27 मई 2025 को संजय पुगलिया को अडानी ग्रुप का 'कॉरपोरेट ब्रैंड कस्टोडियन' नियुक्त किया गया है। यह केवल एक औपचारिक पद नहीं है, बल्कि ग्रुप की ओर से एक स्पष्ट संकेत है कि वह अब भरोसे, रणनीति और अपने सार्वजनिक नैरेटिव को एक जगह केंद्रित और नियंत्रित करना चाहता है और इसके लिए उसने भारत के सबसे अनुभवी मीडिया प्रोफेशनल्स में से एक को चुना है।
इस नई भूमिका में संजय पुगलिया अब मीडिया प्रभाव और कॉरपोरेट पहचान के बीच की कड़ी बन गए हैं। उनका काम होगा यह तय करना कि अडानी ग्रुप जैसी जांच-पड़ताल से गुजरने वाली कंपनी अपनी मूल्य-व्यवस्था को किस तरह संप्रेषित करे और अपनी सार्वजनिक छवि को कैसे संभाले।
लेकिन यह पद उन्हें किसी आक्रामक प्रचार या बड़ी-बड़ी सुर्खियों के कारण नहीं मिला। बल्कि उन्होंने यह जगह धैर्यपूर्ण, योजनाबद्ध और प्रभावी रूप से NDTV जैसे प्रतिष्ठित मीडिया हाउस के कायाकल्प के जरिए हासिल की, जिसे अडानी ग्रुप ने 2022 के अंत में अधिग्रहित किया था।
अडानी ग्रुप द्वारा NDTV का अधिग्रहण शुरुआत में एक हाई-प्रोफाइल और बारीकी से देखी जा रही डील थी। लेकिन समय के साथ यह भारत के मीडिया परिदृश्य में सबसे दिलचस्प बदलावों में से एक बन गया। इस पूरे बदलाव के केंद्र में हैं संजय पुगलिया- एक शांत, सोच-समझकर चलने वाले और लंबी रणनीति पर काम करने वाले मीडिया प्रोफेशनल।
AMG और NDTV में बदलाव: रणनीतिक संयम का उदाहरण
जब संजय पुगलिया ने NDTV की कमान संभाली, तब किसी भी तरह का कोई नाटकीय बदलाव या दिखावटी हस्तक्षेप नहीं हुआ। उन्होंने कोई ऐसा बदलाव नहीं किया जो केवल लोगों को दिखाने के लिए हो। इसके बजाय, तेजी की जगह सटीकता को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने धीरे-धीरे संपादकीय प्रक्रियाओं को दुरुस्त किया, चैनलों के कार्यक्रमों को दोबारा व्यवस्थित किया और टीमों को नया रूप देकर उन्हें एक आधुनिक कंटेंट रणनीति से जोड़ा, जो डिजिटल फर्स्ट, मोबाइल केंद्रित और मुद्दों पर आधारित पत्रकारिता पर केंद्रित थी।
इस बदलाव के दौरान NDTV Profit को फिर से लॉन्च करना एक प्रतीकात्मक कदम था। यह चैनल पहले बिजनेस न्यूज में एक बड़ी पहचान था। पुगलिया ने इसे नई पीढ़ी के दर्शकों, निवेशकों, स्टार्टअप फाउंडर्स और आर्थिक रूप से जागरूक युवाओं के लिए फिर से डिजाइन किया।
इस रीलॉन्च के मौके पर उन्होंने कहा, "भारत में करोड़ों लोग पहली बार निवेशक बने हैं। फाइनेंशियल लिटरेसी (वित्तीय साक्षरता) अब पत्रकारिता की नई सीमा है।"
क्षेत्रीय विस्तार, राष्ट्रीय सोच
संजय पुगलिया के नेतृत्व में NDTV में जो सबसे अहम बदलाव हुए हैं, उनमें क्षेत्रीय भाषाओं में विस्तार सबसे महत्वपूर्ण है। इस साल की शुरुआत में NDTV Marathi की लॉन्चिंग के जरिए नेटवर्क ने स्थानीय भाषाओं के बाजारों में गंभीरता से प्रवेश किया है। यह एक सोच-समझकर उठाया गया कदम है, जो महाराष्ट्र जैसे राज्यों में राजनीतिक रूप से जागरूक और आर्थिक रूप से सक्रिय दर्शकों तक पहुंच बनाने की कोशिश है। जल्द ही और क्षेत्रीय चैनलों की शुरुआत की उम्मीद है।
NDTV के एक वरिष्ठ सूत्र के अनुसार, “NDTV की हमेशा से ही एक संपादकीय विश्वसनीयता रही है। संजय ने उस भरोसे को बरकरार रखते हुए उसकी प्रासंगिकता को बढ़ाया है।”
डिजिटल रफ्तार और संपादकीय गहराई
संजय पुगलिया की कार्यशैली हमेशा संवेदनाओं के बजाय गहराई पर केंद्रित रही है। टीवी के साथ-साथ उन्होंने NDTV के डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी मजबूत किया है। एक्सप्लेनर (विवरणात्मक) कंटेंट, डेटा विजुअलाइजेशन (आंकड़ों को समझने योग्य रूप में दिखाना) और तेज मोबाइल रिपोर्टिंग अब NDTV.com की पहचान बन चुकी है।
उन्होंने नए टैलेंट को शामिल किया, राजनीतिक और आर्थिक कवरेज को मजबूत किया और तथ्यों की शुद्धता से समझौता किए बिना स्पीड व फैक्ट-चेकिंग के बीच संतुलन बनाए रखा।
पुगलिया ने अपनी टीम से कहा: “विश्वसनीयता का मतलब धीमा होना नहीं है। इसका मतलब है तेज लेकिन तथ्यों पर आधारित होना, शोर-शराबे से मुक्त होना।”
संपादकीय स्वतंत्रता का संतुलित जवाब
अडाणी ग्रुप द्वारा NDTV के अधिग्रहण के बाद यह आशंका स्वाभाविक थी कि चैनल की संपादकीय स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है। लेकिन संजय पुगलिया ने इस मुद्दे को बहुत संतुलित और सोच-समझकर संभाला। उन्होंने कंपनी और संपादकीय विभाग के बीच स्पष्ट दूरी बनाए रखी और NDTV की कंटेंट रणनीति को विचारधारा की बजाय मुद्दों पर केंद्रित कर दिया। यह दिखाता है कि संपादकीय दिशा को बदले बिना उसे समकालीन दर्शकों के लिए अधिक प्रासंगिक और विश्वसनीय बनाने की कोशिश की गई है।
संकेत जो बदलाव की ओर इशारा करते हैं
NDTV के वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही के नतीजों में 8.3% की आय वृद्धि दर्ज हुई, हालांकि उसे ₹61.97 करोड़ का घाटा हुआ। यह घाटा मुख्य रूप से क्षेत्रीय विस्तार और डिजिटल बुनियादी ढांचे में किए गए दीर्घकालिक निवेश की वजह से है। लेकिन चैनल के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि यह घाटा रणनीतिक फैसलों का हिस्सा है, कोई गंभीर कमजोरी नहीं।
संजय पुगलिया का प्रमोशन
संजय पुगलिया को ‘कॉरपोरेट ब्रैंड कस्टोडियन’ की नई जिम्मेदारी मिलना यह दर्शाता है कि अडाणी ग्रुप अपने संचार (कम्युनिकेशन) और ब्रैंड नैरेटिव को और अधिक पेशेवर और केंद्रीकृत बनाना चाहता है। अब चाहे संकट प्रबंधन हो, सार्वजनिक संवाद या विभिन्न हितधारकों से संपर्क ग्रुप ने यह जिम्मेदारी एक ऐसे मीडिया प्रोफेशनल को दी है जिसने दशकों तक यह समझा है कि सार्वजनिक जीवन में भरोसा कैसे कमाया और खोया जाता है।