LSTV के दस साल: स्थायित्व की आस में सुनहरी सुबह का इंतजार

लोकसभा टीवी के दस साल पूरे होने के उपलक्ष्य में चैनल के पूर्व सीईओ व ईटीवी-टीवी18 न्यूज ग्रुप के बिजनेस हेड राजीव मिश्र ने समाचार4मीडिया के लिए  विशेष तौर पर एक संस्मरण लिखा है जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं:

Last Modified:
Friday, 22 July, 2016
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लोकसभा टीवी के दस साल पूरे होने के उपलक्ष्य में चैनल के पूर्व सीईओ व ईटीवी-टीवी18 न्यूज ग्रुप के बिजनेस हेड राजीव मिश्र ने समाचार4मीडिया के लिए  विशेष तौर पर एक संस्मरण लिखा है जिसे आप नीचे पढ़ सकते हैं:

rajiv-mishraलोकसभा टीवी ने अपने दस वर्षों के इस सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मुख्य कार्यकारी के रूप में मेरे ढ़ाई वर्ष भी कई रोमांचक और अविस्मरणीय पलों की गवाह रही है। संसदीय गरिमा को बनाये रखने के साथ-साथ कई बेवजह की अव्यावहारिक नियमों के नागपाश को तोड़ने के मेरे कई संवेदनशील प्रयास लोकसभा टीवी की कहानी को और भी दिलचस्प बनाती है।

लोकसभा सचिवालय ने सदन की कार्यवाही के सीधे प्रसारण को लेकर ऐसे कई बेवजह के नियम बना रखे थे जिनसे ‘विजुवल’ तौर पर प्रसारण आकर्षक नहीं बन पाती थी। ‘कैमरा मूवमेन्ट, फ्रेम और मल्टीस्क्रीन’ को लेकर कई पाबंदियों को मैंनें बड़ी शालीनता से खत्म करवाया और इस मुद्दे पर लोकसभा सचिवालय द्वारा प्रस्तावित फाइलों पर अपने रुख और आक्रमकता में कोई कमी नहीं आने दी।

ऐसे कई उदाहरण हैं जिन्हें सार्वजनिक करना लोकसभा की मर्यादा के खिलाफ होगा। कार्यक्रम को लेकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दबाव में तो सभी चैनल या मीडिया समूह रहता है चाहे वह व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के विज्ञापन से प्राप्त धन से चल रहे निजी चैनल हों या कर दाताओं के पैसे से चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के चैनल हों, लेकिन लोकसभा टीवी का मामला कुछ हटकर है। लोकसभा टीवी, लोकसभा सचिवालय द्वारा संचालित है और तकनीकी तौर पर लोकसभा, सरकार के अधीन नहीं है। लोकसभा टीवी इसलिए प्रसार भारती की तुलना में कई मामलों में अलग है।

अब, सवाल यह है कि, फिर लोकसभा टीवी इस तरह के नागपाश में क्यों फंसा है? दरअसल लोकसभा सचिवालय व इसके नौकरशाह इस चैनल को बंधक बनाये रखने की उत्कट इच्छा से ग्रस्त हैं। यही कारण है कि एक सोची-समझी साजिश व रणनीति के तहत लोकसभा टीवी में कार्यरत कर्मचारियों-पत्रकारों को सालाना अनुबंध पर रखा गया है, और प्रतिवर्ष इन कर्मियों की अनुबंध नवीनीकरण पर प्रश्न चिह्न रूपी तलवार लटकी होती है और उस पर तुर्रा यह कि इन सबकी औसत मासिक आमदनी लोकसभा सचिवालय में कार्य कर रहे चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों से भी कम है। मैं यह नहीं कह रहा कि इन चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की मासिक आय कम होनी चाहिए बल्कि उनकी भी मासिक आय निःसन्देह और बढ़नी चाहिए, यह सिर्फ एक तुलनात्मक उदाहरण है।

ऐसे कई मार्मिक क्षण आये हैं जब लोकसभा टीवी में पांच साल से भी ज्यादा समय से कार्यरत व्यक्ति बीमारी और तकलीफ से तड़पती अपनी मां का इलाज सिर्फ इसलिये नहीं करवा पाया क्योंकि किसी बैंक से ऋण मिलने की उसकी पात्रता उसकी नौकरी के सालाना अनुबंध पर आधारित होने के कारण रद्द कर दी गई। इस लोकसभा टीवी कर्मी के मां की मृत्यु समुचित इलाज के अभाव में कलप-कलप कर हो गयी और वह अपने भाग्य को कोसता रह गया। लोकसभा टीवी के सभी कर्मी ना तो अपना एक छोटा सा आशियाना बनाने के लिए ऋण की पात्रता रखते हैं और ना ही कोई वाहन लेने के लिए।

मैने अपने कार्यकाल में इस मकरजाल को तोड़ने की भरपूर कोशिश की और, ऐसा हम इसलिए कर पाये क्योंकि पहली बार लोकसभा टीवी की आमदनी में हजार प्रतिशत से ज्यादा की बढोतरी हुई थी और हम लोकसभा सचिवालय के अनुदान पर आश्रित रहने के बजाय स्वयं अपने पांव पर खड़े हो गये थे।

अथक प्रयास के बावजूद हम इस मकरजाल को तोड़ने में सफल नहीं हो पाये और ‘ऊंट के मुंह में जीरा का स्वाद’ की तर्ज पर सचिवालय ने हमारे टीवी कर्मियों की सैलरी में कुछ प्रतिशतों की बढ़ोतरी कर दी और हमारी लोकसभा टीवी सेवा को लोकसभा सचिवालय सेवा से जोड़ने की मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस बीच लोकसभा चुनाव के घोषणा के साथ हम अगली सरकार की आस में नई सुनहरी सुबह का इन्तजार करने लगे।

आश्चर्य है, लोकसभा और, हमारे माननीय नीति-निर्माता गण कश्मीर से केरल व राजस्थान से मणिपुर तक कोई अन्याय न हो इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कृत संकल्पित है, फिर अपने नाक के नीचे हो रहे इस अन्याय पर उनकी नजर क्यों नही पड़ती? हम आशान्वित हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सहित सभी गणमान्य राजनीतिज्ञ व राजनीतिक दल इस मुद्दे पर सकारात्मक रूख अख्तियार करेंगे और जल्द ही लोकसभा टी.वी. को भी लोकसभा सचिवालय सेवा के एक अंग के रूप में मान्यता मिल जायेगी।

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RICE Adamas Group ने ओमन थॉमस को बनाया CEO

‘एबीपी ग्रुप’ (ABP Group) में नेशनल हेड (Ad Sales) के पद से रिटायर थॉमस अब पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े शिक्षा समूहों में से एक की कमान संभाल रहे हैं।

Samachar4media Bureau by
Published - Tuesday, 02 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 02 September, 2025
OOMMEN THOMAS

कोलकाता स्थित ‘RICE Adamas Group’ ने ओमन थॉमस (Oommen Thomas) को अपना ग्रुप सीईओ नियुक्त किया है।

‘एबीपी ग्रुप’ (ABP Group) में नेशनल हेड (Ad Sales) के पद से रिटायर होने के बाद थॉमस अब पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े शिक्षा समूहों में से एक की कमान संभाल रहे हैं।

इस ग्रुप की स्थापना वर्ष 1985 में प्रोफेसर (डॉ.) समित रे ने की थी। आज शिक्षा के क्षेत्र में इसकी मजबूत मौजूदगी है। ग्रुप के तहत Adamas University और RICE Education काम कर रहे हैं। खासतौर पर RICE Education प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए काफी मशहूर है।

इतने वर्षों में ग्रुप ने अपने कामकाज का विस्तार भी किया है। Adamas Tech Consulting के जरिये यह भारत सहित सऊदी अरब, दुबई, इंग्लैंड और अमेरिका तक आईटी और डिजिटल सॉल्यूशंस प्रदान कर रहा है। आने वाले समय में इसकी योजना कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में भी विस्तार करने की है।

यह समूह स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय है और Adamas International, Adamas World School और Adamas Kids जैसे स्कूल संचालित करता है। साथ ही खेल, कौशल विकास और सामाजिक सेवा (फिलांथ्रॉपी) से जुड़ी पहलों में भी निवेश करता है।

ओमन थॉमस की नियुक्ति ग्रुप के लिए अहम बदलाव मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इस कदम से यह समूह अपनी शिक्षा और टेक्नोलॉजी से जुड़ी गतिविधियों को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।

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क्रिएटिव एजेंसीज को ऑनलाइन गेमिंग कानून में संशोधन की उम्मीद, IT मंत्री ने दिया भरोसा

मौजूदा कानून की तीन-स्तरीय श्रेणी प्रणाली (प्रतिबंधित ऑनलाइन मनी गेम्स, कौशल-आधारित गेम्स और ईस्पोर्ट्स) ने एजेंसीज के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।

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Published - Tuesday, 02 September, 2025
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Tuesday, 02 September, 2025
AshwiniVaishnav7845

गेमिंग क्लाइंट्स के साथ काम करने वाली क्रिएटिव एजेंसीज को अब राहत की उम्मीद जगी है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को स्टेकहोल्डर्स को आश्वासन दिया कि यदि स्पष्टता की समस्या बनी रहती है तो सरकार ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेगुलेशन) अधिनियम, 2025 (PROGA) में संशोधन पर विचार करेगी। यह आश्वासन विज्ञापन जगत के लिए एक राहत की तरह आया है, जो अब तक असमंजस में थे और ब्रैंड मैनेजर्स यह समझने में संघर्ष कर रहे थे कि उनके कैंपेन किन गेमिंग फॉर्मेट्स पर आधारित हो सकते हैं।

एजेंसीज के लिए चुनौती बने रेगुलेटरी ग्रे एरिया

मौजूदा कानून की तीन-स्तरीय श्रेणी प्रणाली (प्रतिबंधित ऑनलाइन मनी गेम्स, कौशल-आधारित गेम्स और ईस्पोर्ट्स) ने एजेंसीज के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। कई गेमिंग फॉर्मेट इन तय श्रेणियों में ठीक से फिट नहीं बैठते, जिसके कारण इंडी स्टूडियो और कम्युनिटी संचालित गेमिंग प्लेटफॉर्म्स रेगुलेटरी अनिश्चितता में फंसे हुए हैं।

क्रिएटिव डायरेक्टर्स के लिए यह उलझन और भी गंभीर रही है, क्योंकि वे नए कैंपेन बनाते समय लगातार इस डर से जूझते रहे कि कहीं इनोवेटिव गेमिंग फॉर्मेट्स गलती से नियामकीय सीमा का उल्लंघन न कर दें। इसी कारण कई एजेंसीज ने वेट-एंड-वॉच रणनीति अपनाई और कई गेमिंग ब्रैंड कैंपेन को रोक दिया।

एजेंसीज का कहना है कि उन्हें ऐसी रेगुलेटरी स्पष्टता चाहिए, जो रेड टेप (अनावश्यक कागजी अड़चनों) में न बदल जाए। उनका मानना है कि अत्यधिक अनुपालन की शर्तें छोटे गेमिंग क्लाइंट्स के लिए क्रिएटिव पार्टनरशिप को असंभव बना सकती हैं।

पेमेंट गेटवे ने बढ़ाई मुश्किलें

समानांतर बैठकों में रेजरपे, फोनपे और स्ट्राइप जैसी पेमेंट कंपनियों की मौजूदगी ने क्रिएटिव इंडस्ट्री की एक और बड़ी चुनौती को उजागर किया। गेमिंग ब्रैंड्स के कैंपेन का क्रियान्वयन कठिन हो गया है, क्योंकि पेमेंट चैनल यह तय करने में संघर्ष कर रहे हैं कि कौन-से गेम्स अनुमत हैं और कौन-से प्रतिबंधित।

इस अनिश्चितता ने एजेंसीज की मीडिया बाइंग रणनीतियों को जटिल बना दिया है। डिजिटल कैंपेन में बार-बार बाधाएं आ रही हैं, क्योंकि पेमेंट प्रोसेसर एहतियात बरतते हुए सुरक्षित रास्ता चुन लेते हैं। शुक्रवार को आरबीआई के डिप्टी गवर्नर की बैंकों और पेमेंट कंपनियों के साथ बैठक में भागीदारी से संकेत मिलता है कि जल्द ही स्पष्ट परिचालन दिशानिर्देश सामने आ सकते हैं।

कानूनी चुनौती से बढ़ी अनिश्चितता

हेड डिजिटल वर्क्स, जो RMG प्लेटफॉर्म A23 की पेरेंट कंपनी है, ने PROGA की संवैधानिकता को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी है। केंद्र सरकार को इस पर 8 सितंबर तक जवाब देना है।

हालांकि, वैष्णव ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत को वैश्विक ईस्पोर्ट्स लीडर बनाना सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन साथ ही जुए पर कड़ी सीमाएं भी लागू रहेंगी। इस दिशा ने क्रिएटिव रणनीतियों को कुछ स्पष्टता प्रदान की है।

पूरी तरह लागू होने से पहले और अधिक परामर्श बैठकों का वादा यह दर्शाता है कि क्रिएटिव समुदाय की ब्रैंड सेफ्टी गाइडलाइंस को लेकर चिंताओं को अब नीतिगत हलकों में सुना जा रहा है। 

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NBDA ने GST पर उठाई चिंता, वित्त मंत्री को लिखा पत्र

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने संगठन के सदस्यों की ओर से वित्त मंत्री व GST परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण को एक औपचारिक पत्र भेजा है

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Published - Tuesday, 02 September, 2025
Last Modified:
Tuesday, 02 September, 2025
NBDA7845

न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (NBDA) के अध्यक्ष रजत शर्मा ने संगठन के सदस्यों की ओर से वित्त मंत्री व GST परिषद की अध्यक्ष निर्मला सीतारमण को एक औपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें मौजूदा GST व्यवस्था से जुड़े दो महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर किया गया है, जिनका न्यूज ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री की वित्तीय स्थिति और परिचालन दक्षता पर असर पड़ रहा है।

दिनांक 28.08.2025 को लिखे अपने पत्र में, NBDA ने सम्मानपूर्वक अनुरोध किया है कि टीवी और डिजिटल न्यूज ब्रॉडकास्टिंग इंडस्ट्री के लिए ऐडवर्टाइजिंग स्पेस, विशेष रूप से सरकारी एजेंसियों जैसे डीएवीपी (DAVP), PSUs और राज्य सरकारों को किए जाने वाले विज्ञापन में, GST के लिए करारोपण का बिंदु (point of taxation) चालान (Section 13, Central GST Act, 2017 के अंतर्गत) से बदलकर भुगतान प्राप्ति/संग्रह पर कर दिया जाए।

इसके अतिरिक्त, NBDA ने यह भी अनुरोध किया है कि कुछ खर्चों- जैसे वाहनों का किराया, भोजन एवं पेय/आउटडोर कैटरिंग, ब्यूटी ट्रीटमेंट और कर्मचारियों के लिए बीमा कवरेज पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) की अनुमति दी जाए, जिसे वर्तमान में सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 की धारा 17(5) के अंतर्गत प्रतिबंधित किया गया है। 

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‘Viacom18’ में इस बड़े पद से रितम चक्रवर्ती ने दिया इस्तीफा

वह यहां करीब दस साल से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। वह अक्टूबर 2015 में कंपनी से जुड़े थे।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 01 September, 2025
Last Modified:
Monday, 01 September, 2025
Ritam Chakrabarty

‘वायकॉम18’ (Viacom 18) से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (exchange4media) को विश्वसनीय सूत्रों से मिली इस खबर के मुताबिक रितम चक्रवर्ती ने यहां अपनी करीब दस साल लंबी पारी को विराम दे दिया है।

वह ‘वायकॉम18’ में सीनियर डायरेक्टर (Communications, Corporate Marketing & Sustainability) के पद पर अपनी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। वह अक्टूबर 2015 में कंपनी से जुड़े थे।

इससे पहले चक्रवर्ती ‘टाइम्स इंटरनेट’ (Times Internet) और ‘ओएबी स्टूडियोज’ (OAB Studios) के साथ भी काम कर चुके हैं।

इसके अलावा, उन्होंने ‘जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड’ (ZEEL) में भी अपनी सेवाएं दी हैं।

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डाबर रेड ने जगाया स्वदेशी गर्व, वैश्विक टूथपेस्ट ब्रांड्स को दी सीधी चुनौती

डाबर का यह कदम साफ दर्शाता है कि अब भारतीय एफएमसीजी और पर्सनल केयर ब्रांड्स अपने स्थानीय मूल और विरासत को मजबूत आधार बनाकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने की रणनीति पर चल रहे हैं।

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Published - Monday, 01 September, 2025
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Monday, 01 September, 2025
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देश की अग्रणी एफएमसीजी कंपनी डाबर इंडिया ने द टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने प्रमुख उत्पाद डाबर रेड टूथपेस्ट के लिए एक पूरे पन्ने का विज्ञापन प्रकाशित कर हलचल मचा दी है। विज्ञापन में टूथपेस्ट को 'The Swadeshi Choice' (स्वदेशी पसंद) के रूप में पेश करते हुए इसे भारतीय उपभोक्ताओं के लिए बना एक शुद्ध भारतीय उत्पाद बताया गया है।

इस विज्ञापन में डाबर रेड की आयुर्वेदिक विशेषताओं और 10 क्लीनिकली प्रूव्ड लाभों का उल्लेख किया गया है। खास बात यह है कि इसमें सीधे किसी ब्रांड का नाम न लेते हुए 'अमेरिकी टूथपेस्ट ब्रांड्स' पर कटाक्ष करते हुए कहा गया है – 'Born there, not here' यानी वहां पैदा हुए, यहां नहीं।

यह संदेश मौजूदा समय की उस भावना को सीधा छूता है, जिसमें उपभोक्ता विदेशी ब्रांड्स की बजाय घरेलू और स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं। सरकार की 'वोकल फॉर लोकल' अपील के बीच डाबर ने यह जाहिर किया है कि वह सिर्फ टूथपेस्ट ही नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा और आयुर्वेद की धरोहर भी है।

टूथपेस्ट कैटेगरी में अब तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा रहा है। ऐसे में डाबर रेड का यह साहसिक और प्रतिस्पर्धी अंदाज उपभोक्ता राष्ट्रवाद की भावना पर सीधा असर डाल सकता है। विज्ञापन में न सिर्फ ब्रांड की भारतीय जड़ों को रेखांकित किया गया है, बल्कि इसे 'Made in India, For Indians' कहकर गर्व की भावना भी जगाई गई है।

इसके साथ ही कंपनी ने उपभोक्ताओं को हेल्पलाइन नंबर और QR कोड के जरिए जुड़ने का मौका देकर इस संवाद को सिर्फ विज्ञापन तक सीमित न रखकर इंटरएक्टिव कैंपेन का रूप भी दिया है। डाबर का यह कदम साफ दर्शाता है कि अब भारतीय एफएमसीजी और पर्सनल केयर ब्रांड्स अपने स्थानीय मूल और विरासत को मजबूत आधार बनाकर उपभोक्ताओं तक पहुंचने की रणनीति पर चल रहे हैं।

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Zee मीडिया ने इन दो निदेशकों की पुनर्नियुक्ति को दी मंजूरी

जी मीडिया (Z Media) ने शनिवार को पोस्टल बैलेट प्रक्रिया के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कंपनी के सदस्यों ने दो महत्वपूर्ण पुनर्नियुक्तियों को मंजूरी दी है।

Vikas Saxena by
Published - Monday, 01 September, 2025
Last Modified:
Monday, 01 September, 2025
ZMedia78451

जी मीडिया (Z Media) ने शनिवार को पोस्टल बैलेट प्रक्रिया के परिणामों की घोषणा करते हुए बताया कि कंपनी के सदस्यों ने दो महत्वपूर्ण पुनर्नियुक्तियों को मंजूरी दी है।

नियामकीय प्रावधानों के तहत मिली जानकारी के अनुसार, कंपनी ने स्वतंत्र निदेशक सुशांत कुमार पांडा को दूसरे कार्यकाल के लिए पुनर्नियुक्त किया है। उनका नया कार्यकाल 1 सितंबर 2025 से 31 अगस्त 2030 तक पांच वर्षों का होगा। इसके साथ ही, दिनेश कुमार गर्ग को कंपनी का पूर्णकालिक निदेशक नियुक्त किया गया है, जिनका कार्यकाल 20 सितंबर 2025 से 19 सितंबर 2028 तक तीन वर्षों का रहेगा।

सुशांत कुमार पांडा -   

सुशांत कुमार पांडा 1982 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय के अंतर्गत कस्टम्स, एक्साइज और सर्विस टैक्स विभाग में 37 वर्षों तक सेवाएं दी और अप्रैल 2019 में सेवानिवृत्त हुए। अपने लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने वित्त मंत्रालय और राजस्व विभाग में कई वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। वे केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के सदस्य भी रहे, जो अप्रत्यक्ष कर नीति बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। इसके अलावा, उन्होंने भारत सरकार में विशेष सचिव का पद भी संभाला।

अपने करियर में श्री पांडा ने तमिलनाडु, गुजरात, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर राज्यों, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय में विशेष निदेशक के रूप में विदेशी मुद्रा कानून और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून से जुड़े मामलों की जाँच की। साथ ही, उन्होंने दिल्ली स्थित केंद्रीय उत्पाद शुल्क, कस्टम्स और सेवा कर अपीलीय अधिकरण (CESTAT) में आयुक्त तथा पूर्वी जोन में मुख्य आयुक्त के रूप में भी सेवाएँ दीं। वे राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और विधि स्नातक हैं।

दिनेश कुमार गर्ग -

दिनेश गर्ग एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और वित्तीय क्षेत्र में उन्हें 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है। उन्हें वित्तीय नियंत्रण और रिपोर्टिंग, कॉरपोरेट पुनर्गठन, फंड जुटाने, आंतरिक व प्रबंधन ऑडिट और कानूनी मामलों में गहन विशेषज्ञता हासिल है।

जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड की वृद्धि में वे कंपनी की कोर टीम का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने अन्य संगठनों में भी वरिष्ठ प्रबंधन स्तर की जिम्मेदारियां निभाई हैं।

कंपनी ने कहा कि दोनों ही नियुक्तियां सभी आवश्यक नियामकीय और सांविधिक अनुमोदनों के बाद प्रभावी होंगी। 

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हैप्पी बर्थडे रक्तिम दास: आप हैं रचनात्मकता और रणनीति के अनूठे शिल्पकार

आज का दिन मीडिया जगत की एक ऐसी शख्सियत को समर्पित है, जिनकी पहचान परंपरा और नवाचार के बीच अद्भुत संतुलन बनाने की क्षमता से होती है। आज रक्तिम दास का जन्मदिन है।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 01 September, 2025
Last Modified:
Monday, 01 September, 2025
RaktimDas7845

आज का दिन मीडिया जगत की एक ऐसी शख्सियत को समर्पित है, जिनकी पहचान परंपरा और नवाचार के बीच अद्भुत संतुलन बनाने की क्षमता से होती है। आज रक्तिम दास का जन्मदिन है। एक ऐसे दिग्गज, जिन्होंने भारत के मीडिया परिदृश्य को अपनी सोच, दृष्टि और नेतृत्व से नई दिशा दी है। 

पिछले दो दशकों में उन्होंने देश के कई प्रभावशाली मीडिया संस्थानों में अपनी छाप छोड़ी है। कभी उनकी रचनात्मक दृष्टि ने कहानियों और कंटेंट को नया आयाम दिया, तो कभी उनकी रणनीतियों ने व्यवसायिक सफलता की राह दिखाई। उनके सफर की यही खासियत है कि वे हर जगह सिर्फ योगदान नहीं देते, बल्कि उस संस्था की आत्मा में अपनी पहचान भी जोड़ जाते हैं।

यह दिन सिर्फ उनके जन्म का नहीं, बल्कि उस यात्रा का भी उत्सव है, जिसने भारतीय मीडिया जगत को और अधिक समृद्ध, सशक्त और प्रगतिशील बनाया।

रक्तिम दास ने अपनी यात्रा इंडिया टुडे ग्रुप से शुरू की, जहां उन्होंने ब्रैंडेड कंटेंट को एक गंभीर व्यावसायिक प्रैक्टिस के रूप में विकसित करने में मदद की- बहुत पहले, जब यह इंडस्ट्री मानक बनी। उन्होंने बिजनेस टुडे इंडिया को एक शीर्ष स्तरीय बिजनेस मैगजीन बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया और बाद में जी बिजनेस को उसकी वृद्धि के एक महत्वपूर्ण चरण में पुनर्जीवित करने की दिशा में अग्रसर किया। जी के साथ अपने दूसरे कार्यकाल में, उन्होंने जी इनोवेशन स्टूडियो की स्थापना की- एक ऐसा केंद्र जो प्रयोग और नए विचारों का घर बना और जिसने कंपनी के रचनात्मक विस्तार को बढ़ाया।

आज, टीवी9 नेटवर्क में ब्रॉडकास्ट और डिजिटल के चीफ ग्रोथ ऑफिसर के रूप में, दास टेलीविजन और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर वृद्धि का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां कंटेंट स्ट्रैटेजी, ऐड सेल्स, ब्रैंडेड कंटेंट और नए IP क्रिएशन को एक दृष्टि के तहत जोड़ा गया है। उनका नेतृत्व इंडस्ट्री-फस्ट इनीशिएटिव्स को बनाने, अवॉर्ड-विनिंग प्रॉपर्टीज तैयार करने और इस बात को फिर से परिभाषित करने में केंद्रीय रहा है कि दर्शक और ब्रैंड मीडिया के साथ कैसे जुड़ते हैं।

वे टीवी9 नेटवर्क में डिजिटल बिजनेस की P&L (लाभ और हानि) जिम्मेदारी संभालते हैं। अपने करियर की शुरुआत में ही, उन्हें 2008–10 के दौरान जी बिजनेस की टर्नअराउंड सफलता की कहानी लिखने और उसका नेतृत्व करने का श्रेय जाता है। बाद में, जी में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान, उन्हें जी इनोवेशन स्टूडियो को अपने कार्यकाल में उद्योग का सर्वश्रेष्ठ बनाने का श्रेय मिला।

उनके करियर में वैश्विक ब्रैंडों को भारतीय पाठकों और दर्शकों तक लाने की उपलब्धि भी शामिल है। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू साउथ एशिया और टाइम मैगजीन से लेकर साइंटिफिक अमेरिकन और मेंस हेल्थ तक, रक्ति‍म ने भारत में अंतरराष्ट्रीय मीडिया टाइटल्स को लॉन्च करने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहाx वैश्विक मानकों को स्थानीय संवेदनशीलताओं के साथ मिलाया गया।

इस दिन, हम न केवल उनके प्रोफेशनल्स उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं, बल्कि एक ऐसे नवोन्मेषक की भूमिका का भी, जिन्होंने हमेशा दूसरों से पहले मीडिया का भविष्य देखा है। 

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सिद्धार्थ जैन ने IBDF के महासचिव पद से दिया इस्तीफा

सिद्धार्थ जैन ने इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) के महासचिव (सेक्रेट्री जनरल) पद से इस्तीफा दे दिया है

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Published - Monday, 01 September, 2025
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Monday, 01 September, 2025
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सिद्धार्थ जैन ने इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन (IBDF) के महासचिव (सेक्रेट्री जनरल) पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे देश के इस शीर्ष निकाय के लिए एक ऐसे कार्यकाल का समापन हुआ है, जिसने ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का प्रतिनिधित्व करते हुए एक अहम संक्रमण चरण की निगरानी की।

इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने इस खबर की पुष्टि एक्सचेंज4मीडिया से की है।

सिद्धार्थ जैन ने 2021 में IBDF का कार्यभार संभाला था, उस समय जब संगठन अपना दायरा टेलीविजन से आगे बढ़ाकर तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल इकोसिस्टम को भी शामिल कर रहा था। उनके नेतृत्व में, IBDF ने इंडस्ट्री की आवाज के रूप में अपनी भूमिका और गहरी की, ब्रॉडकास्टर्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स दोनों का प्रतिनिधित्व किया और साथ ही आत्म-नियमन और इंडस्ट्री सहयोग के तंत्रों को मजबूत किया।

यह फाउंडेशन स्वयं 1999 में स्थापित हुआ था और पहले इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन के नाम से जाना जाता था। यह जनरल एंटरटेनमेंट, न्यूज, स्पोर्ट, मूवी, म्यूजिक और इन्फोटेनमेंट सहित विभिन्न जॉनर में प्रमुख टेलीविजन ब्रॉडकास्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है। इसके सदस्य मिलकर 400 से अधिक चैनल्स और भारत में लगभग 90 प्रतिशत टेलीविजन दर्शकों की संख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं।

डिजिटल कंटेंट के तेजी से उभार के साथ, सिद्धार्थ के नेतृत्व में IBDF ने अपना दायरा बढ़ाकर ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए भी प्रतिनिधित्व और गवर्नेंस सुनिश्चित किया, जिससे यह उन कुछ इंडस्ट्री निकायों में शामिल हो गया जो पारंपरिक और डिजिटल प्रसारण दोनों को जोड़ते हैं।

सिद्धार्थ के कार्यकाल में देखी गई प्रमुख इनिशिएटिव्स में से एक थी इंडियन डिजिटल मीडिया इंडस्ट्री फाउंडेशन (IDMIF) का गठन, जिसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को एक संरचित इंडस्ट्री आवाज देने के लिए एक सहायक संगठन के रूप में बनाया गया। वे डिजिटल मीडिया कंटेंट रेगुलेटरी काउंसिल (डीएमसीआरसी) की स्थापना में भी अहम रहे, जो डिजिटल सामग्री के लिए एक आत्म-नियामक अपील निकाय है और जिसका मॉडल ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट्स काउंसिल (बीसीसीसी) पर आधारित है, जो अब भी गैर-समाचार टेलीविजन मनोरंजन चैनलों की सामग्री को नियंत्रित करता है।

रणनीतिक और परिचालन नेतृत्व के लिए व्यापक रूप से सराहे जाने वाले जैन ने IBDF में अपना गहन अनुभव लाया, जिसमें टर्नर इंटरनेशनल इंडिया में प्रबंध निदेशक (दक्षिण एशिया) के रूप में उनकी वरिष्ठ भूमिकाएं शामिल थीं। IBDF में उनके कार्य ने नीति-समर्थन को संस्थान-निर्माण के साथ जोड़ा, यह सुनिश्चित करते हुए कि दर्शकों की बदलती आदतों और नियामक चुनौतियों के युग में फाउंडेशन प्रासंगिक बना रहे। 

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‘IBDF’ में जल्द यह बड़ी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं अविनाश पांडेय

अविनाश पांडेय को ब्रॉडकास्टिंग और मीडिया मैनेजमेंट में काम करने का करीब तीन दशक का अनुभव है।

Samachar4media Bureau by
Published - Monday, 01 September, 2025
Last Modified:
Monday, 01 September, 2025
Avinash IBDF

सीनियर मीडिया प्रोफेशनल अविनाश पांडेय देश में टेलिविजन ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधित्व वाले प्रमुख संगठन ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन‘ (IBDF) में जल्द ही सेक्रेट्री जनरल का पदभार संभाल सकते हैं।

इंडस्ट्री से जुड़े विश्वसनीय सूत्रों ने हमारी सहयोगी वेबसाइट ‘एक्सचेंज4मीडिया’ (e4m) को बताया कि इस पद पर उनकी नियुक्ति तय हो चुकी है।  

अविनाश पांडेय को प्रसारण और डिजिटल मीडिया में 26 वर्षों से अधिक का नेतृत्व अनुभव है। वह ABP नेटवर्क में CEO और COO जैसे अहम पदों पर रह चुके हैं, जहां उन्होंने स्टार न्यूज को एक डिजिटल रूप से सक्षम समाचार नेटवर्क में तब्दील करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

दिल्ली विश्वविद्यालय (इतिहास) और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र अविनाश पांडेय, कई प्रभावशाली पदों पर रह चुके हैं। वह इंटरनेशनल एडवरटाइजिंग एसोसिएशन (IAA) के इंडिया चैप्टर के अध्यक्ष और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

इसके अलावा, उन्होंने FICCI, ASSOCHAM और सूचना-प्रसारण मंत्रालय की कई अहम कमेटियों में भी योगदान दिया है, जहां मीडिया गवर्नेंस और पॉलिसीज के निर्माण में उनकी सक्रिय भूमिका रही है।

अविनाश पांडेय को इसी साल जुलाई में लक्ष्य मीडिया ग्रुप (Laqshya Media Group) ने अपने बोर्ड में डायरेक्टर के रूप में शामिल किया है। यह नियुक्ति ग्रुप की आउट-ऑफ-होम (OOH) और इंटीग्रेटेड मीडिया सर्विसेज को लेकर उसकी रणनीतिक यात्रा को और मजबूत बनाती है।

Laqshya में अपने नए पद के साथ-साथ, अविनाश पांडेय हाल ही में Primus Partners से भी जुड़े हैं, जहां वे मीडिया प्रैक्टिसेज के लिए सीनियर एडवाइजर की भूमिका निभा रहे हैं। इस भूमिका के जरिए वह कंसल्टेंसी और मीडिया एडवोकेसी दोनों क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक पहुंच और प्रभाव का विस्तार कर रहे हैं।

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RIL व Meta के बीच बड़ी डील, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉल्यूशंस के लिए बनेगा नया जॉइंट वेंचर

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक. के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित समाधान विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त उद्यम (जॉइंट वेंचर) की घोषणा की है।

Samachar4media Bureau by
Published - Saturday, 30 August, 2025
Last Modified:
Saturday, 30 August, 2025
RIL7841

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक. के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित समाधान विकसित करने और बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त उद्यम (जॉइंट वेंचर) की घोषणा की है। यह हाल के वर्षों में दोनों कंपनियों के बीच सबसे महत्वपूर्ण सहयोगों में से एक है।

स्टॉक एक्सचेंज को दिए गए खुलासे में, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि उसके बोर्ड ने रिलायंस इंटेलिजेंस लिमिटेड नामक एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के गठन को मंजूरी दे दी है, जिसकी शुरुआती चुकता पूंजी ₹1 करोड़ होगी। यह सहायक कंपनी मेटा के साथ संयुक्त उद्यम समझौते को लागू करेगी।

जॉइंट वेंचर की शर्तों के तहत, एक नई इकाई का गठन होगा जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज (अपनी सहायक कंपनी के माध्यम से) 70% हिस्सेदारी रखेगी, जबकि मेटा के पास 30% हिस्सेदारी होगी। दोनों कंपनियों ने मिलकर लगभग ₹855 करोड़ (करीब 100 मिलियन डॉलर) का शुरुआती निवेश करने का संकल्प लिया है।

यह नया संयुक्त उद्यम विभिन्न क्षेत्रों में एंटरप्राइज एआई सेवाओं के विकास, विपणन और वितरण पर केंद्रित होगा। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा कि उसकी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े उपक्रमों, जिनमें निवेश, अधिग्रहण और साझेदारियां शामिल हैं, को भी आगे बढ़ाएगी।

कंपनी ने स्पष्ट किया, “मेटा के साथ यह लेनदेन संबंधित पक्ष लेनदेन (related-party transaction) नहीं है, क्योंकि कंपनी के प्रमोटर ग्रुप का इसमें कोई हित नहीं है।”

यह सौदा नियामकीय और अन्य आवश्यक स्वीकृतियों के अधीन है और उम्मीद है कि कैलेंडर वर्ष 2025 की चौथी तिमाही तक पूरा हो जाएगा। यह घोषणा रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने कंपनी की वार्षिक आम बैठक में बोर्ड की बैठक के तुरंत बाद की।

मेटा के उन्नत ओपन-सोर्स Llama मॉडल्स द्वारा संचालित, जॉइंट वेंचर निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करेगा:

  • एंटरप्राइज एआई प्लेटफॉर्म-एज-ए-सर्विस: संगठनों के लिए एक सुरक्षित, फुल-स्टैक वातावरण, जहां वे विशिष्ट उपयोग मामलों के लिए जेनरेटिव एआई मॉडल्स को कस्टमाइज, लागू और नियंत्रित कर सकेंगे। यह बिक्री और विपणन, सूचना प्रौद्योगिकी विकास और संचालन, ग्राहक सेवा, वित्त और अन्य एंटरप्राइज वर्कफ्लोज में काम आएगा।

  • प्री-कॉन्फिगर्ड एआई सॉल्यूशंस का सेट, जो विभिन्न क्रॉस-फंक्शनल और उद्योग-विशिष्ट उपयोग मामलों को संबोधित करेगा।

यह साझेदारी मेटा के ओपन-सोर्स Llama मॉडल्स को रिलायंस इंडस्ट्रीज की डिजिटल बैकबोन के साथ मिलाकर भारतीय एंटरप्राइजेज और एसएमबीज को किफायती दरों पर एंटरप्राइज-ग्रेड एआई उपलब्ध कराएगी। “एंटरप्राइज ग्रेड” रेडीनेस वाले Llama को पहले ही कई प्रोडक्शन वातावरणों में सफलतापूर्वक परखा जा चुका है, जिससे यह संयुक्त उद्यम बड़े पैमाने पर एआई सॉल्यूशंस लागू कर सकेगा। साथ ही, Llama की कम टोटल कॉस्ट ऑफ ओनरशिप की वजह से उच्च-प्रदर्शन वाले मॉडल्स को कम लागत पर स्केल किया जा सकेगा। जॉइंट वेंचर के पास क्लाउड, ऑन-प्रिमाइसेस और अपनी इंफ्रास्ट्रक्चर पर तैनाती की अधिक लचीलापन भी होगा। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर लागतों का सक्रिय प्रबंधन संभव होगा।

इस सौदे का समापन नियामकीय अनुमोदनों के अधीन है और इसे 2025 की चौथी तिमाही तक पूरा होने की उम्मीद है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने कहा, “मेटा के साथ साझेदारी हमारी इस दृष्टि को साकार करती है कि हम हर भारतीय और एंटरप्राइज तक एआई पहुंचाएं- मेटा के सबसे व्यापक रूप से अपनाए गए ओपन-सोर्स Llama मॉडल्स को हमारी मल्टी-इंडस्ट्री विशेषज्ञता के साथ मिलाकर। हम हर भारतीय संगठन, चाहे महत्वाकांक्षी एसएमबी हो या ब्लू-चिप कॉरपोरेट्स, के लिए एंटरप्राइज-ग्रेड एआई का लोकतांत्रिकरण करेंगे, जिससे वे तेजी से नवाचार कर सकें, अधिक कुशलता से संचालन कर सकें और वैश्विक मंच पर आत्मविश्वास से प्रतिस्पर्धा कर सकें। रिलायंस इंडस्ट्रीज जॉइंट वेंचर की पेशकशों को तैनात करने और परिष्कृत करने के लिए एक वास्तविक एंटरप्राइज-स्केल वातावरण के रूप में भी कार्य करेगा—जिससे बड़े पैमाने पर तेजी से सुधार और निरंतर विकास संभव हो सकेगा।”

मेटा के फाउंडर व सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा, “हम रिलायंस के साथ अपनी साझेदारी को गहरा करने के लिए उत्साहित हैं ताकि भारतीय डेवलपर्स और एंटरप्राइजेज तक ओपन-सोर्स एआई की शक्ति पहुंचाई जा सके। इस जॉइंट वेंचर के माध्यम से, हम मेटा के Llama मॉडल्स को वास्तविक दुनिया में उपयोग में ला रहे हैं, और मुझे इस बात की खुशी है कि जैसे-जैसे हम नई संभावनाओं को खोलेंगे, मेटा एंटरप्राइज स्पेस में अपना विस्तार करेगा।”

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