किसी भी गैर-राजनीतिक सांस्कृतिक संगठन के लिए यह असाधारण उपलब्धि मानी जाएगी, क्योंकि यह न केवल उसकी संगठनात्मक क्षमता और वैचारिक दृढ़ता को दर्शाती है।
एनडीए (NDA) ने अपने उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को नामित किया है। आगामी 9 सितंबर 2025 को उपराष्ट्रपति पद का चुनाव होना है, जिसमें राधाकृष्णन 'NDA' के उम्मीदवार होंगे। सी.पी. राधाकृष्णन लंबे समय से 'RSS' से जुड़े हुए माने जाते हैं। वे तमिलनाडु के उन चुनिंदा नेताओं में से हैं जिन्होंने संघ की विचारधारा के साथ खुद को जोड़ा और उसे जमीनी स्तर तक पहुँचाने का काम किया।
इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए शताब्दी वर्ष गर्व का विषय होने जा रहा है। उन्होंने एक्स पर लिखा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के लिए उसका शताब्दी वर्ष (2025) वास्तव में गर्व का अवसर है।
आज देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री और लोकसभा अध्यक्ष जैसे सर्वोच्च संवैधानिक व कार्यकारी पदों पर संघ के स्वयंसेवक विराजमान हैं। अब कुछ ही दिनों में जब उपराष्ट्रपति पद पर भी एक स्वयंसेवक (सी.पी. राधाकृष्णन) आसीन होंगे, तो यह संघ के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। किसी भी गैर-राजनीतिक सांस्कृतिक संगठन के लिए यह असाधारण उपलब्धि मानी जाएगी, क्योंकि यह न केवल उसकी संगठनात्मक क्षमता और वैचारिक दृढ़ता को दर्शाती है, बल्कि समाज में उसकी स्वीकार्यता और प्रभाव को भी प्रमाणित करती है।
आपको बता दें, तमिलनाडु जैसे राज्य में, जहाँ परंपरागत रूप से द्रविड़ राजनीति का वर्चस्व रहा है, राधाकृष्णन का 'RSS पृष्ठभूमि वाला चेहरा' होना भाजपा के लिए महत्त्वपूर्ण रहा। वे दो बार कोयंबटूर से सांसद चुने गए और राष्ट्रीय राजनीति में भी उनकी पहचान संघनिष्ठ नेता की रही है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए अपने शताब्दी वर्ष में यह गर्व का विषय होगा कि देश के राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री , गृहमंत्री ,रक्षामंत्री,लोकसभा अध्यक्ष पद पर उसके अपने स्वयंसेवक हैं और अब कुछ दिन बाद उपराष्ट्रपति के पद पर भी उसका एक स्वयंसेवक विराजमान होगा --- किसी भी गैर राजनीतिक… pic.twitter.com/Rh4jdN8Izx
— Amitabh Agnihotri (@Aamitabh2) August 18, 2025
यह ठीक काम किया। लेकिन इतने हंगामे और उसमें सैनिक के शामिल होने के बाद आप यह कार्यवाही कर पाए। ऐसी घटनाएँ प्रतिदिन देश के अलग-अलग हिस्सों में होती हैं।
17 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय राजमार्ग-709A (मेरठ–करनाल खंड) के भुनी टोल प्लाज़ा पर टोल कर्मचारियों द्वारा सेना के जवानों के साथ की गई बदसलूकी के मामले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने सख़्त कार्रवाई की है। NHAI ने टोल संचालित करने वाली कंपनी धर्म सिंह एंड कंपनी पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने 'NHAI' के इस कदम की सराहना की। उन्होंने एक्स पर लिखा, यह ठीक काम किया। लेकिन इतने हंगामे और उसमें सैनिक के शामिल होने के बाद आप यह कार्यवाही कर पाए। ऐसी घटनाएँ प्रतिदिन देश के अलग-अलग हिस्सों में होती हैं और उस पर कुछ नहीं किया जाता। उससे अपराधिक प्रवृत्ति के टोलकर्मियों का मन बढ़ता है।
आपको बता दें, NHAI ने इस तरह के व्यवहार की कड़ी निंदा की है और कहा है कि वह राष्ट्रीय राजमार्गों पर लोगों को सुरक्षित और निर्बाध यात्रा उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। कपिल सिंह पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में शामिल थे। वह छुट्टी पर घर आए थे और 18 अगस्त से उन्हें ड्यूटी जॉइन करनी थी। इसीलिए वह दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट से श्रीनगर के लिए फ्लाइट पकड़ने जा रहे थे।
यह ठीक काम किया @NHAI_Official लेकिन इतने हंगामे और उसमें सैनिक के शामिल होने के बाद आप यह कार्यवाही कर पाए। ऐसी घटनाएँ प्रतिदिन देश के अलग-अलग हिस्सों में होती हैं और उस पर कुछ नहीं किया जाता। उससे अपराधिक प्रवृत्ति के टोलकर्मियों का मन बढ़ता है। @nitin_gadkari https://t.co/Wi1ZKFHFyv
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) August 18, 2025
इस एक्ट में यह प्रावधान था कि अगर आपको लगता है कि आपके आस-पास कोई बांग्लादेशी व्यक्ति रह रहा है तो उसकी जिम्मेदारी नहीं है यह साबित करना कि वह भारत का नागरिक नहीं है।
Special Intensive Revision (SIR) के तहत मतदाता सूची को साफ़ करने की प्रक्रिया राजनीतिक रूप से गरमाई हुई है। दरअसल बंगाल बीजेपी ने 'No SIR, No Vote' अभियान शुरू किया, आरोप लगाते हुए कि TMC 'SIR' में बाधा डाल रही है और यह चुनाव की पारदर्शिता के लिए खतरा है।
इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने एक टीवी डिबेट में कहा कि आज घुसपैठियों का वोट सभी इंडी गठबंधन के दलों को चाहिए। उन्होंने कहा, भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है, लेकिन ये अधिकार घुसपैठियों को नहीं है।
लेकिन आज इन्हीं घुसपैठियों का वोट सभी इंडी गठबंधन के दलों को चाहिए। जब भी हम घुसपैठिया बोलते हैं तो इंडी गठबंधन वाले इसे सीधा मुसलमानों से जोड़ देते हैं। इनकी इसी सोच के कारण देश का भी नुकसान हो रहा है और मुसलमानों का भी। रही बात घुसपैठ की, तो घुसपैठियों के आने की व्यवस्था 1983 में इंदिरा जी की सरकार के समय शुरू होती है, जब एक कानून लाया गया था IMDT एक्ट।
इस एक्ट में यह प्रावधान था कि अगर आपको लगता है कि आपके आस-पास कोई बांग्लादेशी व्यक्ति रह रहा है तो उसकी जिम्मेदारी नहीं है यह साबित करना कि वह भारत का नागरिक नहीं है, बल्कि अगर आपको शिकायत है तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप साबित करें कि वह बांग्लादेश का नागरिक है।
इस एक्ट के खिलाफ हमारे नेता सर्वानंद सोनोवाल सुप्रीम कोर्ट गए और 2006 में, इनकी सरकार के समय, इसे रद्द किया गया।बतौर गृह राज्य मंत्री, श्रीप्रकाश जायसवाल का 2006 का बयान है कि भारत में ढाई से तीन करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं। इसके अलावा, 2012 में मुंबई के आजाद मैदान में बांग्लादेशी घुसपैठियों का नाम आया था या नहीं? जयपुर ब्लास्ट में बांग्लादेशी घुसपैठियों का नाम आया था या नहीं?इसीलिए, जब हमारी सरकार आई और जांच की बात की, NRC लाने की बात की, तो ये लोग धरने पर बैठ गए।
अब S.I.R का उद्देश्य भी सही वोटर की जांच करना है, लेकिन घुसपैठिया तो साइड इफेक्ट में अपने आप सामने आ रहा है। इसीलिए मैं कहता हूं कि विपक्ष का एकमात्र एजेंडा है कि 'कोई सूरत बदलना मेरा मकसद नहीं है, मेरा मकसद है हंगामा होना चाहिए।'
भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है, लेकिन ये अधिकार घुसपैठियों को नहीं है। लेकिन आज इन्हीं घुसपैठियों का वोट सभी इंडी गठबंधन के दलों को चाहिए। जब भी हम घुसपैठिया बोलते हैं तो इंडी गठबंधन वाले इसे सीधा मुसलमानों से जोड़ देते हैं। इनकी इसी सोच के कारण देश का भी नुकसान हो… pic.twitter.com/ANKm1YlKne
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) August 18, 2025
BMC का इस साल का बजट लगभग 75 हज़ार करोड़ रुपये है, जो कि सिक्किम, मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड—इन पाँचों पूर्वोत्तर राज्यों के संयुक्त वार्षिक बजट से भी ज़्यादा है।
मुंबई में पिछले 2–3 दिनों से हो रही भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। शहर में महज़ 6–8 घंटों में 177 मिमी और तीन दिनों में लगभग 550 मिमी बारिश दर्ज हुई, जिससे कई इलाकों में पानी भर गया है। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय दी। उन्होंने लिखा, हर साल जब मुंबई में बारिश होती है, तो वही पुराना नज़ारा दोहराया जाता है। सड़कों पर, गलियों में और घरों तक पानी भर जाता है। लोग परेशान होते हैं, मुश्किलें झेलते हैं, लेकिन अब तो मानो उन्होंने इसे अपनी ज़िंदगी का 'नॉर्मल' हिस्सा मान लिया है।
सोचिए, ऐसा नहीं है कि मुंबई में पानी निकालने के लिए नालियां नहीं बनीं। शहर में लगभग 2000 किलोमीटर लंबे सतही नाले हैं, अंग्रेज़ों के ज़माने से चले आ रहे 440 किलोमीटर लंबे भूमिगत नाले हैं, इसके अलावा 269 किलोमीटर बड़े नाले और 87 किलोमीटर छोटे नाले फैले हुए हैं। फिर भी, ज़रा सी ज़्यादा बारिश होते ही ये पूरा सिस्टम फेल हो जाता है।
पैसे की भी कोई कमी नहीं है। BMC का इस साल का बजट लगभग 75 हज़ार करोड़ रुपये है, जो कि सिक्किम, मिज़ोरम, मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड—इन पाँचों पूर्वोत्तर राज्यों के संयुक्त वार्षिक बजट से भी ज़्यादा है। पिछले कई वर्षों में 'फ्लड कंट्रोल' और 'वॉटर लॉगिंग रोकने' के नाम पर हज़ारों करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन हालात वही के वही हैं। लगता है जैसे वह सारा पैसा पानी बनकर मुंबई की सड़कों पर उतर आया हो। नतीजा यह है कि हर साल बरसात आते ही स्कूल बंद, कॉलेज बंद, ट्रेनें रुकी हुईं, बसें ठप, और लोगों से कहा जाता है कि घर से बाहर न निकलें।
लेकिन सवाल यह है कि जब BMC खुद मान लेती है कि वह कुछ नहीं कर सकती, तो फिर इतना बड़ा बजट किस काम का? और फिर भी, अगर आप कभी मुंबई बरसात के मौसम में देखें, तो वहां के लोगों का जज़्बा आपको हैरान कर देगा। भारी बारिश, घुटनों तक पानी, रुकी हुई ट्रेनें, जाम हुई सड़कें, फिर भी मुंबईकर हिम्मत नहीं हारते। किसी तरह काम पर निकलते हैं, ज़िम्मेदारियाँ निभाते हैं। आखिर उनका गुनाह क्या है? उन्हें हर साल किस बात की सज़ा दी जाती है? क्या BMC इसका जवाब देगी?
डॉ. मोहन भागवत ने रमेश जी के प्रेरणादायक गुणों पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनके जीवन में त्याग, अनुशासन के प्रति अथक प्रतिबद्धता के आदर्श प्रतिबिम्बित हुए।
नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में स्वर्गीय रमेश प्रकाश के जीवन और योगदान को समर्पित उनकी जीवनी प्रधान पुस्तक "तन समर्पित, मन समर्पित" का अत्यंत ही मार्मिक और प्रेरक लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता जी, इंडिया टुडे समूह की अध्यक्ष श्रीमती कली पुरी जी और स्वर्गीय रमेश प्रकाश की पत्नी श्रीमती आशा शर्मा जी की गरिमामयी उपस्थिति ने इस अवसर को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया, क्योंकि प्रत्येक ने रमेश जी की असाधारण जीवन-यात्रा को प्रतिबिंबित किया, जिसमें समाज कल्याण के प्रति उनके समर्पण, उनकी अटूट सेवा भावना और राष्ट्र के प्रति उनके अटूट प्रेम का जश्न मनाया गया।
सभा को संबोधित करते हुए, डॉ. मोहन भागवत ने रमेश जी के प्रेरणादायक गुणों पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनके जीवन में त्याग, अनुशासन और सामाजिक सद्भाव के प्रति अथक प्रतिबद्धता के आदर्श प्रतिबिम्बित हुए। एक समर्पित कार्यकर्ता की पहचान उपाधियों, धन या सार्वजनिक प्रशंसा से नहीं, बल्कि आंतरिक अनुशासन, विनम्रता और व्यापक हित के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता से होती है। ऐसा व्यक्ति शांत, त्याग की भावना से परिपूर्ण होता है, हमेशा ज़िम्मेदारियों को निभाने के लिए तत्पर रहता है, कभी भी पहचान की चाह नहीं रखता, और हमेशा अपने उदाहरण से दूसरों को प्रेरित करता रहता है। रमेश जी इन गुणों के प्रतीक थे। उनकी सबसे बड़ी शिक्षाओं में से एक थी - राष्ट्र सेवा पारिवारिक ज़िम्मेदारियों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए।
गृहस्थ आश्रम के ढांचे के भीतर, उन्होंने हमें दिखाया कि कैसे परिवार का पालन-पोषण प्रेम और जिम्मेदारी से किया जा सकता है, और साथ ही, उसी भावना को समाज और राष्ट्र तक भी पहुँचाया जा सकता है। व्यक्तिगत कर्तव्यों को जनसेवा के साथ सामंजस्य बिठाकर, उन्होंने प्रदर्शित किया कि दोनों अलग नहीं, बल्कि पूरक हैं। डॉ. भागवत ने प्रकाश जी की असाधारण सादगी और समर्पण पर भी विचार किया, और इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे व्यक्तित्व समाज के नैतिक ताने-बाने को मज़बूत करते हैं और बिना किसी पहचान या सामाजिक प्रतिष्ठा की लालसा के, रमेश जी ने राष्ट्र और उसके लोगों के कल्याण के लिए निरंतर परिश्रम किया, और अपने आदर्श की शांत उदात्तता से सभी को प्रेरित किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान की सराहना की और इस बात पर ज़ोर दिया कि कैसे उनके मूल्य समाज की सेवा में पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
भारत के बौद्धिक और मीडिया जगत की ओर से बोलते हुए, श्रीमती कली पुरी ने इस पुस्तक की सराहना करते हुए कहा कि यह राष्ट्र निर्माण में व्यक्तिगत त्याग के महत्त्व की समयोचित याद दिलाती है और पंच परिवर्तन के विचार के महत्त्व पर भी प्रकाश डालती है। यह पुस्तक रमेश प्रकाश जी की अथक यात्रा को दर्शाती है, जिनका जीवन निस्वार्थ सेवा, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय उत्थान के लिए समर्पित था। सुरुचि प्रकाशन से सद्य: प्रकाशित यह पुस्तक रमेश प्रकाश जी की अथक जीवन-यात्रा को प्रकाशित करती है। एक ऐसा जीवन जो अनवरत निस्वार्थ सेवा, समाज कल्याण और राष्ट्र उत्थान के लिए समर्पित रहा।
प्रकाश जी सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित तो थे ही, वे त्याग और देशभक्ति के उन आदर्शों के प्रतीक थे, जिन्हें आरएसएस ने सदैव पोषित किया है। सामुदायिक विकास और युवा लामबंदी से लेकर सांस्कृतिक संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के प्रयासों तक, उनका कार्य पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। श्री सुमित मलुजा जी ने कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया और कहा- राष्ट्र के उत्थान और परम वैभव को अपने आचरण में उतार कर रमेश प्रकाश जी अमर हो गए।
इस कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता और रमेश जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरित-प्रभावित प्रशंसकों ने शिरकत की तथा राष्ट्र एवं समाज कल्याण के प्रति उनके सरल, विनम्र एवं पूर्णतः समर्पित जीवन को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही काफी बड़ी संख्या में विद्वान, साहित्यकार, पत्रकार, शोधार्थी, विद्यार्थी भी उपस्थित रहे। इतनी भारी संख्या के बीच "तन समर्पित, मन समर्पित" का लोकार्पण उसकी इस महत्ता को दर्शाता है कि यह केवल साहित्यिक अवसर मात्र नहीं, बल्कि जीवन-मूल्यों का उत्सव भी था, जिसने समस्त उपस्थित जनों को पुनः स्मरण कराया कि सेवा का सार राष्ट्र और उसकी जनता के प्रति अटूट समर्पण में सन्निहित है। सुरुचि प्रकाशन के श्री रजनीश जिंदल जी ने सभागार में उपस्थित सभी जनों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया तथा वंदे मातरम् गीत से कार्यक्रम का समापन हुआ।
एनडीए का यह फैसला राजनीतिक तौर पर रणनीतिक माना जा रहा है, क्योंकि तमिलनाडु में बीजेपी लंबे समय से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। राधाकृष्णन अपनी साफ-सुथरी और गैर-विवादास्पद छवि के लिए जाने जाते हैं और तमिलनाडु के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को चुनकर एक दिलचस्प फैसला लिया है। तमिलनाडु से आने वाले इस बीजेपी के वरिष्ठ नेता और आरएसएस के पसंदीदा चेहरे को चुनना राजनीतिक तौर पर प्रतीकात्मक है, क्योंकि यह वही राज्य है जहाँ बीजेपी अब तक मज़बूती से अपनी पकड़ नहीं बना पाई है और जहाँ आठ महीने बाद चुनाव होने वाले हैं।
क्या डीएमके उनके विरोध का जोखिम उठा पाएगी? क्या विपक्ष ऐसा मज़बूत उम्मीदवार ला पाएगा जो इस चुनाव में उन्हें वास्तविक चुनौती दे सके, जबकि हार लगभग तय मानी जा रही है? या फिर यह चुनाव बिना किसी टक्कर के हो जाएगा? और क्या हमें एक ऐसा उपराष्ट्रपति मिलेगा जो ‘रूल-बुक’ के हिसाब से काम करेगा न कि राजनीतिक प्लेबुक के हिसाब से? और आख़िरी सवाल: श्री धनखड़ कहाँ हैं?
आपको बता दें, एनडीए का यह फैसला राजनीतिक तौर पर रणनीतिक माना जा रहा है, क्योंकि तमिलनाडु में बीजेपी लंबे समय से अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। उनकी आरएसएस से जुड़ाव और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंधों को भी उनकी बड़ी ताकत माना जा रहा है।
Interesting choice by NDA As Vice President in CP Radhakrishnan who is Maharashtra governor. Choosing a BJP veteran and RSS favourite from Tamil Nadu, a state which the party has always found a bridge too far and which goes to polls in eight months is politically symbolic.. can…
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 17, 2025
बीजेपी के कुछ सांसदों और पूर्व सांसदों ने खुले तौर पर या चुपके से बालियान का समर्थन किया, जो रूडी के लंबे समय तक पद पर बने रहने से असंतुष्ट थे। यह बीजेपी के भीतर आंतरिक असंतोष को दर्शाता है।
दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया (CCI) के हालिया चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दो वरिष्ठ नेताओं, राजीव प्रताप रूडी और संजीव बालियान, के बीच तीखी टक्कर देखने को मिली। कुछ लोगों के मुताबिक इस चुनाव ने बीजेपी के आंतरिक टकराव को उजागर किया। इस बीच वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा ने भी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट कर अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, दिल्ली के कॉंस्टीट्यूशनल क्लब के चुनाव में बीजेपी के दो नेताओं की टक्कर और उसके परिणाम में ज़्यादा कुछ पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। यह लड़ाई केवल इस क्लब में लंबे समय से चली आ रही एक व्यवस्था के परिवर्तन के लिए लड़ी गई थी। दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में ऐसे कई क्लब हैं जहाँ पार्टी-पॉलिटिक्स से ऊपर उठ कर आपसी सहमति से लंबे समय से काम चलता आ रहा है।
यह चुनाव केवल इसी आपसी सहमति को चोट पहुँचाने के लिए लड़ा गया था। आपको बता दें, बिहार के सारण से पांच बार के लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री। रूडी पिछले 25 वर्षों से क्लब के सचिव (प्रशासन) रहे हैं और उन्होंने क्लब में कई आधुनिक सुविधाओं का विकास किया।
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के कुछ सांसदों और पूर्व सांसदों ने खुले तौर पर या चुपके से बालियान का समर्थन किया, जो रूडी के लंबे समय तक पद पर बने रहने से असंतुष्ट थे। यह बीजेपी के भीतर आंतरिक असंतोष को दर्शाता है।
दिल्ली के कॉंस्टीट्यूशनल क्लब के चुनाव में बीजेपी के दो नेताओं की टक्कर और उसके परिणाम में ज़्यादा कुछ पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। यह लड़ाई केवल इस क्लब में लंबे समय से चली आ रही एक व्यवस्था के परिवर्तन के लिए लड़ी गई थी। दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में ऐसे कई क्लब हैं जहाँ…
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) August 13, 2025
इंडी गठबंधन का दावा है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर मतदाताओं, खासकर समाज के कमजोर वर्गों, के नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है
इंडी गठबंधन और राहुल गांधी S.I.R. को लेकर सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शन और रणनीति बना रहे हैं। उनकी मुख्य मांग चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। दूसरी ओर, बीजेपी इसे संवैधानिक प्रक्रिया बताकर विपक्ष के आरोपों को खारिज कर रही है। यह मुद्दा बिहार सहित पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉक्टर सुधांशु त्रिवेदी ने एक टीवी डिबेट में अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, S.I.R को लेकर इंडी गठबंधन के लोग और राहुल गांधी बड़ी-बड़ी बातें तो कर रहे हैं, लेकिन एक भी आपत्ति इनकी पार्टियों की ओर से दर्ज नहीं की गई है।
चुनाव आयोग को ऑफिशियली ये लोग आपत्ति दर्ज नहीं करेंगे, केवल मीडिया में बयान देंगे पर आयोग से जवाब ऑफिशियल चाहिए। सोचिये जनता को कैसी टोपी पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग से आधिकारिक रूप से नियमानुसार आप लिखित में पूछेंगे नहीं, क्योंकि वह ग़लत होने पर आपको उसमें सजा होने और सदस्यता जाने का भी खतरा है।
ये सिर्फ चुनाव की हार-जीत का मुद्दा नहीं है, ये देश में घुसपैठियों के दम पर सत्ता कब्जाने का मुद्दा है और यह एक तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा का भी मुद्दा है। आपको बता दें, S.I.R. (Special Intensive Revision) मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य वोटर लिस्ट को अपडेट और सटीक करना है।
हालांकि, इंडी गठबंधन का दावा है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर मतदाताओं, खासकर समाज के कमजोर वर्गों, के नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो रही है।
S.I.R को लेकर इंडी गठबंधन के लोग और राहुल गांधी बड़ी-बड़ी बातें तो कर रहे हैं, लेकिन एक भी आपत्ति इनकी पार्टियों की ओर से दर्ज नहीं की गई है।
— Dr. Sudhanshu Trivedi (@SudhanshuTrived) August 13, 2025
चुनाव आयोग को ऑफिशियली ये लोग आपत्ति दर्ज नहीं करेंगे, केवल मीडिया में बयान देंगे पर आयोग से जवाब ऑफिशियल चाहिए। सोचिये जनता को कैसी टोपी… pic.twitter.com/OEYqc6CIHx
सड़क पर घूमते आवारा जानवर न तो हमारी संस्कृति का सम्मान करते हैं, न विरासत का, और न ही इंसानियत का परिचय देते हैं। ये केवल अराजकता, असभ्यता और असुरक्षा का संकेत हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखने और नसबंदी करने का आदेश दिया है। लेकिन इस फैसले पर विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पशु अधिकार संगठन PETA इंडिया ने इसे अमानवीय बताया है। उनका मानना है कि कुत्तों के लिए वैक्सीनेशन और नसबंदी बेहतर विकल्प हैं।
इस बीच टीवी एंकर और पत्रकार मानक गुप्ता ने भी इस मामले पर अपनी राय दी। उन्होंने एक्स पर लिखा, आवारा कुत्तों जैसा आदेश सभी आवारा पशुओं पर भी लागू होना चाहिए। हर तरह के आवारा जानवर लोगों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। आए दिन कहीं न कहीं उनका कोई नया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है।
सड़क पर घूमते आवारा जानवर न तो हमारी संस्कृति का सम्मान करते हैं, न विरासत का, और न ही इंसानियत का परिचय देते हैं। ये केवल अराजकता, असभ्यता और असुरक्षा का संकेत हैं। इसलिए आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही दिशा में उठाया गया पहला कदम है। अब इसे रोकना नहीं चाहिए, बल्कि पूरे देश में सभी आवारा पशुओं पर यह आदेश लागू होना चाहिए।
आपको बता दें, कुछ लोग बढ़ते कुत्तों के हमलों और रेबीज के मामलों के कारण इस आदेश का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन शेल्टर होम की कमी को बड़ी चुनौती मानते हैं। मामला विवादास्पद बना हुआ है और सभी पक्ष इसे लेकर सक्रिय हैं।
आवारा कुत्तों जैसा एक आदेश सभी आवारा पशुओं पर आना चाहिए…हर तरह के आवारा पशु लोगों की जान ले रहे हैं…आए दिन कोई नया वीडियो टाइमलाइन पर आ जाता है
— Manak Gupta (@manakgupta) August 12, 2025
सड़क पर घूमते आवारा जानवर संस्कृति-विरासत-इंसानियत नहीं दिखाते. सिर्फ़ अराजकता-असभ्यता-असुरक्षा के परिचायक हैं…
आवारा कुत्तों पर…
अप्रैल में ट्रंप द्वारा वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका और चीन टैरिफ युद्ध में फंस गए थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाए, जो तीन अंकों तक पहुंच गया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर लगाए गए टैरिफ की अवधि को फिर से 90 दिन यानी नवंबर तक बढ़ा दिया है। इससे अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक रिश्ते फिलहाल स्थिर बने रहेंगे। इस जानकारी के सामने आने के बाद वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से एक पोस्ट की और अपनी राय व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, यह एकदम स्पष्ट हो चला है कि, मोदी और ट्रंप में दोस्ती की स्थिति बनने की संभावना लगभग शून्य हो गई है। ट्रंप की लड़ाई अब सिर्फ और सिर्फ भारत से है। ट्रंप की इस तरह की हरकतों को चीन कैसे देख रहा है, इसका ठीक अनुमान अभी नहीं लग रहा है।
भारत के लिए कठिन समय है, लेकिन नेतृत्व की असली पहचान कठिन समय में ही होती है। हम भारत के लोग सामान्य स्थिति में औसत प्रदर्शन ही करते हैं। धकेले जाने पर श्रेष्ठ प्रदर्शन। बिना किसी आधार के ट्रंप हमारे देश के साथ जो कर रहे हैं, उसमें हमारे पास सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है।
आपको बता दें, अप्रैल में ट्रंप द्वारा वैश्विक स्तर पर टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका और चीन टैरिफ युद्ध में फंस गए थे। दोनों देशों ने एक-दूसरे के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाए, जो तीन अंकों तक पहुंच गया था।
यह एकदम स्पष्ट हो चला है कि, मोदी और ट्रंप में दोस्ती की स्थिति बनने की संभावना लगभग शून्य हो गई है। ट्रंप की लड़ाई अब सिर्फ और सिर्फ भारत से है। ट्रंप की इस तरह की हरकतों को चीन कैसे देख रहा है, इसका ठीक अनुमान अभी नहीं लग रहा है। भारत के लिए कठिन समय है, लेकिन नेतृत्व की असली… pic.twitter.com/WeAEzXdfSk
— हर्ष वर्धन त्रिपाठी ??Harsh Vardhan Tripathi (@MediaHarshVT) August 12, 2025
सुप्रीम कोर्ट के दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों में शेल्टर भेजने के आदेश को PETA इंडिया ने 'अव्यावहारिक, तर्कहीन और अवैध' बताते हुए विरोध किया।
दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को आठ हफ्तों के भीतर शेल्टर में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर PETA इंडिया ने कड़ी आपत्ति जताते हुए इसे 'अव्यावहारिक, तर्कहीन और अवैध' करार दिया। संगठन का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई से न केवल कुत्तों, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी अराजकता और परेशानी बढ़ेगी।
इस आदेश के विरोध में इंडिया गेट पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं और रेस्क्यू संगठनों ने प्रदर्शन किया, जिसमें कई लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया। इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर सवाल उठाते हुए लिखा कि जब कोई आवारा कुत्ता राह चलते किसी बच्चे या व्यक्ति पर हमला करता है, तब क्या 'PETA' के सदस्य पीड़ित की मदद के लिए आगे आते हैं?
क्या वे घायल के इलाज में सहयोग करते हैं या यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कदम उठाते हैं कि ये खुले घूमते कुत्ते न किसी को काटें और न डराएं-जैसे उनके लिए कोई विशेष प्रशिक्षण या नियंत्रण व्यवस्था? वहीं, कई पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि अदालत का यह निर्देश दिल्ली सरकार और नगर निकायों के लिए अब तक के सबसे प्रतिगामी फैसलों में से एक है, जिससे कुत्तों को खाना खिलाने वालों से लेकर पशु प्रेमियों तक सभी में डर और असमंजस का माहौल बन गया है।
जब कोई #आवरा_कुत्ता #stray_dog किसी राह चलते बच्चे या आदमी पर जानलेवा हमला करता है तो क्या ये #पेटा #peta के लोग उसकी मदद के लिये आगे आते हैं??
— awasthis (@awasthis) August 11, 2025
कुछ करते हैं इलाज वगैरह में मदद?
या फिर ये छुट्टे घूमते कुत्ते किसी को ना काटे.. या न डराये… ऐसी कोई ट्रेनिंग देते हैं इनको?? https://t.co/AywmTbr20G