हिंदी न्यूज पोर्टल ‘आज का खबरी’ में पत्रकार नीरज नैय्यर की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (सीआरबी) ए.के. मित्तल निजी यात्रा पर पुणे आए, और सरकारी सुख सुविधाओं का दोहन कर उसे आधिकारिक दौरे का रूप दिया। वेबसाइट का दावा है कि ये उसकी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट है। पढ़िए पूरी ख
हिंदी न्यूज पोर्टल ‘आज का खबरी’ में पत्रकार नीरज नैय्यर की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (सीआरबी) ए.के. मित्तल निजी यात्रा पर पुणे आए, और सरकारी सुख सुविधाओं का दोहन कर उसे आधिकारिक दौरे का रूप दिया। वेबसाइट का दावा है कि ये उसकी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट है। पढ़िए पूरी खबर...
निजी यात्रा पर लुटाई रेलवे की कमाई!
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकारी खर्चे में कटौती की बात कर रहे हैं, ताकि देश के विकास पर ज्यादा ध्यान दिया जा सके। वहीं रेल अधिकारी उनकी कोशिशों पर पलीता लगाने में जुटे हैं। हाल ही में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन (सीआरबी) एके मित्तल निजी यात्रा पर पुणे आए थे, लेकिन सरकारी सुख सुविधाओं का दोहन करने के लिए उसे आधिकारिक दौरे का रूप दिया गया। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, सीआरबी की यह यात्रा पूरी तरह से निजी थी। वे पहले शिर्डी गए फिर अष्टविनायक के दर्शन के लिए पुणे आए। उन्होंने न तो कोई निरीक्षण किया और न ही कोई बैठक ली। जबकि इस कवायद में रेलवे के लाखों रुपए जरूर खर्च हो गए। वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है, रेल अधिकारी अक्सर अपनी निजी यात्राओं को आधिकारिक रूप देकर इसी तरह घाटे में चल रहे रेलवे की कमर तोड़ते रहते हैं।
ऐसा था कार्यक्रम
सीआरबी आठ अक्टूबर को अपनी स्पेशल कोच, सैलूनद्ध में सवार होकर दिल्ली से कोपरगांव के लिए निकले। उनकी कोच को 12628 एक्सप्रेस में अटैच किया गया था। कोपरगांव से वह सीधे शिर्डी दर्शन के लिए चले गए। 10 अक्टूबर को 12150 एक्सप्रेस से अपने सैलून में कोपरगांव से पुणे के लिए रवाना हुए। पुणे पहुंचने के बाद सीआरबी अपने काफिले के साथ सबसे पहले भीमाशंकर के दर्शन के लिए गए। दूसरे दिन उन्हें अष्टविनाक के दर्शन के लिए जाना था। लेकिन पारिवारिक कारणों के चलते उन्हें बीच में ही दिल्ली वापस लौटना पड़ा। इस छह दिनों के टूर को आधिकारिक बनाने के लिए आखिरी दिन पुणे में रेल अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी। तय कार्यक्रम के मुताबिक सीआरबी को 13 अक्टूबर को 12779 एक्सप्रेस से निजामुद्दीन लौटना था।
पानी की तरह बहाया पैसा
सीआरबी की निजी यात्रा पर रेलवे ने पानी की तरह पैसा बहाया। सूत्रों के मुताबिक, उन्हें भीमाशंकर ले जाने के लिए 10 गाडि़यों का काफिला मौजूद था। जिसमें कुछ किराए पर मंगाई गई थीं। जाहिर है इसका भुगतान रेलवे ने अपनी जेब से किया होगा। बात केवल किराए तक ही सीमित नहीं है, सीआरबी को खुश करने के लिए सभी स्टेशनों को चमकाया गया। जीएम स्तर के अधिकारी काम छोड़कर सीआरबी की आवभगत में लगे रहे। इतने सारे अधिकारियों के जमावड़े पर रेलवे का कितना खर्चा हुआ होगा इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चेयरमैन सैलून से आए, जिसका एक बार आने जाने का खर्चा ही लाखों में आता है।
काम चलाऊ काम
पुणे रेल मंडल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, सीआरबी के आने के 10 दिन पहले से ही तैयारियां शुरू हो गई थीं। उनकी गुड लिस्ट में शामिल होने के लिए विभाग प्रमुखों ने फंड डायवर्ड करके वो काम भी करवाए, जिनकी कोई जरूरत नहीं थी। अधिकारी के मुताबिक, ऐसे मौकों पर किए जाने वाले काम की कोई गुणवत्ता नहीं होती। प्रशासन बस यही चाहता है कि वरिष्ठ अधिकारियों के रुकने तक सबकुछ सही दिखे। आमतौर पर प्रशासनिक दौरे की जानकारी पहले से ही दे दी जाती है, लेकिन सीआरबी पुणे में क्या करने वाले हैं यह किसी को नहीं बताया गया था। केवल आखिरी दिन के शेड्यूल में बैठक का जिक्र था। अगर सीआरबी निजी यात्रा पर नहीं आए थे, तो फिर बाकी दिन उन्होंने क्या किया? इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
प्रधानमंत्री से बड़े हैं सीआरबी?
कई रेल अधिकारी सवाल उठाते हैं कि जब प्रधानमंत्री मेट्रो में सफर करके यात्रियों का हालचाल जान सकते हैं, तो क्या सीआरबी उनसे भी बड़े हैं? स्पेशल कोच में बैठने के बजाए यदि चेयरमैन पैसेंजर गाड़ी में सवार होकर यात्रियों से रूबरू होते तो समस्याओं को ज्यादा करीब से समझ पाते। साथ ही यात्रियों में भी रेलवे के प्रति विश्वास पुख्ता होता। उनके मुताबिक, यदि सीआरबी ही अपनी सुख सुविधाओं पर रेलवे का पैसा बर्बाद करेंगे, तो फिर बाकी रेलकर्मियों से क्या उम्मीद की जा सकती है?
मुझे कुछ नहीं पता
इस संबंध में पुणे रेल मंडल के जनसंपर्क अधिकारी ने कहा, मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है, मैं उस समय छुट्टी पर था। लेकिन सीआरबी आधिकारिक दौर पर ही पुणे आए थे।
पीएम ने जताया था विश्वास
मित्तल पर प्रधानमंत्री ने विश्वास जातते हुए उन्हें दोबारा रेलवे बोर्ड चेयरमैन नियुक्त किया था। सीआरबी के पद से रिटायर्ड होने के बाद उन्हें दोबारा वही जिम्मेदारी दिए जाने को लेकर रेल अधिकारियों मे ंनाराजगी थी, क्योंकि इस वजह से कई अधिकारियों के प्रमोशन रुक गए। वही मित्तल आज पीएम की कोशिशों को पलीता लगाने में जुटे हैं। ऐसे वक्त में जब रेलवे को घाटे से उबारने की कोशिशें जारी हैं, मित्तल को खर्चों में कटौती का उदाहरण पेश करना चाहिए था। लेकिन वो अपनी निजी यात्रा पर भी रेलवे की कमाई लुटा रहे हैं।
शिकायत करें भी किससे?
रेलवे प्रवासी ग्रुप की अध्यक्ष हर्षा शाह ने कहा, मुझे इस बारे में जानकारी मिली थी कि सीआरबी ने निजी यात्रा के लिए भी सैलून का इस्तेमाल किया। अधिकांश अधिकारी इसी तरह से रेलवे की कमाई को पानी में बहाते हैं। इस संबंध में शिकायत करें भी तो किससे? पूरा का पूरा महकमा एक ही दिशा में चल रहा है। पीएम और रेलमंत्री जो प्रयास कर रहे हैं, उन्हें आगे बढ़ाने का प्रयास अधिकारियों को करना चाहिए, लेकिन उन्हें सिर्फ अपनी सुख सुविधाओं का ख्याल है। सीआरबी यदि सैलून के बजाए पैसेंजर ट्रेन में सवार होकर आते तो बाकी अधिकारियों को भी एक सबक मिलता।
यहां भी वही हाल
कुछ दिनों पहले मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी मुख्य यात्री परिवहन प्रबंधक जबलपुर से अपने बेटे को परीक्षा दिलवाने के लिए सैलून लेकर आए थे। वहां, भी निजी यात्रा को सरकारी बनाने की कोशिश की गई। जानकारी के मुताबिक, प्रबंधक राजेश पाठक के बेटे की आईईएस इंजीनियरिंग कॉलेज में परीक्षा थी, इसके लिए वो स्पेशल सैलून में सवार होकर हबीबगंज स्टेशन पहुंचे। पाठक ने भोपाल रेलवे स्टेशन का निरीक्षण तक नहीं किया, जो उनके प्रोग्राम में शामिल था। वो पूरे दिन सैलून में ही आराम फरमाते रहे।
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सार्वजनिक सेवा प्रसारक ‘प्रसार भारती’ (Prasar Bharati) और ‘नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन’ (NBA) ने कंटेंट पार्टनरशिप की घोषणा की है। इस पार्टनरशिप के तहत प्रसार भारती के स्पोर्ट्स चैनल ‘दूरदर्शन स्पोर्ट्स’ (DD Sports) और इसके यूट्यूब चैनल ‘प्रसार भारती स्पोर्ट्स’ पर एनबीए के क्लासिक कंटेंट, डॉक्यूमेंट्रीज, गेम हाईलाइट्स और घोषणाओं का प्रसारण किया जाएगा।
‘एनबीए इंडिया’ के ग्लोबल कंटेंट और मीडिया डिस्ट्रीब्यूशन के हेड सनी मलिक का कहना है, ‘एनबीए की खास प्रोग्रामिंग और हाईलाइट्स की पेशकश के लिए प्रसार भारती के साथ पार्टनरशिप कर हम बेहद खुश हैं। प्रसार भारती ने भारत में एनबीए के प्रशंसकों की संख्या बढ़ाने और उन्हें देशव्यापी कंटेंट प्रदान करने के हमारे विजन को साझा किया है।’
वहीं, दूरदर्शन के महानिदेशक मयंक अग्रवाल का कहना है कि देश में दूरदर्शन स्पोर्ट्स का खास स्थान है। उन्होंने कहा, ‘हम डीडी स्पोर्ट्स के कंटेंट को और मजबूती प्रदान करने में जुटे हैं और एनबीए की प्रोग्रामिंग में स्पोर्ट्स क्लस्टर में तमाम तरह की पेशकश शामिल है। हम भारत में प्रशंसकों के लिए आसान पहुंच बनाने और उन्हें दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक के बारे में बताना चाहते हैं।’
भारतीय प्रशंसक एनबीए को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फॉलो कर सकते हैं और नवीनतम खबरों, अपडेट्स, स्कोर, शिड्यूल्स, वीडियोज आदि के लिए एनबीए के ऑफिसियर ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं।
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एक दशक से ज्यादा समय से प्रिंट, टीवी और ऑनलाइन मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पॉलिटिक्स, सामाजिक न्याय और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों को कवर कर रहीं अवॉर्ड विजेता पत्रकार नेहा दीक्षित ने अपना पीछा किए जाने और जान से मारने की धमकियां मिलने की शिकायत दर्ज कराई है।
एक ट्वीट में दीक्षित ने लिखा है, ‘सितंबर 2020 से मेरा पीछा किया जा रहा है। पीछा करने वाले ने फोन पर मुझे दुष्कर्म किए जाने, तेजाब से हमला करने और जान से मारने की धमकी दी है।’
Some update from my end: #PressFreedom #RapeThreat #LifeThreat #Offlineviolence pic.twitter.com/cpNgzwvGDr
— Neha Dixit (@nehadixit123) January 27, 2021
बता दें कि दीक्षित के काम को द न्यूयॉर्क टाइम्स, अल-जजीरा, कारवां और द वायर सहित तमाम इंटरनेशनल आउटलेट्स में पब्लिश किया जा चुका है। इसके अलावा उन्हें कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं। इनमें वर्ष 2011 में यूरोपियन कमीशन का Lorenzo Natali Media Prize, वर्ष 2014 में the Kurt Schork Award और वर्ष 2016 में मिला चमेली देवी जैन अवॉर्ड शामिल है।
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मीडिया पर तीखा हमला बोलते हुए राजनीतिक विश्लेषक शहजाद पूनावाला का कहना है कि मीडिया का समय अब समाप्त हो चुका है और आज की तारीख में जिस व्यक्ति के पास सोशल मीडिया अकाउंट है और स्मार्टफोन है, वह पत्रकार हो सकता है।
‘गवर्नेंस नाउ’ (Governance Now) के एमडी कैलाशनाथ अधिकारी के साथ एक बातचीत में शहजाद पूनावाला का कहना था, ‘सोशल मीडिया के लोकतांत्रिक होने और इसका विस्तार होने के साथ ही आजकल एक नई प्रकार की पत्रकारिता उभर रही है, जहां कोई भी व्यक्ति फोटो ले सकता है, स्टोरी लिख सकता है और सीधे इसे पोस्ट कर सकता है।’
पब्लिक पॉलिसी प्लेटफॉर्म पर ‘विजिनरी टॉक सीरीज’ (Visionary Talk series) के तहत होने वाले इस वेबिनार के दौरान शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘पत्रकारों और मीडिया को समझना चाहिए कि पत्रकारिता आजकल लोकतांत्रिक और डायनिमिक हो गई है। अब यह किसी विशेष विचारधारा, पार्टी या परिवार से अधिक जुड़ी नहीं है, जिस तरह से पिछले 70 वर्षों से होता रहा है। आजकल तो जिस व्यक्ति के हाथ में स्मार्टफोन है और उसका सोशल मीडिया अकाउंट है, वह पत्रकार है।’
एक मीडिया हाउस पर निशाना साधते हुए पूनावाला का कहना था, ‘उनके पत्रकारों के संबंध सरकार के साथ काफी गहरे होते थे और वे अपने फोन पर कैबिनेट के गठन का फैसला करते थे। आजकल इन लोगों के पास इस तरह की पावर नहीं है। आजकल कोई इन्हें नहीं पहचानता, क्योंकि ये लोग एक खास परिवार के लिए प्रोपेगैंडा कर रहे थे। अब इस तरह की पत्रकारिता खत्म हो चुकी है।’
इस बातचीत के दौरान भारत के कोविड टीकाकरण अभियान के बारे में पूनावाला का कहना था, ‘शुरू में स्वास्थ्य संकट से निपटने का राजनीतिकरण किया गया था। पहले प्रधानमंत्री से सवाल किया गया कि उन्होंने लॉकडाउन क्यों नहीं लगाया और लॉकडाउन लगाने के बाद उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है और प्रवासियों को घर जाने की अनुमति देने की मांग करने लगे। जब प्रवासियों को घर भेजा गया तो ये लोग सवाल उठाने लगे कि संक्रमण के खतरे के बीच प्रवासियों को घर क्यों भेजा गया। जब सरकार ने देश मे अनलॉक करने का फैसला लिया तो इन लोगों ने तब भी सवाल उठाए।’
पूनावाला के अनुसार, ‘इसके बाद इन लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि जब यूके और यूएस में वैक्सीन आ गई है तो भारत ने अभी तक इसे क्यों नहीं बनाया है। जब भारत में वैक्सीन आई तो उन्होंने कहा कि यह भाजपा की वैक्सीन है और व्यक्ति को नपुंसक बना देती है और पूछा कि पीएम को वैक्सीन क्यों नहीं लग रही है। क्या महामारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर राजनीति की जा सकती है? कोविद -19 संकट से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दुनिया भर में तारीफ हो रही है। प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है कि पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगा, ऐसा कर उन्होंने पात्रता के वीवीआईपी कल्चर को समाप्त कर दिया है।’
उन्होंने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब वह राष्ट्रवाद की बात करते हैं या जवानों का सम्मान करते हैं तो उन्हें मोदी समर्थक माना जाता है। विपक्ष को यह सोचना और तय करना होगा कि अगर कोई राष्ट्रवाद की बात करता है तो उसे किसी विशेष राजनीतिक दल से क्यों जोड़ा जाना चाहिए?’
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र सरकार, ‘प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया' (पीसीआई) और ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन' (एनबीए) से जवाब मांगा, जिसमें मीडिया, चैनलों और नेटवर्क के खिलाफ शिकायतों पर सुनवाई के लिए ‘मीडिया ट्रिब्यूनल' (Media Tribunal) गठित करने की मांग की गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन की एक पीठ ने याचिका पर संज्ञान लिया, जिसमें मीडिया व्यवसाय नियमों से संबंधित संपूर्ण कानूनी ढांचे पर गौर करने और दिशानिर्देशों का सुझाव देने के लिए भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश या शीर्ष अदालत के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति की स्थापना की भी मांग की गई है।
पीठ ने सूचना-प्रसारण मंत्रालय, पीसीआई और एनबीए के अलावा, ‘न्यूज ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन' (एनबीएफ) और ‘न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी' (एनबीएसए) को भी नोटिस जारी किया है।
बता दें कि यह याचिका फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा और सिविल इंजीनियर नितिन मेमाने ने दायर की है, जिसकी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए की गई। याचिका में कहा गया कि मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, एक अनियंत्रित घोड़े की तरह हो गया है, जिसे नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को इसी मामले पर लंबित अन्य याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया है।
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प्रसार भारती ने कंटेंट को एक्सचेंज करने के इरादे से ‘नोवी डिजिटल एंटरटेनमेंट’ (Novi Digital Entertainment) के साथ एक करार किया है, ताकि ‘डीडी इंडिया’ (DD India) को यूके, यूएसए और कनाडा में भी देखा जा सके और वह भी ‘हॉटस्टार’ (Hotstar) पर। यह समझौता 22 जनवरी से मान्य है।
इस चैनल को ‘हॉटस्टार’ पर देखने के लिए चैनल कैटेगरी में जाकर सर्च ऑप्शन में डीडी इंडिया लिखकर सर्च कराना होगा। हॉटस्टार के साथ किया गया ये समझौता दूरदर्शन के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत वह अंतरराष्ट्रीय दर्शक वर्ग को विकसित करना चाहता है और भारत के लिए इस चैनल को एक वैश्विक आवाज बनाना चाहता है।
प्रसार भारती ने ट्वीट कर कहा कि वैश्विक स्तर पर डीडी का विस्तार करने और यूके, यूएस व कनाडा में डिजिटल को पसंद करने वाले (digitally savvy) साउथ एशियन युवाओं को इससे जोड़ने के लिए यह कदम उठाया गया है। इन देशों में हॉटस्टार पर डीडी इंडिया को लॉन्च कर बेहद खुशी है।
.@DDIndialive is now available on Hotstar in UK, USA & Canada - As a step towards expanding global footprint of DD & to engage younger digitally savvy South Asian audiences in UK, US & Canada, Prasar Bharati is happy to announce launch of DD India on Hotstar in these countries. pic.twitter.com/n5UTLtfgQK
— Prasar Bharati प्रसार भारती (@prasarbharati) January 23, 2021
‘IBF’ द्वारा स्थापित स्व नियामक संस्था ‘BCCC’ देश में टेलिविजन चैनल्स द्वारा प्रसारित किए जा रहे कंटेंट पर नजर रखने का काम करती है।
‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन’ (IBF) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल को ‘ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल’ (BCCC) का नया चेयरपर्सन नियुक्त किया है।
‘IBF’ द्वारा स्थापित स्व नियामक संस्था ‘BCCC’ देश में टेलिविजन चैनल्स द्वारा प्रसारित किए जा रहे कंटेंट पर नजर रखने का काम करती है। वर्ष 2011 में गठित 13 सदस्यीय यह कमेटी अब तक कंटेंट से संबंधित 96000 से ज्यादा शिकायतों को सुन चुकी है।
जस्टिस गीता मित्तल सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस विक्रमजीत सेन की जगह लेंगी, जिनका बीसीसीसी के चेयरपर्सन के रूप में कार्यकाल समाप्त हो गया है।
जस्टिस मित्तल ने दिल्ली के लेडी इरविन कॉलेज और लेडी श्रीराम महिला महाविद्यालय से पढ़ाई की है। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ लॉ से लॉ की डिग्री ली है।
दिल्ली उच्च न्यायालय में जज और कार्यवाहक चीफ जस्टिस के रूप में कार्य करने के बाद उन्हें अगस्त 2018 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की पहली महिला चीफ जस्टिस रहीं जस्टिस गीता मित्तल ‘BCCC’ की पहली महिला चेयरपर्सन भी बनी हैं।
समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें।बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठी अखबार सकोती (Sachoti) के एडिटर राजकुमार छाजेड़ के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर सवाल उठाए हैं
बॉम्बे हाई कोर्ट ने मराठी अखबार Sachoti के एडिटर राजकुमार छाजेड़ के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर पर सवाल उठाए हैं। बता दें कि महाराष्ट्र पुलिस ने छाजेड़ द्वारा सर्कुलेट किए गए एक वॉट्सऐप मैसेज के आधार पर उन पर दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने का आरोप लगाया है।
जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पिटाले की खंडपीठ ने वॉट्सऐप मैसेज को लेकर महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि क्या आपको लगता है कि यह संदेश वास्तव में दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करने के लिए है? साथ ही कहा कि यदि आप हर चीज को लेकर अतिसंवेदनशील हो जाएंगे, तो ये मुश्किल हो जाएगा।
57 वर्षीय छाजेड़ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के निवासी हैं। वह रत्नागिरी जिले के चिपलून में एक गौशाला भी चलाते हैं। उनके मुताबिक, पैसों को लेकर हुए विवाद की वजह से कुछ लोगों ने उनकी गौशाला में तोड़फोड़ की और वहां बंधी गायों की पिटाई की।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि अगले दिन छाजेड़ ने दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने के इरादे से एक वॉट्सऐप मैसेज सर्कुलेट किया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें स्थानीय अदालत से जमानत मिल गई। लेकिन उन्होंने अब अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने और नुकसान की हुई भरपाई के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
छाजेड़ ने कहा कि उन्होंने पुलिस से हमलावरों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अनुरोध किया था, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी। पुलिस को ये लगता है कि कुछ गौशाला संरक्षकों को किया उनका वॉट्सऐप मैसेज उनके लिए परेशानी का सबब बन गया।
पीठ ने सरकारी वकील डॉ. एफआर शेख से पूछा, ‘क्या आपने मैसेज देखा है और यह किस अपराध का खुलासा करता है?’
इस पर शेख ने कहा, 'छाजेड़ के खिलाफ 14 अन्य मामले दर्ज हैं और इस विशेष मामले में उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए (जानबूझकर कृत्यों से धार्मिक भावनाओं को अपमानित करना) लागू होती है।
जस्टिस शिंदे ने फिर से मैसेज को देखा और कहा, ‘उन्होंने मैसेज में किसी भी धर्म का उल्लेख नहीं किया है। इसके बाद जस्टिस ने फिर पूछा कि क्या उन्होंने किसी जाति का या फिर किसी विशेष वर्ग के लोगों का उल्लेख किया है? जस्टिस ने कहा कि मैसेज में उनकी मुख्य पीड़ा का पता चलता है कि सरकार गौशाला को अनुदान नहीं दे रही है।
फिर शेख ने कहा कि मैसेज में एक समुदाय के खिलाफ विशिष्ट आरोप है। इस पर, पीठ ने कहा, ‘यदि तथ्यों पर जाएं, तो ये एक समुदाय के खिलाफ आरोप नहीं हैं। ये ऐसी चीजें हैं जो हुई हैं। यह उनकी पीड़ा है, जो बताती है कि उनके शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
जांच अधिकारी से इस मामले में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए वकील ने पीठ के समझ थोड़ा और समय मांगा। अदालत ने फिलहाल सुनवाई 8 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी है।
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पिछले दिनों वरिष्ठ पत्रकार परांजय गुहा ठाकुरता के खिलाफ गुजरात के कच्छ जिला अदालत ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। मामला अडानी समूह द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे से संबंधित है, जो 2017 में दायर किया गया था।
इस मामले में गुरुवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बयान जारी कर इसकी निंदा की है। एडिटर्स गिल्ड ने बयान जारी कर कहा, ‘परांजय ठाकुरता के खिलाफ निचली अदालत द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करना इस बात का एक और उदाहरण है कि बिजनेस हाउस किसी भी तरह की होनी वाली आलोचनाओं के प्रति कितने असहिष्णु हो गए हैं कि इसकी वजह से लगातार इनकी ओर से स्वतंत्र और निडर पत्रकारों को टारगेट किया जा रहा है।’
गिल्ड ने ठाकुरता के खिलाफ कार्रवाई को ‘प्रेस को बोलने की आजादी’ पर कुठाराघात के रूप में वर्णित किया है और कहा है कि ये स्वीकार करना बहुत मुश्किल हो गया है कि न्यायपालिका भी अब इसका हिस्सा बन गई है।
एडिटर्स गिल्ड ने अपने बयान में अडानी ग्रुप से ठाकुरता के खिलाफ मुकदमे को वापस लेने की मांग की और कहा कि एडिटर्स गिल्ड ये देखकर बहुत निराश है कि कैसे इन मामलों में प्रेस को दबाने के लिए न्यायतंत्र का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह के कानूनों का इस्तेमाल सत्ता में बैठे लोग मीडिया के किए गए खुलासे को दबाने के लिए करते हैं।
दरअसल, वरिष्ठ पत्रकार परांजय ठाकुराता ने 2017 में अडानी समूह को सरकार की ओर से ‘500 करोड़ रुपए का उपहार’ मिलने की खबर प्रकाशित की थी, इसी को लेकर समूह ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया गया था कि केंद्र ने अडानी पावर लिमिटेड को कच्चे माल के लिए शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र नियमों में संशोधन किया था, जिससे 500 करोड़ रुपए का लाभ हुआ।
पत्रकार ठाकुरता के वकील आनंद याग्निक के मुताबिक अडानी समूह को लेकर जिस वेबसाइट पर लेख प्रकाशित किया था, उसमें सभी के खिलाफ शिकायतें वापस ले ली गई हैं, लेकिन ठाकुरता के खिलाफ मामला वापस नहीं लिया गया है। वकील के मुताबिक, जब लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका आपराधिक मानहानि के लिए जिम्मेदार नहीं है, सह-लेखक के खिलाफ भी मामला वापस ले लिया गया है, तो आप लेखक के खिलाफ शिकायत वापस क्यों नहीं ले रहे हैं। वकील ने कहा, ‘हमने अदालत में मुकदमा खरिज करने की अर्जी दी है।’
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हिंदी न्यूज चैनल ‘इंडिया टीवी’ (India TV) में सिद्धार्थ बिश्वास ने बतौर AVP (Strategy and Special Project) जॉइन किया है। बिस्वास इससे पहले पीटीसी नेटवर्क से जुड़े हुए थे और हेड (ब्रैंड मार्केटिंग और डिजिटल) की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, जहां से उन्होंने पिछले महीने इस्तीफा दे दिया था।
पूर्व में बिश्वास ‘जी’ (Zee), ‘दैनिक भास्कर’ (Dainik Bhaskar) और ‘जागरण प्रकाशन’ (Jagran Prakashan) जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संसथानों में ब्रैंड मार्केटिंग का काम संभाल चुके हैं।
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मुंबई की सेशन कोर्ट ने टीआरपी (TRP) से छेड़छाड़ के मामले में गिरफ्तार ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) इंडिया के पूर्व चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर (CEO) पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने इस बारे में 20 जनवरी 2021 को आदेश जारी किए।
बता दें कि टीआरपी घोटाले में कथित संलिप्तता के आरोप में मुंबई पुलिस ने दिसंबर के आखिरी हफ्ते में पार्थो दासगुप्ता को गिरफ्तार किया था। वे 31 दिसंबर, 2020 तक पुलिस हिरासत में थे, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
न्यायिक हिरासत में ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल कम होने के बाद दासगुप्ता को 15 जनवरी को मुंबई के जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह दूसरी बार है जब दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज की गई है। इससे पहले मुंबई की मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने चार जनवरी को दासगुप्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
गौरतलब है कि टीआरपी से छेड़छाड़ का मामला अक्टूबर में तब सामने आया था, जब ‘ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल’ (BARC) द्वारा देश में टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए घरेलू पैनल के प्रबंधन का जिम्मा संभालने वाली एजेंसी ‘हंसा रिसर्च’ (Hansa Research) के अधिकारी नितिन देवकर ने एक शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया था जिन घरों में बार-ओ-मीटर लगे हैं, उन घरों को भुगतान करके कुछ टीवी चैनल्स दर्शकों की संख्या में हेरफेर कर रहे हैं।
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