मैडिसन डिजिटल (Madison Digital) ने अपने जनरल मैनेजर के पद पर निमेश शाह की वापसी की घोषणा की है।
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समाचार4मीडिया ब्यूरो
मैडिसन डिजिटल (Madison Digital) ने अपने जनरल मैनेजर के पद पर निमेश शाह की वापसी की घोषणा की है। वह विनीत शाह के साथ मिलकर वेस्टर्न रीजन का नेतृत्व करेंगे और मैडिसन डिजिटल और मैडिसन मीडिया अल्फा के सीईओ विशाल चिंचनकर को सीधे रिपोर्ट करेंगे।
निमेश को डिजिटल मार्केटिंग में 14 वर्षों से भी ज्यादा का अनुभव है, जिसमें से 6 वर्ष उन्होंने मैडिसन में बिताए हैं।
मैडिसन डिजिटल और मेडिया अल्फा (Madia Alpha) के सीईओ विशाल चिंचनकर ने कहा, "हमें मैडिसन डिजिटल में निमेश का स्वागत करते हुए खुशी हो रही है। मुझे विश्वास है कि उनका नेतृत्व वेस्टर्न रीजन में हमारी क्षमताओं को मजबूत करेगा और मुझे पूरा यकीन है कि रणनीतिक कौशल और क्लाइंट फोकस जैसी उनकी मुख्य विशेषताएं मैडिसन और हमारे क्लाइंट्स के लिए जबरदस्त मूल्य प्रदान करेंगी।"
मैडिसन डिजिटल के जनरल मैनेजर के तौर पर अपनी वापसी करते हुए निमेश शाह ने कहा, "मैं मैडिसन वर्ल्ड के साथ फिर से जुड़कर और इस निरंतर विकसित हो रहे परिदृश्य में इसकी डिजिटल इनिशिएटिव्स में योगदान देकर रोमांचित हूं। मुझे डिजिटल की परिवर्तनकारी शक्ति और उपभोक्ताओं पर इसके प्रभाव को देखने का सौभाग्य मिला है। मेरा फोकस इनोवेशन को आगे बढ़ाने पर होगा, जिसमें डिजिटल परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने और बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए डेटा और प्रौद्योगिकी-संचालित समाधानों पर विशेष जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही हमारा लक्ष्य संभावनाओं को फिर से परिभाषित करना और अपने क्लाइंट्स के लिए प्रभावशाली, रणनीतिक अनुभव बनाना है। मैं इस यात्रा का हिस्सा बनकर बेहद उत्साहित हूं।”
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यूरोपीय यूनियन ने डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA) के तहत एलन मस्क के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म X पर €120 मिलियन ($140 मिलियन) का जुर्माना लगाया है।
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Samachar4media Bureau
यूरोपीय यूनियन ने डिजिटल सर्विसेज एक्ट (DSA) के तहत एलन मस्क के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म X पर €120 मिलियन ($140 मिलियन) का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई DSA के तहत अब तक की सबसे कड़ी प्रवर्तन कार्रवाइयों में से एक मानी जा रही है।
इस फैसले की घोषणा शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 को की गई। यह दो साल की जांच के बाद आया है, जिसमें यूरोपीय संघ ने देखा कि X प्लेटफॉर्म यूजर सुरक्षा, कंटेंट मॉडरेशन और पारदर्शिता संबंधी नियमों का पालन नहीं कर रहा था।
आयोग के अनुसार, X ने तीन मुख्य पारदर्शिता नियमों का उल्लंघन किया।
सबसे बड़ी चिंता रही प्लेटफॉर्म का ब्लू चेकमार्क सिस्टम, जिसे यूरोपीय नियामकों ने 'भ्रामक डिजाइन' कहा। उनका कहना है कि यह सिस्टम उपयोगकर्ताओं को धोखाधड़ी और गलत जानकारी के लिए उजागर करता है और सीधे DSA के कंज्यूमर प्रोटेक्शन नियमों का उल्लंघन करता है।
इसके अलावा आयोग ने पाया कि X का एडवरटाइजिंग ट्रांसपेरेंसी डेटाबेस अधूरा था और अनिवार्य खुलासे के मानक पूरे नहीं करता था। कंपनी ने शोधकर्ताओं को सार्वजनिक डेटा तक आवश्यक स्तर की पहुँच भी नहीं दी, जिससे प्लेटफॉर्म के जोखिमों का अध्ययन करना मुश्किल हो गया, यह भी DSA का एक मूल नियम है।
यह जुर्माना यूरोप की डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कड़ी निगरानी और यूजर सुरक्षा, पारदर्शिता और उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने की नीति को फिर से स्पष्ट करता है।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैल रहे अश्लील और हानिकारक कंटेंट को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक नया नियामक ढांचा तैयार कर रहा है।
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Samachar4media Bureau
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फैल रहे अश्लील और हानिकारक कंटेंट को रोकने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एक नया नियामक ढांचा तैयार कर रहा है। सरकार ने कोर्ट से चार सप्ताह का और समय मांगा है ताकि इन नए दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देकर लोगों, विशेषज्ञों और अन्य हितधारकों से सुझाव लिए जा सकें।
यह मामला उस समय सुना गया जब चीफ जस्टिस डीवाई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच यूट्यूबर्स रणवीर अल्लाहबादिया, आशीष चंचलानी और अन्य के खिलाफ दर्ज कई FIR वाले मामलों की सुनवाई कर रही थी। इन यूट्यूबर्स पर “India’s Got Latent” नाम के विवादित शो में कथित रूप से अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करने के आरोप हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा कानून शायद आज की ऑनलाइन दुनिया के हिसाब से पुराने हो चुके हैं और इन्हें अपडेट करने की जरूरत है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आज कोई भी व्यक्ति यूट्यूब चैनल खोलकर कुछ भी कह देता है और कानून उसके खिलाफ कुछ कर नहीं पाता। उन्होंने कहा कि गलत कामों पर रोक लगाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार यह भी सोचे कि क्या ऑनलाइन कंटेंट पर नजर रखने के लिए कोई स्वतंत्र रेगुलेटरी बॉडी बनाई जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि अगर बिना किसी जवाबदेही के सब कुछ ऑनलाइन दिखाया या बोला जाएगा तो इसका परिणाम क्या होगा?
कोर्ट ने यह भी कहा कि फोन ऑन करने पर कई बार ऐसा कंटेंट सामने आ जाता है जिसे लोग देखना ही नहीं चाहते। ऐसे कंटेंट को रोकने के लिए भी कोई ठोस तरीका होना चाहिए।
इसके साथ ही कोर्ट ने दिव्यांग व्यक्तियों पर की जा रही अपमानजनक बातों पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि जैसे SC/ST समुदाय के लिए कड़े कानून हैं, वैसे ही दिव्यांग लोगों का अपमान रोकने के लिए भी सख्त कानून होना चाहिए। कोर्ट ने सवाल किया कि “अगर सोशल मीडिया पर संवेदनशील मुद्दों का मजाक उड़ाया जाएगा तो दिव्यांग लोगों की रक्षा कौन करेगा?”
यह पूरा मामला तब उठा जब पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना, विपुल गोयल, बलराज सिंह, सोनाली ठाक्कर और निशांत तंवर को एक SMA से पीड़ित दो महीने के बच्चे का मजाक उड़ाने पर कड़ी फटकार लगाई थी। अगस्त में कोर्ट ने इन सभी को सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी मांगने का आदेश दिया था।
Cure SMA Foundation of India की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि सोशल मीडिया पर अश्लील और हानिकारक कंटेंट पर रोक के लिए दिशा-निर्देश बनाना जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार (Article 19) किसी भी व्यक्ति की गरिमा (Article 21) से ऊपर नहीं हो सकता।
प्रिंट मीडिया ब्रैंड Ei Samay ने अपने डिजिटल विस्तार के तहत दो नए प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं, जिनमें शामिल है- News Ei Samay (अंग्रेजी) और Samachar Ei Samay (हिंदी)।
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प्रिंट मीडिया ब्रैंड Ei Samay ने अपने डिजिटल विस्तार के तहत दो नए प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं, जिनमें शामिल है- News Ei Samay (अंग्रेजी) और Samachar Ei Samay (हिंदी)। इसका मकसद ब्रैंड को मल्टी-भाषा डिजिटल न्यूज स्पेस में विस्तारित करना है।
इन दोनों प्लेटफॉर्म का मुख्य लक्ष्य पाठकों को बिना किसी भेदभाव, बिना फिल्टर और पूरी स्वतंत्रता के साथ खबरें पेश करना है। News Ei Samay (newseisamay.com) और Samachar Ei Samay (samachareisamay.com) खासकर युवा प्रोफेशनल्स, छात्रों और डिजिटल-प्राथमिकता वाले पाठकों के लिए डिजाइन किए गए हैं, ताकि उन्हें अंग्रेजी और हिंदी में भरोसेमंद और इमर्सिव न्यूज अनुभव मिल सके।
Ei Samay के मेंटर संजय बसु ने कहा, "News Ei Samay और Samachar Ei Samay के लॉन्च के साथ, हम टेक-ड्रिवन डिजिटल जर्नलिज़्म के नए दौर में कदम रख रहे हैं, जो हमारे पाठकों की बदलती उम्मीदों को दर्शाता है। यह प्लेटफॉर्म हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करता है कि हम हर भाषा में, हर स्क्रीन पर, हर समय गुणवत्तापूर्ण खबरें उपलब्ध कराएं।"
चीफ एडिटर हिरक बंद्योपाध्याय की निगरानी में, News Ei Samay और Samachar Ei Samay में अनुभवी पत्रकारों और विशेषज्ञों की टीम काम कर रही है। अंग्रेजी प्लेटफॉर्म में 17 और हिंदी प्लेटफॉर्म में 15 पत्रकार विभिन्न क्षेत्रों की खबरों को कवर करेंगे।
यह कदम Ei Samay के डिजिटल विस्तार और भरोसेमंद, रोचक और उच्च गुणवत्ता वाली न्यूज़ उपलब्ध कराने के मिशन को और मजबूत करता है।
संसदीय समिति 24 नवंबर को डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट पर विचार करने वाली है।
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संसदीय समिति 24 नवंबर को डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट पर विचार करने वाली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति 24 नवंबर को बैठक करेगी, जिसमें भारत के मीडिया नियमों और ढांचे का आकलन किया जाएगा।
बैठक का मुख्य फोकस प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के प्रस्ताव पर रहेगा, ताकि डिजिटल क्रिएटर्स, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और अन्य ऑनलाइन कंटेंट निर्माता भी इसके दायरे में आएं और गलत सूचना (misinformation) को रोकने में मदद मिल सके।
प्रेस काउंसिल के अधिकारी प्रस्तावित संशोधनों पर अपनी राय पेश करेंगे, जो प्रभावशाली डिजिटल आवाजों को पहली बार औपचारिक रूप से नियंत्रित करने का लक्ष्य रखते हैं। इसके अलावा, सूचना और प्रसारण मंत्रालय (MIB) और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) की ओर से सबमिशन और साक्ष्य भी समिति में विचार के लिए रखे जाएंगे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, सांसद बैठक में ऑनलाइन क्रिएटर्स की जवाबदेही, नियमों का पालन और निगरानी की जरूरत पर भी समीक्षा करेंगे, ताकि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैल रही गलत सूचनाओं पर काबू पाया जा सके।
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों और OTT प्लेटफॉर्म्स पर ऑनलाइन कंटेंट को नियंत्रित करने वाले सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में नए दिशानिर्देश तैयार किए हैं।
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केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों और OTT प्लेटफॉर्म्स पर ऑनलाइन कंटेंट को नियंत्रित करने वाले सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में नए दिशानिर्देश तैयार किए हैं। इस मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि 'अश्लील' और अन्य अस्वीकार्य या अवैध डिजिटल कंटेंट क्या होगा। The Hindu की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह मसौदा सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के लिए तैयार किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्ताव सभी डिजिटल कंटेंट- सोशल मीडिया, OTT स्ट्रीमिंग सर्विस और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म पर लागू होगा और इसमें 1995 के केबल टेलीविजन नेटवर्क (रेगुलेशन) एक्ट से लिए गए व्यापक प्रतिबंध शामिल हैं।
इस नोट को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वकील ने इस सप्ताह चल रहे मुकदमे में पक्षकारों को भेजा। सुप्रीम कोर्ट ने इस साल पहले सरकार से कहा था कि ऑनलाइन कंटेंट के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाएं।
IT Rules पहले से ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देशित करते हैं कि वे अश्लील, पोर्नोग्राफिक, बाल उत्पीड़न, किसी की निजता का उल्लंघन, लिंग या जातीय आधार पर अपमानजनक या उत्पीड़न करने वाला, मनी लॉन्ड्रिंग या जुआ बढ़ावा देने वाला कंटेंट न दिखाएं। अब सरकार का प्रस्ताव अगर सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी पाता है, तो इसमें 'अश्लील डिजिटल कंटेंट' की स्पष्ट परिभाषा और नियमों के कोड ऑफ एथिक्स में बदलाव शामिल होगा। यह बदलाव IT Act की Section 67, केबल TV एक्ट और IPC के आधार पर होगा।
डिजिटल अधिकारों की वकील मिशी चौधरी ने The Hindu से कहा कि यह मूल रूप से केबल TV प्रोग्राम कोड को डिजिटल मीडिया में लागू करने जैसा है। उनका कहना है कि यह भारत में डिजिटल कंटेंट के लिए अब तक का सबसे व्यापक नियामक बदलाव होगा।
सिनेमैटोग्राफ एक्ट के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म्स पर सामग्री को 'सार्वजनिक प्रदर्शन योग्य' होना चाहिए। यह शर्त केवल स्ट्रीमिंग सर्विस पर लागू होगी, सोशल मीडिया पर नहीं।
कोड ऑफ एथिक्स के तहत प्लेटफॉर्म्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि कंटेंट में अश्लीलता, अपराध को बढ़ावा देने वाला संदेश, आपत्तिजनक या अपमानजनक दृश्य/शब्द, या किसी जातीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूह का अपमान न हो। इसमें कुल 17 प्रकार के प्रतिबंध शामिल हैं।
हालांकि, बॉम्बे हाई कोर्ट ने IT Rules के कुछ नियमों पर रोक लगा रखी है और अब यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए है। मिशी चौधरी के अनुसार, नोट इन रोकी गई नियमावली को फिर से लागू करने की कोशिश करता है।
सरकार का प्रस्ताव यह भी कहता है कि कंटेंट के कोड का उल्लंघन हुआ या नहीं, इसका निर्णय 'कम्युनिटी स्टैंडर्ड टेस्ट' के आधार पर होगा। इसमें यह तय किया जाएगा कि क्या समकालीन सामाजिक मान्यताओं के हिसाब से कंटेंट किसी की कामुक रुचि को भाता है या नहीं। साहित्यिक, वैज्ञानिक, कला या राजनीतिक मूल्य वाली सामग्री इस कोड से बाहर रहेगी।
यह प्रस्ताव कॉमेडियन समय रैना के विवादित जोक के बाद आया है, जब उनके YouTube चैनल का एक भाग सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि नियम तैयार करते समय अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन न हो, लेकिन उचित प्रतिबंध भी सुनिश्चित किए जाएं।म
यूट्यूब ने अपने सालाना YouTube Impact Summit में भारत के लिए कई बड़े ऐलान किए।
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यूट्यूब ने अपने सालाना YouTube Impact Summit में भारत के लिए कई बड़े ऐलान किए। यूट्यूब ने बताया कि वह भारत की क्रिएटिव इकॉनमी को मजबूत करने और डिजिटल वेलबीइंग बढ़ाने के लिए नए AI टूल्स, बड़ी साझेदारियां और नई सेफ्टी सुविधाएं ला रहा है।
एक नई रिपोर्ट में ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स ने बताया कि यूट्यूब के क्रिएटर इकोसिस्टम ने पिछले साल भारत की GDP में 16,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान दिया और करीब 9.3 लाख लोगों को फुल-टाइम के बराबर रोजगार दिया।
इसी के साथ यूट्यूब ने Indian Institute of Creative Technology (IICT) और AIIMS के साथ नई पार्टनरशिप का ऐलान किया और कई नए AI टूल्स पेश किए, जिनका मकसद भारत में क्रिएटर्स और छात्रों के लिए और ज्यादा मौके बनाना है।
यूट्यूब इंडिया की मैनेजिंग डायरेक्टर गुंजन सोनी ने कहा कि यूट्यूब का असर सिर्फ व्यूज़ तक सीमित नहीं है, बल्कि लोगों की आजीविका और आर्थिक विकास से जुड़ा है। उन्होंने बताया कि 63% भारतीय क्रिएटर्स, जो यूट्यूब से कमाई करते हैं, कहते हैं कि यूट्यूब उनकी कमाई का मुख्य ज़रिया है। इसी वजह से यूट्यूब नई पार्टनरशिप कर रहा है और ऐसे AI टूल्स ला रहा है जो भारत के अगले दौर के डिजिटल उद्यमियों को ताकत देंगे।
कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि यूट्यूब जैसी प्लेटफॉर्म जब महिलाओं और बच्चों को सही जानकारी, डिजिटल सुरक्षा और आर्थिक आज़ादी देते हैं तो यह डिजिटल इंडिया के मिशन को और मजबूत बनाता है।
आज भारत प्रतिभा का वैश्विक केंद्र बन रहा है और 98% भारतीय यूट्यूब का इस्तेमाल जानकारी और सीखने के लिए करते हैं। इसी को देखते हुए यूट्यूब ने कई नई पहलें शुरू कीं।
यूट्यूब नव-स्थापित Indian Institute of Creative Technologies (IICT) के साथ मिलकर छात्रों को AVGC-XR (एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी) इंडस्ट्री के लिए तैयार करेगा। इसके तहत—
गूगल छात्रों के लिए वेबिनार, गेस्ट लेक्चर और वर्कशॉप आयोजित करेगा
“Create with AI” नाम का फंड शुरू किया जाएगा, जिससे छात्र और कलाकार फिल्म, एनीमेशन और गेमिंग में AI का उपयोग कर नए प्रोजेक्ट बना सकेंगे
IICT को अपना आधिकारिक यूट्यूब चैनल बढ़ाने में मदद दी जाएगी
IICT के CEO विश्वास देवोस्कर ने कहा कि भारत की क्रिएटिव इंडस्ट्री एक नए दौर में प्रवेश कर रही है और AI स्टोरीटेलिंग को बदल देगा।
AIIMS की कॉलेज ऑफ नर्सिंग के साथ मिलकर यूट्यूब अब प्रोफेशनल नर्सिंग कोर्सेज प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराएगा। इससे भारत भर के 5,000 से ज्यादा नर्सिंग छात्र और नर्सें- जैसे वाउंड केयर और हॉस्पिटल इंफेक्शन कंट्रोल जैसे महत्वपूर्ण विषय सीख सकेंगे।
AIIMS की प्रिंसिपल डॉ. लता वेंकटेशन ने कहा कि डिजिटल लर्निंग से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को देशभर में पहुंचाया जा सकता है।
यूट्यूब ने अपना नया Conversational AI Tool लॉन्च किया है, जिसमें दर्शक वीडियो देखते हुए सवाल पूछ सकते हैं और तुरंत जवाब पा सकते हैं। यह फीचर अभी अंग्रेज़ी में उपलब्ध है और जल्द ही हिंदी में भी आएगा।
भारत में स्वास्थ्य से जुड़ी वीडियो 2024 तक 300 अरब से ज्यादा बार देखी जा चुकी हैं। इसी को देखते हुए यूट्यूब ने—
First Aid Shelves को हिंदी और अंग्रेज़ी में और ज्यादा विषयों पर बढ़ाया है
Mindful Viewing फीचर लाया है, जिससे लोग Shorts पर स्क्रॉलिंग के लिए रोज़ की लिमिट सेट कर सकेंगे
18 साल से कम उम्र के यूज़र्स के लिए "Take a Break" रिमाइंडर पहले से ही ऑन रहते हैं
यूट्यूब के “Edit with AI” फीचर को अब सभी क्रिएटर्स के लिए लॉन्च कर दिया गया है। इससे लॉन्ग वीडियो एडिटिंग का समय काफी कम हो जाता है।
“Likeness Detection” तकनीक, जो AI से बदलकर बनाए गए गलत वीडियो का पता लगाने में मदद करती है, अब यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम के सभी क्रिएटर्स के लिए उपलब्ध है।
गुंजन सोनी ने कहा कि भारत सिर्फ एक मार्केट नहीं, बल्कि दुनिया के लिए इनोवेशन और संस्कृति का बड़ा स्रोत है।
कुल मिलाकर, यूट्यूब ने इस समिट में साफ कर दिया कि वह भारत की क्रिएटर इकॉनमी को और मजबूत करने, डिजिटल वेलबीइंग बढ़ाने और लोगों तक भरोसेमंद जानकारी पहुंचाने के लिए लगातार निवेश कर रहा है।
केंद्रीय रेल, सूचना-प्रसारण और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सिंगापुर में हुए ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अब अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
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केंद्रीय रेल, सूचना-प्रसारण और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सिंगापुर में हुए ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम (Bloomberg New Economy Forum) में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अब अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उन्होंने कहा कि इन प्लेटफॉर्म्स पर फैल रही अफवाहें, झूठी बातें और फेक कंटेंट समाज में भरोसा कमजोर कर रहे हैं।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज हर कोई इस बात को लेकर चिंतित है कि सोशल मीडिया का लोगों और संस्थानों के बीच भरोसे पर कितना असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा, 'जब अफवाहें रोशनी की रफ्तार से फैल जाती हैं, तो यह पूरा माहौल खराब कर देती हैं। इसलिए जरूरी है कि सोशल मीडिया कंपनियां इस बात की जिम्मेदारी लें कि वे क्या पब्लिश कर रही हैं।'
सरकार के रुख पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारत तकनीकी और नवाचार को बढ़ावा देते हुए संतुलित रेगुलेशन अपनाता है। उन्होंने कहा, 'हमारा डेटा प्रोटेक्शन एक्ट सिद्धांतों पर आधारित है, क्योंकि टेक्नोलॉजी हर कुछ महीनों में बदलती रहती है। ऐसे में बहुत सख्त नियम बनाने से नवाचार रुक सकता है। हम इनोवेशन और रेगुलेशन- दोनों पर ध्यान देते हैं, लेकिन थोड़ा झुकाव इनोवेशन की तरफ रखते हैं।'
उन्होंने कहा कि सरकार लगातार इंडस्ट्री और सिविल सोसायटी के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि सही संतुलन बनाया जा सके। वैष्णव ने कहा, 'भारत में काम कर रही हर कंपनी को हमारे संविधान और कानूनों का पालन करना ही होगा। हर प्लेटफॉर्म को भी देश की सामाजिक संरचना और परिस्थितियों को समझना चाहिए।'
अंत में उन्होंने सभी बिजनेस लीडर्स को अगला New Economy Forum भारत में शामिल होने का आमंत्रण दिया। उन्होंने कहा, 'भारत आने वाले कई सालों तक तेज विकास और कम महंगाई वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। स्थिर नीतियां, आसान प्रक्रियाएं और बेहतर ग्रोथ किसी भी निवेशक के लिए आदर्श स्थिति है। अगले साल हम आपको दिल्ली में स्वागत करेंगे।'
समाचार4मीडिया से बातचीत में अमित कसाना ने बताया कि न्यूज नेशन में अपनी भूमिका में वह डिजिटल एडिटर बिंदिया भट्ट को रिपोर्ट करेंगे।
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वरिष्ठ पत्रकार अमित कसाना ने ‘न्यूज नेशन’ (News Nation) से मीडिया में अपनी नई पारी की शुरुआत की है। उन्होंने यहां डिजिटल टीम में बतौर डिप्टी एडिटर जॉइन किया है।
समाचार4मीडिया से बातचीत में अमित कसाना ने बताया कि न्यूज नेशन में अपनी भूमिका में वह डिजिटल एडिटर बिंदिया भट्ट को रिपोर्ट करेंगे। अमित कसाना इससे पहले न्यूज 24 डिजिटल (हिंदी) में बतौर न्यूज एडिटर कार्यरत थे। यहां उनके पास कंटेंट प्लानिंग और स्पेशल असाइनमेंट की जिम्मेदारी थी। यहां से उन्होंने कुछ दिनों पूर्व ही इस्तीफा दे दिया था, 17 नवंबर 2025 इस संस्थान में उनका आखिरी कार्यदिवस था।
अमित कसाना ने वर्ष 2006 में दिल्ली से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत की थी। कंटेंट प्लानिंग, विज़ुअल स्टोरीटेलिंग, ग्राउंड रिपोर्टिंग, और सोशल-फर्स्ट न्यूज़ पैकेजिंग में उनकी मजबूत पकड़ है।
दिल्ली में जन्मे अमित ने राजधानी से ही अपनी पढ़ाई की और कॉलेज में छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के निजी संस्थान से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा किया है। इससे पहले अमित कसाना हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित मीडिया समूहों से भी जुड़े रहे हैं।
बेहद सरल स्वभाव वाले अमित डिजिटल कंटेंट पर अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं। समाचार4मीडिया की ओर से अमित कसाना को उनके नए सफर के लिए ढेरों बधाई और शुभकामनाएं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीनियर न्यूज एंकर व 'आजतक' की मैनेजिंग एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) अंजना ओम कश्यप के पक्ष में एक बड़ा फैसला सुनाया है।
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दिल्ली हाई कोर्ट ने सीनियर न्यूज एंकर व 'आजतक' की मैनेजिंग एडिटर (स्पेशल प्रोजेक्ट्स) अंजना ओम कश्यप के पक्ष में एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक ऐसे यूट्यूब चैनल पर स्थायी रोक लगा दी है जो डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल करके खुद को अंजना जैसा दिखा रहा था और फर्जी वीडियो फैलाता था।
क्या था मामला?
टीवी टुडे नेटवर्क और अंजना ओम कश्यप ने कोर्ट में केस दर्ज कर बताया कि “@AnajanaomKashya” नाम से चल रहा एक यूट्यूब चैनल उनकी फोटोज, वीडियो और आवाज का गलत इस्तेमाल कर रहा है। चैनल पर डाले गए कई वीडियो एडिटेड थे और उन्हें ऐसे दिखाया गया जैसे अंजना ने खुद बनाया हो या उसका समर्थन करती हों।
कोर्ट ने पहले 20 जून 2025 को आदेश देकर गूगल को यह फेक चैनल हटाने और उसका बेसिक सब्सक्राइबर डेटा देने को कहा था। गूगल ने कोर्ट के सभी निर्देश मान लिए थे।
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस तेजस करिया ने कहा कि ऐसी फेक सामग्री बेहद खतरनाक होती है, खासकर जब किसी मशहूर पत्रकार का नाम इस्तेमाल किया जाए। इससे गलत जानकारी फैल सकती है और लोगों में भ्रम पैदा होता है।
कोर्ट ने कहा कि फेक चैनल ने अंजना की तस्वीरें और फेक वीडियो का गलत इस्तेमाल किया, जो पूरी तरह गैरकानूनी है। इसलिए आरोपी (डिफेंडेंट नंबर 2) पर स्थायी रोक लगाना जरूरी है।
कोर्ट ने बताया कि यूट्यूब चैनल चलाने वाला व्यक्ति नोटिस मिलने के बावजूद कोर्ट में पेश नहीं हुआ, इसलिए उसके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई।
अंत में कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने केस का फैसला अंजना ओम कश्यप और टीवी टुडे नेटवर्क के पक्ष में सुनाया और फेक चैनल को हमेशा के लिए बंद करने का आदेश दिया। सभी लंबित आवेदन भी निपटा दिए गए।
वॉट्सऐप (WhatsApp) और उसकी पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) के बीच यूजर डेटा शेयरिंग का मामला एक बार फिर गर्म हो गया है।
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Samachar4media Bureau
वॉट्सऐप (WhatsApp) और उसकी पैरेंट कंपनी मेटा (Meta) के बीच यूजर डेटा शेयरिंग का मामला एक बार फिर गर्म हो गया है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) से पूछा है कि विज्ञापनों के लिए यूजर डेटा शेयर करने पर कौन-से प्राइवेसी नियम लागू होंगे।
यह कदम तब आया है जब NCLAT ने 4 नवंबर को दिए अपने फैसले में WhatsApp और Meta पर लगी पांच साल की पाबंदी हटा दी थी। हालांकि ₹213.14 करोड़ का जुर्माना और कई शर्तें पहले की तरह ही लागू हैं।
CCI का कहना है कि NCLAT के फैसले में 'यूजर की सहमति, पारदर्शिता और एक ही तरह की कंसेंट पॉलिसी' जैसे सिद्धांतों की बात की गई है। आयोग जानना चाहता है कि क्या ये नियम सभी तरह के डेटा पर लागू होते हैं, या फिर विज्ञापन के लिए इस्तेमाल होने वाले डेटा पर अलग तरीके से लागू होंगे।
यदि दोनों तरह के डेटा के लिए एक जैसा नियम माना जाता है, तो WhatsApp और Meta को अपने कंसेंट सिस्टम को बिल्कुल नए तरीके से बनाना पड़ सकता है।
NCLAT की बेंच, जिसमें चेयरपर्सन जस्टिस अशोक भूषण और अरुण बरोका शामिल हैं, ने Meta और WhatsApp को जवाब देने का समय दिया है। मामला 2 दिसंबर को फिर सुना जाएगा। Meta और WhatsApp ने अलग से यह भी मांग की है कि 4 नवंबर के फैसले के कुछ गोपनीय हिस्से सार्वजनिक न किए जाएं।
बता दें कि यह विवाद 2021 में शुरू हुआ, जब WhatsApp ने अपनी नई प्राइवेसी पॉलिसी जारी की। नई पॉलिसी में Meta ग्रुप के साथ डेटा शेयरिंग अनिवार्य कर दी गई और यूजर को इससे बाहर निकलने का विकल्प नहीं दिया गया।
CCI ने इसे 'यूजर की आजादी छीनने वाला' कदम बताया और नवंबर 2024 में WhatsApp और Meta पर ₹213.14 करोड़ का जुर्माना लगाया। साथ ही पांच साल तक डेटा शेयरिंग पर रोक लगा दी। Meta और WhatsApp ने इस फैसले को NCLAT में चुनौती दी और जनवरी 2025 में पाबंदी पर अस्थायी रोक लग गई।
4 नवंबर 2025 के अंतिम फैसले में NCLAT ने जुर्माना बरकरार रखा लेकिन विज्ञापन के लिए डेटा शेयरिंग पर लगी लंबी रोक हटाई। ट्रिब्यूनल ने कहा कि यदि यूजर को साफ-साफ जानकारी दी जाए, ऑप्ट-इन/ऑप्ट-आउट का विकल्प मिले और डेटा इस्तेमाल को लेकर पारदर्शिता रखी जाए, तो पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है।
सुनवाई में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Meta) और मुकुल रोहतगी (WhatsApp) ने कहा कि NCLAT का आदेश बिल्कुल साफ है, और CCI बेवजह और अस्पष्ट मुद्दे उठा रहा है। उनका कहना था कि अगर CCI को आपत्ति है तो उसे 'रिव्यू' करना चाहिए, न कि 'क्लैरिफिकेशन' मांगना चाहिए।
इस लड़ाई का सीधा असर उन करोड़ों भारतीयों पर पड़ेगा जो WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं। यदि Meta और WhatsApp डेटा इंटीग्रेशन फिर से शुरू करते हैं, तो उन्हें पहले यूजर्स को ज्यादा साफ जानकारी देनी होगी और हर तरह के डेटा के लिए अलग-अलग सहमति लेनी होगी।
यानी मामला अभी खत्म नहीं हुआ है और आगे का फैसला यह तय करेगा कि WhatsApp भारत में कितनी हद तक यूजर डेटा Meta के विज्ञापन सिस्टम में इस्तेमाल कर पाएगा।