कुछ ने मीडिया में ही ऊंची छलांग लगाई, तो कुछ सियासत के गलियारों में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे
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नीरज नैयर
कई पत्रकारों के लिए साल 2019 शानदार साबित हुआ। कुछ ने मीडिया में ही ऊंची छलांग लगाई, तो कुछ सियासत के गलियारों में अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे। इनमें से एक हैं वरिष्ठ
पत्रकार पंकज शर्मा, जिन्हें हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का मीडिया सलाहकार नियुक्त किया गया है। शर्मा के पास पत्रकारिता का लंबा अनुभव है, उन्होंने राजनीतिक पत्रकारिता के साथ ही अमेरिका सहित कई देशों में स्पेशल असाइनमेंट्स कवर किए हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ भी वह यात्राएं कर चुके हैं। इसके अलावा विभिन्न सरकारी समितियों में भी रहे हैं। पंकज शर्मा को संविदा के आधार पर आवासीय आयुक्त, मप्र भवन, नई दिल्ली में पदस्थ किया गया है।
इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार अमित आर्या को भी यह साल तोहफा दे गया। हरियाणा सरकार ने उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का मीडिया सलाहकर नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री के रूप में खट्टर के पहले कार्यकाल के दौरान भी वह उनके मीडिया सलाहकार की जिम्मेदारी निभा रहे थे। आर्या को मीडिया के क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव है। वह कई चैनलों और मीडिया हाउस की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ‘बीएजी फिल्म्स’ से की थी, फिर ‘दैनिक भास्कर’, शिमला के स्टाफ रिपोर्टर और ‘दैनिक भास्कर’, चंडीगढ़ में हिमाचल पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। इसके बाद वह दोबारा ‘बीएजी’ के साथ जुड़ गए और कई वर्षों तक वहां अपनी सेवाएं दीं थीं।
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार अशोक मलिक ने इस साल बड़ी छलांग लगाई है। उन्हें विदेश मंत्रालय में बतौर पॉलिसी एडवाइजर नियुक्त किया गया है। वैसे, इससे पहले वह
राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद के प्रेस सचिव रहे चुके हैं और उनका कार्यकाल 31 जुलाई 2019 को खत्म हुआ था। उनके स्थान पर सीनियर जर्नलिस्ट अजय सिंह को नियुक्त किया गया। राष्ट्रपति के प्रेस सेक्रेटरी के पद पर नियुक्ति से पहले अशोक मलिक नीति संबंधी थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में डिस्टिंगग्विश्ड फैलो (Distinguished Fellow) थे। पत्रकारिता में उन्हें दो दशक से भी ज्यादा का अनुभव है। वे ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘इंडिया टुडे’, ‘द टेलिग्राफ’ और ‘इंडियन एक्सप्रेस’ जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों के साथ काम कर चुके हैं। उनकी विशेषज्ञता देश की राजनीति, घरेलू-विदेशी व्यापार नीति और सामाजिक क्षेत्रों में ज्यादा है।
लखनऊ के पत्रकार रहीस सिंह भी उन पत्रकारों में शुमार हैं, जिन्हें राज्य की सरकारों में अहम जिम्मेदारी मिली है। रहीस सिंह को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ
सरकार ने सूचना विभाग में सलाहकार के पद पर नियुक्त किया है। वह प्रिंट मीडिया की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। रहीस सिंह लखनऊ की पत्रकारिता का जाना-माना नाम हैं और लेखन के क्षेत्र में भी काफी सक्रिय हैं। कुछ वक्त पहले वे ‘कर्मयोगी संन्यासी योगी आदित्यनाथ’ के नाम से एक किताब लिखकर भी चर्चा में आए थे।
वरिष्ठ पत्रकार कंचन गुप्ता को भी इस साल मोदी सरकार में बड़ी जिम्मेदारी मिली है। उन्हें राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन का चेयरपर्सन बनाया गया है। ये
फाउंडेशन भारत की तमाम पब्लिक लाइब्रेरीज को सपोर्ट करने के लिए केन्द्र सरकार की नोडल एजेंसी के तौर पर काम करती है और इसका मुख्यालय कोलकाता में है। बंगाली पत्रकार कंचन गुप्ता जमशेदपुर और पटना में पले-बढ़े हैं। कोलकाता के सेंट जेवियर कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने 'द टेलिग्राफ' अखबार से पत्रकारिता की पारी की शुरुआत की। वे एमजे अकबर और विनोद मेहता जैसे पत्रकारों के साथ काम कर चुके हैं।
वरिष्ठ पत्रकार टंकशाला अशोक (Tankashala Ashok) के लिए भी 2019 शानदार रहा। उन्हें तेलंगाना सरकार का स्पेशल एडवाइजर नियुक्त किया गया है। अशोक को अंतरराज्यीय मामलों की जिम्मेदारी सौंपने के साथ ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। अशोक कई अखबारों में रिपोर्टर से लेकर संपादक की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। उन्हें सरदार वल्लभ भाई पटेल की ऑटोबायोग्राफी के अनुवाद के लिए साहित्य अकादमी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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डेन नेटवर्क लिमिटेड (DEN Networks Limited) ने बताया है कि उसकी सब्सिडियरी कंपनी Futuristic Media and Entertainment Limited (FMEL) ने अपनी तीन छोटी कंपनियों में मौजूद पूरी हिस्सेदारी बेच दी है।
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Samachar4media Bureau
डेन नेटवर्क लिमिटेड (DEN Networks Limited) ने बताया है कि उसकी सब्सिडियरी कंपनी Futuristic Media and Entertainment Limited (FMEL) ने अपनी तीन छोटी कंपनियों में मौजूद पूरी हिस्सेदारी बेच दी है। ये सौदा Infomedia and Networking Private Limited (INPL) को सिर्फ 30 रुपये में किया गया।
बेची गई कंपनियां इस प्रकार हैं:
कंपनी ने साफ कर दिया कि अब ये तीनों कंपनियां DEN Networks की सब्सिडियरी नहीं रहीं। जिस कंपनी (INPL) को ये सब्सिडियरी बेची गई हैं, वह केबल और ब्रॉडबैंड का काम करती है और उसका DEN Networks के प्रमोटर या उनकी ग्रुप कंपनियों से कोई संबंध नहीं है। इसी वजह से यह सौदा रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन की श्रेणी में नहीं आता।
कंपनी के मुताबिक, ये तीनों सब्सिडियरी कंपनियां काफी समय से नॉन-ऑपरेटिंग थीं, यानी इनका कोई कारोबार नहीं चल रहा था। वित्त वर्ष 2024-25 में इन कंपनियों का टर्नओवर भी शून्य था, इसलिए इनकी वैल्यू लगभग नहीं के बराबर थी। तीन में से दो कंपनियों की नेटवर्थ निगेटिव थी, यानी उन पर खर्च ज्यादा था और संपत्ति कम। जबकि Den Budaun की नेटवर्थ सिर्फ 5.75 लाख रुपये थी, जो पूरी कंपनी की कुल नेटवर्थ का सिर्फ 0.0016% हिस्सा है।
टेलीकॉम विभाग (DoT) ने 22 अक्टूबर 2025 को टेलीकम्युनिकेशन साइबर सिक्योरिटी (TCS) नियमों में अहम बदलाव किए हैं।
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टेलीकॉम विभाग (DoT) ने 22 अक्टूबर 2025 को टेलीकम्युनिकेशन साइबर सिक्योरिटी (TCS) नियमों में अहम बदलाव किए हैं। ये बदलाव इसलिए किए गए हैं क्योंकि अब मोबाइल नंबर, IMEI और दूसरी टेलीकॉम आईडी डिजिटल सर्विसेज में तेजी से इस्तेमाल हो रही हैं- चाहे बैंकिंग हो, ई-कॉमर्स हो या सरकारी सेवाएं। सरकार का मकसद है कि डिजिटल सिस्टम को सुरक्षित रखा जाए और धोखाधड़ी पर रोक लगे।
सबसे बड़ा अपडेट मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन (MNV) प्लेटफॉर्म से जुड़ा है। कई धोखाधड़ी वाले अकाउंट्स और फर्जी पहचान वाले मामलों में मोबाइल नंबर की गलत या बिना जांच के लिंकिंग सामने आती थी। अब नए नियमों के तहत एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाया गया है, जहां सर्विस प्रोवाइडर यह चेक कर सकेंगे कि जिस मोबाइल नंबर से कोई सेवा ली जा रही है, वह सच में उसी व्यक्ति का है या नहीं। इससे डिजिटल ट्रांजेक्शन में भरोसा बढ़ेगा और फर्जीवाड़ा कम होगा।
दूसरा बड़ा बदलाव सेकेंड-हैंड मोबाइल मार्केट के लिए है। देश में पुराने या रिफर्बिश्ड मोबाइल फोन की बिक्री तेजी से बढ़ी है, लेकिन इसी के साथ चोरी, ब्लैकलिस्टेड या क्लोन किए गए फोनों का खतरा भी बढ़ा है। अब नियमों के अनुसार, कोई भी पुराना या रिफर्बिश्ड फोन बेचने से पहले उसके IMEI नंबर को एक सेंट्रल डेटाबेस में चेक करना जरूरी होगा। इससे खरीदार सुरक्षित रहेंगे और पुलिस को चोरी हुए मोबाइल ट्रैक करने में आसानी होगी।
नए नियमों में TIUE (Telecom Identifier User Entity) की जिम्मेदारियां भी तय की गई हैं। कई सेक्टर्स मोबाइल नंबर, IMEI और IP जैसे टेलीकॉम आईडी का इस्तेमाल पहचान और सर्विस देने के लिए करते हैं। अब इन संस्थाओं को जरूरत पड़ने पर सरकार के साथ जरूरी टेलीकॉम-आईडी डेटा साझा करना होगा। इससे साइबर फ्रॉड पर काबू करने में मदद मिलेगी, और डेटा सुरक्षा नियमों का पालन भी सुनिश्चित होगा।
कुल मिलाकर ये संशोधन भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को सुरक्षित, पारदर्शी और मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि ये बदलाव धोखाधड़ी को रोकने, डिवाइस ट्रेसिंग को मजबूत करने और टेलीकॉम पहचानियों के जिम्मेदार इस्तेमाल को बढ़ावा देंगे।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि 22 अक्टूबर 2025 को अधिसूचित किए गए TCS Amendment Rules, 2025 (G.S.R. 771(E)) पूरी तरह लागू हैं और मान्य हैं। बाद में एक तकनीकी गलती की वजह से 29 अक्टूबर को यही नियम दोबारा छप गए थे, जिसे अब 25 नवंबर 2025 की नई अधिसूचना के जरिए वापस ले लिया गया है। इससे मूल नियमों की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ा है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने अपनी ड्राफ्ट गाइडलाइन्स पर जनता से सुझाव भेजने की आखिरी तारीख आगे बढ़ा दी है।
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने अपनी ड्राफ्ट गाइडलाइन्स पर जनता से सुझाव भेजने की आखिरी तारीख आगे बढ़ा दी है। ये गाइडलाइन्स भारत में कॉपीराइट चोरी रोकने और एंटी-पायरेसी सिस्टम मजबूत करने के लिए बनाई जा रही हैं। इससे पहले मंत्रालय ने 7 नवंबर 2025 को इस बारे में नोटिस जारी किया था।
मंत्रालय ने 26 नवंबर को नया नोटिस जारी कर देशभर में इस मुद्दे पर सार्वजनिक राय मांगने की प्रक्रिया फिर से खोली है। नए नोटिस के मुताबिक, अब लोग दो हफ्ते और अपने सुझाव मंत्रालय को ईमेल के जरिए भेज सकते हैं।
नोटिस में कहा गया है कि 7 नवंबर वाले नोटिस में जनता से 20 दिनों के भीतर सुझाव मांगे गए थे, लेकिन अब डेडलाइन दो सप्ताह बढ़ा दी गई है, ताकि और लोग अपनी राय दे सकें।
भारत में फिल्मों, म्यूजिक, OTT कंटेंट और दूसरे डिजिटल मीडिया की गैरकानूनी कॉपी और सर्कुलेशन लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे इंडस्ट्री को भारी नुकसान होता है। इसी वजह से पायरेसी रोकना सरकार के लिए एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।
इस नए वर्टिकल की कमान रवि कुदेसिया संभालेंगे, जो टीवी, डिजिटल, प्रिंट और रेडियो में 25 साल का अनुभव रखते हैं।
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लक्ष्य मीडिया ग्रुप () ने अपने बिजनेस को आगे बढ़ाते हुए नया कंटेंट वर्टिकल ‘Laqshya StoryWorks’ शुरू किया है। इसके जरिए कंपनी ओरिजिनल IP, ब्रैंडेड कंटेंट और डिजिटल-फर्स्ट स्टोरीटेलिंग पर फोकस करेगी।
कंपनी का कहना है कि आज ब्रैंड्स लंबी कहानियों, मल्टी-प्लैटफॉर्म कंटेंट और डिजिटल वीडियो को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए यह नया यूनिट बनाया गया है, जो फिक्शन, नॉन-फिक्शन, डिजिटल वीडियो और AI-आधारित स्टोरीटेलिंग जैसे फॉर्मेट्स में काम करेगा। इनका कंटेंट OTT, सोशल मीडिया, टीवी और ऑन-ग्राउंड प्लेटफॉर्म पर भी दिखाया जाएगा।
लक्ष्य मीडिया ग्रुप के CMD अलोक जालान ने कहा कि कंटेंट, टेक्नोलॉजी और ब्रैंडिंग का मिलन आज बड़े अवसर पैदा कर रहा है। उनके मुताबिक, Laqshya StoryWorks के जरिए कंपनी अब लंबे शो, छोटे वीडियो और ऐसे क्रिएटिव फॉर्मेट बना पाएगी जो आज के दर्शकों से बेहतर जुड़ते हैं। यह ब्रैंड्स को भी नए तरीकों से अपनी बात पहुंचाने का मौका देगा।
इस नए वर्टिकल की कमान रवि कुदेसिया संभालेंगे, जो टीवी, डिजिटल, प्रिंट और रेडियो में 25 साल का अनुभव रखते हैं। इससे पहले वह ABP नेटवर्क में स्पेशल प्रोजेक्ट्स और ब्रैंडेड कंटेंट संभाल रहे थे और टाइम्स टेलीविजन नेटवर्क में भी लीडरशिप रोल में काम कर चुके हैं।
अलोक जालान ने कहा कि रवि कुदेसिया का अनुभव इस नए वर्टिकल को तेजी से आगे बढ़ाने में मदद करेगा। कुदेसिया ने भी कहा कि ब्रैंड एंगेजमेंट के लिए कंटेंट अब सबसे अहम हथियार है और Laqshya StoryWorks इसी सही समय पर लॉन्च हुआ है। उनका कहना है कि टीम ऐसा कंटेंट बनाएगी जो क्रिएटिव होने के साथ-साथ डेटा और स्ट्रैटेजी पर आधारित होगा, ताकि ब्रैंड्स को साफ-साफ नतीजे मिल सकें।
रवि कुदेसिया सीधे लक्ष्य मीडिया ग्रुप के CEO अतुल श्रीवास्तव को रिपोर्ट करेंगे। कंपनी का कहना है कि कई कंटेंट प्रोजेक्ट्स अभी तैयारी में हैं।
इस प्रमोशन से पहले वह कंपनी में पब्लिक पॉलिसी हेड के पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे।
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अरवमुदन के (Aravamudhan K) को ‘जियोस्टार’ (JioStar) में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (Legal & Regulatory) के पद पर प्रमोट किया गया है।
अरवमुदन के ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘लिंक्डइन’ (Linkedin) पर खुद यह जानकारी शेयर की है। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा है, ‘मुझे यह बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि मैं जियोस्टार में एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेजिडेंट (Legal & Regulatory) के पद पर नियुक्त हुआ हूं। इस पद के साथ आने वाली नई चुनौतियों और अवसरों का मैं बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं। अपने वरिष्ठों और टीम का उनके निरंतर समर्थन के लिए बहुत धन्यवाद!’
अरवमुदन के इस प्रमोशन से पहले ‘जियोस्टार’ (पूर्व में Star India) में पब्लिक पॉलिसी हेड के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने ‘वायकॉम18’ (Viacom18) में लगभग दो साल तक पब्लिक पॉलिसी का नेतृत्व किया। इसके साथ ही उन्होंने ‘द वॉल्ट डिज्नी कंपनी इंडिया’ (The Walt Disney Company India) में एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर (Government Relations) के पद पर काम किया और ‘स्टार टीवी नेटवर्क’ (STAR TV Network) में वर्ष 2017 से 2022 तक सीनियर वाइस प्रेजिडेंट के रूप में जिम्मेदारी निभाई।
गंगटोक में मंगलवार को आयोजित नेशनल प्रेस डे कार्यक्रम में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने राज्य के पत्रकारों से अपील की कि वे बेखौफ, निष्पक्ष और सच्चाई पर आधारित काम करें।
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गंगटोक में मंगलवार को आयोजित नेशनल प्रेस डे कार्यक्रम में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने राज्य के पत्रकारों से अपील की कि वे बेखौफ, निष्पक्ष और सच्चाई पर आधारित काम करें। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार आलोचना से डरती नहीं, बल्कि उसे सही दिशा दिखाने वाला मार्गदर्शन मानती है।
CM तमांग ने कहा, “मैं चाहूंगा कि प्रेस हमारी ‘तीसरी आंख’ बने, जो हमेशा बेखौफ, निष्पक्ष और सच बोलने वाली हो। आपकी आलोचना का हम स्वागत करते हैं। आप अपनी कलम का इस्तेमाल झूठी खबरों, नशे और उन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ करें जो हमारे युवाओं को नुकसान पहुंचा रही हैं।”
उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम 9 दिन बाद इसलिए किया गया क्योंकि वे खुद इसमें मौजूद रहना चाहते थे। CM ने साफ कहा कि उनकी सरकार पूरी तरह ईमानदारी और जवाबदेही के साथ काम करती है, भले ही वो हर चीज में परफेक्ट न हो।
पूर्व SDF सरकार पर निशाना साधते हुए तमांग ने कहा कि पहले एक समय ऐसा भी था जब सरकार और मीडिया के बीच रिश्ते अच्छे नहीं थे। कई पत्रकारों और मीडिया हाउस पर 2019 से पहले हमले और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई थीं क्योंकि वे उस समय की सरकार की आलोचना कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि SKM सरकार में अब पत्रकारिता स्वतंत्रता, भरोसे और आपसी सम्मान की नींव पर खड़ी है, हालांकि आज भी गलत जानकारी, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर खतरा और सुरक्षा जैसी चुनौतियां मौजूद हैं।
CM ने बताया कि उनकी सरकार ने मीडिया को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को आर्थिक और अन्य तरह की सहायता उपलब्ध कराई गई है। कोविड-19 के समय पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा देकर उनकी भूमिका को सम्मान दिया गया। प्रेस क्लब ऑफ सिक्किम के लिए एक अलग बिल्डिंग दी गई है और साथ ही प्रेस के उपयोग के लिए 17-सीटर वाहन भी उपलब्ध कराया गया है।
उन्होंने आगे बताया कि पत्रकारों को सिक्किम स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत हेल्थ इंश्योरेंस का लाभ दिया जा रहा है। इसके अलावा पेंशन योजना और प्रेस क्लब के लिए वार्षिक ग्रांट भी सुनिश्चित की गई है। सरकार ने विज्ञापन दरों में बढ़ोतरी की है ताकि मीडिया संस्थानों को आर्थिक मजबूती मिले। पत्रकारों के लिए एक्सपोजर टूर और बेहतर अवॉर्ड सुविधाएं भी शुरू की गई हैं, जिससे उनकी प्रोफेशनल ग्रोथ को प्रोत्साहन मिले।
CM ने कहा, “जो पत्रकार खुद संघर्ष में हो, वह समाज की सेवा नहीं कर सकता। इसलिए हमारी सरकार ने प्रेस को मजबूत करना अपनी जिम्मेदारी समझकर ये कदम उठाए। हमने न सिर्फ मीडिया की गरिमा और स्वतंत्रता वापस दिलाई है, बल्कि इसे सुरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी ली है।”
वरिष्ठ मीडिया और बिजनेस लीडर हर्ष भंडारी ने रणनीतिक निवेश और इनोवेशन कंसल्टेंसी के क्षेत्र में नई जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं।
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Samachar4media Bureau
वरिष्ठ मीडिया और बिजनेस लीडर हर्ष भंडारी ने रणनीतिक निवेश और इनोवेशन कंसल्टेंसी के क्षेत्र में नई जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, यह स्टार्टअप फिलहाल रक्षा क्षेत्र में विस्तार कर रहा है और डिफेंस इनोवेशन, कंटेंट, साथ ही स्पेशलाइज्ड स्पोर्ट्स और वेलनेस जैसे क्षेत्रों में टीम और प्लेटफॉर्म बना रहा है।
हर्ष भंडारी की नियुक्ति को भारत ऑपरेशन को मजबूत करने का रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
तीन दशकों से अधिक अनुभव रखने वाले हर्ष भंडारी मीडिया, कंटेंट स्ट्रेटेजी, ऑपरेशंस और रिटेल मैनेजमेंट में माहिर हैं। उनकी टीम मैनेजमेंट और बिजनेस स्केल बढ़ाने की क्षमता कंपनी के निवेश और इनोवेशन लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगी।
श्री अधिकारी ब्रदर्स टेलीविजन नेटवर्क (Sri Adhikari Brothers Television Network Limited) की बोर्ड मीटिंग 24 नवंबर 2025 को हुई, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए।
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Vikas Saxena
श्री अधिकारी ब्रदर्स टेलीविजन नेटवर्क (Sri Adhikari Brothers Television Network Limited) की बोर्ड मीटिंग 24 नवंबर 2025 को हुई, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए। सबसे बड़ा फैसला कंपनी का नाम बदलने का है। बोर्ड ने कंपनी का नया नाम Aqylon Nexus Limited रखने का प्रस्ताव पास किया है। अब इस बदलाव को शेयरहोल्डर्स की मंजूरी के लिए पोस्टल बैलट के जरिए भेजा जाएगा।
कंपनी ने अपने मेन ऑब्जेक्ट क्लॉज़ में भी बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है। अब कंपनी का फोकस टीवी या मीडिया से हटकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े बिजनेस पर होगा। इसके लिए Memorandum of Association यानी MOA में नया क्लॉज़ जोड़ा जाएगा।
ऑडिटर में बदलाव
कंपनी के मौजूदा स्टैच्यूटरी ऑडिटर Hitesh Shah & Associates ने इस्तीफा दे दिया है। बोर्ड ने नए ऑडिटर के तौर पर Bilimoria Mehta & Co. को 2025–26 के लिए मंजूरी दे दी है। इस पर भी शेयरहोल्डर्स की मंजूरी ली जाएगी।
AI और ग्रीन डेटा सेंटर बनाने का बड़ा प्लान
बोर्ड ने Telangana में 50 MW का AI व ग्रीन डेटा सेंटर कैंपस बनाने का प्रस्ताव भी पास किया। कंपनी का दावा है कि यह प्रोजेक्ट भारत के नेशनल AI मिशन, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस और गवर्नेंस जैसी जरूरतों को सपोर्ट करेगा।
इश्यू वॉरंट्स के प्रस्ताव वापस
कंपनी ने BSE और NSE में पहले दिए गए 1.5 करोड़ इक्विटी शेयर और 6.80 करोड़ कन्वर्टिबल वॉरंट्स के लिए इन-प्रिंसिपल अप्रूवल की अर्जी वापस लेने का निर्णय लिया है।
पोस्टल बैलट की तैयारी
बोर्ड ने इन सब प्रस्तावों पर शेयरहोल्डर्स की मंजूरी के लिए पोस्टल बैलट नोटिस भी मंजूर कर लिया है। ई-वोटिंग प्रक्रिया को पारदर्शी तरीके से कराने के लिए कृणा गोकुलकुमार शाह को स्क्रूटिनाइजर नियुक्त किया गया है।
सिटी नेटवर्क्स (SITI Networks Limited) की सालाना आम बैठक (AGM) की तारीख बढ़ाने की कोशिशें फिलहाल अटक गई हैं।
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Vikas Saxena
सिटी नेटवर्क्स (SITI Networks Limited) की सालाना आम बैठक (AGM) की तारीख बढ़ाने की कोशिशें फिलहाल अटक गई हैं। कंपनी ने इस बारे में ROC (रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़) को दो बार आवेदन भेजा है, लेकिन तकनीकी और कानूनी वजहों से मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
कंपनी ने बताया कि 18 सितंबर 2025 को उसने MCA पोर्टल पर GNL-1 फॉर्म भरकर AGM की तारीख तीन महीने बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन सिस्टम ने इसे स्वीकार ही नहीं किया। वजह ये बताई गई कि कंपनी CIRP यानी कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया में चल रही है और ऐसे केस में ये फॉर्म नहीं भरा जा सकता।
इसके बाद कंपनी ने 30 सितंबर को GNL-2 फॉर्म के जरिए दोबारा कोशिश की। लेकिन ROC ने इस पर कई सवाल उठा दिए, जैसे कि CIRP में चल रही कंपनी AGM कैसे करेगी, कौन सा कानून RP (Resolution Professional) को AGM बुलाने की अनुमति देता है और शेयरहोल्डर्स वोट कैसे करेंगे?
कंपनी ने जवाब देते हुए कहा कि IBC (Insolvency and Bankruptcy Code) RP को पूरा अधिकार देता है कि वह कंपनी की तरफ से हर तरह की कानूनी और जरूरी प्रक्रियाएं पूरी करे। साथ ही, कंपनी ने बताया कि CIRP में होने के बावजूद AGM करना जरूरी है क्योंकि कानून में इसकी कोई छूट नहीं दी गई है।
इसके बावजूद ROC ने कंपनी की अर्जी खारिज कर दी। ROC का कहना था कि IBC में RP को शेयरहोल्डर्स की मीटिंग बुलाने का साफ प्रावधान नहीं है।
इसके बाद कंपनी ने 6 नवंबर को एक और आवेदन GNL-2 में दाखिल किया और फिर से विस्तार मांगा। इस बार कंपनी ने CIRP की स्थिति, RP की जिम्मेदारियां और पिछले प्रावधानों का पूरा ब्योरा भी दिया। लेकिन ROC ने इस आवेदन में भी आपत्ति जताई और कहा कि AGM बढ़ाने के लिए यह सही फॉर्म नहीं है।
कंपनी ने कहा है कि वह इस मामले को लेकर ROC से लगातार बात कर रही है और तीन महीने के समय विस्तार के लिए प्रयास जारी हैं।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (PCI) ने केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 (DPDP एक्ट) के तहत नए नियमों की नोटिफिकेशन करने के तरीके पर गहरी नाराजगी जताई है।
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Samachar4media Bureau
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (प्रेस क्लब) ने केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 (DPDP एक्ट) के तहत नए नियमों की नोटिफिकेशन करने के तरीके पर गहरी नाराजगी जताई है। प्रेस क्लब का कहना है कि ये नियम पत्रकारों की आजादी और प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा असर डालते हैं।
प्रेस क्लब और देशभर के 22 बड़े प्रेस संगठनों ने जून 2025 में MEITY को एक संयुक्त मेमोरेंडम दिया था, जिसमें इस कानून की कई कमियों को बताया गया था। पत्रकारों का कहना है कि कानून में कई परिभाषाएं बहुत अस्पष्ट हैं और इनका गलत इस्तेमाल करके पत्रकारों के काम को रोका जा सकता है।
पत्रकार संगठनों ने सरकार को सुझाव दिया था कि पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के लिए स्पष्ट और सुरक्षित छूट दी जाए, ताकि रिपोर्टिंग का काम बाधित न हो। इसके बाद 28 जुलाई को MEITY के सचिव एस. कृष्णन ने पत्रकार संगठनों के साथ बैठक भी की। उनकी मांग पर पत्रकारों ने 35 सवालों की एक विस्तृत सूची (FAQs) भी भेजी, जिसमें बताया गया कि कानून किन-किन स्थितियों में पत्रकारों के काम में दखल डाल सकता है।
बैठक में पत्रकार संगठनों ने यूरोप के GDPR के उदाहरण भी दिए, जिसमें पत्रकारों के लिए स्पष्ट छूट का प्रावधान है।
प्रेस क्लब का कहना है कि उनके सुझावों के बावजूद सरकार ने कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया कि यह कानून पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। संगठन का आरोप है कि कानून की कुछ धाराओं का दायरा इतना बड़ा है कि इन्हें मनमाने ढंग से लागू करके मीडिया की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
प्रेस क्लब ने याद दिलाया कि वह हमेशा प्रेस की आजादी की रक्षा के लिए खड़ा रहा है, चाहे 1975 की इमरजेंसी का दौर हो या 1988 का विवादित मानहानि बिल। संस्था का कहना है कि DPDP कानून में भी यही खतरा दिखाई देता है।
प्रेस क्लब ने सरकार से मांग की है कि पत्रकारों के लिए साफ-साफ छूट तय की जाएं और कानून की अस्पष्ट धाराओं को ठीक किया जाए, ताकि पत्रकारिता पर किसी तरह का दबाव या कार्रवाई का खतरा न रहे।