वास्तव में यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी केवल सेक्शन 2(एफ) के अंतर्गत एक राज्य निजी विश्वविद्यालय के रूप में शामिल है। विश्वविद्यालय ने कभी सेक्शन 12(ब) के लिए आवेदन नहीं किया।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी को 'ED' ने गिरफ्तार कर लिया है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी ग्रुप के 19 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी जिसमें 'ED' ने 48 लाख रुपये बरामद किए हैं। जांच में पता चला कि 'NAAC' की फर्जी मान्यता दिखा कर बच्चों से धोखाधड़ी की गई और ट्रस्ट के करोड़ों रुपये में हेराफेरी हुई।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और एक बड़ा सवाल पूछा। उन्होंने लिखा, अल-फलाह यूनिवर्सिटीके संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी को ED ने गिरफ्तार किया है। गंभीर मामले हैं। वैसे तो यह विश्वविद्यालय आतंकी ठिकाना बन गया और किसी को खबर नहीं हुई, यह गंभीर चूक है। अब क्या देर आए, दुरुस्त आए, साबित होगा।
आपको बता दें, विश्वविद्यालय ने यूजीसी एक्ट, 1956 की सेक्शन 12(ब) के तहत मान्यता प्राप्त होने का झूठा दावा फैलाया, जबकि वास्तव में यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी केवल सेक्शन 2(एफ) के अंतर्गत एक राज्य निजी विश्वविद्यालय के रूप में शामिल है। विश्वविद्यालय ने कभी सेक्शन 12(ब) के लिए आवेदन नहीं किया और न ही वह इस प्रावधान के तहत किसी प्रकार की ग्रांट्स पाने के योग्य है।
प्रशांत किशोर को कॉर्पोरेट शैली से बाहर निकलकर संगठन और कार्यकर्ताओं की मजबूत फौज खड़ी करनी चाहिए। पार्टी के अन्य साफ-सुथरे नेताओं को आगे लाना चाहिए।
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पीके ने बिहार चुनाव में जन सुराज की करारी हार के बाद मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेस की। इस दौरान उनसे राजनीति से संन्यास वाले दावे को लेकर सवाल हुआ। पीके ने इस सवाल पर कहा कि किस पद पर हूं कि इस्तीफा दे दूं। इस बीच प्रशांत किशोर को वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट लिखकर कई अहम सलाहें दी हैं।
उन्होंने साफ कहा कि अगर पीके सचमुच बिहार की राजनीति में मजबूत और स्थायी विकल्प बनना चाहते हैं, तो उन्हें अपने रवैये और कार्यशैली में गहरे बदलाव की आवश्यकता है। राणा यशवंत ने सबसे पहले यह कहा कि पीके को 'मैं जो कह रहा हूं वही अटल सत्य है' वाली मानसिकता से बाहर आना चाहिए।
अहंकार को त्यागकर जमीन से जुड़ना होगा। उन्होंने चुनावों को लेकर पीके के उन बयानों को भी गैर-जिम्मेदाराना बताया, जिनमें वे कहते हैं कि यदि जदयू 25 से अधिक सीटें जीत गई तो वे राजनीति छोड़ देंगे। उन्होंने लिखा कि प्रशांत किशोर को कॉर्पोरेट शैली से बाहर निकलकर संगठन और कार्यकर्ताओं की मजबूत फौज खड़ी करनी चाहिए।
साथ ही केवल अपने चेहरे पर भरोसा करने की बजाय पार्टी के अन्य साफ-सुथरे नेताओं को आगे लाना चाहिए। राणा यशवंत ने यह भी याद दिलाया कि चुनाव प्रबंधन और चुनाव लड़ना, दोनों बिल्कुल अलग चीजें हैं। टिकट बंटवारे में जातिगत सोच अपनाना 'अलग राजनीति' की घोषणा के विपरीत है। इससे भी बाहर निकलने की जरूरत है।
अंत में उन्होंने कहा कि बिहार में पीके की संभावनाएं बहुत हैं, बशर्ते वे अपनी कमजोरियों को स्वीकार कर ईमानदारी से लोगों को जोड़कर एक मजबूत जनआधार खड़ा करें। आपको बता दें, प्रशांत किशोर ने दावा किया कि घर-घर जाकर सिंबल समझाने के लिए जीविका दीदियों और अन्य सरकारी मशीनरी पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए गए। चुनाव के बीच पैसे भेजे गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हो सकते हैं।
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बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद अब नए मंत्रिमंडल गठन की कवायद तेज गई है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनने वाली नई कैबिनेट में किस पार्टी से कौन-कौन और कितने विधायक मंत्री बनेंगे, इस पर पटना से लेकर दिल्ली तक विचार-विमर्श का दौर जारी है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार समीर चौगांवकर के अनुसार अब बिहार में बीजेपी को मजबूती से आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट कर लिखा, बिहार में बीजेपी को नए नेताओं को कैबिनेट में शामिल करना चाहिए। ग़ैर यादव वोटर बीजेपी के साथ मजबूती के साथ खड़ा रहा। यह वोटर बीजेपी का आधार है। मोदी के भविष्य का बिहार बनने के लिए ज़रूरी है कि मंत्री चुनने में विचारधारा और सार्वजनिक जीवन में साफ़ छवि वाले लोगों को आगे किया जाए। बिहार में भविष्य भाजपा का है।
नीतीश का सूर्यास्त होने को है और बीजेपी का सूर्योदय हो चुका है। बीजेपी को अब तेजस्वी का डर नहीं है। तेजस्वी का एम-वाय समीकरण टूट गया है। प्रशांत किशोर भविष्य में बीजेपी के लिए बिहार में सबसे बड़ी चुनौती बन सकते है। दूसरे दलों से आने वाले नेताओं और दाग़दार छवि के नेताओं को मंत्री बनाने से बेहतर है बीजेपी अपने मूल कैडर और संघ परिवार से निकले नेताओं को मंत्री पद से नवाजे।
तमाम आरोपों से घिरे दाग़दार नेताओं और बाहुबलियों से बाहर बिहार को देखने की ज़रूरत है। उम्मीद है बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस पर विचार करेगा। आपको बता दें, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 20 नवंबर को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में शपथ ग्रहण समारोह होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हो सकते हैं।
गठबंधन ने कुल 202 सीटें हासिल कीं, जो पिछले चुनाव की तुलना में 80 सीटों की बड़ी बढ़त है। वोट शेयर भी बढ़कर 47% पहुंच गय वहीं महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
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बिहार चुनाव में करारी हार के बाद से राज्य के सबसे बड़े सियासी घराने में मची कलह ने सबको हैरान कर दिया है। लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य के बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट ने पारिवारिक कलह को सबके सामने ला दिया है।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि महागठबंधन पूरी तरह से कमजोर हो गया है लेकिन अपनी जिम्मेदारी नहीं समझ रहा हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, विपक्ष में होना सिर्फ़ संख्या बल का नहीं, बल्कि जनमानस के प्रभाव का भी मामला होता है। लेकिन बिहार में पूरी तरह कमजोर हो चुका महागठबंधन आज अपनी राजनीतिक जमीन संभालने के बजाय सोशल मीडिया ट्रोल्स छोड़ने और आपसी पारिवारिक कलह में उलझा हुआ है।
वहीं दूसरी ओर, जन सुराज पहले ही 'विश्व बैंक के फंड के दुरुपयोग' जैसे गंभीर मुद्दों पर बात कर रहा है यानी असली विपक्ष की भूमिका निभाने की कोशिश में जुटा है। आपको बता दें, बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन ने 200 से अधिक सीट जीतकर प्रचंड विजय हासिल की है।
गठबंधन ने कुल 202 सीटें हासिल कीं, जो पिछले चुनाव की तुलना में 80 सीटों की बड़ी बढ़त है। वोट शेयर भी बढ़कर 47% पहुंच गय वहीं महागठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है।
Being the opposition is as much about mind space as it is about numbers. A decimated Mahagathbandhan is busy unleashing keyboard trolls & battling family feud. Whereas Jan Suraj is already talking about World Bank funds ‘misuse’. #Bihar
— Sanket Upadhyay (@sanket) November 17, 2025
पुलिस को मिले नोट में कथित तौर पर काम का दबाव, मानसिक तनाव और अपने सुपरवाइजर की ओर से संभावित निलंबन का उल्लेख किया गया है।
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जयपुर में मुकेश जांगिड़ (48) नाम के एक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) ने बिंदायका रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने मौके से एक सुसाइड नोट बरामद किया है जिसमें उन्होंने कुछ अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने लिखा, तीन अलग-अलग राज्यों में अवास्तविक लक्ष्यों और सख्त समयसीमा के दबाव के चलते दो बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली, जबकि एक ने आत्महत्या का प्रयास किया है। क्या भारत निर्वाचन आयोग इस बार भी इसे अनदेखा कर देगा, जैसे हमेशा करता आया है?
यह वो कहानी है जिसे आप तथाकथित प्राइम टाइम न्यूज़ चैनलों पर नहीं देखेंगे, जहाँ सच्ची ख़बरों से ज़्यादा मायने रखती है शोर, बहस और विपक्ष पर निशाना साधना। आपको बता दें, पुलिस को मिले नोट में कथित तौर पर काम का दबाव, मानसिक तनाव और अपने सुपरवाइजर की ओर से संभावित निलंबन का उल्लेख किया गया है। अधिकारियों ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया।
Get real India: 2 alleged deaths by suicide, one suicide attempt of BLOs over SIR in 3 diff states because of unrealistic targets and deadlines. Will @ECISVEEP as always brush it aside? Watch a story that you won’t find on prime time across so called news channels where noise and… https://t.co/z44f59PDQw
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) November 17, 2025
दिल्ली-NCR में लगातार बढ़ते प्रदूषण पर वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार का दर्द छलक उठा। अपनी पोस्ट में उन्होंने एयर क्वालिटी की भयावह स्थिति और उससे होने वाली शारीरिक तकलीफों का जिक्र किया है।
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दिल्ली-NCR में प्रदूषण का संकट नई भयावहता की ओर बढ़ रहा है। वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार ने अपनी एक्स पोस्ट में राजधानी की हवा की स्थिति को लेकर गहरी चिंता और व्यक्तिगत पीड़ा व्यक्त की है। उन्होंने लिखा कि दिल्ली प्रदूषण की 'अनंत दास्तान' में एक और दिन जुड़ गया है, और अब लोगों को Severe Category की हवा की जैसे आदत सी हो चली है।
उन्होंने बताया कि घर के अंदर का एयर फिल्टर भी लगातार 300 AQI दिखाता है, और कमरे को पूरी तरह बंद रखने पर भी उसे सामान्य स्तर 50 AQI तक पहुंचने में एक घंटे का समय लगता है। प्रदूषण इतना गंभीर हो चुका है कि, 'अब सिगरेट की ज़रूरत महसूस नहीं होती।'
उन्होंने सीने में जलन, फेफड़ों पर दबाव और लगातार घुटन की अनुभूति का भी उल्लेख किया। अजय कुमार का दर्द इस लाइन में साफ झलकता है -अब सरकारों से कोई शिकायत नहीं है… कोई सुनने वाला ही नहीं। उन्होंने इच्छा जताई कि काश एनसीआर को हमेशा के लिए छोड़ पाना संभव होता, ताकि इस हर पल महसूस होने वाली घुटन से छुटकारा मिल सके।
#DelhiPollution कि अनंत दास्तान में एक और दिन जुडा।
— Ajay Kumar (@AjayKumarJourno) November 13, 2025
Severe Category कि अब आदत सी हो चली है।
घर के अंदर का Air filter, 300 AQI हर वक्त दिखाता है।
रुम बंद रखो तो 1 hr के बाद, 50 AQI पर आता है।
सिगरेट कि ज़रूरत महसूस नहीं हो रही।
सीने में जलन, फेफड़ों के सिकुड़ने का हर वक्त…
डॉक्टरों की आड़ में आतंक का खेल खेलने वाले इन आरोपियों की बम ब्लास्ट की बहुत बड़ी प्लानिंग थी। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, अयोध्या, प्रयागराज समेत कई जगहों को निशाना बनाया जाना था।
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दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस की संयुक्त जांच में लाल किले के पास हुए विस्फोट की साजिश के पीछे डॉक्टरों की आड़ में चल रहा आतंक का बड़ा खेल सामने आया है। मुख्य आरोपी डॉ. मुजम्मिल, डॉ. आदिल, उमर और शाहीन ने मिलकर करीब 20 लाख रुपये कैश जुटाए थे, जो उमर को सौंपे गए थे। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, कहा जाता था कि ग़रीबी और अशिक्षा ग़लत रास्ते पर चलने को मजबूर कर देती है। पर इन पढ़े-लिखे डॉक्टरों की क्या मजबूरी रही होगी? न तो ग़रीब और न ही अशिक्षित। आगे बढ़ने का हर अवसर मिला। इनके आतंकवादी बनने के पीछे नफ़रत और असहिष्णुता है। आपको बता दें, हर जगह ब्लास्ट के लिए पुरानी सेकंड हैंड कारों का इंतजाम किया गया था।
हरियाणा पुलिस सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों की आड़ में आतंक का खेल खेलने वाले इन आरोपियों की बम ब्लास्ट की बहुत बड़ी प्लानिंग थी। सिर्फ दिल्ली ही नहीं, अयोध्या, प्रयागराज समेत कई जगहों को निशाना बनाया जाना था।
कहा जाता था कि ग़रीबी और अशिक्षा ग़लत रास्ते पर चलने को मजबूर कर देती है। पर इन पढ़े-लिखे डॉक्टरों की क्या मजबूरी रही होगी? न तो ग़रीब और न ही अशिक्षित। आगे बढ़ने का हर अवसर मिला। इनके आतंकवादी बनने के पीछे नफ़रत और असहिष्णुता है।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) November 13, 2025
Dawn अख़बार में रिपोर्ट के अंत में गलती से ChatGPT का प्रॉम्प्ट छप गया, जिससे AI के बढ़ते प्रयोग और संपादकीय सतर्कता पर नई बहस छिड़ गई। मिलिंद खांडेकर ने इसे पत्रकारिता के लिए चेतावनी बताया।
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पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी दैनिक Dawn में एक चौंकाने वाली गलती ने पत्रकारिता जगत और सोशल मीडिया में हलचल मचा दी है। ऑटो सेक्टर पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अंत में ChatGPT का वह प्रॉम्प्ट ज्यों का त्यों छप गया, जो मूल रूप से AI चैटबॉट से सामग्री तैयार करवाने के दौरान दिया गया था। प्रॉम्प्ट में लिखा था, “अगर आप चाहें, तो मैं फ्रंट-पेज स्टाइल में एक आकर्षक कॉपी भी बना सकता हूँ।
क्या आप अगला यही चाहते हैं?” इस एक पंक्ति ने साफ कर दिया कि पूरी रिपोर्ट कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सहायता से तैयार की गई थी और संपादन के दौरान प्रॉम्प्ट हटाने में लापरवाही हुई। इस घटना पर वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद खांडेकर ने एक्स पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “ChatGPT अख़बार बनाने लग गया, और गलती से पकड़ा भी गया।
खबर के अंत में AI पूछ रहा है कि क्या फ्रंट पेज की कॉपी भी बना दूँ। यानी पूरी कॉपी AI ने लिखी और एडिटिंग में प्रॉम्प्ट हटाने तक की ज़हमत नहीं उठाई। AI का इस्तेमाल कीजिए, पर दिमाग़ का भी इस्तेमाल कीजिए।”
ChatGPT अख़बार बनाने लग गया. गलती से पकड़ा भी गया. पाकिस्तान के Dawn अख़बार में खबर के आख़िर में सवाल पूछ रहा है कि क्या फ़्रंट पेज के लिए कॉपी बना दूँ. मतलब पूरी कॉपी AI ने लिखी है. कॉपी पेस्ट के कारण Prompt छप गया. AI का इस्तेमाल कीजिए पर दिमाग़ का इस्तेमाल भी कीजिए. pic.twitter.com/znMSJ9WUo8
— Milind Khandekar (@milindkhandekar) November 13, 2025
दिल्ली ब्लास्ट की जांच में सामने आया कि साजिशकर्ताओं का संबंध अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ा था। वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने ‘व्हाइट कॉलर टेररिज़्म’ को सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती बताया।
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चांदनी चौक कार ब्लास्ट की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। ताज़ा जानकारी के अनुसार, इस हमले की साजिश रचने वाले आतंकियों के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से सीधे संबंध थे। बताया जा रहा है कि ब्लास्ट में शामिल आतंकी इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ते और प्रैक्टिस करते थे।
पुलिस ने इसी मामले में यूनिवर्सिटी के डॉक्टर मुजम्मिल को विस्फोटक सामग्री जमा करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस गंभीर मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक अहम टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा, 'एक समय था जब आतंकी गरीब, शोषित या पठानी कपड़ों में हथियार लिए दिखते थे। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है।
अब डॉक्टर, इंजीनियर और उच्च शिक्षित लोग आतंकी नेटवर्क का हिस्सा बन रहे हैं।' उन्होंने इस खतरे को ‘व्हाइट कॉलर टेररिज़्म’ की संज्ञा दी और कहा कि यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए तेजी से उभरती हुई सबसे बड़ी चुनौती है।
दीपक चौरसिया के अनुसार, दिल्ली ब्लास्ट जैसे मामले यह संकेत देते हैं कि आतंकवाद अब केवल सीमाओं या जंगलों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शैक्षणिक संस्थानों और प्रतिष्ठित पेशों तक फैल चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि इस प्रवृत्ति को समय रहते पहचानना बेहद ज़रूरी है, ताकि सफेदपोश आतंकी जो आम जनता के बीच आसानी से घुल-मिल जाते हैं, को पकड़कर उनके नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके।
एक दौर था जब आतंकियों को गरीब, शोषित या फिर पठानी कपड़े पहने बंदूकधारियों के तौर पर देखा जाता था. लेकिन अब वो दौर बदल चुका है. अब पढ़ें लिखे डॉक्टर और इंजीनियर आतंकी बन रहे है. इस समय सुरक्षा एजेंसियों के लिए जो सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है वो है 'व्हाइट कॉलर टेररिज्म'…
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) November 12, 2025
वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने पटना से पूर्णिया की यात्रा के दौरान आम लोगों से बातचीत पर आधारित बिहार चुनाव 2025 का ज़मीनी विश्लेषण साझा किया। कई अहम संकेत सामने आए।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने से एक दिन पहले वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत ने अपनी मैदानी पड़ताल पर आधारित महत्वपूर्ण विश्लेषण साझा किया है। पूर्णिया से पटना के रास्ते के दौरान आम मतदाताओं के बीच लंबा समय बिताने के बाद उन्होंने बताया कि इस चुनाव में जनता के मन में क्या चल रहा है और किस मुद्दे ने लोगों को सबसे अधिक प्रभावित किया।
उनके अनुसार, NDA को बढ़त दिलाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने निभाई है। उनकी सेहत को लेकर जो अफवाहें सोशल मीडिया में थीं, ज़मीन पर उसका कोई असर नहीं दिखा। महिलाओं में नीतीश सरकार की 10,000 रुपये की सहायता राशि और 1100 रुपये मासिक पेंशन जैसी योजनाओं का गहरा प्रभाव देखने को मिला, जिसने NDA को मजबूत आधार दिया।
राणा यशवंत बताते हैं कि पारंपरिक वोट बैंक से अलग कई जातियों में RJD की सरकार को लेकर भय दिखाई दिया। वहीं दूसरी ओर, बीजेपी के कई विधायकों के प्रति जनता में असंतोष साफ दिखा। लोगों का कहना था कि 'मजबूरी में वोट दिया गया है।' उन्होंने यह भी बताया कि प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने कई सीटों पर बीजेपी को नुकसान पहुंचाया।
इसके साथ ही PK के भ्रष्टाचार संबंधी आरोपों की चर्चा गांव-गांव में फैल चुकी थी। जनता में आम राय थी कि 'नीतीश कुमार अच्छे हैं, लेकिन उनके अधिकारी अत्यधिक भ्रष्ट हैं,' जबकि महागठबंधन के कार्यकर्ता लोगों को कई जगह उद्दंड और आक्रामक दिखाई दिए।
सबसे अहम बात यह रही कि मुस्लिम मतदाता एकमुश्त महागठबंधन के पक्ष में दिखे और इस बार समुदाय के वोटों में कोई बिखराव नहीं हुआ। रिज़ल्ट कल आएंगे और राणा यशवंत की ये टिप्पणियाँ चुनावी हवा की दिशा को समझने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
पटना से पूर्णिया के रास्ते में हूँ. बिहार चुनावों के दौरान आम लोगों के बीच लंबा वक्त गुज़ारने के बाद कुछ तथ्य.
— Rana Yashwant (@RanaYashwant1) November 12, 2025
- NDA को एज रहा जिसकी बड़ी वजह नीतीश कुमार रहे.
- नीतीश कुमार की सेहत को लेकर कोई चर्चा नहीं थी.
- महिलाओं को दस हज़ार की सहायता और 1100 पेंशन का बड़ा असर दिखा.
- मोदी… pic.twitter.com/fWmZyBPdCW
भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क के सीएमडी उपेंद्र राय के दिवंगत बड़े भाई राजेश राय की याद में दिल्ली के लोधी रोड स्थित चिन्मय मिशन में प्रार्थना सभा आयोजित की गई।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
दिल्ली के लोधी रोड स्थित चिन्मय मिशन में सोमवार को भारत एक्सप्रेस न्यूज़ नेटवर्क के सीएमडी उपेंद्र राय के बड़े भाई राजेश राय की स्मृति में भावपूर्ण प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ। इस अवसर पर देश के अनेक गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित रहे और दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
सभा में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, कल्किधाम पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम, प्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास, वरिष्ठ पत्रकार, राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। उपेंद्र राय ने अपने भाई को याद करते हुए भावुक शब्दों में कहा, 'सबको कुछ न कुछ चाहिए होता है, पर मेरे गुड्डू भैया को कभी कुछ नहीं चाहिए था। वे सचमुच मन से साधु थे। दो दिन अस्पताल में रहने के बाद भी उन्हें हमसे विदा लेना पड़ा। वह बेबसी मैं कभी नहीं भूल सकता।'
कवि कुमार विश्वास ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, 'तृप्त होकर धरती से जाना ही मोक्ष है। भगवान कृष्ण प्रेम में अपनी पूरी उपस्थिति देते हैं ,वही भाव उपेंद्र जी के भीतर भी जागा है।' वहीं आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भगवान बुद्ध के उदाहरण से समझाया कि मृत्यु का अनुभव आत्मा की यात्रा है, जिसे कोई लौटकर साझा नहीं करता। प्रार्थना सभा में केसी त्यागी, मुमताज पटेल, पंकज सिंह और डॉ. शिव कुमार शरीन सहित कई नेता और पत्रकार भी उपस्थित रहे।
मेरे बड़े भाई स्वर्गीय राजेश राय की पुण्य स्मृति में दिल्ली में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में आपके प्रेम, आशीर्वाद और संवेदनाओं ने हमें अत्यंत संबल दिया। इस अवसर पर देश के कई दिग्गज नेताओं ने अपने शोक संदेश भेजे, जिसके लिए मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। सभा में आए सभी लोगों का… pic.twitter.com/rnYyXQX8dN
— Upendrra Rai (@UpendrraRai) November 11, 2025