विनोद कुमार शुक्ल को देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। वे यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाले छत्तीसगढ़ के पहले लेखक होंगे।
हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध लेखक विनोद कुमार शुक्ल को देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। वे यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाले छत्तीसगढ़ के पहले लेखक होंगे। इस जानकारी के सामने आने के बाद पत्रकार प्रणव सिरोही ने भी अपने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर अपनी खुशी को जाहिर किया है।
उन्होने एक्स पर लिखा, वैसे तो प्रतिभा किसी भी पुरस्कार से परे है, किंतु जब किसी प्रिय रचनाकार को पुरस्कृत किया जाता है तो हृदय के तार झंकृत हो ही जाते हैं। जिन लेखकों को पढ़कर साहित्य के प्रति मेरे अनुराग में वृद्धि हुई, उनमें से एक श्री विनोद कुमार शुक्ल जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार की हार्दिक बधाई।
उन्होंने एक और पोस्ट में लिखा, निःसंदेह नौकर की क़मीज़ (जिसके बारे में निर्मल वर्मा का भी यही मानना था कि ‘आधुनिक’ हिंदी की जिन कृतियों [तमस, राग दरबारी और सूखा बरगद सहित] के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है) विनोद कुमार शुक्ल जी की एक नायाब कृति है और उनका समूचा रचना संसार अद्भुत-अप्रतिम है, लेकिन दीवार में एक खिड़की रहती थी में उन्होंने जो जादू रचा वो मैं दोबारा कहीं नहीं खोज पाया।
आपको बता दें, 88 वर्षीय शुक्ल अपनी कहानियों, कविताओं और लेखों के लिए जाने जाते हैं और समकालीन हिंदी साहित्य के सबसे प्रभावशाली रचनाकारों में शुमार हैं। यह पुरस्कार 11 लाख रुपये की राशि, मां सरस्वती की कांस्य प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र के साथ दिया जाता है।
निःसंदेह नौकर की क़मीज़ (जिसके बारे में निर्मल वर्मा का भी यही मानना था कि ‘आधुनिक’ हिंदी की जिन कृतियों [तमस, राग दरबारी और सूखा बरगद सहित] के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है) विनोद कुमार शुक्ल जी की एक नायाब कृति है और उनका समूचा रचना संसार अद्भुत-अप्रतिम है, लेकिन दीवार में एक… https://t.co/TqcnZHCH9n
— Pranav Sirohi (@pranavsirohi) March 22, 2025
गांवों और विभिन्न स्थानों पर केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर नजर रखी गई है। 1093 फर्जी अकाउंट की पहचान की गई है।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते दिनों जमकर हिंसा हुई। वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले थे जिसमें कम से कम 3 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान का कहना है कि पीएम मोदी को हिंसा पीड़ितों से मिलने जाना चाहिए।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर लिखा, यदि गुजरात दंगा पीड़ितों से मिलने वाजपेयी जा सकते हैं और मुजफ्फरनगर दंगा पीडितों से मिलने मनमोहन सिंह तो मुर्शिदाबाद की हिंसा के शिकार लोगों से मिलने पीएम मोदी क्यों नहीं जा सकते? मुर्शिदाबाद की हिंसा वैसे भी दंगा नहीं, अगस्त 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे जैसी बर्बरता है।
आपको बता दें, मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन काननू को लेकर हिंसा की किसी घटना को रोकने के लिए जंगीपुर, धुलियान, सुती और शमशेरगंज में BSF, CRPF, राज्य सशस्त्र पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है।
यदि गुजरात दंगा पीड़ितों से मिलने वाजपेयी जा सकते हैं और मुजफ्फरनगर दंगा पीडितों से मिलने मनमोहन सिंह तो मुर्शिदाबाद की हिंसा के शिकार लोगों से मिलने पीएम मोदी क्यों नहीं जा सकते? मुर्शिदाबाद की हिंसा वैसे भी दंगा नहीं, अगस्त 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे जैसी बर्बरता है।…
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) April 15, 2025
हम यह दोहराना चाहते हैं कि 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद केंद्र, राज्य और ज़िला, तीनों स्तर की सरकारों की शक्तियाँ संविधान द्वारा परिभाषित हैं।
वक्फ कानून के खिलाफ हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। केंद्र सरकार भी इस मामले को लेकर काफी गंभीर है। वही बीजेपी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि वक्फ कानून पर हिंसा लोकतंत्र और संविधान दोनों के लिए गंभीर है।
उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, समस्त संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद बने संशोधित कानून के विरुद्ध जिस प्रकार की अनर्गल, चित्र-विचित्र बातें विपक्षी गठबंधन की सरकारों और नेताओं द्वारा की जा रही हैं, वह अत्यंत चिंताजनक है।
यदि कर्नाटक के मंत्री यह कहते हैं कि वे इस कानून को लागू नहीं करेंगे, यदि पश्चिम बंगाल में इसी प्रकार की बातें उठ रही हैं, और झारखंड के एक मंत्री यहाँ तक कह देते हैं कि उनके लिए संविधान से ऊपर शरिया है तो यह स्थिति लोकतंत्र और संविधान दोनों के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।
मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि देश की जनता की आँखें अब खुल चुकी हैं। उन्होंने देख लिया है कि यदि ऐसे लोगों के हाथों में सत्ता रही, तो भारत का संविधान खतरे में पड़ सकता है। हम यह दोहराना चाहते हैं कि 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद केंद्र, राज्य और ज़िला, तीनों स्तर की सरकारों की शक्तियाँ संविधान द्वारा परिभाषित हैं।
कोई भी ज़िला पंचायत राज्य विधानसभा से पारित कानून की सीमाओं से बाहर नहीं जा सकती, और कोई राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा पारित कानून को नकार नहीं सकती। ऐसे में यदि कोई नेता या सरकार इस प्रकार की बातें करते हैं, तो इसका सीधा अर्थ है कि वे संविधान को जेब में रखते हैं।
समस्त संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद बने संशोधित कानून के विरुद्ध जिस प्रकार की अनर्गल, चित्र-विचित्र बातें INDI गठबंधन की सरकारों और नेताओं द्वारा की जा रही हैं, वह अत्यंत चिंताजनक है।
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) April 14, 2025
यदि कर्नाटक के मंत्री यह कहते हैं कि वे इस कानून को लागू नहीं करेंगे, यदि पश्चिम… pic.twitter.com/zoDaE8ffRd
दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के कामकाज पर सवाल उठाए।
दिल्ली में पिछले कुछ सालों में प्राइवेट स्कूलों में हुई फीस की बढ़ोत्तरी को लेकर बवाल मचा हुआ है। कई अभिभावक स्कूलों की मनमानी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि एसडीएम के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई गई है, जो प्राइवेट स्कूलों का ऑडिट करेगी।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत का कहना है कि प्राइवेट स्कूल अब धंधा बन गए है। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, प्राइवेट स्कूल धंधा हैं। धंधा का मतलब लूट, अन्याय, अराजकता और अंधेरगर्दी। फीस बढ़ गई। दे दो वरना अपना बच्चा वापस लो। किताब हर साल नई और महंगी होगी। ख़रीदो वरना बच्चा वापस ले जाओ।
यूनिफार्म सस्ती मिल रही है तो क्या हुआ, जहाँ से कहा जा रहा है, वहीं से लो वरना बच्चा वापस बुला लो। माता पिता अपनी जरूरतों और कमाई की लड़ाई निपटाने में हलकान हैं और ये प्राइवेट स्कूल वालों से नींद अलग हराम है। आपको बता दें, दिल्ली में शिक्षा पर सरकार अच्छा-खासा अमाउंट खर्च करती है।
दिल्ली के ओवरऑल बजट की बात करें तो इसमें 21% हिस्सेदारी शिक्षा विभाग की है। पूरे देश की बात करें तो शिक्षा पर कुल खर्च पिछले कुछ सालों में 12 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
प्राइवेट स्कूल धंधा हैं. ‘धंधा’ का मतलब लूट,अन्याय,अराजकता और अंधेरगर्दी. फीस बढ़ गई-दे दो वरना अपना बच्चा वापस लो. किताब हर साल नई और महंगी होगी- ख़रीदो वरना बच्चा वापस ले जाओ. यूनिफार्म सस्ती मिल रही है तो क्या हुआ,जहाँ से कहा जा रहा है,वहीं से लो वरना बच्चा वापस बुला लो. माता… https://t.co/iXfOfP92QM
— Rana Yashwant (@RanaYashwant1) April 14, 2025
इससे पहले शुक्रवार और शनिवार को वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद के सुती, धुलियान और जंगीपुर जैसे इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी।
पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ भड़की हिंसा के बाद तनाव का माहौल फैला हुआ है। भाजपा लगातार सीएम ममता बनर्जी पर हिंसा को रोकने में नाकाम रहने का आरोप लगा रही है। वहीं, अब राज्य के दक्षिण 24 परगना में भी तनाव की स्थिति देखने को मिली है। इस बीच पत्रकार और एंकर सौरव शर्मा ने अपने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने एक्स पर लिखा कि सामने मुसलमान हैं तो ममता बनर्जी की सरकार कोई एक्शन नहीं लेंगी। उन्हें पता है कि सरकार में रहने के लिए उन्हें मुसलमान वोट के साथ हिंदुओं का सिर्फ 10-15 पर्सेंट वोट चाहिए,वो मिल ही जाएगा। जब कोई ये सोचता है की मैं हार ही नहीं सकता तो वो किसी की बात क्यों सुनेगा। हार का डर ज़रूरी है।
आपको बता दें, दक्षिण-24 परगना में स्थिति को संभालने के लिए कई अधिकारियों समेत भारी संख्या में पुलिसबल को तैनात किया गया है। भांगर के साथ ही इसके आस-पास के इलाकों में हाई अलर्ट जारी किया गया। इसके कुछ देर बाद प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया गया।
सामने मुसलमान हैं तो ममता बनर्जी की सरकार कोई एक्शन नहीं लेंगी।उन्हें पता है कि सरकार में रहने के लिए उन्हें मुसलमान वोट के साथ हिंदुओं का सिर्फ 10-15 पर्सेंट वोट चाहिए,वो मिल ही जाएगा।जब कोई ये सोचता है की मैं हार ही नहीं सकता तो वो किसी की बात क्यों सुनेगा।हार का डर ज़रूरी है। https://t.co/Y2SrCaDbUv
— Saurav Sharmma (@journosaurav) April 14, 2025
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने बनारस के शिवेंद्र द्विवेदी को सर्वोच्च न्यायालय में अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया है। शिवेंद्र के पास 20 साल से अधिक का वकालत का अनुभव है।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने बनारस के रामापुरा निवासी शिवेंद्र द्विवेदी को सर्वोच्च न्यायालय में हिमाचल प्रदेश के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया है। शिवेंद्र द्विवेदी के पास दो दशकों से अधिक वकालत का अनुभव है। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र चौबे ने सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर शिवेंद्र द्विवेदी को बधाई दी है।
उन्होने एक्स पर लिखा, दिल्ली के सबसे बेहतरीन वकीलों में से एक को हिमाचल राज्य के लिए अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया जाता है। उभरते सितारे को शुभकामनाएं। आपको बता दें, दो दशकों के अभ्यास के साथ, द्विवेदी ने नागरिक और आपराधिक मुकदमेबाजी, विवाद समाधान और वाणिज्यिक मामलों में व्यापक काम किया है। वह बार काउंसिल ऑफ इंडिया और सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन के सदस्य हैं।
One of the finest lawyers in Delhi gets appointed as Additional Advocate General for the state of Himachal. Best wishes to the rising star. @Shivendrad @KirenRijiju @MLJ_GoI @AmanSinhaLaw @amanlekhi https://t.co/Z8MPiDYxfi
— bhupendra chaubey (@bhupendrachaube) April 14, 2025
कोर्ट ने उल्लेख किया कि सरकारिया आयोग ने इस विषय की ओर संकेत किया था और सिफारिश की थी कि अनुच्छेद 201 के अंतर्गत संदर्भों के शीघ्र निस्तारण के लिए निश्चित समयसीमा हो।
राज्य विधानसभाओं के विधेयकों पर राज्यपालों को कार्रवाई के लिए समयसीमा तय करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार निर्देश दिया कि राष्ट्रपति को ऐसे विधेयकों पर, राज्यपालों से प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने के भीतर फैसला लेना होगा। इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, जो सुप्रीम कोर्ट स्वयं वर्षों तक मामले लटकाए रखता है और फैसला नहीं देता है वह राज्यपाल तो छोड़िए राष्ट्रपति को आदेश दे रहा है कि आप विधेयकों पर 3 महीने में फैसला कर दीजिए। दो माननीय न्यायाधीशों जेबी पार्डीवाला और आर महादेवन ने ऐसा करते हुए संसदीय लोकतंत्र में निहित लक्ष्मण रेखा को लांघा है, अपने अधिकारों का अतिक्रमण किया है।
अगर सुप्रीम कोर्ट विधेयकों को मंजूरी देने लगे तो फिर राज्यपाल और राष्ट्रपति की आवश्यकता ही नहीं रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को यदि उच्चतम न्यायालय की सर्वोच्चता का भान कराना है तो राष्ट्रपति के भी सर्वोच्चता गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। यह उन विधेयकों में ऐसा क्या है जिसके लिए राज्यपाल ने राष्ट्रपति तक के पास भेजा?
आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने, तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि द्वारा 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखने की कार्रवाई को अवैध और त्रुटिपूर्ण ठहराया है। जबकि वे विधेयक पहले ही राज्य विधानसभा द्वारा पुनर्विचारित किए जा चुके थे।
जो सुप्रीम कोर्ट स्वयं वर्षों तक मामले लटकाए रखता है और फैसला नहीं देता है वह राज्यपाल तो छोड़िए राष्ट्रपति को आदेश दे रहा है कि आप विधेयकों पर 3 महीने में फैसला कर दीजिए। दो माननीय न्यायाधीशों जेबी पार्डीवाला और आर महादेवन ने ऐसा करते हुए संसदीय लोकतंत्र में निहित लक्ष्मण रेखा…
— Awadhesh Kumar (@Awadheshkum) April 13, 2025
इसके साथ ही कैलाश खेर और मालिनी अवस्थी जैसे कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी जियो हॉटस्टार पर लाइव दिखाई जाएंगी।
इस साल राम नवमी के शुभ अवसर पर, जियो हॉटस्टार और बॉलीवुड मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने मिलकर एक खास पहल की है। यह साझेदारी राम नवमी समारोह को लाखों लोगों तक पहुंचाने के लिए की गई है। जियो हॉटस्टार के माध्यम से देशभर के दर्शक भगवान श्रीराम की कथा को सुनेगे।
जियोहॉटस्टार ने एक वीडियो पोस्ट किया है। वीडिया में अमिताभ बच्चन कहते हैं, युगों-युगों से इस धरती पर, कितने जन्में, कितने आये, उन सभी में बस एक वही क्यों ‘मर्यादा पुरषोत्तम’ कहलाये। इस रामनवमी पर आप सबके सामने राम कथा प्रस्तुत करने का अवसर मुझे दिया गया है।
अमिताभ ने आगे कहा, भगवान श्री राम के जन्मोत्सव का सबसे भव्य उत्सव रामनवमी आरती आप देख सकते हैं लाइव 6 अप्रैल को सुबह 8 बजे से दिनभर जियो हॉटस्टार पर। लाइव स्ट्रीमिंग में अयोध्या में की जाने वाली विशेष पूजा, मंदिरों में पवित्र अनुष्ठान, भद्राचलम, पंचवटी, चित्रकूट और आरती की स्ट्रीमिंग भी होगी।
Iss Ram Navami Ayodhya se lekar Panchvati tak har jagah gunjega bas Shree Ram ka naam
— JioHotstar (@JioHotstar) April 4, 2025
Presenting Ram Katha with Shri Amitabh Bachchan, Live Aarti from Ayodhya, Chitrakoot, Panchavati & Bhadrachalam, Religious discourses with revered spiritual leaders, enchanting Musical… pic.twitter.com/N3dpDaJnTP
कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए राहुल गांधी का नया एक्शन प्लान आया है। जिसके तहत कांग्रेस अब प्रोफेशनल नेताओं की नई खेप तैयार करेगी।
कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए राहुल गांधी का नया एक्शन प्लान आया है। जिसके तहत कांग्रेस अब प्रोफेशनल नेताओं की नई खेप तैयार करेगी। फैलोशिप प्रोग्राम के जरिए नए नेताओं की फौज खड़ी करेंगे। प्रोग्राम के तहत हर साल देशभर से 50 पेशेवर लोगों का चयन होगा। इस मामले पर पद्मश्री आलोक मेहता ने भी सोशल मीडिया से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने एक्स पर लिखा, आवेदक कृपया पुराना रिकॉर्ड देख लें।
मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कैसा व्यवहार राहुल राज में हुआ ? युवा प्रोफेशनल और वफ़ादारों को किनारे किसने किया और घोटालेबाजों को महत्व मिला। शशि थरूर तो प्रोफेशनल भी हैं और चार चुनाव जीते। मनीष तिवारी तो नामी विधिवेत्ता और चुनावों में जीते। लेकिन क्या राहुल गांधी ने उनको पार्टी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनाया? गौरव वल्लभ मैनेजमेंट गुरु हैं। उनको पार्टी क्यों छोड़नी पड़ी? राज्यों में तो हाल और बुरा है।
आपको बता दें, पूर्व पीएम डॉ.मनमोहन सिंह के नाम से फैलोशिप प्रोग्राम लॉन्च किया गया है। 10 साल के प्रोफेशनल काम का अनुभव रखने वाले लोग आवेदन कर सकेंगे। टॉप लीडर का एक पैनल पेशेवर लोगों का चयन करेगा।
शशि थरूर तो प्रोफेशनल भी हैं और चार चुनाव जीते ।मनीष तिवारी तो नामी विधिवेत्ता और चुनावों में जीते ।लेकिन क्या राहुल गांधी ने उनको पार्टी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनाया ?गौरव वल्लभ मैनेजमेंट गुरु हैं । उनको पार्टी क्यों छोड़नी पड़ी ?
— Alok Mehta (@alokmehtaeditor) April 5, 2025
राज्यों में तो हाल और बुरा है । https://t.co/986b70R6ig
मिशन 2026 के लिए अन्नामलाई का बलिदान आपको बताता है कि भाजपा की चुनावी सफलता का एक कारण इस सिद्धांत का निर्मम पालन है कि कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं है।
तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने ही मुहर लगा दी है। कोयम्बटूर में मीडिया से बातचीत में अन्नामलाई ने कहा कि नए अध्यक्ष के चयन की रेस में वे नहीं है और नए अध्यक्ष का चुनाव सभी नेता मिलकर एक मत से करेंगे।
इस जानकारी के सामने सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की। उन्होने एक्स पर लिखा, मिशन 2026 के लिए अन्नामलाई का बलिदान आपको बताता है कि भाजपा की चुनावी सफलता का एक कारण इस सिद्धांत का निर्मम पालन है कि कोई भी पार्टी से ऊपर नहीं है। क्या सहमत है?
आपको बता दें, अध्यक्ष पद के लिए फिलहाल थेवर जाति से आने वाले नयनार नागेन्द्रन, दलित नेता और केंद्रीय मंत्री L मुरुगन और नाडार जाति से आने वाली तमिलइसई सौन्दरराजन के नाम की चर्चा चल रही है।
Annamalai's "sacrifice" for mission 2026 tells you one of the reasons for the BJP's electoral success is its ruthless adherence to the principle that "no one is above the party". Agree? pic.twitter.com/B3ysR36yai
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) April 4, 2025
इस ऐतिहासिक समझौते का उद्देश्य दूरदर्शन को भारतीय न्यूज टेलीविजन में फिर से एक प्रभावशाली शक्ति के रूप में स्थापित करना है।
हिंदी न्यूज़ चैनल 'आजतक' में प्राइम टाइम एंकर की भूमिका निभा रहे सुधीर चौधरी ने यहां अपनी पारी को विराम दे दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी। उन्होंने एक्स पर लिखा कि कल उनका आखिरी शो था और एक नए प्लेटफॉर्म पर वो जल्द आपसे मिलने वाले है।
दरअसल, समाचार4मीडिया ने आपको पहले ही इस बात की जानकारी दे दी थी कि सुधीर चौधरी जल्द ही 'आजतक' को अलविदा कहने वाले है। दरअसल प्रसार भारती ने वरिष्ठ पत्रकार, संपादक और न्यूज एंकर सुधीर चौधरी के साथ एक बड़ी डील की है, जो संभवतः इसकी अब तक की सबसे बड़ी मीडिया डील मानी जा रही है।
इस ऐतिहासिक समझौते का उद्देश्य दूरदर्शन को भारतीय न्यूज टेलीविजन में फिर से एक प्रभावशाली शक्ति के रूप में स्थापित करना है। इस परियोजना में सुधीर चौधरी प्रमुख भूमिका निभाएंगे और इससे देश का सबसे प्रभावशाली न्यूज शो बनने की संभावना है।
दूरदर्शन लंबे समय तक भारत में विश्वसनीय और प्रभावशाली न्यूज कवरेज का पर्याय रहा है। निजी न्यूज चैनलों के बढ़ने से इसका प्रभाव कम हो गया था। अब, सुधीर चौधरी की अगुवाई में दूरदर्शन को फिर से भारतीय पत्रकारिता का स्वर्ण मानक बनाने की योजना बनाई जा रही है।
My last walk on the news ramp for Black&White on Aaj Tak. See you soon on a new platform with a new show. pic.twitter.com/YGI54eyYAb
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) April 4, 2025