श्रीनिवासन जैन ‘गलत सूचना पर सेमिनार – कैसे यह सामाजिक न्याय को प्रभावित करता है’ (A Seminar on Misinformation – How it affects social justice) कार्यक्रम में बोल रहे थे, जिसका आयोजन कर्नाटक मीडिया अकादमी (KMA) द्वारा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग और गांधी स्मारक निधि के सहयोग से किया गया था। यह कार्यक्रम मंगलवार को बेंगलुरु स्थित गांधी भवन में आयोजित किया गया था।
उन्होंने बड़े लीडर्स द्वारा इस तरह के झूठ न फैलाने पर जोर दिया और कहा, “हर दिन सत्ताधारी शासन द्वारा एक नया ‘जिहाद’ गढ़ा जाता है, जो सांसदों, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों तक फैलाया जाता है। कोई भी अतिवादी या अविश्वसनीय सिद्धांत नहीं है जो उच्चतम स्तर पर प्रचारित न किया जा रहा हो। प्रधानमंत्री स्वयं इस चुनाव में सबसे विभाजनकारी सांप्रदायिक अभियानों का नेतृत्व कर चुके हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि फेक न्यूज और झूठ के इस चक्र को तभी खत्म किया जा सकता है, जब इसे फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। “यह एक राजनीतिक समस्या है और इसका मुकाबला भी राजनीतिक तौर पर किया जाना चाहिए। विपक्ष नारे तो दे रहा है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। अल्पसंख्यक रोजाना पूर्वाग्रह का शिकार हो रहे हैं, और विपक्ष को इसे वैसे ही लड़ना चाहिए जैसे वह महंगाई या किसानों के मुद्दे पर लड़ता है।”
सेमिनार में कई पत्रकार, छात्र और शिक्षाविद शामिल हुए। इसके साथ ही एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई, जिसमें अन्य प्रमुख हस्तियों ने भी अपने विचार रखे।