भारत का डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) इकोसिस्टम, जो इस वक्त लगभग 30 अरब डॉलर के स्तर पर है और Bain & Company के मुताबिक 2027 तक 60 अरब डॉलर को पार कर सकता है
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शांतनु डेविड, स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारत का डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) इकोसिस्टम, जो इस वक्त लगभग 30 अरब डॉलर के स्तर पर है और Bain & Company के मुताबिक 2027 तक 60 अरब डॉलर को पार कर सकता है, एक बेमिसाल रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। लेकिन जैसा कि Shark Tank में हर फाउंडर बार-बार दोहराता है- स्केल सिर्फ लॉजिस्टिक्स और फंडिंग का खेल नहीं है, असली स्केल उपभोक्ता से संबंध बनाने में है। यही वह जगह है जहां एजेंटिक एआई ब्रैंड प्रेम, हाइपर-पर्सनलाइजेशन और संचालन की सादगी के नए रणक्षेत्र के रूप में उभर रहा है।
जब Bessemer भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर से ऊपर जाने की भविष्यवाणी कर रहा है, तब देश के D2C ब्रैंड एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं, जहां वे विकास के पारंपरिक पड़ावों को लांघ कर सीधे उस भविष्य में छलांग लगा सकते हैं जहां AI से संचालित एजेंट उपभोक्ताओं से उसी गर्मजोशी और समझदारी से बात कर सकें जैसे आपकी मोहल्ले की किराना दुकान का पुराना सेल्समैन करता था।
जहां OpenAI और Google जैसे वैश्विक दिग्गज सुर्खियों में छाए रहते हैं, वहीं भारत अपनी घरेलू एआई तकनीकों का एक मजबूत जखीरा तैयार कर रहा है। Ola का Krutrim प्लेटफॉर्म, जो हाल ही में लॉन्च किए गए बहुभाषी एआई एजेंट ‘कृति’ को शक्ति देता है, इसका एक उदाहरण है। Jio का Haptik पहले ही टेलीकॉम और बैंकिंग सेक्टर में ग्राहक बातचीत को स्वचालित कर रहा है।
House of Hiranandani के CMO प्रशिन झोबालिया इसे तकनीकी बदलाव नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्लेखन मानते हैं। वह कहते हैं, “भारतीय ब्रैंड्स ने महामारी के बाद के वर्षों में गहरा परिवर्तन देखा है, जिनमें सबसे अहम है मार्केटिंग और कस्टमर एक्सपीरियंस में एजेंटिक एआई का बढ़ता उपयोग। यह बदलाव हर क्षेत्र में डिजिटल विकास की नई लहर का संकेत है।”
रियल एस्टेट जैसे सेक्टर में, जो डिजिटल अपनाने के मामले में धीमा माना जाता है, अब भी उम्मीद की किरण है। झोबालिया बताते हैं कि House of Hiranandani में अब बॉट्स प्री-सेल्स में लगे हैं, जो 24/7 संवाद क्षमता देते हैं, जो कई फैमिली वॉट्सऐप ग्रुप्स से भी तेज हैं। हालांकि लेगेसी सिस्टम और बिखरे डेटा के चलते चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन AI से जुड़ी खरीदी प्रक्रिया को मानवीय स्पर्श के साथ जोड़ना इस सेक्टर को बदल सकता है।
D2C ब्रैंड्स के लिए यह बदलाव उतना आसान नहीं है। DataQuark, LS Digital के CEO विनय तांबोली बताते हैं कि “भारत में करीब 80% कंपनियां एजेंटिक एआई के विकास की संभावनाएं तलाश रही हैं, लेकिन इसे अपनाने की प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में ही है।”
तांबोली कहते हैं कि ज्यादातर D2C ब्रैंड अब भी सर्वाइवल मोड में हैं- रेवन्यू ग्रोथ, यूनिट इकोनॉमिक्स और रिपीट परचेज के बीच संतुलन बनाना ही प्राथमिकता है। एआई के प्रयोग अब तक मुख्यतः परफॉर्मेंस मार्केटिंग और कस्टमर सपोर्ट (जैसे चैटबॉट्स और GPT-आधारित सिफारिशें) तक सीमित हैं।
हालांकि कुछ ब्रैंड इससे आगे निकल चुके हैं। Cult.fit ने AI का इस्तेमाल पर्सनलाइज्ड वर्कआउट प्लान, न्यूट्रिशन एडवाइस और रिटेंशन नजेज के रूप में किया है, जिससे उनकी ऐप एक ऐसे पर्सनल ट्रेनर में बदल गई है जिसे छुट्टी की जरूरत नहीं। Plum जैसे स्किनकेयर ब्रैंड ने भी AI के जरिए स्किन टाइप और समस्याओं के अनुसार सिफारिशें देने वाले समाधान शुरू किए हैं, जो तकनीक को सिर्फ स्केल के लिए नहीं, बल्कि ग्राहक आनंद के लिए इस्तेमाल करते हैं।
तांबोली का मानना है कि एजेंटिक एआई को मुख्यधारा में आने में 12 से 24 महीने लग सकते हैं। लेकिन एक बड़ी समस्या है- डेटा का विखंडन। D2C ब्रैंड अलग-अलग मार्केटप्लेस, अपनी वेबसाइटों और ऑफलाइन रिटेल में मौजूद हैं, जिससे ग्राहक संकेतों की एक उलझी हुई तस्वीर बनती है।
फिर भी, सोच में बड़ा बदलाव दिख रहा है। वे कहते हैं, “अब फाउंडर्स, मार्केटर्स और मिड-साइज टीमें AI को एक सपोर्ट टूल नहीं, बल्कि बिजनेस का मूल हिस्सा मानने लगी हैं।”
Plus91Labs के पार्टनर तुषार धवन का मानना है कि अब डैशबोर्ड्स को सिर्फ डेटा दिखाने की जगह बुद्धिमान निर्णय प्रणाली के रूप में काम करना होगा। “आज के समय में पारंपरिक CRM पर्याप्त नहीं है। भविष्य उन कंपनियों का है जो AI को डिजिटल को-पायलट की तरह अपनाती हैं- हर ग्राहक स्पर्शबिंदु पर। यह तेज निर्णय, गहरा जुड़ाव और स्थायी ग्रोथ लाने में सहायक होगा।”
Aranca में ग्रोथ एडवाइजरी मैनेजर प्रियांका कुलकर्णी बताती हैं कि भारतीय उपभोक्ता AI-पर्सनलाइजेशन को लेकर दुनिया भर में सबसे ज्यादा खुले विचारों वाले हैं। “भारतीय ग्राहक बेहतर खरीद निर्णय, कस्टम ऑफ़र और व्यक्तिगत सलाह के लिए AI पर भरोसा करते हैं और इसमें वे वैश्विक औसत से आगे हैं।”
वह बताती हैं कि एंबिएंट कॉमर्स का दौर आ गया है। AI अब उपभोक्ताओं से “उस पल” में जुड़ने में सक्षम है। यह always-on जुड़ाव न केवल नई खरीद खिड़कियां खोलता है, बल्कि इंस्टेंट कन्वर्जन भी बढ़ाता है।
इसके साथ ही जनरेटिव AI की मदद से ब्रैंड क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट, AR ट्राय-ऑन और वर्नाक्युलर चैटबॉट्स के जरिए टीयर-2 और 3 शहरों तक पहुंच बना रहे हैं। वॉयस कॉमर्स भारतीय भाषाओं में डिजिटल अर्थव्यवस्था का दायरा बढ़ा रही है।
Saka Organics की फाउंडर सीथला करिपिनेनी छोटे, क्राफ्ट-आधारित ब्रैंड्स का प्रतिनिधित्व करती हैं और एक सधी हुई दृष्टि रखती हैं। “अभी AI को अपनाना शुरुआती चरण में ही है, लेकिन डिजिटल-फर्स्ट ब्रैंड्स जो ऑटोमेशन से परिचित हैं, वे तेजी से प्रयोग कर रहे हैं।”
उनके लिए एजेंटिक AI का सबसे बड़ा आकर्षण है बैकएंड एफिशिएंसी- कंटेंट जनरेशन, कस्टमर सपोर्ट, और A/B टेस्टिंग को ऑटोमेट करना। लेकिन सबसे बड़ी बाधा है भारत की विविधता। “यह सिर्फ बड़ा बाजार नहीं है, बल्कि भाषाओं, संस्कृतियों, त्वचा के प्रकार, बालों की बनावट और खरीद आदतों की भूलभुलैया है। यहां पर्सनलाइजेशन सतही नहीं हो सकता।”
उनका डर है कि AI की चकाचौंध कहीं ब्रैंड की आत्मा को खो न दे और अंत में अनुभव बेजान न लगे। फिर भी वे मानती हैं कि इसका स्केल अपार संभावनाएं रखता है- छोटी टीमों को बड़े ब्रैंड जैसे अनुभव देने में सक्षम बनाता है।
भारत में Yellow.ai, Gnani.ai, Uniphore, Rephrase.ai, Skit.ai और Lokal.ai जैसे स्टार्टअप्स ऐसे समाधान विकसित कर रहे हैं जो भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के लिए बने हैं- हाइपरलोकल एंगेजमेंट, हाइपरपर्सनल वीडियो, और वॉयस-आधारित ऑटोमेशन के जरिए।
White Rivers Media के क्रिएटिव कंट्रोलर विशाल प्रभु का मानना है कि ज्यादातर D2C ब्रैंड AI के साथ अभी शुरुआत ही कर रहे हैं। “कुछ ने प्रयोग शुरू कर दिया है, लेकिन व्यापक अपनाने में समय लगेगा।”
उनका इशारा फर्स्ट-पार्टी डेटा इकोसिस्टम की कमी की ओर है। वे कहते हैं, “अगर डेटा साफ़ और समृद्ध नहीं है, तो सबसे एडवांस AI भी सिर्फ एक महंगा खिलौना बनकर रह जाएगा।”
प्रभु के अनुसार, भविष्य का असली मूल्य तकनीकी नहीं बल्कि प्रामाणिकता में है- हर ग्राहक को VIP जैसा महसूस कराना, वो भी मानवीय गर्माहट बनाए रखते हुए।
घरेलू AI टूल्स का उभार यह संकेत देता है कि अब संवादात्मक एजेंट सिर्फ सवालों के जवाब नहीं देंगे। वे बेचेंगे, मदद करेंगे और ब्रैंड की पर्सनैलिटी तक को गढ़ेंगे। सरकार का प्रस्तावित Digital India Act यदि AI के प्रयोग और डेटा गोपनीयता को लेकर दिशानिर्देश लाता है, तो यह सिर्फ एक नवाचार की दौड़ नहीं बल्कि एक समग्र इकोसिस्टम ट्रांसफॉर्मेशन होगा।
भारत का D2C इकोसिस्टम अब एक ऐसे मोड़ पर है, जहां तकनीक, संस्कृति और उपभोक्ता व्यवहार मिलकर एक नई कहानी लिखने को तैयार हैं और एजेंटिक AI उसकी स्क्रिप्ट टाइप कर रहा है।
Google ने अपने Maps ऐप में बड़ा एआई अपग्रेड किया है। Gemini AI से ड्राइविंग के दौरान सवाल पूछ सकेंगे, ट्रैफिक रिपोर्ट कर पाएंगे और आस-पास के स्थानों की जानकारी रीयल-टाइम में प्राप्त करेंगे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
टेक दिग्गज Google ने अपने लोकप्रिय नेविगेशन ऐप Google Maps को और स्मार्ट बना दिया है। कंपनी ने अब इसमें Gemini AI को इंटीग्रेट किया है, जिससे उपयोगकर्ता ड्राइविंग के दौरान वॉयस कमांड के ज़रिए न केवल रास्ते की जानकारी ले सकेंगे, बल्कि रास्ते में आने वाले रेस्तरां, पेट्रोल पंप या पर्यटन स्थलों के बारे में भी सवाल पूछ पाएंगे।
Google के अनुसार, अब ड्राइवर Gemini से बातचीत के रूप में कई सवाल पूछ सकते हैं, जैसे, 'मेरे रास्ते में कोई सस्ता रेस्तरां है जहाँ वेगन ऑप्शन मिले?' या 'वहाँ पार्किंग की सुविधा कैसी है?' इसके अलावा, यूज़र्स अपने कैलेंडर में इवेंट जोड़ने या ट्रैफिक जाम की रिपोर्ट करने जैसे कार्य भी Gemini की मदद से कर पाएंगे।
कंपनी ने बताया कि Maps में अब Gemini को Street View डेटा के साथ जोड़ा गया है ताकि नेविगेशन निर्देश और सटीक बन सकें। अब ऐप यह नहीं कहेगा कि '500 फीट बाद दाएं मुड़ें,' बल्कि वह आस-पास के लैंडमार्क्स जैसे पेट्रोल पंप, कैफ़े या प्रसिद्ध इमारतों का नाम लेकर दिशा बताएगा।
Google का दावा है कि Gemini ने 250 मिलियन स्थानों की जानकारी को Street View छवियों के साथ क्रॉस-रेफरेंस किया है, जिससे यह फीचर और सटीक बन गया है। साथ ही, Google Lens को भी Maps में जोड़ा गया है। अब यूज़र कैमरा से किसी स्थान को स्कैन कर पूछ सकते हैं कि यह जगह क्या है और क्यों प्रसिद्ध है?
कंपनी ने कहा कि ये नए फीचर्स जल्द ही iOS और Android यूज़र्स के लिए जारी किए जाएंगे, जबकि Android Auto के लिए सपोर्ट आने वाले हफ्तों में जोड़ा जाएगा। फिलहाल ट्रैफिक अलर्ट्स और लैंडमार्क नेविगेशन फीचर्स सबसे पहले अमेरिका में रोलआउट होंगे।
ऑस्ट्रेलिया सरकार ने 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लागू करने का फैसला किया है। इस बैन में अब Reddit और Kick जैसे प्लेटफॉर्म भी जोड़े गए हैं।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया में पहली बार ऐसा कदम उठाया है, जिसके तहत 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा रहा है। यह नया कानून 10 दिसंबर 2025 से लागू होगा। इस बैन में अब Reddit और Kick जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म भी शामिल किए गए हैं, जिससे प्रतिबंधित साइटों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है।
इनमें Facebook, X (Twitter), Instagram, Snapchat, TikTok, YouTube और Threads भी शामिल हैं। सरकार के अनुसार, यदि कोई टेक कंपनी इस नियम का पालन नहीं करती, तो उसे 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग ₹270 करोड़) तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
कंपनियों को नाबालिग यूज़र्स के मौजूदा अकाउंट डिएक्टिवेट करने और नए अकाउंट रोकने के 'उचित कदम' उठाने होंगे। ऑस्ट्रेलिया की eSafety कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट ने कहा, बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखकर हम उन्हें ऐसे डिजिटल जाल से बचाना चाहते हैं, जिनके एल्गोरिदम और डिजाइन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह कदम डेटा प्राइवेसी और फेसियल रिकग्निशन जैसी तकनीकों के इस्तेमाल पर गंभीर सवाल उठाता है। कुछ मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह प्रतिबंध बच्चों को कम सुरक्षित और अनियंत्रित प्लेटफॉर्म की ओर धकेल सकता है।फिलहाल, Discord, WhatsApp, Roblox, Lego Play, YouTube Kids और Google Classroom जैसे प्लेटफॉर्म इस नियम से बाहर रहेंगे।
दोनों कंपनियों ने संयुक्त बयान में कहा कि यह साझेदारी 2027 तक जारी रहेगी और इसके तहत ओपनएआई को Amazon EC2 UltraServers और सैकड़ों हजारों NVIDIA GPUs तक पहुंच मिलेगी।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाते हुए OpenAI ने Amazon Web Services (AWS) के साथ 38 अरब डॉलर की बहुवर्षीय रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की है। इस समझौते के तहत OpenAI अपने AI मॉडल्स और एप्लिकेशंस, जैसे कि ChatGPT को AWS की क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पर चलाएगा और स्केल करेगा।
दोनों कंपनियों ने संयुक्त बयान में कहा कि यह साझेदारी 2027 तक जारी रहेगी और इसके तहत OpenAI को Amazon EC2 UltraServers और सैकड़ों हजारों NVIDIA GPUs तक पहुंच मिलेगी। OpenAI के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने कहा, फ्रंटियर एआई को स्केल करने के लिए विशाल और भरोसेमंद कंप्यूट की जरूरत होती है।
AWS के साथ यह साझेदारी हमें इस नए AI युग की नींव मजबूत करने में मदद करेगी। वहीं AWS के सीईओ मैट गार्मन ने कहा, OpenAI की बढ़ती एआई महत्वाकांक्षाओं के लिए AWS का बेस्ट-इन-क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर रीढ़ की हड्डी साबित होगा। यह समझौता उस समय आया है जब क्लाउड कंपनियों के बीच AI फर्म्स को होस्ट करने की वैश्विक दौड़ तेज हो चुकी है।
इस घोषणा के बाद Amazon के शेयरों में लगभग 5% की बढ़त दर्ज की गई, जिससे कंपनी का बाजार मूल्य करीब 140 अरब डॉलर बढ़ गया। ओपनएआई के कई मॉडल पहले से ही Amazon Bedrock पर उपलब्ध हैं, जहां Thomson Reuters, Peloton और Comscore जैसी कंपनियां उनका उपयोग कर रही हैं।
एडोबी और यूट्यूब ने ‘क्रिएट फॉर यूट्यूब शॉर्ट्स’ की घोषणा की है, जिसके तहत क्रिएटर्स अब एडोबी प्रीमियर मोबाइल ऐप से सीधे प्रोफेशनल वीडियो एडिटिंग कर सकेंगे और शॉर्ट्स पब्लिश कर पाएंगे।
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टेक्नोलॉजी और क्रिएटिविटी की दुनिया में एक बड़ा कदम उठाते हुए, एडोबी (Adobe) और यूट्यूब (YouTube) ने Adobe MAX 2025 इवेंट में एक नई साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी के तहत जल्द ही 'Create for YouTube Shorts' नामक एक समर्पित कंटेंट क्रिएशन स्पेस एडोबी प्रीमियर मोबाइल ऐप में जोड़ा जाएगा। इसका मकसद है ,दुनियाभर के क्रिएटर्स को प्रोफेशनल-ग्रेड एडिटिंग टूल्स तक आसान पहुंच देना।
एडोबी प्रीमियर मोबाइल के जरिए अब क्रिएटर्स को 'YouTube Shorts' के लिए तैयार किए गए एक्सक्लूसिव टेम्पलेट्स, ट्रांजिशन, इफेक्ट्स और टाइटल प्रीसेट्स मिलेंगे। यूजर्स 'Edit in Adobe Premiere' आइकन पर टैप करके सीधे यूट्यूब से एडिटिंग शुरू कर सकेंगे और एक क्लिक में शॉर्ट्स पब्लिश भी कर पाएंगे।
एडोबी के सीटीओ एली ग्रीनफील्ड ने कहा, हम यूट्यूब के साथ साझेदारी कर क्रिएटर्स को वो ताकत देना चाहते हैं, जिससे वे अपने कंटेंट को अगले स्तर पर ले जा सकें। वहीं यूट्यूब के वाइस प्रेसिडेंट स्कॉट सिल्वर ने कहा, हमारा उद्देश्य है क्रिएटर्स को वहीं टूल्स देना, जहां वे हैं, ताकि उनका स्टोरीटेलिंग अनुभव आसान और प्रभावी बने।
इस नई सुविधा के साथ क्रिएटर्स जनरेटिव साउंड इफेक्ट्स, Firefly AI टूल्स, और उन्नत ऑडियो-वीडियो एडिटिंग फीचर्स का भी उपयोग कर सकेंगे। एडोबी का कहना है कि यह फीचर जल्द ही ग्लोबली Premiere Mobile यूजर्स के लिए रोलआउट किया जाएगा।
रिलायंस जियो ने अपने यूज़र्स के लिए जबरदस्त ऑफर की घोषणा की है। कंपनी 18 महीने का Google AI Pro सब्सक्रिप्शन मुफ्त दे रही है, जिसकी कीमत ₹35,100 है।
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रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने अपने ग्राहकों के लिए एक बड़ा तोहफा दिया है। कंपनी ने घोषणा की है कि वह ₹35,100 मूल्य का Google AI Pro सब्सक्रिप्शन अपने यूज़र्स को पूरे 18 महीनों तक बिल्कुल मुफ्त देगी। यह ऑफर सबसे पहले 18 से 25 वर्ष की उम्र वाले यूज़र्स के लिए लागू होगा और बाद में देशभर के सभी योग्य यूज़र्स तक पहुंचाया जाएगा।
जियो के अनुसार, ₹349 या उससे अधिक के अनलिमिटेड 5G प्लान वाले सभी प्रीपेड और पोस्टपेड यूज़र्स इस ऑफर का लाभ उठा सकते हैं। यूज़र्स को MyJio ऐप में “Claim Now” बैनर पर क्लिक कर यह सब्सक्रिप्शन एक्टिवेट करना होगा। जो यूज़र अभी पात्र नहीं हैं, वे “Register Interest” विकल्प के ज़रिए इस ऑफर के लिए पंजीकरण कर सकते हैं।
Google AI Pro सब्सक्रिप्शन में Gemini 2.5 Pro मॉडल, Veo 3.1 वीडियो जनरेशन, NotebookLM एक्सेस और 2TB क्लाउड स्टोरेज (Google Photos, Gmail, Drive) जैसी प्रीमियम सुविधाएँ मिलती हैं।
यह घोषणा ऐसे समय आई है जब OpenAI ने हाल ही में भारतीय यूज़र्स को ChatGPT Go का एक साल का मुफ्त एक्सेस देने का ऐलान किया था। हालांकि, जियो का यह ऑफर फीचर्स और वैल्यू के लिहाज़ से कहीं ज़्यादा व्यापक माना जा रहा है।
OpenAI ने भारत के यूज़र्स के लिए बड़ी घोषणा की है। कंपनी 4 नवंबर से ChatGPT Go का एक साल का मुफ्त एक्सेस देगी। यह ऑफर DevDay Exchange इवेंट के मौके पर पेश किया गया है।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में अग्रणी कंपनी OpenAI ने भारत के यूज़र्स को खास तोहफा दिया है। कंपनी ने घोषणा की है कि 4 नवंबर 2025 से भारत में सभी यूज़र्स को ChatGPT Go का एक साल तक फ्री एक्सेस मिलेगा। यह ऑफर DevDay Exchange इवेंट के अवसर पर शुरू किया जा रहा है, जो पहली बार बेंगलुरु में आयोजित हो रहा है।
OpenAI के मुताबिक, जो भी यूज़र इस प्रमोशनल पीरियड के दौरान साइन अप करेगा, वह एक साल तक ChatGPT Go की सभी प्रीमियम सुविधाओं का लाभ ले सकेगा जिसमें हाई मैसेज लिमिट, इमेज जेनरेशन और फाइल अपलोड जैसी सुविधाएँ शामिल हैं।
कंपनी ने बताया कि अगस्त में लॉन्च हुए ChatGPT Go को भारत में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली थी। लॉन्च के पहले महीने में ही भारत में पेड सब्सक्राइबर्स दोगुने हो गए थे। OpenAI के वाइस प्रेसिडेंट निक टर्ली ने कहा कि 'भारत में यूज़र्स की रचनात्मकता और अपनाने की दर बेहद प्रेरणादायक रही है।
इसलिए, हम चाहते हैं कि और अधिक लोग आसानी से एआई की शक्ति का लाभ उठा सकें।' वर्तमान में ChatGPT Go दुनिया के 90 से अधिक देशों में सक्रिय है, और भारत अब OpenAI का दूसरा सबसे बड़ा मार्केट बन चुका है।
यह सम्मेलन इस बात पर जोर देता है कि भारत अब केवल एआई अपनाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक एआई नेतृत्व की दिशा में कदम बढ़ा चुका है।
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) अब वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार तय कर रही है, और भारत इस तकनीकी क्रांति की अगुवाई करने के लिए तैयार खड़ा है। इसी दृष्टि के साथ आज दोपहर एक बजे से ‘बिज़नेस टुडे एआई समिट’ का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश के प्रमुख नीति निर्माता, उद्योग जगत के दिग्गज और एआई विशेषज्ञ शामिल होंगे।
इस समिट का उद्देश्य आने वाले दशक के लिए भारत की एआई रणनीति तय करना है, ताकि देश तकनीकी नवाचार के जरिए नई ऊंचाइयों को छू सके। जैसे-जैसे एआई दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाओं, शासन प्रणाली और रोजमर्रा के जीवन को नया आकार दे रही है, भारत अपने विशाल जनसंख्या बल और डिजिटल ढांचे की मदद से लगभग 500 अरब डॉलर की आर्थिक संभावना को साकार करने की दिशा में बढ़ रहा है।
यह सम्मेलन इस बात पर जोर देता है कि भारत अब केवल एआई अपनाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक एआई नेतृत्व की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। सरकार द्वारा “इंडिया एआई मिशन” के तहत 10,300 करोड़ रुपये के निवेश के बाद यह क्षेत्र तेजी से गति पकड़ रहा है।
स्वास्थ्य, शिक्षा, विनिर्माण और वित्त जैसे क्षेत्रों में एआई का प्रभाव गहराई तक दिखने लगा है। यह समिट भारत की एआई यात्रा के अगले चरण की रूपरेखा तय करेगा जहां नवाचार, अवसर और तकनीक मिलकर राष्ट्र की प्रगति की नई कहानी लिखेंगे।
आयोग का कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट ने अपने Microsoft 365 सॉफ्टवेयर को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल ‘Copilot’ के साथ जोड़कर लाखों ग्राहकों को ज़्यादा महंगे प्लान खरीदने के लिए प्रेरित किया।
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ऑस्ट्रेलिया की प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता आयोग (ACCC) ने माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ मुकदमा दायर किया, जिसमें कंपनी पर लगभग 2.7 मिलियन ग्राहकों को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। आयोग के अनुसार, अक्टूबर 2024 से माइक्रोसॉफ्ट ने अपने Microsoft 365 पर्सनल और फैमिली प्लान में एआई टूल ‘Copilot’ को शामिल किया और कीमतों में भारी बढ़ोतरी कर दी।
रिपोर्ट के अनुसार, पर्सनल प्लान की वार्षिक कीमत 45% बढ़कर 159 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर हो गई, जबकि फैमिली प्लान 29% बढ़कर 179 डॉलर पहुंच गया। ACCC का कहना है कि माइक्रोसॉफ्ट ने यह स्पष्ट नहीं बताया कि बिना Copilot वाला सस्ता “क्लासिक” प्लान अब भी उपलब्ध था।
यह जानकारी केवल तब दिखाई देती थी जब ग्राहक अपनी सदस्यता रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करते थे। ACCC ने कहा कि यह कदम ऑस्ट्रेलियाई उपभोक्ता कानून का उल्लंघन है क्योंकि इससे उपभोक्ताओं को झूठी छवि दी गई कि उनके पास कोई सस्ता विकल्प नहीं है।
आयोग ने कंपनी से जुर्माना, मुआवज़ा और अदालत के खर्चों की मांग की है। माइक्रोसॉफ्ट ने जवाब में कहा कि वह इन दावों की समीक्षा कर रहा है। अदालत दोष सिद्ध होने पर कंपनी पर 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर तक का जुर्माना लगा सकती है।
अमेजन आने वाले वर्षों में अपने वेयरहाउस में रोबोट्स की संख्या तेजी से बढ़ाने की योजना बना रहा है। यह पहल दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से है, लेकिन लाखों कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
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अमेरिकी टेक कंपनी अमेजन अपने वेयरहाउस संचालन में पिछले एक दशक से रोबोट्स का इस्तेमाल कर रही है और अब कंपनी इसे और तेजी से बढ़ाने की योजना बना रही है। 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेजन के आंतरिक दस्तावेज़ों से पता चला है कि कंपनी अधिक संख्या में रोबोट्स तैयार करने और उनका उपयोग बढ़ाने पर विचार कर रही है, जिससे मानव कर्मचारियों की जगह मशीनें ले सकती हैं।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि यह योजना लागू होती है, तो इससे 2033 तक लगभग 6 लाख नौकरियों पर असर पड़ सकता है। हालांकि, अमेजन ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या इससे बड़े पैमाने पर छंटनी होगी। कंपनी का कहना है कि रोबोट्स के इस्तेमाल से नए कर्मचारियों की भर्ती कम की जा सकती है।
दस्तावेज़ों में यह भी उल्लेख है कि अमेजन उन समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाना चाहता है, जहां नौकरियों में कमी आ सकती है। कंपनी “ऑटोमेशन” या “AI” जैसे शब्दों से बचकर “एडवांस्ड टेक्नोलॉजी” और “कोबोट्स” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने की रणनीति पर भी विचार कर रही है, ताकि सहयोगात्मक छवि बनाई जा सके।
वर्तमान में अमेजन अमेरिका का तीसरा सबसे बड़ा नियोक्ता है, जिसके पास लगभग 15 लाख कर्मचारी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि रोबोटिक्स का विस्तार इसी गति से जारी रहा, तो इसका प्रभाव अमेरिकी श्रम बाजार पर गहरा हो सकता है।
साल 2025 भी टेक इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स के लिए कठिन साबित हो रहा है। बड़ी टेक कंपनियां अपने बिजनेस ढांचे को नए सिरे से गढ़ रही हैं और इसका सीधा असर कर्मचारियों की नौकरियों पर पड़ रहा है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
साल 2025 भी टेक इंडस्ट्री के प्रोफेशनल्स के लिए कठिन साबित हो रहा है। बड़ी टेक कंपनियां अपने बिजनेस ढांचे को नए सिरे से गढ़ रही हैं और इसका सीधा असर कर्मचारियों की नौकरियों पर पड़ रहा है। मेटा (Meta), एमेजॉन (Amazon) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) जैसी दिग्गज कंपनियों ने एक बार फिर बड़े पैमाने पर छंटनी की घोषणा की है। कंपनियों का कहना है कि यह कदम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑटोमेशन से जुड़ी नई कार्यप्रणालियों को अपनाने का हिस्सा है।
91 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी गई
Layoffs.fyi के आंकड़ों के मुताबिक, 2025 की शुरुआत से अब तक 212 टेक कंपनियों में करीब 91,700 कर्मचारियों की नौकरियां जा चुकी हैं। हालांकि, वास्तविक संख्या इससे ज्यादा हो सकती है, क्योंकि कई कंपनियां अपने छंटनी के आंकड़े सार्वजनिक नहीं करतीं।
मेटा में फिर छंटनी, 600 पद खत्म होंगे
सोशल मीडिया कंपनी मेटा अपने AI डिवीजन में करीब 600 एम्प्लॉयीज की छंटनी कर रही है। इसमें Superintelligence Labs जैसी इकाइयां शामिल हैं। बताया जा रहा है कि कंपनी यह कदम संगठन को और तेज, लचीला और प्रभावी बनाने की दिशा में उठा रही है।
कंपनी पहले ही अप्रैल 2025 में कथित तौर पर 3,000 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी कर चुकी है। 2022 से अब तक मेटा लगभग 30,000 पदों में कटौती कर चुकी है, हालांकि कंपनी AI से जुड़ी नई भूमिकाओं के लिए भर्ती जारी रखे हुए है।
एमेजॉन का ध्यान ऑटोमेशन पर, HR में भी कटौती की तैयारी
एमेजॉन भी अपने कामकाज को तेजी से ऑटोमेशन की ओर ले जा रहा है। न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी रोबोटिक्स और जनरेटिव AI में भारी निवेश कर रही है, जिससे आने वाले वर्षों में वेयरहाउस और फुलफिलमेंट यूनिट्स में हजारों नौकरियां खत्म हो सकती हैं।
फॉर्च्यून की रिपोर्ट बताती है कि एमेजॉन अपने मानव संसाधन विभाग में करीब 15% की कटौती की योजना बना रहा है। यह फैसला People eXperience and Technology (PXT) टीम और कंपनी के कंज्यूमर डिवीजन को प्रभावित करेगा। जुलाई में कंपनी अपने AWS क्लाउड यूनिट से भी सैकड़ों कर्मचारियों को निकाल चुकी है।
माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, सेल्सफोर्स और गूगल में भी असर
माइक्रोसॉफ्ट ने इस साल कई दौर में छंटनी की है, जिससे करीब 15,000 कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। वहीं, इंटेल (Intel) भी करीब 25,000 कर्मचारियों को हटाने की योजना बना रही है ताकि वह नई पीढ़ी की चिप तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर सके।
सेल्सफोर्स (Salesforce) ने लगभग 4,000 कर्मचारियों को निकाला है, खासकर ग्राहक सहायता विभाग से, जबकि गूगल ने अपने क्लाउड और डिजाइन टीमों में सीमित छंटनी की है।
TCS में 20 हजार तक नौकरियां खतरे में
AI के बढ़ते प्रभाव के बीच अब भारतीय IT सेक्टर भी इसकी चपेट में आ गया है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने अपने AI-first ऑपरेशनल मॉडल के तहत करीब 20,000 कर्मचारियों की छंटनी शुरू की है। कंपनी के मुताबिक, यह प्रक्रिया “लगातार और स्किल-आधारित” होगी ताकि कर्मचारियों को नई तकनीकी जरूरतों के अनुरूप ढाला जा सके।
ज्यादातर असर मिड-लेवल और सीनियर पदों पर पड़ा है, जहां ऑटोमेशन की वजह से कई भूमिकाएं दोहराव वाली हो गई हैं।
अन्य भारतीय IT कंपनियां भी कर रहीं हैं स्टाफ में कमी
TCS के अलावा इंफोसिस (Infosys), विप्रो (Wipro) और टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) जैसी अन्य कंपनियों ने भी इस साल 10,000 से ज्यादा कर्मचारियों की छंटनी की है। इन कंपनियों का कहना है कि वे अपने संचालन को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की दिशा में पुनर्गठित कर रही हैं।
AI के दौर में रोजगार का चेहरा बदल रहा है
2025 के अभी दो महीने बाकी हैं, लेकिन छंटनी की रफ्तार थमने के कोई संकेत नहीं हैं। टेक कंपनियां अब “अधिक लोगों की भर्ती” के बजाय “स्मार्ट सिस्टम और दक्षता” पर फोकस कर रही हैं। पुराने पद तेजी से खत्म हो रहे हैं, जबकि नई तकनीकों से जुड़े रोल्स के लिए अवसर बढ़ रहे हैं। यह संकेत है कि अब उद्योग का फोकस “स्केलिंग ह्यूमन वर्कफोर्स” से हटकर “स्केलिंग इंटेलिजेंस” की ओर बढ़ चुका है।