थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित भव्य समारोह में 30 से अधिक देशों से आए फिल्मकारों, निर्देशकों, कलाकारों और सुपरस्टार्स ने शिरकत की।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित भव्य समारोह में 30 से अधिक देशों से आए फिल्मकारों, निर्देशकों, कलाकारों और सुपरस्टार्स ने शिरकत की। ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिल्म साइंस एंड आर्ट्स’ (IIFSA) द्वारा आयोजित इस समारोह में Astar Awards ने कला, विज्ञान, टेक्नोलॉजी और समाज को जोड़ने में सिनेमा की ताकत को प्रदर्शित किया।
20 से अधिक कैटेगिरी में दिए गए इन पुरस्कारों के जरिये फिल्म निर्माण, रिसर्च, सांस्कृतिक संवाद, सस्टेनेबिलिटी और इनोवेशन में बेहतरीन योगदान को सम्मानित किया गया।
इस शाम का सबसे बड़ा सम्मान Astar Lifetime Achievement Award in Media Innovation and Cultural Communication प्रो. फरहत बसीर खान को दिया गया। यह सम्मान IIFSA के सेक्रेटरी जनरल माइकल ने प्रदान किया। प्रो. खान की चार दशक लंबी यात्रा एक शिक्षाविद, फिल्मकार और मेंटर के रूप में कई पीढ़ियों के कहानीकारों को दिशा देती रही है।
इस सम्मान को ग्रहण करते हुए प्रो. खान ने कहा, ‘यह पुरस्कार सिर्फ अतीत की उपलब्धियों का सम्मान नहीं है, बल्कि यह याद दिलाता है कि सांस्कृतिक संवाद का काम कभी खत्म नहीं होता। दुनिया को ऐसे किस्सों की ज़रूरत है जो जोड़ें, जो प्रेरित करें और हमें बेहतर भविष्य में विश्वास दिलाएं।’
उन्होंने जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, खासतौर पर वाइस चांसलर प्रो. एम. अफशार आलम और प्रो. रेशमा नसरीन को अपनी क्रिएटिव सोच और शैक्षणिक नवाचारों को दिशा देने का श्रेय दिया। अपने छात्रों को, जो आज वैश्विक स्तर पर पहचान बना चुके हैं, उन्होंने अपनी सबसे बड़ी विरासत बताया।
प्रो. खान ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा कि उनके परिवार ने हमेशा उनकी अदृश्य ताकत बनकर सहयोग किया है। उन्होंने अपनी पत्नी सीमी, बेटी ज़रीन, बेटे मंसूर, दामाद अबी़र और 9 साल की पोती ज़ारा का ज़िक्र करते हुए कहा कि यही परिवार उन्हें याद दिलाता है कि जिंदगी अंततः प्यार, उम्मीद और निरंतरता पर टिकी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘सिनेमा सिर्फ स्क्रीन पर दिखने वाली चीज नहीं है, बल्कि वह है जो हम समाज के रूप में आगे बढ़ाते हैं। यह हमारा आईना है, हमारा शिक्षक है और हमें जोड़ने वाला पुल है।’
समारोह में अन्य अंतरराष्ट्रीय विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। Mascha Schilinski की फिल्म Sound of Falling ने बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट फीचर फिल्म दोनों अवॉर्ड जीते। स्पेनिश ड्रामा Sorda, जिसमें बहरी अभिनेत्री Miriam Garlo ने अभिनय किया है, को Best Inclusion & Diversity Film और Best Cinematography का सम्मान मिला। क्रोएशिया–इटली–स्लोवेनिया की साहसिक डॉक्यूमेंट्री Fiume o morte को Best Documentary और Best International Co-Production पुरस्कार मिले। वहीं ईरानी निर्देशक Mohammad Rasoulof को उनकी फिल्म The Seed of the Sacred Fig के लिए Best Screenplay मिला, जिसे कान्स फिल्म फेस्टिवल में Special Jury Prize भी मिला था।
अभिनय श्रेणी में Elliott Crosset Hove को Best Actor और भारत के अनुभवी कलाकार विपिन शर्मा को Best Supporting Actor के अवॉर्ड से नवाजा गया। विपिन शर्मा को फिल्म Taare Zameen Par में उनके यादगार अभिनय के लिए जाना जाता है, जबकि उन्हें यह सम्मान Monkey Man में दमदार अभिनय के लिए मिला।
इस प्रतिष्ठित समारोह की शोभा बढ़ाई अंतरराष्ट्रीय जूरी ने, जिसमें NYU Tisch के Karl Bardosh, Oscar Technical Award विजेता Demetri Terzopoulos, प्रसिद्ध फिल्म थ्योरिस्ट Patricia Pisters, और UCLA के George Huang शामिल रहे।
गुवाहाटी हाई कोर्ट ने पत्रकार अभिसार शर्मा को मिली अंतरिम राहत की अवधि बढ़ा दी है। कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि उन्हें मिली सुरक्षा अब 17 नवंबर तक जारी रहेगी।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
गुवाहाटी हाई कोर्ट ने पत्रकार अभिसार शर्मा को मिली अंतरिम राहत की अवधि बढ़ा दी है। कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि उन्हें मिली सुरक्षा अब 17 नवंबर तक जारी रहेगी। यह मामला असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर धार्मिक आधार पर राजनीति करने के आरोप लगाने वाले अभिसार शर्मा के बयान से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति शमीमा जहान की एकल पीठ ने यह राहत इसलिए बढ़ाई क्योंकि राज्य सरकार की ओर से 19 सितंबर को मांगी गई केस डायरी अब तक कोर्ट में पेश नहीं की गई थी।
दरअसल, अभिसार शर्मा ने हाई कोर्ट का रुख तब किया जब सुप्रीम कोर्ट ने असम पुलिस की FIR को चुनौती देने वाली उनकी याचिका सुनने से इनकार कर दिया था। यह FIR भारतीय दंड संहिता (BNS) की धाराओं 152 (राष्ट्र की संप्रभुता को खतरे में डालना), 196 (समुदायों के बीच दुश्मनी फैलाना) और 197 (राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के खिलाफ बयान) के तहत दर्ज की गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चार हफ्तों की अंतरिम सुरक्षा दी थी ताकि वह हाई कोर्ट से राहत मांग सकें।
19 सितंबर को गुवाहाटी हाई कोर्ट की एकल पीठ ने उन्हें मिली सुरक्षा को 22 अक्टूबर तक बढ़ाया था और राज्य को केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया था।
पिछली सुनवाई में अभिसार शर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील कमल नयन चौधरी ने दलील दी थी कि उनका मुवक्किल एक पत्रकार है, जो यूट्यूब पर अपने विचार साझा करता है। उन्होंने कहा कि सिर्फ आलोचनात्मक राय रखने के कारण किसी पत्रकार पर देशद्रोह या साम्प्रदायिकता भड़काने का आरोप नहीं लगाया जा सकता।
वकील ने कहा, “अगर सरकार की हर आलोचना को देशद्रोह माना जाएगा, तो यह लोकतंत्र के लिए काला दिन होगा। हमें आलोचना सहने की क्षमता रखनी चाहिए। अभिसार ने सिर्फ मुख्यमंत्री के झारखंड में दिए एक बयान पर टिप्पणी की थी, जो सरकार की आलोचना नहीं मानी जा सकती।”
अभिसार की ओर से यह भी कहा गया कि उनका वीडियो केवल “ध्रुवीकरण” पर सवाल उठाता था, न कि किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ था। इसलिए यह धाराओं 152 या 197 के तहत अपराध नहीं बनता।
इस मामले में शिकायतकर्ता आलोक बरुआ ने आरोप लगाया था कि अभिसार शर्मा ने अपने वीडियो में असम और केंद्र सरकार दोनों का मज़ाक उड़ाया और “राम राज्य” की अवधारणा को नीचा दिखाया। बरुआ का दावा था कि अभिसार के बयान से जानबूझकर सरकार की छवि खराब करने और धार्मिक भावनाएं भड़काने की कोशिश की गई।
शिकायत के अनुसार, वीडियो में कही गई बातें समाज में नफरत फैलाने, साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने और जनता का भरोसा सरकार से उठाने की क्षमता रखती थीं।
कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को करेगी। तब तक अभिसार शर्मा को गिरफ्तारी से सुरक्षा जारी रहेगी।
कई वरिष्ठ पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उनका अंतिम संस्कार 27 अक्टूबर को उनके पैतृक गांव में ही किया जाएगा।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी उपेंद्र राय के बड़े भाई राजेश राय का शनिवार को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्होंने दिल्ली के मूलचंद अस्पताल में अंतिम सांस ली। स्वर्गीय राजेश राय पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और मूलचंद अस्पताल में भर्ती थे। शनिवार सुबह दिल का दौरा पड़ने के बाद उपचार के दौरान उनका निधन हो गया।
जिसके बाद परिवार, मित्रमंडल और पत्रकारिता जगत में शोक की गहरी लहर दौड़ गई। स्वर्गीय राजेश राय गाज़ीपुर जिले की मोहम्मदाबाद तहसील के शेरपुर कला गांव के मूल निवासी थे। वह लंबे समय से अपने पैतृक गांव में ही निवास कर रहे थे और समाजसेवा में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।
अपनी सरलता और उदार व्यक्तित्व के कारण वे समाज में अत्यंत लोकप्रिय थे। राजेश राय जी का सहारा इंडिया परिवार से भी लंबे समय तक जुड़ाव रहा। अपने जीवनकाल में उन्होंने सामाजिक सहयोग और सेवा को प्राथमिकता दी। वे सदैव दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहते थे और ग्रामीण समाज के उत्थान हेतु निरंतर प्रयासरत रहे।
उनके निधन से न केवल भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क परिवार बल्कि संपूर्ण मीडिया जगत एवं सामाजिक क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है। कई वरिष्ठ पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उनका अंतिम संस्कार 27 अक्टूबर को उनके पैतृक गांव में ही किया जाएगा।
दक्षिण भारत डिजिटल पब्लिशर्स एसोसिएशन (SIDPA), जो प्रमुख डिजिटल मीडिया संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करती है, ने तेलुगु फिल्म प्रोड्यूसर राजेश दांडा की निंदा की है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
दक्षिण भारत डिजिटल पब्लिशर्स एसोसिएशन (SIDPA), जो प्रमुख डिजिटल मीडिया संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करती है, ने तेलुगु फिल्म प्रोड्यूसर राजेश दांडा की निंदा की है। राजेश ने अपनी फिल्म को कवर कर रहे एक मीडिया आउटलेट के प्रति आपत्तिजनक और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया था।
SIDPA ने कहा कि प्रोफेशनल मतभेद हमेशा सम्मान और शालीनता के साथ व्यक्त किए जाने चाहिए। किसी सार्वजनिक मंच या आवाज का इस्तेमाल दूसरों का अपमान, धमकी या नीचा दिखाने के लिए नहीं किया जा सकता। ऐसे व्यवहार को स्वीकार्य नहीं माना जा सकता और यह प्रोफेशनल आचार और सभ्यता के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। एसोसिएशन ने यह भी याद दिलाया कि हिंसा या नुकसान की धमकी देना कानून के तहत अपराध है।
SIDPA ने प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि वह पत्रकारों या मीडिया संस्थाओं के खिलाफ किसी भी तरह की धमकी, दुर्व्यवहार या डराने-धमकाने को सहन नहीं करेगी। एसोसिएशन ने जोर देकर कहा कि मीडिया की स्वतंत्रता और सुरक्षा को कमजोर करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ जवाबदेही जरूरी है।
इस बयान के माध्यम से SIDPA ने सभी प्रेस इंटरैक्शन में प्रोफेशनल आचार और जिम्मेदार व सम्मानजनक संवाद बनाए रखने की आवश्यकता पर ध्यान आकर्षित किया। एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि मीडिया के प्रति सम्मान और प्रोफेशनल व्यवहार सभी के लिए अनिवार्य है।
ऐडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के आइकन और क्रिएटिव लेजेंड पीयूष पांडे अब हमारे बीच नहीं रहे। वह 70 साल के थे।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
ऐडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के आइकन और क्रिएटिव लेजेंड पीयूष पांडेय अब हमारे बीच नहीं रहे। वह 70 साल के थे। उनकी आवाज, सोच और भारतीय अंदाज ने आधुनिक भारतीय विज्ञापन की दिशा तय की। पीयूष पांडेय, ओगिलवी के वर्ल्डवाइड चीफ क्रिएटिव ऑफिसर और इंडिया के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन थे। ग्लोबल ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में वह जाना-माना नाम थे। उन्हें एलआईए लेजेंड अवॉर्ड (2024) और पद्म श्री (2016) सहित कई सम्मान मिल चुके थे।
पीयूष पांडेय को भारतीय विज्ञापन जगत में एक अलग और खास आवाज देने के लिए जाना जाता था। उन्होंने इंडस्ट्री को पश्चिमी अंदाज से दूर कर देश की भाषा, संस्कृति और भावना से जोड़ने का काम किया।
विज्ञापन के क्षेत्र में उनका सफर वर्ष 1982 में शुरू हुआ, जब उन्होंने ओगिलवी में क्लाइंट सर्विसिंग एग्जिक्यूटिव के रूप में काम शुरू किया। उनके शुरुआती प्रोजेक्ट्स में से एक था डिटर्जेंट ब्रैंड सनलाइट। छह साल में ही वह क्रिएटिव डिपार्टमेंट में आ गए, जहां उनकी कहानी कहने की कला ने सभी को मंत्रमुग्ध किया। इसके बाद उन्होंने लुमो, फेविकोल, कैडबरी और एशियन पेंट्स जैसे ब्रैंड्स के लिए यादगार कैंपेन बनाए।
पीयूष पांडेय के विज्ञापन हमेशा सादगी, भावना और भारतीय संस्कृति का मिश्रण दिखाते थे। पीयूष पांडेय की कमी भारतीय विज्ञापन जगत हमेशा महसूस करेगा। उनकी रचनाएं और उनका अंदाज पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा।
उनके प्रसिद्ध कामों में निम्न शुमार हैं।
फेविक्विक और फेविकोल: 'टोड़ो नहीं, जोड़ो', फेविकोल सोफा, और 'बस फंस गया फेविकोल में' वाला ऐड
पॉंड्स–'गूगली वूगली वूश!!'
कैडबरी डेयरी मिल्क–'कुछ खास है'
वोडाफोन–जूजू
एशियन पेंट्स–'हर घर कुछ कहता है'
बजाज–'हमारा बजाज'
एयरटेल–'हर एक फ्रेंड जरूरी होता है'
राजनीतिक विज्ञापन, जैसे बीजेपी का 2014 का अभियान 'अबकी बार मोदी सरकार'
सेलिब्रिटी कोलैब्स, जैसे अमिताभ बच्चन के साथ पोलियो अभियान
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर के पॉश इलाके सिविल लाइंस में गुरुवार देर शाम एक पत्रकार को बदमाशों ने हमला कर दिया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर के पॉश इलाके सिविल लाइंस में गुरुवार देर शाम एक पत्रकार को बदमाशों ने हमला कर दिया। 54 साल के पत्रकार लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ पप्पू को सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन क्षेत्र के हर्ष होटल के पास अज्ञात हमलावरों ने चाकू से कई वार किए।
घायल पत्रकार की मौत
धूमनगंज थाना क्षेत्र की शकुंतला कुंज कॉलोनी के रहने वाले LN सिंह को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज के एसआरएन अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। लक्ष्मी नारायण सिंह पूर्व हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सिंह के भतीजे थे।
पुलिस की कार्रवाई और मुठभेड़
हमले की जानकारी मिलने पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। मुठभेड़ में एक आरोपी विशाल घायल हो गया, जिसके पैर में गोली लगी और उसे एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुलिस के मुताबिक, मामले में विशाल और साहिल का नाम सामने आया है। विशाल और साहिल ठेले वालों से अवैध वसूली करते थे। पुलिस अब साहिल और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है।
हत्या की वजह और कानून व्यवस्था पर सवाल
प्रारंभिक पूछताछ में पता चला कि पत्रकार और आरोपियों के बीच किसी बात को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद यह घटना हुई। हत्या की असली वजह अभी साफ नहीं हो पाई है। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले धूमनगंज के मुंडेरा चुंगी पर रोडवेज बस ड्राइवर की भी हत्या हो चुकी है, जिससे कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
परिजनों की मांग
मृतक पत्रकार के परिजनों ने मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त पुष्कर वर्मा ने बताया कि पुलिस इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है ताकि हमलावरों की पहचान की जा सके और उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जा सके।
आंध्र प्रदेश के सूचना आयुक्त के.एस. विश्वनाथन ने कहा है कि राज्य के कामकाजी पत्रकारों को जल्द ही नई मान्यताएं (accreditation) जारी की जाएंगी।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
आंध्र प्रदेश के सूचना आयुक्त के.एस. विश्वनाथन ने कहा है कि राज्य के कामकाजी पत्रकारों को जल्द ही नई मान्यताएं (accreditation) जारी की जाएंगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पुराने मान्यता पत्र नवीनीकृत नहीं किए जाएंगे, बल्कि पूरी प्रक्रिया नई शुरुआत के रूप में होगी।
बुधवार को आंध्र प्रदेश यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (APUWJ) के प्रतिनिधियों की एक टीम ने आयुक्त के साथ मुलाकात की और पत्रकारों को होने वाली परेशानियों और मान्यता संबंधी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। इस बैठक में APUWJ के राज्य अध्यक्ष आई.वी. सुब्बा राव, महासचिव कांचला जयराज, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अध्यक्ष येचुरी शिवा, उपाध्यक्ष चवा रवि और अन्य शामिल हुए।
प्रतिनिधियों ने अपनी ज्ञापन में कई महत्वपूर्ण मांगें उठाई। उन्होंने राज्य और जिला स्तर पर मान्यता समितियों के गठन की मांग की और पत्रकार सुरक्षा समिति, प्रोफेशनल आचार समिति और कल्याण निधि समिति को फिर से गठित करने का आग्रह किया।
डेलीगेशन ने वर्किंग जर्नलिस्ट्स वेलफेयर फंड को पुनर्जीवित करने का भी अनुरोध किया और सरकार के विज्ञापन बिल का 5 प्रतिशत इस फंड में देने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने हेल्थ कार्ड योजना को मजबूत करने और सूचना विभाग, आरोग्यस्री ट्रस्ट और पत्रकार संघों के प्रतिनिधियों से मिलकर त्रिपक्षीय समिति बनाने की भी मांग की।
उन्होंने 2016 में शुरू की गई वर्किंग जर्नलिस्ट्स एक्सीडेंट इंश्योरेंस स्कीम को फिर से लागू करने और वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने का अनुरोध किया। इसके अलावा, महाराष्ट्र जैसे विशेष कानून के माध्यम से पत्रकारों पर हमला रोकने की भी मांग उठाई।
प्रतिनिधियों ने रेलवे यात्रा छूट को बहाल करने, छोटे और मध्यम अखबारों को विज्ञापन आवंटन रोटेशन में देने, सेवानिवृत्त पत्रकारों के लिए पेंशन सुविधा, पत्रकारों को हाउस साइट आवंटन और वरिष्ठ पत्रकारों के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड को पुनर्जीवित करने की भी मांग की।
इन सभी सुझावों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए आयुक्त के.एस. विश्वनाथन ने आश्वासन दिया, “हम तुरंत पत्रकारों के मुद्दों पर बैठक करेंगे और आवश्यक निर्णय लेंगे।”
बैठक में प्रेस क्लब के सचिव दासारी नागराजू, APUWJ राज्य कार्यकारी सदस्य रमबाबू और राज्य परिषद सदस्य एडाकोंडालु सहित कई अन्य लोग भी मौजूद थे।
दिल्ली सरकार ने हाल ही में 'दीवाली मंगल मिलन' कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें अन्य मीडिया जैसे प्रिंट और विजुअल मीडिया को आमंत्रित किया गया, लेकिन उर्दू मीडिया को शामिल नहीं किया गया।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
दिल्ली सरकार ने हाल ही में 'दीवाली मंगल मिलन' कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें अन्य मीडिया जैसे प्रिंट और विजुअल मीडिया को आमंत्रित किया गया, लेकिन उर्दू मीडिया को शामिल नहीं किया गया। पत्रकारों ने इसे अल्पसंख्यक विरोधी, भेदभावपूर्ण और उर्दू प्रेस के प्रति उपेक्षात्मक रवैये वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ, यहां तक कि उन पत्रकारों के साथ भी नहीं जो दशकों से भाजपा और दिल्ली सरकार की कवरेज करते रहे हैं।
13 अक्टूबर को सूचना और जनसंपर्क निदेशालय (DIP) ने अशोका होटल में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के साथ पत्रकारों के लिए विशेष बातचीत का आयोजन किया। कार्यक्रम में दिल्ली कैबिनेट के सभी मंत्री भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने इसे मीडिया के साथ सौहार्दपूर्ण संवाद का अवसर बताया। लेकिन उर्दू मीडिया के रिपोर्ट्स के अनुसार, पहली बार एक भी उर्दू पत्रकार को आमंत्रित नहीं किया गया।
रिपोर्ट्स के अनुसार, DIP निदेशक सुशील सिंह ने वॉट्सऐप के माध्यम से आमंत्रण भेजे और इसे अनिवार्य उपस्थित माना गया। इस बहिष्कार को प्रशासनिक त्रुटि नहीं बल्कि जानबूझकर उर्दू पत्रकारों को हाशिए पर रखने की कोशिश माना गया। कई पत्रकारों ने इसे 'अछूतपन' और उर्दू और उसके भाषियों को कमजोर करने की स्पष्ट कोशिश बताया।
आम आदमी पार्टी के नेताओं ने भाजपा पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि वर्तमान सरकार उर्दू के खिलाफ पुराने भेदभाव को बढ़ावा दे रही है। कई वरिष्ठ पत्रकारों ने भी इसे औपचारिक रूप से दिल्ली सरकार के जनसंपर्क और विकास प्राधिकरण के सामने उठाने की योजना बनाई।
उर्दू समाचार पत्र 'हमारा समाज' के संपादक सादिक शेरवानी ने कहा कि पहले की भाजपा सरकारों के दौरान, जैसे मदन लाल खुराना और सुषमा स्वराज के नेतृत्व में, उर्दू पत्रकारों के साथ कभी ऐसा भेदभाव नहीं हुआ। उर्दू को हमेशा सम्मान मिला। वर्तमान बहिष्कार को कई पत्रकार साम्प्रदायिक रणनीतियों से जुड़ा राजनीतिक संदेश मानते हैं।
कुछ पत्रकारों का मानना है कि यह कदम जानबूझकर उर्दू को दिल्ली की सांस्कृतिक पहचान से अलग दिखाने और इसे केवल मुसलमानों की भाषा के रूप में पेश करने का प्रयास है। हालांकि सरकार ने इसे निजी तौर पर 'गलती' बताया, लेकिन कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।
उर्दू और मुख्यधारा के वरिष्ठ पत्रकारों ने सरकार की इस नीति की आलोचना की और कहा कि दिल्ली की दूसरी आधिकारिक भाषा होने के बावजूद, उर्दू को व्यवस्थित रूप से हाशिए पर रखा जा रहा है। उनका कहना है कि यह बहिष्कार लंबे समय से जारी उपेक्षा का हिस्सा है, क्योंकि उर्दू अखबारों को हाल के वर्षों में सरकारी विज्ञापन भी नहीं मिले।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 को केरल, त्रिपुरा और मणिपुर की सरकारों को नोटिस जारी किया है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 को केरल, त्रिपुरा और मणिपुर की सरकारों को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस उन तीन पत्रकारों पर हाल के तीन महीनों में हुए कथित हमलों से जुड़ा है।
आयोग ने तीनों राज्यों के पुलिस महानिदेशकों (DGPs) को यह निर्देश दिया है कि वे दो हफ्तों के भीतर पूरी रिपोर्ट भेजें।
मणिपुर में 30 अगस्त को सेनापति जिले के लाई गांव में एक फूलों के त्योहार की कवरेज कर रहे पत्रकार पर हमला हुआ। उन्हें एयर गन से दो बार गोली मारी गई, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
उसी दिन केरल के थोडूपुझा के पास मंगलत्तुकवाला में एक और पत्रकार पर लोगों के समूह ने हमला किया। वह एक शादी समारोह से लौट रहे थे।
वहीं, त्रिपुरा में 21 सितंबर को पश्चिम त्रिपुरा के हेमारा इलाके में एक पत्रकार पर लोहे की रॉड और धारदार हथियारों से हमला किया गया। वह एक राजनीतिक पार्टी द्वारा आयोजित कपड़े वितरण कार्यक्रम में शामिल थे। इस दौरान, उनकी मोटरसाइकिल को भी चोरी कर लिया गया।
तीनों ही मामलों में, घायल पत्रकारों को अस्पताल में भर्ती कराया गया और पुलिस ने संबंधित मामलों में मामले दर्ज किए।
इस कार्यक्रम के माध्यम से ‘AACA’ अपने 35 साल के गौरवशाली सफर को याद करेगा और गुजरात की क्रिएटिव इंडस्ट्री की विविधता और प्रतिभा को सामने लाएगा और उन्हें मंच प्रदान करेगा।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
गुजरात के एडवर्टाइजिंग और मीडिया जगत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख संगठन ‘अहमदाबाद एडवर्टाइजिंग वेलफेयर सर्किल एसोसिएशन (AACA) चार जनवरी 2026 को YMCA हॉल, अहमदाबाद में फेस्टिवल ऑफ एडवर्टाइजिंग 2026 का आयोजन करने जा रहा है।
इस कार्यक्रम के माध्यम से ‘AACA’ अपने 35 साल के गौरवशाली सफर को याद करेगा और गुजरात की क्रिएटिव इंडस्ट्री की विविधता और प्रतिभा को सामने लाएगा और उन्हें मंच प्रदान करेगा। इस मौके पर राज्य भर के एडवर्टाइजिंग और मीडिया एक्सपर्ट्स, क्रिएटिव डायरेक्टर और ब्रैंड लीडर्स एकत्र होंगे।
इस फेस्टिवल के तहत कुल पांच प्रमुख कार्यक्रम होंगे:
क्रिएटिव स्पार्क: कॉलेज के छात्रों के लिए प्रतियोगिता, जो नए क्रिएटिव टैलेंट को प्रेरित करेगी।
कला संगम: गुजराती कला, साहित्य और मीडिया की संस्कृति को सम्मान देने वाला सांस्कृतिक मिलन।
लेजेंड टॉक शो: राष्ट्रीय स्तर के विज्ञापन आइकन और इंडस्ट्री लीडर्स के साथ बातचीत।
AACA मीडिया अवार्ड्स 2026: प्रिंट, रेडियो, टीवी, सिनेमा, आउटडोर और डिजिटल मीडिया में उत्कृष्ट कार्यों को सम्मानित करना।
नेशनल कॉफी टेबल बुक: गुजरात की क्रिएटिव उपलब्धियों और फेस्टिवल की झलकियों को दर्ज करने वाली प्रीमियम पुस्तक।
AACA मीडिया अवार्ड्स 2026: इसके तहत 20 श्रेणियों में कुल 40 पुरस्कार दिए जाएंगे। ये पुरस्कार 1 जनवरी 2023 से 31 अक्टूबर 2025 तक लॉन्च हुए कैम्पेन को कवर करेंगे। एजेंसियां www.mediaawards.adcircle.in पर आवेदन कर सकती हैं।
पुरस्कारों का निर्णय पांच सदस्यीय जूरी करेगी, जिसमें शामिल हैं:
प्रतिष्ठित FMCG कंपनी के ब्रैंड हेड अथवा मार्केटिंग हेड
वरिष्ठ विज्ञापन शैक्षणिक और अकादमिक विशेषज्ञ
राष्ट्रीय स्तर के मीडिया दिग्गज/पब्लिशर
डिजिटल इन्फ्लुएंसर और कंटेंट क्रिएटर
राष्ट्रीय एजेंसी नेटवर्क के अनुभवी क्रिएटिव डायरेक्टर
गौरतलब है कि AACA की स्थापना वर्ष 1991 में की गई थी। इसका उद्देश्य पेशेवर मानकों को मजबूत करना, इनोवेशन को बढ़ावा देना, नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को प्रोत्साहित करना और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान करना है। वर्तमान में इसमें मनीष गांधी (P. Gautam & Co.) प्रेजिडेंट, जगत बी. गांधी (Dipti Ads) सेक्रेट्री और हीरेन एम. शाह (Hiren Ads) कोषाध्यक्ष के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
AACA में वर्तमान में लगभग 70 सदस्य एजेंसियां शामिल हैं, जिनका कुल कारोबार 500 करोड़ रुपये से अधिक है। इनके प्रमुख क्लाइंट्स में अडानी, निरमा, जाइडस, माणिकचंद, वाघ बकरी टी, सिम्फनी, एस्ट्रल, पेसिफिका ग्रुप, नटराज, कायम चूर्ण, अरविंद, गोपाल नमकीन, तिरुपति एडिबल ऑइल रूपा, बी-टैक्स, पारुल यूनिवर्सिटी और भारतीय रेलवे जैसे जाने-माने नाम शामिल हैं।
इस बारे में ज्यादा जानकारी वेबसाइट www.mediaawards.adcircle.in से ले सकते हैं अथवा निपा शुक्ला (मीडिया को-ऑर्डिनेटर) से 93750 35060 पर संपर्क कर सकते हैं।
प्रयास JAC सोसाइटी और इंडिया हैबिटेट सेंटर (IHC) की ओर से दिल्ली में 16 अक्टूबर को ‘सामाजिक क्षेत्र और मीडिया की भूमिका: विकसित भारत 2047 की ओर’ विषय पर विशेष चर्चा का आयोजन किया गया।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
प्रयास JAC सोसाइटी और इंडिया हैबिटेट सेंटर (IHC) की ओर से दिल्ली में 16 अक्टूबर को ‘सामाजिक क्षेत्र और मीडिया की भूमिका: विकसित भारत 2047 की ओर’ (Role of Media and Social Sector in the journey towards a Viksit Bharat 2047) विषय पर विशेष चर्चा का आयोजन किया गया।
इंडिया हैबिटेट सेंटर के Casuarina Hall में हुए इस कार्यक्रम में देशभर से आए वरिष्ठ पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और शैक्षिक जगत के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। चर्चा का फोकस इस बात पर रहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मीडिया और सामाजिक क्षेत्र किस तरह साथ मिलकर काम कर सकते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत ‘प्रयास’ की मैनेजर निवेदिता पांडेय ने की। उन्होंने कहा कि मीडिया और सिविल सोसाइटी ‘हाथ और दिल’ की तरह हैं, जो साथ मिलकर समाज में कल्याण की दिशा तय करते हैं।
‘प्रयास’ के संस्थापक और मेंटर आमोद कंठ ने कहा कि भारत तब तक पूरी तरह विकसित नहीं हो सकता जब तक समाज के कमजोर तबकों—बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों की देखभाल नहीं की जाती। उन्होंने सामाजिक क्षेत्र को लोकतंत्र का ‘पंचवां स्तंभ’ बताया और कहा कि देश में करीब 37 लाख स्वैच्छिक संगठन सक्रिय हैं, जो विकास यात्रा के महत्वपूर्ण भागीदार हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, क्योंकि देश की बड़ी आबादी अब भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है और अनेक बच्चों को शिक्षा तक पहुंच नहीं मिल पा रही है।
वरिष्ठ पत्रकार ए. जे. फिलिप ने माना कि एनजीओ के कार्यों को मीडिया में वह जगह नहीं मिलती, जिसकी वे हकदार हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हरियाणा में एक शैक्षणिक एनजीओ तब चर्चा में आया जब उसके परिसर में एक बंदर की दुर्घटनावश मौत की खबर छपी। उन्होंने कहा कि एनजीओ को वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए ताकि वे विश्वसनीय आवाज बन सकें।
वरिष्ठ पत्रकार और पद्मश्री आलोक मेहता ने कहा कि दिल्ली ही भारत नहीं है, बल्कि केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के क्षेत्रीय अखबार भी समाज में बदलाव की दिशा में शानदार काम कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा, स्वच्छता और सामुदायिक नेतृत्व जैसी सकारात्मक कहानियों को ज्यादा से ज्यादा साझा किया जाना चाहिए और एनजीओ की सफलता की कहानियों को लाइब्रेरियों और कम्युनिटी नेटवर्क्स तक पहुंचाया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के मेजबान और इंडिया हैबिटेट सेंटर के डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने कहा कि IHC लगातार समावेशिता और सतत विकास की दिशा में कार्यरत है और ‘प्रयास’ के साथ उसकी साझेदारी इसी दृष्टि को आगे बढ़ाती है। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया और एनजीओ के बीच बेहतर समझ और सहयोग जरूरी है, ताकि सामाजिक मुद्दों पर सही रिपोर्टिंग और संवेदनशील दृष्टिकोण विकसित हो सके।
वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा कि पत्रकारिता और एनजीओ दोनों को अधूरी कोशिशों से आगे बढ़कर समर्पण के साथ काम करना होगा। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया कभी-कभी टीआरपी के लिए बच्चों की नकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है, जबकि वही बच्चे सहायता और संसाधनों के अभाव में संघर्ष कर रहे होते हैं।
‘आईआईएमसी’ के पूर्व निदेशक प्रदीप माथुर ने सुझाव दिया कि पत्रकारों के लिए ‘डेवलपमेंट स्टोरीज़’ पर विशेष प्रशिक्षण सेमिनार आयोजित किए जाएं, ताकि समाज से जुड़ी सकारात्मक खबरों को प्रभावी ढंग से पेश किया जा सके।
AAFT के चांसलर संदीप मारवाह का कहना था कि रेडियो नोएडा 107.4, रेडियो रायपुर 88.4 और MSTV जैसे माध्यम एनजीओ के कामों को प्रचारित करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने एनजीओ को साथ मिलकर काम करने का निमंत्रण दिया।
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद सिंह ने बताया कि मीडिया कवरेज से कई बार आम लोगों को न्याय और राहत मिलती है, और इसी तरह मीडिया-एनजीओ सहयोग समाज में भरोसे का माहौल बना सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार व शिक्षाविद् अविनाश सिंह ने सुझाव दिया कि एनजीओ को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे यूट्यूब और सोशल मीडिया का अधिक उपयोग करना चाहिए, जिससे न केवल दृश्यता बढ़ेगी बल्कि आर्थिक संसाधन भी जुटाए जा सकेंगे। लेखिका संगीता सिन्हा ने बताया कि उन्होंने ‘पंचवां स्तंभ’ नाम से अपनी पत्रिका शुरू की है, ताकि सामाजिक कहानियों को मुख्यधारा से जोड़ने का नया माध्यम मिल सके।
वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु रंजन और जयंत घोषाल ने भी अपने विचार साझा करते हुए कहा कि सामाजिक मुद्दों को आम जनता से जोड़ने के लिए मीडिया की भाषा और दृष्टिकोण में बदलाव जरूरी है।