‘मॉब लिंचिंग’ यानी भीड़तंत्र के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही में...
समाचार4मीडिया ब्यूरो ।।
‘मॉब लिंचिंग’ यानी भीड़तंत्र के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाल ही में
राजस्थान के अलवर में गौ-तस्करी ने नाम पर अकबर नामक युवक को उग्र भीड़ ने मौत के
घाट उतार दिया। अकबर का दोस्त भी अपनी जान से हाथ धो बैठता यदि वो मौके से भागने
में सफल नहीं होता। मीडिया में इस मुद्दे को लेकर प्रतिक्रिया तो आईं, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर यदि किसी पत्रकार ने इसका पुरजोर तरीके से विरोध
किया तो वो हैं मानक गुप्ता।
'न्यूज24' के पत्रकार मानक
वैसे भी अपनी बेवाक टिप्पणियों के लिए पहचाने जाते हैं। उन्होंने अपने ट्वीट में
लिखा है ‘गाय के नाम पर किसी इंसान की जान लेने वाला संविधान
को नहीं मानता, ये तो स्पष्ट है। पर ये हिंदू तो क्या इंसान
कहलाने लायक भी नहीं। ऐसे लोगों में न कानून के लिए सम्मान है, न हिंदू धर्म के लिए और न इंसानियत के लिए। इनकी एक ही जगह है...’।
गाय के नाम पर किसी इंसान की जान लेने वाला संविधान को नहीं मानता, ये तो स्पष्ट है. पर ये हिंदू तो क्या इंसान कहलाने लायक भी नहीं. ऐसे लोगों में न क़ानून के लिए सम्मान है, न हिंदू धर्म के लिए और न इंसानियत के लिए. इनकी एक ही जगह है...
— Manak Gupta (@manakgupta) July 22, 2018
फ़िलहाल देश में जो माहौल है, उसमें इस तरह के बयानों और सोच को सहज स्वीकार नहीं किया जाता। लिहाजा
मानक को भी उनके ट्वीट के लिए निशाना बनाया जा रहा है। कई यूजर्स ने जो कुछ हुआ
उसे पूरी तरह वाजिब ठहराते हुए मानक पर ही सवाल दागे हैं।
मसलन, ठाकुर नामक यूजर ने मानक के ट्वीट पर अपने जवाब में कहा है, ‘मानिकजी आप बिलकुल सही कह रहे हैं, परन्तु क्या यह बात कश्मीर में हिंदू पंडितों पर जुल्म करने वालों पर, सिखों का नरसंहार करने वालों पर लागू नहीं होती है?’
मानिक जी आप बिलकुल सही कह रहे हैं
परन्तु क्या यह बात कशमीर में हिन्दू पंडितों पर जुल्म करने वालों पे
सिक्खो का नरसंहार करने वालों पे
भी लागू होती है?
— thakur (@goldithakurzira) July 22, 2018
इसका समर्थन करते हुए संजय अग्रवाल ने
लिखा है ‘कश्मीरी पंडित तो इनको दिखते ही नही, न उस न्यायाधीश
को जिसको रोहंगिया बहुत प्यारे लगते हैं रात दिन उनकी सेवा में लगा रहता है’।
कश्मीरी पंडित तो इनको दिखते ही नही है न उस न्यायाधीश को जिसको रोहंगिया बहुत प्यारे लगते हैं रात दिन उनकी सेवा में लगा रहता है
— Sanjay Agarwal (@SanjayA16431261) July 22, 2018
इसी तरह वसूली भाई नामक यूजर ने ट्वीट
किया है ‘जनता में इतना आक्रोश होने के बावजूद इनको गाय ही काटना है! ये नहीं
सुधरेंगे। याद रहे गौवध भी प्रतिबंधित है संविधान के अनुसार’।
जनता में इतना आक्रोश होने के बावजूद इनको गाय ही काटना है ! ये नहीं सुधरेंगे ।
याद रहे गौवध भी प्रतिबंधित है संविधान के अनुसार ।
— Vasuli Bhai (@BhaiVasuli) July 22, 2018
सामाजिक कार्यकर्ता और टीवी डिबेटर
ऋतु राठौड़ ने थी मानक के वाजिब ट्वीट पर सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने सभी
पत्रकारों पर निशाना साधा है। अपने ट्वीट में ऋतु ने कहा है, ‘ये मुस्लिम के नाम पे रोना धोना इन पत्रकारों की खुराख है.. समझिए संजीव
जी’। दरअसल, ऋतु राठौड़ संजीव चड्ढा
नामक यूजर ने कमेंट पर टिप्पणी की है, जिन्होंने मानक से
पूछा था कि गौहत्या अपराध है या नहीं?
Ye मुस्लिम के नाम पे रोना धोना इन पत्रकारों की खुराख है..समझिये संजीव जी?
— Ritu Rathaur (सत्यसाधक) (@RituRathaur) July 22, 2018
हालांकि, इन हमलों का मानक पर कोई असर नहीं हुआ है। उन्होंने अपने एक अन्य ट्वीट में लिखा है ‘गाय के नाम पर अकबर ख़ान और ‘बच्चा-चोरी’ की अफवाह में 25 साल की महिला...!! बस गिनते जा रहे हैं। मॉब लिंचिंग तेजी से सामान्य बनती जा रही है। इस संबंध में अब सख्त कानून लाने की जरूरत है। उन लोगों को भी जेल में भेजा जाना चाहिए, जो कुछ करने के बजाए बस खड़े होकर तमाशा देखते हैं’।
गाय के नाम पर रकबर ख़ान और ‘बच्चा-चोरी’ की अफ़वाह में 25 साल की महिला....!!! बस गिनते जा रहे हैं. Mob lynching is fast becoming the new normal. Need a tough new law where not even one from the mob is spared. Even bystanders should be jailed for doing nothing to stop it. Enough pic.twitter.com/iWKl9zpfid
— Manak Gupta (@manakgupta) July 23, 2018
पुलिस की प्राथमिकता भी अब गाय है, इंसान नहीं.....!!!! जब मन्त्री हार पहना कर स्वागत करेंगे तो पुलिस क्या सबक़ लेगी? Sack these cops and book them for murder @VasundharaBJP. राजधर्म निभाइये... pic.twitter.com/UdNZ5KO8GN
— Manak Gupta (@manakgupta) July 23, 2018
दरअसल, यह बात सामने आई है
कि पुलिस ने घायल अकबर को अस्पताल ले जाने के बजाए पहले गाय को गोशाला में छोड़ा
फिर अकबर को थाने लेकर आई, फिर कहीं जानकर उसे अस्पताल पहुंचाया
गया। कहा जा रहा है कि यदि अकबर को सही वक्त पर अस्पताल ले जाया गया होता तो शायद
उसकी जान बच सकती थी।
मानक ने राजस्थान की मुख्यमंत्री
वसुंधरा राजे को टैग करते हुए लिखा है’ पुलिस की प्राथमिकता भी अब गाय है, इंसान नहीं.....!!!! जब मन्त्री हार पहना कर स्वागत करेंगे तो पुलिस क्या सबक़ लेगी? Sack these cops and book them for murder , वसुंधराजी
राजधर्म निभाइए।
पुलिस की प्राथमिकता भी अब गाय है, इंसान नहीं.....!!!! जब मन्त्री हार पहना कर स्वागत करेंगे तो पुलिस क्या सबक़ लेगी? Sack these cops and book them for murder @VasundharaBJP. राजधर्म निभाइये... pic.twitter.com/UdNZ5KO8GN
— Manak Gupta (@manakgupta) July 23, 2018
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बिस्वास इससे पहले पीटीसी नेटवर्क में हेड (ब्रैंड मार्केटिंग और डिजिटल) की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ (India TV) में सिद्धार्थ बिश्वास ने बतौर AVP (Strategy and Special Project) जॉइन किया है। बिस्वास इससे पहले पीटीसी नेटवर्क से जुड़े हुए थे और हेड (ब्रैंड मार्केटिंग और डिजिटल) की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से उन्होंने पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था।
पूर्व में बिश्वास ‘जी’ (Zee), ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) और ‘जागरण प्रकाशन’ (Jagran Prakashan) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संसथानों में ब्रैंड मार्केटिंग का काम संभाल चुके हैं।
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मुंबई की सेशन कोर्ट ने टीआरपी (TRP) से छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने इस बारे में 20 जनवरी 2021 को आदेश जारी किए।
बता दें कि टीआरपी घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोप में मुंबई पुलिस ने दिसंबर के आखिरी हफ्ते में पार्थो दासगुप्ता को गिरफ्तार किया था। वे 31 दिसंबर, 2020 तक पुलिस हिरासत में थे, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
न्यायिक हिरासत में ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल कम होने के बाद दासगुप्ता को 15 जनवरी को मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह दूसरी बार है जब दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज की गई है। इससे पहले मुंबई की मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने चार जनवरी को दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
गौरतलब है कि टीआरपी से छेड़छाड़ का मामला अक्टूबर में तब सामने आया था, जब ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा देश में टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए घरेलू पैनल के प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी ‘हंसा रिसर्च’ (Hansa Research) के अधिकारी नितिन देवकर ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया था जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं, उन घरों को भुगतान करके कुछ टीवी चैनल्स दर्शकों की संख्या में हेरफेर कर रहे हैं।
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अडानी समूह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में वरिष्ठ पत्रकार परांजय गुहा ठाकुराता की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस मामले में गुजरात के कच्छ जिले में मुंद्रा की एक अदालत ने मंगलवार को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई दिल्ली की निजामुद्दीन थाना पुलिस को निर्देश जारी करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रदीप सोनी की अदालत ने कहा, ‘आईपीसी की धारा 500 के तहत आरोपी के खिलाफ आरोप तय किया जाता है। आपको उक्त आरोपी को गिरफ्तार करने और मेरे समक्ष पेश करने का निर्देश दिया जाता है।’
गौरतलब है कि वरिष्ठ पत्रकार परांजय ठाकुराता ने 2017 में अडानी समूह को सरकार की ओर से ‘500 करोड़ रुपए का उपहार’ मिलने की खबर प्रकाशित की थी, इसी को लेकर समूह ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
रिपोर्ट्स मुताबिक, उनके वकील आनंद याग्निक ने कहा, ‘हमें अभी तक (अदालत से) सूचना प्राप्त नहीं हुई है। हमारे पास यह सूचना (गिरफ्तारी वारंट की) मीडिया के माध्यम से पहुंची है।’ उन्होंने कहा कि अडानी समूह ने पत्रिका के संपादक सहित सभी के खिलाफ अपनी शिकायत वापस ले ली है, सिर्फ पत्रकार के खिलाफ शिकायत कायम है। वकील ने कहा कि ‘लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका आपराधिक मानहानि के लिए जिम्मेदार नहीं है, सह-लेखक के खिलाफ भी मामला वापस ले लिया गया है लेकिन आप लेखक के खिलाफ शिकायत वापस नहीं ले रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने अदालत में मुकदमा खरिज करने की अर्जी दी है।’
वकील ने बताया कि महामारी के कारण अदालत में सुनवाई बाधित होने की वजह से अडानी समूह द्वारा दायर मुकदमे पर सोमवार को सुनवाई हुई और अदालत ने कहा कि वह समुचित आदेश देगी। उन्होंने कहा, ‘आज उन्होंने समुचित आदेश दिया है।’
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बार्क (BARC) के पूर्व सीईओ पार्थो दास गुप्ता की तबीयत शुक्रवार को अचानक बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया। बता दें कि उनका ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल कम हो गया था, जिसके बाद तंजोला जेल प्रशासन ने उन्हें शुक्रवार दोपहर एक बजे अस्पताल में शिफ्ट किया था।
उनकी पत्नी सम्राज्नी दासगुप्ता (Samrajni Dasgupta) के मुताबिक, डॉक्टर्स की देखरेख में आज सुबह उन्हें आईसीयू (Intensive Care Unit) में शिफ्ट किया गया। उन्होंने बताया, ‘पार्थो किसी भी वॉयस कमांड का जवाब नहीं दे पा रहे हैं और न ही कुछ बोल पा रहे हैं। वह ब्लड शुगर के मरीज हैं और उनका ब्लड प्रेशर भी घट-बढ़ रहा है। हमें आज सुबह ही उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी गई थी। उनकी हालत नाजुक है।’
बता दें कि टीआरपी घोटाले मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में मुंबई पुलिस ने दिसंबर के आखिरी हफ्ते में उन्हें गिरफ्तार किया था। वे 31 दिसंबर, 2020 तक पुलिस हिरासत में थे, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
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प्रख्यात फिल्म समीक्षक राजीव मसंद ने फिलहाल पत्रकारिता से दूरी बना ली है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब उन्होंने बतौर चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर यानी COO टैलेंट मैनेजमेंट फर्म धर्मा कॉर्नरस्टोन एजेंसी (DCA) जॉइन कर लिया है। कंपनी में चलने वाले ऑपरेशन्स की जिम्मेदारी अब राजीव मसंद के कंधो पर होगी।
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में फिल्म निर्माता करण जौहर ने बंटी सजदेह के साथ अपनी इस टैलेंट मैनेजमेंट फर्म की घोषणा की थी। सजदेह की कंपनी कॉर्नरस्टोन की स्थापना 2008 में हुई थी। कंपनी विराट कोहली, विनेश फोगाट, के एल राहुल, सानिया मिर्जा और युवराज सिंह जैसे खिलाड़ियों का कामकाज देखती है।
बता दें कि 41 वर्षीय मसंद दो दशक से अधिक समय तक पत्रकार और मनोरंजन उद्योग के समीक्षक के तौर पर काम कर चुके हैं। राजीव मसंद ने 16 साल की उम्र में पत्रकारिता की दुनिया में कदम रखा था, उसके बाद वे कई मीडिया ग्रुप्स के साथ काम कर चुके हैं। वो हमेशा के लिए पत्रकारिता छोड़ चुके हैं या नहीं, इस पर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जो इस तरह लोगों के मौत से होने वाली तकलीफ को बयां कर रहा है।
कोरोना महामारी ने अपनों को खोने का बहुत से लोगों को दर्द दिया है और वो सारे रस्म और दस्तूर बदल डाले जो हमारे जीवन का हिस्सा थे। इस महामारी के सामने हमारी सारी परम्पराओं ने एक पल में घुटने टेंक दिए। कोरोना से हुई मौतों से उबर पाना हरगिज आसान नहीं है। इस महामारी से दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला देश अमेरिका में अब लोगों का धैर्य टूटने लगा है। सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जो इस तरह लोगों के मौत से होने वाली तकलीफ को बयां कर रहा है।
दरअसल, पिछले सप्ताह सीएनएन की एक रिपोर्टर सारा सिडनर लॉस एंजिलिस से लाइव रिपोर्टिंग के दौरान इस कदर भावुक हुईं कि फूट-फूटकर रो पड़ीं। उनका वीडियो पूरी दुनिया में तेजी से वायरल हो गया। वह कोरोना के कारण 12 जनवरी को अपने माता और सौतेले पिता दोनों को खो चुकीं एक महिला की व्यथा कवर रही थीं। सारा ने इस लाइव रिपोर्टिंग के दौरान कहा कि वह रिपोर्टिंग के लिए लगातार 10 अस्पतालों में गईं, जहां उन्होंने कोरोना से पीड़ित मरीजों व उनके परिवार के लोगों को जिस तरह से अस्पताल में रहते हुए देखा, इससे उन्हें बेहद दु:ख हुआ।
लाइव रिपोर्टिंग के दौरान सिडनर ने रोते हुए कहा कि कोरोना वायरस सभी समुदायों के लोगों को ‘असम्मानजनक’ रूप से मार रहा है। वे इसका खामियाजा उठा रहे हैं। उन लोगों में से कई ऐसे लोग हैं, जिन पर हम अपना दैनिक जीवन जीने के लिए भरोसा करते हैं।
सारा ने कहा कि यह सब होने के बाद इन परिवारों के लिए जीवन जीना कितना कठिन है और इनके दिल में कितना दर्द है, इस बात को समझ पाना वास्तव में काफी कठिन है।
सिडनर के कहा कि मुझे गुस्से में रोना आया। गुस्सा उन लोगों पर, जिन्होंने बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया और सच्चाई के खिलाफ लड़ते रहे। ऐसे लोगों ने अन्य लोगों की जान जोखिम में डाली। सिडनर ने इस दौरान आंसुओं से सराबोर रहीं।
यही नहीं कार्यक्रम में दौरान भावुक होने के बाद रिपोर्टर ने एंकर से माफी भी मांगी। इसके बाद एंकर ने अपनी सहकर्मी को बार-बार आश्वासन देते हुए कहा कि कोई माफी की जरूरत नहीं है। साथ ही एंकर ने कहा कि उसके सहयोगियों और दर्शकों ने आपके दिल से किए गए इस उत्कृष्ट रिपोर्टिंग की सराहना की है।
इस वीडियो को साझा करते हुए सारा ने लिखा कि रिपोर्टर के तौर पर मैं अपने काम को भले ही अच्छे से नहीं कर पाई लेकिन अब वापस उस समय को नहीं लाया जा सकता है।
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— Faith Abubéy (@ReporterFaith) January 12, 2021
दि ग्रोथ स्कूल के एसोसिएट पार्टनर के रूप में समाचार4मीडिया पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के इच्छुक लोगों के लिए कार्यशाला शुरू करने जा रहा है।
इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना ने सारे संसार को घुटनों पर ला दिया। कई व्यवसाय बंद हो गए, नौकरियां खत्म हुईं और वेतन घट गए। इस महामारी से मीडिया उद्योग भी अछूता नहीं रहा और बहुत से मीडिया घरानों के शटर गिर गए। कई अखबारों के अलाभप्रद संस्करण बंद हो गए। पत्रकारों और मीडिया उद्योग से जुड़े बहुत से कर्मियों का बड़ा वर्ग सड़क पर आ गया। जब तक लोग नौकरी में थे, सुखी थे, कंफर्ट जोन में थे, कुछ और सोचने की जरूरत ही नहीं थी। बेरोजगार हुए तो बहुत से लोगों ने विकल्पों के बारे में सोचना शुरू किया और कुछ लोगों ने अलग-अलग छोटी-मोटी नौकरियां पकड़ लीं, पर कुछ लोगों ने उद्यम की राह पकड़ी। इतिहास गवाह है कि जब-जब भी मंदी आती है या नौकरियों का अकाल पड़ता है तो उद्यम सबसे ज्यादा अच्छा विकल्प बनकर उभरता है और ज्यादा से ज्यादा लोग उद्यमी बनने के रास्ते तलाशते हैं।
मीडिया उद्योग में पिछले कई सालों से यह हो रहा है कि रिटायर होने के बाद, नौकरी से इस्तीफा देने के बाद या नौकरी से निकाल दिए जाने के बाद बहुत से पत्रकारों ने न्यूज पोर्टल बना लिए। पत्रकार रह चुकने के कारण उन्हें शायद यह सबसे आसान विकल्प लगा। दिक्कत यह है कि ऐसे बहुत से लोग बहुत छोटे से दायरे में सिमटकर रह गए और लॉकडाउन के समय उनकी दिक्कतें और बढ़ गईं,क्योंकि आय के साधन नहीं बचे। अब सवाल यह है कि जब नौकरियों का अकाल हो और व्यवसाय का आसान विकल्प भी न रह गया हो तो क्या किया जाए।
इस सारी स्थिति के मद्देनज़र दि ग्रोथ स्कूल के एसोसिएट पार्टनर के रूप में समाचार4मीडिया ने एक अनूठी पहल करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के इच्छुक लोगों के लिए वेबिनार शुरू किये हैं। इस विशिष्ट कार्यशाला में पत्रकारिता, खासकर हिंदी पत्रकारिता का ज्ञान रखने वाले लोगों को नौकरी के अलावा उद्यमी बनने के नए विकल्पों की जानकारी भी दी जाएगी, ताकि पत्रकारिता का ज्ञान रखने वाले लोग सिर्फ नौकरी के ही मोहताज न रहें। मीडिया जगत इस समय गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है, इस दौर में आत्मनिर्भरता का यह प्रयास समय की आवश्यकता है।।
समाचार4मीडिया के पूर्व संपादक, प्रसिद्ध लेखक, स्तंभकार और मोटिवेशनल स्पीकर पी.के. खुराना इस ऑनलाइन शिविर का संचालन करेंगे, जो 30 और 31 जनवरी 2021 को दोनों दिन प्रात:10 बजे से दोपहर एक बजे तक और फिर अपराह्न तीन बजे से शाम छह बजे तक चलेगा।
पी.के खुराना ने दैनिक भास्कर और पंजाब केसरी सहित कई मीडिया घरानों और प्रेस क्लबों के लिए पत्रकारिता कार्यशालाओं का सफल संचालन किया है। व्यावहारिक गतिविधियों से भरपूर उनकी कार्यशालाएं सदैव एक आनंददायक अनुभव होती हैं। अपने चुटीले अंदाज में वे प्रतिभागियों को सफलता की राह पर ले चलते हैं। यानी, वे सिर्फ पत्रकारिता के क्षेत्र में सफल होना ही नहीं सिखाते, बल्कि यह भी सिखाते हैं कि तनावरहित जीवन जीते हुए खुश कैसे रहा जाए।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।जसविंदर सिंह पूर्व में विजक्राफ्ट (Wizcraft) और जागरण सॉल्यूशंस (Jagran Solutions) आदि संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
देश के बड़े मीडिया नेटवर्क्स में शुमार ‘टीवी9 नेटवर्क’ (TV9 Network) ने जसविंदर सिंह (Jaswinder Singh) को वाइस प्रेजिडेंट (स्पेशल प्रोजेक्ट्स और इवेंट्स) के पद पर नियुक्त किया है। अपनी नई भूमिका में वह रेवेन्यू आधारित तमाम पहलों का नेतृत्व करेंगे।
जसविंदर सिंह को इंडस्ट्री में काम करने का 18 साल से ज्यादा का अनुभव है। पूर्व में वह विजक्राफ्ट (Wizcraft) और जागरण सॉल्यूशंस (Jagran Solutions) आदि संस्थानों में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं। टीवी9 नेटवर्क’ को जॉइन करने से पहले वह ‘जी मीडिया’ (Zee Media) की इनोवेशन सैल (Innovation cel) का हिस्सा थे।
इस बारे में टीवी9 स्टूडियो के सीओओ (डिजिटल और ब्रॉडकास्टिंग) रक्तिम दास ने कहा, ‘हम नेटवर्क में जसविंदर सिंह की नियुक्ति का स्वागत करते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हमें उनके अनुभवों का काफी लाभ मिलेगा और हम इंडस्ट्री में नए बेंचमार्क स्थापित करेंगे।’
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यू-ट्यूब ने अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चैनल को अस्थाई तौर पर निलंबित कर दिया है। अब इस चैनल पर अब सात दिन तक कोई नया वीडियो अपलोड नहीं किया जा सकेगा। साथ ही अपलोड किए गये उनके नए वीडियो को भी हटा दिया है।
'भड़काने वाले बयान बर्दाश्त नहीं' यू-ट्यूब ने अपने बयान में कहा है कि यू-ट्यूब हिंसा भड़काने या लोगों को उकसाने वाले कंटेट को लेकर संवेदनशील है और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नया वीडियो यू-ट्यूब की नीतियों का उल्लंघन करता है, लिहाजा राष्ट्रपति ट्रंप का नया वीडियो यू-ट्यूब से हटा दिया गया है। इसके साथ ही यू-ट्यूब ने राष्ट्रपति ट्रंप के चैनल पर स्ट्राइक भी किया है, जिसका मतलब ये है कि अब राष्ट्रपति ट्रंप अगले एक हफ्ते तक अपने यू-ट्यूब चैनल पर ना तो नया वीडियो अपलोड कर सकते हैं और ना ही लाइव स्ट्रीमिंग ही कर सकते हैं।
'ट्रंप के चैनल पर भड़काने वाले कंटेंट' यू-ट्यूब ने अपने बयान में कहा है कि राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के चैनल पर जो वीडियो पोस्ट किया गया था उसकी सावधानीपूर्वक समीक्षा की गई है, जिसके बाद वीडियो के कंटेट में हमने हिंसा भड़काने वाले कंटेंट को पाया है, जो हमारी नीतियों का उल्लंघन करता है, लिहाजा ट्रंप के चैनल से नए वीडियो को हटाते हुए उनके चैनल को एक हफ्ते के लिए बैन कर दिया गया है।'
इससे पहले भी यू-ट्यूब ट्रंप के चैनल पर आने वाले कॉमेंट पर हिंसा भड़काने का हवाला देते हुए पाबंदी लगा चुका है। 6 जनवरी को कैपिटल हिल दंगे के बाद पूरी दुनिया में राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना हो रही है। हेट स्पीच, दंगा भड़काने और समर्थको को उकसाने के आरोप में ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट को स्थायी तौर पर बंद कर दिया था। वहीं अमेरिकी सिविल राइट ग्रुप ने यू-ट्यूब से ट्रंप के चैनल को बंद करने की मांग करते हुए कहा था कि यदि गूगल यू-ट्यूब से डोनाल्ड ट्रंप के चैनल को नहीं हटाता है, तो फिर यू-ट्यूब पर आने वाले विज्ञापनों का बहिष्कार किया जाएगा।
मंगलवार को दिए गये इस बयान के बाद बुधवार को ही यू-ट्यूब ने ट्रंप के चैनल को एक हफ्ते के लिए बैन कर दिया है। ट्रंप पर 'सोशल' पाबंदियां यू-ट्यूब से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को ट्विटर, फेसबुक और स्नैप इंक स्थायी तौर पर बैन कर चुका है। डोनाल्ड ट्रंप के यू-ट्यूब चैनल को 2.76 मीलियन लोगों ने सब्सक्राइब किया हुआ है। आरोप था कि अभी भी डोनाल्ड ट्रंप अपने यू-ट्यूब चैनल के जरिए लोगों को हिंसा के लिए भड़का रहे हैं।
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पार्थो दासगुप्ता को अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने मामले को 15 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है
टीआरपी (TRP) से छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) पार्थो दासगुप्ता ने सोमवार को मुंबई की सेशंस कोर्ट से जमानत मांगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिवक्ता शार्दुल सिंह ने दासगुप्ता की जमानत के लिए कोर्ट के समक्ष तमाम तर्क दिए। इसके साथ ही उन्होंने मुंबई पुलिस के उन आरोपों का खंडन किया कि टीआरपी में हेरफेर के लिए दासगुप्ता ने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया। शार्दुल सिंह ने तर्क दिया कि डाटा को हंसा रिसर्च कंपनी द्वारा एकत्रित व आपूर्ति किया गया और दासगुप्ता का इस पर बहुत कम नियंत्रण था।
शार्दुल सिंह का कहना था कि ऐसे कोई भी सबूत नहीं है कि दासगुप्ता की ओर से बेईमानी की गई। धोखाधड़ी अथवा भरोसे को तोड़े जाने के मामले में कोई शिकायतकर्ता होना चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है।
शार्दुल सिंह ने तर्क दिया कि कथित टीआरपी घोटाले से प्रभावित लोग मीडिया संस्थान और विज्ञापनदाता हैं, जो शिकायतकर्ता के रूप में आगे नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने ऐसा नहीं किया है, क्योंकि कोई भी विज्ञापनकर्ता धोखा नहीं दे रहा है।
शार्दुल सिंह का कहना था कि दासगुप्ता को जेल में रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि BARC के सीईओ के पद पर रहते हुए दासगुप्ता द्वारा इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स पुलिस द्वारा जब्त किए जा चुके हैं।
शार्दुल सिंह ने BARC इंडिया के पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) रोमिल रामगढ़िया का उदाहरण भी दिया, जिन्हें इस मामले में जमानत पर छोड़ दिया गया था। इसके साथ ही शार्दुल सिंह ने जोर देकर कहा कि दासगुप्ता डायबिटीज के मरीज हैं।
तमाम तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने दासगुप्ता को अंतरिम जमानत देने से इनकार करते हुए मामले को 15 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया और कहा कि इसके बाद कोई और स्थगन नहीं दिया जाएगा।
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