आर्यन मिश्रा अपने दोस्तों के साथ डस्टर गाड़ी में नूडल खाने के लिए गया था। गोरक्षकों ने उन्हें तस्कर समझकर दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे पर करीब 30 किलोमीटर तक पीछा किया।
हरियाणा के फरीदाबाद में 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा की हत्या ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। आर्यन को गौतस्कर समझ गौ रक्षकों ने गोली मार दी थी। वहीं आर्यन की मौत से उसके पिता सियानंद मिश्रा पूरी तरह टूट चुके हैं। घटना 23 अगस्त की है।
इस मामले में 5 आरोपियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। इस पूरे मसले पर वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और कहा कि इस घटना की जिम्मेदारी सरकार की है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, हरियाणा के आर्यन मिश्रा को मुसलमान गौतस्कर समझ मार डाला।
बाद में बोला हमें लगा मुसलमान था। मतलब मुसलमान होता तो मार डालना जायज़ था? गौतस्करी रोकने के नाम पर लोगों को हथियार लिए घूमना अलाउ करने वाली सरकार आर्यन मिश्रा की मौत के लिए ज़िम्मेदार है। लोगों के हाथ में क़ानून देंगे तो आएँगे सब इसकी चपेट में।
आपको बता दे, आर्यन मिश्रा अपने दोस्तों के साथ डस्टर गाड़ी में नूडल खाने के लिए गया था। गोरक्षकों ने उन्हें तस्कर समझकर दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे पर करीब 30 किलोमीटर तक पीछा किया। इसके बाद फायरिंग करनी शुरू कर दी। इसमें गोली लगने से आर्यन की मौत हो गई।
हरियाणा के आर्यन मिश्रा को मुसलमान गौतस्कर समझ मार डाला। बाद में बोला हमें लगा मुसलमान था। मतलब मुसलमान होता तो मार डालना जायज़ था? गौतस्करी रोकने के नाम पर लोगों को हथियार लिए घूमना Allow करने वाली सरकार आर्यन मिश्रा की मौत के लिए ज़िम्मेदार है। लोगों के हाथ में क़ानून देंगे तो…
— Sanket Upadhyay (@sanket) September 4, 2024
बंगाल के मुस्लिम बहुल इलाकों में 8 से 12 अप्रैल तक हुई हिंसा के सिलसिले में पिता-पुत्र सहित तीन लोगों की मौत हो गई और 274 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा की निंदा करते हुए इसे 'बर्बर' बताया और कहा कि ऐसी घटनाएं फिर कभी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा में मारे गए एक व्यक्ति और उसके बेटे के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर बहुत से 'निष्पक्ष' पत्रकारों की चुप्पी पर हैरानी जताई है। उन्होंने एक्स हैंडल से लिखा, लेकिन दिल्ली में बैठे बहुत से 'निष्पक्ष' लोगों के लिए दीदी के राज में 'ऑल इज वेल' है और बंगाल की अपराधिक घटनाओं पर मौन व्रत लेने वाले दूसरों को गोदी मीडिया/दलाल कहते हैं। लिख/बोल भी रहे हैं तो ऐसे कि दीदी बुरा न मान जाएं।
आपको बता दें, बंगाल के मुस्लिम बहुल इलाकों में 8 से 12 अप्रैल तक हुई हिंसा के सिलसिले में पिता-पुत्र सहित तीन लोगों की मौत हो गई और 274 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। उधर, विश्व हिंदू परिषद हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है। वीएचपी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि देश भर के हर जिला मुख्यालय में जिलाधिकारियों को ज्ञापन देकर मांग करेंगे कि केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने पर विचार करे।
लेकिन दिल्ली में बैठे बहुत से "निष्पक्ष" लोगों के लिए दीदी के राज में #AllIsWell !
— richa anirudh (@richaanirudh) April 20, 2025
और बंगाल की अपराधिक घटनाओं पर मौन व्रत लेने वाले दूसरों को गोदी मीडिया/दलाल कहते हैं..लिख/बोल भी रहे हैं तो ऐसे कि दीदी बुरा न मान जाएं #BengalBurning #MurshidabadViolence https://t.co/pj4Yn2tYo0
एक बार जब उसे शुरुआत मिल जाएगी तो वह वहीं रुकेगा और खेल खत्म करेगा। दूसरों के लिए एक सबक जो इस तरह की दौड़ में प्रसिद्धि पाने के लिए प्रलोभित हो सकते हैं।
आईपीएल के 37वें मैच में रविवार को पंजाब किंग्स का सामना रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु से था। यह मुकाबला मुल्लांपुर के महराजा यदविंद्र सिंह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में खेला गया। आरसीबी ने पंजाब से पिछली हार का बदला ले लिया है। बेंगलुरु की टीम ने सात विकेट से जीत हासिल की। इस बीच वरिष्ठ खेल पत्रकार विक्रांत गुप्ता ने सोशल मीडिया से एक पोस्ट की और विराट कोहली की तारीफ़ की।
उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, बात यह है कि लक्ष्य का पीछा करते समय जब उन्हें शुरुआत मिलेगी तो अक्सर विराट कोहली इसे बाकी के लिए नहीं छोड़ेंगे। एक बार जब उसे शुरुआत मिल जाएगी तो वह वहीं रुकेगा और खेल खत्म करेगा। दूसरों के लिए एक सबक जो इस तरह की दौड़ में प्रसिद्धि पाने के लिए प्रलोभित हो सकते हैं।
आपको बता दें, बेंगलुरु की इस जीत में विराट कोहली और देवदत्त पड़िक्कल ने अहम योगदान दिया। दोनों ने इस मैच में अर्धशतकीय पारी खेली, जिसके बदौलत RCB ने 158 रन के टारगेट को बेहद आसानी से अपने नाम कर लिया।
The thing is when he will get a start while chasing, more often than not Virat Kohli wont leave it for the rest. Once he gets a start, he will stay there, finish off the game. A lesson for others who may be tempted to go for glory in such run chases #RCBvPBKS
— Vikrant Gupta (@vikrantgupta73) April 20, 2025
पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून हिंसा विवाद के बीच भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती ने कहा- ममता बनर्जी बंगाली हिंदुओं के लिए खतरा बन चुकी हैं। बंगाली हिंदू बेघर हैं।
पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून हिंसा विवाद के बीच राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप जारी है। वही हिंसा के दौरान कई हिंदू परिवारों को मुर्शिदाबाद छोड़कर मालदा की ओर पलायन करना पड़ा, जिससे हालात और अधिक संवेदनशील हो गए। प्रशासन ने मुर्शिदाबाद के हिंसा-प्रभावित इलाकों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई हैं।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राहुल शिवशंकर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट कर लिखा कि हमें बंगाल के हिन्दुओं की पीड़ा को समझना होगा। उन्होंने एक्स पर लिखा, 35 साल पहले कश्मीरी हिंदुओं की पुकार को नजरअंदाज कर दिया गया। हम सब एक नरसंहार में भागीदार बन गये।
आज बंगाली हिंदुओं की पीड़ा साक्षात् दिख रही है। वे केंद्रीय बल चाहते हैं. एनडीए को पश्चिम बंगाल में सीआरपीएफ तैनात करने के लिए धारा 2(ए), धारा 355 को लागू करना चाहिए। इससे कुछ भी कम विश्वासघात है। आपको बता दें, पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून हिंसा विवाद के बीच भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती ने कहा- ममता बनर्जी बंगाली हिंदुओं के लिए खतरा बन चुकी हैं।
बंगाली हिंदू बेघर हैं, राहत शिविरों में खिचड़ी खाने को मजबूर हैं। उनका क्या दोष है। साथ ही उन्होंने कहा- राज्य में भाजपा नहीं, ममता बनर्जी ने सांप्रदायिक तनाव बढ़ाया है। वो समुदायों के बीच अशांति पैदा कर रही हैं।
कश्मीर में ऐतिहासिक मील का पत्थर। लगभग 38 साल बाद कश्मीर में फिल्म प्रीमियर का आयोजन। इस सफलता का प्रमुख कारण अनुच्छेद 370 को निरस्त करना है।
‘ग्राउंड जीरो’ ने शुक्रवार को एक नया इतिहास रचा। बीते 38 वर्ष में कश्मीर में रेड कार्पेट प्रीमियर होने वाली यह पहली फिल्म है। यह फिल्म संसद हमले के मुख्य षड्यंत्रकारी जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर गाजी बाबा को मार गिराने के अभियान पर केंद्रित है।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार आदित्य राज कौल ने भी सोशल मीडिया हैंडल से एक पोस्ट की और अपनी राय दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, कश्मीर में ऐतिहासिक मील का पत्थर। लगभग 38 साल बाद कश्मीर में फिल्म प्रीमियर का आयोजन। ग्राउंड ज़ीरो स्क्रीनिंग एक बड़ी सफलता थी। इस सफलता का प्रमुख कारण अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों द्वारा अलगाववादियों और आतंकवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई है।
आपको बता दें, शुक्रवार को एक्सेल एंटरटेनमेंट ने कश्मीर पर आधारित अपनी आने वाली फिल्म ग्राउंड जीरो की स्क्रीनिंग की। श्रीनगर में हुए इस प्रीमियर के दौरान रेड कारपेट पर बीएसएफ के जवानों और फिल्म की पूरी टीम ने एंट्री की। ग्राउंड जीरो का यह खास प्रीमियर बीएसएफ के जवानों के लिए आयोजित किया गया था।
Historic milestone in Kashmir: Film Premiere organised in Kashmir after almost 38 years. Ground Zero screening was a major success. This success is majorly because or Article 370 abrogation and action taken against separatists and terrorists by security forces over the years. ?? pic.twitter.com/l8H0Co0CK1
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) April 19, 2025
वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर अंजना ओम कश्यप ने भी अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर फिल्म की तारीफ़ की है।
अक्षय कुमार की फिल्म केसरी चैप्टर 2 शुक्रवार को रिलीज हुई है। इस फिल्म को लेकर काफी समय से बज है और रिलीज के बाद फिल्म को काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। वही वरिष्ठ पत्रकार और प्राइम टाइम एंकर अंजना ओम कश्यप ने भी अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर फिल्म की तारीफ़ की है।
उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, सशक्त क्षण जब सभी ने स्क्रीनिंग में तालियां बजाईं। एक बहुत ही खास फिल्म और अक्षय कुमार का उत्कृष्ट प्रदर्शन। जलियांवाला बाग और शंकरन नायर की अनकही कहानी में। केसरी चैप्टर 2 पहले शॉट से लेकर आखिरी शॉट तक शानदार है। हमारी कहानियों को बताने की ज़रूरत है।
आपको बता दें, फिल्म में उनके अलावा आर माधवन और अनन्या पांडे भी हैं। फिल्म को करण सिंह त्यागी ने डायरेक्ट किया है। फिल्म को करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस धर्मा प्रोडक्शन द्वारा प्रोड्यूस किया है।
“We are suing the crown for genocide!” Powerful moments when everyone clapped in the screening. A very special film and an outstanding performance by @akshaykumar in the untold story of Jallianwala Bagh & Sankaran Nair. Kesari Chapter 2 is brilliant from the first shot to the… pic.twitter.com/Fz9dnzI9MM
— Anjana Om Kashyap (@anjanaomkashyap) April 18, 2025
दिलीप घोष ने पार्टी सहयोगी रिंकू मजूमदार के साथ शादी की है। जानकारी के मुताबिक, दोनों की शादी का समारोह के समय करीबी रिश्तेदार और परिवार को लोग उपस्थित रहे।
भारतीय जनता पार्टी के नेता दिलीप घोष ने शुक्रवार को शादी कर ली है। दिलीप घोष ने 60 साल की उम्र में पार्टी सहयोगी रिंकू मजूमदार के साथ शादी की है। जानकारी के मुताबिक, दोनों की शादी का समारोह के समय करीबी रिश्तेदार और परिवार को लोग उपस्थित रहे। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यश्वंत ने अपने सोशल मीडिया से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, पश्चिम बंगाल बीजेपी नेता दिलीप घोष पार्टी ही की नेता रिंकू मजूमदार से शादी करेंगे, यह खबर ज़बरदस्त चर्चा में क्यों है? बस इसीलिए ना कि वे 61 साल के हैं? अगर शादी की उम्र में होते तो यूँ चर्चा होती क्या? यानी समाज प्रेम और ब्याह दोनों के लिए अपना पैमाना रखता है।
लेकिन लोग इंदीवर साहब को गुनगुनाते रहते हैं, ना उम्र की सीमा हो,ना जन्म का हो बंधन। आपको बता दें, दिलीप घोष की दुल्हन का नाम रिंकू मजूमदार है। रिंकू का घर न्यूटाउन में है। जानकारी के मुताबिक, रिंकू कोलकाता उत्तर उपनगरीय संगठनात्मक भाजपा जिला महिला मोर्चा से जुड़ी हैं। बताया जा रहा है कि दिलीप से बातचीत उनके भाजपा में शामिल होने पर आधारित है।
पश्चिम बंगाल बीजेपी नेता दिलीप घोष पार्टी ही की नेता रिंकू मजूमदार से शादी करेंगे, यह खबर ज़बरदस्त चर्चा में क्यों है? बस इसीलिए ना कि वे 61 साल के हैं? अगर शादी की उम्र में होते तो यूँ चर्चा होती क्या? यानी समाज प्रेम और ब्याह दोनों के लिए अपना पैमाना रखता है. लेकिन लोग इंदीवर…
— Rana Yashwant (@RanaYashwant1) April 18, 2025
सोशल मीडिया की दुनिया में दबदबा रखने वाले फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने खुद एक समय इस प्लेटफॉर्म की गिरती सांस्कृतिक पहचान को लेकर गहरी चिंता जताई थी।
सोशल मीडिया की दुनिया में दबदबा रखने वाले फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने खुद एक समय इस प्लेटफॉर्म की गिरती सांस्कृतिक पहचान को लेकर गहरी चिंता जताई थी। यह खुलासा उस वक्त हुआ जब अमेरिकी एंटीट्रस्ट केस के दौरान अप्रैल 2022 में हुए उनके और फेसबुक हेड टॉम एलिसन के बीच के ई-मेल कोर्ट में पेश किए गए।
इन आंतरिक संवादों के मुताबिक, जुकरबर्ग ने कहा था कि "भले ही कई क्षेत्रों में फेसबुक ऐप का एंगेजमेंट स्थिर है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि इसकी सांस्कृतिक प्रासंगिकता बहुत तेजी से घट रही है, और मुझे डर है कि यह भविष्य में आने वाली गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकता है।"
फेसबुक की मूल पहचान को लेकर जताई गई यह चिंता उस समय सामने आई जब मेटा पर इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप के अधिग्रहण को लेकर फेडरल ट्रेड कमीशन ने कोर्ट में गैरकानूनी करार देते हुए केस दायर किया है। इस केस में जुकरबर्ग और एलिसन के बीच हुए कई ईमेल प्रस्तुत किए गए, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि कंपनी के भीतर फेसबुक की दिशा को लेकर गहरी मंथन चल रही थी।
जुकरबर्ग ने अपने ईमेल में इस बात पर भी जोर दिया कि भले ही इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अगर फेसबुक की प्रासंगिकता कम होती रही, तो मेटा की सफलता अधूरी रह जाएगी। उन्होंने फेसबुक के फ्रेंडिंग फीचर की गिरती लोकप्रियता की ओर इशारा करते हुए लिखा था कि "लोगों का फ्रेंड ग्राफ़ अब उन लोगों से नहीं भरा होता जिनसे वे वास्तव में जुड़ना चाहते हैं।"
इस बातचीत में जुकरबर्ग ने यह भी स्वीकार किया कि आज के समय में यूजर्स की प्राथमिकता 'फ्रेंडिंग' की तुलना में 'फॉलोइंग' की ओर ज्यादा है- चाहे वह फेसबुक हो, इंस्टाग्राम हो या ट्विटर (अब X)। इस बदलाव को देखते हुए उन्होंने फेसबुक को फिर से प्रासंगिक बनाने के लिए तीन विकल्प सुझाए, जिनमें से एक आइडिया इतना कट्टर था कि उसमें यूज़र्स के पूरे फ्रेंड ग्राफ को मिटाकर उन्हें एकदम नए सिरे से शुरू करवाने की बात थी।
जवाब में फेसबुक ने अपने प्लेटफॉर्म पर ‘कम्युनिटीज’ और ‘ग्रुप्स’ को फिर से केंद्र में लाना शुरू किया। जुकरबर्ग ने अपने मेल में इस दिशा में सकारात्मक रुख जताते हुए कहा था कि "मैं कम्युनिटी मैसेजिंग को लेकर काफी उत्साहित हूं, लेकिन लंबे समय से चल रहे ग्रुप्स को लेकर यह नहीं कह सकता कि उन्हें हम और कितना आगे बढ़ा पाएंगे।"
गौरतलब है कि ये ईमेल उस समय के हैं जब फेसबुक ने 'रील्स' फीचर को लॉन्च किया ही था- एक ऐसा प्रयास जो प्लेटफॉर्म को युवा यूजर्स के बीच दोबारा लोकप्रिय बनाने की दिशा में उठाया गया कदम था।
गांवों और विभिन्न स्थानों पर केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर नजर रखी गई है। 1093 फर्जी अकाउंट की पहचान की गई है।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बीते दिनों जमकर हिंसा हुई। वक्फ संशोधन कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिले थे जिसमें कम से कम 3 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हुए। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार राजीव सचान का कहना है कि पीएम मोदी को हिंसा पीड़ितों से मिलने जाना चाहिए।
उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर लिखा, यदि गुजरात दंगा पीड़ितों से मिलने वाजपेयी जा सकते हैं और मुजफ्फरनगर दंगा पीडितों से मिलने मनमोहन सिंह तो मुर्शिदाबाद की हिंसा के शिकार लोगों से मिलने पीएम मोदी क्यों नहीं जा सकते? मुर्शिदाबाद की हिंसा वैसे भी दंगा नहीं, अगस्त 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे जैसी बर्बरता है।
आपको बता दें, मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन काननू को लेकर हिंसा की किसी घटना को रोकने के लिए जंगीपुर, धुलियान, सुती और शमशेरगंज में BSF, CRPF, राज्य सशस्त्र पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है।
यदि गुजरात दंगा पीड़ितों से मिलने वाजपेयी जा सकते हैं और मुजफ्फरनगर दंगा पीडितों से मिलने मनमोहन सिंह तो मुर्शिदाबाद की हिंसा के शिकार लोगों से मिलने पीएम मोदी क्यों नहीं जा सकते? मुर्शिदाबाद की हिंसा वैसे भी दंगा नहीं, अगस्त 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे जैसी बर्बरता है।…
— Rajeev Sachan (@RajeevKSachan) April 15, 2025
हम यह दोहराना चाहते हैं कि 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद केंद्र, राज्य और ज़िला, तीनों स्तर की सरकारों की शक्तियाँ संविधान द्वारा परिभाषित हैं।
वक्फ कानून के खिलाफ हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है। केंद्र सरकार भी इस मामले को लेकर काफी गंभीर है। वही बीजेपी के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि वक्फ कानून पर हिंसा लोकतंत्र और संविधान दोनों के लिए गंभीर है।
उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, समस्त संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद बने संशोधित कानून के विरुद्ध जिस प्रकार की अनर्गल, चित्र-विचित्र बातें विपक्षी गठबंधन की सरकारों और नेताओं द्वारा की जा रही हैं, वह अत्यंत चिंताजनक है।
यदि कर्नाटक के मंत्री यह कहते हैं कि वे इस कानून को लागू नहीं करेंगे, यदि पश्चिम बंगाल में इसी प्रकार की बातें उठ रही हैं, और झारखंड के एक मंत्री यहाँ तक कह देते हैं कि उनके लिए संविधान से ऊपर शरिया है तो यह स्थिति लोकतंत्र और संविधान दोनों के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।
मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि देश की जनता की आँखें अब खुल चुकी हैं। उन्होंने देख लिया है कि यदि ऐसे लोगों के हाथों में सत्ता रही, तो भारत का संविधान खतरे में पड़ सकता है। हम यह दोहराना चाहते हैं कि 73वें और 74वें संविधान संशोधन के बाद केंद्र, राज्य और ज़िला, तीनों स्तर की सरकारों की शक्तियाँ संविधान द्वारा परिभाषित हैं।
कोई भी ज़िला पंचायत राज्य विधानसभा से पारित कानून की सीमाओं से बाहर नहीं जा सकती, और कोई राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा पारित कानून को नकार नहीं सकती। ऐसे में यदि कोई नेता या सरकार इस प्रकार की बातें करते हैं, तो इसका सीधा अर्थ है कि वे संविधान को जेब में रखते हैं।
समस्त संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करने के बाद बने संशोधित कानून के विरुद्ध जिस प्रकार की अनर्गल, चित्र-विचित्र बातें INDI गठबंधन की सरकारों और नेताओं द्वारा की जा रही हैं, वह अत्यंत चिंताजनक है।
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) April 14, 2025
यदि कर्नाटक के मंत्री यह कहते हैं कि वे इस कानून को लागू नहीं करेंगे, यदि पश्चिम… pic.twitter.com/zoDaE8ffRd
दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी और पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के कामकाज पर सवाल उठाए।
दिल्ली में पिछले कुछ सालों में प्राइवेट स्कूलों में हुई फीस की बढ़ोत्तरी को लेकर बवाल मचा हुआ है। कई अभिभावक स्कूलों की मनमानी को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि एसडीएम के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई गई है, जो प्राइवेट स्कूलों का ऑडिट करेगी।
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत का कहना है कि प्राइवेट स्कूल अब धंधा बन गए है। उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा, प्राइवेट स्कूल धंधा हैं। धंधा का मतलब लूट, अन्याय, अराजकता और अंधेरगर्दी। फीस बढ़ गई। दे दो वरना अपना बच्चा वापस लो। किताब हर साल नई और महंगी होगी। ख़रीदो वरना बच्चा वापस ले जाओ।
यूनिफार्म सस्ती मिल रही है तो क्या हुआ, जहाँ से कहा जा रहा है, वहीं से लो वरना बच्चा वापस बुला लो। माता पिता अपनी जरूरतों और कमाई की लड़ाई निपटाने में हलकान हैं और ये प्राइवेट स्कूल वालों से नींद अलग हराम है। आपको बता दें, दिल्ली में शिक्षा पर सरकार अच्छा-खासा अमाउंट खर्च करती है।
दिल्ली के ओवरऑल बजट की बात करें तो इसमें 21% हिस्सेदारी शिक्षा विभाग की है। पूरे देश की बात करें तो शिक्षा पर कुल खर्च पिछले कुछ सालों में 12 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
प्राइवेट स्कूल धंधा हैं. ‘धंधा’ का मतलब लूट,अन्याय,अराजकता और अंधेरगर्दी. फीस बढ़ गई-दे दो वरना अपना बच्चा वापस लो. किताब हर साल नई और महंगी होगी- ख़रीदो वरना बच्चा वापस ले जाओ. यूनिफार्म सस्ती मिल रही है तो क्या हुआ,जहाँ से कहा जा रहा है,वहीं से लो वरना बच्चा वापस बुला लो. माता… https://t.co/iXfOfP92QM
— Rana Yashwant (@RanaYashwant1) April 14, 2025