‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) के पिच टॉप 50 ब्रैंड्स के रंगारंग समारोह में...
‘एक्सचेंज4मीडिया’(exchange4media) के पिच टॉप 50 ब्रैंड्स(Pitch Top 50 Brands) के रंगारंग
समारोह में 'एक्सचेंज4मीडिया' के
रुहैल अमीन ने 'जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड' के वाइस प्रेजिडेंट मेहराज दुबे से 'New League of National
Channels' पर बातचीत की। मेहराज इन दिनों 'जी
मीडिया कॉर्प' के मार्केटिंग डिपार्टमेंट की कमान संभाले हुए
हैं।
प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश:
आजकल मार्केट में पहले से ही बहुत सारे चैनल्स हैं और
मारामारी मची हुई है। ऐसे में एक और चैनल को लॉन्च करने के पीछे क्या सोच अथवा
उद्देश्य था?
आपका कहना बिल्कुल सही है। आजकल मार्केट में बहुत सारे
न्यूज और टीवी चैनल्स हैं जबकि टीवी स्क्रीन एक ही है। यह स्थिति अखबार के बिल्कुल
विपरीत है, जहां पर दूसरे पेज के लिए हमेशा स्कोप रहता है। नए चैनल को लॉन्च करने
के पीछे यही सोच थी कि दर्शकों को अलग सेगमेंट में कुछ परोसा जाए। आजकल न्यूज
चैनल्स तो बहुत सारे हैं लेकिन वे सिर्फ नेशनल न्यूज चैनल हैं। 'जी हिन्दुस्तान' को शुरू करने के पीछे यही सोच थी
कि दिल्ली-मुंबई से हटकर भी कुछ देखा जाए।
'जी मीडिया' के 40 से ज्यादा न्यूज चैनल्स और अन्य न्यूज ब्रैंड्स सिर्फ स्टोरी के बारे में बताते हैं। दिल्ली और मुंबई से हटकर भी कई स्टोरी दिखाई गई है। पूरे देश से कई अच्छी स्टोरीजी आती है। 'जी हिन्दुस्तान' यह ऐसा हिंदी न्यूज चैनल है जिसकी शुरुआत में दक्षिण भारत में भी डिस्ट्रिब्यूशन किया गया है और सिर्फ एक साल के अंदर ही 50 मिलियन दर्शक हर हफ्ते ये चैनल देखते हैं।
जब आप ब्रैंड बिल्डिंग की बात करते हैं तो इसमें आपकी कंपनी के नाम का कितना योगदान रहता है और उसकी कितनी मदद मिलती है?
बिल्कुल, हमारे पास आज काफी
संसाधन और मजबूती है। लेकिन यदि मैं यह कहूं कि ये सोचना 'जी' के लिए एक और चैनल लॉन्च करना बहुत आसान था, तो यह
व्युअर्स की ताकत को कम करके आंकना होगा। न्यूज व्युअर्स आजकल काफी स्मार्ट हो
गए हैं। उनके पास बहुत सारे विकल्प हैं। उन्हें पारदर्शिता पसंद है और वे आपके
झुकाव और तटस्थता को तेजी से समझ जाते हैं। ऐसे में यह किसी के लिए आसान नहीं है।
'Zee Hindustan' की लॉन्चिंग के बाद क्या
आपको लगता है कि आप अपने ही चैनल्स 'WION' और 'Zee
News' से मुकाबला कर रहे हैं?
ऐसा नहीं है। किसी भी नए चैनल के लिए मार्केट में हमेशा
स्पेस रहता है और हम अपने आप में ही प्रतिस्पर्धा नहीं करते हैं। वे अलग तरह के
चैनल्स हैं। शहरी मार्केट में बिना ज्यादा परेशानी के उत्तर प्रदेश समेत विभिन्न
ग्रामीण क्षेत्रों में 'जी हिन्दुस्तान' काफी अच्छा कर रहा है। यहां तक कि कई ट्रेडिशनल न्यूज चैनलों को यह कड़ी
चुनौती दे रहा है।
रीजनल की बात करें तो आप इस मार्केट में किस तरह की
ग्रोथ देख रहे हैं, क्या आप नितांत लोकल (Hyper Local) बनने जा रहे हैं अथवा आप सिर्फ हिंदी में
काम कर रहे हैं?
अंग्रेजी न्यूज जो कि हफ्ते में 5 से 6 मिलियन दर्शक जुटाने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं, के विपरीत रीजनल और हिंदी न्यूज चैनल्स में बहुत संभावनाएं हैं। ये सही है कि कई बार आपके नेशनल ब्रैंड्स और रीजनल ब्रैंड्स एक-दूसरे के पूरक बन जाएंगे क्योंकि ऐसा नहीं है कि रीजनल न्यूज व्युअर्स नेशनल चैनल्स अथवा नेशनल स्टोरीज नहीं देखते हैं।
हम अपनी बात करें तो हम ऐसी स्टोरी दिखाते हैं जो समय और दर्शकों के हिसाब से फिट बैठती हैं और इससे कोई समस्या नहीं रहती है। कुछ लोग सोचते हैं कि रीजनल चैनल्स नेशनल चैनल्स की कीमत पर दिखाए जाते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता। वहीं कुछ लोग ये भी सोचते हैं कि नेशनल न्यूज चैनल्स के लिए अब कोई जगह नहीं बची है, हालांकि मेरी राय इससे थोड़ी अलग है।
मेरा मानना है कि यदि टीवी में ग्रोथ आती है तो यह रीजनल सेगमेंट से आएगी।
डिजिटल की ग्रोथ को आप कैसे देख रहे हैं और इस बारे में
आपका क्या कहना है?
आजकल डिजिटल पर भी काफी न्यूज देखी जा रही है और यह
मीडियम काफी आगे बढ़ रहा है। मेरा मानना है कि यह सब ब्रैंड पर निर्भर करता है। व्युअर्स
को इससे कोई ज्यादा मतलब नहीं है कि स्टोरी टीवी पर अथवा डिजिटल में देखी, उसे स्टोरी से मतलब होता है। मेरा मानना है कि हम ऐसे मार्केट में प्रवेश
कर रहे हैं जहां पर स्टोरी बहुत महत्वपूर्ण है और ब्रैंड भी काफी महत्वपूर्ण
है।
स्टोरी की बात करें तो उसके कई पैरामीटर होते हैं जैसे- स्टोरी किसने बताई, क्या यह विश्वसनीय थी? क्या व्युअर्स ने उसको तवज्जो दी जिसने स्टोरी दिखाई? जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि कंज्यूमर्स आजकल बहुत स्मार्ट हो गए हैं? वे सब जानते हैं कि आप क्या हैं और क्या दिखाना चाह रहे हैं? आजकल उनके पास ढेरों विकल्प हैं। रही बात डिजिटल की तो हमारे न्यूज बिजनेस में इसने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है, 150 मिलियंस पेज व्यूज के साथ। हमारे ब्रैंड्स इस मार्केट में बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
मार्केट में फिलहाल 800 से ज्यादा टीवी चैनल्स हैं।
क्या आपको लगता है कि अभी भी और चैनल्स के लिए गुंजाइश है?
यह कहना बहुत ही मुश्किल है कि भविष्य में क्या होगा।
मार्केट में न्यूज ऑडियंस की बहुत सारी कम्युनिटीज हैं। आप इनमें से एक, दो, तीन अथवा चार का चुनाव कर सकते हैं। मैं न्यूज
चैन्लों की संख्या पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि
उनमें से कई खत्म हो जाएंगे। यह तो मार्केट में टिकने की बात है। हम तो सिर्फ स्टोरीटैलर्स
हैं और हमें लोगों को ऐसी स्टोरी बतानी हैं, जिस पर लोग
विश्वास करते हैं।
हां, मार्केट और कड़ा होने जा रहा है।
हालांकि पहले ऐसा नहीं था। यदि 10-15 साल पहले की बात करें तो मैं एक संवाददाता
हुआ करता था और हमारे पास सिर्फ 2-3 न्यूज चैनल्स ही थे। अब तो हमारे चैनल्स भिन्न-भिन्न आधार यानी A LA CARTE की तरह उपलब्ध हैं। केबल अथवा डीटीएच प्लेटफॉर्म्स के द्वारा लोग उन चैनल्स को चुनकर
ले सकते हैं, जिन्हें वे देखना चाहते हैं। अब काफी
पारदर्शिता हो गई है और लोगों के पास ढेरों विकल्प भी हैं।
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मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक पत्रकार द्वारा जहर खाकर आत्महत्या किए जाने का मामला सामने आया है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक पत्रकार द्वारा जहर खाकर आत्महत्या किए जाने का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले 20 वर्षों से जुड़े और विभिन्न समाचार पत्रों में काम कर चुके पत्रकार अनिल भलिका इन दिनों एक स्थानीय न्यूज चैनल में कार्यरत थे। निजातपुरा निवासी अनिल ने शनिवार की सुबह घर में पौधों में डालने वाला कीटनाशक पी लिया। इसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई। अनिल की पत्नी पत्नी नीता उन्हें जिला चिकित्सालय लेकर पहुंची, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मामले में कुछ लोगों का कहना है कि अनिल कुछ समय से आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, जिस कारण उन्होंने यह कदम उठाया है। फिलहाल पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।यह अवॉर्ड हर साल ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने अपने आइडिया अथवा कामों से इंडस्ट्री की दशा और दिशा को बदलने में महत्वपूर्ण काम किया है।
‘इनमोबी और ग्लांस’(InMobi & Glance) के फाउंडर और सीईओ नवीन तिवारी को ‘एक्सचेंज4मीडिया इन्फ्लुएन्सर ऑफ द ईयर’ (exchange4media Influencer of the Year Award) अवॉर्ड 2020 से सम्मानित किया गया है। शुक्रवार को आयोजित एक कार्यक्रम में नवीन तिवारी को यह अवॉर्ड दिया गया। यह अवॉर्ड हर साल ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने अपने आयडिया अथवा कामों से इंडस्ट्री की दशा और दिशा को बदलने में महत्वपूर्ण काम किया है।
नवीन तिवारी को थोड़े से समय में ही उनके द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने एक स्टार्ट-अप कंपनी को एक सफल ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी में परिवर्तित कर अपनी खास पहचान बनाई है।
ग्लोबल कंसल्टेंसी कंपनी ‘मैकिन्से’ (McKinsey) में संक्षिप्त पारी के बाद नवीन तिवारी ने वर्ष 2008 में ‘इनमोबी’ (InMobi) की स्थापना कर एंटरप्रिन्योरशिप की दुनिया में कदम रखा था। उनके नेतृत्व में भारत की पहली यूनिकॉर्न कंपनियों में से एक ‘इनमोबी’ ने अब खुद को दुनिया के अग्रणी एडवर्टाइजिंग प्लेटफॉर्म के रूप में स्थापित कर लिया है। बता दें कि जब कोई कंपनी एक अरब डॉलर का वैल्यूएशन हासिल करती है, तो उसे यूनिकॉर्न कहा जाता है। तिवारी के दूसरे बिजनेस वेंचर ‘ग्लांस’ (Glance) ने भी यूजर्स के बीच अपनी खास पहचान बना ली है। नवीन तिवारी ‘पेटीएम’ (Paytm) के बोर्ड मेंबर भी रह चुके हैं।
यह प्रतिष्ठित अवॉर्ड मिलने पर नवीन तिवारी ने कहा, ‘मैं काफी शुक्रगुजार हूं और अपनी टीम की ओर से इस अवॉर्ड को स्वीकार करता हूं, जिसने अपनी मेहनत से यह सब कर दिखाया है। पिछला साल देखें तो एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि जीवन में बहुत सी बड़ी चीजें हैं, जिनकी हमने पहले कल्पना नहीं की थी। e4m एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है, जो लोगों के काम की पहचान कर उन्हें सम्मानित करता है। यह अवॉर्ड मिलने पर मैं काफी खुश हूं।’
इस कार्यक्रम के दौरान नवीन तिवारी और ‘बिजनेस वर्ल्ड’ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ ग्रुप के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा के बीच सवाल-जवाब का दौर भी चला। इस दौरान यह पूछे जाने पर कि पिछले 12 महीने उनके लिए कैसे रहे हैं और इस समय से उन्हें क्या सीखने को मिला, तिवारी ने कहा कि दुनिया पिछले 12 महीनों में हुई हर चीज से प्रभावित हुई है। हालांकि शारीरिक व मानसिक तौर पर यह लोगों के लिए काफी मुश्किल समय रहा है, लेकिन कुछ चीजें विकसित भी हुई हैं। मैं अपने बिजनेस की बात करूं तो डिजिटल काफी तेजी से आगे बढ़ा है। व्यक्तिगत रूप से अपनी बात करूं तो इन महीनों में मेरी सोच में काफी महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं और जीवन जीने के तरीकों में काफी बदलाव आया है। उम्मीद है कि आगे काफी अच्छा होगा।
बता दें कि ‘एक्सचेंज4मीडिया इन्फ्लुएन्सर ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड 2016 में शुरू हुआ था। उस साल ‘वायकॉम 18’ (Viacom18) के तत्कालीन सीओओ राज नायक को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। वर्ष 2017 में इस अवॉर्ड से ‘डब्ल्यूपीपी इंडिया’ (WPP India) के कंट्री मैनेजर सीवीएल श्रीनिवास को सम्मानित किया गया था। वर्ष 2018 में यह अवॉर्ड ‘डेलीहंट’ (Dailyhunt) के फाउंडर और सीईओ वीरेंद्र गुप्ता और इसके को-फाउंडर उमंग बेदी को दिया गया था, जबकि पिछले साल ‘गूगल इंडिया’ (Google India) के कंट्री मैनेजर संजय गुप्ता को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
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लोकप्रिय तमिल दैनिक अखबार 'दिनामलार' के पूर्व संपादक और प्रसिद्ध मुद्राविज्ञानविद् आर. कृष्णमूर्ति का गुरुवार को चेन्नई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 88 साल के थे। उनके परिवार में पत्नी, दो बेटे और दो बेटियां हैं।
इस बात की जानकारी देते हुए ‘दिनामलार’ के संपादक के रामासुब्बू ने कहा, ‘उन्हें गुरुवार सुबह उनके आवास पर दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया।’
‘आरके’ नाम से प्रसिद्ध कृष्णमूर्ति 1956 में ‘दिनामलार’ से जुड़ने के बाद 1977 में उसके संपादक बन गए, जिसकी स्थापना उनके पिता टी.वी. रामासुबियर ने की थी।
वह प्रेसीडेंसी कॉलेज से भूविज्ञान में स्नातकोत्तर थे। उन्होंने 1977 में प्रसिद्ध 'पेरियार' लिपि पेश की थी। बाद में, तमिलनाडु सरकार ने पाठ्य पुस्तकों में इस लिपि को पेश किया और आज भी इसका व्यापक उपयोग किया जाता है।
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फर्जी टीआरपी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भी अपनी समानांतर जांच शुरू करने की खबर सामने आई है। सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार, जांच एजेंसी ने पिछले सप्ताह ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के सीईओ सुनील लुल्ला को कथित रूप से समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था।
सूत्रों की बात पर यदि भरोसा करें तो लुल्ला को पूछताछ के लिए दिल्ली बुलाया गया था, जो कुछ घंटों तक चली। सूत्रों की मानें तो सीबीआई द्वारा लुल्ला की कोर टीम के कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से भी पूछताछ की गई।
हालांकि, बार्क की ओर से इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है और इस बारे में पुष्टि के लिए भेजे गए किसी भी मेल का कोई जवाब नहीं दिया गया है। गौरतलब है कि इसी साल जनवरी में ‘प्रवर्तन निदेशालय’ (Enforcement Directorate) ने भी बार्क में विसंगतियों को लेकर बार्क के वरिष्ठ अधिकारियों और सुनील लुल्ला की टीम के सदस्यों को पूछताछ के लिए समन जारी किया था।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘बार्क में मीजरमेंट साइंस के चीफ और सीनियर मैनेजमेंट टीम के सदस्य डॉ. डेरिक ग्रे (Dr Derrick Gray) से मुंबई में पूछताछ की जा रही है। ईडी के कुछ अधिकारी भी बार्क के ऑफिस में टीआरपी केस को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ कर रहे हैं।’
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय ने दिसंबर 2020 में मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज मामले के आधार पर एफआईआर की तरह Enforcement Case Information Report (ECIR) दर्ज की थी। गौरतलब है कि टीआरपी से छेड़छाड़ का मामला अक्टूबर में तब सामने आया था, जब ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा देश में टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए घरेलू पैनल के प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी ‘हंसा रिसर्च’ (Hansa Research) के अधिकारी नितिन देवकर ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया था जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं, उन घरों को भुगतान करके कुछ टीवी चैनल्स दर्शकों की संख्या में हेरफेर कर रहे हैं।
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दक्षिणी दिल्ली में ऑटो सवार एक पत्रकार के साथ मोबाइल झपटमारी का मामला सामने आया है। पीड़ित पत्रकार की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर झपटमारों की तलाश शुरू कर दी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक न्यूज एजेंसी में पत्रकार कुणाल दत्त मंगलावार की शाम मोदी मिल फ्लाईओवर पर जा रहे थे। इसी बीच पीछे से मोटरसाइकिल पर आए तीन बदमाश उनका मोबाइल छीनकर भाग गए।
पीड़ित पत्रकार ने इस बात की शिकायत न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस स्टेशन में की, जिसके बाद देर रात पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली। तीनों बदमाशों का पता लगाने के लिए पुलिस इलेक्ट्रॉनिक सर्विलॉन्स का सहारा भी ले रही है।
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कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.शमा मोहम्मद का कहना है कि डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स को विनियमित (regulate) करने के लिए सरकार की हालिया अधिसूचना डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को दबाने का एक प्रयास है।
‘गवर्नेंस नाउ’ (Governance Now) के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी के साथ एक बातचीत में शमा मोहम्मद का कहना था, ‘सिर्फ डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म्स ही वह बात कहने में सक्षम हैं, जो वह कहना चाहते हैं, इसलिए सरकार अब इन्हें दबाने का प्रयास कर रही है।’
पब्लिक पॉलिसी प्लेटफॉर्म पर ‘विजिनरी टॉक सीरीज’ (Visionary Talk series) के तहत होने वाले इस वेबिनार के दौरान डॉ.शमा मोहम्मद ने कहा, ‘नियम सभी के लिए समान होने चाहिए। बीजेपी की तरफ से तमाम फर्जी खबरें आ रही हैं। यह दिखाता है कि इस तरह की चीजों में पार्टी की मंजूरी होती है।’
कांग्रेस के भीतर असंतोष को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में डॉ.शमा ने कहा कि बीजेपी के विपरीत जहां पर लोग अपने नेता के साथ बैठने में डरते हैं, कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है। प्रधानमंत्री का नाम लिए बिना शमा मोहम्मद का कहना था कि वह अभी सुप्रीम लीडर हैं और वही करते हैं जो चाहते हैं।
शमा मोहम्मद ने कहा, ‘हमें लोगों की बात सुननी होगी और किसानों के मुद्दों को समझना होगा। इन किसानों ने हरित क्रांति के दौरान हमारी मदद की है। तमाम किसानों के बेटे सेना में हैं। हमें लोगों के मुद्दों को समझना होगा। इस सरकार में किसी भी तरह की सहानुभूति का पूरी तरह अभाव है। काफी बेरोजगारी है, महंगाई बढ़ रही है और गरीबों के लिए किसी तरह का कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं है। शासन तब अच्छा होता है, जब लोगों के पास पैसा हो, वे खुश हों और उनके पास घर हों।’
उन्होंने कहा कि कृषि कानून संसद में बिना बहस और चर्चा के पारित हो गए। जब उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जाने को कहा गया। शमा मोहम्मद के अनुसार, ‘इस बिल पर संसद में चर्चा और बहस की जरूरत है। सभी चीजों को सुप्रीम कोर्ट क्यों जाना चाहिए। हम इस सरकार से कुछ भी पूछते हैं तो हमें कहा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल करें। जब हमने राफेल लड़ाकू विमानों पर एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने के लिए कहा, तब भी उन्होंने हमें सुप्रीम कोर्ट में जाने के लिए कहा।’
मोहम्मद ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी और जब उस पर आरोप लगाए गए थे, तो पार्टी अगस्ता वेस्टलैंड समेत सभी मामलों के लिए संयुक्त संसदीय समिति के लिए तैयार थी। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी काफी पारदर्शी थी और जब भी कांग्रेस के किसी मंत्री के खिलाफ कोई आरोप लगता था, तो पार्टी पारदर्शी जांच के लिए मंत्री को इस्तीफा देने के लिए कहती थी। कांग्रेस ने पारदर्शिता का सबसे बड़ा हथियार लोकपाल को बनाया था और तब गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए मोदी ने लोकपाल का विरोध किया था और इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट गए थे।’
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कोरोना महामारी के बीच खड़े हुए आर्थिक संकट का सामना मीडिया इंडस्ट्री को भी करना पड़ा है। कुछ कंपनियां अब इससे ऊबर रहीं हैं, तो कुछ ऐसी भी रही हैं जो बंद तक हो गई हैं। पिछले साल के शुरुआत में एक ऐसा मीडिया वेंचर शुरू हुआ था, जो संसदीय कार्यप्रणाली, संसद व सांसदों से जुड़ी खबरों से आपको रूबरू कराता है। इस मीडिया वेंचर का नाम है ‘पार्लियामेंट्री बिजनेस’। यह मीडिया वेंचर भी देश में आए आर्थिक संकट के प्रभाव से बच न सका और भंवर में फंसकर डूबने लगा। हालात ये हो गए कि एम्प्लॉयीज की सैलरी में देरी होने लगी, जिसकी वजह से कई एम्प्लॉयीज ने कंपनी को बाय बोलकर इससे दूरी बना ली।
लेकिन अब जब कई कंपनियां इस संकट से उबरने लगी हैं, तो यह वेंचर भी अपने मार्ग को प्रशस्त करने में जुट गया है और जल्द ही री-लॉन्च की तैयारी कर रहा है। इसी कवायद के तहत वह अपने पूर्व कर्मचारियों के बकाए का भुगतान करने लगा है। इस बीच कंपनी का कहना है कि जिन लोगो के पास कंपनी का कोई भी एसेट किसी ना किसी रूप मे उपलब्ध है, उसे वापस करने के बाद ही उसका भुगतान किया जाएगा।
वहीं कंपनी के प्रबंधन ने उन एम्प्लॉयीज के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की बात कही है, जिन लोगो ने स्वयं ताला लगाकर कंपनी को बदनाम करने की साजिश रची है। यह कार्यवाही सीसीटीवी फुटेज के आधार पर की जाएगी। साथ ही कंपनी ने उन लोगों के नाम भी सार्वजनिक करने की बात कही है।
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सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने दूसरा महत्वपूर्ण दायित्व भारतीय सूचना सेवा के 1988 बैच के अधिकारी सत्येन्द्र प्रकाश को दिया है।
प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) के प्रधान महानिदेशक (Principal Director General) के पद पर भारतीय सूचना सेवा के वरिष्ठ अफसर जयदीप भटनागर को नियुक्त किए जाने के बाद सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने दूसरा महत्वपूर्ण दायित्व भारतीय सूचना सेवा के 1988 बैच के अधिकारी सत्येन्द्र प्रकाश को दिया है। सत्येन्द्र प्रकाश को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए उन्हें ब्यूरो ऑफ आउटरीच कम्युनिकेशन (बीओसी) का प्रधान महानिदेशक बनाया गया है। उन्हें दी गई नई जिम्मेदारी 1 मार्च 2021 से मान्य है।
सत्येन्द्र प्रकाश मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं। सत्येन्द्र प्रकाश प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो से विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) में स्थानांतरित हुए थे और वहां उन्होंने लगातार महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई। डीएवीपी के महानिदेशक बने और डीएवीपी को ब्यूरो ऑफ आउटरीच कम्युनिकेशन का स्वरूप दिए जाने के बाद उन्हें इसका महानिदेशक (Director General) नियुक्त किया गया था और तब से वे इसी पद पर कार्यरत थे।
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‘एंटर10’ (Enterr10) मीडिया के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर दीप द्रोण (Deep Drona) ने कंपनी को बाय बोल दिया है। वह करीब एक साल से इस कंपनी में कार्यरत थे। बताया जाता है कि वह इस महीने के अंत तक कंपनी के साथ बने रहेंगे।
‘एंटर10’ मीडिया में सीओओ के तौर पर नेटवर्क की पूरी ग्रोथ की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी। इस नेटवर्क में Dangal TV, Enterr10 Movies, Bhojpuri Cinema, Fakt Marathi और Enterr10 Bangla चैनल्स शामिल हैं। ‘एंटर10’ मीडिया में दीप द्रोण कंपनी के एमडी मनीष सिंघल को सीधे रिपोर्ट करते थे। फरवरी 2020 में ‘एंटर10’ को जॉइन करने से पूर्व वह ‘ITW Consulting’ में चीफ बिजनेस ऑफिसर के तौर पर अपनी भूमिका निभा रहे थे।
दीप द्रोण को करीब ढाई दशक का अनुभव है। पूर्व में वह ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया’ (SPNI) में लंबी पारी खेल चुके हैं। ‘सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स’ से पहले वह ‘श्री अधिकारी ब्रदर्स’ (Sri Adhikari Brothers) टेलिविजन नेटवर्क के साथ जुड़े हुए थे। दीपी द्रोण ने ‘निंबस कम्युनिकेशन’ (Nimbus Communication) से अपने टीवी करियर की शुरुआत की थी।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।ट्राई के चेयरमैन पीडी वाघेला और सचिव एसके गुप्ता की मौजूदगी में हुई इस बैठक में तमाम ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों के सीईओ और प्रबंधन से जुड़े शीर्ष अधिकारियों ने आगामी वित्तीय वर्ष की योजनाओं पर चर्चा की।
‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण’ (TRAI) ने सोमवार को तमाम ब्रॉडकास्टिंग कंपनियों के सीईओ और प्रबंधन से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के साथ एक बैठक में आगामी वित्तीय वर्ष की योजनाओं पर चर्चा की।
ट्राई के चेयरमैन पीडी वाघेला और सचिव एसके गुप्ता की मौजूदगी में हुई इस बैठक में डिश टीवी के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर जवाहर गोयल, टाटा स्काई के एमडी और सीईओ हरित नागपाल, डेन नेटवर्क्स के सीईओ एसएन शर्मा, सिटी नेटवर्क्स के सीईओ अनिल मल्होत्रा और एबीपी नेटवर्क के सीईओ अविनाश पांडेय भी शामिल हुए।
बताया जाता है कि बैठक में डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स ऑपरेटर्स (DPOs) सिस्टम के ऑडिट जैसे-कंडीशनल एक्सेस सिस्टम (CAS) और सबस्क्राइबर मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) पर भी चर्चा हुई। ब्रॉडकास्टर्स इस बात से नाखुश थे कि डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स ऑपरेटर्स ऑडिट संबंधी गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा नेटवर्क कैपेसिटी फीस (NCF) को दो साल तक अपरिवर्तित रहने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बारे में ट्राई के सचिव एसके गुप्ता का कहना था कि यह हर साल की तरह होने वाली एक नियमित बैठक थी, जिसमें ट्राई द्वारा स्टेकहोल्डर्स से तमाम मुद्दों पर चर्चा की जाती है। वहीं, टाटा स्काई के एमडी और सीईओ हरित नागपाल का भी कहना है कि यह बैठक इंडस्ट्री से जुड़े मामलों पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी।
नाम न छापने की शर्त पर एक केबल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के हेड ने बताया, ‘यह हर साल होने वाली एक नियमित बैठक थी, जिसमें आगामी वित्तीय वर्ष में उठाए जाने वाले कदमों को लेकर चर्चा की जाती है। ढाई से तीन घंटे चली इस बैठक में ब्रॉडकास्टर्स ने ऑडिट संबंधी मुद्दे उठाए जबकि डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म्स ऑपरेटर्स ने अनुपालन (compliance) संबंधी मुद्दों पर अपनी बात रखी।’ एक अन्य प्रमुख टीवी नेटवर्क के सीनियर एग्जिक्यूटिव के अनुसार, यह बैठक काफी अच्छी रही और इसमें सभी स्टेकहोल्डर्स के बीच स्वस्थ चर्चा हुई।
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