तकनीक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल ने ‘शक्ति, इंडिया इलेक्शन फैक्ट-चेकिंग कलेक्टिव’ (‘SHAKTI – India Election Fact-Checking Collective’) नाम से एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया है
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
तकनीक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल ने ‘शक्ति, इंडिया इलेक्शन फैक्ट-चेकिंग कलेक्टिव’ (‘SHAKTI – India Election Fact-Checking Collective’) नाम से एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया है, जो देश में समाचार प्रकाशकों एवं तथ्यों की जांच करने वाली इकाइयों का समूह है। गूगल की इस मुहिम के तहत आगमी लोकसभा चुनाव के दौरान फैक्ट चेकर्स और न्यूज पब्लिशर्स को फेक न्यूज डीपफेक और भ्रामक जानकारियों से बचने और उन्हें पहचानने में मदद मिलेगी।
डेटालीड्स मिसइन्फॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस पूरे भारत में शुरू की गई इस पहल की अगुआई तथ्यों की जांच करने वाले अन्य समूहों की मदद से करेगा। इस पहल को गूगल न्यूज इनिशिएटिव (GNI) का भी समर्थन प्राप्त होगा। इस मुहिम में जागरण समूह की फैक्ट चेक इकाई 'विश्वास न्यूज', 'द क्विंट', 'बूम', 'फैक्टली' और 'न्यूजचेकर' जैसे प्रमुख संस्थान शामिल हैं।
एक मार्च से शुरू हुई यह परियोजना लोकसभा चुनाव 2024 के समापन तक जारी रहेगी। इस पहल के तहत स्वतंत्र फैक्ट चेकिंग और भारतीय भाषा प्रकाशकों को साथ लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि उन्हें चुनाव से संबंधित वायरल गलत सूचना और डीपफेक पर फैक्ट चेक, रिसर्च, अलर्ट साझा करने के लिए एक सहयोगी मंच मिल सके। इससे समाचार प्रकाशकों के समय और संसाधन की बचत होगी।
इस साझेदारी के तहत फैक्ट चेक रिपोर्ट्स का एक डाटाबेस भी तैयार किया जाएगा। इस परियोजना के तहत समाचार संगठनों और फैक्ट चेकर्स को एडवांस्ड फैक्ट चेक ट्रेनिंग, डीपफेक की पहचान और फैक्ट चेक एक्सप्लोरर सहित गूगल के नए टूल्स के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। इनकी मदद से वेरिफिकेशन की प्रक्रिया आसान और सरल बनाई जा सकेगी।
इस नई व्यवस्था पर गूगल ने कहा, ‘एक मार्च से शुरू होकर भारत में आम चुनाव समाप्त होने तक यह पहल स्वतंत्र फैक्ट चेकर एवं भारतीय भाषाओं में सामग्री प्रकाशित करने वाले लोगों एवं समूहों को एक दूसरे से जोड़ेगी। इससे उन्हें चुनाव से जुड़े तथ्यों की जांच और सही जानकारी साझा करने के लिए एक मंच मिल जाएगा। इससे डीपफेक, भ्रामक खबरों की जांच और इन पर अंकुश लगाने में समय बचाने में मदद मिलेगी।'
गूगल ने कहा कि वीडियो सहित विभिन्न भारतीय भाषाओं एवं प्रारूपों में तथ्यों की जांच के बाद प्रामाणिक जानकारियां साझेदार समाचार प्रकाशकों के साथ साझा करने में मदद मिलेगी।
प्रोजेक्ट शक्ति की शुरुआत के अवसर पर मिसइन्फार्मेशन कॉम्बैट अलायंस (एमसीए) के अध्यक्ष एवं जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता ने कहा, '
जा रहा है। चुनाव नजदीक है और इस जटिल परिदृश्य के बीच हमारा उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सुरक्षा के लिए एक मजबूत फैक्ट चेक ईकोसिस्टम के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है। हम इस महत्वपूर्ण पहल के लिए हम गूगल न्यूज इनीशिएटिव के साथ साझेदारी को लेकर उत्साहित हैं।”
मिसइन्फॉर्मेशन कॉम्बैट अलायंस (एमसीए) के प्रेसिडेंट और जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता ने कहा, 'ऐसे समय में जहां डिजिटल इन्फॉर्मेशन का प्रसार अविश्वसनीय गति से हो रहा है, वैसे में विश्वसनीय और भरोसेमंद जानकारी के साथ लोगों को सशक्त बनाने की आवश्यकता बेहद अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। एमसीए के साथ गूगल न्यूज इनीशिएटिव और डेटा लीड्स की यह रणनीतिक साझेदारी अलग-अलग पाठक समूहों को जमीनी स्तर पर विश्वसनीय और फैक्ट चेक की गई सूचना के साथ उनकी मदद करेगा, ताकि वे चुनावों के दौरान और उसके बाद सूचित विकल्पों का चयन कर सकें। एमसीए के फैक्ट चेकिंग सदस्यों का लक्ष्य लोकतंत्र के लिए उभरते खतरों के खिलाफ सशक्त पत्रकारिता और जरूरी तकनीक का संयुक्त तौर पर इस्तेमाल करते हुए दुष्प्रचार करने वाली ताकतों को कमजोर करना है।'
डेटालीड्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी सैयद नज़ाकत ने कहा, 'भारत जैसे बड़े देश में विभिन्न प्रकार की खबरों का रोज अंबार लगता है और अब चुनाव नजदीक होने से लोगों तक प्रामाणिक जानकारियां पहुंचाना आवश्यक हो गया है। देश में खबरों एवं जानकारियों की प्रामाणिकता की जांच के लिए कलेक्टिव एक मजबूत पहल है।'
वैसे बता दें कि भारत सहित दुनियाभर में फैक्ट-चेक यूनिट्स को मजबूत करने के लिए गूगल और यूट्यूब ने 1.32 करोड़ अमेरिकी डॉलर का ग्लोबल फैक्ट चेक फंड लॉन्च किया है।
भारत के स्मार्टफोन निर्यात में जबरदस्त बढ़त दर्ज हुई है। अक्टूबर 2025 में अमेरिका को स्मार्टफोन निर्यात तीन गुना बढ़कर 1.47 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
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Samachar4media Bureau
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत से अमेरिका को स्मार्टफोन निर्यात में अक्टूबर 2025 में शानदार उछाल देखने को मिला। पिछले वर्ष अक्टूबर में यह आंकड़ा 0.46 अरब डॉलर था, जो अब बढ़कर 1.47 अरब डॉलर हो गया है यानी तीन गुना से अधिक वृद्धि हुई है।
वित्त वर्ष 2025-26 के अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में भारत ने अमेरिका को 10.78 अरब डॉलर के स्मार्टफोन निर्यात किए, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 3.60 अरब डॉलर थे। हालांकि जून से सितंबर के बीच निर्यात में गिरावट देखी गई थी, लेकिन अक्टूबर में इसमें सुधार हुआ है।
महीनेवार आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल में 1.65 अरब डॉलर, मई में 2.29 अरब डॉलर, जून में 1.99 अरब डॉलर, जुलाई में 1.52 अरब डॉलर, अगस्त में 0.96 अरब डॉलर और सितंबर में 0.88 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।
एक अधिकारी के अनुसार, टैरिफ संबंधी अनिश्चितताओं और वैश्विक मांग में उतार-चढ़ाव के बावजूद यह वृद्धि भारत की रणनीतिक उत्पादन क्षमता, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना, और मजबूत सप्लाई चेन नेटवर्क की सफलता को दर्शाती है।
भारत के वैश्विक स्मार्टफोन निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच यह 10.68 अरब डॉलर से बढ़कर 15.95 अरब डॉलर तक पहुंच गया, यानी 49.35% की वृद्धि देखने को मिली। यह रुझान इस बात का संकेत है कि भारत वैश्विक स्मार्टफोन विनिर्माण हब के रूप में अपनी स्थिति को लगातार मजबूत कर रहा है।
केंद्र सरकार के उस निर्देश पर विवाद गहराता जा रहा है, जिसमें नए स्मार्टफोन में ‘संचार साथी’ एप पहले से इंस्टॉल करने को कहा गया था। एपल ने इस आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया है।
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केंद्र सरकार द्वारा सभी नए स्मार्टफोन में ‘संचार साथी’ एप को पहले से इंस्टॉल करने के निर्देश दिए जाने के बाद देश में इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है। शुरुआत में यह कहा गया था कि एपल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो और शाओमी जैसी कंपनियों को 90 दिनों के भीतर इसे लागू करना होगा, और यह एप यूजर्स द्वारा हटाया या बंद नहीं किया जा सकेगा।
इसी आदेश के बाद सबसे पहले एपल ने इस निर्देश को मानने से इनकार कर दिया, जिसके चलते मामला और अधिक संवेदनशील हो गया। सूत्रों के अनुसार, एपल का कहना है कि वह अपने मोबाइल फोन में किसी भी सरकारी या बाहरी एप को पहले से इंस्टॉल करने की नीति का पालन नहीं करती।
कंपनी का तर्क है कि उसके मोबाइल सिस्टम में केवल अधिकृत स्टोर के माध्यम से ही एप डाउनलोड किए जा सकते हैं। पहले भी एपल देश में इसी तरह के सरकारी एप को लेकर आपत्ति जता चुकी है। इधर विपक्षी दलों ने सरकार के इस कदम को नागरिकों की निजता पर हमला बताया है।
कांग्रेस समेत कई दलों का कहना है कि किसी भी मोबाइल में जबरन एप डलवाना निगरानी बढ़ाने का रास्ता खोलता है और आम नागरिक की निजी जानकारी के दुरुपयोग की आशंका पैदा करता है। विवाद बढ़ने के बाद केंद्रीय संचार मंत्री ने बयान जारी कर कहा कि संचार साथी एप किसी पर थोपा नहीं जाएगा। उन्होंने साफ किया कि यह एप अनिवार्य नहीं है और उपयोगकर्ता चाहें तो इसे हटा सकते हैं।
Meta ने भारत के लिए बड़ा अपडेट जारी किया है। अब Instagram, Facebook और Edits ऐप पर बंगाली, मराठी, तेलुगु, तमिल और कन्नड़ समेत कई भारतीय भाषाओं का सपोर्ट जोड़ा गया है।
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सोशल मीडिया दिग्गज Meta Platforms ने भारत में अपने यूज़र्स और क्रिएटर्स के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कंपनी ने शुक्रवार को मुंबई में आयोजित House of Instagram इवेंट में घोषणा की कि अब Instagram, Facebook और Edits ऐप में नई भारतीय भाषाओं का सपोर्ट जोड़ा जा रहा है।
Meta AI Translations अब बंगाली, मराठी, तेलुगु, तमिल और कन्नड़ भाषाओं में उपलब्ध होगा। इस अपडेट के बाद क्रिएटर्स अपने Reels को इन भाषाओं में डब और लिप-सिंक फीचर की मदद से ट्रांसलेट कर सकेंगे। इससे उनके कंटेंट की पहुंच और भी व्यापक हो जाएगी।
कंपनी के अनुसार, यह Meta AI-पावर्ड डबिंग टूल क्रिएटर की आवाज़ के टोन और नैचुरल साउंड को बनाए रखता है, ताकि अनुवादित वीडियो भी असली जैसा लगे। वहीं, लिप-सिंक फीचर ऑडियो को स्पीकर के होंठों की मूवमेंट के साथ सटीक तरीके से सिंक करता है, जिससे यह लगे कि क्रिएटर वास्तव में उसी भाषा में बोल रहा है।
यह सुविधा पहले से ही अंग्रेजी, हिंदी, स्पेनिश और पुर्तगाली में उपलब्ध थी, और अब इसका विस्तार भारतीय भाषाओं तक कर दिया गया है। इसके साथ ही, Instagram के Edits ऐप को भी भारतीय टच दिया गया है। अब इसमें नई भारतीय फोंट्स जोड़े जा रहे हैं।
यह ऐप एक ऑन-द-गो वीडियो एडिटिंग सॉल्यूशन है, जिसमें कीफ्रेमिंग, ऑटोमैटिक कैप्शन, हाई-क्वालिटी वीडियो कैप्चर और कैमरा सेटिंग्स जैसे एडवांस टूल्स शामिल हैं। Meta का कहना है कि यह अपडेट भारतीय क्रिएटर्स को अपने दर्शकों के और करीब लाने और स्थानीय भाषाओं में वैश्विक स्तर पर कंटेंट पहुंचाने में मदद करेगा।
Google ने अपने एआई मॉडल Gemini 3 Pro के ‘Thinking Mode’ के लिए नए रेट लिमिट्स लागू किए हैं। कंपनी ने स्पष्ट नहीं किया कि लिमिट्स बढ़ाए गए हैं या घटाए, लेकिन बताया कि ये 'बार-बार अपडेट' किए जाएंगे।
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टेक दिग्गज Google ने अपने एडवांस्ड एआई मॉडल Gemini 3 Pro के ‘Thinking Mode’ में बदलाव किए हैं, जिससे अब Free यूज़र्स को सीमित एक्सेस मिलेगी। कंपनी की सपोर्ट पेज पर अपडेट किया गया है कि 'बेसिक एक्सेस डेली लिमिट्स बार-बार बदल सकती हैं।' हालांकि, गूगल ने यह नहीं बताया कि लिमिट्स घटाई गई हैं या बढ़ाई जाएंगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इन बदलावों का कारण एआई सेवाओं की बढ़ती मांग है। पहले Gemini 2.5 Pro के लिए यूज़र्स को 5 प्रॉम्प्ट्स प्रतिदिन की अनुमति थी, और ऐसा माना जा रहा है कि नई लिमिट्स इससे कम हो सकती हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह लिमिट्स प्रॉम्प्ट की संख्या पर नहीं, बल्कि टोकन-बेस्ड सिस्टम पर आधारित हैं।
टोकन सिस्टम का मतलब है कि एआई मॉडल शब्दों और वाक्यों को टुकड़ों में प्रोसेस करता है। जितना जटिल सवाल होगा, उतने ज्यादा टोकन खर्च होंगे। उदाहरण के लिए, एक यूज़र 10 साधारण प्रश्न पूछ सकता है, लेकिन जटिल सवालों की स्थिति में वही यूज़र सिर्फ़ 5-6 क्वेरी ही कर पाएगा।
इसी के साथ, गूगल ने अपने NotebookLM प्लेटफ़ॉर्म पर भी बदलाव किए हैं। कंपनी ने घोषणा की है कि 'Infographics' और 'Slide Decks' जैसी सुविधाएँ फ्री यूज़र्स के लिए अस्थायी रूप से बंद की जा रही हैं। वहीं, Google AI Pro प्लान वाले यूज़र्स के लिए भी कुछ एक्सेस लिमिट्स लागू की गई हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज, ब्रुकफील्ड और डिजिटल रियल्टी ट्रस्ट की संयुक्त कंपनी 2030 तक 11 अरब डॉलर का निवेश कर विशाखापट्टनम में 1 गीगावॉट का एआई डेटा सेंटर कैंपस बनाएगी।
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भारत के तकनीकी क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए Digital Connexion जो मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज, Brookfield Asset Management और Digital Realty Trust की संयुक्त पहल है ने बुधवार को घोषणा की कि वह 2030 तक 11 अरब डॉलर का निवेश करेगी।
इस निवेश से आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में 400 एकड़ में फैला 1 गीगावॉट का एआई-नेटिव डेटा सेंटर कैंपस तैयार किया जाएगा। कंपनी ने बताया कि इस परियोजना के लिए आंध्र प्रदेश आर्थिक विकास बोर्ड (APEDB) के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
यह कदम उस वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है, जहाँ सरकारें और टेक कंपनियाँ एआई इंफ्रास्ट्रक्चर को तेज़ी से विस्तार दे रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि Alphabet Inc. (Google) ने हाल ही में विशाखापट्टनम में ही 15 अरब डॉलर के निवेश से एआई सेंटर स्थापित करने की घोषणा की थी।
अब Digital Connexion के इस निवेश से यह क्षेत्र भारत का अगला बड़ा टेक हब बनता दिख रहा है। रिलायंस समर्थित यह संयुक्त उद्यम उन अंतरराष्ट्रीय टेक दिग्गजों की सूची में शामिल हो गया है जो भारत में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं।
Amazon पहले ही 2030 तक भारत में 12.7 अरब डॉलर क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करने की घोषणा कर चुका है, जबकि OpenAI भी 1 गीगावॉट क्षमता वाला डेटा सेंटर स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है। इसी बीच, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने भी अपने एआई-आधारित डेटा सेंटर्स को विस्तार देने के लिए TPG Inc. से 1 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त किया है।
CBRE Group Inc. के अनुमानों के अनुसार, भारत में डेटा सेंटर निवेश 2027 तक 100 अरब डॉलर के पार पहुंच जाएगा और इस नई पहल से भारत एआई युग की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में एक निर्णायक भूमिका निभाने जा रहा है।
माइक्रोसॉफ्ट ने अपने Edge ब्राउजर में Copilot AI Shopping फीचर्स लॉन्च किए हैं, जिससे यूज़र्स अब किसी प्रोडक्ट का कम दाम, कैशबैक या ऑफर तुरंत जान सकेंगे।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में अब Microsoft ने भी शॉपिंग सेगमेंट में बड़ा कदम रखा है। कंपनी ने अपने Edge ब्राउज़र के लिए Copilot AI Shopping फीचर्स पेश किए हैं, जो यूज़र्स को स्मार्ट शॉपिंग का अनुभव देंगे। इस नई सुविधा के साथ अब यूज़र्स न केवल किसी प्रोडक्ट की कीमत की तुलना कर सकेंगे, बल्कि यह भी जान पाएंगे कि कहीं वही सामान किसी दूसरे प्लेटफॉर्म पर कम दाम या कैशबैक ऑफर में तो नहीं मिल रहा।
माइक्रोसॉफ्ट एज के जनरल मैनेजर रोजर कैप्रिओटी ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया कि इस अपडेट के बाद यूज़र्स को Copilot में अब Price Comparison, Cashback, Price History, Product Insights, और Price Tracking जैसे टूल्स एक ही जगह पर मिलेंगे। फिलहाल यह फीचर सिर्फ अमेरिका में उपलब्ध है, जबकि Google और Perplexity के एआई शॉपिंग टूल्स भी इसी क्षेत्र तक सीमित हैं।
इस फीचर का इस्तेमाल करने के लिए यूज़र को किसी समर्थित ई-कॉमर्स साइट पर जाकर Copilot आइकन पर क्लिक करना होगा। इसके बाद वे अपनी ज़रूरत के मुताबिक प्रोडक्ट की तुलना, मूल्य इतिहास या अलर्ट सेट कर सकते हैं। खास बात यह है कि Copilot अब यूज़र के ब्राउज़िंग व्यवहार को भी पहचानता है।
अगर किसी यूज़र के पास कई टैब खुले हैं और वह किसी साइट पर खरीदारी कर रहा है, तो Copilot उसे दूसरे रिटेलर पर उपलब्ध कम कीमत या कैशबैक ऑफर की जानकारी खुद दे देगा। माइक्रोसॉफ्ट का यह कदम बताता है कि कंपनी अब AI-Driven Commerce की दिशा में तेज़ी से बढ़ रही है।
Google अपने एआई चैटबॉट Gemini और एआई-पावर्ड लर्निंग प्लेटफॉर्म NotebookLM को एकीकृत करने की तैयारी में है। नई सुविधा से उपयोगकर्ता दोनों प्लेटफॉर्म्स के बीच डेटा ट्रांसफर कर सकेंगे।
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टेक दिग्गज Google अब अपने दो प्रमुख एआई प्लेटफॉर्म Gemini और NotebookLM को आपस में जोड़ने की दिशा में काम कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी Gemini ऐप में एक NotebookLM बटन जोड़ने की योजना बना रही है, जिससे उपयोगकर्ता सीधे अपने नोटबुक्स को अटैचमेंट के रूप में इम्पोर्ट कर सकेंगे।
इस फीचर की मदद से उपयोगकर्ता Gemini की एडवांस एआई क्षमताओं का इस्तेमाल करके अपने नोट्स को और अधिक सटीक और पेशेवर बना सकेंगे। जानकारी के मुताबिक, यह फीचर वर्तमान में डेवलपमेंट स्टेज में है और अभी बीटा टेस्टर्स के लिए भी उपलब्ध नहीं है। इससे उपयोगकर्ता Gemini चैटबॉट की बातचीत को सीधे NotebookLM में ट्रांसफर कर पाएंगे, बिना कॉपी-पेस्ट की झंझट के।
इसके अलावा, NotebookLM से भी किसी नोटबुक को Gemini में इम्पोर्ट करने का विकल्प मिलेगा। इस इंटीग्रेशन से उपयोगकर्ता Canvas, Nano Banana Pro, Veo 3 और अन्य एआई टूल्स का उपयोग करके अपने प्रोजेक्ट्स को और उन्नत बना सकेंगे। हालांकि, गूगल ने इस फीचर की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की है।
यह भी संभव है कि कंपनी परीक्षण के बाद इसमें बदलाव करे या इसे रद्द कर दे। हाल ही में, Google ने NotebookLM में कई नए अपडेट दिए हैं, जिनमें Veo 3 Fast Video Overviews, Audio Narration और Deep Research Tool शामिल हैं।
OpenAI ने अपने एआई चैटबॉट ChatGPT में नया ग्रुप चैट फीचर लॉन्च कर दिया है। अब दुनिया भर के यूज़र्स एक साथ बातचीत कर सकेंगे और एआई की मदद से रियल-टाइम सहयोग कर पाएंगे।
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OpenAI ने गुरुवार को घोषणा की कि अब ChatGPT Group Chat फीचर को वैश्विक स्तर पर रोलआउट किया जा रहा है। यह फीचर पहले सिर्फ जापान, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण कोरिया और ताइवान में उपलब्ध था, लेकिन अब इसे दुनिया भर के यूज़र्स के लिए जारी कर दिया गया है। नई सुविधा के ज़रिए यूज़र्स अब मल्टी-यूज़र चैट ग्रुप बना सकते हैं, जहाँ वे आपस में बात कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर ChatGPT की मदद भी ले सकते हैं।
कंपनी ने बताया कि इसका पायलट सफल रहा और अब यह फीचर ChatGPT Free, Go, Plus और Pro प्लान्स के सभी लॉग-इन यूज़र्स के लिए उपलब्ध है। यूज़र्स इंटरफ़ेस के ऊपर दाईं ओर बने ग्रुप आइकन पर क्लिक करके नया ग्रुप बना सकते हैं।
ग्रुप बनने के बाद ChatGPT अपने आप एक यूनिक URL जनरेट करता है, जिसे अन्य लोगों के साथ शेयर कर आमंत्रण भेजा जा सकता है। ग्रुप में शामिल होने के बाद प्रतिभागी एक-दूसरे से चैट कर सकते हैं या @ChatGPT टैग करके बॉट से जवाब मांग सकते हैं। एआई खुद संदर्भ समझकर बातचीत में हिस्सा भी लेता है।
इसके अलावा यूज़र्स मैसेज पर रिएक्ट, रिप्लाई या म्यूट नोटिफिकेशन जैसी सुविधाओं का भी लाभ उठा सकते हैं। यूज़र्स चाहें तो पुरानी चैट से भी ग्रुप बना सकते हैं, जिसमें ChatGPT उस बातचीत की कॉपी बनाकर उसे ग्रुप चैट में बदल देता है। साथ ही, ग्रुप क्रिएटर को सदस्यों को जोड़ने या हटाने का अधिकार मिलता है, जबकि अन्य यूज़र्स चैट का नाम बदल सकते हैं या अपनी सुविधा अनुसार नोटिफिकेशन सेट कर सकते हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने IISF 2025 से पहले ‘Nationwide Innovation Challenge’ की शुरुआत की। यह प्रतियोगिता छात्रों, स्टार्टअप्स और नवाचारकों को आमंत्रित करती है।
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भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF 2025) से पहले, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘Nationwide Innovation Challenge’ की घोषणा की है। यह प्रतियोगिता पूरे देश के छात्रों, स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं, किसानों और आम नागरिकों के लिए खुली है, जिसमें भागीदारों को अपने नवाचार प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा।
डॉ. सिंह ने अपने वीडियो संदेश में कहा, 'भारत ने विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में ऐतिहासिक छलांग लगाई है। आज हमारे पास 6,000 से अधिक DeepTech स्टार्टअप्स हैं, बायोइकोनॉमी 14 गुना बढ़ी है, और क्वांटम मिशन जैसी पहलें नई तकनीकी क्रांति ला रही हैं।
अब अगला बड़ा नवाचार आपसे आ सकता है।' इस चुनौती के अंतर्गत प्रतिभागी AI, Quantum, Space, Biotechnology, Climate Tech, Healthcare, Agriculture, Education या किसी भी उभरते क्षेत्र में ऐसे नवाचार प्रस्तुत कर सकते हैं जो कम से कम 1,000 लोगों के जीवन में सुधार ला सके।
विचार, प्रोटोटाइप या पायलट प्रोजेक्ट भी स्वीकार किए जाएंगे, यदि उनमें स्पष्टता और स्केलेबिलिटी का दृष्टिकोण हो। सर्वश्रेष्ठ विचारों को IISF 2025 में सम्मानित किया जाएगा और उन्हें DST, DBT, CSIR और BIRAC जैसी प्रमुख संस्थाओं से सहयोग मिलेगा। मंत्री ने कहा कि वे स्वयं शीर्ष नवाचारों को मार्गदर्शन और प्रोत्साहन देंगे।
To all innovators, specially Gen Z: India is listening.
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) November 19, 2025
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एलन मस्क की एआई कंपनी xAI ने अपना नया एआई मॉडल Grok 4.1 लॉन्च किया है। यह मॉडल पहले से ज्यादा समझदार, भावनात्मक रूप से संवेदनशील और रचनात्मक जवाब देने में सक्षम है।
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एलन मस्क की कंपनी xAI ने अपने नवीनतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल Grok 4.1 को जारी कर दिया है। यह मॉडल Grok 4 का उन्नत संस्करण है, जो जुलाई में लॉन्च हुआ था। कंपनी का दावा है कि नए वर्जन में बेहतर इमोशनल इंटेलिजेंस, उन्नत क्रिएटिव राइटिंग, और कम हल्यूसिनेशन (गलत जानकारी) की क्षमता है।
xAI के अनुसार, Grok 4.1 ने अपने आंतरिक टेस्ट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है, और कुछ मानकों पर यह Google Gemini 2.5 Pro और Claude 4.5 Sonnet जैसे मॉडलों से आगे निकला है। दिलचस्प बात यह है कि Grok 4.1 को 1 से 14 नवंबर के बीच “साइलेंट” रूप से रिलीज़ किया गया था, जहाँ उपयोगकर्ताओं को बिना बताए नए मॉडल के जवाब दिखाए गए।
65% उपयोगकर्ताओं ने इसके उत्तरों को पुराने मॉडल से बेहतर पाया। नया मॉडल अब Grok.com, X (पूर्व में Twitter), और इसके Android और iOS ऐप्स पर सभी के लिए उपलब्ध है। कंपनी के मुताबिक, Grok 4.1 ने EQ-Bench टेस्ट में 1585 का स्कोर किया, जो इसे GPT-5 और अन्य प्रमुख एआई मॉडलों से आगे रखता है।
यह अब उपयोगकर्ता के सवालों के भावनात्मक पहलुओं को भी समझकर जवाब देता है। इसके अलावा, रचनात्मक लेखन में भी इसने 1708.6 का स्कोर किया है, जिससे यह सोशल मीडिया पोस्ट, कहानियों और क्रिएटिव कंटेंट लिखने में और बेहतर साबित हुआ है।