इन दिनों डिजिटल का जमाना है। ऐसे में बदलते समय के साथ कदमताल मिलाते हुए...
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
इन दिनों डिजिटल का जमाना है। ऐसे में बदलते समय के साथ
कदमताल मिलाते हुए मलेशिया के सबसे पुराने अखबार ‘मलय मेल’ (Malay Mail) ने अपना प्रिंट
एडिशन बंद करने का निर्णय लिया है।
एक दिसंबर को इस टैब्लॉयड अखबार का आखिरी एडिशन छपेगा। दो
दिसंबर से यह पूरी तरह डिजिटल हो जाएगा। 122 साल पुराना यह
अखबार 14 दिसंबर 1896 को शुरू किया गया था। अखबार में इस समय करीब 165 लोग काम
करते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अखबार के एडिटर-इन-चीफ वोंग साई वान (Wong Sai Wan) ने कर्मचारियों को बताया कि कंपनी बिजनेस में बदलाव के दौर से गुजर रही है। कंटेंट से लेकर मार्केटिंग तक पूरी तरह डिजिटल बिजनेस अपनाया जा रहा है। ऐसे में खर्चों में एक तिहाई कटौती की जा सकती है। उनका कहना है कि वर्तमान हालात में अखबार छापना व्यावहारिक नहीं रह गया है।
वान ने कर्मचारियों से एक हफ्ते में यह भी बताने को कहा गया है कि वे आगे क्या करना चाहते हैं, जिसमें उनकी मदद की जाएगी। वान के अनुसार कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की योजना भी लाई जाएगी। हालांकि इसके बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी गई है।
बताया जाता है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान अखबार का
सर्कुलेशन घटकर सिर्फ 10,000 कॉपी रह गया है, जबकि किसी समय में इसकी 60,0000 से
ज्यादा कॉपी छपती थीं।
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पूर्व सांसद व बॉलीवुड अभिनेत्री जयाप्रदा ने मीडिया में उत्कृष्ट योगदान के लिए सहारा न्यूज नेटवर्क के रमेश अवस्थी को बेस्ट मीडिया ग्रुप एडिटर के खिताब से नवाजा
दिल्ली-एनसीआर के रेडिसन ब्लू होटल में AVIVA की ओर से ‘द गोल्डन स्टार आइकन अवॉर्ड’ का आयोजन किया गया, जहां देश की नामी-गिरामी हस्तियां शामिल हुईं।
26 जून रविवार को आयोजित समारोह में भारतीय फिल्म जगत की अभिनेत्री जयाप्रदा, बंगाल में भाजपा के वरिष्ठ नेता व पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हाजरा, राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल, विधायक सुनील शर्मा, पूर्व सांसद प्रदीप गांधी, पूर्व विधायक ददन यादव और तमाम बड़ी हस्तियों ने शिरकत की।
पूर्व सांसद व बॉलीवुड अभिनेत्री जयाप्रदा ने मीडिया में उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘सहारा न्यूज नेटवर्क’ के ग्रुप एडिटर रमेश अवस्थी को ‘बेस्ट मीडिया ग्रुप एडिटर’ का अवॉर्ड दिया। साथ ही ‘न्यूज24’ को सबसे ज्यादा भरोसेमंद चैनल का अवॉर्ड मिला, तो वहीं मीडिया जगत में ‘फास्टेस्ट ग्रोइंग’ के अवॉर्ड से ‘हिंदी खबर’ न्यूज चैनल को नवाजा गया, जबकि ‘न्यूज इंडिया’ के वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी को भी सम्मानित किया गया।
वरिष्ठ पत्रकार संजय सिंह को ‘अमेंडमेंट्स डिफेंस जर्निलस्ट’ खिताब से नवाजा गया। वहीं, पत्रकार रामवीर सुतार को ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से नवाजा गया है। इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों के 50 से अधिक लोगों को भी सम्मानित किया गया है।
इस मौके पर फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा ने कहा कि इस तरह के आयोजन से लोगों का आत्मविश्वास बढ़ता है और बेहतर करने की इच्छा जागृत होती है और इन सबसे देश एक बड़े मुकाम की ओर आगे बढ़ता है।
‘द गोल्डन स्टार अवॉर्ड’ को पिछले सात सालों से AVIVA की ओर से आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य देश में काम करने वाले उन तमाम लोगों को सम्मानित करना है, जो समाज को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
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युवा पीढ़ी ग्लैमर की दुनिया से निकलकर अब समाजसेवा की तरफ न सिर्फ कदम बढ़ा रही है बल्कि सफल भी हो रही हैं। ऐसी ही एक मिसाल मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले से सामने आई है, जहां महज 21 साल की लक्षिका डागर अपने गांव की सरपंच बन गई हैं।
लक्षिका ने रेडियो जॉकी और न्यूज एंकर होने के बावजूद समाजसेवा को चुना और 21 साल की उम्र में गांव की सरपंच बन गई हैं। दावा किया जा रहा है कि उन्होंने उज्जैन जिले के चिंतामन जवासिया पंचायत में 487 मतों से सरपंच पद का चुनाव जीत लिया है। हालांकि, राज्य चुनाव आयोग ने उनको अभी जीत का प्रमाण पत्र नहीं दिया है। अब उनके गांव-घर में उत्साह और उमंग का माहौल है।
लक्षिता ने मास्टर्स उच्च शिक्षा में एमए मास कॉम की पढ़ाई की है। वह लोकल न्यूज चैनल में एंकर व रेडियो जॉकी का काम कर चुकी हैं।
जब गांव की सीट एससी के लिए आरक्षित हुई तो लक्षिका ने लक्ष्य तय कर फॉर्म भरा और ऐतिहासिक जीत हासिल की। अब लक्षिता का लक्ष्य है कि वो गांव के लिए स्ट्रीट लाइट (बिजली) पानी, नाली, आवास विहीन लोगों के लिए आवास के लिए प्राथमिकता से कार्य करेगी। खास बात यह कि लक्षिका का 27 जून सोमवार को जन्मदिन था। जन्मदिन से एक दिन पहले की ये जीत लक्षिका के लिए किसी तोहफे से कम नहीं।
दरअसल, चिंतामण जवासिया गांव उज्जैन जनपद में आता है और शहर से 10 किलोमीटर करीब दूरी पर ही है जहां की आबादी 3265 के करीब है। गांव से इस एससी सीट पर कुल 8 महिलाओं ने फॉर्म भरा था लेकिन ग्रामीणों ने सबसे ज्यादा शिक्षित व कम उम्र की युवती पर भरोसा जताया। लक्षिका को 487 मत मिले और विजयी घोषित हुई। लक्षिका का पूरा नाम लक्षिका डागर है। उसके पिता दिलीप डागर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में रीजनल अधिकारी के पद पर हैं। मां, भाई और बहन ने लक्षिका को जितवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
लक्षिका लोकल न्यूज चैनल में एंकर व एफएम रेडियो में रेडियो जॉकी भी रह चुकी हैं। मास कॉम व फैशन डिजाइन का कोर्स कर चुकी लक्षिका ग्रामीणों से जुड़ी रही और एक नया इतिहास रच दिया। जीत का विजय जुलूस भी ग्रामीणों ने देर रात निकाला और खूब स्वागत किया।
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राजस्थान यूनिवर्सिटी में कर्मचारियों और शिक्षकों की मीडिया से बातचीत पर लगी पाबंदी अब हटा ली गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक ने लिखित आदेश जारी कर शिक्षकों और कर्मचारियों को मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी बनाने की बात कही थी, जिस पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रोक लगा दी है।
कुलपति प्रो. राजीव जैन ने रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक के आदेशों को वापस लेने के आदेश जारी कर दिए हैं। कुलपति प्रो. जैन ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार हर व्यक्ति को है, राजस्थान यूनिवर्सिटी एक संवैधानिक संस्था है ऐसे में हर व्यक्ति अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, जिस पर इस तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती। हालांकि यह फैसला शिक्षकों, कार्मिकों और छात्रसंगठनों द्वारा किए विरोध प्रदर्शन के बाद लिया गया है।
गौरतलब है कि कुछ मीडिया घरानों में राजस्थान यूनिवर्सिटी के विजुअल आर्ट विभाग की बदहाली की खबरें प्रसारित और प्रसारित हुई थीं, जिसके बाद यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक ने एक आदेश जारी कर कार्मिकों, अधिकारियों और शिक्षकों के मीडिया से बात करने पर रोक लगा दी थी।
रजिस्ट्रार नीलिमा तक्षक द्वारा जारी आदेश में लिखा था कि विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों, महाविद्यालयों और अन्य इकाइयों में कार्यरत विश्वविद्यालय के अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा बिना पूर्व सूचना और सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना सोशल मीडिया, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से सूचना और जानकारियां दी जा रही है, जो नियम विरुद्ध है। विश्वविद्यालय हैण्ड बुक पार्ट-2 वॉल्यूम-3 में अध्यादेश - 360 (ई) के अन्तर्गत निम्न प्रावधान वर्णित है कि बिना सूचना और सक्षम अधिकारी की अनुमति के सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया में कोई भी सूचना या जानकारी प्रेषित नहीं की जा सकती है। यदि विश्वविद्यालय का कोई भी शिक्षक, अधिकारी या कर्मचारी ऐसा कृत्य करता है तो वह विश्वविद्यालय नियमों के विरुद्ध माना जाएगा।
हालांकि इस आदेश के जारी होने के बाद यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों के साथ ही ABVP और NSUI ने भी यूनिवर्सिटी प्रशासन के इस आदेश का विरोध शुरू कर दिया था, जिसके बाद यूनिर्विसिटी प्रशासन को इस फैसले पर रोक लगानी पड़ी।
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माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय देश के टॉप 10 जनसंचार कॉलेजेस में शुमार हो गया है। इंडिया टुडे द्वारा देश कई जनसंचार संस्थान, विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजेस की रैंकिंग की गई थी जिसमें पत्रकारिता विश्वविद्यालय को इंडिया टुडे ने वर्ष 2022 में टॉप 10 की लिस्ट में शामिल किया है। पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो के.जी. सुरेश ने इस रैंकिंग पर खुशी जताते हुए कहा कि अकादमिक उन्नयन की दिशा में हमारे द्वारा किये जा रहे लगातार प्रयास का ही ये परिणाम है कि हम टॉप 10 में आए हैं।
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ये 'नैक' (National Assessment and Accreditation Council) की दिशा में विश्वविद्यालय के लिये प्रेरक होगा। प्रो. सुरेश ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय की गिनती देश के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में होगी। कुलपति ने कहा कि यह बहुत ही खुशी और हर्ष की बात है कि हमारा पत्रकारिता विश्वविद्यालय पहली बार देश के टॉप 10 में आया है।
उल्लेखनीय है कि 2021 में इंडिया टुडे की रैंकिंग में एमसीयू 12 वें स्थान पर था, इस वर्ष जारी प्रवीणता की सूची में विश्वविद्यालय टॉप 10 में आ गया है। देश में टॉप 10 में नाम आने पर पत्रकारिता विश्वविद्यालय में खुशी का माहौल है।
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जानी-मानी पत्रकार और जेल सुधार एक्टिविस्ट वर्तिका नंदा ने नार्वे की राजधानी ओस्लो में 15 जून को आयोजित पहले ‘अंतरराष्ट्रीय जेल रेडियो सम्मेलन‘ (International Prison Radio Conference) में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
‘तिनका तिनका’ फाउंडेशन की संस्थापिका वर्तिका नंदा ने कार्यक्रम में अपनी बात की शुरुआत करते हुए कहा, ‘नमस्ते! मैं वर्तिका नंदा हूं, जो जेल की सलाखों के पीछे 'इंद्रधनुषी रंग' (rainbows) बिखेरने का प्रयास कर रही हूं।’
‘प्रिजन रेडियो एसोसिएशन’ (Prison Radio Association) ने ‘नॉर्वेजियन सुधार सेवाओं‘ (Norwegian Correctional Services) के निदेशालय के सहयोग से इस कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें 20 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल रहे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जेलों के मानवीकरण और कैदियों के पुनर्वास में जेल रेडियो के महत्व पर वैश्विक जानकारी और अनुभव साझा करना था।
अपने करीब 30 मिनट के संबोधन में वर्तिका नंदा ने भारत में जेल रेडियो और अपने गैर-लाभकारी संगठन ‘तिनका तिनका फाउंडेशन’ द्वारा आगरा और देहरादून की जिला जेलों के साथ-साथ हरियाणा की आठ जेलों में लागू जेल रेडियो पहल के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने बताया कि ‘तिनका तिनका‘ फाउंडेशन के तत्वावधान में 100 से अधिक कैदियों को रेडियो जॉकी (आरजे) के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। जेल रेडियो प्रशिक्षण और इसके कार्यान्वयन के दौरान लगभग एक दर्जन गाने जारी किए गए हैं।
इसके साथ ही वर्तिका नंदा ने 'जेल सुधारों के तिनका मॉडल' के बारे में भी बताया, जो मीडिया की शक्ति और रचनात्मकता के इस्तेमाल से जेल के कैदियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास है। इस दौरान उन्होंने अपने प्रयासों में सरकारी अधिकारियों से मिले समर्थन का भी उल्लेख किया।
नंदा ने समाज के समग्र प्रगतिशील विकास के लिए सलाखों के पीछे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ‘तिनका तिनका‘ जेल रेडियो की मदद से जेलों में कैदियों के जीवन के बारे में बाहरी दुनिया को संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहा है।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में ओस्लो जेल के दौरे के साथ उसमें जेल रेडियो परियोजना के बारे में प्रतिनिधियों को जानने-समझने का मौका मिला। कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागियों ने इस दौरान जेल रेडियो परियोजनाओं से संबंधित तमाम पहलुओं पर भी अपने विचार साझा किए। प्रतिभागियों के बीच एक आम सहमति थी कि जेल रेडियो दुनिया भर में लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वतंत्रता को मजबूत कर सकता है।
बता दें कि वर्तिका नंदा दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष हैं और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपराध बीट की प्रमुख पत्रकार रही हैं। उनके कामों को दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में शामिल किया जा चुका है। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें 2014 में स्त्री शक्ति पुरस्कार दिया था।
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रोडरेज में एक पत्रकार को चाकू मारकर घायल करने और उससे लूटपाट करने का मामला सामने आया है। घटना पटना के पाटलिपुत्र इलाके में बुधवार देर रात की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस वारदात को तीन बदमाशों ने अंजाम दिया और फरार होने में कामयाब रहे। पत्रकार को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर है।
बताया जाता है कि पटना में एक हिंदी दैनिक के पत्रकार अनुराग प्रधान बुधवार की रात मैनपुरा स्थित घर की ओर लौट रहे थे। वन विभाग के दफ्तर के पास एक बाइक से उनकी टक्कर हो गई। इसके बाद उस बाइक पर सवार तीन बदमाशों ने अनुराग को रोक लिया और बहस के बाद मारपीट करने लगे। इसी बीच एक बदमाश ने चाकू निकालकर अनुराग के सीने पर वार कर दिया और उनसे लूटपाट कर फरार हो गए।
आसपास के लोगों ने घायल हालत में अनुराग को अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस के अनुसार, बदमाशों की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी गई है। घटनास्थल के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी खंगाली जा रही है और बदमाशों को जल्द ही दबोच लिया जाएगा।
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मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार सर्वदमन पाठक का निधन हो गया है। वह करीब 72 साल के थे। बताया जाता है कि बुधवार की रात करीब नौ बजे भोपाल में त्रिलंगा स्थित अपने घर में उन्हें दिल का दौर पड़ गया। आनन-फानन में परिजन सर्वदमन पाठक को अस्पताल ले गए, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सर्वदमन पाठक करीब बीस बरसों से दैनिक जागरण, भोपाल में न्यूज़ एडिटर थे। उन्हें मल्टी टास्किंग जर्नलिस्ट माना जाता था। सेंट्रल डेस्क के अलावा उनके पास संडे मैगजीन का काम भी था। समसामयिक मुद्दों पर वह काफी बेहतरीन आर्टिकल लिखते थे। ‘दैनिक जागरण’ के अलावा उन्होंने ‘दैनिक भास्कर’ और ‘नई दुनिया’ में भी काम किया था। सर्वदमन के परिवार में पत्नी, बेटा और बेटी हैं। उनके बेटा-बहू दूसरे शहर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जबकि बेटी-दामाद जयपुर में डॉक्टर हैं।
सर्वदमन पाठक के निधन पर तमाम जाने-माने लोगों ने परमपिता परमात्मा से दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देने व शोकाकुल परिजनों को यह गहन दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सर्वदमन पाठक को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने की प्रार्थना की है। इस बारे में अपने ट्वीट में शिवराज सिंह चौहान ने लिखा है, ‘भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार सर्वदमन पाठक जी के निधन की खबर दुखद है। यह अपूरणीय क्षति है। आपका जीवन जनहितैषी, विकासपरक एवं कमजोर के उत्थान के प्रति समर्पित पत्रकारिता का अध्याय रहा। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। ॐ शांति।।’
भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार सर्वदमन पाठक जी के निधन की खबर दुखद है। यह अपूरणीय क्षति है। आपका जीवन जनहितैषी, विकासपरक एवं कमजोर के उत्थान के प्रति समर्पित पत्रकारिता का अध्याय रहा। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) June 22, 2022
।।ॐ शांति।।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने भी ट्वीट कर सर्वदमन पाठक के निधन पर दुख व्यक्त किया है। अपने ट्वीट में कमलनाथ ने लिखा है, ‘मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार सर्वदमन पाठक जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। मैं ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति और परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। ओम शांति’।
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार सर्वदमन पाठक जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ।
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) June 23, 2022
मैं ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति और परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं।
ओम शांति
वहीं, सर्वदमन पाठक के निधन पर ‘भारतीय जनसंचार संस्थान’ (IIMC), नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी ने गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में प्रो. द्विवेदी ने कहा है, ‘सर्वदमन पाठक ऐसे पत्रकार थे, जिनकी पारंपरिक मूल्यों में गहरी आस्था थी और उन्होंने पत्रकारिता में शुचिता का प्रतिमान स्थापित किया। उन्होंने अपने निरंतर लेखन से समाज को राह दिखाई और अपनी गहरी जनपक्षधरता से लोगों के दिलों में जगह बनाई।’ प्रो.द्विवेदी ने कहा कि पाठक जी ने बिना शोर मचाए विचार की पत्रकारिता की और जनमत के निर्माण के पत्रकारीय लक्ष्य को हमेशा सामने रखा। उनके समूचे लेखन में मूल्यनिष्ठा और गहरे भारतप्रेम के दर्शन होते हैं।
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नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 जून को भी पूछताछ के लिए बुलाया। राहुल गांधी से ED की पूछताछ का मंगलवार को पांचवां दिन है। नेशनल हेराल्ड केस में अब तक राहुल गांधी से 4 दिनों में 40 घंटे से ज्यादा की पूछताछ हो चुकी है।
राहुल गांधी से लगातार हो रही ईडी की पूछताछ को लेकर कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन ने बड़ा प्रवर्तन निदेशालय और केंद्र सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। अजय माकन ने कहा कि केंद्र सरकार जांच एजेंसियों के जरिए विपक्ष की आवाज को दबाने का काम कर रही है।
इतना ही नहीं, उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर आरोप लगाया कि वह पार्टी नेताओं की छवि खराब करने के लिए कुछ मीडिया घरानों को चुनिंदा सूचनाएं लीक कर रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने सोमवार को नई दिल्ली के पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ जांच को प्रभावित करने के लिए मोदी सरकार द्वारा कहानी गढ़ी जा रही है। नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी के चौथी बार ईडी के सामने पेश होने के बाद माकन की यह टिप्पणी आयी है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हमारे नेताओं की छवि खराब करने के लिए झूठी और चुनिंदा खबरें-सूचनाएं लीक कर रही है। माकन ने कहा, ‘नेशनल हेराल्ड मामला ऐसा मुद्दा है, जिसमें किसी को एक पैसे का लाभ नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी लगातार चौथे दिन हमारे नेता को बुलाया गया है, जो पार्टी की छवि खराब करने का प्रयास है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार केंद्रीय जांच ब्यूरो और ईडी का इस्तेमाल कर विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।
अजय माकन ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों को निर्देश दिए जाते हैं कि या तो मोदी सरकार और भाजपा के खिलाफ बोलना बंद करें, वरना उन पर कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि कई नेता ऐसे हैं जिन्हें पहले ईडी और सीबीआई के जरिए परेशान किया गया और बाद में जब वह भाजपा में शामिल हो गए तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रवर्तन निदेशालय में कुल 5422 केस चल रहे हैं, जिनमें से अकेले पर 5310 केस अकेले मोदी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में दर्ज हुए, जिससे पता चलता है कि किस कदर विपक्ष के नेताओं को ईडी के जरिए डराया और धमकाया जा रहा है। उन्होंने प्रतिप्रश्न करते हुए कहा, इससे क्या यह ऐसा नहीं लगता कि ईडी अब चुनाव प्रबंधन विभाग बन गया है?
उन्होंने कहा कि हेमंत बिस्वा को शारदा घोटाले में ईडी ने बुलाया था, उनसे पूछताछ हुई लेकिन जब वो बीजेपी में शामिल हो गए तो उन पर कार्रवाई रोक दी गई। येदुरप्पा पर पर भी केस दर्ज हुआ था उन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। नारायण राणे जब तक कांग्रेस में रहे जब तक उन्हें रोज ईडी और इनकम टैक्स के नोटिस भेजे जाते थे, लेकिन जैसे ही भाजपा में चले गए तो वह पाक साफ हो गए। मुकुल रॉय और सोमेन मित्रा जब तक तृणमूल कांग्रेस में रहे उन्हें एक भी ईडी और सीबीआई के जरिए परेशान किया जाता रहा। उन्होंने कहा कि यह सब चीजें इस बात को साबित करती है कि अन्य दलों के नेताओं को भाजपा में शामिल कराने के लिए भी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया जाता है।
वहीं, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि 'शायद ईडी को कुछ काम नहीं है इसलिए राहुल जी को बुला लेते है, चार दिन की पूछताछ से कुछ निकलता है? लेकिन लगातार बुला रहे है।'
गौरतलब है कि 19 जून को राहुल गांधी का 52वां जन्मदिन था। पिछले सप्ताह सोमवार, मंगलवार और बुधवार को लगातार तीन दिन और सोमवार को फिर से ईडी के अधिकारियों ने पूछताछ की। 52 वर्षीय राहुल गांधी से अब तक 40 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की जा चुकी है। इल दौरान धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके बयान दर्ज किये गए।
ईडी ने इसी मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 23 जून को तलब किया है। सोनिया गांधी कोविड-19 से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं।
गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड का मामला 2012 में चर्चा में आया था। तब बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने गलत तरीके से यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया है। स्वामी ने आरोप लगाया था कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया। साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को टीजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया है।
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तेलुगू फिल्म अभिनेता चिरंजीवी ने कई मौकों पर लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है, फिर चाहे वह टीवी इंडस्ट्री में हो या फिर इसके बाहर। महामारी के दौरान भी, चिरंजीवी ने आवश्यक राशन सामग्री प्रदान कर फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े श्रमिकों की मदद की थी। उनका उदार चेहरा एक बार फिर लोगों के सामने आया है, जब उन्होंने एक बीमार पत्रकार की मदद के लिए हाथ बढ़ाया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार उन्होंने एक प्रमुख अखबार के वरिष्ठ फोटो पत्रकार की मदद की है। कथित तौर पर, ये फोटो पत्रकार अचानक से बीमार पड़ गए और उन्हें तत्काल मेडिकल इमरजेंसी की जरूरत आ पड़ी। आर्थिक तंगी होने की वजह से वे ठीक से अपना उपचार नहीं करा सकते थे, लिहाजा उन्हें मदद की जरूरत थी। लेकिन जब इसकी जानकारी फिल्म अभिनेता चिरंजीवी को लगी, तो उन्होंने मदद का हाथ बढ़ाया।
सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए चिरंजीवी ने न केवल व्यक्तिगत रूप से डॉक्टर से बात की, बल्कि उनके इलाज की व्यवस्था भी की। बताया जा रहा है कि इलाज के बाद फोटो पत्रकार की तबीयत फिलहाल ठीक है और अब वह खतरे से बाहर है।
बता दें कि वरिष्ठ फोटो पत्रकार के माता और पिता दोनों का COVID की लहर के दौरान निधन हो गया था।
सुपर स्टार चिरंजीवी की इस दरियादिली की सोशल मीडिया पर कोई तारीफ कर रहा है और फैन्स उन्हें रियल का ‘सुपर हीरो’ बता रहे है।
One of our fellow photo journalists suddenly fell ill and needed medical emergency. It's @KChiruTweets garu, who immediately responded and spoke to the doctors to take care of the journo. Now he is stable and out of danger. Thank you Chiru sir. You are a real hero.#Chiranjeevi pic.twitter.com/yWkSGNsz1J
— suresh kavirayani (@sureshkavirayan) June 20, 2022
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नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित रूसी पत्रकार दिमित्री मुरातोव ने अपना पदक सोमवार रात नीलाम कर दिया है।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित रूसी पत्रकार दिमित्री मुरातोव ने अपना पदक सोमवार रात नीलाम कर दिया है। मुरातोव ने पुरस्कार की नीलामी से मिली 5,00,000 डॉलर की नकद राशि सीधे संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ को दान करने की घोषणा की है। यह प्रतिष्ठित संस्था धनराशि को यूक्रेनी बच्चों के कल्याण के लिए खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि इस दान का उद्देश्य शरणार्थी बच्चों को भविष्य के लिए एक मौका देना है।
नीलाम होने वाला नोबेल पदक 23 कैरेट सोने से निर्मित और 175 ग्राम वजन का है। उस पर महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की मुखाकृति बनी हुई है।
मुरातोव ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह खासतौर पर उन बच्चों के लिए चिंतित हैं, जो यूक्रेन में संघर्ष के कारण अनाथ हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उनका भविष्य लौटाना चाहते हैं।’
मुरातोव ने हेरीटेज ऑक्शंस द्वारा जारी वीडियो में कहा कि यह अहम है कि रूस के खिलाफ लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से दुर्लभ बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल दवाएं और अस्थि मज्जा प्रतिरोपण जैसी मानवीय सहायता जरूरतमंदों तक पहुंचने से न रुके। नीलामी प्रक्रिया का संचालन करने वाली हेरीटेज ऑक्शंस इससे मिलने वाली धनराशि में कोई हिस्सा नहीं ले रही है।
दिमित्रि मुरातोव को अक्टूबर 2021 में फ्री स्पीच पर उनकी पत्रकारिता के लिए शांति के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। वह रूसी अखबार 'नोवाया गजट' के एडिटर-इन-चीफ थे, लेकिन पुतिन सरकार की कार्रवाई की वजह से इसी साल मार्च में उनके अखबार पर ताला लग चुका है। यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनजर सार्वजनिक असंतोष को दबाने और पत्रकारों पर रूसी कार्रवाई के चलते यह अखबार बंद कर दिया गया था। स्वर्ण पदक से सम्मानित मुरातोव ने स्वतंत्र रूसी अखबार ‘नोवाया गजट’ की स्थापना की थी।
मुरातोव 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा जमाने और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बड़े आलोचक रहे हैं।
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