इस साल बामुश्किल दो फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन चूंकि ‘ओवर द टॉप’ (OTT) का चलन बढ़ रहा है, इसलिए कोई इस बारे में चिंतित दिखाई नहीं देता है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
मार्कंड अधिकारी, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, सब ग्रुप।
इस साल बामुश्किल दो फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन चूंकि ‘ओवर द टॉप’ (OTT) का चलन बढ़ रहा है, इसलिए कोई इस बारे में चिंतित दिखाई नहीं देता है। हालांकि, यह आत्मनिरीक्षण और हॉलीवुड मॉडल को अपनाने का समय है
हाल ही में एक डिनर के दौरान मैं म्यूजिक की दुनिया से जुड़े एक बड़े व्यक्ति से मिला, जो पांच साल में एक फिल्म बनाता है। इस दौरान हम फिल्म निर्माण में ओटीटी के हालिया चलन पर चर्चा कर रहे थे। वह इसके बारे में बिल्कुल भी चिंतित नहीं था, बल्कि खुश था। उसने मुझसे कहा, ‘अपना पैसा तो ओटीटी प्लेटफॉर्म दे देता है। थिएटर में रिलीज तो सिर्फ प्रिंट और एडवर्टाइजिंग का खर्च निकालने के लिए करते हैं।‘ उसकी बात सुनकर मैं अभी भी यह सोचकर हैरान हूं कि कुछ लोग अपने बिजनेस को कितना हल्के में लेते हैं।
ऐसा लगता है कि बॉलीवुड एक तंग कोने में सिमट गया है और तमाम ओटीटी प्लेटफॉर्म्स शो चला रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि आखिर कब तक ऐसा चलेगा? सबसे पहले मैं आपको बताता हूं कि आज बॉलीवुड कहां पर है और इसके बाद ओटीटी के सवाल पर आते हैं।
वर्ष 2022 में, 'द कश्मीर फाइल्स' और 'भूल भुलैया 2' को छोड़कर, लगभग सभी तथाकथित बड़े सितारों और कथित बड़े प्रोडक्शन हाउस द्वारा निर्मित फिल्मों ने ‘धमाका’ किया है। पहले में कोई ‘स्टार’ नहीं था, और दूसरे में कार्तिक आर्यन मुख्य भूमिका में थे, जो तुलनात्मक रूप से एक नवागंतुक है और आमिर खान, अक्षय कुमार, अजय देवगन, रणबीर कपूर, रणवीर सिंह और टाइगर जैसे सितारों की फेहरिस्त में शामिल नहीं है, जिन्होंने इस साल बॉक्स ऑफिस पर धमाका किया है।
तमाम ‘सितारे’ भ्रम की दुनिया में रहते हैं। वे खुद को दूसरों से ऊपर समझते हैं और इसमें मीडिया द्वारा किए गए बहुत ज्यादा प्रचार से भी उन्हें ऐसा करने का बल मिलता है। वर्तमान पैपराजी संस्कृति (Paparazzi Culture) ने ऐसे महत्वाकांक्षी सितारों को बेकार कर दिया है। क्या लोग वास्तव में अब विदेशों में और यहां तक कि स्थानीय हवाई अड्डे पर छुट्टियों के दौरान ली गई उनकी तस्वीरें देखने में रुचि रखते हैं? मैंने सुना है कि कुछ तो फोटोग्राफर्स को खुद फोन करके बुलाते हैं। एयरपोर्ट जाते हैं, फोटो खिंचवाते हैं और फिर आराम से घर वापस आ जाते हैं।
आखिर वे वास्तव में ऐसा क्यों कर रहे हैं? 'कॉफी विद करण' जैसे कार्यक्रम, जिसमें तमाम सितारों अपने जीवन के बारे में बात करते हैं, वह बड़े पैमाने पर दर्शकों के साथ ज्यादा मेल नहीं खाते हैं। भारत जैसे विकासशील देश में करीब 80 प्रतिशत लोग तमाम कठिनाइयों में जी रहे हैं और वे इन बॉलीवुड सितारों और पैपराजी संस्कृति के साथ खुद को नहीं जोड़ सकते हैं।
महामारी ने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है और लोग पर्दे पर हकीकत देखना चाहते हैं। वे इन फिल्मों के जरिये खुद को जोड़ना चाहते हैं। इन दिनों यश चोपड़ा और करण जौहर जैसी वैराइटी वाली फिल्मों से लोग दूर हो रहे हैं। लेकिन बॉलीवुड बिल्कुल वैसा ही कर रहा था और यह बार-बार विफल हो रहा है। हिंदी में डब की गईं साउथ इंडियन फिल्मों को इसमें थोड़ा अपवाद माना जा सकता है। उनमें से कुछ ने पूरे देश में उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन यह केवल साबित करता है कि हिंदी फिल्मों के कंटेंट में कुछ गड़बड़ है।
इसे आत्मनिरीक्षण के रूप में देखा जाना चाहिए और इंडस्ट्री की जानी-मानी हस्तियों को इस स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए एक साथ आना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है, सिर्फ इसलिए कि ‘डूबते जहाज’ को बचाए रखने के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स से पैसे आ रहे हैं। हाथ में पैसा आने से किसी को चिंता नहीं है और न ही कोई इस स्थिति में सुधार के लिए पहल कर रहा है।
ओटीटी की बात करें तो बॉलीवुड का पिछड़ना इसके लिए केवल एक अच्छा व्यावसायिक अवसर है। उनमें से कई बड़े खिलाड़ी हजारों करोड़ रुपये में ‘खेल’ रहे हैं। उनके पास अगले आठ से दस वर्षों के लिए बिजनेस प्लान हैं। इसलिए उन्होंने बड़ी मात्रा में पैसा खर्च करके बॉलीवुड फ्लॉप फिल्मों को समायोजित करना शुरू कर दिया है। इससे पहले, थिएटर स्क्रीनिंग के अलावा, आय का एक अतिरिक्त स्रोत बनाने के लिए ट्रेडिशनल टीवी चैनल्स को सैटेलाइट राइट्स बेचे जाते थे और अगर कोई फिल्म खर्चों की भरपाई करने में विफल रहती थी तो इससे राहत मिल सकती थी। लेकिन ओटीटी एवेन्यू फिल्म निर्माताओं के लिए पूरी तरह से नया क्षेत्र है, जो उन्हें अभूतपूर्व कीमत दे रहा है।
यह चलन तुरंत बंद होना चाहिए और ओटीटी को बॉक्स-ऑफिस पर प्रदर्शन को देखकर ही फिल्में खरीदने पर विचार करना चाहिए। इससे निर्माण सुव्यवस्थित होगा और वे एक मायावी दुनिया में रहना बंद कर देंगे।
अब पहले जैसी अर्थव्यवस्था भी नहीं रही है। बड़ी संख्या में मध्यमवर्गीय दर्शक फिल्म देखने के लिए पहले की तरह खर्च नहीं कर रहे हैं। पहले, उनके पास एकमात्र विकल्प टीवी था, जिसमें नियत समय और कॉमर्शियल ब्रेक की सीमाएं थीं। लेकिन अब उनके पास ओटीटी के रूप में एक और विकल्प है, जिसमें वे अपनी पसंद की मूवी अपने पसंद के समय पर और बिना ब्रेक के देख सकते हैं। ऐसे दर्शकों को बड़े पर्दे पर वापस लाने के लिए फिल्म निर्माता अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण कारक की अनदेखी नहीं कर सकते हैं।
फिल्म निर्माण की लागत कम करने की कवायद के तहत सबसे बड़ी चीज हमारा स्टार सिस्टम होना चाहिए। अब समय आ गया है कि ‘100 करोड़ स्टार क्लब’ बंद हो जाए। तमाम बड़े सितारों के बढ़े हुए अहंकार को कम करने की जरूरत है और ऐसे सितारों को साइन करने वाले निर्माताओं को उन्हें वापस खींचने की जरूरत है। बॉलीवुड को सिर्फ बड़े नामों के लिए मोटी रकम देने की परंपरा के बजाय हॉलीवुड स्ट्रक्चर को अपनाने पर विचार करना चाहिए। जहां पर किसी भी अभिनेता अथवा टेक्निशियन को फिल्म साइन करने पर एक बेसिक राशि मिलती है। जाहिर तौर पर यह रकम सुपरस्टार्स के लिए ज्यादा है, लेकिन वहां पर यह अभी भी डील का एक हिस्सा है। उन्हें फिल्म की कमाई के प्रतिशत के रूप में अधिक मिलता है। प्रणाली निष्पक्ष है और प्रदर्शन के आधार पर पुरस्कृत करती है।
संक्षेप में कहें तो बॉलीवुड के मौजूदा हालात बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं। ओटीटी को अपने काम को नियंत्रित करने देने के बजाय फिल्म निर्माताओं को इस पर गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए।
ओटीटी को अपनी ओर से केवल सितारों की पिछली फिल्मों के प्रदर्शन के आधार पर अग्रिम भुगतान करने के बजाय उनके वर्तमान प्रदर्शन की जांच करने के बाद ही भुगतान करना चाहिए। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के भविष्य को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों को बेहतर कंटेंट के लिए एक साथ आगे आना चाहिए और ठोस रूप से कदम उठाने चाहिए। नेटफ्लिक्स ने आमिर खान अभिनीत फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' के अधिकारों डील को रद करने के साथ पहले ही खतरे की घंटी बजा दी है, जिसे फिलहाल कोई लेने वाला दिखाई नहीं दे रहा है।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
एक्सचेंज4मीडिया ने Watchlist 2026: Agencies पेश की है, जिसमें भारत की 30 चुनिंदा और अग्रणी PR एजेंसियों को शामिल किया गया है।
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Samachar4media Bureau
एक्सचेंज4मीडिया ने Watchlist 2026: Agencies पेश की है, जिसमें भारत की 30 चुनिंदा और अग्रणी PR एजेंसियों को शामिल किया गया है। ये एजेंसियां देश में कम्युनिकेशन के भविष्य को आकार देने में अहम भूमिका निभा रही हैं और रणनीति, क्रिएटिविटी, इनोवेशन और बिजनेस असर के मामले में आगे हैं।
यह सूची एक्सचेंज4मीडिया की इंटरनल जूरी द्वारा की गई गहन समीक्षा के बाद तैयार की गई है। एजेंसियों का मूल्यांकन उनके विकास और ग्रोथ, कम्युनिकेशन सॉल्यूशंस में इनोवेशन, बड़े और असरदार कैंपेन, क्लाइंट संतुष्टि, लीडरशिप और टीम की मजबूती, टर्नओवर, इंडस्ट्री में प्रभाव और PR व कम्युनिकेशन जगत में कुल योगदान जैसे कई पहलुओं पर किया गया।
इस साल की Watchlist में शामिल एजेंसियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्होंने बदलते समय के साथ खुद को ढाला है और भविष्य को लेकर एक साफ नजरिया बनाए रखा है। इनमें से कई एजेंसियों ने टेक्नोलॉजी, डिजिटल, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग, पब्लिक अफेयर्स और इंटीग्रेटेड कम्युनिकेशन जैसे क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं का विस्तार किया है। इसके साथ ही टैलेंट और वर्क कल्चर पर भी खास निवेश किया गया है।
ये 30 एजेंसियां मिलकर आज के तेजी से बदलते और हमेशा एक्टिव रहने वाले दौर में ब्रांड की पहचान, भरोसे और प्रभाव को नए सिरे से परिभाषित कर रही हैं।
यह कोई रैंकिंग नहीं है, बल्कि उन एजेंसियों को पहचान देने की पहल है जिन्होंने लगातार बेहतर काम किया है, मुश्किल ब्रैंड चुनौतियों का साहस के साथ सामना किया है और क्रिएटिव सोच से इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई है।
आइए नजर डालते हैं Watchlist 2026: Agencies में शामिल सभी एजेंसियों पर-

जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के खिलाफ एक प्री-इंस्टीट्यूशन मेडिएशन प्रक्रिया शुरू की गई है।
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Vikas Saxena
जी मीडिया कॉरपोरेशन लिमिटेड के खिलाफ एक प्री-इंस्टीट्यूशन मेडिएशन प्रक्रिया शुरू की गई है। कंपनी ने शेयर बाजार को दी गई जानकारी में बताया कि यह मामला कोलकाता के बारासात स्थित जिला अदालत भवन में बने अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रिड्रेसल सेंटर में दायर किया गया है।
इस मामले में शिकायतकर्ता का नाम सौम्यजीत सेन उर्फ रॉनी सेन है। उन्होंने जी मीडिया पर कुछ कॉपीराइट सामग्री के कथित उल्लंघन का आरोप लगाया है और इसके लिए प्री-इंस्टीट्यूशन मेडिएशन की मांग की है, जो कमर्शियल कोर्ट्स एक्ट 2015 के तहत होती है।
शिकायतकर्ता ने इस कथित उल्लंघन के लिए करीब 18.11 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है, साथ ही इस राशि पर 18 प्रतिशत ब्याज भी मांगा गया है। हालांकि, जी मीडिया का कहना है कि शुरुआती आकलन के आधार पर कंपनी पर किसी तरह का वित्तीय असर पड़ने की संभावना नहीं है। कंपनी ने बताया कि वह इस मामले में अपने कानूनी सलाहकारों से सलाह लेकर अपना पक्ष मजबूती से रखेगी।
सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने कहा है कि सरकार ने आपदा अलर्ट और कल्याण योजनाओं की जानकारी जनता तक पहुंचाने के लिए आकाशवाणी और दूरदर्शन की सेवाओं को मजबूत किया है।
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Samachar4media Bureau
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने कहा है कि सरकार ने आपदा अलर्ट और कल्याण योजनाओं की जानकारी जनता तक पहुंचाने के लिए प्रसार भारती के आकाशवाणी और दूरदर्शन की सेवाओं को मजबूत किया है।
हाल ही में लोकसभा में लिखित जवाब में डॉ. मुरुगन ने बताया कि सरकार ग्रामीण, दूर-दराज और सीमावर्ती इलाकों में कल्याण योजनाओं, सरकारी सलाह और आपदा-संबंधी जानकारी के प्रचार को बहुत महत्व देती है।
उन्होंने कहा कि अंतिम स्तर तक जानकारी पहुंचाने के लिए प्रसार भारती सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता है और 260 से अधिक आकाशवाणी स्टेशन ‘NewsOnAir’ ऐप पर एंड्रॉयड और iOS दोनों पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा, प्रसार भारती ने WAVES OTT प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जो दूरदर्शन और आकाशवाणी चैनलों के साथ कुछ निजी न्यूज़ और एंटरटेनमेंट चैनलों की लाइव स्ट्रीमिंग भी उपलब्ध कराता है।
राज्य मंत्री ने बताया कि DD FreeDish DTH प्लेटफॉर्म के जरिए अंतिम स्तर तक पहुंच और बढ़ाई गई है, जो पूरे देश में ग्रामीण और सीमावर्ती क्षेत्रों तक प्रसार करता है। इसमें सभी दूरदर्शन चैनल, 48 आकाशवाणी चैनल, चुनिंदा निजी चैनल और 260 से अधिक शैक्षणिक चैनल शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि दूरदर्शन और DD News में सरकारी योजनाओं और आपदा अलर्ट पर समर्पित प्रोग्राम, डॉक्यूमेंट्री और रिपोर्ट्स प्रसारित की जाती हैं, जैसे ‘चर्चा में’, ‘आपदा का सामना’, ‘कैबिनेट के बड़े फैसले’ और ‘साइबर अलर्ट’।
इसके अलावा, उन्होंने बताया कि नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) ने कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल आधारित इंटीग्रेटेड अलर्ट सिस्टम लागू किया है, जो भौगोलिक रूप से लक्षित आपदा अलर्ट फैलाता है। ये अलर्ट क्षेत्रीय भाषाओं में भी भेजे जाते हैं, जिनमें SMS और मोबाइल ऐप्स शामिल हैं।
भारतीय फिल्म प्रॉडक्शन व डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी इरोज इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड (Eros International Media Limited) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में बड़ा बदलाव किया गया है।
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Vikas Saxena
भारतीय फिल्म प्रॉडक्शन व डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी इरोज इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड (Eros International Media Limited) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में बड़ा बदलाव किया गया है और यह बदलाव हाल ही में हुई कंपनी की बोर्ड मीटिंग में लिया गया, जो 12 दिसंबर को हुई।
कंपनी में आनंद शंकर कामतम को अतिरिक्त डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति तुरंत प्रभाव से लागू कर दी गई है, हालांकि इसे आने वाली वार्षिक आम बैठक (AGM) में शेयरधारकों की मंजूरी मिलनी बाकी है। आनंद शंकर कामतम को अकाउंट्स और फाइनेंस के क्षेत्र में 20 साल से ज्यादा का अनुभव है और वह साल 2002 से इरोस ग्रुप से जुड़े हुए हैं।
इसके अलावा, विजय गुलाब चंद को भी कंपनी का अतिरिक्त नॉन-एग्जिक्यूटिव नॉन-इंडिपेंडेंट डायरेक्टर बनाया गया है। उनकी नियुक्ति भी तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है, लेकिन AGM में शेयरधारकों की मंजूरी के बाद पक्की होगी। विजय गुलाब चंद को करीब 31 साल का अनुभव है और वह लंबे समय से इरोस ग्रुप के साथ जुड़े हुए हैं।
वहीं, कंपनी के नॉन-एग्जिक्यूटिव नॉन-इंडिपेंडेंट डायरेक्टर सागर एस. साधवानी ने निजी कारणों और अन्य जिम्मेदारियों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा 12 दिसंबर 2025 की कार्यदिवस समाप्ति के बाद प्रभावी हो गया है।
राज्यसभा सांसद परिमल नथवानी ने उनके खिलाफ कथित तौर पर झूठी और मानहानिकारक बातें फैलाने के मामले में कई मीडिया व्यक्तियों और संस्थानों के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया है।
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Samachar4media Bureau
राज्यसभा सांसद परिमल नथवानी ने अपने खिलाफ कथित तौर पर झूठी और मानहानिकारक बातें फैलाने के मामले में कई मीडिया व्यक्तियों और संस्थानों के खिलाफ 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा दायर किया है। आरोप है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर उनके बारे में गलत और आपत्तिजनक सामग्री फैलाई गई।
इस मामले में परिमल नथवानी की ओर से दाखिल केस में सनातन सत्य समाचार, संजय चेतरिया, द गुजरात रिपोर्ट, मयूर जानी, हिमांशु भयाणी, दिलीप पटेल और भाविन @ बन्नी गजेरा को पक्षकार बनाया गया है। कोर्ट ने इस केस में सभी संबंधित लोगों को नोटिस और समन जारी कर दिए हैं।
कोर्ट ने परिमल नथवानी को अंतरिम राहत भी दी है और उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर डाली गई सभी मानहानिकारक पोस्ट और सामग्री को तुरंत हटाने का आदेश दिया है। नथवानी ने खुद सोशल मीडिया पर कोर्ट के आदेश की जानकारी देते हुए कहा कि कोर्ट ने 48 घंटे के भीतर उनके खिलाफ मौजूद सभी मानहानिकारक कंटेंट हटाने का निर्देश दिया है।
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— Parimal Nathwani (@mpparimal) December 13, 2025
उन्होंने कहा कि वह अपनी ईमानदारी और साख की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी तरह के बेबुनियाद आरोपों को जनता को गुमराह नहीं करने देंगे। उन्होंने इस दौरान उनका समर्थन करने वाले सभी लोगों का भी धन्यवाद किया।
वरिष्ठ पत्रकार और प्रतिष्ठित अंग्रेजी साप्ताहिक Open Magazine में मैनेजिंग एडिटर पीआर रमेश को केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है।
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वरिष्ठ पत्रकार और प्रतिष्ठित अंग्रेजी साप्ताहिक Open Magazine में मैनेजिंग एडिटर पीआर रमेश को केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति को सूचना के अधिकार (RTI) व्यवस्था को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। लंबे समय से मीडिया में सक्रिय रहे पीआर रमेश अब आयोग में जनता के सूचना अधिकार की रक्षा और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निभाएंगे।
पीआर रमेश जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार हैं। मीडिया के क्षेत्र में कई वर्षों से सक्रिय पीआर रमेश की राजनीति, शासन व सार्वजनिक नीतियों से जुड़े विषयों पर गहरी पकड़ मानी जाती है। उन्होंने सत्ता, प्रशासन और जनता से जुड़े मुद्दों को करीब से कवर किया है।
यह भी पढ़ें: ‘प्रभात खबर’ के एडिटर-इन-चीफ आशुतोष चतुर्वेदी बने केंद्रीय सूचना आयुक्त
बता दें कि राज कुमार गोयल को मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) और आठ अन्य को सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है। इनमें दो वरिष्ठ पत्रकार भी शामिल हैं। पीआर रमेश के साथ ही वरिष्ठ पत्रकार और ‘प्रभात खबर’ (Prabhat Khabar) के एडिटर-इन-चीफ आशुतोष चतुर्वेदी को भी केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय सूचना आयोग देश में RTI से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाला सर्वोच्च निकाय है। यहां सूचना आयुक्तों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि वे सरकारी विभागों और संस्थानों से जुड़ी जानकारी को लेकर आने वाली अपीलों और शिकायतों पर अंतिम फैसला लेते हैं।
समाचार4मीडिया की ओर से पीआर रमेश व आशुतोष चतुर्वेदी को नई जिम्मेदारी के लिए ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।
मीडिया और न्यूज ब्रॉडकास्टिंग जगत का चर्चित इवेंट e4m NewsNext Summit का 14वां संस्करण शनिवार, 13 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित हुआ। समिट के बाद enba का 17वां संस्करण भी आयोजित हुआ
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मीडिया और न्यूज ब्रॉडकास्टिंग जगत का चर्चित इवेंट e4m NewsNext Summit का 14वां संस्करण शनिवार, 13 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित हुआ। इस दिन मीडिया इंडस्ट्री के बड़े नाम, प्रसिद्ध ब्रॉडकास्टर्स, एडिटर्स और वरिष्ठ पत्रकार एक ही जगह एकत्रित हुए और मीडिया की दुनिया के नए रुझानों पर चर्चा की।
समिट में टीवी न्यूज, मीडिया इंडस्ट्री, ऐडवर्टाइजर्स, ब्रैंड मार्केटर्स, एजुकेटर्स और ग्लोबल मीडिया लीडर्स शामिल हुए। इनसे यह समझने की कोशिश की गई कि टीवी न्यूज का भविष्य कैसा होगा और आज के दौर में न्यूज मीडिया किन चुनौतियों का सामना कर रहा है।
कार्यक्रम में फायरसाइड चैट्स, कीनोट सेशंस और पैनल डिस्कशन हुए, जिनमें एडिटोरियल लीडरशिप, डिजिटल बदलाव और पत्रकारिता के भविष्य पर चर्चा की गई। स्पीकर्स ने यह भी बताया कि AI के जमाने में पत्रकारिता कैसे बदल रही है, भारत में पत्रकारिता का विकास और भविष्य क्या है, और समाज में भरोसा बनाने के लिए क्या रणनीतियां अपनाई जा सकती हैं।
समिट के बाद e4m News Broadcasting Awards (enba) का 17वां संस्करण भी आयोजित हुआ, जिसमें देश के बेस्ट न्यूज चैनल, बेस्ट सीईओ, बेस्ट एडिटर-इन-चीफ और बेस्ट एंकर जैसे कई अवॉर्ड्स दिए गए। enba को देश का सबसे प्रतिष्ठित न्यूज टीवी अवॉर्ड माना जाता है और यह टीवी न्यूज कवरेज में बेहतरीन योगदान देने वालों को सम्मानित करता है।
यहां तस्वीरों में देखें कार्यक्रम की कुछ झलकियों :










इस बातचीत में पिछले दशक में टीवी पत्रकारिता के बदलते तरीके, संकट के समय दर्शक टीवी की ओर क्यों लौटते हैं और गलत जानकारी के इस दौर में किन चीजों की सुरक्षा सबसे जरूरी है, इस पर चर्चा हुई।
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Samachar4media Bureau
'एक्सचेंज4मीडिया न्यूजनेक्स्ट समिट 2025' (e4m NewsNext Summit 2025) में 'सीएनएन न्यूज18' के मैनेजिंग एडिटर जक्का जैकब और BW बिजनेसवर्ल्ड और एक्सचेंज4मीडिया के सीनियर एडिटर रुहैल अमीन के बीच एक फायरसाइड चैट हुआ। इस बातचीत में पिछले दशक में टीवी पत्रकारिता के बदलते तरीके, संकट के समय दर्शक टीवी की ओर क्यों लौटते हैं और गलत जानकारी के इस दौर में किन चीजों की सुरक्षा सबसे जरूरी है, इस पर चर्चा हुई।
रुहैल अमीन ने “The Changing Grammar of News: What the Last 10 Years Have Meant for Journalism, and What 20 Years of CNN-News18 Reveal” सत्र की शुरुआत करते हुए बताया कि नेटवर्क और पूरी इंडस्ट्री समय के साथ कैसे बदलती रही है।
जक्का जैकब ने कहा कि पिछले दस सालों में पत्रकारिता में सबसे बड़ा बदलाव तकनीकी नहीं बल्कि संपादकीय रहा। उन्होंने कहा, “पिछले 10 साल में जो सबसे बड़ा बदलाव आया वह यह है कि लोग खबरें कैसे देख रहे हैं।” उन्होंने मोबाइल और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर खबर देखने की तेजी से बढ़ती संख्या का जिक्र किया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि 2025 में टीवी ने फिर से अपनी अहमियत साबित की है। जक्का जैकब ने कहा, “मुझे लगता है टीवी ने अपनी पकड़ फिर से पा ली है।”
मुख्य घटनाओं जैसे ऑपरेशन सिंदूर और एयर इंडिया क्रैश का हवाला देते हुए जक्का जैकब ने बताया कि सोशल मीडिया पर फैल रही गलत जानकारी ने दर्शकों को टीवी की ओर वापस खींचा। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने उन्हें बताया कि उन्होंने “पांच साल में पहली बार” टीवी न्यूज देखी ताकि असली स्थिति पता चल सके। जक्का जैकब ने कहा, “पैनिक सोशल मीडिया की वजह से बढ़ा… और लोगों के पास सचमुच एकमात्र सहारा पारंपरिक मीडिया ही था।” उन्होंने आगे यह भी कहा कि स्थापित न्यूज प्लेटफॉर्म्स पर गलत जानकारी के लिए जवाबदेही और कानूनी नतीजे भी होते हैं।
तुरंत खबर देने के दबाव पर बात करते हुए जक्का जैकब ने कहा कि स्पीड कभी सच्चाई से समझौता नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, “सबसे पहले होने का कोई दबाव नहीं है। अगर यह सीएनएन न्यूज18 पर है, तो यह सच है।” उनके मुताबिक, विश्वसनीयता ही पत्रकारों की असली मुद्रा है। उन्होंने कहा, “हर कहानी को सबसे पहले तो नहीं तोड़ा जा सकता… टीवी का काम यह सुनिश्चित करना है कि जो भी खबर हम दें, उसमें जिम्मेदारी हो।”
टीवी न्यूज पर बढ़ती राय आधारित रिपोर्टिंग की आलोचना पर जक्का जैकब ने संतुलित दृष्टिकोण दिया। उन्होंने माना कि बहसें होती हैं, लेकिन केवल प्राइम टाइम शो को देखकर टीवी पत्रकारिता को आंकना सही नहीं है। उन्होंने कहा, “लगभग चार घंटे ही टॉक टीवी होते हैं, बाकी का समय मैदान पर रिपोर्टिंग होती है।” उन्होंने कहा कि अब उनका ध्यान एक्सप्लेनेशन-लेड पत्रकारिता की ओर है। जक्का जैकब ने कहा, “हम बहस वाले फॉर्मेट से हटकर कहानियों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं।”
टीवी पत्रकारिता की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए जक्का जैकब ने कहा कि कई दृष्टिकोण पेश करना जरूरी है, लेकिन राय थोपी नहीं जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “भारतीय दर्शक बहुत समझदार है… उन्हें चम्मच से खाना खिलाने की जरूरत नहीं है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अधिक लेक्चरिंग ने युवा दर्शकों को पारंपरिक न्यूज फॉर्मेट से दूर कर दिया। जैकब ने ब्रैंड की लंबी उम्र का श्रेय भरोसे को दिया। उन्होंने कहा, “अगर यह भरोसा टूट गया, तो हम और किस पर भरोसा करेंगे?” उन्होंने यह भी कहा कि विश्वसनीयता ने हाल के वर्षों में मजबूत व्युअरशिप भी दी है।
टीवी न्यूज के भविष्य पर बात करते हुए जैकब ने टीवी के खत्म होने के दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा, “टीवी हमेशा जिंदा रहेगा।” उन्होंने बताया कि दर्शक बड़े घटनाओं के दौरान सत्यापित जानकारी के लिए टीवी की ओर लौटते रहते हैं। उन्होंने कहा, “लोग एक भरोसेमंद स्रोत चाहते हैं और इसलिए वे टीवी की ओर लौट रहे हैं।”
करीब नौ साल से ‘प्रभात खबर’ की कमान संभाल रहे आशुतोष चतुर्वेदी 15 दिसंबर से अपना नया कार्यभार संभालेंगे।
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Samachar4media Bureau
वरिष्ठ पत्रकार और ‘प्रभात खबर’ (Prabhat Khabar) के एडिटर-इन-चीफ आशुतोष चतुर्वेदी को केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है। वह 15 दिसंबर से अपना कार्यभार संभालेंगे।
करीब नौ साल से ‘प्रभात खबर’ की कमान संभाल रहे आशुतोष चतुर्वेदी को पत्रकारिता के क्षेत्र में करीब 40 साल का अनुभव है। ‘प्रभात खबर’ से पहले वह ‘अमर उजाला’ (Amar Ujala) के एग्जिक्यूटिव एडिटर के तौर रह चुके हैं।
आशुतोष चतुर्वेदी ने ‘बीबीसी लंदन’ में तीन साल और फिर पांच साल ‘बीबीसी दिल्ली’ में कार्य किया है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ‘माया’ में ट्रेनी के रूप में की थी। उसके बाद ‘इंडिया टुडे’, ‘संडे आब्जर्वर’, ‘दैनिक जागरण’, ‘बीबीसी लंदन’ और ‘दिल्ली’ व फिर ‘अमर उजाला’ होते हुए ‘प्रभात खबर’ पहुंचे।
वह अमर उजाला के दिल्ली ब्यूरो चीफ भी रह चुके हैं। उन्हें रिपोर्टिंग, अखबार के प्रोडक्शन और बेवसाइट तीनों का व्यापक अनुभव हैं। उन्होंने देश के राष्ट्रपति और कई वरिष्ठ पदों पर आसीन शख्सियतों के साथ कई विदेश यात्राएं भी की है। उन्होंने ‘बीबीसी हिंदी’ की वेबसाइट लांच करने में अहम भूमिका निभाई।
समाचार4मीडिया की ओर से आशुतोष चतुर्वेदी को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।
एक्सचेंज4मीडिया समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' पत्रकारिता जगत से जुड़े 40 प्रतिभाशाली युवाओं ‘40 अंडर 40’ (40 Under 40) की लिस्ट एक बार फिर तैयार करने जा रही है। इ
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Samachar4media Bureau
एक्सचेंज4मीडिया (exchange4media) समूह की हिंदी वेबसाइट 'समाचार4मीडिया' (samachar4media.com) पत्रकारिता जगत से जुड़े 40 प्रतिभाशाली युवाओं ‘40 अंडर 40’ (40 Under 40) की लिस्ट एक बार फिर तैयार करने जा रही है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की अंतिम तारीख 14 दिसंबर है। इसके बाद किसी की भी एंट्री मान्य नहीं होगी।
बता दें कि यह इस कार्यक्रम का चौथा एडिशन है। पिछले तीन एडिशंस की तरह इस बार भी इस लिस्ट में मीडिया जगत से जुड़े 40 साल से कम उम्र वाले ऐसे 40 पत्रकारों को शामिल किया जाएगा, जिन्होंने अपने काम के जरिये इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई है और शिखर पर पहुंचे हैं। इसमें प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया से जुड़े पत्रकारों को शामिल किया जाएगा।
इन पत्रकारों का चुनाव एक प्रतिष्ठित जूरी के द्वारा किया जाएगा, जिसकी तारीफ जल्द ही घोषित कर दी जाएगी। जूरी में समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित नाम शामिल होंगे, जो विभिन्न कसौटियों पर एंट्रीज का आकलन करेंगे और विजेताओं का चयन उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्य, उनके नेतृत्व कौशल और इंडस्ट्री में उनके योगदान आदि मानदंडों के आधार पर करेंगे।
पिछले तीनों संस्करणों की तरह ‘हिन्दुस्तान’ के एडिटर-इन-चीफ शशि शेखर इस बार भी इस कार्यक्रम में जूरी चेयर होंगे। जूरी में ‘बिजनेसवर्ल्ड ग्रुप’ और ‘एक्सचेंज4मीडिया ग्रुप’ में चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ डॉ. अनुराग बत्रा; ‘बीएजी नेटवर्क’ की सीएमडी और ‘न्यूज24’ की एडिटर-इन-चीफ श्रीमती अनुराधा प्रसाद; ‘प्रभात खबर’ के एडिटर-इन-चीफ आशुतोष चतुर्वेदी; ‘आजतक’, ‘गुड न्यूज टुडे’ व ‘इंडिया टुडे’ के न्यूज डायरेक्टर सुप्रिय प्रसाद; ‘अमर उजाला’ (डिजिटल) में संपादक जयदीप कर्णिक; ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ में डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) के.जी सुरेश; ‘एबीपी नेटवर्क’ में वाइस प्रेजिडेंट (न्यूज एंड ऑपरेशंस) रजनीश आहूजा; बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (BCCL) में कॉरपोरेट अफेयर्स हेड राहुल महाजन; ‘जी न्यूज’ में मैनेजिंग एडिटर राहुल सिन्हा; ‘इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी’ के पूर्व प्रेजिडेंट राकेश शर्मा शामिल हैं।
इनके अलावा जूरी में वरिष्ठ पत्रकार राणा यशवंत; वरिष्ठ पत्रकार संत प्रसाद राय; ‘Loud India TV’ के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ संतोष भारतीय; वरिष्ठ पत्रकार सतीश के सिंह; ‘नेटवर्क18 समूह’ में सलाहकार संपादक शमशेर सिंह; वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी; वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी; वरिष्ठ पत्रकार वाशिंद्र मिश्र; ‘अमर उजाला’ में सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री; और ‘दैनिक जागरण’ में कार्यकारी संपादक विष्णु प्रकाश त्रिपाठी भी शामिल हैं।
इस कार्यक्रम के बारे में ज्यादा जानकारी व रजिस्ट्रेशन के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
नोट: समाचार4मीडिया पत्रकारिता 40अंडर40 अवॉर्ड के पूर्व विजेता कृपया रजिस्ट्रेशन न करें। उन्हें इस कार्यक्रम में बतौर प्रतिभागी शामिल नहीं किया जाएगा।