारी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में सामने आई है।

जुकरबर्ग का फोकस: परफॉर्मेंस और नई प्रतिभा

Meta के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस कदम को परफॉर्मेंस मैनेजमेंट को मजबूत करने और "सबसे बेहतर टैलेंट" को बनाए रखने की दिशा में उठाया गया कदम बताया है। जुकरबर्ग ने कहा, "मैंने परफॉर्मेंस मैनेजमेंट का स्तर ऊंचा करने और लो परफॉर्मर्स को तेजी से हटाने का फैसला किया है। हम आमतौर पर परफॉर्मेंस में कमी वाले लोगों को एक साल के अंदर मैनेज करते हैं, लेकिन इस बार हम व्यापक प्रदर्शन-आधारित छंटनियां करेंगे।"

उन्होंने आगे कहा कि कंपनी का उद्देश्य 2025 में इन भूमिकाओं के लिए नई भर्तियां करना है। प्रभावित एम्प्लॉयीज को फरवरी 10, 2025 या अमेरिका के बाहर के एम्प्लॉयीज के मामले में बाद में सूचित किया जाएगा। जुकरबर्ग ने आश्वासन दिया कि छंटनी के दौरान प्रभावित एम्प्लॉयीज को पहले की तरह "जेनरस सेवरेंस" पैकेज दिया जाएगा।

कानूनी मोर्चे पर झटका

इसी बीच, Meta को एक और झटका उस समय लगा जब सोमवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उसने मल्टी-बिलियन डॉलर के क्लास एक्शन मुकदमे को रद्द करने की मांग की थी। इस मामले में विज्ञापनदाताओं ने Meta पर अपने विज्ञापनों के संभावित दर्शकों की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया है।

आंतरिक ज्ञापन का खुलासा

सोशल मीडिया पर लीक हुए एक आंतरिक मेमो में जुकरबर्ग ने यह भी कहा, "हम इस बार ज्यादा व्यापक और सख्त प्रदर्शन-आधारित छंटनियां करेंगे। हालांकि, उन एम्प्लॉयीज को हटाने का इरादा नहीं है जिनकी भविष्य की परफॉर्मेंस को लेकर हमें आशावाद है।"

जुकरबर्ग ने यह भी कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य मजबूत टीमों का निर्माण करना और मानव कनेक्शन को सक्षम करने वाली अग्रणी तकनीक तैयार करना है।

एम्प्लॉयीज और उद्योग के लिए संदेश

Meta की इस घोषणा ने टेक इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है, जहां पहले से ही छंटनी का दौर चल रहा है। हालांकि, कंपनी का कहना है कि यह कदम संगठनात्मक दक्षता और दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उठाया जा रहा है।

 

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गूगल की अनुभा उपाध्याय ने इस पद पर 'टेलीपरफॉर्मेंस' किया जॉइन ?>

गूगल की अनुभा उपाध्याय ने टेलीपरफॉर्मेंस (Teleperformance) में APAC की वाइस प्रेजिडेंट (गो-टू-मार्केट सॉल्यूशंस) के रूप में नई भूमिका ग्रहण की है।

Last Modified:
Monday, 13 January, 2025
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गूगल की अनुभा उपाध्याय ने टेलीपरफॉर्मेंस (Teleperformance) में APAC की वाइस प्रेजिडेंट (गो-टू-मार्केट सॉल्यूशंस) के रूप में नई भूमिका ग्रहण की है। 

अपने लिंक्डइन पोस्ट में, उपाध्याय ने बताया कि इस नई भूमिका में वह APAC क्षेत्र में व्यापक गो-टू-मार्केट रणनीतियों के माध्यम से विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेंगी और टीम के साथ मिलकर इनोवेशन और प्रभावशाली समाधान विकसित करेंगी। 

उन्होंने लिखा, "एक नया अध्याय शुरू हो रहा है: टेलीपरफॉर्मेंस में वाइस प्रेजिडेंट, APAC, गो-टू-मार्केट सॉल्यूशंस के रूप में शामिल होकर रोमांचित हूं। 2024 परिवर्तन का वर्ष रहा है, जिसमें मैंने नई चुनौतियों और अवसरों की खोज की। जो साधारण कॉफी चर्चाओं से शुरू हुआ, वह जल्द ही अधिक महत्वपूर्ण बन गया। मैंने प्रॉब्लम-सॉल्विंग और ऑपरेशनल एक्सिलेंस के प्रति गहरी रुचि पाई, जिससे भविष्य के लिए उत्साह पुनर्जीवित हुआ।

अपनी नई भूमिका का वर्णन करते हुए, उन्होंने कहा, "सेल्स क्षमता, ग्राहक अधिग्रहण और लॉयल्टी प्रोग्राम्स से संबंधित पहलों का नेतृत्व करते हुए मैं डेटा-आधारित अंतर्दृष्टियों और डिजिटल समाधानों का उपयोग करके व्यावसायिक प्रदर्शन को अनुकूलित करूंगी और उच्च-प्रभावी, तकनीक-सक्षम रणनीतियों का निर्माण करूंगी।" 

टेलीपरफॉर्मेंस से पहले, अनुभा उपाध्याय गूगल में 11 से अधिक वर्षों तक रहीं। वहीं, अपने पिछले कार्यकालों में, अनुभा ने क्विडको, स्टेलर इंफॉर्मेशन सिस्टम्स लिमिटेड, टीएनटी एक्सप्रेस, और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ काम किया है।

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Meta USA में अपना फैक्ट चेकिंग प्रोग्राम करेगी बंद, अब इस मॉडल पर होगा काम ?>

मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स) पर कंटेंट मॉडरेशन के तरीकों को पुनर्परिभाषित करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Thursday, 09 January, 2025
Last Modified:
Thursday, 09 January, 2025
Meta

मेटा ने अपने प्लेटफॉर्म्स (फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स) पर कंटेंट मॉडरेशन के तरीकों को पुनर्परिभाषित करने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। कंपनी ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अमेरिका में अपने थर्ड-पार्टी फैक्ट-चेकिंग प्रोग्राम को समाप्त कर रही है और इसकी जगह कंपनी यूजर द्वारा संचालित ‘कम्युनिटी नोट्स’ प्रणाली को अपनाएगी, जहां यूजर्स कंटेंट को रेट और संदर्भ प्रदान कर सकेंगे।

ये बदलाव मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग द्वारा जॉर्जटाउन में दिए गए भाषण में किए गए फ्री एक्सप्रेशन के वादे को निभाने की दिशा में एक प्रयास हैं।

जुकरबर्ग ने कहा, "हम इस बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां बहुत अधिक गलतियां और बहुत अधिक सेंसरशिप हो रही है। अगर हम गलती से सिर्फ 1% पोस्ट को सेंसर कर देते हैं, तो यह भी लाखों लोगों पर असर डालता है।"

नई नीति बदलाव के मुख्य बिंदु:

फैक्ट-चेकर्स की जगह कम्युनिटी नोट्स:

मेटा अपने फैक्ट-चेकर्स को धीरे-धीरे खत्म कर एक समुदाय-चालित प्रणाली 'कम्युनिटी नोट्स' को पेश करेगा। यह कदम पारंपरिक फैक्ट-चेकिंग तंत्रों पर बढ़ते अविश्वास के जवाब में उठाया गया है, जिन्हें मेटा ने स्वीकार किया कि ये पहले राजनीतिक रूप से पक्षपाती रहे हैं।

जुकरबर्ग ने कहा, "फैक्ट-चेकर्स बहुत अधिक राजनीतिक पक्षपाती हो गए हैं और उन्होंने विश्वास बनाने के बजाय उसे नष्ट कर दिया है, तो, आने वाले कुछ महीनों में, हम एक अधिक व्यापक कम्युनिटी नोट्स प्रणाली लागू करेंगे।"

कंटेंट पॉलिसियों का सरलीकरण:

मेटा अपनी कंटेंट पॉलिसियों को सरल बनाएगा और इमिग्रेशन और जेंडर जैसे संवेदनशील विषयों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाएगा। कंपनी का मानना है कि ये प्रतिबंध मुख्यधारा की चर्चा से अलग और बहुत अधिक सख्त हो गए थे।

जुकरबर्ग ने कहा, "जो समावेशिता बढ़ाने के लिए शुरू हुआ था, वह अब अलग-अलग विचारों वाले लोगों की राय बंद करने और उन्हें अलग करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। लिहाजा हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोग हमारे प्लेटफॉर्म्स पर अपने विश्वास और अनुभव साझा कर सकें।"

कंटेंट मॉडरेशन फिल्टर का समायोजन:

मेटा अनावश्यक सेंसरशिप को कम करने के लिए अपने मॉडरेशन फिल्टर्स को हल्के उल्लंघनों के मामलों में ढील देगा। अब, कार्रवाई करने से पहले यूजर्स की रिपोर्ट्स पर भरोसा किया जाएगा। यह बदलाव सही पोस्ट्स को गलती से हटाए जाने की घटनाओं को कम करने के लिए किया गया है।

जुकरबर्ग ने समझाया, "पहले हमारे पास ऐसे फिल्टर थे जो किसी भी नीति उल्लंघन के लिए स्कैन करते थे। अब हम इन फिल्टर्स को केवल अवैध और गंभीर उल्लंघनों पर केंद्रित करेंगे और इन्हें कम करके, हम अपने प्लेटफॉर्म्स पर सेंसरशिप को काफी हद तक घटाने जा रहे हैं।"

सिविक कंटेंट की पुनः शुरुआत:

यूजर्स के तनाव को कम करने के लिए राजनीतिक पोस्ट को सीमित करने के बाद, मेटा ने सिविक और राजनीतिक कंटेंट को वापस लाने का निर्णय लिया है। यह उन यूजर्स की प्रतिक्रिया के जवाब में किया गया है जो फिर से राजनीतिक चर्चाओं में भाग लेना चाहते हैं।

जुकरबर्ग ने कहा, "ऐसा लगता है कि अब हम एक नए दौर में हैं, और हमें यूजर्स से यह प्रतिक्रिया मिल रही है कि वे फिर से इस प्रकार का कंटेंट देखना चाहते हैं। हम इसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स में धीरे-धीरे शामिल करना शुरू करेंगे, जबकि क्म्युनिटीज को दोस्ताना और सकारात्मक बनाए रखने के लिए काम करेंगे।"

ट्रस्ट और सेफ्टी टीमों का स्थानांतरण:

मेटा अपनी ट्रस्ट और सेफ्टी और कंटेंट मॉडरेशन टीमों को कैलिफोर्निया से टेक्सास स्थानांतरित करेगा। यह कदम कंटेंट समीक्षा और मॉडरेशन के लिए एक ऐसा नया वातावरण बनाने की दिशा में उठाया गया है जो कंपनी के अपडेटेड दृष्टिकोण के साथ बेहतर मेल खाता हो।

जुकरबर्ग ने कहा, "अमेरिका में हमारी कंटेंट समीक्षा टीम अब टेक्सास में आधारित होगी। यह बदलाव हमारे संचालन को सरल बनाने और पूरी प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करेगा।"

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WhatsApp प्राइवेसी विवाद: Meta ने CCI के 213 करोड़ के जुर्माने को NCLAT में दी चुनौती ?>

'मेटा' ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा लगाए गए 213 करोड़ रुपये के जुर्माने को चुनौती देने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) का दरवाजा खटखटाया है

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Tuesday, 07 January, 2025
Last Modified:
Tuesday, 07 January, 2025
Meta

वॉट्सऐप की मूल कंपनी 'मेटा' (Meta) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए 213 करोड़ रुपये के जुर्माने को चुनौती देने के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) का दरवाजा खटखटाया है।

मेटा पर यह जुर्माना वॉट्सऐप की 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी से जुड़ी मार्केट में प्रभावशाली स्थिति के कथित दुरुपयोग के लिए लगाया गया था।

मेटा ने इस मामले के संभावित प्रभाव और दांव पर लगी बातों का हवाला देते हुए इसकी तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली NCLAT बेंच इस मामले की सुनवाई 16 जनवरी को करेगी।

यह जुर्माना CCI की वॉट्सऐप की प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट की जांच से संबंधित है। एंटी-ट्रस्ट नियामक का कहना है कि यह पॉलिसी न तो पारदर्शी थी और न ही यूजर्स की स्वैच्छिक सहमति पर आधारित थी।

CCI के अनुसार, इस पॉलिसी के तहत अत्यधिक डेटा संग्रह की अनुमति दी गई थी, जो संभावित रूप से उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन कर सकती है और लक्षित विज्ञापन के लिए "स्टॉकिंग" का कारण बन सकती है।

नियामक ने यह भी चिंता व्यक्त की कि यूजर्स को विशिष्ट डेटा-साझाकरण शर्तों पर आपत्ति करने या ऑप्ट आउट करने यानी उनसे बाहर निकलने का विकल्प नहीं दिया गया था, जिससे उपभोक्ता डेटा सुरक्षा और व्यक्तिगत जानकारी पर नियंत्रण कम हो सकता है। 

CCI ने इस मामले की जांच जनवरी 2021 में शुरू की थी, जब अपडेटेड पॉलिसी के बारे में न्यूज रिपोर्ट्स सामने आईं।

नियामक ने इस बात पर जोर दिया कि प्राइवेसी पॉलिसी के प्रावधान उपभोक्ता संरक्षण की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं, जो एंटी-ट्रस्ट कानून के दायरे में आता है।

वॉट्सऐप और फेसबुक ने पहले CCI के इस मामले की जांच के फैसले को चुनौती दी थी, यह तर्क देते हुए कि इस मामले की जांच पहले से ही हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों द्वारा की जा रही है।

हालांकि, अप्रैल 2021 में, दिल्ली हाई कोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिससे CCI की जांच जारी रह सकी।

अब मेटा इस फैसले को पलटने की कोशिश कर रहा है, और NCLAT अगले सप्ताह इसकी अपील की सुनवाई करेगा।

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शेयरचैट ने नितिन जैन को चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर किया नियुक्त ?>

शेयरचैट (ShareChat) ने नितिन जैन को अपना नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (Chief Technology Officer) नियुक्त किया है।

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Published - Tuesday, 10 December, 2024
Last Modified:
Tuesday, 10 December, 2024
NitinJain7845

शेयरचैट (ShareChat) ने नितिन जैन को अपना नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (Chief Technology Officer) नियुक्त किया है। इस भूमिका में नितिन, शेयरचैट और इसके शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म 'मोज' (Moj) पर तकनीक के विकास और अनुप्रयोग की जिम्मेदारी संभालेंगे।

नितिन जैन एक अनुभवी तकनीकी विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने विज्ञापन, ई-कॉमर्स, फिनटेक और उन्नत डेटा एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में कई बदलावकारी परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। उन्होंने शुरुआती विचारों को विकसित कर प्रभावशाली वैश्विक मंचों में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

अपने करियर में नितिन ने Tokopedia, Gojek और हाल ही में TikTok जैसे प्रतिष्ठित संगठनों में काम किया है। उन्होंने शून्य से तकनीकी व्यवसायों को खड़ा करने और उन्हें तेजी से बढ़ाने का अनुभव हासिल किया है। उनकी विशेषज्ञता कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डेटा, क्लाउड कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन और आधुनिक देवऑप्स प्रथाओं जैसे अत्याधुनिक तकनीकी क्षेत्रों में है।

नितिन के स्वागत में शेयरचैट और मोज के सीईओ व को-फाउंडर अंकुश सचदेवा ने कहा, “नितिन एक वैश्विक तकनीकी लीडर हैं, जिनके पास विभिन्न क्षेत्रों और भौगोलिक क्षेत्रों में काम करने का दो दशकों से अधिक का अनुभव है। शेयरचैट और मोज में विकास के अगले अध्याय की शुरुआत के लिए नितिन का अनुभव और तकनीकी व्यवसायों को स्केल करने की उनकी सिद्ध क्षमता गेम-चेंजर साबित होगी। उनके टीम में शामिल होने और हमारे तकनीकी संगठन का नेतृत्व करने को लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं।”

अपनी नियुक्ति पर नितिन जैन ने कहा, “मैं ग्राहक-केंद्रित उत्पादों को विकसित करने के लिए अत्यधिक जुनूनी हूं, जो नवाचार और तकनीकी अनुप्रयोगों के माध्यम से वास्तविक मूल्य प्रदान करते हैं। शेयरचैट के साथ काम करने और इतने प्रतिभाशाली टीम से सीखने का अवसर मेरे लिए बेहद रोमांचक है। मैं अपने अनुभव का उपयोग करके हमारे बढ़ते उपयोगकर्ताओं और क्रिएटर्स समुदाय को एक अत्यधिक व्यक्तिगत सामाजिक अनुभव प्रदान करने के लिए तत्पर हूं।”

यह नियुक्ति शेयरचैट और मोज के लिए तकनीकी क्षेत्र में नवाचार और विकास की दिशा में एक मजबूत कदम है।

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WinZo की शिकायत पर CCI ने दिया गूगल के खिलाफ जांच का आदेश ?>

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल (Google) के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारतीय रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म WinZo द्वारा दायर शिकायत के बाद की गई है

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Published - Friday, 29 November, 2024
Last Modified:
Friday, 29 November, 2024
Google

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल (Google) के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह कार्रवाई भारतीय रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म WinZo द्वारा दायर शिकायत के बाद की गई है, जिसमें गूगल पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी नीतियों का आरोप लगाया गया है। शिकायत का मुख्य विषय गूगल की Play Store नीतियों में किए गए बदलाव हैं, जो WinZo के अनुसार, कुछ RMG ऐप्स के साथ भेदभाव करते हैं और इस उभरते हुए क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और नवाचार को बाधित करते हैं।

WinZo ने अपनी शिकायत में कहा है कि गूगल की नीति कुछ खास RMG ऐप्स को Play Store पर अनुमति देती है, जबकि अन्य को अस्पष्ट और मनमाने मानदंडों के आधार पर बाहर रखती है। "ये नीतियां एक असमान प्रतिस्पर्धात्मक माहौल बनाती हैं और भारतीय बाजार तक समान पहुंच को बाधित करती हैं," WinZo ने कहा। कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि गूगल अपनी मजबूत बाजार स्थिति का दुरुपयोग कर ऐप डेवलपर्स पर अनुचित शर्तें थोपता है, जिससे उनके विकास और दर्शकों तक पहुंचने की क्षमता प्रभावित होती है।

CCI ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि ऐप वितरण बाजार में गूगल का प्रभुत्व, खासकर Android Play Store के माध्यम से, जांच की मांग करता है। आयोग ने कहा, "शिकायत में उठाए गए आरोपों में प्रारंभिक तौर पर दम नजर आता है और Google के इस प्रभुत्व के संभावित दुरुपयोग की जांच जरूरी है।"

यह घटनाक्रम भारत के RMG क्षेत्र की पृष्ठभूमि में हुआ है, जो देश की मोबाइल-प्रथम अर्थव्यवस्था और डिजिटल भुगतान के बढ़ते प्रभाव के चलते तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि, यह क्षेत्र अभी भी भारी नियामकीय अनिश्चितताओं और समाज में बंटी हुई राय का सामना कर रहा है। राज्य सरकारें नवाचार को प्रोत्साहित करने और लत व वित्तीय जोखिम के कारण प्रतिबंध लगाने के बीच झूलती रहती हैं।

विज्ञापन के मोर्चे पर भी स्थिति जटिल है। WinZo जैसे प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से डिजिटल विज्ञापनों पर निर्भर रहते हैं, लेकिन गूगल और Meta जैसे मुख्यधारा के प्लेटफार्मों द्वारा RMG ऐप्स को लेकर सतर्क रुख अपनाने के कारण उन्हें सरकार के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में, ऐप स्टोर पर दृश्यता नए उपयोगकर्ताओं को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है, और गूगल Play Store की प्रतिबंधात्मक नीतियां इन कंपनियों की राजस्व रणनीतियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं।

भारत, जो गूगल और RMG क्षेत्र दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है, में यह टकराव यह तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है कि प्लेटफॉर्म नियामकीय अनुपालन और नवाचार को बढ़ावा देने के बीच संतुलन कैसे बनाए रखते हैं।

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Meta पर लगा ये आरोप, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने लगाया 214 करोड़ का जुर्माना ?>

भारत के प्रतिस्पर्धा नियामक (Antitrust Regulator) यानी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने मेटा (Meta) पर लगभग 214 करोड़ रुपये (25.4 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगाया है।

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Published - Tuesday, 19 November, 2024
Last Modified:
Tuesday, 19 November, 2024
Meta

भारत के प्रतिस्पर्धा नियामक (Antitrust Regulator) यानी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने मेटा (Meta) पर लगभग 214 करोड़ रुपये (25.4 मिलियन डॉलर) का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना वॉट्सऐप (WhatsApp) की विवादास्पद 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी के माध्यम से बाजार में अपनी स्थिति का दुरुपयोग करने के आरोप में लगाया गया है।  

सोमवार को घोषित इस जुर्माने में चिंता व्यक्त की गई है कि वॉट्सऐप की पॉलिसी ने यूजर्स को मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स पर अपना डेटा साझा करने के लिए अनुचित रूप से मजबूर किया। इसके पीछे उपभोक्ता गोपनीयता के बजाय व्यापार और विज्ञापन के लक्ष्यों को प्राथमिकता दी गई।  

2021 की इस प्राइवेसी पॉलिसी ने वैश्विक स्तर पर आलोचना को जन्म दिया था, क्योंकि इसे यूजर्स पर दबाव बनाने वाला कदम माना गया। कई लोगों ने इसे वॉट्सऐप की गोपनीयता की प्रतिबद्धता को कमजोर करने वाला बताया। भारत, जो वॉट्सऐप का सबसे बड़ा बाजार है, में इस पॉलिसी के चलते यूजर्स बड़ी संख्या में प्रतिद्वंद्वी प्लेटफॉर्म्स की ओर जाने लगे, जिससे नियामकीय जांच तेज हो गई।  

यह निर्णय भारत द्वारा बड़ी टेक कंपनियों की एकाधिकारवादी प्रथाओं और डेटा नियंत्रण पर सख्ती के व्यापक प्रयास का हिस्सा है। डिजिटल विज्ञापन राजस्व में बढ़ोतरी और लक्षित मार्केटिंग में यूजर्स डेटा की महत्वपूर्ण भूमिका के बीच, नियामक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए कदम उठा रहे हैं।  

मेटा ने अभी तक यह पुष्टि नहीं की है कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा या नहीं। यह फैसला इस बात के लिए एक नज़ीर साबित हो सकता है कि भारत के बदलते नियामकीय परिदृश्य में बड़ी टेक कंपनियां कैसे काम करेंगी।  

यह जुर्माना इस बात को स्पष्ट करता है कि बिना जवाबदेही के बाजार की ताकत का दुरुपयोग करना दंडनीय होगा, क्योंकि भारत नवाचार और निगरानी के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।  

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वायरलेस प्रसारण सेवाओं में नई तकनीक विकसित करने पर सिनक्लेयर व IIT बॉम्बे के बीच साझेदारी ?>

सिनक्लेयर, इंक. और IIT बॉम्बे ने वायरलेस प्रसारण सेवाओं के लिए नई पीढ़ी के दूरसंचार और प्रसारण नेटवर्क में तकनीकी और मानकों के विकास के लिए MoU पर हस्ताक्षर किए हैं।

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Saturday, 09 November, 2024
Last Modified:
Saturday, 09 November, 2024
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सिनक्लेयर, इंक. और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT बॉम्बे) ने वायरलेस प्रसारण सेवाओं के लिए नई पीढ़ी के दूरसंचार और प्रसारण नेटवर्क में तकनीकी और मानकों के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस सहयोग का मुख्य उद्देश्य भारत और दुनिया के लिए मोबाइल, टीवी और अन्य स्थिर प्रसारण के लिए अंतरराष्ट्रीय ATSC 3.0 वायरलेस प्रसारण मानक में सुधार करना है। 

ATSC 3.0 से Broadcast-to-Everything (B2X) तक 

यह रिसर्च पहल ATSC 3.0 मानक को Broadcast-to-Everything (B2X) उपयोग में विकसित करने पर केंद्रित होगी। यह नई क्षमता 5G नेटवर्क के साथ तेज इंटरवर्किंग, कम-लेटेंसी डेटाकास्टिंग, बेहतर बैटरी जीवन, और अन्य डिवाइसेस जैसे स्मार्टफोन्स, फीचरफोन्स, वेरेबल्स और IoT डिवाइसेस के लिए कुशल स्पेक्ट्रम उपयोग को संभव बनाएगी। इसके साथ ही, IIT बॉम्बे ATSC के एक सदस्य के रूप में B2X रिलीज़ के मानकीकरण कार्य में भी सीधे योगदान देगा।

भारत में B2X के लाभ और संभावनाएं

भारत में 1 अरब से अधिक मोबाइल उपयोगकर्ता और लगभग 25 करोड़ टीवी घर हैं। इस नए B2X प्रसारण प्रणाली का उद्देश्य नेटवर्क कंजेशन को कम करना, उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं को संभव बनाना और नेटवर्क की स्थिरता में सुधार करना है। B2X, Direct-to-Mobile (D2M) से एक कदम आगे बढ़ते हुए IMT-2030 (6G) इकोसिस्टम में प्रसारण को विस्तारित करेगा। भविष्य में, B2X आपातकालीन प्रबंधन, दूरस्थ शिक्षा, कृषि में आधुनिक तकनीकों, वाहन संचार और ओपन AI आधारित प्रसारण और डेटाकास्टिंग जैसी सेवाओं के लिए भी लाभकारी सिद्ध होगा।

अधिकारियों की प्रतिक्रियाएं

IIT बॉम्बे के निदेशक, प्रोफेसर शिरीष केदारे ने कहा, “सिनक्लेयर के साथ इस साझेदारी के माध्यम से वायरलेस टेलीकॉम में बदलाव लाने और B2X के विकास में भारत को आगे बढ़ाने में IIT बॉम्बे को गर्व है। हमारा लक्ष्य समाज की ज़रूरतों को पूरा करना और ऐसी तकनीकें विकसित करना है जो शहरी और ग्रामीण दोनों जनसंख्या की जीवन गुणवत्ता में सुधार करें।”

सिनक्लेयर के प्रेसिडेंट और सीईओ, क्रिस रिपली ने इस साझेदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ATSC 3.0 आधारित B2X को प्रसारण के लिए एक पसंदीदा तकनीक के रूप में स्थापित करने में यह सहयोग बड़ा योगदान देगा। सिनक्लेयर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मार्क एटकेन ने ATSC 3.0 को अत्यधिक बैंडविड्थ दक्षता और टाइम-फ्रीक्वेंसी इंटरलीविंग जैसे फीचर्स की वजह से मोबाइल प्रसारण का सबसे उपयुक्त मानक बताया।

ATSC की प्रेसिडेंट मेडेलीन नोलैंड ने इस सहयोग की सराहना की, और कहा, “B2X प्रसारण और मोबाइल संचार के लिए नए अवसर प्रस्तुत करता है जो डेटा वितरण की दक्षता में क्रांति ला सकता है।”

प्रसार भारती के पूर्व सीईओ और IIT बॉम्बे के पूर्व छात्र शशि शेखर वेंपती ने इस पहल को "विकसित भारत" की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा कि हाल ही में ब्राजील द्वारा ATSC 3.0 मानक को अपनाना इस तकनीक के वैश्विक महत्व को दर्शाता है।

यह साझेदारी न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रसारण सेवाओं में बदलाव लाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है, जो तकनीकी नवाचार और उद्योग में मानकों की स्थापना को नई दिशा प्रदान करेगी।

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गूगल के नए चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर बने प्रभाकर राघवन ?>

गूगल ने अपने नेतृत्व में एक बड़ा बदलाव करते हुए भारतीय मूल के प्रभाकर राघवन को नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) नियुक्त किया है

समाचार4मीडिया ब्यूरो by
Published - Wednesday, 23 October, 2024
Last Modified:
Wednesday, 23 October, 2024
PrabhakarRaghavan784521

गूगल ने अपने नेतृत्व में एक बड़ा बदलाव करते हुए भारतीय मूल के प्रभाकर राघवन को नया चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) नियुक्त किया है। गूगल एआई के क्षेत्र में तेजी से विस्तार कर रहा है और इसी क्रम में टीम का पुनर्गठन किया जा रहा है। राघवन की नियुक्ति इस रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा है, खासकर जब गूगल को माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। 

प्रभाकर राघवन एक विश्वस्तरीय कंप्यूटर वैज्ञानिक के रूप में पहचाने जाते हैं, जिनका सर्च एल्गोरिदम और वेब खोज के क्षेत्र में बड़ा नाम है। उनके पास 20 से अधिक टेक पेटेंट और 100 से अधिक रिसर्च पेपर का अनुभव है, जिससे उन्होंने इस क्षेत्र में अपने आप को एक अग्रणी शख्सियत के रूप में स्थापित किया है। राघवन पिछले 12 सालों से गूगल से जुड़े हुए हैं, जहां उन्होंने गूगल सर्च, असिस्टेंट, गूगल एड्स और कॉमर्स जैसे महत्वपूर्ण डिवीजनों की जिम्मेदारी संभाली है, जिनसे कंपनी को सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्त होता है। 

राघवन ने 1990 के दशक में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में सर्च इंजन पर काम शुरू किया था, और गूगल जैसी कंपनी बनाने का खाका तैयार किया था। हालांकि, उस समय वे याहू से जुड़ गए। बाद में, गूगल में आने के बाद, उन्होंने कंपनी के एप्स बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। जीमेल और गूगल ड्राइव में उनके नेतृत्व में कई नए एआई फीचर्स जैसे स्मार्ट रिप्लाई और स्मार्ट कम्पोज जोड़े गए।

राघवन की भूमिका गूगल में CEO जैसी मानी जाती है, और वह अल्फाबेट के CEO सुंदर पिचाई के बेहद करीबी माने जाते हैं। पिछले साल उनका वेतन और स्टॉक मिलाकर कुल 300 करोड़ रुपए था, जिससे वह गूगल के सबसे ज्यादा वेतन पाने वाले टॉप-5 अधिकारियों में शामिल हैं। 

भोपाल के कैम्पियन स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले राघवन ने आईआईटी मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और यूसी बर्कले से पीएचडी की। उनका और पिचाई का शैक्षणिक सफर काफी हद तक समान है, दोनों दक्षिण भारतीय मूल के हैं और दोनों ने ही आईआईटी मद्रास से पढ़ाई की है।

राघवन का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ट्रैफिक को सुगम बनाने से लेकर जंगल की आग से निपटने तक के कामों में अहम भूमिका निभा सकता है। इसके साथ ही, यह सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने और पर्यावरण संरक्षण में भी बड़ा योगदान दे सकता है। उनकी यह नई भूमिका न केवल गूगल, बल्कि पूरे टेक्नोलॉजी जगत के लिए नए आयाम खोलने वाली है।

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‘रॉयटर्स’ को बाय बोलकर वरिष्ठ पत्रकार युवराज मलिक ने तलाशी नई मंजिल ?>

‘रॉयटर्स’ में रहते हुए उन्होंने ‘एप्पल’ (Apple), ‘माइक्रोसॉफ्ट’ (Microsoft) और ‘मेटा’ (Meta) जैसी बड़ी टेक कंपनियों और अमेरिकी शेयर बाजारों पर रिपोर्टिंग की।

Last Modified:
Monday, 14 October, 2024
Yuvraj Malik

वरिष्ठ पत्रकार युवराज मलिक ने जानी-मानी न्यूज एजेंसी ‘रॉयटर्स’ (Reuters) से इस्तीफा दे दिया है। वह यहां करीब तीन साल से बतौर टेक रिपोर्टर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। युवराज मलिक ने अब मिडिल ईस्ट के जल्द ही लॉन्च होने वाले पब्लिकेशन ‘बिजीनेक्स्ट’ (BusiNext) में बतौर इंडिया टेक रिपोर्टर जॉइन किया है।  

युवराज मलिक ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) से खुद इसकी पुष्टि की है।

युवराज मलिक को स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में बिजनेस से जुड़ी खबरें कवर करने का करीब एक दशक का अनुभव है। ‘रॉयटर्स’ में रहते हुए उन्होंने ‘एप्पल’ (Apple), ‘माइक्रोसॉफ्ट’ (Microsoft) और ‘मेटा’ (Meta) जैसी बड़ी टेक कंपनियों और अमेरिकी शेयर बाजारों पर रिपोर्टिंग की। इसके अलावा, उन्होंने ‘मिंट’ (Mint) और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ (Business Standard) के लिए भारतीय स्टार्टअप जगत पर भी व्यापक रिपोर्टिंग की है। पूर्व में वह विभिन्न भूमिकाओं में ‘मिंट’ और ‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ में काम कर चुके हैं।

आपको बता दें कि ‘बिजीनेक्स्ट’ एक जल्द लॉन्च होने वाला फाइनेंस न्यूज पब्लिकेशन है, जो युवा प्रोफेशनल्स को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसे मिस्र के व्यवसायी नग़ीब सविरिस द्वारा समर्थित किया गया है और इसका मुख्यालय दुबई में है।

मलिक का कहना है कि ‘बिजीनेक्स्ट’ उभरते हुए मार्केट्स, जिनमें मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया शामिल हैं, से बिजनेस और मार्केट की न्यूज कवरेज प्रदान करेगा। यह नवंबर के अंत में अपना पहला मीडिया पब्लिकेशन लॉन्च करेगा।

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