गठबंधन ने कुल 202 सीटें हासिल कीं, जो पिछले चुनाव की तुलना में 80 सीटों की बड़ी बढ़त है। वोट शेयर भी बढ़कर 47% पहुंच गय वहीं महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
बिहार की सामाजिक संरचना जटिल समझी जाती रही है। 2023 की जाति-गणना के मुताबिक, अत्यंत पिछड़ी जातियाँ राज्य की लगभग 36% हैं। पिछड़ी जातियाँ, अनुसूचित जातियाँ सभी का यहाँ महत्वपूर्ण प्रतिशत है।
बिहार विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल जारी हो गए हैं। 17 एजेंसियों के पोल ऑफ पोल्स के अनुसार, NDA को स्पष्ट बहुमत मिल सकता है, जबकि महागठबंधन को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
इस ऐतिहासिक मतदान ने लगभग 20 वर्षों से सत्ता पर काबिज एनडीए और महागठबंधन के बीच ‘सुशासन बनाम सबको नौकरी’ की जंग को निर्णायक मोड़ पर ला दिया है।
कंपनी के सीईओ अब्राहम थॉमस ने बताया कि इस तिमाही में कंपनी ने अपनी कार्यप्रणाली को और मजबूत व लाभदायक बनाने के लिए कई रणनीतिक कदम उठाए हैं।
पहले चरण की जिन 121 सीटों पर चुनाव हो रहा है, उसमें पिछली बार (2020) दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की लड़ाई हुई थी। एक ओर जहां महागठबंधन को 61 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।
हालांकि, इसकी काट के लिए जहां महागठबंधन ने सिर्फ घोषणाएं की हैं तो वहीं सरकार में होने की वजह से एनडीए ने कई सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचा भी दिया है।
महागठबंधन की सरकार बनने पर हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी। 'माय बहन योजना' के तहत हर परिवार की महिला के खाते में ₹30 हजार रुपए भेजे जाएंगे।
अगर बीजेपी को लोकसभा मे मिले वोट से कम वोट मिलते है तो एनडीए को कड़ा संघर्ष करना होगा और यदि लोकसभा से ज्यादा वोट मिलते है तो एनडीए प्रचंड बहुमत की सरकार बना लेगा।
केंद्र और राज्यों के चुनावों में बीजेपी की सिलसिलेवार जीत भी राहुल गांधी या विपक्ष को परेशान नहीं करती। कांग्रेस और आरजेडी के आपसी संघर्ष ने सारी ताक़त और ऊर्जा को गंवा दिया।