‘Disney+Hotstar’ को बाय बोलकर इस बड़े पद पर ‘JioStar’ से जुड़ीं सीमा कामथ

‘जियोस्टार’ से पहले सीमा कामथ करीब चार साल से ‘Disney+Hotstar’ में बतौर मार्केटिंग कम्युनिकेशंस मैनेजर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

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Tuesday, 18 November, 2025
Seema Kamath


‘जियोस्टार’ (JioStar) ने सीमा कामथ को एसोसिएट डायरेक्टर (मार्केटिंग कम्युनिकेशंस) के पद पर नियुक्त किया है। सीमा कामथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लिंक्डइन’ (LinkedIn) पर खुद यह जानकारी शेयर की है।

‘जियोस्टार’ से पहले सीमा कामथ करीब चार साल से ‘Disney+Hotstar’ में बतौर मार्केटिंग कम्युनिकेशंस मैनेजर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।

इस दौरान उन्होंने ऐसे मार्केटिंग कैंपेन तैयार किए और उनका नेतृत्व किया, जिन्होंने दर्शकों के साथ जुड़ाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।

अब ‘जियोस्टार’ में सीमा कामथ का मार्केटिंग और ब्रैंड मैनेजमेंट का व्यापक अनुभव कंपनी की वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस नई भूमिका के साथ, सीमा का लक्ष्य जियोस्टार के मार्केटिंग प्रयासों में नए विचार और प्रभावशाली कम्युनिकेशन स्ट्रैटेजी लाना है।

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वरिष्ठ पत्रकार अमित कसाना ने News24 (डिजिटल) से दिया इस्तीफा

वह न्यूज24 डिजिटल (हिंदी) में बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत थे। यहां उनके पास कंटेंट प्लानिंग और स्पेशल असाइनमेंट की जिम्मेदारी थी। 17 नवंबर 2025 इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था।

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Tuesday, 18 November, 2025
Amit Kasana

वरिष्ठ पत्रकार अमित कसाना ने News24 (डिजिटल) से इस्तीफा दे दिया है। वह न्यूज24 डिजिटल (हिंदी) में बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत थे। यहां उनके पास कंटेंट प्लानिंग और स्पेशल असाइनमेंट की जिम्मेदारी थी।

17 नवंबर 2025 इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था। उनका अगला पड़ाव क्या होगा, इस बारे में फिलहाल आधिकारिक जानकारी नहीं है।

अमित कसाना करीब साढ़े तीन साल से न्यूज24 समूह से जुड़े हुए थे। उन्होंने शुरुआत में हिंदी वेबसाइट की इंटरनेशनल डेस्क पर अपनी भूमिका निभाई। करीब एक साल पहले प्रबंधन ने उन्हें न्यूज एडिटर का पदभार सौंपा और सुबह की शिफ्ट के साथ कंटेंट प्लानिंग और स्पेशल असाइनमेंट की जिम्मेदारी सौंपी।

इससे पहले अमित कसाना हिंन्दुस्तान, दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित मीडिया समूहों से भी जुड़े रहे हैं। वर्ष 2006 में दिल्ली से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले अमित की गिनती तेजतर्रार रिपोर्टर के रूप में होती है। दिल्ली में जन्मे अमित ने राजधानी से ही अपनी पढ़ाई की और कॉलेज में छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे।

इसके बाद दिल्ली के एक प्राइवेट संस्थान से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया। बेहद सरल स्वभाव वाले अमित डिजिटल कंटेंट पर अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं। समाचार4मीडिया की ओर से अमित कसाना को उनके नए सफर के लिए अग्रिम शुभकामनाएं।

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सच्चाई पर टिके रहो, नजरें तेज रखो: न्यू मीडिया के दौर में प्रेस आजादी का नया अध्याय

AI को दुनिया में कोई खतरा मानता है, तो कोई बड़ा मौका। सब इस बात पर निर्भर है कि आप इसे कैसे देखते हैं और कैसे इस्तेमाल करते हैं।

Last Modified:
Monday, 17 November, 2025
AIMedia8745

 माधवन नारायण, वरिष्ठ संपादक व कमेंटेटर।।

रविवार को एक अखबार में सोनू निगम का इंटरव्यू छपा, जिसकी हेडलाइन थी, 'AI को अपना बॉस मत बनने दो।' ये बात सीधे-सपाट थी और उन्होंने इसे म्यूजिक के बारे में कहा, लेकिन ये सलाह सिर्फ म्यूजिक तक सीमित नहीं है। ये पत्रकारिता, न्यूज और पूरी मीडिया इंडस्ट्री पर भी उतनी ही लागू होती है।

AI को दुनिया में कोई खतरा मानता है, तो कोई बड़ा मौका। सब इस बात पर निर्भर है कि आप इसे कैसे देखते हैं और कैसे इस्तेमाल करते हैं।

आज हम ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां हर तरफ चुनौतियां हैं। राजनीति का नया रूप कई बार हमें उन पुराने अधिनायकवादी (authoritarian) समयों की याद दिलाता है जिन्हें हम पीछे छोड़ आए थे। इसके ऊपर, नई-नई टेक्नोलॉजीज इस माहौल को और उलझाती हैं। ऐसे समय में जरूरी है कि हम साफ नजर से देखें कि असली पत्रकारिता और असली प्रेस का मतलब क्या है और उसकी अहमियत क्यों है।

सबसे पहले, 'नेशनल प्रेस डे' शब्द को ही समझना चाहिए। आज इंटरनेट और ग्लोबल कम्युनिकेशन के जमाने में 'नेशनल' शब्द पहले जैसा मायने नहीं रखता और 'प्रेस' शब्द अब सिर्फ प्रिंटिंग प्रेस तक सीमित नहीं है। हालांकि, लोग अभी भी प्रेस को 'फोर्थ एस्टेट', 'वॉचडॉग' और 'लोकतंत्र का चौथा स्तंभ' जैसे सम्मानजनक नामों से बुलाते हैं।

ये शब्द हमेशा अच्छे लगते हैं, लेकिन हकीकत ये है कि हम एक नए दौर में हैं जहां पुरानी धारणाओं को दोबारा परखने की जरूरत है। कोई आलोचक तो यहां तक कह सकता है कि जब देश का प्रधानमंत्री कई सालों से प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करता, तो सरकार नेशनल प्रेस डे क्यों मनाती है। फिर भी, प्रेस अपनी जगह तरीके बदलकर जिंदा है, भले ही पुराने नियमों के मुताबिक न चल रही हो।

अब बात आती है कि क्या प्रेस कोई 'संस्था' है? विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की तरह प्रेस को भारत में कोई खास संवैधानिक विशेष अधिकार नहीं मिलता। पत्रकारों को सिर्फ पहचान पत्र या विज्ञापन मिलना ही कुछ हद तक मान्यता जैसी चीजें हैं।

अमेरिका में तो मीडिया की आजादी को संविधान के 'पहले संशोधन' में सुरक्षा मिली है। लेकिन भारत में मीडिया को सिर्फ 'Right to Freedom' के दायरे में आजादी मिलती है और इसमें 'उचित पाबंदियां' भी शामिल हैं। ऊपर से IT कानूनों ने सरकार और पुलिस को काफी ताकत दे दी है कि वे मीडिया को सीमित कर सकें या सजा दे सकें। कुछ चीजें फिर भी अच्छी हैं।

नेशनल प्रेस डे हर साल 16 नवंबर को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 1966 में इसी दिन प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) बनी थी। इमरजेंसी के दौरान इसका कानून खत्म कर दिया गया था, लेकिन 1979 में फिर लाया गया। PCI के पास सजा देने की शक्ति नहीं है। वो सिर्फ नैतिक उल्लंघनों पर ध्यान देता है और कभी-कभी मीडिया को समझाता, फटकारता या चेतावनी देता है।

ये इसलिए भी जरूरी है ताकि सरकार का बनाया हुआ कोई निकाय मीडिया की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप न कर दे। लेकिन हमें कुछ टीवी एंकर्स भी याद दिलाते हैं कि इस स्वतंत्रता का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। इसके अलावा, बदनामी (defamation) और झूठ फैलाने (libel) जैसे मामले अदालतें देखती हैं, और वो सजा भी दे सकती हैं।

सरकार ने नेशनल प्रेस डे पर एक बयान में कहा कि 'मीडिया एक शक्तिशाली साधन है और इसे पक्षपात से मुक्त रहकर लोगों को जानकारी और शिक्षा देने का काम करना चाहिए।' सरकार के मुताबिक आज भारत में 1.54 लाख पंजीकृत प्रकाशन हैं, जबकि 20 साल पहले ये संख्या 60,143 थी।

लेकिन सवाल है कि क्या ये आंकड़े अब मायने रखते हैं? सोचिए, आज करोड़ों लोग सोशल मीडिया पर हैं—X, Instagram, Facebook… हजारों यूट्यूबर्स हैं जो अपने-अपने तरीके से खबरें देते हैं और फिर WhatsApp University है जहां रोज नई कहानियां, राय, नफरत, झूठ और फ्रॉड भरे संदेश मिल जाते हैं। हर कोई खुद को आजकल पत्रकार, रिपोर्टर और संपादक की तरह समझता है। यानि कि पूरा माहौल एक तरह की अव्यवस्था (chaos) बन चुका है।

पुराने जमाने के जिम्मेदार संपादक अब कम होते जा रहे हैं।IT कानूनों और 'Right to Privacy' की वजह से कई पत्रकारों को लगता है कि कानूनी हथकंडों से उनकी आवाज दबाई जा रही है। इसीलिए शायद भारत को 2025 की World Press Freedom Index में 180 में से 151वां स्थान मिला है।

लेकिन सच्चाई ये भी है कि आपके स्मार्टफोन में हर तरह की खबरें, विचार और जानकारी पूरे जोर से चल रही होती है, जिन्हें रोक पाना लगभग नामुमकिन है। अरे, एक अरब लोगों के कीबोर्ड कैसे चुप रह सकते हैं!

अब हमें 'प्रेस' की जगह 'मीडिया' शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए। मीडिया में अब सब आता है- WhatsApp, Telegram, Instagram, X की पोस्ट, Facebook स्टेटस, यूट्यूब वीडियो, स्वतंत्र वेबसाइटें और युवा पत्रकारों के ऐप्स। ये सारे मिलकर वो काम कर रहे हैं जिसे पहले 'न्यू मीडिया' कहा जाता था। आज ये 'न्यू न्यू मीडिया' बन चुका है। हां, इसमें अफरातफरी है। झूठी खबरें हैं। डीपफेक वीडियो आ रहे हैं। दुनिया में कई जगह तानाशाह जैसे लीडर उभर रहे हैं। अमेरिका में तो ट्रम्प BBC पर केस करने की धमकी दे रहे हैं क्योंकि उनके एक वीडियो को गलत एडिट करके दिखाया गया। BBC ने माफी भी मांग ली, दो बड़े अधिकारियों को हटा भी दिया फिर भी ये मामला थमा नहीं। मीडिया पर खतरे हर जगह मौजूद हैं।

इसके बावजूद, आज सोशल मीडिया यूजर्स, स्टैंड-अप कॉमेडियन, मीम बनाने वाले सब मिलकर एक नए तरह के पत्रकार बन चुके हैं। मीडिया अब एक संस्था नहीं, एक आंदोलन बन गया है- कमियों के साथ, खामियों के साथ।और ये समझना जरूरी है कि स्वतंत्र, विश्वसनीय और ईमानदार मीडिया सिर्फ लोकतंत्र के लिए ही नहीं, बल्कि बिजनेस और समाज दोनों के लिए जरूरी है। ईमानदार मीडिया से ही राजनीति और उद्योग, दोनों में स्वस्थ प्रतियोगिता बनी रहती है।

आज स्मार्टफोन, सस्ते कैमरे और AI टूल्स ने इस 'न्यू न्यू मीडिया' को और ताकत दे दी है। AI एक दोधारी तलवार है- फायदा भी है और खतरा भी। यहीं छोटे-छोटे स्वतंत्र पत्रकार और संस्थान पुराने 'वॉचडॉग' की तरह असली तथ्य, तस्वीरें, वीडियो और आवाजों को छांटकर सच सामने लाने की कोशिश करते हैं। 

कहा जाता है कि फैशन की दुनिया में स्टाइल कभी पुराना नहीं होता। मीडिया की दुनिया में 'विश्वसनीयता' कभी पुरानी नहीं होती। खतरे जितने भी हों, अवसर भी उतने ही बड़े हैं। अब नए जमाने का नियम यही है- AI को अपना बॉस मत बनने दो, उसे सिर्फ अपना सहायक बनाओ।

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पर्पल एंटरटेनमेंट के बोर्ड में बड़े बदलाव, नैषध दिनेशभाई मोदी बने MD व CFO

पर्पल एंटरटेनमेंट लिमिटेड (अब नया नाम Purple Agrotech Industries Limited) ने हाल ही में अपने बोर्ड मीटिंग में कई अहम फैसले लिए।

Last Modified:
Monday, 17 November, 2025
PURPLE-ENTERTAINMENT898

पर्पल एंटरटेनमेंट लिमिटेड (अब नया नाम Purple Agrotech Industries Limited) ने हाल ही में अपने बोर्ड मीटिंग में कई अहम फैसले लिए। सबसे बड़ी खबर यह है कि नैषध दिनेशभाई मोदी (Naishadh Dineshbhai Modi) को कंपनी का नया मैनेजिंग डायरेक्टर व चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) बनाया गया है। उन्हें अगले 5 साल के लिए यह पद सौंपा गया है, जो शेयरहोल्डर्स की मंजूरी पर निर्भर करेगा। इसी दौरान उन्हें कंपनी का Key Managerial Personnel भी नियुक्त किया गया है।

Mr. Naishadh Dineshbhai Modi के पास वित्त (Finance), अकाउंटिंग (Accounting) और टैक्सेशन (Taxation) के क्षेत्र में दस साल से ज्यादा का अनुभव है। इसके अलावा वह Hygenic Palm Oil Limited के बोर्ड के डायरेक्टर भी हैं।

इसके साथ ही बोर्ड ने कई इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स ने इस्तीफे दिए हैं, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है, इनमें शामिल हैं:

  • अल्केश अजीतकुमार शाह

  • डिंपल अलकेशकुमार शाह

  • महावीर कमलेशभाई वीरमगामी

  • निधि भरतभाई सरखेड़ी

बोर्ड ने उनके योगदान की सराहना की और बताया कि उनके इस्तीफे के पीछे कोई गंभीर कारण नहीं है, केवल व्यक्तिगत कारण बताए गए हैं।

इसके अलावा, मैनेजिंग डायरेक्टर चिराग कीर्तिकुमार शाह ने भी व्यक्तिगत कारणों से MD का पद छोड़ दिया है, लेकिन वह अब भी बोर्ड के डायरेक्टर के रूप में काम जारी रखेंगे।

इन बदलावों के बाद, बोर्ड ने अपनी कमेटीज को 15 नवंबर, 2025 से फिर से गठित किया है।

साथ ही, कंपनी ने 30 सितंबर 2025 तक के छह महीने और दूसरे क्वार्टर के अनॉडिटेड फाइनेंशियल रिजल्ट्स को भी बोर्ड मीटिंग में मंजूरी दी है। 

बता दें कि पर्पल एंटरटेनमेंट लिमिटेड एक भारतीय सार्वजनिक कंपनी है, जो यह शॉर्ट फिल्म्स, ऐड फिल्म्स और लाइव शो के निर्माण में संलग्न है। कंपनी का गठन 1974 में हुआ था और इसका पंजीकृत कार्यालय अहमदाबाद में है। 

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Dish TV ने सेटलमेंट फीस देकर SEBI के साथ निपटाया ये मामला

डिश टीवी इंडिया (Dish TV India) ने सेबी (SEBI) के साथ चल रहे अपने एक मामले को निपटा दिया है।

Last Modified:
Monday, 17 November, 2025
DishTV5421

डिश टीवी इंडिया (Dish TV India) ने सेबी (SEBI) के साथ चल रहे अपने एक मामले को निपटा दिया है। यह मामला कंपनी द्वारा SEBI के लिस्टिंग नियमों के एक प्रावधान का पालन न करने से जुड़ा था। SEBI ने 14 नवंबर 2025 को सेटलमेंट ऑर्डर जारी करके यह केस बंद कर दिया।

यह मामला तब शुरू हुआ था जब SEBI ने 17 जनवरी 2025 को डिश टीवी को शो कॉज नोटिस भेजा था। आरोप यह था कि कंपनी ने रेगुलेशन 7(1C) के नियमों का पालन नहीं किया। कहा गया कि कंपनी ने अपने नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर जवाहर लाल गोयल के कंटिन्यू करने से पहले शेयरहोल्डर्स की मंजूरी नहीं ली थी, जबकि उनकी मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर दोबारा नियुक्ति के प्रस्ताव को शेयरहोल्डर्स ने पहले ही खारिज कर दिया था।

इस बीच, मामला आगे बढ़ने से पहले ही डिश टीवी ने SEBI के पास सेटलमेंट एप्लिकेशन दाखिल कर दिया। इसके बाद SEBI की इंटरनल कमेटी ने कंपनी पर ₹11,72,500 का सेटलमेंट अमाउंट तय किया। कंपनी ने यह रकम जमा करने की सहमति दे दी और सभी जरूरी जानकारी भी भेज दी।

SEBI की हाई पावर कमेटी और बोर्ड ने भी इस सेटलमेंट को मंजूरी दे दी। इसके बाद Dish TV ने यह राशि जमा कर दी, जिसकी पुष्टि SEBI ने कर दी है।

इसके साथ ही SEBI ने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में पता चलता है कि कंपनी ने पूरी जानकारी नहीं दी, या नियमों का उल्लंघन किया है, तो SEBI दोबारा कार्रवाई शुरू कर सकता है। 

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‘एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया’ की टीम गठित, राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति में शामिल हुए ये नाम

समिति के सदस्यों ने 'इंडिया इंटरनेशनल सेंटर' में आयोजित एक कार्यक्रम में शपथ ग्रहण की। इस दौरान पत्रकारिता की साख, स्वतंत्रता और जिम्मेदारी को फिर से मजबूत करने का संकल्प लिया गया

Last Modified:
Saturday, 15 November, 2025
Editors Club Of India

पिछले दिनों गठित ‘एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया’ (Editors Club Of India) की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की घोषणा कर दी गई है। समिति के सदस्यों ने दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में शपथ ग्रहण की। यह कार्यक्रम पत्रकारिता की साख, स्वतंत्रता और जिम्मेदारी को फिर से मजबूत करने के संकल्प का प्रतीक बना। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई।

इस मौके पर ‘एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया’ के प्रेजिडेंट अमिताभ अग्निहोत्री ने कहा, ‘आज पत्रकारिता राजनीतिक, तकनीकी और कारोबारी दबावों से गुजर रही है। ऐसे समय में एडिटर की भूमिका और जिम्मेदारी पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। जब सूचना अनगिनत हो, भ्रम भी बढ़ता है। ऐसे समय में एडिटर सिर्फ खबर का नहीं, सत्य का संरक्षक होता है।’

इसके साथ ही उनका यह भी कहना था, ’यह संगठन एक मजबूत, निष्पक्ष और भरोसेमंद मंच बनेगा, जो एडिटर्स को तकनीकी, कानूनी और पेशेवर चुनौतियों में मदद देगा। हम किसी संस्था से लड़ने नहीं आए हैं, हम पत्रकारिता का भविष्य सुरक्षित करने आए हैं।’

शपथ ग्रहण के दौरान 32 सदस्यों को शामिल किया गया। 10 सदस्यीय नई कमेटी इस प्रकार हैं।

1-सीनियर वाइस प्रेजिडेंट – संजय गोस्वामी

2-जनरल सेक्रेटरी – डॉ. सुनील कौशिक

3-कोषाध्यक्ष – सतेन्द्र भाटी

4-संगठन सचिव – नरेश वशिष्ठ

5-वाइस प्रेजिडेंट– अरविंद सिंह

6-वाइस प्रेजिडेंट – आलोक कुमार द्विवेदी

7-ज्वाइंट सेक्रेटरी – पूनम मिश्रा

8-ज्वाइंट सेक्रेटरी – आशीष कुमार ध्यानी

9-एनआरआई/इंटरनेशनल कोऑर्डिनेटर – डॉ. चन्द्रसेन वर्मा

10-आईटी एवं डिजिटल हेड – संजय नारायण सिंह

इस मौके पर सीनियर वाइस प्रेजिडेंट संजय गोस्वामी ने कहा, ‘आज डिजिटल मीडिया, फेक न्यूज, राजनीतिक ध्रुवीकरण और विज्ञापन के दबावों ने एडिटर की भूमिका को मुश्किल बना दिया है। जानकारी ज्यादा है, लेकिन सत्य कम दिखाई देता है। इसलिए आज की परीक्षा सबसे कठिन है।’ उन्होंने एडिटर सेफ्टी, फेक न्यूज रोकथाम और निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाने की घोषणा की।

वहीं, जनरल सेक्रेटरी डॉ. सुनील कौशिक ने कहा कि संगठन का लक्ष्य पूरे देश के एडिटर्स को एक मंच पर लाना और पत्रकारिता को सम्मान व स्वतंत्रता दिलाना है। उन्होंने कहा, ‘हम संघर्ष से पीछे नहीं हटते, लेकिन हमारी प्राथमिकता सिर्फ सत्य की रक्षा करना है।’

ज्वाइंट सेक्रेटरी पूनम मिश्रा ने कहा कि महिला पत्रकारों के लिए सुरक्षा, सम्मान और नेतृत्व के अवसर सुनिश्चित करना संगठन की प्राथमिकता है। एक सुरक्षित महिला ही सबसे मजबूत पत्रकार होती है।

कार्यक्रम के अंत में एडिटर्स क्लब ऑफ इंडिया ने 10 राष्ट्रीय प्राथमिकताएं-एडिटर सेफ्टी, प्रेस फ्रीडम, नैतिक पत्रकारिता, फेक न्यूज के खिलाफ अभियान, डिजिटल स्किल डेवलपमेंट, महिला पत्रकार सशक्तिकरण, युवा एडिटर ट्रेनिंग, कानूनी सहायता, राष्ट्रीय संवाद विस्तार और मीडिया-पब्लिक रिलेशन में पारदर्शिता तय कीं।

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TV एंकर लवीना राज ने ‘नेटवर्क18’ को कहा अलविदा, टीम ने दी शानदार फेयरवेल

मीडिया में अपने अब तक के सफर में लगभग हर बड़ी खबर पर उनकी ग्राउंड रिपोर्टिंग ने मीडिया गलियारों में सुर्खियां बटोरी हैं। हाल ही में बिहार चुनाव की शानदार कवरेज को लेकर उनकी काफी सराहना हुई है।

Last Modified:
Saturday, 15 November, 2025
Lavina Raj..

शानदार एंकरिंग और दमदार ग्राउंड रिपोर्टिंग के दम पर मीडिया में अपनी अलग पहचान बनाने वालीं टीवी पत्रकार लवीना राज ने ‘नेटवर्क18’ (Network18) समूह को अलविदा बोल दिया है। वह इस समूह के हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज18 इंडिया’ (News18 India) में बतौर एंकर करीब तीन साल से अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं। ‘नेटवर्क18’ से लवीना राज की विदाई पर टीम ने उन्हें शानदार फेयरवेल पार्टी दी। लवीना ने सोशल मीडिया पर फेयरवेल की तस्वीरें भी शेयर की हैं।

समाचार4मीडिया से बातचीत में लवीना राज ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की है। अपनी नई पारी के बारे में लवीना राज का कहना था कि वह जल्द ही एक अन्य संस्थान में जॉइन करने जा रही हैं। हालांकि, अपनी नई पारी के बारे में उन्होंने अभी खुलासा नहीं किया है।

मूल रूप से जयपुर (राजस्थान) की रहने वाली लवीना को मीडिया में काम करने का करीब नौ साल का अनुभव है। मीडिया में अपने अब तक के सफर में लगभग हर बड़ी खबर पर उनकी ग्राउंड रिपोर्टिंग ने मीडिया गलियारों में सुर्खियां बटोरी हैं। हाल ही में बिहार चुनाव की शानदार कवरेज को लेकर उनकी काफी सराहना हुई है।    

‘नेटवर्क18’ से पहले लवीना राज करीब तीन साल तक ‘जी समूह’ के साथ जुड़ी हुई थीं। यहां शुरू में इस समूह के रीजनल चैनल ‘जी’ (राजस्थान) में करीब डेढ़ साल बिताने के बाद करीब डेढ़ साल तक उन्होंने ‘जी हिन्दुस्तान’ (Zee Hindustan) में बतौर एंकर अपनी भूमिका निभाई थी। इस चैनल पर वह दो प्राइम टाइम शो शाम सात बजे ‘मेरा राज्य मेरा देश’ और रात दस बजे ‘अखंड भारत’ होस्ट करती थीं।

पढ़ाई-लिखाई की बात करें तो ‘जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी’ (JNU) से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुएट लवीना ने मीडिया में अपने करियर की शुरुआत ‘न्यूज इंडिया’ (News India), जयपुर से की थी। इसके बाद यहां से वह ‘A1 TV’ और ‘जी समूह’ होती हुईं वह ‘नेटवर्क18’ पहुंची थीं, जहां से उन्होंने अब अपनी पारी को विराम दे दिया है।

समाचार4मीडिया की ओर से लवीना राज को उनकी नई पारी के लिए अग्रिम शुभकामनाएं।

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सोशल मीडिया पर रिटायरमेंट फायदे वापस लेने की खबर गलत, सरकार ने किया खंडन

केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर चल रहे एक वायरल संदेश को पूरी तरह गलत बताया है।

Last Modified:
Saturday, 15 November, 2025
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केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर चल रहे एक वायरल संदेश को पूरी तरह गलत बताया है। इस संदेश में दावा किया जा रहा था कि सरकार ने फाइनेंस एक्ट 2025 के तहत रिटायर कर्मचारियों को मिलने वाले फायदे, जैसे DA बढ़ोतरी और पे कमीशन संशोधन, वापस ले लिए हैं। लेकिन सरकार ने साफ कहा है कि यह दावा बिल्कुल फेक है।

प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक यूनिट ने जानकारी दी है कि ऐसे किसी भी बदलाव की घोषणा सरकार ने नहीं की है। रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए DA, पे कमीशन या किसी भी पोस्ट-रिटायरमेंट बेनिफिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

सरकार ने लोगों से अपील की है कि ऐसे अफवाहों पर भरोसा न करें, और किसी भी खबर को साझा करने से पहले उसे आधिकारिक स्रोतों से जरूर जांच लें।

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'द रेड माइक' से अलग हुए वरिष्ठ पत्रकार संकेत उपाध्याय, बताई यह वजह

वह यहां डायरेक्टर और को-फाउंडर के पद पर अपनी भूमिका निभा रहे थे। समाचार4मीडिया से बातचीत में संकेत उपाध्याय ने 'द रेड माइक' से अलग होने की पुष्टि की है।

Last Modified:
Friday, 14 November, 2025
Sanket Upadhyay..

जाने-माने पत्रकार और सीनियर न्यूज एंकर संकेत उपाध्याय ने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म 'द रेड माइक' (The Red Mike) की सभी जिम्मेदारियों से खुद को अलग कर लिया है। वह यहां डायरेक्टर और को-फाउंडर के पद पर अपनी भूमिका निभा रहे थे।

समाचार4मीडिया से बातचीत में संकेत उपाध्याय ने 'द रेड माइक' से अलग होने की पुष्टि की है। संकेत उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने यह फैसला निजी कारणों से लिया है। वह फिलहाल अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना चाहते हैं। संकेत उपाध्याय के अनुसार, ‘अभी तय तय नहीं है कि मैं आगे क्या करूंगा लेकिन पत्रकारिता मेरा प्यार है और रहेगी। देखते हैं जीवन किस दिशा में करवट लेता है।’ आपको यह भी बता दें कि पिछले महीने ही संकेत उपाध्याय की माताजी का देहावसान हुआ था।

संकेत उपाध्याय ने ‘एऩडीटीवी’ (NDTV) में अपनी पारी को विराम देने के बाद करीब दो साल पहले पत्रकार वरिष्ठ पत्रकार सुनील सैनी और सौरभ शुक्ला के साथ 'द रेड माइक' की शुरुआत की थी।

संकेत उपाध्याय के करियर की बात करें तो उन्होंने अक्टूबर 2023 में ‘एनडीटीवी’ को अलविदा कहा था। उस समय वह करीब साढ़े चार साल से इस संस्थान में कंसल्टिंग एडिटर के तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। 

उस दौरान उन्होंने 2019 में दूसरी बार ‘एनडीटीवी’ के साथ अपनी पारी शुरू की थी। वह एनडीटीवी 24X7 और एनडीटीवी इंडिया दोनों ही चैनलों पर नजर आते थे। वह NDTV इंडिया के रात नौ बजे के प्राइम टाइम शो 'खबरों की खबर' का चेहरा थे। इसके अलावा संकेत हिंदी न्यूज जगत का सबसे पुराना डिबेट शो 'मुक़ाबला' और अंग्रेजी में देश का सबसे पुराना डिबेट शो 'The Big Fight' होस्ट करते थे।

संकेत उपाध्याय ने प्रिंट पत्रकार के तौर पर वर्ष 2002 में 'इंडो एशियन न्यूज सर्विस' (IANS) से अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। इसके बाद वह जयपुर चले गए और ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ अखबार जॉइन कर लिया। वे वहां सिटी रिपोर्टर के तौर पर करीब दो साल तक कार्यरत रहे।

वर्ष 2005 में उन्होंने 'एनडीटीवी' के साथ टीवी की दुनिया में कदम रखा। यहां उन्होंने सिटी डेस्क से शुरुआत की और बाद में उन्हें एनडीटीवी के अंग्रेजी चैनल 'NDTV 24×7' का लखनऊ ब्यूरो हेड बना दिया गया। जिस समय संकेत को यह बड़ी जिम्मेदारी दी गई, उस समय उनकी उम्र महज 23 साल थी। 

वर्ष 2008 में संकेत ने दिल्ली का रुख किया और यहां अंग्रेजी चैनल 'टाइम्स नाउ' के साथ करीब साढ़े पांच साल तक काम किया। यहां उन्होंने प्रिंसिपल करेसपॉन्डेंट के तौर पर जॉइन किया था और वर्ष 2014 में जब इस्ती‍फा दिया था, तब वह यहां डिप्टी  न्यूज एडिटर के तौर पर काम कर रहे थे। अपनी इस पारी के दौरान संकेत ने लगभग सभी बड़ी घटनाओं, जिनमें बाढ़ की त्रासदी से लेकर चुनाव और दंगों सभी को कवर किया। सात बजे अपने शो की एंकरिंग के अलावा वह उस समय चैनल के एडिटर-इन-चीफ अरनब गोस्वामी की गैरमौजूदगी में कई बार 'NewsHour' शो को भी होस्ट करते थे।

वर्ष 2014 में संकेत ने आउटपुट इंचार्ज  के तौर पर 'इंडिया टुडे' ग्रुप जॉइन कर लिया था। यहां उन्होंने एक रिपोर्टर और एंकर दोनों की भूमिका निभाई। यहां अन्य महत्वपूर्ण काम करने के साथ ही उन्होंने 'First Up' शो को भी होस्ट  किया था।

इसके बाद संकेत उपाध्याय ने वर्ष 2016 में 'CNN News 18' में बतौर डिप्टी एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर पर अपनी पारी शुरू की। यहां चैनल के दिन के सभी ऑपरेशंस में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। इसके अलावा वह यहां शाम का प्राइम टाइम शो भी होस्ट करते थे। इसके बाद ‘इंडिया अहेड’ होते हुए उन्होंने फिर ‘एनडीटीवी’ के साथ अपनी दूसरी पारी शुरू की थी, जहां से करीब दो साल पहले इस्तीफा देकर उन्होंने बतौर को-फाउंडर अपना डिजिटल मीडिया वेंचर ‘द रेड माइक’ शुरू किया था, जहां से अब उन्होंने खुद को अलग कर लिया है। 

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Star–ZEE विवाद: क्या यह स्पोर्ट्स राइट्स के बदल देगा नियम?

JioStar (पहले Star India) और Zee Entertainment Enterprises Ltd. (ZEEL) के बीच अरबों रुपये के ICC टीवी राइट्स विवाद का अगला बड़ा मुकदमा इस महीने लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में होने जा रहा है।

Last Modified:
Friday, 14 November, 2025
Cricket7845

अदिति गुप्ता, असिसटेंट एडिटर, एक्सचेंज4मीडिया ।।

रिलायंस इंडस्ट्रीज की JioStar (पहले Star India) और Zee Entertainment Enterprises Ltd. (ZEEL) के बीच अरबों रुपये के ICC टीवी राइट्स विवाद का अगला बड़ा मुकदमा इस महीने लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन (LCIA) में होने जा रहा है। इस मामले को भारत की मीडिया, कानूनी और स्पोर्ट्स राइट्स इंडस्ट्री की नजरें बड़ी बारीकी से देख रही हैं। यह इंडस्ट्री का एक सबसे हाई-स्टेक्स विवाद माना जा रहा है क्योंकि ICC के राइट्स IPL के बाद क्रिकेट की सबसे कीमती संपत्ति हैं।

इस मामले के नतीजे से यह तय होगा कि ICC राइट्स सबलाइसेंसिंग डील के फेल होने की जिम्मेदारी किसकी है। इसके साथ ही यह भविष्य में स्पोर्ट्स ब्रॉडकास्टिंग कॉन्ट्रैक्ट्स में पेमेंट सुरक्षा, प्रदर्शन की शर्तें और जोखिम बांटने के तरीके को भी प्रभावित करेगा।

यह विवाद अगस्त 2022 से चल रहा है, जब Star India (अब JioStar) ने Zee के साथ 2024-2027 के लिए ICC मेन्स और अंडर-19 इवेंट्स के टीवी ब्रॉडकास्ट राइट्स सबलाइसेंस करने का समझौता किया था, जबकि डिजिटल राइट्स अपने पास रखी थीं।

JioStar ने ICC राइट्स लगभग 3 बिलियन डॉलर में हासिल किए थे। JioStar के लिए इस डील के फेल होने का मतलब था कि उसे ICC इवेंट्स के ब्रॉडकास्ट और डिजिटल मनीटाइजेशन स्ट्रेटेजी को दोबारा तैयार करना पड़ा। वहीं Zee, जो Sony के साथ अपनी मर्जर डील फेल होने के बाद पहले ही वित्तीय संकट और अनिश्चितता से जूझ रही थी, के लिए यह विवाद लंबी अवधि के कैपिटल एलोकेशन पर असर डाल सकता है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह आर्बिट्रेशन भविष्य में स्पोर्ट्स राइट्स एग्रीमेंट्स के लिए एक गाइड का काम कर सकता है, जिससे पेमेंट ट्रिगर्स और प्रदर्शन की शर्तें स्पष्ट रूप से तय हों। PSL Advocates की पार्टनर सुविज्ञा अवस्थी ने कहा कि इस केस का नतीजा यह बताएगा कि भुगतान की टाइमलाइन को रेगुलेटरी या थर्ड-पार्टी अप्रूवल जैसी शर्तों से जोड़ा जाना कितना महत्वपूर्ण है।

Singhania and Co. के मैनेजिंग पार्टनर रोहति जैन ने कहा कि यह विवाद पार्टियों को अपने कॉन्ट्रैक्ट्स को फिर से देखने के लिए मजबूर कर सकता है। भविष्य में कॉर्पोरेट गारंटी के बजाय एस्क्रो अकाउंट्स के जरिए पेमेंट सुरक्षित करने के प्रावधान रखे जा सकते हैं। भविष्य के सौदे में, वह कह रहे हैं, 'पेमेंट को बायर्स की वित्तीय स्थिति या लंबित मर्जर से जोड़ने वाले क्लॉज होंगे। लाइसेंसर्स भी मटेरियल ब्रेच और कंडीशन्स प्रीसिडेंट को अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित करेंगे ताकि किसी भी लूपहोल को रोका जा सके।' 

इस महीने होने वाली सुनवाई में कॉन्ट्रैक्चुअल टाइमलाइन, गवाहों की गवाही, वित्तीय रिकॉर्ड और पत्राचार का विस्तृत परीक्षण होगा। दोनों पक्ष तथ्य गवाह, विशेषज्ञ मूल्यांकन और दस्तावेज पेश करेंगे ताकि नुकसान का कारण और माप तय किया जा सके।

वकील बी. श्रवंथ शंकर के अनुसार, LCIA ट्रिब्यूनल यह निर्धारित करेगा कि Zee ने USD 203.56 मिलियन एडवांस और बैंक गारंटी पूरी की या नहीं, या Star ने ICC अप्रूवल जैसी कंडीशन्स पूरी कीं या नहीं। सुनवाई में गवाहों की तीव्र क्रॉस-एक्सामिनेशन, वित्तीय नुकसान और ब्रॉडकास्टिंग वैल्यूएशन पर विशेषज्ञ गवाही, पत्राचार और पेमेंट रिकॉर्ड की समीक्षा होगी, और सुनवाई एक से दो हफ्ते तक चल सकती है।

बी. शंकर के अनुसार, यह विवाद भविष्य के कॉन्ट्रैक्ट्स में बैंक गारंटी, लेटर्स ऑफ क्रेडिट और एस्क्रो व्यवस्था जैसी सुरक्षा शर्तों को अनिवार्य बना सकता है। भविष्य के समझौतों में स्पष्ट रूप से तय समयसीमा, रेगुलेटरी अप्रूवल, डिफॉल्ट पर स्टेप-इन राइट्स और फोर्स मैज्योर क्लॉज शामिल होंगे। जोखिम का बंटवारा छोटे खिलाड़ियों के लिए कम अवधि और अधिक एकत्रित ब्रॉडकास्टर्स के साथ होगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद प्रीमियम स्पोर्ट्स संपत्तियों के लिए जटिल सबलाइसेंसिंग स्ट्रक्चर को हतोत्साहित कर सकता है। ब्रॉडकास्टर्स टीवी और डिजिटल राइट्स दोनों अपने पास रखने को प्राथमिकता देंगे बजाय उन्हें कम वित्तीय क्षमता वाले खिलाड़ियों के बीच बांटने के। Rohit Jain ने कहा कि अरबों रुपये के स्पोर्ट्स राइट्स डील्स में अब अधिक सख्त वित्तीय सुरक्षा की जरूरत होगी।

Suhael Buttan, SKV Law Offices के पार्टनर, के अनुसार सुनवाई खत्म होने के बाद तुरंत फैसला होना असंभव है। LCIA के जटिल मामलों में आमतौर पर सुनवाई के कई महीने बाद ही पुरस्कार आता है। अनुमान है कि यह ICC राइट्स विवाद शुरू से अंत तक लगभग दो साल तक खिंच सकता है। हारने वाला पक्ष अंग्रेजी कोर्ट में चुनौती दे सकता है, और भारत में एन्फोर्समेंट में 12-24 महीने लग सकते हैं। कुल मिलाकर नवंबर 2025 की सुनवाई से अंतिम एन्फोर्समेंट 30-48 महीने तक फैल सकता है, यानी मामला 2027 या 2029 तक लंबित रह सकता है।

समझौते के तहत Zee को USD 203.56 मिलियन की पहली किश्त और बैंक गारंटी प्रस्तुत करनी थी। Star का आरोप है कि Zee ने ये जिम्मेदारियां पूरी नहीं कीं, जिससे Star को USD 1.003 बिलियन का नुकसान हुआ। Zee इसे खारिज करती है और कहती है कि Star ने ICC अप्रूवल और जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं किए। Zee ने बैंक गारंटी कमीशन और ब्याज के लिए USD 8.06 मिलियन का काउंटरक्लेम दायर किया।

यह आर्बिट्रेशन की प्रक्रिया मार्च 2024 में शुरू हुई और दिसंबर 2024 तक दस्तावेजी कार्रवाई चलती रही।

  

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Eros International Media Limited जल्द बदलेगा अपना नाम, बोर्ड ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

भारतीय फिल्म प्रॉडक्शन व डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी इरोज इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड (Eros International Media Limited) ने अपने नाम में बदलाव को लेकर बड़ा फैसला लिया है।

Last Modified:
Friday, 14 November, 2025
ErosInternational8745

भारतीय फिल्म प्रॉडक्शन व डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी इरोज इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड (Eros International Media Limited) ने अपने नाम में बदलाव को लेकर बड़ा फैसला लिया है। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 13 नवंबर 2025 को हुई बैठक में कंपनी का नाम बदलकर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। कंपनी का नाम 'Eros International Media Limited' से बदलकर 'Eros Media Technologies Limited' किया जाएगा।

हालांकि यह बदलाव तभी लागू होगा जब शेयरधारक और संबंधित नियामक प्राधिकरण (Regulatory Authorities) इसकी अंतिम स्वीकृति देंगे।

कंपनी जल्द ही शेयरधारकों से औपचारिक मंजूरी लेने के लिए पोस्टल बैलट शुरू करेगी। इसके लिए बोर्ड ने ड्राफ्ट नोटिस, ई-वोटिंग की रिकॉर्ड डेट और स्क्रूटिनाइजर की नियुक्ति को भी मंजूरी दे दी है। 

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