एबीपी नेटवर्क के पूर्व सीईओ अविनाश पांडेय ने कहा, ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग बहुत ही पुराना विषय है।
एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) द्वारा तैयार की गई 'समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40 अंडर 40’ (40 Under 40)' की लिस्ट से 12 अगस्त 2024 को पर्दा उठ गया। दिल्ली में स्थित ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ (IIC) के मल्टीपर्पज हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम में इस लिस्ट में शामिल हुए प्रतिभाशाली पत्रकारों के नामों की घोषणा की गई और उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।
सुबह दस बजे से 'मीडिया संवाद' कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न पैनल चर्चा और वक्ताओं का संबोधन शामिल था। इसके बाद शाम को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन हुआ। ‘मीडिया संवाद’ 2024 कार्यक्रम का विषय था- ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बढ़ता मायाजाल और मीडिया पर इसका प्रभाव’, जिस पर चर्चा की गई। इस शिखर सम्मेलन में एक ही जगह टेलीविजन, प्रिंट व डिजिटल मीडिया से जुड़े तमाम दिग्गज जुटे और इस विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
इस दौरान एबीपी नेटवर्क के पूर्व सीईओ अविनाश पांडेय ने कहा, ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग बहुत ही पुराना विषय है। 2009 के मैकेन्स के ऐडवर्टाइजिंग फेस्टिवल में था और वहां एक किताब डिस्ट्रीब्यूट की गई, जोकि पूर्णतय: मशीन के द्वारा लिखी गई थी और यह आज से 13-14 साल पहले की बात है। तो ये कोई नई चीज नहीं है। मूलतः टेक्नोलॉजी की भूमिका केवल आपके लिए समय खरीदती है। यानी जो काम आप दस घंटे में करते थे, वो काम अब आप पांच मिनट में कर सकते हैं, ताकि आपका टाइम बच जाए और आप कुछ और कर सकें।
उन्होंने बताया कि दो दिन पहले मैं बॉम्बे में एक्सेंचर की एक मीटिंग में था, जहां गूगल अपनी एक टेक्नोलॉजी लेकर आयी थी, जोकि न्यूज चैनल्स के लिए थी। उन्होंने दिखाया कि न्यूज चैनल्स और स्पोर्ट्स चैनल्स बहुत टाइम बर्बाद करते हैं वीडियो एडिट करने और क्यूरेट करने में। गूगल ने बताया कि यदि आप हमारी पूरी की पूरी फिल्म देख लें और उसमें यदि आप डालना चाहें कि अमिताभ बच्चन के कितनी बार गब्बर सिंह को देखकर मुस्कुराया और उस पर गब्बर सिंह का रिएक्शन था, तो वो आपको एक सेकेंड में वो क्यूरेट करके दे देंगे। यदि आप ये देखना चाहते हैं कि मोदी जी की रैली में कब-कब, कितनी-कितनी बार लोगों ने तालियां बजायी और वो स्पीच क्या थी, एक मिनट में क्यूरेट करके दे देगी। इसके बाद गूगल ने बताया कि न्यूज रूम में वीडियो एडिटर जो घंटो काम करके निकालते हैं, वो यह टेक्नोलॉजी एक मिनट में निकालकर दे देगी। इससे ये हो रहा है कि हमारी जैसे बिजनेसमैन जो चैनल चलाते हैं, उनके लिए कॉस्ट इफैक्टिव काम हो रहा है, इसका मतलब ये नहीं कि आप बेरोजगार हो जाएंगे। आपके रिसोर्सेज कहीं और प्रयोग में लिए जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि न्यूज बिजनेस खासकर भारत में फेल हो रहा है। न्यूज बिजनेस के मालिक परेशान हैं। यदि आप इनका तीन साल का बैलेंस सीट निकाल कर देख लें, तो या तो उनका लाभ तीन सौ फीसदी गिरा है या वे नुकसान में चले गए हैं। जब इतने सारे बदलाव हो रहे हैं, तो इसी बीच अखबारों ने पिछले साल मुनाफा दर्ज किया है और वो ग्रोथ इसलिए है क्योंकि न्यूज बिजनेस का बहुत बड़ा फ्यूचर है। और यहां सब इस बात का जिक्र हम लोग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हम सभी को लग रहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आने से न्यूज बिजनेस में गिरावट आएगी, जबकि मेरा मानना है कि ऐसा नहीं होगा।
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मतदान सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक चला और कुल 1295 वर्तमान व पूर्व सांसदों में से लगभग 690 ने वोट डाले, जो अब तक की सबसे ज्यादा भागीदारी है।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के सचिव (प्रशासन) पद पर भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने एक बार फिर अपनी मजबूत पकड़ साबित की। मंगलवार को हुए चुनाव में उन्होंने अपने ही दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को हराया। करीब ढाई दशक से इस पद पर रूडी का दबदबा कायम है। कई बार वे बिना मुकाबले विजयी रहे हैं, जबकि इस बार मुकाबला सख्त माना जा रहा था।
मतदान सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक चला और कुल 1295 वर्तमान व पूर्व सांसदों में से लगभग 690 ने वोट डाले, जो अब तक की सबसे ज्यादा भागीदारी है। मतगणना 26 राउंड में हुई, जिसमें शुरुआती दौर से ही रूडी ने बढ़त बनाए रखी।
मतदान में केंद्रीय मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे जैसे दिग्गजों ने भी हिस्सा लिया। बालियान पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ग्रामीण राजनीति के प्रभावशाली चेहरे माने जाते हैं, जबकि रूडी लंबे समय से सत्ताधारी दल की केंद्रीय राजनीति में सक्रिय हैं।
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में लोकसभा अध्यक्ष पदेन अध्यक्ष होते हैं, लेकिन सचिव की भूमिका क्लब के प्रशासन और कार्यक्रम संचालन में अहम मानी जाती है। इस चुनाव में सचिव पद के साथ 11 कार्यकारी सदस्यों के लिए भी मतदान हुआ, जिसमें 14 उम्मीदवार मैदान में थे।
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को कहा कि जहां एक ओर न्यायालय के फैसलों का समाज पर प्रभाव पड़ता है
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार को कहा कि जहां एक ओर न्यायालय के फैसलों का समाज पर प्रभाव पड़ता है, वहीं न्यूज रिपोर्टिंग लोगों की सोच और आचरण को बदलने की क्षमता रखती है।
वे ‘न्यायपालिका और मीडिया: साझा सिद्धांत, समानताएं और असमानताएं’ विषय पर भाषण दे रहे थे। यह व्याख्यान ‘प्रेम भाटिया पत्रकारिता पुरस्कार और स्मृति व्याख्यान’ के अंतर्गत एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित किया गया।
जस्टिस खन्ना ने प्रेस और न्यायपालिका को लोकतांत्रिक व्यवस्था के दो प्रहरी बताते हुए कहा कि ये दोनों कार्यपालिका और विधायिका की अतिरेक प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा, “निर्णयों का समाज पर असर होता है, लेकिन न्यूज कवरेज हमारी सोच और व्यवहार को बदल सकता है। हम न्यूज के प्रभाव को कम आंकते हैं। खबरें सिर्फ तथ्यों का निष्क्रिय स्रोत नहीं हैं, बल्कि वे हमारी जिंदगी में अनजाने में दखल देती हैं। हमें यह एहसास नहीं होता कि हम लगातार खबरों के ‘सूप’ में पक रहे हैं।”
जस्टिस खन्ना के अनुसार, लोकतांत्रिक समाज में न्यूज या मीडिया रिपोर्टिंग तभी “स्वस्थ” कही जा सकती है, जब उसमें पूर्वाग्रह, पक्षपात या ध्रुवीकरण का जहर न हो। उन्होंने कहा, मीडिया यह कार्य सीधे तरीके से करता है, जबकि न्यायपालिका इसे अधिक सूक्ष्म ढंग से निभाती है।
उन्होंने कहा, “दोनों, जब सही तरह से काम करते हैं, तो सच इसीलिए बोलते हैं कि लोकतंत्र को उकसाया नहीं, बल्कि संरक्षित और मजबूत किया जाए। आखिरकार, जनता के लिए, जनता द्वारा और जनता की सरकार का मतलब है मजबूत निगरानी संस्थाएं।”
जस्टिस खन्ना ने जोर देकर कहा कि दोनों संस्थाओं की वैधता जनता के भरोसे से आती है, जो तर्क, ईमानदारी और निष्पक्षता पर आधारित होता है। यदि पक्षपात, गलत सूचना या स्वतंत्रता की कमी आ जाए, तो यह भरोसा टूट सकता है और “अधिकार इसके शिकार बन जाते हैं। इसलिए दोनों पेशों में निष्पक्षता, न्याय और वस्तुनिष्ठता के प्रति अडिग प्रतिबद्धता जरूरी है।”
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 75 साल बाद सवाल यह है कि क्या अभिव्यक्ति की आजादी “और व्यापक, अधिक समावेशी और अधिक मजबूत” हुई है। “क्या इसने नई आवाजों, गहरे असहमति और बदलते विमर्श को जगह दी है? क्या यह वर्तमान समय की जरूरतों का सार्थक जवाब दे रही है?”
उन्होंने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्व ही है जो इसे राजनीतिक और कार्यपालिका के अतिक्रमण, डिजिटल विकृति और आर्थिक असुरक्षा जैसी चुनौतियों के प्रति संवेदनशील बनाता है।
उन्होंने कहा, “हम अलग-अलग तरीकों से सुनते और काम करते हैं- आप कहानियों और लेखों के जरिए, हम दलीलों, मौखिक बहस और लिखित फैसलों के जरिए। लेकिन हमारा उद्देश्य एक है- सच की आवाज की रक्षा करना, निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ बने रहना। ऐसा करने पर हम स्वतंत्रता और आजादी को कायम रखते हैं।”
जस्टिस खन्ना ने कहा कि जिम्मेदार पत्रकारिता पूरी कहानी कहती है, भावनाएं भड़काए बिना, सार्वजनिक बहस को सीमित किए बिना, और विभिन्न दृष्टिकोणों को बिना छिपे एजेंडे के सामने लाती है। उन्होंने जोड़ा, “जज सभी पक्षों को तौलकर विवेचित निर्णय देते हैं, पत्रकारिता को भी यही अनुशासन और मानक अपनाने चाहिए। सटीकता और निष्पक्षता पर कोई समझौता नहीं हो सकता। सच, दृष्टिकोण और आलोचनात्मक सोच, यही साझा धरातल है जिस पर न्याय और स्वतंत्र प्रेस खड़े हैं।”
उन्होंने चेतावनी दी कि मीडिया को ऐसी किसी भी बात को गढ़ने, तोड़ने-मरोड़ने या काटने-छांटने से बचना चाहिए, जिससे जनता प्रभावित हो सकती है। “मीडिया को संवाद और आलोचनात्मक सोच में संलग्न होना चाहिए।”
जस्टिस खन्ना ने कहा कि हालांकि दोनों संस्थाएं- मीडिया और न्यायपालिका कुछ अहम अंतर रखती हैं। “मीडिया राय बनाने का संस्थान है- इस मामले में आप न्यायपालिका से कहीं आगे हैं। जज संवैधानिक पदाधिकारी होते हैं जो अभिलेख पर मौजूद तथ्यों के आधार पर कानून की व्याख्या करते हैं और अपने फैसलों के जरिए बोलते हैं। हम अपने मामले खुद नहीं चुनते, न ही अदालत के बाहर उन पर टिप्पणी करते हैं। हमें अपने संवैधानिक कार्य में संपादकीय राय नहीं देनी चाहिए, जो ऐसा करता है, वह न्यायिक जीवन की शपथ से धोखा करता है।”
उन्होंने ‘पीत पत्रकारिता’ के नए रूपों से सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि ‘तेज खबरों’ के अपने दुष्परिणाम होते हैं।
उन्होंने कहा, “पहला, इससे पाठक/दर्शक की गहन सोचने की क्षमता घट जाती है। गहराई से सोचना मेहनत और ऊर्जा मांगता है। सोशल मीडिया आकर्षक है और ज्यादातर समय यह न तो गहन सोचने की क्षमता चाहता है और न समय।”
जस्टिस खन्ना के अनुसार, आज के युवा जटिल मुद्दों पर लगातार सोचने की क्षमता खो चुके हैं। उन्होंने कहा, “संज्ञानात्मक तर्क क्षमता घट रही है। नतीजा यह है कि सबसे अच्छे विचार ऊपर नहीं आते। ऐसे विचार आगे बढ़ते हैं जिनके पीछे बहुसंख्यक समर्थन, समानता, विरोध, भावनात्मक चुप्पी आदि हो।”
उन्होंने टीवी डिबेट्स की ओर इशारा करते हुए कहा, “आज कोई भी विषय सचमुच सुरक्षित नहीं है। हम हर शाम ‘फ्लेम वॉर’ देखते हैं। ऑनलाइन कड़वी बहसें पुल बनाने में मदद नहीं करतीं।”
उन्होंने निष्कर्ष में कहा कि न्यायपालिका और प्रेस दो अलग और स्वतंत्र अंग हैं, लेकिन उनकी सेहत परस्पर निर्भर है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “संविधान ने हम सबको अलग-अलग भूमिकाएं दी हैं। किसी को भी दूसरे की भूमिका हथियानी नहीं चाहिए।”
सन टीवी नेटवर्क ने सोमवार को कहा कि डीएमके सांसद दयानिधि मारन द्वारा अपने बड़े भाई और कंपनी के प्रमोटर कलानिधि मारन को भेजा गया कानूनी नोटिस वापस ले लिया गया है
सन टीवी नेटवर्क ने सोमवार को कहा कि डीएमके सांसद दयानिधि मारन द्वारा अपने बड़े भाई और कंपनी के प्रमोटर कलानिधि मारन को भेजा गया कानूनी नोटिस वापस ले लिया गया है, जिससे तमिलनाडु के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों में से एक के भीतर का विवाद सुलझ गया है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) को लिखे एक पत्र में सन टीवी के कंपनी सचिव रवि राममूर्ति ने बताया कि उन्हें प्रमोटर कलानिधि की ओर से सूचित किया गया है कि दयानिधि द्वारा उनके, उनके रिश्तेदारों और अन्य व्यक्तियों को भेजे गए सभी कानूनी नोटिस “बिना शर्त और अपरिवर्तनीय रूप से वापस ले लिए गए हैं” और इस प्रकार मुद्दे “सुलझ चुके हैं।”
भारत के सबसे बड़े टीवी नेटवर्क में से एक, सन टीवी ने दोहराया कि इन कानूनी नोटिसों का जारी होना और वापस लिया जाना कंपनी के कारोबार, प्रबंधन या दिन-प्रतिदिन के संचालन से संबंधित नहीं है। यह पूरी तरह से प्रमोटर का निजी पारिवारिक मामला है।
पिछले जून में दयानिधि ने अपने बड़े भाई कलानिधि को नोटिस भेजा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सन टीवी प्राइवेट लिमिटेड के 12 लाख इक्विटी शेयर प्रति शेयर ₹10 के मूल्य पर अपने नाम आवंटित कर लिए, “बिना पर्याप्त और उचित मूल्यांकन, निष्पक्ष विचार और बिना अन्य मौजूदा शेयरधारकों- मुरासोली मारन और दिवंगत डीएमके प्रमुख एम. करुणानिधि के परिवारों — की सहमति प्राप्त किए।”
इसके बाद 20 जून को सन टीवी ने एनएसई को पत्र लिखकर कहा था कि दयानिधि द्वारा जारी कानूनी नोटिसों से संबंधित खबरों का कंपनी के कारोबार पर कोई असर नहीं है।
नोटिस की वापसी की उम्मीद तब बढ़ी, जब डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने मध्यस्थता की पहल की। यह विवाद उस समय सार्वजनिक हुआ था जब राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। स्टालिन ने इस विवाद को सुलझाने के लिए द्रविड़र कड़गम प्रमुख के. वीरमणि को भी जोड़ा। हालांकि, सन टीवी ने यह नहीं बताया कि मामला आखिरकार किस तरह निपटाया गया।
अपने भाई पर मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने का आरोप लगाते हुए दयानिधि ने यह भी चेतावनी दी थी कि वह सूचना और प्रसारण मंत्रालय से संपर्क कर सन ग्रुप के सभी लाइसेंस तुरंत रद्द करने की मांग करेंगे, साथ ही भारतीय समाचार पत्र रजिस्ट्रार से इसके समाचार पत्रों के पंजीकरण और प्रकाशन लाइसेंस को रद्द करने का आग्रह करेंगे।
उन्होंने यह भी कहा था कि वह भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) से संपर्क कर सनराइजर्स हैदराबाद को जारी फ्रैंचाइजी लाइसेंस रद्द करने और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से स्पाइसजेट लिमिटेड के परिचालन लाइसेंस को तुरंत रद्द करने की मांग करेंगे।
बदलते मीडिया व ऐडवर्टाइजिंग सर्विसेज के बाजार में, जहां वैश्विक दिग्गज स्थानीय स्वतंत्र एजेंसियों पर नजर गड़ाए हुए हैं, हवास इंडिया ने खुद को सबसे अनुशासित आक्रामक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है।
रुहैल अमीन, सीनियर स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट, एक्सचेंज4मीडिया ।।
भारत के तेजी से बदलते मीडिया और ऐडवर्टाइजिंग सर्विसेज के बाजार में, जहां वैश्विक दिग्गज स्थानीय स्वतंत्र एजेंसियों पर नजर गड़ाए हुए हैं, हवास इंडिया ने खुद को सबसे अनुशासित और चुपचाप आक्रामक खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। कंपनी ने अधिग्रहण के रास्ते से अपना मजबूत नेटवर्क बनाया है- एक रणनीति जो पेरिस मुख्यालय वाली पेरेंट कंपनी की वित्तीय ताकत, वैश्विक नेतृत्व की रचनात्मक दृष्टि और भारतीय प्रबंधन के परिचालन अनुशासन पर आधारित है।
भारत में संचालन का नेतृत्व राणा बरुआ, ग्रुप सीईओ- हवास इंडिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, उत्तर एशिया (जापान और दक्षिण कोरिया) कर रहे हैं। पिछले चार सालों में कंपनी का विस्तार योजनाबद्ध और स्थिर गति से हुआ है- तेजी से नहीं, लेकिन हमेशा एक स्पष्ट सोच के साथ: वहां अधिग्रहण करना, जहां क्षमता मजबूत हो, पैमाना तेजी से बढ़े और सांस्कृतिक प्रासंगिकता गहरी हो।
हवास इंडिया के गंभीर इरादों का सबसे पहला संकेत 2023 के मध्य में मिला, जब उसने मुंबई स्थित PivotRoots का अधिग्रहण किया। शिबु शिवानंदन, हेतल खालसा, ध्रुवी जोशी और योगेश खांचंदानी द्वारा स्थापित इस एजेंसी ने परफॉर्मेंस मार्केटिंग, प्रोग्रामैटिक बाइंग और फुल-स्टैक डिजिटल सॉल्यूशंस में मजबूत पकड़ बनाई थी। इसके ग्राहकों में एमेजॉन प्राइम वीडियो, स्विगी, हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसे बड़े नाम थे और इसकी संस्कृति भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था में गहराई से जुड़ी एक युवा एजेंसी की फुर्ती को दर्शाती थी।
हवास के लिए यह अधिग्रहण किसी बेहतरीन स्वतंत्र एजेंसी को भारी-भरकम बहुराष्ट्रीय ढांचे में समेटने का प्रयास नहीं था। राणा बरुआ के नेतृत्व में, PivotRoots ने अपना नेतृत्व, डीएनए और स्वायत्तता बरकरार रखी, साथ ही हवास के वैश्विक नेटवर्क, टूल्स और क्रॉस-बॉर्डर बिजनेस अवसरों तक पहुंच प्राप्त की। यह हवास इंडिया के पसंदीदा मॉडल का शुरुआती उदाहरण था- घुटन के बिना एकीकरण, पहचान खोए बिना विस्तार।
PivotRoots का सौदा एक व्यापक वैश्विक अधिग्रहण लहर का हिस्सा था, जिसमें हवास ने ऑस्ट्रेलिया की हॉटग्लू और स्पेन की टिडार्ट को भी खरीदा। हर मामले में तरीका वही, अपने क्षेत्र का अग्रणी खरीदना, उसकी धार बनाए रखना और उसे “हवास विलेज” मॉडल में जोड़ना- एक समेकित ढांचा जहां क्रिएटिव, मीडिया, पीआर और कंटेंट यूनिट्स सहज सहयोग में काम करते हैं।
भारत में यह रणनीति अर्चना जैन की पीआर पंडित (PR Pundit) जैसी एजेंसियों के अधिग्रहण में भी दिखी, जो प्रीमियम ब्रांड्स और प्रभावशाली अभियानों के लिए जानी जाती है। हवास इंडिया ने शोबिज (Shobiz) को भी अपने नेटवर्क में शामिल किया, जिसका नेतृत्व समीर तोक्कावाला कर रहे थे। उच्चस्तरीय कॉर्पोरेट इवेंट्स, प्रदर्शनियों और इंटीग्रेटेड ब्रांड एक्सपीरियंस के लिए मशहूर शोबिज ने ग्राहक संबंधों और निष्पादन विशेषज्ञता की एक मजबूत विरासत जोड़ी। इसके हवास विलेज में आने से नेटवर्क की लाइव और एक्सपीरिएंशल मार्केटिंग में स्थिति बेहद मजबूत हुई, जिससे डिजिटल अभियानों से लेकर जमीनी एक्टिवेशन तक हर उपभोक्ता संपर्क बिंदु पर ब्रांड कहानियां पहुंचाई जा सकीं।
इन सौदों ने मिलकर हवास इंडिया को एक ऐसा पोर्टफोलियो बनाने में सक्षम बनाया, जो क्रिएटिव, मीडिया, पीआर, एक्सपीरिएंशल और डिजिटल परफॉर्मेंस- सभी को कवर करता है, वह भी हर क्षमता को शून्य से बनाने में लगने वाले लंबे समय के बिना।
हवास की अधिग्रहण भूख सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आई, जब उसने भारत के आखिरी बड़े स्वतंत्र एजेंसी समूहों में से एक मैडिसन में गहरी दिलचस्पी दिखाई। रिपोर्टों के अनुसार, कंपनी लगभग ₹750 करोड़ के मूल्यांकन पर नियंत्रण हिस्सेदारी खरीदने की उन्नत वार्ता में थी; वास्तविक आंकड़ा ₹600 करोड़ से अधिक और ₹800 करोड़ से कम बताया गया। मैडिसन के मीडिया और क्रिएटिव एसेट्स को हासिल करना हवास इंडिया को तुरंत एक नए प्रतिस्पर्धी पायदान पर पहुंचा देता, उसके क्लाइंट बेस और बाजार प्रभाव को नाटकीय रूप से बढ़ा देता।
यह संभावित सौदा लंबे समय से चर्चा में था। स्वतंत्र एजेंसी ने NPCI और सैमसोनाइट जैसे बड़े खाते जीते, लेकिन साथ ही गोदरेज कंज्यूमर और मैकडॉनल्ड्स जैसे प्रमुख खाते खोए, जबकि रेमंड पिच पर चला गया। इस उतार-चढ़ाव के बीच बाजार में इसके अगले कदम को लेकर अटकलें तेज थीं। बहुतों के लिए हवास का “विलेज” मॉडल आदर्श समाधान लगता था—जो पैमाना और आधुनिकीकरण दे सकता था, और एजेंसी की मेहनत से बनी ब्रांड पहचान भी बरकरार रखता।
इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों ने एक्सचेंज4मीडिया से पुष्टि की है कि यह सौदा संभवतः अब होने के करीब है। लंबे समय से अटकी बातचीत ने तेजी पकड़ी है और दोनों पक्ष कम से कम 51% और संभवतः 76% हिस्सेदारी के लिए शर्तें तय कर रहे हैं, जिसमें समय के साथ 100% अधिग्रहण की संभावना भी है। यह सौदा साधारण लेन-देन नहीं होगा, बल्कि दो मजबूत विरासतों का मेल होगा- एक वैश्विक और अधिग्रहण-प्रेरित, दूसरी स्वदेशी और स्वतंत्र, जो पैमाने, क्षमता और दृष्टिकोण पर सहमति बना रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि दो अन्य इच्छुक पक्ष भी थे, (एक बड़ी होल्डिंग कंपनी और एक प्राइवेट इक्विटी खिलाड़ी) लेकिन फिलहाल सैम बलसारा और मैडिसन हवास के साथ डील की ओर बढ़ रहे हैं और चर्चा अंतिम चरण में हो सकती है।
सैम बलसारा का सफर महत्वाकांक्षा, दृढ़ता और दृष्टि का उदाहरण है। मार्च 1988 में उन्होंने मैडिसन वर्ल्ड की स्थापना इस मिशन के साथ की कि एक स्वदेशी एजेंसी बनाई जाए, जो दुनिया की बेहतरीन कंपनियों के बराबर खड़ी हो सके। दशकों में उन्होंने इस सपने को एक कम्युनिकेशन पावरहाउस में बदल दिया, जिसमें मीडिया प्लानिंग, पीआर, ग्रामीण मार्केटिंग, एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स जैसे 26 विशेषीकृत यूनिट शामिल हैं। वैश्विक समूहों के दबदबे वाले इंडस्ट्री में भी मैडिसन ने अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखी और लगातार रचनात्मक उत्कृष्टता व रणनीतिक प्रभाव दिया।
हाल ही में अजीत वर्गीज की मैडिसन में ग्रुप सीईओ और मैनेजिंग पार्टनर (साझी हिस्सेदारी के साथ) के रूप में नियुक्ति को व्यापक तौर पर हवास–मैडिसन सौदे की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। उनका आगमन नेतृत्व टीम को और मजबूत करता है, जिससे एजेंसी टैलेंट आकर्षित करने, क्लाइंट बनाए रखने और फिर हवास के तहत स्वतंत्र रूप से काम करते हुए ‘हवास विलेज’ ढांचे में सहजता से फिट होने के लिए तैयार है। इंडस्ट्री विश्लेषकों का मानना है कि उनकी भूमिका केवल परिचालन तक सीमित नहीं होगी, बल्कि परिवर्तनकारी होगी- मैडिसन की स्वतंत्र विरासत और हवास की वैश्विक क्षमताओं के बीच सेतु का काम करेगी, जिससे अधिग्रहण के बाद सांस्कृतिक और व्यावसायिक तालमेल सुचारु रहे।
मैडिसन मीडिया और OOH के ग्रुप सीईओ विक्रम सक्सेना (Vikram Sakhuja) ने कंपनी को प्रतिस्पर्धी दौरों से पार कराने में अहम भूमिका निभाई है। IIT दिल्ली और IIM कोलकाता के पूर्व छात्र सक्सेना के पास मार्केटिंग (P&G, कोका-कोला), मीडिया (स्टार टीवी) और ऐडवर्टाइजिंग (माइंडशेयर, ग्रुपएम, मैक्सस वर्ल्डवाइड, मैडिसन) में 38 वर्षों का अनुभव है।
मैडिसन वर्ल्ड में शामिल होने से पहले वह मैक्सस वर्ल्डवाइड के ग्लोबल सीईओ, ग्रुपएम में ग्लोबल स्ट्रैटेजी डेवलपमेंट ऑफिसर, ग्रुपएम साउथ एशिया के सीईओ और माइंडशेयर साउथ एशिया के सीईओ रह चुके हैं। वर्तमान में वह मीडिया रिसर्च यूजर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (MRUC) के वाइस-चेयरमैन हैं और BARC टेक कमेटी, IRS टेक कमेटी तथा IBDF-AAAI सब-कमेटी के चेयरमैन हैं। साथ ही, वह ABC काउंसिल के सह-अध्यक्ष, AAAI बोर्ड के सदस्य और ऐड क्लब बॉम्बे के पूर्व अध्यक्ष भी हैं। हाल ही में उन्हें एडवरटाइजिंग एजेंसिज एसोसिएशन ऑफ इंडिया (AAAI) से लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला है।
लारा बलसारा वजीफदार ने मैडिसन को श्रीलंका जैसे नए बाजारों में प्रवेश कराने और पीआर (ब्रैंडकॉम पीआर) व डिजिटल परफॉर्मेंस (हाइवमाइंड्स) जैसी अहम क्षमताओं को जोड़ने में नेतृत्व किया है। उनके मार्गदर्शन में संगठनात्मक विस्तार और कम्युनिकेशन पोर्टफोलियो का दायरा दोनों बढ़ा है। IMPACT मैगजीन की “मीडिया में 50 सबसे प्रभावशाली महिलाओं” की सूची में वह शुरुआत से हर साल शामिल रही हैं। उनकी भूमिका इस बात का उदाहरण है कि दूरदर्शी सोच और परिचालन दक्षता किस तरह किसी विरासत एजेंसी को नए युग के लिए तैयार कर सकती है।
हवास की उद्यमशीलता की डीएनए और सैम बलसारा का उद्यमी कौशल एक-दूसरे के लिए स्वाभाविक मेल हैं। यह साझेदारी मूल रूप से अधिग्रहण नहीं, बल्कि उद्यमी सहयोग है। इसमें दो प्रबंधन संस्कृतियां साथ आती हैं, जो संस्थापक-नेतृत्व वाली सोच, मजबूत ग्राहक संबंध और जमीनी फुर्ती को महत्व देती हैं। मैडिसन के नेतृत्व को बरकरार रखते हुए और उसकी स्वतंत्र ब्रांड पहचान को बचाए रखते हुए हवास यह संकेत देता है कि उद्देश्य पहचान मिटाना नहीं, बल्कि साझा रणनीतिक दृष्टिकोण के तहत दोनों को फलने-फूलने देना है। यह कदम भारतीय ऐडवर्टाइजिंग इंडस्ट्री में एक मिसाल बन सकता है कि एकीकरण रचनात्मक विस्तार का माध्यम हो सकता है, सांस्कृतिक मिटावट का नहीं।
हवास इंडिया की सबसे बड़ी ताकत उसका स्थानीय स्वायत्तता और वैश्विक समर्थन का मिश्रण है। राणा बरुआ आक्रामक लेकिन टिकाऊ विकास के जनादेश के साथ काम करते हैं, और विवेंडी (हवास की पेरेंट कंपनी) की गहरी जेबें और रणनीतिक धैर्य उनके पास है। इससे संगठन अवसर आते ही तेजी से कदम बढ़ा सकता है, लेकिन बिना सोचे-समझे केवल पैमाना बढ़ाने की दौड़ में नहीं लगता।
हवास इंडिया की रफ्तार का बड़ा श्रेय बरुआ की ‘इंट्राप्रेन्योरियल’ सोच को जाता है- जहां उद्यमी की तरह सोचने का साहस और कॉर्पोरेट नेता की संरचनात्मक अनुशासन, दोनों का मेल है। उन्होंने केवल वैश्विक प्लेबुक को लागू नहीं किया, बल्कि भारतीय बाजार के लिए खास रणनीति तैयार की, उच्च क्षमता वाले साझेदारों को पहचानना, संस्थापकों से गहरे संबंध बनाना और ऐसा माहौल देना, जहां अधिग्रहित कंपनियां अपनी रचनात्मक स्वायत्तता बरकरार रखते हुए अपने सपनों का विस्तार कर सकें।
वित्तीय रूप से समूह अधिकांश स्थानीय प्रतिस्पर्धियों से ज्यादा कीमत देकर उपयुक्त परिसंपत्तियां खरीद सकता है। सांस्कृतिक रूप से यह उन कंपनियों की पहचान का सम्मान करता है, जिन्हें वह खरीदता है—भारत जैसे देश में यह अहम है, जहां संस्थापक अक्सर अपनी कंपनी को किसी बेनाम बहुराष्ट्रीय ढांचे में खोने से बचाना चाहते हैं। यही कारण है कि हवास इंडिया उच्च प्रदर्शन करने वाली स्वतंत्र एजेंसियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है, जो पैमाना तो चाहती हैं, लेकिन अपनी आत्मा खोए बिना।
भारतीय ऐडवर्टाइजिंग बाजार एक संरचनात्मक बदलाव के दौर में है। वैश्विक नेटवर्क न सिर्फ ग्राहकों के बजट के लिए, बल्कि टैलेंट, बौद्धिक संपदा और खास क्षमताओं- खासकर डिजिटल परफॉर्मेंस, ई-कॉमर्स, इंफ्लुएंसर मार्केटिंग और पीआर के लिए भी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
हवास इंडिया के लिए यह उर्वर जमीन है। कंपनी ने बहुराष्ट्रीय और घरेलू, दोनों तरह के ब्रांड्स के साथ भरोसेमंद छवि बनाई है। अधिग्रहणों ने उसे फुल-फनल समाधान देने की क्षमता दी है, ऐसे समय में जब ग्राहक एकीकृत सेवाएं चाहते हैं।
यह सौदा सिर्फ पैमाना खरीदने के लिए नहीं होगा, यह दशकों पुराने ग्राहक संबंध, राष्ट्रीय स्तर का सर्विस नेटवर्क और भारतीय ऐडवर्टाइजिंग जगत के सबसे पहचानने योग्य नामों में से एक को अपने साथ जोड़ने का मामला होगा। यह कदम हवास इंडिया की प्रतिस्पर्धी स्थिति को रातों-रात बदल देगा।
हवास इंडिया की M&A (विलय और अधिग्रहण) रणनीति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह अधिग्रहणों को ‘ट्रॉफी’ की तरह नहीं देखता। हर सौदा क्षमता, सांस्कृतिक मेल और दीर्घकालिक विकास के मंच के रूप में किया जाता है। नेतृत्व स्पष्ट है- लक्ष्य कर्मचारियों की संख्या या बिलिंग में सबसे बड़ा बनना नहीं, बल्कि ऐसा पोर्टफोलियो तैयार करना है जो सांस्कृतिक रुझानों को परिभाषित करे, ग्राहकों के लिए नतीजे दे और मीडिया, क्रिएटिविटी व तकनीक की बातचीत का नेतृत्व करे।
यह दृष्टिकोण एक ‘क्यूरेटेड कलेक्शन’ जैसा है, जहां हर अधिग्रहण इस आधार पर चुना जाता है कि वह पूरे नेटवर्क को कैसे पूरक बनाता है। यह धैर्य और बारीकी वाला तरीका है, जबकि अक्सर बाजार में एकीकरण सिर्फ गति और पैमाने के लिए किया जाता है।
फिर भी, प्रतिस्पर्धा तेज है। प्रतिद्वंद्वी भी उन्हीं परिसंपत्तियों के लिए दौड़ रहे हैं, ग्राहकों के बजट सिमट रहे हैं और डिजिटल बदलाव एजेंसियों को तेजी से विकसित होने पर मजबूर कर रहा है। हवास इंडिया के सामने चुनौती होगी- सटीक अधिग्रहण करना, सावधानी से एकीकृत करना और सांस्कृतिक धार खोए बिना विकास देना।
ऐसे इंडस्ट्री में, जहां अक्सर एकीकरण का मतलब पहचान मिटाना होता है, हवास इंडिया कुछ और कर रहा है- जोड़कर, न कि घटाकर; एकीकृत करके, न कि निगलकर। इस ऐतिहासिक सौदे के करीब आने के साथ, कंपनी की धीमी और सोच-समझकर बढ़ने वाली कहानी अब अपने सबसे निर्णायक अध्याय में प्रवेश करने वाली है।
और अंत में, जैसा कहा जाता है- सौदा तब तक पक्का नहीं होता, जब तक वह बैंक में दर्ज न हो जाए।
अमित शुक्ला को मीडिया सेल्स में दो दशक से अधिक का अनुभव है। वह इस मीडिया संस्थान से करीब 11 साल से जुड़े हुए थे।
‘एचटी मीडिया’ (HT Media) में असिस्टेंट वाइस प्रेजिडेंट के पद पर कार्यरत अमित शुक्ला ने इस्तीफा दे दिया है। वह करीब 11 साल से इस मीडिया संस्थान से जुड़े हुए थे। फिलहाल उनके अगले कदम को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
अमित शुक्ला को मीडिया सेल्स में दो दशक से अधिक का अनुभव है। अपने करियर के दौरान उन्होंने रेवेन्यू बढ़ाने, लंबे समय तक चलने वाली क्लाइंट साझेदारियां बनाने और प्रिंट व डिजिटल—दोनों प्लेटफॉर्म्स पर टीमों का सफल नेतृत्व करने में अहम भूमिका निभाई है।
‘BAG Convergence’ (न्यूज24 डिजिटल) ने सीनियर मीडिया प्रोफेशनल सुशांत मोहन को चीफ बिजनेस ऑफिसर और ग्रुप एडिटर के पद पर नियुक्त किया है।
‘BAG Convergence’ (न्यूज24 डिजिटल) ने सीनियर मीडिया प्रोफेशनल सुशांत मोहन को चीफ बिजनेस ऑफिसर और ग्रुप एडिटर के पद पर नियुक्त किया है। अपनी इस दोहरी भूमिका में सुशांत मोहन संस्थान की बिजनेस स्ट्रैटेजी और मोनेटाइजेशन पहलों का नेतृत्व करेंगे, साथ ही समूह के सभी प्लेटफॉर्म्स पर एडिटोरियल विजन को नया आकार देंगे।
बता दें कि सुशांत मोहन ने हाल ही में ‘जी’ (Zee) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह इस समूह के डिजिटल बिजनेस IndiaDotcom Digital (पूर्व में Zee Digital) में बतौर चीफ एडिटर एवं बिजनेस लीड अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्होंने इसी साल अप्रैल में इस पद पर जॉइन किया था।
सुशांत मोहन इससे पहले डिलिजेंट मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के डिजिटल प्लेटफॉर्म DNA (डेली न्यूज एंड एनालिसिस) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से कुछ महीने पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
सुशांत मोहन पूर्व में ‘जी मीडिया’ (Zee Media) में एडिटर के तौर पर कार्य कर चुके हैं। उन्होंने ‘बीबीसी न्यूज’, ‘न्यूज18’ और ‘ओपेरा न्यूज’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी अहम भूमिकाएं निभाई हैं। सुशांत मोहन ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) के विद्यार्थी रह चुके हैं और मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री होल्डर हैं।
सुशांत मोहन की इस नियुक्ति के बारे में BAG नेटवर्क की चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर, अनुराधा प्रसाद का कहना है, ‘सुशांत एक डायनामिक लीडर हैं, जिनका स्ट्रैटेजिक विजन और संपादकीय क्षमता उन्हें इस भूमिका के लिए एक आदर्श विकल्प बनाते हैं। व्यापारिक विकास और उच्च-गुणवत्ता वाले कंटेंट के बीच संतुलन बनाने की उनकी क्षमता BAG Convergence के भविष्य के हमारे दृष्टिकोण से पूरी तरह मेल खाती है।’
वहीं, इस बारे में सुशांत मोहन का कहना है, ‘मीडिया परिदृश्य के विकास के ऐसे अहम दौर में BAG Convergence से जुड़ना मेरे लिए एक विशेषाधिकार और जिम्मेदारी दोनों है। मैं ऐसी कार्यसंस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हूं, जो रचनात्मकता, पत्रकारिता की ईमानदारी और नवाचार को प्रोत्साहित करे। मेरा ध्यान ऐसे मजबूत और स्थायी व्यावसायिक मॉडल विकसित करने पर होगा, जो प्रभावशाली स्टोरीटैलिंग को सपोर्ट दें, हमारी पहुंच का विस्तार करें और यह सुनिश्चित करें कि BAG Convergence अग्रिम मोर्चे पर बना रहे। मैं समूह की प्रतिभाशाली टीमों के साथ मिलकर हमारे दर्शकों, हितधारकों और साझेदारों के लिए मूल्य तैयार करने को लेकर उत्साहित हूं।’
सुशांत मोहन ने हाल ही में ‘जी’ समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह IndiaDotcom Digital (पूर्व में Zee Digital) में बतौर चीफ एडिटर एवं बिजनेस लीड जिम्मेदारी निभा रहे थे।
सीनियर मीडिया प्रोफेशनल सुशांत मोहन जल्द ही नई जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक वह हिंदी न्यूज चैनल ‘न्यूज24’ (News24) में चीफ बिजनेस ऑफिसर (CBO) के पद पर शामिल हो सकते हैं। हालांकि, चैनल प्रबंधन और सुशांत मोहन की ओर से अभी इस बारे में आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
बता दें कि सुशांत मोहन ने हाल ही में ‘जी’ (Zee) समूह में अपनी पारी को विराम दे दिया था। वह इस समूह के डिजिटल बिजनेस IndiaDotcom Digital (पूर्व में Zee Digital) में बतौर चीफ एडिटर एवं बिजनेस लीड अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे। छह अगस्त को इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था। उन्होंने इसी साल अप्रैल में इस पद पर जॉइन किया था।
सुशांत मोहन इससे पहले डिलिजेंट मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के डिजिटल प्लेटफॉर्म DNA (डेली न्यूज एंड एनालिसिस) में चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, जहां से कुछ महीने पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
बता दें कि सुशांत मोहन पूर्व में ‘जी मीडिया’ (Zee Media) में एडिटर के तौर पर कार्य कर चुके हैं। उन्होंने ‘बीबीसी न्यूज’, ‘न्यूज18’ और ‘ओपेरा न्यूज’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी अहम भूमिकाएं निभाई हैं। सुशांत मोहन ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ (IIMC) के विद्यार्थी रह चुके हैं और मास कम्युनेकशन में मास्टर डिग्री होल्डर हैं।
शाह ने अगस्त 2013 में ‘एनडीटीवी’ जॉइन किया था और तब से लेकर अब तक सरकारी विज्ञापन बिक्री को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
रजा शाह ने ‘एनडीटीवी’ (NDTV) में नेशनल सेल्स हेड (गवर्नमेंट) के पद से इस्तीफा दे दिया है, इसके साथ ही इस नेटवर्क के साथ उनका करीब 12 साल का सफर खत्म हो गया है। रजा शाह का अगला कदम क्या होगा, फिलहाल इस बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है।
शाह ने अगस्त 2013 में ‘एनडीटीवी’ जॉइन किया था और तब से लेकर अब तक सरकारी विज्ञापन बिक्री को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इस दौरान चैनल की पहुंच को नए क्षेत्रों तक पहुंचाया और इस सेगमेंट से होने वाली आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की।
करीब तीन दशक के मीडिया करियर में शाह ने भारत के कई बड़े मीडिया संस्थानों में लीडरशिप भूमिकाएं निभाई हैं। ‘एनडीटीवी’ से पहले वह वर्ष 2013 में टीवी18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड में वाइस प्रेजिडेंट के पद पर कार्यरत थे। इससे पहले 2006 से 2009 तक आईबीएन18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड में अकाउंट डायरेक्टर के रूप में जुड़े रहे।
उनका एक दशक लंबा कार्यकाल 1996 से 2006 तक बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (टाइम्स ग्रुप) में सीनियर मैनेजर के रूप में रहा, जहां उन्होंने मीडिया सेल्स और क्लाइंट रिलेशंस की गहरी समझ के साथ एक मजबूत रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बनाई।
इंडस्ट्री में मजबूत रिश्ते और भरोसेमंद सलाहकार के रूप में पहचाने जाने वाले शाह को क्लाइंट्स के साथ नेटवर्क बनाने और प्रभावी सेल्स स्ट्रैटेजी तैयार करने में माहिर माना जाता है।
वह इस समूह में करीब 11 साल से कार्यरत थीं और सात अगस्त इस समूह में उनका आखिरी कार्यदिवस था।
सीनियर मीडिया प्रोफेशनल मनीषा सोलंकी ने ‘इंडिया टुडे’ (India Today) समूह से इस्तीफा दे दिया है। वह इस समूह में करीब 11 साल से कार्यरत थीं और वाइस प्रेजिडेंट (सेल्स) के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रही थीं।
सात अगस्त इस समूह में उनका आखिरी कार्यदिवस था। समाचार4मीडिया से बातचीत में मनीषा सोलंकी ने अपने इस्तीफे की पुष्टि की है। अपनी नई पारी के बारे में मनीषा का कहना था कि वह जल्द ही कहीं जॉइन कर फिर उस बारे में बताएंगी।
बता दें कि मनीषा सोलंकी को मीडिया सेल्स के क्षेत्र में काम करने का करीब दो दशक का अनुभव है। पूर्व में वह ‘Valpro Media Services’, ‘United Telelinks’, ‘Zee Entertainment Enterprises Limited’ और ‘Maxus Global’ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में विभिन्न पदों पर अपनी भूमिकाएं निभा चुकी हैं।
दर्शकों ने इस चार दिवसीय कार्यक्रम का लाइव तो आनंद लिया ही, अब 15 अगस्त को पूरे कार्यक्रम का क्यूरेटेड वीडियो भी वेव्स पर रिलीज होगा।
प्रसार भारती के ओटीटी प्लेटफॉर्म 'वेव्स' ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आजादी के नायकों को समर्पित एक खास संगीतमय कार्यक्रम ‘शौर्य धुन’ (Symphony of Valour) का आयोजन किया। इस कार्यक्रम की शुरुआत 4 अगस्त को हुई और 7 अगस्त तक चला। चार दिवसीय इस कार्यक्रम में भारत के चार प्रमुख अर्धसैनिक बलों के बैंड ने अपनी प्रस्तुति से देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों को याद किया।
खास बात यह थी कि वीर जवानों की यह प्रस्तुति वेव्स ओटीटी पर लाइव स्ट्रीम भी हुई। शौर्य धुन’ (Symphony of Valour) कार्यक्रम की शुरुआत 4 अगस्त को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के बैंड से हुई। इसके बाद 5 अगस्त को सशस्त्र सीमा बल (SSB), 6 अगस्त को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और 7 अगस्त को सीमा सुरक्षा बल (BSF) के बैंड ने अपनी प्रस्तुतियां दी। प्रसार भारती ने वेव्स के जरिये इस कार्यक्रम को लाइव देश-दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया।
दर्शकों ने इस चार दिवसीय कार्यक्रम का लाइव तो आनंद लिया ही, अब 15 अगस्त को पूरे कार्यक्रम का क्यूरेटेड वीडियो भी वेव्स पर रिलीज होगा। आपको बता दें कि वेव्स ओटीटी पर देशभक्ति और ऐतिहासिक विषयों पर आधारित तमाम सामग्री उपलब्ध हैं, जो भारत की संघर्ष गाथा, विरासत और जज़्बे को दर्शाती हैं। प्लेटफॉर्म पर इंडियाज स्ट्रगल फॉर फ्रीडम से लेकर भारत एक खोज, सरदार, गांधी, बाग़ी की बेटी जैसी चर्चित फिल्में व डॉक्यूमेंट्री और NFDC की दस्तावेज़ी फिल्मों का विशाल संग्रह मौजूद है, जो भारत की यात्रा को प्रामाणिकता और गहराई के साथ दर्शाता है।
प्रसार भारती द्वारा नवंबर 2024 में लॉन्च किये गए वेव्स ओटीटी ने कुछ ही महीनों के अंदर दर्शकों के दिल अपनी खास जगह बना ली है। खासकर दूरदर्शन के पुराने सीरियल्स को दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं। वेव्स की 'डीडी नॉस्टैल्जिया' प्लेलिस्ट में अनुपम खेर और पूजा भट्ट की दमदार एक्टिंग वाले 'डैडी', सुरेखा सिकरी और इरफान खान के अभिनय से सजा 'सांझा चूल्हा', मुकेश खन्ना का यादगार सीरियल 'चुन्नी', पल्लवी जोशी और आर. माधवन का 'आरोहण', बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान के डेब्यू सीरियल 'फौजी' और दूरदर्शन के ऐतिहासिक सीरियल 'चाणक्य' आदि उपलब्ध और इनका मुफ्त में आनंद लिया जा सकता है।