देश में चुनावी हलचल शुरू हो गई है। तमाम राजनीतिक दलों में से...
समाचार4मीडिया ब्यूरो।।
देश में चुनावी हलचल शुरू हो गई है। तमाम राजनीतिक दलों में से कौन जीतेगा और किसे हार का सामना करना पड़ेगा, यह तो अभी भविष्य के पहलू में छिपा है, लेकिन लोगों ने कयास लगाने शुरू कर दिए हैं। लोगों के बीच राजनीतिक दलों को लेकर क्या चर्चाएं हैं और वे चुनाव को लेकर क्या सोचते हैं, इसे लेकर बिजनेस मैगजीन ‘बिजनेसवर्ल्ड’ (BW Businessworld) ने ‘डिकोड’ (Decode) के साथ मिलकर चुनाव पूर्व सर्वे किया। आम जनता और कॉरपोरेट जगत के बीच किए गए अलग-अलग सर्वे के अनुसार, नरेंद्र मोदी सरकार ने रोजगार मुहैया कराने के मोर्चे पर निराशाजनक काम किया है, लेकिन इसके बावजूद यह सरकार सत्ता में वापस आएगी।
सर्वे के अनुसार, देश के 68 प्रतिशत लोगों को लगता है कि नौकरियों के अवसर के मामले में इस सरकार का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा है, लेकिन 64 प्रतिशत लोग इस बात को मानते हैं कि आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीत दर्ज करेंगे और सत्ता फिर उनके हाथ में होगी। आम जनता के साथ ही कॉरपोरेट जगत से जुड़े लोगों का भी यही मानना है। सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि लोग जब वोट देने जाएंगे तो नौकरियों के असंतोष के बजाय पुलवामा और बालकोटा को देखते हुए उन पर राष्ट्रवादी भावना ज्यादा भारी पड़ेगी।
सर्वे की मानें तो देश के सबसे बेहतर प्रधानमंत्री की लिस्ट में लोगों ने अटल बिहारी वाजपेयी को पहले नंबर पर रखा है। इसके बाद इस लिस्ट में नरेंद्र मोदी और फिर इंदिरा गांधी का स्थान है। वहीं, कॉरपोरेट जगत की राय इस मामले में थोड़ी जुदा है। कॉरपोरेट जगत से जुड़े लोगों ने इस लिस्ट में पहले नंबर पर नरेंद्र मोदी, फिर अटल बिहारी वाजपेयी और फिर इंदिरा गांधी को रखा है।
लोगों का मानना है कि देश में बिजनेस करना आसान हुआ है और आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार ने बड़ी सफलता हासिल की है। इसके साथ ही जीएसटी और डिजिटल इंडिया भी इस सरकार की खास उपलब्धि के तौर पर गिनी जा रही है। सर्वे की मानें तो मोदी सरकार में शामिल कई मंत्रियों ने बहुत ही बेहतर काम किया है, इसे भी मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। कॉरपोरेट इंडिया और आम लोगों के बीच कराए गए दोनों सर्वों के अनुसार मोदी सरकार में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों की लिस्ट में सबसे ऊपर नितिन गडकरी का नाम है। हाईवे के निर्माण, सागरमाला प्रोजेक्ट और मिशन नमामि गंगे जैसी योजनाएं नितिन गडकरी के नेतृत्व में ही परवान चढ़ी हैं। इसके बाद इस लिस्ट में पीयूष गोयल, अरुण जेटली, सुरेश प्रभु और सुषमा स्वराज का नाम शामिल है।
दोनों ही सर्वे के अनुसार, आज के समय में देश में रोजगार के अवसरों की कमी सबसे बड़ी चिंता का सबब बना हुआ है। देश के लोगों की मानें तो शिक्षा प्रणाली में अव्यवस्था के साथ ही खेती के मोर्चे पर संकट भी लोगों की चिंता का विषय है। वहीं, कॉरपोरेट जगत का मानना है कि नौकरियों में कमी के अलावा गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (NPAs) और शिक्षा के क्षेत्र में अव्यवस्था दो और बड़ी चुनौतियां हैं। सर्वे के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी पॉलिसी को लेकर पिछले एक साल में मोदी की व्यक्तिगत लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। वहीं, पिछले एक साल में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकप्रियता भी बढ़ी है। इसमें राफेल, नौकरियों और किसानों के मुद्दे को लेकर मोदी पर किए गए हमलों ने भूमिका निभाई है।
सर्वे के दौरान यह सवाल भी उठा कि यदि मोदी वर्ष 2019 में सत्ता में वापस आते हैं तो वित्त मंत्री की कुर्सी किसे मिलनी चाहिए? इस बारे में आम लोगों का मानना है कि नितिन गडकरी को वित्त मंत्री बनाया जाना चाहिए, क्योंकि गडकरी ने हाईवे और गंगा मंत्री के रूप में न सिर्फ अपनी भूमिका अच्छे से निभाई है, बल्कि गडकरी के प्रोजेक्ट्स से लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिला है। लेकिन, इस मामले में कॉरपोरेट जगत का नजरिया अलग है। कॉरपोरेट जगत का मानना है कि यदि नरेंद्र मोदी दोबारा से सत्ता में आते हैं तो पीयूष गोयल को वित्त मंत्री बनाया जाना चाहिए। गोयल न सिर्फ मोदी सरकार के जगमगाते सितारे हैं, बल्कि अरुण जेटली की अस्वस्थता के दौरान अंतरिम तौर पर वित्त मंत्री रह चुके हैं। आम जनता के साथ कॉरपोरेट जगत भी यही चाहता है कि नई सरकार को नौकरियों, कृषि संकट, लघु उद्योग-धंधों और एजुकेशन सेक्टर पर ध्यान केंद्रित करे। इसके साथ ही दोनों सर्वे में लोगों का यही मानना है कि नौकरियों के अवसर बढ़ाने के मामले में वाजपेयी सरकार ने सबसे ज्यादा काम किया। लोगों ने इस लिस्ट में मनमोहन सिंह की सरकार को दूसरे नंबर पर रखा है।
यह पूछे जाने पर कि मोदी सरकार का सबसे कमजोर पॉइंट कौन सा रहा है, दोनों ही सर्वे में इसे नोटबंदी बताया गया है। सर्वे में लोगों का यह भी मानना है कि आज के दौर में डाटा से छेड़छाड़ के मामले बढ़ रहे हैं और मोदी सरकार के मैनेजर्स को इस बारे में चिंता करना चाहिए। आम आदमी और कॉरपोरेट जगत के लोगों का मानना है कि यदि मोदी सरकार दोबारा सत्ता में आती है तो एयर इंडिया के बाद बीएसएनएल और एमटीएनएल के विलय की दिशा में काम होना चाहिए।
गौरतलब है कि इस सर्वे में सभी प्रमुख संसदीय क्षेत्रों के 14 केंद्रों के 5000 लोगों को शामिल किया गया, वहीं दूसरे सर्वे में कॉरपोरेट जगत के 500 लोगों की राय जानी गई।
अनुभा वर्मा इससे पहले ‘PTI’ में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।
देश की प्रमुख न्यूज एजेंसियों में शुमार ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (PTI) ने अनुभा वर्मा को चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) के पद पर नियुक्त किया है।
यह जानकारी अनुभा ने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लिंक्डइन’ (LinkedIn) पर शेयर की है।
अनुभा इससे पहले ‘PTI’ में चीफ रेवेन्यू ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। इसके अलावा वह यहां चीफ मार्केटिंग ऑफिसर भी रह चुकी हैं।
‘पीटीआई’ से पहले अनुभा ‘एएफपी’ (AFP) में सेल्स और मार्केटिंग डायरेक्टर (साउथ एशिया) के पद पर अपनी भूमिका निभा चुकी हैं।
इसके अलावा पूर्व में वह ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (Times of India) समूह में सीनियर मैनेजर (Times Syndication Service) भी रह चुकी हैं।
‘एबीपी ग्रुप’ (ABP Group) में नेशनल हेड (Ad Sales) के पद से रिटायर थॉमस अब पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े शिक्षा समूहों में से एक की कमान संभाल रहे हैं।
कोलकाता स्थित ‘RICE Adamas Group’ ने ओमन थॉमस (Oommen Thomas) को अपना ग्रुप सीईओ नियुक्त किया है।
‘एबीपी ग्रुप’ (ABP Group) में नेशनल हेड (Ad Sales) के पद से रिटायर होने के बाद थॉमस अब पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े शिक्षा समूहों में से एक की कमान संभाल रहे हैं।
इस ग्रुप की स्थापना वर्ष 1985 में प्रोफेसर (डॉ.) समित रे ने की थी। आज शिक्षा के क्षेत्र में इसकी मजबूत मौजूदगी है। ग्रुप के तहत Adamas University और RICE Education काम कर रहे हैं। खासतौर पर RICE Education प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए काफी मशहूर है।
इतने वर्षों में ग्रुप ने अपने कामकाज का विस्तार भी किया है। Adamas Tech Consulting के जरिये यह भारत सहित सऊदी अरब, दुबई, इंग्लैंड और अमेरिका तक आईटी और डिजिटल सॉल्यूशंस प्रदान कर रहा है। आने वाले समय में इसकी योजना कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में भी विस्तार करने की है।
यह समूह स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय है और Adamas International, Adamas World School और Adamas Kids जैसे स्कूल संचालित करता है। साथ ही खेल, कौशल विकास और सामाजिक सेवा (फिलांथ्रॉपी) से जुड़ी पहलों में भी निवेश करता है।
ओमन थॉमस की नियुक्ति ग्रुप के लिए अहम बदलाव मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इस कदम से यह समूह अपनी शिक्षा और टेक्नोलॉजी से जुड़ी गतिविधियों को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
मौजूदा कानून की तीन-स्तरीय श्रेणी प्रणाली (प्रतिबंधित ऑनलाइन मनी गेम्स, कौशल-आधारित गेम्स और ईस्पोर्ट्स) ने एजेंसीज के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
गेमिंग क्लाइंट्स के साथ काम करने वाली क्रिएटिव एजेंसीज को अब राहत की उम्मीद जगी है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को स्टेकहोल्डर्स को आश्वासन दिया कि यदि स्पष्टता की समस्या बनी रहती है तो सरकार ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेगुलेशन) अधिनियम, 2025 (PROGA) में संशोधन पर विचार करेगी। यह आश्वासन विज्ञापन जगत के लिए एक राहत की तरह आया है, जो अब तक असमंजस में थे और ब्रैंड मैनेजर्स यह समझने में संघर्ष कर रहे थे कि उनके कैंपेन किन गेमिंग फॉर्मेट्स पर आधारित हो सकते हैं।
मौजूदा कानून की तीन-स्तरीय श्रेणी प्रणाली (प्रतिबंधित ऑनलाइन मनी गेम्स, कौशल-आधारित गेम्स और ईस्पोर्ट्स) ने एजेंसीज के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। कई गेमिंग फॉर्मेट इन तय श्रेणियों में ठीक से फिट नहीं बैठते, जिसके कारण इंडी स्टूडियो और कम्युनिटी संचालित गेमिंग प्लेटफॉर्म्स रेगुलेटरी अनिश्चितता में फंसे हुए हैं।
क्रिएटिव डायरेक्टर्स के लिए यह उलझन और भी गंभीर रही है, क्योंकि वे नए कैंपेन बनाते समय लगातार इस डर से जूझते रहे कि कहीं इनोवेटिव गेमिंग फॉर्मेट्स गलती से नियामकीय सीमा का उल्लंघन न कर दें। इसी कारण कई एजेंसीज ने वेट-एंड-वॉच रणनीति अपनाई और कई गेमिंग ब्रैंड कैंपेन को रोक दिया।
एजेंसीज का कहना है कि उन्हें ऐसी रेगुलेटरी स्पष्टता चाहिए, जो रेड टेप (अनावश्यक कागजी अड़चनों) में न बदल जाए। उनका मानना है कि अत्यधिक अनुपालन की शर्तें छोटे गेमिंग क्लाइंट्स के लिए क्रिएटिव पार्टनरशिप को असंभव बना सकती हैं।
समानांतर बैठकों में रेजरपे, फोनपे और स्ट्राइप जैसी पेमेंट कंपनियों की मौजूदगी ने क्रिएटिव इंडस्ट्री की एक और बड़ी चुनौती को उजागर किया। गेमिंग ब्रैंड्स के कैंपेन का क्रियान्वयन कठिन हो गया है, क्योंकि पेमेंट चैनल यह तय करने में संघर्ष कर रहे हैं कि कौन-से गेम्स अनुमत हैं और कौन-से प्रतिबंधित।
इस अनिश्चितता ने एजेंसीज की मीडिया बाइंग रणनीतियों को जटिल बना दिया है। डिजिटल कैंपेन में बार-बार बाधाएं आ रही हैं, क्योंकि पेमेंट प्रोसेसर एहतियात बरतते हुए सुरक्षित रास्ता चुन लेते हैं। शुक्रवार को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर की बैंकों और पेमेंट कंपनियों के साथ बैठक में भागीदारी से संकेत मिलता है कि जल्द ही स्पष्ट परिचालन दिशानिर्देश सामने आ सकते हैं।
हेड डिजिटल वर्क्स, जो RMG प्लेटफॉर्म A23 की पेरेंट कंपनी है, ने PROGA की संवैधानिकता को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी है। केंद्र सरकार को इस पर 8 सितंबर तक जवाब देना है।
हालांकि, वैष्णव ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत को वैश्विक ईस्पोर्ट्स लीडर बनाना सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन साथ ही जुए पर कड़ी सीमाएं भी लागू रहेंगी। इस दिशा ने क्रिएटिव रणनीतियों को कुछ स्पष्टता प्रदान की है।
पूरी तरह लागू होने से पहले और अधिक परामर्श बैठकों का वादा यह दर्शाता है कि क्रिएटिव समुदाय की ब्रैंड सेफ्टी गाइडलाइंस को लेकर चिंताओं को अब नीतिगत हलकों में सुना जा रहा है।
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने संगठन के सदस्यों की ओर से वित्त मंत्री व GST परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण को एक औपचारिक पत्र भेजा है
न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने संगठन के सदस्यों की ओर से वित्त मंत्री व GST परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण को एक औपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें मौजूदा GST व्यवस्था से जुड़े दो महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया गया है, जिनका न्यूज ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री की वित्तीय स्थिति और परिचालन दक्षता पर असर पड़ रहा है।
दिनांक 28.08.2025 को लिखे अपने पत्र में, NBDA ने सम्मानपूर्वक अनुरोध किया है कि टीवी और डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री के लिए ऐडवर्टाइजिंग स्पेस, विशेष रूप से सरकारी एजेंसियों जैसे डीएवीपी (DAVP), PSUs और राज्य सरकारों को किए जाने वाले विज्ञापन में, GST के लिए करारोपण का बिंदु (point of taxation) चालान (Section 13, Central GST Act, 2017 के अंतर्गत) से बदलकर भुगतान प्राप्ति/संग्रह पर कर दिया जाए।
इसके अतिरिक्त, NBDA ने यह भी अनुरोध किया है कि कुछ खर्चों- जैसे वाहनों का किराया, भोजन एवं पेय/आउटडोर कैटरिंग, ब्यूटी ट्रीटमेंट और कर्मचारियों के लिए बीमा कवरेज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की अनुमति दी जाए, जिसे वर्तमान में सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 की धारा 17(5) के अंतर्गत प्रतिबंधित किया गया है।
वह यहां करीब दस साल से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। वह अक्टूबर 2015 में कंपनी से जुड़े थे।
‘वायकॉम18’ (Viacom 18) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) को विश्वसनीय सूत्रों से मिली इस खबर के मुताबिक रितम चक्रवर्ती ने यहां अपनी करीब दस साल लंबी पारी को विराम दे दिया है।
वह ‘वायकॉम18’ में सीनियर डायरेक्टर (Communications, Corporate Marketing & Sustainability) के पद पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह अक्टूबर 2015 में कंपनी से जुड़े थे।
इससे पहले चक्रवर्ती ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) और ‘ओएबी स्टूडियोज’ (OAB Studios) के साथ भी काम कर चुके हैं।
इसके अलावा, उन्होंने ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
डाबर का यह कदम साफ दर्शाता है कि अब भारतीय एफएमसीजी और पर्सनल केयर ब्रांड्स अपने स्थानीय मूल और विरासत को मजबूत आधार बनाकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने की रणनीति पर चल रहे हैं।
देश की अग्रणी एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने द टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने प्रमुख उत्पाद डाबर रेड टूथपेस्ट के लिए एक पूरे पन्ने का विज्ञापन प्रकाशित कर हलचल मचा दी है। विज्ञापन में टूथपेस्ट को 'The Swadeshi Choice' (स्वदेशी पसंद) के रूप में पेश करते हुए इसे भारतीय उपभोक्ताओं के लिए बना एक शुद्ध भारतीय उत्पाद बताया गया है।
इस विज्ञापन में डाबर रेड की आयुर्वेदिक विशेषताओं और 10 क्लीनिकली प्रूव्ड लाभों का उल्लेख किया गया है। खास बात यह है कि इसमें सीधे किसी ब्रांड का नाम न लेते हुए 'अमेरिकी टूथपेस्ट ब्रांड्स' पर कटाक्ष करते हुए कहा गया है – 'Born there, not here' यानी वहां पैदा हुए, यहां नहीं।
यह संदेश मौजूदा समय की उस भावना को सीधा छूता है, जिसमें उपभोक्ता विदेशी ब्रांड्स की बजाय घरेलू और स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। सरकार की 'वोकल फॉर लोकल' अपील के बीच डाबर ने यह जाहिर किया है कि वह सिर्फ टूथपेस्ट ही नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा और आयुर्वेद की धरोहर भी है।
टूथपेस्ट कैटेगरी में अब तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा रहा है। ऐसे में डाबर रेड का यह साहसिक और प्रतिस्पर्धी अंदाज उपभोक्ता राष्ट्रवाद की भावना पर सीधा असर डाल सकता है। विज्ञापन में न सिर्फ ब्रांड की भारतीय जड़ों को रेखांकित किया गया है, बल्कि इसे 'Made in India, For Indians' कहकर गर्व की भावना भी जगाई गई है।
इसके साथ ही कंपनी ने उपभोक्ताओं को हेल्पलाइन नंबर और QR कोड के जरिए जुड़ने का मौका देकर इस संवाद को सिर्फ विज्ञापन तक सीमित न रखकर इंटरएक्टिव कैंपेन का रूप भी दिया है। डाबर का यह कदम साफ दर्शाता है कि अब भारतीय एफएमसीजी और पर्सनल केयर ब्रांड्स अपने स्थानीय मूल और विरासत को मजबूत आधार बनाकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने की रणनीति पर चल रहे हैं।
जी मीडिया (Z Media) ने शनिवार को पोस्टल बैलेट प्रक्रिया के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कंपनी के सदस्यों ने दो महत्वपूर्ण पुनर्नियुक्तियों को मंजूरी दी है।
जी मीडिया (Z Media) ने शनिवार को पोस्टल बैलेट प्रक्रिया के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कंपनी के सदस्यों ने दो महत्वपूर्ण पुनर्नियुक्तियों को मंजूरी दी है।
नियामकीय प्रावधानों के तहत मिली जानकारी के अनुसार, कंपनी ने स्वतंत्र निदेशक सुशांत कुमार पांडा को दूसरे कार्यकाल के लिए पुनर्नियुक्त किया है। उनका नया कार्यकाल 1 सितंबर 2025 से 31 अगस्त 2030 तक पांच वर्षों का होगा। इसके साथ ही, दिनेश कुमार गर्ग को कंपनी का पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त किया गया है, जिनका कार्यकाल 20 सितंबर 2025 से 19 सितंबर 2028 तक तीन वर्षों का रहेगा।
सुशांत कुमार पांडा -
सुशांत कुमार पांडा 1982 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कस्टम्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स विभाग में 37 वर्षों तक सेवाएं दी और अप्रैल 2019 में सेवानिवृत्त हुए। अपने लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने वित्त मंत्रालय और राजस्व विभाग में कई वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। वे केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के सदस्य भी रहे, जो अप्रत्यक्ष कर नीति बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। इसके अलावा, उन्होंने भारत सरकार में विशेष सचिव का पद भी संभाला।
अपने करियर में श्री पांडा ने तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्यों, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय में विशेष निदेशक के रूप में विदेशी मुद्रा कानून और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून से जुड़े मामलों की जाँच की। साथ ही, उन्होंने दिल्ली स्थित केंद्रीय उत्पाद शुल्क, कस्टम्स और सेवा कर अपीलीय अधिकरण (CESTAT) में आयुक्त तथा पूर्वी जोन में मुख्य आयुक्त के रूप में भी सेवाएँ दीं। वे राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और विधि स्नातक हैं।
दिनेश कुमार गर्ग -
दिनेश गर्ग एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और वित्तीय क्षेत्र में उन्हें 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्हें वित्तीय नियंत्रण और रिपोर्टिंग, कॉरपोरेट पुनर्गठन, फंड जुटाने, आंतरिक व प्रबंधन ऑडिट और कानूनी मामलों में गहन विशेषज्ञता हासिल है।
जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड की वृद्धि में वे कंपनी की कोर टीम का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने अन्य संगठनों में भी वरिष्ठ प्रबंधन स्तर की जिम्मेदारियां निभाई हैं।
कंपनी ने कहा कि दोनों ही नियुक्तियां सभी आवश्यक नियामकीय और सांविधिक अनुमोदनों के बाद प्रभावी होंगी।
आज का दिन मीडिया जगत की एक ऐसी शख्सियत को समर्पित है, जिनकी पहचान परंपरा और नवाचार के बीच अद्भुत संतुलन बनाने की क्षमता से होती है। आज रक्तिम दास का जन्मदिन है।
आज का दिन मीडिया जगत की एक ऐसी शख्सियत को समर्पित है, जिनकी पहचान परंपरा और नवाचार के बीच अद्भुत संतुलन बनाने की क्षमता से होती है। आज रक्तिम दास का जन्मदिन है। एक ऐसे दिग्गज, जिन्होंने भारत के मीडिया परिदृश्य को अपनी सोच, दृष्टि और नेतृत्व से नई दिशा दी है।
पिछले दो दशकों में उन्होंने देश के कई प्रभावशाली मीडिया संस्थानों में अपनी छाप छोड़ी है। कभी उनकी रचनात्मक दृष्टि ने कहानियों और कंटेंट को नया आयाम दिया, तो कभी उनकी रणनीतियों ने व्यवसायिक सफलता की राह दिखाई। उनके सफर की यही खासियत है कि वे हर जगह सिर्फ योगदान नहीं देते, बल्कि उस संस्था की आत्मा में अपनी पहचान भी जोड़ जाते हैं।
यह दिन सिर्फ उनके जन्म का नहीं, बल्कि उस यात्रा का भी उत्सव है, जिसने भारतीय मीडिया जगत को और अधिक समृद्ध, सशक्त और प्रगतिशील बनाया।
रक्तिम दास ने अपनी यात्रा इंडिया टुडे ग्रुप से शुरू की, जहां उन्होंने ब्रैंडेड कंटेंट को एक गंभीर व्यावसायिक प्रैक्टिस के रूप में विकसित करने में मदद की- बहुत पहले, जब यह इंडस्ट्री मानक बनी। उन्होंने बिजनेस टुडे इंडिया को एक शीर्ष स्तरीय बिजनेस मैगजीन बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और बाद में जी बिजनेस को उसकी वृद्धि के एक महत्वपूर्ण चरण में पुनर्जीवित करने की दिशा में अग्रसर किया। जी के साथ अपने दूसरे कार्यकाल में, उन्होंने जी इनोवेशन स्टूडियो की स्थापना की- एक ऐसा केंद्र जो प्रयोग और नए विचारों का घर बना और जिसने कंपनी के रचनात्मक विस्तार को बढ़ाया।
आज, टीवी9 नेटवर्क में ब्रॉडकास्ट और डिजिटल के चीफ ग्रोथ ऑफिसर के रूप में, दास टेलीविजन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर वृद्धि का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां कंटेंट स्ट्रैटेजी, ऐड सेल्स, ब्रैंडेड कंटेंट और नए IP क्रिएशन को एक दृष्टि के तहत जोड़ा गया है। उनका नेतृत्व इंडस्ट्री-फस्ट इनीशिएटिव्स को बनाने, अवॉर्ड-विनिंग प्रॉपर्टीज तैयार करने और इस बात को फिर से परिभाषित करने में केंद्रीय रहा है कि दर्शक और ब्रैंड मीडिया के साथ कैसे जुड़ते हैं।
वे टीवी9 नेटवर्क में डिजिटल बिजनेस की P&L (लाभ और हानि) जिम्मेदारी संभालते हैं। अपने करियर की शुरुआत में ही, उन्हें 2008–10 के दौरान जी बिजनेस की टर्नअराउंड सफलता की कहानी लिखने और उसका नेतृत्व करने का श्रेय जाता है। बाद में, जी में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, उन्हें जी इनोवेशन स्टूडियो को अपने कार्यकाल में उद्योग का सर्वश्रेष्ठ बनाने का श्रेय मिला।
उनके करियर में वैश्विक ब्रैंडों को भारतीय पाठकों और दर्शकों तक लाने की उपलब्धि भी शामिल है। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू साउथ एशिया और टाइम मैगजीन से लेकर साइंटिफिक अमेरिकन और मेंस हेल्थ तक, रक्तिम ने भारत में अंतरराष्ट्रीय मीडिया टाइटल्स को लॉन्च करने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहाx वैश्विक मानकों को स्थानीय संवेदनशीलताओं के साथ मिलाया गया।
इस दिन, हम न केवल उनके प्रोफेशनल्स उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं, बल्कि एक ऐसे नवोन्मेषक की भूमिका का भी, जिन्होंने हमेशा दूसरों से पहले मीडिया का भविष्य देखा है।
सिद्धार्थ जैन ने इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) के महासचिव (सेक्रेट्री जनरल) पद से इस्तीफा दे दिया है
सिद्धार्थ जैन ने इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) के महासचिव (सेक्रेट्री जनरल) पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे देश के इस शीर्ष निकाय के लिए एक ऐसे कार्यकाल का समापन हुआ है, जिसने ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व करते हुए एक अहम संक्रमण चरण की निगरानी की।
इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि एक्सचेंज4मीडिया से की है।
सिद्धार्थ जैन ने 2021 में IBDF का कार्यभार संभाला था, उस समय जब संगठन अपना दायरा टेलीविजन से आगे बढ़ाकर तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल इकोसिस्टम को भी शामिल कर रहा था। उनके नेतृत्व में, IBDF ने इंडस्ट्री की आवाज के रूप में अपनी भूमिका और गहरी की, ब्रॉडकास्टर्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स दोनों का प्रतिनिधित्व किया और साथ ही आत्म-नियमन और इंडस्ट्री सहयोग के तंत्रों को मजबूत किया।
यह फाउंडेशन स्वयं 1999 में स्थापित हुआ था और पहले इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन के नाम से जाना जाता था। यह जनरल एंटरटेनमेंट, न्यूज, स्पोर्ट, मूवी, म्यूजिक और इन्फोटेनमेंट सहित विभिन्न जॉनर में प्रमुख टेलीविजन ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है। इसके सदस्य मिलकर 400 से अधिक चैनल्स और भारत में लगभग 90 प्रतिशत टेलीविजन दर्शकों की संख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं।
डिजिटल कंटेंट के तेजी से उभार के साथ, सिद्धार्थ के नेतृत्व में IBDF ने अपना दायरा बढ़ाकर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए भी प्रतिनिधित्व और गवर्नेंस सुनिश्चित किया, जिससे यह उन कुछ इंडस्ट्री निकायों में शामिल हो गया जो पारंपरिक और डिजिटल प्रसारण दोनों को जोड़ते हैं।
सिद्धार्थ के कार्यकाल में देखी गई प्रमुख इनिशिएटिव्स में से एक थी इंडियन डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री फाउंडेशन (IDMIF) का गठन, जिसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को एक संरचित इंडस्ट्री आवाज देने के लिए एक सहायक संगठन के रूप में बनाया गया। वे डिजिटल मीडिया कंटेंट रेगुलेटरी काउंसिल (डीएमसीआरसी) की स्थापना में भी अहम रहे, जो डिजिटल सामग्री के लिए एक आत्म-नियामक अपील निकाय है और जिसका मॉडल ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल (बीसीसीसी) पर आधारित है, जो अब भी गैर-समाचार टेलीविजन मनोरंजन चैनलों की सामग्री को नियंत्रित करता है।
रणनीतिक और परिचालन नेतृत्व के लिए व्यापक रूप से सराहे जाने वाले जैन ने IBDF में अपना गहन अनुभव लाया, जिसमें टर्नर इंटरनेशनल इंडिया में प्रबंध निदेशक (दक्षिण एशिया) के रूप में उनकी वरिष्ठ भूमिकाएं शामिल थीं। IBDF में उनके कार्य ने नीति-समर्थन को संस्थान-निर्माण के साथ जोड़ा, यह सुनिश्चित करते हुए कि दर्शकों की बदलती आदतों और नियामक चुनौतियों के युग में फाउंडेशन प्रासंगिक बना रहे।
अविनाश पांडेय को ब्रॉडकास्टिंग और मीडिया मैनेजमेंट में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है।
सीनियर मीडिया प्रोफेशनल अविनाश पांडेय देश में टेलिविजन ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधित्व वाले प्रमुख संगठन ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन‘ (IBDF) में जल्द ही सेक्रेट्री जनरल का पदभार संभाल सकते हैं।
इंडस्ट्री से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) को बताया कि इस पद पर उनकी नियुक्ति तय हो चुकी है।
अविनाश पांडेय को प्रसारण और डिजिटल मीडिया में 26 वर्षों से अधिक का नेतृत्व अनुभव है। वह ABP नेटवर्क में CEO और COO जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं, जहां उन्होंने स्टार न्यूज को एक डिजिटल रूप से सक्षम समाचार नेटवर्क में तब्दील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
दिल्ली विश्वविद्यालय (इतिहास) और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र अविनाश पांडेय, कई प्रभावशाली पदों पर रह चुके हैं। वह इंटरनेशनल एडवरटाइजिंग एसोसिएशन (IAA) के इंडिया चैप्टर के अध्यक्ष और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
इसके अलावा, उन्होंने FICCI, ASSOCHAM और सूचना-प्रसारण मंत्रालय की कई अहम कमेटियों में भी योगदान दिया है, जहां मीडिया गवर्नेंस और पॉलिसीज के निर्माण में उनकी सक्रिय भूमिका रही है।
अविनाश पांडेय को इसी साल जुलाई में लक्ष्य मीडिया ग्रुप (Laqshya Media Group) ने अपने बोर्ड में डायरेक्टर के रूप में शामिल किया है। यह नियुक्ति ग्रुप की आउट-ऑफ-होम (OOH) और इंटीग्रेटेड मीडिया सर्विसेज को लेकर उसकी रणनीतिक यात्रा को और मजबूत बनाती है।
Laqshya में अपने नए पद के साथ-साथ, अविनाश पांडेय हाल ही में Primus Partners से भी जुड़े हैं, जहां वे मीडिया प्रैक्टिसेज के लिए सीनियर एडवाइजर की भूमिका निभा रहे हैं। इस भूमिका के जरिए वह कंसल्टेंसी और मीडिया एडवोकेसी दोनों क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक पहुंच और प्रभाव का विस्तार कर रहे हैं।