आशुतोष राणा सहित देश और प्रदेश के कुल 121 रचनाकार सम्मानित हुए, जिन्हें कुल 83 लाख 66 हजार की पुरस्कार राशि बांटी गई।
म.प्र. साहित्य अकादमी द्वारा मंगलवार 25 जुलाई को रवींद्र भवन सभागार में भव्य अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया,जिसमें विगत चार वर्षों से लंबित पुरस्कार बांटे गए। इसमें 52 साहित्यकारों को अखिल भारतीय, 60 साहित्यकारों को प्रादेशिक और छह को बोलियों के पुरस्कार दिए गए। इस दौरान देश एवं प्रदेश के कुल 121 रचनाकार सम्मानित हुए, जिन्हें कुल 83 लाख 66 हजार की पुरस्कार राशि बांटी गई। अखिल भारतीय पुरस्कार पाने वाले साहित्यकारों को एक-एक लाख, प्रादेशिक और बोलियों के पुरस्कार पाने वाले साहित्यकारों को 50-50 हजार रुपये की राशि प्रदान की गई है। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर उपस्थित रहीं। साथ ही प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन शिव शेखर शुक्ला, संचालक संस्कृति अदिति त्रिपाठी, साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे भी विशेष रूप से मौजूद रहे। भोपाल के 28 साहित्यकारों को यह पुरस्कार मिला।
2020 के लिए मालवी बोली के लिए संत पीपा पुरस्कार उज्जैन के शिव चौरसिया, निमाड़ी के लिए संत सिंगा पुरस्कार इंदौर की डा. मीना साकल्ले, बघेली के लिए विश्वनाथ सिंह जूदेव पुरस्कार शहडोल के रामसखा नामदेव, बुंदेली के लिए छत्रसाल पुरस्कार भोपाल की डा. मीनू पांडेय, भीली बोली के लिए टंट्या भील पुरस्कार झाबुआ के डा. गजेंद्र आर्य को दिया गया।2021 के लिए मालवी के लिए संत पीपा पुरस्कार इंदौर की माया मालवेंद्र बदेका, निमाड़ी के लिए संत सिंगा पुरस्कार महेश्वर के हरीशचंद्र दुबे, बघेली के लिए विश्वनाथ सिंह जूदेव पुरस्कार सतना के अरुण कुमार पयासी, बुंदेली के लिए छत्रसाल पुरस्कार टीकमगढ़ के राजीव नामदेव को मिला।
इनको मिले अखिल भारतीय पुरस्कार
2018 के लिए पं. माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार भोपाल के डा. रामदीन त्यागी, गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार बीकानेर की इंजीनियर आशा शर्मा, राजा वीरसिंह देव पुरस्कार खंडवा की कृष्णा अग्निहोत्री, आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार इंदौर के प्रो. मिथिला प्रसाद त्रिपाठी, पं. भवानी प्रसाद मिश्र भोपाल की कांति शुक्ला, अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार बरेली के आचार्य देवेंद्र कुमार, कुबेरनाथ राय पुरस्कार इंदौर के नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, विष्णु प्रभाकर पुरस्कार भोपाल के महेश सोनी, निर्मल वर्मा पुरस्कार पिपरिया के डा. आनंद प्रकाश शर्मा, महादेवी वर्मा पुरस्कार पानीपत की डा. मंजरी शुक्ला, प्रो. विष्णुकांत शास्त्री पुरस्कार दिल्ली के राजेंद्र उपाध्याय, भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार इंदौर के अरविंद जवलेकर और नारद मुनि पुरस्कार इंदौर के केशव गुप्ता को दिया गया।
2019 के लिए पं. माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार नागपुर के डा. मनोज पांडेय, गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार दिल्ली के सच्चिदानंद जोशी, राजा वीरसिंह देव पुरस्कार अमरकंटक की प्रो. मनीषा शर्मा, आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार गढ़वाल की डा. कविता भट्ट, पं. भवानी प्रसाद मिश्र सहारनपुर के डा. आरपी सारस्वत, अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार हरियाणा की डा. इंदु राव, कुबेरनाथ राय पुरस्कार दिल्ली के आरके जैन, विष्णु प्रभाकर पुरस्कार मोहाली के डा. कुलदीप अग्निहोत्री, निर्मल वर्मा पुरस्कार इंदौर के प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी, महादेवी वर्मा पुरस्कार जबलपुर के प्रशांत पोल, प्रो. विष्णुकांत शास्त्री पुरस्कार कटनी की डा. सुधा गुप्ता, भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार भोपाल के संतोष रंजन और नारद मुनि पुरस्कार इंदौर के अजय जैन को दिया गया।
2020 के लिए पं. माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार हावड़ा के शिखर चंद जैन, गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार मथुरा के डा. दिनेश पाठक शशि, राजा वीरसिंह देव पुरस्कार नरसिंहपुर के आशुतोष राणा (रामराज्य उपन्यास), आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार खरगोन के डा. शंभू सिंह मनहर, पं. भवानी प्रसाद मिश्र बुरहानपुर के डा. वीरेंद्र, अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार असम की सविता दास, कुबेरनाथ राय पुरस्कार वाराणसी की डा. विधि नागर, विष्णु प्रभाकर पुरस्कार भोपाल के डा. अंजनी कुमार झा, निर्मल वर्मा पुरस्कार नोएडा के ललित कुमार, महादेवी वर्मा पुरस्कार भोपाल के विजय मनोहर तिवारी, प्रो. विष्णुकांत शास्त्री पुरस्कार सलूंबर की विमला भंडारी, भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार पुणे के डा. दामोदर खड़से और नारद मुनि पुरस्कार इंदौर के डा. अर्पण जैन को दिया गया।
2021 के लिए पं. माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार अमरकंटक के प्रो. प्रकाश मणि त्रिपाठी, गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार हल्द्वानी की डा. प्रभा पंत, राजा वीरसिंह देव पुरस्कार अलवर के बलवीर सिंह करुण, आचार्य रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार वाराणसी के डा. सत्य प्रकाश पाल, पं. भवानी प्रसाद मिश्र भोपाल के डा. रामवल्लभ आचार्य, अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार भोपाल के डा. आनंद सिंह, कुबेरनाथ राय पुरस्कार वर्धा के रजनीश कुमार शुक्ल, विष्णु प्रभाकर पुरस्कार ग्वालियर के दिनेश पाठक, निर्मल वर्मा पुरस्कार रतलाम के प्रो. अजहर हाशमी, महादेवी वर्मा पुरस्कार भीलवाड़ा के डा. भैंरूलाल गर्ग, प्रो. विष्णुकांत शास्त्री पुरस्कार इंदौर की ज्योति जैन, भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार बड़ोदरा की डा. क्रांति कनाटे और नारद मुनि पुरस्कार भोपाल के लोकेंद्र सिंह को दिया गया।
इनको मिले प्रादेशिक पुरस्कार
2018 के लिए वृंदावन लाल वर्मा पुरस्कार इंदौर के आलोक शर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार भोपाल के गोकुल प्रसाद सोनी, श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार उज्जैन के प्रतीक सोनवलकर, आचार्य नंद दुलारे वाजपेयी पुरस्कार इंदौर के राधेश्याम आचार्य, हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार भोपाल के संजय श्रीवास्तव, राजेन्द्र अनुरागी पुरस्कार भोपाल ब्रजेश राजपूत, पं. बालकृष्ण शर्मा पुरस्कार भोपाल की सीमा शर्मा, ईसुरी पुरस्कार खरगोन के महेश चन्द्र जोशी, हरिकृष्ण देवसरे पुरस्कार नीमच के ओमप्रकाश क्षत्रिय, नरेश मेहता पुरस्कार ग्वालियर के पवन सक्सेना, जैनेन्द्र कुमार जैन पुरस्कार इंदौर के प्रताप सिंह सोढ़ी, सेठ गोविंद दास पुरस्कार जबलपुर के दविन्दर सिंह ग्रोवर, शरद जोशी पुरस्कार रतलाम के आशीष दशोत्तर, वीरेन्द्र मिश्र पुरस्कार भोपाल के यतीन्द्रनाथ राही, दुष्यंत कुमार पुरस्कार इंदौर के अनिल त्रिवेदी को मिला।
2019 के लिए वृंदावन लाल वर्मा पुरस्कार इंदौर के अश्विनी कुमार दुबे, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार इंदौर की डा. गरिमा दुबे, श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार गुरु नरसिंहपुर के प्रसाद सक्सेना, आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार इंदौर की डा. बूला कार, हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार अशोक मनवानी भोपाल, राजेन्द्र अनुरागी पुरस्कार राजेश अवस्थी लावा ग्वालियर, पं. बालकृष्ण शर्मा पुरस्कार डा. अन्नपूर्णा सिसोदिया अशोकनगर, ईसुरी पुरस्कार आचार्य दुर्गाचरण शुक्ल टीकमगढ़, हरिकृष्ण देवसरे पुरस्कार डा. प्रेमलता नीलम दमोह, नरेश मेहता पुरस्कार संदीप शर्मा धार, जैनेन्द्र कुमार जैन पुरस्कार डा. गिरिजेश सक्सेना भोपाल, सेठ गोविन्द दास पुरस्कार डा. सुधीर कुमार नेमा भोपाल, शरद जोशी मीरा जैन-उज्जैन, वीरेन्द्र मिश्र पुरस्कार राजेन्द्र प्रसाद शर्मा भोपाल, दुष्यंत कुमार पुरस्कार डा. प्रियंका त्रिपाठी शहडोल को दिया गया।
2020 के लिए वृंदावन लाल वर्मा पुरस्कार डा. जयनारायण बैरागी झाबुआ, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार संतोष कुमार मोहंती इंदौर, श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार मुरलीधर चांदनीवाला रतलाम, आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार डा. राजेश श्रीवास्तव भोपाल, हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार साधना श्रीवास्तव भोपाल, राजेन्द्र अनुरागी पुरस्कार आलोक सेठी खंडवा, पं. बालकृष्ण शर्मा पुरस्कार जगत प्रकाश शर्मा दतिया, ईसुरी पुरस्कार अखिलेश जोशी बड़वाह, हरिकृष्ण देवसरे पुरस्कार महेश प्रसाद सक्सेना भोपाल, नरेश मेहता पुरस्कार विशाल कलम्बकर उज्जैन, जैनेन्द्र कुमार जैन पुरस्कार संतोष सुपेकर उज्जैन, सेठ गोविन्द दास डा. नाथूराम राठौर-दमोह, शरद जोशी पुरस्कार कुमार सुरेश शर्मा भोपाल, वीरेन्द्र मिश्र पुरस्कार श्याम सुंदर तिवारी खंडवा, दुष्यंत कुमार पुरस्कार हेमराज नामदेव जबलपुर को मिला।
2021 के लिए वृंदावन लाल वर्मा पुरस्कार डा. ममता चन्द्रशेखर जबलपुर, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार पुरुषोत्तम प्रसाद गौतम शिवपुरी, श्रीकृष्ण सरल पुरस्कार यशवंत सिंह चौहान धार, आचार्य नंददुलारे वाजपेयी पुरस्कार गोविंद गुंजन खंडवा, हरिकृष्ण प्रेमी पुरस्कार प्रियंका शक्ति ठाकुर भोपाल, राजेन्द्र अनुरागी पुरस्कार दिनेश प्रभात भोपाल, पं. बालकृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार राजेन्द्र गट्टानी भोपाल, ईसुरी पुरस्कार प्रमोद भार्गव शिवपुरी, हरिकृष्ण देवसरे पुरस्कार डा. अर्जुन दास खत्री भोपाल, नरेश मेहता पुरस्कार राधारानी चौहान भोपाल, जैनेन्द्र कुमार जैन पुरस्कार डा. अखिलेश बार्चे खरगोन, सेठ गोविन्द दास पुरस्कार श्रीपाद जोशी उज्जैन, शरद जोशी पुरस्कार डा. पिलकेन्द्र अरोरा उज्जैन, वीरेन्द्र मिश्र पुरस्कार उदयसिंह मण्डलोई खरगोन, दुष्यंत कुमार पुरस्कार सतीश राठी इंदौर को दिया गया।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने राकेश खंडूड़ी के डोईवाला (देहरादून) स्थित आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिजनों से भेंट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
वरिष्ठ पत्रकार और अमर उजाला अखबार के ब्यूरो प्रमुख राकेश खंडूरी का निधन हो गया है। वे बीते कुछ समय से हृदय रोग से जूझ रहे थे और उनका इलाज एम्स ऋषिकेश में चल रहा था। हाल ही में उनका ऑपरेशन हुआ था, लेकिन ऑपरेशन के बाद उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई और बुधवार-गुरुवार की देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली।
राकेश खंडूरी लंबे समय से अमर उजाला की देहरादून यूनिट में कार्यरत थे। इससे पहले उन्होंने हिमाचल प्रदेश में भी अपनी सेवाएं दी थीं। वे प्रतिदिन डोईवाला से देहरादून आकर जिम्मेदारी निभाते थे। कठिन परिस्थितियों और मौसम की परवाह किए बिना उनकी नियमितता और समर्पण ने उन्हें साथियों और पाठकों के बीच विशेष पहचान दिलाई।
अपने करियर के दौरान उन्होंने अनगिनत ऐसी कहानियों पर काम किया जो जनता और राज्य से जुड़े मुद्दों को सामने लाती थीं। सरकारी तंत्र और नौकरशाही में उनकी गहरी पकड़ रही, लेकिन इसके बावजूद वे हमेशा सरल, जमीनी और सच्चे इंसान बने रहे। सहयोगियों का कहना है कि वे न केवल एक बेहतरीन पत्रकार थे, बल्कि अपने शालीन और विनम्र स्वभाव से सबका दिल जीत लेते थे।
पत्रकारिता के अलावा उनका एक और रूप भी लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय था। वे माउथ ऑर्गन बजाने में माहिर थे और अक्सर सोशल मीडिया पर फिल्मी धुनें साझा करते थे, जिससे उनके प्रशंसकों की संख्या और बढ़ जाती थी।
उनके निधन से मीडिया जगत, सहयोगियों, मित्रों और शुभचिंतकों में गहरा शोक है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने राकेश खंडूड़ी जी के डोईवाला (देहरादून) स्थित आवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिजनों से भेंट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने अमर उजाला, उत्तराखण्ड के स्टेट ब्यूरो प्रमुख एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री राकेश खंडूड़ी जी के डोईवाला (देहरादून) स्थित आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
— CM Office Uttarakhand (@ukcmo) August 28, 2025
इस दौरान मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिजनों से भेंट कर अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त की। pic.twitter.com/17gz1dCUJY
मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि मैंने पब्लिसिस ग्रुप में एक बार फिर वापसी की है और अब मैं पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी (PGD) की ग्लोबल एग्ज़िक्यूटिव लीडरशिप टीम का हिस्सा हूँ।
मयूरी कांगो ने एक बार फिर पब्लिसिस ग्रुप (Publicis Groupe) में वापसी की है। उन्होंने चीफ़ एग्ज़िक्यूटिव ऑफ़िसर (CEO) पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी (PGD) का पदभार संभाला है। इस बात की जानकारी उन्होंने अपने LinkedIn पोस्ट के ज़रिए दी। अपने नए रोल में मयूरी कांगो भारत से PGD के संचालन का नेतृत्व करेंगी और साथ ही मीडिया, डेटा-टेक और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए वैश्विक रणनीति पर काम करेंगी।
लिंक्डइन पर साझा किए गए अपने संदेश में उन्होंने लिखा, मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि मैंने पब्लिसिस ग्रुप में एक बार फिर वापसी की है और अब मैं पब्लिसिस ग्लोबल डिलीवरी (PGD) की ग्लोबल एग्ज़िक्यूटिव लीडरशिप टीम का हिस्सा हूँ। इस भूमिका में मैं PGD की वैश्विक टीम के साथ मिलकर मीडिया, टेक और डिजिटल सॉल्यूशंस और सर्विसेज़ को आकार दूँगी, साथ ही AI प्रैक्टिस को और मज़बूत करूँगी।
मैंने ख़ुद देखा है कि AI किस तरह हमारे काम करने, बनाने और जुड़ने के तरीक़ों को बदल रहा है। इसलिए मैं इसके ज़रिए मार्केटिंग और मीडिया के भविष्य को नए ढंग से गढ़ने को लेकर बेहद उत्साहित हूँ।
उन्होंने आगे लिखा, इसके साथ ही मैं भारत डिलीवरी सेंटर की सीईओ की ज़िम्मेदारी भी निभाऊँगी, जहाँ मैं अपनी टीम के साथ मिलकर सीमाओं को आगे बढ़ाने, नवाचार करने और पब्लिसिस के क्लाइंट्स के लिए सार्थक प्रभाव बनाने की दिशा में काम करने के लिए उत्सुक हूँ।
इससे पहले मयूरी कांगो गूगल में 6 साल से ज़्यादा समय तक कार्यरत रहीं। वहाँ उनका आख़िरी पद इंडस्ट्री हेड AI, Martech & Media Solutions @MPT था। पब्लिसिस में अपनी पिछली भूमिकाओं में उन्होंने 2016 से 2019 तक परफॉर्मिक्स (Performics) और 2012 से 2016 तक ज़ेनिथ (Zenith) में काम किया था।
इस व्याख्यानमाला के पहले दिन शाम साढ़े पांच बजे संघ प्रमुख मोहन भागवत विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर 26 अगस्त से तीन दिवसीय विशेष व्याख्यानमाला शुरू होने जा रही है।
नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में होने जा रहे इस आयोजन का विषय 100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज (100 Years of Sangh Journey - New Horizons) रखा गया है। इसमें संघ के गठन से लेकर आज तक की यात्रा, समाज में उसकी भूमिका और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
इस व्याख्यानमाला के पहले दिन शाम साढ़े पांच बजे संघ प्रमुख मोहन भागवत विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही वह समाज के प्रबुद्ध लोगों से भी मुलाकात करेंगे। यह आयोजन संघ की एक सदी लंबी यात्रा का उत्सव मनाने के साथ-साथ भविष्य के लिए नए लक्ष्यों और दृष्टिकोण को रेखांकित करेगा।
इस बारे में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक प्रेस वार्ता में बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के निमित्त देश भर में जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की श्रृंखला में समाज के सभी वर्गों की प्रमुख हस्तियों से संवाद का कार्यक्रम भी होने वाला है। इसके तहत देश के चार प्रमुख महानगरों नई दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता और मुंबई में होने वाले संवाद के कार्यक्रमों में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की उपस्थिति रहेगी।
आंबेकर ने बताया कि इसी के तहत दिल्ली के विज्ञान भवन में 26 अगस्त से होने जा रही तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में समाज के सभी क्षेत्रों, वर्गों और विचारधाराओं की प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी। इसके लिए सामाजिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, खेल, शिक्षा, ज्ञान परंपरा एवं भाषा, इंटरप्रेन्योर और भारत स्थित विभिन्न देशों को राजदूतों सहित 17 मुख्य और 138 सह—श्रेणियों में समाज जीवन के सभी क्षेत्रों की प्रमुख्य हस्तियों को आमंत्रित किया जा रहा है।
इस तीन दिवसीय आयोजन के दौरान होने वाली चर्चा के विषयों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसमें 100 वर्षों की यात्रा के दौरान संघ की भूमिका एवं अनुभवों के साथ ही भविष्य में जिन क्षेत्रों में संघ और स्वयंसेवकों को आगे बढ़ना है इस पर भी सरसंघचालक जी अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। साथ ही पंच परिवर्तन पर संघ की सोच और इसमें समाज की अपेक्षित सहभागिता की योजनाओं पर भी चर्चा होगी। मौजूदा समय में तेजी से विकास एवं प्रगति की राह पर अग्रसर हो रहे देश की लगातार बढ़ रही आशा एवं आकांक्षाओं में स्वयंसेवकों के योगदान पर भी बात होगी और यह पक्ष भी प्रस्तुत किया जाएगा कि नए क्षितिज की ओर भारत को आगे बढ़ना है तो स्व तत्व और अपने पराक्रम से ही आगे बढ़ा जा सकता है।
आंबेकर ने बताया गुलामी के कालखंड से चले आ रहे विकास के औपनिवेशिक मापदंडों पर भी चर्चा होगी और अब तक दबी रही भारतीय समाज की असीमित क्षमताओं को उभारने पर भी विचार रखा जाएगा। साथ ही वर्तमान समय में देश—समाज के लिए महत्वपूर्ण विषयों सहित भारत की वैश्विक भूमिका पर भी बात होगी। इसके अलावा तीसरे दिन आयोजन में सम्मिलत होनेवालों के लिखित प्रश्नों एवं जिज्ञासाओं का भी उत्तर दिया जाएगा।
इसके साथ ही आंबेकर ने बताया कि वर्ष 1925 में आरंभ हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रसेवा की यात्रा के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर वर्ष पर्यंत चलने वाले शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत देश भर में 1000 से अधिक गोष्ठियों को आयोजन होगा जिसमें संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सम्मिलित होंगे। ऐसे कुछ आयोजनों में शामिल होने के लिए सरकार्यवाह जी का भी कार्यक्रम तय किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि 100 वर्षों की अपनी यात्रा में संघ ने समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने और यह बताने का हमेशा प्रयत्न किया है कि संघ का विचार अलग नहीं बल्कि भारत की स्थापित परंपरा पर ही आधारित है। श्री आंबेकर ने कहा कि संघ का विचार सबके साथ मिलकर देश को आगे बढ़ाने में योगदान करने का रहा है और हम चाहते हैं कि पूरा देश एक साथ मिलकर इस विकास की यात्रा को आगे बढ़ाए। इसमें योगदान करते हुए स्वावलंबी भारत जैसे अभियानों के तहत संघ के स्वयंसेवक विभिन्न क्षेत्रों में सहभागी और सहयोगी की भूमिका भी निभा रहे हैं।
यहां देखें वीडियो:
वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार बिभुरंजन सरकार का निधन हो गया। उनका शव शुक्रवार दोपहर ढाका के मुंशीगंज के गजारिया उपजिला के चर बलाकी के पास मेघना नदी से बरामद किया गया।
वरिष्ठ पत्रकार और स्तंभकार बिभुरंजन सरकार का निधन हो गया। उनका शव शुक्रवार दोपहर ढाका के मुंशीगंज के गजारिया उपजिला के चर बलाकी के पास मेघना नदी से बरामद किया गया। यह घटना उनके गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज होने के एक दिन बाद हुई।
पुलिस ने पुष्टि की कि शव नदी में तैरता हुआ मिला था, जिसे लगभग 3:45 बजे कलागाछिया रिवर पुलिस आउटपोस्ट के अधिकारियों ने बरामद किया और बाद में पोस्टमार्टम के लिए मुंशीगंज जनरल अस्पताल के मुर्दाघर भेजा गया। परिजनों ने शव की पहचान कर ली है।
71 वर्षीय सरकार बांग्ला दैनिक आजकेर पत्रिका में सीनियर एडिटर के रूप में कार्यरत थे। वह गुरुवार सुबह अपने सिद्देश्वरी निवास से बनस्री स्थित कार्यालय जाने के लिए निकले थे, लेकिन वहां कभी नहीं पहुंचे। उसी सुबह लगभग 9:15 बजे उन्होंने bdnews24.com को “खोला चिठी” (ओपन लेटर) शीर्षक से एक लेख ईमेल किया, जिसके साथ उन्होंने एक मार्मिक टिप्पणी लिखी, “आप इसे मेरी अंतिम रचना के रूप में प्रकाशित कर सकते हैं।” यह लेख बाद में पोर्टल के विचार अनुभाग में प्रकाशित किया गया।
पत्र में सरकार ने अपने जीवनभर के संघर्षों पर विचार किया था, जिनमें उनके और उनके बेटे की पुरानी बीमारियां, बेटी के करियर में आई बाधाएं, बीयूईटी से स्नातक करने के बावजूद बेटे को नौकरी न मिलना और परिवार पर बढ़ता वित्तीय दबाव शामिल था। उन्होंने अपने पांच दशक लंबे करियर को भी याद किया, जिसकी शुरुआत उन्होंने बतौर दैनिक आजाद के स्कूली संवाददाता के रूप में की थी। वर्षों के दौरान उन्होंने संगबाद और रुपाली में काम किया और दैनिक मातृभूमि और चलतिपत्र में संपादकीय भूमिकाएं निभाईं। वह मृदुभाषण के कार्यकारी संपादक रहे और 1980 के दशक में एंटी-एरशाद आंदोलन के दौरान “तारिक इब्राहिम” के नाम से कॉलम लिखते थे।
सरकार की अचानक मौत ने बांग्लादेश की मीडिया बिरादरी को झकझोर दिया है। सहकर्मियों और पाठकों ने पत्रकारिता में एक निडर आवाज के खोने पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की निंदा करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर की निंदा करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया है और इसकी तत्काल वापसी की मांग की है।
22 अगस्त 2025 को जारी एक बयान में क्लब ने कहा कि इस मामले में शर्मा पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने “निर्वाचित सरकारों को बदनाम करने की दुर्भावनापूर्ण मंशा” से टिप्पणी की, साम्प्रदायिक भावनाएं भड़काईं और राष्ट्रीय अखंडता को खतरे में डाला। एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 152 के तहत राजद्रोह का प्रावधान लगाया गया है, साथ ही धारा 196 और 197 के तहत वैमनस्य फैलाने और राष्ट्रीय एकता के खिलाफ आरोप लगाने से संबंधित धाराएं भी शामिल की गई हैं।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष गौतम लहरी और महासचिव नीरज ठाकुर द्वारा हस्ताक्षरित इस बयान में उल्लेख किया गया कि असम पुलिस की यह कार्रवाई ऐसे समय हुई है जब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने द वायर के संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन और करन थापर को इसी तरह के एक मामले में धारा 152 के तहत गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। क्लब ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है कि असम पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसी तरह के मामले में दिए गए निर्देशों को संज्ञान में नहीं लिया… यह कार्रवाई असहिष्णुता और प्रेस स्वतंत्रता के प्रति बेहद कम सम्मान को दर्शाती है।”
प्रेस क्लब ने इस महीने की एक और घटना की ओर भी ध्यान आकर्षित किया जिसमें वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सचिव रूबेन बनर्जी शामिल थे। उनका ओड़िया भाषा का यूट्यूब चैनल Mu Ruben Kahuchhi बिना पूर्व सूचना के हटा दिया गया। प्लेटफॉर्म ने “सर्कम्वेंशन पॉलिसी” उल्लंघन का हवाला दिया, लेकिन रूबेन बनर्जी और उनके वकीलों की सभी अपीलों को बिना कोई स्पष्टीकरण दिए खारिज कर दिया।
इन दोनों मामलों को “असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमले के स्पष्ट उदाहरण” बताते हुए प्रेस क्लब ने मीडिया संगठनों से एकजुट होकर विरोध दर्ज कराने और भारत में प्रेस स्वतंत्रता की रक्षा के संघर्ष को जारी रखने की अपील की है।
वरिष्ठ पत्रकार और एडिटर्स गिल्ड के महासचिव रूबेन बनर्जी के यूट्यूब चैनल ‘Mu Ruben Kahuchhi’ को यूट्यूब ने बंद कर दिया है।
देश में संपादकों की सबसे बड़ी संस्था ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (ईजीआई) ने वरिष्ठ पत्रकार व गिल्ड के महासचिव रूबेन बनर्जी के यूट्यूब चैनल ‘Mu Ruben Kahuchhi’ (जिसका मतलब है – ‘मैं रूबेन बोल रहा हूं’) को अचानक हटाए जाने पर गहरी चिंता जताई है।
बताया जा रहा है कि यूट्यूब ने बिना किसी पूर्व चेतावनी या जानकारी दिए चैनल को हटा दिया। रूबेन बनर्जी को 4 अगस्त को बताया गया कि उनका चैनल यूट्यूब की ‘Circumvention Policy’ का उल्लंघन करने के चलते बंद किया गया है।
एडिटर्स गिल्ड की ओर से जारी स्टेटमेंट में कहा गया है कि यह कार्रवाई बिना किसी स्ट्राइक, नोटिस या जवाब देने का मौका दिए की गई। गिल्ड ने यूट्यूब से मांग की है कि चैनल को तुरंत बहाल किया जाए और इसे हटाए जाने की वजह साफ-साफ बताई जाए।
Statement On the Abrupt Removal of Mr Ruben Banerjee’s Channel by YouTube@YouTubeIndia @GoI_MeitY @MIB_India @AshwiniVaishnaw @internetfreedom @Rubenbanerjee pic.twitter.com/RlAW4w0dHl
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) August 20, 2025
बता दें कि उड़िया भाषा में चलने वाला यूट्यूब चैनल सितंबर 2024 में शुरू हुआ था। इसमें जनहित से जुड़े मुद्दों जैसे- सामाजिक कल्याण, शिक्षा, महिला स्व-सहायता समूह और ओडिशा की राजनीति को कवर किया जाता था। इस यूट्यूब चैनल के 33,000 से ज्यादा सब्सक्राइबर थे और हाल ही में इसमें कुछ राजनीतिक नेताओं की आलोचनात्मक टिप्पणी भी दिखाई गई थी।
रूबेन बनर्जी इससे पहले ‘आउटलुक’ के ग्रुप एडिटर-इन-चीफ रह चुके हैं। वह ‘द इंडियन एक्सप्रेस’, ‘अल जजीरा’ और ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संगठनों से भी जुड़े रहे हैं।
‘इंडिया टुडे’ ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी स्वर्गीय रमेश प्रकाश के जीवन और योगदान को समर्पित उनकी जीवनी प्रधान पुस्तक ‘तन समर्पित, मन समर्पित’ के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं।
‘इंडिया टुडे’ (India Today) ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी ने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ (आरएसएस) की कोर लीडरशिप में महिलाओं की मजबूत भागीदारी की वकालत की है।
वह 18 अगस्त को नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में स्वर्गीय रमेश प्रकाश के जीवन और योगदान को समर्पित उनकी जीवनी प्रधान पुस्तक ‘तन समर्पित, मन समर्पित’ के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। यह पुस्तक सुरुचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता और स्वर्गीय रमेश प्रकाश की पत्नी श्रीमती आशा शर्मा की गरिमामयी मौजूदगी में कली पुरी का कहना था कि भ्रष्टाचार को जीवनशैली के सामान्य हिस्से के रूप में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने आरएसएस के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए संगठन की सादगी, अनुशासन और दीर्घकालिक योजनाओं के प्रति अद्भुत क्षमता की सराहना की। उन्होंने‘पंच परिवर्तन’ दृष्टिकोण का ज़िक्र किया और इंडिया टुडे के‘ग्रॉस डोमेस्टिक बिहेवियर (GDB) नामक पहल की जानकारी दी, जो नागरिक अनुशासन, समावेशिता, लैंगिक समानता और भ्रष्टाचार जैसे मूल्यों के प्रति समाज के दृष्टिकोण को मापती है।
इसके साथ ही इस पुस्तक की सराहना करते हुए कली पुरी का कहना था यह राष्ट्र निर्माण में व्यक्तिगत त्याग के महत्त्व की समयोचित याद दिलाती है और पंच परिवर्तन के विचार के महत्त्व पर भी प्रकाश डालती है। यह पुस्तक रमेश प्रकाश जी की अथक यात्रा को दर्शाती है, जिनका जीवन निस्वार्थ सेवा, सामाजिक कल्याण और राष्ट्रीय उत्थान के लिए समर्पित था।
कली पुरी का कहना था, ‘प्रकाश जी सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित तो थे ही, वे त्याग और देशभक्ति के उन आदर्शों के प्रतीक थे, जिन्हें आरएसएस ने सदैव पोषित किया है। सामुदायिक विकास और युवा लामबंदी से लेकर सांस्कृतिक संरक्षण और राष्ट्र निर्माण के प्रयासों तक, उनका कार्य पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।’
वहीं, मोहन भागवत का कहना था कि समाज में बदलाव तभी आएगा जब स्वयंसेवक के जीवन में बदलाव आएगा। केवल ज्ञान से परिवर्तन संभव नहीं है। उसके लिए अनुशासन, उदाहरण और अभ्यास आवश्यक है।
आरएसएस में महिलाओं की भागीदारी पर उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘जहां-जहां स्वयंसेवक हैं, वहां महिलाएं भी साथ होती हैं। महिलाओं के लिए वर्ष 1936 में शुरू की गई 'राष्ट्र सेविका समिति' एक समानांतर संगठन के रूप में कार्य करती है।’
इसके साथ ही उनका कहना था कि कई क्षेत्रों में महिलाएं निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा होती हैं, कोर बैठकों में आमंत्रित की जाती हैं और उनके सुझावों को स्वीकार भी किया जाता है। समाज का पचास प्रतिशत हिस्सा बाहर नहीं रखा जा सकता।
भागवत ने यह भी जोड़ा कि अलग-अलग राज्यों में प्रक्रियाएं भिन्न हो सकती हैं, लेकिन यही संघ की लचीलापन और विकासशील प्रकृति को दर्शाता है। उन्होंने संतुलन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि राष्ट्र सेवा कभी भी पारिवारिक दायित्वों की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं, विरोधाभासी नहीं।
उत्तर प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए एक अहम पहल की है।
उत्तर प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए एक अहम पहल की है। राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (साचीव) के सहयोग से पत्रकारों को आयुष्मान कार्ड जारी करने और उनके संशोधन के लिए विशेष शिविर का आयोजन किया जाएगा। यह शिविर 21 और 22 अगस्त, 2025 को जिला स्तर पर आयोजित होगा।
जारी आदेश के अनुसार, जनपद स्तर पर संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि मान्यता प्राप्त पत्रकारों को इस शिविर की जानकारी दी जाए ताकि वे समय पर अपना व परिजनों का आयुष्मान कार्ड बनवा सकें या संशोधित करा सकें।
बता दें कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत पत्रकार और उनके परिजन 5 लाख रुपये तक का निःशुल्क उपचार लाभ प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें आयुष्मान कार्ड बनवाना आवश्यक है। विशेष शिविर में इसके लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
ESPN इंडिया के पहले सीईओ आर.के. सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहे। सिन्हा ESPN स्टार स्पोर्ट्स के भी सीईओ रहे थे।
ESPN इंडिया के पहले सीईओ आर.के. सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहे। सिन्हा ESPN स्टार स्पोर्ट्स के भी सीईओ रहे थे। उन्हें पेड टेलीविजन के शुरुआती दौर में दिशा देने का श्रेय दिया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनका 15 अगस्त को निधन हो गया। उनकी उम्र 75 वर्ष थी। इंडस्ट्री के वरिष्ठ लोगों ने आर.के. सिन्हा को भारतीय प्रसारण जगत के अग्रदूत के तौर पर याद किया, जिनकी दूरदर्शी नेतृत्व क्षमता ने देश के टेलीविजन परिदृश्य को आकार दिया।
ICC के चीफ कमर्शियल ऑफिसर अनुराग दहिया ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, आर.के. सिन्हा किसी भी मायने में ‘टिपिकल ब्यूरोक्रेट’ जैसे बिल्कुल भी नहीं थे। उन्होंने डीडी-मेट्रो की परिकल्पना की और उसे लॉन्च किया। यह एक गतिशील, शहर-केंद्रित सेवा थी जिसने 1980 के दशक में भारतीय प्रसारण को नए तरह के मनोरंजन कार्यक्रमों की लहर के साथ बदल दिया।"
EQT के सीनियर एडवाइजर, पूर्व सीईओ आईसीसी, बोर्ड मेंबर मैनचेस्टर यूनाइटेड और पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स मनु सॉहनी ने लिखा, "भारतीय खेल और मीडिया इंडस्ट्री के शुरुआती दिनों से ही वे इसके सच्चे अग्रणी और प्रबल समर्थक रहे। उन्होंने मुझे खेल और मीडिया इंडस्ट्री में पहला मौका दिया था और उनके साथ ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स की स्थापना करना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी। भारतीय प्रसारण उद्योग पर उनके प्रभाव को लंबे समय तक याद किया जाएगा। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। आर.के. को श्रद्धांजलि और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं।"
हाउस ऑफ IPs और हाउस ऑफ चीयर नेटवर्क्स प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर राज नायक ने कहा, "ESPN स्टार स्पोर्ट्स में ऐड सेल्स हेड के रूप में काम करते समय मुझे आर.के. के साथ करीब से काम करने का सौभाग्य मिला। वे एक बेहतरीन इंसान और सच्चे सज्जन थे। उनकी पत्नी अनु और पूरे परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।"
वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत के मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में मिला-जुला प्रदर्शन देखने को मिला।
अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।
वित्तीय वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत के मीडिया व एंटरटेनमेंट सेक्टर में मिला-जुला प्रदर्शन देखने को मिला। ब्रॉडकास्ट कंपनियों ने राजस्व दबाव के बावजूद बड़े पैमाने पर मुनाफा बढ़ाया है, प्रिंट सेक्टर का प्रदर्शन उतार-चढ़ाव भरा रहा, जबकि डीटीएच कारोबार लगातार घटती आय और बढ़ते घाटे से जूझता रहा।
ब्रॉडकास्ट सेक्टर में रिलायंस इंडस्ट्रीज की मीडिया और एंटरटेनमेंट इकाई जियोस्टार सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाली कंपनी रही। अपने पहले ही Q1 नतीजों में कंपनी ने ₹581 करोड़ का मुनाफा कमाया, जबकि आय ₹11,222 करोड़ रही। कंपनी ने इसका श्रेय IPL 2025 सीजन की सफलता को दिया, जिसने टीवी और डिजिटल दोनों प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से ग्रोथ दिलाई।
नेटवर्क18 ने भी शानदार वापसी की। Q1 FY25 में ₹195 करोड़ के घाटे से Q1 FY26 में कंपनी ₹149 करोड़ के मुनाफे में आ गई, जो 176% का सुधार है। हालांकि, कंपनी की आय 15% घटकर ₹478 करोड़ रह गई। कंपनी के बयान के अनुसार, पिछली तिमाही में चुनाव-सम्बंधी विज्ञापनों का योगदान अधिक था, जिससे इस साल की तुलना में राजस्व कम रहा। इसके अलावा, कमजोर उपभोक्ता मांग और खेल आयोजनों से भरी तिमाही के कारण विज्ञापन माहौल नरम रहा। टीवी न्यूज इंडस्ट्री में विज्ञापन इन्वेंटरी की खपत साल-दर-साल आधार पर 20% से अधिक घटी, जो इस सेगमेंट की चुनौतियों को दर्शाता है।
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) का मुनाफा 21% बढ़कर ₹143 करोड़ हो गया, लेकिन राजस्व 14% घटकर ₹1,850 करोड़ रह गया। इसका कारण विज्ञापन, सब्सक्रिप्शन और अन्य स्रोतों से होने वाली आय में तेज गिरावट रहा। FY26 की शुरुआत कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण रही, क्योंकि विज्ञापन माहौल में सुस्ती, FMCG सेक्टर का कम खर्च और लंबा खेल कैलेंडर, जून तिमाही की आय पर भारी पड़ा। हालांकि, अनुशासित लागत प्रबंधन की बदौलत कंपनी ने शुद्ध मुनाफे में 21% की वृद्धि दर्ज की।
सन टीवी की आय 1.28% बढ़कर ₹1,479 करोड़ रही, लेकिन मुनाफा 5.4% घटकर ₹529 करोड़ रह गया। Q1 FY26 में विज्ञापन से आय ₹289.94 करोड़ रही, जो पिछले साल की समान तिमाही के ₹323.77 करोड़ से कम है, यह विज्ञापन माहौल में लगातार कमजोरी को दिखाता है।
एनडीटीवी का घाटा 48% बढ़कर ₹70.6 करोड़ हो गया, हालांकि राजस्व 15% बढ़कर ₹112.5 करोड़ रहा। टीवी टुडे को सबसे बड़ा झटका लगा, जहां मुनाफा 85% गिरकर ₹7.35 करोड़ रह गया और राजस्व 34% घटकर ₹207.8 करोड़ पर आ गया।
प्रिंट सेक्टर ने Q1 FY26 में मिश्रित तस्वीर पेश की। एचटी मीडिया ने अपना घाटा 60% घटाकर ₹11 करोड़ कर लिया, जो Q1 FY25 में ₹28 करोड़ था। यह सुधार 6% की राजस्व वृद्धि (₹451 करोड़) से मिला। दूसरी ओर, डीबी कॉर्प का मुनाफा 31% घटकर ₹80.8 करोड़ रह गया, जबकि आय भी 4.7% घटकर ₹587 करोड़ हो गई। इसका मतलब है कि विज्ञापन और सर्कुलेशन, दोनों में दबाव रहा। जागरण प्रकाशन ने प्रिंट सेगमेंट में बढ़त बनाई, जहां मुनाफा 63% बढ़कर ₹66.76 करोड़ और आय 14.3% बढ़कर ₹442 करोड़ हो गई। यह मजबूती विज्ञापन बिक्री में वृद्धि और संचालन में दक्षता से आई।
डीटीएच सेगमेंट मीडिया इकोसिस्टम का सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाला हिस्सा बना रहा। डिश टीवी की आय 28% घटकर ₹329.4 करोड़ रह गई, जबकि घाटा Q1 FY25 के ₹1.6 करोड़ से बढ़कर Q1 FY26 में ₹94.5 करोड़ हो गया, यानी करीब 58 गुना इजाफा। भारती एयरटेल के डीटीएच बिजनेस की आय 2% घटकर ₹762.8 करोड़ रही। हालांकि मुनाफे के आंकड़े सामने नहीं आए, लेकिन आय में मामूली गिरावट बताती है कि इसका प्रदर्शन डिश टीवी जितना खराब नहीं रहा।
कुल मिलाकर, Q1 FY26 भारत के मीडिया उद्योग की बदलती तस्वीर को दर्शाता है। ब्रॉडकास्ट कंपनियों ने राजस्व चुनौतियों के बावजूद मार्जिन सुधारने के तरीके खोज लिए हैं, जिसमें जियोस्टार, नेटवर्क18 और ZEEL ने उल्लेखनीय लाभ कमाया। प्रिंट सेगमेंट अब भी विरोधाभासी रफ्तार पर है, जहां जागरण तेजी से आगे बढ़ रहा है, डीबी कॉर्प संघर्ष में है और एचटी मीडिया सुधार की दिशा में काम कर रहा है। डीटीएच कारोबार के सामने सबसे कठिन चुनौती है, क्योंकि ‘कॉर्ड-कटिंग’ और ओटीटी सेवाओं के तेजी से बढ़ते उपयोग से इसके सब्सक्राइबर और राजस्व लगातार घट रहे हैं।