म.प्र. साहित्य अकादमी ने देश की 121 हस्तियों को किया सम्मानित

आशुतोष राणा सहित देश और प्रदेश के कुल 121 रचनाकार सम्मानित हुए, जिन्हें कुल 83 लाख 66 हजार की पुरस्कार राशि बांटी गई।

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Thursday, 27 July, 2023
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म.प्र. साहित्य अकादमी द्वारा मंगलवार 25 जुलाई को रवींद्र भवन सभागार में भव्य अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया,जिसमें विगत चार वर्षों से लंबित पुरस्कार बांटे गए। इसमें 52 साहित्यकारों को अखिल भारतीय, 60 साहित्यकारों को प्रादेशिक और छह को बोलियों के पुरस्कार दिए गए। इस दौरान देश एवं प्रदेश के कुल 121 रचनाकार सम्मानित हुए, जिन्हें कुल 83 लाख 66 हजार की पुरस्कार राशि बांटी गई। अखिल भारतीय पुरस्कार पाने वाले साहित्यकारों को एक-एक लाख, प्रादेशिक और बोलियों के पुरस्कार पाने वाले साहित्यकारों को 50-50 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई है। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर उपस्थित रहीं। साथ ही प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन शिव शेखर शुक्ला, संचालक संस्कृति अदिति त्रिपाठी, साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे भी विशेष रूप से मौजूद रहे। भोपाल के 28 साहित्यकारों को यह पुरस्कार मिला।

2020 के लिए मालवी बोली के लिए संत पीपा पुरस्कार उज्जैन के शिव चौरसिया, निमाड़ी के लिए संत सिंगा पुरस्कार इंदौर की डा. मीना साकल्ले, बघेली के लिए विश्वनाथ सिंह जूदेव पुरस्कार शहडोल के रामसखा नामदेव, बुंदेली के लिए छत्रसाल पुरस्कार भोपाल की डा. मीनू पांडेय, भीली बोली के लिए टंट्या भील पुरस्कार झाबुआ के डा. गजेंद्र आर्य को दिया गया।2021 के लिए मालवी के लिए संत पीपा पुरस्कार इंदौर की माया मालवेंद्र बदेका, निमाड़ी के लिए संत सिंगा पुरस्कार महेश्वर के हरीशचंद्र दुबे, बघेली के लिए विश्वनाथ सिंह जूदेव पुरस्कार सतना के अरुण कुमार पयासी, बुंदेली के लिए छत्रसाल पुरस्कार टीकमगढ़ के राजीव नामदेव को मिला।

इनको मिले अखिल भारतीय पुरस्कार

2018 के लिए पं. माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार भोपाल के डा. रामदीन त्यागी, गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार बीकानेर की इंजीनियर आशा शर्मा, राजा वीरसिंह देव पुरस्कार खंडवा की कृष्णा अग्निहोत्री, आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार इंदौर के प्रो. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी, पं. भवानी प्रसाद मिश्र भोपाल की कांति शुक्ला, अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार बरेली के आचार्य देवेंद्र कुमार, कुबेरनाथ राय पुरस्कार इंदौर के नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, विष्णु प्रभाकर पुरस्कार भोपाल के महेश सोनी, निर्मल वर्मा पुरस्कार पिपरिया के डा. आनंद प्रकाश शर्मा, महादेवी वर्मा पुरस्कार पानीपत की डा. मंजरी शुक्ला, प्रो. विष्णुकांत शास्त्री पुरस्कार दिल्ली के राजेंद्र उपाध्याय, भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार इंदौर के अरविंद जवलेकर और नारद मुनि पुरस्कार इंदौर के केशव गुप्ता को दिया गया।

2019 के लिए पं. माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार नागपुर के डा. मनोज पांडेय, गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार दिल्ली के सच्चिदानंद जोशी, राजा वीरसिंह देव पुरस्कार अमरकंटक की प्रो. मनीषा शर्मा, आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार गढ़वाल की डा. कविता भट्ट, पं. भवानी प्रसाद मिश्र सहारनपुर के डा. आरपी सारस्वत, अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार हरियाणा की डा. इंदु राव, कुबेरनाथ राय पुरस्कार दिल्ली के आरके जैन, विष्णु प्रभाकर पुरस्कार मोहाली के डा. कुलदीप अग्निहोत्री, निर्मल वर्मा पुरस्कार इंदौर के प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी, महादेवी वर्मा पुरस्कार जबलपुर के प्रशांत पोल, प्रो. विष्णुकांत शास्त्री पुरस्कार कटनी की डा. सुधा गुप्ता, भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार भोपाल के संतोष रंजन और नारद मुनि पुरस्कार इंदौर के अजय जैन को दिया गया।

2020 के लिए पं. माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार हावड़ा के शिखर चंद जैन, गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार मथुरा के डा. दिनेश पाठक शशि, राजा वीरसिंह देव पुरस्कार नरसिंहपुर के आशुतोष राणा (रामराज्य उपन्यास), आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार खरगोन के डा. शंभू सिंह मनहर, पं. भवानी प्रसाद मिश्र बुरहानपुर के डा. वीरेंद्र, अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार असम की सविता दास, कुबेरनाथ राय पुरस्कार वाराणसी की डा. विधि नागर, विष्णु प्रभाकर पुरस्कार भोपाल के डा. अंजनी कुमार झा, निर्मल वर्मा पुरस्कार नोएडा के ललित कुमार, महादेवी वर्मा पुरस्कार भोपाल के विजय मनोहर तिवारी, प्रो. विष्णुकांत शास्त्री पुरस्कार सलूंबर की विमला भंडारी, भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार पुणे के डा. दामोदर खड़से और नारद मुनि पुरस्कार इंदौर के डा. अर्पण जैन को दिया गया।

2021 के लिए पं. माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार अमरकंटक के प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी, गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार हल्द्वानी की डा. प्रभा पंत, राजा वीरसिंह देव पुरस्कार अलवर के बलवीर सिंह करुण, आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार वाराणसी के डा. सत्य प्रकाश पाल, पं. भवानी प्रसाद मिश्र भोपाल के डा. रामवल्लभ आचार्य, अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार भोपाल के डा. आनंद सिंह, कुबेरनाथ राय पुरस्कार वर्धा के रजनीश कुमार शुक्ल, विष्णु प्रभाकर पुरस्कार ग्वालियर के दिनेश पाठक, निर्मल वर्मा पुरस्कार रतलाम के प्रो. अजहर हाशमी, महादेवी वर्मा पुरस्कार भीलवाड़ा के डा. भैंरूलाल गर्ग, प्रो. विष्णुकांत शास्त्री पुरस्कार इंदौर की ज्योति जैन, भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार बड़ोदरा की डा. क्रांति कनाटे और नारद मुनि पुरस्कार भोपाल के लोकेंद्र सिंह को दिया गया।

इनको मिले प्रादेशिक पुरस्कार

2018 के लिए वृंदावन लाल वर्मा पुरस्कार इंदौर के आलोक शर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार भोपाल के गोकुल प्रसाद सोनी, श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार उज्जैन के प्रतीक सोनवलकर, आचार्य नंद दुलारे वाजपेयी पुरस्कार इंदौर के राधेश्याम आचार्य, हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार भोपाल के संजय श्रीवास्तव, राजेन्द्र अनुरागी पुरस्कार भोपाल ब्रजेश राजपूत, पं. बालकृष्ण शर्मा पुरस्कार भोपाल की सीमा शर्मा, ईसुरी पुरस्कार खरगोन के महेश चन्द्र जोशी, हरिकृष्ण देवसरे पुरस्कार नीमच के ओमप्रकाश क्षत्रिय, नरेश मेहता पुरस्कार ग्वालियर के पवन सक्सेना, जैनेन्द्र कुमार जैन पुरस्कार इंदौर के प्रताप सिंह सोढ़ी, सेठ गोविंद दास पुरस्कार जबलपुर के दविन्दर सिंह ग्रोवर, शरद जोशी पुरस्कार रतलाम के आशीष दशोत्तर, वीरेन्द्र मिश्र पुरस्कार भोपाल के यतीन्द्रनाथ राही, दुष्यंत कुमार पुरस्कार इंदौर के अनिल त्रिवेदी को मिला।

2019 के लिए वृंदावन लाल वर्मा पुरस्कार इंदौर के अश्विनी कुमार दुबे, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार इंदौर की डा. गरिमा दुबे, श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार गुरु नरसिंहपुर के प्रसाद सक्सेना, आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार इंदौर की डा. बूला कार, हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार अशोक मनवानी भोपाल, राजेन्द्र अनुरागी पुरस्कार राजेश अवस्थी लावा ग्वालियर, पं. बालकृष्ण शर्मा पुरस्कार डा. अन्नपूर्णा सिसोदिया अशोकनगर, ईसुरी पुरस्कार आचार्य दुर्गाचरण शुक्ल टीकमगढ़, हरिकृष्ण देवसरे पुरस्कार डा. प्रेमलता नीलम दमोह, नरेश मेहता पुरस्कार संदीप शर्मा धार, जैनेन्द्र कुमार जैन पुरस्कार डा. गिरिजेश सक्सेना भोपाल, सेठ गोविन्द दास पुरस्कार डा. सुधीर कुमार नेमा भोपाल, शरद जोशी मीरा जैन-उज्जैन, वीरेन्द्र मिश्र पुरस्कार राजेन्द्र प्रसाद शर्मा भोपाल, दुष्यंत कुमार पुरस्कार डा. प्रियंका त्रिपाठी शहडोल को दिया गया।

2020 के लिए वृंदावन लाल वर्मा पुरस्कार डा. जयनारायण बैरागी झाबुआ, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार संतोष कुमार मोहंती इंदौर, श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार मुरलीधर चांदनीवाला रतलाम, आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार डा. राजेश श्रीवास्तव भोपाल, हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार साधना श्रीवास्तव भोपाल, राजेन्द्र अनुरागी पुरस्कार आलोक सेठी खंडवा, पं. बालकृष्ण शर्मा पुरस्कार जगत प्रकाश शर्मा दतिया, ईसुरी पुरस्कार अखिलेश जोशी बड़वाह, हरिकृष्ण देवसरे पुरस्कार महेश प्रसाद सक्सेना भोपाल, नरेश मेहता पुरस्कार विशाल कलम्बकर उज्जैन, जैनेन्द्र कुमार जैन पुरस्कार संतोष सुपेकर उज्जैन, सेठ गोविन्द दास डा. नाथूराम राठौर-दमोह, शरद जोशी पुरस्कार कुमार सुरेश शर्मा भोपाल, वीरेन्द्र मिश्र पुरस्कार श्याम सुंदर तिवारी खंडवा, दुष्यंत कुमार पुरस्कार हेमराज नामदेव जबलपुर को मिला।

2021 के लिए वृंदावन लाल वर्मा पुरस्कार डा. ममता चन्द्रशेखर जबलपुर, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार पुरुषोत्तम प्रसाद गौतम शिवपुरी, श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार यशवंत सिंह चौहान धार, आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार गोविंद गुंजन खंडवा, हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार प्रियंका शक्ति ठाकुर भोपाल, राजेन्द्र अनुरागी पुरस्कार दिनेश प्रभात भोपाल, पं. बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार राजेन्द्र गट्टानी भोपाल, ईसुरी पुरस्कार प्रमोद भार्गव शिवपुरी, हरिकृष्ण देवसरे पुरस्कार डा. अर्जुन दास खत्री भोपाल, नरेश मेहता पुरस्कार राधारानी चौहान भोपाल, जैनेन्द्र कुमार जैन पुरस्कार डा. अखिलेश बार्चे खरगोन, सेठ गोविन्द दास पुरस्कार श्रीपाद जोशी उज्जैन, शरद जोशी पुरस्कार डा. पिलकेन्द्र अरोरा उज्जैन, वीरेन्द्र मिश्र पुरस्कार उदयसिंह मण्डलोई खरगोन, दुष्यंत कुमार पुरस्कार सतीश राठी इंदौर को दिया गया।

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सीएम रेखा गुप्ता और उपेन्द्र राय ने दीप प्रज्ज्वलित कर ‘बदरिया’ का किया शुभारंभ

पिछले छह महीनों में दिल्ली सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग ने उल्लेखनीय आयोजन किए हैं। मैं माता चकेरी देवी फाउंडेशन को इस अद्भुत कार्यक्रम के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं।

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Published - Tuesday, 02 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 02 September, 2025
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सोमवार को मानसून को विदा करने के लिए राजधानी दिल्ली में ‘बदरिया’ कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का स्वागत भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और माता चकेरी देवी फाउंडेशन के ट्रस्टी उपेन्द्र राय ने किया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और सीएमडी उपेन्द्र राय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इससे पूर्व श्री उपेन्द्र राय ने मुख्यमंत्री का औपचारिक स्वागत किया, जबकि माता चकेरी देवी फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी बृजेश राय ने दिल्ली सरकार के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा का अभिनंदन किया। कार्यक्रम की शुरुआत साद्यांत कौशल की मधुर सरस्वती वंदना से हुई, जिसने पूरे वातावरण को भक्ति और सौम्यता से भर दिया।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा, बदरिया शब्द सुनते ही मैंने तय कर लिया था कि इस कार्यक्रम में अवश्य आऊँगी। एनडीएमसी में महिला एवं बाल विकास समिति की अध्यक्ष रहते हुए हमने कई ऐतिहासिक कार्य किए। आज कपिल मिश्रा लगातार ऐसे उत्कृष्ट सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं।

पिछले छह महीनों में दिल्ली सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग ने उल्लेखनीय आयोजन किए हैं। मैं माता चकेरी देवी फाउंडेशन को इस अद्भुत कार्यक्रम के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। सांस्कृतिक मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा, दिल्ली में भोजपुरी–मैथिली समाज का यह पहला बड़ा आयोजन है और इसमें स्वयं मुख्यमंत्री की उपस्थिति इसे और विशेष बनाती है।

इस वर्ष दिल्ली में ऐतिहासिक कांवड़ यात्रा का आयोजन हुआ, और आने वाले समय में छठ पूजा भी अभूतपूर्व स्तर पर मनाई जाएगी। कार्यक्रम में लोक गायिका पद्म श्री मालिनी अवस्थी ने भोजपुरी लोकगीतों का पिटारा खोला तो दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनकी सराहना की।

वहीं मैथिली लोक गायक श्री कुंज बिहारी मिश्रा, तबला वादक रिम्पा शिवा, बांसुरी वादक वैष्णवी जोशी, सितार वादक मेघा राउत ने भी शानदार प्रस्तुति दी। साथ ही नयनिका घोष एंड टीम ने कथक नृत्य कर मनमोहक प्रदर्शन किया। माता चकेरी देवी फाउंडेशन के ट्रस्टी उपेन्द्र राय की अगुवाई में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका मकसद था दिल्ली में भोजपुरी और मैथली संस्कृति को बढ़ावा देना। ट्रस्ट संस्थापक बृजेश राय के अलावा ट्रस्ट के अन्य सदस्य अपूर्वा सिंह, योगिता सिंह और प्रमोद कुमार भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।

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‘Dataquest’ और ‘PCQuest’ के एडिटर सुनील राजगुरु का निधन

‘साइबरमीडिया’ के अनुसार, सुनील राजगुरु ने सोमवार की दोपहर करीब 2:30 बजे अस्पताल में आखिरी सांस ली। सुनील राजगुरु करीब एक साल से कैंसर से जूझ रहे थे।

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Published - Monday, 01 September, 2025
Last Modified:
Monday, 01 September, 2025
Sunil Rajguru.

वरिष्ठ पत्रकार और ‘साइबरमीडिया’ (CyberMedia) के डिजिटल पब्लिकेशंस ‘Dataquest’ व ‘PCQuest’ के संपादक सुनील राजगुरु का निधन हो गया है। ‘साइबरमीडिया’ के अनुसार, सुनील राजगुरु ने सोमवार की दोपहर करीब 2:30 बजे अस्पताल में आखिरी सांस ली। सुनील राजगुरु करीब एक साल से कैंसर से जूझ रहे थे। राजगुरु के परिवार में पत्नी सुमा रामचंद्रन और एक बेटा हैं।

राजगुरु एक प्रतिष्ठित पत्रकार थे। साइबरमीडिया में उन्होंने Dataquest और PCQuest के संपादन की जिम्मेदारी निभाई। इससे पहले वे साइबरमीडिया की अन्य पत्रिका Living Digital और रिसर्च एजेंसी IDC India से भी जुड़े रहे।

वे तकनीकी विषयों को सरल और समझने योग्य भाषा में पेश करने, पैनल डिस्कशन्स मॉडरेट करने, वीडियो इंटरव्यू करने और इंडस्ट्री के सम्मेलन व वेबिनार संचालित करने की क्षमता के लिए जाने जाते थे।

साइबरमीडिया के अलावा उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स और Centre for Science & Environment के लिए भी काम किया। इसके साथ ही Sify और India Today के DailyO प्लेटफॉर्म पर कॉलम लिखे। वे बेंगलुरु के एशियन कॉलेज ऑफ जर्नलिज्म (Asian College of Journalism) के पूर्व छात्र थे।

बता दें कि Dataquest भारत की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) मैगजीन है, जिसकी शुरुआत 1982 में हुई थी। यह आईटी इंडस्ट्री, डिजिटल इनोवेशन और ई-गवर्नेंस से जुड़ी ख़बरों, विश्लेषण और रिपोर्टिंग के लिए जानी जाती है। वहीं PCQuest एक प्रमुख टेक्नोलॉजी मैगजीन है जो कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और डिजिटल सॉल्यूशंस से जुड़े रुझानों, गाइड्स और समीक्षाओं को प्रस्तुत करती है। दोनों ही पत्रिकाएँ साइबरमीडिया समूह के अंतर्गत प्रकाशित होती हैं और तकनीकी पत्रकारिता के क्षेत्र में इनकी विशेष पहचान है।

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मीडिया की जवाबदेही पर केंद्रित राजेश उपाध्याय की किताब का हुआ विमोचन

राजेश उपाध्याय और डॉ. शिशिर कुमार सिंह की पुस्तक “मीडिया कानून और नैतिकता: एक समकालीन परिप्रेक्ष्य, 2025” डिजिटल युग में मीडिया के कानूनी और नैतिक पहलुओं का व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करती है।

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Published - Monday, 01 September, 2025
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Monday, 01 September, 2025
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विधि एवं न्याय तथा संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने "मीडिया कानून और नैतिकता" पुस्तक का विमोचन करते हुए आशा व्यक्त की कि यह पुस्तक मीडिया के बदलते स्वरूप में जवाबदेही की मानक आवश्यकताओं को रेखांकित करेगी। केंद्रीय मंत्री ने लेखकों को उनके समयानुकूल लेखन प्रयासों के लिए बधाई भी दी।

राजेश उपाध्याय और डॉ. शिशिर कुमार सिंह द्वारा लिखित पुस्तक "मीडिया कानून और नैतिकता: एक समकालीन परिप्रेक्ष्य, 2025", विशेष रूप से डिजिटल युग में, मीडिया के कानूनी और नैतिक परिदृश्य का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करती है।

यह पुस्तक मानहानि कानून, बौद्धिक संपदा कानून, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, गोपनीयता और डेटा संरक्षण कानून, और भारतीय डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम पर सुदाहरण जानकरी देती है।

इस पुस्तक का एक महत्वपूर्ण भाग मीडिया नैतिकता पर है। पुस्तक पत्रकारों के लिए मूल नैतिक सिद्धांतों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है। यह विशेष रूप से सोशल मीडिया के अनियंत्रित परिदृश्य में, फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं से निपटने के लिए इन नैतिकताओं की सख्त आवश्यकता पर बल देती है।

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वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी की मां का निधन

वह कुछ समय से फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।

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Published - Monday, 01 September, 2025
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Monday, 01 September, 2025
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वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी की माता श्रीमती कुसुम वाजपेयी का सोमवार को निधन हो गया है। करीब 83 वर्षीय कुसुम वाजपेय कुछ समय से फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं और गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। परिजनों के अनुसार, उनकी स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था, जहां चिकित्सकों ने उन्हें बचाने का हरसंभव प्रयास किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।

कुसुम वाजपेयी का अंतिम संस्कार आज सुबह 11 बजे हिंडन नदी के तट पर किया जाएगा। वे अपने पीछे तीन बेटों, नाती-पोतों और भरे-पूरे परिवार को छोड़ गई हैं। कुसुम जी अपने सबसे छोटे बेटे पुण्य प्रसून वाजपेयी के साथ गाजियाबाद के वसुंधरा क्षेत्र में रहती थीं। उनके दो बड़े बेटों में से एक बैंक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हैं। उनके पति का निधन वर्ष 2014 में हो चुका था।

इस दुखद समाचार के बाद मीडिया जगत, मित्रों और शुभचिंतकों ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। सभी ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि दिवंगत आत्मा को शांति मिले और शोकाकुल परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहने की शक्ति प्राप्त हो।

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वरिष्ठ पत्रकार राकेश खंडूरी का निधन, मीडिया जगत में शोक

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने राकेश खंडूड़ी के डोईवाला (देहरादून) स्थित आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिजनों से भेंट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

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Published - Thursday, 28 August, 2025
Last Modified:
Thursday, 28 August, 2025
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वरिष्ठ पत्रकार और अमर उजाला अखबार के ब्यूरो प्रमुख राकेश खंडूरी का निधन हो गया है। वे बीते कुछ समय से हृदय रोग से जूझ रहे थे और उनका इलाज एम्स ऋषिकेश में चल रहा था। हाल ही में उनका ऑपरेशन हुआ था, लेकिन ऑपरेशन के बाद उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई और बुधवार-गुरुवार की देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली।

राकेश खंडूरी लंबे समय से अमर उजाला की देहरादून यूनिट में कार्यरत थे। इससे पहले उन्होंने हिमाचल प्रदेश में भी अपनी सेवाएं दी थीं। वे प्रतिदिन डोईवाला से देहरादून आकर जिम्मेदारी निभाते थे। कठिन परिस्थितियों और मौसम की परवाह किए बिना उनकी नियमितता और समर्पण ने उन्हें साथियों और पाठकों के बीच विशेष पहचान दिलाई।

अपने करियर के दौरान उन्होंने अनगिनत ऐसी कहानियों पर काम किया जो जनता और राज्य से जुड़े मुद्दों को सामने लाती थीं। सरकारी तंत्र और नौकरशाही में उनकी गहरी पकड़ रही, लेकिन इसके बावजूद वे हमेशा सरल, जमीनी और सच्चे इंसान बने रहे। सहयोगियों का कहना है कि वे न केवल एक बेहतरीन पत्रकार थे, बल्कि अपने शालीन और विनम्र स्वभाव से सबका दिल जीत लेते थे।

पत्रकारिता के अलावा उनका एक और रूप भी लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय था। वे माउथ ऑर्गन बजाने में माहिर थे और अक्सर सोशल मीडिया पर फिल्मी धुनें साझा करते थे, जिससे उनके प्रशंसकों की संख्या और बढ़ जाती थी।

उनके निधन से मीडिया जगत, सहयोगियों, मित्रों और शुभचिंतकों में गहरा शोक है। 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने राकेश खंडूड़ी जी के डोईवाला (देहरादून) स्थित आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिजनों से भेंट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

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मयूरी कांगो बनीं पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी की CEO

मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि मैंने पब्लिसिस ग्रुप में एक बार फिर वापसी की है और अब मैं पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी (PGD) की ग्लोबल एग्ज़िक्यूटिव लीडरशिप टीम का हिस्सा हूँ।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 26 August, 2025
Last Modified:
Tuesday, 26 August, 2025
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मयूरी कांगो ने एक बार फिर पब्लिसिस ग्रुप (Publicis Groupe) में वापसी की है। उन्होंने चीफ़ एग्ज़िक्यूटिव ऑफ़िसर (CEO) पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी (PGD) का पदभार संभाला है। इस बात की जानकारी उन्होंने अपने LinkedIn पोस्ट के ज़रिए दी। अपने नए रोल में मयूरी कांगो भारत से PGD के संचालन का नेतृत्व करेंगी और साथ ही मीडिया, डेटा-टेक और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए वैश्विक रणनीति पर काम करेंगी।

लिंक्डइन पर साझा किए गए अपने संदेश में उन्होंने लिखा, मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि मैंने पब्लिसिस ग्रुप में एक बार फिर वापसी की है और अब मैं पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी (PGD) की ग्लोबल एग्ज़िक्यूटिव लीडरशिप टीम का हिस्सा हूँ। इस भूमिका में मैं PGD की वैश्विक टीम के साथ मिलकर मीडिया, टेक और डिजिटल सॉल्यूशंस और सर्विसेज़ को आकार दूँगी, साथ ही AI प्रैक्टिस को और मज़बूत करूँगी।

मैंने ख़ुद देखा है कि AI किस तरह हमारे काम करने, बनाने और जुड़ने के तरीक़ों को बदल रहा है। इसलिए मैं इसके ज़रिए मार्केटिंग और मीडिया के भविष्य को नए ढंग से गढ़ने को लेकर बेहद उत्साहित हूँ।

उन्होंने आगे लिखा, इसके साथ ही मैं भारत डिलीवरी सेंटर की सीईओ की ज़िम्मेदारी भी निभाऊँगी, जहाँ मैं अपनी टीम के साथ मिलकर सीमाओं को आगे बढ़ाने, नवाचार करने और पब्लिसिस के क्लाइंट्स के लिए सार्थक प्रभाव बनाने की दिशा में काम करने के लिए उत्सुक हूँ।

इससे पहले मयूरी कांगो गूगल में 6 साल से ज़्यादा समय तक कार्यरत रहीं। वहाँ उनका आख़िरी पद इंडस्ट्री हेड AI, Martech & Media Solutions @MPT था। पब्लिसिस में अपनी पिछली भूमिकाओं में उन्होंने 2016 से 2019 तक परफॉर्मिक्स (Performics) और 2012 से 2016 तक ज़ेनिथ (Zenith) में काम किया था।

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RSS करेगा 100 साल की यात्रा पर मंथन, दिल्ली में तीन दिवसीय व्याख्यानमाला आज से

इस व्याख्यानमाला के पहले दिन शाम साढ़े पांच बजे संघ प्रमुख मोहन भागवत विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 26 August, 2025
Last Modified:
Tuesday, 26 August, 2025
RSS

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर 26 अगस्त से तीन दिवसीय विशेष व्याख्यानमाला शुरू होने जा रही है।

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में होने जा रहे इस आयोजन का विषय 100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज (100 Years of Sangh Journey - New Horizons) रखा गया है। इसमें  संघ के गठन से लेकर आज तक की यात्रा, समाज में उसकी भूमिका और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

इस व्याख्यानमाला के पहले दिन शाम साढ़े पांच बजे संघ प्रमुख मोहन भागवत विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही वह समाज के प्रबुद्ध लोगों से भी मुलाकात करेंगे। यह आयोजन संघ की एक सदी लंबी यात्रा का उत्सव मनाने के साथ-साथ भविष्य के लिए नए लक्ष्यों और दृष्टिकोण को रेखांकित करेगा।

इस बारे में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक प्रेस वार्ता में बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के निमित्त देश भर में जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की श्रृंखला में समाज के सभी वर्गों की प्रमुख हस्तियों से संवाद का कार्यक्रम भी होने वाला है। इसके तहत देश के चार प्रमुख महानगरों नई दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता और मुंबई में होने वाले संवाद के कार्यक्रमों में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की उपस्थिति रहेगी।

आंबेकर ने बताया कि इसी के तहत दिल्ली के विज्ञान भवन में 26 अगस्त से होने जा रही तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में समाज के सभी क्षेत्रों, वर्गों और विचारधाराओं की प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी। इसके लिए सामाजिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, खेल, शिक्षा, ज्ञान परंपरा एवं भाषा, इंटरप्रेन्योर और भारत स्थित विभिन्न देशों को राजदूतों सहित 17 मुख्य और 138 सह—श्रेणियों में समाज जीवन के सभी क्षेत्रों की प्रमुख्य हस्तियों को आमंत्रित किया जा रहा है।

इस तीन दिवसीय आयोजन के दौरान होने वाली चर्चा के विषयों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें 100 वर्षों की यात्रा के दौरान संघ की भूमिका एवं अनुभवों के साथ ही भविष्य में जिन क्षेत्रों में संघ और स्वयंसेवकों को आगे बढ़ना है इस पर भी सरसंघचालक जी अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। साथ ही पंच परिवर्तन पर संघ की सोच और इसमें समाज की अपेक्षित सहभागिता की योजनाओं पर भी चर्चा होगी। मौजूदा समय में तेजी से विकास एवं प्रगति की राह पर अग्रसर हो रहे देश की लगातार बढ़ रही आशा एवं आकांक्षाओं में स्वयंसेवकों के योगदान पर भी बात होगी और यह पक्ष भी प्रस्तुत किया जाएगा कि नए क्षितिज की ओर भारत को आगे बढ़ना है तो स्व तत्व और अपने पराक्रम से ही आगे बढ़ा जा सकता है।

आंबेकर ने बताया गुलामी के कालखंड से चले आ रहे विकास के औपनिवेशिक मापदंडों पर भी चर्चा होगी और अब तक दबी रही भारतीय समाज की असीमित क्षमताओं को उभारने पर भी विचार रखा जाएगा। साथ ही वर्तमान समय में देश—समाज के लिए महत्वपूर्ण विषयों सहित भारत की वैश्विक भूमिका पर भी बात होगी। इसके अलावा तीसरे दिन आयोजन में सम्मिलत होनेवालों के लिखित प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का भी उत्तर दिया जाएगा।

इसके साथ ही आंबेकर ने बताया कि वर्ष 1925 में आरंभ हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रसेवा की यात्रा के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर वर्ष पर्यंत चलने वाले शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत देश भर में 1000 से अधिक गोष्ठियों को आयोजन होगा जिसमें संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सम्मिलित होंगे। ऐसे कुछ आयोजनों में शामिल होने के लिए सरकार्यवाह जी का भी कार्यक्रम तय किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि 100 वर्षों की अपनी यात्रा में संघ ने समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने और यह बताने का हमेशा प्रयत्न किया है कि संघ का विचार अलग नहीं बल्कि भारत की स्थापित परंपरा पर ही आधारित है। श्री आंबेकर ने कहा कि संघ का विचार सबके साथ मिलकर देश को आगे बढ़ाने में योगदान करने का रहा है और हम चाहते हैं कि पूरा देश एक साथ मिलकर इस विकास की यात्रा को आगे बढ़ाए। इसमें योगदान करते हुए स्वावलंबी भारत जैसे अभियानों के तहत संघ के स्वयंसेवक विभिन्न क्षेत्रों में सहभागी और सहयोगी की भूमिका भी निभा रहे हैं।

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गुमशुदा हुए वरिष्ठ पत्रकार व स्तंभकार बिभुरंजन सरकार का मिला शव

वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार बिभुरंजन सरकार का निधन हो गया। उनका शव शुक्रवार दोपहर ढाका के मुंशीगंज के गजारिया उपजिला के चर बलाकी के पास मेघना नदी से बरामद किया गया।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 23 August, 2025
Last Modified:
Saturday, 23 August, 2025
bibhuranjan

वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार बिभुरंजन सरकार का निधन हो गया। उनका शव शुक्रवार दोपहर ढाका के मुंशीगंज के गजारिया उपजिला के चर बलाकी के पास मेघना नदी से बरामद किया गया। यह घटना उनके गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज होने के एक दिन बाद हुई।

पुलिस ने पुष्टि की कि शव नदी में तैरता हुआ मिला था, जिसे लगभग 3:45 बजे कलागाछिया रिवर पुलिस आउटपोस्ट के अधिकारियों ने बरामद किया और बाद में पोस्टमार्टम के लिए मुंशीगंज जनरल अस्पताल के मुर्दाघर भेजा गया। परिजनों ने शव की पहचान कर ली है।

71 वर्षीय सरकार बांग्ला दैनिक आजकेर पत्रिका में सीनियर एडिटर के रूप में कार्यरत थे। वह गुरुवार सुबह अपने सिद्देश्वरी निवास से बनस्री स्थित कार्यालय जाने के लिए निकले थे, लेकिन वहां कभी नहीं पहुंचे। उसी सुबह लगभग 9:15 बजे उन्होंने bdnews24.com को “खोला चिठी” (ओपन लेटर) शीर्षक से एक लेख ईमेल किया, जिसके साथ उन्होंने एक मार्मिक टिप्पणी लिखी, “आप इसे मेरी अंतिम रचना के रूप में प्रकाशित कर सकते हैं।” यह लेख बाद में पोर्टल के विचार अनुभाग में प्रकाशित किया गया।

पत्र में सरकार ने अपने जीवनभर के संघर्षों पर विचार किया था, जिनमें उनके और उनके बेटे की पुरानी बीमारियां, बेटी के करियर में आई बाधाएं, बीयूईटी से स्नातक करने के बावजूद बेटे को नौकरी न मिलना और परिवार पर बढ़ता वित्तीय दबाव शामिल था। उन्होंने अपने पांच दशक लंबे करियर को भी याद किया, जिसकी शुरुआत उन्होंने बतौर दैनिक आजाद के स्कूली संवाददाता के रूप में की थी। वर्षों के दौरान उन्होंने संगबाद और रुपाली में काम किया और दैनिक मातृभूमि और चलतिपत्र में संपादकीय भूमिकाएं निभाईं। वह मृदुभाषण के कार्यकारी संपादक रहे और 1980 के दशक में एंटी-एरशाद आंदोलन के दौरान “तारिक इब्राहिम” के नाम से कॉलम लिखते थे।

सरकार की अचानक मौत ने बांग्लादेश की मीडिया बिरादरी को झकझोर दिया है। सहकर्मियों और पाठकों ने पत्रकारिता में एक निडर आवाज के खोने पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

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प्रेस क्लब ने की वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा पर दर्ज FIR की निंदा, उठाई ये मांग

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की निंदा करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है

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Published - Saturday, 23 August, 2025
Last Modified:
Saturday, 23 August, 2025
Press Club of India

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की निंदा करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है और इसकी तत्काल वापसी की मांग की है।

22 अगस्त 2025 को जारी एक बयान में क्लब ने कहा कि इस मामले में शर्मा पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने “निर्वाचित सरकारों को बदनाम करने की दुर्भावनापूर्ण मंशा” से टिप्पणी की, साम्प्रदायिक भावनाएं भड़काईं और राष्ट्रीय अखंडता को खतरे में डाला। एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 152 के तहत राजद्रोह का प्रावधान लगाया गया है, साथ ही धारा 196 और 197 के तहत वैमनस्य फैलाने और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ आरोप लगाने से संबंधित धाराएं भी शामिल की गई हैं।

प्रेस क्लब के अध्यक्ष गौतम लहरी और महासचिव नीरज ठाकुर द्वारा हस्ताक्षरित इस बयान में उल्लेख किया गया कि असम पुलिस की यह कार्रवाई ऐसे समय हुई है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने द वायर के संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन और करन थापर को इसी तरह के एक मामले में धारा 152 के तहत गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। क्लब ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि असम पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसी तरह के मामले में दिए गए निर्देशों को संज्ञान में नहीं लिया… यह कार्रवाई असहिष्णुता और प्रेस स्वतंत्रता के प्रति बेहद कम सम्मान को दर्शाती है।”

प्रेस क्लब ने इस महीने की एक और घटना की ओर भी ध्यान आकर्षित किया जिसमें वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सचिव रूबेन बनर्जी शामिल थे। उनका ओड़िया भाषा का यूट्यूब चैनल Mu Ruben Kahuchhi बिना पूर्व सूचना के हटा दिया गया। प्लेटफॉर्म ने “सर्कम्वेंशन पॉलिसी” उल्लंघन का हवाला दिया, लेकिन रूबेन बनर्जी और उनके वकीलों की सभी अपीलों को बिना कोई स्पष्टीकरण दिए खारिज कर दिया।

इन दोनों मामलों को “असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले के स्पष्ट उदाहरण” बताते हुए प्रेस क्लब ने मीडिया संगठनों से एकजुट होकर विरोध दर्ज कराने और भारत में प्रेस स्वतंत्रता की रक्षा के संघर्ष को जारी रखने की अपील की है। 

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रूबेन बनर्जी के यूट्यूब चैनल को हटाए जाने पर एडिटर्स गिल्ड का रुख कड़ा, रखी ये मांग

वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड के महासचिव रूबेन बनर्जी के यूट्यूब चैनल ‘Mu Ruben Kahuchhi’ को यूट्यूब ने बंद कर दिया है।

Samachar4media Bureau by
Published - Wednesday, 20 August, 2025
Last Modified:
Wednesday, 20 August, 2025
Ruben EGI

देश में संपादकों की सबसे बड़ी संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (ईजीआई) ने वरिष्ठ पत्रकार व गिल्ड के महासचिव रूबेन बनर्जी के यूट्यूब चैनल ‘Mu Ruben Kahuchhi’ (जिसका मतलब है – ‘मैं रूबेन बोल रहा हूं’) को अचानक हटाए जाने पर गहरी चिंता जताई है।

बताया जा रहा है कि यूट्यूब ने बिना किसी पूर्व चेतावनी या जानकारी दिए चैनल को हटा दिया। रूबेन बनर्जी को 4 अगस्त को बताया गया कि उनका चैनल यूट्यूब की ‘Circumvention Policy’ का उल्लंघन करने के चलते बंद किया गया है।

एडिटर्स गिल्ड की ओर से जारी स्टेटमेंट में कहा गया है कि यह कार्रवाई बिना किसी स्ट्राइक, नोटिस या जवाब देने का मौका दिए की गई। गिल्ड ने यूट्यूब से मांग की है कि चैनल को तुरंत बहाल किया जाए और इसे हटाए जाने की वजह साफ-साफ बताई जाए।

बता दें कि उड़िया भाषा में चलने वाला यूट्यूब चैनल सितंबर 2024 में शुरू हुआ था। इसमें जनहित से जुड़े मुद्दों जैसे- सामाजिक कल्याण, शिक्षा, महिला स्व-सहायता समूह और ओडिशा की राजनीति को कवर किया जाता था। इस यूट्यूब चैनल के 33,000 से ज्यादा सब्सक्राइबर थे और हाल ही में इसमें कुछ राजनीतिक नेताओं की आलोचनात्मक टिप्पणी भी दिखाई गई थी।

रूबेन बनर्जी इससे पहले ‘आउटलुक’ के ग्रुप एडिटर-इन-चीफ रह चुके हैं। वह ‘द इंडियन एक्सप्रेस’, ‘अल जजीरा’ और ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों से भी जुड़े रहे हैं। 

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