वह दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी में क्षेत्ररक्षण के लिए मैदान पर नहीं उतरे और न ही 124 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने आए।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट से पहले भारतीय टीम को बड़ा झटका लगा है। कप्तान शुभमन गिल गर्दन की चोट के कारण गुवाहाटी टेस्ट से बाहर हो गए हैं। गिल के अनुपलब्ध होने पर ऋषभ पंत कप्तानी की जिम्मेदारी उठाने वाले हैं। इस बीच वरिष्ठ खेल पत्रकार विक्रांत गुप्ता ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर बड़ा सवाल उठाया है।
उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, अगर शुभमन गिल वाक़ई गुवाहाटी टेस्ट से बाहर कर दिए गए हैं, वह भी उसी दिन जब वह वहाँ पहुँचे, तो फिर वहाँ तक यात्रा करने और चोट को बढ़ाने का ख़तरा उठाने की क्या ज़रूरत थी? सुना है कि वनडे मैच भी ‘अनिश्चित स्थिति’ में हैं?
आपको बता दें, गिल को कोलकाता में पहले टेस्ट की पहली पारी के दौरान बल्लेबाजी करते समय गर्दन में चोट लगी थी। वह दक्षिण अफ्रीका की दूसरी पारी में क्षेत्ररक्षण के लिए मैदान पर नहीं उतरे और न ही 124 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने आए। नतीजा ये हुआ की टीम इंडिया 30 रन से कोलकाता टेस्ट हार गया था।
If Shubman Gill has indeed been ruled out of the Guwahati Test the day he’s just landed there, what was the need to even travel and risk aggravation?
— Vikrant Gupta (@vikrantgupta73) November 19, 2025
Am told even ODIs touch and go?
पर लालू जी के परिवार में जिस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं उसके बाद देखना पड़ेगा कि कांग्रेस के विधायकों की संख्या ज्यादा होगी या फिर लालू जी के साथ खड़े रहने वाले उनके बच्चों की।
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जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार आज यानी 20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में एक भव्य समारोह में रिकॉर्ड दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए तैयार हैं। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। इस बीच एक टीवी डिबेट में बीजेपी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अब एनडीए का लक्ष्य बिहार को पूर्ण विकसित करने का है।
उन्होंने कहा, जो तथाकथित बीमारू राज्य थे उनमें आज बिहार की ही स्थिति ऐसी है कि वो पीछे है बाकी राज्य बेहतर स्थिति में है। लेकिन ये भी समझना होगा कि बिहार था किस स्थिति में। केवल 22 प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी कवर था, पटना में शहर में भी केवल 5-6 घंटे बिजली आया करती थी।
आज शत प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी कवर है और 23-24 घंटे बिजली आती है। और एनडीए सरकार की आगे की योजनाएं इसी पर आधारित होंगी कि बिहार को कैसे विकसित किया जाए। कांग्रेस दलितों की बात बहुत करती है, इस देश के पहले दलित रक्षामंत्री कौन थे? बाबू जगजीवन राम।
1971 के युद्ध के समय बाबू जगजीवन राम इस देश के रक्षा मंत्री थे लेकिन इस युद्ध का सारा श्रेय इंदिरा गांधी जी को दिया जाता है। आज तक आपने बाबू जगजीवन राम किसी के मुंह से नहीं सुना होगा। राहुल गांधी खड़े होकर ये कहने लगेंगे कि दिखाओ भई डिफेंस में कहां हैं SC-ST-OBC और जब SC रक्षामंत्री थे उन्हें धेले भर का क्रेडिट नहीं देने का प्रयास करना निश्चित रूप से दोहरे चरित्र को दर्शाता है।
लाइटर नोट पर एक बात कहूं तो बिहार में कांग्रेस के विधायकों की संख्या लालू जी के बच्चों से कम रह गई है। पर लालू जी के परिवार में जिस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं उसके बाद देखना पड़ेगा कि कांग्रेस के विधायकों की संख्या ज्यादा होगी या फिर लालू जी के साथ खड़े रहने वाले उनके बच्चों की।
जो तथाकथित बीमारू राज्य थे उनमें आज बिहार की ही स्थिति ऐसी है कि वो पीछे है बाकी राज्य बेहतर स्थिति में है। लेकिन ये भी समझना होगा कि बिहार था किस स्थिति में। केवल 22 प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी कवर था, पटना में शहर में भी केवल 5-6 घंटे बिजली आया करती थी। आज शत प्रतिशत इलेक्ट्रिसिटी… pic.twitter.com/98UbGPcRzb
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) November 19, 2025
वास्तव में यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी केवल सेक्शन 2(एफ) के अंतर्गत एक राज्य निजी विश्वविद्यालय के रूप में शामिल है। विश्वविद्यालय ने कभी सेक्शन 12(ब) के लिए आवेदन नहीं किया।
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अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी को 'ED' ने गिरफ्तार कर लिया है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी ग्रुप के 19 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी जिसमें 'ED' ने 48 लाख रुपये बरामद किए हैं। जांच में पता चला कि 'NAAC' की फर्जी मान्यता दिखा कर बच्चों से धोखाधड़ी की गई और ट्रस्ट के करोड़ों रुपये में हेराफेरी हुई।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और एक बड़ा सवाल पूछा। उन्होंने लिखा, अल-फलाह यूनिवर्सिटीके संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी को ED ने गिरफ्तार किया है। गंभीर मामले हैं। वैसे तो यह विश्वविद्यालय आतंकी ठिकाना बन गया और किसी को खबर नहीं हुई, यह गंभीर चूक है। अब क्या देर आए, दुरुस्त आए, साबित होगा।
आपको बता दें, विश्वविद्यालय ने यूजीसी एक्ट, 1956 की सेक्शन 12(ब) के तहत मान्यता प्राप्त होने का झूठा दावा फैलाया, जबकि वास्तव में यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी केवल सेक्शन 2(एफ) के अंतर्गत एक राज्य निजी विश्वविद्यालय के रूप में शामिल है। विश्वविद्यालय ने कभी सेक्शन 12(ब) के लिए आवेदन नहीं किया और न ही वह इस प्रावधान के तहत किसी प्रकार की ग्रांट्स पाने के योग्य है।
प्रशांत किशोर को कॉर्पोरेट शैली से बाहर निकलकर संगठन और कार्यकर्ताओं की मजबूत फौज खड़ी करनी चाहिए। पार्टी के अन्य साफ-सुथरे नेताओं को आगे लाना चाहिए।
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पीके ने बिहार चुनाव में जन सुराज की करारी हार के बाद मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेस की। इस दौरान उनसे राजनीति से संन्यास वाले दावे को लेकर सवाल हुआ। पीके ने इस सवाल पर कहा कि किस पद पर हूं कि इस्तीफा दे दूं। इस बीच प्रशांत किशोर को वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट लिखकर कई अहम सलाहें दी हैं।
उन्होंने साफ कहा कि अगर पीके सचमुच बिहार की राजनीति में मजबूत और स्थायी विकल्प बनना चाहते हैं, तो उन्हें अपने रवैये और कार्यशैली में गहरे बदलाव की आवश्यकता है। राणा यशवंत ने सबसे पहले यह कहा कि पीके को 'मैं जो कह रहा हूं वही अटल सत्य है' वाली मानसिकता से बाहर आना चाहिए।
अहंकार को त्यागकर जमीन से जुड़ना होगा। उन्होंने चुनावों को लेकर पीके के उन बयानों को भी गैर-जिम्मेदाराना बताया, जिनमें वे कहते हैं कि यदि जदयू 25 से अधिक सीटें जीत गई तो वे राजनीति छोड़ देंगे। उन्होंने लिखा कि प्रशांत किशोर को कॉर्पोरेट शैली से बाहर निकलकर संगठन और कार्यकर्ताओं की मजबूत फौज खड़ी करनी चाहिए।
साथ ही केवल अपने चेहरे पर भरोसा करने की बजाय पार्टी के अन्य साफ-सुथरे नेताओं को आगे लाना चाहिए। राणा यशवंत ने यह भी याद दिलाया कि चुनाव प्रबंधन और चुनाव लड़ना, दोनों बिल्कुल अलग चीजें हैं। टिकट बंटवारे में जातिगत सोच अपनाना 'अलग राजनीति' की घोषणा के विपरीत है। इससे भी बाहर निकलने की जरूरत है।
अंत में उन्होंने कहा कि बिहार में पीके की संभावनाएं बहुत हैं, बशर्ते वे अपनी कमजोरियों को स्वीकार कर ईमानदारी से लोगों को जोड़कर एक मजबूत जनआधार खड़ा करें। आपको बता दें, प्रशांत किशोर ने दावा किया कि घर-घर जाकर सिंबल समझाने के लिए जीविका दीदियों और अन्य सरकारी मशीनरी पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए। चुनाव के बीच पैसे भेजे गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हो सकते हैं।
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बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद अब नए मंत्रिमंडल गठन की कवायद तेज गई है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनने वाली नई कैबिनेट में किस पार्टी से कौन-कौन और कितने विधायक मंत्री बनेंगे, इस पर पटना से लेकर दिल्ली तक विचार-विमर्श का दौर जारी है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर के अनुसार अब बिहार में बीजेपी को मजबूती से आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा, बिहार में बीजेपी को नए नेताओं को कैबिनेट में शामिल करना चाहिए। ग़ैर यादव वोटर बीजेपी के साथ मजबूती के साथ खड़ा रहा। यह वोटर बीजेपी का आधार है। मोदी के भविष्य का बिहार बनने के लिए ज़रूरी है कि मंत्री चुनने में विचारधारा और सार्वजनिक जीवन में साफ़ छवि वाले लोगों को आगे किया जाए। बिहार में भविष्य भाजपा का है।
नीतीश का सूर्यास्त होने को है और बीजेपी का सूर्योदय हो चुका है। बीजेपी को अब तेजस्वी का डर नहीं है। तेजस्वी का एम-वाय समीकरण टूट गया है। प्रशांत किशोर भविष्य में बीजेपी के लिए बिहार में सबसे बड़ी चुनौती बन सकते है। दूसरे दलों से आने वाले नेताओं और दाग़दार छवि के नेताओं को मंत्री बनाने से बेहतर है बीजेपी अपने मूल कैडर और संघ परिवार से निकले नेताओं को मंत्री पद से नवाजे।
तमाम आरोपों से घिरे दाग़दार नेताओं और बाहुबलियों से बाहर बिहार को देखने की ज़रूरत है। उम्मीद है बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस पर विचार करेगा। आपको बता दें, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हो सकते हैं।
गठबंधन ने कुल 202 सीटें हासिल कीं, जो पिछले चुनाव की तुलना में 80 सीटों की बड़ी बढ़त है। वोट शेयर भी बढ़कर 47% पहुंच गय वहीं महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
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बिहार चुनाव में करारी हार के बाद से राज्य के सबसे बड़े सियासी घराने में मची कलह ने सबको हैरान कर दिया है। लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट ने पारिवारिक कलह को सबके सामने ला दिया है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि महागठबंधन पूरी तरह से कमजोर हो गया है लेकिन अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, विपक्ष में होना सिर्फ़ संख्या बल का नहीं, बल्कि जनमानस के प्रभाव का भी मामला होता है। लेकिन बिहार में पूरी तरह कमजोर हो चुका महागठबंधन आज अपनी राजनीतिक जमीन संभालने के बजाय सोशल मीडिया ट्रोल्स छोड़ने और आपसी पारिवारिक कलह में उलझा हुआ है।
वहीं दूसरी ओर, जन सुराज पहले ही 'विश्व बैंक के फंड के दुरुपयोग' जैसे गंभीर मुद्दों पर बात कर रहा है यानी असली विपक्ष की भूमिका निभाने की कोशिश में जुटा है। आपको बता दें, बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने 200 से अधिक सीट जीतकर प्रचंड विजय हासिल की है।
गठबंधन ने कुल 202 सीटें हासिल कीं, जो पिछले चुनाव की तुलना में 80 सीटों की बड़ी बढ़त है। वोट शेयर भी बढ़कर 47% पहुंच गय वहीं महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
Being the opposition is as much about mind space as it is about numbers. A decimated Mahagathbandhan is busy unleashing keyboard trolls & battling family feud. Whereas Jan Suraj is already talking about World Bank funds ‘misuse’. #Bihar
— Sanket Upadhyay (@sanket) November 17, 2025
पुलिस को मिले नोट में कथित तौर पर काम का दबाव, मानसिक तनाव और अपने सुपरवाइजर की ओर से संभावित निलंबन का उल्लेख किया गया है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
जयपुर में मुकेश जांगिड़ (48) नाम के एक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने बिंदायका रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया है जिसमें उन्होंने कुछ अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, तीन अलग-अलग राज्यों में अवास्तविक लक्ष्यों और सख्त समयसीमा के दबाव के चलते दो बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली, जबकि एक ने आत्महत्या का प्रयास किया है। क्या भारत निर्वाचन आयोग इस बार भी इसे अनदेखा कर देगा, जैसे हमेशा करता आया है?
यह वो कहानी है जिसे आप तथाकथित प्राइम टाइम न्यूज़ चैनलों पर नहीं देखेंगे, जहाँ सच्ची ख़बरों से ज़्यादा मायने रखती है शोर, बहस और विपक्ष पर निशाना साधना। आपको बता दें, पुलिस को मिले नोट में कथित तौर पर काम का दबाव, मानसिक तनाव और अपने सुपरवाइजर की ओर से संभावित निलंबन का उल्लेख किया गया है। अधिकारियों ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया।
Get real India: 2 alleged deaths by suicide, one suicide attempt of BLOs over SIR in 3 diff states because of unrealistic targets and deadlines. Will @ECISVEEP as always brush it aside? Watch a story that you won’t find on prime time across so called news channels where noise and… https://t.co/z44f59PDQw
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) November 17, 2025
दिल्ली-NCR में लगातार बढ़ते प्रदूषण पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार का दर्द छलक उठा। अपनी पोस्ट में उन्होंने एयर क्वालिटी की भयावह स्थिति और उससे होने वाली शारीरिक तकलीफों का जिक्र किया है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
दिल्ली-NCR में प्रदूषण का संकट नई भयावहता की ओर बढ़ रहा है। वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने अपनी एक्स पोस्ट में राजधानी की हवा की स्थिति को लेकर गहरी चिंता और व्यक्तिगत पीड़ा व्यक्त की है। उन्होंने लिखा कि दिल्ली प्रदूषण की 'अनंत दास्तान' में एक और दिन जुड़ गया है, और अब लोगों को Severe Category की हवा की जैसे आदत सी हो चली है।
उन्होंने बताया कि घर के अंदर का एयर फिल्टर भी लगातार 300 AQI दिखाता है, और कमरे को पूरी तरह बंद रखने पर भी उसे सामान्य स्तर 50 AQI तक पहुंचने में एक घंटे का समय लगता है। प्रदूषण इतना गंभीर हो चुका है कि, 'अब सिगरेट की ज़रूरत महसूस नहीं होती।'
उन्होंने सीने में जलन, फेफड़ों पर दबाव और लगातार घुटन की अनुभूति का भी उल्लेख किया। अजय कुमार का दर्द इस लाइन में साफ झलकता है -अब सरकारों से कोई शिकायत नहीं है… कोई सुनने वाला ही नहीं। उन्होंने इच्छा जताई कि काश एनसीआर को हमेशा के लिए छोड़ पाना संभव होता, ताकि इस हर पल महसूस होने वाली घुटन से छुटकारा मिल सके।
#DelhiPollution कि अनंत दास्तान में एक और दिन जुडा।
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) November 13, 2025
Severe Category कि अब आदत सी हो चली है।
घर के अंदर का Air filter, 300 AQI हर वक्त दिखाता है।
रुम बंद रखो तो 1 hr के बाद, 50 AQI पर आता है।
सिगरेट कि ज़रूरत महसूस नहीं हो रही।
सीने में जलन, फेफड़ों के सिकुड़ने का हर वक्त…
डॉक्टरों की आड़ में आतंक का खेल खेलने वाले इन आरोपियों की बम ब्लास्ट की बहुत बड़ी प्लानिंग थी। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, अयोध्या, प्रयागराज समेत कई जगहों को निशाना बनाया जाना था।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस की संयुक्त जांच में लाल किले के पास हुए विस्फोट की साजिश के पीछे डॉक्टरों की आड़ में चल रहा आतंक का बड़ा खेल सामने आया है। मुख्य आरोपी डॉ. मुजम्मिल, डॉ. आदिल, उमर और शाहीन ने मिलकर करीब 20 लाख रुपये कैश जुटाए थे, जो उमर को सौंपे गए थे। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, कहा जाता था कि ग़रीबी और अशिक्षा ग़लत रास्ते पर चलने को मजबूर कर देती है। पर इन पढ़े-लिखे डॉक्टरों की क्या मजबूरी रही होगी? न तो ग़रीब और न ही अशिक्षित। आगे बढ़ने का हर अवसर मिला। इनके आतंकवादी बनने के पीछे नफ़रत और असहिष्णुता है। आपको बता दें, हर जगह ब्लास्ट के लिए पुरानी सेकंड हैंड कारों का इंतजाम किया गया था।
हरियाणा पुलिस सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों की आड़ में आतंक का खेल खेलने वाले इन आरोपियों की बम ब्लास्ट की बहुत बड़ी प्लानिंग थी। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, अयोध्या, प्रयागराज समेत कई जगहों को निशाना बनाया जाना था।
कहा जाता था कि ग़रीबी और अशिक्षा ग़लत रास्ते पर चलने को मजबूर कर देती है। पर इन पढ़े-लिखे डॉक्टरों की क्या मजबूरी रही होगी? न तो ग़रीब और न ही अशिक्षित। आगे बढ़ने का हर अवसर मिला। इनके आतंकवादी बनने के पीछे नफ़रत और असहिष्णुता है।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) November 13, 2025
Dawn अख़बार में रिपोर्ट के अंत में गलती से ChatGPT का प्रॉम्प्ट छप गया, जिससे AI के बढ़ते प्रयोग और संपादकीय सतर्कता पर नई बहस छिड़ गई। मिलिंद खांडेकर ने इसे पत्रकारिता के लिए चेतावनी बताया।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी दैनिक Dawn में एक चौंकाने वाली गलती ने पत्रकारिता जगत और सोशल मीडिया में हलचल मचा दी है। ऑटो सेक्टर पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अंत में ChatGPT का वह प्रॉम्प्ट ज्यों का त्यों छप गया, जो मूल रूप से AI चैटबॉट से सामग्री तैयार करवाने के दौरान दिया गया था। प्रॉम्प्ट में लिखा था, “अगर आप चाहें, तो मैं फ्रंट-पेज स्टाइल में एक आकर्षक कॉपी भी बना सकता हूँ।
क्या आप अगला यही चाहते हैं?” इस एक पंक्ति ने साफ कर दिया कि पूरी रिपोर्ट कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सहायता से तैयार की गई थी और संपादन के दौरान प्रॉम्प्ट हटाने में लापरवाही हुई। इस घटना पर वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर ने एक्स पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “ChatGPT अख़बार बनाने लग गया, और गलती से पकड़ा भी गया।
खबर के अंत में AI पूछ रहा है कि क्या फ्रंट पेज की कॉपी भी बना दूँ। यानी पूरी कॉपी AI ने लिखी और एडिटिंग में प्रॉम्प्ट हटाने तक की ज़हमत नहीं उठाई। AI का इस्तेमाल कीजिए, पर दिमाग़ का भी इस्तेमाल कीजिए।”
ChatGPT अख़बार बनाने लग गया. गलती से पकड़ा भी गया. पाकिस्तान के Dawn अख़बार में खबर के आख़िर में सवाल पूछ रहा है कि क्या फ़्रंट पेज के लिए कॉपी बना दूँ. मतलब पूरी कॉपी AI ने लिखी है. कॉपी पेस्ट के कारण Prompt छप गया. AI का इस्तेमाल कीजिए पर दिमाग़ का इस्तेमाल भी कीजिए. pic.twitter.com/znMSJ9WUo8
— Milind Khandekar (@milindkhandekar) November 13, 2025
दिल्ली ब्लास्ट की जांच में सामने आया कि साजिशकर्ताओं का संबंध अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा था। वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने ‘व्हाइट कॉलर टेररिज़्म’ को सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती बताया।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
चांदनी चौक कार ब्लास्ट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। ताज़ा जानकारी के अनुसार, इस हमले की साजिश रचने वाले आतंकियों के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से सीधे संबंध थे। बताया जा रहा है कि ब्लास्ट में शामिल आतंकी इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ते और प्रैक्टिस करते थे।
पुलिस ने इसी मामले में यूनिवर्सिटी के डॉक्टर मुजम्मिल को विस्फोटक सामग्री जमा करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस गंभीर मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक अहम टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा, 'एक समय था जब आतंकी गरीब, शोषित या पठानी कपड़ों में हथियार लिए दिखते थे। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है।
अब डॉक्टर, इंजीनियर और उच्च शिक्षित लोग आतंकी नेटवर्क का हिस्सा बन रहे हैं।' उन्होंने इस खतरे को ‘व्हाइट कॉलर टेररिज़्म’ की संज्ञा दी और कहा कि यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए तेजी से उभरती हुई सबसे बड़ी चुनौती है।
दीपक चौरसिया के अनुसार, दिल्ली ब्लास्ट जैसे मामले यह संकेत देते हैं कि आतंकवाद अब केवल सीमाओं या जंगलों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शैक्षणिक संस्थानों और प्रतिष्ठित पेशों तक फैल चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस प्रवृत्ति को समय रहते पहचानना बेहद ज़रूरी है, ताकि सफेदपोश आतंकी जो आम जनता के बीच आसानी से घुल-मिल जाते हैं, को पकड़कर उनके नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके।
एक दौर था जब आतंकियों को गरीब, शोषित या फिर पठानी कपड़े पहने बंदूकधारियों के तौर पर देखा जाता था. लेकिन अब वो दौर बदल चुका है. अब पढ़ें लिखे डॉक्टर और इंजीनियर आतंकी बन रहे है. इस समय सुरक्षा एजेंसियों के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है वो है 'व्हाइट कॉलर टेररिज्म'…
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) November 12, 2025